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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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शायद फिर से कुछ समझ नहीं पाया.... ये आपकी असल जीवन पर आधारित स्टोरी है...?
जब आपने फ्लैशबैक में " मेरा " और " परिवार " पर वोटिंग के लिए बोला था तब मैं कन्फ्यूज में था....कि इसमें " मेरा " कहां से आ गया । मैंने सिम्पल वे में " मेरा " पर बटन दबा दिया ।

आप सच में कभी कभी बड़ी कन्फ्यूजन पैदा कर देते हो ?
meri kahani pariwar se alag hai............ mein pariwar ke sath nahin raha jyadatar ............lekin pariwaron mein raha hoon.........
isliye dono ke flashback alag hain..............bas kabhi-kabhi hi milte hain.......kahin-kahin
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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अध्याय 46

रागिनी और निर्मला कुछ दिन बाद जब वापस लौटकर नोएडा आए तो उन्हें भी विजयराज वाले मामले का पता चला। निर्मला ने मामले का पता चलते ही रागिनी को बोल दिया की वो अब विजयराज के साथ नहीं रहेगी और अब से यहीं रहेगी। इधर विक्रम ने जब नोएडा घूमने आने को कहा तो देव ने उसे सारी बात बता दी और सिर्फ 22 सैक्टर वाले घर ही जाने को कहा।

वक़्त ऐसे ही बीतता रहा कुछ समय बाद पता चला कि विजयराज मुन्नी के घर रहने लगा है और कभी कभी कहीं किसी मुस्लिम औरत के साथ भी देखा गया है....जो बुर्के में होती है....उसकी शक्ल किसी ने देखी नहीं। इस पर रागिनी ने घर में नाज़िया के बारे में भी बता दिया तो सबको यकीन हो गया कि यही वो औरत है जिसके साथ वो पासपोर्ट वाले मामले में फंसा है।

इधर रागिनी की बड़ी बुआ विमला भी अपनी माँ निर्मला के पास आती जाती रहती थी... विमला 1984 में अपनी कामिनी भाभी यानि रागिनी की माँ की मृत्यु के समय नोएडा आयी थी फिर उनके पति जिनका नाम विजय सिंह है ....उन्होने यहीं नोएडा में अपना काम शुरू कर दिया विमला के भाइयों के सहयोग से। वो लोग वहीं पास में ही सैक्टर 55 में रहते थे।

एक दिन विमला ने आकार बताया कि उनके यहाँ एक नौकर काम करता था दुकान पर उसकी लाश बरामद हुई है और पुलिस इस मामले में उसके पति विजय सिंह को ले गयी है पूंछताछ के लिए ये 1992 की बात है। इस मौके पर विक्रांत को उन्होने बुलवाने को कहा जिससे वो उनके घर पर उनके व उनके छोटे बच्चों के साथ रह सके। रवीन्द्र 1990 में ही देवराज की शादी के बाद अपनी ननिहाल वापस चला गया था...आगे की पढ़ाई करने।

विक्रम नौकरी छोडकर विमला बुआ के साथ उनके घर रहने लगा ... लगभग 1 साल बाद विजय सिंह जमानत पर बाहर आए तो विक्रम फिर से वापस देव के पास पहुंचा नौकरी के लिए। देव ने उसे दोबारा नौकरी पर लगवा दिया। देव ने जब विजयराज के बारे में पूंछा तो पता चला कि विजयराज नोएडा में ही रहता है लेकिन परिवार ही नहीं अपने बच्चों तक से ना मिलता और ना ही कोई संपर्क रखता। फिर बातों को घुमाते हुये देव ने रागिनी के बारे में पूंछा तो विक्रम ने बताया कि वो जब से पिताजी फरार हुये हैं वसुंधरा ताईजी के साथ ही रह रही हैं।

इन दौरान में रागिनी और देव के रिश्ते की बात भी ठंडी पड़ गयी। बाद में विजयराज के फरार होने के बारे में निर्मला से सुमित्रा को पता चला और सुमित्रा से सरला को। देव ने जब शादी की बात आगे न बढ़ती देखी तो उसने सरला से पूंछा

“भाभी क्या हुआ नोएडा से तो कोई जवाब ही नहीं आया” देव ने पूंछा

“क्या करोगे जवाब का? अब हर कोई मेरी तरह तो है नहीं जो तुम्हारे भैया को झेल रही हूँ इतने साल से। वो तो रागिनी की सही समय पर आँखें खुल गईं... इसलिए अब उसे तो भूल ही जाओ” सरला ने देव को चिढ़ाते हुये कहा

“हाँ ये भी बात सही है... अब आप तो झेल ही लेती हो... तो बड़े भाई के साथ-साथ थोड़ा छोटे भाई को भी झेल लेना.... कुछ दिन दिल्ली रह लिया करो मेरे साथ भी.... में भी रागिनी को भूल जाऊंगा” देव ने भी सरला को मज़ाक में आँख मारते हुये हँसकर कहा

“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुयी मुझसे ऐसे बात करने की, देवर हो लेकिन मज़ाक की भी एक हद होती है” देव की बात का मतलब समझते ही गुस्से से कहा

“अब हद को क्या रह गया.... जितना बचपन से देती आ रही हो उतना ही दे देना...ऊपर-ऊपर का......... बाकी रहा भैया का हिस्सा वो भैया को मुबारक” देव ने फिर भी हँसते हुये कहा तो देव की बात सुनकर सरला को भी देव के बचपन का याद आ गया और शरमा दी

जब सरला शादी होकर इस घर में आयी ही थी तब पप्पू छोटा सा ही था। अपनी माँ का दूध पीटा था। लेकिन माँ के ना रहने पर अपनी भाभियों कुसुम और सरला से भी दूध पिलाने की जिद करता तो कुसुम उसे अपने सीने से लगाकर अपनी चूची उसके मुंह में दे देती थी। एक दिन सरला ने उसे गोद में ले रखा था तो उसने सरला के ब्लाउज़ को टटोलना शुरू कर दिया। सरला ने भी उस उम्र की खुमारी और अलहड़पन में उसे ब्लाउज़ खोलकर चूची चुसवाने लगी... ऐसे ही एक दिन पप्पू जब सरला की चूची चूस रहा था तो देव पास में ही बैठा उसे ललचाई नज़रों से देख रहा था। सरला ने उसे भी अपनी गोद में खींचकर दूसरी चूची उसके मुंह में दे दी। फिर तो ऐसा कई बार हुआ जब तक दोनों थोड़े बड़े नहीं हो गए।

“तुम्हारे भैया पर भी जवानी छाई रहती है.... मुझ बुढ़िया के बस का नहीं तुम भाइयों को सम्हालना। अपने भैया को भी दिल्ली ले जाओ.... वहीं अपनी दीदी के ऊपर नीचे चूसते रहना उन्होने ही अपने भाइयों की आदत खराब की है ऊपर नीचे से चुसवा-चुसवा के... अब वो ही भुगतें” सरला ने भी मज़ाक में देव से कहा

“अरे भाभी मज़ाक छोड़ो और ये बताओ क्या हुआ मेरी शादी का” देव ने संजीदगी से कहा तो सरला भी गंभीर होकर बताने लगी की नोएडा में क्या हुआ। सारी बात सुनकर देव ने कहा की उसे तो ये सब उसी दिन पता चल गया था और वो नोएडा उनके घर जाना भी चाहता था लेकिन विक्रम की वजह से उन सबने आने से मना कर दिया था। इस पर सरला ने कहा कि जब उसे पता चल गया था तो उसने यहाँ क्यों नहीं बताया। इस पर देव ने कहा कि वो उनका पारिवारिक मामला था इसलिए उसने कहीं भी बताना सही नहीं समझा लेकिन अब तो वो दिल्ली पहुँचते ही नोएडा घूमकर आयेगा, अगर सरला भी चलना चाहे तो उसके साथ ही चली चले। सरला भी देव के साथ निर्मला के पास आयी और निजयराज के मामले को लेकर अफसोस जताया।

हालांकि सारी गलतियाँ विजयराज की थीं लेकिन एक माँ अपने बच्चों को ज़्यादातर सही ही ठहरने की कोशिश करती है वही निर्मला देवी ने भी किया। फिर मौका देखकर बातों ही बातों में सरला ने रागिनी और देव की शादी को लेकर बात छेड़ी तो निर्मला देवी ने साफ कह दिया कि अकभी तो विजयराज के घर आने का इंतज़ार है उसके बाद ही ये बात आगे बढ़ेगी। वसुंधरा ने अकेले में सरला को सारी बातों से अवगत कराया और कहा कि वो चाहकर भी ये शादी नहीं करा सकती क्योंकि विजयराज उल्टे दिमाग का है, कल को वो इस बात को लेकर भी बवाल खड़ा कर सकता है कि उसकी बेटी की शादी हमने अपनी मर्जी से कैसे कर दी।

धीरे-धीरे वक़्त बीता और 3 साल बाद जब विक्रम दोबारा देव के पास नौकरी करने पहुंचा तो वसुंधरा और जयराज ने भी उससे कहा कि जब विजयराज इस शहर में रहते हुये भी घर नहीं आ रहा तो विक्रम इस शादी को करवाए, व्यवस्था करने की ज़िम्मेदारी जयराज और उनके बेटे रवीद्र ने अपने ऊपर ले ली, लेकिन विक्रम ने एक बार विजयराज से बात करके इस शादी को करने का फैसला लेने कि मोहलत मांगी और अपने पिता से बात करने मुन्नी के घर गया। जिसका परिणाम ये हुआ कि विजयराज शादी करने कि बात तो छोड़ो उल्टे रागिनी को भी अपने साथ ले गया कि वो अब अपने तरीके से शादी करेगा।

इधर ये सब चल ही रहा था कि देव के बड़े भाई महेश (कुसुम के पति) की मृत्यु हो गयी। कुछ समय बाद पता चला कि मृत्यु कि रात को महेश ने गाँव के जिस व्यक्ति के साथ बैठकर शराब पी थी वो उसी दिन से गाँव में नहीं है, और न ही उसके घरवाले उसके बारे में कुछ बता रहे हैं। देवराज से छोटे भाई पप्पू ने गाँव में ऐलान कर दिया कि उस व्यक्ति ने मेरे भाई को शराब में जहर देकर मारा है इसलिए जब भी वो मेरे हत्थे चढ़ेगा उसकी जान ले लूँगा।

अभी इस मुसीबत की वजह से देवराज अपने गाँव में छुट्टी लेकर आया हुआ था तभी उसे दुकान मालिक का संदेशा मिला कि तुरंत दिल्ली आए, विक्रम दुकान के 50 हज़ार रूपाय लेकर गायब है। खबर सुनते ही देवराज तुरंत दिल्ली लौटकर आया तो पता चला कि रोजाना की तरह सुबह दुकान खुलने के बाद कल शाम कि बिक्री का नकद पैसा जो दुकान में था उसे बैंक में जमा करने के लिए विक्रम को दिया गया... बैंक गली के बाहर ही मुख्य सड़क पर था। ये काम वैसे तो देवराज करता था क्योंकि दुकान मालिक का वो सबसे विश्वसनीय कर्मचारी था, लेकिन देवराज के ना होने पर मालिक विक्रम को भी भेज देता था विक्रम तब तक 18-19 साल का जवान हो गया था और देवराज का रिश्तेदार होने के कारण मालिक उसे देवराज कि तरह ही अपना विश्वसनीय मानता था। उस दिन जब आधे घंटे बाद भी विक्रम बैंक से वापस लौटकर नहीं आया तो दुकान मालिक ने एक दूसरे कर्मचारी को भेजा कि विक्रम को जल्दी वापस बुलाकर लाये...यहाँ दुकान पर काम बहुत है....हिसाब किताब लिखने के लिए विक्रम का यहाँ होना बहुत जरूरी है। जब वो कर्मचारी बैंक पहुंचा तो पूरे बैंक में उसे कहीं विक्रम दिखाई नहीं दिया। उसने आकार मालिक को बताया तो मालिक खुद बैंक गया और वहाँ के मैनेजर से अपने खाते में पैसे जमा होने कि पुष्टि के लिए कहा। बैंक मैनेजर ने उसके खाते कि जानकारी लेकर कहा कि आज तो कोई पैसा जमा ही नहीं हुआ है। इस पर मालिक ने अपने अन्य कर्मचारियों को गली और आसपास पूंछताछ के लिए भेजा कि कहीं विक्रम के साथ कोई सड़क दुर्घटना या राहजनी तो नहीं हो गयी तो पड़ोस की एक दुकान के कर्मचारी ने बताया कि वो अपने घर गाज़ियाबाद से जब आज पुरानी दिल्ली रेल्वे स्टेशन पर आकर उतरा तो उसे विक्रम उसी प्लैटफ़ार्म पर खड़ा मिला था। जब उसने पूंछा कि दुकान के समय पर वो यहाँ क्या कर रहा है तो विक्रम ने कहा कि उसे किसी काम से गाज़ियाबाद जाना था इसलिए आज छुट्टी पर है।

यह सुनते ही दुकान मालिक ने तुरंत देवराज को उसके गाँव खबर भेज दी। देवराज भी खबर मिलते ही तुरंत वापस दिल्ली आया और दुकान मालिक से सारी जानकारी ली। अब उस जमाने में 1994 में 50 हज़ार बहुत बड़ी रकम होती थी तो दुकानदार देवराज को लेकर विक्रम की तलाश कराने को चल दिया। पहले तो वो लोग नोएडा निर्मला देवी के पास पहुंचे तो वहाँ से निराशा मिली, विक्रम वहाँ कई महीनों से बिलकुल गया ही नहीं था फिर जयराज ने उन्हें मुन्नी के घर का पता बताया कि वहाँ से विक्रम के पिता विजयराज से शायद कुछ जानकारी मिल सके। जब वो लोग मुन्नी के घर पहुंचे तो विजयराज ने बताया कि विक्रम वहाँ तो कभी आता ही नहीं है... हाँ रागिनी आजकल उनकी बहन विमला के घर दिल्ली उत्तम नगर और नजफ़गढ़ के बीच एक गाँव में रहती है, शायद वहाँ से कुछ पता चल सके।

देवराज हालांकि रागिनी को शर्मिंदा करना नहीं चाहता था विक्रम के चोरी के मामले को लेकर लेकिन दुकान मालिक के दवाब में उसे विमला के घर भी जाना पड़ा दुकान मालिक को साथ लेकर। वहाँ से भी विक्रम का कोई सुराग नहीं मिला। आज कई साल बाद रागिनी और देव फिर आमने सामने थे, न तो रागिनी के मुंह से कुछ निकला और न ही देव के मुंह से। लेकिन रागिनी की आँखों में शर्मिंदगी और नमी देखकर देव की आँखों में भी नमी और सहानुभूति उभर आयी जैसे कहना चाहता हो कि तुम क्यों शर्मिंदा हो, मेरे दिल में आज भी तुम्हारी वही जगह है।

वक़्त और हालात अपनी करवटें बदलते रहे। विजयराज अपनी ज़िंदगी में मस्त रहा उसने कभी सोचा ही नहीं कि संतान के लिए भी उसका कोई फर्ज है। विक्रम भी जब से रागिनी से दूर हुआ... अपने पिता के पदचिन्हों पर ही चलने लगा। अपराध, हवस और नशा ...उसे भी अपनी बहन या परिवार के और लोगों कि बजाय ये ज्यादा पसंद आए।

इधर, विक्रम का कोई पता ना चलने पर देव ने दुकान मालिक से सम्झौता कर लिया की वो धीरे-धीरे करके ये रकम देव के वेतन से कट ले। अब रकम इतनी बड़ी थी कि ना तो दुकान मालिक उस रकम को छोड़ सकता था और ना ही देवराज इस बात को छुपा सकता था। देवराज के घर में जब इस बात का पता चला तो सबसे ज्यादा गुस्सा सरला को आया साथ में अपराधबोध भी। क्योंकि वो लोग सरला के मायके के रिश्तेदार थे तो उसे अपने परिवार के सामने अपनी बेइज्जती भी महसूस हुई कि देव के बड़े भाई कि मौत के संकट के दौरान ही रागिनी के भाई ने उनका साथ देने की बजाय एक और बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी उनके लिए।

अब सरला ने देव पर कहीं और से शादी का दवाब बनाना शुरू कर दिया लेकिन देव के तो मन में रागिनी बसी थी। देव ने सरला और कुसुम को बहुत समझाया कि इन सब में रागिनी का क्या दोष...वो तो बेचारी इन पिता और भाई की वजह से आज इस-उस के दरवाजे पर पड़ी हुई है। लेकिन किसी ने जब देव की बात पर ध्यान नहीं दिया तो देव ने अपने लिए आए हुये एक रिश्ते को छोटे भाई पप्पू के लिए करा दिया। पप्पू की शादी के लिए परिवार में कोई भी तैयार नहीं था लेकिन देव के दवाब और शादी ना करने की जिद के आगे सबको घुटने टेकने ही पड़े।

पप्पू की शादी हो जाने के बाद तो देव ने एक तरह से सबकुछ भुला ही दिया था और सिर्फ अपने काम पर ध्यान देने लगा। हालांकि अब भी घरवालों का उस पर शादी के लिए दवाब बना हुआ था लेकिन भाई के सामने ना सही, अपनी भाभियों के सामने देव ने साफ-साफ कह दिया कि वो शादी करेगा तो सिर्फ रागिनी से वरना सारी ज़िंदगी ऐसे ही बिना शादी के गुजार देगा।

जब देव की ऐसी जिद देखी तो कुसुम ने सरला पर बहुत ज़ोर दिया कि वो रागिनी का पता लगाए और देव की शादी करवा दे। लेकिन सरला जब किसी तरह तैयार नहीं हुई तो कुसुम ने खुद पहल करके सरला की माँ सुमित्रा देवी से संपर्क किया और उनसे नोएडा बात करने को कहा रागिनी के घर। सुमित्रा ने जब निर्मला से पता किया तो पता चला कि ना सिर्फ विजयराज बल्कि उनकी बेटी विमला भी रागिनी और विमला के 2 बेटों के साथ गायब हैं... उनका परिवार में किसी को पता नहीं कि वो कहाँ रह रहे हैं और क्या कर रहे हैं। विमला के पति विजय सिंह अपने 2 बच्चों के कत्ल के इल्जाम में दिल्ली तिहाड़ जेल में बंद हैं। हाँ! विक्रम जरूर रवीद्र के संपर्क में है और दिल्ली में ही रह रहा है...1997 में जब ये बातें चल रही थीं तब वो ही समय था जब विजयराज और विमला किशनगंज रहने पहुंचे थे और विक्रम भी दिल्ली में ही वापस आकर रहने लगा। लेकिन अबकी बार पता नहीं क्या करने का सोच रहा था जो दिल्ली के एक कॉलेज में एड्मिशन लेकर हॉस्टल में रह रहा था।

उसी दौरान कुछ दिन बाद देवराज के छोटे भाई पप्पू जो उस समय गाँव में ही रहता था, ने अपने भाई महेश कि मौत के जिम्मेदार माने जाने वाले व्यक्ति का पता लगा लिया और एक दिन उसे गाँव में ही दिन दहाड़े पूरे गाँव के सामने लाठी से मार-मार के जान से मार दिया। देवराज का परिवार अभी पिछले झंझटों से ही बाहर नहीं निकाल पाया था की ये सबसे बड़ा बवाल खड़ा हो गया। पहली मुसीबत तो हत्या का मामला जिसमें पुलिस पूरे परिवार को परेशान करने लगी क्यूंकी पप्पू इस हत्या के बाद फरार हो गया था और दूसरी मुसीबत मरने वाले के परिवार से दुश्मनी। इधर पप्पू के दूसरे बड़े भाई रमेश सीधे-सादे किसान थे...वो बिलकुल ही आशय होकर अपनी भाभी कुसुम, पत्नी सरला और पप्पू की पत्नी को लेकर गाँव छोडकर अपनी ससुराल यानि सुमित्रा देवी के यहाँ जाकर रहने लगे। कानूनी और सारे मामले देखने के लिए देव को भी दिल्ली से आना पड़ा... फिर देव ने सोचा कि ऐसे यहाँ कब तक नौकरी छोडकर बैठा रहेगा, गाँव कि जमीन जायदाद भी लवारीश पड़ी थी तो वहाँ से भी कोई आमदनी नहीं होनी थी। इसलिए वो सारे परिवार को लेकर दिल्ली आ गया और अपनी नौकरी पर ध्यान देने लगा। साथ ही बड़े भाई को गाँव और आसपास के गाँव में जमीन के ख़रीदारों से फोन पर बाक्त करने को कहा जिससे गाँव की जमीन बेचकर कहीं और रहने का किया जाए...क्योंकि इस दुश्मनी के बाद गाँव का माहौल इनके परिवार के लिए सुरक्शित नहीं रह गया था।

इसी दौरान में दिल्ली में रह रहे देव के बहन-बहनोई ने मध्य प्रदेश में ग्वालियर के पास राजस्थान के कोटा जिले की सीमा पर कुछ जमीन खरीदीं और उनकी देखभाल के लिए रमेश को कुसुम, सरला व पप्पू की पत्नी के साथ वहाँ पहुँचकर रहने को कहा। इन सब को वहाँ भेजकर देव भी निश्चिंत होकर अपनी नौकरी करने लगा। धीरे-धीरे इन लोगों ने भी अपने गाँव की जमीन बेचकर वहीं ग्वालियर में जमीन खरीद ली और बस गए। उसी दौरान रवीद्र ने भी अपने पिता की ननिहाल की जमीन और हवेली जो रवीद्र के पिता के नाम पर थी लेकिन चाचा देवराज के कब्जे में थी....अपने कब्जे में ले ली और विक्रम को वहाँ की ज़िम्मेदारी सौंप दी, विक्रम अपने साथ गाँव से परिवार के ताऊजी के बेटे सुरेश को भी साथ ले गया जो उसके साथ दिल्ली पढ़ता था। ये हवेली राजस्थान के कोटा जिले में मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले की सीमा पर थी.......... यानि देव के परिवार और रागिनी/विक्रम जिस हवेली में रह रहे थे उनमें मात्र 20-25 किलोमीटर का फासला था लेकिन ना तो ऐसा संयोग बन सका जो वो एक दूसरे के संपर्क में आते और ना ही विक्रम ने उनका पता लगाने की कोशिश की।

“दीदी! अगर विक्रम मेरा कहा मानता तो आज आप दोनों की शादी नहीं आपके बच्चों की शादी के लिए हम सब इकट्ठे हो रहे होते” सुनकर देवराज और रागिनी ने अपनी आँखें पोंछते हुये एक-दूसरे की ओर देखा

“कोई बात नहीं रवि! वक़्त ही तो निकला...ज़िंदगी तो अभी बाकी है....ये तो साथ जी ही लेंगे” रागिनी ने रवीद्र को अपनी बाहों में भरते हुये कहा।

.......................................................
Waaah kya baat hai kamdev bhai. Bahut hi umda update tha,,,,:claps:

Is update me kafi baate clear huyi aur is baar samajhne me bhi koi pareshani nahi huyi. Ye to mana ki family ke bade bujurgo ne bade kaand kiye the. Sabse pahle to ragini aur vikram ke baap ko hi dekh lijiye. Apni hawas ke siva usne kisi ke bare me kuch nahi socha. Agar socha hota to shayad aaj ragini aur vikram ki kahani kuch aur hi hoti. Vikram to khair ladka tha kisi tarah usne khud ko bada kiya magar apne baap ki tarah wo bhi gair jimmedaar hi nikla. Ragini ka safar yakeenan dar ba dar jaisi haalat me tha. Zindagi ne aise aise din dikhaye ki kisi thikane ko muqammal na kah saki,,,, :dazed:

Is kahani me yaha par devraj ne kafi prabhaavit kiya. Apne dil me ragini ke prati bepanaah mohabbat liye usne apni har khushi ko taak par rakh diya. Ek jimmedaar aur naukari pesha insaan jisne vikram ki naukari lagwaayi magar vikram chor nikla. 50 hazaar rupaye le kar faraar ho gaya aur devraj ki mushkilo me ek aur izafa kar diya. Laanat bhejne ka dil karta hai is vikram par,,,,, :bat:

Sarla aur devraj ke bich ka pyar achha laga. Devar bhabhi ki nok jhonk aur do arthi mazaak mazedaar tha. Khair last me shayad flashback end kar diya aapne aur present me aa gaye. Dekhte hain aage kya hota hai, magar devraj aur ragini ki prem kahani ne dil ko chhu liya aur ab is umar me dono ka milan bina koi bighn badha ke ho jana chahiye,,,, :pray:


Agle update ka badi shiddat se intzaar rahega kamdev bhai,,,, :D
 

kamdev99008

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Khair last me shayad flashback end kar diya aapne aur present me aa gaye. Dekhte hain aage kya hota hai, magar devraj aur ragini ki prem kahani ne dil ko chhu liya aur ab is umar me dono ka milan bina koi bighn badha ke ho jana chahiye,,,, :pray:
---devraj ka flashback khatm hota hai yahan par.......... aur akhiri kuchh samvaad present mein hain

--- ab is umar mein donon ka milan hoga hi.............kyonki ab is parivar ka mukhiya sirf aur sirf me yani rana ravindra pratap singh..hoon
jinki wajah se is pariwar ka vinash hua...........kuchh log duniya se chale gaye, kuchh ghar se aur baaki meine nikal kar na sirf ghar se bahar kar diye..............balki un sabki jindgi mein itni pareshaniyan bhar di hain ...ki wo ab kisi ko pareshan karne ka soch bhi nahin payeinge

"संवर्धनम साधुनाम, दुष्टनामच विमर्दनम" सिर्फ भले का भला करना ही धर्म नहीं......बुरे का विनाश करना भी धर्म ही है
 

TheBlackBlood

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---devraj ka flashback khatm hota hai yahan par.......... aur akhiri kuchh samvaad present mein hain

--- ab is umar mein donon ka milan hoga hi.............kyonki ab is parivar ka mukhiya sirf aur sirf me yani rana ravindra pratap singh..hoon
jinki wajah se is pariwar ka vinash hua...........kuchh log duniya se chale gaye, kuchh ghar se aur baaki meine nikal kar na sirf ghar se bahar kar diye..............balki un sabki jindgi mein itni pareshaniyan bhar di hain ...ki wo ab kisi ko pareshan karne ka soch bhi nahin payeinge

"संवर्धनम साधुनाम, दुष्टनामच विमर्दनम" सिर्फ भले का भला करना ही धर्म नहीं......बुरे का विनाश करना भी धर्म ही है
Waaah kya baat kahi aapne,,,, :claps:
Parde ke pichhe rah kar rana ji dekhte rahe sabki kartoot aur jab paani sir ke upar ho gaya to sabki band baja di. Waah bahut khoob. Khair mazaak apni jagah. Is baat se main sahmat hu ki bure ka vinaash karna bhi dharm hai. Khair aapko to sab pata hai magar ham sab to abhi bhi is kahani ke anjaam se nawaaqif hain. Is liye aage ka intzaar rahega,,,,,,:yo:
 

kamdev99008

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Waaah kya baat kahi aapne,,,, :claps:
Parde ke pichhe rah kar rana ji dekhte rahe sabki kartoot aur jab paani sir ke upar ho gaya to sabki band baja di. Waah bahut khoob. Khair mazaak apni jagah. Is baat se main sahmat hu ki bure ka vinaash karna bhi dharm hai. Khair aapko to sab pata hai magar ham sab to abhi bhi is kahani ke anjaam se nawaaqif hain. Is liye aage ka intzaar rahega,,,,,,:yo:
abhi to bahut kuchh apke samne aisa ayega jo apne socha bhi nahin hoga............ abhi lagbha 10% hi kahani ap tak pahunchi hai
 

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abhi to bahut kuchh apke samne aisa ayega jo apne socha bhi nahin hoga............ abhi lagbha 10% hi kahani ap tak pahunchi hai
Fir to aapko is kahani ke update dene me zara bhi deri nahi karni chahiye kamdev bhai,,,,,:dazed:
 

kamdev99008

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Fir to aapko is kahani ke update dene me zara bhi deri nahi karni chahiye kamdev bhai,,,,,:dazed:
:.......पावर प्रोब्लम का सोल्यूशन कर रहा हूँ....... फिर रोजाना 1 या 2 अपडेट देना शुरू करूंगा.... लेकिन अभी 2-3 महीने का समय लगेगा

कहानी पूरी होने में 1 साल से 2 साल का समय लगेगा.... हो सकता है तब तक कहानी में जुडने को कुछ नयी घटनाएँ भी हो जाएँ....
जैसे मेरे बेटे की शादी :hehe:
 

TheBlackBlood

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:.......पावर प्रोब्लम का सोल्यूशन कर रहा हूँ....... फिर रोजाना 1 या 2 अपडेट देना शुरू करूंगा.... लेकिन अभी 2-3 महीने का समय लगेगा

कहानी पूरी होने में 1 साल से 2 साल का समय लगेगा.... हो सकता है तब तक कहानी में जुडने को कुछ नयी घटनाएँ भी हो जाएँ....
जैसे मेरे बेटे की शादी :hehe:
Matlab saal do saal tak aap aise hi hamara bheja fry karege aur update ke liye tarsayege,,,,, :D
 

kamdev99008

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Matlab saal do saal tak aap aise hi hamara bheja fry karege aur update ke liye tarsayege,,,,, :D
ये कहानी नहीं......ज़िंदगी है मेरी..............
में 45 साल से झेल रहा हूँ........... आप साल-दो साल भी झेलने से डर रहे हैं...........
 

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--- वक़्त और हालात इंसान के फैसलों को बदलते रहते हैं.........यही देव और रागिनी की ज़िंदगी में हुआ
--- विमला का कैरक्टर परिवार के फ़्लैशबैक में सामने आयेगा....... और विजय सिंह....वो कितना बड़ा बेचारा है..... आपको जल्दी ही उसी फ़्लैशबैक में जानने को मिलेगा
(वैसे एक हिंट दे देता हूँ..... अभी पिछली साल 2019 में विजय सिंह ने अपने छोटे बेटे की बीवी के साथ घर बसा लिया.... अपना बच्चा उससे पैदा होने के बाद और बेटा ...अपने बाप और बीवी के डर से गायब हो गया है).............. :lol1: अब मुझे पूरा विश्वास है की आप दोबारा उसे बेचारा नहीं कहोगे :hehe:
--- बचपन में दूध पिया ........अब बड़े होकर भाभियों से मज़ाक करते हैं उसी बात को लेकर............ ऐसा ही रिश्ता होता है देवर भाभी का.... जरूरी नहीं कि सब चुदाई ही करें
--- विजयराज के बारे में तो कोई भी कह ही नहीं सकता
--- विक्रम ..... बिन माँ और एक तरह से बिना बाप का भी.... क्योंकि बाप को तो हवस से ही फुर्सत नहीं..... नादान उम्र.... रास्ता भटकता गया...जो और जैसा सीखने को मिला वही तो करता

--- अभी अपडेट चेक करके करेक्शन कर दूंगा
wow aaj pehli baar aapke mukh se vikram ke liye hamdardi bhare shabd nikle.. naho to aaj tak to aapne bechare vikram ki haalat khrab ki hui hai.
 
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