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रात पिया के संग जागी रे सखी
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एक बार मेरी मंझली ननद दूध के बारे में बता रही थीं , कोई आदमी पिए तो सांड हो जाता है ,
मेरे मुंह से निकल गया ,
अगर कोई साँड़ पिए तो ,...
हंस के वो बोलीं
" वो तो तू ही बता सकती है , ... : "
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मैं कह रह थी न , ...
मेरी दुरगत कराने में मेरी सास और ननद का बहुत हाथ था , ..रोज रात में नौ बजे होने के पहले ही ,... अपने बेटे के पास सास मेरी भेज देती ,
उन्हें भी मालूम था की वहां उनका बेटा मेरे साथ क्या करेगा ,... पर उस दिन तो आठ बजे के पहले ही ,... और मैं मुस्कराते हुए देख रही थी औटाये हुए दूध में वो क्या क्या ,...
जो पहले से ही सांड़ हो ,...
हो जाय वो दस सांड की ताकत वाला , ... मुझे क्या ,.... पांच दिन से इन्तजार कर रही थी ,

मैं लगभग दौड़ते हुए सीढ़ी पर ऊपर चढ़ी , ...
और झट से कमरे में , ...
और फिर मुड़कर सबसे पहले दरवाजा बंद किया , ... दूध लड्डू की ट्रे , ... साइड टेबल पर रखी ,
और उन्हें दिखाते ललचाते , मैंने साडी उतारी ,
और झटके से पास के ड्रेसिंग टेबल पर उतार फेंकी ,
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एक लो कट , बैकलेस ब्लाउज ,... और पेटीकोट ,....
वो रजाई में लेटे लेटे टुकुर देख रहे थे , ...
पर रोज की तरह उन्होंने रजाई में मेरे घुसने का इन्तजार नहीं किया , जब तक मैं समझती सम्हलती , मैं उनकी बांहो में थी और खींचकर मुझे वही सोफे पर ,
मैंने सोच के रखा था ये पूछूँगी उनसे , वो पूछूँगी , ये कहूँगी , वो कहूँगी पर ,...
मेरे होंठ उनके होंठों ने गिरफ्तार कर लिए थे , उनकी जीभ मेरी मुंह में घुसी थी ,
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और हम दोनों सोफे पर , ...
हाँ उनके बदमाश हाथ , ...
ये लड़का चाहे जितना आपको सीधा लगे , पर उसके कुछ हिस्से ,
उसके दोनों हाथ , होंठ , और सबसे बदमाश थी
नहीं नहीं ,... वो ,... एक बित्ते वाला , ...कड़ियल मोटू नहीं उसे तो कुछ शरारत सिखाई इनकी सलहज रीतू भाभी ने ,...
मेरा मतलब , चोर डाकू , ...
जिसने मुझसे मुझको ही चुरा लिया , ...
जी , ... इनकी आँखे ,...
लेकिन उन बदमाश मेरे कपड़ों के दुश्मन हाथों ने , ...
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मेरी चोली और पेटीकोट वहीँ पहुँच गए जहाँ साडी थी , ड्रेसिंग टेबल पर
मैं क्यों छोड़ती उन्हें,
उनका शार्ट , उनकी बनयान ( इससे ज्यादा वो मेरा इन्तजार करते समय पहनते नहीं थे ) मेरे हाथों ने उतार कर फर्श पर , ...
फिर मेरी ब्रा और पैंटी कैसे बचती , ...
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दस पन्दरह मिनट तक बस हम दोनों एक दूसरे से चिपके रहे , बिना कुछ बोले ,
बिना किस लिए ,
बस न वो कुछ बोल रहे थे न मैं , उनकी भी आँखे बंद मेरी भी , ...
और बोले भी तो क्या , होंठों से नहीं ,
उनके हाथ बोलने लगे , मेरी पीठ को सहलाते , दुलराते ,...
और फिर वही बदमाश आँखे , ...
जिस तरह उन आँखों ने मेरी आँखों में झांक कर देखा , ... मैं शरमा गयी , मेरी आँखे बंद हो गयीं , मुझसे देखा नहीं गया ,
रात रात भर हम लोग बिना कपडे के और एक से एक बदमाशियां और अब तो कई बार उनसे भी ज्यादा मैं , ...
आखिर अपनी भाभी की ननद थी ,
पर वो आँखे भी न ,... एक बार वो देखते थे की मैं बस पिघल जाती थी , ...
और मेरी बंद आँखों में कुण्डी ताला लगा के उनके होंठों ने चाभी चुरा ली ,...
आँखों के खेल में तो कब की हार चुकी थी ,...
लेकिन अगर उनकी आँखे बदमाश थीं न तो मेरे होठ भी कुछ कम नहीं थे ,
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एक चुम्बन के लिए तो मैं उनसे कुछ भी करा सकती थी ,
मेर होंठ आजाद हुए तो कस के , दस चुम्मी , पहले गालों पर फिर उनके होंठों पर , ...
मेरे दोनों हाथों ने कस के उनके सर को पकड़ के ,
बदमाशी की शुरआत मैंने की लेकिन वो बदमाश ,...
उसके बदमाश हाथ ,... नदीदे , लालची , ... एक हाथ पीठ पर रहा तो दूसरा
एकदम डाकू ,
लुटेरे ,
बस सीधे मेरे जोबन पर , जोबन लूटने में
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( और यह लूट पहली रात से चालू थी , और मैं शिकायत करती तो किससे ,
कोहबर में से ही मेरी माँ , भाभी बहने सबने दलबदल कर लिया था , सब की सब अपने दामाद , नन्दोई और जीजू की ओर। )
और जैसे उनके हाथ काफी नहीं हो , उनके लालची होंठ भी आ गए उनके साथ ,

और जैसे माफ़िया वाले इलाका बाँट लेते है न ,
दायां जोबन उनके लुटेरे हाथ के कब्जे में तो बायां उभार , उनके लालची होंठों के पकड़ में ,...
पहले तो मैं चुपचाप सरेंडर कर देती थी ( मना तो मैंने इस लालची लड़के को पहली रात में नहीं किया था )
लेकिन अब उनके बदमाश , गुंडे टाइप हाथों की सोहबत में , देखादेखी , मेरे हाथ भी
मैं भी एक हाथ से उन्हें इस तरह से बांधे हुए थी की जैसे अब पल भर के लिए दूर नहीं होने दूंगी ( सच में मन तो यही करता था )
और दूसरा हाथ , सीधे उनके टिट्स पर ( कुछ मेरी भाभियों ने सिखाया था , कुछ मैंने खुद सीख लिया था )
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लम्बे नाख़ून से मैंने स्क्रैच करना शुरू कर दिया , ...
और होंठों और हाथ के बटवारे में बचा उनका बायां हाथ मेरे असली खजाने की ओर बढ़ा , मेरी जाँघे अपने आप सिकुड़ गयीं ,
और मेरा हाथ भी , उस बदमाश मूसल की ओर ,...
खड़ा तना तो वो पहले से ही था , ... मेरी उंगलिया बजाय पकड़ने के उसके बेस पर हलके हलके दबाने लगीं ,...
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और कुछ देर में ही वो ' मोटा' मेरी मुट्ठी में था , आलमोस्ट। पूरी तरह जगने पर तो वो मेरी कलाई से भी मोटा हो जाता था , एकदम बियर कैन इतना , ... लेकिन अभी ,
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मेरे मुंह से निकल गया ,
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हंस के वो बोलीं
" वो तो तू ही बता सकती है , ... : "
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मैं कह रह थी न , ...
मेरी दुरगत कराने में मेरी सास और ननद का बहुत हाथ था , ..रोज रात में नौ बजे होने के पहले ही ,... अपने बेटे के पास सास मेरी भेज देती ,
उन्हें भी मालूम था की वहां उनका बेटा मेरे साथ क्या करेगा ,... पर उस दिन तो आठ बजे के पहले ही ,... और मैं मुस्कराते हुए देख रही थी औटाये हुए दूध में वो क्या क्या ,...
जो पहले से ही सांड़ हो ,...
हो जाय वो दस सांड की ताकत वाला , ... मुझे क्या ,.... पांच दिन से इन्तजार कर रही थी ,
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और झट से कमरे में , ...
और फिर मुड़कर सबसे पहले दरवाजा बंद किया , ... दूध लड्डू की ट्रे , ... साइड टेबल पर रखी ,
और उन्हें दिखाते ललचाते , मैंने साडी उतारी ,
और झटके से पास के ड्रेसिंग टेबल पर उतार फेंकी ,
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एक लो कट , बैकलेस ब्लाउज ,... और पेटीकोट ,....
वो रजाई में लेटे लेटे टुकुर देख रहे थे , ...
पर रोज की तरह उन्होंने रजाई में मेरे घुसने का इन्तजार नहीं किया , जब तक मैं समझती सम्हलती , मैं उनकी बांहो में थी और खींचकर मुझे वही सोफे पर ,
मैंने सोच के रखा था ये पूछूँगी उनसे , वो पूछूँगी , ये कहूँगी , वो कहूँगी पर ,...
मेरे होंठ उनके होंठों ने गिरफ्तार कर लिए थे , उनकी जीभ मेरी मुंह में घुसी थी ,
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हाँ उनके बदमाश हाथ , ...
ये लड़का चाहे जितना आपको सीधा लगे , पर उसके कुछ हिस्से ,
उसके दोनों हाथ , होंठ , और सबसे बदमाश थी
नहीं नहीं ,... वो ,... एक बित्ते वाला , ...कड़ियल मोटू नहीं उसे तो कुछ शरारत सिखाई इनकी सलहज रीतू भाभी ने ,...
मेरा मतलब , चोर डाकू , ...
जिसने मुझसे मुझको ही चुरा लिया , ...
जी , ... इनकी आँखे ,...
लेकिन उन बदमाश मेरे कपड़ों के दुश्मन हाथों ने , ...
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मेरी चोली और पेटीकोट वहीँ पहुँच गए जहाँ साडी थी , ड्रेसिंग टेबल पर
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और फिर वही बदमाश आँखे , ...
जिस तरह उन आँखों ने मेरी आँखों में झांक कर देखा , ... मैं शरमा गयी , मेरी आँखे बंद हो गयीं , मुझसे देखा नहीं गया ,
रात रात भर हम लोग बिना कपडे के और एक से एक बदमाशियां और अब तो कई बार उनसे भी ज्यादा मैं , ...
आखिर अपनी भाभी की ननद थी ,
पर वो आँखे भी न ,... एक बार वो देखते थे की मैं बस पिघल जाती थी , ...
और मेरी बंद आँखों में कुण्डी ताला लगा के उनके होंठों ने चाभी चुरा ली ,...
आँखों के खेल में तो कब की हार चुकी थी ,...
लेकिन अगर उनकी आँखे बदमाश थीं न तो मेरे होठ भी कुछ कम नहीं थे ,
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मेर होंठ आजाद हुए तो कस के , दस चुम्मी , पहले गालों पर फिर उनके होंठों पर , ...
मेरे दोनों हाथों ने कस के उनके सर को पकड़ के ,
बदमाशी की शुरआत मैंने की लेकिन वो बदमाश ,...
उसके बदमाश हाथ ,... नदीदे , लालची , ... एक हाथ पीठ पर रहा तो दूसरा
एकदम डाकू ,
लुटेरे ,
बस सीधे मेरे जोबन पर , जोबन लूटने में
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कोहबर में से ही मेरी माँ , भाभी बहने सबने दलबदल कर लिया था , सब की सब अपने दामाद , नन्दोई और जीजू की ओर। )
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दायां जोबन उनके लुटेरे हाथ के कब्जे में तो बायां उभार , उनके लालची होंठों के पकड़ में ,...
पहले तो मैं चुपचाप सरेंडर कर देती थी ( मना तो मैंने इस लालची लड़के को पहली रात में नहीं किया था )
लेकिन अब उनके बदमाश , गुंडे टाइप हाथों की सोहबत में , देखादेखी , मेरे हाथ भी
मैं भी एक हाथ से उन्हें इस तरह से बांधे हुए थी की जैसे अब पल भर के लिए दूर नहीं होने दूंगी ( सच में मन तो यही करता था )
और दूसरा हाथ , सीधे उनके टिट्स पर ( कुछ मेरी भाभियों ने सिखाया था , कुछ मैंने खुद सीख लिया था )
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और होंठों और हाथ के बटवारे में बचा उनका बायां हाथ मेरे असली खजाने की ओर बढ़ा , मेरी जाँघे अपने आप सिकुड़ गयीं ,
और मेरा हाथ भी , उस बदमाश मूसल की ओर ,...
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और कुछ देर में ही वो ' मोटा' मेरी मुट्ठी में था , आलमोस्ट। पूरी तरह जगने पर तो वो मेरी कलाई से भी मोटा हो जाता था , एकदम बियर कैन इतना , ... लेकिन अभी ,