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Erotica मोहे रंग दे

krishna.ahd

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मैं ना ना करती रही ,

लेकिन ये लड़का सुनने वाला था क्या
हाय.... कोमल जब " ये लड़का " लिखतीं हैं तो पता चलता है के वो अपने साजन को बेइंतेहा प्यार करती है।
komal paathko ki rag rag se waqif hai...you are an absolute talent komal..keep rocking nadidi
बिलकुल सही
अपनापन महसूस होता है जब सजनी तू ता करके बुलाती है
 

krishna.ahd

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बेवक़ूफ़ , पक्का , पैदायशी


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कुछ नहीं हुआ तो बत्ती बंद कर दी , रजाई ओढ़ ली।


पर नींद न आनी थी न आयी।

पास के बैंक में कोई चौकीदार घंटा बजाता था , रात में एकदम साफ सुनाई देता था।

ग्यारह का घंटा बजा , ... अभी तक मैं करवट बदल रही थी , लेकिन घंटे की आवाज सुन कर मैं मुस्करायी।


जब वो रहते थे तो अब तक उन का राउंड पूरा हो चूका होता था ,


टाइम एकदम तय था उस दुष्ट का


९. ०० बजे मैं आती थी ,

९. १० तक मैं बिस्तर पर , कपडे जमींन पर , और वो चालू ,

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९. ४५ तक वो मेरे अंदर , ...



फिर तो वो मुझे कुचल डालता था , एकदम रगड़ रगड़ के , ...

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और मैं भी जैसे कोई धीमी होती आग में घी डाल दे, मैं उस एलवल वाली का नाम लेकर छेड़ देती थी ,

फिर तो मेरी मुसीबत , ... नान स्टॉप ,... कभी भी ४० -४५ मिनट से कम नहीं रगड़ाई होती थी मेरी ,


१०-३० -१०-४० वो ,... खूब देर तक ,.... मैं उसे अपने अंदर बूँद बूँद महसूस करती रहती , रोपती रहती ,...

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लेकिन उसके बाद भी हम दोनों एक दूसरे को भींचे ,

इसीलिए उस ग्यारह के घंटे की मुझे ख़ास याद थी , ... ये नहीं की हम लोग सिर्फ लव मेकिंग ही करते रहते थे ,

बोलते बतियाते भी थे , बहुत

लेकिन अक्सर बिना बोले ,

सिर्फ हमारी अंगुलियां , होंठ , देह एक दूसरे से बात करती रहती थीं ,

एक बात उसे बहुत अच्छी लगती थी , मेरे ऊपर लेट कर सीधे मेरी आँखों में झांकना , ...


बिना बोले ,...

मैं लजा कर आँख कभी बंद कर लेती तो वो चिकोटी काट कर , गुदगुदी लगा कर , अपनी कसम धराकर आँख खुलवा ही लेता ,

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यही सब सोचते सोचते आँख लग गयी पता ही नहीं चला ,

आज वो सपने में भी नहीं आया ,... और थोड़ी देर बाद जब आँख खुली तो मुझे लगा बहुत देर तक सो चुकी हूँ

जब अपनी कलाई घडी पर निगाह डाली , ...साढ़े ग्यारह बज गए थे ,... आधे घंटे , ...

एक बार फिर सोचा फोन करूं , पर ,... पता नहीं वो प्रजेंटेशन में होंगे ये सोच कर ,...

बड़ी मुश्किल से आँख लगी ,... पूरी रात सात आठ बार इसी तरह सोते जागते , एक बार तो दो बजे के करीब मुझसे नहीं रहा गया , मैंने फोन कर ही दिया , लेकिन घंटी बजते ही काट दिया और और अपने को खूब गाली दी , ... दिन भर क्लास में रहा होगा वो , फिर पता नहीं कब प्रेजेंटेशन से आया होगा , सुबह उठाना पड़ता है साढ़े छह बजे , आठ बजे से क्लास , ... थोड़ी देर तो सो लेने दो ,... मैं भी न सिर्फ अपना सोचती हूँ , ...


चार बजे , पौने पांच बजे , साढ़े पांच ,.... मैं उठती थी , देर तक फोन लिए रहती थी , और रख देती थी . साढ़े पांच बजे जाकर थोड़ी नींद लगी और

साढ़े छह बजे फोन घनघनाया , ... इन्ही का फोन था , मुझे बस रुलाई आ गयी।

घंटी घनघनाती रही , मैं फोन देखती रही , फिर मैं हड़बड़ाकर , ... कैसी पागल हूँ मैं , रात भर ,... इसी फोन के लिए

और उनकी आवाज , बस मैं सुनती रही , सुनती रही , ... बड़ी मुश्किल से आवाज मेरी निकली ,

" प्रेजेंटेशन कैसा हुआ , ... "

" बहुत अच्छा , खूब ताली बजी , पैनल ने भी खूब अप्रीशिएट किया , मेरा नंबर साढ़े ग्यारह बजे के करीब आया , ऑलमोस्ट एन्ड में , एक सवा एक बजे मैं कमरे में लौटा , ... "

" और ,... " मैं समझ नहीं पा रही थी क्या बोलूं।

" सोचा तुम्हे फोन करूँ , ... पर लगा तुम सो रही होगी , बहुत मन कर रहा था तुझे बताने को , ... एक बार दो बजे भी ,.... लेकिन बस मैं सोच रहा था सो लेने दो बेचारी को , ... रोज तो तुमसे बात होती है , ... आज नहीं हुयी तो नींद भी नहीं आयी रात भर , ... "

वो बोल रहे थे।


मेरी आँख डबडबा रही थी , मैं उन्हें रोक कर बोली ,

"एक बात कहनी थी , ... "



" बोल न ,... "

कहना तो बहुत कुछ था , पर मन से जबान की यात्रा कई बार बहुत लम्बी हो जाती है। बस मुँह से यही निकला ,

" अपना ख्याल रखना , ... "'

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लेकिन तब तक शायद इनका रूम पार्टनर जग गया था , बाहर से भी किसी के नॉक करने की आवाज आ रही थी ,

" हे उठ , योगा के लिए देर हो जाएगी , ... "

और फोन कट गया।

लेकिन मैं भी न , चुपचाप फोन देखती रही , मुस्कराती रही , सोचती रही ,

ये भी न एकदम बेवकूफ , असली वाले , सिर्फ पढ़ने लिखने टॉप करने से थोड़े ही बुद्धि आ जाती है , ... सच्च में ऐसा बेवकूफ लड़का , ...


तभी तो इनसे आज तक एक लड़की नहीं पटी , मैंने ही आकर नथ उतारी ,...

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बुद्धू , एकदम असली वाला , रात भर जागते रहे और एक फोन नहीं हुआ , ...

सिर्फ मेरा ख्याल कर के ,...


बेवक़ूफ़ , पक्का , पैदायशी , ...

मैं फोन में उनकी फोटो देख कर मुस्कराती रही , फिर झुक कर चूम लिया और उठ कर बाथरूम की ओर चल दी , फ्रेश होने।
………………….
मां कसम , क्या रोमांटिक एपिसोड लिखा है आपने
Hats off , कोमल जी
 
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भाई साब , हम तो ठहरे देसी गंवार , ज्यादा तो समझ नही पाए , लेकिन तारीफ के फूल बरसाए ऐसा ही लग रहा है
कोमल जी वाकई हकदार है तारीफ के
Thanks so much
 

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krishna.ahd

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विरह और मिलन का मिश्रण उसमे आपके मादकता भरे शब्दों का वर्णन, एक अलग ही नशा में डाल देते है।
भाभी! आपकी तारीफ करे हम तो तौहीन होगी आपकी उस लायक नहीं है हम ।
हां , आप से झगड़ा जरूर कर सकते है क्योंकि ये हमारा हक है।

शारीरिक मिलन से लेकर मानसिक मिलन , हर तरफ अल्हर जवानी की तरह नशे से भरपूर शब्द।
दुनिया नशे छुड़वाने पर तुली है आपने तो हमें इसमें डुबो ही दिया।

अब आपने लत लगा ही दिया तो ज्यादा से ज्यादा इस सोमरस का सेवन कराते रहिए , बगैर इसके रहा नहीं जाता।
एक महीने से कम समय बाकी है , मेरे मीनू की मुलाकात की घड़ी को
आज पहली बार ऐसा लग रहा है , अभी उड़कर चला जाऊं

कोमल जी , यह हालत आपके इसी विरह और मिलन के वर्णन से हुआ है
 
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मेरी कहानी ,सोलवां सावन , जो बीच में रुक गयी थी , वहां अब फिर से फुहारे पड़ने लगी हैं ,

भीगने -भिगाने का आनंद लीजिये , रस सिक्त होइए और कैसी लगी, मुझे भी बताइये
कोमल जी
Signature में hyper link add कर दीजिए न प्लीज
 
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हम दोनों भाई बहन एक साथ आपकी लेखनी पढ़ते हैं।
मेरी बहन BHU से हिंदी में Ph.D कर रही है।
लकी हो
हम तो हमारे मीनू के साथ पढ़ना चाहते है , जो नामुमकिन है
नसीब नसीब की बात है।
 
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मां कसम , क्या रोमांटिक एपिसोड लिखा है आपने
Hats off , कोमल जी
मैं तो बस जो महसूस करती हूँ लिख देती हूँ , दिल की दवात में मन की स्याही से,...

हाँ क्रेडिट आप जैसे रससिद्ध पाठकों को है,

और मैं ये भी मानती हूँ की देह तो बस एक सीढ़ी है, नसेनी , मन के गहरे कूँवे में उतरने के लिए उसके बाद तो बस वही स्थिति होती है जहाँ

each is both
 

komaalrani

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एक महीने से कम समय बाकी है , मेरे मीनू की मुलाकात की घड़ी को
आज पहली बार ऐसा लग रहा है , अभी उड़कर चला जाऊं

कोमल जी , यह हालत आपके इसी विरह और मिलन के वर्णन से हुआ है
सच में यही हालत होती है,... पल भर का बिछुड़ना भी युग लगता है, लेकिन विरह के बाद के मिलन का उछाह उफ़
 
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कोमल जी
Signature में hyper link add कर दीजिए न प्लीज
कुछ अज्ञान कुछ आलस,... और कुछ अपने पाठकों पर विश्वास
 
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