बहुत संघर्षमय जीवन व्यतीत किया है आपने कामदेव भाई। मेरा जीवन भी लगभग वैसा ही रहा।
लेकिन यह बहुत लोगो की कहानी है। सुख दुख जीवन का एक अहम भाग है। जब भगवान राम और कृष्ण इससे बच नही सके तो हम साधारण मानव कहां से बच सकते है।
मेरे बड़े भाई का व्यवहार सिर्फ मेरे लिए ही नही बल्कि माता पिता के लिए भी था। मेरे पिता गवर्नमेंट सर्विस होल्डर थे। उनकी आय बहुत बहुत ज्यादा थी। उन्होने अपने भाईयों और बहनो के साथ साथ रिश्तेदारों की भी काफी मदद की थी। पुरा समाज उन्हे गांधी जी कहकर सम्बोधित करता था। लेकिन जब वो नौकरी से रिटायर हुए तब भाई साहब ने उनको अपने साथ रहने को मना कर दिया। जिसकी पुरी उम्र शहर के परिवेश मे गुजरी हो , उन्हे मजबूरन गांव जाना पड़ गया। मै उस वक्त खुद स्ट्रगल कर रहा था और अपने शहर से करीब पन्द्रह सोलह सौ किलोमीटर दूर काम मे लगा था। इसी दरम्यान उन्होने सारी संपत्ति अपने नाम करवा ली थी।
मेरे पिता इतने अधिक टूट चुके थे कि उन्होने सरेआम कह दिया था कि मेरे मरने के बाद उनके डेड बाॅडी को उन्हे छुने तक नही जाए और उनका अंतिम संस्कार मेरे हाथो हो।
संयोगवश वैसा ही हुआ।
यह सब बिल्कुल वैसा ही था जैसे मशहूर संगीतकार ओ.पी. नैयर साहब और रवि साहब के साथ हुआ था।
नैयर साहब को पुरे परिवार ने मिलकर घर से निकाल बाहर किया था और रवि साहब को उनके एकलौते पुत्र ने। लेकिन रवि साहब की दोनो बेटी ने अंत समय पर उनका अच्छा साथ दिया था।
रवि शर्मा ( रवि ) के कुछ मशहूर गीत है - तुझे सूरज कहू या चंदा.....बाबुल की दुआएं लेती जा। बी आर चोपड़ा की लगभग हर फिल्म मे संगीत उन्होने ही दिया। महाभारत सीरीयल मे भी संगीत इन्ही का था।
जो कुछ हमारे साथ हुआ इसका मतलब यह नही कि यह सिर्फ हमारे साथ ही हुआ है। धरती पर बहुत लोग है जिनके दुख की सीमा असीमित है।
दुनिया में कितना गम है, मेरा गम उतना कम है।
इत्र, मित्र, चित्र, और चरित्र किसी पहचान के मोहताज नहीं, ये अपना परिचय स्वयम् देते है।
आप उन्ही में से है, जिन्होंने अपनी पहचान अपने बलबूते पर बनाई है....
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