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Erotica मोहे रंग दे

komaalrani

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Bahut dino ke baad aapki story padhni start ki Komal. Acha laga ki aap abhi bhi likh rahi ho.


Thanks so much, welcome to the thread, please do read from the start,...and do share your views, welcome again
 

komaalrani

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komaalrani

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उईईईईई उईईईईई


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कम्मो ने इन्हे गरमा दिया था और इन्होने मेरी ननद को ,


इनके कस के काटने चूसने ने , रगड़ने मसलने ने मेरी ननदिया को बौरा दिया , और रही सही कसर मैंने पूरी कर दी , कम्मो ने अपने देवर के कमर के नीचे का जिम्मा लिया तो मैंने अपनी ननद का , उसकी चिकनी बिना रोंये वाली गुलाबो का ,


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मेरी उँगलियों ने ननद की बिल में सेंध लगा दी , लेकिन उसके पहले कुछ देर तक मैं उसकी मांसल जाँघों को सहलाती रही , खरोंचती रही , हथेली से हलके हलके उसकी गुलाबी सहेली को सहलाती रही और फिर ,


सिर्फ मंझली ऊँगली का एक पोर और एक पोर ही काफी था , उस नयी उमर की नयी फसल के लिए ,


उसकी बिलिया में मेरे साजन की , उसके भैया की गाढ़ी थक्केदार मलाई बजबजा रही थी , बस मैंने थोड़ी सी ऊँगली बिलिया के अंदर के दीवालों पर रगड़नी शुरू की और उसको चींटे काटने शुरू हो गए , वो चूतड़ पटकने लगी ,


उसकी चूँचियों की जबरदस्त रगड़ाई , मसलाई , चुसाई उसके भैया कर रहे थे और बिल की हाल चाल भाभी पूछ रही थीं ,

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कुछ देर उंगलियाने के साथ साथ जैसे मैंने अंगूठे से बस उसकी क्लिट को छू भर दिया और जैसे वो उछल पड़ी , कांपने लगी ,

जैसे कम्मो भौजी के सुपाड़ा चूसने का असर सीधे उसके भइया पर पड़ा जो कस कस के उसकी छोटी छोटी चूँचियाँ मसलने रगड़ने लगे , वैसे ही मेरी बदमाशी का असर मेरी छुटकी ननदिया पर पड़ा ,

उसने कस के अपने भैया को भींच लिया , अपने नाख़ून उनके कंधे पर गड़ा दिए , अपनी देह उनकी देह से रगड़ने लगी , बस चाह रही थी कैसे बस कैसे वो दोनों , ... वो उसके अंदर समा जाएँ ,



हालत उनकी भी यही हो रही थी , थोड़ी देर ननद के साथ खेल तमाशा करने के बाद मैंने कम्मो की आँखों में देखा , उसने भी ग्रीन सिग्नल दे दिया ,



हम दोनों ने इनको बोला था , दस मिनट तक सिर्फ कमर के ऊपर ,... दस मिनट कब के ख़तम हो गए थे , दोनों पागल हो रहे थे ,... मैंने झुक के इनके कान में अपनी जीभ से सुरसुरी की , और हलके से बोला , दस मिनट हो गए ,

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कम्मो ने भी इन्हे छोड़ दिया था ,

बस जैसे ये इन्तजार कर रहे थे ,



देखते देखते , अबकी न कुछ मुझे कहना करना पड़ा न कम्मो को



बिजली की तेजी से , मेरी ननद की दोनों लम्बी गोरी गोरी चिकनी चिकनी टाँगे इनके कंधे पर , जाँघे खुली ,

बस मुझे इतना मौका मिला की अपनी उस कच्ची उमर वाली ननद के छोटे छोटे चूतड़ों के नीचे दो चार तकिया लगा सकूँ ,...



और ,



एक जबरदस्त धक्का ,



अबकी न उनकी भौजाई ने अपनी ननद की कुँवारी फांको को पकड़ के जबरन फैलाया था , न उस ननद की भाभी ने इनके खूंटे को पकड़ कर अपनी नन्द की बिल में लगाया था ,न ये झिझके , क्या जबरदस्त धक्का , सटा के मारा इन्होने ,


और न वो हिचकी , बस मारे डर के उसने आँखे ब्नद कर ली , दोनों हाथों से कस के चादर पकड़ ली , पहला धक्का तो उसने होंठों को भींच के सह लिया , पर दूसरे धक्के में रोकते रोकते भी चीख निकल गयी , सुपाड़ा अब पूरा अंदर था



उईईईईई उईईईईई ओह्ह्ह्हह्हह नहीं उईईईईई
 

komaalrani

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komaalrani

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अड़स गया , अटक गया





देखते देखते , अबकी न कुछ मुझे कहना करना पड़ा न कम्मो को

बिजली की तेजी से , मेरी ननद की दोनों लम्बी गोरी गोरी चिकनी चिकनी टाँगे इनके कंधे पर , जाँघे खुली ,



बस मुझे इतना मौका मिला की अपनी उस कच्ची उमर वाली ननद के छोटे छोटे चूतड़ों के नीचे दो चार तकिया लगा सकूँ ,...

और ,

एक जबरदस्त धक्का ,

अबकी न उनकी भौजाई ने अपनी ननद की कुँवारी फांको को पकड़ के जबरन फैलाया था , न उस ननद की भाभी ने इनके खूंटे को पकड़ कर अपनी नन्द की बिल में लगाया था ,



न ये झिझके , क्या जबरदस्त धक्का , सटा के मारा इन्होने ,

और न वो हिचकी ,

बस मारे डर के उसने आँखे ब्नद कर ली , दोनों हाथों से कस के चादर पकड़ ली , पहला धक्का तो उसने होंठों को भींच के सह लिया , पर दूसरे धक्के में रोकते रोकते भी चीख निकल गयी , सुपाड़ा अब पूरा अंदर था



उईईईईई उईईईईई ओह्ह्ह्हह्हह नहीं उईईईईई



अड़स गया , अटक गया था , धंस गया था लेकिन जैसे फंस गया था ,






पर ये रुके नहीं , कस के अपनी बहन की कमर को पकड़ा , एक बार फिर जैसे सेट किया , एक पल रुके और फिर क्या जबरदस्त धक्का मारा ,

और अब मेरी ननद की चीखे रुक नहीं रही थीं , वो चीख रही थी , चिल्ला रही थी , टप टप आंसू उसके गाल पर गिर रहे थे ,

अभी जो फटी थी उस समय भी वो इतना चीखी चिल्लाई नहीं थी , लेकिन ये सब उसकी कम्मो भौजी की प्लानिंग थी , उनका मानना था , जितना चीखे चिल्लायेगी उत्ती ही स्साली पक्की छिनार बनेगी,



खूंटा इस समय उस जगह को रगड़ रहा था , जहाँ अभी घंटे भर पहले झिल्ली फटी थी , और वो चोट अभी भी ताज़ी थी ,




और पहली बार तो देसी कडुवा तेल ,... लेकिन इस बार कम्मो ने सुपाड़े पर लगा तेल चूसने चाटने के पहले एकदम साफ़ कर दिया था , तो बस थोड़ा सा कम्मो का थूक ,



और उनकी बहिनिया की बिल में जो मैंने ऊँगली की थी , उससे जो वो गीली हो गयी थी , बस वही प्योर आर्गेनिक चुदाई , एकदम रगड़ते घिसटते फाड़ते जा रहा था ,

और वो दर्द के मारे बिलबिला रही थी , चूतड़ पटक रही थी जैसे कोई मछली पकड़ी गयी हो और पानी के बाहर जाल में तड़फड़ा रही हो ,



मैं सिर्फ यही देख रही थी की कहीं उसके भइया के ऊपर तो कुछ असर नहीं हो रहा है , कहीं वो कई दया माया ,



लेकिन कच्ची कली की कम उमर वाली माल की चूत , कम्मो का फैसला एकदम सही था , उन्होंने वही किया जो आधा खूंटा धंसने के बाद कोई मरद करता है ,



एक पल के लिए रुक गए वो और फिर उन्होंने अपने तरकश के बाकी तीर चलाने शुरू कर दिए , होंठ, उँगलियाँ ,

गाल पर से उसके आंसू उन्होंने चाट लिए हलके से दो चार छोटी चुम्मी ली , उनके हाथ उसके जोबन सहला रहे थे , कभी निपल फ्लिक कर रहे थे ,




बस दो चार मिनट में चीखें सिसकियों में बदलने लगीं , लम्बी लम्बी साँसे चलनी लगी ,

अब उन्होंने निपल सक करना शुरू कर दिया , ... दोनों जोबन का रस एक साथ ,
 
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komaalrani

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गालों पर हैं किसके निशान



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अब उन्होंने निपल सक करना शुरू कर दिया , ... दोनों जोबन का रस एक साथ ,




एक बार फिर मेरी ननद ने अपने भैया को दबोच लिया , अपने छोटे उभार उनके सीने में रगड़ने लगी , खुद सर उठा उठा कर उन्हें चूमने लगी ,...


बस ,

उन्होंने उसकी आँखों में झाँक कर देखा , एक बार कस के होंठों पर चूमा और उनके दोनों हाथ मेरी टीनेजर ननद की पतली कमरिया पर ,



मैं और कम्मो एक दूसरे की आँखों में देख कर मुस्कराये , अब होगा असली प्रहार ,

उन्होंने आलमोस्ट सुपाड़ा तक बाहर निकाल लिया , एक बार फिर उसकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर एडजस्ट किया ,

उईईईईई उईईईईई

ननदिया एक बार फिर चीखी , चीखती रही , बिसूरती रही ,


और ननद की गलती नहीं थी , एक तो इनका मोटा कितना था , एकदम बीयर के कैन जैसा , ढाई इंच से थोड़ा ज्यादा , मुट्ठी ऐसा ,... और ऊपर से सिर्फ कम्मो भौजी का थूक लगा , न तेल न वैसलीन



लेकिन न ये रुके , न कमर से हाथ हटाया , पेलते रहे , ढकेलते रहे , दो बार तीन बार चार बार , और फिर जब आलमोस्ट पूरा अंदर था ,

तो एक बार फिर आधे से ज्यादा बाहर निकाल के , उन्होंने अपनी पूरी ताकत से पेल तो पूरा भाला अंदर ,

मोटे तगड़े सुपाड़े ने सीधे बच्चेदानी पर ठोकर मारी ,...






और दर्द के मारे बिसूरते हुए भी , बच्चेदानी पर सुपाड़े की चोट का असर ,
वो तेजी से कांपने लगी , उसका झड़ना शुरू हो गया था ,


पर ,



पर उन्होंने झुक करा कचकचा कर , पूरी ताकत से उसके गाल काट लिए , और दर्द के मारे वो एक बार फिर से चिल्लाने लगी , उसका झड़ना रुक गया।

ये कम्मो भाभी की सीख थी , ' जल्दी मत झड़ने देना स्साली को , तड़पने देना छिनार को , खुद चिरौरी मिनती करे, हाथ पैर जोड़े ,तब झड़ने देना ,... "

गाल काटने के दर्द से ननद रानी एक बार फिर चीखने लगी , लेकिन यही तो मैं चाहती थी , और कम्मो भौजी भी ,

साथ में लाइव टेलीकास्ट चल रहा था , सीधे उनकी ससुराल ,...

और अब मेरा नंबर था , मेरी छुटकी ननदिया का सर मेरी गोद में , मैं उन्हें इशारे से बता रही थी यहाँ , यहां ,


उसके मालपूआ ऐसे गोरे गोरे गाल , फूले फूले , डिम्पल वाले , ...

जहाँ डिम्पल पड़ता था मैंने वहीँ इशारा किया , और कचकचा कर काट लिया उन्होंने ,





उईईईईई उईईईईई , जोर से चीखी वो



और कस के काटा उन्होंने पूरी ताकत से ,



उईईई उईईई ,



और अब वो थोड़ी देर तक उस मस्त गाल को मुंह में लेकर चूसते चुभलाते रहे , जहाँ दांत के निशान लगे थे वहां जीभ से छेड़ते रहे ,

साथ में दोनों हाथ अब एक साथ दोनों छोटी छोटी चूँचियों को मसल रहे थे , कुचल रहे थे ,

दोनों टांगें उनके कंधे पर , धक्के जबरदस्त उनकी छोटी बहिनिया की कसी कसी चूत में ,



और जहाँ उसकी चीख सिसकियों में बदली , मैंने उसी जगह इशारा किया , जहाँ थोड़ी देर पहले उनके दांतों ने कचकचाकर काटा था।

एक बार फिर से उन्होंने काटा और वो स्साली चिल्लाई ,



लेकिन मैं चाहती थी , उसके गालों पर उसके भैय्या दांतो के निशान उसकी सहेलिया चिढ़ायें छेड़े , शर्माए , लजाये ,

दो तीन बार एक ही जगह पर , और वो गालों के निशान हफ्ते भर तो छूटने वाले नहीं थे

( और फिर एक बार वो कम्मो के चक्कर में फंस गयी , फंसना ही था , फिर तो गालों पर एक नहीं दर्जन भर और सब अलग अलग यारों के )



कुछ देर में जब वो फिर झड़ने के किनारे पहुंची मैंने उसके छोटे जोबन की ओर इशारा किया , ऊपरी हिस्से की ओर , जो बाहर से झलकता


कचकचा के उन्होंने इतनी जोर से काटा बस खून नहीं छलछला गया , लाल निशान


उभारों पर दर्जनों इनके दांतो के निशान




लेकिन जिस तरह से वो मस्त धक्के मार रहे थे , बिना रुके , कोई भी लौंडिया झड़ जाती , और गुड्डी रानी भी झड़ने लगी ,

उन्होंने भी आलमोस्ट पूरा मोटा बांस , सुपाड़े तक बाहर निकाल लिया , और फिर एक धक्के में इतना जबरदस्त धक्का , सीधे मोटे सुपाड़े का धक्का बच्चेदानी पर लगा , और तूफान में पत्ते की तरह उसकी देह काँप रही थी ,



बहना झड़ रही थी , भैया उसके झाड़ रहे थे , उसे



कुछ देर के लिए वो रुके , लेकिन फिर बिना एक सूत भी लंड बाहर निकाले , सिर्फ अपने खूंटे के बेस से अपनी बहिनिया के चूत पर रगड़ते रहे घिसते रहे
 
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komaalrani

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ननद रानी



बहना झड़ रही थी , भैया उसके झाड़ रहे थे , उसे

कुछ देर के लिए वो रुके , लेकिन फिर बिना एक सूत भी लंड बाहर निकाले , सिर्फ अपने खूंटे के बेस से अपनी बहिनिया के चूत पर रगड़ते रहे घिसते रहे



थोड़ी देर में झड़ रही थी ,





और अबकी वो रुकी तो बिना खूंटा बाहर निकाले उन्होंने पोज बदल लिया

और क्या आसन लगाया उन्होंने ,

मान गयी मैं उनकी और ज्यादा उनकी कम्मो भौजी को , वो पोज जो कम्मो भौजी के हिसाब से चार चार बच्चों की माँ , पक्की भोसड़े वाली भी सुहागरात का मजा पाए , और यहाँ तो कच्ची कली थी , जिसने आज के पहले ढंग से ऊँगली भी नहीं घोंटी नहीं थी।

मेरे साजन का बित्ते भर लम्बा बांस , मेरी कलाई से भी मोटा उनकी ममेरी बहिन की चूत में तो जड़ तक धंसा था ,



बहिन उनकी मस्ती से माती , बार बार झड़ रही थी , उसकी दोनों लम्बी पतली गोरी गोरी टाँगे उसके भैया के कंधे पर टिकी थी , बस जरा सा भी बाहर लगाए बिना , उन्होंने उसको दुहरा कर दिया , एकदम मोड़ कर , ....



और मैंने भी भाभी का काम निभाया , जब ननदिया चुद रही हो वो भी अपने भाई से , ... उसके छोटे छोटे चूतड़ों के नीचे दो मोटे मोटे कुशन लगा दिए अब सीधे हर धक्का लंड का उसके क्लिट पर लगता ,

मैं और कम्मो भौजी दोनों लोग सोच रहे थे ननद रानी को तब पता लगेगा जब ये मोटा बाहर निकल कर अंदर जाएगा ,

और वही हुआ , एक बार फिर मेरी ननद का सर मेरी गोद में , कम्मो भौजी भी उसकी मेरे साथ मेरे बगल में , और उन्होंने जैसे ही थोड़ा सा खींचा , वो लगी चीखने लगा जैसे अंदर की चमड़ी बाहर निकल जायेगी , पर चिल्लाने से क्या होता है , और उसकी एक कलाई मेरी कलाई ने पकड़ रखी थी और दूसरी कम्मो भौजी ने






वो चीख रही थी , गांड पटक रही थी , पर उनके ऊपर कोई फरक नहीं पड़ रहा था ,

ननद रानी की दोनों टाँगे, जाँघे एकदम सटी चिपकी ,



और आधा खूंटा जब बाहर निकल गया तो उन्होंने क्या करारा धक्का मारा , मेरी ननद के मुंह से जोर से आह निकली

और उसकी दोनों भौजाइयों के मुंह से निकला ,

वाह ,

पर कम्मो को इतनी आसानी से संतोष नहीं था उन्होंने अपने देवर को जो इस समय नन्दोई का काम कर रहे थे , खूब गरियाया ,

" स्साले मादरचोद , ई तोहरी महतारी क भोंसड़ा न हो , हमारी ननद की कच्ची चूत हो , पूरा निकाल के धक्के मार स्साले वरना हम आयके मुट्ठी से तोहार गाँड़ मार के बताएंगी कैसे मारा जाता है , "

असर तुरंत हुया , एक बार फिर अपनी बहन को उन्होंने दुहरा किया , और आलमोस्ट पूरा बाहर निकाल के क्या धक्के पर धक्के मारा , हर दूसरा तीसरा धक्का सीधे बच्चेदानी पर लगता , बस पन्दरह बीस धक्के , और मेरी ननद इतनी जोर जोर से झड़ रही थी की कह नहीं सकती ,

दर्द से उसकी पूरी देह , लेकिन वो भी मान गयी मैं कम्मो की बात जिन्होंने मुझसे कहा था , बस एक बार इसकी फड़वा दो , देखना इतनी बड़ी छिनार निकलेगी ये , पक्की चुदवासी



हम दोनों ने कब की उसकी कलाई छोड़ दी थी , वो अपनी कलाई से कस कस के बिस्तर की चादर पकडे थी , चेहरे पर अजब मस्ती थी , देह मस्ती से काँप रही थी , सिसक रही थी , एक बार झड़ना रुकती , फिर दुबारा ,...

दो चार मिनट वो रुके , फिर बिना बाहर निकाले उन्होंने पोज बदल लिया , उनकी फेवरिट पोज़ में , निहुरा के , कुतिया बना के

क्या हचक के चोद रहे थे वो अपनी छोटी ममेरी बहन को ,

मैं और कम्मो मजे ले लेकर देख रहे थे , आँखों में हाई फाइव कर रहे थे , ... आज है आयी स्साली पहाड़ के नीचे ,

कुतिया बना के चोदना सारे मर्दों को पसंद होता हैं , एक साथ चूँची , चूत और चूतड़ तीनों का मजा

 
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pprsprs0

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दो वर्ष,

यह कहानी अप्रेल २०१९ में शुरू हुयी थी ,

और तीसरी कसम की तरह मैंने कसम खायी थी, ये कहानी फागुन के दिन चार और जोरू के गुलाम की तरह उपन्यास की साइज की नहीं होगी।

एक ऐसे फोरम के बंद होने से जिसके बारे में न लिखने वाले सोचते थे न पढ़ने वाले की वो बंद होगा पर उसके बंद होने से वो कहानी /उपन्यास अधूरा ही रह गया खैर अब इस फोरम में उसे फिर से शरू कर के ,...

दोनों, फागुन के दिन चार और जोरू का गुलाम मेरे लेखे ( एम् एस वर्ड , मंगल फ़ॉन्ट , साइज ११ ) १००० पन्ने से ज्यादा थे, पीडीफ में भी शायद ८०० या उससे ज्यादा और अगर कभी पुस्तकाकार छपें तो भी ४०० -५०० पन्ने से कम नहीं,

इसलिए मैंने पहली सीमा तय की आकर की, १००० पृष्ठों से बड़ी नहीं होगी

और कथावस्तु भी सीधी सादी एक नव युवा दम्पति की कहानी,

न कोई रोमांस ( विवाह पूर्व का ) न कोई चक्कर , न सीरियल सेक्स , न इन्सेस्ट

अधिकतर पति पत्नी के रंग में डूबने उतराने की कहानी ( हाँ क्षेपक के तौर पर, कुछ प्रसंग जरूर आ गए हैं , देवर और ननद की सहेली , कम्मो लेकिन वो कहानी के अभिन्न अंग ही है )

कहानी की शुरुआत ही होली के जिक्र से हुयी थी और मैंने कहा था की ससुराल में ( मेरी ) होली मेरी तीसरी होली है , और यह भाग सिर्फ पूर्वपीठिका भर शायद था ,

पर कहनियां बच्चो की तरह होती हैं या जवान होती लड़कियों की तरह किसी की बात मानी हैं उन्होंने जो मेरे बात मानती ,

और जैसे लड़कियां जब बड़ी होनी शुरू होती हैं तो झट्ट से बड़ी हो जाती हैं , बस यही हाल इस कहानी की है , ...

पर एक ऐसे कहानी जो न पेज टर्नर है , न जिसमें कोई सस्पेंस हैं न टैबू , सेक्स भी अधिकतर पति पत्नी का ,...

हाँ घर का माहौल है , एक विस्मृत से हो रहे संयुक्त परिवार का जहाँ सास अपने बेटे से ज्यादा नयी बहु का साथ देती है, बेटी से ज्यादा दुलार देती है, जेठानी न सिर्फ छेड़खानी में साथ देती है बल्कि देवरानी उसकी पक्की सहेली है,

पर अब यह कहानी करीब ९०० पन्नो के आस पास पहुँच रही है , ( वर्ड में टाइप करने में )

हाँ एक बात की सफाई , ..

होली का मौसम हो , फागुन लग गया हो और होली के प्रसंग न हों ,...इसलिए पिछले १००- १५० पन्नो से ये कहानी थोड़ी बहुत होली पूर्व होली के माहौल में मुड़ गयी ,


नहीं नहीं , ये कहानी अभी ख़तम नहीं हो रही , कुछ दिन और आप का साथ रहेगा इस कहानी के साथ

पर दो वर्ष लंबा

यह समय है आप सबको धन्यवाद देने का इस यात्रा में सहभागी होने का

और ये थोड़ी अलग ढंग की कहानी होने पर पर , इसे पंसद करने के लिए , कमेंट करने के लिए

कृतग्यता व्यक्त करने का

इसमें हमारा ही सौभाग्य है , आपकी लेखनी उच्च स्तरीय है , साथ बना रहे
 
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