rakmis
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नाम के अनुरूप- कोमल की कोमलता और रानी का रसदार रनियापा, बिल्कुल बनारस की रबड़ी
पाठक बोल रहे - मोहे रंग दे कोमल रानी अपने रंग मे
पाठक बोल रहे - मोहे रंग दे कोमल रानी अपने रंग मे
to jaane ki saari program lag bhag sari taiyari kar chuke hai.. baaki final touch bhi de rahe hai... ek aadh samashya bhi paida huyi par komal hai to chinta kis baat ki....
haalaki kammo jab in logo ke jaane ki baat suni to pareshan si ho gayi... lekin komal ne saari baatein batake uske doubts aur pareshani door kar kar di... even guddi ke aane ki baat sun aur guddi ko leke mauj masti ki planning ke bare mein sun ke jaise kammo ke mann mein khushi ka laddu futa ho... wo ek tarah se kayal si ho gayi komal ka idea sun ke, khushi ke maane gale lag gayi....
So udhar jaha baaki log mauj masti karenge... wohi idhar ghar pe guddi aur kammo alag hi kamukta se bhari masti karne wali hai...
Shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan aur sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi...
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills komaalrani ji
कहानी का प्लाट और उसका एक्जीक्यूशन शानदार है..
विविधता भी है.. डायलॉग भी है... छेड़ छाड़ भी है.. मस्तियाँ भी है...
संवाद में अटैक और काउंटर अटैक भी है...
लेकिन व्यूज और रिप्लाई उतने नहीं मिल पा रहे..
ये आश्चर्यजनक है....
इसके तीन कारण मुझे समझ में आते है...
1. कहीं किसी जगह मैंने सर्वे में पढ़ा था कि किसी इस तरह की वेबसाइट पर जो कंटेंट रोज अपलोड होता है उसे पढ़ने और उस पर रिप्लाई देने के लिए पचास घंटे से ऊपर चाहिए...
लेकिन आदमी अपने सारे काम छोडकर सिर्फ इसी काम में लगा रहे तो भी उसके पास प्रतिदिन 24 घंटे हीं उपलब्ध है...
इसलिए सभी अपने अपने चॉइस से उसी कंटेंट पर जा कर रिएक्ट करते है....
2. शायद ज्यादातर लोगों की चॉइस इंसेस्ट (मम्मी, सगी बहन, पिता और अपना बेटा इत्यादि) है..
इसलिए संभवतः यह कहानी उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता और एक नजर मार कर वो आगे बढ़ जाते है...(शायद ममेरी बहन उन्हें इंसेस्ट में उतना उतेजित नहीं कर पाती..)
3. शायद कुछ क्लोज ग्रुप भी इस साईट पर हों जो किसी ख़ास कहानी का व्यूज बढ़ाने के लिए उस पर रिप्लाई पर रिप्लाई दिए जाते हैं..
जो इस स्वतंत्र, मौलिक और सृजनशील लेखिका को प्राप्त नहीं है...
लेकिन फिर भी लेखिका ने अपनी रचनात्मक शक्ति और कल्पना शीलता नहीं छोड़ी और कई लोगों के विरोध के बावजूद कहानी को अपने रफ्तार से जारी रखा है..
इसके लिए लेखिका स्तुति और अभिनंदन की पात्र है..
मेरी तरफ से लेखिका का सहस्र आभार ...
नाम के अनुरूप- कोमल की कोमलता और रानी का रसदार रनियापा, बिल्कुल बनारस की रबड़ी
पाठक बोल रहे - मोहे रंग दे कोमल रानी अपने रंग मे
Kaaaaash meri b ek aap jasi bhabhi hoti. Pahle bhabhi ki kami kabhi mahsus na hui. Par ab aapka saath mujhe is kami ka ehsas dilwa raha h aur aapka saath hi mujhe ek bhabhi hone ka ehsas b dilwa raha h........... ek bahut achhi kahani likhne aur mere saath hone k liye dhanyawadलिप सर्विस
फटा पोस्टर निकला हीरो खूब मोटा लम्बा , एकदम कड़क , बेताब , भूखा , कड़ियल नाग ,
सुपाड़ा खुला ,
बस मैंने जीभ की टिप से झट से लिक कर लिया , उसकी एकलौती आँख को ,
और फिर लपड़ लपड़ ,...
लेकिन मैं जानती थी समय का महत्व , खास तौर से जब एक ननद जल्द ही आने वाली हो ,
मैंने बिना इन्तजार किये आधे से ज्यादा गप कर लिया और पूरी ताकत से चूसने लगी , साथ में मेरी जीभ उनके खुले सुपाड़े पर डांस करती , ताज़ी लाल लिपस्टिक लगे होंठ , कस के रगड़ते , ...
असर तुरंत हुआ , थोड़ा सा झुक के उन्होंने मेरे सर को दोनों हाथों से पकड़ा , और कस के ठोंक दिया ा
अब वो खुल के मेरा मुंह चोद रहे थे , क्या कोई मर्द बुर चोदेगा ,
जिस तरह से मेरा साजन मुंह चोदता था , इतना मजा आता था की बस , मैं उन्हें मुंह उठा के देखती रहती थी ,
अपनी बड़ी बड़ी दीये सी आँखों से , उनकी आँखो को , जिसमें मैं बसी थी , जागते भी सोते भी , ..
मेरे गाल फटे पड़ रहे थे ,
जब सुपाड़ा हलक से टकराता बस जान नहीं निकलती ,
लेकिन इस दर्द को तो मैं तरसती थी , जब वो पास नहीं होते थे ,
यही पल तो अगल पांच दिन तक मेरे सहारे होने वाले थे , जब ये लड़का पास नहीं होगा , ...
और बदमाशी कर के मैंने अपने मुंह से 'उसे ' बाहर निकाल लिया , ...
और मुंह हलके से दूर कर के उनकी आँखों में देखने चिढ़ाने लगी ,
एक बार मैं पलके झुका लेती , उसे चिढ़ाती , ...
वो बेक़रार , बेसबरा , ... मालुम उसे भी था ,... मिलेगा पर एक पल का इंतजार उसे नहीं होता था , मैं बस खूंटे के बेस छोटी सी चुम्मी लेती , फिर एक लिक
नीचे से ऊपर तक , सिर्फ लिक और वो भी सुपाड़े के पहले जाके वापस ,...
सच में उसे तंग करने में बहुत मज़ा आता था , उस बुद्धूराम को क्या मालूम उससे ज्यादा मेरा मन करता था ,
उस ' मोटू' को मुंह में लेने का , चूसने का कस कस के , ... और मुझसे नहीं रहा गया मैंने कस के पूरा मुंह में ,
अब धीरे धीरे मैं भी डीप थ्रोट में एक्सपर्ट हो गयी थी ,
कस के , और मुझे कहीं ये भी लग रहा था, .... कहीं मेरी वो छिनाल ननद आ न जाए बीच में ,
बस वो आने वाली ही होगी ,
फिर चूसने के साथ मेरी उँगलियाँ भी मैदान में आ गयीं , ... उनकी आँखे मुंद गयी ,
ये सबसे बड़ा इंडिकेटर था की बस अब , अभी ,... वो झड़ने वाले हैं , ...
उसी समय दरवाजे पर दस्तक हुयी ,
भाभी , ...
वही शोख चुलबुली आवाज , ... मेरी ननद ,
" बस खोल रही हूँ "
मैंने एक पल के लिए मुंह खोला , उसे जवाब और दुबारा कस के ,
पता नहीं मेरे कस के चूसने का असर हुआ , या मेरी शैतान उँगलियों का
या उनकी जवान होती बहन की शोख आवाज़ का , ....
ज्वालामुखी फुट पड़ा , ... और बार बार , सफ़ेद फुहारें , ... सब मेरे मुंह में , ... मेरे गाल एकदम फूल गए , ...
पर आज इतने से मेरा काम नहीं चलने वाला था , ... मैंने बताया था वो डबल बैरेल वाले थे , ... कुछ देर बाद दूसरा धमाका ,...
मैं उन्हें जोर जोर से मुठिया रही थी , लंड के बेस पर ऊँगली से दबा रही थी , दूसरा धमाका , ...
पहले से भी तेज खूब ज्यादा , मैंने सब कुछ अपने मुंह में लेने की कोशिश की , पर इतना ज्यादा था की ,
कुछ बह कर मेरी ठुड्डी पर , कुछ सरक कर मेरी गरदन फिसल कर , खुले लो कट गले वाले ब्लाउज से मेरी गोरी गदरायी गोलाइयों पर , ...
और तभी फिर आवाज आयी ,
" भाभी खोलिये न क्या कर रही हैं , ... "
मेरी ननद की छेड़ती खनकती आवाज
Kaaaaash meri b ek aap jasi bhabhi hoti. Pahle bhabhi ki kami kabhi mahsus na hui. Par ab aapka saath mujhe is kami ka ehsas dilwa raha h aur aapka saath hi mujhe ek bhabhi hone ka ehsas b dilwa raha h........... ek bahut achhi kahani likhne aur mere saath hone k liye dhanyawad