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इक्कीस दिन की ट्रिप - दक्षिण भ्रमण
मैं उन्हें देखकर सासू जी से बोली
" अरे आपने ये छह फिट का लड़का क्यों पैदा किया है , खाली मेरी ननदों से आँख मटक्का करने के लिए,... "
और उन्हें मैंने सब कुछ समझा दिया,...
इन सब कामों में तो वो सुपर कम्प्यूटर थे, उंगलिया चलती नहीं दौड़ती थीं, बस दस मिनट के अंदर सारी ट्रेन की, होटल, एजंट्स , लोकल टूर,... और सब का पेमेंट ,. भी
" हे चाय मिलेगी। सब बुकिंग कन्फर्म है , अभी दस मिनट में सारे टिकट बुकिंग डिटेल्स आ जाएंगे, मैं कमरे में जाके प्रिंट आउट निकाल दूंगा। "
जेठानी जी खुश नहीं महा खुश और वो खशी उन्होंने अपने देवर का कान पकड़ के जाहिर की,
" हरदम मेरी देवरानी से मांगते रहते हो, किचेन में तेरी कम्मो भाभी हैं, जाके चाय मांग ले और कुछ मांगना है तो वो भी माँगना है तो वो भी मांग लेना,... "
ये किचेन में गए, और सासू ने अपनी मन में चल रही उथल पुथल बता दी,
" बहू पैसा बहुत लगा होगा न, ... "
मैं बड़ी सीरियस होके बोली,
" हाँ," फिर खिलखिलाती बोली,
" आप काहें चिंता कर रही हैं , बनारस जा रहीं हूँ न वहां दालमंडी ( बनारस का रेड लाइट एरिया ) में अपनी उस छुटकी ननदिया की एडवांस बुकिंग करा दूंगी तीन चार रात की , जो लगा है उस का तीन चार गुना मिल जाएगा।"
"लेकिन घर का क्या होगा, "
मेरी सासू जी ने चिंता व्यक्त की, पर अब जेठानी जी ऑलमोस्ट झुंझला रही थी, किसी तरह झुंझलाहट रोक के वो बोलीं ,
" कम्मो है न ".
मैं समझ रही थी लेकिन मेरी दिमाग की शैतान की चरखी कुछ और तेजी से चल रही थी, घर खाली रहेगा, सिर्फ कम्मो, अगर किसी तरह गुड्डी रानी यहाँ आ जातीं तो कम्मो का पूरा प्लान बिना रोक टोक के हो जाता है,
मेरे दिमाग की चरखी डबल स्पीड से घूम रही थी, कितना सुनहला मौका, कल रात गुड्डी रानी की जो जबरदस्त रगड़ाई हुयी थी , और आज जो कर्टसी रीत मैं भौरों के साथ उसके संवाद सुन रही थी। चार से तो ऑलमोस्ट उसने स्कर्ट पसारने के लिए हाँ कर दी थी, बेचारे लिबरा भी तो पिछले छह महीने से रहे हैं, और कम्मो ने जो होली के अगले ही दिन अपने गाँव के तीन जबरदस्त पठान के लौंडो को दावत दी है, गुड्डी रानी के कुंवारे बिन फटे कोरे पिछवाड़े की,...
मेरी सास और जेठानी २१ दिन के लिए गायब, २१ दिन तक ये घर खाली रहेगा, अगर किसी तरह वो अनारकली यहाँ आ जाए, फिर तो,.. और एक बार कम्मो के चक्कर में , फिर गुड्डी रानी के चाहने से भी कुछ नहीं होगा, दिन रात चक्की चलेगी,... लेकिन कैसे, कैसे ,...
और उधर सास मेरी परेशांन थी, घर कैसे खाली छोड़ के, वो भी इतने दिनों के लिए, पर साउथ घूमने का मौका भी,...
और मेरी जेठानी परेशान थी , साजन के साथ २१ दिन लगातार रात में भी, दिन में भी, केरल के बीच , मस्ती के साथ , अपनी किटी पार्टी वालियों पर रोब झड़ने का कित्ता अच्छा मौका लेकिन , घर को लेकर अगर कही सासू जी ने, वैसे भी जेठ जी के साथ वो कम ही निकल पाती थीं, हर बार यही बात अटक जाती थी, माँ अकेले कैसे रहेंगी, कहीं कोई परेशानी हो जाये, और अब जो रिजर्वेशन हो गया, छुट्टी की भी प्लानिंग तो ये नया भूत, घर का, कौन रहेगा,आखिर कम्मो है तो और वो कौन सी बच्ची है,... उनके मुंह से निकल ही गया,
" कम्मो है न " .
लेकिन मेरी सास अभी भी पूरी तरह कन्विंस नहीं थी ,
मैंने भी जेठानी जी की तरफदारी की और वही बात दोहराई,
" दी ठीक तो कह रही हैं, कम्मो है न ,... "
लेकिन मेरी दिमाग की बत्ती तभी जली, पूरे १००० वाट का बल्ब,... और मेरी उँगलियाँ मोबाइल पर दौड़ने लगी, एक साथ चार चार व्हाट्सऐप मैं कर रही थी , दो फोन आये , एक को होल्ड कराया, दूसरे से बात की
जेठानी जी और सासू जी दोनों ध्यान से मेरी ओर देख रही थीं, पूरे चार मिनट तक,... फिर मैंने मुस्कराकर अपनी सासू जी की ओर देख कर कहा,
" हो गया, एकदम पक्का इंतजाम,.. लेकिन एक बात का जुगाड़ तो मैं करवा दूंगी , लेकिन दूसरी बात के लिए आपकी जरूरत पड़ेगी। "
मैं उन्हें देखकर सासू जी से बोली
" अरे आपने ये छह फिट का लड़का क्यों पैदा किया है , खाली मेरी ननदों से आँख मटक्का करने के लिए,... "
और उन्हें मैंने सब कुछ समझा दिया,...
इन सब कामों में तो वो सुपर कम्प्यूटर थे, उंगलिया चलती नहीं दौड़ती थीं, बस दस मिनट के अंदर सारी ट्रेन की, होटल, एजंट्स , लोकल टूर,... और सब का पेमेंट ,. भी
" हे चाय मिलेगी। सब बुकिंग कन्फर्म है , अभी दस मिनट में सारे टिकट बुकिंग डिटेल्स आ जाएंगे, मैं कमरे में जाके प्रिंट आउट निकाल दूंगा। "
जेठानी जी खुश नहीं महा खुश और वो खशी उन्होंने अपने देवर का कान पकड़ के जाहिर की,
" हरदम मेरी देवरानी से मांगते रहते हो, किचेन में तेरी कम्मो भाभी हैं, जाके चाय मांग ले और कुछ मांगना है तो वो भी माँगना है तो वो भी मांग लेना,... "
ये किचेन में गए, और सासू ने अपनी मन में चल रही उथल पुथल बता दी,
" बहू पैसा बहुत लगा होगा न, ... "
मैं बड़ी सीरियस होके बोली,
" हाँ," फिर खिलखिलाती बोली,
" आप काहें चिंता कर रही हैं , बनारस जा रहीं हूँ न वहां दालमंडी ( बनारस का रेड लाइट एरिया ) में अपनी उस छुटकी ननदिया की एडवांस बुकिंग करा दूंगी तीन चार रात की , जो लगा है उस का तीन चार गुना मिल जाएगा।"
"लेकिन घर का क्या होगा, "
मेरी सासू जी ने चिंता व्यक्त की, पर अब जेठानी जी ऑलमोस्ट झुंझला रही थी, किसी तरह झुंझलाहट रोक के वो बोलीं ,
" कम्मो है न ".
मैं समझ रही थी लेकिन मेरी दिमाग की शैतान की चरखी कुछ और तेजी से चल रही थी, घर खाली रहेगा, सिर्फ कम्मो, अगर किसी तरह गुड्डी रानी यहाँ आ जातीं तो कम्मो का पूरा प्लान बिना रोक टोक के हो जाता है,
मेरे दिमाग की चरखी डबल स्पीड से घूम रही थी, कितना सुनहला मौका, कल रात गुड्डी रानी की जो जबरदस्त रगड़ाई हुयी थी , और आज जो कर्टसी रीत मैं भौरों के साथ उसके संवाद सुन रही थी। चार से तो ऑलमोस्ट उसने स्कर्ट पसारने के लिए हाँ कर दी थी, बेचारे लिबरा भी तो पिछले छह महीने से रहे हैं, और कम्मो ने जो होली के अगले ही दिन अपने गाँव के तीन जबरदस्त पठान के लौंडो को दावत दी है, गुड्डी रानी के कुंवारे बिन फटे कोरे पिछवाड़े की,...
मेरी सास और जेठानी २१ दिन के लिए गायब, २१ दिन तक ये घर खाली रहेगा, अगर किसी तरह वो अनारकली यहाँ आ जाए, फिर तो,.. और एक बार कम्मो के चक्कर में , फिर गुड्डी रानी के चाहने से भी कुछ नहीं होगा, दिन रात चक्की चलेगी,... लेकिन कैसे, कैसे ,...
और उधर सास मेरी परेशांन थी, घर कैसे खाली छोड़ के, वो भी इतने दिनों के लिए, पर साउथ घूमने का मौका भी,...
और मेरी जेठानी परेशान थी , साजन के साथ २१ दिन लगातार रात में भी, दिन में भी, केरल के बीच , मस्ती के साथ , अपनी किटी पार्टी वालियों पर रोब झड़ने का कित्ता अच्छा मौका लेकिन , घर को लेकर अगर कही सासू जी ने, वैसे भी जेठ जी के साथ वो कम ही निकल पाती थीं, हर बार यही बात अटक जाती थी, माँ अकेले कैसे रहेंगी, कहीं कोई परेशानी हो जाये, और अब जो रिजर्वेशन हो गया, छुट्टी की भी प्लानिंग तो ये नया भूत, घर का, कौन रहेगा,आखिर कम्मो है तो और वो कौन सी बच्ची है,... उनके मुंह से निकल ही गया,
" कम्मो है न " .
लेकिन मेरी सास अभी भी पूरी तरह कन्विंस नहीं थी ,
मैंने भी जेठानी जी की तरफदारी की और वही बात दोहराई,
" दी ठीक तो कह रही हैं, कम्मो है न ,... "
लेकिन मेरी दिमाग की बत्ती तभी जली, पूरे १००० वाट का बल्ब,... और मेरी उँगलियाँ मोबाइल पर दौड़ने लगी, एक साथ चार चार व्हाट्सऐप मैं कर रही थी , दो फोन आये , एक को होल्ड कराया, दूसरे से बात की
जेठानी जी और सासू जी दोनों ध्यान से मेरी ओर देख रही थीं, पूरे चार मिनट तक,... फिर मैंने मुस्कराकर अपनी सासू जी की ओर देख कर कहा,
" हो गया, एकदम पक्का इंतजाम,.. लेकिन एक बात का जुगाड़ तो मैं करवा दूंगी , लेकिन दूसरी बात के लिए आपकी जरूरत पड़ेगी। "