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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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    42

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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wow aaj pehli baar aapke mukh se vikram ke liye hamdardi bhare shabd nikle.. naho to aaj tak to aapne bechare vikram ki haalat khrab ki hui hai.
Vikram ka bachpan se khyal rakha hai maine, uske baap se bhi jyada... Mere sautele hi nahin sage bhai se bhi jyada vikram mere dil ke karib hai.... Vikram ne bhi apne bap se jyada mujhe ijjat di humesha
Sab samne ata rahega
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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meri kahani pariwar se alag hai............ mein pariwar ke sath nahin raha jyadatar ............lekin pariwaron mein raha hoon.........
isliye dono ke flashback alag hain..............bas kabhi-kabhi hi milte hain.......kahin-kahin
Pariwaar se alag rah kar maje lete rahe apne se kam umar ki ladki se shadi karke. Aur dusro ko batate rahe ki wo kitne galat the,,,,, :lol1:
 
Last edited:

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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ये कहानी नहीं......ज़िंदगी है मेरी..............
में 45 साल से झेल रहा हूँ........... आप साल-दो साल भी झेलने से डर रहे हैं...........
Aapne to majburi aur maje ke liye jhela kamdev bhai, hame to bas aapke karnamo ko padh kar hi maja milna hai,,,,, :dazed:
 

404

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Pahle to yahi laga kamdev bhai ki ye mahaj koi khwaab hai jo khuli aankho se dikh raha hai magar fir yakeen aa hi gaya ki nahi pagle ye koi khwaab nahi haqeeqat hai. Matlab ki bade bhaiya ji ne update de diya hai,,,,, :D

Bahut bahut shukriya iske liye,,,, :thank_you:


:reading:
Matlab saal do saal tak aap aise hi hamara bheja fry karege aur update ke liye tarsayege,,,,, :D
Pariwaar se alag rah kar maje lete rahe apne se kam umar ki ladki se shadi karke. Aur dusro ko batate rahe ki wo kitne galat the,,,,, :lol1:
Aapne to majburi aur maje ke liye jhela kamdev bhai, hame to bas aapke karnamo ko padh kar hi maja milna hai,,,,, :dazed:

Kamdev bhiya .. ab jara inki baate padh kar kaun kahega ki ye ek Masoom bacche ne kahi hai .. jab samjhaya ki ki galat sangat se door raho to maani nahi .. jab to Dr. saab ki Bhabi Maa aur Shikaari padhne ka chaska laga tha .. par ab to bahut der ho chuki hai ... :lol1:
 

Dear Neelam

Tumhare Liye..
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आप का स्वागत है.....
ये कहानी एक परिवार के सदस्यों के बीच घूमती है.....
अभी आप आगे पढ़ेंगी तो इन सभी सवालों के जवाब अगले कुछ अपडेट में आपको मिलते जाएंगे।
ये वैसे मेरी अपनी कहानी है..... केवल पात्रों के नाम, स्थान और घटनाओं में परिवर्तन किए गए हैं....पहचान बदलने के लिए

मैं कोई लेखक नहीं.....पाठक हूँ......... पहली बार प्रयास कर रहा हूँ लिखने का.....
इसलिए सोचा काल्पनिक सोचने के जटिल काम से शुरुआत करने की बजाय असली कहानी को ही लिख दूँ.... मुझे कहानी के बारे में ज्यादा सोचना तो नहीं पड़ेगा
वैसे भी मेरा अपना जीवन और परिवार इन फोरम की adultry, incest, thriller कहानियों से ज्यादा रोमांचक और विविधता लिए रहा है....
तो आशा करता हूँ............. आप सभी पाठकों को ये कहानी पसंद आएगी

वैसे ये कहानी में 2 अलग-अलग कहानियों के रूप में xossip पर शुरू की थी लेकिन लिख नहीं सका और बाद में फोरम ही बंद हो गया

अब पूरी कहानी एक साथ कर दी..... सिर्फ अलग अलग प्रवाह को .......अलग-अलग खंडों में विभाजित कर दिया है
Omg its your real story. Main bhi real story likh rahi hu but thoda alag se chije ad karke. Anyway jyada padhne ka time hi nahi mil pata kyo ki ghar ke dher sare karne hote hain upar se apni story bhi likhna hai jiske liye bahut sochna padta hai ki kaha se kaise likhu.
 

TheBlackBlood

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Kamdev bhiya .. ab jara inki baate padh kar kaun kahega ki ye ek Masoom bacche ne kahi hai .. jab samjhaya ki ki galat sangat se door raho to maani nahi .. jab to Dr. saab ki Bhabi Maa aur Shikaari padhne ka chaska laga tha .. par ab to bahut der ho chuki hai ... :lol1:
Main masoom hu to hu....haan nahi tooooooo,,,,, :rondu:

Aur maine sirf bhabhi maa padhi hai. Shikari nahi padha,,,, :dazed:
 

VIKRANT

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अध्याय 46

रागिनी और निर्मला कुछ दिन बाद जब वापस लौटकर नोएडा आए तो उन्हें भी विजयराज वाले मामले का पता चला। निर्मला ने मामले का पता चलते ही रागिनी को बोल दिया की वो अब विजयराज के साथ नहीं रहेगी और अब से यहीं रहेगी। इधर विक्रम ने जब नोएडा घूमने आने को कहा तो देव ने उसे सारी बात बता दी और सिर्फ 22 सैक्टर वाले घर ही जाने को कहा।

वक़्त ऐसे ही बीतता रहा कुछ समय बाद पता चला कि विजयराज मुन्नी के घर रहने लगा है और कभी कभी कहीं किसी मुस्लिम औरत के साथ भी देखा गया है....जो बुर्के में होती है....उसकी शक्ल किसी ने देखी नहीं। इस पर रागिनी ने घर में नाज़िया के बारे में भी बता दिया तो सबको यकीन हो गया कि यही वो औरत है जिसके साथ वो पासपोर्ट वाले मामले में फंसा है।

इधर रागिनी की बड़ी बुआ विमला भी अपनी माँ निर्मला के पास आती जाती रहती थी... विमला 1984 में अपनी कामिनी भाभी यानि रागिनी की माँ की मृत्यु के समय नोएडा आयी थी फिर उनके पति जिनका नाम विजय सिंह है ....उन्होने यहीं नोएडा में अपना काम शुरू कर दिया विमला के भाइयों के सहयोग से। वो लोग वहीं पास में ही सैक्टर 55 में रहते थे।

एक दिन विमला ने आकार बताया कि उनके यहाँ एक नौकर काम करता था दुकान पर उसकी लाश बरामद हुई है और पुलिस इस मामले में उसके पति विजय सिंह को ले गयी है पूंछताछ के लिए ये 1992 की बात है। इस मौके पर विक्रांत को उन्होने बुलवाने को कहा जिससे वो उनके घर पर उनके व उनके छोटे बच्चों के साथ रह सके। रवीन्द्र 1990 में ही देवराज की शादी के बाद अपनी ननिहाल वापस चला गया था...आगे की पढ़ाई करने।

विक्रम नौकरी छोडकर विमला बुआ के साथ उनके घर रहने लगा ... लगभग 1 साल बाद विजय सिंह जमानत पर बाहर आए तो विक्रम फिर से वापस देव के पास पहुंचा नौकरी के लिए। देव ने उसे दोबारा नौकरी पर लगवा दिया। देव ने जब विजयराज के बारे में पूंछा तो पता चला कि विजयराज नोएडा में ही रहता है लेकिन परिवार ही नहीं अपने बच्चों तक से ना मिलता और ना ही कोई संपर्क रखता। फिर बातों को घुमाते हुये देव ने रागिनी के बारे में पूंछा तो विक्रम ने बताया कि वो जब से पिताजी फरार हुये हैं वसुंधरा ताईजी के साथ ही रह रही हैं।

इन दौरान में रागिनी और देव के रिश्ते की बात भी ठंडी पड़ गयी। बाद में विजयराज के फरार होने के बारे में निर्मला से सुमित्रा को पता चला और सुमित्रा से सरला को। देव ने जब शादी की बात आगे न बढ़ती देखी तो उसने सरला से पूंछा

“भाभी क्या हुआ नोएडा से तो कोई जवाब ही नहीं आया” देव ने पूंछा

“क्या करोगे जवाब का? अब हर कोई मेरी तरह तो है नहीं जो तुम्हारे भैया को झेल रही हूँ इतने साल से। वो तो रागिनी की सही समय पर आँखें खुल गईं... इसलिए अब उसे तो भूल ही जाओ” सरला ने देव को चिढ़ाते हुये कहा

“हाँ ये भी बात सही है... अब आप तो झेल ही लेती हो... तो बड़े भाई के साथ-साथ थोड़ा छोटे भाई को भी झेल लेना.... कुछ दिन दिल्ली रह लिया करो मेरे साथ भी.... में भी रागिनी को भूल जाऊंगा” देव ने भी सरला को मज़ाक में आँख मारते हुये हँसकर कहा

“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुयी मुझसे ऐसे बात करने की, देवर हो लेकिन मज़ाक की भी एक हद होती है” देव की बात का मतलब समझते ही गुस्से से कहा

“अब हद को क्या रह गया.... जितना बचपन से देती आ रही हो उतना ही दे देना...ऊपर-ऊपर का......... बाकी रहा भैया का हिस्सा वो भैया को मुबारक” देव ने फिर भी हँसते हुये कहा तो देव की बात सुनकर सरला को भी देव के बचपन का याद आ गया और शरमा दी

जब सरला शादी होकर इस घर में आयी ही थी तब पप्पू छोटा सा ही था। अपनी माँ का दूध पीटा था। लेकिन माँ के ना रहने पर अपनी भाभियों कुसुम और सरला से भी दूध पिलाने की जिद करता तो कुसुम उसे अपने सीने से लगाकर अपनी चूची उसके मुंह में दे देती थी। एक दिन सरला ने उसे गोद में ले रखा था तो उसने सरला के ब्लाउज़ को टटोलना शुरू कर दिया। सरला ने भी उस उम्र की खुमारी और अलहड़पन में उसे ब्लाउज़ खोलकर चूची चुसवाने लगी... ऐसे ही एक दिन पप्पू जब सरला की चूची चूस रहा था तो देव पास में ही बैठा उसे ललचाई नज़रों से देख रहा था। सरला ने उसे भी अपनी गोद में खींचकर दूसरी चूची उसके मुंह में दे दी। फिर तो ऐसा कई बार हुआ जब तक दोनों थोड़े बड़े नहीं हो गए।

“तुम्हारे भैया पर भी जवानी छाई रहती है.... मुझ बुढ़िया के बस का नहीं तुम भाइयों को सम्हालना। अपने भैया को भी दिल्ली ले जाओ.... वहीं अपनी दीदी के ऊपर नीचे चूसते रहना उन्होने ही अपने भाइयों की आदत खराब की है ऊपर नीचे से चुसवा-चुसवा के... अब वो ही भुगतें” सरला ने भी मज़ाक में देव से कहा

“अरे भाभी मज़ाक छोड़ो और ये बताओ क्या हुआ मेरी शादी का” देव ने संजीदगी से कहा तो सरला भी गंभीर होकर बताने लगी की नोएडा में क्या हुआ। सारी बात सुनकर देव ने कहा की उसे तो ये सब उसी दिन पता चल गया था और वो नोएडा उनके घर जाना भी चाहता था लेकिन विक्रम की वजह से उन सबने आने से मना कर दिया था। इस पर सरला ने कहा कि जब उसे पता चल गया था तो उसने यहाँ क्यों नहीं बताया। इस पर देव ने कहा कि वो उनका पारिवारिक मामला था इसलिए उसने कहीं भी बताना सही नहीं समझा लेकिन अब तो वो दिल्ली पहुँचते ही नोएडा घूमकर आयेगा, अगर सरला भी चलना चाहे तो उसके साथ ही चली चले। सरला भी देव के साथ निर्मला के पास आयी और निजयराज के मामले को लेकर अफसोस जताया।

हालांकि सारी गलतियाँ विजयराज की थीं लेकिन एक माँ अपने बच्चों को ज़्यादातर सही ही ठहरने की कोशिश करती है वही निर्मला देवी ने भी किया। फिर मौका देखकर बातों ही बातों में सरला ने रागिनी और देव की शादी को लेकर बात छेड़ी तो निर्मला देवी ने साफ कह दिया कि अकभी तो विजयराज के घर आने का इंतज़ार है उसके बाद ही ये बात आगे बढ़ेगी। वसुंधरा ने अकेले में सरला को सारी बातों से अवगत कराया और कहा कि वो चाहकर भी ये शादी नहीं करा सकती क्योंकि विजयराज उल्टे दिमाग का है, कल को वो इस बात को लेकर भी बवाल खड़ा कर सकता है कि उसकी बेटी की शादी हमने अपनी मर्जी से कैसे कर दी।

धीरे-धीरे वक़्त बीता और 3 साल बाद जब विक्रम दोबारा देव के पास नौकरी करने पहुंचा तो वसुंधरा और जयराज ने भी उससे कहा कि जब विजयराज इस शहर में रहते हुये भी घर नहीं आ रहा तो विक्रम इस शादी को करवाए, व्यवस्था करने की ज़िम्मेदारी जयराज और उनके बेटे रवीद्र ने अपने ऊपर ले ली, लेकिन विक्रम ने एक बार विजयराज से बात करके इस शादी को करने का फैसला लेने कि मोहलत मांगी और अपने पिता से बात करने मुन्नी के घर गया। जिसका परिणाम ये हुआ कि विजयराज शादी करने कि बात तो छोड़ो उल्टे रागिनी को भी अपने साथ ले गया कि वो अब अपने तरीके से शादी करेगा।

इधर ये सब चल ही रहा था कि देव के बड़े भाई महेश (कुसुम के पति) की मृत्यु हो गयी। कुछ समय बाद पता चला कि मृत्यु कि रात को महेश ने गाँव के जिस व्यक्ति के साथ बैठकर शराब पी थी वो उसी दिन से गाँव में नहीं है, और न ही उसके घरवाले उसके बारे में कुछ बता रहे हैं। देवराज से छोटे भाई पप्पू ने गाँव में ऐलान कर दिया कि उस व्यक्ति ने मेरे भाई को शराब में जहर देकर मारा है इसलिए जब भी वो मेरे हत्थे चढ़ेगा उसकी जान ले लूँगा।

अभी इस मुसीबत की वजह से देवराज अपने गाँव में छुट्टी लेकर आया हुआ था तभी उसे दुकान मालिक का संदेशा मिला कि तुरंत दिल्ली आए, विक्रम दुकान के 50 हज़ार रूपाय लेकर गायब है। खबर सुनते ही देवराज तुरंत दिल्ली लौटकर आया तो पता चला कि रोजाना की तरह सुबह दुकान खुलने के बाद कल शाम कि बिक्री का नकद पैसा जो दुकान में था उसे बैंक में जमा करने के लिए विक्रम को दिया गया... बैंक गली के बाहर ही मुख्य सड़क पर था। ये काम वैसे तो देवराज करता था क्योंकि दुकान मालिक का वो सबसे विश्वसनीय कर्मचारी था, लेकिन देवराज के ना होने पर मालिक विक्रम को भी भेज देता था विक्रम तब तक 18-19 साल का जवान हो गया था और देवराज का रिश्तेदार होने के कारण मालिक उसे देवराज कि तरह ही अपना विश्वसनीय मानता था। उस दिन जब आधे घंटे बाद भी विक्रम बैंक से वापस लौटकर नहीं आया तो दुकान मालिक ने एक दूसरे कर्मचारी को भेजा कि विक्रम को जल्दी वापस बुलाकर लाये...यहाँ दुकान पर काम बहुत है....हिसाब किताब लिखने के लिए विक्रम का यहाँ होना बहुत जरूरी है। जब वो कर्मचारी बैंक पहुंचा तो पूरे बैंक में उसे कहीं विक्रम दिखाई नहीं दिया। उसने आकार मालिक को बताया तो मालिक खुद बैंक गया और वहाँ के मैनेजर से अपने खाते में पैसे जमा होने कि पुष्टि के लिए कहा। बैंक मैनेजर ने उसके खाते कि जानकारी लेकर कहा कि आज तो कोई पैसा जमा ही नहीं हुआ है। इस पर मालिक ने अपने अन्य कर्मचारियों को गली और आसपास पूंछताछ के लिए भेजा कि कहीं विक्रम के साथ कोई सड़क दुर्घटना या राहजनी तो नहीं हो गयी तो पड़ोस की एक दुकान के कर्मचारी ने बताया कि वो अपने घर गाज़ियाबाद से जब आज पुरानी दिल्ली रेल्वे स्टेशन पर आकर उतरा तो उसे विक्रम उसी प्लैटफ़ार्म पर खड़ा मिला था। जब उसने पूंछा कि दुकान के समय पर वो यहाँ क्या कर रहा है तो विक्रम ने कहा कि उसे किसी काम से गाज़ियाबाद जाना था इसलिए आज छुट्टी पर है।

यह सुनते ही दुकान मालिक ने तुरंत देवराज को उसके गाँव खबर भेज दी। देवराज भी खबर मिलते ही तुरंत वापस दिल्ली आया और दुकान मालिक से सारी जानकारी ली। अब उस जमाने में 1994 में 50 हज़ार बहुत बड़ी रकम होती थी तो दुकानदार देवराज को लेकर विक्रम की तलाश कराने को चल दिया। पहले तो वो लोग नोएडा निर्मला देवी के पास पहुंचे तो वहाँ से निराशा मिली, विक्रम वहाँ कई महीनों से बिलकुल गया ही नहीं था फिर जयराज ने उन्हें मुन्नी के घर का पता बताया कि वहाँ से विक्रम के पिता विजयराज से शायद कुछ जानकारी मिल सके। जब वो लोग मुन्नी के घर पहुंचे तो विजयराज ने बताया कि विक्रम वहाँ तो कभी आता ही नहीं है... हाँ रागिनी आजकल उनकी बहन विमला के घर दिल्ली उत्तम नगर और नजफ़गढ़ के बीच एक गाँव में रहती है, शायद वहाँ से कुछ पता चल सके।

देवराज हालांकि रागिनी को शर्मिंदा करना नहीं चाहता था विक्रम के चोरी के मामले को लेकर लेकिन दुकान मालिक के दवाब में उसे विमला के घर भी जाना पड़ा दुकान मालिक को साथ लेकर। वहाँ से भी विक्रम का कोई सुराग नहीं मिला। आज कई साल बाद रागिनी और देव फिर आमने सामने थे, न तो रागिनी के मुंह से कुछ निकला और न ही देव के मुंह से। लेकिन रागिनी की आँखों में शर्मिंदगी और नमी देखकर देव की आँखों में भी नमी और सहानुभूति उभर आयी जैसे कहना चाहता हो कि तुम क्यों शर्मिंदा हो, मेरे दिल में आज भी तुम्हारी वही जगह है।

वक़्त और हालात अपनी करवटें बदलते रहे। विजयराज अपनी ज़िंदगी में मस्त रहा उसने कभी सोचा ही नहीं कि संतान के लिए भी उसका कोई फर्ज है। विक्रम भी जब से रागिनी से दूर हुआ... अपने पिता के पदचिन्हों पर ही चलने लगा। अपराध, हवस और नशा ...उसे भी अपनी बहन या परिवार के और लोगों कि बजाय ये ज्यादा पसंद आए।

इधर, विक्रम का कोई पता ना चलने पर देव ने दुकान मालिक से सम्झौता कर लिया की वो धीरे-धीरे करके ये रकम देव के वेतन से कट ले। अब रकम इतनी बड़ी थी कि ना तो दुकान मालिक उस रकम को छोड़ सकता था और ना ही देवराज इस बात को छुपा सकता था। देवराज के घर में जब इस बात का पता चला तो सबसे ज्यादा गुस्सा सरला को आया साथ में अपराधबोध भी। क्योंकि वो लोग सरला के मायके के रिश्तेदार थे तो उसे अपने परिवार के सामने अपनी बेइज्जती भी महसूस हुई कि देव के बड़े भाई कि मौत के संकट के दौरान ही रागिनी के भाई ने उनका साथ देने की बजाय एक और बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी उनके लिए।

अब सरला ने देव पर कहीं और से शादी का दवाब बनाना शुरू कर दिया लेकिन देव के तो मन में रागिनी बसी थी। देव ने सरला और कुसुम को बहुत समझाया कि इन सब में रागिनी का क्या दोष...वो तो बेचारी इन पिता और भाई की वजह से आज इस-उस के दरवाजे पर पड़ी हुई है। लेकिन किसी ने जब देव की बात पर ध्यान नहीं दिया तो देव ने अपने लिए आए हुये एक रिश्ते को छोटे भाई पप्पू के लिए करा दिया। पप्पू की शादी के लिए परिवार में कोई भी तैयार नहीं था लेकिन देव के दवाब और शादी ना करने की जिद के आगे सबको घुटने टेकने ही पड़े।

पप्पू की शादी हो जाने के बाद तो देव ने एक तरह से सबकुछ भुला ही दिया था और सिर्फ अपने काम पर ध्यान देने लगा। हालांकि अब भी घरवालों का उस पर शादी के लिए दवाब बना हुआ था लेकिन भाई के सामने ना सही, अपनी भाभियों के सामने देव ने साफ-साफ कह दिया कि वो शादी करेगा तो सिर्फ रागिनी से वरना सारी ज़िंदगी ऐसे ही बिना शादी के गुजार देगा।

जब देव की ऐसी जिद देखी तो कुसुम ने सरला पर बहुत ज़ोर दिया कि वो रागिनी का पता लगाए और देव की शादी करवा दे। लेकिन सरला जब किसी तरह तैयार नहीं हुई तो कुसुम ने खुद पहल करके सरला की माँ सुमित्रा देवी से संपर्क किया और उनसे नोएडा बात करने को कहा रागिनी के घर। सुमित्रा ने जब निर्मला से पता किया तो पता चला कि ना सिर्फ विजयराज बल्कि उनकी बेटी विमला भी रागिनी और विमला के 2 बेटों के साथ गायब हैं... उनका परिवार में किसी को पता नहीं कि वो कहाँ रह रहे हैं और क्या कर रहे हैं। विमला के पति विजय सिंह अपने 2 बच्चों के कत्ल के इल्जाम में दिल्ली तिहाड़ जेल में बंद हैं। हाँ! विक्रम जरूर रवीद्र के संपर्क में है और दिल्ली में ही रह रहा है...1997 में जब ये बातें चल रही थीं तब वो ही समय था जब विजयराज और विमला किशनगंज रहने पहुंचे थे और विक्रम भी दिल्ली में ही वापस आकर रहने लगा। लेकिन अबकी बार पता नहीं क्या करने का सोच रहा था जो दिल्ली के एक कॉलेज में एड्मिशन लेकर हॉस्टल में रह रहा था।

उसी दौरान कुछ दिन बाद देवराज के छोटे भाई पप्पू जो उस समय गाँव में ही रहता था, ने अपने भाई महेश कि मौत के जिम्मेदार माने जाने वाले व्यक्ति का पता लगा लिया और एक दिन उसे गाँव में ही दिन दहाड़े पूरे गाँव के सामने लाठी से मार-मार के जान से मार दिया। देवराज का परिवार अभी पिछले झंझटों से ही बाहर नहीं निकाल पाया था की ये सबसे बड़ा बवाल खड़ा हो गया। पहली मुसीबत तो हत्या का मामला जिसमें पुलिस पूरे परिवार को परेशान करने लगी क्यूंकी पप्पू इस हत्या के बाद फरार हो गया था और दूसरी मुसीबत मरने वाले के परिवार से दुश्मनी। इधर पप्पू के दूसरे बड़े भाई रमेश सीधे-सादे किसान थे...वो बिलकुल ही आशय होकर अपनी भाभी कुसुम, पत्नी सरला और पप्पू की पत्नी को लेकर गाँव छोडकर अपनी ससुराल यानि सुमित्रा देवी के यहाँ जाकर रहने लगे। कानूनी और सारे मामले देखने के लिए देव को भी दिल्ली से आना पड़ा... फिर देव ने सोचा कि ऐसे यहाँ कब तक नौकरी छोडकर बैठा रहेगा, गाँव कि जमीन जायदाद भी लवारीश पड़ी थी तो वहाँ से भी कोई आमदनी नहीं होनी थी। इसलिए वो सारे परिवार को लेकर दिल्ली आ गया और अपनी नौकरी पर ध्यान देने लगा। साथ ही बड़े भाई को गाँव और आसपास के गाँव में जमीन के ख़रीदारों से फोन पर बाक्त करने को कहा जिससे गाँव की जमीन बेचकर कहीं और रहने का किया जाए...क्योंकि इस दुश्मनी के बाद गाँव का माहौल इनके परिवार के लिए सुरक्शित नहीं रह गया था।

इसी दौरान में दिल्ली में रह रहे देव के बहन-बहनोई ने मध्य प्रदेश में ग्वालियर के पास राजस्थान के कोटा जिले की सीमा पर कुछ जमीन खरीदीं और उनकी देखभाल के लिए रमेश को कुसुम, सरला व पप्पू की पत्नी के साथ वहाँ पहुँचकर रहने को कहा। इन सब को वहाँ भेजकर देव भी निश्चिंत होकर अपनी नौकरी करने लगा। धीरे-धीरे इन लोगों ने भी अपने गाँव की जमीन बेचकर वहीं ग्वालियर में जमीन खरीद ली और बस गए। उसी दौरान रवीद्र ने भी अपने पिता की ननिहाल की जमीन और हवेली जो रवीद्र के पिता के नाम पर थी लेकिन चाचा देवराज के कब्जे में थी....अपने कब्जे में ले ली और विक्रम को वहाँ की ज़िम्मेदारी सौंप दी, विक्रम अपने साथ गाँव से परिवार के ताऊजी के बेटे सुरेश को भी साथ ले गया जो उसके साथ दिल्ली पढ़ता था। ये हवेली राजस्थान के कोटा जिले में मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले की सीमा पर थी.......... यानि देव के परिवार और रागिनी/विक्रम जिस हवेली में रह रहे थे उनमें मात्र 20-25 किलोमीटर का फासला था लेकिन ना तो ऐसा संयोग बन सका जो वो एक दूसरे के संपर्क में आते और ना ही विक्रम ने उनका पता लगाने की कोशिश की।

“दीदी! अगर विक्रम मेरा कहा मानता तो आज आप दोनों की शादी नहीं आपके बच्चों की शादी के लिए हम सब इकट्ठे हो रहे होते” सुनकर देवराज और रागिनी ने अपनी आँखें पोंछते हुये एक-दूसरे की ओर देखा

“कोई बात नहीं रवि! वक़्त ही तो निकला...ज़िंदगी तो अभी बाकी है....ये तो साथ जी ही लेंगे” रागिनी ने रवीद्र को अपनी बाहों में भरते हुये कहा।

.......................................................
Greattt bro. Such a mind blowing update and your writing skill. :applause: :applause: :applause:

Vikram to chor nikla bro. Apne father ki tarah hi karm kiye isne. Starting me hi dikhaya tha aapne ki wo ragini memory loss ka kaise faayda uthaya tha. I mean ragini ko apni maa bana diya aur usse prem karne ka dhog bhi karne laga. Ragini ko kya pata ki wo jise dil se chaahne lagi thi wo uska bhai hai. Prabal jo uska beta tha use apna bhai bana diya. Vikram ka character kafi kharab laga bro. Agar ye maan le ki usne ragini anuradha and prabal ki safety ke liye unhe apne paas rakha to fir aise relation kyo banaye unse. Ragini ke sath jo kiya and jo relation banaya wo galat tha. Ragini galat nahi thi bcoz uski to memory hi loss thi. :coffee1:

Devraj and ragini ki love story fabulous lagi bro. Dono ne apni apni jagah bahut dukh jhela and ab finally milan ki ghadi aa hi gai. Kissa khatam ho gaya and ab dekhte hain ki present me kya hota hai. :coffee1:

Overall fabulous story bro. Let's see what happens next.
:bsanta:

:celebconf::celebconf::celebconf::celebconf::celebconf::celebconf:
 

404

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bhiya ek baat batao .. aapki ab tak ki kahani mein jitne bhi VIJAY naam waale log hai .. ve sab itne bade kaandi kyo hai .. VijayRaj, Vijay Singh, Vikram urf RannVijay .. ya aapne ek category define kar di hai ki jitne bhi pariwaar mein aibi log hai unke naam Vijay rakh do ... ::rolleyes:

ab jara Vikram bhiya ki baat kar le .. iss baar to aapne unhe chor hi bana diya .. ek to ye baat clear nahi kari ki uss time Vikram ki umar kitni thi .. wo uss waqt school mein the ya fir school ke saath-saath kuch aur kaand karne laga tha .. kya jo paise churaye wo ghar ki majboori ke chalte .. ya fir aiyaashi ke liye .. kyonki uss waqt tak Vikram bhiya ne college shuru nahi kiya tha to Nilofer waala matter to nahi ho sakta mein .. aur jab Raagini didi apni daadi ke saath reh rahi thi to Vikram kiske paas rehte the .. kyonki inke aadarniye pitaji to apni deen-duniya mein he mast the .. aur sabse badi baat .. jab Vikram Kota wali haweli mein Raagini didi aur baccho ke saath reh rahe the to Ravinder bhiya ne hastshep kyon nahi kiya .. sirf bol kar he kyon chupp reh gaye .. Raagini didi ki zindagi sudharne ki baat ko lekar Vikram ji par dabaav kyon nahi banaya .. ab to VijayRaj ji bhi nahi the .. par lagta hai Ravinder bhiya bhi apni zindagi aur biwi-baccho mein mast the ...

Devraj ji ki Raagini didi ke chakkar mein tabahi he rahi saari zindagi .. becharo ki saari jawaani pyaar ki chaah mein bali chad gayi, par ek baat maan-ni padegi ki inse bada koi saccha aashiq nahi ho sakta, ki jis ladki ke se ye pyaar karte hai uske ghar waale itne kulakshan karte feerey aur saath mein badnaami bhi mile aur fir bhi ladki se rishta judne ke koi aasaar nahi bane .. aur aaj bhi ek moka dikha to seedhe mooh apni bhabi ke saath fir se us ladki ki darr par aa dhamke .. hai to ye bhi poore dheet he .. waise JiJa-saale ki aapas mein khoob jamegi .. :hehe:

abhi tak to VijayRaj ji ne he sabki jindagi mein bhuchaal la rakha tha .. ab ye Vijay Singh ji bhi aa padhaare .. aur ye Vijay Singh ji ne apne beto ka katl kyon kiya aur us naukar ka bhi .. waise sabse maadi kismat bechari Nirmala devi ji ki rahi .. ek to pehle se he apne 2-3 aulaad itne honhaar nikle fir upar se jamaayi raj ne bhi izzat uchaalne mein koi kami nahi chhodi .. aur sone par suhaaga Paute bhi usi raah par chale ...

waise yaha Ravinder ji ne bataya ki Vikram bhiya bhi apne pita ke nakshe kadam par chale .. par Vikram bhiya ne to college life mein kuch logo ki madad bhi ki thi Naazia aur apne pita ke sex racket se nikaalne mein .. aur drugs waale case mein bhi kuch students ko bachaaya tha .. fir aisa kaunsa galat kaam kar diya .. chudaayi karna galat to nahi agar kisi ko majboor karke ya jor jabardasti se na kari jaaye .. Vikram bhiya ki GF poonam thi jo aaj unke cousin Suresh ki wife hai aur Raagini didi ki dost ...

aur dusri baat jab Vikramaditya urf RannVijay ki jeevani sunayi jaa rahi thi to jab to kahi bhi Vikaram bhiya ko itna galat dikhaya gaya .. aur muzhe poora yakeen hai ki .. agar Raagini didi ki shaadi nahi karwayi to uske peeche bhi koi kaaran hoga .. sirf apne swaarth ke liye to aisa nahi kiya hoga ...

waise jab pariwaar aur sage-sambandiyo mein sab itne pratibhawaan log hai to aap kaise peeche reh gayi :D .. waise aap bhi jyaada peeche nahi rahe .. ek biwi ko apne se door kiya hua hai aur doosri ke saath vanwaas kaat rahe ho .. 2-4 mahatama aur na hue aapke jaise nahi to 5va Ved bhi likh diya jaata kalyug mein ... ha ha ha

waise kuch bhi kaho Dev fufa ji ki bhabi Sarla ji mast hai .. aur in dono devar-saali ki aapas mein jamti bhi poori hai .. par bechari badi bhabi akeli reh gayi ...

kyonki jitni bhi baate aapne abhi Dev ji ki jeevani batate hue hamare saamne rakhi ye sab Vikram bhiya ke jeevan par prakash daalte hue nahi sabke saamne rakhi .. daal mein kuch to kaala hai .. aur upar se isko banane wala rasoiya to sabse badi paheli... :hinthint2:

abhi tak to poora namak mirch chidak-chidak kar ye daal poori chatpati bana di hai .. ab agar aur kuch kami reh gayi hai to aap isme tadka lagane se bhi baaz nahi aaoge .. jab tak ki Mooh aur peeche aag na lag jaaye ... :hot:
 
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kamdev99008

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bhiya ek baat batao .. aapki ab tak ki kahani mein jitne bhi VIJAY naam waale log hai .. ve sab itne bade kaandi kyo hai .. VijayRaj, Vijay Singh, Vikram urf RannVijay .. ya aapne ek category define kar di hai ki jitne bhi pariwaar mein aibi log hai unke naam Vijay rakh do ... ::rolleyes:

ab jara Vikram bhiya ki baat kar le .. iss baar to aapne unhe chor hi bana diya .. ek to ye baat clear nahi kari ki uss time Vikram ki umar kitni thi .. wo uss waqt school mein the ya fir school ke saath-saath kuch aur kaand karne laga tha .. kya jo paise churaye wo ghar ki majboori ke chalte .. ya fir aiyaashi ke liye .. kyonki uss waqt tak Vikram bhiya ne college shuru nahi kiya tha to Nilofer waala matter to nahi ho sakta mein .. aur jab Raagini didi apni daadi ke saath reh rahi thi to Vikram kiske paas rehte the .. kyonki inke aadarniye pitaji to apni deen-duniya mein he mast the .. aur sabse badi baat .. jab Vikram Kota wali haweli mein Raagini didi aur baccho ke saath reh rahe the to Ravinder bhiya ne hastshep kyon nahi kiya .. sirf bol kar he kyon chupp reh gaye .. Raagini didi ki zindagi sudharne ki baat ko lekar Vikram ji par dabaav kyon nahi banaya .. ab to VijayRaj ji bhi nahi the .. par lagta hai Ravinder bhiya bhi apni zindagi aur biwi-baccho mein mast the ...

Devraj ji ki Raagini didi ke chakkar mein tabahi he rahi saari zindagi .. becharo ki saari jawaani pyaar ki chaah mein bali chad gayi, par ek baat maan-ni padegi ki inse bada koi saccha aashiq nahi ho sakta, ki jis ladki ke se ye pyaar karte hai uske ghar waale itne kulakshan karte feerey aur saath mein badnaami bhi mile aur fir bhi ladki se rishta judne ke koi aasaar nahi bane .. aur aaj bhi ek moka dikha to seedhe mooh apni bhabi ke saath fir se us ladki ki darr par aa dhamke .. hai to ye bhi poore dheet he .. waise JiJa-saale ki aapas mein khoob jamegi .. :hehe:

abhi tak to VijayRaj ji ne he sabki jindagi mein bhuchaal la rakha tha .. ab ye Vijay Singh ji bhi aa padhaare .. aur ye Vijay Singh ji ne apne beto ka katl kyon kiya aur us naukar ka bhi .. waise sabse maadi kismat bechari Nirmala devi ji ki rahi .. ek to pehle se he apne 2-3 aulaad itne honhaar nikle fir upar se jamaayi raj ne bhi izzat uchaalne mein koi kami nahi chhodi .. aur sone par suhaaga Paute bhi usi raah par chale ...

waise yaha Ravinder ji ne bataya ki Vikram bhiya bhi apne pita ke nakshe kadam par chale .. par Vikram bhiya ne to college life mein kuch logo ki madad bhi ki thi Naazia aur apne pita ke sex racket se nikaalne mein .. aur drugs waale case mein bhi kuch students ko bachaaya tha .. fir aisa kaunsa galat kaam kar diya .. chudaayi karna galat to nahi agar kisi ko majboor karke ya jor jabardasti se na kari jaaye .. Vikram bhiya ki GF poonam thi jo aaj unke cousin Suresh ki wife hai aur Raagini didi ki dost ...

aur dusri baat jab Vikramaditya urf RannVijay ki jeevani sunayi jaa rahi thi to jab to kahi bhi Vikaram bhiya ko itna galat dikhaya gaya .. aur muzhe poora yakeen hai ki .. agar Raagini didi ki shaadi nahi karwayi to uske peeche bhi koi kaaran hoga .. sirf apne swaarth ke liye to aisa nahi kiya hoga ...

waise jab pariwaar aur sage-sambandiyo mein sab itne pratibhawaan log hai to aap kaise peeche reh gayi :D .. waise aap bhi jyaada peeche nahi rahe .. ek biwi ko apne se door kiya hua hai aur doosri ke saath vanwaas kaat rahe ho .. 2-4 mahatama aur na hue aapke jaise nahi to 5va Ved bhi likh diya jaata kalyug mein ... ha ha ha

waise kuch bhi kaho Dev fufa ji ki bhabi Sarla ji mast hai .. aur in dono devar-saali ki aapas mein jamti bhi poori hai .. par bechari badi bhabi akeli reh gayi ...

kyonki jitni bhi baate aapne abhi Dev ji ki jeevani batate hue hamare saamne rakhi ye sab Vikram bhiya ke jeevan par prakash daalte hue nahi sabke saamne rakhi .. daal mein kuch to kaala hai .. aur upar se isko banane wala rasoiya to sabse badi paheli... :hinthint2:

abhi tak to poora namak mirch chidak-chidak kar ye daal poori chatpati bana di hai .. ab agar aur kuch kami reh gayi hai to aap isme tadka lagane se bhi baaz nahi aaoge .. jab tak ki Mooh aur peeche aag na lag jaaye ... :hot:
1- bhai jahan tak vijay naam ki baat hai to .....purane jamane mein ek parampara hoti thi....ya ise ek fashion kah lo............ ek pariwar ke bachchon ke naam aur kapde jyadatar ek jaise hi hote the.....alag hone ki sirf koi khas wajah hi hoti thi.................. mere pariwar mein ghar mein paida huye beti bete ke sath-sath dusre pariwaron se aye bahu-damaad tak sabhi ke nam mein lagbhag 50% 'S' se shuru hote hain, 40% 'R' se aur matr 10% other letters se................. to iski koi khas vajah nahin sirf ek sanyog hai

2- vikram bahut emotional aur man ka saaf...sirf tab hi nahin tha...ab tak bhi hai..... sabse use bahut moh hai.......... lekin uske andar 2 kami thi jiski wajah se usne bahut sari galtiyan ki....
pahli to... shortcut se jaldi ameer ban jane ki lalsa(jo lagbhag 99% logon me hoti hai lekin himmat kuchh mein hi hoti hai)....................jiske chalte usne bahar jo kuchh kiya...wo pariwar ke flashback me samne ayega..... lekin ghar mein ye pahla aur akhiri karnama kiya--devraj ke sath
dusri kami...... kisi bhi faisle ke baad mein hone wale prabhav ko soche bina tatkal...abhi ke liye jo theek lage wo faisle le lena... jiski wajah se ragini ki jindgi ke 20 saal kharab ho gaye,,,,,,,,,,,,, vikram ki niyat galat nahin thi...... faisle aur samajh galat thi

3- ravinder yani mere sawaal hai to meri jindgi mein apni pareshaniyan thi.... aur usse bhi badi jimmedariyan..... mein un samaj sewakon mein se nahin jo apni jimmedariyon se munh chhupakar duniya ka uddhar karne ka dikhava karte hain..... mere liye meri jimmedariyan pahle hain.... haa dusre ki mushkilo ko khatm karne ki salah de sakta hoon...rasta dikha sakta hoon...chalna use khud ko hi hoga..................... is sansar mein jo apne liye bhi nahin kar sakta .......................wo dharti ka bojh hai aur uska dharti se uth jana hi behtar hai....
baaki dhire-dhire sabkuchh apke samne ata jayega.... khud faisla kar lena.....kiski kitni galti hai aur kaun gunahgar..... haan........... masoom koi bhi nahin............itna hi kah sakta hoon

4-devraj ji urf dev meri jindgi mein aye lakhon logon mein se akele aise hain...jinke liye kah sakta hoon...ki..... ye duniya unke layak nahin hai.... unke hone se is duniya mein kuchh positivity ayi........... bestever person, i've seen in my life.......... aaj tak

5- jahan tak nirmala devi, vijay singh ya pariwar ke aur sadasyon ka sambandh hai...... dhire-dhire sabke chehre apke samne benakaab hote jayeinge..... tab faisla kar lena.... kaun jyada bechara hai aur kaun jyada kameena

ab baat aati hai ravindra.............yani mujh par................ to meine apni jindgi mein kuchh bhi aisa nahin kiya jo achchha ho..... balki wo kiya jo uchit tha sabke liye............ kisi ek do ke liye nahin........sabke liye.......................aur naa hi mein kabhi achchha banna chahta hoon.....bura sabit hokar bhi agar galat hone se rok saku to mera is dharti par janm lena safal ho jayega...................

mein asamajik hoon..........apne aaradhya MAHADEV ki tarah.... marghat (shmashan) mein bhi khush aur parvat (kailash) par bhi khush... samaj ya vyavastha ko nahin apne dayitv ko prathmikta deta hoon.........
 
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1- bhai jahan tak vijay naam ki baat hai to .....purane jamane mein ek parampara hoti thi....ya ise ek fashion kah lo............ ek pariwar ke bachchon ke naam aur kapde jyadatar ek jaise hi hote the.....alag hone ki sirf koi khas wajah hi hoti thi.................. mere pariwar mein ghar mein paida huye beti bete ke sath-sath dusre pariwaron se aye bahu-damaad tak sabhi ke nam mein lagbhag 50% 'S' se shuru hote hain, 40% 'R' se aur matr 10% other letters se................. to iski koi khas vajah nahin sirf ek sanyog hai

2- vikram bahut emotional aur man ka saaf...sirf tab hi nahin tha...ab tak bhi hai..... sabse use bahut moh hai.......... lekin uske andar 2 kami thi jiski wajah se usne bahut sari galtiyan ki....
pahli to... shortcut se jaldi ameer ban jane ki lalsa(jo lagbhag 99% logon me hoti hai lekin himmat kuchh mein hi hoti hai)....................jiske chalte usne bahar jo kuchh kiya...wo pariwar ke flashback me samne ayega..... lekin ghar mein ye pahla aur akhiri karnama kiya--devraj ke sath
dusri kami...... kisi bhi faisle ke baad mein hone wale prabhav ko soche bina tatkal...abhi ke liye jo theek lage wo faisle le lena... jiski wajah se ragini ki jindgi ke 20 saal kharab ho gaye,,,,,,,,,,,,, vikram ki niyat galat nahin thi...... faisle aur samajh galat thi

3- ravinder yani mere sawaal hai to meri jindgi mein apni pareshaniyan thi.... aur usse bhi badi jimmedariyan..... mein un samaj sewakon mein se nahin jo apni jimmedariyon se munh chhupakar duniya ka uddhar karne ka dikhava karte hain..... mere liye meri jimmedariyan pahle hain.... haa dusre ki mushkilo ko khatm karne ki salah de sakta hoon...rasta dikha sakta hoon...chalna use khud ko hi hoga..................... is sansar mein jo apne liye bhi nahin kar sakta .......................wo dharti ka bojh hai aur uska dharti se uth jana hi behtar hai....
baaki dhire-dhire sabkuchh apke samne ata jayega.... khud faisla kar lena.....kiski kitni galti hai aur kaun gunahgar..... haan........... masoom koi bhi nahin............itna hi kah sakta hoon

4-devraj ji urf dev meri jindgi mein aye lakhon logon mein se akele aise hain...jinke liye kah sakta hoon...ki..... ye duniya unke layak nahin hai.... unke hone se is duniya mein kuchh positivity ayi........... bestever person, i've seen in my life.......... aaj tak

5- jahan tak nirmala devi, vijay singh ya pariwar ke aur sadasyon ka sambandh hai...... dhire-dhire sabke chehre apke samne benakaab hote jayeinge..... tab faisla kar lena.... kaun jyada bechara hai aur kaun jyada kameena

ab baat aati hai ravindra.............yani mujh par................ to meine apni jindgi mein kuchh bhi aisa nahin kiya jo achchha ho..... balki wo kiya jo uchit tha sabke liye............ kisi ek do ke liye nahin........sabke liye.......................aur naa hi mein kabhi achchha banna chahta hoon.....bura sabit hokar bhi agar galat hone se rok saku to mera is dharti par janm lena safal ho jayega...................

mein asamajik hoon..........apne aaradhya MAHADEV ki tarah.... marghat (shmashan) mein bhi khush aur parvat (kailash) par bhi khush... samaj ya vyavastha ko nahin apne dayitv ko prathmikta deta hoon.........
Sach me....Devraj jaise log birle hi hote hai.... True love...... Exceptional.
 
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