If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.
और भौजी यही तो चाहती थी , वो मुड़ी और जो कल उन्होंने अनुज के साथ किया था वही मंटू के साथ जिसने उनका नाडा तोडा था ,
वहीँ आँगन में पटक कर , और उसके ऊपर चढ़ कर ,
खूंटा तना हुआ था ,
बस देवर भौजी की असली होली , अबकी एक झटके में भौजी ने देवर का सुपाड़ा गप्प कर लिया।कम्मो ने मान लिया , देवर की ताकत खूब बड़ा और उतना ही कड़ा सुपाड़ा ,
लेकिन बिना रगड़े ललचाये,
और ऊपर चढ़ के तो एक से एक पहलवानों , तगड़े से तगड़े मरदो का पानी छुड़ा देती थी , ये तो बेचारा नया बछेड़ा , लेकिन उसको रगड़ने में कम्मो को बहुत मजा आ रहा था ,
बस कस कस के उसने अपनी बुर में सुपाड़े को कस के भींचना शुरू कर दिया , पहले धीमे धीमे , फिर कस कस के ,
दोनों हाथों से कस के उसने मंटू के हाथों को कस के दबा लिया था ,
" भौजी करो न , करो न , " नीचे से उचकने की कोशिश कर रहा था वो पर कम्मो की पकड़ ,
थोड़ी देर तक उसे तड़पाने के बाद, कम्मो चालू हो गयी ,
" चल साले बहनचोद , अपनी सब बहनों का नाम बता तभी आगे धक्का मारूंगी , वरना ऐसे तड़प "
और साथ में दबे , नीचे पड़े किशोर देवर के निप्स कस कस के अपने नाख़ून से नोचने शुरू कर दिए ,
कुछ दर्द से कुछ मजे से वो सिसक रहा था , चीख रहा था ,
" चल बोल स्साले , अरे नाम बोल चोदने को नहीं बोल रही हूँ , बहनचोद , तेरी बहनो को चोदने के लिए हमारे गाँव वाले बहुत हैं बोल "
और मंटू ने नाम गिना दिया , कम्मो को मालूम तो था ही लेकिन फिर उसने बात आगे बढ़ाई ,
" अरे स्साले चल तेरी ममेरी , चचेरी , मौसेरी फुफेरी ,सब छिनार का नाम ले , वरना अभी उठ जाउंगी ,... "
और अभी तक रंग लगाने का कम्मो का मौका नहीं मिला था वो भी , ... आँगन में बह रहा रंग , पड़ी पुड़िया , पेण्ट की ट्यूब , सब की सब मंटू के सीने पर , पेट पर ,
मंटू ने नाम लेना शुरू किया और कम्मो ने सब का नाम ले ले के गरियाया और अब एक बार कस के धक्का ,
एक बार में ही आधा से ज्यादा लंड , कम्मो की बुर में , लेकिन कम्मो फिर रुक गयी , दोनों लौंडों ने जितना रंग उसके जोबन पर लगाया था सब रगड़ रगड़ कर उसी जोबन से देवर के गाल पर
और साथ साथ थोड़ी पकड़ ढीली की , अब नीचे से मंटू के धक्के भी चालू हो गए , जैसे सावन का झूला दोनों ओर से पेंग , एक धक्का कम्मो मारती तो दूसरा मंटू मारता , सटासट , गपागप , और बीच बीच में कम्मो रुक के , अपनी बुर में कस के उसके खूंटे को भींचती दबाती निचोड़ती ,
और फिर एक बार आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर निकाल कर , ... एक पल के लिए रुक कर , एक बार फिर कस के मंटू का हाथ पकड़ कर , क्या करारा धक्का मारा उसने ,
क्या कोई मर्द ऊपर चढ़ा ऐसा धक्का मारता जो ताकत कम्मो ने दिखाई , और एक बार में ही मंटू का सात इंच का पूरा खूंटा कम्मो ने घोंट लिया , एकदम जड़ तक ,
और जब मंटू का पूरा बांस एक बार में कम्मो के ,... तो एक बार कम्मो भी ,... जब सुपाड़ा उसकी बच्चेदानी से टकराया तो उसकी भी चूल हिल गयी , लंन्ड एकदम जड़ तक घुसा धंसा ,
कुछ देर तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे , फिर अबकी पहल नीचे से मंटू ने ही की , धक्के मारने की , और कुछ देर तक कम्मो सिर्फ साथ देती , फिर कम्मो धक्का मारती तो मंटू बस साथ देता ,
उनकेबीच हो रही धका पेल चुदाई को देख कर उसका मन मचल रहा था , खूंटा उसका भी जबरदस्त खड़ा था , लेकिन उसका इरादा कुछ और था , उसने और मंटू ने मिल कर कई बार ' जुगलबंदी ' की थी , लेकिन कम्मो भौजी की बात और थी , एकदम रस की गाँठ थीं वो ,
जैसे ही कम्मो भौजी स्टोर में रंग का खजाना खोजने गयी थीं , इन दोनों ने भी अपना सारा जखीरा बरामदे में एक जगह छुपा दिया था , टी तो दोनों की पहुँचते ही कम्मो ने उतरवा दी थी और वो दोनों जानते भी थे , चाहते भी थे की कम्मो भौजी बरमूडा भी जल्द ही ,... फिर आज नयकी भौजी भी नहीं थीं तो झिझक भी थोड़ी बहुत रहती थी वो भी नहीं ,
बंटू का मन कम्मो भौजी के गदराये जोबन को देखकर जितना मचलता था , उससे ज्यादा भौजी के बड़े बड़े कड़े कड़े चूतड़ों को देखकर ,
स्कूल से ही जब उसने चिकने नमकीन कमसिन लौंडो की नेकर सरकार , निहुरा कर ,... तभी से उसे पिछवाड़े का ,... लेकिन वो छेद छेद में भेद नहीं करता था ,
रंग, पेण्ट वो भी एकदम पक्के वाले , सब थे बंटू मंटू के जखीरे में लेकिन एक पुड़िया थी जो मंटू को भी नहीं मालूम थी , एकदम एटम बम्ब , ...
नत्था की स्पेशल बर्फी , जो भांग खिलाकर भौजी देवरों को टुन्न करके उनकी इज्जत लूटती थीं , उससे भी दस गुना बीस गुना ज्यादा असरदार , खास तौर पर लड़कियों औरतों के लिए , ... जो एकदम सीधी साधी अच्छी बच्चियां होती थी न , दुप्पटे के साथ किताबों से भी अपने आते उभारों को छुपाने वाली , बस थोड़ा सा उनके मुंह में किसी तरह से पहुंचा दे न ,... तो बस बिना कुछ कहे पांच मिनट में अपनी शलवार का नाड़ा खुद खोलने लगती थीं ,
और तीन चार राउंड तो मामूली , कम से कम चार घंटे तक असर रहता था उसका , ...
नहीं नहीं भांग नहीं थी ये ,एकदम इम्पोर्टेड। बॉलीवुड वालियां जिस ; ' माल' के लिए तड़पती थीं, व्हाट्सऐप और ,... हाँ वहीँ पर ये कमाल था , उस माल का बाप , ... और उसी की शुद्ध खोये वाली बर्फी में डाल कर, किसी तरह आधी बरफी भी कम्मो भौजी के मुंह में घुस गयी , तो उनके पिछवाड़े बंटू का बांस पूरा जाना तय था ,...
अपने दोनों हाथों में पेण्ट मलते , बंटू ऊपर से मंटू को पटक पटक कर चोदती कम्मो भौजी के बड़े बड़े उठते गिरते चूतड़ों को देख कर सोच रहा था ,
पूरी बर्फी उसने एक हाथ में ली , और आँगन में कम्मो भाभी के पास दबे पाँव
कम्मो ऊपर ,
मंटू नीचे
लेकिन नीचे से भी मंटू ने इतना जबदस्त धक्का मारा पूरा खूंटा भौजी की बुरिया में और सीधे बच्चेदानी पर लगी ठोकर ,... कम्मो ने मस्ती में आँखे बंद कर ली थी
और इससे अच्छा मौका क्या मिलता , खूब ताकत से एक हाथ से कम्मो के दोनों गाल दबाये और उन्होंने चिड़िया की तरह मुंह चियार दिया ,
पूरी की पूरी माल वाल बर्फी भौजी के मुंह के अंदर , और वो चुभलाने लगीं , आँखे खोल दी
पर देवर ने पहले तो होंठ उनके सील किये चार मिनट तक जब तक बर्फी पूरी तरह घुल नहीं गयी , फिर बोला ,
" हमने सोचा की भौजी इतनी मेहनत कर रहीं हैं , तानी उन्हें कुछ खिलाय पिलाय दें। "
" आपन बहिन उ हलवाई के यहाँ रखवाये थे की महतारी ,... बहुत मस्त बर्फी है ,"
मजे से आखिरी टुकड़ा चुभलाते भौजी ने अपने अंदाज में जवाब दिया और कचकचा के बंटू के गाल काट लिए , फिर कमर उठा के एक धक्का और ,
नीचे से मंटू के एक हाथ ने भौजी की पीठ पकड़ रखी थी और दूसरा हाथ ऊपर चढ़ी भौजी के जोबन का रस ले रहा था , बस दूसरा लड्डू बंटू के हाथ लग गया , लेकिन जोबन रस लगाने के साथ पक्का गाढ़ा लाल रंग का पेण्ट भी वो भौजी की खुली ३८ साइज की चूँची पर , और कुछ देर पर उसके दोनों हाथ कम्मो के जोबन का रस ले रहे थे , उसे रंग रहे थे ,
चोली के ऊपर से तो होली में सब रंगते हैं , देवर भौजी की होली तो चोली के अंदर वाली होती है , कुछ देर में भौजी के दोनों जोबना लाल लाल , और निपल बैंगनी ,... लेकिन बंटू का असली टारगेट तो कुछ और था ,
भौजी के बड़े बड़े मस्त चूतड़ , बड़ी मुश्किल से ऐसे चूतड़ मिलते हैं होली में रंग लगाने के लिए ,
और इन के लिए एकदम पक्के वाले रंग जिनसे रंगरेज ऐसे चुनरी रंगते हैं की जिंदगी भर रंग न छूटे , वो वाले लाल , काही , नीले रंग वो लाया था , साथ में पेण्ट के ट्यूब , जो प्रिंटर इस्तेमाल करते हैं वो वाले ,
रंग लगाने के साथ साथ जिस तरह से वो भौजी के नितम्बों को सहला रहा था , मसल रहा था , रगड़ रहा था ,
भौजी और मचल रही थीं , फागुन में जवान होते दो दो देवर , और जिस तरह से बंटू उनके पिछवाड़े मसल रहा था , वो समझ गयी थीं , स्साला बहनचोद पक्का रसिया है ,
बर्फी में मिले माल का असर भी भौजी के तन मन में घुल रहा था , असर दिखा रहा था ,
और रंग लगाते भौजी लगाते देवर की ऊँगली बार बार पिछवाड़े की दरार पर रगड़ देतीं और उस का असर भौजी पर सीधे होता , अगला धक्का दूनी ताकत से वो मारतीं
गच्चाक , अचानक पूरी ताकत से बंटू ने तर्जनी ठेल दी ,,
उईईईईई , भौजी के मुंह से चीख निकल गयी ,
सच्च में बड़ी ही कसी थी एकदम हाईस्कूल वाली किसी कच्ची कोरी की तरह ,
बंटू घुसे हुए पोर को गोल गोल घुमा रहा था , उसने कितने कमसिन लौंडो की गाँड़ खोली थी , पहली पहली बार मारी थी , उन सालो की भी इतनी टाइट नहीं होती थी , पूरी ताकत से उसने फिर ऊँगली ठेली लेकिन एक सूत भी नहीं सरक पायी अंदर ,
उईईईईई अबकी और जोर से चीखीं कम्मो भौजी और वहीँ से गरियाया ,
"स्साले उधर नहीं , ... "
गोल गोल ऊँगली घुमाते बंटू ने जवाब भी उसी अंदाज में दिया ,
" काहें भौजी , उ का अपने गाँव वालन के लिए , हमरे गांडू स्सालों के लिए बचा रखा है , मैं बता देता हूँ , सालो को बोल दीजियेगा , हमार भौजी , और हमार भौजी की बहिनियो, हमरी सालियों की ओर आँख भी न उठाय के देखें , अरे बहुत मन करे न , तो तोहार आपने , महतारी के साथ ,... "
और फिर पूरी ताकत के साथ जो बंटू ने ठेला तो आधा पोर और अंदर गाँड़ के
ऊँगली तो बाहर निकल गयी लेकिन किसी ट्यूब का नोजल , कम्मो को लगा तो अंदर तो नहीं रंग लगा रहा है , फिर उन्हें ठंडा सा अंदर लगा ,
आज बंटू का इरादा भी पूरा था और प्लानिंग भी ,
बोरोलीन की ट्यूब , उसी की नोजल , और दबा के पूरी की पूरी ट्यूब की क्रीम भौजी की गाँड़ में , जो बचा खुचा था उसके मोटे सुपाड़े में
उसने जोर से नीचे दबे बंटू को आँख मारी , बस
इसके पहले भी वो दोनों कितनी बार जुगल बंदी कर चुके थे , बंटू ने जोर से मंटू को आँख मारी , बस मंटू ने धक्के की रफ़्तार नीचे से बढ़ाई , हर दूसरा धक्का , कम्मो भौजी के बच्चेदानी से टक्कर खा रहा था ,
ऊपर से अब पिछवाड़े का मोह छोड़ कर , एक हाथ से कस के बंटू भौजी के जोबन मीस रहा था और दूसरा जांघ के बीचों बीच उस जादू के बटन , भौजी की क्लिट पर , कभी सहलाता कभी दबाता , कभी क्लिट कस कस के रगड़ देता ,
बस दो चार मिनट में असर आ गया , कम्मो जोर जोर से झड़ने लगी , उसकी देह ढीली हो गयी , आँखे बंद हो रही थी ,