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मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक

manu@84

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ध्यान से पढ़ें...
Sorry sir. आपके मैसेज ठीक से नही पढ़ा था।


जी bataiye क्या और कैसे करना है???
 
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ashik awara

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आप सही कह रहे है, क्योकि हर शक्स के अंदर राज है, जिन्हे वो हर किसी को बताएगा तो लोग मजाक उड़ाते है।
बांकी के प्लेटफॉर्म स्वार्थ से भरे हुए है। पर यहाँ ऐसा नहीं है, निस्वार्थ होकर हम अपनी बातें share kar सकते है।
दोस्त कहानी कर्ज और फर्ज मेने थोड़ी सी पढ़ी हे , पर कुछ खास समझ नही आई , समय मिलने पर दोबारा पढूंगा, मेने भी कई कहानियां लिखी हुई हें , पर किसी फोरम पर पोस्ट करने की सोचा नही हे , अभी तो स्वन्ताय सुखम बस अपने लिए खेर आपसे जो बातचीत हुई अच्चा लगा , मुझे रोमांस से भरी कहानियां ज्यादा पसंद आती हें , सेक्स बाबा पर कई कहानियां मुझे पसंद आई जिनमे सेक्स न के बराबर था ,पर कहानी अच्छी लगी , वेसे भी में कहानी सेव करके बिना किसी इमेज के अपने फोल्डर पर ही पढना पसंद करता हूँ . बहुत सारी कहानियां मेने सेव करके रखी हुई हें , अधि से ज्यादा कहानियां अभी पढ़ी भी नही हें .
 

manu@84

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दोस्त कहानी कर्ज और फर्ज मेने थोड़ी सी पढ़ी हे , पर कुछ खास समझ नही आई , समय मिलने पर दोबारा पढूंगा, मेने भी कई कहानियां लिखी हुई हें , पर किसी फोरम पर पोस्ट करने की सोचा नही हे , अभी तो स्वन्ताय सुखम बस अपने लिए खेर आपसे जो बातचीत हुई अच्चा लगा , मुझे रोमांस से भरी कहानियां ज्यादा पसंद आती हें , सेक्स बाबा पर कई कहानियां मुझे पसंद आई जिनमे सेक्स न के बराबर था ,पर कहानी अच्छी लगी , वेसे भी में कहानी सेव करके बिना किसी इमेज के अपने फोल्डर पर ही पढना पसंद करता हूँ . बहुत सारी कहानियां मेने सेव करके रखी हुई हें , अधि से ज्यादा कहानियां अभी पढ़ी भी नही हें .
शुक्रिया

इंतजार रहेगा आपके reviw का कहानी में।
 

kamdev99008

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एक अनोखा बंधन कहानी आपकी हे न
Rockstar_Rocky (मानु) और YouAlreadyKnowMe (संगीता) की कहानी है
 
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Thanks
काफी हद तक आपने मेरी जिज्ञासा का समाधान incest पर निबंध लिख कर दिया है।

पर यहाँ से मेरा अगला सवाल उठ रहा है.....!

Incest रिलेशन फीलिंग्स है या सेक्स पूर्ति का फ्री का जरिया।

क्योकि

सेक्स पूर्ती के जरिये आज के आधुनिक युग सुलभ हैं। पैसा फेंको तमाशा देखो।
इन्सेस्ट रिलेशनशिप न ही फीलिंग्स है और न ही फ्री सेक्स की चाहत।
रिलेशनशिप मे फ्री सेक्स कहां से आ गया !
एक लड़का क्या कभी सोच सकता है कि वो अपने ही मां बहन को पैसे के बलबूते उसके साथ सेक्स करने के लिए विवश कर सकता है !
एकाध अपवाद मान ले तो मुझे नही लगता कि कोई बेटा अपने ही मां के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध कायम करने की मंशा रखता हो , वैसे ही कोई भी बाप अपने ही बेटी के साथ सेक्स करना चाहता हो।
मुझे तो लगता है अगर कभी मां को कोई परिस्थितिवश अपने बेटे के सामने पूर्ण नग्न होना पड़ जाए या किसी बाप के सामने ऐसी ही किसी सिचुएशन मे नग्न दिख जाए तो वो अपनी आंखे नीची ही कर लेगा। उसके अंदर कोई सेक्सुअल फीलिंग्स आएगी ही नही।

लेकिन जैसा मैने कहा था ये सब वैसा ही है जिसे हम प्रतिबंधित दरवाजा कहते है। खुद नही कर सकते पर दूसरो को देखकर यह सब जानना चाहते है।
और एक बार देख या सुन लिया तो फिर उसे काल्पनिक रूप से महसूस करना चाहते है।
यहीं से इन्सेस्ट लोगो की पसंद की चीज बनने लगती है। कहानियों के माध्यम से वो हवाई किले जैसा कपोल कल्पनाशील हो जाते है।

पैसा फेंककर सिर्फ एक ही सेक्स होता है कि आप या तो किसी नगरबधू के पास जाओ या किसी लड़की के फाइनेंशियल मजबूरी का फायदा उठाओ।
और ये भी उसी तरह गलत है जैसे कि इन्सेस्टियस सम्बन्ध कायम करना।
लड़का और लड़की रजामंदी और खुशी खुशी एक दूसरे के साथ बिना स्वार्थ के सेक्सुअल रिलेशनशिप मे बंधते है तो मुझे नही लगता यह गलत है। लेकिन यहां भी कई सारे रेश्ट्रिक्शन है जिसके अनुरूप ही होना चाहिए।
 
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अगर कभी मिले तो समझोगे कि मैं क्या हूँ :D
पहली बात...... मेरे पास ना पैसा है, ना मकान, ना जमीन.... ना खेती, ना बिजनेस,... नौकरी कभी की नहीं...
लेकिन ना सिर्फ अपनी पत्नी, बच्चे बल्कि पूरे परिवार भाई, बहन, चाचा-चाची व उनके बच्चों तक ही नहीं..... अपने पूरे गाँव की व्यवस्था देखता हूँ... समस्याओं का समाधान करता हूँ....
......................

दूसरी बात... मैं पैसे वालों को पैसे का इस्तेमाल करना सिखाता हूँ और जिनके पास पैसा नहीं उनको पैसा कमाना
Financial advisor नहीं Business Solution Provider हूँ...
तो ज्यादा ना सही कुछ तो जानता ही हूँ पैसे के इस्तेमाल के बारे में
...................

और आखिरी बात.... भारत ही नहीं दुनिया भर में... अपनी बात मनवा लेने और सब कुछ हासिल कर लेने का हक.... पैसेवालों को नहीं.... सत्ता/राजनीति/शासन चलाने वालों का होता है....
धनबल और बाहुबल उनके यहाँ नौकरी करते हैं....

अगर कुछ हासिल करने का जोश और हिम्मत भी है तो मुझे इनबॉक्स में मैसेज करके बात करना
कामदेव भाई , बहुत कुछ मेरी कहानी भी आप की कहानी जैसी ही है।
एक सूई के नोक बराबर जमीन नही है । कारण अंधविश्वास भाई के प्रति। पढ़ने मे होशियार होने के बावजूद भी अच्छी डीग्री न ले पाया। कारण फिर से बड़े भाई।
शादी तब तक करने की इच्छा नही थी जब तक खुद न कमाने लगूं लेकिन फिर भी शादी हुआ। कारण इमोशनल ब्लैकमेल भाई द्वारा।
शादी के बाद जो कष्ट मैने भोगा , वो भगवान न करे किसी और को हो। बच्चो को गवर्नमेंट स्कूल मे पढ़ाया। ट्यूशन मैने ही दिया और वो भी उनके ग्रेजुएशन तक। बस से जाने की जगह पैदल चला ताकि कुछ पैसे बच सके।
लेकिन कभी हार नही माना। मेरी लड़ाई तकदीर से रही और अभी भी जारी है।
बच्चो को इतना काबिल तो जरूर बना दिया है कि उनकी लाइफ मेरी तरह कष्टप्रद न हो।

सेक्सुअल लाइफ मेरा अपनी पत्नि तक ही सीमित रहा। इस प्वाइंट पर हम दोनो अलग अलग है। मौके तो बहुत मिले लेकिन मेरी सोच ने मुझे इस तरफ जाने नही दिया।
शायद यही वजह है जो मुझे प्रभू और तकदीर से मुक़ाबला करने की हिम्मत दे देता है।
परहित सरस धर्म नही भाई... बहुत लोगो को हेल्प किया है। फाइनेंशियल प्राब्लम के बावजूद भी बहुत लोगो को फाइनेंशियल मदद किया है। जब भी कभी अच्छे पैसे आए , उसे जरूरतमंद पर खर्च कर दिया।
 

kamdev99008

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कामदेव भाई , बहुत कुछ मेरी कहानी भी आप की कहानी जैसी ही है।
एक सूई के नोक बराबर जमीन नही है । कारण अंधविश्वास भाई के प्रति। पढ़ने मे होशियार होने के बावजूद भी अच्छी डीग्री न ले पाया। कारण फिर से बड़े भाई।
शादी तब तक करने की इच्छा नही थी जब तक खुद न कमाने लगूं लेकिन फिर भी शादी हुआ। कारण इमोशनल ब्लैकमेल भाई द्वारा।
शादी के बाद जो कष्ट मैने भोगा , वो भगवान न करे किसी और को हो। बच्चो को गवर्नमेंट स्कूल मे पढ़ाया। ट्यूशन मैने ही दिया और वो भी उनके ग्रेजुएशन तक। बस से जाने की जगह पैदल चला ताकि कुछ पैसे बच सके।
लेकिन कभी हार नही माना। मेरी लड़ाई तकदीर से रही और अभी भी जारी है।
बच्चो को इतना काबिल तो जरूर बना दिया है कि उनकी लाइफ मेरी तरह कष्टप्रद न हो।

सेक्सुअल लाइफ मेरा अपनी पत्नि तक ही सीमित रहा। इस प्वाइंट पर हम दोनो अलग अलग है। मौके तो बहुत मिले लेकिन मेरी सोच ने मुझे इस तरफ जाने नही दिया।
शायद यही वजह है जो मुझे प्रभू और तकदीर से मुक़ाबला करने की हिम्मत दे देता है।
परहित सरस धर्म नही भाई... बहुत लोगो को हेल्प किया है। फाइनेंशियल प्राब्लम के बावजूद भी बहुत लोगो को फाइनेंशियल मदद किया है। जब भी कभी अच्छे पैसे आए , उसे जरूरतमंद पर खर्च कर दिया।
सन्जू भाई!
मेरे जीवन में पहले 14 साल मेरे माता पिता ने अनाथ बनाकर दूसरों के घर रखा... क्योंकि मेरे पिता को अपने 4 भाई 2 बहन को सैटल करना था... फिर अपने छोटे बेटी बेटे को पालना था
मैं होश संभालने पर अपने माता पिता को तो नहीं जानता था लेकिन ननिहाल में पला और नाना, नानी, मामा, मामी ने बहुत सालों तक महसूस ही नहीं होने दिया कि मैं उनका बेटा नहीं, मेरे कोई और माँ बाप हैं....
बस जमींदार परिवार में नशा, औरत और हथियार का शौक हो गया

अगले 14 साल बिजनेस, पढ़ाई, परिवार के लिये जिसमें पिता का साया भी सर से उठ गया... कैंसर से लम्बा संघर्ष करके

फिर अगले 6 साल अपनी और बहन की शादी, बच्चे

फिर 14 साल से गाँव, परिवार, संबंध जो दादाजी के बाद टूट गये, जोड़े, बच्चे पढ़ाने के लिये गाँव में सरकारी स्कूल चलाया, गाँव में बिजली, सड़क, टॉयलेट, नाली, कृषि योजनायें, सब कुछ जो सरकार से मिलना था... भागदौड़ करके लाया... और अब तक सबकुछ चला रहा हूँ

बस शादी के बाद नशा, हथियार और औरत का शौक छोड़ दिया...
पत्नी के साथ इस सफर में 20 साल पूरे हो जायेंगे इस दीपावली पर... बेटा ग्रेजुएशन में और बेटी 10वीं में पढ़ रहे हैं....

जीवन में संघर्ष बहुत किया लेकिन कमाना-बचाना नहीं सीखा.... लोगों को कमाना सिखाता हूँ और कमाई में से अपना हिस्सा वसूलता हूँ.... बस दूर तक सोचकर बड़ी योजनाओं पर लगा हूँ... बच्चों का भविष्य बैंक नहीं उनकीं योग्यता और क्षमता से बनेगा... व्यवसाय या राजनीति... नौकरी तो सरकारी भी नहीं

अगले वर्ष शायद 14 वर्ष का चौथा वनवास शुरू होगा ... जाने कहाँ ...
उससे पहले बच्चों को कुछ जीवन लक्ष्य देकर आगे बढ़ने दूँ
 
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manu@84

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कामदेव भाई , बहुत कुछ मेरी कहानी भी आप की कहानी जैसी ही है।
एक सूई के नोक बराबर जमीन नही है । कारण अंधविश्वास भाई के प्रति। पढ़ने मे होशियार होने के बावजूद भी अच्छी डीग्री न ले पाया। कारण फिर से बड़े भाई।
शादी तब तक करने की इच्छा नही थी जब तक खुद न कमाने लगूं लेकिन फिर भी शादी हुआ। कारण इमोशनल ब्लैकमेल भाई द्वारा।
शादी के बाद जो कष्ट मैने भोगा , वो भगवान न करे किसी और को हो। बच्चो को गवर्नमेंट स्कूल मे पढ़ाया। ट्यूशन मैने ही दिया और वो भी उनके ग्रेजुएशन तक। बस से जाने की जगह पैदल चला ताकि कुछ पैसे बच सके।
लेकिन कभी हार नही माना। मेरी लड़ाई तकदीर से रही और अभी भी जारी है।
बच्चो को इतना काबिल तो जरूर बना दिया है कि उनकी लाइफ मेरी तरह कष्टप्रद न हो।

सेक्सुअल लाइफ मेरा अपनी पत्नि तक ही सीमित रहा। इस प्वाइंट पर हम दोनो अलग अलग है। मौके तो बहुत मिले लेकिन मेरी सोच ने मुझे इस तरफ जाने नही दिया।
शायद यही वजह है जो मुझे प्रभू और तकदीर से मुक़ाबला करने की हिम्मत दे देता है।
परहित सरस धर्म नही भाई... बहुत लोगो को हेल्प किया है। फाइनेंशियल प्राब्लम के बावजूद भी बहुत लोगो को फाइनेंशियल मदद किया है। जब भी कभी अच्छे पैसे आए , उसे जरूरतमंद पर खर्च कर दिया।

एक भाई "आशिक आवारा जी" ने यहाँ लिखा था कि इस फोरम का ये सेक्शन वो है, जहा हम अपनी जीवन की वो बातें share कर सकते है जिसे हम अक्सर सोचते रहते है। पर किसी से कहते नही।

आपकी निजी जीवन को पढ़ कर कुछ हद तक मुझे अपना जीवन याद आ रहा है।

अब बात करते है कुछ सवाल जो मन में हलचल मचा रहे है....

१. सेक्सुअल लाइफ मेरा अपनी पत्नि तक ही सीमित रहा। इस प्वाइंट पर हम दोनो अलग अलग है। मौके तो बहुत मिले लेकिन मेरी सोच ने मुझे इस तरफ जाने नही दिया।

कैसा मौका????

२. फाइनेंशियल प्राब्लम के बावजूद भी बहुत लोगो को फाइनेंशियल मदद किया है। जब भी कभी अच्छे पैसे आए , उसे जरूरतमंद पर खर्च कर दिया।

दान की परिभाषा जो शास्त्र में उसके हिसाब से दान/मदद तभी करना चाहिए जब खुद संपन्न हो...!



इन सवालों ने मुझे असमंजस में डाल दिया है।
थोड़ा सा प्रकाश डालिए।
 

manu@84

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सन्जू भाई!
मेरे जीवन में पहले 14 साल मेरे माता पिता ने अनाथ बनाकर दूसरों के घर रखा... क्योंकि मेरे पिता को अपने 4 भाई 2 बहन को सैटल करना था... फिर अपने छोटे बेटी बेटे को पालना था
मैं होश संभालने पर अपने माता पिता को तो नहीं जानता था लेकिन ननिहाल में पला और नाना, नानी, मामा, मामी ने बहुत सालों तक महसूस ही नहीं होने दिया कि मैं उनका बेटा नहीं, मेरे कोई और माँ बाप हैं....
बस जमींदार परिवार में नशा, औरत और हथियार का शौक हो गया

अगले 14 साल बिजनेस, पढ़ाई, परिवार के लिये जिसमें पिता का साया भी सर से उठ गया... कैंसर से लम्बा संघर्ष करके

फिर अगले 6 साल अपनी और बहन की शादी, बच्चे

फिर 14 साल से गाँव, परिवार, संबंध जो दादाजी के बाद टूट गये, जोड़े, बच्चे पढ़ाने के लिये गाँव में सरकारी स्कूल चलाया, गाँव में बिजली, सड़क, टॉयलेट, नाली, कृषि योजनायें, सब कुछ जो सरकार से मिलना था... भागदौड़ करके लाया... और अब तक सबकुछ चला रहा हूँ

बस शादी के बाद नशा, हथियार और औरत का शौक छोड़ दिया...
पत्नी के साथ इस सफर में 20 साल पूरे हो जायेंगे इस दीपावली पर... बेटा ग्रेजुएशन में और बेटी 10वीं में पढ़ रहे हैं....

जीवन में संघर्ष बहुत किया लेकिन कमाना-बचाना नहीं सीखा.... लोगों को कमाना सिखाता हूँ और कमाई में से अपना हिस्सा वसूलता हूँ.... बस दूर तक सोचकर बड़ी योजनाओं पर लगा हूँ... बच्चों का भविष्य बैंक नहीं उनकीं योग्यता और क्षमता से बनेगा... व्यवसाय या राजनीति... नौकरी तो सरकारी भी नहीं

अगले वर्ष शायद 14 वर्ष का चौथा वनवास शुरू होगा ... जाने कहाँ ...
उससे पहले बच्चों को कुछ जीवन लक्ष्य देकर आगे बढ़ने दूँ
Sir Ji बुरा मत मानिये
पर हर बार आपका ये डाइलोग मुझे हँसा देता है।

""जमींदार परिवार में नशा, औरत और हथियार का शौक""

क्योकि आपकी जीवनी के हिसाब से आपकी फटी पड़ी थी। 😂😂 फिर ये कैसे हो गया...????
 

manu@84

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इन्सेस्ट रिलेशनशिप न ही फीलिंग्स है और न ही फ्री सेक्स की चाहत।
रिलेशनशिप मे फ्री सेक्स कहां से आ गया !
एक लड़का क्या कभी सोच सकता है कि वो अपने ही मां बहन को पैसे के बलबूते उसके साथ सेक्स करने के लिए विवश कर सकता है !
एकाध अपवाद मान ले तो मुझे नही लगता कि कोई बेटा अपने ही मां के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध कायम करने की मंशा रखता हो , वैसे ही कोई भी बाप अपने ही बेटी के साथ सेक्स करना चाहता हो।
मुझे तो लगता है अगर कभी मां को कोई परिस्थितिवश अपने बेटे के सामने पूर्ण नग्न होना पड़ जाए या किसी बाप के सामने ऐसी ही किसी सिचुएशन मे नग्न दिख जाए तो वो अपनी आंखे नीची ही कर लेगा। उसके अंदर कोई सेक्सुअल फीलिंग्स आएगी ही नही।

लेकिन जैसा मैने कहा था ये सब वैसा ही है जिसे हम प्रतिबंधित दरवाजा कहते है। खुद नही कर सकते पर दूसरो को देखकर यह सब जानना चाहते है।
और एक बार देख या सुन लिया तो फिर उसे काल्पनिक रूप से महसूस करना चाहते है।
यहीं से इन्सेस्ट लोगो की पसंद की चीज बनने लगती है। कहानियों के माध्यम से वो हवाई किले जैसा कपोल कल्पनाशील हो जाते है।

पैसा फेंककर सिर्फ एक ही सेक्स होता है कि आप या तो किसी नगरबधू के पास जाओ या किसी लड़की के फाइनेंशियल मजबूरी का फायदा उठाओ।
और ये भी उसी तरह गलत है जैसे कि इन्सेस्टियस सम्बन्ध कायम करना।
लड़का और लड़की रजामंदी और खुशी खुशी एक दूसरे के साथ बिना स्वार्थ के सेक्सुअल रिलेशनशिप मे बंधते है तो मुझे नही लगता यह गलत है। लेकिन यहां भी कई सारे रेश्ट्रिक्शन है जिसके अनुरूप ही होना चाहिए।
(
इन्सेस्ट रिलेशनशिप न ही फीलिंग्स है और न ही फ्री सेक्स की चाहत।
रिलेशनशिप मे फ्री सेक्स कहां से आ गया !
एक लड़का क्या कभी सोच सकता है कि वो अपने ही मां बहन को पैसे के बलबूते उसके साथ सेक्स करने के लिए विवश कर सकता है !
एकाध अपवाद मान ले तो मुझे नही लगता कि कोई बेटा अपने ही मां के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध कायम करने की मंशा रखता हो , वैसे ही कोई भी बाप अपने ही बेटी के साथ सेक्स करना चाहता हो।)

आप मेरे शब्दों को ठीक से समझ नही पाये। मेरा मतलब ये है कि घर का खाना फ्री होता हैं, बाहर खाने के कितने पैसे खर्चा हो इसकी अभी तक कोई लिमिट नही है।

नगर वधु के पास जाना कोई गलत नहीं है,

देह सौप देने से अगर प्यार बढ़ता तो तवायफो के भी घर बस जाते।

(लड़का और लड़की रजामंदी और खुशी खुशी एक दूसरे के साथ बिना स्वार्थ के सेक्सुअल रिलेशनशिप मे बंधते है तो मुझे नही लगता यह गलत है। )

दावा वफा का, तमन्ना जिस्म की, अगर ये ईश्क है तो फिर हवस क्या है...???

मेरे हिसाब से
सरजी incest relation एक कड़वा सत्य है। जो कोई भी स्वीकार नहीं करना चाहता है।

इस पर अभी शोध की आवश्यकता है।
 
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