- 21,531
- 54,538
- 259
आप भी न,भाभी क्यो ?
रानी साहिबा कहो ना
Erotica लिखने में तो है ही क्वीन
आप भी न,भाभी क्यो ?
रानी साहिबा कहो ना
Erotica लिखने में तो है ही क्वीन
You deserve the title कोमल जीआप भी न,
वाह , क्या डिटेल हैबेसबरा
मैं सिहर रही थी , सिसक रही थी ,...
और कुछ देर बाद , जब वो बौराया मूसलचंद मेरी गुलाबों के होठों को फैलाकर सटा
कर ,
सच , एक बार फिर मन में डर छाने लगा , ..
कल और सुबह की ,...
अभी तक जाँघे फट रही थीं , ज़रा सा चलती थी तो 'वहां' चिलख उठती थी , खूब जोर से , किसी तरह मैं दर्द पी जाती थी , ...
और अब तो मैंने देख भी लिया था , सिर्फ लम्बाई में ही मेरी नन्दोई से २५ नहीं था , मोटाई में मेरी कलाई इतना कम से कम ,...
लेकिन आज उन्होंने भी कोई जल्दी नहीं की ,
थोड़ी देर अपने ' उसको ' मेरे ' वहां ' रगड़ते रहे ,...
डर का जगह मस्ती ने ले लिया , मेरी देह मेरे काबू में नहीं रही , मैं सिसक रही थी , मचल रही थी , अब मन कर रहा था , डाल ही दो न , क्योंतड़पा रहे हो ,
डाल दिया उन्होंने , ...
लेकिन बहुत सम्हालकर ,... पर तभी भी दर्द उठा , जोर का उठा ,
...मैंने कस के दोनों मुट्ठी में पलंग की चादर भींच ली , आँखे मुंद ली
पर अब उन्हें भी रोकना मुश्किल था , एक धक्का बहुत करारा ,...
दूसरा उससे भी तेज ,... और रोकते रोकते भी मेरी चीख निकल गयी , ...
और उनका धक्का रुक गया ,
मैं समझ गयी , दर्द को मैं पी गयी , मुस्कराते हुए मैंने आँखे खोली ,
सच में ये लड़का कुछ जरूरत से ज्यादा ही केयरिंग था , इस बुद्धू को कौन समझाये लड़की जब करवाती है तो शुरू में चीखती चिल्लाती है ही , पर ये भी न
इनका चेहरा एक बार फिर घबड़ाया , जैसे कोई इनसे बहुत बड़ी गलती हो गयी हो ,...
पर जब उन्होंने मेरा मुस्कराता चेहरा देखा , और,... मैंने इन्हे कस के अपनी बाहों में भींच कर अपनी ओर खींचा ,... और,... मैं अपने को रोकनहीं पायी
एक छोटी सी किस्स्सी मेरे होंठों ने इनके होंठों पर ले ली ,
इससे बड़ा ग्रीन सिंग्नल इन्हे क्या मिलता , फिर न ये रुके न मैं ,
कुछ ही देर में मेरी आह सिसकियों में बदल गयी , और ये लड़का भी एकदम खुल के , पूरी ताकत से ,...
रगड़ता , दरेरता , घिसटता , फाड़ता जब वो मोटा मूसल अंदर घुसता , तो
दर्द तो बहुत होता , लेकिन दर्द से ज्यादा मज़ा आ रहा था ,
और असली ख़ुशी मुझे हो रही थी , उस लालची , बेसबरे लड़के के चेहरे पर छायी ख़ुशी को देखकर ,.. उस ख़ुशी के लिए तो मैं अपनी जान देसकती थी।
और अब सिर्फ मूसलचंद ही नहीं , ... वो तो आलमोस्ट अंदर तक धंसे ,...
लेकिन इनके हाथ , इनकी उँगलियाँ , कभी मेरे जोबन , कभी मेरे गाल , मेरे होंठ
जैसे भौंरा उड़ कर कभी इस कली पर तो कभी उस कली पर ,... उनके होंठ कभी मेरे होंठों पर तो कभी गालों पर तो कभी कड़े कड़े गोरे गुलाबीउरोजों पर ,...
कभी मेरे उरोजों को चूम चूस लेते तो कभी कच कच्चा के काट लेते ,
अब मुझे इस बात पर कोई परेशानी नहीं थी की ननदें देख कर चिढ़ाएँगी ,...
मैं भी रुक रुक कर हलके हलके उंनका साथ दे रही थी , किस कर के , ... कभी हलके से से उन्हें अपनी ओर भींच के , और शर्माते झिझकते
कभी कभी मैं भी हलके से ही नीचे से धक्के लगा लेती , और बस वो आग में घी डालने को काफी था ,
फिर तो वो जोर जोर से धक्के , एकदम तूफ़ान मेल ,...
मेरी देह तूफ़ान में पत्ते की तरह काँप रही थी मैं थोड़ी देर ढीली , आँखे बंद ,... जो मजा आ रहा था बता नहीं सकती ,
एक बार दो बार ,... और तीसरी बार वो भी साथ साथ ,... देर तक ,...
उनकी रबड़ी मलाई , मैंने पूरी जाँघे फैला रखी थी , प्यासी धरती की तरह रोप रही थी
बूँद बूँद
और वो सफ़ेद रस की नदी , मेरी प्रेम गली से निकल जाँघों पर ,...
हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में भींचे एक दसरे को वैसे ही पड़े रहे बहुत देर तक , मेरा साजन मेरे अंदर , धंसा , घुसा।
बोली मैं ही सबसे पहले ,मौन चादर की उठाकर ,
और बोली भी क्या
" तुम न , बहुत ही बुद्धू हो ,... एकदम बुद्धू हो। "
कोमल जीदेवर
मैं जेठानी जी के पास पहुंची और और मिली अपनी एक सहेली के साथ , अपने जीजू के पास।
जेठानी ने मुझे अपने पास बुला लिया और मेरे देवर सभी वहीँ मंडरा रहे थे , ... खाना पीना शुरू हो गया था ,..
" तम सब नयी भाभी बेचारी भूखी बैठी है और तुम सब ,... "
जेठानी ने देवरों को हड़काया , और मुझसे सासु जी वाली बात बताई ,
" जल्दी से कुछ खा पी लो ,... और आज तुझे आज सारी ननदों की फाड़ के रख देनी है , ठीक आठ बजे गाना शुरू हो जाएगा ,... अबतक मैं अकेली थी आज मैं और तुम मिल के , एकऔर एक मिल के ग्यारह हो गएँ हैं ,... "
" एकदम दीदी ,... "
और अनुज डोसा की एक प्लेट लेकर खड़ा था , मैंने उसी के प्लेट से दोसे का एक टुकड़ा लेकर खा लिया और चिढ़ाया ,
" क्यों अकेले अकेले , ... "
जेठानी तब तक कुछ दूर निकल गयी थीं , हलके से मैंने अनुज को छेड़ा ,...
" सुना है आज किसी की दिन दहाड़े , ... लाटरी निकल आयी ,... "
वो शरमाया और मुस्कराया भी , फिर हलके से बोला , ...
" भाभी कल आप ने सेटिंग न करवाई होती न , तो बस अब तक मैं लार टपकाता रहा , ... "
" टपका तो तूने दिया ही , हाँ लार की जगह कुछ और ही ,... फिर यार भाभियाँ होती किस लिए हैं ,
बस भाभी को पटा के रखो , फ़ायदा ही फायदा। "
वैसे तो मेरे पांच छह देवर थे , हाँ सगा कोई नहीं , ये लोग दो भाई थे , कोई न छोटा भाई थी न कोई बहन ,...
पर जैसे मेरे घर में था , घनघोर ज्वाइंट फेमली , लेकिन सब लोग अलग अलग आस पास के शहर में रहते थे ,
सिर्फ अनुज , इनका ममेरा भाई उसी शहर में ,... तो मेरा रोज का देवर तो वही होना था , ..
एलवल , मुहल्ला ,... जहाँ मेरी ससुराल थी बस वहां से आधे किलोमीटर भी नहीं होगा , पास का ही मुहल्ला ,...
उफ़ मैने पहले अपने बारे में तो बताया ही नहीं की मेरा गाँव ,... इनके घर से मुश्किल से दो ढाई घंटे का रास्ता ,...
मेरा गाँव बनारस से जुड़ा अब तो ऑलमोस्ट शहर की सीमा पर ,... बनारस से आजमगढ़ जो सड़क जाती ही , वहीँ पर पांडेपुर पड़ता है , जहां का गुलाब जामुन बहुत मशहूर है , एकसड़क आजमगढ़ ,गोरखपुर की ओर ,... जो पूर्वांचल के भूगोल से परिचित हैं वो समझ जाएंगे ,... वहीँ से सड़क लमही की ओर जाती है , जी प्रेमचंद जी का गाँव ,... उसी सड़क पर,... मेन रोड से मुश्किल से चार पांच किलोमीटर अंदर , ..एक खड़ंजे वाली सड़क गाँव के पास तक जाती है , बस वही गाँव ,... है अभी भी गाँव ही ,...
हम लोगों का घर भी एकदम पुराने जमाने की तरह दो खंद का एक पक्का , एक आधा कच्चा आधा पक्का , सामने बहुत बड़ी सी खुली जमीन उसमें दो बड़े बड़े पुराने कुंवे , एकतालाब , ... उसी कुंवे से अब तो पाइप का कनेक्शन था घर में लकिन तब भी कभी कभी सीधे कुंवे के पानी से नहाने का मन हो तो कहारिन भर के ले आती थी ,
... लाइट भी थी , ... पर जितना आती थी उससे ज्यादा जाती थी ,...
घर से सटी ही एक बहुत बड़ी हम लोगों की एक आम की बाग़ , दो ढाई सौ पेड़ तो होंगे ही , ...
खूब गझिन ,... जी तो ये मेरा मायका था , ... घंटे भर से कम समय में बनारस पहुँच जाते थे
और इनका शहर ,... जी बताया नहीं क्या ,... बस सड़क से बरात आयी थी और मैं विदा होकर , ....
तीन दिन की बरात के बाद ,...
जी आजमगढ़ ,...
बस वहीँ , ... और इनके घर के पास की ही मोहल्ला था एलवल जहाँ वो मेरा ममेरा देवर अनुज और
मेरी ममेरी ननद , गुड्डी ,.. ननदों में सबसे छोटी ,.
और फिर जब भौजाइयां ननद को छेड़ती हैं तो उमर का लिहाज कहाँ करती हैं ,... और वो गारी वारी से चिढ़ती भी थी बहुत , मुंह फुला लेती थी एकदम ,...
इसलिए सब उस के पीछेभी ,... हम लोगों के घर के पास ही एक गवर्मेंट गर्ल्स कालेज था , वहीँ पढ़ती थी , छत पर दिखता था , बस सड़क के पार ,...
अनुज के डोसा खाते देख , मेरे बाकी देवर भी भी ,...
" भाभी , पिज्जा लीजिये न एकदम गरम है ,... " एक ने बोला तो दूसरा चाइनीज ले कर ,...
पर तबतक मंझली ननद , वही नन्दोई जी वाली आगयी और उन्होंने अपने भाइयों को उकसाया ,
" अरे भाभी से पूछते नहीं है डाल देते हैं , कैसे देवर हो तुम सब ,... "
भाई साब , हम तो ठहरे देसी गंवार , ज्यादा तो समझ नही पाए , लेकिन तारीफ के फूल बरसाए ऐसा ही लग रहा हैमाफ करना मैडम,
अपनी राय में पहले ही जा़हिर कर चुका हूँ। इरोटिका में फिलहाल बस दो ही पसंदीदा अदीब हैं मेरी, एक आप तो दूसरी महतरिम कविता खुल्लर। आपकी कलम से निकले किस्सों का अंदाज-ए-बयां निहयती दिलकश और लज्ज़त भरा होता है। हवश से परे इश्क और तकरार की सोहबत कितनी खूबसूरत होती है, यह अहसास बस आपके इन कियासी पन्नों में ही मिलता है।
चाहत होती है आपके किस्सों के नायक का किरदार अपनी असल जिंदगी में जीने की। इससे ज्यादा लिखूंगा तो आप शायद गलत समझे। फज़ल-ए-रब है आपकी उंगलियों में, काश आपकी इन उंगलियों की रहमत हम पर भी बरसती।
कोमल जी , में भी ऐसे हीं माहोल में बड़ा हुआ हु , पापी पेट के लिए ६ साल से usa में हु ( २ साल मास्टर्स और ४ साल से गूगल में ) लेकिन अब भी दिल से दिमाग से भारतीय हूं , अपने गांव से जुड़ा हुThanks so much .....main jis maahul men pali badhi ... jo dekha bas vahi likhati hun ...aage taarif ke liye bahoot bahoot shukriya
Thanks so much, aur us ke baad hi main agla updadate post karungiवाह , क्या डिटेल है
क्या कहना , लगता है हम लाइव देख रहे हैं
BTW , कल से शुरू किया है पढ़ने , और दो तीन दिन में अंत तक catch-up करने का प्लान है
आप ने एकदम सही कहा, शादी के माहौल में ताकाझांकी, लड़के लड़कियों की आँख मिचौली, कितनी प्रेम कहानियां इन्ही मौकों पर शुरू होती हैं, कुछ शादी में बल जाती हैं, लेकिन ज्यादातर, बस,... और कुछ की 'सेटिंग' हो जाती है तो बस, ' वो सब ' भी हो जाता है जो उस उमर में लड़के चाहते हैं और लड़कियां चाह कर भी ना ना करती रहती हैं,...कोमल जी
भाभी - देवर और ननद - भौजी के रिलेशन और शादी के माहोल में चुपके चुपके जितने भी सील टूटती हैं, सब इतने रोमांटिकली आपके सिवा कोई नही लिख सकता
में अनुज में अपने आप को महसूस कर रहा हूं ( १७ साल का फर्स्ट ईयर में था और कोमल जैसी भाभी की शादी में उन्होंने मेरा भी एडजस्टमेंट करवा दिया था )