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Erotica यकीन होना मुश्किल है

aamirhydkhan

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यकीन होना मुश्किल है


मेरा नाम आरा है. मैं उस वक़्त 21 साल की थी और उस वक़्त मैने बी.ए. पास कर लिया था. मेरे घर मे शुरू से ही लड़कियो को अकेले बाहर जाने की इजाज़त नही है. मैं एक लोवर मिड्ल क्लास की लड़की हूँ और बड़े ही साधारण से परिवार से हूँ. हम वही लोग हैं जो एक छोटे से कस्बे मे अपनी सारी उमर बिता देते हैं. हम मोटर साइकल ही अफोर्ड कर सकते है.

मैं भी एक आम लड़की जिसकी आम सी सहेलिया और आम सी ज़िंदगी थी. मैने बी.ए प्राइवेट किया है और मैं इंग्लीश मे अच्छी नही हूँ.

मेरी ज़िंदगी मे मैं अपने शौहर,देवर, ससुर और भाई से संबंध बना चुकी हूँ. इस बात पर यकीन करना बड़ा मुश्किल है लेकिन यही मेरी ज़िंदगी है. मैं तो सिर्फ़ अपने शौहर को ही अपना जिस्म देना चाहती थी लेकिन कुदरत के खेल मे फँस कर हार कर रह गयी.

आज जब मैं पीछे देखती हूँ तो सिर्फ़ तकलीफ़ के कुछ और नही पाती. रोना मेरी किस्मत और लुटना मेरी किस्मत की लकीर बन गयी है.

आज भी याद है मुझे सब मेरे ससुराल वाले मुझे देखने आए थे.
लालची लोग लेकिन बातो से शरीफ.
मैं अपने मा बाप की एकलौती लड़की हूँ और अपने बड़े भाई से छोटी हूँ.


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aamirhydkhan

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यकीन होना मुश्किल है

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सुबह जब आँख खुली तो मैं और इनायत मिलकर शौकत से बात करने के तरीके को तलाश करना चाहते थे.

बहुत सोचा लेकिन कुछ समझ मे नही आया, जो इनायत को अच्छा लगता वो मुझे पसंद ना होता और जो मुझे सही लगता वो इनायत के गले के नीचे नही उतरता. आख़िरकार हम एक प्लान पर पहुँच गये जिससे लाठी भी ना टूटे और साँप भी मर जाये. मेरा ये ख़याल इनायत को पसंद आया कि मैं शौकत से कह दूं कि मैं उसके पास जाने से इस लिए मना कर रही हूँ क्यूंकी मुझे अब उसमे इंटेरेस्ट नही रहा और अगर मैं उससे शादी भी कर लूँ तब जो मुझे नही बल्कि मेरे जिस्म को ही पा सकेगा. अगर शौकत फिर भी इसरार करे तो मैं उसके सामने एक शर्त रखना चाहती थी जिससे वो चाह कर भी कभी क़ुबूल ना करता. मैं ये कहना चाहती थी कि वो मुझे अपनी बर्दाश्त की ताक़त का सुबूत दे. इसके लिए इनायत ने ये तरीका निकाला था कि वो मुझे और इनायत को सेक्स करते हुए देखे और खामोशी से और कुछ भी ना कहे. अगर वो मेरी ज़िंदगी मे कोई बंदिशें ना लगाए तो मैं उसके बारे में यक़ीनन सोच सकती थी, ये सब मैं और इनायत ये सोच कर कहना चाहते थे कि शौकत कभी इन सब के लिए राज़ी नहीं होगा और खुद ही हमारे रास्ते से हट जाएगा. मैं शौकत को ये सब इस तरहा बताना चाहती थी कि उसको लगे की इनायत इन सब चीज़ो से अंजान है वरना खेल बिगड़ सकता था और मैं शौकत से भी ये वादा लेना चाहती थी कि शौकत ये किसी से भी ना कहे वरना मैं उसके पास कभी नहीं आने वाली.

फिर एक अनजान नंबर से फोन आ रहा था. क्यूंकी मेरे पास भी मेरा एक पर्सनल फोन नंबर था इसलिए मैने ही वो फोन रिसीव किया. मैं थोड़ा चौंक सी गयी कि क्या कहूँ, कुछ देरी तक तो मैं कुछ बोल ही ना सकी, ये फोन शौकत का था ,उस वक़्त मुझे इनायत के हौसले की ज़रूरत थी लेकिन वो उस वक़्त नहा रहा था. इसलिए मैने ही अपनी आवाज़ को सख़्त किया और मज़बूती से बोल पड़ी

मैं:"हां बोलो, क्या कहना चाहते हो"

शौकत:"मैं ये सुन रहा हूँ कि तुम मेरे पास वापस नही आना चाहती हो"

मैं:"आपने सही सुना है"

शौकत:"ऐसा क्यूँ कर रही हो तुम मेरे साथ, उस खबीस ने तुम्हे बरगला तो नही दिया कहीं"

मैं:"वो मेरे शौहर हैं, मुझे ये बर्दाश्त नही कि कोई इनके लिए ऐसे लफ्ज़ इस्तेमाल करे"

शौकत:"क्या तुम्हे ये बर्दास्त होगा कि तुम्हारे इस नये शौहर के मा बाप तकलीफ़ मे रहें, क्या तुम ये भूल गयी कि तुम्हारा निकाह उसके साथ बस एक समझौता था ताकि तुम मेरे पास लौट आओ"

मैं:"मैं सब जानती हूँ शौकत, पर तुम अब ज़िद ना करो,मेरे जज़्बातो से और ना खेलो"

शौकत:"वाह, ये तो मुझे कहना चाहिए था"

मैं:"ये खेल तुमने ही शुरू किया था"

अचानक शौकत की तरफ से थोड़ी खामोशी आ गयी, लेकिन कुछ देर बाद वो फिर बोला लेकिन अब उसका लहज़ा बदला हुआ था.

शौकत:"मैं जानता हूँ, और उसी की तो मैं कीमत चुका रहा हूँ, अब जब तुम मेरे पास वापस आओगी तो किसी और के जिस्म को छूकर, मेरे लिए क्या ये सज़ा कम नही है"

मैं:"तुम्हारे लिए सिर्फ़ ये एक सज़ा है, मुझसे और मेरे घर वालो से पूछो कि हम ने बिना किसी जुर्म के इतनी बड़ी सज़ा भूगती है, तुम्हारा क्या है, तुम मर्द हो, दिल चाहा तो सॉरी कहा, दिल चला तो फेंक दिया, कोई तुमसे नही पूछता होगा कि किस लिए तुमने मुझे अलग किया, लेकिन सब मुझे ही कुसूरवार ठह_राते रहे. मैने हर दिन तुमसे शदीद नफ़रत ही की है,और हर पल मेरी नफ़रत बढ़ती ही गयी है"

शौकत:"तो फिर ये वापसी के लिए हां क्यूँ कही"

मैं:"ये उन बूढ़े मजबूर मा बाप की खराब होती तबीयत की मजबूरी की वजह से हुआ था, मैं क़ुरबान होने के लिए तैय्यार थी ताकि वो लोग चैन से जी सके"

शौकत:"तो अब फ़ैसला बदल क्यूँ दिया"

मैं:"मुझे महसूस हुआ कि मैं भी इंसान हूँ,क्यूँ मैं खुद को किसी और के जुर्म की सज़ा दूं, क्यूँ ना मैं भी आज़ाद हवा मे फैली खुसबू को महसूस करूँ, क्यूँ मैं किसी के सुधरने के इंतेज़ार मे अपनी ज़िंदगी नर्क बना लूँ, तुम पर कौन यकीन करना चाहेगा, क्या पता शराब के तूफान मे मेरी बची कुची उम्मीदें फिर से तबाह हो जायें."

शौकत:"मैं बदल चुका हूँ,मैने अब शराब छोड़ दी है"

मैं:"मैने अब क़ुर्बानी की राह छोड़ दी है"

शौकत:"मेरे पास लौट आओ"

मैं:"किसी ने आज तक कबरिस्तान उजाड़ कर अपना घर नहीं बसाया"

शौकत:"क्या मतलब"

मैं:"मैं अगर तुम्हारे पास लौट भी आऊ तो तुम्हे सिर्फ़ मेरा जिस्म मिल पाएगा"

शौकत:"मुझे यकीन है कि मेरी मोहब्बत से तुम्हारे सारे ज़ख़्म भर जायेंगे"

मैं:"तुम पर मुझे भरोसा नही रहा,ना जाने कब तुम्हारी बर्दाश्त ख़तम हो जाए"

शौकत:"मैने बर्दाश्त का एक नया इम्तेहान तब पास किया था जब तुमको इनायत की बीवी बनते देखा था"

मैं:"तो तुम जानते होगे कि अब हम मिया बीवी हैं और हमारे बीच मे अच्छे जिस्मानी ताल्लुक़ात भी हैं"

शौकत:"क्या कहना चाहती हो तुम सॉफ सॉफ कहो"

मैं:"तुमसे ये बर्दास्त होगा कि मैं किसी और के जिस्म की प्यास बुझा रही हूँ"

शौकत:"मजबूरी है"

मैं:"अच्छा, क्या तुम देख सकते हो मुझे किसी और की बाहो मे नगा लिपटे हुए"

शौकत:"बस करो तुम"

मैं:"इस ख़याल से ही तुम्हारा खून उफान मारता है, कल जब मैं तुम्हारी बीवी बन जाउन्गि तो फिर इनायत को मेरे साथ देखकर क्या तुम्हारा यही रविय्या रहेगा"

शौकत:"मैं तुम्हे दूर लेकर चला जाउन्गा"

मैं:"तब तुम्हारे बूढ़े मा बाप का क्या होगा"

शौकत: "मैं दूर से भी उनका ख़याल रख सकता हूँ"

मैं:"शौकत मियाँ, तुम अभी भी बच्चो की तरहा ही ज़िद कर रहे हो, उस बच्चे की तरहा जिससे उसकी कॅंडी किसी ने छीन ली हो, तुम कभी भी अपने ऊपर काबू नही कर सकते हो"

शौकत:"तुम मुझ पर एक बार फिर यकीन करके तो देखो"

मैं:"कोई सुबूत तो दो यकीन करने का"

शौकत:"तुम्हे क्या सुबूत चाहिए"

मैं:"मुझे इनायत के साथ सेक्स करते हुए देख सकते हो, बोलो, अगर हां तो मैं तुमपर यकीन के बारे मे सोच सकती हूँ"

शौअकत:"आरा, अपनी हद मे रहो"

ये बात शौकत के गुस्से को उफान पर ले आई और उसने फोन काट दिया.

इनायत सब सुन रहा था क्यूंकी मैने फोन स्पीकर पर डाला था, फोन कॉल एंड होते हुए ही इनायत मुझसे लिपट गया और मुझसे काफ़ी देर तक इसी तरहा लिपटा रहा. हम को ऐसा लग रहा था कि हम जंग जीत चुके हैं, ये नहीं मालूम था कि ये तो जंग का आगाज़ था.

हम ने शाम को बाहर जाने का प्लान बनाया था, इनायत दरवाज़ा लॉक कर रहा था और मैं बिल्डिंग के नीचे आ गयी थी. मेरे पर्स मे से फोन कई बार बजा लेकिन मुझे मालूम ही ना पड़ा. हम ने एक ऑटो रिक्षा किया कि तभी एक बार फोन और बजा और इस बार इनायत ने मुझे बताया कि शायद मेरा फोन बज रहा है,जब मैने फोन उठाया तो फोन कॉल एंड हो चुका था लेकिन मैं ये देख कर डर गयी कि ये शौकत का वही नंबर था जिससे उसने मुझे कल फोन किया था, इसमे करीब 8 मिस्ड कॉल्स थीं. मेरा मूड ऑफ हो गया. मैने इनायत को मिस्ड कॉल दिखाई तो उसने कहा कि प्लान कॅन्सल मत करो, मेसेज कर दो बिज़ी थी इस लिए कॉल रिसीव नही कर सकी, कह दो बाद मे कॉल करूँगी. मेरे वैसे ही एसएमएस शौकत को भेज दिया.

हम लोग मूवी देखने जा रहे थे, इत्तेफ़ाक़ से ये मूवी एक लव ट्राइंगल थी. मैं उस फिल्म की हेरोयिन की तरहा महसूस कर रही थी. ये फिल्म ज़्यादा हिट नही जा रही थी और इसलिए इनायत और मैं लगभग हॉल मे अकेले ही थे. मुझे टेन्स देख कर इनायत ने मेरा ध्यान डाइवर्ट करने के लिए मेरी सलवार के उपर से ही मेरी चूत को मसलना चाहा लेकिन मैने इशारे से मना कर दिया. फिल्म ख़तम हो चुकी थी, लाइट्स ऑन थीं, सब लोग जा रहे थे लेकिन मैं अभी भी स्क्रीन की तरफ देख रही थी.

इनायत बड़े गौर से मुझे देख रहा था. फिर एक छोटे से बच्चे के रोने की आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा और मैने हड़बड़ा कर इनायत की तरफ देखा जो मुझे ही देख रहा था. मुझे हड़बड़ाता देख कर उसे मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे उठने का इशारा किया. हम अब सड़क पर चल रहे थे, थोड़ी ही दूर गये थे मैने एक ऑटो रिक्क्षा को रोक लिया. इनायत ने अचरच से मेरी तरफ देखा तो मैने कहा कि घर चलते हैं, मेरा मूड नही है. हम रास्ते भर खामोश रहे और फिर मैं अपने बेडरूम पर चुप चाप लेट गयी. मुझे अब समझ मे नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ, शौकत के फोन ने फिर मेरी नींद उड़ा दी थी. रात को इनायत ने मुझे अपने पास बुला कर बिठाया और फिर हम लोगो ने शौकत के कॉल के बारे मे आगे का प्लान बनाया.

इनायत:"तुम बिना फोन उठाए डर रही हो, बात कर के देखो क्या पता क्या बात हो"

मैं:"मैं समझ नही पा रही हूँ कि वो किस लिए फोन कर रहा है"

इनायत:"जब तक तुम उससे बात नही करोगी कैसे मालूम पड़ेगा क्या बात है"

मैं:"क्या पता वो मान जाए मेरी शर्त फिर तुम क्या करोगे"

इनायत:"और अगर वो कुछ और कहना चाहता हो तो क्या करोगी"

मैं: "ये मुसीबत कब दूर होगी"

इनायत:"जब तक तुम उसका सामना नही करोगी"

मैं:"ठीक है मैने अभी उसको फोन करती हूँ"

इनायत:"देखो ठंडे दिमाग़ से बात करना और सोच समझ कर"

मैने बेडरूम मे जाकर अपने पर्स से फोन निकाला और शौकत को डाइयल कर दिया. वो जैसे फोन के पास ही बैठा था, झट से फोन रिसीव कर लिया.

शौकत:"हेलो"

मैं:"हेलो"

शौकत:"क्या बिज़ी थीं सुबह से"

मैं:"हां थोड़ा बिज़ी थी"

शौकत:"क्या कर रही थीं"

मैं:"तुमको जवाब देना ज़रूरी है"

ये बात मैने थोड़ा चिड कर कही,आज शौकत बड़ी नर्मी से पेश आ रहा था.

शौकत:"नही मैने सोचा क्या ज़रूरी काम आ गया"

मैं:"मैं अपने शौहर के साथ बिस्तर पर रोमॅन्स कर रही थी, तुम्हारा कॉल ज़रूरी नही था उस वक़्त"

शौकत:"तो कब ले रही हो मेरे सब्र का इम्तेहान"

मैं:"तो तुम राज़ी हो, मुझे तो लगा था कि तुम मना कर दोगे सॉफ सॉफ, मेरे शौहर को इस बारे मे कुछ मालूम नही है, मैं खुद ही अगली बार तुमको फ़ोन कर के बताउन्गि कि तुमने कैसे ये नज़ारा देखना है, और याद रहे अगर तुमने कुछ गड़बड़ की तो तुम्हारे पास आने के लिए मैने अब सोचूँगी भी नही." ये कह कर मैने फोन काट दिया.

इनायत जैसे साँस लेना ही भूल गया था, उसको यकीन ही नही हो रहा था कि ऐसा भी कुछ हो सकता है. वो काफ़ी देर तक एक मुजस्समे की तरहा बैठा रहा, मैने उसको जैसे नींद से जगाया तो वो हड़बड़ा सा गया.

मैं:"उठो नींद से इससे पहली कि देर ना हो जाए."

इनायत:"घबराओ नही"

मैं:"अर्रे वाह अब भी कह रहे हो घबराओ नही"

इनायत:"यकीन तो मुझे भी नही हो रहा, शौकत मे इतना बड़ा बदलाव या तो सच मे तुम्हारे लिए आ सकता है या फिर कोई और बात है"

मैं:"प्यार मेरी जूती, मुझे तो ये उसकी कोई नयी चाल लगती है, चूत के खातिर कोई इतना पागल हो सकता है कि अपनी होने वाली बीवी को किसी और से चुदवाते हुए देखे"

इनायत:"क्या पता क्या चल रहा है उसके दिमाग़ में, लेकिन अब मुझे थोड़ा डर लग रहा है"
मैं:"क्यूँ"

इनायत:"इंसान जब इतनी जल्दी बदलता है तो डर तो लगता ही है"

मैं:"लेकिन अब मैं क्या करूँ"

इनायत:"उसको यहाँ बुला लो और जब वो यहाँ पहुँचने वाला होगा तो मैं बाहर चला जाउन्गा, फिर तुम उसे कहीं छिपाने का ढोंग कर देना जहाँ से उसे हमारी चुदाई के लाइव शो मिले "

मैं:"कहीं उसके सर पर खून सवार ना हो और वो मुझे नुकसान पहुँचने के लिए आ रहा हो"

इनायत:"टेन्षन मत लो मैने इसका भी इंतेज़ाम कर लिया है, मैं साना को फोन कर दूँगा कि शौकत तुमसे मिलना चाहता है और वो उसपर नज़र रखे और तुम भी आरिफ़ को कह दो कि वो शौकत की
जासूसी करे कि वो घर के बाहर क्या क्या कर रहा है. घर और यहाँ की हर हरकत पर मेरी नज़र होगी. मैं इसी बिल्डिंग की टेरेस से उसके आने का इंतेज़ार करूँगा."

मैं:"ठीक है लेकिन उसके सामने मैं तुम्हारे साथ ये सब कैसे करूँगी"

इनायत:"देखो अगर तुम्हारा मन नही है तो उसको अभी भी मना कर सकते हैं, तुम घबराओ नही,अगर उसने हम को तंग किया तो मैं क़ानूनी करवाई करने से पीछे नही हटूँगा चाहे वो मेरा भाई ही क्यूँ ना हो."

मैं:"ठीक है, ये भी कर के देख लेते हैं, लेकिन अगर वो इस इम्तिहान मे पास हो गया तो फिर क्या करोगे?"

इनायत:"तुमने ही तो उसको कहा है कि अगर वो पास हो गया तो तुम उसके पास जाने के बारे मे सोचोगी, जाओगी नही, इन दोनो बातो मे बड़ा फ़र्क है"

मैं:"ये कोई कोर्ट नही है कि वो मेरा फ़ैसला सुन कर वापस चल पड़े."

इनायत:"ठीक है आगे देखते है, क्या करना है, तुम दो दिन का टाइम दो ताकि हम उसकी जासूसी करके पता लगा लें कि उसके मन मे क्या चल रहा है"

मैने आरिफ़ को फोन कर दिया कि शौकत मुझसे मिलना चाहता है लेकिन मुझे डर है कि वो मुझे नुकसान पहुँचाने के लिए तो नहीं आ रहा. आरिफ़ का दोस्त खुद एक एएसआइ है इसलिए उसने मुझसे कहा कि वो शौकत की पूरी जासूसी करवा कर मुझे बताएगा जब तक कि शौकत मेरे घर पर ही नही पहुँच जाता. आरिफ़ तो ये चाहता था कि वो मेरे घर मे आकर कहीं छुप जाए ताकि अगर शौकत कोई गड़बड़ करने की कॉसिश भी करे तो वो उसको रोक सके, लेकिन मैने कह दिया कि शौकत और मेरे बीच की बात मैं किसी और के सामने नहीं ज़ाहिर कर सकती. मेरी बात सुन कर वो चुप हो गया.

उधर इनायत ने भी साना को खबर कर दी थी.साना ने उसको कह दिया था कि वो शौकत पर नज़र रखेगी और उसके कमरे की पूरी तलाशी भी ले लेगी.

दो दिन बाद आरिफ़ और साना ने हम को बता दिया था कि डरने की कोई बात पता नही चली है. शौकत ने भी आने की खबर कर दी थी. वो पहले से ही इस जगह को जानता था इसलिए सीधे घर पर पहुँचने मे उसको टाइम नही लगा. जैसे ही इनायत ने उसे बिल्डिंग के नीचे आते देखा तो उसकने मुझे फोन कर दिया. मैने अपने प्रोटेक्षन के लिए एक मिर्ची का स्प्रे अपने पास रख लिया था.मेरे पास कुछ पल के लिए टेंपोररी टाइम के लिए अँधा करने वाला भी स्प्रे था. मैं कोई रिस्क नही लेना चाहती थी.

शौकत ने डोर बेल बजाई. मैने डर कर दरवाज़ा खोला. शौकत ने मुझे सलाम किया , मैने जवाब दिया. मैं उसे ये इंप्रेशन नही देना चाहती ही कि मैं कमज़ोर हूँ. इसलिए मैने थोड़ी सी सख्ती भरा रुख़ अख्तियार किया. उसको मैने हॉल मे बिठा दिया और उसके लिए पानी लेकर आई. मैने देखा वो हर चीज़ को गौर कर के देख रहा था. जब मैने उसको पानी दिया तो वो मुझसे गौर से देखने लगा. वो थोडा परेशान लग रहा था. मैने सोचा कि बात चीत के ज़रिए ज़रा इसके दिल के अंदर झाँक कर देख सकूँ. उसने मुझसे बात चीत शुरू कर दी.

कहानी जारी रहेगी


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बढ़िया अपडेट है । लगता है आरा अब दोनों की बीबी बनकर रहेगी
 

aamirhydkhan

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शौकत:"जानती हो ये घर मैने तुम्हारे लिए लिया था ,मेरा ख्वाब था कि मैं तुम्हे लेकर वापस आउन्गा लेकिन खैर जाने दो"

मैं:"हां मुझे मालूम है."

शौकत:"इनायत कहाँ गया है"

मैं:"वो बच्चो की ट्यूशन लेता है, अगर तुम देर करते तो वो घर पर होता, अभी उसके आने का टाइम हो गया है"

शौकत:"उसको कुछ मालूम है"

मैं:"कैसा सवाल करते हो, उसको कैसे मालूम होगा"

शौकत:"तो मैं कहाँ जाउ"

मैं:"तुम बेडरूम के अटॅच्ड बाथरूम के चले जाओ, वहाँ की विंडो अंदर खुलती है, तुम वहाँ से हम को देख सकते हो, लेकिन कोई शोर मत करना"

शौकत:"ठीक है"

मैं:"तुम्हे यकीन है तुम ये सब देख सकते हो, कहीं तुम्हारा खून उबल ना पड़े"

शौकत:"तुम्हे वापस पाने के लिए मैं हर हद पार करने के लिए तैय्यार हूँ"

मुझे उसकी बातों मे थोड़ी सच्चाई नज़र आई लेकिन मुझे लगा कि अब शायद देर हो चुकी है, मुझे एक पल के लिए ये भी लगा कि जाने दूं ये सब और शौकत के मासूम से चेहरे पर यकीन कर लूँ. मेरा मूड थोड़ा ऑफ हो रहा था. शौकत बाथरूम की तरफ बढ़ गया. इतने में प्लान के मुताबिक इनायत ने डोर बेल बजाई और मैने उसको इशारा कर दिया कि शौकत बेडरूम के बाथरूम में है. हम ने सोचा कि अगर डाइरेक्ट सेक्स का खेल सुरू कर दिया तो शौकत को शक हो जाएगा , इसलिए बेडरूम मे जाकर इधर उधर की बातें करने लगे और और मैं इनायत को सिड्यूस करने का नाटक करने लगी,मैं चाहती थी कि मैं इतनी बेशर्म बन जाउ कि शौकत को मुझसे नफ़रत सी हो जाए. इसलिए मैने बातों के ज़रिए अपना प्लान शुरू कर दिया.

जैसे ही इनायत रूम मे आया उसने मेरे होंटो को किस किया, मैने भी उसके गले में अपनी बाहें डाल कर उसके होंटो को गहराई से किस किया. वो बेड के पास पीठ टिका कर बैठ गया. ये बस हमारे प्लान का हिस्सा था. मैं चाह रही थी कि दोनो भाइयो की निगाहे कभी एक दूसरे से ना मिल सके. मैं उसके पास आकर बैठ गयी और जान भूझ कर प्लान के मुताबिक बातें करने लगी.

मैं:"आज कल तुमको मेरे बारे मे बिल्कुल ध्यान नही रहता, क्या हम सिर्फ़ रात को ही प्यार कर सकते हैं"

इनायत:"नही मेरी जान, तुम जब चाहो तब प्यार कर सकते हैं"

मैं:"तो चलो जल्दी से मेरी चूत की गर्मी निकाल दो"

इनायत:"क्या बात है आज तो दिन मे ही हॉट हो"

मैं:"क्या करूँ, सुबह से ही मेरी चूत तुम्हारे लंड के लिए कुलबुला रही है."

ये कह कर मैने अपनी मॅक्सी उतार दी जिसके नीचे मैने कुछ नही पहना था. अब मैने इनायत की पॅंट उतार दी थी और उसका अंडरवेर भी उतारने लगी थी.मैने उससे कहा कि वो बाथरूम के विंडो की तरफ सर करके लेट जाने को कहा. मैने अब शौकत की तरफ मूह किया था ताकि वो मेरे नंगे जिस्म को देख सके. जैसे ही मैं इनायत की टाँगो के बीच मे आई,मुझे शौकत का चेहरा नज़र आया. उसकी आँखो मे खूब हवस थी, फिर मैने इनायत के खड़े हो चुके लंड को मूह मे लिया और फिर चाटने लगी. मैं इनायत के लंड को हिला भी रही थी और चाट भी रही थी और बीच बीच मे अपने मूह मे ले जा रही थी. ये देख कर की शौकत मुझे गौर से देख रहा है मैं जान बूझ रख सीईईईईईई ईईईईईईईईईईईईई ईईईईईईईईईईईई, अहह ,उफफफफफफफफफफफफफ फफफफफफफफफफफ फफफफफ फफफफफफफफफ्फ़, की आवाज़ें निकल रही थी. थोड़ी की देर मे इनायत का गाढ़ा सफेद पानी निकल आया , जिसको मैं पूरा निकल गयी, शौकत ये देख कर चौंक गया. माहौल को थोड़ा और सेक्सी बनाने के लिए मैने इनायत से बातें भी शुरू कर दी, इनायत का पानी आज जल्दी ही निकल आया था और वो शायद शौकत के लाइव शो देखने की वजह से हुआ था.

मैं:"इनायत तुम्हारा गाढ़ा सफेद नमकीन पानी मुझे बड़ा अच्छा लगता है,अच्छा अब हम 69 पोज़ मे एक दूसरे को मज़ा देंगे" ये कहकर मैने इनायत के मूह पर अपनी चूत रख की और इनायत के लंड को फिर एक बार चूसने लगी. मैं बीच बीच में अपनी चूत को हवा मे उठा लेती ताकि शौकत को मेरी चूत के दीदार होते रहे. इनायत भी जान बूझ कर शौकत को चिडाने के लिए मेरी तारीफ़ कर देता.

इनायत:"आरा मुझे समझ मे नही आता कि आख़िर तुम्हारी इस प्यारी चूत को शौकत ने कभी देखा भी या नही, इसमे से इतनी अच्छी खुसबु आती है जो मुझे मदहोश कर देती है"

मैं:"शायद शौकत को शराब की खुसबू ज़्यादा अच्छी लगती थी"

इनायत:"क्या शौकत ने कभी तुम्हारी गान्ड को चाटा था"

मैं:"शौकत को बस रात के अंधेरे मे ही चूहो की तरहा मज़ा आता था, मज़ा तो तुम्हारे साथ आता है जानू तुमने मुझे खूब अच्छी तरहा चोदा है,अब तो मैं तुम्हारी गुलाम बन चुकी हूँ मेरा राजा. ज़रा गहराई तक अपनी ज़बान ले जाओ, बड़ा अच्छा लगता है"

ये चाटना चूसना करीब 20 मिनिट चला होगा,फिर मैं झड़ने लगी और अपने चूतड़ इनायत के मूह पर घिस घिस कर घुमाने लगी और अहह और सीईईईईईईईईईईईई ईईईईईईईईईईईईईईईई आआआआ आयययी की आवाज़ जो खुद मेरे मूह से इस बार निकल रही थी लेकिन मैने इसको जान बूझ कर बढ़ा दिया. थोड़ी देर इसी तरहा रहने के बाद मैं उठ गयी.इस बार मैने इनायत से कहा कि वो अपने पैर बाथरूम की विंडो की तरफ कर दे. वो उसी तरहा लेट गया अब मैं उसके लंड पर आकर बैठ गयी लेकिन मैने उसके मूह की तरफ पीठ कर ली थी ताकि मैं अपनी चूत और अपने चूचियो को शौकत को दिखा सकूँ.

इनायत समझ चुका था कि मैं क्या चाहती हूँ. अब मैने इनायत के लंड पर उछलना शूरा कर दिया था और मैं अपने हाथो से खुद अपने सीने को दबा रही थी. इनायत भी नीचे से उछल उछल कर मेरी चूत का बाजा बजा रहा था. मैं अब और ज़्यादा ज़ोर से किसी रंडी की तरहा चुदवाना चाहती थी इसलिए मैने ज़ोर से चिल्लाना भी शुरू कर दिया.मुझे ये थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन मुझे इसमे मज़ा भी खूब आ रहा था, ये शौकत को चिडाने की लिए था, शायद बदला लेने के लिए.ये सब मैं उसकी आँखो मे आँखें डाल कर कह रही थी.


"हाय रे इनायत और ज़ोर से चोद, मज़ा लेले अपनी भाभी की चूत का,,,देख शायद फिर तुझे अपनी भाभी की चूत की याद आए, चोद और चोद साले, तेरे भाई को तो बस शराब की परवाह थी,,, चोद
मुझे आज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज फाड़ दे मेरी चूत, इतना चोद कि फिर कोई कसर बाकी ना रहे,,,,,हाए रे ज़ालिम चोद ....."

शौकत को जब मैने ध्यान दे देखा तो ऐसा लगा कि वो अपना लंड हिला रहा है, मुझे उसपर थोड़ा तरस आया, कि देखो इसकी हालत क्या है, कितना मजबूर है.

थोड़ी ही देर में मैं झाड़ गयी और इनायत के उपर जा लेटी, वो मेरे नंगे चूतड़ को सहलाता रहा और मेरे होंटो को चूस्ता रहा. फिर मैं उसके बगल मे लेट गयी, हम काफ़ी देर से इस खेल मे लगे थे, मुझे याद आया कि कोई हमारा खेल देख रहा है, मैने इनायत से कहा कि उनका वापस जाने का टाइम आ गया, वो उठा और बाथरूम मे जाने लगा लेकिन मैने उससे कहा कि दूसरा बाथरूम इस्तेमाल कर लो यहाँ पानी ब्लॉक हो गया है. उसको भी ख़याल आया कि इसमे तो पहले से कोई है. वो दूसरे कमरे मे चला गया और कपड़े पहनकर वापस आया. उसने मेरे होंटो पर एक किस की और फिर वो बाहर रूम से चला गया. मैने नंगी ही बाहर का दरवाज़ा लॉक किया.जब मैं वापस आई तो मैने शौकत को आवाज़ दी. मैं अब भी नंगी थी.

शौकत जब बाहर आया तो उसका लंड खड़ा था, ये मैं उसकी पॅंट के ऊपर से ही देख सकती थी. मैने उससे पूछा

मैं:"कुछ खाओ गे, तुम्हे भूख लगी होगी"

ये कहकर मैं उसको बाहर ले आई हॉल में और उसके सामने अपनी कुर्सी पर अपने पैर उठा कर बैठ गयी जिससे मेरी चूत उभार कर सॉफ देखा जा सकता था.शौकत ने मेरी चूत की तरफ देखा और फिर मेरे सीने की तरफ, वो समझ नही पा रहा था कि वो क्या करे उसने पाने को काबू मे करके कहा

शौकत:"कुछ पहेन लो आरा"

मैं:"क्यूँ क्या पहले मुझे नंगी नही देखा"

शौकत:"तुम तो बिल्कुल ही बेशर्म हो चुकी हो"

मैं:"वाह, और तुम कितने शर्म वाले हो ,किसी और की बीवी को नंगा देखने चले आए"

शौकत:"वो तो मैं अपना इम्तेहान देने आया था, तुम ही ने तो कहा था कि मुझे ये सब देखना होगा, तब ही तुम मेरे पास वापस लौटने के बारे मे सोचोगी"

मैं:"हां मैने कहा था, मैं अब ज़रूर इसके बारे मे सोचुगी, अब तुम जाओ, तुमने मुझे कन्फ्यूज़ कर दिया है"

शौकत:"क्या कन्फ्यूज़ कर दिया है"

मैं:"यही कि अगर मैं अब तुम्हारी बीवी बन जाउन्गि तो मुझे इनायत के साथ सेक्स का मौका कभी नही मिलेगा"

शौकत:"आरा लाइफ मे सेक्स ही सब कुछ नही होता,ज़िंदगी सिर्फ़ सेक्स का नाम नही है"

मैं:"अर्रे वाह, क्या बात है शौकत शहाब तो फिर ज़िंदगी किस चिड़िया का नाम है"

शौकत:"ज़िंदगी ख़ुसी गम,वफ़ा,मोहब्बत, क़ुर्बानी, इंतेज़ार,हिम्मत और तकदीर का नाम है"

मैं:"ये सब तुमने किसी शराब की दुकान पर पढ़ा था क्या"

शौकत:"मैं अब शराब के पास भी नही जाता"

मैं:"मुझे मालूम है ज़िंदगी किस चीज़ का नाम है"

शौकत:"किस चीज़ का"

मैं:"बॅलेन्स और तालमेल का"

शौकत:"कैसा बॅलेन्स"

मैं:"तुमने जिस चीज़ का नाम लिया उनमे एक बॅलेन्स ज़रूरी है और तालमेल भी होने उतना ही ज़रूरी है सोचो अगर क़ुर्बानी सिर्फ़ बीवी ही दे तो बॅलेन्स कैसे होगा और अगर मिया बीवी मे सुख दुख के दरमियाँ कोई तालमेल ना हो तो क्या होगा"

शौकत:"तुम बड़ी समझदार हो गयी हो"

मैं:"क्या करूँ शौकत साहब हम ग़रीबो को वक़्त की लाठी और आप जैसे लोग समझदार बनने पर मजबूर कर देते हैं"

शौकत:"तो मैं क्या समझू अब, क्या कुछ मुमकिन है"

मैं:"अभी थोड़ा वक़्त दो मुझे, इनायत ने मुझे खुद्दार बनाया, अपने पैरो पर खड़ा होने की तालकीन की, मुझे इज़्ज़त दी,मेरे मस्वरे को तरजीह दी, मेरे मा बाप को उम्मीद और प्यार दिया, मुझे अच्छी आज़ादी दी, वो मेरा एक सबसे अच्छा दोस्त है और तुमने मुझे क्या दिया शौकत मिया"

शौकत:"मुझे मौका तो दो एक बार"

मैं:"मैने तुम्हे एक मौका दिया था अफ़ोसोस तुमने उसको खो दिया"

शौकत:"एक बार और दो, मैं तुम्हारे बिना जी नही सकता आरा, मेरे पास लौट आओ"

मैं:"तुमको मौका देना किसी खतरे से कम नही है लेकिन फिर भी मैं इसपर गौर करूँगी लेकिन तुम मेरे फ़ैसले को हर हाल मे मानोगे और मुझे दोबारा तंग नही करोगे"

शौअकत:"ठीक है, मैं इंतेज़ार करूँगा. अब मैं चलता हूँ"

मैं:"रूको मुझे तुम्हे कुछ देना है"

मैं बेडरूम मे गयी और अपनी एक पैंटी ले आई.मैने उस पैंटी से अपनी चूत सॉफ की और शौकत की तरफ बढ़ा दी. वो थोड़ा हैरान सा हो गया और उसने पूंचा

शौकत:"ये क्या है"

मैं:"देखते नही मेरी पैंटी है"

शौकत:"तो"

मैं:"तो क्या, इसको ले लो और मेरी याद समझ कर खुद को मेरे फ़ैसले तक सम्भालो, अगर तुम चाहो तो मेरा बाथरूम इस्तेमाल कर सकते हो अपने खड़े लंड को शांत करने के लिए"

शौकत कुछ देर सोचता रहा फिर उसने मेरी पैंटी मुझ से ले ली लेकिन बाथरूम की तरफ नही बल्कि बाहर जाने लगा, मैने भी उसको रोका नही और उसके जाने के बाद डोर लॉक कर दिया. मैं अब और ज़्यादा परेशान थी, ज़िंदगी मे मुझे कभी ये भी करना होगा मैने सोचा नही था, अब मैं अपने कपड़े पहन चुकी थी कि डोर बेल बजी. जब देखा तो इनायत बाहर खड़ा मुस्कुरा रहा था.

इनायत जब अंदर आया तो मैं उसकी मुस्कुराहट की वजह जानने के लिए उससे पूछने लगी

मैं:"क्यूँ मुस्कुरा रहे हो, जले पर नमक छिड़क रहे हो क्या?"

इनायत:"नही मैं अपनी किस्मत पर मुस्कुरा रहा हूँ"

मैं:"अब ये सोचो कि अब करना क्या है, ये साहब तो चुदाई के खेल देख कर थॅंक्स बोल कर निकल पड़े"
इनायत:"एक ऐसी शर्त रखो जिसको वो मान ना सके यार फिर उसको कुछ ऐसा बताओ जो वो क़ुबूल ना कर सके"

मैं:"तुम्हे लगता है वो इंसान जो अपनी होने वाली बीवी का लाइव शो देखने के लिए राज़ी हो जाए वो किसी भी उल्टी सीधी बात को मानने के लिए तैयार होगा, मुझे तो लगता है कि शौकत पागल सा हो गया है

, मुझे कभी कभी ये सब करते हुए अच्छा नही लगता, ऐसा लगता है जैसे मैं उसको बेवजह तंग कर रही हूँ, ये खेल अब खेल नही रहा, कहीं ऐसा ना हो कि वो ख़ुदकुशी कर बैठे या हम को कोई नुकसान पहुँचाए"

इनायत:"मैं भी कभी कभी ये सोचता हूँ, मुझे लगता है तुम्हे उससे अब प्यार से बात करनी चाहिए और उसको एक दोस्त की तरहा धीरे धीरे समझाना चाहिए, उसने अपनी कुव्वत से बाहर आकर ये सब किया है, मुझे नही लगता कि कोई परवरटेड आदमी की तरह है, हो सकता है वो अब भी तुमसे प्यार करता हो"


मुझे इनायत की बात बिल्कुल अच्छी नही लगी और मैने उसकी नकल बनाते हुए उसकी बात दोहराई
मैं:"हो सकता है वो अब भी तुमसे प्यार करता हो, तो ठीक है मैं वापस उसके पास चली जाती हूँ और तुम अपना लौडा हिलाते रह जाना"

इनायत:"हहाहाा बुरा मान गयी क्या?"

मैं:"मैं तुमसे हाल पूछ रही हूँ और तुम आशिक़ी भघार रहे हो"

इनायत:"तो ठीक है, तुम उसको प्यार से समझाओ और उसको कहो कि वो कोई और लड़की तलाश करे"

मैं:"उसको प्यार से समझाते समझाते कहीं मैं पागल ना हो जाउ"

इनायत:"एक बार कोशिश तो करो"

मैं:"तुम्हे मालूम है, मैने उसको अपनी पैंटी दी अपना पानी पोंछ कर, ये कह कर कि वो इसे मेरे याद समझ कर अपने पास रखे"

इनायत:"हाआहाहा क्या कह रही हो ,तुम तो बिल्कुल पागल हो"

मैं:"और क्या करती वो बेचारा हमारा शो देख कर थोड़ा एग्ज़ाइटेड था, उसका कॉन्सोलेशन प्राइज़ तो बनता था ना."

इनायत:"अच्छा हुआ तुमने उससे चूत नही मरवाई, वरना ये गोल्ड मेडल हो जाता हाहाहाआआआआ:"
मैं:"तो मरवा ही लेती, मैने ग़लती की, तुम कहो तो उसको समझाते हुए अपनी फुद्दि मरवा लूँ उससे"
ये बात मैने इनायत को चिडाने के लिए कही थी.

इनायत इस बात पर एकदम सीरीयस हो गया, मुझे लगा शायद मैने ज़्यादा बोल दिया है इसलिए मुझे थोड़ा अफ़सोस हुआ.

मैं:"सॉरी, यार तुम भी तो ज़्यादा बोल रहे थे"

इनायत:"आइडिया अच्छा है,शायद वो इससे तुम्हारी मजबूरी समझ जाए"

मैं:"तुम पागलो वाले आइडियास अपने पास रखो, मैं क्या कोई रंडी हूँ जो गली गली चुदवाती रहूं"

इनायत:"सॉरी जान,मेरा ये मतलब नही था कि तुम उसके साथ सेक्स करो, मेरा मतलब था कि तुम उसको थोड़ा पुचकारो, किसी बच्चे की तरहा और थोड़ा प्यार दिखाओ ताकि वो सम्भल सके.
मैं:"ये ठीक है, ऐसा कर सकती हूँ. चलो ये ट्राइ करती हूँ"

कुछ दिन के बाद शौकत का फोन आया, मैने उसको फिर से मिलने के लिए बुलाया. इस बार भी मैने साना और आरिफ़ से ज़रिए उसकी हर हरकत पर नज़र रखी थी. इस बार इनायत पिछली बार की तरह टेरेस पर छुपा था. मैने इस बार इंटरकम मे म्डोफिकेशन करवाया था और उसका एक स्पीकर टेरेस पर रखवाया था. ये इसलिए ताकि मेरी हर बात पर इनायत की नज़र रहे और कुछ गड़बड़ होने पर वो सीधा बेडरूम मे आ जाए. मैने अपने लिए थोड़ी प्रेपरेशन कर रखी थी ताकि अपना प्रोटेक्षन कर सकूँ.


शौकत अंदर आकर बैठ गया. मैने उससे चाइ के लिए पूछा,थोड़ी देर में मैं उसके लिए चाइ ले आई. उसने चाइ का कप अपने हाथो मे लिया और मेरी तरफ उम्मीद भरी नज़रों से कुछ कहना चाहा. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि मैं उसको क्या कहूँ. शायद उसके लिए मेरे दिल मे अभी भी कहीं किसी कोने मे थोड़ा प्यार या शायद थोड़ी हमदर्दी बाकी थी. वो और आदमियो की तरहा नही लग रहा था जो सिर्फ़ औरतो पर अपनी मर्ज़ी थोप देते हैं. मुझे भी ये लगने लगा था कि शौकत को अपने किए का बहोत पछतावा है. वो अब एक हारा हुआ, कमज़ोर सा दुखी इंसान लगता था जिसे जीना था

लेकिन जीने का मकसद नही मिल रहा था. मैं उससे हमदर्दी करने लगी थी. शायद वो रात उसके लिए भी उतनी काली थी जितनी मेरे लिए ,शायद वो भी अंधेरे मे कहीं खो गया हो जैसे मैं खो गयी थी,

अब मैं शायद उसको अंधेरे मे कहीं दूर एक टिमटिमाते हुए दिए सी लग रही थी. उसने काफ़ी देर मेरी आँखो मे झाँक कर अपने लिए प्यार की बूँद तलाश करनी चाही थी. मैं उससे आँखें छिपा रही थी. अभी भी वो चाइ का कप हाथ मे लिए मेरी तरफ टकटकी लगा कर देख रहा था. मैने ये सिलसिला तोड़ने के लिए उससे बात शुरू कर दी.

मैं:"चाइ पियो, ठंडी हो रही है" मैं:""

शौकत:"हां पीता हूँ" :""

मैं:"तुम्हारी तबीयत तो ठीक है"

शौकत:"क्यूँ तबीयत का क्या है"

मैं:"तुम्हारी आँखो के नीचे काले घेरे दिखते हैं, क्या शराब फिर से शुरू कर दी है"

शौकत:"नही शुरू नही की है, लेकिन सोचता हूँ कि शायद अब वही बाकी है मेरी ज़िंदगी मे"

मैं:"शौकत ज़िंदगी मे सिर्फ़ प्यार ही सब कुछ नही होता, दूसरे की ख़ुसी भी कुछ होती है, कब तक तुम
सिर्फ़ अपने ही बारे मे सोचोगे,क्या तुमसे जुड़े हुए और लोगो की ख़ुसी कुछ नही है"

शौकत:"मैं शायद इतना ताकतवर नही कि अब किसी और के लिए सोच सकूँ, मैं तो अब ये ढलती शाम हूँ"

मैं:"शौकत ज़रा दूसरो का भी ख्यायाल करो,अपनी मा का,अपने बाप का, अपनी बहेन का,उनकी ख़ुसी और गम का,सबके बारे मे सोचो ज़रा, ज़िंदगी सिर्फ़ प्यार से ही नही चलती"

शौकत:"क्या तुम मुझे बहलाना चाहती हो"

मैं:"नही हरगिज़ नही, मैं तो तुम्हारी खैर ख्वाह बनना चाहती हूँ, अब मुझे तुमसे नफ़रत नही रही, अब मैं इन सब चीज़ो के बारे मे नही सोचती और तुमसे भी यही चाहती हूँ"

शौकत:"मुझे लगता है कि शायद मेरा कुछ नही हो सकता, तुम मेरे पास अब लौटना ही नही चाहती"

ये कह कर शौकत ने अपना चेहरा झुका लिया और शायद उसकी आँखो से आँसू बह निकले,मुझे बहोत बुरा लगा, वो अपनी सारी हदें तोड़ कर मेरे पास मेरे वापस अपनाने के यकीन मे आया था,

मुझे समझ मे नही आया कि क्या किया जाए, ये एक बड़ा झटका था मेरे लिए. मैं इन कमज़ोर लम्हो मे उसके पास एमोशनल होकर हां नही कहना चाहती थी और ना ही तंग दिल इंसान की तरहा उसे वही पर लगभग रोता हुआ छोड़ना चाहती थी. वो एक ऐसे बच्चे की तरहा मासूम दिख रहा था जिसकी मा उसे लेने नही आई और वो हॉस्टिल मे अकेला रह गया हो. शायद यही वजह थी कि मेरी सास और ननद जो कि मेरी तरफ दारी करती थीं अब शौकत की तरफ दारी कर रहीं थी. मैं काफ़ी देर तक शौकत तो देखती रही और उसकी सिसकिया सुनती रही. मैं नहीं जानती थी कि मैं किस शौकत से बात कर रही हूँ.ये वो आदमी तो बिल्कुल नही लगता था, ये तो कोई मुसीबत का मारा. हारा हुआ इंसान लगता था. तकदीर किसी को इतना कमज़ोर कर सकती है ये मैने कभी नही सोचा था. हम लड़कियो को इतना सख़्त होना नही सिखाया जाता.ना जाने क्या हुआ मैने शौकत को गले से लगा लिया और एक छोटे बच्चे की तरहा उसको पुचकार्ने लगी. शौकत अभी भी सर नीचे किए धीरे धीरे सिसकिया ले रहा था.

मैने सोचा की उसको थोड़ा दिलासा देना ठीक होगा.

मैं:"शौकत ऐसे ना टूटो, तुम अगर मुझे कमज़ोर करके वापस पाना चाहते हो तो शायद मैं तुम्हारी तरफ लौट आउ, तुमने मुझे इनायत के पास शायद वापस हासिल करने के लिए भेजा था लेकिन मैं इस शख्स से प्यार कर बैठी, तुम नही जानते कि इनायत ने मुझे इतना प्यार और हौसला दिया है कि मैं उसकी कर्ज़दार हो चुकी हूँ, तुमको इस तरहा बिलखता देख कर मुझे लगता है कि शायद मेरा मर जाना ही हर चीज़ का हाल होगा, तुम भी खुश रहो , इनायत भी, सभी लोग,,,"

शौकत:"नही, आरा तुम क्यूँ मरने की बात करती हो, मैं ही क्यूँ ना मर जाउ, मुझसे ही तो ये सब बर्दास्त नही होता"

मैं:"नही शौकत नही, तुम मुझसे वादा करो कि तुम ऐसा कुछ भी नही करोगे चाहे कुछ भी हो जाए और अगर तुम्हारा मरने का जी चाहे तो मुझे बता देना,शायद हम दोनो ही साथ मे ज़हेर खा लें"

मेरे इस जवाब ने शौकत को थोड़ा हैरान किया, वो मुझे देखने लगा, मेरी आँखो मे भी आँसू झलक आए थे. वो मेरे आँसू पोंछते हुए बोला

शौकत:"आरा, मैं तुम्हे तकलीफ़ मे नही डालना चाहता,मैं तो बस तुमसे अलग होकर नही रह सकता हूँ, मुझे समझ मे नही आता कि मैं कैसे अपनी ज़िंदगी तुम्हारे बिना तसव्वुर मे लाउ"

मैं:"जानते हो अगर मैं इनायत से कहु कि मैं शौकत के पास लौटना चाहती हूँ तो वो मुझे नही रोकेगा अपने पास लेकिन वो भी किसी ताश के पत्तो की तरहा बिखर जाएगा, वो तुमसे भी मोहब्बत करता है और हर वक़्त इसी जुर्म की तकलीफ़ मे गिरफ्तार रहता है कि उसने मुझसे प्यार क्यूँ कर किया"

शौकत:" तो तुम ही बताओ आरा, मैं कैसे अपनी ज़िंदगी बिताऊ"

मैं:"जैसे मैने शुरू की तुम्हारे मुझसे अलग होने के बाद, मुझे ये ख़याल आया कि मेरी मा, मेरे बाप, मेरा भाई मेरे लिए कितने ज़रूरी हैं, उनका भी मेरी तरहा बुरा हाल था, मैं उनके लिए ही तुम्हारा ये सुझाव क़ुबूल किया, लेकिन धीरे धीरे वक़्त बदला, तुम भी किसी अच्छी लड़की से शादी कर लो,मुझ जैसे हज़ारो लड़किया अपने शौहर की ज़िंदगी को जन्नत बनाने के लिए इंतेज़ार मे बैठी हैं,

लेकिन ना जाने क्यूँ आदमी लोग ही उनकी मोहब्बत को ठुकरा देते हैं, मैं भी तुम्हारे साथ ही हूँ एक दोस्त की तरहा, मैं भी तुम्हारे सुख दुख मे शामिल हूँ, तुम मेरे एक अच्छे दोस्त नही बन सकते,

क्या सिर्फ़ मिया बीवी का ही कोई रिस्ता होता है? , मेरी मान लो शौकत ज़रा, अपनी ज़िंदगी फिर शुरू करो, तुम एक अच्छे आदमी हो, तुमने ये साबित कर दिया है, ज़रा अपने चारो ओर नज़र दौड़ाओ,ये ज़िंदगी खुशियों से भरी पड़ी है."

शौकत:"अच्छा लगा तुम्हारे मूह से अपने लिए ये सब सुन कर"

मैं:"अच्छा बहुत हुआ ये सब, ये बताओ कुछ खाओगे, मैने बिरयानी बनाई है"

शौकत:"हां ले आओ, थोड़ा खा लेता हूँ, भूख भी लगी है"

मैं झट से किचन मे गयी और उसके लिए खाना ले आई, उसने इतमीनान से खाया. फिर वो वहीं ड्रॉयिंग रूम मे बैठ गया. मैं उसके पास गयी और उसको फिर अपने गले से लगा लिया.

कुछ देर बाद उसने मुझसे कहा कि वो ज़रूर मेरी बात के बारे में सोचेगा. मैने भी उससे अपनी बात दोहराई और कहा कि अगर वो कोई ग़लत कदम उठाएगा तो वो सबको तकलीफ़ देगा और मैं उसे कभी माफ़ नही कर पाउन्गा. वो अब थोड़ा रिलॅक्स लग रहा था. अब वो मुझे सलाम कह कर चला गया. उसके जाने के बाद इनायत भी घर पर आ गया. इनायत को मैने सारी चीज़ें जो वो इंटरकम पर सुन चुका था दोहराई, लेकिन ये नही बताया कि मैने उसको गले से लगाया था. शायद ये कहना सही नही होता. मर्द कभी भी औरतो को समझ नही सकते. वो दोस्त और शौहर का फ़र्क़ तो कभी नही समझ सकते, मैं फिर से शौकत के उदास चेहरे के बारे में सोचने लगी, आज सेक्स का मूड नही था, आज तो एक बार फिर शौकत के साथ बिताए लम्हो में गुम हो जाने का मूड था.

इनायत कितना भी अच्छा शौहर क्यूँ ना हो लेकिन कुछ बाते औरत मर्द से हमेशा छुपा कर रखती है, ये कोई बड़ी बात हो ये ज़रूरी नही, हां मगर कोई छोटी बात भी कभी कभी बाई हो सकती है.

मैं शौकत के ख़यालो मे ही गुम थीं ना जाने कब नींद आ गयी.

कहानी जारी रहेगी


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aamirhydkhan

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यकीन होना मुश्किल है

UPDATE 12


दो हफ्ते ना जाने कैसे बीत गये. ऐसा लगता था जैसे हम किसी लंबे टूर पर आए हैं जहाँ हर दिन पिकनिक है, इसी दौरान मैं शौकत से टच मे भी रही, वो लगभग रोज़ ही मुझे कॉल करता.

मुझे भी अब एक दोस्त के नाते उससे बातें करना खूब अच्छा लगता. एक दिन उसने बताया कि उसने मेरी सास को उसकी शादी के लिए कह दिया है और उसकी फॅमिली बहुत खुश है. मैने भी उसे मुबारक बाद दी और मैं भी काफ़ी खुश थी. इनायत मेरी उससे बातों के सिलसिले को जानता था. वो भी खुश था.

मैं अपने घर पर भी लगातार बात चीत करती रहती. मेरे भाई आरिफ़ की भी शादी होने वाली थी, लड़की को अब तक फाइनल नही किया गया था. हां लड़कियाँ काफ़ी देख ली गयी थीं. मैने जैसे ही अपने घर वालो को ये खबर दी कि शौकत किसी और से शादी करने चाहता है तो सबने ठंडी साँस ली कि शूकर है बला टली.

फिर वो दिन भी आ गया जब शौकत की शादी थी, शायद काफ़ी मुद्दतो बाद दोनो भाई आपस मे मिलने वाले थे. ये बरसात का महीना था. हम लोग भी अपने ससुराल पहुँच चुके थे. मेरी सास और ननद अब भी हम से थोड़ा खफा थी लेकिन शायद उनका लहज़ा थोड़ा नर्म सा लगता था.ये मुझे उनके दिल डौल और बर्ताव से मालूम पड़ा. मेरे ससुर वैसे ही थे. शादी के दिन जैसे क़ि रिवाज़ है कि लड़के के नज़दीकी रिश्तेदार और चन्द औरतें ही जाती हैं तो मुझे भी जाना पड़ा.

आज मैने एक ब्लाउस और लहगा पहना था, टॉप की गहराई ज़्यादा था और इसमे मेरा क्लीवेज काफ़ी नज़र आता था. लेकिन दुपट्टे से ढकने पर ये छुप जाता था. मैने फ़ैसला किया कि मैं शौकत से अब भी नॉर्मल तरीके से बात करूँगी. जब वो तैयार हो चुका तो मैं इनायत के साथ उसके कमरे मे गयी. वहाँ पहले से ही मेरी ननद साना और मेरी सास मौजूद थे. मैने शौकत को सलाम किया, दोनो भाई भी आपस मे गले मिल गये जैसे कोई गिला शिकवा था ही नही. दोनो काफ़ी देर तक इसी तरहा रहे,

मैने देखा कि मेरी सास मूह फेर कर अपने आँसू पोंछ रही थी और मेरी ननद साना उनको तसल्ली दे रही थी. काफ़ी दीनो बाद इस घर मे फिर से ख़ुसी की हल्की सी झलक नज़र आती थी.

हम सब तैयार हुए, रवाना हुए और फिर नयी दुल्हन के साथ वापस आ गये. इस लड़की का नाम तबस्सुम था. मूह दिखावे की रसम के दौरान जब मैं उसको देखने गयी तो मालूम हुआ कि ये बला की खूबसूरत है और इसके सामने मैं कहीं नही टिकती. ये थोड़ी दुबली पतली सी थी लेकिन कातिलाना नयन नक्श लेकर आई थी. काफ़ी रात हो चुकी थी और शौकत अपने कमरे की तरफ जा रहा था,

इस वक़्त उसके कमरे के बाहर सिर्फ़ मैं ही थी,मुझे ना जाने क्या मस्ती सूझी कि मैने शौकत को छेड़ने का फ़ैसला किया.

मैं:"शौकत क्या बला लेकर आए हो, ये तो कोई हूर है, किसी तरहा से ये ज़मीन की नयी लगती"

शौकत:"क्या सच में? मैने तो बस फोटो मे देखा था"

मैं:"असल मे जाकर देखो, वो भी क्या चीज़ है, सुबह बताना क्या चीज़ थी, हाहाहााआ

मेरी इस बात पर शौकत सिर्फ़ मुस्कुरा कर रह गया और अंदर चला गया. ये शादी का घर था, इसीलिए सब समान इधर उधर बिखरा हुआ था, मैं भी अपनी खाला ज़ाद बहेन रीना के साथ इनायत के कमरे मे सो गयी. बहुत थकान थी इसलिए तुरंत नींद आ गयी. सुबह आँख खुली तो 6 बज रहे थे,मुझे अब भी नींद आ रही थी लेकिन लोगो की चहल कदमी ने मेरी आँख खोल दी थी, आज वलीमा था और लड़की के रिश्तेदारो की दावत थी. दिन भर मसरूफ़ रही और देर रात को ही कमर सीधी करने को मिली. फिर सो गयी जाकर. अगली सुबह दुल्हन वापस अपने घर जा चुकी थी.

कुछ हफ्ते यूँ ही मेहमानो का आना जाना लगा रहा लेकिन इस दौरान मेरी अपनी सास से और ननद से कम ही बात हुई थी. आज शादी को करीब महीना होने को आया था. इनायत अपने काम पर चले गये थे. ससुर वहीं घर के बाहर

कुछ बुज़ुर्गो से वही अपनी पुरानी बातें कर रहे थे. मैं और मेरी सास और ननद ही घर पर थे.

आज हम अकेले थे, साना मेरे लिए नाश्ता ले कर आई, हम ने नाश्ता किया और हमारे बीच बात चीत शुरू हो गयी.

साना:"भाभी कैसी लगी आपको तबस्सुम भाभी"

मैं:"अच्छी हैं"

मुझ से थोड़ी ही दूर पर मेरी सास बैठी थी, जो शायद कुछ पढ़ रही थी. मेरे इस जवाब पर वो तुनक कर बोल पड़ी

सास:"अच्छी है या बहुत अच्छी है?"

मैं:"बहोत अच्छी हैं"

सास:"तुमको क्या लगा था कि वो तुम्हारे चक्कर मे अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर लेगा,देखो उसे तुमसे कहीं ज़्यादा अच्छी बीवी मिली"

मैं:"मैं जानती थी, शौकत को बहोत सारी लड़किया मिल सकती हैं, मैने ही उनसे इसके लिए इसरार किया था"

सास:"तुम तो करोगी ही इसरार क्यूंकी तुम्हे अपनी जान जो छुड़ानी थी, एक शराबी से"

मैं:"आप एक बार मेरी जगह खुद को रख कर तो देखिए, मैने कभी इस घर का बुरा नही चाहा, मैं थोड़ा परेशान ज़रूर थी"

सास:"खबरदार लड़की, अपने आप को हम से ना जोड़ो, तुम्हारे साथ जो हुआ उसका हम को बड़ा अफ़सोस है लेकिन तुमने अपना वादा तोड़ दिया था, और तुम्हारे इस घर मे वापस आने पर क्या शौकत को तकलीफ़ ना होगी, क्या सोच कर मूह उठा कर चली आई?, हम तुमसे बहोत खफा हैं, वो तो शादी की वजह से हम थोड़ा चुप थे लेकिन ये मत समझना कि हम ने तुम्हे माफ़ कर दिया है" ना जाने शौकत कब वापस आ गये थे और अपनी मा की बातें सुन रहे थे. वो अपनी मा पर ही बरस पड़े.

शौकत:"अम्मी ये सब क्या है"

सास:"बेटा, तुम कब आए, सब ख़ैरियत तो है"

शौकत:"अम्मी मैने आपको बताया था ना सब कुछ, फिर भी आप बाज़ नही आई, मैने बुलाया था इनायत और आरा को यहाँ, आरा ने ऐसा क्या किया है जिसे आप माफ़ नही कर सकती, आरा ने इनायत के साथ घर बसाया है, इनायत भी आप ही की औलाद है और उसकी शराफ़त ने आरा को बहुत मुतसिर किया, मैने आरा को क्या दिया था जो वो मुझ जैसे के पास दोबारा लौट कर आती, आरा ने ही मुझे हिम्मत दी और मुझे नयी ज़िंदगी की शुरआत करने की नसीहत दी, वो चाहे अब मेरी बीवी ना हो लेकिन वो मेरी अच्छी दोस्त है. मुझे इनायत पर फक्र है कि वो हमारा ही खून है, आप भी आरा को क़ुबूल कीजिए, वो हम सब से मोहब्बत रखती है"

मेरी सास अब खामोश हो गयी थी लेकिन अब साना बोल पड़ी.

साना:"अम्मी भाई बिल्कुल सही कह रहे हैं, इसमे भाभी का क्या क़ुसूर है, हमेशा औरतें ही क्यूँ क़ुसूरवार होती हैं हमारे मुआश्रे में, अब भाई और भाभी सब खुश हैं तो आपको क्या परेशानी है"

सास:"उस नयी लड़की को जब मालूम पड़ेगा कि ये सब तो वो क्या सोचेगी, क्या उसके बारे मे तुम लोगों ने कुछ सोचा है कभी"

शौकत:"क्यूँ, उसको हम ये बता देंगे कि, मैने आरा को एक ग़लती की वजह से छोड़ा और उसका हम सबको पछतावा है लेकिन अब वो फिर इस घर का हिस्सा है और इनायत की बीवी है,इसमे क्या बुरा लगेगा उसको"

सास:"पर क्या वो तुम्हारा और आरा का एक साथ हँसना बर्दास्त कर पाएगी"

शौकत:"अगर उसकी तर्बियत खराब होगी तो शुरुआत मे वो थोड़ा बुरा मान सकती है लेकिन क्या हमारे इस माहौल मे उसको साँस लेने की और सब से बात चीत करने का खुला पन नही मिलेगा"

सास:"शौकत तुम मासूम हो इसलिए सबको मासूम समझते हो, लोग तुम्हारी तरहा नही सोचते हैं"

शौकत:"मैं वो सब नही जानता अम्मी लेकिन आइन्दा आप आरा को बेइज़्ज़त नही करेंगी, आपको उसको माफ़ करना होगा और उसको अभी अपने गले से लगाना होगा"

सास:"शौकत, थोड़ा लिहाज़ करो अपनी मा का"

शौकत:"ठीक है,अगर आपको आरा से अभी बात करने मे तकलीफ़ है तो आप बाद मे कर सकती हैं लेकिन मेरी बात पर गौर काजिएगा"

इतना कहकर शौकत वापस चला गया. मेरी सास ने मेरी तरफ घूर कर देखा और फिर अपने कमरे मे चली गयी. लेकिन फिर मैने उनके बर्ताव मे फ़र्क देखा और धीरे धीरे वो वापस नॉर्मल सी हो गयी.उन्होने मुझे वापस अपने साथ रहने को कहा. मैने ये बात इनायत को बताई तो वो बहुत खुश हुआ. हम ने एक दिन अपना समान वापस लाने का प्लान बनाया और फिर हम अपने घर वापस आ गये. शौकत की बीवी वापस आ गयी थी. शौकत कुछ दिन के लिए कहीं घूमने जाना चाहता था और वो इनायत और मुझको भी साथ ले जाना चाहता था. इनायत भी राज़ी हो गया. हम लोग घूमने के लिए निकल पड़े.

हम जिस जगह पहुँचे थे ये एक हिल स्टेशन था, बरसात ख़तम होने को आई थी, इस टाइम पर यहाँ लोग कम ही थे. हम ने एक अफोर्डबल होटेल मे रूम बुक किया. तबस्सुम जहाँ भी जाती लोग उसकी तरफ मूड मूड कर देखते. वो एक बला की खूबसूरत लड़की थी. मैं कभी कभी शौकत के साथ थोड़ा मज़ाक भी कर लेती. हम यहाँ की खूबसूरत वादियो मे अपने खूबसूरत मुस्तकबिल को तलाश कर रहे थे. कभी कभी मैं और शौकत एक साथ बैठ जाते और इनायत और तबस्सुम एक साथ. तबस्सुम एक पढ़ी लिखी लड़की थी, शुरू के दिनो मे तो वो चुप चाप रही लेकिन फिर वो हमारे साथ, ख़ास कर मेरे साथ घुल मिल गयी. एक दिन सुबह शौकत और इनायत कहीं बाहर गये थे कि तबस्सुम और मैं होटेल के ही केफे मे बात चीत करने लगे.

तबस्सुम:आरा मैं काफ़ी दिनो से तुमसे एक बात पूछना चाह रही हूँ.

मैं:"पूछो, क्या बात है"

ताबू:"आप में और शौकत मे इतनी अच्छी निभती है तो उन्होने आपको,,,, आपको,,,"

मैं:"छोड़ क्यूँ दिया?"

ताबू:"आप बुरा मत मानना, मुझे लगा ही था कि आप इस बात का बुरा ना मान जायें"

मैं:"शौकत ने शराब के नशे में ऐसा किया था, जब उनको होश आया तो उनका अपनी ग़लती का एहसास हुआ"

ताबू:"तो फिर आप वापस इस घर मे क्यूँ आई"

मैं:"मेरे अब्बू को हार्ट अटॅक हुआ था जब मैं शौकत से अलग होकर अपने घर मे थी, मेरे लिए तलाक़शुदा और बूढो के ही रिश्ते आते थे, इसलिए कि,,,"

मैं अपनी बात को ख़तम भी ना कर पाई थी कि तबस्सुम मे मुझे रोक दिया,,,

ताबू:"छोड़िए इन बातो को, खैर अच्छी बात ये है कि आप फिर से खुश हैं, ये ज़रूरी है"

मैं:"हां, सही कहा तुमने यही ज़रूरी है"

हम लोगो ने फिर ना जाने कितने टोपिक्स पर बात की और फिर हम वापस ताबू के कमरे मे वापस आ गये. उनके कमरे में देखा तो मैं थोड़ा चौंक गयी, बेड पर ताबू की कई सारी पॅंटीस पड़ी थी,

मुझे थोड़ा हसी आ गयी, मैने उससे पूछा इसके बारे में

मैं:"ये सब क्या है बेड पर, कोई नुमाइश लगा रखी है क्या"

ताबू:"क्या कहूँ,,,"

मैं:"शरमा रही हो, ह्म्‍म्म्ममम लगता है हर रोज़ परेड होती है तुम्हारी"

ताबू:"आपको मालूम है"

मैं:"क्या"

ताबू:"यही सब"

मैं:"सॉफ सॉफ बताओ यार, शरमाओ मत"

ताबू:"यही आपके साथ ये सब नही करते थे"

मैं:"अर्रे भाई, सॉफ सॉफ बोलो तभी समझुगी ना"

ताबू:"मतलब, आपको वो आपके साथ वो,,,"

मैं:"शरमाओ मत यार तुम जिस आदमी की बात कर रही हो उसका मुझसे और मेरा उससे एक वक़्त कुछ नही छिपता था समझी,हाहाहा"

ताबू:"यही कि वो मेरी पैंटी पर अपना पानी गिराते हैं और फिर मुझे वही पहनने को देते हैं"

मैं:"नया स्टाइल है लगता है, मेरे साथ तो बस अंधेरे मे उछल कूद होती थी और फिर सो जाया करते थे, शायद तुम्हारे हुस्न ने उनको दीवाना कर दिया है"

ताबू इस बात पर सिर्फ़ मुस्कुराइ

ताबू:"आपके साथ वो सिर्फ़ रात मे और वो भी अंधेरे मे करते थे"

मैं:"हां, अब शायद वो बदल गये हैं लेकिन मुझे सेक्स का असली मज़ा इनायत ने दिया है, तुम यकीन नही कर सकती कि वो और मैं लगभग हर पोज़ीशन मे सेक्स कर चुके हैं"

ताबू:"सच में"

मैं अब बेड के सामने पड़े एक सोफे पर बैठ गयी थी और अंजाने मे मैने एक रिमोट कंट्रोल से टीवी ऑन करना चाही, टीवी पर जो कुछ नज़र आया उसको देख कर मैने ताबू की तरफ देखा तो वो शरमा सी गयी. ये एक हार्डकोर पॉर्न फिल्म थी जिसमे एक वाइट औरत को एक नीग्रो चोद रहा था और दूर बैठा एक वाइट आदमी ये सब देख रहा था, ये एक कुक्कोल्ड टाइप की मूवी थी.

मैं:"ह्म्‍म्म्मम तो आज कल ये भी देखा जा रहा है"

ताबू लगभग सकपका सी गयी और थोड़ा एम्बररस्मेंट भी झलक रही थी उसके चेहरे पर लेकिन मैने उसको संभाल लिया

मैं:"अर्रे इसमे घबराने की क्या बात है भला, हम लोग भी ये सब देखते हैं, और सच कहूँ तो मुझे ये सब देख कर बड़ा मज़ा आता है"

ताबू:"आप कब से"

मैं:"जब से इनायत से साथ हूँ"

ताबू:"एक बात पुच्छू, आप बुरा मत मानना"

मैं:"एक क्यूँ हज़ार पूच्छो"

ताबू:"आप ने दोनो भाइयो के साथ वो किया है तो आपको ,,,मेरा मतलब कि वो"

मैं:"कंपेर करना क्यूँ?"

ताबू:"हां"

मैं:"देखो शौकत का लंड लंबा है और पतला है, वो धीरे धीरे सेक्स करना पसंद करते हैं और मेरे साथ तो हमेशा अंधेरे मे सेक्स किया, वो मुझे पीठ के बल लिटा कर मेरी टाँगो के बीच मे आकर मेरी चूत मारा करते थे लेकिन इनायत ने तो कोई पोज़ीशन और टाइम और जगह छोड़ी ही नही है, बस हम ने यही ट्राइ नही किया जो इस मूवी मे दिख रहा हैं यानी स्वापिंग वगेरा"

ताबू मेरे मूह से इस तरहा से लफ्ज़ सुन कर थोड़ी शॉक हो गयी थी, वो कुछ और पूछना चाहती थी

ताबू:" भाभी आप ये सब कैसे बोल देती है, कितना गंदा लगता है ये सब सुन कर"

मैं:"मेरी जान, पहले मैं भी ऐसे ही थी लेकिन इनायत के साथ रह कर सब सीख गयी हूँ, तुम्हे भी मज़ा आएगा"

ताबू:"नही बाबा मुझसे तो ये सब नही बोला जाएगा"

मैं:"तो तुम क्या बोलती हो, कॉक, पुसी, कंट और फक्किंग"

ताबू:"हां"

मैं:"और इसको हिन्दी मे बोल दिया तो ये गंदा हो गया, कमाल है लोगो की मेनटॅलिटी पर"

ताबू:"कुछ भी हो, लेकिन इंग्लीश मे थोड़ा डीसेंट तो लगता है"

मैं:"अच्छा एक बात बताओ अगर कॉक पुसी के अंदर जाएगा तो उसको फक्किंग कहोगे और अगर हिन्दी मे कह दिया तो क्या बात बदल जाएगी, हाआआहाः"

ताबू:"मुझे नही पता, लेकिन मुझे तो यही वर्ड्स अच्छे लगते हैं, अच्छा आपने शौकत के बारे मे तो बताया लेकिन इनायत के बारे मे ,,"

मैं:"ह्म्‍म्म, इनायत के बारे में...... इनायत का कॉक शौकत के थोड़ा छोटा है लेकिन मोटा ज़्यादा है और मेरी पुसी मे एकदम फिट होता है, अच्छा तुम बताओ शौकत ने तुमको कैसे कैसे फक किया,

अक्चा अब मैं ठीक वर्ड्स का यूज़ कर रही हूँ कि नही"

ये कह कर मैं ज़ोर से हंस पड़ी...ताबू को शायद मेरी बात पर हँसी आ गयी, ताबू के डिंपल्स और दूध की तारह टीथ और एक फूल सा चेहरा बड़ा अच्छा लगा मुझे

ताबू:"ये तो डॉगी पोज़िशन और वुमन ऑन टॉप को ज़यादा पसंद करते हैं,ये मुझे स्ट्रीप डॅन्स के लिए रोज़ कहते हैं"

मैं:"अच्छा है, तुमने अपने बारे मे कुछ नही बताया"

ताबू:"अपने बारे मे क्या"

मैं:"मतलब तुम्हारे फिगर के बारे में"

ताबू:"आपको इसमे क्या इंटेरेस्ट है"

मैं:"इंटेरेस्ट तो नही है लेकिन अगर तुमको ये बात ओफ्फेंड करती है तो जाने दो"

ताबू:"मेरे बूब्स आपसे छोटे हैं, कमर भी बहुत पतली है शायद 30 की हो और बम्स थोड़े ज़्यादा लेकिन आपसे कम

मैं:"आरे भाई ये तो मुझे दिखता है,कुछ रंग ढंग के बारे मे बताओ"

ताबू:"मुझे शर्म आती है"

मैं:"अच्छा मुझसे सब पूंछ लिया लेकिन अपने बारे मे बताते हुए शर्म आती है"

ताबू:"आपने कहाँ बताया अपने बारे में, आपने तो इन लोगो के बारे मे बताया है"

मैं:"तुम देख ही लो, बताना क्या है"

ताबू:"आप मेरे सामने नंगी हो सकती हो"

मैं:"हां क्यूँ नही"

ताबू:"मुझे ऐसा नही लगता"

मैने एक टी शर्ट पहनी थी और एक लेगिंग, अंदर से कुछ नही पहना था, ताबू के कहने की देर थी मैने झट से अपनी लेगिंग और टी शर्ट उतार दी अब मैं उसके सामने एक दम नंगी खड़ी थी. ताबू की आँखें हैरत से खुल गयी और वो मुझे देख कर थोड़ा एग्ज़ाइटेड हो गयी, सॉफ लगता था कि वो थोड़ा सेक्षुयली एग्ज़ाइटेड भी थी, कुछ देर तक तो वो कुछ बोली नही फिर बोल पड़ी.

ताबू:"ओह माइ गॉड, यू आर रियली अमेज़िंग. आपके बम्स, बूब्स और ये शेव्ड पुसी तो किसी को भी दीवाना कर दे"

मैं:"अच्छा अब तुम अपना भी तो कुछ दिखाओ, या अभी भी शर्म आती है"

ताबू:"मैं दिखा दूँगी लेकिन आप किसी से ये शेअर नही करूँगी"

मैं:"तो ठीक है, कुछ मत दिखाओ, मैं हर बात अपने हज़्बेंड से शेअर करती हूँ"

ताबू:"रियली लेकिन ये ठीक नही है, वॉट ही विल थिंक अबाउट मी"

मैं:"कम ऑन, वी आर नोट परवर्ट्स,इफ़ इट अफेंड्ज़ यू देन बेटर यू डॉन'ट स्ट्रीप."

ताबू मेरे मूह से इंग्लीश सुन कर थोड़ा शॉक्ड थी.

ताबू:"इट्स ओके यार, आइ विल स्ट्रीप"

और ये कहते हुए उसने धीरे धीरे स्ट्रीप कर दिया लेकिन उसने एक हाथ अपनी चूत के आगे रख दिया और वो उसको दिखाने के लिए राज़ी ना थी. मैने बहोत इसरार किया तब उसने दिखाई अपनी चूत.ताबू के बूब्स छोटे थे मेरे मुक़ाबले लेकिन एक दम पर्फेक्ट. उसके निपल पिंक थे और अंदर का जिस्म एंडूम वाइट. मेरा रंग उसके सामने डार्क लग रहा था. उसकी कमर पतली थी और बम्स का उभार कमाल का था, उसकी चूत एक दम डिज़ाइनर वेजाइना की तरहा शेप मे और उसकी चूत के लिप्स एक दम पिंक,उसके लंबे काले बाल और उसके चेहरे की मुस्कान कमाल कर रही थी, उसकी चूत से चिप चिपा सा पानी आ रहा था , मैं काफ़ी देर तक उसको देखती रही कि रूम सर्विस की लाइट और बेल बज गयी. हम दोनो ने हड़बड़ाहट मे अपने कपड़े पहले और दण्ड का बटन पुश कर दिया. ये हम को बाद मे ध्यान आया. ये एक ना भूलने वाला इवेंट था, इसने आगे आने वाले कुछ रास्ते हमारे लिए खोल दिए थे.

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aamirhydkhan

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यकीन होना मुश्किल है

UPDATE 13




डीएनडी के बटन प्रेस करने का बाद मैं अपने कमरे मे चली आई. थोड़ी देर सोचती रही कि आख़िर ये क्या हुआ मुझ से. कैसे मैने बिना सोचे अपने आप को किसी और औरत के सामने नंगा कर दिया.

क्या मैं एक सस्ती रंडी की तरहा बर्ताव कर रही थी. मुझे अपने से थोड़ी घिन हो गयी. ये अलग बात है कि किसी ने नहाते हुए मुझे बुलाया और मैने इत्तेफ़ाक़ से किसी और नंगी औरत को देखा जैसे साना और अपनी सास को लेकिन यहाँ माजरा दूसरा था. मैं इन्ही ख़यालों मे गुम थी कि डोर पर नॉक हुआ और इनायत की आवाज़ आई, मैने दरवाज़ा खोल कर उसको अंदर आने को कहा. मैं अब भी उलझन मे डूबी हुई थी. मुझे इस तरहा खोया हुआ देख कर इनायत ने मेरे हाल के बारे मे पूछा. दर असल इनायत और शौकत एक हफ्ते बाद का रिज़र्वेशन करवा कर आए थे.

अब दिन चढ़ आया था और हमफिर बाहर चलने के लिए तैयार थे. मैने अब सलवार कमीज़ पहना था. कमीज़ काफ़ी लो कट था, ये इतना लो कट था कि ज़्यादा झुकने पर मेरे निपल्स भी नज़र आ सकते थे. मैने यहाँ आकर ब्रा पहेनना छोड़ दिया था. कमीज़ वाइट रंग की थी और ट्रॅन्स्ल्यूसेंट थी यानी अगर इसपर पानी पड़े तो मेरे ब्रेस्ट सबके सामने नुमाया हो जाए. बारिश को कोई मौसम ना था इसलिए मैने ये पहेनना सूटेबल समझा. हम ने एक रेस्टोरेंट के खाना खाया. मैं शौकत के आगे बैठी थी और ताबू के बगल मे. ये एक राउंड टेबल था. शौकत की नज़रे मेरे क्लीवेज पर थी और मुझे ना जाने क्यूँ उसके इस तरहा मेरे क्लीवेज पर नज़र गढ़ाना मुझे रोमांच से भर रहा था.

इनायत की नज़रें ताबू पर थी, ताबू भी ना जाने उससे नज़रो ही नज़रो मे क्या खेल रही थी. हम ने खाना खाया और एक पार्क मे आकर बैठ गये. ये एक फॅमिली पार्क था. यहाँ बड़े बड़े फूल के पौधे और हरी हरी ग्रास सबको भा रही थी. यहाँ हम लोग थोड़ी ही देर बैठे थे.

हम लोग बातों मे इस कदर खोए थे कि कब बादल छा गये, कब अंधेरा हो गया और कब बारिश होने लगी पता ही नही चला. मौसम किस तरहा बदल जाता है, ये यकीन नही होता. हम लोगो ने दौड़ कर टॅक्सी करनी चाही, हम लोगो काफ़ी देर सड़क पर खड़े रहे और मैं बिल्कुल भीग गयी थी, मुझे बाद मे ख़याल आया कि मेरी कमीज़ बिल्कुल ट्रंपारेंट हो गयी है और मेरे बूब्स अब बिकुल सॉफ झलक रहे हैं.

इनायत मे मुझे काम मे इसके बारे मे बताया. वो मुस्कुरा कर बोला कि क्यूँ शौकत को छेड़ रही हो तो मैने उससे कहा कि मुझे इसका ख़याल ही नही था. फिर एक टॅक्सी आकर रुकी और शौकत टॅक्सी ड्राइवर के साथ आगे की सीट पर बैठ गया.

ताबू मेरे साइड मे थी और मैं बीच में, इनायत मेरी साइड पर था. हम लोग बातें करने लगे. शौकत पीछे मूड कर बात कर रहा था और मेरे सीने पर बार बार चोरी छिपे नज़र रखे था.

थोड़ी ही देर में हम होटेल पहुँच गये. मैने जल्दी से जाकर नहाना ठीक समझा और मैं टॉवेल मे ही बाहर आ गयी. मुझे ऐसे देखकर इनायत के अरमान जाग गये. मैने उससे कहा कि नहा लो और कपड़े चेंज कर लो वरना सर्दी लग जाएगी. वो भी नहाने चला गया. जब वो नहा कर आया तो वो बिल्कुल नंगा ही चला आया. उसने मुझे पकड़ कर मेरी टॉवेल खेंच ली और मुझे नंगा बिस्तर पर फेंक दिया. मैं भी मूड मे थी, शौकत की नज़रो ने मुझे सिड्यूस कर दिया था.इनायत मेरी टाँगो के बीच में आकर मेरी नज़रो मे नज़रे डाले देख कर बोला.

इनायत:"मेरी जान आज तो तुम किसी बिजली की तरहा लग रही थी, शौकत तो बिल्कुल तुम्हारी चूचियो पर ही नज़रे गढ़ाए था"

मैं:"और तुम आज दिन भर ताबू पर नज़रे जमाए थे, क्यूँ क्या हुआ दूसरी औरत देख कर फिसल रहे हो क्या" ये बात मैने मुस्कुरा कर कही

इनायत:"नहीं मेरी जान, लेकिन वो थोड़ा अट्रॅक्ट कर ही लेती हैं पर ना जाने क्यूँ उसमे वो बात हरगिज़ नही है जो तुममे है"

मैं:"टॉपिक बदल रहे हो, ह्म्म्म्म म पकड़े गये तो बीवी की तारीफ़ शुरू कर दी"

इनायत:"नही मेरी जान ऐसा नही है, तुम तो जानती हो मुझे"

मैं:"हां जानती तो हूँ, वैसे वो चीज़ ही कुछ ऐसी है"

फिर मैने सुबह हुए इन्सिडेंट का पूरा डिस्क्रिप्षन उसको दे दिया. उसको यकीन नही हुआ. मैने उससे कहा कि अभी शायद शौकत भी ताबू की चूत मार रहा होगा.

इनायत:"तुम्हे कैसे पता"

मैं:"क्यूंकी बरसात मे शौकत मेरी भी चूत मारता था,उसको बरसात बड़ी रोमॅंटिक लगती है"

इनायत:"ह्म्म्म! तो मेरी जान दोनो के राज़ जानती है "

मैं:"हां, बिल्कुल अगर तुमको यकीन नही हो रहा तो उसको फोन करके पूछ लो"

इनायत:"चलो ठीक है लेकिन पता कैसे चलेगा कि वो वाकई ताबू की चूत मार रहा है"

मैं:"हाआँ ये तो है, वो फोन पर बात करते वक़्त रुक जाएगा, मैने ताबू को पूँछ लेती हूँ, वो मुझे शायद बता दे"

इनायत:"मैं चाहता हूँ कि मेरा लंड तुम्हारी चूत मे हो तब तुम उससे बात करो"

मैं:"इससे क्या होगा"

इनायत:"इससे ताबू को भी मालूम हो जाएगा कि मैं तुम्हारी चूत मार रहा हूँ"

मैं:"गुड आइडिया"

मैने शौकत को फोन लगाया और स्पीकर ऑन कर दिया, इस वक़्त मैं पीठ के बल लेती थी और शौकत मेरी टांगे हवा मे उठाए मेरी चूत मार रहा था.मेरी मूह से हाफने की आवाज़ आ रही थी.

शौकत ने फोन उठाया.

शौकत:"हेलो, आरा क्या बात है सब ठीक तो है"

मैं:"उम्म हाआँ सब्बब्ब उम्म ठीक है"

शौकत:"तुम हाँफ क्यूँ रही हो क्या बात है"

मैं:"उफ्फ शौकत कुछ नही सब ठीक है, तुम क्या कर रहे हो"

शौकत:"कुछ नही सो रहा था"

मैं:"अच्छा और ताबू वो भी सो रही है क्या"

शौकत:"नही वो मॅगज़ीन पढ़ रही है"

मैं:"उम्म्म अककच्छाअ..... तुम बदल गये हो "

शौकत:"क्यूँ"

मैं:"बरसात के मौसम मे सोने लग गये हो, मुझे यकीन नही होता"

शौकत:"तुम्हे जब मालूम है तो पूंछ क्यू रही हो"

मैं:"मैने सोचा हम दोस्त हैं और दोस्त किसी से कोई बात नही छिपाते

शौकत:"और तुम क्या कर रही हो"

मैं:"वही जो तुम कर रहे हो, बरसात के मज़े ले रही हूँ वो भी गहराई से उफफफफफफफफफफफफ उउउफफफफफफफफफ्फ़ इनायत धीरे"

मेरे मूह से ये निकल गया अब शौकत को यकीन हो गया कि मैं क्या कर रही हूँ वो थोड़ी देर चुप रहा फिर बोला

शौकत:"आज भी तुम्हे धीरे धीरे पसंद है क्यूँ"

मैं:"नही मुझे फास्ट पसंद है लेकिन इतना फास्ट भी,, नही पसंद की उम्म्म आआवाआज़ भी उम्म्म ना पहुँचे"

शौअकत:"अच्छा बोलो क्यूँ फोन किया"

मैं:"ताबू से बात करनी है"

उसने फोन ताबू को दे दिया, ताबू भी शायद समझ चुकी थी क्यूंकी शौकत ने फोन स्पीकर पे डाला था, वाय्स थोड़ी कट सी हो रही थी, मैने अंदाज़ा लगाया.

ताबू:"हेलो, यार कभी टाइम देख लिया करो"

मैं:"अच्छा, चूत मे जब लंड हो तो किसी से बात करना मना है क्या ,हाहाआहा"

ताबू:"तुम्हे कैसे मालूम"

मैं:"तुम्हारे मिया कभी मेरी भी बरसात मे चूत लिया करते थे इसलिए अंदाज़ा लगाया"

ताबू:"अच्छा , जब मालूम है तो फोन काटो ना, क्यूँ कबाब मे हड्डी बन रही हो"

मैं:"मेरी जान तुम्हारी चड्डी मे हड्डी नही गोश्त का टुकड़ा है , हहहाहहाहा"

ताबू:"बड़ी बेशर्म हो, और तुम्हारी चूत मे क्या है"

मैं:"मेरे मिया का लॉडा और क्या"

ताबू:"तो एंजाय करो, अपने मिया का मोड़ा लॉडा"

मैं:"क्यूँ तुम्हे भी चाहिए क्या मोटा लॉडा"

ताबू:"नही मेरे लिए मेरे मिया का ही काफ़ी है,अच्छा फोन कट करो, बेस्ट ऑफ लक"

मैं:"बेस्ट ऑफ लक किस लिए"

ताबू:"इसलिए कि ऑर्गॅज़म तक पहुँच जाओ"

मैं:"ठीक है बाइ"

मैने फोन कट कर दिया, उस शाम इनायत ने मुझे कई बार चोदा और देर रात को जब हम केफे मे मिले तो ताबू आज कुछ कॉन्फिडेंट लग रही थी. आज लगता था जैसे कुछ पी कर आई है.

ताबू:"यार तुम भी ना कभी भी फोन कर देती हो, कुछ प्राइवसी भी दिया करो"

मैं:"ओ.के. बाबा आइ आम वेरी सॉरी अबाउट दट."

ताबू:"ठीक है, इट्स ओ.के."

शौकत:"चलो कुछ ऑर्डर करते हैं"

इनायत:"हां ठीक है, तो क्या खाएगे आप लोग"

मैं:"एक काम करो, कबाब मे हड्डी ऑर्डर करो हाहाहाहाहा"

इनायत:"बस करो आरा, क्यूँ छेड़ रही हो बेचारी को"

शौकत:"जाने दो यार, दोनो एंजाय कर रही हैं"

ताबू:"हां कबाब मे हड्डी ही क्यूँ, कमीज़ मे कबूतर क्यूँ ना ऑर्डर करो, हहाहहहा"

ये बात ताबू ने आज शाम मेरी भीगी ट्रंपारेंट कमीज़ से बाहर झाँकते बूब्स(कबूतर) को देख कर कही थी.

मैं:"यार वो कबूतर नही तरबूज़ थे, क्यूँ शौकत हाआहाहाहा"

शौकत:"क्या वो मैं ,वो मैं समझा नही"

इनायत:"बस करो ना आरा तुम भी क्या बोलती रहती हो"

ताबू:"हां कबूतर तो मेरे पास हैं क्यूँ"

ये कहकर ताबू थोड़ा झेंप सी गयी अपनी ही बात पर, उसको ध्यान ही नही रहा कि बात बात मे क्या बोल गयी

मैं:"हां मुझे मालूम है, क्या खूबसूरत कबूतर हैं"

इनायत:"तुम लोग तो आज रट बातो से पेट भर लोगे"

शौकत:"हां आज इन लोगो को ज़्यादा ही मस्ती आ रही है"

ताबू:"अच्छा बाबा हम चुप हो जाते हैं बस"

शौकत:"अच्छा नाराज़ मत हो यार, चलो बोलो इसी तरहा तुम लोग"

मैं:"ताबू, अपना मूड मत खराब करो, इट्स ओके तुम्हारे कबूतर रियली मे अच्छे हैं, हीहीईहाआआ"

ताबू:"ये कॉंप्लिमेंट है या फन"

मैं:"क्यूँ तुम्हे अच्छा नही लगा, वैसे मेरे मिया आज दिन मे रेस्टोरेंट मे तुम्हारे कबूतर पर नज़र गढ़ाए हुए थे, क्यूँ इनायत"

इनायत ने मेरी तरफ थोड़े बनावटी गुस्से से देखा

ताबू:"हां और शौकत को तुम्हारे तरबूज़ की याद आ रही थी,हिहिहिहिहहिहिहहहहा"

ये कह कर ताबू ने मेरे हाथो मे ताली मारी.

मैं:"ह्म्म्मन मुझे तुम सबने देखा है, शौकत ने, इनायत ने और तुमने भी लेकिन इनायत बेचारा तुम्हारे बारे मे क्या जाने"

इनायत:"क्या बोल रही हो तुम, थोड़ा लिहाज़ तो करो यार"

मैं:"देखो मैं उन लोगो मे से नही हूँ जो अपने दोस्तो से कुछ छिपाए, हो सकता हो शौकत को ये बुरा लगता हो"

ताबू:"हां, हो सकता है, बिल्कुल"

शौकत:"जाने दो ना यार, मैने माइंड नही किया"

मैं:"रियली, सो नाइस ऑफ यू शौकत"

ताबू:"हां मैने भी माइंड नही किया"

ताबू बोल तो गयी लेकिन फिर उसने अपनी ग़लती पर अपनी लंबी ज़बान बाहर निकाली, उसके इस बर्ताव से हम सब हंस पड़े.

हम ने खाना ऑर्डर किया और फिर हम अपने रूम मे चले गये. हर दिन हम एक दूसरे से काफ़ी फ्रॅंक हो रहे थे.

इनायत जब उस रात बेड मे आया तो हमारे बीच डिन्नर के वक़्त की चर्चा फिर निकल आई

इनायत:"आज तुम कुछ ज़्यादा ही लेबर्टीस ले रही थी, कुछ ज़्यादा ही बोल्ड थी तुम"

मैं:"क्यूँ, किसी ने भी माइंड नही किया, तुमको बुरा लगा क्या"

इनायत:"नहीं लेकिन शौकत को बुरा लगा होगा"

मैं:"जानते हो मर्द की फ़ितरत होती है कि उसको अपनी थाली मे घी कम नज़र आता है और ये बात औरतो के बारे मे उनकी सोच को एक दम सही नज़र से दिखाती है ये कहावत"

इनायत:"तुम क्या कहना चाहती हो"

मैं:"यही की शौकत मेरी तरफ अट्रॅक्टेड है और तुम ताबू की तरफ"

इनायत:"सॉरी बाबा, मैं अपने आप को अबसे कंट्रोल में रखूँगा"

मैं:"नही मुझे बुरा नही लगेगा जब तक हम हर चीज़ एक दूसरे की मर्ज़ी से करेंगे, ताबू काफ़ी खूबसूरत है, अगर तुम्हारे उसकी तरफ घूर्ना उसको और उसके हज़्बेंड को बुरा नही लगता तो मुझे क्यूँ बुरा लगेगा"

इनायत:"सो नाइस ऑफ यू आरा"

मैं:"लेकिन अगर ये बात उल्टी होती तो शायद तुम सो नाइस ऑफ यू आरा नही कहते"

इनायत:"देखो मुझे बिल्कुल बुरा नही लगा कि शौकत तुम्हारी तरफ अट्रॅक्टेड है, तुम उसका पहला प्यार हो और मुझे तो अच्छा लगता है कि मेरी बीबी अभी भी लोगो की अट्रॅक्ट करने मे एफेक्टिव है"

मैं:"अच्छा, एक बात कहूँ"

इनायत::"ह्म्म्मो"

मैं:"शायद ताबू भी तुम्हारी तरफ अट्रॅक्टेड है"

इनायत:"तो"

मैं:"तो, तो कुछ नही, ऐसे ही कह दिया"

इनायत:"अच्छा."

मैं:"क्या सोचते हो, मैने देखा कि शाम को जब तुम उसकी आवाज़ फोन पर सुन रहे थे तो तुम कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइटेड थे, कहीं मेरी चूत मे लंड डाल के ताबू की चूत मे तो नही खोए थे"

इनायत:"क्या बोल रही हो तुम"

मैं:"हां, क्यूंकी शौकत भी मेरी ही चूत के बारे मे सोच रहा होगा हहाहाहा"

इनायत:"ऐसा तुम सोचती हो"

मैं:"अर्रे बाबा, इट्स ओ.के यार, डॉन'ट वरी.हम सब शायद एक दूसरे के पार्ट्नर की बाहों मे आने के बारे मे सोच रहे थे"

इनायत:"तुम भी"

मैं:"हां फ्रॅंक्ली कहु तो इस इमॅजिनेशन ने मुझे बहुत एग्ज़ाइट किया था, मुझे लगता है कि मुझे शौकत और ताबू से इस बारे मे बात करनी चाहिए"

इनायत:"क्या बात करनी चाहिए, क्या करने वाली हो"

मैं:"यही कि हमारी फॅंटसीस क्या हैं"

इनायत:"और ताबू को ये सब बुरा नही लगेगा"

मैं:"ये तुम मुझ पर छोड़ दो"

इनायत:"इससे क्या होगा"

मैं:"इससे ये होगा कि हम खुल कर फोन बार बात किया करेंगे, सेक्स के टाइम पर, और सोचो इससे हम सब कितने नज़दीक आ जायेंगे"

इनायत:"यार हम को किसी पर ये थोपना नही चाहिए"

मैं:"अर्रे यार, हम सब अडल्ट्स हैं और वो भी पढ़े लिखे, इसमे कोई रिस्क नही इन्वॉल्व्ड है, तुम टेन्षन मत लो, ये प्लान बॅक फाइयर नही करने वाला, तुम मुझ पर भरोसा रखो"

इनायत:"ठीक है, जैसे तुम ठीक समझो"

ये कहकर मैने शौकत को बुलाया उसके रूम से बाहर और उससे कह दिया कि मैं ताबू को इसके बारे मे ना बताऊ. मैने उससे कहा कि होटेल के बाहर एक टॅक्सी खड़ी है और मैं उसमे आकर बैठ जाउ.
मैं पहले से ही टॅक्सी मे पिछली सीट पर बैठी थी. मैने टॅक्सी का नंबर और ड्राइवर का चेहरा अपने फोन मे क्लिक कर लिया था, ये इसलिए कि मैं शौकत से मिया बीवी की तरहा मिलना चाह रही थी.

शौकत कुछ देर बाद टॅक्सी मे आकर ड्राइवर के साथ बैठ गया.जैसे ही वो बैठा मैने उससे बीवी वाले अंदाज़ मे बात करनी शुरू कर दी वो उसको टेक्स्ट कर दिया कि वो भी मिया की तरहा मुझसे बात करे

शौकत ने जब वो टेक्स्ट पढ़ा तो वो थोड़ा शॉक्ड था.

मैं:"कहाँ रह गये थे आप, हमेशा लेट कर देते हैं, आपको एक घंटा पहले कहा था आने को, लेकिन बीवी की हर बात आप भूल जाते हो"

शौकत:"थोड़ा टाइम लग गया जान, सॉरी बाबा"

मैने ड्राइवर को उसी पार्क में आने को कह दिया जिसमे हम लास्ट टाइम बैठे थे. थोड़ी ही देर में हम पार्क मे जा पहुचे और एक ऐसी जगह बैठे जहाँ कोई भी ना था. शौकत ने मुझ पर सवालो की बारिश कर दी,

शौकत:"ये सब क्या है आरा और क्या मज़ाक है ये सब"

मैं:"तुम बैठो तो सही मैं सब बताती हूँ"

शौकत:"क्या बताती हूँ"

मैं:"देखो मुझसे घुमा फिरा कर कहना नही आता इसलिए सीधे पॉइंट पर आती हूँ"

शौकत:"क्या है बोलो जल्दी"

मैने इस बार उधर देखा और फिर तपाक से बोल पड़ी.

मैं:"लास्ट टाइम जब तुम पार्क से जाने के बाद ताबू को चोद रहे थे और मैने फोन किया था, उस वक़्त बात करते करते तुम मेरी चूत के बारे मे सोच रहे थे, क्यूँ? अब झूट मत बोलना बिल्कुल"

शौकत को बिल्कुल यकीन ना था कि मैं ऐसे ही बोल पड़ूँगी इतनी गहरी बात वो थोड़ा सकपका गया और फिर क़ुबूल करते हुए बोला

शौकत:"हां आरा ये तो है लेकिन इससे क्या"

मैने शौकत के कंधे पर हाथ रखा और उसकी आखो मे आँखें डाल कर प्यार से कहा

मैं:"देखो शौकत मैं नही चाहती कि हम लोग अपने पार्ट्नर को धोका दे लेकिन मैं चाहती हूँ कि हम एक दूसरे के ट्रस्ट को बनाते हुए एक दूसरे से बिल्कुल ईमानदार रहें"

शौकत:"तुम कहना क्या चाहती हो"

मैं:"यही कि ताबू को मालूम होना चाहिए कि तुम मेरे बारे मे सोचते हो, इमॅजिन करके ताबू की चूत मारते हो और इनायत और ताबू भी एक दूसरे के बारे मे ऐसा ही सोचते हैं,इनायत तो ये क़ुबूल कर चुका है."

शौकत:"तो"

मैं:"तो यह कि हम को खुल कर ये बात एक दूसरे के बारे मे आक्सेप्ट करनी चाहिए और फ्यूचर मे हम सेक्स करते वक़्त एक दूसरे को फोन करके सेक्स का मज़ा डबल कर सकते हैं"

शौकत:"इनायत और ताबू इस बात के लिए कैसे मान जाएगे"

मैं:"इनायत तो मान चुका है, बस ताबू को मैं मना लूँगी, हम कोई असली मे थोड़े ही किसी की चूत मार लेंगे"

शौकत:"मैं तो मारना चाहता हूँ"

शौकत एक दम से क्या बोल गया उसको इस बात का अंदाज़ा हुआ तो वो चुप सा हो गया

मैं:"मैं जानती हूँ मेरी जान और मैं भी तुमसे एक बार फिर चुदना चाहती हूँ लेकिन अगर ताबू और इनायत राज़ी हो तभी"

मेरी ये बात सुनकर शौकत को जैसे करेंट सा लगा लेकिन मैं अभी भी उसकी आँखो मे देख रही थी. शौकत ने मेरे होंटो को किस करना चाहा लेकिन मैने उसको दूर कर दिया और कहा कि ये पब्लिक पार्क है. हम अलग अलग होटेल पहुँचे. अब ताबू को इस फोन सेक्स के लिए राज़ी करना था. मैने प्लान बना लिया था और मैं आगे बढ़ रही थी.

कहानी जारी रहेगी




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aamirhydkhan

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यकीन होना मुश्किल है

UPDATE 14

मैं होटेल पहुँच कर सीधे इनायत से मिली. इनायत किसी से बात कर रहा था. मेरे पहुँचते ही उसने फोन कट कर दिया. मैने पूछा तो बोला कि ताबू का फोन था. मैं थोड़ा हैरान सी हुई लेकिन फिर मैने गौर नही किया. इनायत मेरी बात सुनने के लिए बेताब लग रहा था. उसने खिड्खी खोली और बाहर की रोशनी अंदर आई. हमारा कमरा होटेल के पिछले हिस्से मे था. यहाँ से पीछे की हरी भारी वादियाँ दिखती थी. इनायत ने मुझसे आते ही सवाल कर दिया.

इनायत:"क्या हुआ, शौकत ने क्या कहा"

मैं:"वो राज़ी है और मेरे ताबू से बात करने के लिए भी"

इनायत:"ताबू को मैने कह दिया है कि तुम उससे कुछ ज़रूरी बात करना चाहती हो, वो अब आती ही होगी"

मैं:"क्या बात है, बड़ी जल्दी में हो और ये ताबू अब सीधे तुमसे बात कर लेती है, बड़ी कॉन्फिडेंट हो गयी है"

इनायत:"हां अब काफ़ी खुल सी गयी है."

इतने ही देर में डोर पर नॉक हुई. मैने पूछा तो बाहर से ताबू की आवाज़ आई. मैने इनायत से कहा कि वो थोड़ी देर के लिए बाहर जाए. ताबू और इनायत की आँखें मिली और फिर झुक सी गयी. मुझे लगा कि इन दोनो मे ज़रूर कुछ खिचड़ी पक रही है. जैसे ही इनायत बाहर गया मैने झट से दरवाज़ा बंद किया और ताबू को बैठने के लिए कहा.

मैं:"क्या बात है, कुछ पक रहा है तुममे और इनायत में ,नज़रो ही नज़रो मे कुछ खेल हो रहा है"

ताबू:"नही यार, ऐसा नही है, खैर तुम बताओ क्या ज़रूरी बात है"

मैं:"ना जाने तुम कैसे रिक्ट करोगी लेकिन मैं तुमसे सिर्फ़ कुछ सवाल पूछना चाहती हूँ और तुम उसका सही जवाब देना"

ताबू:"हां पूछो"

मैं:"लास्ट टाइम जब मैने तुमको कॉल किया था जब तुम और शौकत सेक्स कर रहे थे, ये उस टाइम की बात है"

ताबू:"फिर से सेक्स की बात"

मैं:"हां, मैने अब्ज़र्व किया कि इनायत उस टाइम बहुत एग्ज़ाइटेड था और शौकत भी"

ताबू:"तो"

मैं:"मैने शौकत से इस बारे मे पूछा तो उसने कहा कि वो मुझे इमॅजिन कर के तुमसे सेक्स कर रहा था और इनायत तुम्हे इमॅजिन करके मुझसे सेक्स कर रहा था"

ताबू:"ओह माइ गॉड"

मैं:"तुम शॉक्ड क्यूँ हुई, तुम भी तो कहीं इनायत को इमॅजिन तो नही कर रही थी?"

ताबू:"कम टू दा पॉइंट, कहना क्या चाहती हो"

मैं:"मैं चाहती हूँ कि हम सभी मे एक दूसरे से ईमानदारी की उम्मीद की जाए, अगर शौकत या इनायत दूसरे पार्ट्नर के बारे मे सोच रहा है तो ये खुल कर क़ुबूल करे और अगर हम औरतो मे से कोई किसी दूसरे पार्ट्नर के बारे मे सोचे तो फिर वो अफेन्सिव ना फील करें."

ताबू:""तुमने शौकत से डाइरेक्ट्ली पूछा, लेकिन कब ? और वो मान भी गया, मुझे समझ मे नही आ रहा.

मैं:"देखो ये थोड़ा कॉंप्लिकेटेड है, शौकत अभी भी मेरे लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर रखता है, ये तुमको मानना ही होगा"

ताबू:"ये मैं जानती हूँ, लेकिन ये सब आक्सेप्ट करके क्या होगा"

मैं:"हम खुल कर सेक्स डिसकस कर सकते हैं और ये बहुत एग्ज़ाइटेड भी होगा, मैं चाहती हूँ कि वापस घर मे जाने से पहले हम एक दूसरे से सेक्स के टाइम बात करें, इससे हमारी नज़दीकी बढ़ेगी"

ताबू:"तुमको नहीं लगता कि हम बहुत आगे बढ़ रहे हैं कहीं फिर हमारे हज़्बेंड्स हमे स्वेप करने की ज़िद ना करने लगे"

मैं:"इनायत ने तो पहले ही ये आज़ादी मुझे दे रखी है लेकिन मैने इसके बारे मे कभी सोचा नहीं, अगर शौकत तुमको ये आज़ादी दे तो क्या तुम इनायत के साथ सोना नहीं चाहोगी?"

ताबू:""शौकत ऐसा कभी नही करेगा और वैसे भी मुझे ये बिल्कुल प्रॅक्टिकल नही लगता.

मैं:"क्यूँ, क्या मैं शौकत से पूछु"

ताबू:"फॉर गॉड'स सेक, प्लीज़ थोड़ा प्राइवसी दो शौकत और मुझ को, प्लीज़ तुम सिर्फ़ एक फ्रेंड की तरहा ही रहो,मुझे तुम्हारा शौकत से चिपकना अक्चा नही लगता"

मैं:"ओ.के बाबा, ओ.के. मैं उससे बात भी नही करने वाली यार"

ताबू:"देखो, आइ आम सॉरी यार, लेकिन ये समझो कि शौकत मेरा हज़्बेंड है और उससे हर चीज़ सबसे पहले मुझसे शेअर करनी चाहिए."

मैं:"यू आर आब्सोल्यूट्ली राइट. मुझे मालूम है, मैं अबसे तुम्हारे और उसके बीच में नहीं बोलूँगी, अच्छा अब तो मुस्कुराओ"

ताबू:"मुझे थोड़ा टाइम दो, मुझे लगता है कि छेड़ छाड़ मे कोई हर्ज़ नही है लेकिन अपने प्राइवेट मोमेंट्स को भी शेअर करना थोड़ा सा अनीज़ी है"

मैं:"वी ऑल आर अडल्ट्स, हम ऐसा कुछ भी नही करने वाले जो किसी और को हर्ट करे"

ताबू:"थॅंक्स, मैं जाती हूँ"

मुझे लगा कि मैने कार स्टार्ट होते ही 5थ गियर डाल दिया था. मुझे थोड़ा पेशेंट होना होगा और खुद भी सोचना होगा कि कहीं मैं किसी ग़लत डाइरेक्षन मे जाकर अपना सब कुछ बर्बाद तो नहीं कर रही.
मैने वापस जाकर इनायत को सब हाल सुना दिया, इनायत ने मुझे वही कहा जो ताबू ने कहा था. अगले दिन हम फिर घूमने गये और इस वक़्त हम मे ज़्यादा कुछ बात नही हुई. मुझे लगा कि मैने जल्दी मे अब कुछ स्पोइल कर दिया है.

रात को जब इनायत मुझे डिप्रेस्ड देख कर समझा रहा था कि तभी ताबू का फोन आया

ताबू:"क्या कर रही हो"

मैं:"सोने जा रही थी, क्यूँ क्या हुआ"

ताबू:"क्यूँ आज मूड ठीक नही है क्या, मेरी वजह से नाराज़ हो, अच्छा यार सॉरी, ये सब तुमने इतना जल्दी जल्दी कहा कि मुझे कुछ समझ मे नही आया"

मैं:"नही इट्स ओके, मैं शायद ज़्यादा जल्दी मे थी और शायद तुमको हर्ट कर गयी"

ताबू:"अच्छा जानती हो मैं क्या कर रही हूँ ?"

मैं:"नही"

ताबू:"मैं इस वक़्त शौकत के लंड का मज़ा ले रही हूँ"

मैं:"अच्छा, इट्स गुड"

ताबू:"चलो अपने गेम शुरू करते हैं"

मैं:"ताबू इस वक़्त मूड नही है"

ये कहकर मैने फोन लाइन कट कर दी और इनायत से भी सोने को कहा.

अब कुछ ही दिन बचे थे जाने को. मेरा मूड अब कहीं घूमने को जाने को नही करता था. सुबह हम नाश्ते के लिए होटेल के केफे मे जाते थे लेकिन आज मैने ब्रेकफास्ट रूम मे ही मंगवा लिया.

ब्रेकफ़ास्ट खाने जा ही रही थी डोर पर नॉक हुई,इनायत ने डोर खोला और मैने शौकत और ताबू को अंदर आते देखा, फॉरमॅलिटीस के लिए मैने उन्हे ब्रेकफ़ास्ट मे जाय्न होने को कहा. नाश्ता ख़तम करने के बाद मैने टीवी ऑन कर ली और उनसे नज़रे चुराने के लिए मैने टीवी पर ध्यान देना शुरू कर दिया. ताबू ने मेरे हाथ से रिमोट छीन लिया और मेरी तरफ देख कर कहा

ताबू:"मेरे पास तुम्हारे लिए एक सरप्राइज है"

मैं:"क्या"

ये कहते ही ताबू ने जो टीशर्ट और लेगिंग पहने थे वो एक झटके मे उतार दिया और बिल्कुल नंगी हो गयी,मेरा मूह खुला का खुला रह गया, मैने इनायत की तरफ देखा वो भी मेरी तरहा अपनी आँखो पर यकीन नही कर पा रहा था. और ये जैसे कुछ नही था कि ताबू ज़ोर ज़ोर से खिल खिला कर हंस रही थी. इनायत जैसे किसी नशे मे था.ताबू काफ़ी आगे और कभी पीछे होकर हंस हंस कर सब दिखा रही थी. मैने नोटीस किया कि इनायत बुत बना सॉफ देखा जा सकता था.

शौकत:"कल रात मेरी ताबू से बात हुई और वो आख़िर मान ही गयी कि अब हम लोगो को एक दूसरे से कुछ नही छिपाना चाहिए"

ताबू:"इनायत होश मे आओ, तुम तो लग रहा है कोमा मे चले गये हो"

इनायत सच मच मे कोमा मे ही लग रहा था, उसके हाथ काँप रहे थे मैने उसको झटका दिया तो वो सकपका कर बोला

इनायत:"ये तो मैने कभो सोचा ही नही था"

ताबू:"अच्छा, अब मुझे तो घूर कर नंगा देख लिया, तुम भी तो अपनी गन दिखाओ, बड़ी तारीफ सुनी है आरा के मूह से तुम्हारी गन की"

ताबू इनायत के पास आकर उसकी पॅंट खोल रही थी और शौकत मेरे पास आकर मुझसे बोला

शौकत:"मेडम आप भी कुछ दिखाएँगी या अभी भी नाराज़ ही रहेंगी"

मैने ताबू की हरकत को बिल्कुल भी आंटिसिपेट नही किया था और मैं भी लगभग सिड्यूस ही हो गयी थी, मैने भी बिजली सी तेज़ी दिखाई और झटपट नंगी हो गयी. अब इनायत और ताबू एक दूसरे से लिपट चुके थे और मैं और शौकत भी एक दूसरे के होन्ट चूस रहे थे.

ताबू:"वो देखो दो पुराने प्रेमी कैसे मिल रहे हैं, है आज मेरी चूत मे आख़िर कार इनायत का लंड जाएगा, इनायत आज अपनी भाभी की जम कर चुदाई करो, वैसे भी तुमको भाभी चोदने का ख़ास एक्सपीरियेन्स है, हाहहाहा"

ताबू आज एक दम पागल सी लग रही थी, यकीन करना मुश्किल था कि क्या ये वही तबस्सुम है वो भोली सी खामोश रहने वाली लड़की थी.

इनायत:"हां क्यूँ नही भाभी जी आपका ही हथियार है जब चाहे इस्तेमाल करो"

ताबू:"हां सही कहा, चलो ज़रा बैठ जाओ मैं तुम्हारा हथियार चख लूँ"

मैं:"एक मिनिट ताबू, इनायत तुम बेड पर बेड हेड के सहारे बैठ जाओ, मैं भी वो चूत चखना चाहती हूँ जिसमे मेरे शौहर का हथियार जाएगा"

शौकत:"और मैं, मैं क्या करू"

मैं:"तुम मेरी चाटो यार, चख लो पुरानी वाइन, कहीं टेस्ट तो बदला नही है"

और इस तरहा ताबू इनायत को ब्लो जॉब दे रही थी और मैं ताबू के नीचे उसकी चूत चाट रही थी. मेरी चूत शौकत चाट रहा था.


मैं:"वाह ताबू क्या टेस्ट है यार, तुम्हारी चूत ने ही शौकत का मूड बदला है"

इनायत:"मुझे यकीन नही हो रहा कि इतनी खूबसूरत ताबू मुझे ब्लो जॉब दे रही है"

ताबू:"ब्लो जॉब ही क्यूँ आगे आगे देखो क्या क्या देती हूँ"

इनायत ताबू के बालो मे प्यार से उंगलियो से कंघी कर रहा था और शौकत मेरे चुतडो मे उंगली भी डाल रहा था. इसी तरहा थोड़ी देर तक चूत चाटने के बाद मैं झाड़ सी गयी और मेरे बाद ताबू और इनायत भी झाड़ गये, शौकत मे मुझे लगे से लगा लिया था और ताबू को इनायत ने.

शौकत:"जानती हो मेरी जान, मेरे लंड ने तुम्हारे लिए कितने आँसू बहाए है, अब मैं तुम्हे कहीं नही जाने दूँगा अब तुम मेरे पास भी आया करो"

मैं:"हां मेरी जान, मैं जानती हूँ लेकिन अब तुम चाहे तो मेरा जिस्म इस्तेमाल करो लेकिन मेरी रूह तो इनायत की ही है"

ताबू:"ऑफ ओह क्या बोरिंग सी बात कर रहे हो, चल आज हम औरतें इन मर्दो के टॉप पर हो जाती है"


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