आपकी बात भी ठीक हे पर मेने नोवल्स ज्यादा पढ़े हें , और फिर काम की वजह से समय कम मिल पाता हे इसीलिए कहानी पूरी एक साथ ही पढने में मजा आता हे , बाकि में तो इस फोरम पर एक दो महीने से ही जुडा हूँ, और ज्यादातर कहानियां २०१९ ,२०२० से ही चल रही हें , पर फिर भी कमेन्ट करता ही हूँ , बाकि कहानी लेखक के दिमाग की ही उपज हे , और उन्हें अपने तरीके से ही लिखना चाहिए
मैं 1980-81 से हिन्दी, 1984-85 से अंग्रेजी, 1989-90 से उर्दू, 1991-92 से पंजाबी व 1993-94 से गुजराती.... नॉवल, मैगजीन व अखबार पढ़ता आ रहा हूँ.... रशियन, बांग्ला, तमिल और मलयालम सीखने का भी प्रयास किया लेकिन समय और परिस्थिति को देखते हुए अधूरा छोड़ दिया....
शरतचन्द्र, विमल मित्र, बंकिम चन्द्र, अमृता प्रीतम, वृन्दावन लाल वर्मा, आचार्य चतुरसेन, गुरूदत्त, सावरकर, गुलशन नंदा, रानू, शिवानी, वेद प्रकाश शर्मा से लेकर आमिश त्रिपाठी और चेतन भगत तक सबको पढ़ चुका हूँ...
लेकिन पिछले लगभग 20 वर्ष से हिन्दी अंग्रेजी की इन वयस्क फोरम पर भारतीय, पाकिस्तानी, बांग्लादेशी तथा अमेरिकन, आष्ट्रेलियन व यूरोपियन लेखकों की जो परस्पर संवाद वाली interactive कहानियों में आनन्द मिला वो अतुलनीय है
यहाँ लेखक आपसे सीधा संवाद करके अपना मन आपके सामने उड़ेल देता है
बने रहिये साथ.... शायद पसन्द आने लगे