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यह अद्भुत रहाबहुत धन्यवाद मित्रवर!
कपल स्वैपिंग ऐसा कोई नया कांसेप्ट नहीं है भाई - इसको आधुनिक समय की पैदाइश समझने की भूल न करें। हज़ारों साल पहले रोमन ओर्गिस में यह सब होता था। वो लोग हमसे लाइट इयर्स आगे थे! हमारे यहाँ भी घट-कंचुकी नाम का खेल खेला जाता था दो या अधिक जोड़ों के बीच। उसमें भी यही सब होता था।
जीव की नैसर्गिक प्रकृति को समाज के ‘नियम’ बना कर रोकने की कोशिश की जाती है। सामजिक नियमों में कोई सच्चाई नहीं है। वो सब थोपे हुए होते हैं। इसीलिए चलायमान हैं। नैसर्गिक प्रवृत्ति शाश्वत है।
एक समय था जब विवाह की कोई परंपरा ही नहीं थी यहाँ। हर लड़की/स्त्री अपने तरीके से किसी भी पुरुष के साथ संसर्ग करने के लिए स्वतंत्र थी। उसी समय की बात है। ऋषि श्वेतकेतु अपने माता पिता के साथ बैठे हुए थे। उसी समय कोई आदमी आता है, और उनकी माता को देख कर उनको अपने साथ रमण करने का निमतंत्रण देता है। उनकी माता उस निमंत्रण को मान कर उसके साथ चल देती हैं। अब भईया, ऋषि की सुलग जाती है। अपने पिता को कहते हैं कि आपने माता को रोका क्यों नहीं? पिता कहते हैं कि माता अपने स्वेच्छानुसार आचरण करने के लिए स्वतंत्र हैं। श्वेतकेतु को बहुत बुरा लगता है। आगे चल कर जब उनका प्रभाव राजा पर हुआ तो उन्होंने यह व्यवस्था थोप दी कि स्त्रियों को अपने पति के प्रति वफादार होना चाहिए। और तब आया ‘पतिव्रता’ वाला कांसेप्ट।
व्यवस्था आदमियों के लिए भी थी, लेकिन आदमियों को वैसे भी काफ़ी ढील मिली ही रहती है हर व्यवस्था में। वैसे स्त्रियों को चार पति करने का स्कोप दिया गया है। शायद आपको न मालूम हो, विवाह के समय एक्चुअल वर से पहले स्त्री के तीन पति होते हैं इंद्र, चंद्र, और वरुण! मतलब कुल चार हस्बैंड्स! अगर ये हाइपोथेटिकल हस्बैंड्स भगा दिए जाएँ, तो हर स्त्री को तीन एक्स्ट्रा पति मिलेंगे!
यह अद्भुत रहा
वाकइ मैं इस ज्ञान से बंचित था
आप सच ही कह रहे होंगे
समाज में यह घट-कंचुकी धीरे धीरे व्याभिचार का रुप लिया होगा जो इंसेक्ट रिलेशन को जन्म दिया होगा l इंसेक्ट से जन्में संतानों में विकृतियाँ परिलक्षित हुआ था l जैसे मानसिक विकलांगता, शारीरिक विकलांगता के साथ साथ व्यवहारिक और वैचारिक उग्रता l इन सब को देख कर समाज को व्यवस्थित किया गया l जैसे सम गोत्र में विवाह वर्जित किया गया l फिरभी इंसेक्ट विवाह पूर्णतः बंद ना हो सका l जैसे दक्षिण भारत में मामा भांजी, मामा बुआ फुफा के बचों से l और ओड़िशा में कहीं कहीं मौसा मौसी के संतानो से विवाह भी होते थे या अभी भी हो रहे हैं l यहाँ पर तर्क वीसम गोत्र का दिया जाता है l
खैर आगे चलते समाज में यौन विकृतियों को काबु करने के लिए नगर वधु संस्कृति का आगमन हुआ l खैर यह विशेष ज्ञान की चर्चा हो जाएगा l
आपका बहुत बहुत धन्यबाद
डोवी की परिदृश्य से कहानी की प्रस्तुति निःसंदेह बढ़िया रहा l पर जैसा कि आपकी लेखन में समयानुसार भौगोलिक व वातावरण की विवरण अपडेट को श्रेष्ट बनाता है
मैंने पहले से कह दिया है मुझे आपकी लेखन की शैली बहुत भाती है l एक तरह से मैं आपकी लेखन का अनुसरण करने वाला लेखक हूँ l बेशक आपकी तरह उपमा और अलंकार से नहीं संजो सकता हूँ l पर आपकी लिखी कहानी और उसके पटकथा मुझे बहुत पसंद आती हैंअरे कोई बात नहीं। जानकारी बाँटने से ही तो बढ़ती है।
मामा भांजी या फिर ममेरे भाई बहनों या फिर ऐसे ही रिश्ते दरअसल संपत्ति के विभाजन और क्षय को रोकने के लिए बनाए गए और उनको सामाजिक मान्यताएँ भी दी गईं। जेनेटिक विकृतियों को रोकने के लिए थोड़ा दूर शादियों का प्राविधान रखा गया।
नगर वधुएँ तो ख़ैर वेश्यावृत्ति के सिस्टम का हिस्सा थीं। उनको अफ़्फोर्ड कर पाना केवल धनाढ्यों के लिए संभव था।
पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मित्र।
ये आप कोई स्टोरी लिख रहे हैं या मेरी आत्मकथा । अस्सी प्रतिशत तो मेरी जीवनी से मेल खाता है ये स्टोरी ।नींव - शुरुवाती दौर - Update 2
हमारे नेचुरल रहन सहन ही आदतों और मेरे माँ और डैड के स्वभाव और व्यवहार का मुझ पर कुछ दिलचस्प प्रभाव पड़ा। काफ़ी सारे अन्य निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों के जैसे ही, जब मैं छोटा था, तो मेरे माँ और डैड मुझे नहाने के बाद, जब तक बहुत ज़रूरी न हो तब तक, कपड़े नहीं पहनाते थे। इसलिए मैं बचपन में अक्सर बिना कपड़ों के रहता था, ख़ास तौर पर गर्मियों के मौसम में। जाड़ों में भी, डैड को जब भी मौका मिलता (खास तौर पर इतवार को) तो मुझे छत पर ले जा कर मेरी पूरी मालिश कर देते थे और धूप सेंकने को कहते थे। बारिश में ऐसे रहना और मज़ेदार हो जाता है - जब बारिश की ठंडी ठंडी बूँदें शरीर पर पड़ती हैं, और बहुत आनंद आता है। अब चूँकि मुझे ऐसे रहने में आनंद आता था, इसलिए माँ और डैड ने कभी मेरी इस आदत का विरोध भी नहीं किया। मैं उसी अवस्था में घर के चारों ओर - छत और यहाँ तक कि पीछे के आँगन में भी दौड़ता फिरता, जहाँ बाहर के लोग भी मुझे देख सकते थे। लेकिन जैसा मैंने पहले भी बताया है कि अगर निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे ऐसे रहें तो कोई उन पर ध्यान भी नहीं देता। खैर, जैसे जैसे मैं बड़ा होने लगा, वैसे वैसे मेरी यह आदत भी कम होते होते लुप्त हो गई। वो अलग बात है कि मेरे लिए नग्न रहना आज भी बहुत ही स्वाभाविक है। इसी तरह, मेरे माँ और डैड का स्तनपान के प्रति भी अत्यंत उदार रवैया था। मेरे समकालीन सभी बच्चों की तरह मुझे भी स्तनपान कराया गया था। सार्वजनिक स्तनपान को लेकर आज कल काफी हंगामा होता रहता है। सत्तर और अस्सी के दशक में ऐसी कोई वर्जना नहीं थी। घर पर मेहमान आए हों, या जब माँ घर के बाहर हों, अगर अधिक समय लग रहा होता तो माँ मुझे स्तनपान कराने में हिचकिचाती नहीं थीं। जब मैं उम्र के उस पड़ाव पर पहुँचा जब अधिकांश बच्चे अपनी माँ का दूध पीना कम कर रहे या छोड़ रहे होते, तब भी मेरी माँ ने मुझे स्तनपान कराते रहने में कोई बुराई नहीं महसूस की। डैड भी इसके ख़िलाफ़ कभी भी कुछ नहीं कहते थे। दिन का कम से कम एक स्तनपान उनके सामने ही होता था। मुझे बस इतना कहना होता था कि ‘माँ मुझे दूधु पिला दो’ और माँ मुझे अपनी गोदी में समेट, अपना ब्लाउज़ खोल देती। यह मेरे लिए बहुत ही सामान्य प्रक्रिया थी - ठीक वैसे ही जैसे माँ और डैड के लिए चाय पीना थी! मुझे याद है कि मैं हमेशा ही माँ के साथ मंदिरों में संध्या पूजन के लिए जाता था। वहाँ भी माँ मुझे दूध पिला देती थीं। अन्य स्त्रियाँ मुझे उनका दूध पीता देख कर मुस्करा देती थीं। मेरा यह सार्वजनिक स्तनपान बड़े होने पर भी जारी रहा। माँ उस समय दुबली पतली, छरहरी सी थीं, और खूब सुन्दर लगती थीं। उनको देख कर कोई कह नहीं सकता था कि उनको इतना बड़ा लड़का भी है। अगर वो सिंदूर और मंगलसूत्र न पहने हों, तो कोई उनको विवाहिता भी नहीं कह सकता था।
एक बार जब माँ मुझे दूध पिला रही थीं, तब कुछ महिलाओं ने उससे कहा कि अब मैं काफी बड़ा हो गया हूँ इसलिए वो मुझे दूध पिलाना बंद कर दें। नहीं तो उनके दोबारा गर्भवती होने में बाधा आ सकती है। उन्होंने इस बात पर अपना आश्चर्य भी दिखाया कि उनको इतने सालों बाद भी दूध बन रहा था। माँ ने कुछ कहा नहीं, लेकिन मैं मन ही मन कुढ़ गया कि दूध तो मेरी माँ पिला रही हैं, लेकिन तकलीफ़ इन औरतों को हो रही है। उस रात जब हम घर लौट रहे थे, तो माँ ने मुझसे कहा कि अब वो सार्वजनिक रूप से मुझको दूध नहीं पिला सकतीं, नहीं तो लोग तरह तरह की बातें बनाएंगे। चूँकि स्कूल के सभी माता-पिता एक दूसरे को जानते थे, इसलिए अगर किसी ने यह बात लीक कर दी, तो स्कूल में मेरे सहपाठी मेरा मज़ाक बना सकते हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि घर पर, जब बस हम सभी ही हों, तो वो मुझे हमेशा अपना दूध पिलाती रहेंगीं। वो गाना याद है - ‘धरती पे रूप माँ-बाप का, उस विधाता की पहचान है’? मेरा मानना है कि अगर हमारे माता-पिता भगवान् का रूप हैं, तो माँ का दूध ईश्वरीय प्रसाद, या कहिए कि अमृत ही है। माँ का दूध इतना लाभकारी होता है कि उसके महिमा-मण्डन में तो पूरा ग्रन्थ लिखा जा सकता है। मैं तो स्वयं को बहुत भाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे माँ का अमृत स्नेह इतने समय तक मिलता रहा। मेरा दैनिक स्तनपान तब तक जारी रहा जब तक कि मैं लगभग दस साल का नहीं हो गया। तब तक माँ को अधिक दूध बनना भी बंद हो गया था। अब अक्सर सिर्फ एक-दो चम्मच भर ही निकलता था। लेकिन फिर भी मैंने मोर्चा सम्हाले रखा और स्तनपान जारी रखा। मेरे लिए तो माँ की गोद में सर रखना और उनके कोमल चूचक अपने मुँह में लेना ही बड़ा सुकून दे देता था। उनका मीठा दूध तो समझिए की तरी थी।
मुझे आज भी बरसात के वो दिन याद हैं जब कभी कभी स्कूल में ‘रेनी-डे’ हो जाता और मैं ख़ुशी ख़ुशी भीगता हुआ घर वापस आता। मेरी ख़ुशी देख कर माँ भी बिना खुश हुए न रह पातीं। मैं ऐसे दिनों में दिन भर घर के अंदर नंगा ही रहता था, और माँ से मुझे दूध पिलाने के लिए कहता था। पूरे दिन भर रेडियो पर नए पुराने गाने बजते। उस समय रेडियो में एक गाना खूब बजता था - ‘आई ऍम ए डिस्को डांसर’। जब भी वो गाना बजता, मैं खड़ा हो कर तुरंत ठुमके मारने लगता था। रेनी-डे में जब भी यह गाना बजता, मैं खुश हो कर और ज़ोर ज़ोर से ठुमके मारने लगता था। मेरा मुलायम छुन्नू भी मेरे हर ठुमके के साथ हिलता। माँ यह देख कर खूब हँसतीं और उनको ऐसे हँसते और खुश होते देख कर मुझे खूब मज़ा आता।
माँ मुझे दूध भी पिलातीं, और मेरे स्कूल का काम भी देखती थीं। यह ठीक है कि उनकी पढ़ाई रुक गई थी, लेकिन उनका पढ़ना कभी नहीं रुका। डैड ने उनको आगे पढ़ते रहने के लिए हमेशा ही प्रोत्साहित किया, और जैसे कैसे भी कर के उन्होंने प्राइवेट परीक्षार्थी के रूप में ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी कर ली थी। कहने का मतलब यह है कि घर में बहुत ही सकारात्मक माहौल था और मेरे माँ और डैड अच्छे रोल-मॉडल थे। मुझे काफ़ी समय तक नहीं पता था कि माँ-डैड को मेरे बाद कभी दूसरा बच्चा क्यों नहीं हुआ। बहुत बाद में ही मुझे पता चला कि उन्होंने जान-बूझकर फैसला लिया था कि मेरे बाद अब वो और बच्चे नहीं करेंगे। उनका पूरा ध्यान बस मुझे ही ठीक से पाल पोस कर बड़ा करने पर था। जब संस्कारी और खूब प्रेम करने वाले माँ-बाप हों, तब बच्चे भी उनका अनुकरण करते हैं। मैं भी एक आज्ञाकारी बालक था। पढ़ने लिखने में अच्छा जा रहा था। खेल कूद में सक्रीय था। मुझमे एक भी खराब आदत नहीं थी। आज्ञाकारी था, अनुशासित था और स्वस्थ था। टीके लगवाने के अलावा मैंने डॉक्टर का दर्शन भी नहीं किया था।
हाई-स्कूल में प्रवेश करते करते मेरे स्कूल के काम (मतलब पढ़ाई लिखाई) के साथ-साथ मेरे संगी साथियों की संख्या भी बढ़ी। इस कारण माँ के सन्निकट रहने का समय भी घटने लगा। सुन कर थोड़ा अजीब तो लगेगा, लेकिन अभी भी मेरा माँ के स्तन पीने का मन होता था। वैसे मुझे अजीब इस बात पर लगता है कि आज कल के बच्चे यौन क्रिया को ले कर अधिक उत्सुक रहते हैं। मैं तो उस मामले में निरा बुध्दू ही था। और तो और शरीर में भी ऐसा कोई परिवर्तन नहीं हुआ था। एक दिन मैं माँ की गोद में सर रख कर कोई पुस्तक पढ़ रहा था कि मुझे माँ का स्तन मुँह में लेने की इच्छा होने लगी। माँ ने मुझे याद दिलाया कि मेरी उम्र के बच्चे अब न तो अपनी माँ का दूध पीते हैं, और न ही घर पर नंगे रहते हैं। ब्लाउज के बटन खोलते हुए उन्होंने मुझसे कहा कि हाँलाकि उनको मुझे दूध पिलाने में कोई आपत्ति नहीं थी, और मैं घर पर जैसा मैं चाहता वैसा रह सकता था, लेकिन वो चाहती थीं कि मैं इसके बारे में सावधान रहूँ। बहुत से लोग मेरे व्यवहार को नहीं समझेंगे। मैं यह तो नहीं समझा कि माँ ऐसा क्यों कह रही हैं, लेकिन मुझे उनकी बात ठीक लगी। कुल मिला कर हमारी दिनचर्या नहीं बदली। जब मैं स्कूल से वापस आता था तब भी मैं माँ से पोषण लेता था। वास्तव में, स्कूल से घर आने, कपड़े उतारने, और माँ द्वारा अपने ब्लाउज के बटन खोलने का इंतज़ार करना मुझे अच्छा लगता था। माँ इस बात का पूरा ख़याल रखती थीं कि मेरी सेहत और पढ़ाई लिखाई सुचारु रूप से चलती रहे। कभी कभी, वो मुझे बिस्तर पर लिटाने आती थी, और जब तक मैं सो नहीं जाता तब तक मुझे स्तनपान कराती थीं। ख़ास तौर पर जब मेरी परीक्षाएँ होती थीं। स्तनपान की क्रिया मुझे इतना सुकून देती कि मेरा दिमाग पूरी तरह से शांत रहता था। उद्विग्नता बिलकुल भी नहीं होती थी। इस कारण से परीक्षाओं में मैं हमेशा अच्छा प्रदर्शन करता था। अब तक माँ को दूध आना पूरी तरह बंद हो गया था। लेकिन मैंने फिर भी माँ से स्तनपान करना और माँ ने मुझे स्तनपान कराना जारी रखा। मुझे अब लगता है कि मुझे अपने मुँह में अपनी माँ के चूचकों की अनुभूति अपार सुख देती थी, और इस सुख की मुझे लत लग गई थी। मुझे नहीं पता कि माँ को कैसा लगता होगा, लेकिन उन्होंने भी मुझे ऐसा करने से कभी नहीं रोका। हाँ, गनीमत यह है कि उस समय तक मेरा घर में नग्न रहना लगभग बंद हो चुका था।
fr fr, no cap“आई ऍम योर स्लेव! यू आर द बेस्ट हस्बैंड दैट एनी वुमन कैन गेट!”
nice update..!!नया सफ़र - विवाह - Update #15
देवयानी का परिप्रेक्ष्य (जारी) :
मेरी ट्रेन ऑफ़ थॉट्स किसी पक्षी की आवाज़ पर टूटी।
रिस्टवॉच में देखा - साढ़े चार के ऊपर हो गया था समय! समुद्र का शोर थोड़ा बढ़ गया था। शायद हाई टाइड था। थोड़ी रौशनी बढ़ गई थी, लेकिन अभी भी थोड़ा अँधेरा था, इसलिए साफ़ साफ़ कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
हनीमून के लिए अंडमान आना बिलकुल सही डिसिशन लग रहा था। अमर ने मुझे दो चॉइस बताई थी - या तो कान्हा के जंगल, या फिर अंडमान! कान्हा वाला आईडिया बहुत एक्साइटिंग लगा, क्योंकि मैंने कभी जंगल नहीं देखे। लेकिन वहाँ ठंडक बहुत रहती। दिल्ली की ठंडक में बाद और ठंडक झेलने का मेरा मूड नहीं हुआ। इसलिए मैंने अंडमान के लिए हाँ कही। बड़ा ही क्लीशे सा लगता है न - हनीमून के लिए बीच वाली जगह चले जाओ! लेकिन यहाँ आ कर पता चला कि ये तो वाकई स्वर्ग है! एक बात जो मुझे बेहद पसंद आई वो यह कि यहाँ आप की शांति, यहाँ की चुप्पी का मज़ा ले सकते हैं। बहुत आइसोलेटेड सी जगह है, इसलिए लोग ही नहीं दिखते। पोर्ट ब्लेयर ऐसा था, और हैवलॉक तो और भी खाली सी जगह है।
हमारा होटल या रिसॉर्ट (अगर आप इसे रिसोर्ट बोलना चाहें), लगभग खाली था! इस समय यहाँ केवल तीन ही मेहमान थे - हम - मतलब, अमर और मैं; कलकत्ता से आए हुए एक रिटायर्ड कपल; और गेल और मरी! बस, इतने ही लोग! ऐसा नहीं है कि हैवलॉक में और कोई टूरिस्ट नहीं थे, लेकिन ज्यादातर टूरिस्ट्स यहाँ से थोड़ी दूरी पर स्थित एक सरकारी होटल में रह रहे थे। इस ‘रिसोर्ट’ में फिलहाल बिजली नहीं थी, और टेलीफोन कनेक्शन भी बेहद खराब था। हमारे पेजर भी यहाँ यूज़लेस थे! हमने अपने अपने घरों में पोर्ट ब्लेयर से ही बता दिया था कि हम हैवलॉक जा रहे हैं, और वहाँ शायद एक या दो सप्ताह के लिए रुक सकते हैं - अगर अच्छा लगा तो! इसलिए अगर बातचीत न हो सके तो परेशान न हों।
गर्मी नहीं थी, लेकिन फिर भी उमस सी थी। समुद्र के ठीक बगल रहने से ऐसा होता है। वैसे यह ऐसी कोई प्रॉब्लम भी नहीं थी। लेकिन चटक धूप में एक्सपोज़ होने से ज़रूर ही हम दोनों थोड़े काले हो गए थे, लेकिन उमस वाले मौसम के कारण हमारी स्किन भी हेल्दी हो गई थी। ठंडक में तो लगता है कि बॉडी से बैक्टीरिया चिपके ही रहते हैं। लेकिन यहाँ लगातार पसीना निकलता रहता है, और स्किन ऑटोमॅटिकली क्लीन होती रहती है। हर जगह के अपने नफ़े और नुक़सान होते हैं। लेकिन ऐसे उमस और गर्मी वाली जगह में कपड़े कम पहनने या न पहनने का मन होता है। जैसे कि अभी! वैसे भी अमर के साथ जब अकेले होती हूँ, टी शरीर पर कपड़े होते ही नहीं! नज़र घुमा कर देखा - कोई आस पास नहीं था, तो मैंने अपनी नाइटी उतार दी, और समुद्र की ताज़ी, साफ़ हवा को अपने न्यूड शरीर पर महसूस करने लगी।
सुबह की हवा में समुद्र के पानी की महक घुली हुई थी - लेकिन अच्छा लग रहा था। ताज़ी हवा - ऑक्सीजन से लदी हुई! एक ट्रिविया - लोग सोचते हैं कि धरती की ऑक्सीजन पेड़ों से आती है - हाँ हाँ आती है, लेकिन मेजोरिटी - पृथ्वी की कोई तीन चौथाई ऑक्सीजन समुद्र में रहने वाले माइक्रो-ऑर्गैनिस्म जैसे कि प्लैंकटन से आती है। है न मज़ेदार बात? तो पेड़ लगाने से अधिक, हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि समुद्र में पॉल्यूशन न हो, या कम हो। तरह-तरह के पक्षी उड़ रहे थे, और अजीबोगरीब आवाजें निकाल रहे थे। समुद्र की लहरों के थपेड़े जब किनारे पर आ कर अपना दम तोड़ देते हैं, तो अलग ही तरीके की आवाज़ आती है - लहर की + नमकीन पानी के झाग फूटने की + पानी के वापस जाने की - तीनों की मिली जुली आवाज़ें! एक अलग ही तरह का एहसास! और यह एहसास कई गुणा बढ़ जाता है जब आस पास लोगों का शोर नहीं होता।
कुछ देर में थोड़ा थोड़ा उजाला होने लगा - हाँ, हाई टाइड (ज्वार) ही था - समुद्री पानी रिसोर्ट के बेहद करीब था इस समय। इतना करीब कि मैं अगर अहाते से उठूँ, और तीन क़दम चलूँ, तो पानी में चली जाऊँ! सच में - यह जगह स्वर्ग थी! और मैं यहाँ हमेशा के लिए रह सकती थी!
कुछ देर मैं उस सुन्दर नीरवता का मज़ा लेती रही। इतना आनंद आ रहा था कि मेरी आँख लग गई।
बगल के झोपड़े के खुलने की आवाज़ से मेरी नींद टूटी - शायद कोई पावर नैप जैसी झपकी आई थी मुझे। मैंने नज़र घुमा कर देखा तो बगल के कबाने के अहाते में मरी खड़ी हुई थी - और मेरी ही ओर देख रही थी। उसने अपनी कमर पर एक तौलिया लपेटा हुआ था, लेकिन कमर से ऊपर वो पूरी तरह से न्यूड थी। उसके लंबे, सीधे, काले बाल उसके कंधों पर ढलके हुए थे। उसके ब्रेस्ट्स छोटे थे, और थोड़ा लटके हुए थे। उसके ब्रेस्ट्स को देख कर मुझे खुद पर थोड़ा घमंड तो हुआ! दैट असाइड, मरी बहुत सुंदर सी थी, और बहुत सुन्दर लग भी रही थी! अभी अभी सो कर उठने के बावजूद! उसके हाथ में एक मग था, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि वो क्या पी रही थी। अगर कॉफी पी रही थी, तो इसका मतलब है कि वो रिसोर्ट के किचन से आ रही होगी। यहाँ रूम सर्विस नहीं थी और कॉफी लेने के लिए किचन में ही जाना पड़ता।
मरी को देख कर मुझे एक अजीब सी फ़ीलिंग महसूस हुई - क्यूरिऑसिटी मिली हुई। न जाने क्यों मैं मन ही मन इमेजिन करने लगी कि उसकी तौलिए के नीचे क्या था - मेरा मतलब है कि मैं यह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके तौलिए के नीचे क्या था! लेकिन फिर भी न जाने क्यों ऐसा थॉट मेरे मन में आने लगा! शायद इसलिए कि वो एक विदेशी औरत है! और वैसे भी लड़कियों को एक दूसरे के प्राइवेट पार्ट्स देख कर थोड़ी बहुत ईर्ष्या तो होती ही है! मुझे लगा कि वो मुझे पोर्च में बैठी देख कर अचकचा गई - इसलिए वापस जाने के लिए मुड़ी। उसके ऐसा करने से मुझे उसकी कमर के ठीक ऊपर एक टैटू दिखा। टैटू का अधिकाँश भाग उसके तौलिए ने ढँका हुआ था। न जाने क्यों लगा कि उसका बाकी का टैटू भी देखना चाहिए।
मरी ने जो कुछ भी सोचा हुआ हो - शायद उसने अपना वो विचार तुरंत ही बदल दिया। क्योंकि वो फिर से पलट कर वापस पोर्च में, मुंडेर तक आ गई - उतना आगे कि जहाँ से पोर्च की सीढ़ियां रेतीले बीच तक जाती थीं। उगते हुए सूरज की बेहद कमज़ोर रौशनी में मरी का पूरा फिगर दिख रहा था। हम दोनों में कितना अंतर था - मरी स्लिम थी, और मैं थोड़ा मोटी थी। उसके ब्रेस्ट्स छोटे थे, मेरे बड़े। मेरे बाल काले, उसके लाल-काले! वो यूरोपियन गोरी, और मैं इंडियन गोरी! उसके ब्रेस्ट्स थोड़ा ड्रूपिंग थे, मेरे फर्म!
मैंने गैबी की न्यूड पिक्स देखी थीं - वो बहुत ही सुन्दर लगती थी। उसका सब कुछ बहुत सुन्दर सा था। मुझे शुरू शुरू में उससे इंफिरियॉरिटी काम्प्लेक्स हो गया था। न जाने क्यों! इसीलिए समझदार लोग कहते हैं कि अपने को कभी किसी से कम्पेयर नहीं करना चाहिए! फिर मैंने सोचा कि अगर अमर को मुझसे इतनी मोहब्बत है, तो मैं ऐसे वैसे क्यों सोच रही हूँ? प्यार मोहब्बत के मामले में सेल्फ़ डाउट की कोई जगह नहीं होती! अमर के लिए जैसी गैबी इम्पोर्टेन्ट थी, वैसी ही मैं भी हूँ! हम दोनों ही उसके लवर्स थे और वाइफ भी! गैबी के बारे में सोचते सोचते मेरे मन में ख़याल आया कि क्या मरी भी गैबी के ही जैसी होगी?
उसने मेरी तरफ़ हाथ हिला कर थोड़ा ऊँची आवाज़ में कहा - जिससे समुद्री लहरों की आवाज़ से भी मुझे उसका कहा हुआ सुनाई दे जाए,
“हाईया डेवी, गुड मॉर्निंग! आई सी दैट यू टू गेट अप वेरी अर्ली इन द मॉर्निंग?”
उसकी बात पर मुझे हँसी आ गई... काश कि वो मेरा लेज़ी साइड जानती!
“गुड मॉर्निंग मरी!”
मरी चलते हुए हमारे पोर्च में आ गई, और फिर झुक कर उसने मेरे दोनों गालों को चूमा।
“होली मदर ऑफ़ गॉड! यू इनडीड आर वैरी सेक्सी!” उसने मुझसे कहा, और मेरे ही बगल वाली आराम कुर्सी पर लेट गई।
मुझको न्यूड देख कर शायद उसको भी थोड़ा सपोर्ट मिला हो! इसलिए लेटने से पहले, उसने अपनी कमर पर बंधे हुए तौलिये को उतार दिया। अब वो भी मेरी ही तरह पूरी तरह से न्यूड थी। वैसे भी इस वीरान से ‘रिसोर्ट’ में किसी के आने जाने का डर नहीं था।
“आई लव दीस क्वायट मॉर्निंग्स ऑन द बीच!” उसने आह भरते हुए कहा, “सो पीसफुल... सो गुड!”
क्या मैंने पहले बताया कि मुझे मरी के बोलने का अंदाज़ बहुत पसंद आया था? उसके बोलने का तरीका कुछ ऐसा था कि लगता था कि वो गा रही हो।
“दैट इस सो ट्रू! आई लव इट हियर!”
“योर फर्स्ट टाइम ऑन बीच?”
“ऑन अ बीच दिस क्लीन? यस!”
“ओह! हा हा हा! यू विल नेवर फॉरगेट इट!”
“आई नो!”
“आई होप यू डोंट माइंड सीइंग मी नेकेड?”
“नॉट अट आल मरी! यू आर वैरी ब्यूटीफुल!”
“यू आर इवन मोर!” मरी ने कहा और आगे जोड़ा, “यू सीम वैरी कूल... एंड योर हस्बैंड टू!” वो मुस्कुराई, “आई फ़िगर्ड दैट यू गाइस हैड लोड्स ऑफ़ फन लास्ट नाईट?”
‘अह ओह’ मरी की बात सुन कर मेरे चेहरे की रंगत लाल हो गई। मतलब कल रात के हमारे शोरगुल को इन दोनों ने सुन लिया था! लेकिन क्या करूँ? अमर करते ही ऐसे हैं कि अपने आप ही आहें निकलने लगती हैं!
“ओह गॉड! व्ही वेर मेकिंग अ लॉट ऑफ़ नॉइज़, वरेन्ट वही?”
“हनी, यू गाइस आर सपोज़्ड टू मेक अ लॉट ऑफ़ नॉइज़! यू आर जस्ट मॅरीड, एंड एंजोयिंग योर मैरिटल ब्लिस इस नथिंग टू बी अशेम्ड ऑफ़!” मरी ने मुझे समझाते हुए कहा।
वो रुकी, मुस्कुराई, और फिर आगे बोली, “इन फैक्ट, इफ एनीथिंग, आई मस्ट थैंक यू गाइस! आफ्टर यू गाइस वेर डन, फॉर द फर्स्ट राउण्ड दैट इस, गेल वास ऑन मी लाइक इट वास आवर फर्स्ट नाइट ऑफ़ आवर हनीमून!”
कह कर मरी हँसने लगी। उसकी बात पर मुझको भी हंसी आ गई। उसके बात करने का अंदाज़ बहुत ही बिंदास और मज़ाकिया था। मैंने एक बात तो रियलाइज़ करी - अमर के आने के साथ ही अचानक ही मेरी लाइफ में बढ़िया बढ़िया लोग आने लग गए थे। अमर के परिवार के सभी लोग कितने अच्छे थे, वो बार बार कहने की ज़रुरत नहीं! लेकिन उनके दोस्त भी वैसे ही! सच में - आई ऍम लुकिंग फॉरवर्ड टू माय लाइफ विद हिम! ऐसा साथी हो, तो जीने में कैसा मज़ा आए!
“हाऊ लॉन्ग हैव यू टू बीन डेटिंग बिफोर यू गॉट मैरीड?”
“उम् अबाउट सिक्स मंथ्स!”
“दैट्स गुड! गेल एंड मी - व्ही डेटेड फॉर अबाउट सेवन एट मंथ्स! हाऊ ओल्ड इस ही?”
इस क्वेश्चन पर मैं थोड़ा नर्वस हो गई। विल शी जज मी?
“ही इस ट्वेन्टी थ्री!”
“ओह नाइस! वैरी यंग! इट इस गुड टू हैव अ यंग एंड एनर्जेटिक हस्बैंड! यू आर व्हाट? ट्वेंटी सेवन?”
“आई ऍम थर्टी टू...”
“व्हाट? नो!” मरी की बात से लगा कि वो जेनुइनली सरप्राइज़्ड थी!
अचानक ही मुझे अच्छा लगने लगा।
“यस - आई ऍम नाइन इयर्स ओल्डर दैन हिम!”
“वाओ! आई कांट बिलीव दैट यू आर माय ऐज! नो वे! यू लुक लाइक अ डॉल डेवी! अनबिलीवेबल! यू रियली डोंट लुक इवन अ डे ओल्डर दैन व्हाट आई गेस्सड अर्लियर! लेट मी टेल यू हनी, योर मैन श्योर नोस हाऊ टू मेक लव टू हिज वुमन एंड मेक हर हैप्पी! सो हीयर इट फ्रॉम मी - एंड इट इस माय डोज़ेन इयर्स ऑफ़ मैरीड लाइफ टॉकिंग - हैव अस मच लव एंड अस मच सेक्स अस पॉसिबल! अंडरस्टुड?”
“यस मैम!” मैंने मुस्कुराते हुए मरी को सल्यूट किया।
हम दोनों ही इस बात पर हँसने लगे।
अगले बीस मिनट तक हम दोनों अपनी शादी, और मरी और गेल के हनीमून के किस्से सुनते सुनाते रहे। मरी एक खुशमिजाज, और सीधी-सादी औरत थी, और उसके साथ बात करना, हंसी मज़ाक करना बहुत आसान था! कुछ ही देर में ऐसा लगने लगा कि जैसे हम दोनों सालों से दोस्त हों! बहुत हद तक जयंती दी जैसी है वो। जब उसने बताया कि वो अपने खाली टाइम में सोशल वर्क और काउन्सलिंग करती है, तो मुझे बहुत आश्चर्य नहीं हुआ। उसकी पर्सनालिटी है वैसी! इस ट्रिप पर एक दोस्त पा कर मुझे अच्छा लगा!
हम दोनों कुछ देर और बातें करते रहे। अब इतना उजाला हो गया था कि सब कुछ साफ़ साफ़ दिखाई दे। लेकिन हाँ, हमारे आस पास सब कुछ पहले ही जैसा शांत निर्जन था। अचानक ही मरी वाले कबाना का दरवाजा खुला और उसमे से गेल से बाहर आया। वो पूरी तरह से नंगा था और उसका हैंडसम पीनस प्राउडली झूल रहा था। उसको ऐसे देख कर मैं थोड़ा अचकचा सी गई। उसके पीनस के आस पास का एरिया क्लीन शेव्ड था, जिससे उसके पीनस का साइज़ और बड़ा लग रहा था। वैसे मुझे अमर का नेचुरल लुक ज्यादा पसंद था। आई थिंक अ मैन शुड हैव बॉडी हेयर!
“मरी,” उसने अपनी बीवी को पुकारा।
सूरज की रौशनी उसकी आँखों में जा रही थी इसलिए उसने अपनी हथेली से रौशनी को रोक रखा था। शायद इसलिए भी वो हमको देख नहीं पाया।
“ओवर हियर बेब!” मरी बोली, “आई ऍम जस्ट टॉकिंग टू डेवी! कम ऑन ओवर!”
उसका बस इतना कहना ही था कि गेल बिना किसी हेसिटेशन हमारी तरफ़ आने लगा। कोई परवाह ही नहीं! वो हमारी तरफ आ रहा था, और मरी मुझे समझा रही थी कि, “यू विल हैव टू एक्सक्यूज़ माय हस्बैंड... गेटिंग हिम टू वीयर क्लॉथ्स, स्पेशली टू बेड एंड व्हेन नियर बीच, इस लाइक टीचिंग अन ओल्ड डॉग अ न्यू ट्रिक - इम्पॉसिबल!”
“बोंजोर डेवी!” उसने कहा।
“हाय गेल!”
हर कबाना में तीन से चार आराम कुर्सियाँ थीं। मेरे कबाना में चार थीं, और वो बुज़ुर्ग कपल के कबाना में दो। गेल आ कर अपनी बीवी के बगल बैठ गया - पूरा फैल कर! जैसे हमारे सामने नंगा लेटना कोई मामूली या साधारण बात हो। ऐसी कोई बड़ी बात भी नहीं थी - अमर भी मेरे आस पास, या फिर अपने घर में नंगा हो कर घूमने में शरमाते नहीं हैं। डिपेंड्स ऑन द कम्फर्ट लेवल! लेकिन मेरे लिए तो यह नई बात थी। और तो और गेल बहुत हैंडसम भी था! अमर और गेल में बहुत अंतर नहीं है - हाँ, रंग का है और उम्र का है। लेकिन बस। इतना ही। दोनों ही हैंडसम! दोनों ही छरहरे और मज़बूत बॉडी के मालिक!
अचानक ही कपल स्वैपिंग वाला आईडिया फिर से दिमाग में कौंध गया। इतनी पुरानी फंतासी ऐसे नहीं जाती! ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि मुझे अमर के साथ सेक्सुअल सटिस्फैक्शन नहीं है। बहुत है। सोचने से भी अधिक। लेकिन बात कुछ और ही है। आई वांटेड टू सैंपल जस्ट वन ‘अदर मेल’ विद माय हस्बैंड्स अप्रूवल एंड ब्लेस्सिंग्स! अमर ने कभी सीधे सीधे इस बात से मना नहीं किया। मतलब उनको बुरा तो नहीं लगा ये सुन कर। यहाँ तक ठीक है। खुद अमर ने मुझे मिला कर अभी तक चार लड़कियों के साथ सेक्स किया ही हुआ है, और मैंने अमर को मिला कर दो! क्या वो इन दोनों के साथ स्वैप करना चाहेंगे? मतलब अमर मरी के साथ, और मैं गेल के साथ? लेकिन यह सब हमारे हनीमून पर? ओह्हो! क्या सोचेंगे वो मेरे बारे में? लेकिन क्या करूँ इस फंतासी का? ये गेल भी न! इसको यूँ नंगा नंगा इधर आने की क्या ज़रुरत थी? ही गेव मी दीस नॉटी थॉट्स! मैंने सोचा कि व्हाई नॉट टेस्ट द वाटर्स!
लेकिन गेल ने ऐसा कुछ रिएक्शन नहीं दिखाया कि लगे कि वो मेरी न्यूडिटी से अफेक्टेड है। उसके लिए मेरा न्यूड होना उतना ही नार्मल लग रहा था जितना उसका खुद का न्यूड होना! उसका पीनस पार्शियली इरेक्ट था - अब वो मेरे कारण था, या मरी के कारण, कह पाना पॉसीबल नहीं था। गेल तो नहीं, लेकिन मरी ज़रूर मुझसे पोसिटीवली अफेक्टेड थी। वो बोली,
“यू रियली डू हैव अ नाइस फिगर डेवी... डू यू वर्क आउट?”
अपनी बढ़ाई सुन कर किसको अच्छा नहीं लगता? लेकिन सबके सामने तो ऐसा ही दिखाना पड़ता है न कि हम कितने हम्बल हैं!
“व्हाय थैंक यू सो मच मरी! नो आई डोंट वर्क आउट! बट आई शुड!”
“यस! स्टार्ट वर्किंग आउट। फॉर वीमेन आवर ऐज, एक्सरसाइज इस वैरी इम्पोर्टेन्ट एंड हेल्पफुल! ऑफ़ कोर्स यू मेन्टेन योर वेट विद इट, बट इट हेल्प्स विद मच मोर दैन दैट। यू कैन मेंटेन योर बॉडी रिदम एंड हॉर्मोन्स! एंड इट मेक्स यू फील गुड ऑल ओवर! इट इवन हेल्प्स विद योर सेक्स ड्राइव, राइट बेब?”
मरी ने कहते हुए गेल से पूछा।
“स्पॉट ऑन हनी!” उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
मरी मुस्कुराई।
गेल ने मरी का हाथ अपने हाथ में ले कर प्यार से दबाया। इतने सालों बाद भी दोनों में प्यार देख कर अच्छा लगा। मैं और अमर भी इन्ही के जैसे रहेंगे! खुश! इन विदेशी जोड़ों को देख कर अक्सर मन में ख़याल आता है कि क्यों हम लोग भी उन्ही के जैसे नहीं रह पाते? हैप्पी, रिस्पेक्टफुल, लविंग! गेल और मरी के रिलेशनशिप को देख कर ताज़गी वाला एहसास होता है। उनका ऐटिटूड भी बिलकुल बिंदास! गुड पीपल!
तभी एक अटेंडेंट वहाँ आ खड़ा हुआ। हम तीनों को ऐसे नंगा देख कर अगर उसको शॉक लगा भी, तो भी उसने दिखाया नहीं। शायद उसको वहाँ आये गेस्ट्स को ऐसे देखने का एक्सपीरियंस रहा हो।
“मैडम,” उसने मुझसे कहा, “ब्रेकफास्ट रेडी है। आप लोग चाहें तो आ जाइए!”
मैंने गेल और मरी को ट्रांसलेट कर के बताया।
“ओह गुडी!” मरी ने खुश होते हुए मुझसे कहा, “व्ही आर गोइंग फॉर स्नॉर्केलिंग टुडे! व्हाई डोंट यू एंड अमर ज्वाइन अस ऐस वेल? यू विल लव द एक्सपीरियंस, आई ऍम श्योर!”
स्नॉर्केलिंग का आईडिया तो बढ़िया लग रहा था - मैंने कुछ ब्रोशर्स में पढ़ा था कि साफ़ समुद्री पानी में स्नॉर्केलिंग का एक अलग ही मज़ा है। लेकिन मुझे लगा कि यह बहुत एक्सपेंसिव होगा। मैंने उनको इस बारे में बताया। मरी ने कहा कि कोई भी इक्विपमेंट खरीदने की क्या ज़रुरत है। उसको रेंट किया जा सकता है, जो कि चीप रहेगा। चूँकि हम चारों को ही स्विमिंग आती है इसलिए किसी इंस्ट्रक्टर की कोई ज़रुरत नहीं है। बस, पानी में बहुत दूर तक नहीं जाना है - क्योंकि तेज करेंट्स का डर रहेगा। बाकी तो सब आसान ही है। अचानक ही मैं भी एक्साइट हो गई इस नई एक्टिविटी के बारे में सुन कर। मैंने उनसे कहा कि मैं अमर से बात कर के बताऊँगी। अमर अभी तक बाहर नहीं निकले थे, इसका मतलब अभी भी नींद में ही थे।
“आई विल गो एंड वेक हिम अप!” मैंने कहा और गेल और मरी से फिलहाल के लिए विदा ली।
वो दोनों भी अपने कबाना जाने लगे - कपड़े पहनने।
**
मैं जब कमरे में आई तो देखा मैंने कि मेरे भोले सजन अभी भी सो रहे थे। हा हा हा! भोले सजन! ठीक है कि हमारी एडल्ट एक्टिविटीज में अमर थोड़ा सा भी भोलापन नहीं दिखाते, लेकिन भोले तो वो हैं! सोते हुए वो कितने पीसफुल लगते हैं। पीठ के बल लेटे हुए अमर का पीनस हमेशा के ही जैसे रेजिंग हार्ड था।
मुझे हँसी आ गई, ‘ये कभी शांत भी रहता है या नहीं!’
मेरी हँसी सुन कर अमर की नींद खुल गई। मुझे अपने सामने देखते ही वो मुस्कुराए।
“मेरा जानू उठ गया?”
“उहूँ,” अमर ने मुस्कुराते हुए कहा।
“हम्म जानू नहीं, जानू का टुन्नू उठा हुआ है!” मैंने उनको छेड़ा।
“हा हा हा हा!”
“क्यों उठा हुआ है?” मैंने उनके पीनस को पकड़ते हुए कहा।
“क्या पता?” अमर उनींदी आवाज़ में बोले।
“यहाँ कौन से सिग्नल आते हैं जिनको पकड़ता रहता है ये?” मैंने अमर को छेड़ा, “न तो टेलीफोन काम करते हैं, और न ही पेजर! और तो और लाइट भी नहीं आती! फिर भी!”
“ये बायो-पॉवर्ड है मेरी जान!” अमर ने मुझको अपनी बाहों में भरते हुए कहा, “अपनी जानेमन को अपने आस पास महसूस कर के ये एक्टिव हो जाता है!”
“हा हा हा!”
“अपनी जानेमन से इसका मन नहीं भरता?”
“कभी नहीं!”
कह कर अमर ने मुझको अपने ऊपर बैठा लिया।
समझ में तो आ गया कि अब आगे क्या होने वाला है - लेकिन अमर का स्टाइल भी न... बिलकुल बिंदास है! बोलते भी तो हैं - अर्ली मॉर्निंग सेक्स इस द बेस्ट सेक्स! एंड व्हेन ही एन्टर्ड मी - ओह गॉड! अमेजिंग सेन्स ऑफ़ कम्प्लीटनेस! अमर के साथ सेक्स करना ऐसा लगता है जैसे मैं किसी बीच वेकेशन पर हूँ - हॉट, ह्यूमिड, वेट एंड रिलैक्सिंग! इन दैट आर्डर!
ये बदमाश लड़का अभी अभी सो कर उठा है, और इतनी एनर्जी!
ओह गॉड!
और ये तब था जब मैं अमर की सवारी कर रही थी!
स्ट्रांग एंड पावरफुल थ्रस्टस!
मेरी हर नस में ऐसे झुनझुनी होने लगी कि जैसे उनमें आग लग गई हो। और सेक्स का प्लेज़र इतना इंटेंस था कि साँस लेना मुश्किल होने लगा। आँखें बंद और मुँह से हाँफते हुए साँस!
ओह गॉड! अमर रियली इस अ सेक्स सावांत!
कभी सोचा ही नहीं था कि कोई मुझको इस तरह से मज़ा दे सकता है। ऐसा लगने लगा था कि मैं कोई म्यूज़िकल इंस्ट्रूमेंट हूँ जिसको बजाने में अमर कोई वर्चुआसो हैं! उधर अमर धक्के पर धक्के लगाए जा रहे थे। कुछ ही देर में मेरी बॉडी पसीना पसीना हो गई थी, और यह एक्सपीरियंस बर्दाश्त के बाहर जाने लगा था।
यही हर बार होता है - सब कुछ फेमिलिअर तरीके से शुरू होता है, लेकिन फिर कण्ट्रोल मेरे हाथों से निकल जाता है। हर बार ऐसा ही लगता है कि जैसे मैं डेज़ में हूँ! अमर के साथ हमेशा यही होता है मेरे साथ... आई जस्ट कैन नॉट कण्ट्रोल माय इमोशंस, इवन इफ आई ट्राईड! अमर का पैशन ओवर-पॉवरिंग है, और उनके सेक्सुअल टैलेंट्स मास्टरफुल! हर बार यही होता है - कुछ देर के बाद आई जस्ट रेस्पॉन्ड टू व्हाट ही डस! आई ऍम ऑलवेज़ हिस विलिंग कम्पैनियन! दिस इस ब्लिस! ऐसे शानदार मर्द के साथ होने का मज़ा ही अलग है!
पिछले दो मिनट से मैं लगातार आहें भर रही हूँ। गला सूख चुका है। लेकिन अमर के धक्के रुक ही नहीं रहे हैं। अचानक ही मुझे उनकी बॉडी में एक टाइटनेस महसूस हुई। फैमिलियर फीलिंग! अमर भी जल्दी ही इजैकुलेट करने वाले हैं। मेरा ओर्गास्म तो पहले ही हो चुका!
आई वास नाउ रेडी टू गेट अ जेनेरस डोज़ ऑफ़ हिस लाइफ गिविंग सीड्स!
कुछ देर बाद जब वो मेरी कोख को भरने लगे तब मुझे ऐसा लगा कि जैसे दिमाग से सारे ख़याल हट गए हों - बिलकुल ब्लैंक! मेरी पूरी बॉडी थरथरा रही थी और मेरी वजाइना ऐसे बिहैव कर रही थी कि जैसे उस पर मेरा कोई कण्ट्रोल ही न हो! अमर के पीनस को वो ऐसे निचोड़ रही थी कि जैसे उसका सारा रस वो पी लेना चाहती हो! धक्के सारे अमर ने मारे थे, और ढेर मैं हो गई!
**
“जानू?” मैंने पुकारा।
एक वंडरफुल सेक्स के आफ़्टरग्लो में कितना पीसफ़ुल लगता है। कोई थॉट्स नहीं। बस, अगर कुछ होता है तो वो है प्यार!
“हम्म?”
“आई लव यू!” मैं हिचकिचा रही थी।
“सबसे ज्यादा!” उन्होंने कहा।
“जानू?”
“क्या बात है, मेरी जान? क्या हो गया?”
“आई वास थिंकिंग!”
“क्या?” उन्होंने पूछा।
जब मैंने कुछ देर कुछ नहीं कहा तो वो ही बोले, “यू डू नो दैट यू कैन टॉक अबाउट एनीथिंग विद मी। राइट?”
“हनी?” कुछ देर चुप रह कर मैं फिर बोली।
“हाँ?” उन्होंने फिर से कहा - इस बार मुझको चूमते हुए, “बोलो न! क्या हुआ, मेरी जान?”
“तुम बुरा तो नहीं मानोगे?”
“तुम्हारी किसी भी बात का मैं बुरा नहीं मानूँगा - प्रॉमिस! अब बताओ। क्या हो गया?”
“हनी?” मैं अभी भी हिचक रही थी।
“क्या हो गया मेरी पिंकू को?” उन्होंने मुझको दुलार करते हुए कहा, “मुझसे ऐसे हिचकेगी, तो फिर हमारी बातें कैसे होंगी?”
“पक्का नहीं नाराज़ होंगे?”
“तुमसे? नाराज़? मैं? हो ही नहीं सकता!” उन्होंने मेरे एक निप्पल को छेड़ते हुए कहा।
“ठीक है,” मैंने अनसरटेनटी से कहा, “आप प्लीज नाराज़ मत होना, और मेरे बारे में ऐसा वैसा मत सोचना?”
“अरे यार! मेरी डेवी, तुम ऐसे मत सोचो - सी, आई थिंक आई नो व्हाट यू वांट! इफ यू वांट तो एक्सपीरियंस सेक्स विद गेल, देन लेट मी टेल यू, यू हैव माय परमिशन! आई विल नॉट फील बैड अबाउट यू... एट आल!”
“व्हाट!” मुझे यकीन ही नहीं हुआ, “आर यू श्योर?”
“अब्सॉल्युटली!” अमर ने कहा, “आई नो दैट यू वांटेड टू एक्सपीरियंस इट वन्स! एंड गेल सीम्स लाइक अ गुड एनफ फेलो! व्हाई नॉट!”
“ओह गॉड, अमर! माय अमर! माय लव!” मैंने अमर को बेतहाशा चूमते हुए कहा, “यू आर वंडरफुल! प्लीज अंडरस्टैंड दैट इट इस ओनली फॉर क्यूरिऑसिटी!”
“जानेमन, सेक्स करना, तो पूरे मज़े लेना!” उन्होंने मेरी क्लिटोरिस को छेड़ते हुए कहा, “बाद में मुझे कोई कम्प्लेन नहीं चाहिए!”
“ओह हनी! आई ऑलमोस्ट डोंट वांट टू डू इट नाउ! यू आर सो गुड टू मी!”
“नो! लेट अस गेट दिस आउट ऑफ़ आवर सिस्टम नाउ। इट हैस बीन योर लॉन्ग स्टैंडिंग फंतासी! आई वांट यू टू फुलफिल इट!”
“ओह गॉड हनी!” मैं अमर से लिपटते हुए बोली, “आई ऍम योर स्लेव! यू आर द बेस्ट हस्बैंड दैट एनी वुमन कैन गेट!”
और यह बात पूरी तरह से सच भी थी! अमर के जैसा हस्बैंड - कम से कम मुझको तो नहीं मिल सकता। किसी आदमी की बीवी उसको ऐसा कुछ बोल दे, तो वो आदमी अपनी बीवी की खाल खींच ले। नहीं तो तलाक़ दे दे। और भी, अगर वो औरत अपने हनीमून पर उसको यह बोले! लेकिन अमर सबसे अलग हैं! उनको मालूम है कि अगर मेरी यह डिजायर शांत नहीं हुई, तो आगे मेरे फ़िसलने का खतरा बना रहेगा। इसलिए उनकी परमिशन से अगर ये हो तो ठीक है। सच में - उनकी इस बात पर तो मैं उनकी और भी बड़ी दीवानी हो गई हूँ।
दिस मैन इस अ कीपर!
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मैंने पहले से कह दिया है मुझे आपकी लेखन की शैली बहुत भाती है l एक तरह से मैं आपकी लेखन का अनुसरण करने वाला लेखक हूँ l बेशक आपकी तरह उपमा और अलंकार से नहीं संजो सकता हूँ l पर आपकी लिखी कहानी और उसके पटकथा मुझे बहुत पसंद आती हैं
avsji भाई मैं अगर यहाँ तक पहुँच पाया हूँ उसमें आपका बहुत बड़ा योगदान है
धन्यवाद संजू भाई।ये आप कोई स्टोरी लिख रहे हैं या मेरी आत्मकथा । अस्सी प्रतिशत तो मेरी जीवनी से मेल खाता है ये स्टोरी ।
डिस्को डांसर में विजय बेनेडिक्ट का वह गीत " आई एम ए डिस्को डांसर " छोड़कर क्योंकि उस समय मैं अच्छा खासा जवान था ।
मां बाप के प्रेम से लबालब आउटस्टैंडिंग अपडेट्स भाई ।
अब यह कहानी मेरी प्रायरिटी बन गई है ।
सिर्फ एक शब्द -
जगमग जगमग अपडेट ।