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मैंने ये लिख तो दिया भैय्या पर हुआ इसके उल्टा, पढ़ने के बाद काफी मुश्किल हो गया था 'नो फैप ' जारी रखना।अरे! उत्तेजना न आई, तो मेरे लिखने का प्रयास व्यर्थ गया
आनंद भी लें, उत्तेजना भी अनुभव करें!मज़ा दो-गुणा हो जाएगा!!
जी भाई सब बढ़िया, इस बार हुआ ये कि मुझे नोटिफिकेशन ही नहीं आई और मैं बुद्धू भी वाॅच्ड थ्रेड्स में देखा नहीं। खैर, नए साल की आपको अनेकों शुभकामनाएं।बहुत दिनों बाद आए भाई! सब ठीक है?
मैंने ये लिख तो दिया भैय्या पर हुआ इसके उल्टा, पढ़ने के बाद काफी मुश्किल हो गया था 'नो फैप ' जारी रखना।
जी भाई सब बढ़िया, इस बार हुआ ये कि मुझे नोटिफिकेशन ही नहीं आई और मैं बुद्धू भी वाॅच्ड थ्रेड्स में देखा नहीं। खैर, नए साल की आपको अनेकों शुभकामनाएं।![]()
क्या करूँ मैं प्रेम की सोच रहा हूँ आपकी रचना परिणय की सोच रही हैअरे भाई - रचना पर इतना भड़कने वाली बात नहीं है।
वही तोजल्दबाज़ी में लिए हुए फैसले अक्सर गलत ही साबित होते हैं!
बात दरअसल यही है कि न तो रचना को, और न ही अमर को एक दूसरे के बारे में ठीक से पता है - वो पता चलने के लिए समय चाहिए।
चलिए लेखक भी मान रहे हैंAs such अमर भी desperate है, और रचना भी। थोड़ा खुलेंगे, तो समझ आएगा एक दूसरे के बारे में।
लेकिन हाँ - मेरा भी मानना है कि सेक्स नहीं होना चाहिए था इतनी जल्दी वो भी!
अरे वाह, अंडमान तो हम भी गए थे।नया सफ़र - विवाह - Update #9
घर जाने से पहले हमें अंतरंग होने का कोई और अवसर नहीं मिला।
हमने स्नान किया, नाश्ता किया और अपने घर जाने के लिए तैयार हो गए। देवयानी ने एक बहुरंगी लहंगा, उससे मिलती बैकलेस चोली पहनी थी, और चुनरी ओढ़ी थी। मैंने एक कसीदा हुए कुर्ता और चूड़ीदार पायजामा पहना हुआ था। गाड़ी में डेवी का सामान - उसके कपड़े लत्ते - और घर में सभी को देने के लिए उपहार इत्यादि थे। मैं ड्राइवर था - अगर ट्रैफिक आसान रहे, तो उसके घर से मेरे घर तक पहुँचने में आधे घंटे से भी ज्यादा समय नहीं लगता। मेरे एक अनन्य और बुद्धिमान मित्र ने मुझको एक बार सलाह दी थी कि ऐसी लड़की से शादी न करना जो तुम्हारे ही शहर में रहती हो। उनका मानना था कि ऐसा होने से लड़की के परिवार का तुम्हारी लाइफ में दखल होने का बड़ा डर रहता है। बात तो सही है - लेकिन मेरा मानना था कि नए नवेले जोड़े की ज़िन्दगी में न तो लड़की के, और न ही लड़के के परिवार का किसी भी तरह से दखल होना चाहिए। दोनों को अपने जीने का तरीक़ा खुद ही निकालना चाहिए। सफल विवाहित जीवन का कोई एक फार्मूला नहीं हो सकता। उसके लिए प्रेम और पारस्परिक सम्मान आवश्यक है - लेकिन न जाने ही कितनी अन्य बातें भी महत्वपूर्ण होती हैं। खैर!
मेरी माँ सुबह से ही अपनी नई बहू के उसके घर आगमन के स्वागत की तैयारी में लगी हुई थी। यह एक मज़ेदार बात थी - क्योंकि देवयानी कोई पहली बार तो इस घर नहीं आ रही थी। उसने और मैंने साथ मिल कर, अपनी पसंद के हिसाब से हमारा घर पहले से ही सजाया और तैयार कर लिया था। हमारी शादी से पहले ही घर में सभी फर्नीचर और अन्य सुविधाएं व्यवस्थित थीं। तो माँ क्यों इतना व्यस्त थीं, कहना कठिन था। शायद माँ का मन... उनकी ममता और नई बहू के आने का उत्साह हो?
शादी के बाद होने वाली रस्मों में सबसे प्रमुख होती है नई दुल्हन का अपने नए घर में आगमन की रस्म! यह रस्म स्वाभाविक रूप से दूल्हे के घर पर होती है, जहाँ दुल्हन की सास, अपनी बहू का गर्मजोशी से स्वागत करती है। तो, जब हम पहुंचे, तो मेरी माँ, मेरे डैड और कुछ पड़ोसियों के साथ, पूजा की थाल लिए दरवाज़े पर खड़ी थीं। उन्होंने हम दोनों की आरती उतारी, फिर हमारे माथे पर तिलक लगाया। यह सब होने के बाद हमने दोनों का आशीर्वाद लेने के लिए उनके चरण स्पर्श किया। देवयानी ने काजल के भी पैर छुए और मुझे भी वैसा ही करने का इशारा किया। मुझे काजल के पैर छूने में कोई बुराई नहीं लगी - इसलिए मैंने भी उसके पैर छू कर उसका आशीर्वाद लिया। वैसे भी, हमारा सम्बन्ध अब तक बहुत अलग हो चला था।
जब यह सब हो गया, तो काजल ने देवयानी से कहा कि अब वो घर में प्रवेश करे। उसने डेवी से कहा कि वो अपने दाहिने पैर से चावल से भरे कलश को गिरा दे, और फिर महावर के घोल से भरी थाल में पैर रख कर घर के अंदर चलती जाए। बेशक, हम इन अनुष्ठानों के बारे में जानते हैं।
तो देवयानी ने वह सब कुछ किया। उसके हर कदम पर, घर की फ़र्श पर दूर तक डेवी के पैरों के शुभ, लाल-गुलाबी रंग के चिन्ह बनते गए। इन सब रस्मों को आज चाहे कैसा भी माना जाए, लेकिन देख कर अच्छा बहुत लगता है। इन सब रस्मों के सांकेतिक महत्त्व भी बड़े हैं! उधर डेवी घर में चलती जा रही थी, और इधर मैं चुपचाप उसके पीछे-पीछे चल रहा था।
“अमर, बहू अपने आप चल रही है! क्या तुम उसको उठा नहीं सकते?” डैड ने मुझे छेड़ा।
“अरे डैड! डेवी चल सकती है!” मैंने कहा।
“इतनी बॉडीबिल्डिंग करने का क्या फायदा? मुझे देखो - बिना किसी बॉडीबिल्डिंग के मैं अपनी बीवी को अपनी गोदी में उठा सकता हूँ! और तुम! वो भी अपनी नई दुल्हन को!” डैड अभी भी मुझको छेड़ रहे थे।
“वो भारी है, डैड!” मैंने अप्रत्यक्ष रूप से डेवी को छेड़ा।
“अभी कहाँ?” माँ ने छूटते ही कहा, “उसको भारी करने के लिए तुमको काम शुरू करना है... या शायद कर दिया है तुमने? कल रात से ही!”
हे प्रभु! नव-विवाहित जोड़ों से जिसको देखो, वो ही मज़ाक करने लगता है। और ये तो मेरी माँ थीं!
“क्या माँ! आप भी!” मैंने नाखुशी का नाटक किया, लेकिन भीतर से प्रसन्न हुआ और डेवी को उठा कर दालान से होते हुए हमारे शयनकक्ष में ले जाने लगा।
“उहम्म...” जब मैंने अपनी दुल्हन को गोदी में उठाया तो हल्के से कराह उठा।
“अरे अरे! इतने में ही थक गए?” माँ हँसी, “और ये तब जब देवयानी बिल्कुल भी भारी नहीं है... या हो सकता है कि शायद, तुम ही बूढ़े हो रहे हो! डोंट वरी! आज से शिलाजीत का कोर्स शुरू कर देते हैं तुम्हारे लिए!”
“माँ! कम से कम आप तो मेरी टाँग न खींचिए!”
मेरे इस तरह से चिढ़ने पर डेवी भी हँसने लगी - वो बहुत देर से अपना नई बहू वाला, शांत, गंभीर, शर्मीला, संकोची रूप धारण किए हुए थी। लेकिन अब उससे भी रहा नहीं गया। माँ को भी मालूम था कि कब उनको शांत हो जाना है। उन्होंने मेरी खिंचाई करनी छोड़ी और हँसते हुए अपने पति के पास चली गईं।
जब हमने अपने बेडरूम में प्रवेश किया, तो देवयानी फुसफुसाते हुए बोली, “बूढ़े आदमी!”
“अच्छा जी? आप भी?”
“नहीं हनी! आई ऍम सो लुकिंग फॉरवर्ड टू ग्रो ओल्ड विद यू! बस यही!” वो मुस्कुराई, “आई लव यू!”
हाँ! अपने जीवन साथी के साथ उम्र बिताना तो बड़ा सुखद ख़याल होता है। मैंने मुस्कुराते हुए ही उसे बिस्तर पर लिटा दिया, और उसको अपनी बाहों में भर के एक लम्बा और भावुक सा चुंबन दिया। जब हमारा चुम्बन टूटा तो डेवी की साँस थोड़ी उथली सी हो गई।
“हम्म...” वो फिर से फुसफुसाते हुए बोली, “आप इतने बूढ़े भी नहीं हुए हैं मिस्टर सिंह!”
हमने फिर से चूमा।
प्रिय पाठकों! अपनी नवविवाहित दुल्हन से प्यार करना कितना मोहक होता है, इसका आख्यान करना कठिन है! पति पत्नी के सम्बन्ध में एक प्रकार का ठहराव होता है, एक दृढ़ता होती है। उसके कारण एक दूसरे से प्रेम करना और भी आनंददायक होता है। आप बिना किसी रोक टोक के, लम्बे समय तक एक दूसरे से प्रेम कर सकते हैं!
मैंने डेवी की चोली के पीछे की डोरियों को खोल दिया।
डेवी मुस्कुराई, “ओह गॉड! आर यू अगेन रेडी तो रेविश मी आलरेडी?”
“ओह, यू हैव नो आईडिया!” मैं अपना कुर्ता उतारते हुए मुस्कुरा दिया।
न जाने कहाँ से इतनी क्षमता आ गई थी! सच में - ऐसी कामुकता मैंने न तो काजल के साथ, और न ही गैबी के साथ महसूस करी थी। कुछ अनोखी बात तो थी देवयानी में! मैंने डेवी की चुनरी को न छेड़ते हुए, उसकी चोली उतार दी। पारदर्शी चुनरी से ढँकी हुई, अपनी आंशिक नग्नता में डेवी आश्चर्यजनक रूप से प्यारी लग रही थी। मैंने जल्दी से अपने बैग में से जयंती दी का दिया हुआ कैमरा निकाला और जल्दी जल्दी उसकी कुछ तस्वीरें उतार लीं। कुछ भी कहो - मेरे इन बचकाने खेलों का आनंद डेवी भी ले रही थी। जब मैं उसकी तस्वीरें उतार रहा था, तो वो मुस्कुरा रही थी, और हँस रही थी। अंत में, वो बिस्तर से उठी और ड्रेसिंग टेबल के सामने सेट्टी पर बैठकर अपने गहने उतारने लगी। उसने अभी भी अपना लहंगा पहना हुआ था। इस बीच, मैं पूरी तरह से नग्न हो गया, और आगे की कार्रवाई करने के लिए तैयार हो गया।
मुझे एक छोटी सी शरारत सूझी - मैं उसके पीछे आ कर, उसके दाहिनी तरफ़ आ कर खड़ा हो गया। उसको ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर अपने गहने उतारते देखना बड़ा सेक्सी था! डेवी ने दर्पण में मुझे उसको देखते हुए देखा। वो मुस्कुराई। उसने ध्यान दिया कि उसके कंधे के ऊपर मेरा स्तम्भन दिख रहा था, तो शरमाते हुए मुस्कुराई, और अपना सर ‘न’ में इस तरह हिलाया कि लगे कि ‘इस आदमी का भगवान् ही मालिक है’!
दर्पण में हमारा अक्स बहुत मजेदार था… देवयानी कमर के ऊपर नग्न थी, जबकि मैं पूरा ही नग्न खड़ा था। मैंने आगे जो किया, मुझे यकीन है कि उसने अनुमान भी नहीं लगाया होगा! मैंने अपनी कमर को हल्का सा ट्विस्ट करते हुए घुमाया, ताकि मेरा पूरा तना हुआ लिंग उसके गाल पर एक थप्पड़ लगा दे। यह इतना अचानक हुआ कि पहले तो उसे कुछ समझ नहीं आया, लेकिन जब उसको समझा कि उसके साथ क्या हुआ, तो उसने नकली गुस्से में दर्पण में मेरी तरफ़ देखा। मैंने उसके गुस्से की अनदेखी करते हुए उसको फिर से अपने लिंग से थप्पड़ लगाया। मेरी इस हरकत से उसका गुस्सा, एक फीकी मुस्कान में बदल गया! मैंने फिर से उसको उसी तरह से थप्पड़ लगाया। इस बार वो हंसने लगी! जैसे ही डेवी हँसी, उसके निरंकुश स्तन कामुकता से हिलने लगे!
“खूब शरारती है तू!” उसने कहा।
“क्या करूँ यार! जब भी मैं तुमको देखता हूँ, मेरी शरारत खुद-ब-खुद बाहर निकलने लगती है!”
“हम्म... देन, आई मस्ट डिसिप्लिन डिस नॉटी बॉय!”
उसने कहा, और मुड़कर मेरे लिंग के सिरे को अपनी चुटकी से पकड़ा - जैसे अक्सर लोग छोटे बच्चों की नाक के सिरे को चुटकी में पकड़ते हैं - और थोड़ा सा हिलाया। मेरा लिंग टस से मस नहीं हुआ।
“ओउ... लगता है लिटिल चैंपियन गुस्से में है!” उसने शरारत से कहा।
“गुस्से में नहीं है! मेरा लिटिल चैम्पियन अपनी दोस्त की गोद में बैठना चाहता है।”
“ओह हनी! मुझे वहाँ दर्द हो रहा है! आई ऍम सॉरी! लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं दो दिन पहले ठीक भी हो पाऊँगी!”
मैं निराश हो गया था। हाँ, डेवी की बात सही तो थी ही। इतने कम समय में इतनी बार! और उसे आराम करने का अवसर ही नहीं मिला।
“लेकिन,” उसने मुझे देखते हुए कहा, “मैं तुमको एक अच्छा सा ओरल दे दूँ? तुमको पसंद आएगा!”
कैसी अद्भुत सी बात थी!
मैं इस लड़की से प्यार करता था... और उसको मेरी ज़रूरतों का इतना ख्याल था। लेकिन मैं क्या करता - डेवी पास होती, तो खुद पर नियंत्रण ही नहीं हो पा रहा था। मैंने फिर से डेवी को चूमा, और फिर धीरे से अपना लिंग उसके मीठे से मुँह के अंदर खिसका दिया। वो अगले ही पल मुझे मौखिक सुख का अलौकिक आनंद देने लगी। और... उसी समय माँ ने हमारे कमरे में प्रवेश किया।
जब उन्होंने हमें इतनी अंतरंग अवस्था में देखा तो वो थोड़ी चौंक गई, लेकिन फिर उन्होंने जल्दी ही अपने को सामान्य कर लिया और कहा,
“बेटे, ये बहू को बाद में खिलाना... पहले उसे खाना तो खिला दो!”
और इतना बोल कर वो कमरे से बाहर निकल गईं, अपने पीछे दरवाजा बंद करते हुए!
देवयानी मौखिक सम्भोग देना बंद कर हँसने लगी! यह सब कितना मज़ेदार था! उसने सब कुछ ‘बाद में’ करने का वायदा किया, और फिर हमने दोपहर के भोजन करने के लिए घर के ही कपड़े पहने। इस बीच मैंने डेवी को संक्षेप में बता दिया कि मेरा माँ और डैड के साथ बहुत खुला हुआ सम्बन्ध था। थोड़ा बहुत तो उसको मैंने पहले भी बताया था, लेकिन अब जा कर उसको हमारे रिश्ते के खुलेपन के बारे में पता चला। मैंने उसे बताया कि कैसे मेरी माँ, गैबी और काजल को अपनी बेटी मानती हैं और यह कि देवयानी को भी वैसा ही प्यार उनसे मिलेगा। मैं जो कुछ कह रहा था, उसे देवयानी ने ध्यान से, उत्सुकता से और मनोरंजक ढंग से सुना। फिर उसने मुझसे कहा कि वो भी माँ और डैड के साथ ऐसा ही रिश्ता रखना चाहेगी। मुझे मालूम था कि यह सब सुनने के बाद वो वैसा ही चाहेगी!
खाने की टेबल पर बड़ा खुशनुमा माहौल था। हम सातों लोगों ने देर तक उस स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया। रात में नींद नहीं आई थी, और भोजन भी काफ़ी गरिष्ठ था - इसलिए हमको तुरंत ही नींद आने लगी। इसलिए खाने की टेबल से उठ कर हम सीधा सोने चले गए। रात में वैसे भी हमारी शादी का रिसेप्शन था। हमको कुछ नहीं करना था - कैटरिंग कंपनी ने सारा इंतजाम कर रखा था। वो सब इंतजाम डेवी और मैंने मिल कर पहले ही कर दिया था। कोई चार घंटे बाद जब हम सो कर उठे, तो देखा कि ऑफिस से कई मित्र हमसे मिलने आये हुए थे। उनसे कुछ देर बातें कर के, हम दोनों रिसेप्शन के लिए तैयार होने लगे।
हमारा रिसेप्शन शानदार अच्छा था - डेवी ने पुनः एक लहंगा-चोली पहनी हुई थी, और अपने दुल्हन वाले पूरे साज-श्रृंगार से अलंकृत थी। वो वापस किसी रानी जैसी ही लग रही थी। मैंने एक सूट पहना हुआ था - वैसे तो मैं अच्छा लग रहा था, लेकिन देवयानी के सामने मैं मामूली लग रहा था। खैर, रिसेप्शन में लड़के को कौन देखता है! बड़ा आनंददायक माहौल था। सब कुछ हँसी ख़ुशी हो रहा था। डेवी और मेरे बहुत सारे कॉमन फ्रेंड आए हुए थे! कई सारे थे, जो हमारी कोर्ट और मंदिर वाली शादी में शामिल नहीं हो सके थे। वो सभी रिसेप्शन समारोह का लुत्फ उठाने आ पहुंचे थे। मस्ती भरी रात थी; हमने बॉलीवुड के कई गानों पर डांस किया, मस्ती की, और फिर हमने स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया! सब बड़ा मज़ेदार था।
हमें बहुत सुबह ही हनीमून के लिए निकलना था, इसलिए हमारे दोस्तों ने हमें सोने ही नहीं दिया। हमने हनीमून की यात्रा के लिए अपने बैग पहले ही पैक कर लिए थे। लिहाज़ा, रिसेप्शन का बहुत ही आनंद आया! हनीमून के लिए हम अंडमान जा रहे थे। वहाँ के लिए एक फ्लाइट जाती थी कलकत्ता से सुबह सुबह। तो हमको दिल्ली से कलकत्ता के लिए और भी सवेरे निकलना था - लगभग रात में! तो दोस्तों के साथ हंसी मज़ाक करते हुए कब फ्लाइट का समय हो गया, पता ही नहीं चला। डेवी और मैंने सभी से विदा ली, एयरपोर्ट की ओर चल दिए। हमको छोड़ने के लिए हमारे दोस्त भी साथ ही आए थे। इतना प्यार पा कर हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगा। हमारी शादी-शुदा ज़िन्दगी का आगाज़ बड़ा ही सुखद था - और मैं भगवान् से यही कामना कर रहा था कि उसका अंजाम भी वैसा ही सुखद रहे।
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अभी भी कम ही भीड़ है, लोग उतने पैसे में थाईलैंड घूम आते हैं तो वहां जाना प्रेफर करते हैंबहुत बहुत धन्यवाद भाई
कोई पच्चीस साल पहले की बातें हैं ये अभी।
सोचा पाठकों को एक सुंदर सी जगह की सैर करवा दूँ। अभी चले जाइए - लेकिन अब बहुत भीड़ भाड़ वाली जगह हो गई है अंडमान। शायद मज़ा न आए।
ये लास्ट वाली लाइन, tanning तो जबरदस्त वाली होती है वहांनया सफ़र - विवाह - Update #12
अगले दिन हम साइकिल चलाते हुए पोर्ट ब्लेयर से वंडूर गए - हमारे होटल से कोई बीस किलोमीटर की दूरी थी।
जैसा कि मैंने पहले भी बताया, उस समय अंडमान में ऐसी किच किच नहीं होती थी, जैसी कि आज है, इसलिए साइकिल चलाना आसान था। हाँ, बस समय अधिक लगा। लोगों ने बताया कि वहाँ मरीन पार्क था, और समुद्र में वहाँ तैराकी करी जा सकती थी। मरीन पार्क दरअसल कई छोटे छोटे द्वीपों का समूह था। इस कारण से समुद्री जीव जंतुओं को फलने फूलने में सुरक्षा प्राप्त थी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि वहाँ कोरल रीफ़ देखे जा सकते थे। तो हमने अपना तैराकी का सामान उठाया, और साइकिल चलाते वंडूर चले गए। वहाँ एक नाव वाले से बात कर के तीन चार द्वीपों तक जाने और वापस आने का सौदा किया। अभी सारे नाम नहीं याद आते, लेकिन शायद उन द्वीपों के नाम ग्रब, चेस्टर, बेले, और स्नॉब थे। प्रत्येक द्वीप निर्जन, शांत, और स्वच्छ! ग्रब द्वीप पर हमने तैराकी के लिए कपड़े बदले - मैंने तो खैर तैराकी वाला नेकर पहना, और देवयानी ने अपना बिकिनी [जो आज कल मोनोकिनी के नाम से जाना जाता है] पहना। रंगीला फ़िल्म में उर्मिला ने जैसी काली बिकिनी पहनी थी - देवयानी की भी वैसी ही थी। कोई कहने की आवश्यकता नहीं कि वो इस समय बड़ी सेक्सी लग रही थी। मेरे मन में एक ख़याल आया - और सोचा कि उसका क्रियान्वयन अवश्य करूँगा।
खैर, हर जगह मैंने और देवयानी ने तैराकी करी। समुद्री पानी में वैसे तो आँखें खोलना आसान नहीं होता, लेकिन अगर स्विमिंग गॉगल्स लगा लें, तो बड़ी आसानी हो जाती है। ख़ास कर वो बड़े वाइसर वाले! नहीं तो स्नॉर्केलिंग गियर एक बेहतर ऑप्शन होता है। अच्छी बात यह थी कि हमारे नाविक के पास स्नॉर्केलिंग गियर थे। तो हमको पानी के अंदर कोरल, असंख्य और विभिन्न प्रकार की रंग-बिरंगी मछलियाँ, क्लैम, समुद्री घास, सॉफ्ट कोरल, अलग प्रकार की स्टार फिश, इत्यादि देखने को मिले। सच में - समुद्र के अंदर का नज़ारा बहुत अलग होता है। विज्ञान के छात्रों को ज्ञात होगा कि ध्वनि की गति जल में वायु की अपेक्षा तीव्र होती है। तो हमको अलग ही तरह की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं पानी के अंदर! एक अलग ही दुनिया का अद्भुत नज़ारा होता है समुद्र के अंदर! और हाँलाकि ऊपर से देखने पर समुद्र तल बहुत पास लगता है, लेकिन होता बहुत गहरा है। मछलियों का आकार भी अपेक्षाकृत बड़ा लगता है क्योंकि स्नॉर्केलिंग गियर इस तरह का भ्रम पैदा कर सकता है। कुछ मछलियाँ बहुत बदमाश थीं - वो हमारे पैरों को दाँत से काट रही थीं। बाद में नाविक ने बताया कि शायद हम उनके घोंसले के काफी करीब होंगे, इसलिए वो ऐसा कर रही थीं।
यही सब करते करते जब हम आखिरी द्वीप पर पहुँचे, तो अपने ख़याल को क्रियान्वित करने की इच्छा जागृत हो गई। दरअसल देवयानी वाकई इतनी सेक्सी लग रही थी कि मेरे मन में उसके साथ सम्भोग करने की तीव्र इच्छा हो रही थी। शरीर में ऐसा जोश भर गया था, कि मेरे लिए रुकना लगभग असंभव हो गया था। ऐसी इच्छा तो पहले कभी नहीं हुई! शायद नाविक को भी मेरी इच्छा समझ में आ रही थी - इतना तो वो समझ ही गया था कि हमारी नई नई शादी हुई थी और हम यहाँ हनीमून के लिए आये हुए थे। लिहाज़ा, खुले में सेक्स करने के लिए यहाँ से बेहतर स्थान और क्या हो सकता था? बढ़िया नरम नरम, और सफ़ेद रेत थी वहाँ, और एक तरफ़ सिर्फ बीच! ऊपर नरम गरम धूप फैली हुई थी। बहुत ही सुखद माहौल! टापू के इस तरफ सब खुला खुला था, और नारियल के पेड़ टापू के दूसरी तरफ़ थे।
उसने कहा, “साहब, ये बढ़िया टापू है! आप लोग थोड़ा आराम कर लें कुछ देर! मैं कहीं से डाब (नारियल) तोड़ कर ले आता हूँ!”
पानी में बहुत देर तक रहने से भूख लगने लगती है। हम अपने साथ कुछ चॉकलेट लाए थे, जिसमे से कुछ हमने नाविक को दिया, और कुछ हमने खुद रख लिए। डाब पीने और खाने से भूख कम तो हो ही जाती।
“ठीक है दादा,” मैंने नाविक से कहा, “तीन चार डाब चाहिए होगा हम दोनों को!”
“आप चिंता न करें साहब,” नाविक ने समझते हुए कहा, “कम से कम आधा दर्ज़न लेता आऊँगा!”
उसने कहा, और हमको वहीं किनारे पर छोड़ कर दूसरी तरफ जाने लगा। जब नाविक जा रहा था, तो मैंने उसको आँख मार कर इशारा किया - बदले में उसने भी मुस्कुरा कर सर हिलाया। प्लान तो वो भी समझ गया था। जब कुछ देर बाद वो आँखों से ओझल हो गया, तो मैंने देवयानी को अपनी बाहों में भर के चूमना शुरू कर दिया।
मेरी इस बेसब्री वाली हरकत से वो हँसने लगी।
‘ये हस्बैंड लोग भी न! कैसे बच्चों जैसे होते हैं!’ देवयानी ने मन ही मन सोचा, ‘अपने ऊपर कोई कण्ट्रोल ही नहीं! न तो इनको टाइम का ख़याल होता है, और न ही प्लेस का! बस जहाँ देखो तहाँ, जब मन खेलने का मन किया, तब अपनी वाइफ को छेड़ने लगते हैं! लाइसेंस टू किल!’
मेरे बारे में देवयानी को अब तक लगभग सब कुछ मालूम चल गया था। मैंने अपने बारे में कोई भी बात उससे राज़ बना कर नहीं रखी कभी भी! तो उसको मेरी पसंद, नापसंद - हर बात मालूम थी। उसके कहने पर मैंने उसको गैबी और मेरे बारे में, और काजल और मेरे बारे में सब कुछ बता दिया। गैबी के नाम के एल्बम उससे छिपे नहीं थे। उधर पिछले कुछ दिनों में माँ और काजल भी उसकी करीबी सहेलियाँ बन गई थीं, और जो बातें मुझसे रह गई हों, वो सब उन दोनों से उसको मालूम पड़ गई थीं। अपनी पत्नी या प्रेमिका के साथ मैं बहुत कामुक हो जाता हूँ - यह बात देवयानी अच्छी तरह से जानती थी। और उसको इस बात से कोई शिकायत भी नहीं थी। अगर हस्बैंड वाइफ ‘हॉट’ सेक्स नहीं करेंगे, तो फिर कौन करेगा?
मेरा लिंग कठोर हो कर उसके पेट पर गड़ा जा रहा था। और उधर, मेरे द्वारा लिया जाने वाला चुम्बन, और साथ में किया जाने वाला उसका स्तन-मर्दन - देवयानी की सिसकियाँ बढ़ रही थीं, और उसको भी अपार आनंद मिल रहा था। लेकिन यह भी कोई जगह थी उसको इस तरह उकसाने की?
“क्या इरादे हैं, ठाकुर साहब?”
“नेक तो बिलकुल भी नहीं है ठकुराईन!” मैंने भी खिलंदड़े अंदाज़ में कहा।
“हा हा! अरे थोड़ा तो सब्र रखिए न! वो आदमी आ जाएगा!”
“नहीं आएगा इतनी जल्दी - अब तो वो आपका ‘केक’ कटने के बाद ही आएगा!”
“केक? हा हा हा! बद्तमीज़!”
“ओह, हाँ - सॉरी! केक नहीं! चूत!”
देवयानी ने मेरी बात पर पहले तो मुझे एक चपत लगाई और फिर मेरे गले में अपनी बाहें डाल कर झूलती हुई बोली, “बहुत बेशर्म हो गए हैं आप ठाकुर साहब?”
“अब अपनी बीवी से भी शर्म करूँ फिर तो हो गया काम हमारा!”
“हा हा! तो फिर मत करिए शर्म!” डेवी की अदा वाकई निराली थी - उसने अचानक ही सुर बदलते हुए, बड़ी सेक्सी अदा से कहा, “लेकिन आपका ‘केक’ मीठा नहीं रहा, बल्कि नमकीन हो गया है!”
“मेरी जान, हनीमून में तो नमकीन केक ही खाने में मज़ा आता है!”
देवयानी का शरीर, और उसको सेक्सी बातें, हमेशा ही मुझे रोमांचित कर देने के लिए काफी थीं! मैंने उसकी बिकिनी को उसके कन्धों की तरफ से, किसी केले के छिलके की तरह उतारते हुए उसको अर्धनग्न कर दिया, और फिर उसके शरीर के हर अंश को चूमने लगा।
देवयानी सिसकारी भरने लगी, “जानू! अभी नहीं! होटल में करते हैं न? ओह्ह… अगर वो आदमी आ गया तो?”
“तो क्या? तुम भी तो एक और लण्ड सैंपल करना चाहती हो न? उसी को बोल दूँगा!”
मेरी बात से देवयानी चौंक गई - “आह्ह! धत्त! नहींन्न!”
“क्यों? नहीं चाहिए?”
“जानू! वो मेरी फंतासी है! लेकिन वो मैं केवल एक बार करना चाहती हूँ! इसलिए अगर करना है, तो स्पेशल करवाना! नहीं तो आई ऍम मोर दैन फुल्ली सैटिस्फाइड!”
“हम्म! ठीक है मेरी जान! लेकिन वो आदमी इतनी जल्दी वापस नहीं आएगा! कम से कम आधा घंटा लेगा!”
“हा हा! आपका आधे घंटे में होता भी क्या है?”
“क्यों? कल की क्विकी में मज़ा नहीं आया?”
“बहुत मज़ा आया,” उसने कहा, और फिर मेरे स्विम-निक्कर को नीचे सरका कर बोली, “लेकिन पहले आपके नमकीन केले को मीठा बना दूँ?”
उसने कहा, और मेरे सामने रेत पर घुटने के बल बैठ गई, और मेरे उत्तेजित लिंग को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी! देवयानी को अभी भी सीखना बाकी था, लेकिन फिर भी, वो जो कर रही थी, उसमे मुझे असीम आनंद मिल रहा था! उसने केवल एक या दो मिनट ही मुख-मैथुन किया होगा, लेकिन मुझे उतने में ही ऐसी कामुक गुदगुदी हुई, कि मैं क्या कहूँ! मैंने उसको जल्दी ही रोक दिया, कि कहीं उसके मुँह में ही स्खलित न हो जाऊँ!
“क्या हुआ?” उसने आश्चर्य से पूछा, “मज़ा नहीं आया क्या बाबू?”
“बहुत मज़ा आया मेरी जान!” मैंने उसके मुख को चूमते हुए कहा, “लेकिन चाकू इस समय तेज़ है! केक काट देता हूँ!”
“हा हा हा हा!” डेवी दिल खोल कर हँसी, “ओह! ये बात है?”
मैंने उसका स्विमसूट जल्दी से उतार दिया और उसको पूर्ण नग्न कर दिया। मारे आवेश में उसकी बिकिनी मैंने थोड़ी दूर फेंक दी।
“हाँ जी! ये तेज़, गरम चाकू, इस केक को अच्छी तरह से काटेगा अब!”
“काट दो मेरे राजा!” देवयानी ने बड़ी कामुक अदा से कहा, “जैसा मन करे, वैसे काटो इस केक को!”
मेरी और देवयानी दोनों की ही हालत बहुत खराब थी - मेरा लिंग तो ऐसा कठोर हो रखा था कि मानों हल्के से दबाव से फट जाए। और उधर देवयानी की योनि भी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। मुझसे अब और रहा नहीं जा रहा था - मैंने बिना किसी भूमिका के, डेवी के होंठ चूमते हुए अपने, लिंग को उसकी योनि के द्वार पर सटा कर एक ज़ोर का धक्का लगाया… मेरा लिंग वाकई उसकी योनि में ऐसे सरकता चला गया, जैसे किसी केक को चाकू से काट दिया गया हो। डेवी के मुँह से एक कामुक सी आवाज़ निकल गई।
“आह्ह्ह्ह जानू! फ़क मीईईई!” वो कामुकता से कराही, “फ़क मी हार्ड! इम्प्रेग्नेट मी!”
वैसे तो लग रहा था कि लगभग तुरंत ही स्खलित हो जाऊँगा, लेकिन देवयानी के अंदर जा कर लगा कि मोर्चा कुछ देर तक सम्हाला जा सकता है। उसके साथ तेजी से सम्भोग गया, लेकिन फिर भी कोई पाँच मिनट बीत गए। सोचा, कि कुछ मज़ा और बढ़ाते हैं - इसलिए मैंने डेवी को ऊपर उठा लिया, और खुद उसके नीचे आ गया। यह मज़ेदार था - देवयानी िस्तनी मस्त हो चली थी, कि शायद उसको हमारी इस बदली हुई अवस्था का ध्यान भी न रहा हो! वो मेरे लिंग पर अपनी योनि को निर्धारित कर के पहले की ही भांति धक्के लगाने लगी। इस अवस्था में मुझको खुद पर अधिक नियंत्रण महसूस हो रहा था। कोई पाँच मिनट और बीत गए, और इस नए ‘आसन’ में सम्भोग की पूरी क्रिया के दौरान देवयानी का शरीर इस तरह थरथराता रहा कि जैसे वो पूरा समय ओर्गास्म महसूस कर रही हो!
“कैसा लग रहा है मेरी जान?” मैंने पूछा।
“ओह गॉड! यू विल किल मी, हनी!”
देवयानी वाकई बहुत ही कामुक थी! उसके साथ सम्भोग कर के मुझे किसी राजा के ही जैसा महसूस होता था। अब हमारा खेल अपने पूरे शबाब पर पहुँच गया था। मैंने देवयानी को नीचे से ही भोगते हुए, उसके नितम्बों को सहलाना आरम्भ कर दिया। मैं जल्दी ही स्खलित होने वाला था; और अधिक देर खलने की हिम्मत अब नहीं थी। समुद्र के पानी ने पहले ही बहुत ताकत निकाल दी थी, और ऊपर से तीव्र सम्भोग!
मैंने अचानक ही एक बलवान झटका मारा, और देवयानी के गर्भ की गहराई में जा कर मेरे लिंग ने अपना ‘पे लोड’ छोड़ना शुरू कर दिया! कुछ ही क्षणों में मेरी बीवी की कोख मेरे वीर्य से भर गई…
“आह मेरी जान… आह! मज़ा आ गया…”
मैं देवयानी के ऊपर ही निढाल हो गया। डेवी भी संयत होकर गहरी साँसे भरती हुई लेट गई! लेकिन वो ऐसे आसानी से छूटने वाली नहीं थी। मैंने उसके होंठों, आँखों, कानों, गले और स्तनों पर अपने गर्म चुंबनो की झड़ी लगा दी। कुछ ही देर बाद मेरा लिंग सिकुड़ कर खुद ही उसकी योनि से बाहर आ गया।
हम दोनों अभी भी एक दूसरे के आलिंगन में बंधे हुए थे।
“अमर?” डेवी ने बड़ी ही कोमलता से मुझे पुकारा।
“हम्म?”
“एक बात कहूँ?”
“बोलो न?” मैंने उसके एक चूचक को चूमते हुए कहा।
“मैं चाहती हूँ कि हमारा बच्चा तुम्हारे जैसा हो!”
“मेरे जैसा? क्यों?”
“तुम बहुत भोले हो! इसलिए!” उसने मुझे प्यार से देखते हुए कहा।
“मैं भोला हूँ?”
देवयानी ने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया।
“और जो मैं हमेशा ये तुम्हारा ‘केक’ काटता हूँ, वो?” मैंने देवयानी को छेड़ते हुए कहा।
“प्यार करना भी तो भोलेपन की ही निशानी है!” वो बोली, “मुझे मालूम है कि तुम बहुत ‘हॉट’ हो! लेकिन तुम्हारा सारा प्यार मुझ पर ही निछावर है!”
“और किसको प्यार करूँ?” मैंने भावनात्मक अंदाज़ में कहा, “तुमने मुझे उस समय जीने की आस दिखाई, जब मैं बस एक मशीन बन कर रह गया था! इमोशनलेस! तुमने मुझे दिखाया कि फिर से जिया जा सकता है! तुमको नहीं, तो फिर और किसको प्यार करूँ!”
“इसीलिए तो कह रही हूँ, अमर, कि मैं चाहती हूँ कि हमारा बच्चा तुम पर जाए!” वो प्यार से मुस्कुराई, “तुम्हारी जैसी सच्चाई, तुम्हारे जैसी मोहब्बत, हमारे बच्चे में चाहिए मुझे!”
मैंने उसको प्यार से चूमा, “और मैं चाहता हूँ कि हमारा बच्चा तुम पर जाए! तुम्हारे जैसी खूबसूरती - शरीर की भी, और मन की भी! तुम्हारी बुद्धिमानी! तुम्हारे जैसा प्यार! सब क्वालिटीज़ चाहिए!”
“हा हा हा! मिस्टर सिंह, बच्चों में बुद्धिमानी उनकी माँ से ही आती है!”
“ये तो और अच्छी बात है! मुझसे तो बस ‘भोलापन’ ही मिलेगा!”
“हा हा हा हा हा!” डेवी ज़ोर से हँसी; फिर मेरे सीने पर अपनी उंगली से वृत्त बनाते हुए बोली, “तुमको मालूम है - पहले मैं सोचती थी कि मुझे काजल से जलन होगी, या फिर कम्पटीशन जैसा लगेगा!”
काजल का नाम सुन कर मेरे कान खड़े हो गए - कहीं कोई शिकायत तो नहीं है डेवी को!
“लेकिन,” उसने कहना जारी रखा, “सरप्राइसिंगली मुझे वैसा कुछ भी फील नहीं होता उसके लिए! वो मुझे बहुत प्यार करती है! और... मैं भी!”
“हम्म्म! तो आपको भी काजल अच्छी लगने लगी?”
“हाँ न! आई ऍम सरप्राइज़्ड!”
“हा हा हा! हाँ, वो है ही ऐसी! मेरा खुद का रिलेशनशिप उसके साथ कितना बदल गया है! आई थी वो मेड बन कर! लेकिन अब तो वो मेरी बड़ी बहन - या गार्जियन - जैसी है!”
“हाँ! मुझे भी बड़ी बहन के ही जैसे ट्रीट करती हैं!”
“अरे वो बहुत अच्छे घर से है! बस, अपने घरवालों की बैकवर्ड थिंकिंग, और फिर ग़लत शादी के कारण उसकी ऐसी हालत हो गई! नहीं तो वो बहुत कुछ कर सकती थी अपनी लाइफ में!”
“अच्छा, एक बात पूछूँ? सही सही बताओगे?”
“ज़रूर! तुमसे कभी कुछ नहीं छुपाऊँगा!”
“उम्म्म... काजल या गैबी के साथ सेक्स करने में कैसा लगता था? मतलब, वो क्या अच्छा करती थी? मुझे क्या करना चाहिए?”
“अरे यार! कैसी बात पूछ रही हो मेरी जान? इसका आंसर कैसे दूँ?”
“देखो, तुमने प्रॉमिस किया है!”
“हम्म्म! कैसा लगता था? बहुत अच्छा लगता था - ठीक वैसा ही जैसे तुम्हारे साथ लगता है! सुख! संतुष्टि! पीस! पूरा मन और शरीर शांत हो जाता है! और तुमको कुछ भी अलग करने की ज़रुरत नहीं है! आई ऍम वैरी वैरी वैरी हैप्पी विद यू!”
“ठीक है! मान लेते हैं!” डेवी ने अदा से कहा, “लेकिन मुझको बताना ज़रूर अगर कुछ वेरिएशन चाहिए हो, तो!”
“ठीक है ठकुराईन!”
“हा हा हा! अब जाओ, जल्दी से नाव से मेरे सूखे कपड़े निकाल लाओ! ये बिकिनी तो अब मैं नहीं पहन पाऊँगी!”
जब तक नाविक वापस आया, तब तक हम दोनों अपने अपने सूखे, हलके कपड़े पहन कर तैयार हो गए। नाविक के लाए हुए नारियल का पानी पिया, और उसकी मलाई खाई। कुछ संतुष्टि मिली। मुझे पक्का यकीन था कि हमारे शरीर की रंगत बहुत साँवली हो चली है - ऐसी चटक धूप में और क्या उम्मीद करी जाए? लेकिन उससे क्या फ़र्क़ पड़ता है? शरीर में विटामिन डी भी तो बन रहा था खूब! हमारे लिए वही बहुत है!
***
This should also come with Devyani's prospectiveनया सफ़र - विवाह - Update #18
मरी के उत्साहवर्द्धन पर मैंने हुंकार लगाई, और आखिरी दो तीन धक्के लगाए। मरी भी अपनी योनि की दीवारों को कुछ इस तरह संकुचित कर रही थी कि मुझको स्खलित होने के लिए एक अतिरिक्त प्रेरणा मिल रही थी।
आज के स्खलन में जो मैंने महसूस किया वो बिलकुल अनोखा था - जब मेरा वीर्य तीव्रता से मेरे लिंग की सुरंग से मरी की कोख में जाने को उद्धत था, तब मैंने अपने वृषणों में एक उन्मत्त मीठी पीड़ा का अनुभव किया। यह एक नया अनुभव था! कमाल की लड़की है ये तो! आनंद आ गया! ऐसा स्खलन मैंने पहले नहीं महसूस किया था। यह किसी विस्फोट के समान बाहर निकला और मरी की कोख की गहराई में समां गया। मरी का पूरा शरीर इस सम्भोग के दौरान तीसरी बार मादकता से थरथराने लगा - मैं समझ गया - इसको फिर से चरम सुख मिल गया है! लेकिन उसकी योनि मेरे लिंग पर अभी भी उसी तरह से काम कर रही थी। हर स्खलन में मुझे उसी उन्मत्त मीठी पीड़ा का अनुभव हो रहा था। बार बार।
हम दोनों के ही पसीने और मरी के मूत्र से लथपथ थे। इन दोनों से मिल कर वो सनस्क्रीन लोशन किसी सफ़ेद इमल्शन के जैसा दिख रहा था। यह अनुभव कैसा शैतानी टाइप था! एक अलग प्रकार की मादक गंध हमारे चारों ओर फैली हुई थी। पूरी तरह से स्खलित हो कर मैं मरी के ऊपर ही ढेर हो गया! अभी भी हम दोनों के जननाँग मज़बूती से एक दूसरे के साथ जुड़े हुए थे।
कुछ क्षण सुस्ताने के बाद मरी को थोड़ा होश आया, और वो अपने इर्द गिर्द के दीन दुनिया की खबर लेने लगी। उसने हाथ बढ़ा कर अपने पेट को छुआ - उसको संशय था कि उसने वाकई मूत्र कर दिया है। उसने मेरी तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि डाली। मैंने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया, और बोला,
“यू डिड!” मैं हँसा, “नाऊ यू नो व्हाट बीइंग ‘फक्ड द पिस राइट आउट ऑफ़ यू मीन्स’!”
“यू लिटिल रंट!” मरी शर्म से और झूठी नाराज़गी से बोली, “आई फील एस इफ आई हैव बीन रेप्ड!” फिर मुस्कुरा कर बोली, “इन ऐन अमेजिंग, सटिस्फाइंग मैनर!”
“आर यू हैप्पी, मरी?”
“वैरी वैरी हैप्पी! थैंक यू अमर! दिस वास् ऐन अमेज़िंग एक्सपीरियंस! बींग फक्ड इन दिस मैनर इन फ्रंट ऑफ़ माय हस्बैंड... व्हाट इस ही डूइंग एनीवे?”
हाँ, वो दोनों क्या कर रहे थे? मरी और मैं दोनों ही गेल और डेवी की तरफ़ देखने के लिए मुड़े। गेल डेवी के साथ धीरे धीरे सम्भोग कर रहा था। उसके धक्के (?) लगाने का तरीका कुछ ऐसा था कि जैसे वो ‘स्पेनिश’ डांस कर रहा हो।
“डस शी लाइक दिस वे?” मरी ने उस्तुकतावश पूछा।
“नॉट श्योर! आई नेवर डिड हर सो स्लो!”
“याह! आई गेस्सड ऐस मच!” मरी बोली, “डू यू ऑलवेज फ़क हर लाइक यू जस्ट डिड मी?”
“ऑलमोस्ट! आई लव टू टायर हर!” मैं मुस्कुराया, “शी स्लीप्स सो वेल आफ्टर इट!”
“आई ऍम श्योर यू डू! आई लव्ड इट! गॉड! अब्सॉल्युटली लव्ड इट! आई वुडन्ट माइंड अनदर सेशन विद यू! बट नॉट राइट नाऊ! राइट नाऊ, आई ऍम कम्प्लीटली एक्सहॉस्टेड!”
उसने फिर से गेल और डेवी की तरफ देखा - गेल का स्लो मोशन डांस अभी भी चल रहा था।
“ही कॉल्स इट ‘द मैराथन’! आई डोंट माइंड इट - एक्चुअली, दिस एक्सपीरियंस कैन बी प्लीसिंग! बट, ही शुड हैव विटनेस्सड द हरिकेन दैट आई जस्ट एक्सपेरिएंस्ड!”
मरी बोली और हँसने लगी।
उसके हँसने की आवाज़ से गेल का ध्यान हमारी तरफ हो आया। उसने हमारी तरफ देखा। मैं अभी भी जोश में था - मेरा लिंग अभी भी स्तंभित था, और मरी के भीतर मुस्तैदी से पैवस्त (अंदर घुसा हुआ) था। जवानी की यौन क्षमता अद्वितीय होती है! न जाने क्यों गेल को हमारी तरफ देख कर मुझको शैतानी भरा ख़याल आया। मैंने उंगली के इशारे से गेल को दिखाया कि मैं और मरी अभी भी जुड़े हुए थे। वो मुस्कुराया। उसने भी डेवी की योनि से थोड़ा बाहर निकल कर अपना योनि-रस से सना हुआ लिंग मुझे दिखाया।
मेन विल बी मेन!
मैंने उसको ‘थम्ब्स अप’ दिखाया - एक पल के लिए मुझे फिर से उससे ईर्ष्या हो गई। और क्यों न हो? लेकिन मैं उस बात को बर्दाश्त कर सकता था अगर देवयानी को वो आनंद मिल सके, जिसकी उसने कल्पना करी थी। और ऐसा नहीं है कि मैं सूखे सूखे ही निकल लिया था। सच कहूँ, किसी की बीवी के साथ, उसी के सामने सेक्स करना, एक बेहद ही इरोटिक काम है! उसको शब्दों में बयान करना कठिन काम है। जब मैं कुछ लोगों की स्विंगिंग की इच्छा के बारे में सुनता हूँ, तो मैं समझ सकता हूँ, कि उनका क्या मंतव्य है, और उनको वो प्रेरणा क्यों आई है? लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है - अपनी बीवी को किसी और द्वारा भोगा जाना देखना बेहद कष्टदायक अनुभव होता है। उसको शब्दों में बयान करना कठिन काम है। लेकिन फिर जैसा जीवन में अक्सर होता है - आपको कुछ मिलता है, तो आप कुछ खोते भी हैं!
मरी ने मुझे वापस अपने में भींच लिया - कुछ देर चुम्बनों के बाद, मेरे होंठ स्वतः ही उसके स्तनों पर व्यस्त हो गए। इतने समय में गेल ने भी अपना वीर्य देवयानी की कोख में भर दिया। देवयानी की आवाज़ों से मैंने अनुमान लगाया कि वो भी अपने सम्भोग के दौरान दो बार चरम सुख की अनुभूति कर चुकी थी। ये बढ़िया बात थी। उसको किसी पर-पुरुष के साथ सेक्स का अनुभव करना था, जो उसको मिल गया और उसको आनंद भी आया।
उधर वो दोनों निढाल पड़ गए, और इधर मरी अचानक ही एक्टिव हो कर मुझे मुख-मैथुन का आनंद देने लगी। प्रथम स्खलन के बाद भी मैं पूरी तरह से शिथिल नहीं हुआ था। इसलिए मरी ने सोचा कि मुझे एक और बार सुख मिलना आवश्यक है। किसी काम कुशल स्त्री की भांति मरी ने मुझे दो तीन मिनट में ही फिर से तैयार कर दिया। मरी के द्वारा ओरल सेक्स दिए जाने के दौरान मुझे दो बार लगा था कि मैं स्खलित हो जाऊँगा - लेकिन जैसे तैसे मैंने अपने पर नियंत्रण रखा। मरी जानती थी कि मुझे क्या अनुभव हो रहा था। वो बोली,
“हनी, डू इट इन मी! बट दिस इस नॉट कॉउंटिंग टुवर्ड्स माय डिजायर टू हैव अ सेकंड राउंड विद यू! दिस इस जस्ट टू रिलीव यू!”
तो हमने एक बार फिर से सम्भोग किया। जैसा कि मुझे उम्मीद थी, मैं इस बार बेहद जल्दी ही स्खलित हो गया। लेकिन उसके पहले गेल और डेवी दोनों अपने स्थान से उठ कर हमारे पास आ गए, और बड़े चाव से हमको सेक्स करते हुए देखने लगे। डेवी के चेहरे पर मुस्कराहट थी - वो संतुष्ट थी और शायद उसके चेहरे पर गर्व जैसा भाव भी था। उसको देख कर अच्छा लगा मुझे।
जब मैं अंत में स्खलित हो कर सिसकार रहा था, तब डेवी ने मुझे आलिंगन में ली कर मेरे होंठों को बड़ी शिद्दत से चूमा। उसमे कई सारे भाव मिले हुए थे - कामुकता, कृतज्ञता, प्रेम, आदर, और गर्व!
“वेल डन मेट!” गेल बोला, “आई कैन सी हाऊ वेल सैटिस्फाइड मरी इस! थैंक यू!”
मैं मुस्कुराया, “एंड टू यू एस वेल, गेल! डेवी हैड दिस फंतासी, एंड आई ऍम हैप्पी दैट यू फुलफिल्ड इट!”
खैर, अंततः, हम सभी उठे। एक बार फिर से समुद्री पानी में नग्न हो कर हमने डुबकी लगाई, जिससे कि शरीर के द्रवों की महक धुल जाए। फिर दोनों लड़कियों ने अपने अपने पतियों की टी-शर्ट्स पहनी, और हम सभी वापस अपने रेसॉर्ट की तरफ चल दिए।
“कैसी हो मेरी जान?” मैंने डेवी से पूछा, “अच्छा रहा?”
डेवी के चेहरे पर लालिमा दौड़ गई, “हाँ!” वो थोड़ा हिचकिचाई, “अच्छा तो लगा!” फिर थोड़ा सोच कर आगे बोली, “तुम दोनों के पीनस एक जैसे हैं, लेकिन प्यार करने का तरीका कितना अलग है!”
“तो क्या? कम से कम तुमको अच्छा एक्सपीरियंस मिला! इसीलिए तो मैंने इसके लिए हाँ कहा था।”
डेवी ने पूछा, “तुमको कैसा लगा, जान?”
“बढ़िया! एक्सपर्ट है ये! लेकिन पूरा टाइम तुमको मिस किया!”
“हाँ, वो मैंने देखा - ‘आह मरी, आह मरी’ - बिलकुल, आप मुझे ही मिस कर रहे थे!” वो हंसने लगी।
“हा हा हा! लेकिन यार - तेरे दुद्धूओं से उसका कोई मुकाबला ही नहीं है! तू बहुत सेक्सी है!”
“आई नो!”
“लेकिन मरी बहुत फ्लेक्सिबल है!”
“आई ऍम श्योर!” डेवी ने बड़े ही अनमने ढंग से यह बात कही।
मुझे लगा कि शायद डेवी को मेरी बात का बुरा लग गया।
मैंने उसको मनुहार लगाते हुए कहा, “ओ जानू, तुमको बुरा लगा?”
“हम्म? क्या?” फिर जैसे वो वापस धरातल पर आई हो, “नहीं नहीं! बुरा क्यों लगेगा मेरी जान? मैं कुछ सोच रही थी!”
“क्या?”
“सोच रही थी कि इस साल तो आप फ्लेक्सिबिलिटी जैसी बातें मत ही सोचिए!”
“हैं? ऐसा क्यों? योगा करेंगे - स्ट्रेचेस करेंगे! फ्लेक्सिबल होने में बहुत समय थोड़े लगता है?”
“वो बात नहीं है मेरे जानू!”
“फिर?”
“अब मैं आपको कैसे समझाऊँ?”
“अरे, ऐसा क्या हो गया?”
हम दोनों बहुत धीरे धीरे चल रहे थे। गेल और मरी हमसे कम से कम बीस बाइस कदम आगे निकल गए थे। देवयानी अभी भी झिझक रही थी।
“बोलो न? क्या हुआ?”
“जानू? आई थिंक...” वो हिचकिचाई, “आई थिंक”
“हाँ हाँ - आगे भी तो कहो न यार!” मैंने बेसब्री से कहा। न जाने क्यों जब कोई पहेलियाँ बुझाने लगता है तो मुझको अच्छा नहीं लगता।
“अमर, माय लव, आई थिंक, आई ऍम प्रेग्नेंट!”
“व्हाट? व्हाट! व्हाट?” मैंने ज़ोर ज़ोर से बोला।
कैसी बढ़िया खबर है ये तो - अगर ये सच है तो! क्या वाकई? भगवान् की ऐसी दया है मुझ पर? मेरी ऊँची आवाज़ से आगे चलते हुए गेल और मरी का भी ध्यान हमारी ओर हो आया। उनको लगा कि शायद हमारे बीच झगड़ा हो गया। चिंता के मारे दोनों भागते भागते हमारे समीप आने लगे।
“आर यू श्योर?”
“नहीं” डेवी ने सर झुकाते हुए ‘न’ में सर हिलाया।
“फिर?”
“आई मिस्ड माय पीरियड्स!”
“कब होना था?”
“हनी,” उसने मुझे समझाते हुए कहा, “व्हेन व्ही स्टार्टेड हैविंग सेक्स, दैट वास् माय मोस्ट फर्टाइल टाइम!” डेवी अभी भी शर्मा रही थी, “आई शुड हैव हैड माय पीरियड्स एट लीस्ट थ्री वीक्स एगो! बट...”
तब तक दोनों जने भी हमारे पास आ गए!
“व्हाट हैपेंड? आर यू टू फाइटिंग विद ईच अदर?” मरी ने चिंतातुर आवाज़ में पूछा।
“ओह नो नो! नॉट फाइटिंग, मरी!” मैं अभी भी इस खबर के झटके से उबरा नहीं था, “डेवी सेस दैट शी माइट बी प्रेग्नेंट?”
“व्हाट? वाओ! वाओ! कॉन्ग्रैचुलेशन्स हनी! दिस इस सच अ ग्रेट न्यूज़!” मरी ने खुश होते हुए कहा।
गेल ने भी हम दोनों से कई बार ‘कॉन्ग्रैचुलेशन्स’ ‘कॉन्ग्रैचुलेशन्स’ कहा।
“थैंक यू,” मैंने कहा, “बट व्ही आर नॉट श्योर!”
“दैट इस नो प्रॉब्लम ऐट आल!” मरी समझदारी से बोली, “कम टू आवर कबाना। आई हैव अ प्रेग्नेंसी टेस्ट किट। यूज़ दैट एंड बी श्योर!” वो मुस्कुरा रही थी।
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अचानक ही मेरे मन से सारे विचार निकल गए और बस एक विचार रह गया!
‘हमारा बच्चा!’
मैं आपको बता नहीं सकता कि अपने खून के बारे में सोचना कैसा आनंददायक अनुभव होता है। हाँ - बच्चों को पैदा करने, उनके लालन पालन में उनके माँ बाप का तेल अवश्य निकल जाता है, और उनके जीवन का भरता बन जाता है, लेकिन प्रकृति ने यह एक ऐसी व्यवस्था बनाई हुई है कि उसमे भी उनको एक अंदरूनी आनंद आता है। कोई जीव अपनी संतानों के रूप में ही अमर हो जाता है। हमारा जीवन काल कितना ही लम्बा होता है? औसतन कोई सत्तर साल? लेकिन अपनी संतानों के जरिए हम शताब्दियों तक जीवित रह सकते हैं। संभव है कि इसी अमरता को प्राप्त करने के लिए हम इतने कष्ट उठाते हैं।
अब तक अपनी दो संतानों को मैं खो चुका था। इसी से पाठकों को समझ में आ जाना चाहिए कि देवयानी के साथ मेरी संतान का होना कैसी आनंद वाली बात है। इस समय मुझे बस यही ख़याल आ रहे थे। अगर यह बात सच है, तो देवयानी ने मुझे अमरता का उपहार दिया है! दिल की धड़कनें कैसी तेज हो गईं मेरी - रास्ते भर बस यही सोचता रहा। रोमाँच हो आया।
खैर, एक लम्बे समय के बाद हम अपने कबाना पहुँचे। वहां मरी ने डेवी को एक पैकेट दिया और बाथरूम जाने को बोला। होता दरअसल यह है कि गर्भाधान के आरम्भ होते ही स्त्री के शरीर में एक हॉर्मोन बनने लगता है, और गर्भावस्था के आरंभिक दिनों में बड़ी तेजी से बनता है। अगर तीन चार हफ्ते का गर्भ है, तो प्रेग्नेंसी किट्स सही सही काम करती हैं। मैं बेचैनी से चहल कदमी करते हुए डेवी के बाहर आने का इंतज़ार कर रहा था।
“रिलैक्स मेट,” गेल ने बड़ी समझदारी से मुझे समझाते हुए कहा, “डोंट वरी! इफ डेवी कैन फील इट, देन शी मस्ट बी प्रेग्नेंट! अ वुमन जस्ट नोस! दैट टेस्ट इस जस्ट टू कन्फर्म आवर सस्पिशन!”
मरी भी मुस्कुराई - लेकिन उसकी मुस्कराहट में उदासी की झलक मुझे दिखाई दे गई। मैंने उसको नज़रअंदाज़ किया। ये मेरी और देवयानी के बीच की बात है।
‘हे प्रभु! दया!’
ऐसा लगा कि डेवी वर्षों बाद बाथरूम से निकली। अब उसको लगता है सभी से झिझक हो रही थी।
“क्या हुआ?”
“हनी,” मरी ने डेवी को अपने आलिंगन में भरते हुए कहा, “व्हाट इस इट?”
डेवी ने काँपते हाथों से थर्मामीटर के समान वो प्रेग्नेंसी टेस्ट किट सामने बढ़ा दी। एक मोटी लाल धारी के साथ साथ एक पतली, फ़ीकी सी लाल धारी भी थी। मरी ने उसको देखा और मुस्कुराई।
“कॉन्ग्रैचुलेशन्स मिसेज़ सिंह!” वो बोली।
“व्हाट, व्हाट डस इट मीन?”
“इट मीन्स, माय फ्रेंड,” मरी ने कहना शुरू किया, लेकिन फिर गेल भी उसी के साथ बोलने लगा, “दैट यू आर सून गोइंग टू बी अ डैड!”
मेरे चेहरे पर अचानक ही हज़ार वाट की मुस्कान कौंध गई। मैंने लगभग चीखते हुए डेवी के पास आया, और उसको अपनी गोद में भर कर उठाने के लिए हुआ ही था कि मरी ने मुझे रोक दिया,
“नो नो नो नो... नो सडेन मूवमेन्ट्स! यू गाइस नीड टू बी केयरफुल नाऊ!”
हाँ बात तो सही थी।
मैंने डेवी को गोदी में उठाने का विचार त्याग दिया। और उसके दोनों गालों को अपनी हथेलियों में भर के मैंने उसके होंठों को चूम लिया।
“थैंक यू,” मैंने बड़े प्यार से देवयानी से कहा - और इन दोनों शब्दों में मेरी सच्चाई साफ़ झलक रही थी - “थैंक यू!”
चाहने वाले मित्रों के बीच घिरी हुई डेवी इस खुशखबरी को पा कर बेहद खुश थी। जो विचार कब के त्याग दिए जाएँ, वो सभी अचानक ही मूर्त रूप लेने लगें, तो एक सुखद आश्चर्य होता ही है। अपने पहले ब्रेकअप के बाद उसने सोचा था कि कभी किसी आदमी से दोस्ती नहीं करेगी। मतलब न तो शादी होनी है, और न ही बच्चे! हाँ - गोद ले लिया जाए, वो एक अलग बात है। लेकिन अब - एक एक कर के उसकी सभी दबी हुई इच्छाएँ साकार हो रही थीं।
उसकी आँखों से आँसू ढलक गए।
“आई ऍम सो हैप्पी फॉर यू बोथ, माय स्वीट्स,” मरी बहुत खुश होते हुए बोली, “यू बोथ आर सो क्यूट! एंड आई नो दैट योर बेबी विल बी वैरी क्यूट एस वेल!”
“थैंक यू मरी!”
“व्ही मस्ट सेलिब्रेट! बट हनी, फ्रॉम नाऊ ऑन नो स्मोकिंग, नो ड्रिंकिंग, एंड ओन्ली केयरफुल सेक्स! ओके?” उसने किसी बड़े की भांति डेवी को समझाया।
उसकी बात पर हम सभी को हंसी आ गई।