२१ दिन
कुछ बातों में हम देवरानी जेठानी एकदम एक तरह सोचते थे , एक साथ दोनों बोले,
" अरे आपके लिए भी मूसलचंद का इंतजाम हो जाएगा , घबड़ाइये मत "
इंटरनेट पर मेरा हाथ तेजी से चलता था, झट से मैने मेल एस्कॉर्ट्स इन साउथ इंडिया साइट खोल दी, एक से एक हंक,...
मैंने सासू जी को दिखाया पीछे से खिलखिलाती हुयी जेठानी भी झाँक रही थी,
" देखिये हर शेप साइज के हैं, मसाज से लेकर फुल सर्विस तक, आपके बेटों को पता भी नहीं चलेगा मैं अभी बुक कर देती हूँ ,... "
सासू ने मेरे गाल कस के पिंच कर लिए,... और अपनी समधन को दस असली वाली गालियां सुनाते बोलीं,
" बहू, तेरे बाप का तो पता नहीं, लेकिन तू एकदम अपनी माँ पर गयी है,... "
यानी वो जाने को तैयार हो गयी थीं.
मैंने जेठानी जी के फ़ोन से जेठ जी का पूरा टूर प्रोग्राम निकाला, फिर उसी के साथ जोड़ के कुछ और ऊपर नीचे का एक ट्रेवेल साइट खोल के कुछ चैट की और जेठानी जी से बोला,
"डन, साउथ के सारे टेम्पल, बीचेज और जेठजी की मीटिंग्स भी, १४ दिन पंद्रह रातें, लेकिन एक मिनट पांच दिन का केरल और जोड़ देती हूँ , बैक वाटर्स, मसाज , पंच क्रिया,... जेठ जी को बोल दीजियेगा की कुछ छुट्टी ले लेंगे कुल २१ दिन "
" वही वो भी बोल रहे थे, कित्ते सालों से इन्होने छुट्टी नहीं ली छुट्टी का कोई मामला नहीं है। पर ट्रेन , रुकने का तुमने इतना लंबा प्रोग्राम बना तो दिया,... "
जेठानी जी अभी भी उलझी हुयी थीं, ... मन तो उनका बहुत कर रहा था, मेरे साथ साथ वो भी बुकिंग देख रही थीं , बेस्ट होटल्स, गाइडेड टूर्स,...
सासू जी भी परेशान लग रही थी,
" पूरे २१ दिन , इतने ट्रेनों में रिजर्वसेशन,... फिर सब जगह का , कैसे,... " मन उनका भी कर रहा था लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा था, ...
तब तक ये आगये,
नींद से कोई जैसे उठा हो, उसी तरह, रात भर क्या, सुबह नौ बजे तो सोये होंगे,... लेकिन मैं उन्हें देखकर सासू जी से बोली
" अरे आपने ये छह फिट का लड़का क्यों पैदा किया है , खाली मेरी ननदों से आँख मटक्का करने के लिए,... "
और उन्हें मैंने सब कुछ समझा दिया,...
इन सब कामों में तो वो सुपर कम्प्यूटर थे, उंगलिया चलती नहीं दौड़ती थीं, बस दस मिनट के अंदर सारी ट्रेन की, होटल, एजंट्स , लोकल टूर,... और सब का पेमेंट ,. भी
" हे चाय मिलेगी। सब बुकिंग कन्फर्म है , अभी दस मिनट में सारे टिकट बुकिंग डिटेल्स आ जाएंगे, मैं कमरे में जाके प्रिंट आउट निकाल दूंगा। "
जेठानी जी खुश नहीं महा खुश और वो खशी उन्होंने अपने देवर का कान पकड़ के जाहिर की,
" हरदम मेरी देवरानी से मांगते रहते हो, किचेन में तेरी कम्मो भाभी हैं, जाके चाय मांग ले और कुछ मांगना है तो वो भी माँगना है तो वो भी मांग लेना,... "
ये किचेन में गए, और सासू ने अपनी मन में चल रही उथल पुथल बता दी,
" बहू पैसा बहुत लगा होगा न, ... "
मैं बड़ी सीरियस होके बोली,
" हाँ," फिर खिलखिलाती बोली,
" आप काहें चिंता कर रही हैं , बनारस जा रहीं हूँ न वहां दालमंडी ( बनारस का रेड लाइट एरिया ) में अपनी उस छुटकी ननदिया की एडवांस बुकिंग करा दूंगी तीन चार रात की , जो लगा है उस का तीन चार गुना मिल जाएगा।"
"लेकिन घर का क्या होगा, "
मेरी सासू जी ने चिंता व्यक्त की,