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अगले दिन हमने पास के गाँव में घूमने का निर्णय लिया और चले गए। वहाँ पर एक मंदिर में लड़के-लड़की का एक जोड़ा बैठा था, दोनों एक दूसरे को खाना खिला रहे थे।
मैंने पारो से पूछा- जान भूख लगी है?
उसने कहा- अगर तुम भी मुझे खिलाओ तो मैं खाऊँगी।
मैं भी वहाँ पर उसे ले गया पहले मंदिर में परमपिता को प्रणाम किया तो वहाँ के पुजारी ने अपनी भाषा में कुछ हमसे पूछा, मुझे लगा कि जैसे वो पैसे मांग रहा है।
मैंने उसे हजार का नोट जो मेरे पास था दे दिया।
थोड़ी देर में उसने दो थाली मंगाई और हमारी तरफ बढ़ा दी। भूख तो हम दोनों को ही लगी थी सो हम दोनों ने एक दूसरे को खिलाना शुरू कर दिया।
हमारे साथ होटल का एक स्टाफ ड्राईवर भी था। खिलाने के बाद पुजारी ने थोड़े मंत्र पढ़े और हमसे कुछ पूजा करवाई। सब ख़त्म कर के पारो ने भी पुजारी को थोड़े पैसे दिए और हम वापिस अपने कार के पास आ गए।
ड्राईवर जो काफी वक़्त से हमें देख रहा था, उसने हमसे कहा- सर, यह यहाँ के लोगों का रिवाज है, इसी रिवाज से यहाँ शादी होती है। अब आप दोनों ने फिर से यहाँ की रीतियों के मुताबिक़ शादी कर ली है।
मुझे तो ऐसा लगा मानो काटो तो खून नहीं !
पारो भी जैसे कहीं खो सी गई इस बात को जान कए !
होटल में हमने अपनी बुकिंग पति पत्नी की ही करवाई थी तो ड्राईवर ने हमें वहाँ रोका नहीं।
सारे रास्ते हम दोनों चुप थे। मैं तो उससे नज़रें भी नहीं मिला पा रहा था, हम दोनों अपने कमरे में पहुँचे, ड्राईवर ने हमारी शादी की बात वहाँ के मैंनेजर को बताई तो वो भी हमें बधाई देने लगा।
खैर जैसे तैसे हम खुद को सम्भालते हुए अपने कमरे में पहुँचे।
पहली आवाज़ पारो की आई- क्या हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं हो सकता?
मैंने कहा- यह रिश्ता बाकी सभी रिश्तों से ज्यादा बड़ा है ! पति पत्नी का रिश्ता है ये.. और हमने इसे भी मजाक बना दिया !
उसने कहा- नहीं, शायद यह भी जिंदगी का एक तोहफा है। मैं तो बहुत खुश हूँ..
मैंने कहा- तुम समझ नहीं रही हो ! तुमने तो अपनी जिंदगी के सारे लक्ष्य हासिल कर लिए और मैं क्या हूँ, आखिर मैं कुछ भी तो नहीं हूँ। और चाहे मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ मैं तुम्हें अपना तो लूँगा पर कभी दिल में बसा नहीं पाऊँगा।
उसने कहा- तुम जो भी कहो पर मैंने तो तुम्हें अपना भी लिया है और अपने दिल में बसा भी लिया है। किसी को बिना चाहे उसके साथ जिंदगी बिताने से तो अच्छा है अपने प्यार के साथ दो पल बिताना। मैं यह नहीं कहती कि मैं तुम्हारा इंतज़ार करुँगी या और कुछ ! मैं तुमसे कुछ चाहती भी नहीं, बस मुझे खुद को तुम्हारा कहने से अब मत रोकना !
मैं चुप था, थोड़ी देर बाद मैंने कहा- ठीक है, तुमने तकलीफ चुनी है अब कभी मुझे दोष न देना ! तुम मेरी ही रहोगी पर मैं तुम्हारा कब हो पाऊँगा, यह मुझे भी नहीं पता !
उसने दौड़ कर मेरे पास आकर मेरे होठों को चूम लिया।
अब एक नई कहानी शुरू करता हूँ l साथ बने रहिएगा l
एक ख्वाहिश
ख्वाहिशें सच में बहुत अजीब होती हैं। लेखकों की ख्वाहिश कि बस लड़कियों के ढेर सारे मेल आयें और दिन रात मैं सम्भोग के असीम पलों का आनन्द लेता रहूँ..
पुरुष पाठकों की ख्वाहिश कि इन कहानियों जैसा ही कुछ हमारे साथ भी हो जाए !
पाठिकाओं की ख्वाहिश कि काश मेरे बॉयफ्रेंड या पति का लिंग भी इन्हीं कहानियों की तरह होता और वो भी ऐसे ही मज़े दे पाते।
बहुत सी कुंवारी कन्याएँ भी इस वेबसाइट को देखती हैं, इसका पता मुझे अपनी कहानियों के प्रकाशन के बाद ही चला। उनकी ख्वाहिशें कि ऐसा ही कुछ हमारे जीवन में भी घटित हो, पर उन्हें डर भी होता है पता नहीं जिनसे हम बात करें, वो कैसा होगा। डर के साथ सम्भोग के सुख को प्राप्त कर पाना मुश्किल है।
सभी की तरह मेरी भी ख्वाहिश है कि ऐसी कोई तो मिले जो सेक्स में कभी ना न कहे और पूरे पल को पूरे एहसास के साथ जिए। सच कहूँ तो मुझे आज तक ऐसी कोई मिली नहीं, कभी कभी तो लगता है ऐसी कोई है ही नहीं जो निशांत को शांत कर सके। एक बार तो तीन लड़कियों के साथ भी कोशिश की पर नहीं दूसरे ही दिन तीनों मुझे पास भी आने नहीं दे रही थी। खैर जो भी हो मेरी दुआ है कि आप सभी की ख्वाहिशें पूरी हों..
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। यह कहानी है मेरी और शोना की। जब मेरी कहानी ‘प्रेम अध्याय की शुरुआत’ का प्रकाशन हुआ तब एक कन्या ने मुझसे फेसबुक पर संपर्क किया। मेरे दिल के तार भी बजने लगे। मैंने उससे बात शुरू की वो किसी मेडिकल कॉलेज की छात्रा थी। हमारा संवाद कुछ इस प्रकार हुआ..
शोना- मेरा नाम शोना(बदला हुआ) है, मैं मेडिकल की छात्रा हूँ आपकी बहुत बड़ी प्रशंसक हूँ। आप अपने बारे में बतायें, आपकी उम्र और आप क्या करते हो ?
मैं- जानू प्यार का उम्र से क्या लेना देना है। वैसे उम्र 25 साल है और हर उस लड़की से प्यार करता हूँ जो भी मुझसे प्यार की उम्मीद करती है..
शोना- कितनी गन्दी बातें करते हो आप। आपकी कहानियों से लगा था आप भावनाओं की कद्र करते हो। बस सेक्स नहीं स्त्रियों की भावनाएँ भी आपके लिए मायने रखती हैं।
मैं- क्या करूँ शोना, जब कोई तुम्हारी भावनाओं से खेलने लगे तो किसी और की भावनाओं को समझना मुश्किल हो जाता है। माफ़ करना मेरे इस व्यवहार के लिए !
शोना- काफी चोट खाए आशिक लगते हो जनाब आप ! आपकी कहानियाँ ही बता देती हैं।
मैं- शारीरिक चोट की दवा तो मिल भी जाती है। पर इस दिल की दवा आज नहीं मिली। वैसे आपके जीवन में ऐसा कुछ हुआ है क्या?
शोना- नहीं, मैंने कभी किसी को अपने दिल के इतने अन्दर आने ही नहीं दिया कि कोई उसे ठेस पहुँचा सके। पहली बार आपकी कहानियों को पढ़कर मुझे आपसे संपर्क करने की इच्छा हुई।
मैं- तो सम्भोग से परिपूर्ण कहानियाँ पढ़ती हैं आप? मुझे लगा कि इस मामले में बहुत अनुभवी होगी।
मैंने पारो से पूछा- जान भूख लगी है?
उसने कहा- अगर तुम भी मुझे खिलाओ तो मैं खाऊँगी।
मैं भी वहाँ पर उसे ले गया पहले मंदिर में परमपिता को प्रणाम किया तो वहाँ के पुजारी ने अपनी भाषा में कुछ हमसे पूछा, मुझे लगा कि जैसे वो पैसे मांग रहा है।
मैंने उसे हजार का नोट जो मेरे पास था दे दिया।
थोड़ी देर में उसने दो थाली मंगाई और हमारी तरफ बढ़ा दी। भूख तो हम दोनों को ही लगी थी सो हम दोनों ने एक दूसरे को खिलाना शुरू कर दिया।
हमारे साथ होटल का एक स्टाफ ड्राईवर भी था। खिलाने के बाद पुजारी ने थोड़े मंत्र पढ़े और हमसे कुछ पूजा करवाई। सब ख़त्म कर के पारो ने भी पुजारी को थोड़े पैसे दिए और हम वापिस अपने कार के पास आ गए।
ड्राईवर जो काफी वक़्त से हमें देख रहा था, उसने हमसे कहा- सर, यह यहाँ के लोगों का रिवाज है, इसी रिवाज से यहाँ शादी होती है। अब आप दोनों ने फिर से यहाँ की रीतियों के मुताबिक़ शादी कर ली है।
मुझे तो ऐसा लगा मानो काटो तो खून नहीं !
पारो भी जैसे कहीं खो सी गई इस बात को जान कए !
होटल में हमने अपनी बुकिंग पति पत्नी की ही करवाई थी तो ड्राईवर ने हमें वहाँ रोका नहीं।
सारे रास्ते हम दोनों चुप थे। मैं तो उससे नज़रें भी नहीं मिला पा रहा था, हम दोनों अपने कमरे में पहुँचे, ड्राईवर ने हमारी शादी की बात वहाँ के मैंनेजर को बताई तो वो भी हमें बधाई देने लगा।
खैर जैसे तैसे हम खुद को सम्भालते हुए अपने कमरे में पहुँचे।
पहली आवाज़ पारो की आई- क्या हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं हो सकता?
मैंने कहा- यह रिश्ता बाकी सभी रिश्तों से ज्यादा बड़ा है ! पति पत्नी का रिश्ता है ये.. और हमने इसे भी मजाक बना दिया !
उसने कहा- नहीं, शायद यह भी जिंदगी का एक तोहफा है। मैं तो बहुत खुश हूँ..
मैंने कहा- तुम समझ नहीं रही हो ! तुमने तो अपनी जिंदगी के सारे लक्ष्य हासिल कर लिए और मैं क्या हूँ, आखिर मैं कुछ भी तो नहीं हूँ। और चाहे मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ मैं तुम्हें अपना तो लूँगा पर कभी दिल में बसा नहीं पाऊँगा।
उसने कहा- तुम जो भी कहो पर मैंने तो तुम्हें अपना भी लिया है और अपने दिल में बसा भी लिया है। किसी को बिना चाहे उसके साथ जिंदगी बिताने से तो अच्छा है अपने प्यार के साथ दो पल बिताना। मैं यह नहीं कहती कि मैं तुम्हारा इंतज़ार करुँगी या और कुछ ! मैं तुमसे कुछ चाहती भी नहीं, बस मुझे खुद को तुम्हारा कहने से अब मत रोकना !
मैं चुप था, थोड़ी देर बाद मैंने कहा- ठीक है, तुमने तकलीफ चुनी है अब कभी मुझे दोष न देना ! तुम मेरी ही रहोगी पर मैं तुम्हारा कब हो पाऊँगा, यह मुझे भी नहीं पता !
उसने दौड़ कर मेरे पास आकर मेरे होठों को चूम लिया।
अब एक नई कहानी शुरू करता हूँ l साथ बने रहिएगा l
एक ख्वाहिश
ख्वाहिशें सच में बहुत अजीब होती हैं। लेखकों की ख्वाहिश कि बस लड़कियों के ढेर सारे मेल आयें और दिन रात मैं सम्भोग के असीम पलों का आनन्द लेता रहूँ..
पुरुष पाठकों की ख्वाहिश कि इन कहानियों जैसा ही कुछ हमारे साथ भी हो जाए !
पाठिकाओं की ख्वाहिश कि काश मेरे बॉयफ्रेंड या पति का लिंग भी इन्हीं कहानियों की तरह होता और वो भी ऐसे ही मज़े दे पाते।
बहुत सी कुंवारी कन्याएँ भी इस वेबसाइट को देखती हैं, इसका पता मुझे अपनी कहानियों के प्रकाशन के बाद ही चला। उनकी ख्वाहिशें कि ऐसा ही कुछ हमारे जीवन में भी घटित हो, पर उन्हें डर भी होता है पता नहीं जिनसे हम बात करें, वो कैसा होगा। डर के साथ सम्भोग के सुख को प्राप्त कर पाना मुश्किल है।
सभी की तरह मेरी भी ख्वाहिश है कि ऐसी कोई तो मिले जो सेक्स में कभी ना न कहे और पूरे पल को पूरे एहसास के साथ जिए। सच कहूँ तो मुझे आज तक ऐसी कोई मिली नहीं, कभी कभी तो लगता है ऐसी कोई है ही नहीं जो निशांत को शांत कर सके। एक बार तो तीन लड़कियों के साथ भी कोशिश की पर नहीं दूसरे ही दिन तीनों मुझे पास भी आने नहीं दे रही थी। खैर जो भी हो मेरी दुआ है कि आप सभी की ख्वाहिशें पूरी हों..
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। यह कहानी है मेरी और शोना की। जब मेरी कहानी ‘प्रेम अध्याय की शुरुआत’ का प्रकाशन हुआ तब एक कन्या ने मुझसे फेसबुक पर संपर्क किया। मेरे दिल के तार भी बजने लगे। मैंने उससे बात शुरू की वो किसी मेडिकल कॉलेज की छात्रा थी। हमारा संवाद कुछ इस प्रकार हुआ..
शोना- मेरा नाम शोना(बदला हुआ) है, मैं मेडिकल की छात्रा हूँ आपकी बहुत बड़ी प्रशंसक हूँ। आप अपने बारे में बतायें, आपकी उम्र और आप क्या करते हो ?
मैं- जानू प्यार का उम्र से क्या लेना देना है। वैसे उम्र 25 साल है और हर उस लड़की से प्यार करता हूँ जो भी मुझसे प्यार की उम्मीद करती है..
शोना- कितनी गन्दी बातें करते हो आप। आपकी कहानियों से लगा था आप भावनाओं की कद्र करते हो। बस सेक्स नहीं स्त्रियों की भावनाएँ भी आपके लिए मायने रखती हैं।
मैं- क्या करूँ शोना, जब कोई तुम्हारी भावनाओं से खेलने लगे तो किसी और की भावनाओं को समझना मुश्किल हो जाता है। माफ़ करना मेरे इस व्यवहार के लिए !
शोना- काफी चोट खाए आशिक लगते हो जनाब आप ! आपकी कहानियाँ ही बता देती हैं।
मैं- शारीरिक चोट की दवा तो मिल भी जाती है। पर इस दिल की दवा आज नहीं मिली। वैसे आपके जीवन में ऐसा कुछ हुआ है क्या?
शोना- नहीं, मैंने कभी किसी को अपने दिल के इतने अन्दर आने ही नहीं दिया कि कोई उसे ठेस पहुँचा सके। पहली बार आपकी कहानियों को पढ़कर मुझे आपसे संपर्क करने की इच्छा हुई।
मैं- तो सम्भोग से परिपूर्ण कहानियाँ पढ़ती हैं आप? मुझे लगा कि इस मामले में बहुत अनुभवी होगी।