आप जैसे लेखक की लेखनशैली से तो मृत पुष्प में भी जीवन और उसके सुगंध में वृद्धि हो जाती है।swagat hai mitr...................pura prayas karunga ki apki apekshaon ko pura kar saku................
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bas meri kahani mein 2 hi chijein apko nahin mileingi
1- figure aur khoobsoorti ka description aur detail ke sath chudai ka vivran............... kyonki sex ko mein feelings se jodta hoon........... na ki hotness se
2- incest relations mein sex hote huye bhi rishte ko jinda banaye rakhna....usko ahmiyat dena mujhe pasand hai................ maa-bete ki nakli shadi, mangalsutr pahnana.... ye -vo ................inmein se koi bhii chutiyapa mujhe pasand nahin
kyonki mein ...............incest me real kinkiness tabhi maanta hoon.............ki........... jiski raat mein gaaliyan deke choot maari ho...... wo hi din mein sabke samne tumhare kaan pe 2 thappad marke tumhein dominate bhi kar sake............relation mein badi hone ki wajah se...........
baaki ...........samay batayega..................... aur jald hi is kahani par meri life ka flashback shuru hoga...............usmein sirf aur sirf incest hi bhara pada hai................. apko sabhi tarah ke chhote-bade relations aur unse sex ki kinkiness dekhne ko milegi............ pyar, hawas, nafrat aur dar........har situation jo chudai ki wajah bani
keep reading...................
agla update likh raha hoon........aaj raat/subah........ ya kal raat ko post karunga.............complete hone par
जहां तक बात रही माँ-बेटे की शादी और मंगलसूत्र की तो वो विचित्र भले ही लगे मगर उसमे भी एक रस है, विलक्षण रस।
ज्यादातर मंच में ऐसे लेखक है जो कहानी शुरू तो कर देते है मगर उसे किस तरह उसके अंत में पंहुचा देते है शायद यही कारण रहा की की इसका ठीक से उपयोग नहीं किया।
गॉसिप में मेरे मित्र हुआ करते थे सुपर आशिफ उनकी लेखनशैली भी आसाधारण, अपूर्व और विशेष थी, बहुत दुःख की बात है की मंच के नष्ट होने के बाद हमने उन्हें खो दिया और उन जैसे कितने बेहतरीन लेखक बिखर कर गुम हो गए।
खेर किसी को हो न हो, मुझे पूर्ण विश्वास है की अगर आप इन तत्वों के साथ भी लिखे तो वो कहानी भी असाधारण हो जाएगी।
आपने अगर मस्त रानी की कहानी पढ़ी हो तो उसके संवाद की प्रशंसा अवश्य करेंगे।
उर्मिला : फिर क्या ?... हम दोनों किसी बहाने से घर से निकलते. वो मुझे अपनी साइकल पर बिठा के पास के जंगल ले जाता. जंगल में वो अपनी पैंट उतरता और मैं उसके मोटे लंड पर राखी बाँध देती. फिर वो मुझ पर चढ़ाई कर देता. वो 'बहना' 'बहना' कहते हुए मेरी बूर में लंड पेलता और मैं 'भैया' भैया' कहते हुए उसका लंड बूर में लेती.