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मैं सोच रहा था कि पैसा भी क्या चीज़ है शीशे को भी छू जाए तो वो बहुमूल्य रत्न बन जाए।
राजू उसे मेरे पास छोड़ अन्दर कहीं चला गया..
ऐश मेरे पास आई और अपनी बांहें मेरे गले में डाल चिपक कर बैठ गई। मैं थोड़ा हटने को हुआ तो उसने मेरे गालों को चूम लिया और कहने लगी… “ओये सोहण्यो, हुण मैं त्वान्नू इस हफ़्ते ताईं नई छड्डांग़ी। मैन्नू सव कुज सखाओ !”
मैंने उससे कहा- मुझे पंजाबी ज्यादा नहीं आती, मेरे साथ हिन्दी या अंग्रेजी में बात करो !
तो ऐश बोली- जान, अब एक हफ्ते तक मैं तुम्हें छोड़ने वाली नहीं हूँ, मुझे सब कुछ सीखना है तुमसे !
मैंने कहा- मैं तो सिर्फ चुदना सिखा सकता हूँ।
वो मेरी गोद में बैठ गई और कहने लगी- तो चोद न मुझे !”
पर पता नहीं क्यों इतनी देर से इतनी लड़कियों को नंगा देख रहा था कि अब ये कामवाण भी मेरे लिंग को उफान पर लाने में असमर्थ हो रहे थे।
मैंने उससे कहा- कहीं बाहर खुले में चलो, यहाँ अजीब सी घुटन हो रही है…
उसने कहा- मैं तो अब उतरूंगी नहीं, तुम्हारी गोद में ही रहूंगी, तुम्हें जहाँ ले चलना है ले चलो।
मैंने उसे अपने हाथों में उठाया और लेकर बाहर आ गया..
आज तो स्त्री का एक नया ही रूप मेरे सामने था। वो चाहे कुछ भी कह ले कैसे भी कहे पर उसकी आँखें बहुत कुछ कहे जा रही थी। मैं उसे छू कर भी जैसे छू नहीं पा रहा था। वो मेरे गोद में थी पर अभी भी ऐसा लग रहा था जैसे मैं उससे कोसों दूर हूँ। प्यार और हवस में शायद यही अंतर था। प्यार में तो कोई करीब ना भी हो तो भी उसके छूने का एहसास खुद ही महसूस होता है… और इस वक़्त मेरे इतने करीब होते हुए भी मुझसे बहुत दूर थी।
अब थोड़ी राहत मिल रही थी। यह उस फार्म हाउस का पिछला हिस्सा था। इस हिस्से में पानी का फव्वारा लगा था, उसके चारों तरफ संगमरमर के बेंच लगे थे वो इतने चौड़े तो थे कि हमारा काम हो जाता। पास ही शराब का काउंटर लगा था। मैंने ऐश को बेंच पर लिटाया और बीयर की बोतल लेता आया।
उसकी आँखें बंद थी… क्या लेटने का अंदाज़ था, उसका सफ़ेद बदन संगमरमर को चुनौती दे रहा था। इस मुज़स्स्मे के एक एक अंग को जैसे किसी संगतराश ने पूरी फ़ुर्सत में तराशा हो ! जैसे किसी बेहद माहिर जौहरी ने कोहिनूर से नूर लेकर इसके एक एक अंग में भरा हो !
गुलाबी रंग की फ्रॉक जो मुश्किल से पैंटी को छुपा रही थी, स्तनों के आकार तो नामर्द को भी पागल कर दे। मैं बीयर के ढक्कन हटा उसके पास गया और उसके पैरों पर डालते हुये ऊपर उसके स्तनों तक को नहला दिया। अब पैरों से ही मेरी जिव्हा ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया। जहाँ तक बीयर की बूंदें छलकी थी वहाँ तक चूस चूस कर साफ़ करने लग गया।
कपड़ो के ऊपर से ही पूरे जिस्म को चूमने के बाद अब उसके होंठों तक पहुँचा। गुलाबी होंठ जिससे अपने होंठों को अलग करने का जी ही नहीं कर रहा था।
तभी ऐश पलट गई और अपनी फ्रॉक की चेन खोलने की कोशिश करने लगी। मैं उसके हाथों को हटाता हुआ बांये हाथ से चेन खोल रहा था और दांये हाथ से बाकी बची बीयर उसकी पीठ पर डाल रहा था और अपने होंठों से उन बीयर की बूंदों को साफ़ भी करता जा रहा था।
ऐश तो जैसे पागल हुई जा रही थी। वो पल्टी और मुझे उस बेंच पर उसने पटक दिया। खुद नंगी हुई और मुझे भी नंगा कर दिया। मैंने उसे रोकते हुए गले से लगा लिया और धीरे से उसके कान में कहा- जान, ट्रेनिंग मैं दे रहा हूँ।
अब एक और बोतल का ढक्कन खुला और मेरे पूरे शरीर पर उसने उसे उड़ेल दिया। अब बारी बारी सारी बूँदें अपनी जीभ से साफ़ करने लगी। साफ करते हुए मेरे लिंग तक पहुँची और अपनी जिह्वा के वार से उसे घायल करने लगी।
जब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था तो उसे उठा कर अपने नीचे कर लिया अब मेरा लिंग उसकी योनि को छू रहे थे… ऐश ने अपने हाथों से मेरे लिंग को दिशा दी और मैंने भी पूरे जोश में एक जोरदार धक्का दे दिया।
ऐश की तो जैसे चीख ही निकल गई। अब मैं खुद को नियंत्रित करने में असमर्थ था। उसकी टांगों को अपने कंधें पे रखा और उसके नितम्ब बेंच के कोने से टिका दिए, खुद नीचे खड़ा हो धक्के लगाने लगा।
करीब दस मिनट बाद मेरा झड़ने को हुआ तो योनि से निकाल अपना लिंग उसके मुख में दे दिया। उसकी प्रशिक्षित जिह्वा और हाथ जल्द ही मुझे निचोड़ गए, सारा रस वो पी गई।
फिर हमने फव्वारे में नहाते हुए एक बार और काम क्रिया का आनन्द लिया।
दिल्ली में बिताये एक हफ्ते बहुत हसीन रहें…
राजू उसे मेरे पास छोड़ अन्दर कहीं चला गया..
ऐश मेरे पास आई और अपनी बांहें मेरे गले में डाल चिपक कर बैठ गई। मैं थोड़ा हटने को हुआ तो उसने मेरे गालों को चूम लिया और कहने लगी… “ओये सोहण्यो, हुण मैं त्वान्नू इस हफ़्ते ताईं नई छड्डांग़ी। मैन्नू सव कुज सखाओ !”
मैंने उससे कहा- मुझे पंजाबी ज्यादा नहीं आती, मेरे साथ हिन्दी या अंग्रेजी में बात करो !
तो ऐश बोली- जान, अब एक हफ्ते तक मैं तुम्हें छोड़ने वाली नहीं हूँ, मुझे सब कुछ सीखना है तुमसे !
मैंने कहा- मैं तो सिर्फ चुदना सिखा सकता हूँ।
वो मेरी गोद में बैठ गई और कहने लगी- तो चोद न मुझे !”
पर पता नहीं क्यों इतनी देर से इतनी लड़कियों को नंगा देख रहा था कि अब ये कामवाण भी मेरे लिंग को उफान पर लाने में असमर्थ हो रहे थे।
मैंने उससे कहा- कहीं बाहर खुले में चलो, यहाँ अजीब सी घुटन हो रही है…
उसने कहा- मैं तो अब उतरूंगी नहीं, तुम्हारी गोद में ही रहूंगी, तुम्हें जहाँ ले चलना है ले चलो।
मैंने उसे अपने हाथों में उठाया और लेकर बाहर आ गया..
आज तो स्त्री का एक नया ही रूप मेरे सामने था। वो चाहे कुछ भी कह ले कैसे भी कहे पर उसकी आँखें बहुत कुछ कहे जा रही थी। मैं उसे छू कर भी जैसे छू नहीं पा रहा था। वो मेरे गोद में थी पर अभी भी ऐसा लग रहा था जैसे मैं उससे कोसों दूर हूँ। प्यार और हवस में शायद यही अंतर था। प्यार में तो कोई करीब ना भी हो तो भी उसके छूने का एहसास खुद ही महसूस होता है… और इस वक़्त मेरे इतने करीब होते हुए भी मुझसे बहुत दूर थी।
अब थोड़ी राहत मिल रही थी। यह उस फार्म हाउस का पिछला हिस्सा था। इस हिस्से में पानी का फव्वारा लगा था, उसके चारों तरफ संगमरमर के बेंच लगे थे वो इतने चौड़े तो थे कि हमारा काम हो जाता। पास ही शराब का काउंटर लगा था। मैंने ऐश को बेंच पर लिटाया और बीयर की बोतल लेता आया।
उसकी आँखें बंद थी… क्या लेटने का अंदाज़ था, उसका सफ़ेद बदन संगमरमर को चुनौती दे रहा था। इस मुज़स्स्मे के एक एक अंग को जैसे किसी संगतराश ने पूरी फ़ुर्सत में तराशा हो ! जैसे किसी बेहद माहिर जौहरी ने कोहिनूर से नूर लेकर इसके एक एक अंग में भरा हो !
गुलाबी रंग की फ्रॉक जो मुश्किल से पैंटी को छुपा रही थी, स्तनों के आकार तो नामर्द को भी पागल कर दे। मैं बीयर के ढक्कन हटा उसके पास गया और उसके पैरों पर डालते हुये ऊपर उसके स्तनों तक को नहला दिया। अब पैरों से ही मेरी जिव्हा ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया। जहाँ तक बीयर की बूंदें छलकी थी वहाँ तक चूस चूस कर साफ़ करने लग गया।
कपड़ो के ऊपर से ही पूरे जिस्म को चूमने के बाद अब उसके होंठों तक पहुँचा। गुलाबी होंठ जिससे अपने होंठों को अलग करने का जी ही नहीं कर रहा था।
तभी ऐश पलट गई और अपनी फ्रॉक की चेन खोलने की कोशिश करने लगी। मैं उसके हाथों को हटाता हुआ बांये हाथ से चेन खोल रहा था और दांये हाथ से बाकी बची बीयर उसकी पीठ पर डाल रहा था और अपने होंठों से उन बीयर की बूंदों को साफ़ भी करता जा रहा था।
ऐश तो जैसे पागल हुई जा रही थी। वो पल्टी और मुझे उस बेंच पर उसने पटक दिया। खुद नंगी हुई और मुझे भी नंगा कर दिया। मैंने उसे रोकते हुए गले से लगा लिया और धीरे से उसके कान में कहा- जान, ट्रेनिंग मैं दे रहा हूँ।
अब एक और बोतल का ढक्कन खुला और मेरे पूरे शरीर पर उसने उसे उड़ेल दिया। अब बारी बारी सारी बूँदें अपनी जीभ से साफ़ करने लगी। साफ करते हुए मेरे लिंग तक पहुँची और अपनी जिह्वा के वार से उसे घायल करने लगी।
जब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था तो उसे उठा कर अपने नीचे कर लिया अब मेरा लिंग उसकी योनि को छू रहे थे… ऐश ने अपने हाथों से मेरे लिंग को दिशा दी और मैंने भी पूरे जोश में एक जोरदार धक्का दे दिया।
ऐश की तो जैसे चीख ही निकल गई। अब मैं खुद को नियंत्रित करने में असमर्थ था। उसकी टांगों को अपने कंधें पे रखा और उसके नितम्ब बेंच के कोने से टिका दिए, खुद नीचे खड़ा हो धक्के लगाने लगा।
करीब दस मिनट बाद मेरा झड़ने को हुआ तो योनि से निकाल अपना लिंग उसके मुख में दे दिया। उसकी प्रशिक्षित जिह्वा और हाथ जल्द ही मुझे निचोड़ गए, सारा रस वो पी गई।
फिर हमने फव्वारे में नहाते हुए एक बार और काम क्रिया का आनन्द लिया।
दिल्ली में बिताये एक हफ्ते बहुत हसीन रहें…