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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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avsji

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अचिन्त्य - Update # 20


घर से रेस्त्रां जाते समय हमारी बातचीत कम ही हुई। आदत से मजबूर था मैं - हमारी बातचीत वैसी ही थी, जैसी कि हमेशा से होती आई थी... बस यही कि उसका दिन कैसा था, उसके दोस्त कैसे हैं, और ऐसी ही फ़िज़ूल की बातें! जब आखिरी बार डेटिंग किये हुए इतना लम्बा अर्सा निकल गया हो, तो दोबारा डेटिंग शुरू करने में मुश्किल होती है... आप इस खेल के नियम भूल जाते हैं! सब नया हो जाता है। वैसे भी, लतिका नई पीढ़ी की लड़की थी और मैं स्वयं इस पीढ़ी के संपर्क में नहीं था। इस कारण से भी थोड़ी दिक्कत थी। लेकिन लतिका सब समझ रही थी, और इस बात को ले कर बहुत संवेदनशील भी थी। वो चाहती थी कि मुझे बुरा न लगे।

जब हम रेस्त्रां पहुँचे, तो वहाँ के मैत्रे दे’होटल (मुख्य बटलर) हमें हमारी टेबल तक आदर पूर्वक ले गया। हमारी डेट की व्यवस्था रेस्त्रां की ऊपरी मंज़िल पर खुले में किया गया था। यह थोड़ा एक्सक्लूसिव एरिया था - उतने बड़े क्षेत्र में जहाँ नीचे बारह टेबल होतीं थीं, वहीं यहाँ पर केवल छः टेबल ही थीं। हमारी टेबल सामान्य से छोटी थी, तो जाहिर सी बात है कि केवल दो लोगों के रोमांटिक या इंटिमेट डिनर / लंच के लिए इस्तेमाल में आती थी। टेबल पर सफ़ेद लिनन शीट पड़ी हुई थी और टेबल पर एक गुलदान और दो मोमबत्तियाँ लगी हुई थीं। एक समय था जब मुझे इस तरह के दिखावों में कोई भरोसा नहीं था - अभी भी नहीं है। लेकिन फिर भी लगता है कि अगर आप किसी से प्रेम करें, तो उसकी अभिव्यक्ति भी बढ़िया तरीक़े से करें। अंदर आते आते मैंने मैत्रे दे’होटल से बढ़िया क़िस्म की शेनिन ब्लाँक वाइन लाने को कह दिया था। जहाँ तक मुझे ज्ञात है, लतिका ने अभी तक किसी भी तरह की मदिरा का सेवन नहीं किया था। इसलिए, मैंने इस क्लासिक वाइन को चुना, जिसको पी कर आनंद मिले, अधिक नशा न हो, और शरीर और मन को हल्का महसूस हो।

यहाँ जिस तरह की व्यवस्था थी, उसमें एक खूबसूरत लड़की की मौजूदगी में, रोज़मर्रा की बातें नहीं हो सकती थीं। और वैसे भी, ये लतिका और मेरी पहली डेट थी! थोड़ी ही देर में हमारी बातचीत गंभीर विषयों की दिशा में मुड़ गई - बातें जैसे कि लतिका के भविष्य के सपने, और मेरी स्वयं की भविष्य की चिंताएँ! लतिका के भविष्य के सपने सरल और सुन्दर से थे, और मेरी भविष्य की चिंताएँ अनावश्यक रूप से गंभीर! मुझे भी लग रहा था कि अगर उसके जैसी साथी हो, तो ये सब बेजा चिंताएँ हैं!

जब वेटर ने हमको वाइन सर्व करी, तो लतिका ने मेरी तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि डाली।

इट इस सेफ... लतिका... डोंट वरी! ... एक दो सिप ले कर देखो, अगर पसंद न आए, तो अपने मन का जो चाहो, ऑर्डर कर देना! यू डोंट हैव टू ड्रिंक...”

मैं मुस्कराया।

लतिका भी।

यह नए अनुभवों का आनंद लेने का समय था।

हमने अपने अपने वाइन ग्लासेस को टुनका कर ‘चियर्स’ कहा, और एक एक सिप लिया।

थैंक यू फॉर आस्किंग मी आउट...” उसने एक सिप लेते हुए कहा।

थैंक यू फॉर अक्सेप्टिंग इट...” मैंने झिझकते हुए कहा, “न जाने क्यों... हम घर पे रहते हुए थोड़ा अजीब सा व्यवहार कर रहे हैं।”

“आई ऍम सॉरी!”

“अरे! सॉरी मत कहो लतिका... मैं तुम पर कोई इलज़ाम नहीं लगा रहा हूँ... और वैसे भी यह बात मेरे ऊपर अधिक लागू होती है...” मैंने वही कहा जो सही था, “... न जाने क्यों मैं तुमसे खिंचा खिंचा सा रहता हूँ! बात नहीं करता... बहुत इम्मैच्योर बिहैवियर है मेरा! ... इसलिए, मुझे इन सब बातों को सही करने का मौका देने के लिए थैंक यू!”

लतिका ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख कर, हलके से दबाया।

“आप ऐसे क्यों सोच रहे हैं... मुझे तो इस बात की खुशी है कि घर पर हम दोनों को ले कर हर कोई इतना सपोर्टिव है।” लतिका मुस्कुराई, और बात बदलते हुए बोली, “... हाऊ वास योर वीक?”

“बोर...” मैंने हँसते हुए कहा, “आजकल सब कुछ बोर लगता है! ... पूरा टाइम... पूरा टाइम तुम्हारे... हमारे बारे में सोचता रहता हूँ!”

“मैं भी... मैं भी आपके बारे में ही सोचती रहती हूँ...” उसने कहा, “... पूरे टाइम!”

मैंने हाथ बढ़ा कर लतिका का हाथ अपने हाथ में ले लिया,

“तुम बहुत सुंदर हो लतिका...” मैंने बहुत धीरे से, लेकिन पूरी शिष्टता से कहा।

लतिका शरमा गई, लेकिन उसने मेरे हाथ को चूम लिया! मेरा दिल धड़क उठा।

“मैं आपसे एक बात कहूँ... अमर?” लतिका बोली - उसने मुझे मेरे नाम से पुकारा - और मैं इससे बहुत खुश था, “जैसा मैं आपके बारे में महसूस करती हूँ, वैसा मैंने किसी के लिए नहीं किया... कुछ बात तो है आप में!”

उसने कहा, और मेरे कुछ कहने का इंतज़ार करने लगी। लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा।

“अमर... आई ऍम सरप्राइज़्ड कि आप जैसे... हैंडसम... आदमी को मैं पसंद आई! ... और औरतों का नुकसान... मतलब मेरा फ़ायदा!” कह कर वो हँसने लगी।

उसकी बात से मैं थोड़ा नर्वस हो गया।

कुछ भी हो, लतिका हमारी फर्स्ट डेट को ले कर बहुत उत्साहित थी, और मैं अपेक्षाकृत नर्वस था। लेकिन, जिसके साथ जीवन बिताना है, उसके साथ संयत होना बहुत ज़रूरी है। उसको अपने मन में दाखिल होने देना बहुत ज़रूरी है।

“लतिका... आई ऍम टायर्ड!” मैंने बहुत थके हुए स्वर में कहा।

यह सुनते ही उसके हाव-भाव तुरंत बदल गए, “ओह, डू यू वांट टू गो होम?”

“व्हाट? ओह नो! नहीं… नहीं... मेरा वो मतलब नहीं था... आई ऍम टायर्ड... नॉट फिजिकली... बट ईमोशनली!”

लतिका समझ गई कि मैं क्या कहना चाहता था, और इसलिए वो चुप रही।

मैंने ही बात आगे बढ़ाई, “दो बार शादी हो चुकी है मेरी… और तुमसे पहले... तुमसे पहले भी कई औरतों से मेरे संबंध रहे हैं...”

मैंने आखिरी दो शब्दों पर जोर दिया, ताकि लतिका समझ सके कि वो क्या कर रही है। उसे समझ में आना चाहिए, कि मैं न केवल दो बार रंडवा हो चुका हूँ, बल्कि मेरा सेक्सुअल एक्सपीरियंस बहुत व्यापक भी है। शायद मैं उसको डराना चाहता था। शायद मैं उससे ईमानदारी से पेश आना चाहता था। क्या पता? मुझे खुद ही नहीं पता ठीक से!

बट श्योरली, दैट डस नॉट एफेक्ट अस?” लतिका ने पूछा।

मुझे उम्मीद नहीं थी कि लतिका ऐसा कुछ कह सकती है! सच में, अपनी उम्र से कहीं अधिक परिपक्व हो गई थी वो!

“लतिका... देवयानी के बाद... मुझे डेटिंग का कोई एक्सपीरियंस नहीं हुआ... और जो... कभी-कभार का एक्सपीरियंस हुआ वो सब यूँ ही था। ... उसका कोई मायने नहीं है!”

“अमर,” लतिका ने इतने स्नेह से मेरे गाल को छुआ कि मैं पिघल गया - वो छोटी सी लड़की कब बड़ी होकर इतनी मैच्योर युवती बन गई थी, मुझे पता ही नहीं चला, “क्या आपको लगता है कि इन सब बातों का हमारे फ्यूचर पर असर पड़ेगा?”

“नहीं...” मैंने फुुसफुसाते हुए कहा।

“तो फिर हम कुछ और बातें करते हैं...” लतिका बोली।

मुझे समझ आ रहा था वो हमारी बातचीत को बड़ी कुशलता और सावधानीपूर्वक एक सही दिशा दिखा रही थी! वो उसको बहुत खुशनुमा रखने की कोशिश कर रही थी, और मुझे हमारे आने वाले जीवन के लिए उत्साहित कर रही थी। सच में - लतिका इस समय एक मैच्योर एडल्ट की ही तरह व्यवहार कर रही थी। मैंने मन ही मन एक और बात स्वीकारी - अब मुझको सच में लतिका को किसी बच्ची के नज़रिए से देखना बंद कर देना चाहिए था। ... और बड़ी अच्छी बात थी कि हम दो एडल्ट्स की ही तरह डेट पर बाहर निकले थे। अंततः मैं लतिका को एक वयस्क के रूप में देख सका! मेरे बराबर! मेरे जैसी! शायद मुझसे भी अधिक! मैं उसको यह बताना चाहता था, लेकिन मेरे मुँह में वो शब्द लड़खड़ा रहे थे।

कैसे बताऊँ मैं उसको?

मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए लतिका का हाथ अपने हाथ में लिया। उसकी हथेली के पिछले हिस्से की स्किन चिकनी और थोड़ी गर्म सी थी। उसकी स्किन के नीचे की नसें उसकी दिल की धड़कनों के साथ हलके हलके धड़क रही थी। शायद लतिका ने भी मेरी छुवन में कुछ महसूस किया हो... हमारी आँखें कुछ समय के लिए बंद हो गईं, और हम में से कोई भी कुछ नहीं बोला।

“अहेम...”

हमने आँखें खोलीं, तो देखा कि वो हमारा वेटर था, जो हमारा डिनर ले कर आया हुआ था।

मैंने बहुत धीरे और अनिच्छा से अपना हाथ खींच लिया। वेटर समझ रहा था कि उसने हमारी अंतरंग बात में ख़लल डाल दिया था, लिहाज़ा वो भी अपना काम जल्दी जल्दी कर के वहाँ से चम्पत हो जाना चाहता था। खाना सर्व होने के बाद हम दोनों ही बड़े आराम से भोजन का आनंद उठाने लगे। हम अभी भी बातें कर रहे थे, लेकिन पहले से कम! अधिकतर बातें बड़ी खुशनुमा थीं। हमने कई सारी पुरानी यादें ताज़ा करीं - पुरानी, लेकिन सुखद यादें! बचपन की बातें, जिनमें माँ, अम्मा, मिष्टी और पापा प्रमुखता से थे। वो सावधानीपूर्वक गैबी या डेवी के बारे में बातें करने से बचती रही। आज की रात हमारे और हमारे भविष्य के बारे में थी, इसलिए उसने बड़ी दक्षतापूर्वक मुझे मेरे अतीत के बारे में अनावश्यक रूप से याद करने की कोई कोशिश नहीं करी।

जब डिजर्ट सर्वे किया गया, तो लतिका ने अचानक ही, शर्म से मुस्कुराते हुए, लेकिन बच्चों जैसे उत्साहपूर्वक फुसफुसा कर कहा,

“उम्… आपने उस कपल को देखा? ... नो नो... डोंट सी देम नाऊ...” फिर दो पल बाद, “अब देखिए... वो जिनके टेबल पर लसानिया है?”

मैंने तिरछी निगाह से देखा - हमारी टेबल से आड़ी साइड में एक अधेड़ उम्र का जोड़ा बैठा हुआ था।

“ओके! कौन हैं वो?” मैंने लतिका से उसी के ही अंदाज़ में उत्सुकतापूर्वक पूछा, “क्या किया उन्होंने?”

लतिका बड़े षड़यंत्रकारी अंदाज़ में टेबल पर मेरे सामने झुकते हुए कहा - उसके युवा स्तन उसकी ड्रेस में बड़े रोचक करीके से दब कर उभर आए और उसकी नेकलेस का पेन्डेन्ट उसके स्तनों के बीच की दरार में बड़े ही खतरनाक तरीके से घुस गया।

“जब से वो दोनों आए हैं, तब से हमको ही घूर रहे हैं दोनों!” उसने कहा।

“व्हाट! दोनों?”

“हाँ... वो लेडी मेरी टीचर मिसेज सिंघल हैं...”

“व्हाट?”

“मुझे तो लगता है कि उनको शक़ हो गया है कि हम लवर्स हैं, और अपनी डेट पर आए हैं...” वो मुस्कुराई।

मैं लतिका की बात पर शरमाते हुए अपनी कुर्सी पर पीछे की तरफ़ झुक गया! मैं थोड़ा शर्मिंदा हो गया था, लेकिन लतिका के लिए यह एक मज़ाक था।

“यू नो...” जब वेटर पेमेंट लेने के लिए मेरा क्रेडिट कार्ड उठा कर गया, तो लतिका बोली, “हम उनके साथ खेल सकते हैं... आप साथ हैं?”

बिल्कुल साथ हूँ! इस तरह के बचपना ली हुई शरारतें कैसे न करे कोई? मैं संकोचपूर्वक मुस्कुराया ज़रूर, लेकिन मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया। ये लतिका का वो रूप था, जिसके बारे में मैं नहीं जानता था... वो कोई संकोची लड़की नहीं थी! लेकिन, उसका यह शरारती पहलू मैंने पहले नहीं देखा था।

“श्योर...”

लतिका की मुस्कान बहुत चौड़ी हो गई, “ओके! जस्ट फॉलो माय लीड!”

तभी वेटर मेरे सिग्नेचर लेने आया। मैंने बिल पर साइन किया, और टेबल से उठ गया। लतिका अपनी कुर्सी पर टेढ़ी हो कर बाहर निकलने को हुई। उसने जैसे ही ये किया, उसकी ड्रेस का सामने का स्लिट हट गया, जिससे उसकी आधी जाँघों तक कर पूरा दृश्य उसकी टीचर और उसकी ‘डेट’ के सामने प्रदर्शित हो गया। जहाँ मिसेज़ सिंघल अपनी भूतपूर्व छात्रा के इस अनौचित्य ‘अंग-प्रदर्शन’ को देख कर दंग हो गई थीं, वहीं उनकी डेट वो दृश्य देख कर चकाचौंध हो गया!

लेकिन असली झटका आने वाला था।

मैं वहाँ से निकलने को हुआ, उसी समय लतिका ने मुझे मेरे कंधे पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया, और अपनी बाँहें मेरे गले में डाल कर मेरे होंठों पर अपने होंठ जड़ दिए! यह कोई सौम्य अथवा मासूम चुम्बन नहीं था : यह पूरी तरह से एक कामुक चुम्बन था! लतिका ने अपना मुँह खोला और मेरे होंठों से सटा कर मेरे मुँह में अपनी जीभ सरका दी! मैंने कभी नहीं सोचा था कि पहली डेट पर हमारा चुंबन इस तरह से, और इस तरह का होगा! मैंने महसूस किया कि उसका शरीर मेरे शरीर से पूरी तरह सटा हुआ था, और उसके स्तन मेरी छाती पर कुचल रहे थे। स्वाभाविक था, कि मेरी बाँहों ने स्वतः ही उसकी कमर को प्रेम भरे आलिंगन में घेर लिया। लतिका ने इस चुम्बन को अपेक्षाकृत लंबे समय तक बनाए रखा।

आख़िरकार, जब हमने अपना आलिंगन तोड़ा, तो वो थोड़े उच्च स्वर में बोली, “थैंक यू सो मच फॉर दिस लवली डिनर, माय लव!”

जाहिर सी बात है कि मिस्टर और मिसेज सिंघल ने उसकी बात सुनी होगी।

उन पर उसकी बात का जो प्रभाव पड़ना हो, पड़ा हो, लेकिन मेरी हालत ही खराब हो गई। मेरा लिंग बुरी तरह से स्तंभित हो गया था। मैंने जल्दी से अपने ब्लेज़र का बटन लगाया कि मेरी जींस का उभार कोई न देख ले, लेकिन मेरा लिंग स्तंभित हो और वो जींस जैसे टाइट-फिटिंग कपड़े से दिखाई न दे, हो नहीं सकता। जाहिर सी बात है, लतिका के दर्शकों ने भी वो देखा।

बड़ी शर्मनाक हालत हो गई थी मेरी! किसी तरह से मैं अपनी कार तक पहुँचा। लतिका का ऐसा कामुक रूप गज़ब का था।

जब मैंने उसके बैठने के लिए कार का दरवाज़ा खोला, तो उसने बैठने से पहले मेरे गाल पर एक सौम्य सा चुंबन दिया। सेक्सी लतिका अचानक ही मासूम लतिका बन गई! मन थोड़ा शांत हुआ - और मेरा स्तम्भन भी! क्या गज़ब की शक्ति है लतिका में - जब उसका मन किया, उसने मेरा इंजन चालू कर दिया, और जब मन किया, बंद कर दिया! यार - मैं तो अभी से उसके इशारों पर नाचने लगा था!

यह बोध होते ही मैंने उसकी तरफ़ देखा। लतिका खिड़की के बंद शीशे से मुस्कुराती हुई बाहर की तरफ देख रही थी। बहुत मासूम सी लग रही थी। मैं उसको ऐसे देख कर मुस्कुराया। लेकिन फिर मेरी नज़र उसके सीने पर पड़ी - उसके स्तन गाड़ी हिलने के कारण उत्तेजक तरीके से हिल रहे थे। बेबस था मैं - मेरी नज़र नीचे की तरफ़ पड़ी। लापरवाही से बैठने के कारण उसकी ड्रेस का स्लिट पूरी तरह से हट गया था, और उसकी चिकनी टाँगें फिर से प्रदर्शित थीं।

मेरा स्तम्भन फिर से वापस आ गया!

*
 

parkas

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अचिन्त्य - Update # 20


घर से रेस्त्रां जाते समय हमारी बातचीत कम ही हुई। आदत से मजबूर था मैं - हमारी बातचीत वैसी ही थी, जैसी कि हमेशा से होती आई थी... बस यही कि उसका दिन कैसा था, उसके दोस्त कैसे हैं, और ऐसी ही फ़िज़ूल की बातें! जब आखिरी बार डेटिंग किये हुए इतना लम्बा अर्सा निकल गया हो, तो दोबारा डेटिंग शुरू करने में मुश्किल होती है... आप इस खेल के नियम भूल जाते हैं! सब नया हो जाता है। वैसे भी, लतिका नई पीढ़ी की लड़की थी और मैं स्वयं इस पीढ़ी के संपर्क में नहीं था। इस कारण से भी थोड़ी दिक्कत थी। लेकिन लतिका सब समझ रही थी, और इस बात को ले कर बहुत संवेदनशील भी थी। वो चाहती थी कि मुझे बुरा न लगे।

जब हम रेस्त्रां पहुँचे, तो वहाँ के मैत्रे दे’होटल (मुख्य बटलर) हमें हमारी टेबल तक आदर पूर्वक ले गया। हमारी डेट की व्यवस्था रेस्त्रां की ऊपरी मंज़िल पर खुले में किया गया था। यह थोड़ा एक्सक्लूसिव एरिया था - उतने बड़े क्षेत्र में जहाँ नीचे बारह टेबल होतीं थीं, वहीं यहाँ पर केवल छः टेबल ही थीं। हमारी टेबल सामान्य से छोटी थी, तो जाहिर सी बात है कि केवल दो लोगों के रोमांटिक या इंटिमेट डिनर / लंच के लिए इस्तेमाल में आती थी। टेबल पर सफ़ेद लिनन शीट पड़ी हुई थी और टेबल पर एक गुलदान और दो मोमबत्तियाँ लगी हुई थीं। एक समय था जब मुझे इस तरह के दिखावों में कोई भरोसा नहीं था - अभी भी नहीं है। लेकिन फिर भी लगता है कि अगर आप किसी से प्रेम करें, तो उसकी अभिव्यक्ति भी बढ़िया तरीक़े से करें। अंदर आते आते मैंने मैत्रे दे’होटल से बढ़िया क़िस्म की शेनिन ब्लाँक वाइन लाने को कह दिया था। जहाँ तक मुझे ज्ञात है, लतिका ने अभी तक किसी भी तरह की मदिरा का सेवन नहीं किया था। इसलिए, मैंने इस क्लासिक वाइन को चुना, जिसको पी कर आनंद मिले, अधिक नशा न हो, और शरीर और मन को हल्का महसूस हो।

यहाँ जिस तरह की व्यवस्था थी, उसमें एक खूबसूरत लड़की की मौजूदगी में, रोज़मर्रा की बातें नहीं हो सकती थीं। और वैसे भी, ये लतिका और मेरी पहली डेट थी! थोड़ी ही देर में हमारी बातचीत गंभीर विषयों की दिशा में मुड़ गई - बातें जैसे कि लतिका के भविष्य के सपने, और मेरी स्वयं की भविष्य की चिंताएँ! लतिका के भविष्य के सपने सरल और सुन्दर से थे, और मेरी भविष्य की चिंताएँ अनावश्यक रूप से गंभीर! मुझे भी लग रहा था कि अगर उसके जैसी साथी हो, तो ये सब बेजा चिंताएँ हैं!

जब वेटर ने हमको वाइन सर्व करी, तो लतिका ने मेरी तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि डाली।

इट इस सेफ... लतिका... डोंट वरी! ... एक दो सिप ले कर देखो, अगर पसंद न आए, तो अपने मन का जो चाहो, ऑर्डर कर देना! यू डोंट हैव टू ड्रिंक...”

मैं मुस्कराया।

लतिका भी।

यह नए अनुभवों का आनंद लेने का समय था।

हमने अपने अपने वाइन ग्लासेस को टुनका कर ‘चियर्स’ कहा, और एक एक सिप लिया।

थैंक यू फॉर आस्किंग मी आउट...” उसने एक सिप लेते हुए कहा।

थैंक यू फॉर अक्सेप्टिंग इट...” मैंने झिझकते हुए कहा, “न जाने क्यों... हम घर पे रहते हुए थोड़ा अजीब सा व्यवहार कर रहे हैं।”

“आई ऍम सॉरी!”

“अरे! सॉरी मत कहो लतिका... मैं तुम पर कोई इलज़ाम नहीं लगा रहा हूँ... और वैसे भी यह बात मेरे ऊपर अधिक लागू होती है...” मैंने वही कहा जो सही था, “... न जाने क्यों मैं तुमसे खिंचा खिंचा सा रहता हूँ! बात नहीं करता... बहुत इम्मैच्योर बिहैवियर है मेरा! ... इसलिए, मुझे इन सब बातों को सही करने का मौका देने के लिए थैंक यू!”

लतिका ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख कर, हलके से दबाया।

“आप ऐसे क्यों सोच रहे हैं... मुझे तो इस बात की खुशी है कि घर पर हम दोनों को ले कर हर कोई इतना सपोर्टिव है।” लतिका मुस्कुराई, और बात बदलते हुए बोली, “... हाऊ वास योर वीक?”

“बोर...” मैंने हँसते हुए कहा, “आजकल सब कुछ बोर लगता है! ... पूरा टाइम... पूरा टाइम तुम्हारे... हमारे बारे में सोचता रहता हूँ!”

“मैं भी... मैं भी आपके बारे में ही सोचती रहती हूँ...” उसने कहा, “... पूरे टाइम!”

मैंने हाथ बढ़ा कर लतिका का हाथ अपने हाथ में ले लिया,

“तुम बहुत सुंदर हो लतिका...” मैंने बहुत धीरे से, लेकिन पूरी शिष्टता से कहा।

लतिका शरमा गई, लेकिन उसने मेरे हाथ को चूम लिया! मेरा दिल धड़क उठा।

“मैं आपसे एक बात कहूँ... अमर?” लतिका बोली - उसने मुझे मेरे नाम से पुकारा - और मैं इससे बहुत खुश था, “जैसा मैं आपके बारे में महसूस करती हूँ, वैसा मैंने किसी के लिए नहीं किया... कुछ बात तो है आप में!”

उसने कहा, और मेरे कुछ कहने का इंतज़ार करने लगी। लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा।

“अमर... आई ऍम सरप्राइज़्ड कि आप जैसे... हैंडसम... आदमी को मैं पसंद आई! ... और औरतों का नुकसान... मतलब मेरा फ़ायदा!” कह कर वो हँसने लगी।

उसकी बात से मैं थोड़ा नर्वस हो गया।

कुछ भी हो, लतिका हमारी फर्स्ट डेट को ले कर बहुत उत्साहित थी, और मैं अपेक्षाकृत नर्वस था। लेकिन, जिसके साथ जीवन बिताना है, उसके साथ संयत होना बहुत ज़रूरी है। उसको अपने मन में दाखिल होने देना बहुत ज़रूरी है।

“लतिका... आई ऍम टायर्ड!” मैंने बहुत थके हुए स्वर में कहा।

यह सुनते ही उसके हाव-भाव तुरंत बदल गए, “ओह, डू यू वांट टू गो होम?”

“व्हाट? ओह नो! नहीं… नहीं... मेरा वो मतलब नहीं था... आई ऍम टायर्ड... नॉट फिजिकली... बट ईमोशनली!”

लतिका समझ गई कि मैं क्या कहना चाहता था, और इसलिए वो चुप रही।

मैंने ही बात आगे बढ़ाई, “दो बार शादी हो चुकी है मेरी… और तुमसे पहले... तुमसे पहले भी कई औरतों से मेरे संबंध रहे हैं...”

मैंने आखिरी दो शब्दों पर जोर दिया, ताकि लतिका समझ सके कि वो क्या कर रही है। उसे समझ में आना चाहिए, कि मैं न केवल दो बार रंडवा हो चुका हूँ, बल्कि मेरा सेक्सुअल एक्सपीरियंस बहुत व्यापक भी है। शायद मैं उसको डराना चाहता था। शायद मैं उससे ईमानदारी से पेश आना चाहता था। क्या पता? मुझे खुद ही नहीं पता ठीक से!

बट श्योरली, दैट डस नॉट एफेक्ट अस?” लतिका ने पूछा।

मुझे उम्मीद नहीं थी कि लतिका ऐसा कुछ कह सकती है! सच में, अपनी उम्र से कहीं अधिक परिपक्व हो गई थी वो!

“लतिका... देवयानी के बाद... मुझे डेटिंग का कोई एक्सपीरियंस नहीं हुआ... और जो... कभी-कभार का एक्सपीरियंस हुआ वो सब यूँ ही था। ... उसका कोई मायने नहीं है!”

“अमर,” लतिका ने इतने स्नेह से मेरे गाल को छुआ कि मैं पिघल गया - वो छोटी सी लड़की कब बड़ी होकर इतनी मैच्योर युवती बन गई थी, मुझे पता ही नहीं चला, “क्या आपको लगता है कि इन सब बातों का हमारे फ्यूचर पर असर पड़ेगा?”

“नहीं...” मैंने फुुसफुसाते हुए कहा।

“तो फिर हम कुछ और बातें करते हैं...” लतिका बोली।

मुझे समझ आ रहा था वो हमारी बातचीत को बड़ी कुशलता और सावधानीपूर्वक एक सही दिशा दिखा रही थी! वो उसको बहुत खुशनुमा रखने की कोशिश कर रही थी, और मुझे हमारे आने वाले जीवन के लिए उत्साहित कर रही थी। सच में - लतिका इस समय एक मैच्योर एडल्ट की ही तरह व्यवहार कर रही थी। मैंने मन ही मन एक और बात स्वीकारी - अब मुझको सच में लतिका को किसी बच्ची के नज़रिए से देखना बंद कर देना चाहिए था। ... और बड़ी अच्छी बात थी कि हम दो एडल्ट्स की ही तरह डेट पर बाहर निकले थे। अंततः मैं लतिका को एक वयस्क के रूप में देख सका! मेरे बराबर! मेरे जैसी! शायद मुझसे भी अधिक! मैं उसको यह बताना चाहता था, लेकिन मेरे मुँह में वो शब्द लड़खड़ा रहे थे।

कैसे बताऊँ मैं उसको?

मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए लतिका का हाथ अपने हाथ में लिया। उसकी हथेली के पिछले हिस्से की स्किन चिकनी और थोड़ी गर्म सी थी। उसकी स्किन के नीचे की नसें उसकी दिल की धड़कनों के साथ हलके हलके धड़क रही थी। शायद लतिका ने भी मेरी छुवन में कुछ महसूस किया हो... हमारी आँखें कुछ समय के लिए बंद हो गईं, और हम में से कोई भी कुछ नहीं बोला।

“अहेम...”

हमने आँखें खोलीं, तो देखा कि वो हमारा वेटर था, जो हमारा डिनर ले कर आया हुआ था।

मैंने बहुत धीरे और अनिच्छा से अपना हाथ खींच लिया। वेटर समझ रहा था कि उसने हमारी अंतरंग बात में ख़लल डाल दिया था, लिहाज़ा वो भी अपना काम जल्दी जल्दी कर के वहाँ से चम्पत हो जाना चाहता था। खाना सर्व होने के बाद हम दोनों ही बड़े आराम से भोजन का आनंद उठाने लगे। हम अभी भी बातें कर रहे थे, लेकिन पहले से कम! अधिकतर बातें बड़ी खुशनुमा थीं। हमने कई सारी पुरानी यादें ताज़ा करीं - पुरानी, लेकिन सुखद यादें! बचपन की बातें, जिनमें माँ, अम्मा, मिष्टी और पापा प्रमुखता से थे। वो सावधानीपूर्वक गैबी या डेवी के बारे में बातें करने से बचती रही। आज की रात हमारे और हमारे भविष्य के बारे में थी, इसलिए उसने बड़ी दक्षतापूर्वक मुझे मेरे अतीत के बारे में अनावश्यक रूप से याद करने की कोई कोशिश नहीं करी।

जब डिजर्ट सर्वे किया गया, तो लतिका ने अचानक ही, शर्म से मुस्कुराते हुए, लेकिन बच्चों जैसे उत्साहपूर्वक फुसफुसा कर कहा,

“उम्… आपने उस कपल को देखा? ... नो नो... डोंट सी देम नाऊ...” फिर दो पल बाद, “अब देखिए... वो जिनके टेबल पर लसानिया है?”

मैंने तिरछी निगाह से देखा - हमारी टेबल से आड़ी साइड में एक अधेड़ उम्र का जोड़ा बैठा हुआ था।

“ओके! कौन हैं वो?” मैंने लतिका से उसी के ही अंदाज़ में उत्सुकतापूर्वक पूछा, “क्या किया उन्होंने?”

लतिका बड़े षड़यंत्रकारी अंदाज़ में टेबल पर मेरे सामने झुकते हुए कहा - उसके युवा स्तन उसकी ड्रेस में बड़े रोचक करीके से दब कर उभर आए और उसकी नेकलेस का पेन्डेन्ट उसके स्तनों के बीच की दरार में बड़े ही खतरनाक तरीके से घुस गया।

“जब से वो दोनों आए हैं, तब से हमको ही घूर रहे हैं दोनों!” उसने कहा।

“व्हाट! दोनों?”

“हाँ... वो लेडी मेरी टीचर मिसेज सिंघल हैं...”

“व्हाट?”

“मुझे तो लगता है कि उनको शक़ हो गया है कि हम लवर्स हैं, और अपनी डेट पर आए हैं...” वो मुस्कुराई।

मैं लतिका की बात पर शरमाते हुए अपनी कुर्सी पर पीछे की तरफ़ झुक गया! मैं थोड़ा शर्मिंदा हो गया था, लेकिन लतिका के लिए यह एक मज़ाक था।

“यू नो...” जब वेटर पेमेंट लेने के लिए मेरा क्रेडिट कार्ड उठा कर गया, तो लतिका बोली, “हम उनके साथ खेल सकते हैं... आप साथ हैं?”

बिल्कुल साथ हूँ! इस तरह के बचपना ली हुई शरारतें कैसे न करे कोई? मैं संकोचपूर्वक मुस्कुराया ज़रूर, लेकिन मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया। ये लतिका का वो रूप था, जिसके बारे में मैं नहीं जानता था... वो कोई संकोची लड़की नहीं थी! लेकिन, उसका यह शरारती पहलू मैंने पहले नहीं देखा था।

“श्योर...”

लतिका की मुस्कान बहुत चौड़ी हो गई, “ओके! जस्ट फॉलो माय लीड!”

तभी वेटर मेरे सिग्नेचर लेने आया। मैंने बिल पर साइन किया, और टेबल से उठ गया। लतिका अपनी कुर्सी पर टेढ़ी हो कर बाहर निकलने को हुई। उसने जैसे ही ये किया, उसकी ड्रेस का सामने का स्लिट हट गया, जिससे उसकी आधी जाँघों तक कर पूरा दृश्य उसकी टीचर और उसकी ‘डेट’ के सामने प्रदर्शित हो गया। जहाँ मिसेज़ सिंघल अपनी भूतपूर्व छात्रा के इस अनौचित्य ‘अंग-प्रदर्शन’ को देख कर दंग हो गई थीं, वहीं उनकी डेट वो दृश्य देख कर चकाचौंध हो गया!

लेकिन असली झटका आने वाला था।

मैं वहाँ से निकलने को हुआ, उसी समय लतिका ने मुझे मेरे कंधे पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया, और अपनी बाँहें मेरे गले में डाल कर मेरे होंठों पर अपने होंठ जड़ दिए! यह कोई सौम्य अथवा मासूम चुम्बन नहीं था : यह पूरी तरह से एक कामुक चुम्बन था! लतिका ने अपना मुँह खोला और मेरे होंठों से सटा कर मेरे मुँह में अपनी जीभ सरका दी! मैंने कभी नहीं सोचा था कि पहली डेट पर हमारा चुंबन इस तरह से, और इस तरह का होगा! मैंने महसूस किया कि उसका शरीर मेरे शरीर से पूरी तरह सटा हुआ था, और उसके स्तन मेरी छाती पर कुचल रहे थे। स्वाभाविक था, कि मेरी बाँहों ने स्वतः ही उसकी कमर को प्रेम भरे आलिंगन में घेर लिया। लतिका ने इस चुम्बन को अपेक्षाकृत लंबे समय तक बनाए रखा।

आख़िरकार, जब हमने अपना आलिंगन तोड़ा, तो वो थोड़े उच्च स्वर में बोली, “थैंक यू सो मच फॉर दिस लवली डिनर, माय लव!”

जाहिर सी बात है कि मिस्टर और मिसेज सिंघल ने उसकी बात सुनी होगी।

उन पर उसकी बात का जो प्रभाव पड़ना हो, पड़ा हो, लेकिन मेरी हालत ही खराब हो गई। मेरा लिंग बुरी तरह से स्तंभित हो गया था। मैंने जल्दी से अपने ब्लेज़र का बटन लगाया कि मेरी जींस का उभार कोई न देख ले, लेकिन मेरा लिंग स्तंभित हो और वो जींस जैसे टाइट-फिटिंग कपड़े से दिखाई न दे, हो नहीं सकता। जाहिर सी बात है, लतिका के दर्शकों ने भी वो देखा।

बड़ी शर्मनाक हालत हो गई थी मेरी! किसी तरह से मैं अपनी कार तक पहुँचा। लतिका का ऐसा कामुक रूप गज़ब का था।

जब मैंने उसके बैठने के लिए कार का दरवाज़ा खोला, तो उसने बैठने से पहले मेरे गाल पर एक सौम्य सा चुंबन दिया। सेक्सी लतिका अचानक ही मासूम लतिका बन गई! मन थोड़ा शांत हुआ - और मेरा स्तम्भन भी! क्या गज़ब की शक्ति है लतिका में - जब उसका मन किया, उसने मेरा इंजन चालू कर दिया, और जब मन किया, बंद कर दिया! यार - मैं तो अभी से उसके इशारों पर नाचने लगा था!

यह बोध होते ही मैंने उसकी तरफ़ देखा। लतिका खिड़की के बंद शीशे से मुस्कुराती हुई बाहर की तरफ देख रही थी। बहुत मासूम सी लग रही थी। मैं उसको ऐसे देख कर मुस्कुराया। लेकिन फिर मेरी नज़र उसके सीने पर पड़ी - उसके स्तन गाड़ी हिलने के कारण उत्तेजक तरीके से हिल रहे थे। बेबस था मैं - मेरी नज़र नीचे की तरफ़ पड़ी। लापरवाही से बैठने के कारण उसकी ड्रेस का स्लिट पूरी तरह से हट गया था, और उसकी चिकनी टाँगें फिर से प्रदर्शित थीं।

मेरा स्तम्भन फिर से वापस आ गया!

*
Bahut hi shaandar update diya hai avsji bhai....
Nice and lovely update....
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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अचिन्त्य - Update # 19


लतिका के साथ ‘रोमांस’ करना मेरे लिए मेरी पिछली सभी प्रेमिकाओं से अलग था। अब तक मैंने ही अपनी प्रेमिकाओं के साथ ‘पहल’ करी थी। लेकिन इस बार अलग था। लतिका ने पहल करी थी, और हमारे सम्बन्ध को हमारे परिवारों की अनुमति थी। उस लिहाज़ से यह एक अरेंज्ड मैरिज जैसा था। और फिर उम्र का ऐसा अंतर! अपने से बड़ी उम्र की लड़कियों के साथ मैं कैसा भी बचपना कर देता, वो बुरा नहीं मानती थीं। लेकिन लतिका के साथ मुझको वो बड़ा वाला - गंभीर वाला रोल अदा करना होगा! अब यह थोड़ा सा अप्राकृतिक सा था मेरे लिए! वो धीर गंभीर अवश्य है, लेकिन साथ ही साथ एक चुलबुली सी लड़की भी है! उसके सामने बचपना नहीं दिखा सकता! लिहाज़ा, थोड़ा गंभीर रहना पड़ेगा।

मुझको लतिका को डेट पर ले जाने की बात समझा कर पापा ने अम्मा से भी इस बारे में चर्चा करी। ऐसा नहीं है कि किसी को इस बात को ले कर कोई आपत्ति थी, लेकिन फिर भी जब सब कुछ सबके संज्ञान और अनुमति से हो रहा था, तो ये भी क्यों नहीं? वैसे भी, मुझे ऐसा लग रहा था कि लतिका के लिए यह एडल्ट लाइफ में पहला क़दम था, तो उसको भी आनंद आना चाहिए।

अम्मा ने एक रोज़ लतिका को फ़ोन कर के कहा, “लतिका… बेटा, अमर ने पूछा है कि क्या तुम इस शुक्रवार की शाम उसके साथ डेट पर जा सकती हो?”

“क्या? डेट पर, अम्मा? ... उन्होंने आपसे पूछा?”

“हाँ... सब कुछ हमसे पूछ कर कर रहा है वो! हा हा!”

“मुझसे क्यों नहीं पूछा उन्होंने?”

“क्योंकि मैं तुम्हारी माँ हूँ! इसलिए! वो जेंटलमैन है, इसलिए उसने अपनी प्रेयसी की माँ से परमिशन माँगी है...”

“हा हा हा!” लतिका ने हँसते हुए कहा, “अम्मा... तुम भी न! लगता है तुम बहुत फिल्में देखने लगी हो! ... हाँ, ठीक है! उन्होंने जो किया, वो सही है...”

“तो मैं उसको क्या कहूँ?”

“क्या मुझे हाँ कहना चाहिए?” लतिका ने मज़ाक में कहा!

“अरे, क्यों नहीं? तुम दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते हो, तो और किसके साथ डेट पर जाओगे?”

“हा हा! वो बात नहीं है अम्मा... बात सिर्फ इतनी सी है कि मेरे लिए यह पहली बार होगा।”

“उसकी चिंता न करो... अमर जेंटलमैन है... वो तुमको बहुत खुश रखेगा! ... मुझे यकीन है कि वो इस डेट को तुम्हारे और अपने लिए यादगार बना देगा।”

“नहीं अम्मा... कोई चिंता नहीं है! मैं समझती हूँ कि हमें साथ में टाइम बिताना चाहिए... लेकिन, मैं भी चाहती हूँ कि यह सब उनके लिए भी स्पेशल रहे!”

“अरे, मेरी बिटिया कोई कम स्पेशल है?” अम्मा ने कहा, “तुमको कुछ अलग से करने की ज़रुरत नहीं! बस, वैसी रहो जैसी तुम हो! ... ठीक है?”

“ठीक है अम्मा! ... कब के लिए कहा उन्होंने?” लतिका ने अन्दर से प्रसन्न होकर पूछा।

“शुक्रवार!” लतिका शर्म से लाल हो गयी।

“मैं अमर से कह दूँगी कि इस शुक्रवार, शाम सात बजे तुम्हें डेट पर ले जाए!”

“बहुत अच्छा अम्मा!”


*


आभा लतिका के कमरे में, उसके बिस्तर पर पालथी मारकर बैठी हुई थी, और लतिका उसको एक के बाद एक पोशाकें पहन कर दिखा रही थी।

“मम्मी,” आभा बोली, “तुम भी न जाने क्यों इतनी परेशान हो रही हो! ... तुम किसी भी ड्रेस में बहुत सुन्दर लगती हो!”

“बेटू, आई वांट टू लुक ग्लोरियस!” लतिका ने जैसे कोई राज़ खोलते हुए, बड़ी चंचल अदा से कहा, “... केवल सुन्दर नहीं...”

“वही तो कह रही हूँ माँ! ... तुम हर ड्रेस में ग्लोरियस और मैग्निफिसेंट लगती हो। ... अच्छा, क्यों न वो हरे रंग वाली ड्रेस फिर से ट्राई करो?”

“हरे रंग वाली? सच में... वो अच्छी लगेगी?” लतिका ने उस ड्रेस को अपने सामने लगा कर खुद को आईने में देखा, “नहीं... बढ़िया नहीं लग रही हूँ!”

सही बात थी। लतिका के साँवले सलोने रंग के साथ वो हरा रंग अच्छा नहीं जा रहा था। आभा ने लतिका को दिखाने के लिए कपड़ों के ढेर से एक और पोशाक निकाली, और अपने शरीर पर लगा कर दिखाई, “हाऊ अबाउट दिस वन?”

“ये भी... ओह गोश!” लतिका ने हताश हो कर कहा।

“मम्मी, तुम्हें डैडी को इम्प्रेस करने की कोई ज़रूरत नहीं है... तुम ऐसे ही इतनी सुंदर हो!” आभा ने लतिका से कहा, “... डैडी इस सो लकी... देखो न... तुम उनकी बनने वाली हो... हमेशा के लिए!”

“हा हा! बेटू मेरी... तुम बहुत स्वीट हो! तुम ये सब बातें इसलिए कह रही हो, क्योंकि तुम मुझसे प्यार करती हो। ... लेकिन आज का ओकेशन इम्पोर्टेन्ट है... हमारी फर्स्ट डेट है न! इसलिए मैं सुन्दर से कपड़े पहनना चाहती हूँ... क्योंकि मैं अपने और उनके लिए बहुत सुंदर दिखना चाहती हूँ, डार्लिंग!”

लतिका ने कहा और रिजेक्टेड ड्रेसेस के ढेर पर वो नई ड्रेस भी फेंक दी।

“मम्मी...”

“मिष्टी बेटू,” लतिका ने आभा को अपने आलिंगन में ले कर समझाते हुए कहा, “तुम्हारे लिए वो केवल तुम्हारे डैडी हैं… लेकिन मेरे लिए, वो... ही इस द लव ऑफ़ माय लाइफ... उनके साथ मैं अपनी पूरी लाइफ बिताने वाली हूँ! ... तो, हमारी पहली डेट... पहली रोमांटिक आउटिंग के लिए मैं सुन्दर दिखना चाहती हूँ! ... आई वांट इट टू बी अ मेमोरेबल ओकेशन फॉर हिम... अस...”

“ओह, बट ही विल ऑलवेज रिमेम्बर दिस डेट…”

आभा ने कुछ ऐसी शरारत से कहा, कि दोनों लड़कियाँ खिलखिला कर हँस पड़ीं।

हँसते हँसते अचानक से ही, आभा को कुछ याद आया। उसने अलमारी से रस्ट कलर की, सामने से खुलने वाली, बटन वाली मिडी ड्रेस, या यूँ कह लें, एक सनड्रेस निकाली। उस पर सुंदर से, छोटे छोटे, पीले रंग के पैटर्न बने हुए थे। बटनों का रंग सफेद था, जो उस ड्रेस के रंग को बहुत बेहतरीन तरीके से उभार रहे थे। कोई दो साल पुरानी ड्रेस थी वो, जिसके बारे में लतिका भूल ही गई थी। जाहिर सी बात है, उसके अब के शरीर के हिसाब से वो ड्रेस थोड़ी सी छोटी भी थी। हालाँकि लतिका के शरीर में तब से अब तक अधिक बदलाव नहीं आया था, लेकिन उसके स्तन तब से अब तक थोड़े भर ज़रूर गए थे। लिहाज़ा, इस ड्रेस में उसका एक बहुत ही सेक्सी रूप सामने आने वाला था।

आभा ने उस ड्रेस को दिखाते हुए कहा, “अच्छा, ये वाली कैसी रहेगी, माँ?”

लतिका शरमा गई - उसको तुरंत ही उस ड्रेस की सम्भावना समझ में आ गई - और बोली, “थोड़ी पुरानी है... लेकिन... मैंने इसे केवल एक ही बार पहना है...”

“क्यों क्यों?” आभा ने उसे चिढ़ाते हुए पूँछा, अच्छी तरह जानते हुए कि क्यों!

“इसमें न... इसमें... थोड़ा एक्सपोज़ होता है... इसलिए!” लतिका ने वो ड्रेस दिखाते हुए कहा, “ये देखो न... यहाँ सामने की तरफ... ये पार्टिंग बहुत लम्बी है... मेरी जाँघें लगभग पूरी ही दिख जाएँगी...”

“अरे, यही तो अच्छा है न! ... जाँघों का भी एक्सेस है, और बूबीज़ का भी!” आभा ने और भी शरारत से कहा।

“हा हा हा!” लतिका उसकी बात पर ज़ोर से हँसने लगी, “तू बदमाश हो गई है बहुत!”

लेकिन वो ऐसी ड्रेस थी, जिसको पहनने का लोभ वो अपने वश में न कर सकी।

लतिका ने वो ड्रेस पहन कर आभा को दिखाई। बड़ी चुस्त सी ड्रेस थी वो - लतिका के शरीर से चिपकी हुई। लतिका का शरीर वाक़ई उस ड्रेस के लिए एक साइज़ बड़ा हो गया था। लिहाज़ा, वो उसके शरीर की गोलाईयों और कटावों से बड़ी कामुक तरीके से चिपक गई थी। ड्रेस का गला अंग्रेज़ी के यू और वी अक्षरों का मिला-जुला रूप था। उस वी की गहराई, लतिका के स्तनों के बीच की घाटी में जैसे डूब गया था... सच में वो ड्रेस छुपा कम और दिखा ज़्यादा रही थी। हाँलाकि छोटे थे, लेकिन फिर भी उनका आकार दिख रहा था; चौड़े गले की पोशाक थी, उस कारण से उसके शरीर का ऊपरी भाग लगभग अनावृत ही था। ड्रेस का पिछला (पीठ की तरफ़ का) गला अंग्रेज़ी यू के आकार का था, लेकिन थोड़ा गहरा था। लिहाज़ा, पीठ का भी काफ़ी हिस्सा उघड़ा हुआ था। हालाँकि ड्रेस का निचला हिस्सा उसके घुटनों के ठीक ऊपर तक था, लेकिन ड्रेस के सामने का स्लिट (पार्टिंग) काफ़ी लम्बा था, लिहाज़ा, लतिका की टाँगें और जाँघें हर कदम पर साफ़ दिखाई दे रही थीं। कहने की कोई ज़रूरत नहीं है, कि वो ड्रेस किसी फर्स्ट डेट के नज़रिए से, बिल्कुल आइडियल थी!

एक छोटी सी पोशाक किसी के व्यक्तित्व में कैसा अभूतपूर्व और अद्भुत परिवर्तन कर सकती है - यह एक आश्चर्य की बात है! अचानक ही लतिका एक टीनएज लड़की से, एक बेहद खूबसूरत युवा स्त्री बन गई थी! आभा ने अपनी उँगलियाँ मुँह में डाल कर सीटी बजाई, जैसी उसने कुछ फ़िल्मों में सीखा था।

“दीदी! इस दिस रियली यू!!”

“दीदी?? माँ नहीं?” लतिका ने शिकायत की।

“अरे हटो! इस ड्रेस में तुम मम्मी नहीं बल्कि एक हॉट सी दीदी लग रही हो! ... हा हा!”

लतिका मन ही मन बड़ी खुश हुई। लेकिन फिर भी एक बार उसने कन्फर्म करने के लिए पूछा,

“मैं इसमें अच्छी लग रही हूँ न?”

“अच्छी नहीं, द बेस्ट!” आभा ने कहा, “अब डैडी को पता चलेगा, कि ये छोटी सी लड़की, सच में बड़ी हो गई है!”


*


आज की डेट के लिए मैंने एक ग्रे रंग का स्पोर्ट्स ब्लेजर पहना हुआ था! वो मेरे हर आवश्यक और महत्वपूर्ण अवसर के लिए ‘गो टू’ कोट था! मैं उसमें अच्छा भी दिखता था। लतिका की ही तरह मैं भी हमारी डेट के लिए अच्छा और जवान दिखना चाहता था! शरीर नियमित व्यायाम और भोजन में अनुशासन के कारण अभी भी नियंत्रण में था। ठीक है - लतिका से मैं उम्र में दो-गुणा से भी बड़ा था, लेकिन वैसे देखने में बुरा नहीं लगता था। आमतौर पर मैं हमेशा फॉर्मल पैंट पहनता था, लेकिन आज के लिए मैंने एक नीले रंग की जींस पहनी। इससे मेरा पहनावा अनौपचारिक और ग़ैर-बनावटी रहा। तैयार हो कर मैंने खुद को आईने में देखा, जो रूप दिखा, वो मुझे पसंद आया। हाँ, मेरे साइडबर्न (क़लम) में कुछ बाल थोड़े सफ़ेद हो गए थे, लेकिन बस उतना ही। चेहरे और शरीर में अभी भी कसाव था। शायद माँ के चिर-युवा वाले जींस मेरे अंदर भी आ गए थे।

आज शायद पहली बार था जब मैं लतिका को किसी छोटी लड़की की तरह नहीं, बल्कि एक युवा महिला की तरह ट्रीट करने जा रहा था...! आभा ने ज़ोर देकर कहा था कि मैं उसकी ‘मम्मी’ को किसी अच्छी जगह ले जाऊँ... ऐसा रेस्त्रां जहाँ खाना सबसे अच्छा हो, और जहाँ का माहौल रोमांटिक हो! इसलिए, मैंने एक नया खुला हुआ इटालियन रेस्त्रां चुना, जो बहुत ही शानदार इटालियन खाना और बेहतरीन फ्रेंच वाइन सर्व करता था।

अपने ही घर से लतिका को लिवा लाने का स्वाँग बड़ा रोचक था और रोमांचक भी! सच में, मेरे पेट में तितलियाँ उड़ रही थीं... एक अलग ही तरह की गुदगुदी हो रही थी मन में! ठीक सात बजे, मैं नीचे के हाल में लतिका के नीचे आने इंतज़ार करने लगा। एक दो बार अपनी घड़ी पर नज़र भी डाली। सात बज के दस मिनट के आस पास मैंने लतिका के क़दमों की आहट सीढ़ियों पर सुनी। जब मैंने उस तरफ़ अपनी नज़र डाली, तो दंग रह गया!

ऐसी खूबसूरत सी लड़की मेरे घर में! यकीन ही नहीं हुआ कि ये लतिका है... मेरी लतिका! बाप रे! कैसी अलौकिक सुंदरी! हर कदम में उसकी दृढ़, पतली टाँगें और जाँघें उस ड्रेस के सामने की स्लिट से चमक चमक कर दिख रही थीं! उसने शायद पैरों पर कोई क्रीम लगाई हुई थी, जो उसकी चमक को और भी अधिक बढ़ा रही थी। ड्रेस का कपड़ा उसके युवा, दृढ़, और लचीले शरीर से चिपका हुआ था, और उसकी पतली कमर और उन्नत सुडौल स्तनों को प्रमुखता से दिखा रहा था। गले में उसने सोने की एक पतली सी चेन पहनी हुई थी, जिसका पेण्डेंट उसके स्तनों के क्लीवेज के ठीक बीच में अटका हुआ था।

‘गॉड! हाऊ ब्यूटीफुल इस शी!’ मन में यह विचार आने से रुक न सका।

ऐसा लगा कि जैसे मेरी नज़रें उसके ऊपर चिपक गई हों। बड़ी जबरदस्ती कर के मुझको अपनी आँखें लतिका पर से हटानी पड़ीं। मैंने महसूस किया कि उसके रूप का ऐसा जलवा था कि मेरा मुँह और गला पूरा सूख गया था। ऐसा असर किसी लड़की का नहीं हुआ था मुझ पर! मैंने कभी नहीं सोचा था कि लतिका इतनी सेक्सी हो सकती है! मैं वाकई नर्वस हो गया!

“हे डैडी,” आभा, जो लतिका के पीछे चल रही थी, ने चहकते हुए कहा, “चीयर अप! ... हैव अ वण्डरफुल फर्स्ट डेट! एंड शो मम्मी अ वैरी गुड टाइम!”

जब आभा ने लतिका को ‘मम्मी’ कह कर संबोधित किया, तो मेरा हृदय अनजान उत्तेजना से काँप उठा!

‘क्या सच में लतिका और मेरा भविष्य जुड़ने वाला है!’

जानता हूँ कि इस समय शंकाओं का कोई स्थान नहीं था। लेकिन क्या करूँ - मेरा भूतकाल ही ऐसा था! ये तो है कि लतिका को ऐसे देख कर मेरे दिल में दोबारा शादी करने की इच्छा प्रबल हो गई थी। ऐसी गज़ब की लग रही थी लतिका!

अगर लतिका भी मेरे जैसी ही नर्वस थी, तो वो इस बात को दिखा नहीं रही थी। वो बड़े आत्मविश्वास से, मेरी तरफ मुस्कुराती हुई आई और उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिया! खुद-ब-खुद मैंने उसका बढ़ा हुआ हाथ, अपने हाथ में ले लिया। मेरी रीढ़ में एक सिहरन सी फ़ैल गई। ऐसा नहीं है कि मैंने उसको पहली बार छुआ हो, या उसने मुझको! इससे कहीं अधिक हो चुका था हमारे बीच! लेकिन लतिका इस समय अप्सरा लग रही थी, और अप्सराओं का हम अकिंचन पुरुषों पर संभवतः ऐसा ही प्रभाव पड़ता है! वैसे भी, जब किसी व्यक्ति के साथ हमारे संबंधपरक समीकरण बदल जाते हैं, तो हम उनके साथ कैसे पेश आते हैं, उसमें भी बदलाव लाज़मी है।

अभी तक मेरी एक भी बोली नहीं निकली थी। वो भी समझ गई थी कि जैसे प्रभाव की उसको आशा थी, उसके रूप का ठीक वैसा ही प्रभाव मुझ पर पड़ा है।

“चलें?” उसने मुस्कुराते हुए कहा।

आवाज़ में भी एक अनोखा सेक्सीपन था! ये वो लतिका रह ही नहीं गई थी, जिसको मैं अभी तक देखता जानता आया था। ये कोई और ही थी। कोई अप्सरा! मेनका, उर्वशी, रम्भा जैसी अप्सरा!

लतिका ने आगे जो किया वो मेरे लिए पूरी तरह से अप्रत्याशित था : उसने अपना हाथ मेरे हाथ में डाल दिया, और मुझे दरवाजे की ओर ले गई। वो मुस्कुरा रही थी, और मैं... मैं घबरा रहा था।

*
स्त्रीयों में इन मामलों में जन्मजात खूबी होती है कि वो जिसे चाहती हैं, उससे उन्हें कोई शर्म या झिझक नहीं होती, वहीं पुरुष इस मामले में कोसों पीछे रह जाता है।


वैसे एक बात, अमर ने भले ही गैबी और देवयानी के साथ खुद पहल की हो, मगर उसका पहला प्यार/क्रश ने दोनो बार खुद ही पहल की थी, मतलब यहां भी पुरुष पीछे था, स्त्री आगे।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Hail jio
 
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उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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जिओ की मेहरबानी
 
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" कार्येषु दासी , करणेषु मंत्री , भोज्येषु माता , शयनेषु रम्भा।
धर्मानुकूला क्षमया धरित्री , भार्या च षाड्गुण्यवतीह दुर्लभा। ""
( गृह कार्य मे दासी , कार्य प्रसंग मे मंत्री , भोजन कराते वक्त माता , रति प्रसंग मे रम्भा , धर्म मे सानुकुल , और क्षमा करने मे धरती समान .....इन गुणों से युक्त पत्नी मिलना बहुत ही दुर्लभ है )
लेकिन लतिका को अबतक जितना मै समझ पाया , वह एक आदर्श पत्नी बनने के लायक है।

डेटिंग पर जाने का मुझे कोई तजुर्बा नही लेकिन यह जरूर जानता हूं कि फर्स्ट डेटिंग लव वर्ड के लिए बहुत ही इम्पोरटेंट पल होता है। एक दूसरे को समझना , एक दूसरे को महत्व देना और एक दूसरे की प्लस एवं माइनस प्वाइंट जानकर अंगीकार होना इस लम्हे की खासियत होती है।

चूंकि दोनो एक घर मे ही रहते है , एक साथ सालों से समय गुजारे है , एक अपनापन का रिश्ता भी है इसलिए इन चीजों की जरूरत थी ही नही। अगर कुछ जरूरत थी तो वो थी अपने प्रेम का इज़हार करना और कुछ अंतरंग पल साझा करना। और इसका इस्तेमाल लतिका ने पुरी तरह से किया।
अमर साहब अवश्य थोड़े-बहुत असहज स्थिति मे थे। शायद इसका कारण काजल के साथ उनका अंतरंग संबंध और लतिका की उम्र ।
अमर साहब अपने जज्बात सही तरह से प्रदर्शित नही कर पाते है। उन्हे ऐसा महसूस होता है कि उनकी उम्र अधिक हो गई है और बचकाने जैसी चीजें उन्हे शोभा नही देती।
मेरा मानना है आदमी कितना भी उम्रदराज क्यों न हो जाए , कितना भी महान क्यों न हो जाए , उसके दिल मे कभी - कभी एक छोटे बच्चे जैसा दिल और धड़कन अवश्य होना चाहिए। कुछ शरारतपूर्ण कुछ नटखटापन और कुछ चंचलतापन।
तभी इंसान जिन्दादिल बनता है।

बहुत ही खूबसूरत अपडेट avsji भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
 
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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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23,424
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" कार्येषु दासी , करणेषु मंत्री , भोज्येषु माता , शयनेषु रम्भा।
धर्मानुकूला क्षमया धरित्री , भार्या च षाड्गुण्यवतीह दुर्लभा। ""
( गृह कार्य मे दासी , कार्य प्रसंग मे मंत्री , भोजन कराते वक्त माता , रति प्रसंग मे रम्भा , धर्म मे सानुकुल , और क्षमा करने मे धरती समान .....इन गुणों से युक्त पत्नी मिलना बहुत ही दुर्लभ है )

बहुत ही दुर्लभ है! माँग भी तो सब कुछ रहे हैं!
विश-लिस्ट का अंत कहाँ है! 😂 😂

लेकिन लतिका को अबतक जितना मै समझ पाया , वह एक आदर्श पत्नी बनने के लायक है।

पूरी तरह!

डेटिंग पर जाने का मुझे कोई तजुर्बा नही लेकिन यह जरूर जानता हूं कि फर्स्ट डेटिंग लव वर्ड के लिए बहुत ही इम्पोरटेंट पल होता है। एक दूसरे को समझना , एक दूसरे को महत्व देना और एक दूसरे की प्लस एवं माइनस प्वाइंट जानकर अंगीकार होना इस लम्हे की खासियत होती है।

बहुत आवश्यक है।
लेकिन, जिस तरह की डेटिंग लोग करते हैं - बनावटी और दिखावटी - वो न ही करें, तो बेहतर।
पैसे तो बचेंगे!

चूंकि दोनो एक घर मे ही रहते है , एक साथ सालों से समय गुजारे है , एक अपनापन का रिश्ता भी है इसलिए इन चीजों की जरूरत थी ही नही। अगर कुछ जरूरत थी तो वो थी अपने प्रेम का इज़हार करना और कुछ अंतरंग पल साझा करना। और इसका इस्तेमाल लतिका ने पुरी तरह से किया।

लतिका को समझ आ गया है कि अमर को कैसे सही राह पर रखना है।
अब अमर की कटी पतंग वाली ज़िन्दगी ख़तम।

अमर साहब अवश्य थोड़े-बहुत असहज स्थिति मे थे। शायद इसका कारण काजल के साथ उनका अंतरंग संबंध और लतिका की उम्र ।
अमर साहब अपने जज्बात सही तरह से प्रदर्शित नही कर पाते है। उन्हे ऐसा महसूस होता है कि उनकी उम्र अधिक हो गई है और बचकाने जैसी चीजें उन्हे शोभा नही देती।

बहुत संभव है। सुमन की भी वैसी ही दशा थी।
लेकिन रास्ते में आ जायेंगे अमर साहब शीघ्र ही। :)

मेरा मानना है आदमी कितना भी उम्रदराज क्यों न हो जाए , कितना भी महान क्यों न हो जाए , उसके दिल मे कभी - कभी एक छोटे बच्चे जैसा दिल और धड़कन अवश्य होना चाहिए। कुछ शरारतपूर्ण कुछ नटखटापन और कुछ चंचलतापन।
तभी इंसान जिन्दादिल बनता है।

हाँ - अंदर का बच्चा अगर मर जाए, फिर तो बचा ही क्या जीने को?

बहुत ही खूबसूरत अपडेट avsji भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।

बहुत बहुत धन्यवाद संजू भाई! :)
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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अचिन्त्य - Update # 21


उत्तेजना भरी घबराहट के कारण मेरा गला सूख रहा था। एक किशोरवय लड़के जैसी हरकतें कर रहा था मैं अब! आत्मनियंत्रण इतना कम होगा, मैंने यह सोचा भी न था! और वो भी लतिका की उपस्थिति में! मैंने तीन चार बात गहरी साँसें भरीं। सोचा बात बदलने से शायद अपने ऊपर थोड़ा नियंत्रण बने।

“अच्छा खाना था न?” मैंने कहा... लेकिन मेरी आवाज़ अभी भी भरभराई हुई थी।

“हम्म...?” लतिका भी जैसे अपने विचारों से बाहर निकली हो, “हाँ, बहुत अच्छा था!” लतिका ने एक बार मेरी तरफ़ देखा, और फिर से खिड़की से माथा टिका कर बाहर देखने लगी।

“बहुत अच्छा था...” मैंने भी लतिका की बात दोहराई।

लेकिन फिर कहने को कुछ सूझा ही नहीं! ऐसा लगा कि अचानक से ही जैसे बातें करने को ख़तम हो गई हों! ऐसा कैसे?

हमने काफी देर तक कुछ नहीं कहा।

जैसे जैसे घर पास आता जा रहा था, मन ही मन मुझे लग रहा था कि हमारी डेट की योजना थोड़ी बेहतर होनी चाहिए थी। केवल खाना खा कर वापस आ गए! ये भी कोई डेट हुई भला? रात मेरी आशा से कहीं जल्दी ख़तम हो रही थी। मैंने मन ही मन खुद को कोसा। जब हम घर से लगभग एक किलोमीटर दूर थे तो लतिका अचानक ही बोल पड़ी,

मैरी मी...”

“व... व्हाट?”

आई सेड, मैरी मी, अमर!”

“बट... हम... शादी करने वाले ही हैं...”

आई नो... इट्स जस्ट... ओह गॉड!” वो भी थोड़ा हताश लग रही थी, “... मुझे... मुझे वो सब नहीं... करना चाहिए था! ... यू नो... जो सब मैंने रेस्त्रां में किया! ... आई शुड नॉट हैव बीन अ टीज़...”

शायद उसको भी मेरी दशा दिख गई थी, और अब स्वयं को उसके लिए दोषी समझ रही थी। ... और शायद बुरा मान रही थी कि अपनी प्रतिज्ञा के कारण वो मेरी ‘उस’ दशा का निवारण नहीं कर पा रही थी।

“लतिका...”

“अमर... आई प्रॉमिस यू...” उसने बड़ी कोमलता से कहा, “आई प्रॉमिस यू... आई विल बी द बेस्ट वाइफ फॉर यू... द बेस्ट लवर... द बेस्ट सपोर्ट फॉर यू... यू विल नेवर रिग्रेट मैरिंग मी!”

“लतिका...”

“मैं... अ... तुमको... तुमको ढेर सारी खुशियाँ और ढेर सारा प्यार दूँगी...”

“ओह लतिका...”

“अमर... मैं... मैं...”

न जाने वो क्यों इतनी सफ़ाई दे रही थी मुझे। ये तो मैं खुद भी जानता था कि लतिका एक बेहतरीन लड़की है, और मेरे जैसे आदमी की ज़िन्दगी में उसकी आमद किसी दैवीय प्रसाद से कम नहीं है। और जब मेरे बड़ों ने लतिका को मेरे लायक समझा है, तो कुछ सोच कर ही समझा होगा। फिर ऐसे में उसको कुछ कहने की ज़रुरत नहीं थी।

“लतिका, तुमको कुछ भी कहने की ज़रुरत नहीं है! ... आई नो आल दिस... आई बिलीव आल दिस... एवरीथिंग दैट यू सेड!” मैंने कहा, और फिर एक गहरी साँस ले कर आगे बोला, “... लेकिन... लेकिन... मुझे डर लग रहा है, लतिका...”

मेरी बात पर उसने मुझको अजीब सी नज़र से देखा।

‘कहीं उसका दिल तो नहीं टूट गया?’

“डर...? ... मुझसे? ... हमसे?”

“नहीं…” मैंने तुरंत अपनी बात का स्पष्टीकरण दिया, “नहीं… हमारे लिए!”

“अमर?” उसने चिंताजनक तरीके से पूछा, “क्यों? ... किस बात का डर?”

मैं हिचकिचाया, और गहरी साँस ले कर बोला, “गैबी नहीं रही... डेवी नहीं रही...” मेरी आवाज़ बैठ गई, “... मैं नहीं चाहता कि तुमको कुछ हो जाए!”

“मैं नहीं मरूँगी...” लतिका ने बड़ी सरलता, लेकिन बड़ी शिष्टता से कहा, जिससे मुझको बुरा न लगे, “... आई मीन... जाना तो सभी को है... लेकिन... इतनी जल्दी नहीं जाऊँगी।” वो मुस्कुराई, “... डोंट यू वरी!”

घर काफी समीप आ गया।

लतिका ने कहा, “आई ऍम हैप्पी दैट यू थिंक ऑफ़ माय लॉन्ग लाइफ...”

मैंने एक फ़ीकी मुस्कान दी। मन में डर तो अभी भी था। मैं कुछ बोला नहीं।

गाड़ी अपने ड्राइव-वे में लगाते समय वो बोली, “अमर... क्या हम दोनों साथ में बैठ कर बात कर सकते हैं... कुछ देर?”

लतिका की मैच्योरिटी अविश्वसनीय स्तर पर थी। गैबी, डेवी, और डैड को खोने के कारण, मैं भावनात्मक रूप से बहुत डर गया था। हाँलाकि, माँ और पापा की शादी के बाद बहुत हद तक वो डर समाप्त हो गया था, लेकिन अब लतिका के मेरे जीवन में आने के बाद वो डर वापस आ गया था। कहीं वो भी चली गई, तो? उसको भी खो देने का डर...! उसको कुछ हो गया तो, मैं तो रह नहीं सकूँगा इस धरती पर! मुझे भी सहारे की जरूरत थी। कोई कब तक मज़बूत बनने का दिखावा करता रहे?

मेरी आवाज़ भर्रा गई, “आई वुड लव दैट वेरी मच, लतिका!”

लतिका ने धीरे से अपना हाथ मेरे हाथ पर रखा और उसे दबाया... बिना कुछ कहे उसने मुझे आश्वस्त कर दिया कि मैं चिंता न करूँ, और यह कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। और यह कि मेरा डर बेबुनियाद और मूर्खतापूर्ण है।

“चुपके से...” उसने दबी आवाज़ में और अपने होंठों पर उंगली रख कर मुझको सावधान किया, “बेटू सो गई होगी!”

उसको मिष्टी को यूँ ‘बेटू’ कह कर पुकारना मुझको अच्छा लगा।

घर का दरवाज़ा लतिका ने खोला और यथासंभव चुपके से बंद भी कर दिया। हमने दबे पाँव सीढ़ियाँ चढ़ीं। लेकिन हर कदम के साथ मेरे दिल की टीस बढ़ रही थी। लतिका को भी खो देने का डर मुझको बड़ी ज़ोर से सता रहा था। घर के अंदर आने तक हमने एक दूसरे से एक शब्द भी नहीं कहा। मैंने एक नज़र लतिका पर डाली और अपने कमरे की तरफ़ चल दिया। लतिका भी मेरे ही पीछे मेरे कमरे में आ गई। उसने मेरे पीछे दरवाज़ा भेड़ लिया... इस घर में हममें से किसी ने भी आज तक अपने दरवाज़ों को लॉक नहीं किया... इसकी कोई ज़रूरत ही नहीं थी।

कमरे में अंदर आ कर मैंने महसूस किया कि मुझको सच में भावनात्मक सहारे की बहुत आवश्यकता थी। पिछले कई वर्षों में घर में सभी ने मुझको बहुत प्यार दिया था और बहुत सहारा दिया था। लेकिन, आज मुझे जिस बात का डर साल रहा था, उसका निवारण केवल लतिका के ही पास था। और लतिका ने इस बात को भाँप लिया।

उसने मेरे चेहरे को अपनी हथेलियों में ले कर मुझको मेरे माथे पर चूम लिया... और उसी क्षण मेरी पीड़ा का बाँध टूट गया। मैं फ़फ़क फ़फ़क कर रोने लगा। मैं स्वयं भी आश्चर्यचकित था कि मैं अचानक ही ये क्या करने लगा! मेरे दिल में अभी तक जो दिल का दर्द कहीं दबा हुआ था, अब वो बे-रोक-टोक निकल रहा था। मुझे लतिका ने अपने गले से लगा लिया, कि मैं अपने हिस्से का रोना रो लूँ, जिससे मेरे मन का दर्द निकल जाए। उसने मुझे तब तक रोने दिया, जब तक मेरा मन शांत नहीं हो गया। उसने मुझे बिना-वजह का दिलासा नहीं दिया... रोने से मना नहीं किया, बल्कि मुझे रोने दिया। जब पीड़ा आँसू बन कर निकलते हैं, तो उसकी टीस कम हो जाती है। उसने एक क्षण के लिए भी मुझे अपने आलिंगन से नहीं मुक्त किया। मैं उसको ज़ोर से पकड़ कर देर तक रोता रहा।

आई ऍम सॉरी लतिका,” मैंने रोते-रोते कई बार बीच मीच में उससे माफ़ी माँगी, “आई ऍम सॉरी...”

“श्श…” लतिका ने मुझे कुछ न बोलने का संकेत किया, और कहा, “किसी भी बात की चिंता मत करो, अमर... मैं हूँ तुम्हारे साथ! अब तुम अकेले नहीं हो... डोंट वरी!”

जब मुझे रोने धोने से होश आया कि मैं क्या कर रहा हूँ... तो मुझे एहसास हुआ कि मेरा चेहरा उसके स्तनों के बीच दबा हुआ था। रोते रोते मेरी नाक जाम हो गई थी, लेकिन फिर भी मुझको गुलाब की भीनी भीनी महक महसूस हो रही थी। यह लतिका का फ्लोरल परफ्यूम था। मुझे इस बात का भी एहसास हुआ कि लतिका ने मेरे लिए कुछ ऐसा पोज़ बना लिया था, जो मेरे लिए बड़ा ही आरामदायक था। मैं उसके सीने में थोड़ा और घुस गया। अब मुझे उसके दिल की धड़कन और भी अच्छी तरह से सुनाई देने लगी! परफ्यूम की भीनी महक के बीच में ऐसा आरामदायक आलिंगन! आह! अपार दुःख में ऐसा सुखद एहसास।

मैंने लतिका को थाम रखा था। ऐसे ही एक क्षण मेरा हाथ लतिका की नंगी बाँह पर पड़ा। वो मुझको थोड़ा स्थान देने के लिए थोड़ा हिली, तो मेरा हाथ उसकी बाँह से सरक कर उसके स्तन के बगल पर फिसल गया। उस समय मुझे एहसास हुआ कि मेरा हाथ लतिका के एक स्तन के किनारे को छू रहा था। उस अहसास से मुझे अपने शरीर में बिजली का झटका सा महसूस हुआ। मैंने तुरंत ही से अपना हाथ वहाँ से हटा दिया। लतिका भी आलिंगन से अलग हो गई और मेरी तरफ़ अजीब ढंग से देखने लगी!

मुझे लगा कि जैसे वो शिकायत कर रही हो, कि मैंने वहाँ अपना हाथ क्यों रखा! लेकिन उसकी शिकायत थोड़ी अलग थी। आगे उसने जो किया, वो मेरे लिए आशातीत था!

उसने मेरे हाथ को पकड़ कर और सीधे अपने स्तन पर रख दिया!

‘बाप रे!’

यह कहना कि उसके गरमागरम और मुलायम, लेकिन दृढ़ स्तन के अहसास ने मेरी भावनाओं को झकझोर कर रख दिया, कोई अतिशयोक्ति न होगी! इस अद्भुत एहसास से इतनी सारी यादें जुड़ीं हुई थीं कि क्या कहें!

मेरा लिंग फिर से सख्त होने लगा, और इसके कारण मैं थोड़ा व्यथित भी हो गया। ऐसे बार बार लिंग का स्तम्भन और शिथिलीकरण होना कोई अच्छी बात नहीं है। उधर लतिका ने मुझको अपने से दूर करने के लिए कुछ भी नहीं किया। न जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा हाथ अब मेरा नहीं रहा। लग रहा था कि उसमें अपने आप ही एक तरह की चेतना आ गई हो - अपने आप से ही वो लतिका के दृढ़ स्तन के टीले की टोह लेने लगा। मेरी उँगलियाँ उसकी ड्रेस के कपड़े पर धीरे-धीरे, कोमलता से घूम रही थीं। मुझे होश तब आया जब मैंने अपने हाथ में उसके पेन्डेन्ट को महसूस किया!

आई ऍम सॉरी,” मैंने कह कर अपना हाथ पीछे खींचा।

“नो... नो...” लतिका बोली, और उसने मेरा हाथ फिर से अपने स्तन पर रख दिया।

मेरे लिए यह बहुत ही आरामदायक एहसास था! अब तो मुझे लतिका के दिल की धड़कन भी महसूस होने लगी।

“अमर,” लतिका कुछ देर बाद धीरे से फुसफुसाई, “मैं चाहती थी कि तुम मुझे... तुम मुझे... बिना मेरे कपड़ों के...” उसने झिझकते हुए कहा, “... तब देखो... जब मैं तुम्हारी दुल्हन बन जाऊँ...”

मेंने सर हिलाया।

लतिका मुस्कुराई और उसने मेरे होठों को चूम लिया।

मेरा लिंग अब पत्थर की तरह सख्त हो गया था, और जीन्स के अंदर वो बुरी तरह कसमसा रहा था। बड़ी मुसीबत थी। लेकिन अचानक ही मुझे लगा कि मेरे लिंग पर से दबाव कम हो गया है! मैंने नीचे देखा, तो पाया कि लतिका ने मेरी जीन्स का ज़िप खोल दिया है...! लतिका पहले भी यही काम कर चुकी थी! और उस समय भी मुझको एक अभूतपूर्व आनंद मिला था। मैं उसको रोकने या न रोकने की उधेड़बुन में पड़ा हुआ था कि उतने में लतिका ने मेरे लिंग को मेरी चड्ढी से मुक्त कर दिया।

जैसे ही मेरा लिंग बाहर आया, मैंने राहत की साँस भरी! मैंने लतिका के स्तनों को प्यार से सहलाया, तो उधर उसने मेरे लिंग को! बड़े आराम से, बहुत धीरे से! मेरा लिंग पूरी तरह से स्तंभित था। लतिका की उँगलियाँ मेरे लिंग की लम्बाई पर फिसल रही थीं, और कुछ ही देर में लिंग की सुराख़ से प्री-कम की कुछ बूंदें बाहर निकलने लगीं।

“अमर?”

“हम्म उम्?”

“मैं सोच रही थी... कि आज... आज यू कैन सी माय ब्रेस्ट्स?”

लतिका को नग्न देखने की चाहत तो एक लम्बे समय से थी। लेकिन,

ल...लतिका, इट कैन बी डेंजरस!” मैंने कहा।

लतिका ने झिझकते हुए कहा, “आई नो... बट विल यू लाइक इट?”

उसका हाथ अभी भी मेरे लिंग पर फिसल रहा था। ये भी भला कोई पूछने वाली बात थी!

मैंने नर्वस होते हुए, तेजी से ‘हाँ’ में सर हिलाया, “ह हाँ... हाँ! आई वुड लव इट! ...” फिर अपने लिंग पर उसका हाथ महसूस कर के, “दिस इस लवली, लतिका! ओह... हनी!”

लतिका, जो अभी भी मेरे साथ आलिंगन में बँधी हुई, मेरे लिंग को सहला रही थी, बुदबुदाती हुई बोली, “क्या सचमुच? ... तुमको अच्छा लग रहा है न? मैं ठीक से कर रही हूँ न?”

“ओह... बहुत बढ़िया, लतिका,” मेरे मैंने कराहना जारी रखा, “बस... बस... ओओओह्ह्ह्हह्ह...!”

अचानक ही मेरे लिंग से एक दो तीन और उसके बाद चौथे बलवान और बड़े झटके के साथ गाढ़ा वीर्य मेरे अंदर से निकला, और लतिका के हाथ के ऊपर बहने लगा। पक्की बात है कि कुछ उसके ऊपर भी गिरा होगा। जब तक स्खलन पूरी तरह से बंद नहीं हो गया, तब तक वो मेरे लिंग को सहलाती रही। हमारी साँसें अस्थिर थीं, और दिलों की धड़कनें तेज़! कमरे में इतना सन्नाटा था कि हम अपने दिल की धड़कनों को सुन सकते थे!

“अच्छा लगा?” उसने अंततः पूछा।

“बहुत...!”

वो मुस्कुराई, “ये सब उतार दूँ?”

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

कुछ ही देर में मैं पूरी तरह से नग्न हो, लतिका के सामने था। माँ, पापा और अम्मा की बातें याद आ गईं कि अपनी बीवी के सामने नग्न होने में क्या शर्म? लेकिन बड़ी बात यह थी कि लतिका बड़े अधिकार भाव से मेरे साथ यह सब करती थी। एक तरह से उसके सामने नग्न हो कर अच्छा भी लगा। मैंने देखा कि उसकी ड्रेस पर मेरे स्खलन के कारण बड़े बड़े तीन गीले धब्बे बन गए हैं। उसके अंदर भी कामुक विचार तो आ ही गए थे। लेकिन फिर भी वो इतनी खूबसूरत, इतनी मासूम और इतनी चूमनीय लग रही थी, कि क्या कहें! इसलिए, जैसे ही मैं अपने कपड़ों से मुक्त हुआ, मैंने आगे बढ़ कर उसके मीठे से होंठों को चूम लिया।

वो मुस्कुराई।

“लतिका…” मैंने कहना शुरू किया।

“अमर…” ठीक उसी समय लतिका भी बोली।

हम दोनों मुस्कुराये!

“पहले तुम बोलो,” उसने हँसते हुए कहा।

मैंनें एक गहरी साँस ली।

“लतिका, आई… अह… तुम... तुम रहती हो तो कण्ट्रोल ही नहीं हो पाता! ... आई ऍम सॉरी?”

लतिका हँसी, “अरे! सॉरी क्यों? ... और कण्ट्रोल करने को किसने कहा? ... जब हम दोनों शादी कर लेंगे, तब तुमको जितनी बार भी मन करे, मुझसे प्यार करना...! नहीं तो मेरा क्या काम?” फिर वो मुस्कुरा कर बोली, “तुम मेरे... तुम मेरे हस्बैंड हो... मेरा प्यार हो…” उसने मेरा चेहरा बड़ी कोमलता से सहलाया, “अभी जो कुछ हुआ… आज जो कुछ हुआ, वो मेरा प्यार है... तुमको थोड़ा आराम देने के लिए, जो सही लगा, मैंने वही किया... आल आई नो इस दैट आई लव यू!”

लतिका की बातों, उसकी हरकतों में इतना प्यार, इतनी ईमानदारी और इतना विश्वास था कि मुझे भी जवाब देना ही पड़ा,

“मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, लतिका।”

मैं अब जा कर लतिका को ले कर आश्वस्त हुआ - अब मुझे समझ में आ गया था कि वो मेरे लिए बिल्कुल सही जीवनसाथी है! मैं समझ गया था कि भगवान ने मुझे खुश होने और प्यार पाने का ‘एक और’ मौका दे दिया है! और इस मौके का आनंद मैं बिना किसी डर, बिना किसी पूर्वाग्रह के उठाना चाहता था। मुझे फिर से खुश होने का मौका मिल गया था, और मैं इसे अपने हाथों से जाने नहीं देना चाहता था।

मैरी मी?” मैंने उससे पूछा… पूरी सच्चाई और ईमानदारी से।

लतिका एक चौड़ी सी मुस्कान में मुस्कुराई, और ‘हाँ’ में सर हिलाते हुए मुझको अपने आलिंगन में ले ली।

“तुमको सुला दूँ, मेरे अमर?” अंत में उसी ने कहा।

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

एक और बात थी - उसके सामने नग्न होने में मुझको झिझक या शर्म नहीं थी। बल्कि बड़ा ही अद्भुत और आरामदायक एहसास था। मैं बिस्तर पर लेट गया और वो भी मेरे बगल आ कर लेट गई। मेरा लिंग उत्तेजनावश फिर से स्तंभित होने लगा। लतिका ने मेरी ओर प्रशंसात्मक दृष्टि से देखा, और घबराकर अपने होंठ काटने लगी। एक बेहद सेक्सी अदा!

मैं लतिका की कमनीय अदा पर मुस्कराया और मैंने फिर से उसको चूम लिया! एक प्रेमी वाला चुम्बन!

“क्या हुआ?” मैंने पूछा।

“बदमाश छुन्नू है तुम्हारा... इतनी जल्दी जल्दी... और वो भी अपनी बुआ के लिए...” लतिका ने मुझको छेड़ा।

“मेरी बुआ है ही इतनी सेक्सी...” मैंने भी उसको चूमा, और फिर थोड़ा ठहर कर मैंने कहा, “लतिका, तुमने मेरी लाइफ फिर से सँवार दी है... आई ऍम सो लकी टू फाइंड योर लव!”

मैंने उसके कंधे को सहलाया, और उसकी ड्रेस का कंधे वाला हिस्सा वहाँ से हट गया। उत्तेजना मेरे अंदर बड़ी तेजी से रूप ले रही थी। सच में - वो रहती है, तो कण्ट्रोल ही नहीं हो पाता! मैंने उसके सीने पर चूम लिया... उत्तर में लतिका के गले से एक कामुक कराह निकल गई। मैंने देखा कि उसकी आँखें बंद हो गईं थीं। अब और नहीं रुक सकता था मैं।

मैंने बड़ी कोमलता से उसकी ड्रेस का पहला बटन खोल दिया। लतिका को पता था कि क्या हो रहा है।

“अ…अमर... मैं तुम्हें रोक नहीं सकती... रोक नहीं पाऊँगी...” वो फुसफुसाती हुई बोली, जैसे कि वो मुझे अनुमति दे रही हो, “उतार दो... ले… लेकिन पू... पूरा नहीं... सब नहीं... ओके?”

मैंने समझते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया।

लतिका की ड्रेस को खोलना बड़ा आसान था। सारे बटन सामने की ओर ही लगे हुए थे, लिहाज़ा, कुछ ही देर में लतिका की ड्रेस उसके शरीर से अलग हो गई। चूँकि उसने स्वयं को पूरा नग्न न करने के लिए पहले ही मेरी रज़ामंदी ले ली थी, इसलिए मैंने उसकी चड्ढी नहीं उतारी। जितनी कृपा मिल रही थी, उसका सम्मान करना चाहिए और उसका आनंद उठाना चाहिए। आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे! इसलिए मैंने लालच नहीं किया।

लतिका ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी। और अपने अनावृत स्तनों के प्रदर्शन में वो कैसी कैसी अनुपम सुंदरी लग रही थी! एक नव-युवा स्त्री का शरीर वैसे ही बहुत सुन्दर लगता है, लेकिन लतिका में नवयुवती होने के साथ साथ एक एथलीट वाला कसाव और एक दृढ़ता भी थी। जैसा कि आप सब जानते हैं कि लतिका का रंग साँवला था... तो उसी रंग के अनुकूल उसके चूचक भी साँवले थे! ग़ज़ब का सौंदर्य! मैंने उसके स्तनों को सहलाया - उत्तेजित तो लतिका भी थी! इसलिए उसके चूचक अत्यंत उत्तेजनावश खड़े हो गए थे। उसके दाहिने स्तन पर, उसके चूचक से बस थोड़ा ही ऊपर एक छोटा सा तिल था। छोटा सा, और बिल्कुल गोल तिल! आज मैंने पहली बार उसको नोटिस किया! अद्भुत सा वस्तु था वो तिल!

मैंने उसके तिल तो सहलाया। वो सिहर गई। उसके स्तनों पर रौंगटे खड़े हो गए, ख़ास कर उसके एरोला पर! और उसके चूचक उत्तेजना में कोई एक इंच तक लम्बे हो गए थे... उनको देख कर ऐसा लगा कि उत्तेजना के अतिरेक से वो कहीं फूट ही न जाए!

“लतिका?” मैंने अन्यमनस्क सी अवस्था में कहा।

“हम्म?”

“काश कि मैं यही तिल होता...”

“हा हा... ये तिल?”

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया - मेरा सारा ध्यान अभी भी उसी तिल पर था।

“क्यों?”

“तुम्हारे पास... तुम्हारे साथ रहने की इससे बेहतर कोई और जगह हो नहीं सकती...”

“हा हा...”

“अगर मैं ये तिल होता न, तो तुमको कोई छोटी सी ब्रा पहननी पड़ती... नहीं तो मेरा दम घुट जाता...”

आई लव यू...”
आई लव यू!” मैंने कहा, “सच में... आई कैन लिव राइट देयर!”

मैंने कहा और लतिका के होंठों से अपने होंठ मिला बैठा। लतिका के साथ इतनी सी ही अंतरंगता से समझ आ गया कि मुझे उसके साथ वैवाहिक जीवन का गज़ब का आनंद मिलेगा! मैंने मन ही मन घर में सभी का शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने मेरे साथ लतिका का संग तय किया। कभी कभी अरेंज्ड मैरिज भी आनंददायक होती है!

कुछ देर उसको चूमने के बाद मेरा प्यासा मुँह उसके एक चूचक से जा लगा। जैसे ही मैंने चूसना शुरू किया, लतिका काँप उठी और उसके मुँह से एक मीठी लेकिन दर्द भरी कराह निकली! मन में तो हुआ कि मैं चूषण करना रोक दूँ, लेकिन ये एक ऐसा काम है, जिसको बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। उससे न तो करने वाला संतुष्ट होता है, और न ही वो जिस पर यह किया जा रहा होता है। मुझको पता था कि इसमें हम दोनों की ही रज़ामंदी थी, लिहाज़ा आनंद भी दोनों का ही था!

मैं उसके स्पंजी, ठोस चूचक को अपने मुँह में धड़कता हुआ महसूस कर पा रहा था। मेरे मन में यह विचार आया कि उसके चूचक चबा लिया जाए! आज नहीं - लेकिन ये करूँगा ज़रूर! अभी करने के लिए एक और काम था - देख नहीं सकता, लेकिन प्यार तो कर ही सकता हूँ न? मैंने अपना हाथ नीचे बढ़ाया, और उसकी पैंटी के अंदर उसकी योनि से जा लगा और उसके आकार प्रकार का जायज़ा लेने लगा। जैसा कि मैंने अंदाज़ा लगाया था, लतिका की योनि के होंठ छोटे से थे - गैबी की योनि के होंठों से भी छोटे और पतले! उसकी योनि के ठीक ऊपर का हिस्सा, मॉन प्यूबिस हल्का सा उभरा हुआ, गठा हुआ और उत्तेजित करने वाला था। वहाँ बाल नहीं थे - शायद वैक्सिंग कराई हुई थी उसने! माँ और अम्मा ने अवश्य ही उसको इस बारे में बताया होगा। लेकिन उसकी श्रोणि बहुत ही चिकनी थी - मतलब बहुत लम्बे समय से वो वैक्सिंग कराती आ रही थी।

‘हम्म्म... इंटरेस्टिंग!’

मैंने उसकी गुलाब की पंखुड़ी को ढूंढ कर बाहर निकाला - वो भी पतली और कोमल सी लगी! उसका योनिरस अब निर्बाध बह रहा था और इस बेहद अंतरंग कार्य को और भी अनूठा बना रहा था। लतिका के लिए यह अनुभव अभूतपूर्व तो था ही, और आसान तो कत्तई नहीं था! इतना तो कह ही सकता था कि आज उसके साथ जो हो रहा था, वो उसके साथ कभी नहीं हुआ था। अपरिचित उत्तेजना के कारण उसका मुँह खुला था, उसके नथुने फड़क रहे थे, और वो ज़ोर ज़ोर से साँस ले रही थी।

मैंने अपनी तर्जनी से उसके भगशिश्न का पता लगाया - वो चिरौंजी के दाने जितनी बड़ी लगी। उसको छूने की देर थी कि लतिका आँहें भरते हुए मुझमें सिमट गई। जिस तरह से उसका शरीर थरथरा रहा था, मैं समझ गया कि उसको आज का अपना पहला चरमसुख मिल गया है! मैं यथासंभव उसका स्तन अधिक से अधिक अपने मुँह में रख कर अभी भी चूस रहा था। वो मेरी गर्दन में मुँह छुपा कर गर्म गर्म साँसें भर रही थी।

लतिका की योनि पूरी तरह से भीग चुकी थी! अगर उस समय कोई ऐसा व्यक्ति हमको देखता जिसको हमारी अंतरंगता की सच्चाई के बारे में न पता हो, तो सोचता कि हमने अभी अभी सेक्स किया था! और उसकी पैंटी इतनी गीली हो गई थी कि जैसे उसमें से उसकी का रस और मेरा वीर्य - दोनों ही रिस रहा हो!

‘इसका मतलब है,’ मैंने सोचा, ‘कि लतिका भी लम्बे समय से सेक्सी महसूस कर रही थी!’

इस बात का संज्ञान होना, एक अद्भुत अहसास था!

किसी ऐसी लड़की से इस तरह अंतरंग होना, जो अंतरंग होने से पहले ही आपके साथ अंतरंग होने की फंतासी रखे हुए हो, एक गज़ब की अनुभूति होती है यह! उसका शरीर आपके साथ सेक्स करने को तैयार रहता है, और ऐसी ही लड़की के साथ सेक्स का सबसे सुन्दर और संतुष्टिप्रद आनंद आता है! ... और, मुझको वो सुख आ रहा था!

उसके भगशिश्न को पा कर मैं उसको सहलाने लगा। साथ ही साथ यह विचार भी मन में आ रहा था कि मैं उस समय एक किशोरवय लड़की के साथ प्यार कर रहा था! मेरी सभी प्रेमिकाओं ने मुझे बहुत कुछ सिखाया था... सबने! अब मेरी बारी थी किसी को कुछ सिखाने की!

मैं उसकी योनि की दरार को कुछ इस तरह सहला रहा था कि उसका भगशिश्न मेरी छुवन से लगातार छिड़ता रहे। ओर्गास्म का आनंद मिलने के बाद भी लतिका का शरीर काँप रहा था, और उसके नितम्ब अब जैसे स्वप्रेरणा से एक ताल में हिल रहे थे। उसकी ताज़ा, गर्म साँसें मेरी गर्दन को जला रही थीं।

ऐसे ही सहलाते हुए, उसके योनिमुख पर मैंने अपनी तर्जनी का दबाव बनाया। छेद सँकरा था, लेकिन उंगली भी कोई बहुत मोटी नहीं थी। जैसे ही मेरी तर्जनी ने लतिका की योनि में प्रवेश किया, उसकी एक गहरी साँस निकल गई।

“लतिका?” मैंने उसका स्तन पीना रोक कर उसको पुकारा।

“हम्म?”

“ठीक हो?”

“म्मर जाऊँगी मैं...” उसने क्षीण आवाज़ में कहा।

“निकाल लूँ?”

“नहीं... नहीं!” उसने आनंद से कराहते हुए कहा, “... ले...लेकिन पागल हो जाऊँगी... सच में!”

मैंने उसकी बात का यह अर्थ निकाला कि उसको मेरी हरकतों से बहुत आनंद मिल रहा है। तो मैंने रोका नहीं, और वापस उसके स्तन को पीने लगा, और योनि को छेड़ने लगा। कुछ ही देर में उसकी कराहें उग्र हो गईं, और साँसें अनियमित... लगभग हाइपरवेंटिलेटिंग सी हो रही थीं। और उसका शरीर ऐसे काँप रहा था, कि जैसे उसे ठंड लग रही हो।

फिर वो अचानक से ही बिस्तर से उठ गई,

“आह… आई ऍम सॉरी… आई ऍम सॉरी… आई कांट डू दिस! ... आई कांट!” अपने दोनों हाथों को अपने स्तनों को छुपाते हुए वो लगभग विनती करती हुई बोली, “अमर... प्लीज अब और कुछ मत करना... नहीं तो मैं रोक नहीं सकूँगी अपने आप को...”

मैं भी उत्तेजनावश हाँफ रहा था। कुछ समय पहले हुए स्खलन के बावजूद भी, मैं फिर से तैयार था, और मेरा लिंग मेरी दिल की हर धड़कन के साथ फड़क रहा था। हम दोनों के बीच की चीजें बहुत जल्दी ही गर्म और अनियंत्रित हो गईं थीं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा, लेकिन मुझे बहुत ख़ुशी थी कि ऐसा कुछ हुआ!

उसने मेरे लिंग को अपने कोमल हाथों से पकड़ा, और कहा, “इसको भी सम्हाल कर रख लो कुछ दिन...”

फिर उसने मेरे लिंग के सिरे पर एक ज़ोरदार चुम्बन दिया।

“... और जितनी जल्दी हो सके, मुझसे शादी कर लो...”

“कहो तो कल ही कर लें?” मैंने शरारत से कहा।

यू वुड लव दैट! वोंट यू?” वो मुस्कुराई, “एंड सो वुड आई... लेकिन नहीं। अभी नहीं... पहले बोऊ-दी का बेबी हो जाए, फिर?”

मैंने ‘हाँ’ में सर हिला कर रज़ामंदी दी, “मतलब, जून जुलाई?”

“मतलब जून जुलाई...” उसने भी मेरी बात का अनुमोदन किया।

फिर वो मुस्कुराई। उसकी साँसें अभी भी तेजी से चल रही थीं, लेकिन वो प्रसन्न लग रही थी। मेरी हालत भी उसकी जैसी ही थी। मैं भी बिस्तर से उठ बैठा, और उसके किनारे पर पैर लटका कर बैठ गया।

“कम हियर...”

उसने अभी भी मुस्कुराते हुए ही ‘न’ में सर हिलाया, और फिर मेरी तरफ़ आने लगी।

जब वो मेरे करीब आ गई, तब मैंने उसको अपने आलिंगन में ले कर उसके सीने पर, स्तनों के बीच चूमा। मैं उसको बताना चाहता था कि मैं उसका कितना शुक्र-गुजार था कि वो मेरे जीवन में आई! लतिका ने अपनी आँखें बंद कर लीं। उसके परफ्यूम की खुशबू ने मन मोह लिया। उसके साथ एक होने का एहसास अब मेरे मन पर हावी हो गया था। हमारा जीवन अब एक था!

लतिका ने बड़े प्रेम से मेरे बालों को सहलाते हुए कहा, “स्लीप माय लव,”

मैंने फिर से उसके सीने को चूमा।

“... स्लीप! अब ‘मैं’ आ गई हूँ... किसी बात की चिंता न करना अब से! ... अब से तुमको किसी बात का दुःख नहीं होगा!”

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया!

सच में, दिल के दुःख बहुत कम हो चले थे।

“सो नहीं पाऊँगा...” मैंने शरारत भरी शिकायत की।

“तो मैं फिर से आ जाऊँगी...” उसकी आवाज़ में ऐसी नर्मी थी कि मुझको आराम और सुकून मिल गया, “... अभी सो जाओ!” उसने मेरे माथे को चूमा।

“आई लव यू!” मैंने कहा।

“आई लव यू टू!” वो बोली।

फिर वो मुड़ी और कमरे से बाहर निकल गई।

*
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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लेकिन, जिस तरह की डेटिंग लोग करते हैं - बनावटी और दिखावटी - वो न ही करें, तो बेहतर।
पैसे तो बचेंगे!
Materialistic world....

दिखावा नहीं तो प्यार (सेक्स) नही।
 
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