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amar toh davi pe bharosa karta hai isliye toh usse apni fantacy pura parne de raha hai..lekin uske dil pe tab kya bit rahi hogi yeh woh khud hi jane..mera bas yahi kehna hai ki davi ne jaise amar aur uske sambhog ka warnan kiya hai uss hisab davi ke dil me kisi aur se sambhog karne ki baat aani hi nahi chahiye..lekin fir bhi uske dil me woh fantacy ki baat aarahi hai..!! amar ne toh ab kajal ko apni behen bana liya hai aur uske sath toh kitna time pehle sambhog karna band kar diya hai..aur yaha pe mai sirf amar ke dil me kya chal raha hoga yeh janana chahta hu kyunki woh kitna bhi free minded ho lekin uske dil me kahi na kahi yeh baat chubh rahi hogi ki woh itna zabardast tarike se apni biwi ko satisfy kar raha hai lekin fir bhi davi ko apne fantacy ke jariye kisi aur se sex karna hai..!!
Avsji update kab tak aayega.
Aur kitna intezaar avsji?
बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानीदोस्तों, पिछले कुछ दिनों से काम बेहद अधिक था।
कल से अगले अपडेट पर काम शुरू होगा। धन्यवाद
nice update..!!नया सफ़र - विवाह - Update #16
अमर का परिप्रेक्ष्य :
डेवी की डिजायर सुन कर मुझे थोड़ा खराब तो लगा - आखिर किस हस्बैंड को नहीं लगेगा? लेकिन ऐसा खराब नहीं लगा कि मेरी दुनिया ही बिखर जाए।
देवयानी ने मुझे बहुत पहले ही अपनी इस फंतासी के बारे में बता दिया था, और मैंने भी चलते फिरते ही सही, उससे वायदा किया था कि मैं उसकी डिजायर को पूरा करूँगा। और ऐसा नहीं है कि मैं कोई सती हूँ! मेरे खुद के भी अब तक कई सारी सेक्स पार्टनर्स हो चुकी हैं। लेकिन सबसे बड़ी तर्कसंगति इस बात पर आई कि देवयानी और मेरे बीच इस तरह की आनेस्टी और कम्फर्ट लेवल था कि हम एक दूसरे से ऐसी बातें कर सकें। मन में सोचा कि एक बात होती है अडल्ट्री - जिसमें अपने पार्टनर (पति या पत्नी) के संज्ञान के बिना किसी अन्य के साथ यौन सम्बन्ध बनाए जाते हैं। वो तो धोखा-धड़ी वाली बात हो गई। है न! लेकिन यहाँ सच्चाई है दोनों के बीच। देवयानी ने यह भी क्लियर किया हुआ था कि उसको मेरे साथ यथोचित ‘यौन संतुष्टि’ मिल रही थी। संतुष्टि का इस डिजायर से कोई लेना देना नहीं था। इसको ‘वैरायटी सीकिंग’ बेहेवियर कहा जा सकता है, जहाँ हम किसी वस्तु से संतुष्ट रहते हैं, फिर भी कभी कभी कुछ नया ट्राई करना चाहते हैं। वैसे भी डेवी की फंतासी बस इतनी ही है कि अपने वो अपने हस्बैंड की उपस्थिति में बस एक बार किसी और आदमी से सेक्स कर सके। अब यह एक मामूली बात है भी, और नहीं भी। कितनी मामूली है, यह मेरे दृष्टिकोण पर निर्भर करता था।
जब से उसने यह बात मुझसे कही है, तब से मैं इसके बारे में सोच रहा था। और बहुत सोचने समझने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुँचा था कि वाकई मुझे इस बात में कोई ‘खास’ ऑब्जेक्शन नहीं था। गैबी को भी मुझसे पहले कई पार्टनर्स के साथ सेक्स करने का एक्सपीरियंस था, और मुझे उस बात से कोई प्रॉब्लम नहीं थी। काजल और डेवी दोनों को मुझसे पहले सेक्स का एक्सपीरियंस हो चुका था। मुझे खुद डेवी से पहले रचना, काजल, और फिर गैबी से सेक्स का एक्सपीरियंस हो चुका था। इसलिए डेवी के पार्टनर्स को लेकर मुझे कोई मलाल नहीं था। वो खुश थी; मैं खुश था; हम खुश थे। और ऐसा नहीं है कि शादी के बाद मैंने पूरी तरह से ‘पत्नी-व्रत’ हो कर बिहैव किया हो। गैबी के साथ हनीमून पर ही तो मैंने काजल के साथ भी सेक्स किया था - उसमें भी सभी की रज़ामंदी तो थी ही। तो अगर वो सही था, फिर देवयानी भी अगर मेरी रज़ामंदी से अपनी फंतासी पूरी कर सकती है, तो यह भी सही है! अगर मेरे बस थोड़े से त्याग से उसकी ख़ुशी कई गुणा बढ़ सकती है, तो मैं वो त्याग करने के लिए प्रस्तुत था।
ख़ास ऑब्जेक्शन नहीं था - लेकिन एक छोटा सा ऑब्जेक्शन बस इस बात से था कि वो सुरक्षित रहे। कोई सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज न हो जाय। जिसके साथ हो वो उसको एक्सप्लॉइट न करे। इस लिहाज़ से गेल ठीक लग रहा था - उसको देख कर, उसके बात करने के सलीके को देख कर ऐसा लग रहा था कि वो सभ्य आदमी है। मरी भी अच्छी थी। मेरे ख़याल से एक मैरिड कपल इस काम के लिए ज्यादा अच्छा रहेगा, बनिस्बद सिंगल या अनकमिटेड पर्सन के! वो इसलिए क्योंकि सिंगल पर्सन को विवाह की जटिलताओं के बारे में एक ढेले भर का भी ज्ञान नहीं होता। खैर, लेकिन गेल और मरी इस बात को ले कर उत्साहित होंगे भी या नहीं, यह कह पाना ज़रा मुश्किल था। पश्चिम के लोग सेक्स को ले कर थोड़ा खुले विचार के होते हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि किसी के साथ भी सेक्स करने लग जाएँ!
नाश्ता निबटा कर, हम चारों जने एक लगभग बियांबान बीच, जिसका नाम एलीफैंट बीच है, की ओर चल दिए। अपने देसी लोगों की एक ख़ास आदत देखी है मैंने - हमको अपने वेकेशंस पर खास स्पॉट की तलाश तो होती है, लेकिन हम उसकी अधिक तफ्तीश नहीं करते। मसलन, इस बीच को ही देख लीजिए - इस बीच का एक मुख्य-द्वार था, जो सड़क से जुड़ा हुआ था। वैसे तो वहाँ बहुत भीड़ नहीं थी, लेकिन जो भी थोड़ी भीड़ थी, उसका लगभग पंचानवे प्रतिशत इसी मुख्य-द्वार के करीब था - मतलब मुख्य द्वार से कोई सौ मीटर इधर उधर। इस बात के कारण बहुत से हैं - आलस्य, फिटनेस की कमी, मुख्य-द्वार के निकट खाने-पीने की रेहड़ी होना, इत्यादि। शेष पाँच प्रतिशत लोग बीच के केंद्र से इधर उधर दो सौ मीटर में समाप्त! मतलब अगर हम बीच पर किसी भी दिशा में केवल पाँच ही मिनट चल लें, तो पूरी तरह से निर्जन हो जाए वो जगह! दस मिनट चलने का मतलब है जीरो चांस! और अगर पंद्रह मिनट से अधिक चल लिए, तो किसी के बाप में दम नहीं कि हमको ढूंढ ले!
तो हम लोग भीड़ से दूर, साफ़ बीच और साफ़ पानी की तलाश में कोई आधा घंटा चले। स्नॉर्केलिंग करने के लिए वैसी ही जगह चाहिए। अगर बीच पर, या पानी में बहुत लोग होंगे, तो मछलियाँ नहीं होंगी वहाँ। बहुत लोग होंगे तो पानी क्लियर नहीं रह पाएगा, और अंदर कुछ नहीं दिखेगा। खैर, हमारे साथ साथ चलते हुए गेल और मरी हमसे मज़ाक कर रहे थे कि वो हमको हमारे हनीमून पर अकेला नहीं घूमने दे रहे थे। ऐसा नहीं था कि हमको उनके साथ घूमने में कोई दिक्कत थी। वो दोनों बढ़िया दोस्त बन गए थे, और उनसे हंसी मज़ाक करना बहुत ही आसान लग रहा था। ऐसे लोगों के साथ घूमने फिरने में आनंद आता है। और ऊपर से हमारा एक अल्टेरियर मोटिव भी था।
खैर, बाकी देश में कैसा भी मौसम क्यों न हो, यहाँ हैवलॉक में बढ़िया धूप और गर्मी थी। उसके ही हिसाब से मरी और देवयानी ने सफ़ेद रंग का फ्रेंच काफ्तान पहना हुआ था। पतले, मुलायम कपड़े से बना ये काफ्तान, पुट्ठों से बस थोड़ा ही नीचे आता है, लिहाज़ा लगभग पूरी टाँगें प्रदर्शित होती रहती हैं। डेवी ने कपड़े पैक करते समय यह सब नहीं सोचा था, इसलिए उसके लगेज में टी-शर्ट, शॉर्ट्स, स्विमिंग सूट, पजामा - ऐसे ही कपड़े थे। लेकिन बीच पर आनंद उठाने के लिए ये कपड़े नाकाफी थे (वैसे जिन लोगों को आनंद उठाना होता है, वो तो साड़ियों में भी आनंद उठा लेते हैं - वो अलग बात है)! इसलिए मरी ने ही अपना एक काफ्तान डेवी के साथ शेयर कर लिया था - उसका कहना था कि नई नई ब्राइड है, और उसको सेक्सी लगना बहुत ज़रूरी है। और अगर हनीमूनर्स ऐसे रिस्क नहीं लेंगे, तो और कौन लेगा? वैसे भी हनीमूनर्स अपने आस पास का ध्यान न रख कर आपस में ही मग्न रहते हैं, और लोगों को जलाते रहते हैं। डेवी का स्विमसूट एक मोनोकिनी था। दूकान से जो सबसे सेक्सी मोनोकिनी मिला था, वो हमने ले लिया था। लेकिन वो भी इतना डेरिंग नहीं था, जितना मरी का बीचवेअर था। अपने काफ्तान के नीचे दोनों लड़कियों ने अपने अपने स्विमसूट पहने हुए थे। हम दोनों - मतलब गेल और मैं - टी-शर्ट और नेकर पहने हुए थे। निकलने से पहले हमने सनस्क्रीन लोशन की बोतलें, पानी की बोतलें, पैक्ड सैंडविच और कुछ रुपए रख लिए थे। आईडिया यह था कि आज पूरे दिन मस्ती करेंगे, और कौव्वे जैसे काले हो कर ही लौटेंगे!
मुख्य बीच कब का पीछे छूट गया था, और एक लम्बी (पाँच मिनट लम्बी) पथरीली चट्टान को पार करने के बाद एक और छोटा सा बीच दिखा। पहले कभी वहाँ ज़हरीले साँप बहुतायत से होते थे - अभी बहुत कम होते हैं। हाँ, अगर जगह निर्जन है, तो साँपों से मुलाकात की सम्भावना बढ़ जाती है - कहीं भी! वैसे, ग्रीन ब्रोंजनेक नाम का हरे रंग का साँप आपको बहुत दिखेगा वहाँ। ज़हरीला नहीं होता। रिसोर्ट से निकलने से पहले लोगों ने बताया था कि एलीफैंट बीच पर हाथियों से मुलाकात हो सकती है, इसलिए खाने की सामग्री को बरसाती में अच्छी तरह से लपेट कर रखें, जिससे उनको खाने की महक न आए। नहीं तो वो खींचे चले आएँगे। बीच पर पहुँच कर हमने एक सुरक्षित स्थान (पेड़ की डाल) देख कर उस पर अपने कपड़े और बैग्स रखे। अपना स्विमिंग फिन पहना और स्नॉर्केलिंग मास्क लगा कर पानी में उतर गए।
पानी के अंदर जाते ही एक अलग ही दुनिया का नज़ारा हो आया! न जाने कितनी वैराइटी की, रंग बिरंगी एंजेलफिश! अद्भुत नज़ारा! हम तो इतने से ही एक्ससाइट हो गए। तैरते हुए हम कोरल रीफ़ के मुहाने पर पहुँचे - ध्यान से देखने पर रीफ़ में मौजूद ‘शूक’ खुल और बंद हो रहे थे। दूर से देखने पर लगता है कि कोरल रीफ़ मृत हैं, लेकिन उनमे जीवन होता है। मृत होने का एक ही चिन्ह है - अगर उनका रंग सफ़ेद पड़ गया हो तो! रीफ का रंग सुन्दर सा था, और इसका मतलब था कि वो फिलहाल स्वस्थ हैं! वहाँ तो अनगिनत प्रकार की छोटी बड़ी मछलियाँ थीं - जैसे स्टारफिश, पैरेटफिश, बटरफ्लाई फिश, समुद्री घोंघा (सी कुकुम्बर), पर्पल-लिप्ड क्लैम, क्रिसमस ट्री वर्म्स, इत्यादि! बीच पर समुद्र तल की गहराई मुश्किल से दो फ़ीट होती होगी, लेकिन थोड़ा ही आगे तैर कर जाने पर समझ आ गया कि समुद्र ताल कम से कम बारह पंद्रह फ़ीट गहरा है! ऐसी गहराई में देखना बड़ा ही सम्मोहक सा लगता है। हम चारों में से कोई भी जब कोई नई मछली, या कोई नया जीव देखता, तो उत्साह से सभी को इशारों से बताता! सच में, कोई डेढ़ घंटा पानी में रहने पर भी ध्यान ही नहीं रहा कि इतनी देर हम पानी में रह लिए! एक स्वर्ग कश्मीर में है, और दूसरा यहाँ - अंडमान में - पानी के ऊपर और पानी के नीचे भी!
तैराकी करना एक थकाऊ काम है। पानी में अवश्य ही अपने शरीर का भार कम लगता है, लेकिन शरीर से काफ़ी ऊर्जा निकल जाती है। उससे शरीर का तापमान कम हो जाता है, और तापमान को मेन्टेन करने के लिए शरीर में संचित ऊर्जा तेजी से जलती है। और इस कारण लगती है भूख। हमको भी भूख लगने लगी थी, इसलिए तैर कर वापस हम सभी बीच पर आ गए। वापस आने में भी पाँच मिनट लग गया। पानी से निकलते हुए ऐसा लगा कि जैसे मेरे ऊपर किसी ने बीस पच्चीस किलो अतिरिक्त बोझ टाँग दिया हो! समुद्र के नमकीन पानी में उत्प्लवन का यह असर होता है।
बाहर आते हुए अपना मास्क उतार कर गेल उत्साह से बोला, “वास दैट नॉट ऐन इनक्रेडिबल एक्सपीरियंस? द फिश वर अमेजिंग... एंड द कोरल्स टू!”
“इनडीड,” हम सभी ने उसकी हाँ में हाँ मिलाई - सच में आनंद आ गया था, “दैट वास ऐन अमेजिंग स्विम!”
चलते चलते गेल और मरी ने अपने पिछले स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्केलिंग के अनुभवों के बारे में हमको बताया। उन्होंने यह भी बताया कि उनको यहाँ वही अनुभव मिला जैसा कि किसी उत्तम स्नॉर्केलिंग स्थान पर मिलता है। वो लोग कई साल पहले ग्रेट बैरियर रीफ गए थे, और उनके हिसाब से अंडमान में उनको जो अनुभव मिला, वो वहीं के समान था! बहुत अच्छी बात थी भाई! हम भी यहाँ आ कर बहुत खुश हुए - यह एक नया अनुभव था। साफ़ सुथरा, समुद्री पानी, उसमे स्नॉर्केलिंग करना, ऐसे साफ़ बीच पर आनंद उठाना! छुट्टियाँ ऐसी होनी चाहिए! हनीमून ऐसा होना चाहिए!
कम सामान लाने के चक्कर में लड़कियों ने अपने लिए चेंज कपड़े रखे ही नहीं थे। हम दोनों आदमियों ने अपने कपड़े उतार दिए थे, और चड्ढी पहन कर समुद्र में गए थे, लेकिन दोनों लड़कियाँ स्विमसूट पहन कर आई थीं, लिहाज़ा उनके पास चेंज के नाम पर वो काफ्तान था, और अपनी अपनी चड्ढियाँ! अगर आपको स्विमसूट पहनने का अनुभव हो, तो आपको मालूम होगा कि पॉलीएस्टर और एलास्टेन से बना हुआ यह कपड़ा अगर समुद्री नमकीन पानी से भीग गया हो, और उसको खिली धूप में पहना जाए तो ऐसा लगता है कि जैसे स्किन पर आग लग गई हो! इसीलिए यह आवश्यक होता है कि समुद्र में तैराकी के बाद सामान्य पानी से नहा लिया जाए कि शरीर पर लगा नमक धुल जाए। लेकिन यहाँ पर सामान्य पानी लाएँ तो कहाँ से लाएँ?
हम लोगों ने पेड़ से अपना सामान उतारा और फिर नारियल पेड़ों के एक गुच्छे के नीचे छाँव में आ कर बैठ गए। मरी ने न तो आव देखा न ताव, और अपना स्विमसूट उतारने लग गई। उसको ऐसा करते देख कर मुझे और देवयानी - दोनों को ही शॉक लगा!
‘बाप रे’!
लेकिन ऐसा शॉकिंग काम भी नहीं था - सवेरे ही मरी डेवी के सामने नग्न ही थी, और गेल भी। मैंने गेल की ओर देखा। वो भी सामान्य ही था - जैसे कि मरी जो कर रही थी, वो ऐसी बात नहीं थी कि उस पर आश्चर्य किया जाए।
मरी ने टू पीस बिकिनी पहना हुआ था। उसको उतारना कोई कठिन काम नहीं था। जब वो नग्न हो गई, तब मैंने उसके शरीर के बारे में जो अनुमान लगाया था, वो सही साबित हुआ। मरी के स्तन डेवी के मुकाबले छोटे थे, और थोड़ा लटके हुए थे। डेवी के स्तन उसकी अपेक्षा बड़े थे, फर्म थे, और गुरुत्वाकर्षण का उन पर अभी तक कोई असर नहीं हुआ था। हाँ, उसके चूचक अपने गोलार्द्धों के मुकाबले थोड़े लम्बे लग रहे थे। उधर मरी नग्न हुई तो गेल ने भी अपनी चड्ढी उतार दी। उसका लिंग अर्धस्तम्भित था, और मैंने अनुमान लगाया कि पूर्ण स्तम्भन होने पर उसका लिंग मेरे लिंग से थोड़ा बड़ा ही रहेगा। मन में थोड़ा जलन जैसा महसूस हुआ। लेकिन जो प्रकृति प्रदत्त है, उस पर अपना क्या ज़ोर? लेकिन इस बात से मुझको दिलासा मिला कि उसके लिंग का आकार मेरे लिंग के जैसा ही था। और जाहिर सी बात है कि वो गोरा था, इसलिए उसका लिंग भी गोरा था।
दोनों पति-पत्नी नग्न हो कर अब हमारी तरफ़ मुखातिब थे, कि अब हम भी उन्ही का अनुसरण करते हुए नग्न हो जाएँ। पहल मैंने ही करी - मैंने भी अपनी चड्ढी उतार दी। मरी एक सुन्दर लड़की थी, इसलिए उसकी उपस्थिति में मेरे लिंग में भी हलचल शुरू होने लगी। सबसे अंत में देवयानी ने नग्न होना शुरू किया। सबसे पहली बात तो यह थी कि वो तीन जोड़ी आँखों के सामने नग्न हो रही थी, और उसको यह काम करने में सबसे अधिक समय लेना था। उसकी मोनोकिनी उतारने में अधिक समय लगता। और उस पूरे समय गेल और मरी की आँखें उसी पर जमी हुई थीं - जैसे कि दोनों डेवी के शरीर की नाप तौल कर रहे हों! इधर डेवी के शरीर से कपड़े उतर रहे थे, और उधर गेल के लिंग में रक्त भरता चला जा रहा था। मुझे ईर्ष्या तो हुई - यह स्वीकारने में मुझे कोई शर्म या हिचक नहीं है।
‘स्साला मेरी बीवी को देख कर इसको ठरक चढ़ रही है!’
लेकिन मेरी भी हालत उससे कोई अलग नहीं थी - दो दो सेक्सी और नग्न लड़कियों की उपस्थिति में मैं भी अब तक पूर्ण स्तंभित हो गया था। मुझे भी तो उसकी बीवी को देख कर ठरक चढ़ रही थी! दिमाग में डेवी की बात भी घूम रही थी। मज़े की बात है न - अपनी बीवी और दूसरे की बीवी को ले कर हमारे मापदंड कैसे अलग हो जाते हैं! हाँ - एक बात है। उम्र में छोटा होने के कारण, मेरा स्तम्भन तेजी से हुआ था। इस बात पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं था। मैं तो तेजी से ‘रेडी फॉर एक्शन’ हो गया था। मरी सुन्दर थी - कोई मॉडल टाइप सुन्दर नहीं - लेकिन सुन्दर। आकर्षक भी। वैसे भी, नग्न स्त्री, जिसकी देहयष्टि सुगढ़ हो, वो सुन्दर ही लगती है। आदमी को बहुत ख़ास दरकार नहीं होती। हमारी ज़रूरतें बहुत कम होती हैं! हा हा हा!
अब हम चारों जने पूरी तरह से नग्न थे, और एक दूसरे के सम्मुख थे। अचानक ही हमारे आस पास का माहौल बेहद कामुक हो गया - दो पूर्ण नग्न लड़कियाँ, और उनको भोगने के लिए तत्पर दो मर्द! कोई कुछ बोल नहीं रहा था - सभी ने बोलना एक दूसरे पर छोड़ रखा था। भूख भी लग रही थी - खाने वाली भूख! मरी पालथी मार कर बैठ गई - शायद वो ज़मीन पर वैसे ही बैठती होगी। लेकिन उस अवस्था में बैठने से उसकी योनि का द्वार थोड़ा खुल गया। सामन मछली के रंग की योनि बड़ी लुभावनी लग रही थी। गोरी लड़कियों की योनि सामन मछली के रंग के ही विभिन्न शेड्स से मिलती जुलती होती हैं! उनके चूचक और एरोला भी गोरे होते हैं - हलके भूरे, लालिमा लिए! मरी को अपने सामने यूँ बैठे देख कर मेरा लिंग झटका खाने लगा - स्वतः! उसकी यह हरकत बेहद बेशर्म, आवारा, और अभद्र किस्म की थी - लेकिन क्या करूँ? अभी भी उस पर नियंत्रण रखना मुझे आया नहीं था। आवश्यकता ही नहीं पड़ी थी। मुझको अक्सर ही विल्लिंग पार्टनर्स मिलते रहे। मेरे लिंग को झटके खाते हुए सभी ने देखा। मरी ने अपनी मुस्कान दबा ली। डेवी के चेहरे पर उसकी प्रतिक्रिया मैं नहीं देख सका।
गेल मेरी तरफ़ थोड़ा झुक कर, मेरे कान में फुसफुसाया, “हे, इस मरी कॉसिंग इट? हम्म? यू नो व्हाट, लेट हर रिलीव इट्स टेंशन! इफ... इफ एर्म यू नो, योर वाइफ डसन्ट माइंड?”
‘क्या?’ मेरा दिमाग सन्न रह गया!
बस कुछ देर पहले ही तो मैं और डेवी इसी बारे में बात कर रहे थे - मतलब क्या गेल भी देवयानी में इंटरेस्टेड है? ये तो सौदा हो गया लगता है। वाइफ स्वैपिंग सुना था मैंने। कुछ वर्षों पहले एक हिंदी मैगज़ीन में पढ़ा था - पति-पत्नी की अदला बदली : मज़ा लेने का नया शगल! यही टाइटल था उस स्टोरी का शायद। उसमे बताया था कि कैसे शादी शुदा जोड़े अपने अपने साथियों को दूसरे के साथ एक रात के लिए बदल लेते हैं। कोई कमिटमेंट नहीं - बस मज़ा! लग रहा था कि शायद डेवी भी उसी लेख से प्रभावित हो कर यह नया अनुभव लेना चाहती थी। बढ़िया! अचानक ही अपनी डेवी को गेल को देना मुझे ‘उतना’ बुरा आईडिया नहीं लग रहा था। बदले में मुझे गेल की मरी भी तो मिल रही थी!!
nice update..!!नया सफ़र - विवाह - Update #17
मैंने देवयानी की तरफ देखा। वो नर्वस हो कर मुस्कुरा रही थी। लेकिन अपनी नग्नता छुपाने का वो कैसा भी प्रयास नहीं कर रही थी। लड़कियाँ समझ रही थीं कि उनके हुस्न का जादू हम दोनों मर्दों पर बिलकुल सही काम कर रहा था। सच कहूँ - यह काम मेरी पूरी उम्र का सबसे ज़ुर्रत भरा काम रहा है आज तक! गेल और मरी के साथ एक तरह की सुरक्षा भी थी - आज हम साथ थे, और दो दिनों बाद नहीं! फिर किसने किसको देखा भला? मतलब हमारी प्राइवेसी भी खतरे में नहीं पड़ने वाली थी। सब सही लग रहा था अचानक से ही!
“इन फैक्ट,” गेल बोल रहा था, इस बार थोड़ा ऊँची आवाज़ में, जिससे हम सभी ठीक से सुन लें, “आई सजेस्ट दैट यू कैन हैव मरी टुडे... एन्जॉय विद हर!” फिर थोड़ा रुक कर, “ऑफ़ कोर्स, इट वुड बी ग्रेट इफ डेवी कुड कम विद मी?” उसने कहा, और बड़ी उम्मीद से देवयानी की तरफ देखने लगा।
“आई डोंट नो,” डेवी बेसाख़्ता बोल पड़ी - उसको ऐसे अचानक ही वाइफ स्वैपिंग का ऑफर मिलने की उम्मीद नहीं थी।
“हे, इट्स ओके!” गेल बोलने लगा। उसको लगा कि शायद हम दोनों - या कम से कम देवयानी उसकी बात का बुरा मान गई थी। हम दोनों में से कोई भी अभी तक कुछ नहीं बोला था।
“नो! वेट! आई मीन... आई वुड आल्सो लाइक टू बी विद मरी!” देवयानी हँसने लगी!
“व्हाट!” गेल, मैं और मरी - तीनों ही डेवी की बात पर बोल पड़े!
‘ये क्या हो गया डेवी को?’
मरी हँसने लगी। लेकिन बेचारे गेल की हालत ऐसी हो गई कि मुझको उसके ऊपर दया आ गई!
‘बेचारा!’
उसको कितनी निराशा हुई होगी न? लेकिन फिर भी उसने किसी तरह से अपना धैर्य और स्थिरता बनाये रखा।
“ऐट लीस्ट लेट मी वाच?”
“ओह यू पुअर बॉय!” देवयानी कहने लगी, “डोंट लूज़ होप सो फ़ास्ट! आई वास् ओन्ली जोकिंग!”
“सो यू डोंट माइंड?” गेल की आँखों में अचानक ही चमक आ गई।
“नॉट ऐट ऑल! यू आर हैंडसम - लेस दैन माय हस्बैंड - बट हैंडसम ननदलेस!” फिर डेवी मुझसे बोली, “हनी, आर यू ओके?”
“इफ यू आर!” मैंने पूरी ईमानदारी से कहा - डेवी को यह अनुभव चाहिए था, मुझे नहीं।
उसने कुछ पल सोचा, फिर बोली, “जानू, तुम आज मरी के साथ... कर लो! आई मीन...,” डेवी ने अंग्रेजी में कहा जिससे सभी समझ सकें, “यू बी विद मरी टुडे! मेक लव टू हर! एंड गेल, यू कैन बी विद मी!”
“ओह ग्रेट,” मरी बोली, “नाऊ दैट व्ही हैव डिसाइडेड द अरेंजमेंट्स, कैन व्ही ईट समथिंग? आई ऍम वैरी हंग्री!”
“ओह मी टू! आवर हस्बैंड्स हैव ओनली वन थिंग इन दीयर माइंड्स! हा हा हा हा!” डेवी हँसने लगी।
“आई नो! आई हैव बीन वॉन्डरिंग व्हेन व्ही आर गोइंग टू ईट आवर सैंडविचेस... एंड दे जस्ट वांट टू स्टफ अस!” मरी भी हँसते हुए बोली।
इस हंसी मज़ाक से माहौल थोड़ा हल्का हो गया। झिझक थोड़ी कम हो गई। हमने आराम से खाना खाया। हम चारों आपस में थोड़ा और खुल गए, और खाना खाते हुए अपने अपने बारे में थोड़ा और बातें शेयर करने लगे। सैंडविच के साथ केवल पानी था - जो कि काफ़ी था। लेकिन एक बार मन में आया कि काश सोडा होता, तो थोड़ा अच्छा लगता। कुछ देर में खाना जब ख़तम हो गया, तो मरी ने मुझसे कहा,
“अमर, लेट अस गो अंडर दैट ट्री! लेट अस गिव दीस टू सम प्राइवेसी!”
उसकी बात पर मेरा दिल निचुड़ गया। अचानक ही इस बात की अहमियत कम हो गई कि डेवी के बदले मरी भी मिल रही है। ये आदमी का मन भी न - बड़ा लालची होता है। अपनी जो जा रही है, उसकी क़ीमत अधिक है... दूसरे की जो मिल रही है, उसकी क़ीमत कम! दोनों मिलतीं, तो ख़ुशी होती।
मनोविज्ञान के खेल अनोखे।
मैंने एक नज़र डेवी की ओर देखा - उसने मुझे मुस्कुरा कर एक फ्लाइंग किस दी। मैंने भी एक जबरन वाली मुस्कान दी, और भारी पैरों से मरी के पीछे पीछे चल दिया। जो पेड़ मरी ने दिखाया था वो गेल और डेवी से कोई पंद्रह मीटर दूर था। इतनी दूरी से न केवल उनको प्राइवेसी मिलती, बल्कि हमको भी! मरी वहाँ छाँव में बैठ गई। मैं पीछे धीरे धीरे आ रहा था। मेरे चेहरे का भाव उसने पढ़ लिया, और बोली,
“ओह अमर, प्लीज डोंट बी लाइक दैट! आई ऍम नॉट सच अ बैड कंपनी!”
“आई ऍम सॉरी, मरी! इट इस जस्ट दैट आई हैव नॉट बीन विदाउट डेवी सिन्स व्ही मैरीड!”
“आई नो! एंड इट इस अ गुड थिंग! आई प्रॉमिस दैट आफ्टर टुडे, योर रिलेशनशिप विल ओन्ली ग्रो स्ट्रांगर!” वो प्यार से मुस्कुराई, “शी लव्स यू वैरी मच! एंड यू टू! दैट इस व्हाई यू कैन अलाऊ ईच अदर टु एक्सपीरियंस दिस!”
“सो दैट मस्ट बी ट्रू फॉर यू एंड गेल एस वेल?”
“यस - व्ही लव ईच अदर वैरी मच! व्ही हैव बीन इन आवर रिलेशनशिप फॉर अ लॉन्ग टाइम, एंड मैरिड फॉर इवन लॉन्गर टाइम! एंड स्टिल व्ही कैन एक्सपेरिमेंट टू स्पाइस अप थिंग्स इन आवर मैरिज!” उसने कहा, और बड़ी अदा से मुस्कुराई, “नाऊ कम, गेल विल टेक केयर ऑफ़ योर वाइफ! डोंट वरी! यू फोकस ऑन मी!”
उसने जिस अदा, जिस सेक्सीपन से यह बात कही, उससे मेरी झिझक और मेरा सेंस ऑफ़ लॉस लगभग ख़तम हो गया। हाँ - मरी एक आकर्षक लड़की थी। और उससे सेक्स करने में आनंद अवश्य आएगा।
खिली खिली धूप थी और पेड़ की छाँव के कारण अच्छा लग रहा था। नीचे रेत भी बड़ी साफ़ सुथरी और नरम गरम जैसी थी। अच्छा था! मरी ने सनस्क्रीन लोशन की बोतल निकाली, और एक बड़ा सा सर्विंग निकाल कर हाथ में चुपड़ते हुए बोली,
“लेट अस फर्स्ट अप्लाई दिस! व्ही डोंट वांट आवर स्किन्स टू बर्न!”
मरी ने बड़ी फुर्सत से मेरे पूरे शरीर पर सनस्क्रीन लोशन लगाया। मैंने भी फिर मरी के पूरे शरीर पर लोशन लगाया। यह आवश्यक था। नहीं तो कड़ी धूप में त्वचा के जलने का डर रहता है - और वो अनुभव बहुत पीड़ादायक होता है। एक दूसरे को छूने से एक अंतरंगता आती है, सहजता आती है। हम दोनों लोशन के आदान प्रदान में हँस रहे थे, बातें कर रहे थे। मन में आया कि देखूँ तो डेवी क्या कर रही है, तो कनखियों से मैंने उस तरफ देखा। गेल उसके स्तनों से खेल रहा था। उनको चूम रहा था।
मरी ने देखा कि मैं क्या देख रहा हूँ।
वो हल्की और लगभग भर्राई हुई आवाज़ में बोली, “इट समहाऊ डस नॉट फ़ील राइट दैट व्ही आर बींग इंटिमेट, नेक्स्ट टू आवर स्पाउसेस! बट आई स्टिल कैन नॉट कण्ट्रोल माइसेल्फ! आई फील लाइक अ फर्नेस इनसाइड! सो, यू डू व्हाटएवर यू लाइक विद मी - सक माय तेतों [स्तनों के लिए फ्रेंच शब्द] एंड ईट माय पुसी। देन फ़क मी सो हार्ड दैट आई फॉरगेट एवरीथिंग!”
मरी बोली, और मेरी तरफ पीठ कर के कुछ इस तरह हो ली, कि उसकी पूरी पीठ मेरे सामने सिमट गई, और उसके नितम्ब मेरे लिंग के दोनों ओर और मेरा लिंग उसकी योनि की लम्बाई पर फिट हो गए।
मरी की जोशीली काम लोलुपता देख कर मुझे डर सा लग गया - सेक्स पार्टनर उमंग में हो, तो बढ़िया लगता है। नहीं तो हर प्रकार के संकट होने के चांस होते हैं। कहीं उसको खुश न कर सके तो? कहीं वो सेक्स के दौरान उग्र हो जाए तो? और इसी प्रकार की कई बातें! लेकिन, वो जब होगा, तब देखेंगे।
मैंने पीछे से ही उसके एक चूचक को हलके से मसलते हुए पूछा, “आर यू रेडी?”
वो मेरी तरफ़ मुड़ कर और मेरे लिंग को पकड़ते हुए बोली, “इन द वर्स्ट सॉर्ट ऑफ़ वे!”
सनस्क्रीन लोशन लगा कर हम दोनों के शरीर एक दूसरे के ऊपर फिसल रहे थे। एक अलग ही तरह की महक आ रही थी हमारे शरीरों से - समुद्र के पानी की, धूप में सूखने की और लोशन की मिली जुली महक। बुरी नहीं, लेकिन अलग - लगभग कामुक! मैंने मरी को अपनी तरफ़ पलटा और उसके होंठों को चूमने लगा।
उसके होंठ बहुत कोमल थे : दक्षिण भारत में नारियल से मिलता जुलता एक फ़ल मिलता है, जिसको मुंजल बोलते हैं। मुंजल का फ़ीके सफ़ेद रंग का गूदा होता है - मीठा सा, और बेहद कोमल! बस, वैसा ही अनुभव हुआ मुझको! ऐसा लगा कि यदि ज़ोर से चूम लिया या चूस लिया, तो उसके होंठ उसके मुँह से उखड़ कर मेरे मुँह में आ जाएँगे। पैशनेट चुम्बन! कुछ ही देर में हम दोनों कामोत्तेजन के जोशीले उन्माद से भर गए। हमारे चुम्बन होंठों से हट कर गालों, ठुड्डियों, कान की लोलकियों और गर्दनों पर भी पहुँच गए। इतने में ही मरी के नथुने फड़कने लगे। खिली धूप में उसके नथुनों की लगभग पारदर्शी त्वचा का यूँ फड़कते देखना, मेरी पहले से ही बढ़ी हुई उत्तेजना की आग में घी का काम कर रही थी।
“ओह अमर! आई नीड यू इनसाइड मी सो मच!”
‘अभी कहाँ! अभी तो शुरू भी नहीं हुआ!’
मैं चूमते हुए उसके स्तनों तक पहुँचा। फोरप्ले में यह मेरा सबसे पसंदीदा काम है। अपनी प्रेयसी के स्तनों का आस्वादन किए बिना उसको भोगा नहीं जा सकता। अक्सर मैं अपनी प्रेमिकाओं/पत्नियों के चूचक पहले मुँह में लेता हूँ, और फिर उनको चूसता चूमता हूँ। लेकिन मरी के स्तनों पर पहुँच कर, मैंने अपने होंठों को अंग्रेज़ी ‘O’ के आकार में कर के और उसके दाहिने चूचक से सटा कर ज़ोर से चूसा - और जैसा कि मुझे उम्मीद थी, उसका चूचक मेरे मुँह में प्रविष्ट हो गया। मरी का चूचक भी उसके होंठों के ही समान था। कोमल! लेकिन दुर्भाग्यपूर्वक बात थी कि उसके मीठे स्वाद में लोशन का कसैला स्वाद मिल गया था। ओह, लेकिन उसके स्तनों में कैसी गर्मी थी! उसका चूचक मेरे मुँह में बड़ी तेजी से सख़्त होने लगा - मुझे आश्चर्य हुआ। कुछ ही देर पहले ये कितना कोमल अंग था, और अब! अब तक मैंने जितने भी स्तन पिए थे, उनमें से सबसे सख़्त चूचक मुझे मरी के ही लगे! ऐसा लग रहा था कि वो भी व्याकुल हो रहे थे कि मेरे नए प्रेमी - आओ, और हमको पियो! मरी भी पूरी तरह से इस खेल में मेरा साथ दे रही थी - उसने अपनी पीठ पीछे की तरफ थोड़ा झुका ली, जिससे उसके स्तन का अधिक से अधिक भाग मैं भोग सकूँ। उसके हाथ भी मेरे सर पर आ लगे, और कोमल दबाव बनाने लगे जिससे मैं जो कर रहा था, वो आनंद ले कर करता रहूँ। उसका शरीर अब मेरी मौखिक परिचर्या के कारण थिरकने लगा था।
“माय गॉड! इट इस सो मच लाइक माय फर्स्ट टाइम... ओन्ली इट इस हॉटर!” मरी हाँफते हुए बोली, “अमर, योर किसेस टिंगल फ्रॉम माय टीटीस टू माय फ़ीट! आई लव द वे यू फीड फ्रॉम माय ब्रेस्ट्स! आई फील सो मच लव फॉर यू!”
मैंने मरी के स्तन भोगते हुए कनखियों से गेल और डेवी की तरफ देखा - वो डेवी की योनि को प्रेम करने में व्यस्त था। डेवी ज़मीन पर लेटी हुई थी; उसकी टाँगें गेल की गर्दन के गिर्द लिपटी हुई थीं, और गेल उसको मुख मैथुन का आनंद दे रहा था! बढ़िया!
मैंने मरी के दोनों स्तनों को बारी बारी से कुछ देर भोगा। फोरप्ले लम्बा और आनंददायक हो, तो केवल पूर्वानुमान के मारे ही स्त्री कई बार चरम सुख प्राप्त कर लेती है। मेरा भी यही मंतव्य था - मरी को आज के सम्भोग से ऐसा आनंद आना चाहिए, कि वो इस अनुभव को ता-उम्र याद रखे। जब मैंने उसके स्तनों को छोड़ा, तब तक मैं भी पूरे आवेश में था। लेकिन अभी भी समय था। ऐसे ही चूमते हुए मैं नीचे की तरफ़ बढ़ा - उसके भगोष्ठों की ओर!
‘ओह भगवान्!’ उसके भगोष्ठ भी उसके होंठों के ही समान कोमल थे, और मुंजल फ़ल के जैसे चिकने भी। डेवी के ही जैसे मरी ने भी बिकिनी वैक्सिंग करवा रखी थी। और आज से नहीं - कम से कम बीस बाईस सालों से वो ऐसा कर रही होगी। वहाँ पर बाल बिलकुल नदारद थे, और त्वचा भी पूरी तरह से चिकनी थी। उसके जघन क्षेत्र में फॉलिकल्स अब नहीं थे। देवयानी ने अभी हाल ही में वैक्सिंग करवाई थी, इसलिए उसके थे। मुख मैथुन के पूर्वानुमान में मरी ने अपनी टाँगें ऊपर की तरफ खींच लीं और अपने टखनों को पकड़ लिया, जिससे मुझे आसानी हो।
ठीक है - मरी मेरे लिए एक तरीके से एक अनजान लड़की थी। अगर उसके साथ अच्छी जान पहचान रहती तो उसको अंतरंग तरीके से प्यार करने में अलग ही आनंद आता। उतनी झिझक न होती। लेकिन वो एक सेक्सी लड़की थी। इसलिए उसको मनोवांछित सुख मिलना ज़रूरी था, और इस समय उसका प्रेमी होने के नाते यह मेरा कर्तव्य भी था।
मैंने उसकी योनि द्वार की पूरी लम्बाई कोई बेहद धीरे - स्लो मोशन - में चाटना शुरू किया।
उसका प्रतिफल तुरंत आ गया : मरी की काँपती हुई, आह भरती हुई आवाज़ आई, “आह अमर, यू डोंट नो व्हाट यू डू टू मी!”
‘अरे, कैसे नहीं मालूम? इस पूरे क्रियाकलाप का कर्त्ता-धर्ता मैं हूँ, और ये कह रही है कि मुझको नहीं मालूम कि मैं उसको कैसा सुख दे रहा हूँ!’
कुछ देर उसको उसी समान चाटने के बाद, मैंने उसकी गुलाब की पंखुड़ियों को खोला। मेरी जीभ की परिचर्या से उसकी योनि पूरी तरह से स्टिमुलेट हो गई थी। उसका भगशिश्न पूरी तरह से उत्तेजित हो कर अपने उग्र रूप में आ गया था। उसके अंदर का रंग सुर्ख़ गुलाबी हो चला था। योनि-मार्ग का लयबद्ध संकुचन साफ़ दिखाई दे रहा था। मरी की उत्तेजना अपने शिखर पर थी। अगर वो अभी तक अपना चरम-सुख नहीं प्राप्त कर पाई थी, तो बस प्राप्त करने ही वाली थी।
मैंने उसके भगशिश्न अपनी जीभ की नोक से तीन चार बार बस छेड़ा ही था कि उसकी उत्तेजना के केटापुल्ट [एक तरह का प्राचीन रोमन अस्त्र, जो भारी भरकम पत्थर खण्डों को दुश्मनों पर फेंकने के काम आता था] ने उसको चरम-सुख के अंतरिक्ष में फेंक दिया। कामोत्तेजना से उसके दोनों पैर हवा में उठ गए।
“ओह गॉड! अमर! यस्सस...” उसके मुँह से जैसे तैसे निकला।
अगर अंतरिक्ष तक जाने में समय लगता है, तो वहाँ से वापस आने में भी समय लगता है। मरी का यह पहला ओर्गास्मिक आनंद देर तक चला। उसका शरीर थर थर काँप रहा था, उसके होंठ आपस में भिंचे हुए थे, उसकी आवाज़ें घुट घुट कर आ रही थीं, उत्तेजना की लालिमा उसके पूरे शरीर पर फ़ैली हुई थी, और उसका पूरा शरीर पसीना पसीना हो गया था! इसको कहते हैं काम की नदी में नहाई स्त्री! लोहा गर्म था!
उसकी योनि से एक पारदर्शी द्रव निकल रहा था! मैंने मुँह लगा कर उसके रस को चूस लिया, और जीभ से ही उसके साथ मैथुन करने लगा। अवश्य ही वो आनंद के अंतरिक्ष में थी, लेकिन मेरे ऐसा करते ही उसके दोनों पैर वापस ज़मीन पर आ टिके। वो जो मन चाहे, करे - लेकिन मैंने उसको उसी तरह से भोगना जारी रखा। उसकी योनि में मेरी जीभ जितनी अंदर जा सकती थी, मैंने उतने अंदर डाला - और रह रह कर उसके भगशिश्न को भी छेड़ता रहा। यह खेल मुश्किल से दो तीन मिनट ही चला होगा कि अपनी जाँघों को मेरे चेहरे के दोनों तरफ़ दबाते हुए वो हिसहिसाई,
“माय गॉड, आई ऍम कमिंग अगेन! आई कांट बिलीव इट!”
जाहिर सी बात है, वो हिसहिसाई तो नहीं थी - बल्कि चीखी थी। उसकी जाँघों के कारण मेरे दोनों कान ढँक गए थे, लेकिन फिर भी मुझे वो बात सुनाई दे गई। मुझे ही क्या, गेल और डेवी को भी पक्का सुनाई दे गई होगी!
ओर्गास्म की दोहरी मार से मरी पस्त हो गई - अब उसके शरीर पर उसका खुद का नियंत्रण नहीं था। जैसे उसके शरीर को लकवा मार गया हो, और मष्तिष्क समाधि की अवस्था में हो! उसकी योनि से कामरस निर्बाध हो कर बह रहा था। मुझे उसका स्वाद अच्छा लगा, इसलिए मैंने उसके मधु को फिर से पीना शुरू कर दिया। वाकई - मरी का योनि-मधु पीना बहुत इरोटिक काम था। डेवी को हाँलाकि मैं इस समय नहीं देख पा रहा था, लेकिन उसकी हालत भी कमोवेश मरी के जैसी ही थी। मुझे उसकी कराहों की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं। और आश्चर्यजनक रूप से मुझे अच्छा लगा कि देवयानी अपने इस अनुभव से आनंदित थी। मैंने मरी का योनि-मधु पीना जारी रखा।
थोड़ी देर में मधु का स्राव समाप्त हो गया, तो मैंने अपनी जीभ को उसकी योनि में बदमाशी में तेजी से चलाई,
“ओह अमर!” मरी फिर से चीखी, “यू मेक मी फील सो परवर्टेड! एंड आई लव इट!”
“यू लव इट?”
“यू आर इनसेन!” वो बोली, “आई ऍम फ्लोटिंग इन ईथर!”
मरी दो बार चरमोत्कर्ष प्राप्त कर चुकी थी, और अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था। पिछले एक घंटे से मैं मरी के अंदर जाने को तत्पर था। मरी के स्खलन को देख कर मैं फिर से तैयार हो गया था और मेरा लिंग पूरे उत्साह से स्तंभित था। मैं उठा, और उसके दोनों टखनों को पकड़ कर मैंने उसके पैरों को अपने दोनों कन्धों पर रख दिया और लिंग को उसके मुहाने पर पलग कर धक्का दिया। पहले ही धक्के में आधे से अधिक लम्बाई मरी के अंदर प्रविष्ट हो गई। इस अचानक हुए अंतर्वेधन से वो चिहुँक गई। लेकिन उसने मेरी ही ताल में ताल मिलाते हुए अपनी कमर चलाई - मैं रुका हुआ था, इसलिए उसकी हरकत से मेरा पूरा लिंग अब उसके अंदर समाहित था।
“ओह गॉड, अमर,” वो कराहते हुए बोली, “यू जस्ट टोर मी ओपन!”
“इट इस माय टर्न नाऊ!”
“यस हनी, एंड आई विल मेक यू वैरी हैप्पी! फ़क मी!”
अन्तः मेरा और मरी का सम्भोग शुरू हो गया। मरी के अंदर जैसे आग लगी हुई थी - उसकी योनि कितनी गर्म महसूस हो रही थी यह बता पाना संभव नहीं है! दो दो चरमोत्कर्ष का अनुभव, और अपने पति के अलावा किसी अन्य पुरुष के द्वारा भोगा जाना - शायद यही कारण रहे होंगे इस बात के! उसकी योनि की लम्बाई ने मेरे लिंग की लम्बाई को अच्छी तरह से निचोड़ा हुआ था। हर धक्का आनंददायक था। मरी फ्लेक्सिबकल भी बहुत थी - वो अपने पैरों को देवयानी के मुकाबले कहीं अधिक खोल पा रही थी, और अपनी पीठ को वो ऐसे असंभव तरीके से मोड़ सक रही थी कि उसको भोगना एक अद्भुत अनुभव बन गया था। उसने इस बात की पुष्टि भी करी,
“ओह अमर, यू आर गोइंग सो वैरी डीप!”
मैं पूरे उत्साह से, और बलपूर्वक धक्के लगाता रहा। कभी कभी आश्चर्य होता है कि ऐसी नाज़ुक नाज़ुक स्त्रियाँ कैसे इस तरह के बलशाली और असह्य प्रहार झेल लेती हैं! मरी नीचे से मेरा उत्साहवर्द्धन करती जा रही थी, और हर धक्के के साथ ही साथ ‘आई’ ‘आई’ की आवाज़ें भी निकाल रही थी। जानबूझ कर मैं गहरे गहरे धक्के लगा रहा था। मरी के शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी (लचीलापन) एक तरह से मुझे वैसा करने को अलाऊ भी कर रही थी। इस समय कामतिरेक से मरी की पीठ ज़मीन से एक धनुष के समान उठ गई, और वो कामुकता से अपने ही स्तनों को दबाने लगी। ऐसे में मैं उसके और भी अंदर तक जाने लगा।
“अमर,” वो हाँफते हुए बोली, “अमर... यू आर थम्पिंग अगेंस्ट माय ब्लैडर! आई... आई थिंक... आई विल पी माइसेल्फ!”
‘मज़ाक कर रही है क्या लड़की?’ मैंने सोचा!
इस समय तो मैं ऐसी अवस्था में था कि मृत्यु भी सामने आ जाए तो भी सम्भोग करना रोक नहीं सकता था। अब तो बिना स्खलन हुए यह काम रुकने वाला नहीं था मुझसे!
“देन डू इट...” मैंने धक्के लगाने जारी रखे, “बिकॉज़ आई ऍम नॉट स्टॉपिंग!”
मैं बलशाली काम-वासना से ज़ोरदार धक्के लगाता रहा। उसको भोगने का मेरा तरीका इतना बलशाली था कि हर बार जब मैं बाहर की तरफ़ निकलता, तो लिंग के वेग के साथ साथ उसके भगोष्ठ भी काफी बाहर निकल आते। देखने वालों को एक तरह का अश्लील प्रदर्शन लगेगा! लेकिन मरी और मेरे सम्भोग के एक अलग ही तरह का पैशन था इस समय! और फिर वो घटित हुआ, जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की!
मैंने धक्का लगाया ही था कि मरी के मूत्रद्वार से मूत्र की धार छूट पड़ी!
‘ओह, मतलब वो सही कह रही थी!’ मैंने सोचा।
लेकिन अभी भी रुकने का कोई सवाल नहीं था - अब तो बिलकुल भी नहीं! यह बात अनोखे रूप से इरोटिक थी - मेरे सम्भोग का तरीका ऐसा था कि मरी का अपने शरीर पर वश पूरी तरह से समाप्त हो गया था। यह मेरी शक्ति का एक अनोखा प्रदर्शन था! मुझे यह सोच कर गर्व की अनुभूति हुई। धक्के बदस्तूर जारी रहे। शर्म, काम-पिपासा, और पैशन - इन सभी बातों के मिले जुले प्रभाव हम दोनों के ही ऊपर देखे जा सकते थे। जल्दी ही मुझे भी अपना ओर्गास्म बनता हुआ महसूस हुआ। मरी को भी लगा कि मैं स्खलित होने ही वाला हूँ।
“आर यू रेडी टू कम हनी? हम्म? कम इनसाइड मी... एस डीप एस पॉसिबल!”
“याह!”