भाभी आपकी कहानियों की दीवानी मैं वर्षों से हूं। यूं समझिए मैं आपकी गुड्डी हूं। प्लीज इसे बंद मत कीजिएगा।
आपके मन में उठता आक्रोश बिल्कुल सही है, अगर कोई साथ जागने वाला ना हो तो सो जाना बेहतर है,
बहुत बहुत धन्यवाद आपका यहाँ आने का, आप शुरू से ही इस कथा यात्रा के नियमित सहयात्री रहे हैं, पर दो तीन बातें
अगर कहानी रुकेगी भी तो हो सकता है , एक थोड़े से बदले कलेवर में दूसरे भाग में आये,
दूसरा पिछले कई महीने से , जैसे मैं पिछले पांच पेज यानी १९१ से १९५ यानी पचास पोस्ट का उदाहरण दूँ , तो उसमें मात्र १०-१२ कमेंट्स हैं पढ़ने वालों के यानी करीब ८० % पोस्ट्स मेरी, कहानी की , जवाब की और मात्र २० % पाठकों के, ... बार बार मैंने कहा है की किसी भी कहानी कहने वाले को
चाहे वो सर्दी की रात में जलते अलाव के किनारे, कहानी सुनाने वाला हो,
कोई पुराने जमाने का दास्तान गो हो
और, या ये नाचीज़ बंदी हो,...
हुंकारी भरने वाला चाहिए,... जब हुंकारी आनी बंद हो जाये,... अलाव की आग ठंडी पड़ने लगे, लगे की सब सुनने वाले सो गए हैं , निन्दासे हो गए हैं , जम्हाई ले रहे हैं तो बस किस्सा सुनाने वाला वहीँ कहानी रोक देता है, और अगर कोई सुनने वाला न भी बचा हो तो खुद से बोलता है,
बाकी कहानी कल, और अलाव की आग ठंडी कर, कंबल ओढ़ वहीँ सो जाता है,...
बस मैं यही कहूँगी,...
एक न एक शम्मा जलाये रखिये, सुब्ह होने को है , माहौल बनाये रखिये,
कितने दिए थक कर बुझ जाएंगे, ... कितनों की लौ बस टिमटीमाती रहेगी, और कितने नए दिए भी जलेंगे, कहानियों की यह दिवाली जलती रहेगी, चलती रहेगी।
आक्रोश नहीं, बस अवसाद और अहसास, अकेलेपन का अहसास,...आपके मन में उठता आक्रोश बिल्कुल सही है, अगर कोई साथ जागने वाला ना हो तो सो जाना बेहतर है,
मैं भी पिछले कुछ समय से अपने में उलझा हुआ था, इसलिए हुंकार भरने नहीं आ पाया,
परंतु इतना जरुर कहूंगा कि आपकी कहानी आसमान में तारों के बीच ध्रुव तारा होतीं हैं
चाहे कितने भी लेखक आ जाएं, आपकी लेखनी का मुकाबला नही कर सकते
अपनी कहनियो की नायिका की तरह जुझारू और चुलबुली सी रहें, ये उदासी आप पर अच्छी नहीं ललगती.
मैंने देखा है आपका अपनी हर कहानी से लगाव और उसे अंत तक ले जाने का साहस
गुड्डी से जुडी हुयी जोरू का गुलाम और सोलहवां सावन भी हैं , मेरी कहानियां जो अभी चल रही हैं और चलती रहेंगी, इस थ्रेड के साथ उन दोनों थ्रेडों पर भी आप का स्वागत है, जोरू का गुलाम और सोलहवा सावन में आपके कमेंट की प्रतीक्षा रहेगी, एक बार फिर से स्वागत और इस बात के लिए आभार की अपने पहला कमेंट इस थ्रेड पर दिया,भाभी आपकी कहानियों की दीवानी मैं वर्षों से हूं। यूं समझिए मैं आपकी गुड्डी हूं। प्लीज इसे बंद मत कीजिएगा।
मैं Xforum पर नियमित पाठिका रही हूं। अभी यहीं पर पढ़ती हूं। मैंने लगभग सभी कहानियां पढ़ीं हैं, ननद की ट्रेनिंग, होली जीजा और साली, होली के रंग, और भी बहुत सारी। सभी एक से बढ़कर एक हैं। आपकी कहानी पढ़के गुलाबो सहलाने में जो आनंद आता है वो तो स्वर्ग के समान है भाभी जानगुड्डी से जुडी हुयी जोरू का गुलाम और सोलहवां सावन भी हैं , मेरी कहानियां जो अभी चल रही हैं और चलती रहेंगी, इस थ्रेड के साथ उन दोनों थ्रेडों पर भी आप का स्वागत है, जोरू का गुलाम और सोलहवा सावन में आपके कमेंट की प्रतीक्षा रहेगी, एक बार फिर से स्वागत और इस बात के लिए आभार की अपने पहला कमेंट इस थ्रेड पर दिया,
niceMain
मैं Xforum पर नियमित पाठिका रही हूं। अभी यहीं पर पढ़ती हूं। मैंने लगभग सभी कहानियां पढ़ीं हैं, ननद की ट्रेनिंग, होली जीजा और साली, होली के रंग, और भी बहुत सारी। सभी एक से बढ़कर एक हैं। आपकी कहानी पढ़के गुलाबो सहलाने में जो आनंद आता है वो तो स्वर्ग के समान है भाभी जान
बहोत जबरदस्त सफर रहा..
साये की तरह साथ चलने वाला मूक पाठक