snidgha12
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अरे भिनसारे का सपना रहा का,
waahhhh bhabhi ji, ati sundar,शॉपिंग का सवाल और,... लेडीज टेलर
तब तक इनका एक मेसेज आया , शॉपिंग आधी हो चुकी यही और अब वो मिठाई की दूकान पर थे।
वो जानना चाहते थे की मेरी छोटी बहनों की पसंद की मिठाई क्या है,
" डरते क्यों हो, खुद काहें नहीं फोन करके पूछ लेते, मंझली का चलो बोर्ड है दसवीं का, उसे मत डिस्टर्ब करना , लेकिन छुटकी तो घर पे होगी"
मैंने उन्हें ही काम थमा दिया, पर कम्मो का साथ, दिमाग कभी सही पटरी पर नहीं काम करता, मैंने उन्हें छेड़ा,
" अरे एक आइडिया, अपनी ममेरी बहिनिया से पूछ न, वो भी तो छुटकी की उमर की है बल्कि दो चार महीने छोटी ही है, ... रात भर चढ़े रहे, स्साली पर अब पूछने के नाम पर शरमा रहे हो,... "
स्पीकर फोन ऑन था, कम्मो भौजी अपने देवर की रगड़ाई का मौका क्यों चुकतीं, उन्होंने टुकड़ा जोड़ा,...
" अरे देवर जी, स्साली नहीं सलहज, ....कल उसके भैया चढ़े रहे रात भर, अब कल के बाद से हमारे भैया, तेरे साले चढ़ेंगे उस के ऊपर,जिस पर तोहार साले चढ़ें हचक हचक के लें , वो तो सलहज ही हुयी न आपकी,... गुड्डी रानी,.... तो उस रिश्ते से तो आप की सलहज हुयी न, "
ये डबल अटैक, वो भी मेरी और कम्मो की जुगल बंदी वो नहीं झेल सकते थे इसलिए उन्होंने वही किया जो ऐसे मौके पर सारे मरद करते हैं, फोन काट दिया।
लेकिन मैं नहीं चाहती थी की इन्हे छेड़ने के चक्कर में मेरी प्यारी प्यारी बहनों का घाटा हो जाए, इसलिए मैंने इन्हे दुबारा फोन लगाया,
और उन्होंने वही बहाना बनाया जो सारे मरद बनाते हैं,
" अरे यहाँ कनेक्शन खराब है इसलिए लाइन कट गयी थी,... " उनकी आवाज आयी, लेकिन मैं सीधे मुद्दे पर आयी
" तेरी सालियों को मिठाई में कोई ख़ास पसंद नापसंद नहीं है , कुछ भी चलेगा, हाँ चॉकलेट, और लॉलीपॉप छुटकी को बहुत पसंद है,
और क्रीम रोल मंझली को , पर एकदम फ्रेश लेना जो चार पांच दिन चल जाए, मंझली का तो कल आखिरी पेपर है हाईस्कूल का, वो बनारस गयी है, परसों तिझहरिया को ही आएगी। "
" पक्का, मैं अभी बेकरी वाले से बात कर लेता हूँ, वो ताजे ताजे बना देगा , शाम को सब शॉपिंग के बाद, घर पर भी फ्रिज में रख देंगे,... " चहक के वो बोले ,
लेकिन मैं फोन काटती उस के पहले बड़ी सीरियस आवाज में वो बोले , और मेरी फट गयी, हलके से नहीं बड़ी जोर से, ...
" मेरी लिस्ट में बचे हुए कामों में कोई टेलर का नाम लिखा है, लेकिन मैंने ऐसे कोड में लिख दिया है की मैं भी भूल गया हूँ, पर वो अभी अभी पेंडिंग दिखा रहा है , बी टी, टी से टेलर तो मैं समझ गया पर ,... "
किसी तरह मैंने हंसी रोकी, हम सब लड़कियां औरतें उसे बूब्स टेलर्स कहती थीं, बी टी, भले ही नाम हो बाबीज टेलर, चोली, ब्लाउज, टॉप, सूट, एकदम परफेक्ट फिट, रेडीमेड कपडे खरीदने के बाद भी सब लड़कियां वहीँ लाइन लगाती थीं, ... था भी वो एकदम एक्सपर्ट, ... २० फिट दूर से लड़की का नंबर ही नहीं कप साइज भी बता देगा, ३२ सी, एक मिलीमीटर भी झोल नहीं,
लेकिन नाप के कपडे देने पर उसका काम नहीं चलता था, हर बार बिना नाप लिए वो नहीं बनाता था , उसी के यहाँ मेरे सारे ब्लाउज इनकी हरकतों से शादी के पन्दरह दिन के अंदर टाइट हो गए थे, मेरी सास ने उसके बारे में बताया था, गुड्डी के साथ ही मैं उसके यहाँ गयी थी , पहली बार,...
और पहली बार में ही पक्की दोस्ती हो गयी थी, जो ब्लाउज मैं ढीले करवाने गयी थी वो उसने और टाइट कर दिए और क्लीवेज भी, कुछ नए कपडे थे, शादी में जो साड़ियां मिली थीं, सब के उसने चोली कट, एकदम बैकलेस बना दिया।
वही, बॉबी टेलर, बी टी, ... लेकिन मामला रीतू भाभी का था,
मैं अगर डरती थी किसी से पूरे गाँव में तो उन्ही से. और प्यार भी सबसे ज्यादा उन्ही से , सबसे पहले मैंने उन्ही को इन्हे दिखा के कहा था, जब मेरी सहेली के यहाँ शादी में ये बारात में आये थे, मुझे ये चाहिए,... मैंने भी न कहाँ की की बात कहाँ, मुझसे उन्होंने पूछा था की तेरी जान पहचान का कोई लेडीज टेलर है, एकदम मैंने झट से रीतू भाभी को बता दिया, बी टी, बाबीज टेलर लेक्किन यही असल में बूब्स टेलर ,
बस उन्होंने काम बता दिया की मैं उनके नन्दोई को लेके जाऊं उस के यहाँ और और उस से रीतू भाभी की बात करा दूँ, मुझे जाना ही उसके यहाँ था कुछ मुझे अपने भी ब्लाउज ठीक कराने थे , कुछ नए बनवाने थे, अब इनकी ससुराल से ही सीधे इनकी पोस्टिंग पर जाना था, होली -रंग पंचमी के बाद,... मैंने उसकी बात रीतू भाभी से करा दी , क्या बात हुयी ये मुझे भी नहीं मालूम लेकिन क्या औरतों की नाप लेती होगी वो, उससे भी ज्यादा उनकी नाप जोख हुयी थी , उन्होंने एक दो बार कुछ ना नुकुर किया तो मैंने रीतू भाभी का नाम लेकर उन्हें चुप करा दिया, उनके आगे वो भी मुंह नहीं खोल पाते थे.
तो उसकी डेट कल की ही थी, लेकिन कल कल दिन भर रात भर तो कम्मो का सिंगल प्वाइंट प्रोग्राम चला, अपने देवर को ननद पर चढ़ाकर ननदोई बनाना , . और मैं भी एकदम भूल गयी थी, जो काम रीतू भाभी ने उसे दिया था उसके अलावा मेरे चार ब्लाउज फिट कराने थे, पांच नए ब्लाउज थे , दो सूट भी मैंने सिलने को दिए थे, घर में तो नहीं पर इनकी पोस्टिंग पर और अपने मायके में,
रीतू भाभी ने साफ़ साफ़ वार्निंग दी थी, तेरा पिछवाड़ा अभी तक कोरा है न, तो बस अगर मेरा ये काम नहीं हुआ तो बस मेरी पूरी मुट्ठी और सिर्फ मेरी नहीं गांव भर के सब भौजाइयों की,....
" तुम न खाली अपनी उस ममेर बहन की ब्रा साइज के अलावा कुछ भी नहीं याद रखते, ... " मैंने उन्हें हड़काया,...
" बीटी मतलब बाबीज टेलर्स, कल की ही डेट थी और कल तो तुम अपनी बहिनिया के चक्कर में, एड्ड्रेस्स मालूम है या बताऊँ,... "
" नहीं, नहीं बस जा रहा हूँ, मालूम है पिछली बार तो तू ही ले गयी थी , चौक से दायीं वाली सड़क पे, ... " ये कह के उन्होंने फोन काट दिया
आपने तो शब्दहीन कर दिया,...क्या कहूं, ...कुछ कहने लायक नहीं रखा आपने,अद्भूत , अतुलनीय , अकल्पनीय भरा उपन्यास जिसमे काम, मस्ती , छेड़छाड़ , और सब्से बढ़ कर साजन के रंग मे रंगने की गाथा ।
ऐसे चुने हुए जामुन हमे बागो मे नही मिलते जितने चुन चुन कर शब्दो का प्रयोग करती है आप
कामुकता और व्यंग्यात्मक हरकतें
किसी के कामौकिक भाव को व्यक्त करने के लिए इससे सुन्दर प्रस्तुति नही हो सकती है ।
ना जाने कितने पाठक यहा incest की आश लिये भी बैठे होगे लेकिन उनसब के परे भी एक गहरी और नयी अनुभ्ति से भरी रचना है जहा रोमांच एक एक शब्द से जुडा है ।
सही मायने मे मुझे आपका ये लेख आखिरी अपडेट तक खतम करने मे पुरे एक माह से अधिक का समय लगा क्योकि ये रचना इतनी वास्तविक सी लगती है और जीवन से जुडी काफी घटनाओ से मिलती भी है तो मन एक कामुक तरंग से नहा लेता है और उस तरंग का पानी कहा कहा से रिस्ता है ये ब्ताने की जरुरत नही है ।
शादीओ के दौरान हुई मस्तिया और कोह्बर की छेड़छाड़ और अन्तत: साड का बछिये पर चढ़ने का मौका, लगभग हर रचना हर दृश्य रोमांचक भरा था । बीते एक महीने मे मानो समय थम सा गया था और सिर्फ इस लेख के हर पोस्ट के बाद ही जीवन का समय बढता था ।
शब्द कहा से लाऊ इस प्रस्तुति के लिए कोमल जी
आप तो खुद माहिर है शब्दो के सतरन्ज मे
दिल आभारी है और एक मुस्कान भी है
बस इन्तेजार है ससुराल की उस यात्रा का
जल्द ही मिलते है अगले रिव्यू मे
आपने तो शब्दहीन कर दिया,...क्या कहूं, ...कुछ कहने लायक नहीं रखा आपने,
बस यही चाह सकती हूँ , ऐसे रससिद्ध, मर्मज्ञ पाठक और मिलें , सबको मिलें,... और आप समय निकाल कर कभी कभी यहाँ हुंकारी भरने आ जाय करें,...
बस इस छोटी सी लालसा के साथ बहुत बहुत धन्यवाद
waahhhh bhabhi ji, ati sundar,
साजन सजनी ननद सब मिलाकर "मोहे रंग दे" एक प्रेम रस से सराबोर करने वाली गाथा है...
साजन से साथ अपनी बहनों के पसंद का भी ख्याल है...
और रितु भाभी तो जब्बर लग रही हैं....
इधर ससुराल में ननद तो उधर ससुराल में साली और सलहज व सालियों की अन्य सहेलियां और संभव हुआ तो सास भी लाइन में है...
प्रतीक्षा रत
जहा आप वहां मैं,Thanks so much, bas saath nitbhati rahiye,...