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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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kamdev99008

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what the fuck .. ye wala update kab aaya .. ye to maine padha he nahi .. update 45 padhna start kiya tha to usme shuruaat mein Devraj fufaji ke thappad maarne wali baat padhte he mere tote se udd gaye .. ki ye kab hua .. kyonki last time jab padha tha to Ramesh ji ne Sarla bhabi aur Devraj ji ko lekar majaak kiya tha aur last mein Sarla ji ko bed pe patak diya tha ...

saala iss forum par sabse jyaada halla main kaat-ta hu naye update aane ke liye .. aur jab naya update mila to muzhe pata he nahi laga .. par maza aa gaya .. ek saath 2 update padhne ko mil rahe hai .. bilkul jaise vanvaas ke baad Ram ji, Sita ji ke saath laut kar Ayodhya aaye the ...

with the last comment i made this review a bit political frenzy .. :D
अब क्या हमारी आस्था को भी सरकारें या राजनीति तय करेगी............

..................... आज सिया राम जी पुनः अयोध्या आ गए............ हजारों वर्ष के बनवास के बाद...........

श्री राम जन्मभूमि के शिलान्यास प सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ....................

जय सिया राम!
 
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अब क्या हमारी आस्था को भी सरकारें या राजनीति तय करेगी............

..................... आज सिया राम जी पुनः अयोध्या आ गए............ हजारों वर्ष के बनवास के बाद...........

श्री राम जन्मभूमि के शिलान्यास प सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ....................

जय सिया राम!
जय श्री राम ?????
 

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ye saari naas ki jadd VijayRaj ji hai .. pehle to Mamta bhabi aur Raagini didi ki dost sudha ko fasa liya apne gorakh dhande mein aur ab inke he kukarmo ke chalte inki beti ka jeevan bhi barbaad hone wala hai, aur inki kaarastaniyo ke chalte police inke bade bhai ke ghar bhi pahuch gayi .. magar bhala ho Vasundhra ji ka ki unhone apne vivek ka prayog karte hue .. police walo ko bahar se he rafa-dafa kar diya aur kiya bhi itni safaayi se ki aage bhi inke pariwaar par koi aanch naa aaye ...

magar ab savaal ye uth-ta hai ki .. (my personal view) .. Raagini ji ki age iss time 20 ki lapet mein hai .. aur Vikram urf Rannvijay inse 7 saal chote .. to fir 13-14 saal ke ladke ki naukri kaise lag gayi .. kahi na kahi time line mein jhol aaya hai .. jo shayad maine miss kar diya ...

kyonki pehle jab Vikramaditya Nilofer(neelam) ki kahani suna rahe the to uske hisaab se ye college mein padhte the .. aur Raagini ghar ki jimmedaario ki wajah se aage nahi padh paayi ...

update 44, 45 dobara se padhunga .. ki kaha kya miss kara ...

par kuch bhi kaho .. bechare dono ki shaadi hote - hote reh gayi .. sab kuch to ho chuka tha .. bas VijayRaj ki haan aur Sarla ji ke jheth ji ki haan ki der thi ...
 

amita

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अध्याय 45

गुजरते वक़्त के साथ यादें भी धुंधली होने लगती हैं। लेकिन रागिनी को रोजाना इंतज़ार होता था देव के आने का। उसने रवीन्द्र और विक्रम दोनों से कह दिया था कि जब भी देव नोएडा आए तो वो उसे एक बार मिलवा जरूर दें। हालांकि रागिनी रवीन्द्र से 5 साल बड़ी थी और विक्रम से 6 साल लेकिन एक तो वो देखने में भी उन दोनों से कम उम्र कि ही लगती थी दूसरे उन दोनों भाइयों को हमेशा रागिनी ने ही अपने नियंत्रण में रखा था, वो उनकी हर अच्छी-बुरी बात को जानती थी इसलिए अपने मन की भी उनसे खुलकर कह देती थी। देव के जाने के बाद रवीन्द्र और विक्रम को वो अपने साथ अपने घर ले गयी थी और वहाँ हुई सारी बात बता दी पूरे विस्तार से जिस पर दोनों भाइयों का भी यही कहना था कि रागिनी को एक बार देव से अकेले या इन भाइयों के सामने बात करके थप्पड़ मारने के लिए माफी मांग लेनी चाहिए और अपनी ओर से सब बातें साफ-साफ कह देनी चाहिए।

देवराज की शादी के लगभग डेढ़ दो महीने बाद एक दिन देव नोएडा निर्मला देवी के पास मिलने पहुँचा, सरला का कुछ सन्देश लेकर। वो वहाँ करीब घंटे भर रुका फिर वापस लौटने लगा दिल्ली के लिए तो रवीन्द्र ने कहा कि में भी बस स्टैंड तक साथ चलता हूँ... मुझे दीदी के पास जाना है। रवीद्र की बात सुनकर देव के मन में भी रागिनी से मिलने कि इच्छा हुई लेकिन एक तो उस दिन के थप्पड़ और दूसरे वो अपनी ओर से कहता भी कैसे कि उसे रागिनी के घर जाना है। बस स्टैंड पर पहुँचकर देव ने रवीन्द्र से कहा कि वो रागिनी के घर चला जाए लेकिन रवीद्र ने कहा कि आप थोड़ा सा समय निकालकर मेरे साथ चलें... दीदी आपसे कुछ बात करना चाहती हैं... इसीलिए में आपके साथ आया था।

रवीद्र और देवराज रागिनी के घर पहुंचे जो कि बस स्टैंड के पास ही सैक्टर 12 में था, घर पर रागिनी और विक्रम ही थे। रागिनी ने देव को नमस्ते की और देव के लिए चाय बनाने चली गयी। रवीन्द्र और विक्रम देव के साथ ही बाहर वाले कमरे में बैठे थे। थोड़ी देर में रागिनी जब ट्रे में चारों के लिए चाय लेकर कमरे में घुसी तो देव की नजरें उसी पर जमी रह गईं।

“चाय लीजिये! ऐसे क्या देख रहे हैं” रागिनी ट्रे सामने टेबल पर रखकर रवीन्द्र के बराबर में बैठती हुई बोली तो झेंपकर देव ने उससे नजरें हटाकर ट्रे में से चाय ली और पीने लगा।

“देख रहा था कि तुम चाय की ट्रे लेकर आती हुई कैसी लगोगी” चाय का घूंट भरते हुये देव ने मन में कहा .... कहना तो वो रागिनी से ही चाहता था लेकिन पिछली बार के थप्पड़ की याद आते ही उसने कहना सही नहीं समझा

“सबसे पहले तो में आपसे क्षमा चाहती हूँ, उस दिन ऐसे आप पर हाथ उठा दिया मेंने... बहुत बड़ी गलती हो गयी मुझसे।“ रागिनी ने अचानक हाथ जोड़ते हुये कहा तो देव ने उठकर उसके हात अलग किए

“तुम ऐसे मत करो, उस दिन जब रवीद्र ने मुझसे कहा था तभी मेंने इस बात को दिल से निकाल दिया था।“ देव ने कहा

“तो क्या शादी की बात भी दिल से निकाल दी” विक्रम ने चाय पीते हुये बिना किसी की ओर देखे धीरे से बड़बड़ाया लेकिन सुनाई सभी को दे गया तो पहले रागिनी मुस्कुराइ फिर देव और रवीन्द्र भी मुस्कुरा दिये

“नहीं शादी की बात दिल से नहीं निकली और ना निकालूँगा.... रागिनी पहली लड़की है जिसे मेंने पसंद किया और चाहता हूँ कि वही आखिरी भी हो। लेकिन एक बात में रागिनी से पूंछना चाहता हूँ कि उस दिन क्या हुआ इनको ऐसा कि मेरी बात सुनते ही थप्पड़ मार दिया.... मेंने तो कोई गलत बात नहीं बोली थी...सिर्फ शादी करने के लिए बोला था” देव ने कहा

“आज से 6 साल पहले तक मेरी माँ भी थीं और हम ताऊजी के साथ रहते थे और बचपन भी था तो ऐसी कोई बात कभी किसी ने मुझसे कही नहीं.... जब से माँ की मृत्यु हुई और हम अकेले रहने लगे तब से ऐसा कोई कभी घर ही नहीं आता जो कुछ कह सके, बाहर भी कभी अकेली निकलती ही नहीं हूँ... घर पर भी दादी जी या ताई जी के पास जाती हूँ तो रवीन्द्र या विक्रम हमेशा साथ होते हैं.... उस दिन जब अपने ऐसे कहा तो मुझे एकदम ऐसा लगा जैसे किसी ने वो बात कह दी जो मुझसे नहीं कहनी चाहिए थी...तो अचानक ऐसा हो गया। आप इस बात को दिल पर मत लेना” रागिनी ने गंभीर लहजे में कहा

“ठीक है... अब में चलता हूँ” देव ने कहा और उठ खड़ा हुआ

“थोड़ी देर बैठिए, मुझे आपसे कुछ जरूरी बात कहनी है” रागिनी ने कहा तो देव दोबारा बैठ गया

रागिनी ने कहना शुरू किया “देखिये आपके मन में जो था अपने उस दिन कह दिया.... में अपने मन की बताऊँ की मुझे आपमें ऐसी कोई कमी नहीं दिखाई दी जो मना करूँ, लेकिन शादी आपके और मेरे आपस में बात करने से नहीं होगी... परिवार के बड़े लोगों तक बात पहुंचेगी...तभी हो सकती है। एक बात और में साफ-साफ कह देना चाहती हूँ... अब माँ तो रही नहीं.... बाकी परिवार की पिताजी सिर्फ सुन लेंगे लेकिन मानेंगे नहीं...करेंगे अपने ही मन की, तो आप ज्यादा बड़ी उम्मीद मत रखना दहेज या किसी चीज की... चाहे पिताजी कितनी भी बड़ी-बड़ी बातें करें.... आप ये समझ लेना की जैसी में अभी बैठी हूँ...बस ऐसे ही स्वीकार करना है....और इस बात को अपने घर में भी बता देना”

“ठीक है में भाभी से कहूँगा की मुझे तुमसे शादी करनी है तो वो हमारे और तुम्हारे दोनों घरों में अपने आप बात कर लेंगी...अपने तरीके से” देव ने सहमति जताते हुये कहा

“ये सब जो मेंने आपसे कहा है...इस बारे में मेरी और रवीद्र का सलाह मशवरा हुआ था.... अबसे आप बेशक वहाँ घर पर आते जाते रहो लेकिन यहाँ तभी आना जब कोई बड़ा साथ लेकर आए या कोई बड़ा यहाँ मौजूद हो.... कल को घर के लोग या यहाँ के पड़ोसी ही मेरे बारे में कुछ सोचें या कहें...न मुझे अच्छा लगेगा ना आप को। सबके सामने मुझसे मिलने या बात करने से मुझे कोई परेशानी नहीं लेकिन आप कभी मुझसे अकेले में मिलने या बात करने की कोशिश नहीं करेंगे.... अगर कोई खास बात मुझसे कहनी हो तो रवीन्द्र को बता देना” रागिनी ने कठोर शब्दों में कहा और देव की ओर देखने लगी।

रागिनी के ऐसे देखने से देव समझ गया कि रागिनी अब अपनी बात पूरी कह चुकी है और उसे अब जाना चाहिए

........................................................

अब देव लगभग हर महीने नोएडा घूमने आने लगा.... कभी कभार रागिनी भी वहाँ मिल जाती थी... कुछ समय बाद विजयराज भी इन सब के पास में ही मकान किराए पर लेकर रहने लगे क्योंकि उनके बड़े भाई जयराज सिंह सख्ती से कहा कि तुम कुछ भी करो लेकिन बच्चे ऐसे अकेले या अंजान जगह नहीं रहेंगे, जयराज तो बच्चों को अपने पास रखना चाहते थे लेकिन विजयराज की जिद के कारण वहीं पास ही अलग मकान में रहने लगे। अब रागिनी और विक्रम दिन में ज़्यादातर यहीं घर पर होते या रवीद्र, रुक्मिणी और धीरेन्द्र उनके घर खेलते रहते।

इधर देव ने गाँव जाने पर सारी बात अपनी भाभी सरला को बताई तो उन्होने पहले तो देव के बारे में अपने पति रमेश से बात की फिर रमेश ने उस बात को पूरे परिवार के सामने रखा। वैसे तो सरला की सास नहीं थीं.... इसीलिए जब वो शादी होकर वहाँ पहुंची तो 7-8 साल के देव और 3-4 साल के पप्पू के लिए माँ बनकर उनको पालने लगीं.... सरला के ससुर कभी घर-परिवार के मामले में कोई दाखल नहीं देते थे...पत्नी की मृत्यु के बाद वो बैठक में ही रहते थे और वहीं लोग उनके पास आते जाते रहते या किसी आध्यात्मिक-धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होते..... घर की ज़िम्मेदारी उन्होने अपनी बड़ी बहू यानि सरला की जेठानी और खेती बड़े बेटे को सौंप दी थी, सरला और रमेश भी उन दोनों का हाथ बंटाने लगे... देव की बड़ी भाभी पर घर और गाँव में अपने परिवार की ओर से सभी सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने की ज्यादा ज़िम्मेदारी थी... घर की मुखिया होने की वजह से, इसलिए देव और पप्पू सरला के साथ ही लगे रहते और उसे अपनी माँ की तरह ही मानने लगे थे।

इस तरह से देव के घर मे सबकी सहमति हो जाने पर सरला की जेठानी ने रागिनी के घर में बात करने की ज़िम्मेदारी सरला को दी तो सरला ने कहा की मेरे ही देवर की शादी के लिए में बात करूँ तो उन्हें लगेगा कि हमारे देवर के लिए रिश्ते नहीं आ रहे शायद लड़के में कोई कमी होगी, तभी में सिफ़ारिश करके उसकी शादी करा रही हूँ। इस मामले में दोनों देवरानी जेठानी ने आपस में बातचीत करके फैसला किया कि सरला अपनी माँ से कहेगी कि विजयराज भैया कि पत्नी कि मृत्यु हो ही गयी है.... बेटी भी जवान हो रही है... ऐसे जवान लड़की अकेली रह रही है....कल को कोई बात ना हो जाए... बेटे को तो छोटी-मोटी गलती पर भी घर से निकाल बाहर करो.... लेकिन बेटी को तो घर से निकालने की सोच भी नहीं सकते। तो निर्मला मौसी को बोलो कि रागिनी की शादी कर दें वो भी अपना घर सम्हाले। कल को वो ये न सोचे कि उसकी माँ नहीं थीं तो परिवार में किसी ने उसकी शादी के बारे में सोचा भी नहीं। साथ ही ये भी बात उनके कान में डाल देना कि अगर वो चाहें तो एक लड़का है जो निर्मला मौसी और उनके सारे परिवार का देखा हुआ है... दिल्ली में ही रहता है.... यानि देव के बारे में।

कुछ दिन बाद सरला अपने मेके गयी तो अपनी माँ सुमित्रा से ऐसे ही बात शुरू की तो सुमित्रा ने बताया कि इस मामले में उसके पास निर्मला दीदी कि सूचना पहले ही आ गयी है.... देव उनके यहाँ आता जाता है तो उन लोगों को बहुत पसंद है... और अब तो यहाँ तक उनकी आपस में घुट रही है कि विजयराज के बेटे विक्रम को देव ने अपने पास ही नौकरी पर लगवा दिया है। अब तो बस ये समझ लो कि एक दूसरे से इस रिश्ते कि बात करने की देर है...........

सुमित्रा ने सरला से जब कहा कि वो अपने घर में देव के लिए रागिनी के रिश्ते कि बात करे तो सरला ने कहा कि मेरे कहने से सभी सोचेंगे कि में अपनी भतीजी कि शादी करा के घर में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए देव को अपने साथ मिला रही हूँ.... वैसे भी दीदी (जेठानी) ही घर में इन सब फैसलों को करती हैं तो मेरी समझ से तो आप एक बार दीदी से बात कर लो बिना मुझे बीच में डाले। फिर वो जो फैसला करें

..................................................

अब आप लोग सोच रहे होंगे कि ये क्या चल रहा है.... सब एक दूसरे को घुमाने में क्यों लगे हैं .....लगभग आप सभी ने बारातें और दावतें तो खूब की होंगी.... शादियों के इंतजाम भी किए होंगे और अपनी शादी भी की होगी लेकिन आपमें से सिर्फ कुछ एक-दो लोग ही होंगे जिन्होने दूसरों की शादी के लिए रिश्ते पक्के कराये होंगे और सफलतापूर्वक शादी भी कराई होगी.... रिश्ता कराना शादी में सबसे महत्वपूर्ण, ज़िम्मेदारी, सिरदर्दी और झमेले वाला काम है। संसार में ऐसा कोई लड़का-लड़की या उनके परिवार नहीं जिनमें कोई कमी ना हो। लेकिन जब बेटे या बेटी की शादी करना चाहते हैं तो बहू या दामाद और उनके परिवार, घर, संपत्ति में कोई कमी नहीं चाहते... सबकुछ अच्छा चाहिए... हाँ अपने पास जो अच्छा नहीं है उसे छुपा लेंगे। अब इस स्तिथि में जो व्यक्ति इनके बीच मध्यस्थ बनकर दोनों से बात करता है और दोनों की आपस में बात कराता है उसे दोनों को एक दूसरे से संतुष्ट भी करना है, दोनों को एक दूसरे के सामने मजबूत भी रखना है... जिससे कि कोई एक-दूसरे की कमजोरी या मजबूरी का फाइदा न उठाए और इतना तालमेल भी रखना होता है कि किसी के भी अहम की वजह से रिश्ता ना टूट जाए। यही काम सरला कर रही है देव और रागिनी की शादी के लिए.... अपने परिवार (ससुराल) में रागिनी की ख़ासियतें (अकेले घर चला रही है और भाई को पाला) और उसके लिए सहानुभूति (बिन माँ की बच्ची) पैदा करके उसकी अहमियत बढ़ा रही है.... इधर अपने मायके और मौसी के घर में दिखा रही है कि लड़का अच्छा है, घर परिवार भी अच्छा है.... इस रिश्ते को हासिल करना भी इतना आसान नहीं है...(देव की शादी का फैसला देव कि बड़ी भाभी को करना है) इसलिए जल्दी और मजबूत कोशिश करें जिससे रागिनी को एक अच्छा जीवनसाथी मिल जाए ..................

चलिये फिर वहीं वापस चलते हैं

..........................................................

फिर जैसा सरला ने चाहा वैसा ही हुआ.....

सरला की माँ सुमित्रा ने अपने बेटे सर्वेश को भेजकर सरला की जेठानी(कुसुम) को अपने घर बुलवा लिया... कि एक-दो दिन के लिए यहाँ रह लेंगी उसके बाद सरला के साथ ही वापस चली जाएंगी।

कुसुम के आने पर सुमित्रा ने उनसे देव के लिए रागिनी के रिश्ते की बात की तो कुसुम ने कहा कि आप एक बार निर्मला मौसी के साथ रागिनी को यहीं अपने घर बुला लें... मैं आकार देख जाऊँगी फिर घर में सभी से बात करके आगे बढ़ेंगे.... जैसे रागिनी के माँ नहीं है ऐसे ही देव की भी माँ नहीं है.... वो नहीं चाहतीं कि कल को समाज ये कहे कि भैया-भाभी ने देव के साथ कुछ गलत कर दिया।

इसके बाद 2-3 दिन में सरला और कुसुम वापस अपनी ससुराल चली गईं और वहाँ पहुँचकर उन्होने देव को इस बारे में खबर कर दी कि अभी वो कुछ समय के लिए नोएडा आना जाना बंद कर दे जिससे रिश्ते की बात का रुख गाँव की ओर ही बना रहे। इधर सुमित्रा ने भी अपनी बहन निर्मला को चिट्ठी लिखकर खबर दे दी कि वो रागिनी को लेकर उनके पास आ जाए।

लगभग एक महीने बाद निर्मला देवी अपने चौथे बेटे बलराज (जिसने शादी नहीं की) और रागिनी के साथ अपनी छोटी बहन सुमित्रा के घर आ गईं.... दूसरे दिन सुमित्रा ने सर्वेश को भेजकर कुसुम को रागिनी के आने की सूचना भिजवाई तो कुसुम एक दिन बाद सरला को लेकर उनके यहाँ आ गयी। हालांकि दोनों ही ओर से रिश्ता पक्का था लेकिन अब आपस में बैठकर आमने-सामने बात होने के बाद कुसुम ने अपने हाथों से उतरकर सोने के कड़े रागिनी के हाथों में पहनाए अकुर निर्मला देवी से कहा कि देव को तो उन्होने देखा ही है... एकबार चलकर उनका घर भी देख लें और संतुष्ट होने पर ही हाँ कहें।

निर्मला देवी ने कहा कि जिस घर में मेरी बेटी, यानि मेरी बहन की बेटी सरला ब्याही है... उस घर के बारे में मुझे और क्या पता करना है....उन्होने भी कुसुम और सरला को चाँदी के सिक्के देकर सगुन किया और आगे की बात के लिए ज़िम्मेदारी घर के पुरुषों पर छोड़ दी गयी।

.......................................................

जब रागिनी निर्मला और बलराज के साथ सुमित्रा के यहाँ गयी हुई थी, इसी दौरान एक दिन पुलिस विजयराज का पता करने जयराज के घर गयी तो वसुंधरा ने पूंछा कि क्या वजह है। पुलिस ने बताया कि विजयराज के खिलाफ फर्जी पासपोर्ट बनाने का मामला दर्ज किया गया है, एक व्यक्ति ने भारतीय पासपोर्ट पर विदेश जाने के लिए वीजा हेतु आवेदन किया जांच में पासपोर्ट फर्जी पाया गया...पकड़े जाने पर उस व्यक्ति ने बताया की वो पड़ोसी देश का नागरिक है जो अवैध रूप से सीमा पार करके यहाँ घुस आया था....यहाँ नाज़िया नाम की एक औरत जो की खुद भी उसी के देश की नागरिक है और अपनी पहचान बदलकर रह रही है। नाज़िया ने विजयराज के द्वारा उसे ये पासपोर्ट बनवाकर दिया था। इस पर वसुंधरा ने बताया कि 6 वर्ष पूर्व विजयराज की पत्नी का देहांत होने के बाद से ही विजयराज परिवार से अलग रह रहा है और उसका परिवार से कोई संबंध नहीं है...फिर भी विजयराज के भाई उनसे उनके कार्यालय में आकर मिल लेंगे।

वसुंधरा ने रविन्द्र को भेजकर देव से फोन पर विक्रम के बारे में पूंछा तो पता चला कि वो देव के साथ ही ड्यूटी पर है तो रविन्द्र ने देव को सारी बात बताई और विक्रम को कुछ दिन अपने साथ ही दिल्ली रखने को कहा.... क्योंकि विजयराज के बेटे की मौजूदगी पता चलते ही पुलिस वाले वहाँ विजयराज का सुराग लगाने के लिए चक्कर काटने लगते और नज़र भी रखते।

.....................................................
Emotional update
 

kamdev99008

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ye saari naas ki jadd VijayRaj ji hai .. pehle to Mamta bhabi aur Raagini didi ki dost sudha ko fasa liya apne gorakh dhande mein aur ab inke he kukarmo ke chalte inki beti ka jeevan bhi barbaad hone wala hai, aur inki kaarastaniyo ke chalte police inke bade bhai ke ghar bhi pahuch gayi .. magar bhala ho Vasundhra ji ka ki unhone apne vivek ka prayog karte hue .. police walo ko bahar se he rafa-dafa kar diya aur kiya bhi itni safaayi se ki aage bhi inke pariwaar par koi aanch naa aaye ...

magar ab savaal ye uth-ta hai ki .. (my personal view) .. Raagini ji ki age iss time 20 ki lapet mein hai .. aur Vikram urf Rannvijay inse 7 saal chote .. to fir 13-14 saal ke ladke ki naukri kaise lag gayi .. kahi na kahi time line mein jhol aaya hai .. jo shayad maine miss kar diya ...

kyonki pehle jab Vikramaditya Nilofer(neelam) ki kahani suna rahe the to uske hisaab se ye college mein padhte the .. aur Raagini ghar ki jimmedaario ki wajah se aage nahi padh paayi ...

update 44, 45 dobara se padhunga .. ki kaha kya miss kara ...

par kuch bhi kaho .. bechare dono ki shaadi hote - hote reh gayi .. sab kuch to ho chuka tha .. bas VijayRaj ki haan aur Sarla ji ke jheth ji ki haan ki der thi ...
us jamane mein rules itne strict nahin the..... purani dilli ke bazaron mein hi nahin, delhi ncr ke industrial areas ki companies mein bhi underage employees hua karte the......... ragini us samay 20+ thi aur vikram 15 ka ..........
vijayraj ne na sirf apni jindgi, apne bachche balki apna poora pariwar mata-pita, bhai-bahan sabki jindgi mein mushkilein hi paida ki..........unki patni ki mrityu ke bare mein padhne par apko unka ek aur chehra dekhne ko milega............. ye sab kahaniyan....................... pariwar ke flashback mein ayeingi................. meri jindgi mein bahut sare kisse sune-samjhe hi hain,,,,pariwar se jude.............. kyonki mein pariwar ke sath jayada nahin rah paya.....................aur jab raha ....tab tak pariwar hi khatm ho chuka tha...................bas aaj tak use hi sametne mein laga hua hoon....jo pariwar ke 3 ji haan..............sirf 3 logon ne is poore pariwar ki 3 peedhiyon tak sabkuchh khatm kar diya...

neelofar (nilam) ki kahani mein .................2000 ke aspas vikram aur ragini ek hi college mein padhte the........... mamta ne padhai chhodkar shadi kar li thi deepak se, neelofar bhi usi college mein thi.... sudha bhi aur neha bhi................................advocate abhay ...inka junior hota tha aur suresh (gaon se pariwar ke taooji ka beta), punam (suresh ki biwi) bhi inke juniors the

kahin bhi timeline mein jhol nahin milega........sabhi missing points connect hote jayeinge.................... abhi ragini ke bare mein sabkuchh samne aa jayega...........ragini ne maa ke marne par 1984 mein padhai chhod di thi 8th ke baad.... lekin sudha ki kahani mein 1997 mein 11th aur 2000 mein college mein admission liya............. ragini ne 10th kab kiya.............. ye bhi abhi samne ayega...isi update mein (46) ya agli mein (47)

abhi to kahani ki bhumika baandh paya hoon............50 updates mein.................... kahani mein abhi to bahut kuchh nahin..........sabkuchh baki hai


sath jude rahiye..........................
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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मित्रो! कथा का अध्याय 45 आपके सामने प्रस्तुत है....
कृपया पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया दें
Sabko ek me hi samet diya bade bhaiya ne, ye zara bhi pasand nahi aaya apne ko. Khair marzi aapki,,,,, :dazed:
 
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पात्र परिचय......

रूद्र प्रताप सिंह....... बीवी - निर्मला देवी ।

पहली संतान
जयराज सिंह
जयराज की दो पत्नियां-
१ बेला देवी..... तलाक..... एक पुत्र ।
२ वसुंधरा देवी।
वसुंधरा से तीन संतान-

1 पुत्र....रविन्द्र प्रताप...........

इनकी दो पत्नी
१ सुशिला
सुशिला से एक लड़का - भानु
एक लड़की - वैदेही
२ . गरिमा ( २० साल छोटी )
गरिमा से एक लड़का - श्री ।

२ .पुत्री ... रूक्मणी...........

३. पुत्र.....धीरेन्द्र प्रताप........
धीरेन्द्र की दो बीवी
पहली - नामलुम .... इससे एक लड़की ।
दुसरी - स्वाती ( पुनम की छोटी बहन ) .... कोई संतान नहीं । ( निशा कौन है ?)

___________________________________
२. दुसरी संतान - विजयराज सिंह ।
१ पत्नी - कामिनी ।

लड़की - रागिनी..... कुंवारी ।
लड़का - विक्रमादित्य / रणविजय

रणविजय की पत्नी - नीलोफर / नीलम
दो पुत्र - जुड़वां - प्रबल और समर ।

२ पत्नी - शांती ( ममता की छोटी बहन )
इनसे एक पुत्री - अनुभूति / लाली


* विजयराज के नाजायज संबंध -
अपनी छोटी बहन विमला ।
ममता ( विमला की बड़ी बहू और शांती की बड़ी बहन )
नाजिया ( नीलोफर की मां )
सुधा ( बेटी की सहेली )
मुन्नी ( ममता और शांती की मां और विमला की सहेली )

जय हो जय हो विजयराज सिंह ? ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं

____________________________________
३. तीसरी संतान - गजराज सिंह
पत्नी - मोहिनी
पुत्री - ऋतु ।

_____________________________________

४. चौथी संतान - विमला देवी
हसबैंड - नामालुम ।
१ पुत्र - दीपक
दीपक की पत्नी - ममता ।
दीपक और ममता की पुत्री - अनुराधा ।
२ पुत्र - कुलदीप
कुलदीप की पत्नी - सीमरन / सरोज ।

_________________________________________

५. पांचवीं संतान - कमला देवी

अभी तक कोई रोल नहीं ।

____________________________________________

६. छंवी संतान - बलराज सिंह
शादी हुई नहीं ।
बड़े भाई गजराज के मरने के बाद विधवा भाभी मोहिनी और भतीजी ऋतु को शरण दिया ।

________________________________

७ . देवराज सिंह
पत्नी - स्नेहलता
पुत्र - सहदेव (२७ साल )
पुत्री - कामना (२३ साल )

____________________________________

* कामिनी देवी ( रागिनी और विक्रम की मां ) और मोहिनी सगी बहन है ।

* निर्मला देवी ( सातों की मां ) और सुमित्रा देवी सगी बहन हैं । एक बहन और है माया देवी... लेकिन ये भी अभी दिखी नहीं है ।

* सुमित्रा देवी की बेटी सरला और बेटा सर्वेश है ।
सरला के हसबैंड रमेश है । जो चार भाई हैं ।
* देवराज ( दुसरा ) सरला का देवर है । ये सालों से रागिनी को प्यार करता है ।
* नीलोफर नाजिया की बेटी है और इसने विक्रमादित्य / रणविजय से शादी की है । इसके जुड़वां बच्चे हैं । नाजिया शुरू में एक पाकिस्तानी एजेंट थी । इसकी एक अलग कहानी है ।
* कुछ और पात्र हैं जो समझना बाकी है - विरेन्द्र , मंजरी , विनायक , विक्रांत ।
____________________________

अन्य पात्र -

१. एडवोकेट अभय प्रताप
२. पुनम और सुरेश
३. रेशमा और उसकी बेटी अनुपमा
४. नेहा कक्कड़
५. सुधा , उसकी मां और भाई प्रवीण
६. पवन
७. सरला का परिवार ।
 
Last edited:

kamdev99008

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कुछ और पात्र हैं जो समझना बाकी है - विरेन्द्र , मंजरी , विनायक , विक्रांत ।
:applause: itni achchhi tarah to mein samjha bhi nahin pata... Jitni achchhi tarah aapne samajh bhi liya aur sabko samjha bhi diya.....
....... Ab jo apne dhyan nahi diya wo batata hu........
Virendra..... Jairaj ki pahli patni bela ka beta...... Ravindra/rana ji ka sautele bade bhai
Manjari.... Virendra ki patni
Vinayak-vikrant...... Virendr aur manjri ke bete
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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Sabko ek me hi samet diya bade bhaiya ne, ye zara bhi pasand nahi aaya apne ko. Khair marzi aapki,,,,, :dazed:
shubham bhai.............lagbhag sabhi comments par sath ke sath replies deta jata hoon..........isliye shayad bhool se hi koi pending rah jata hai.........
yahan isliye sabko dobara eksath isliye quote karta hoon.................jisse aap sabhi ko naye update ki suchna mil jaye

fir bhi hamare .............shikari firefox bhai ne ek update miss kar hi diya.............. :D
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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shubham bhai.............lagbhag sabhi comments par sath ke sath replies deta jata hoon..........isliye shayad bhool se hi koi pending rah jata hai.........
yahan isliye sabko dobara eksath isliye quote karta hoon.................jisse aap sabhi ko naye update ki suchna mil jaye

fir bhi hamare .............shikari firefox bhai ne ek update miss kar hi diya.............. :D
Firefox bhai se aisi galti kaise ho gai,,,, :D
 
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