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Bahut hi shaandar update diya hai avsji bhai....अचिन्त्य - Update # 20
घर से रेस्त्रां जाते समय हमारी बातचीत कम ही हुई। आदत से मजबूर था मैं - हमारी बातचीत वैसी ही थी, जैसी कि हमेशा से होती आई थी... बस यही कि उसका दिन कैसा था, उसके दोस्त कैसे हैं, और ऐसी ही फ़िज़ूल की बातें! जब आखिरी बार डेटिंग किये हुए इतना लम्बा अर्सा निकल गया हो, तो दोबारा डेटिंग शुरू करने में मुश्किल होती है... आप इस खेल के नियम भूल जाते हैं! सब नया हो जाता है। वैसे भी, लतिका नई पीढ़ी की लड़की थी और मैं स्वयं इस पीढ़ी के संपर्क में नहीं था। इस कारण से भी थोड़ी दिक्कत थी। लेकिन लतिका सब समझ रही थी, और इस बात को ले कर बहुत संवेदनशील भी थी। वो चाहती थी कि मुझे बुरा न लगे।
जब हम रेस्त्रां पहुँचे, तो वहाँ के मैत्रे दे’होटल (मुख्य बटलर) हमें हमारी टेबल तक आदर पूर्वक ले गया। हमारी डेट की व्यवस्था रेस्त्रां की ऊपरी मंज़िल पर खुले में किया गया था। यह थोड़ा एक्सक्लूसिव एरिया था - उतने बड़े क्षेत्र में जहाँ नीचे बारह टेबल होतीं थीं, वहीं यहाँ पर केवल छः टेबल ही थीं। हमारी टेबल सामान्य से छोटी थी, तो जाहिर सी बात है कि केवल दो लोगों के रोमांटिक या इंटिमेट डिनर / लंच के लिए इस्तेमाल में आती थी। टेबल पर सफ़ेद लिनन शीट पड़ी हुई थी और टेबल पर एक गुलदान और दो मोमबत्तियाँ लगी हुई थीं। एक समय था जब मुझे इस तरह के दिखावों में कोई भरोसा नहीं था - अभी भी नहीं है। लेकिन फिर भी लगता है कि अगर आप किसी से प्रेम करें, तो उसकी अभिव्यक्ति भी बढ़िया तरीक़े से करें। अंदर आते आते मैंने मैत्रे दे’होटल से बढ़िया क़िस्म की शेनिन ब्लाँक वाइन लाने को कह दिया था। जहाँ तक मुझे ज्ञात है, लतिका ने अभी तक किसी भी तरह की मदिरा का सेवन नहीं किया था। इसलिए, मैंने इस क्लासिक वाइन को चुना, जिसको पी कर आनंद मिले, अधिक नशा न हो, और शरीर और मन को हल्का महसूस हो।
यहाँ जिस तरह की व्यवस्था थी, उसमें एक खूबसूरत लड़की की मौजूदगी में, रोज़मर्रा की बातें नहीं हो सकती थीं। और वैसे भी, ये लतिका और मेरी पहली डेट थी! थोड़ी ही देर में हमारी बातचीत गंभीर विषयों की दिशा में मुड़ गई - बातें जैसे कि लतिका के भविष्य के सपने, और मेरी स्वयं की भविष्य की चिंताएँ! लतिका के भविष्य के सपने सरल और सुन्दर से थे, और मेरी भविष्य की चिंताएँ अनावश्यक रूप से गंभीर! मुझे भी लग रहा था कि अगर उसके जैसी साथी हो, तो ये सब बेजा चिंताएँ हैं!
जब वेटर ने हमको वाइन सर्व करी, तो लतिका ने मेरी तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि डाली।
“इट इस सेफ... लतिका... डोंट वरी! ... एक दो सिप ले कर देखो, अगर पसंद न आए, तो अपने मन का जो चाहो, ऑर्डर कर देना! यू डोंट हैव टू ड्रिंक...”
मैं मुस्कराया।
लतिका भी।
यह नए अनुभवों का आनंद लेने का समय था।
हमने अपने अपने वाइन ग्लासेस को टुनका कर ‘चियर्स’ कहा, और एक एक सिप लिया।
“थैंक यू फॉर आस्किंग मी आउट...” उसने एक सिप लेते हुए कहा।
“थैंक यू फॉर अक्सेप्टिंग इट...” मैंने झिझकते हुए कहा, “न जाने क्यों... हम घर पे रहते हुए थोड़ा अजीब सा व्यवहार कर रहे हैं।”
“आई ऍम सॉरी!”
“अरे! सॉरी मत कहो लतिका... मैं तुम पर कोई इलज़ाम नहीं लगा रहा हूँ... और वैसे भी यह बात मेरे ऊपर अधिक लागू होती है...” मैंने वही कहा जो सही था, “... न जाने क्यों मैं तुमसे खिंचा खिंचा सा रहता हूँ! बात नहीं करता... बहुत इम्मैच्योर बिहैवियर है मेरा! ... इसलिए, मुझे इन सब बातों को सही करने का मौका देने के लिए थैंक यू!”
लतिका ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख कर, हलके से दबाया।
“आप ऐसे क्यों सोच रहे हैं... मुझे तो इस बात की खुशी है कि घर पर हम दोनों को ले कर हर कोई इतना सपोर्टिव है।” लतिका मुस्कुराई, और बात बदलते हुए बोली, “... हाऊ वास योर वीक?”
“बोर...” मैंने हँसते हुए कहा, “आजकल सब कुछ बोर लगता है! ... पूरा टाइम... पूरा टाइम तुम्हारे... हमारे बारे में सोचता रहता हूँ!”
“मैं भी... मैं भी आपके बारे में ही सोचती रहती हूँ...” उसने कहा, “... पूरे टाइम!”
मैंने हाथ बढ़ा कर लतिका का हाथ अपने हाथ में ले लिया,
“तुम बहुत सुंदर हो लतिका...” मैंने बहुत धीरे से, लेकिन पूरी शिष्टता से कहा।
लतिका शरमा गई, लेकिन उसने मेरे हाथ को चूम लिया! मेरा दिल धड़क उठा।
“मैं आपसे एक बात कहूँ... अमर?” लतिका बोली - उसने मुझे मेरे नाम से पुकारा - और मैं इससे बहुत खुश था, “जैसा मैं आपके बारे में महसूस करती हूँ, वैसा मैंने किसी के लिए नहीं किया... कुछ बात तो है आप में!”
उसने कहा, और मेरे कुछ कहने का इंतज़ार करने लगी। लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा।
“अमर... आई ऍम सरप्राइज़्ड कि आप जैसे... हैंडसम... आदमी को मैं पसंद आई! ... और औरतों का नुकसान... मतलब मेरा फ़ायदा!” कह कर वो हँसने लगी।
उसकी बात से मैं थोड़ा नर्वस हो गया।
कुछ भी हो, लतिका हमारी फर्स्ट डेट को ले कर बहुत उत्साहित थी, और मैं अपेक्षाकृत नर्वस था। लेकिन, जिसके साथ जीवन बिताना है, उसके साथ संयत होना बहुत ज़रूरी है। उसको अपने मन में दाखिल होने देना बहुत ज़रूरी है।
“लतिका... आई ऍम टायर्ड!” मैंने बहुत थके हुए स्वर में कहा।
यह सुनते ही उसके हाव-भाव तुरंत बदल गए, “ओह, डू यू वांट टू गो होम?”
“व्हाट? ओह नो! नहीं… नहीं... मेरा वो मतलब नहीं था... आई ऍम टायर्ड... नॉट फिजिकली... बट ईमोशनली!”
लतिका समझ गई कि मैं क्या कहना चाहता था, और इसलिए वो चुप रही।
मैंने ही बात आगे बढ़ाई, “दो बार शादी हो चुकी है मेरी… और तुमसे पहले... तुमसे पहले भी कई औरतों से मेरे संबंध रहे हैं...”
मैंने आखिरी दो शब्दों पर जोर दिया, ताकि लतिका समझ सके कि वो क्या कर रही है। उसे समझ में आना चाहिए, कि मैं न केवल दो बार रंडवा हो चुका हूँ, बल्कि मेरा सेक्सुअल एक्सपीरियंस बहुत व्यापक भी है। शायद मैं उसको डराना चाहता था। शायद मैं उससे ईमानदारी से पेश आना चाहता था। क्या पता? मुझे खुद ही नहीं पता ठीक से!
“बट श्योरली, दैट डस नॉट एफेक्ट अस?” लतिका ने पूछा।
मुझे उम्मीद नहीं थी कि लतिका ऐसा कुछ कह सकती है! सच में, अपनी उम्र से कहीं अधिक परिपक्व हो गई थी वो!
“लतिका... देवयानी के बाद... मुझे डेटिंग का कोई एक्सपीरियंस नहीं हुआ... और जो... कभी-कभार का एक्सपीरियंस हुआ वो सब यूँ ही था। ... उसका कोई मायने नहीं है!”
“अमर,” लतिका ने इतने स्नेह से मेरे गाल को छुआ कि मैं पिघल गया - वो छोटी सी लड़की कब बड़ी होकर इतनी मैच्योर युवती बन गई थी, मुझे पता ही नहीं चला, “क्या आपको लगता है कि इन सब बातों का हमारे फ्यूचर पर असर पड़ेगा?”
“नहीं...” मैंने फुुसफुसाते हुए कहा।
“तो फिर हम कुछ और बातें करते हैं...” लतिका बोली।
मुझे समझ आ रहा था वो हमारी बातचीत को बड़ी कुशलता और सावधानीपूर्वक एक सही दिशा दिखा रही थी! वो उसको बहुत खुशनुमा रखने की कोशिश कर रही थी, और मुझे हमारे आने वाले जीवन के लिए उत्साहित कर रही थी। सच में - लतिका इस समय एक मैच्योर एडल्ट की ही तरह व्यवहार कर रही थी। मैंने मन ही मन एक और बात स्वीकारी - अब मुझको सच में लतिका को किसी बच्ची के नज़रिए से देखना बंद कर देना चाहिए था। ... और बड़ी अच्छी बात थी कि हम दो एडल्ट्स की ही तरह डेट पर बाहर निकले थे। अंततः मैं लतिका को एक वयस्क के रूप में देख सका! मेरे बराबर! मेरे जैसी! शायद मुझसे भी अधिक! मैं उसको यह बताना चाहता था, लेकिन मेरे मुँह में वो शब्द लड़खड़ा रहे थे।
कैसे बताऊँ मैं उसको?
मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए लतिका का हाथ अपने हाथ में लिया। उसकी हथेली के पिछले हिस्से की स्किन चिकनी और थोड़ी गर्म सी थी। उसकी स्किन के नीचे की नसें उसकी दिल की धड़कनों के साथ हलके हलके धड़क रही थी। शायद लतिका ने भी मेरी छुवन में कुछ महसूस किया हो... हमारी आँखें कुछ समय के लिए बंद हो गईं, और हम में से कोई भी कुछ नहीं बोला।
“अहेम...”
हमने आँखें खोलीं, तो देखा कि वो हमारा वेटर था, जो हमारा डिनर ले कर आया हुआ था।
मैंने बहुत धीरे और अनिच्छा से अपना हाथ खींच लिया। वेटर समझ रहा था कि उसने हमारी अंतरंग बात में ख़लल डाल दिया था, लिहाज़ा वो भी अपना काम जल्दी जल्दी कर के वहाँ से चम्पत हो जाना चाहता था। खाना सर्व होने के बाद हम दोनों ही बड़े आराम से भोजन का आनंद उठाने लगे। हम अभी भी बातें कर रहे थे, लेकिन पहले से कम! अधिकतर बातें बड़ी खुशनुमा थीं। हमने कई सारी पुरानी यादें ताज़ा करीं - पुरानी, लेकिन सुखद यादें! बचपन की बातें, जिनमें माँ, अम्मा, मिष्टी और पापा प्रमुखता से थे। वो सावधानीपूर्वक गैबी या डेवी के बारे में बातें करने से बचती रही। आज की रात हमारे और हमारे भविष्य के बारे में थी, इसलिए उसने बड़ी दक्षतापूर्वक मुझे मेरे अतीत के बारे में अनावश्यक रूप से याद करने की कोई कोशिश नहीं करी।
जब डिजर्ट सर्वे किया गया, तो लतिका ने अचानक ही, शर्म से मुस्कुराते हुए, लेकिन बच्चों जैसे उत्साहपूर्वक फुसफुसा कर कहा,
“उम्… आपने उस कपल को देखा? ... नो नो... डोंट सी देम नाऊ...” फिर दो पल बाद, “अब देखिए... वो जिनके टेबल पर लसानिया है?”
मैंने तिरछी निगाह से देखा - हमारी टेबल से आड़ी साइड में एक अधेड़ उम्र का जोड़ा बैठा हुआ था।
“ओके! कौन हैं वो?” मैंने लतिका से उसी के ही अंदाज़ में उत्सुकतापूर्वक पूछा, “क्या किया उन्होंने?”
लतिका बड़े षड़यंत्रकारी अंदाज़ में टेबल पर मेरे सामने झुकते हुए कहा - उसके युवा स्तन उसकी ड्रेस में बड़े रोचक करीके से दब कर उभर आए और उसकी नेकलेस का पेन्डेन्ट उसके स्तनों के बीच की दरार में बड़े ही खतरनाक तरीके से घुस गया।
“जब से वो दोनों आए हैं, तब से हमको ही घूर रहे हैं दोनों!” उसने कहा।
“व्हाट! दोनों?”
“हाँ... वो लेडी मेरी टीचर मिसेज सिंघल हैं...”
“व्हाट?”
“मुझे तो लगता है कि उनको शक़ हो गया है कि हम लवर्स हैं, और अपनी डेट पर आए हैं...” वो मुस्कुराई।
मैं लतिका की बात पर शरमाते हुए अपनी कुर्सी पर पीछे की तरफ़ झुक गया! मैं थोड़ा शर्मिंदा हो गया था, लेकिन लतिका के लिए यह एक मज़ाक था।
“यू नो...” जब वेटर पेमेंट लेने के लिए मेरा क्रेडिट कार्ड उठा कर गया, तो लतिका बोली, “हम उनके साथ खेल सकते हैं... आप साथ हैं?”
बिल्कुल साथ हूँ! इस तरह के बचपना ली हुई शरारतें कैसे न करे कोई? मैं संकोचपूर्वक मुस्कुराया ज़रूर, लेकिन मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया। ये लतिका का वो रूप था, जिसके बारे में मैं नहीं जानता था... वो कोई संकोची लड़की नहीं थी! लेकिन, उसका यह शरारती पहलू मैंने पहले नहीं देखा था।
“श्योर...”
लतिका की मुस्कान बहुत चौड़ी हो गई, “ओके! जस्ट फॉलो माय लीड!”
तभी वेटर मेरे सिग्नेचर लेने आया। मैंने बिल पर साइन किया, और टेबल से उठ गया। लतिका अपनी कुर्सी पर टेढ़ी हो कर बाहर निकलने को हुई। उसने जैसे ही ये किया, उसकी ड्रेस का सामने का स्लिट हट गया, जिससे उसकी आधी जाँघों तक कर पूरा दृश्य उसकी टीचर और उसकी ‘डेट’ के सामने प्रदर्शित हो गया। जहाँ मिसेज़ सिंघल अपनी भूतपूर्व छात्रा के इस अनौचित्य ‘अंग-प्रदर्शन’ को देख कर दंग हो गई थीं, वहीं उनकी डेट वो दृश्य देख कर चकाचौंध हो गया!
लेकिन असली झटका आने वाला था।
मैं वहाँ से निकलने को हुआ, उसी समय लतिका ने मुझे मेरे कंधे पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया, और अपनी बाँहें मेरे गले में डाल कर मेरे होंठों पर अपने होंठ जड़ दिए! यह कोई सौम्य अथवा मासूम चुम्बन नहीं था : यह पूरी तरह से एक कामुक चुम्बन था! लतिका ने अपना मुँह खोला और मेरे होंठों से सटा कर मेरे मुँह में अपनी जीभ सरका दी! मैंने कभी नहीं सोचा था कि पहली डेट पर हमारा चुंबन इस तरह से, और इस तरह का होगा! मैंने महसूस किया कि उसका शरीर मेरे शरीर से पूरी तरह सटा हुआ था, और उसके स्तन मेरी छाती पर कुचल रहे थे। स्वाभाविक था, कि मेरी बाँहों ने स्वतः ही उसकी कमर को प्रेम भरे आलिंगन में घेर लिया। लतिका ने इस चुम्बन को अपेक्षाकृत लंबे समय तक बनाए रखा।
आख़िरकार, जब हमने अपना आलिंगन तोड़ा, तो वो थोड़े उच्च स्वर में बोली, “थैंक यू सो मच फॉर दिस लवली डिनर, माय लव!”
जाहिर सी बात है कि मिस्टर और मिसेज सिंघल ने उसकी बात सुनी होगी।
उन पर उसकी बात का जो प्रभाव पड़ना हो, पड़ा हो, लेकिन मेरी हालत ही खराब हो गई। मेरा लिंग बुरी तरह से स्तंभित हो गया था। मैंने जल्दी से अपने ब्लेज़र का बटन लगाया कि मेरी जींस का उभार कोई न देख ले, लेकिन मेरा लिंग स्तंभित हो और वो जींस जैसे टाइट-फिटिंग कपड़े से दिखाई न दे, हो नहीं सकता। जाहिर सी बात है, लतिका के दर्शकों ने भी वो देखा।
बड़ी शर्मनाक हालत हो गई थी मेरी! किसी तरह से मैं अपनी कार तक पहुँचा। लतिका का ऐसा कामुक रूप गज़ब का था।
जब मैंने उसके बैठने के लिए कार का दरवाज़ा खोला, तो उसने बैठने से पहले मेरे गाल पर एक सौम्य सा चुंबन दिया। सेक्सी लतिका अचानक ही मासूम लतिका बन गई! मन थोड़ा शांत हुआ - और मेरा स्तम्भन भी! क्या गज़ब की शक्ति है लतिका में - जब उसका मन किया, उसने मेरा इंजन चालू कर दिया, और जब मन किया, बंद कर दिया! यार - मैं तो अभी से उसके इशारों पर नाचने लगा था!
यह बोध होते ही मैंने उसकी तरफ़ देखा। लतिका खिड़की के बंद शीशे से मुस्कुराती हुई बाहर की तरफ देख रही थी। बहुत मासूम सी लग रही थी। मैं उसको ऐसे देख कर मुस्कुराया। लेकिन फिर मेरी नज़र उसके सीने पर पड़ी - उसके स्तन गाड़ी हिलने के कारण उत्तेजक तरीके से हिल रहे थे। बेबस था मैं - मेरी नज़र नीचे की तरफ़ पड़ी। लापरवाही से बैठने के कारण उसकी ड्रेस का स्लिट पूरी तरह से हट गया था, और उसकी चिकनी टाँगें फिर से प्रदर्शित थीं।
मेरा स्तम्भन फिर से वापस आ गया!
*
स्त्रीयों में इन मामलों में जन्मजात खूबी होती है कि वो जिसे चाहती हैं, उससे उन्हें कोई शर्म या झिझक नहीं होती, वहीं पुरुष इस मामले में कोसों पीछे रह जाता है।अचिन्त्य - Update # 19
लतिका के साथ ‘रोमांस’ करना मेरे लिए मेरी पिछली सभी प्रेमिकाओं से अलग था। अब तक मैंने ही अपनी प्रेमिकाओं के साथ ‘पहल’ करी थी। लेकिन इस बार अलग था। लतिका ने पहल करी थी, और हमारे सम्बन्ध को हमारे परिवारों की अनुमति थी। उस लिहाज़ से यह एक अरेंज्ड मैरिज जैसा था। और फिर उम्र का ऐसा अंतर! अपने से बड़ी उम्र की लड़कियों के साथ मैं कैसा भी बचपना कर देता, वो बुरा नहीं मानती थीं। लेकिन लतिका के साथ मुझको वो बड़ा वाला - गंभीर वाला रोल अदा करना होगा! अब यह थोड़ा सा अप्राकृतिक सा था मेरे लिए! वो धीर गंभीर अवश्य है, लेकिन साथ ही साथ एक चुलबुली सी लड़की भी है! उसके सामने बचपना नहीं दिखा सकता! लिहाज़ा, थोड़ा गंभीर रहना पड़ेगा।
मुझको लतिका को डेट पर ले जाने की बात समझा कर पापा ने अम्मा से भी इस बारे में चर्चा करी। ऐसा नहीं है कि किसी को इस बात को ले कर कोई आपत्ति थी, लेकिन फिर भी जब सब कुछ सबके संज्ञान और अनुमति से हो रहा था, तो ये भी क्यों नहीं? वैसे भी, मुझे ऐसा लग रहा था कि लतिका के लिए यह एडल्ट लाइफ में पहला क़दम था, तो उसको भी आनंद आना चाहिए।
अम्मा ने एक रोज़ लतिका को फ़ोन कर के कहा, “लतिका… बेटा, अमर ने पूछा है कि क्या तुम इस शुक्रवार की शाम उसके साथ डेट पर जा सकती हो?”
“क्या? डेट पर, अम्मा? ... उन्होंने आपसे पूछा?”
“हाँ... सब कुछ हमसे पूछ कर कर रहा है वो! हा हा!”
“मुझसे क्यों नहीं पूछा उन्होंने?”
“क्योंकि मैं तुम्हारी माँ हूँ! इसलिए! वो जेंटलमैन है, इसलिए उसने अपनी प्रेयसी की माँ से परमिशन माँगी है...”
“हा हा हा!” लतिका ने हँसते हुए कहा, “अम्मा... तुम भी न! लगता है तुम बहुत फिल्में देखने लगी हो! ... हाँ, ठीक है! उन्होंने जो किया, वो सही है...”
“तो मैं उसको क्या कहूँ?”
“क्या मुझे हाँ कहना चाहिए?” लतिका ने मज़ाक में कहा!
“अरे, क्यों नहीं? तुम दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते हो, तो और किसके साथ डेट पर जाओगे?”
“हा हा! वो बात नहीं है अम्मा... बात सिर्फ इतनी सी है कि मेरे लिए यह पहली बार होगा।”
“उसकी चिंता न करो... अमर जेंटलमैन है... वो तुमको बहुत खुश रखेगा! ... मुझे यकीन है कि वो इस डेट को तुम्हारे और अपने लिए यादगार बना देगा।”
“नहीं अम्मा... कोई चिंता नहीं है! मैं समझती हूँ कि हमें साथ में टाइम बिताना चाहिए... लेकिन, मैं भी चाहती हूँ कि यह सब उनके लिए भी स्पेशल रहे!”
“अरे, मेरी बिटिया कोई कम स्पेशल है?” अम्मा ने कहा, “तुमको कुछ अलग से करने की ज़रुरत नहीं! बस, वैसी रहो जैसी तुम हो! ... ठीक है?”
“ठीक है अम्मा! ... कब के लिए कहा उन्होंने?” लतिका ने अन्दर से प्रसन्न होकर पूछा।
“शुक्रवार!” लतिका शर्म से लाल हो गयी।
“मैं अमर से कह दूँगी कि इस शुक्रवार, शाम सात बजे तुम्हें डेट पर ले जाए!”
“बहुत अच्छा अम्मा!”
*
आभा लतिका के कमरे में, उसके बिस्तर पर पालथी मारकर बैठी हुई थी, और लतिका उसको एक के बाद एक पोशाकें पहन कर दिखा रही थी।
“मम्मी,” आभा बोली, “तुम भी न जाने क्यों इतनी परेशान हो रही हो! ... तुम किसी भी ड्रेस में बहुत सुन्दर लगती हो!”
“बेटू, आई वांट टू लुक ग्लोरियस!” लतिका ने जैसे कोई राज़ खोलते हुए, बड़ी चंचल अदा से कहा, “... केवल सुन्दर नहीं...”
“वही तो कह रही हूँ माँ! ... तुम हर ड्रेस में ग्लोरियस और मैग्निफिसेंट लगती हो। ... अच्छा, क्यों न वो हरे रंग वाली ड्रेस फिर से ट्राई करो?”
“हरे रंग वाली? सच में... वो अच्छी लगेगी?” लतिका ने उस ड्रेस को अपने सामने लगा कर खुद को आईने में देखा, “नहीं... बढ़िया नहीं लग रही हूँ!”
सही बात थी। लतिका के साँवले सलोने रंग के साथ वो हरा रंग अच्छा नहीं जा रहा था। आभा ने लतिका को दिखाने के लिए कपड़ों के ढेर से एक और पोशाक निकाली, और अपने शरीर पर लगा कर दिखाई, “हाऊ अबाउट दिस वन?”
“ये भी... ओह गोश!” लतिका ने हताश हो कर कहा।
“मम्मी, तुम्हें डैडी को इम्प्रेस करने की कोई ज़रूरत नहीं है... तुम ऐसे ही इतनी सुंदर हो!” आभा ने लतिका से कहा, “... डैडी इस सो लकी... देखो न... तुम उनकी बनने वाली हो... हमेशा के लिए!”
“हा हा! बेटू मेरी... तुम बहुत स्वीट हो! तुम ये सब बातें इसलिए कह रही हो, क्योंकि तुम मुझसे प्यार करती हो। ... लेकिन आज का ओकेशन इम्पोर्टेन्ट है... हमारी फर्स्ट डेट है न! इसलिए मैं सुन्दर से कपड़े पहनना चाहती हूँ... क्योंकि मैं अपने और उनके लिए बहुत सुंदर दिखना चाहती हूँ, डार्लिंग!”
लतिका ने कहा और रिजेक्टेड ड्रेसेस के ढेर पर वो नई ड्रेस भी फेंक दी।
“मम्मी...”
“मिष्टी बेटू,” लतिका ने आभा को अपने आलिंगन में ले कर समझाते हुए कहा, “तुम्हारे लिए वो केवल तुम्हारे डैडी हैं… लेकिन मेरे लिए, वो... ही इस द लव ऑफ़ माय लाइफ... उनके साथ मैं अपनी पूरी लाइफ बिताने वाली हूँ! ... तो, हमारी पहली डेट... पहली रोमांटिक आउटिंग के लिए मैं सुन्दर दिखना चाहती हूँ! ... आई वांट इट टू बी अ मेमोरेबल ओकेशन फॉर हिम... अस...”
“ओह, बट ही विल ऑलवेज रिमेम्बर दिस डेट…”
आभा ने कुछ ऐसी शरारत से कहा, कि दोनों लड़कियाँ खिलखिला कर हँस पड़ीं।
हँसते हँसते अचानक से ही, आभा को कुछ याद आया। उसने अलमारी से रस्ट कलर की, सामने से खुलने वाली, बटन वाली मिडी ड्रेस, या यूँ कह लें, एक सनड्रेस निकाली। उस पर सुंदर से, छोटे छोटे, पीले रंग के पैटर्न बने हुए थे। बटनों का रंग सफेद था, जो उस ड्रेस के रंग को बहुत बेहतरीन तरीके से उभार रहे थे। कोई दो साल पुरानी ड्रेस थी वो, जिसके बारे में लतिका भूल ही गई थी। जाहिर सी बात है, उसके अब के शरीर के हिसाब से वो ड्रेस थोड़ी सी छोटी भी थी। हालाँकि लतिका के शरीर में तब से अब तक अधिक बदलाव नहीं आया था, लेकिन उसके स्तन तब से अब तक थोड़े भर ज़रूर गए थे। लिहाज़ा, इस ड्रेस में उसका एक बहुत ही सेक्सी रूप सामने आने वाला था।
आभा ने उस ड्रेस को दिखाते हुए कहा, “अच्छा, ये वाली कैसी रहेगी, माँ?”
लतिका शरमा गई - उसको तुरंत ही उस ड्रेस की सम्भावना समझ में आ गई - और बोली, “थोड़ी पुरानी है... लेकिन... मैंने इसे केवल एक ही बार पहना है...”
“क्यों क्यों?” आभा ने उसे चिढ़ाते हुए पूँछा, अच्छी तरह जानते हुए कि क्यों!
“इसमें न... इसमें... थोड़ा एक्सपोज़ होता है... इसलिए!” लतिका ने वो ड्रेस दिखाते हुए कहा, “ये देखो न... यहाँ सामने की तरफ... ये पार्टिंग बहुत लम्बी है... मेरी जाँघें लगभग पूरी ही दिख जाएँगी...”
“अरे, यही तो अच्छा है न! ... जाँघों का भी एक्सेस है, और बूबीज़ का भी!” आभा ने और भी शरारत से कहा।
“हा हा हा!” लतिका उसकी बात पर ज़ोर से हँसने लगी, “तू बदमाश हो गई है बहुत!”
लेकिन वो ऐसी ड्रेस थी, जिसको पहनने का लोभ वो अपने वश में न कर सकी।
लतिका ने वो ड्रेस पहन कर आभा को दिखाई। बड़ी चुस्त सी ड्रेस थी वो - लतिका के शरीर से चिपकी हुई। लतिका का शरीर वाक़ई उस ड्रेस के लिए एक साइज़ बड़ा हो गया था। लिहाज़ा, वो उसके शरीर की गोलाईयों और कटावों से बड़ी कामुक तरीके से चिपक गई थी। ड्रेस का गला अंग्रेज़ी के यू और वी अक्षरों का मिला-जुला रूप था। उस वी की गहराई, लतिका के स्तनों के बीच की घाटी में जैसे डूब गया था... सच में वो ड्रेस छुपा कम और दिखा ज़्यादा रही थी। हाँलाकि छोटे थे, लेकिन फिर भी उनका आकार दिख रहा था; चौड़े गले की पोशाक थी, उस कारण से उसके शरीर का ऊपरी भाग लगभग अनावृत ही था। ड्रेस का पिछला (पीठ की तरफ़ का) गला अंग्रेज़ी यू के आकार का था, लेकिन थोड़ा गहरा था। लिहाज़ा, पीठ का भी काफ़ी हिस्सा उघड़ा हुआ था। हालाँकि ड्रेस का निचला हिस्सा उसके घुटनों के ठीक ऊपर तक था, लेकिन ड्रेस के सामने का स्लिट (पार्टिंग) काफ़ी लम्बा था, लिहाज़ा, लतिका की टाँगें और जाँघें हर कदम पर साफ़ दिखाई दे रही थीं। कहने की कोई ज़रूरत नहीं है, कि वो ड्रेस किसी फर्स्ट डेट के नज़रिए से, बिल्कुल आइडियल थी!
एक छोटी सी पोशाक किसी के व्यक्तित्व में कैसा अभूतपूर्व और अद्भुत परिवर्तन कर सकती है - यह एक आश्चर्य की बात है! अचानक ही लतिका एक टीनएज लड़की से, एक बेहद खूबसूरत युवा स्त्री बन गई थी! आभा ने अपनी उँगलियाँ मुँह में डाल कर सीटी बजाई, जैसी उसने कुछ फ़िल्मों में सीखा था।
“दीदी! इस दिस रियली यू!!”
“दीदी?? माँ नहीं?” लतिका ने शिकायत की।
“अरे हटो! इस ड्रेस में तुम मम्मी नहीं बल्कि एक हॉट सी दीदी लग रही हो! ... हा हा!”
लतिका मन ही मन बड़ी खुश हुई। लेकिन फिर भी एक बार उसने कन्फर्म करने के लिए पूछा,
“मैं इसमें अच्छी लग रही हूँ न?”
“अच्छी नहीं, द बेस्ट!” आभा ने कहा, “अब डैडी को पता चलेगा, कि ये छोटी सी लड़की, सच में बड़ी हो गई है!”
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आज की डेट के लिए मैंने एक ग्रे रंग का स्पोर्ट्स ब्लेजर पहना हुआ था! वो मेरे हर आवश्यक और महत्वपूर्ण अवसर के लिए ‘गो टू’ कोट था! मैं उसमें अच्छा भी दिखता था। लतिका की ही तरह मैं भी हमारी डेट के लिए अच्छा और जवान दिखना चाहता था! शरीर नियमित व्यायाम और भोजन में अनुशासन के कारण अभी भी नियंत्रण में था। ठीक है - लतिका से मैं उम्र में दो-गुणा से भी बड़ा था, लेकिन वैसे देखने में बुरा नहीं लगता था। आमतौर पर मैं हमेशा फॉर्मल पैंट पहनता था, लेकिन आज के लिए मैंने एक नीले रंग की जींस पहनी। इससे मेरा पहनावा अनौपचारिक और ग़ैर-बनावटी रहा। तैयार हो कर मैंने खुद को आईने में देखा, जो रूप दिखा, वो मुझे पसंद आया। हाँ, मेरे साइडबर्न (क़लम) में कुछ बाल थोड़े सफ़ेद हो गए थे, लेकिन बस उतना ही। चेहरे और शरीर में अभी भी कसाव था। शायद माँ के चिर-युवा वाले जींस मेरे अंदर भी आ गए थे।
आज शायद पहली बार था जब मैं लतिका को किसी छोटी लड़की की तरह नहीं, बल्कि एक युवा महिला की तरह ट्रीट करने जा रहा था...! आभा ने ज़ोर देकर कहा था कि मैं उसकी ‘मम्मी’ को किसी अच्छी जगह ले जाऊँ... ऐसा रेस्त्रां जहाँ खाना सबसे अच्छा हो, और जहाँ का माहौल रोमांटिक हो! इसलिए, मैंने एक नया खुला हुआ इटालियन रेस्त्रां चुना, जो बहुत ही शानदार इटालियन खाना और बेहतरीन फ्रेंच वाइन सर्व करता था।
अपने ही घर से लतिका को लिवा लाने का स्वाँग बड़ा रोचक था और रोमांचक भी! सच में, मेरे पेट में तितलियाँ उड़ रही थीं... एक अलग ही तरह की गुदगुदी हो रही थी मन में! ठीक सात बजे, मैं नीचे के हाल में लतिका के नीचे आने इंतज़ार करने लगा। एक दो बार अपनी घड़ी पर नज़र भी डाली। सात बज के दस मिनट के आस पास मैंने लतिका के क़दमों की आहट सीढ़ियों पर सुनी। जब मैंने उस तरफ़ अपनी नज़र डाली, तो दंग रह गया!
ऐसी खूबसूरत सी लड़की मेरे घर में! यकीन ही नहीं हुआ कि ये लतिका है... मेरी लतिका! बाप रे! कैसी अलौकिक सुंदरी! हर कदम में उसकी दृढ़, पतली टाँगें और जाँघें उस ड्रेस के सामने की स्लिट से चमक चमक कर दिख रही थीं! उसने शायद पैरों पर कोई क्रीम लगाई हुई थी, जो उसकी चमक को और भी अधिक बढ़ा रही थी। ड्रेस का कपड़ा उसके युवा, दृढ़, और लचीले शरीर से चिपका हुआ था, और उसकी पतली कमर और उन्नत सुडौल स्तनों को प्रमुखता से दिखा रहा था। गले में उसने सोने की एक पतली सी चेन पहनी हुई थी, जिसका पेण्डेंट उसके स्तनों के क्लीवेज के ठीक बीच में अटका हुआ था।
‘गॉड! हाऊ ब्यूटीफुल इस शी!’ मन में यह विचार आने से रुक न सका।
ऐसा लगा कि जैसे मेरी नज़रें उसके ऊपर चिपक गई हों। बड़ी जबरदस्ती कर के मुझको अपनी आँखें लतिका पर से हटानी पड़ीं। मैंने महसूस किया कि उसके रूप का ऐसा जलवा था कि मेरा मुँह और गला पूरा सूख गया था। ऐसा असर किसी लड़की का नहीं हुआ था मुझ पर! मैंने कभी नहीं सोचा था कि लतिका इतनी सेक्सी हो सकती है! मैं वाकई नर्वस हो गया!
“हे डैडी,” आभा, जो लतिका के पीछे चल रही थी, ने चहकते हुए कहा, “चीयर अप! ... हैव अ वण्डरफुल फर्स्ट डेट! एंड शो मम्मी अ वैरी गुड टाइम!”
जब आभा ने लतिका को ‘मम्मी’ कह कर संबोधित किया, तो मेरा हृदय अनजान उत्तेजना से काँप उठा!
‘क्या सच में लतिका और मेरा भविष्य जुड़ने वाला है!’
जानता हूँ कि इस समय शंकाओं का कोई स्थान नहीं था। लेकिन क्या करूँ - मेरा भूतकाल ही ऐसा था! ये तो है कि लतिका को ऐसे देख कर मेरे दिल में दोबारा शादी करने की इच्छा प्रबल हो गई थी। ऐसी गज़ब की लग रही थी लतिका!
अगर लतिका भी मेरे जैसी ही नर्वस थी, तो वो इस बात को दिखा नहीं रही थी। वो बड़े आत्मविश्वास से, मेरी तरफ मुस्कुराती हुई आई और उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिया! खुद-ब-खुद मैंने उसका बढ़ा हुआ हाथ, अपने हाथ में ले लिया। मेरी रीढ़ में एक सिहरन सी फ़ैल गई। ऐसा नहीं है कि मैंने उसको पहली बार छुआ हो, या उसने मुझको! इससे कहीं अधिक हो चुका था हमारे बीच! लेकिन लतिका इस समय अप्सरा लग रही थी, और अप्सराओं का हम अकिंचन पुरुषों पर संभवतः ऐसा ही प्रभाव पड़ता है! वैसे भी, जब किसी व्यक्ति के साथ हमारे संबंधपरक समीकरण बदल जाते हैं, तो हम उनके साथ कैसे पेश आते हैं, उसमें भी बदलाव लाज़मी है।
अभी तक मेरी एक भी बोली नहीं निकली थी। वो भी समझ गई थी कि जैसे प्रभाव की उसको आशा थी, उसके रूप का ठीक वैसा ही प्रभाव मुझ पर पड़ा है।
“चलें?” उसने मुस्कुराते हुए कहा।
आवाज़ में भी एक अनोखा सेक्सीपन था! ये वो लतिका रह ही नहीं गई थी, जिसको मैं अभी तक देखता जानता आया था। ये कोई और ही थी। कोई अप्सरा! मेनका, उर्वशी, रम्भा जैसी अप्सरा!
लतिका ने आगे जो किया वो मेरे लिए पूरी तरह से अप्रत्याशित था : उसने अपना हाथ मेरे हाथ में डाल दिया, और मुझे दरवाजे की ओर ले गई। वो मुस्कुरा रही थी, और मैं... मैं घबरा रहा था।
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" कार्येषु दासी , करणेषु मंत्री , भोज्येषु माता , शयनेषु रम्भा।
धर्मानुकूला क्षमया धरित्री , भार्या च षाड्गुण्यवतीह दुर्लभा। ""
( गृह कार्य मे दासी , कार्य प्रसंग मे मंत्री , भोजन कराते वक्त माता , रति प्रसंग मे रम्भा , धर्म मे सानुकुल , और क्षमा करने मे धरती समान .....इन गुणों से युक्त पत्नी मिलना बहुत ही दुर्लभ है )
लेकिन लतिका को अबतक जितना मै समझ पाया , वह एक आदर्श पत्नी बनने के लायक है।
डेटिंग पर जाने का मुझे कोई तजुर्बा नही लेकिन यह जरूर जानता हूं कि फर्स्ट डेटिंग लव वर्ड के लिए बहुत ही इम्पोरटेंट पल होता है। एक दूसरे को समझना , एक दूसरे को महत्व देना और एक दूसरे की प्लस एवं माइनस प्वाइंट जानकर अंगीकार होना इस लम्हे की खासियत होती है।
चूंकि दोनो एक घर मे ही रहते है , एक साथ सालों से समय गुजारे है , एक अपनापन का रिश्ता भी है इसलिए इन चीजों की जरूरत थी ही नही। अगर कुछ जरूरत थी तो वो थी अपने प्रेम का इज़हार करना और कुछ अंतरंग पल साझा करना। और इसका इस्तेमाल लतिका ने पुरी तरह से किया।
अमर साहब अवश्य थोड़े-बहुत असहज स्थिति मे थे। शायद इसका कारण काजल के साथ उनका अंतरंग संबंध और लतिका की उम्र ।
अमर साहब अपने जज्बात सही तरह से प्रदर्शित नही कर पाते है। उन्हे ऐसा महसूस होता है कि उनकी उम्र अधिक हो गई है और बचकाने जैसी चीजें उन्हे शोभा नही देती।
मेरा मानना है आदमी कितना भी उम्रदराज क्यों न हो जाए , कितना भी महान क्यों न हो जाए , उसके दिल मे कभी - कभी एक छोटे बच्चे जैसा दिल और धड़कन अवश्य होना चाहिए। कुछ शरारतपूर्ण कुछ नटखटापन और कुछ चंचलतापन।
तभी इंसान जिन्दादिल बनता है।
बहुत ही खूबसूरत अपडेट avsji भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
Materialistic world....लेकिन, जिस तरह की डेटिंग लोग करते हैं - बनावटी और दिखावटी - वो न ही करें, तो बेहतर।
पैसे तो बचेंगे!