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Awesome
Lazwaab
Behtreen update
Awesome
Nice udate
बहुत ही शानदार अपडेट है । प्रथम मिलन का इतना अच्छी तरह ओर सजीव ढंग से वर्णन किया है जैसे हमारे सामने सब कुछ लाइव हो रहा है
धन्यवाद! धन्यवाद!awesome writing skill .....dear ..............
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shandaar update..!!पहला प्यार - विवाह - Update #10
माँ और डैड रात में करीब दस बजे वापस घर आए। गाँव के कुछ लोगों ने सामान समेटने में मदद करने की पेशकश करी और उनसे आराम करने को कह दिया - तब जा कर उनका दिन ख़तम हुआ। वो भी थक गए थे, लेकिन बहुत प्रसन्न थे। उनके हिसाब से आज कई सारे शुभ कार्य संपन्न हुए थे - सबसे पहला काम हमारा विवाह, दूसरा मंदिर में पहला विवाह, और तीसरा पूरे गाँव को भोज कराना! उनका कमरा हमारे बगल वाला ही था। डैड ने माँ को बड़ी हसरत भरी नज़र से देखा - वो धीमी गति से अपने कपड़े उतार रही थीं। उनके होंठों पर एक स्निग्ध मुस्कान आ गई - माँ को पाना डैड के हिसाब से बड़ी किस्मत वाली बात थी। थोड़ा थोड़ा कर के माँ ने कितना कुछ संजोया था, और डैड के जीवन में इस तरह की संतुष्टि लाई थीं। माँ ने उनको अपनी तरफ़ देखते हुए देखा, तो वो भी मुस्कुराईं। दोनों की आँखें मिलीं।
“तुम बहुत सुन्दर हो मेरी जान!” डैड ने कहा, “मैं बहुत लकी हूँ!”
माँ डैड को बहुत प्यार करती थीं। उनकी बात सुन कर वो तुरंत पिघल गईं। डैड ने उनको अपनी बाँहों में भर लिया और अपने आलिंगन में बाँध लिया।
“आई होप कि बच्चे ठीक हों!” डैड ने बस कुछ कहने की गरज से बोला।
माँ हँसीं और उनको चूमते हुए बोलीं, “अब उनको छोड़ दीजिए। वो दोनों अपनी मस्ती में हैं!” फिर अर्थपूर्वक बोलीं, “आप मुझ पर कॉन्सेंट्रेट कीजिए। कहिए तो बच्चों के साथ हम भी सुहागरात मना लें?”
माँ की बात सुन कर डैड ख़ुशी से फूले नहीं समाए, “मेरा तो पूरा ध्यान तुम्ही पर लगा रहता है मेरी जान!” उन्होंने माँ की ब्लाउज के बटन खोलते हुए कहा। माँ ने आज ब्लाउज के नीचे ब्रा भी पहनी हुई थी। उन्होंने ब्रा का हुक हटाया, और उसको उतार कर एक तरफ़ फेंक दिया।
“क्या इरादे हैं मिस्टर सिंह?” माँ ने एक चौड़ी मुस्कान बिखेरते है कहा, “अपने बेटे और बहू को सेक्स करते हुए सोच कर आपको भी जोश चढ़ रहा है क्या?”
“भी?” डैड ने झूठ मूठ का नाटक करते हुए कहा, “अरे बेग़म, वो सब करना मैंने ही तो सिखाया है उसको!”
“वो तो है!” माँ ने मुस्कुराते हुए कहा।
“तुम और बहू, दोनों बहनें लगती हो!” डैड ने माँ की साड़ी उतारते हुए कहा, “अट्ठारह बीस साल की! ये सब साज सज्जा और सिन्दूर न लगाओ, तो लड़कियों जैसी ही लगोगी!”
“हा हा हा हा! मस्का लगाने की कोई ज़रुरत नहीं है सिंह साहब,” माँ ने दिल खोल कर हँसते हुए कहा, “आपके साथ सेक्स करने के लिए मैंने कभी मना नहीं किया, और न ही करूँगी!”
“मेरी जान, मस्का नहीं, आई ऍम थैंकफुल! आई ऍम लकी!” उन्होंने माँ की पेटीकोट का नाड़ा ढीला करते हुए कहा।
“वो तो हैं आप!” माँ बड़ी अदा से इठलाते हुए बोलीं, “मैं तो हमेशा आपकी वही, छोटी सी दुल्हन ही रहूँगी!”
डैड मुस्कुराए। उन्होंने माँ के स्तनों को अपनी हथेलियों से दबाया। माँ के चूचक कड़े हो कर उनकी हथेलियों पर चुभने लगे।
“सच में! कोई अंतर नहीं आया इतने सालों में!”
“अजी हटिए!” माँ फिर से, बड़ी अदा से ठुनकते हुए बोलीं, “कितने बड़े बड़े हो गए हैं ये!”
“इनको बड़ा कहती हो?” उन्होंने माँ के स्तनों को दबाते हुए कहा, “सुन्दर सुन्दर नारंगियाँ हैं ये तो! छोटी छोटी! मीठी मीठी! रसीली रसीली!” उन्होंने कहा, और एक चूचक को मुँह में भर कर पीने लगे।
“आह!” माँ कामुकता से कराहीं! और बस यूँ ही, चुटकी बजाते ही उन्होंने अपने पुरुष को जीत लिया। कुछ देर तक उन दोनों के बीच यही खेल चलता रहा। इस बीच माँ ने डैड के कपड़े भी उतार दिए। अब मुख्य क्रिया की बारी आ गई थी।
“अंदर से कोई आवाज़ नहीं आ रही है!” डैड ने उत्सुकतावश कहा।
“हाँ, शायद दोनों सो गए!” माँ ने दरवाजे की ओर देखते हुए कहा, “आराम से करिएगा! शोर मत मचाइएगा!” माँ ने अपनी आँखों में शरारती चमक लिए हुए कहा।
“अरे, मैं क्यों शोर करूँगा?”
“बताती हूँ!” माँ ने कहा।
डैड कुछ कहते, उसके पहले ही वो उनके सामने घुटने टेक कर बैठ गईं और उनके उत्तेजित लिंग को प्रेम से अपने हाथों में पकड़ कर सहलाने लगीं। यह कुछ नया था। डैड उनको हैरत से देख ही रहे थे कि माँ ने अपना मुँह खोला, और डैड के लिंग को अपने मुँह में भर लिया! माँ ने डैड को मुख-मैथुन का सुख तो दिया था, लेकिन इस पोजीशन में पहली बार था! माँ डैड के लिंग के साथ मज़े से खेल रही थीं - वो उसको किसी लॉलीपॉप के ही समान चूम रही थीं, चूस रही थीं, और चाट रही थीं! सब कुछ नया था! एक नया अंदाज़! जब माँ डैड का लिंग चूस रह थीं, तो डैड आनंद के सागर में गोते लगाते हुए माँ को देख रहे थे। और उनकी आँखें माँ को बता रही थीं कि उनको यह नया अनुभव बहुत पसंद आ रहा है! कुछ देर के बाद डैड ने माँ के सर पर हाथ रखा और उनको हटाने के लिए धीरे से उनका नाम पुकारा - माँ को चेतावनी देने के लिए, कि उनका स्खलन सन्निकट है। लेकिन माँ ने अपना मुँह वहाँ से हटाया नहीं, और चूसना चूमना जारी रखा। अब डैड से बर्दाश्त नहीं हुआ - उनकी कमर में हरकत हुई और उनका स्खलन होने लगा। माँ ने उनका वीर्य पी लिया - एक बार, दो बार, और फिर साँस ले कर तीसरी बार! जब और वीर्य निकलना बंद हो गया, तो माँ ने डैड के कोमल होते लिंग को अपने मुँह से निकाल कर, उनको कुछ निचोड़ा! इससे जो थोड़ा बहुत वीर्य बचा हुआ था वो उसके सिरे पर रिसने लगा और उन्होंने एक आखिरी बार डैड के लिंग को चूसा और अपने होंठों को चाट लिया!
इतने वर्षों में माँ ने कभी डैड का वीर्य नहीं पिया था।
“जानेमन,” डैड ने उत्तेजना से हाँफते हुए कहा, “आज तो कमाल कर दिया तुमने!”
“आपको अच्छा लगा?”
“अच्छा? जान मेरी, मैं तो इस समय दसवें आसमान पर हूँ!”
“हा हा हा!” माँ डैड को खुश देख कर बहुत खुश थीं। उन्होंने पास में रखे गिलास से पानी पिया और बिस्तर पर आ गईं।
“ये करने का आईडिया कहाँ से आया मेरी जान?” डैड ने माँ की योनि को सहलाते हुए पूछा।
“बहू से,” माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, “शादी से पहले दोनों ऐसे ही करते थे!”
“सही है यार!” डैड ने माँ की योनि को सहलाना जारी रखा, “अमर भी क्या बहू को मुँह से ही...?”
“हाँ!” माँ ने धीरे से कहा।
“मैं भी कर दूँ?” लगातार सहलाते रहने से माँ भी अब समुचित तरीके से उत्तेजित हो गई थीं, “तुम्हारी बुर तो गीली हो गई है!”
“आप इसको इतनी देर से छेड़ रहे हैं, बेचारी रोएगी भी नहीं?” माँ ने अपनी जाँघें और फैलाते हुए कहा।
“अभी चुप कराता हूँ इसको मेरी जान!” डैड ने माँ को छेड़ते हुए कहा।
माँ ने उत्सुकता से सर हिलाया - वो भी इस नए अनुभव के लिए उत्सुक दिख रही थीं।
डैड माँ के सामने अपने घुटनों के बल बिस्तर बैठ गए - फिर कुछ सोच कर उन्होंने माँ के दोनों पैर अपने कन्धों के ऊपर से अपनी पीठ पर रख दिया। ऐसा करने से माँ की पिंडलियाँ थोड़ा दब गईं और उनको दिन भर की थकावट से थोड़ा आराम सा मिला। मूड तो पहले ही बना हुआ था - लेकिन दर्द से थोड़ी राहत मिलने से मूड थोड़ा और रोमांटिक हो गया।
डैड माँ की योनि के पास झुक गए। यह एक अलग ही तरह की गंध थी - डैड यह निर्णय नहीं कर सके कि ये कैसी गंध थी! माँ हमेशा ही साफ़ सफ़ाई से रहती थीं, इसलिए वहाँ से साबुन की महक भी आ रही थी। उनकी योनि भी पूरी तरह से चिकनी, बाल-रहित थी। इतने वर्षों के बाद भी माँ की योनि वैसी ही, सुन्दर सी, और आकर्षक थी, जैसी उन्होंने पहली बार महसूस करी थी। कभी कभी प्रकृति किसी किसी पर कितनी मेहरबान हो सकती है। माँ इस बात को मज़ाक में लेती थीं, लेकिन वाक़ई, वो अपनी उम्र से काफी कम दिखती थीं। जैसा डैड ने अभी अभी कहा था, माँ सच में इक्कीस बीस साल की ही लगती थीं। उनके सामने मैं उनसे दो तीन साल बड़ा लगता था!
डैड ने जीभ निकाल कर उनके योनि के चीरे को चाटा - थोड़ा अलग स्वाद - ऐसा कि जिसका वर्णन वो नहीं कर सकते थे। थोड़ा तीखापन, थोड़ी खटास लिए हुए... लेकिन फिर भी थोड़ी अलग! माँ इतने में ही हांफने लगीं, क्योंकि अब डैड की जीभ उनकी योनि से चिपकी हुई थी, और उनके चीरे को नीचे से ऊपर तक चाट रही थी।
“आआअह्ह्ह्ह!” माँ के गले से कामुक कराह निकल गई। इस तरह का अनुभव उनको पहले कभी नहीं हुआ था।
डैड ने ऊपर माँ की ओर देखा और अपनी उंगली को होंठों पर रख कर उनको चुप रहने की चेतावनी दी। माँ इस अनोखे आनंद को मन ही मन अनुभव कर के रह गईं। लेकिन कसमसाहट में उनके हाथों ने बिस्तर की चादर को मुट्ठी में पकड़ लिया। डैड ने उनकी योनि के होंठों को अलग करने के लिए अपनी जीभ को कड़ा कर लिया। इसी छेड़खानी में उनकी जीभ की नोक माँ के भगशेफ़ पर फिसलने लगी। माँ की योनि छोटी थी और कसी हुई थी, इसलिए केवल जीभ से वो पर्याप्त चौड़ा नहीं हो पाई। डैड भी इस अनोखे क्रियाकलाप से आंदोलित हो गए थे। उन्होंने काँपते हुए हाथों से उनकी योनि के होंठ थोड़ा फैलाया और अपने होंठों को माँ के भगशेफ़ के चारों ओर चस्पा कर दिया।
बहुत कोशिश करने पर भी माँ अपने कामतिरेक पर नियन्त्रण नहीं रख सकीं। उनके गले से बहुत गहरी और कामुक चीख़ निकल गई। माँ की पीठ पीछे की तरफ़ झुकी हुई थी, और उनके पैर उन्माद में सख्त हो गए। चादर को पकड़ने वाला उनका हाथ डैड के बालों में उलझ गया, और उन्होंने डैड के सर को अपनी ओर खींच लिया। डैड को अचकनक ही सुनाई देना बंद हो गया, क्योंकि माँ की जाँघें उनके कानों पर बंद हो गईं और उनकी योनि डैड के चेहरे पर धकेल गई। डैड ने अपनी जीभ की नोक से माँ की योनि की कली को सहलाया, और उसे इधर-उधर धकेला! माँ का पूरा शरीर काँप गया। माँ को एक और कामोन्मादक चीख़ आने ही वाली थी कि उन्होंने दोनों हाथों से अपने मुँह को कसकर दबा लिया। बस एक घुटी हुई सी चीख़ निकल सकी। उनके पैर वापस खुल गए, और डैड अब उनकी साँसों की आवाज सुन सकते थे। ऐसा होने से माँ की योनि की कली उनके होठों से दूर हो गई, और उसको फिर से पाने के लिए डैड ने अपना चेहरा उनकी योनि के खिलाफ धकेल दिया।
माँ ने अभी भी अपने मुँह को अपने हाथों से कसकर ढँका हुआ था, और उनकी आँखें इस अभूतपूर्व आनंद के कारण चौड़ी हो गईं थीं। उनके गले से रह रह कर गुर्राहट की आवाज़ें निकल रही थीं। डैड ने रुक कर अपना सर उठा लिया और वो माँ को देखने लगे। माँ का ऐसा रूप उन्होंने नहीं देखा था। माँ को ऐसा नया अनुभव मिला था जो उन्होंने अपने अभी तक के जीवन में कभी महसूस नहीं किया।
डैड मुस्कराए। उन्होंने वापस माँ की योनि पर अपना मुँह चस्पा दिया और पुनः उसको चूसने लगे। कोई बीस सेकंड के भीतर ही डैड को समझ में आने लग गया कि माँ अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचने वाली हैं। उन्होंने माँ की कराहने वाली आवाज़ें सुनीं, लेकिन वे इतने ज़ोर से नहीं निकल रही थीं कि माँ को अपना मुँह ढँकना पड़े। इसलिए डैड माँ की योनि को तब तक चाटते और चूसते रहे जब तक कि माँ को रति निष्पत्ति का अनूठा अनुभव नहीं मिल गया। माँ का पूरा शरीर ढीला पड़ गया और उनकी एक टाँग डैड के कंधे से फिसल कर नीचे गिर गई। और माँ ज़ोर ज़ोर से हाँफ़ने लगीं। डैड अब अपनी ‘मुख मैथुन’ वाली पोजीशन से हट कर माँ के बगल आ कर लेट गए। गहरी गहरी साँसे भरने के कारण माँ के स्तन किसी स्वादिष्ट व्यंजन के जैसे लग रहे थे। डैड से रहा नहीं गया, और वो झुककर एक बार फिर से उनका एक स्तन चूसने लगे।
माँ ने अपनी आँखें खोलीं और अपना सर उठा कर डैड की तरफ देखा। वो हाँफ रही थीं, और बड़ी उत्सुकता डैड को अपना चूचक चूसते हुए देख रही थीं। जब डैड को माँ की आवाज़ आनी बंद हो गई, तो उन्होंने उनकी तरफ़ देखा। माँ मुस्कुराईं।
“बोलो मेरी जान, मज़ा आया?”
“ठाकुर साहब,” माँ ने थकी हुई मुस्कान देते हुए कहा, “हमारी शादी के बाइस साल हो गए हैं, लेकिन आप तो आज भी जादू करते हैं!”
माँ ने डैड को अपनी ओर खींच लिया, और उनको चूमने के लिए अपने होंठ आगे बढ़ाए। डैड ने सहर्ष उनको चूम लिया।
“हम्म्म” जब दोनों का चुम्बन टूटा, तो माँ ने कहा, “तो मेरा स्वाद ऐसा है?”
“तुम्हारा टेस्ट सबसे अच्छा है, मेरी जान! तुम्हारे हर अंग का स्वाद मस्त है!”
“अच्छा जी? मस्का मारना चालू है आपका! मारते रहिए मस्का!” माँ अदा से इठलाईं, “लेकिन सच में, ये वाकई शानदार था!”
माँ और डैड एक दूसरे की बाहों में लिपट कर, कम्बल के नीचे आराम से सो गए।
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