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फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
मैं, गुड्डी और होटल
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Take your time Madam....you getting well soon and solving your issues is your highest priority. Take care and Good Luck!!इस प्रसंग के साथ इस लम्बी कहानी या उपन्यास में बनारस में गुड्डी के घर में होली पर पटाक्षेप होता है। अब यह कहानी गुड्डी के घर से बाहर निकल कर बनारस की गलियों सड़कों से होती हुयी कहाँ तक पहुंचेगी यह अगले भाग में पता चलेगा।
लेकिन अगला भाग कब आएगा यह मैं अभी बता नहीं सकती, हाँ अगर सब कुछ समान्य सा रहा तो पन्दरह बीस दिन के अंदर समय निकाल के हो सकेगा तो एक पोस्ट दे दूंगी । अभी मेरी पहली प्राथमिकता महीने में मेरी तीनो कहानियों पर हो सके तो कम से कम एक अपडेट दे देने की है जिससे कहानी आगे बढ़ती रहे और किसी मित्र को ये न लगे की यह कहानी भी बीच में बंद हो गयी।
हाँ शायद हफ्ते में एकाध दिन ही वो भी थोड़े समय तक के लिए ही फोरम पर आ पाउंगी तो हो सकता है पहले की तरह हर मित्र के कमेंट पर उत्तर न दे पाऊं या मित्रों की कहानी पढ़ के कमेंट न दे पाऊं। आशा है आप सब अन्यथा न लेंगे और अपना स्नेह, आशीष बनाये रखेंगे।
धीरज धरम मित्र अरु नारी। आपत्ति काल परखिये चारी।