waah kya gajab likha h aise hi likhte rahiye ab toh 21 din ka intezaar aur jyada mazedar ho gya h
Thanks soooo much, bas aap saath dete rahiye,....waah kya gajab likha h aise hi likhte rahiye ab toh 21 din ka intezaar aur jyada mazedar ho gya h
Welcome to the thread,.... and thanks for gracing itFinally Aaj xforum pr account banana hi pada. Or mujhe majboor kiya komal ji ki kahaniyon ne. Or mera pehla comment xforum pr yahi hai. Baaki baten baad me
You are correct, just touched finger on my pulse, please jude rahiye and keep on sharing your viewsI am your silent reader from last 4-5 years, pehle exbii, fkr xossip or ab xforum pr. Apke jaise writer xforum pr koi nhi hai. You are best. But bura lgta tha jab apki stories pr comment nhi aate , isliye yeh account bnaya hai taki apko yeh na lage ki apki stories koi nhi padh raha.
,तीसरा फायदा
कम्मो ने पूरी बात सुने बिना, जवाब दे दिया,
" अरे चमेलिया बड़ा मस्त छत पर बनवायी है, जउन तोहार कमरा है एकदम उहै साइज, खूब चौड़ा बेड, दो जोड़ा साथ कबड्डी खेलें,... सामने खूब बड़ा शीशा,बिस्तर पर की सारी कबड्डी शीशे में साफ़ साफ कबड्डी खेलने वाले देख सकते हैं,
पूरा एसी,... और पार्लर के बगल में एक दरवाजा है सीधे वहीँ से सीढ़ी और ऊपर,... किसी को पता भी चलेगा, अपने खास क्लाएंट के लिए,... तो ननद से बढ़ के ख़ास कौन हो सकता है। "
अब मेरे चुप होने की बारी थी , मैं मन ही मन सोच रही थी सही बात है , २१ दिन के बाद जब सब लोग घर वापस आ जाएंगे तो गुड्डी के और उसके यारों के लिए किसी जगह का इंतजाम तो होना ही चाहिए था , और इससे बढ़िया क्या होगा,
और कम्मो ने कुछ और अल्टेरनेटिव भी बता दिए,
और पार्लर में भी मसाज वाले, अरे जहाँ लड़कियां सब मसाज करती हैं , तीन तीन केबिन हैं, अक्सर एक दो तो खाली ही रहते हैं,..,उस में भी ठीक ठाक,... ठोंकने के लिए बहुत जगह होती है , चुदवास लगने पर तो गन्ना क खेत और मक्का बाजरा में लौंडियाँ टांग उठा देती हैं , कार के पीछे वाली सीट पर, तो ओसे से तो ज्यादा जगह है , फिर शुद्ध कडुवा तेल कोल्हू वाला,... "
हम दोनों हंसने लगे ,
सच में ये बड़ा सही इंतजाम हो जाएगा ननद रानी के लिए।
और अंत में कम्मो ने तीसरा फायदा भी गिना दिया।
एक बात तो मैं जानती थी, चमेली गुड्डी की शलवार का नाड़ा खोलने के लिए बेताब थी, लेकिन कौन भौजाई नहीं थी। जो ननदें शलवार का नाड़ा खुलवाने में में ज्यादा नखड़ा करती हैं , भौजाइयां उन्ही के पीछे ज्यादा पड़ती हैं,
फिर गुड्डी तो उसी गली मोहल्ले की थी, और रूप जोबन भी जबरदस्त, सबसे बढ़कर वो छनछनाती भी बहुत थी, छूने की बात दूर अगर कोई 'असली वाली ' गारी उस का नाम ले के,
ये बात मुझे पहले दिन से ही पता चल गयी थी, इसलिए शादी के तीसरे दिन, जब छत पर गाने गाने का प्रोग्राम हुआ, शुरू तो फ़िल्मी और सीधे साधे गानों के बाद जब असली गारियाँ शुरू हुयी तो मैंने चुन के अपनी छोटी ननदी को चुना , और वही तो एक ननद थी जो इस शहर में मेरे साथ रहने वाली थी, और चमेली ने मेरा खूब खुल के साथ दिया, और उस दिन कूंवा झाँकने की रस्म में भी,...
फिर मैं भी उस के घर भी गयी, उस की सास बहुत इसरार करके गयी और वो कोल्हू भी देखा जिसका पेरा कड़ुवा तेल, दिन दहाड़े और रात रात भर,...
और ये भी मुझे धीरे धीरे पता चल गया की वो कन्या प्रेमी भी है, और कन्या प्रेमी महिलाओं की ख़ास पसंद तो कच्ची कलियाँ होती है और वो भी जो बहुत हाथ पैर फेंकती हो,...
लेकिन जो कम्मो ने बात बतायी वो मैं सोच भी नहीं सकती थी।
कम्मो बोली की काम कला ने चमेली उससे भी दस हाथ आगे थी, जिस तरह से कम्मो ने अपने देवरों की ली थी, मैं मान नहीं सकती थी की कोई कम्मो से भी ज्यादा , लेकिन कम्मो ने फिर हाल खुलासा बताया तो मेरी आँखे खुली रहगयी,
जो मैगी नूडल होते हैं न, टू मिनट वंडर, उनको भी चमेली मैडम ऐसे विश्वास दिला देतीं हैं की अपने जिले के सबसे जबरदस्त सांड़ वही हैं,
और कहीं मुश्किल से कोई तगड़ा मरद भिड़ गया ( मैंने इनकी तारीफ़ सुनने के लिए कम्मो को चिढ़ाया , आपके देवर जैसा,... तो दस बातें सुनने को मिल गयीं,... की उसने बहुत देखें हैं , लेकिन कम्मो के देवर यानी इनसे, सब १९ नहीं है १६-१७ होंगे , और कम्मो तो सेंसर बोर्ड के सख्त खिलाफ थी तो लम्बाई मोटाई कड़ापन सब बखान दिया उसने ) तगड़े का मतलब ७ या ७ + वाले जो दस बारह मिनट तक टिकने वाले हों, उन्हें भी वो बस जब उस की मर्जी होती तो तब निपटा सकती थी.
लेकिन कम्मो की एक बात जिसकी मैं सबसे ज्यादा कायल हो गयी, वो थी एरोजीनस प्वाइंट , जो हर मरद या या औरत के अलग अलग होते हैं, लेकिन उनको पहचानना सबके बस की बात नहीं।
लेकिन उससे बड़ी बात है मरद हो या औरत वो सिर्फ अपने मज़े के चक्कर में रहते हैं, औरत ने कहीं दो चार बार झूठ मूठ की भी सिसकी भर दी, तो अपने को पंचायती सांड़ समझने लगते हैं , और यही बात औरतों के लिए भी उतनी ही सही है, मेरी गुरुआइन ( और कौन रीतू भाभी ) कहतीं थी , अरे अब चाकू छुरी का जमाना चला गया, राकेट मिसाइल का जमाना है , बिना छुआ छुअन के जो लड़की दूर से आँखों से , मुस्करा के , दुपट्टा ठीक कर के साड़ी का पल्लू गिरा के, मुस्करा के लड़के का खड़ा न कर दे,...
तो बस कम्मो के अनुसार चमेली उस तरह की थी। देह का सारा भूगोल , का कहते हैं आजकल हाँ केमिस्ट्री सब कुछ उसको मालूम है , और एक बार अगर गुड्डी उसके साथ तो एक एक चीज वो उसको सिखा देगी ,
और उसके बाद कम्मो ने कहा वो एकदम अनुभव का निचोड़ था , वो बोली,...
उभार बस छोटे छोटे उभरने शुरू ही होते हैं , तो लड़के सीटी बजाने, कमेंट करने, रेशमा जवान हो गयी गाने लगते हैं, भले ही घर में वो सहेलियों के साथ सातगोट्टी खेलती हो, घर वाले बच्ची समझते हों, पर गली के लड़के उसे जवान होने का जोबन के आने का अहसान दिला देते हैं, और कपडे बदलते समय, नहाते समय वो अपने उभारों को छू के देखना, सहलाना शुरू कर देती है,...
इसके बाद अगली स्टेज तब आती है जब कुछ दिनों में हाईस्कूल तक पहुँचते पहुँचते लड़के सीरियस होने लगते हैं, कोई भाभी, बड़ी बहन पहली ब्रा खरीद देती है, कभी कोई पड़ोसन दुप्पटा ठीक से लेने के लिए टोंक देती है, ...
लड़के फिर स्कूल के सामने खड़े होना, स्कूल तक आना जाना, और पटाने के लिए,...
" गुड्डी अभी तक जिस हालत में है " मैंने उदाहरण पेश किया।
"एकदम, अपनी क्लास की सबसे जबरदस्त माल है, तो भौंरे भी सबसे ज्यादा, लेकिन अगर उसे देना नहीं शुरू किया तो लड़के कुछ दिन में हिम्मत हार के दूसरी लड़की पर चक्कर काटना शुरू कर देंगे, लेकिन जैसे ही वो एक के सामने भी टांग फैला देगी, बस बाकी भी, लड़कों को लगेगा थोड़ी सी मेहनत करने पर दे देगी, तो और... फिर कुछ और को अगर उसने दे दिया तो , फिर और , भौरों की लाइन लगी रहती है , लेकिन जानती हो कुछ दिन बाद साल दो साल बाद एक अलग परेशानी शुरू होती है,... "
कम्मो बहुत सीरियसली बोली
ये बात मेरी समझ में नहीं आयी और मैंने पूछ लिया, और कम्मो ने जो जवाब दिया वो एकदम सही था. दो चार बार चढ़ने के बाद लड़कों को लगता है ये एकदम रूटीन है , आसानी से मिल जा रही है तो उनका इंट्रेस्ट कम होने लगता है, एकदम जैसे पति पत्नी के रिश्तों से दो चार साल के बाद सेक्स कम होने लगता है,...
और इधर उधर, जो काल गर्ल में मसाज पार्लर में वो सेक्स से ज्यादा रिलेशनशिप के लिए , अपने को इम्पोरटेंट फील करने के लिए , जो रोमांस उनके अपने संबंध में नहीं मिलता उसे पाने के लिए...
और उस में भी अगर कोई लड़की काम कला में निपुण है , जो सेक्स को मैकेनिकली नहीं ट्रीट करती , की बस एक काम करना है , एक बॉक्स टिक कर दिया और उसके इरोजीनस जोन्स को उत्तेजित कर के हर बार नया मजा देता है , तो लड़का उसके पीछे पीछे चक्कर काटेगा, तो वो सारी ट्रिक चमेली गुड्डी को सीखा सकती है ,
मजे देने के भी मजे लेने के भी और लौंडो को पहचानने के भी कौन ६ + है , किसके आगे टाँगे फैलानी है, किसे सिर्फ चुम्मा चाटी में टिका देना है।
बात कम्मो की एकदम सही थी, और तीनो बाते कम्मो ने एकदम सही बतायी थी लेकिन जो अगली बात उसने बतायी मैं सोच भी नहीं सकती थी।