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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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firefox420

Well-Known Member
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Sanju bhai se apna koi bair nahi hai FF bhai. Ab unhone kaam hi aisa kiya hai ki apna bhi dusre manchalo ki tarah unhe chhedne ka dil kiya. Ye jaante huye bhi ki inke paas se kuch milne wala nahi hai fir bhi,,,,,:lol:

Kamdev bhaiya ke bare me aapne 1001% sach baat kahi. Ye yaha par hi tees maar khaan bane huye hain. Khair aap to sab jaante hain main zyada bolu. Mujhe to aapne patri par la diya magar inhe lana aapke bas me nahi hai ye pakki baat hai. Ya fir aisa ho sakta hai ki bhabhi ji se contact kijiye, shayad baat ban jaye,,,,,:lol1:

becharo ko kahi to udd lene do .. ab to bas inke liye yahi ek jagah bachi hai pankh failane le liye .. aur inki Shrimati ji ko inke vishay mein jara sa bhi aabaas hua to inke bache kuche parr bhi kutar diye jaayenge ...

waise ek baat note karne wali hai ki .. inhone jab se kahani shuru ki thi .. jab se halla kata hua tha ki main apni life ke kisse likhne shuru karunga .. aur jab likhne ki baari aayi to taay-taay fiss .. hadd hai ...

muzhe pata tha aisa he kuch hoga .. isi liye maine kahani ke baaki kirdaaro ke vishay mein pehle likhne ko kaha tha .. magar ye apni zidd par ade rahe .. ab na to inhone apni jeevni likhi aur na baakiyo ki .. aur ab pooch lo ki kaha ho .. to abhi jawaab milega ki .. main noida mein apne rishtedaaro ke yaha se nikal chuka hu .. aur apne gaanv pahuch kar fir se likhna shuru karunga .. magar pata nahi .. ghar jaane ke liye bhi kya ye bijli aur laptop ka prayog karte hai .. jo time se nahi pahuch pa rahe ... :hehe:
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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bhai logo.....launge me bhi ....moksh ki thread hai... ye sari bakchodi (sexchat :D) wahin transfer kar lo......
bilkul sanskarheen ho gaye hain mere bhai bahan..... apni bhabhi ka majak uda rahe ho....
update bhi milega... bas thoda technical issue me uljha hua hu.... isliye gati ruk gayi hai......
aur apni bhabhi ke bare me kuchh mat bolna :nana:
ghar to chhod hi diya....forum bhi chhodni padegi ........unke dar se....

anyway... update lagbhag taiyar hai....rat ko deta hu.....
 

DARK WOLFKING

Supreme
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कामदेव भाई.... एक तो मैंने बिना सोचे समझे वर्षा ऋतु के नाम से एकाउंट खोल लिया और उसके बाद कहानी भी लिखना शुरू कर दिया । अब ये नाम... मेरे गले का जंजाल बन गया है.... प्रायः लोग मुझे छोकरी समझ कर के मैसेज कर रहे हैं.... भगवान जाने कैसे लड़कियां इन नालायकों को मैनेज करती होंगी । कोई उपाय है क्या नाम चेंज करने का ?
name change kaise kiya ??? mujhe bhi karna hai ,waise ye sawaal maine ask staff me poochha hai abhi ..
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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अध्याय 47

“सुशीला! ये विक्रम यहाँ क्या कर रहा है” रागिनी ने गुस्से से कहा तो सुशीला को हंसी आ गयी

“दीदी! आप भी ना। अब ऐसे मौके पर भाई ना हो तो कौन होगा। लगता है कन्यादान नहीं करना आपको। इसी घर में जमे रहना है” सुशीला ने हँसते हुये मज़ाक में कहा लेकिन रागिनी के तेवर नहीं बदले

“आप हैं मेरे पास और रवीद्र भी। मुझे इसकी जरूरत नहीं अपनी शादी में, मेरा कन्यादान भी आप लोग ही करेंगे” रागिनी ने फिर से गुस्से में कहा तो कमरे के बाहर किसी काम से सुशीला को बुलाने आए अनुराधा और भानु वहीं रुक गए और एक दूसरे की ओर देखने लगे।

तभी उन्हें अपने पीछे किसी के होने का आभास हुआ तो पलटकर देखा। पीछे रणविजय आँखों में आँसू लिए खड़ा हुआ था। शायद रणविजय ने भी अंदर चल रही सुशीला और रागिनी के बीच की बातों को सुन लिया था। उन दोनों से नज़रें मिलते ही रणविजय वापस मुड़कर ड्राइंग हॉल की ओर चल दिया। अनुराधा भी उसके पीछे गयी और ड्राइंग हॉल में उसके सामने पहुँचकर उसका हाथ पकड़ा और बाहर की ओर चल दी। बाहर आकर अनुराधा ने अपनी गाड़ी का लॉक खोला और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठती हुई रणविजय को दूसरी ओर बैठने का इशारा किया।

रणविजय अपनी भावनाओं में इतना डूबा हुआ था की बिना सोचे समझे सिर्फ अनुराधा के इशारे पर उसके साथ गाड़ी में बैठ गया और वो दोनों वहाँ से चल दिये......। लगभग आधे घंटे बाद अनुराधा ने गाड़ी ले जाकर राजघाट के पास यमुना नदी के किनारे किनारे बनाए गए उपवन में खड़ी की। यहाँ शाम के समय तो काफी भीड़ रहती थी...लेकिन इस समय कोई भी नहीं था.... कई किलोमीटर में फैले इस उपवन में कहीं 100-200 मिटर दूर ही कुछ नगर निगम कर्मचारी पेड़ों के नीचे पड़े सोते हुये दिख रहे थे। अनुराधा ने गाड़ी पार्किंग लें में लगाई और उतरकर विक्रम का हाथ पकड़कर अंदर गयी और एक पेड़ के नीचे खुद बैठते हुये रणविजय को भी बैठा लिया।

“आप जानते हैं में हमेशा से आपसे प्यार और माँ से नफरत करती थी?” अनुराधा ने चुप्पी तोड़ते हुये कहा तो रणविजय ने चौंकते हुये उसकी ओर देखा

“क्या कहा तुमने? और दीदी ने ऐसा क्या कर दिया जो तुम उनसे नफरत करने लगीं” रणविजय ने खुद को जो अभी तक दर्द में डुबोया हुआ था ...उससे बाहर आते हुये कहा

“आज वो आपके लिए दीदी हो गईं....जो कल तक रागिनी हुआ करती थीं। याददास्त उनकी गयी थी या आपकी?”

“अब तुम भी मुझपर वही इल्जाम लगा दो जो दीदी ने लगाया....कि मेरी ही नियत में खोट था” रणविजय ने उसकी आँखों में देखते हुये वेदना भरे स्वर में कहा

“नहीं में आप पर कोई इल्जाम नहीं लगा रही.... आप मुझसे बड़े हैं...तो आप मुझसे ज्यादा समझदार भी होंगे ये उम्मीद रखती हूँ... इसीलिए ऐसा कहा” अनुराधा ने थोड़ा रुककर आगे कहना शुरू किया “में आपसे इसलिए प्यार करती थी क्योंकि आपने हम सबके लिए इतना कुछ किया लेकिन कभी कुछ न तो हमसे पाना चाहा और ना ही अपनी ज़िंदगी के लिए कुछ किया ......... जबकि माँ मतलब रागिनी बुआ आपके एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार थी। मुझे आपके हवस भरे चरित्र के बारे में भी बहुत कुछ समझ में आ गया था... लेकिन आपने कभी मेरी या माँ की ओर नजर उठाकर भी नहीं देखा... इसीलिए में आपसे प्यार करती थी....कभी-कभी मुझे लगता था कि आपने मुझसे भाई का रिश्ता क्यों जोड़ा?”

“भाई का रिश्ता क्यों जोड़ा? क्या मतलब हुआ इसका.... क्या तुम्हें पहले ही पता चल गया था कि तुम मेरी बहन नहीं हो?” रणविजय ने चौंकते हुये कहा

“हाँ! में जैसे ही कुछ समझदार हुई साथ पढ़ने वाली लड़कियों से जो जानकारी मिली...उसके हिसाब से में रागिनी बुआ की बेटी हो ही नहीं सकती थी.... उनकी उम्र और मेरी उम्र में इतना अंतर ही नहीं था.... में उन्हें सौतेली माँ समझती थी। और उनके मन में आपके लिए प्यार का अहसास पाते ही मेरे मन में उनके लिए नफरत के सिवा कुछ भी नहीं बचा......” अनुराधा ने कहा तो रणविजय एक ठंडी सांस भरकर रह गया

“लेकिन अब तो सबकुछ तुम्हारे सामने है.... जो बीत गया उसमें मेंने गलत किया या सही... उसके लिए अब मुझे यू नफरत कि आग में झोंकना कहाँ सही है दीदी का। और तुम मुझे यहाँ क्यों लेकर आयी ये भी मेरी समझ से परे है” रणविजय ने थोड़ी देर चुप रहने के बाद कहा

“में माँ के आज के रवैये को देखकर समझ चुकी हूँ कि उनको समझा पाना आपके बस की बात नहीं... उल्टा आप जितना उन्हें समझाने कि कोशिश करोगे उतना ही वो और भी चिढ़कर नफरत करने लगेंगी... इसलिए अब में आपको किसी के पास लेकर जाना चाहती हूँ... अकेले वो ही हैं जो अब माँ को समझा सकते हैं” अनुराधा ने कहा

“कौन? कौन हैं वो.... रवीन्द्र भैया?” रणविजय ने कहा

“नहीं... आपके...” कहते कहते अनुराधा रुक गयी जैसे सोच रही थी कि बताए या न बताए

“मेरे कौन? रुक क्यों गयी... बताओ” रणविजय बोला

“आपके पिताजी” सुनते ही रणविजय के चेहरे पर गुस्सा और नफरत दिखने लगी। वो कुछ कहने को हुआ तभी अनुराधा ने आगे बोलना शुरू किया “ना...ना... गुस्से से नहीं ठंडे दिमाग से काम लो.... अभी किसी का समझाया कुछ भी माँ की समझ में नहीं आयेगा.... न उनका गुस्सा कम होगा.... लेकिन आपके पिताजी के सामने आने पर जो गुस्सा और नफरत माँ के मन मे भरी है वो आपकी बजाय उनके ऊपर केन्द्रित हो जाएगी... उस स्तिथि में आपको वो अपना भी सकती हैं”

“लेकिन तुम्हें उनका पता कैसे चला कि वो हैं कहाँ... में और शांति इतने सालों से ढूंढ रहे हैं.... हमें क्यूँ नहीं पता चला और तुम्हें तुरंत ही मालूम हो गया उनके बारे में” रणविजय बोला

“क्योंकि आपने अपना दिमाग चलाया अपने तरीके से.... जबकि इस परिवार में दिमाग से तो कोई भी कमजोर नहीं है.... तो पता कैसे चल सकता था.... लेकिन रवीन्द्र ताऊजी की एक सबसे बड़ी विशेषता जो मेंने आप सबके अनुभवों से जानी.... वो यही है.... कि वो दिमाग और दिल का खतरनाक संयोग हैं....इस घर में चाहे कोई किसी के बारे में ना जानता हो लेकिन वो सब के बारे में जानते हैं और सब उनके बारे में .... ये उनकी सोची समझी व्यवस्था है.... वरना जब आप ही नहीं आपके पिताजी सभी भाई भी कभी गाँव में नहीं रहे....हमेशा शहर बल्कि बड़े बड़े शहरों में रहे ....तो वो इस पिछड़े गाँव में आकर क्यों रहने लगे?”

“हम्म! कह तो तुम सही रही हो” रणविजय ने मुसकुराते हुये कहा “अच्छा में अब तुम्हारी बात समझ गया.... चलो अब जल्दी से वहीं चलते हैं...... लेकिन वो हैं कहाँ?”

“चलिये बैठिए.... कुछ ज्यादा दूर नहीं यहीं पास में ही हैं........ आपके पुराने शहर........नोएडा में”

...................................

“दीदी क्या हुआ ये विक्रम और अनुराधा कहाँ भेजे हैं..... मेंने आवाज भी दी तब भी नहीं रुके” नीलिमा ने आकर रागिनी से कहा तो वो दोनों चौंक गईं

“हम ने तो कहीं नहीं भेजा....और न ही विक्रम न अनुराधा यहाँ आए” सुशीला ने कहा

“लेकिन दीदी वो तो यहीं आपके पास आए थे और फिर यहीं से बाहर निकले चले गए बड़े तेजी से.... अनुराधा ने उनका हाथ पकड़ा हुआ था” नीलिमा ने फिर से अपनी बात पर ज़ोर देते हुये कहा

“माँ! चाची जी सही कह रही हैं.... और हम तीनों ने ही आपकी सब बातें सुन ली थीं इसीलिए चाचा बाहर निकाल गए.... पीछे पीछे अनुराधा भी उनके साथ ही निकल गयी....वो विक्रम चाचा को लेकर नोएडा गयी है..... विजय बाबा से मिलवाने” तभी भानु ने कमरे में घुसते हुये कहा तो तीनों अवाक रह गईं

“विजय बाबा! मतलब पिताजी.... वो नोएडा में रहते हैं” भानु की बात समझ में आते ही रागिनी एकदम बोली

“जी बुआ जी” भानु ने कहा

“लेकिन उनका पता अनुराधा को कैसे मालूम है....???” रागिनी ने आश्चर्य से कहा तो सुशीला कुछ कहते कहते रुक गयी और भानु की ओर घूरकर देखने लगीं तो भानु ने अपनी नजरें झुका ली

“बुआ जी! उन्हें फ़ालिज (पैरालिसिस) हो गया था पिछली साल तब से हमारे ही साथ रह रहे थे गाँव में.... उनका इलाज नोएडा में चल रहा था.... जब वो चलने-फिरने लायक कुछ सही सलामत हो गए तो पिताजी उन्हें नोएडा ले आए थे और यहीं रखा हुआ था....” भानु ने कहा

“लेकिन अनुराधा को कैसे पता चला?” रागिनी ने फिर पूंछा

“और कैसे पता चलेगा........इसी ने बताया होगा.... में गाँव से ही देखती आ रही हूँ.... इसकी और अनुराधा की कुछ ज्यादा ही घुटने लगी है” सुशीला ने गुस्से से कहा तो नीलिमा ने सुशीला के कंधे पर हाथ रखकर शांत करते हुये नजरें झुकाये खड़े भानु के सिर पर भी हाथ फिराया

“अब चलो जो भी जैसे भी हुआ..... पिताजी का पता तो चल ही गया। उन दोनों को वापस आने दो फिर देखते है” नीलिमा ने सबको शांत करते हुये कहा

...................................

“क्या विजयराज सिंह यहीं रहते हैं” अनुराधा ने दरवाजा खोलने वाली औरत से पूंछा

“जी हाँ! आप कौन?” उस औरत ने जबाब में अनुराधा से फिर सवाल किया

“जी ये मेरे साथ उनके बेटे आए हुये हैं .... उनसे मिलने” अनुराधा ने उस औरत को बताया

“आइये!” कहती हुई वो औरत दरवाजे से हटकर खड़ी हो गयी और अनुराधा के पीछे कुछ सोच में डूबे जमीन की ओर देखते रणविजय को घूरकर देखने लगी

“ विक्रम! कितना बदल गया...” अनुराधा जब उस औरत के बराबर से घर मे घुसी तो रणविजय को देखते हुये उस औरत के मुंह से हल्का सा निकला और वो पलटकर अंदर रसोईघर में को चली गयी

विक्रम ने भी नजरें उठाकर उसकी ओर देखा लेकिन तब तक वो पलट चुकी थी इसलिए विक्रम को उसका चेहरा नहीं दिखाई दिया सिर्फ पीठ ही दिखी। अनुराधा अंदर पहुंची तो हॉल में सामने एक तरफ सोफा पड़ा हुआ था और दूसरी ओर एक तख्त पर गेरुए कपड़े पहने एक बुजुर्ग बैठे हुये थे जिनकी निगाह दरवाजे की ओर ही थी। रणविजय (विक्रम) के अंदर घुसते ही जैसे उस व्यक्ति ने पहचान लिया हो और कुछ बोलने की कोशिश करने लगा।

रणविजय भी सीधा उनके पास गया और हाथ पकड़कर पास ही बैठ गया। रणविजय के हाथ पकड़ते ही उस आदमी यानि विजयराज की आँखों से आंसुओं की धार बंध गयी और वो विजयराज के गले लगकर रोने लगे। रणविजय भी उनको गले लगाए रोने लगा। हालांकि उनके पास आने तक उसके मन मे भी बहुत गुस्सा भरा हुआ था विजयराज के लिए.... बल्कि नफरत भरी हुई थी। लेकिन कुछ भी हो आज 20 साल बाद अपने पिता को देखा तो उसका भी मन पिघल गया और जब विजयराज ने उसे अपने गले लगाकर रोना शुरू किया तो वो भी रोये बिना नहीं रह पाया।

कुछ देर रोने बाद विजयराज ने रणविजय से अलग होते हुये सामने खड़ी अनुराधा की ओर देखा और उसे अपने पास आकर बैठने का इशारा किया तो अनुराधा भी आकर दूसरी तरफ उनके बराबर में वहीं तख्त पर बैठ गयी। विजयराज ने अनुराधा के सिर पर हाथ फेरा और उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर चूमा। फिर रणविजय की ओर देखकर इशारे से अनुराधा के बारे में पूंछा। लेकिन विक्रम का ध्यान इस बात पर था की वो कुछ बोल क्यों नहीं रहे।

“पिताजी! आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे....ऐसे इशारे से क्यूँ पूंछ रहे हैं?” रणविजय ने कहा विजयराज ने अपने होठों पर उंगली रखते हुये चुप रहने का इशारा किया...जो रणविजय की समझ मे नहीं आया कि उन्होने चुप रहने को क्यूँ कहा है

“चाचाजी! बाबा बोल नहीं सकते, पिछले साल इनको फ़ालिज हो गया था...दिमाग की कोई नस फटने से एक तरफ के आधे शरीर ने काम करना बंद कर दिया था। अब हाथ पैर तो कुछ काम करने लगे हैं लेकिन इनकी जुबान ने काम करना बिलकुल बंद कर दिया है...” अनुराधा ने रणविजय की बात का जवाब देते हुये कहा

“बेटी चाय ले जाओ आप?” तभी रसोई से उस औरत की आवाज आयी तो अनुराधा और रणविजय दोनों को ही अजीब लगा कि वो न तो तब से सामने आयीं और अब चाय भी लेकर यहाँ आने की बजाय अनुराधा को बुला रही हैं... लेकिन फिर भी अनुराधा चाय लेने रसोई की ओर चल दी। इधर उस औरत की बात सुनते ही विजयराज सिंह को गुस्सा आ गया और वो रणविजय को गुस्से में कुछ इशारे करने लगे। रणविजय ने ध्यान दिया तो वो अनुराधा को रोकने और रसोई से उस औरत को बाहर बुलाने को कह रहे थे। रणविजय ने देखा तो तब तक अनुराधा रसोई में जा चुकी थी इसलिए उसने विजयराज का हाथ अपने हाथों में लेते हुये शांत होने को कहा।

अनुराधा चाय लेकर उनके पास पहुंची और वहीं तख्त पर ही ट्रे रख दी... उस ट्रे में तीन कप देखकर विजयराज ने अनुराधा को इशारा कर रसोई में मौजूद उस औरत के बारे में पूंछा की उसकी चाय कहाँ है तो अनुराधा ने कहा की वो रसोई में ही चाय पियेंगी। अनुराधा का जवाब सुनकर विजयराज ने एक बार रणविजय की ओर गौर से देखा और फिर कुछ सोचकर ठंडी सांस भरते हुये चाय पीने लगा। रणविजय और अनुराधा ने भी अपनी चाय ली और चुसकियाँ भरने लगे।

थोड़ी देर बाद अचानक विजयराज को कुछ याद आया तो उसने दोबारा रणविजय से अनुराधा के बारे में इशारे से पूंछा कि वो कौन है। इस पर रणविजय थोड़ी देर चुप बैठा रहा फिर कुछ सोच-समझकर बोला

“पिताजी ये अनुराधा है” रणविजय के मुंह से अनुराधा सुनते ही विजयराज कि आँखें फिर से नाम हो गईं और उन्होने अपने सीने पर हाथ रखते हुये इशारा किया ‘अपनी अनुराधा’ जिसे समझकर रणविजय ने फिर कहा “जी हाँ अपनी अनुराधा... विमला बुआ की पोती” और विजयराज की ओर देखा तो वो रसोई की ओर देखते हुये कुछ इशारा कर रहा था तो रणविजय की नजरें भी उनकी नजरों का पीछा करते हुये रसोई की ओर उठीं वहाँ वो औरत रसोई से बाहर झांक रही थी लेकिन उसने अपनी साड़ी से अपना मुंह ऐसे ढक रखा था जैसे आँखों से आँसू पोंछ रही हो रणविजय को अपनी ओर देखते पाकर वो तुरंत वापस रसोई में घुस गयी। अनुराधा भी उसी ओर देखने लगी थी।

अब रणविजय को भी कुछ शक हुआ तो उसने विजयराज से पूंछा कि ये औरत कौन है और उसके सामने क्यों नहीं आ रही है। इस पर विजयराज ने कुछ इशारा किया लेकिन रणविजय या अनुराधा की समझ में नहीं आया तो दोनों फिर से विजयराज की ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखने लगे। इस पर विजयराज ने अपनी दोनों बाहों को आपस में मिलकर इशारा किया जैसे बच्चे को गोद में लेते हैं और अनुराधा की ओर देखते हुये अपने होठों को हिलाया। रणविजय ने होठों को पढ़ते हुये चौंककर विजयराज और अनुराधा की ओर देखा फिर रसोई की ओर देखते हुये बोला

“ममता! ये ममता है.... अनुराधा की माँ”

विजयराज ने हामी भरते हुये अनुराधा को रसोई की ओर इशारा किया लेकिन अनुराधा तो मुंह फाड़े कभी विजयराज तो कभी रणविजय को देख रही थी। विजयराज ने फिर रणविजय को इशारा किया अनुराधा को लेकर रसोई की ओर जाने का तो रणविजय ने उठकर अनुराधा का हाथ पकड़ा और रसोई की ओर चल दिया। अनुराधा बेसुध सी उसके पीछे-पीछे खिंचती हुई चली जा रही थी। रसोई के दरवाजे पर कदम रखते ही रणविजय ने देखा कि ममता दरवाजे से टिकी हुई रसोई के फर्श पर बैठी हुई साड़ी का पल्लू मुंह में दबाये रोये जा रही थी। रणविजय ने अनुराधा को आगे करके ममता की गोद में धकेल दिया और ममता के सिर पर हाथ फिरा के वापस बाहर चला आया और विजयराज के पास बैठकर जमीन पर नजरें गड़ाए कुछ सोचता रहा। बहुत देर तक दोनों बाप-बेटे चुपचाप बैठे रहे। उधर रसोई में से अनुराधा और ममता कि हल्की-हल्की सिसकियों की आवाज बाहर तक कभी-कभी सुनाई दे रही थी।

“विक्रम!” आवाज सुनते ही रणविजय ने नजर उठाकर सामने देखा तो अनुराधा को अपने साथ चिपकाए ममता खड़ी हुई थी

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kamdev99008

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Pahle to yahi laga kamdev bhai ki ye mahaj koi khwaab hai jo khuli aankho se dikh raha hai magar fir yakeen aa hi gaya ki nahi pagle ye koi khwaab nahi haqeeqat hai. Matlab ki bade bhaiya ji ne update de diya hai,,,,, :D

Bahut bahut shukriya iske liye,,,, :thank_you:


:reading:
bhiya update kuch jyaada bada ho gaya thoda chhota de diya karo .. mazaak nahi kar raha hu .. jitna likh kar post kiya iska aadha bhi chalega .. bas time interval thoda short rakh liya karo .. aapko bhi sahuliyat rahegi .. chhota update likhne mein aur hamara bhi jee laga rahega .. bade update ke chakkar mein time bhi jyaada lagta hai aur itne saare kirdaaro aur ghatnaao ka samnvye banane mein khopdi chakra jaati hai .. aap khud likhte ho to aapke dimaag mein har ek naam se ek chehra juda hua hai .. par hamare liye ye masla palat jaata hai .. to sabka taal-mel banane mein aur sab kuch sahi se samajhne mein time lagta hai ...

baaki padhne ko to simply read karke aage dusri kahani pe badh jaayo .. magar usme maza nahi .. jab tak sahi se samajh na aaye to kahani ke kirdaaro se judaav nahi hota .. aur jab tak judaav na ho paaye to kahani mein ruchi nahi banti .. chalo aapne update diya .. wo bhi surprise way mein ...

review kal likhne se pehle samajh kar phir post karunga ...
That's greattt bro. Ab baat clear samajh me aa gai. Thanks a lot bro. :)
Very nice story. Bahut achha likhte hain aap but starting ki conversation samajh nahi aai. Ragini ne police wale ko phone par ye bola ki wo vikramaditya ki maa hai aur whatsapp me jo message tha wo alag type ka. I mean love s related. Kya ragini aur vikramaditya maa beta nahi hai. Anuradha shayad is liye gusse me thi kyo ki usne wo message padh liya jo vikramaditya ne ragini ko bheja tha. But ye chakkar kya hai. shayad aage pata chale
* आज के अपडेट्स में ये तो पुरा क्लियर हो गया कि रागिनी की शादी देव से क्यों नहीं हुई.......
* बिमला का कैरेक्टर अभी भी खुल कर सामने नहीं आया है..... लेकिन उसका हसबैंड विजय सिंह..... बेचारा किसी के साजिश का शिकार हो गया........?
* सरला और कुसुम....दो भाभियां.... अपने बच्चों के समान देवर को यदि अपना दुध पिलाती हैं तो इसमें क्या ग़लत है ? ... सही करती हैं ।
" विजयराज.......नो कमेंट्स ।
* विक्रमादित्य...... विजयराज का बेटा..... आज का अपडेट पढ़ कर यही लगा कि वो भी अपने बाप के कदम नक्शों पर ही था ।
* एक जगह शायद आपने विक्रम को विक्रांत लिख दिया है ।


अब पुरा कहानी समझ में आ रहा है कामदेव भाई ?
मैं यहां जगमग जगमग तो नहीं लिख सकता लेकिन ये जरूर लिखूंगा..... Outstanding Story with fabulous update.
एक और सस्पेंस.... विजय सिंह ?
शायद फिर से कुछ समझ नहीं पाया.... ये आपकी असल जीवन पर आधारित स्टोरी है...?
जब आपने फ्लैशबैक में " मेरा " और " परिवार " पर वोटिंग के लिए बोला था तब मैं कन्फ्यूज में था....कि इसमें " मेरा " कहां से आ गया । मैंने सिम्पल वे में " मेरा " पर बटन दबा दिया ।

आप सच में कभी कभी बड़ी कन्फ्यूजन पैदा कर देते हो ?
Waaah kya baat hai kamdev bhai. Bahut hi umda update tha,,,,:claps:

Is update me kafi baate clear huyi aur is baar samajhne me bhi koi pareshani nahi huyi. Ye to mana ki family ke bade bujurgo ne bade kaand kiye the. Sabse pahle to ragini aur vikram ke baap ko hi dekh lijiye. Apni hawas ke siva usne kisi ke bare me kuch nahi socha. Agar socha hota to shayad aaj ragini aur vikram ki kahani kuch aur hi hoti. Vikram to khair ladka tha kisi tarah usne khud ko bada kiya magar apne baap ki tarah wo bhi gair jimmedaar hi nikla. Ragini ka safar yakeenan dar ba dar jaisi haalat me tha. Zindagi ne aise aise din dikhaye ki kisi thikane ko muqammal na kah saki,,,, :dazed:

Is kahani me yaha par devraj ne kafi prabhaavit kiya. Apne dil me ragini ke prati bepanaah mohabbat liye usne apni har khushi ko taak par rakh diya. Ek jimmedaar aur naukari pesha insaan jisne vikram ki naukari lagwaayi magar vikram chor nikla. 50 hazaar rupaye le kar faraar ho gaya aur devraj ki mushkilo me ek aur izafa kar diya. Laanat bhejne ka dil karta hai is vikram par,,,,, :bat:

Sarla aur devraj ke bich ka pyar achha laga. Devar bhabhi ki nok jhonk aur do arthi mazaak mazedaar tha. Khair last me shayad flashback end kar diya aapne aur present me aa gaye. Dekhte hain aage kya hota hai, magar devraj aur ragini ki prem kahani ne dil ko chhu liya aur ab is umar me dono ka milan bina koi bighn badha ke ho jana chahiye,,,, :pray:


Agle update ka badi shiddat se intzaar rahega kamdev bhai,,,, :D
Waaah kya baat kahi aapne,,,, :claps:
Parde ke pichhe rah kar rana ji dekhte rahe sabki kartoot aur jab paani sir ke upar ho gaya to sabki band baja di. Waah bahut khoob. Khair mazaak apni jagah. Is baat se main sahmat hu ki bure ka vinaash karna bhi dharm hai. Khair aapko to sab pata hai magar ham sab to abhi bhi is kahani ke anjaam se nawaaqif hain. Is liye aage ka intzaar rahega,,,,,,:yo:
Fir to aapko is kahani ke update dene me zara bhi deri nahi karni chahiye kamdev bhai,,,,,:dazed:
Matlab saal do saal tak aap aise hi hamara bheja fry karege aur update ke liye tarsayege,,,,, :D
wow aaj pehli baar aapke mukh se vikram ke liye hamdardi bhare shabd nikle.. naho to aaj tak to aapne bechare vikram ki haalat khrab ki hui hai.
Pariwaar se alag rah kar maje lete rahe apne se kam umar ki ladki se shadi karke. Aur dusro ko batate rahe ki wo kitne galat the,,,,, :lol1:
Aapne to majburi aur maje ke liye jhela kamdev bhai, hame to bas aapke karnamo ko padh kar hi maja milna hai,,,,, :dazed:
Kamdev bhiya .. ab jara inki baate padh kar kaun kahega ki ye ek Masoom bacche ne kahi hai .. jab samjhaya ki ki galat sangat se door raho to maani nahi .. jab to Dr. saab ki Bhabi Maa aur Shikaari padhne ka chaska laga tha .. par ab to bahut der ho chuki hai ... :lol1:
Omg its your real story. Main bhi real story likh rahi hu but thoda alag se chije ad karke. Anyway jyada padhne ka time hi nahi mil pata kyo ki ghar ke dher sare karne hote hain upar se apni story bhi likhna hai jiske liye bahut sochna padta hai ki kaha se kaise likhu.
Main masoom hu to hu....haan nahi tooooooo,,,,, :rondu:

Aur maine sirf bhabhi maa padhi hai. Shikari nahi padha,,,, :dazed:
Greattt bro. Such a mind blowing update and your writing skill. :applause: :applause: :applause:

Vikram to chor nikla bro. Apne father ki tarah hi karm kiye isne. Starting me hi dikhaya tha aapne ki wo ragini memory loss ka kaise faayda uthaya tha. I mean ragini ko apni maa bana diya aur usse prem karne ka dhog bhi karne laga. Ragini ko kya pata ki wo jise dil se chaahne lagi thi wo uska bhai hai. Prabal jo uska beta tha use apna bhai bana diya. Vikram ka character kafi kharab laga bro. Agar ye maan le ki usne ragini anuradha and prabal ki safety ke liye unhe apne paas rakha to fir aise relation kyo banaye unse. Ragini ke sath jo kiya and jo relation banaya wo galat tha. Ragini galat nahi thi bcoz uski to memory hi loss thi. :coffee1:

Devraj and ragini ki love story fabulous lagi bro. Dono ne apni apni jagah bahut dukh jhela and ab finally milan ki ghadi aa hi gai. Kissa khatam ho gaya and ab dekhte hain ki present me kya hota hai. :coffee1:

Overall fabulous story bro. Let's see what happens next.
:bsanta:

:celebconf::celebconf::celebconf::celebconf::celebconf::celebconf:
bhiya ek baat batao .. aapki ab tak ki kahani mein jitne bhi VIJAY naam waale log hai .. ve sab itne bade kaandi kyo hai .. VijayRaj, Vijay Singh, Vikram urf RannVijay .. ya aapne ek category define kar di hai ki jitne bhi pariwaar mein aibi log hai unke naam Vijay rakh do ... ::rolleyes:

ab jara Vikram bhiya ki baat kar le .. iss baar to aapne unhe chor hi bana diya .. ek to ye baat clear nahi kari ki uss time Vikram ki umar kitni thi .. wo uss waqt school mein the ya fir school ke saath-saath kuch aur kaand karne laga tha .. kya jo paise churaye wo ghar ki majboori ke chalte .. ya fir aiyaashi ke liye .. kyonki uss waqt tak Vikram bhiya ne college shuru nahi kiya tha to Nilofer waala matter to nahi ho sakta mein .. aur jab Raagini didi apni daadi ke saath reh rahi thi to Vikram kiske paas rehte the .. kyonki inke aadarniye pitaji to apni deen-duniya mein he mast the .. aur sabse badi baat .. jab Vikram Kota wali haweli mein Raagini didi aur baccho ke saath reh rahe the to Ravinder bhiya ne hastshep kyon nahi kiya .. sirf bol kar he kyon chupp reh gaye .. Raagini didi ki zindagi sudharne ki baat ko lekar Vikram ji par dabaav kyon nahi banaya .. ab to VijayRaj ji bhi nahi the .. par lagta hai Ravinder bhiya bhi apni zindagi aur biwi-baccho mein mast the ...

Devraj ji ki Raagini didi ke chakkar mein tabahi he rahi saari zindagi .. becharo ki saari jawaani pyaar ki chaah mein bali chad gayi, par ek baat maan-ni padegi ki inse bada koi saccha aashiq nahi ho sakta, ki jis ladki ke se ye pyaar karte hai uske ghar waale itne kulakshan karte feerey aur saath mein badnaami bhi mile aur fir bhi ladki se rishta judne ke koi aasaar nahi bane .. aur aaj bhi ek moka dikha to seedhe mooh apni bhabi ke saath fir se us ladki ki darr par aa dhamke .. hai to ye bhi poore dheet he .. waise JiJa-saale ki aapas mein khoob jamegi .. :hehe:

abhi tak to VijayRaj ji ne he sabki jindagi mein bhuchaal la rakha tha .. ab ye Vijay Singh ji bhi aa padhaare .. aur ye Vijay Singh ji ne apne beto ka katl kyon kiya aur us naukar ka bhi .. waise sabse maadi kismat bechari Nirmala devi ji ki rahi .. ek to pehle se he apne 2-3 aulaad itne honhaar nikle fir upar se jamaayi raj ne bhi izzat uchaalne mein koi kami nahi chhodi .. aur sone par suhaaga Paute bhi usi raah par chale ...

waise yaha Ravinder ji ne bataya ki Vikram bhiya bhi apne pita ke nakshe kadam par chale .. par Vikram bhiya ne to college life mein kuch logo ki madad bhi ki thi Naazia aur apne pita ke sex racket se nikaalne mein .. aur drugs waale case mein bhi kuch students ko bachaaya tha .. fir aisa kaunsa galat kaam kar diya .. chudaayi karna galat to nahi agar kisi ko majboor karke ya jor jabardasti se na kari jaaye .. Vikram bhiya ki GF poonam thi jo aaj unke cousin Suresh ki wife hai aur Raagini didi ki dost ...

aur dusri baat jab Vikramaditya urf RannVijay ki jeevani sunayi jaa rahi thi to jab to kahi bhi Vikaram bhiya ko itna galat dikhaya gaya .. aur muzhe poora yakeen hai ki .. agar Raagini didi ki shaadi nahi karwayi to uske peeche bhi koi kaaran hoga .. sirf apne swaarth ke liye to aisa nahi kiya hoga ...

waise jab pariwaar aur sage-sambandiyo mein sab itne pratibhawaan log hai to aap kaise peeche reh gayi :D .. waise aap bhi jyaada peeche nahi rahe .. ek biwi ko apne se door kiya hua hai aur doosri ke saath vanwaas kaat rahe ho .. 2-4 mahatama aur na hue aapke jaise nahi to 5va Ved bhi likh diya jaata kalyug mein ... ha ha ha

waise kuch bhi kaho Dev fufa ji ki bhabi Sarla ji mast hai .. aur in dono devar-saali ki aapas mein jamti bhi poori hai .. par bechari badi bhabi akeli reh gayi ...

kyonki jitni bhi baate aapne abhi Dev ji ki jeevani batate hue hamare saamne rakhi ye sab Vikram bhiya ke jeevan par prakash daalte hue nahi sabke saamne rakhi .. daal mein kuch to kaala hai .. aur upar se isko banane wala rasoiya to sabse badi paheli... :hinthint2:

abhi tak to poora namak mirch chidak-chidak kar ye daal poori chatpati bana di hai .. ab agar aur kuch kami reh gayi hai to aap isme tadka lagane se bhi baaz nahi aaoge .. jab tak ki Mooh aur peeche aag na lag jaaye ... :hot:
Sach me....Devraj jaise log birle hi hote hai.... True love...... Exceptional.
Very nice and nicely written.
Ragini ko khud ke bare me kuch yaad nhi hai to wo jagah ja ke apne aur vikram ke bare me pata kar rahi hai. Ragini aur vikram jab aapas me pyar karte the to vikram usse door kyo bhaagta tha.
Kamdev bhai itna bada to aapka update bhi nahi hota jitna bada FF bhai ka ye review hai. Ab itne bade review ko dekh kar bhi aap time se update nahi denge to FF bhai par kya guzregi, zara gaur farmaaiyega is baat par,,,,,:D
Devnagri font me to main bhi kafi lambe update likhta tha kamdev bhai. Ye to aapne dekha hi tha. Ab agar main ye kahu ki mere jitne lambe update yaha par kitne log dete the to aap kitno ke naam ginayenge. Khair chhodiye is baat ko,,,, :D

Aapke yaha yakeenan bijli ki bahut badi samasya hai. Aapke zahen me plant lagane ka khayaal aaya magar zara der se aaya. Jabki apne yaha ki samasya aur sarkar ko dekhte huye ye system pahle hi lagwa lena chahiye tha. Main to kahta hu ki saare faaltu ke kaam chhod kar pahle yahi kaam kijiye. Kyo ye kaam hone se aapke sath sath hamara bhi bahut bada bhala hoga,,,,,, :dazed:
Haan ye bhi sahi kaha aapne. Maine to writers ki list se apna naam katwa liya hai is liye is baare me mujhe nahi bolna chahiye tha. Bade bhaiya ji maafi de dijiye,,,,:adore:

Meri kahani kahi bhi chhape ab is baat se koi fark nahi padta kamdev bhai. Rahi baat kisi ko na padhne dene ki to aadhi adhuri kahani padhne ka kya faayda. Jo bhi padhega last me mujhe gaaliya hi dega is liye behtar hai ki koi unhe padhe hi na,,, :dazed:
सर जी,

सबसे पहले तो शुक्रिया की आपने बड़ा अपडेट देने वालों की गिनती में मेरा नाम लिया|
ME:
4oes4exdn8z41

रही सोलर पावर की तो,
download
Waiting,,,, :waiting:
Itna bada kaam,,,,, :vhappy:
waiting .. Judge sahib.
Judge sahab aise hi goli dete hain FF bhai aur ye baat aapse behtar dusra kaun jaanta hoga,,,,, :lol:
aur meri waiting ka kya ...
Viraaj bhai hum to inki goli bhi khaane ko taiyaar hai .. magar pehle ye maidaan mein to utre .. ab dekho inki late-latifi ka asar .. aapne aur Mr. Pandit bhai ne bhi beech mein he likhna chhod diya .. Dr. saab (Chutiyadr) ka mental break down ho gaya tha .. Bhaiya Ji pata nahi cigrette peete-peete kaha kho gaye .. Pritam.bs bhai bhi gayab hai .. aur inki falayi nesti ka naya shikaar SANJU ( V. R. ) bhai hai .. inhone bhi 2 hafte ka time manga hai .. shayad uske baad he inki kuch daya dristi ho .. ye to sabse haaliya udharan ham sabke saamne hai ...
Sabne likhna chhod diya magar kamdev bhai abhi lage huye hain. Fir chaahe jaise bhi lage huye ho. Ham to aise hain jinme dhairya naam ki cheez nahi hai. Hamari story me agar readers ke like comment nahi aate to ham update dena kya balki story likhne se hi sannyaas le lete hain. Aap samajh sakte hain ki ham jaiso me dhairya ki kitni kami hai aur gussa ki kitni adhikta hai,,,,, :hehe:

Kamdev bhai to waakai me mahaan purush hain. Hame inse bahut kuch seekhna chahiye. sabse pahle to yahi seekhna chahiye ki insaan ko dhairya aur saahas ka parichay kaise diya jata hai. Ye nahi ki kisi ne zara sa kuch kah diya to muh bana liya aur likhne padhne se tauba kar liya,,,,, :lol:

Main to naastik hote huye bhi aaj bhagwan se dua karta hu ki mujhe har janam me kamdev bhai jaisa dhairya de,,,,,, :pray:
waiting...
Waiting bade bhaiya,,,,, :dazed:
Abhi wo likh rahe hain FF bhai, unke likhne ki speed to aap jaante hi hain,,,, :D
speed to theek hai .. magar laptop aur light ka kiya jaaye .. :D

********

kamdev99008 kaha ho kayi din se dikhayi nahi de rahe .. sirf likes he mil rahi hai .. kahi kisi kaam mein jyaada busy ho ...
Jo kuch karenge wo kamdev bhai hi karenge. Ham jo kar sakte the wo kar chuke hain,,,, :dazed:
Chali koi baat nahi, kya kar sakte hain,,,,, :dazed:
bhai mujhe bhi ghanta kuchh samjh aa rahi hai story :lol1:
isliye bina samjhe padhne ki koshis karta hu , itane log hai isme ki kitna bhi yaad rakho sab gol mol ho jata hai :lol1:
wah wah :applause:
is research ke liye to aapko Phd milni chahiye :approve:
Bhaya likhna nahi chhoda bas break liya hai....
Ab nahi likhuga bhaya kyo ki meri story me yaha ke naye mode ko UA content dikh gaya hai. Kahte hain ki maa baap aur bachcho ke beech 18 saal difference hona jaruri hai....​
kamdev99008 bhai noida nahi pahuche kya aap,,,,, :D
Lalach buri bala hoti hai,,,,, :beee:
इन्तजार है कामदेव भाई.....कल से आपको दुसरे कहानी पर भी काम करना है ।
Jinke ghar me aap rah rahe hain unhone ATITHI TUM KAB JAOGE film nahi dekhi kya.???? :lol:
Khair koi baat nahi, main bhi soch raha tha ki is time kahi teerath yaatra par nikal jaau magar fir yaad aaya ki main to naastik aadmi hu is liye apni soch ko wahi par multavi kar diya. Ab soch raha hu ki jinke yaha aap thahre huye hain unka agar pata mil jaye to unhe ATITHI TUM KAB JAOGE waali movie daank dwara bhej hi du. Asal me kya hai ki muft ka khana aur araam dayak bistar mil raha hai to aap dusra kuch soch hi nahi rahe hain,,,,,,:D
kaha Judge sahab .. aapke nakhre bhi niraale he hai .. abhi hui na aapki fursat .. aur abhi tak kya hum readers ka khoon peene mein kami reh gayi thi .. jo ab rishtedaaro ke yaha dera jama liya .. kisi ko to bakas do ...
hamare andar aapne khoon choda he kaha hai .. saara to fook diya .. kilsa-kilsa kar ...

magar ab firse Laptop aur bijli ka alap na karne lag jaana ...
FF bhai, wo teerath yaatra par isi liye nikle hain ki ab kisi dusre ka khoon piya jaye. Readers ka khoon pi pi ke unka haajma kharaab ho gaya tha. Is liye test badalne ke liye ab wo teerath yaatra par nikle hain. Jab haajma sahi ho jayega to sochenge ki apne readers par meharbaani ki jaye ki nahi,,,,,,:D
आपकी लेखनी अप्रतिम, अद्भुत और लावण्य है, आप से एक माँ-बेटे के रिश्ते पर कहानी की अपेक्षा है।
भाई...भुल कर भी ऐसा अपेक्षा मत रखना । वो यदि ऐसी कहानी लिखेंगे तो आपको सेक्स कम दार्शनिक ज्ञान अधिक प्राप्त होंगे । ?
Without Description... Feeling kaha se aayega Bhai...... Waise Kal ka besabri se Intazaar hai.
कामदेव भाई.... एक तो मैंने बिना सोचे समझे वर्षा ऋतु के नाम से एकाउंट खोल लिया और उसके बाद कहानी भी लिखना शुरू कर दिया । अब ये नाम... मेरे गले का जंजाल बन गया है.... प्रायः लोग मुझे छोकरी समझ कर के मैसेज कर रहे हैं.... भगवान जाने कैसे लड़कियां इन नालायकों को मैनेज करती होंगी । कोई उपाय है क्या नाम चेंज करने का ?
baby apna no. do na .. :hehe:

tauliya dhaari Sanju baba
Bade bhaiya kashama chaahta hu magar main aapse ye kahna chaahta hu ki aapko apne is lambe chaude post me ek thirld point bhi rakhna chahiye tha jisme aapko ye batana chahiye tha ki aane wale update ki ummid hargiz na kare kyo ki wo tabhi milega jab sirf aur sirf aap chaahene ya fir apka dil karega. Is liye wo update ki ummid me khud ko tadpate na rahe,,,,,:D
Sanju bhai aapko pahle kisne salaah di thi ladki ke naam se id banaao.?? Aur fir jab bana hi liya to kisi baat se pareshan kyo ho rahe bhai.? Ladke to aap bhi rahe honge kabhi is liye ladko ko naalayak kahne se kya hoga. Dhokha to aap de rahe the un masoomo ko,,,,,, :lol:
आप जैसे लेखक की लेखनशैली से तो मृत पुष्प में भी जीवन और उसके सुगंध में वृद्धि हो जाती है।
जहां तक बात रही माँ-बेटे की शादी और मंगलसूत्र की तो वो विचित्र भले ही लगे मगर उसमे भी एक रस है, विलक्षण रस।
ज्यादातर मंच में ऐसे लेखक है जो कहानी शुरू तो कर देते है मगर उसे किस तरह उसके अंत में पंहुचा देते है शायद यही कारण रहा की की इसका ठीक से उपयोग नहीं किया।
गॉसिप में मेरे मित्र हुआ करते थे सुपर आशिफ उनकी लेखनशैली भी आसाधारण, अपूर्व और विशेष थी, बहुत दुःख की बात है की मंच के नष्ट होने के बाद हमने उन्हें खो दिया और उन जैसे कितने बेहतरीन लेखक बिखर कर गुम हो गए।
खेर किसी को हो न हो, मुझे पूर्ण विश्वास है की अगर आप इन तत्वों के साथ भी लिखे तो वो कहानी भी असाधारण हो जाएगी।

आपने अगर मस्त रानी की कहानी पढ़ी हो तो उसके संवाद की प्रशंसा अवश्य करेंगे। :inluv:
वर्षा ऋतु.... मौसम का भी नाम है सुभम भाई..... और बचपन की कुछ यादें ।

अनेकों लोगों की तरह मैं भी सोचता था कि - हे भगवान ! लड़कों की योनी में फिर कभी मत पैदा करना... बहुत ही कष्ट है , बहुत झमेला है । अगर जनम देना तो सिर्फ लड़की योनी में ही.... अगले जनम बिटिया ही पैदा करियो । कितनी अच्छी जिंदगी होती है लड़कियों की - न तो कमाने का टेंशन...न लड़के पटाने का टेंशन..!
लेकिन...एक नाम क्या रख लिया लड़कियों जैसा....सारी गलतफहमी दूर हो गई । जब मैं मर्द होकर भी घिनौना मैसेज बर्दाश्त नहीं कर सका तो बेचारी लड़कियां कैसे बर्दाश्त करती होंगी । इसीलिए मैं तो मैं उन्हें मर्दों से भी ऊपर और महान मानता हूं । ?
Baat jo bhi ho magar ek hakikat ye hai ki jo jaha par jaisa hai wo waise hi pareshaan aur dukhi hai. Jab tak ichchhaye nahi khatam hoti tab tak dukho se mukti nahi milti. Is liye kamdev bhai ki kahani MOKSH padhte rahiye shayad mukti mil jaye,,,,,:lol:

Aapne varsha ritu naam ritu ka soch kar rakha tha magar ladko ko isse kya matlab unhe to ye nazar aaya ki ye koi female gender hai is liye lag gaye kaam me, khair achha hua ki aapne mardo wala naam rakh liya, warna tharki log lagd hi rahte,,,,:dazed:
Sanju naam ke sath varsha ritu abhi bhi juda hua hai, log to yahi samjhege ki varsha ritu ka asli naam sanju hai, bas uske baad to inki balle balle hi hogi,,,,, :lol:
kya baat hai .. sabko bahut hasi aa rahi hai .. aur kami bhaiya .. update post kar do ...
Ab aap kya chaahte hain FF bhai ham hasna muskurana bhi chhod de. Sanju bhai ko female banne ka shauk tha so unhone apna shauk pura kiya. Fir bhale hi unhe apne is shauk ke chalte manchalo ka pyar jhelna pada ho. Khair kamdev bhai to jaise kasam kha rakhe hain ki unhe apne readers ki ummido par paani hi ferna hai. Wo chaahe cheekhe chillaye unhe isse koi fark nahi padta. Abhi inke jaisa hi naatak mujh jaise masoom log karte to ye unki band bajane me ek pal ki bhi deri na karte. Fir to aise aise pravachan dete ki inke saamne bade bade mahagyaani bhi natmastak ho jate. Khair ab zyada kya bolu...bade bhaiya ka kuch to aadar sammaan karna hi chahiye warna wo is bare me bhi koi pravachan suna sakte hain,,,,,,,:dazed:
ye bade wade koi na hai .. inki umar ho chali hai .. aur badi umar mein log sathiya jaate hai .. yaha par ye pade he kitne bade tees-maar khaa bante ho .. magar ghar pe bhabi ji inko ek taang par nachaye firti hongi .. bas ab apne shok aur armaan yaha forum par aakar poore karne mein lage rehte hai ...

aur aap kyo bechare Sagar bhai ke peeche haath dho kar pad gaye ho .. agar aise he chalta raha na to dekh lena bechare yaha se kisi din bhaag khade honge .. abhi to pehle se he kamdev99008 bhiya ne naak mein se paani nikalwaya hua hai .. itne dino baad jaa kar aap line par aaye ho .. ab SANJU ( V. R. ) bhai/bhabi :D ji ko to bakas do ...
Sanju bhai se apna koi bair nahi hai FF bhai. Ab unhone kaam hi aisa kiya hai ki apna bhi dusre manchalo ki tarah unhe chhedne ka dil kiya. Ye jaante huye bhi ki inke paas se kuch milne wala nahi hai fir bhi,,,,,:lol:

Kamdev bhaiya ke bare me aapne 1001% sach baat kahi. Ye yaha par hi tees maar khaan bane huye hain. Khair aap to sab jaante hain main zyada bolu. Mujhe to aapne patri par la diya magar inhe lana aapke bas me nahi hai ye pakki baat hai. Ya fir aisa ho sakta hai ki bhabhi ji se contact kijiye, shayad baat ban jaye,,,,,:lol1:
becharo ko kahi to udd lene do .. ab to bas inke liye yahi ek jagah bachi hai pankh failane le liye .. aur inki Shrimati ji ko inke vishay mein jara sa bhi aabaas hua to inke bache kuche parr bhi kutar diye jaayenge ...

waise ek baat note karne wali hai ki .. inhone jab se kahani shuru ki thi .. jab se halla kata hua tha ki main apni life ke kisse likhne shuru karunga .. aur jab likhne ki baari aayi to taay-taay fiss .. hadd hai ...

muzhe pata tha aisa he kuch hoga .. isi liye maine kahani ke baaki kirdaaro ke vishay mein pehle likhne ko kaha tha .. magar ye apni zidd par ade rahe .. ab na to inhone apni jeevni likhi aur na baakiyo ki .. aur ab pooch lo ki kaha ho .. to abhi jawaab milega ki .. main noida mein apne rishtedaaro ke yaha se nikal chuka hu .. aur apne gaanv pahuch kar fir se likhna shuru karunga .. magar pata nahi .. ghar jaane ke liye bhi kya ye bijli aur laptop ka prayog karte hai .. jo time se nahi pahuch pa rahe ... :hehe:
name change kaise kiya ??? mujhe bhi karna hai ,waise ye sawaal maine ask staff me poochha hai abhi ..
मित्रो!
अध्याय 47 आपके सामने प्रस्तुत है
पढ़कर अपनी प्रतिकृया दें
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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मित्रो!
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Areeeee kya baat hai. Sabse zyada to mere hi comment nazar aa rahe hain thread par. Khair khushi huyi ki update to aaya. Lekin ye soch kar mayusi bhi hogi ki ab jane kab next update aayega,,,,, :rofl:


Ab itne mahino me update aaya hai to fir se pichhle update ko jhaankna padega kyo ki kahani hi aisi uljhane wali hai khair koi baat nahi padhenge aur zarur padhenge. Haan nahi to,,,,,,:lol:
 

kamdev99008

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Areeeee kya baat hai. Sabse zyada to mere hi comment nazar aa rahe hain thread par. Khair khushi huyi ki update to aaya. Lekin ye soch kar mayusi bhi hogi ki ab jane kab next update aayega,,,,, :rofl:


Ab itne mahino me update aaya hai to fir se pichhle update ko jhaankna padega kyo ki kahani hi aisi uljhane wali hai khair koi baat nahi padhenge aur zarur padhenge. Haan nahi to,,,,,,:lol:
कितने महीनों..................:angry: आज 32वें दिन अपडेट दे दिया है....... सिर्फ 1 महीने का अंतराल..............
 

The_InnoCent

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कितने महीनों..................:angry: आज 32वें दिन अपडेट दे दिया है....... सिर्फ 1 महीने का अंतराल..............
Maine to bahut kam hi bola bade bhaiya, kyo ki baat jab intzaar ki hoti hai to ek ek pal shadiyo ke barabar ho jata hai. Us hisaab se 32 dino ke palo ka hisaab jodiye fir dekhiye ki pichhla update aaye huye kitni shadiya beet gayi,,,,, :D
 

DARK WOLFKING

Supreme
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nice update ...anuradha ka plan achcha hai ki ragini ka ranvijay ke upar ka gussa vijay par nikalna ...
vijayraj ko paralysis ho gaya hai ,,aur wo mamta ke saath rehta hai noida me ...par mamta saamne aane se kyu katra rahi thi ?..itne waqt baad apni beti ko milne se sharm aa rahi hogi shayad ?....
 

DARK WOLFKING

Supreme
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dono maa beti milkar ab lagta hai saare geele shikwe door karna chahengi ...
20 saal baad apne baap se milkar ranvijay ka gussa door ho gaya ,,,aur ye sahi bhi hai ,,apne to apne hi hote hai ....
ab jab ye ragini ke paas jayenge to wo kaise react karti hai ,aur shayad karegi hi ???... kyunki usko callgirl banane ki vijay hi soch raha tha shayad apni patni ke saath milke ,tab ek aur aurat bhi vijay ke saath thi na ?? ...

vijay ,nilima ki maa jo muslim thi aur shayad koi ek aurat thi ?...yaad nahi par kya vimla thi ..
 
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