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मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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पैसा, कैरियर और दिखावा....

इनका उद्देश्य चोदन ही है
पैसा, होगा तो इंसान अयाशी कर सकता हैं। चोदन

करियर होगा तो खूबसूरत लड़की से शादी होगी। चोदन

दिखावा होगा तो हर औरत झांसे में आ जायेगी। चोदन

जो फुर्सत में होने का इंतजार करते है वो चूतिये होते है।
उपभोग-- वाली बात सही है।

Salute है आपको
👌🙏
अभी पैसे के पीछे हो जिस दिन पैसा आपके पीछे होगा उस दिन मेरी बात की गहराई समझ पाओगे.... छोटे भाई....
.........
तृष्णा से तुष्टि तक बहुत लम्बी डगर है.... अगर पार कर सके तभी मोक्ष प्राप्त होगा...
मैंने बहुतों को तृष्णा में ही जीवन गुजारते हुये दुनिया से जाते देखा है....
अभी 3 जनवरी को ही मेरे एक और बाबा/दादाजी खत्म हो गये 97 की उम्र 70 हजार मासिक पैंशन 2 बेटे लगभग 1 लाख मासिक पैंशन, 1 बेटा दुबई सरकारी इंजीनियर वेतन लगभग 1 करोड़ वार्षिक 1 बेटा 50 बीघा जमीन 6 पोते व उनकी पत्नी वेतन लगभग डेढ़ करोड़ सालाना
़़़़़
और जीवन के आखिरी 25-30 साल परिवार के साथ होली दिवाली पर भी नही.... अकेले इन्तजार करते कि गाँव के लोग उनके पास बैठकर उनसे कुछ पूंछें या कहें, बात करें
........

मेरा गाँव, एक ही परिवार का है, मेरा ही परिवार.... और इलाके का सबसे पढ़ा लिखा सम्पन्न गाँव...
आज यह गाँव खत्म हो रहा है, सबको पैसे के पीछे भागना है, ना माँ-पिता के लिये समय है ना बच्चों के लिये

अपने घर में अकेला मैं गाँव में रहने आ गया हूँ...
 

kamdev99008

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मैं पिछले 14 वर्ष में लगभग 50 दाह संस्कार में शामिल हुआ हूँ उनमें से कोई गरीबी से नहीं मरा... लेकिन तृष्णा में ही मरे हैं... जो चाहते थे, हासिल नहीं कर पाये
कुछ ना कुछ रह ही गया बाकी...
 

manu@84

Well-Known Member
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अभी पैसे के पीछे हो जिस दिन पैसा आपके पीछे होगा उस दिन मेरी बात की गहराई समझ पाओगे.... छोटे भाई....
.........
तृष्णा से तुष्टि तक बहुत लम्बी डगर है.... अगर पार कर सके तभी मोक्ष प्राप्त होगा...
मैंने बहुतों को तृष्णा में ही जीवन गुजारते हुये दुनिया से जाते देखा है....
अभी 3 जनवरी को ही मेरे एक और बाबा/दादाजी खत्म हो गये 97 की उम्र 70 हजार मासिक पैंशन 2 बेटे लगभग 1 लाख मासिक पैंशन, 1 बेटा दुबई सरकारी इंजीनियर वेतन लगभग 1 करोड़ वार्षिक 1 बेटा 50 बीघा जमीन 6 पोते व उनकी पत्नी वेतन लगभग डेढ़ करोड़ सालाना
़़़़़
और जीवन के आखिरी 25-30 साल परिवार के साथ होली दिवाली पर भी नही.... अकेले इन्तजार करते कि गाँव के लोग उनके पास बैठकर उनसे कुछ पूंछें या कहें, बात करें
........

मेरा गाँव, एक ही परिवार का है, मेरा ही परिवार.... और इलाके का सबसे पढ़ा लिखा सम्पन्न गाँव...
आज यह गाँव खत्म हो रहा है, सबको पैसे के पीछे भागना है, ना माँ-पिता के लिये समय है ना बच्चों के लिये

अपने घर में अकेला मैं गाँव में रहने आ गया हूँ...
अति सुंदर


"तृष्णा से तुष्टि तक बहुत लम्बी डगर है.... अगर पार कर सके तभी मोक्ष प्राप्त होगा...
मैंने बहुतों को तृष्णा में ही जीवन गुजारते हुये दुनिया से जाते देखा है...."

इस line में पूरी जिंदगी का सार है... सब jaante है।

जो बाबा का आपने जिकर किया वो पुराने लोगो की एक सच्चाई है।

हम आज की बात करे तो.... तृष्णा या डिमांड, इच्छा, सभी में होना चाहिए, बिना इच्छाओ के जीवन बेकार है।

जैसे कभी कभी अज्ञानता भी सुख का कारण बन जाती हैं।

बिना इच्छा के जीवन संत का होता है। जो आज के आधुनिक युग में संभव नहीं है।
 
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manu@84

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मैं पिछले 14 वर्ष में लगभग 50 दाह संस्कार में शामिल हुआ हूँ उनमें से कोई गरीबी से नहीं मरा... लेकिन तृष्णा में ही मरे हैं... जो चाहते थे, हासिल नहीं कर पाये
कुछ ना कुछ रह ही गया बाकी...
रह जाने दीजिये हम लोग है ना उनके पैसें की जुगाड़ करिए आप तो.... हम अपनी तृष्णा पूरी कर लेते है!
 
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kamdev99008

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रह जाने दीजिये हम लोग है ना उनके पैसें की जुगाड़ करिए आप तो.... हम अपनी तृष्णा पूरी कर लेते है!
औरत, नशा और हथियार.... पैसे से नहीं.... अपनी निजी क्षमता से हासिल किये हुये ही भरोसेमंद, कामयाब और मजेदार होते हैं...

वरना हवस, नशे और हथियार से मरनेवालों की खबरों से ही अखबार से लेकर न्यूज चैनल तक जिन्दा हैं....
और उनमें से हर एक पैसे से हासिल किया हुआ होता है
 

Yug Purush

सादा जीवन, तुच्छ विचार
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औरत, नशा और हथियार.... पैसे से नहीं.... अपनी निजी क्षमता से हासिल किये हुये ही भरोसेमंद, कामयाब और मजेदार होते हैं...
Aur paise??
 

manu@84

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औरत, नशा और हथियार.... पैसे से नहीं.... अपनी निजी क्षमता से हासिल किये हुये ही भरोसेमंद, कामयाब और मजेदार होते हैं...

वरना हवस, नशे और हथियार से मरनेवालों की खबरों से ही अखबार से लेकर न्यूज चैनल तक जिन्दा हैं....
और उनमें से हर एक पैसे से हासिल किया हुआ होता है

आप राजकुमार साहब फैन रहे है..... क्या डाइलोग चिपकाया है.....?

जानी.....
औरत, नशा और हथियार.... पैसे से नहीं.... अपनी निजी क्षमता से हासिल किये हुये ही भरोसेमंद, कामयाब और मजेदार होते हैं...

वरना हवस, नशे और हथियार से मरनेवालों की खबरों से ही अखबार से लेकर न्यूज चैनल तक जिन्दा हैं....
और उनमें से हर एक पैसे से हासिल किया हुआ होता है।

हाहा हाहा हाहा हाहा
 

kamdev99008

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आप राजकुमार साहब फैन रहे है..... क्या डाइलोग चिपकाया है.....?

जानी.....
औरत, नशा और हथियार.... पैसे से नहीं.... अपनी निजी क्षमता से हासिल किये हुये ही भरोसेमंद, कामयाब और मजेदार होते हैं...

वरना हवस, नशे और हथियार से मरनेवालों की खबरों से ही अखबार से लेकर न्यूज चैनल तक जिन्दा हैं....
और उनमें से हर एक पैसे से हासिल किया हुआ होता है।

हाहा हाहा हाहा हाहा
मैं देव आनन्द जी का फैन रहा हूँ...
"हर फिक्र को धुयें में उड़ाता चला गया"

जो डायलॉग आपको फिल्मी लगा... मैंने इसी उसूल पर ज़िन्दगी को जिया है....
जो हासिल करो वो पूरी तरह से हासिल हो...
"कुछ ना कुछ" की उम्मीद या "बहुत कुछ" की लालसा :nana: में ज़िन्दगी नहीं काटनी मुझे

..... या तो "सब कुछ" हो या फिर "कुछ नहीं"
 

kamdev99008

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Aur paise??
पैसे अक्ल, हिम्मत और सुकून से आते हैं......
मेहनत से तो सिर्फ उम्मीद का भ्रम बना रहता है जिन्दगी गुजारने को...

लेकिन जितना ज्यादा पैसा आयेगा, उतनी ज्यादा परेशानियों को लायेगा..... अक्ल, हिम्मत और सुकून सब छीन लेगा....
 
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Yug Purush

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पैसे अक्ल, हिम्मत और सुकून से आते हैं......
मेहनत से तो सिर्फ उम्मीद का भ्रम बना रहता है जिन्दगी गुजारने को...

लेकिन जितना ज्यादा पैसा आयेगा, उतनी ज्यादा परेशानियों को लायेगा..... अक्ल, हिम्मत और सुकून सब छीन लेगा....
Matlab garib bane rahu :verysad:
 
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