यकीन होना मुश्किल है
UPDATE 12
दो हफ्ते ना जाने कैसे बीत गये. ऐसा लगता था जैसे हम किसी लंबे टूर पर आए हैं जहाँ हर दिन पिकनिक है, इसी दौरान मैं शौकत से टच मे भी रही, वो लगभग रोज़ ही मुझे कॉल करता.
मुझे भी अब एक दोस्त के नाते उससे बातें करना खूब अच्छा लगता. एक दिन उसने बताया कि उसने मेरी सास को उसकी शादी के लिए कह दिया है और उसकी फॅमिली बहुत खुश है. मैने भी उसे मुबारक बाद दी और मैं भी काफ़ी खुश थी. इनायत मेरी उससे बातों के सिलसिले को जानता था. वो भी खुश था.
मैं अपने घर पर भी लगातार बात चीत करती रहती. मेरे भाई आरिफ़ की भी शादी होने वाली थी, लड़की को अब तक फाइनल नही किया गया था. हां लड़कियाँ काफ़ी देख ली गयी थीं. मैने जैसे ही अपने घर वालो को ये खबर दी कि शौकत किसी और से शादी करने चाहता है तो सबने ठंडी साँस ली कि शूकर है बला टली.
फिर वो दिन भी आ गया जब शौकत की शादी थी, शायद काफ़ी मुद्दतो बाद दोनो भाई आपस मे मिलने वाले थे. ये बरसात का महीना था. हम लोग भी अपने ससुराल पहुँच चुके थे. मेरी सास और ननद अब भी हम से थोड़ा खफा थी लेकिन शायद उनका लहज़ा थोड़ा नर्म सा लगता था.ये मुझे उनके दिल डौल और बर्ताव से मालूम पड़ा. मेरे ससुर वैसे ही थे. शादी के दिन जैसे क़ि रिवाज़ है कि लड़के के नज़दीकी रिश्तेदार और चन्द औरतें ही जाती हैं तो मुझे भी जाना पड़ा.
आज मैने एक ब्लाउस और लहगा पहना था, टॉप की गहराई ज़्यादा था और इसमे मेरा क्लीवेज काफ़ी नज़र आता था. लेकिन दुपट्टे से ढकने पर ये छुप जाता था. मैने फ़ैसला किया कि मैं शौकत से अब भी नॉर्मल तरीके से बात करूँगी. जब वो तैयार हो चुका तो मैं इनायत के साथ उसके कमरे मे गयी. वहाँ पहले से ही मेरी ननद साना और मेरी सास मौजूद थे. मैने शौकत को सलाम किया, दोनो भाई भी आपस मे गले मिल गये जैसे कोई गिला शिकवा था ही नही. दोनो काफ़ी देर तक इसी तरहा रहे,
मैने देखा कि मेरी सास मूह फेर कर अपने आँसू पोंछ रही थी और मेरी ननद साना उनको तसल्ली दे रही थी. काफ़ी दीनो बाद इस घर मे फिर से ख़ुसी की हल्की सी झलक नज़र आती थी.
हम सब तैयार हुए, रवाना हुए और फिर नयी दुल्हन के साथ वापस आ गये. इस लड़की का नाम तबस्सुम था. मूह दिखावे की रसम के दौरान जब मैं उसको देखने गयी तो मालूम हुआ कि ये बला की खूबसूरत है और इसके सामने मैं कहीं नही टिकती. ये थोड़ी दुबली पतली सी थी लेकिन कातिलाना नयन नक्श लेकर आई थी. काफ़ी रात हो चुकी थी और शौकत अपने कमरे की तरफ जा रहा था,
इस वक़्त उसके कमरे के बाहर सिर्फ़ मैं ही थी,मुझे ना जाने क्या मस्ती सूझी कि मैने शौकत को छेड़ने का फ़ैसला किया.
मैं:"शौकत क्या बला लेकर आए हो, ये तो कोई हूर है, किसी तरहा से ये ज़मीन की नयी लगती"
शौकत:"क्या सच में? मैने तो बस फोटो मे देखा था"
मैं:"असल मे जाकर देखो, वो भी क्या चीज़ है, सुबह बताना क्या चीज़ थी, हाहाहााआ
मेरी इस बात पर शौकत सिर्फ़ मुस्कुरा कर रह गया और अंदर चला गया. ये शादी का घर था, इसीलिए सब समान इधर उधर बिखरा हुआ था, मैं भी अपनी खाला ज़ाद बहेन रीना के साथ इनायत के कमरे मे सो गयी. बहुत थकान थी इसलिए तुरंत नींद आ गयी. सुबह आँख खुली तो 6 बज रहे थे,मुझे अब भी नींद आ रही थी लेकिन लोगो की चहल कदमी ने मेरी आँख खोल दी थी, आज वलीमा था और लड़की के रिश्तेदारो की दावत थी. दिन भर मसरूफ़ रही और देर रात को ही कमर सीधी करने को मिली. फिर सो गयी जाकर. अगली सुबह दुल्हन वापस अपने घर जा चुकी थी.
कुछ हफ्ते यूँ ही मेहमानो का आना जाना लगा रहा लेकिन इस दौरान मेरी अपनी सास से और ननद से कम ही बात हुई थी. आज शादी को करीब महीना होने को आया था. इनायत अपने काम पर चले गये थे. ससुर वहीं घर के बाहर
कुछ बुज़ुर्गो से वही अपनी पुरानी बातें कर रहे थे. मैं और मेरी सास और ननद ही घर पर थे.
आज हम अकेले थे, साना मेरे लिए नाश्ता ले कर आई, हम ने नाश्ता किया और हमारे बीच बात चीत शुरू हो गयी.
साना:"भाभी कैसी लगी आपको तबस्सुम भाभी"
मैं:"अच्छी हैं"
मुझ से थोड़ी ही दूर पर मेरी सास बैठी थी, जो शायद कुछ पढ़ रही थी. मेरे इस जवाब पर वो तुनक कर बोल पड़ी
सास:"अच्छी है या बहुत अच्छी है?"
मैं:"बहोत अच्छी हैं"
सास:"तुमको क्या लगा था कि वो तुम्हारे चक्कर मे अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर लेगा,देखो उसे तुमसे कहीं ज़्यादा अच्छी बीवी मिली"
मैं:"मैं जानती थी, शौकत को बहोत सारी लड़किया मिल सकती हैं, मैने ही उनसे इसके लिए इसरार किया था"
सास:"तुम तो करोगी ही इसरार क्यूंकी तुम्हे अपनी जान जो छुड़ानी थी, एक शराबी से"
मैं:"आप एक बार मेरी जगह खुद को रख कर तो देखिए, मैने कभी इस घर का बुरा नही चाहा, मैं थोड़ा परेशान ज़रूर थी"
सास:"खबरदार लड़की, अपने आप को हम से ना जोड़ो, तुम्हारे साथ जो हुआ उसका हम को बड़ा अफ़सोस है लेकिन तुमने अपना वादा तोड़ दिया था, और तुम्हारे इस घर मे वापस आने पर क्या शौकत को तकलीफ़ ना होगी, क्या सोच कर मूह उठा कर चली आई?, हम तुमसे बहोत खफा हैं, वो तो शादी की वजह से हम थोड़ा चुप थे लेकिन ये मत समझना कि हम ने तुम्हे माफ़ कर दिया है" ना जाने शौकत कब वापस आ गये थे और अपनी मा की बातें सुन रहे थे. वो अपनी मा पर ही बरस पड़े.
शौकत:"अम्मी ये सब क्या है"
सास:"बेटा, तुम कब आए, सब ख़ैरियत तो है"
शौकत:"अम्मी मैने आपको बताया था ना सब कुछ, फिर भी आप बाज़ नही आई, मैने बुलाया था इनायत और आरा को यहाँ, आरा ने ऐसा क्या किया है जिसे आप माफ़ नही कर सकती, आरा ने इनायत के साथ घर बसाया है, इनायत भी आप ही की औलाद है और उसकी शराफ़त ने आरा को बहुत मुतसिर किया, मैने आरा को क्या दिया था जो वो मुझ जैसे के पास दोबारा लौट कर आती, आरा ने ही मुझे हिम्मत दी और मुझे नयी ज़िंदगी की शुरआत करने की नसीहत दी, वो चाहे अब मेरी बीवी ना हो लेकिन वो मेरी अच्छी दोस्त है. मुझे इनायत पर फक्र है कि वो हमारा ही खून है, आप भी आरा को क़ुबूल कीजिए, वो हम सब से मोहब्बत रखती है"
मेरी सास अब खामोश हो गयी थी लेकिन अब साना बोल पड़ी.
साना:"अम्मी भाई बिल्कुल सही कह रहे हैं, इसमे भाभी का क्या क़ुसूर है, हमेशा औरतें ही क्यूँ क़ुसूरवार होती हैं हमारे मुआश्रे में, अब भाई और भाभी सब खुश हैं तो आपको क्या परेशानी है"
सास:"उस नयी लड़की को जब मालूम पड़ेगा कि ये सब तो वो क्या सोचेगी, क्या उसके बारे मे तुम लोगों ने कुछ सोचा है कभी"
शौकत:"क्यूँ, उसको हम ये बता देंगे कि, मैने आरा को एक ग़लती की वजह से छोड़ा और उसका हम सबको पछतावा है लेकिन अब वो फिर इस घर का हिस्सा है और इनायत की बीवी है,इसमे क्या बुरा लगेगा उसको"
सास:"पर क्या वो तुम्हारा और आरा का एक साथ हँसना बर्दास्त कर पाएगी"
शौकत:"अगर उसकी तर्बियत खराब होगी तो शुरुआत मे वो थोड़ा बुरा मान सकती है लेकिन क्या हमारे इस माहौल मे उसको साँस लेने की और सब से बात चीत करने का खुला पन नही मिलेगा"
सास:"शौकत तुम मासूम हो इसलिए सबको मासूम समझते हो, लोग तुम्हारी तरहा नही सोचते हैं"
शौकत:"मैं वो सब नही जानता अम्मी लेकिन आइन्दा आप आरा को बेइज़्ज़त नही करेंगी, आपको उसको माफ़ करना होगा और उसको अभी अपने गले से लगाना होगा"
सास:"शौकत, थोड़ा लिहाज़ करो अपनी मा का"
शौकत:"ठीक है,अगर आपको आरा से अभी बात करने मे तकलीफ़ है तो आप बाद मे कर सकती हैं लेकिन मेरी बात पर गौर काजिएगा"
इतना कहकर शौकत वापस चला गया. मेरी सास ने मेरी तरफ घूर कर देखा और फिर अपने कमरे मे चली गयी. लेकिन फिर मैने उनके बर्ताव मे फ़र्क देखा और धीरे धीरे वो वापस नॉर्मल सी हो गयी.उन्होने मुझे वापस अपने साथ रहने को कहा. मैने ये बात इनायत को बताई तो वो बहुत खुश हुआ. हम ने एक दिन अपना समान वापस लाने का प्लान बनाया और फिर हम अपने घर वापस आ गये. शौकत की बीवी वापस आ गयी थी. शौकत कुछ दिन के लिए कहीं घूमने जाना चाहता था और वो इनायत और मुझको भी साथ ले जाना चाहता था. इनायत भी राज़ी हो गया. हम लोग घूमने के लिए निकल पड़े.
हम जिस जगह पहुँचे थे ये एक हिल स्टेशन था, बरसात ख़तम होने को आई थी, इस टाइम पर यहाँ लोग कम ही थे. हम ने एक अफोर्डबल होटेल मे रूम बुक किया. तबस्सुम जहाँ भी जाती लोग उसकी तरफ मूड मूड कर देखते. वो एक बला की खूबसूरत लड़की थी. मैं कभी कभी शौकत के साथ थोड़ा मज़ाक भी कर लेती. हम यहाँ की खूबसूरत वादियो मे अपने खूबसूरत मुस्तकबिल को तलाश कर रहे थे. कभी कभी मैं और शौकत एक साथ बैठ जाते और इनायत और तबस्सुम एक साथ. तबस्सुम एक पढ़ी लिखी लड़की थी, शुरू के दिनो मे तो वो चुप चाप रही लेकिन फिर वो हमारे साथ, ख़ास कर मेरे साथ घुल मिल गयी. एक दिन सुबह शौकत और इनायत कहीं बाहर गये थे कि तबस्सुम और मैं होटेल के ही केफे मे बात चीत करने लगे.
तबस्सुम:आरा मैं काफ़ी दिनो से तुमसे एक बात पूछना चाह रही हूँ.
मैं:"पूछो, क्या बात है"
ताबू:"आप में और शौकत मे इतनी अच्छी निभती है तो उन्होने आपको,,,, आपको,,,"
मैं:"छोड़ क्यूँ दिया?"
ताबू:"आप बुरा मत मानना, मुझे लगा ही था कि आप इस बात का बुरा ना मान जायें"
मैं:"शौकत ने शराब के नशे में ऐसा किया था, जब उनको होश आया तो उनका अपनी ग़लती का एहसास हुआ"
ताबू:"तो फिर आप वापस इस घर मे क्यूँ आई"
मैं:"मेरे अब्बू को हार्ट अटॅक हुआ था जब मैं शौकत से अलग होकर अपने घर मे थी, मेरे लिए तलाक़शुदा और बूढो के ही रिश्ते आते थे, इसलिए कि,,,"
मैं अपनी बात को ख़तम भी ना कर पाई थी कि तबस्सुम मे मुझे रोक दिया,,,
ताबू:"छोड़िए इन बातो को, खैर अच्छी बात ये है कि आप फिर से खुश हैं, ये ज़रूरी है"
मैं:"हां, सही कहा तुमने यही ज़रूरी है"
हम लोगो ने फिर ना जाने कितने टोपिक्स पर बात की और फिर हम वापस ताबू के कमरे मे वापस आ गये. उनके कमरे में देखा तो मैं थोड़ा चौंक गयी, बेड पर ताबू की कई सारी पॅंटीस पड़ी थी,
मुझे थोड़ा हसी आ गयी, मैने उससे पूछा इसके बारे में
मैं:"ये सब क्या है बेड पर, कोई नुमाइश लगा रखी है क्या"
ताबू:"क्या कहूँ,,,"
मैं:"शरमा रही हो, ह्म्म्म्ममम लगता है हर रोज़ परेड होती है तुम्हारी"
ताबू:"आपको मालूम है"
मैं:"क्या"
ताबू:"यही सब"
मैं:"सॉफ सॉफ बताओ यार, शरमाओ मत"
ताबू:"यही आपके साथ ये सब नही करते थे"
मैं:"अर्रे भाई, सॉफ सॉफ बोलो तभी समझुगी ना"
ताबू:"मतलब, आपको वो आपके साथ वो,,,"
मैं:"शरमाओ मत यार तुम जिस आदमी की बात कर रही हो उसका मुझसे और मेरा उससे एक वक़्त कुछ नही छिपता था समझी,हाहाहा"
ताबू:"यही कि वो मेरी पैंटी पर अपना पानी गिराते हैं और फिर मुझे वही पहनने को देते हैं"
मैं:"नया स्टाइल है लगता है, मेरे साथ तो बस अंधेरे मे उछल कूद होती थी और फिर सो जाया करते थे, शायद तुम्हारे हुस्न ने उनको दीवाना कर दिया है"
ताबू इस बात पर सिर्फ़ मुस्कुराइ
ताबू:"आपके साथ वो सिर्फ़ रात मे और वो भी अंधेरे मे करते थे"
मैं:"हां, अब शायद वो बदल गये हैं लेकिन मुझे सेक्स का असली मज़ा इनायत ने दिया है, तुम यकीन नही कर सकती कि वो और मैं लगभग हर पोज़ीशन मे सेक्स कर चुके हैं"
ताबू:"सच में"
मैं अब बेड के सामने पड़े एक सोफे पर बैठ गयी थी और अंजाने मे मैने एक रिमोट कंट्रोल से टीवी ऑन करना चाही, टीवी पर जो कुछ नज़र आया उसको देख कर मैने ताबू की तरफ देखा तो वो शरमा सी गयी. ये एक हार्डकोर पॉर्न फिल्म थी जिसमे एक वाइट औरत को एक नीग्रो चोद रहा था और दूर बैठा एक वाइट आदमी ये सब देख रहा था, ये एक कुक्कोल्ड टाइप की मूवी थी.
मैं:"ह्म्म्म्मम तो आज कल ये भी देखा जा रहा है"
ताबू लगभग सकपका सी गयी और थोड़ा एम्बररस्मेंट भी झलक रही थी उसके चेहरे पर लेकिन मैने उसको संभाल लिया
मैं:"अर्रे इसमे घबराने की क्या बात है भला, हम लोग भी ये सब देखते हैं, और सच कहूँ तो मुझे ये सब देख कर बड़ा मज़ा आता है"
ताबू:"आप कब से"
मैं:"जब से इनायत से साथ हूँ"
ताबू:"एक बात पुच्छू, आप बुरा मत मानना"
मैं:"एक क्यूँ हज़ार पूच्छो"
ताबू:"आप ने दोनो भाइयो के साथ वो किया है तो आपको ,,,मेरा मतलब कि वो"
मैं:"कंपेर करना क्यूँ?"
ताबू:"हां"
मैं:"देखो शौकत का लंड लंबा है और पतला है, वो धीरे धीरे सेक्स करना पसंद करते हैं और मेरे साथ तो हमेशा अंधेरे मे सेक्स किया, वो मुझे पीठ के बल लिटा कर मेरी टाँगो के बीच मे आकर मेरी चूत मारा करते थे लेकिन इनायत ने तो कोई पोज़ीशन और टाइम और जगह छोड़ी ही नही है, बस हम ने यही ट्राइ नही किया जो इस मूवी मे दिख रहा हैं यानी स्वापिंग वगेरा"
ताबू मेरे मूह से इस तरहा से लफ्ज़ सुन कर थोड़ी शॉक हो गयी थी, वो कुछ और पूछना चाहती थी
ताबू:" भाभी आप ये सब कैसे बोल देती है, कितना गंदा लगता है ये सब सुन कर"
मैं:"मेरी जान, पहले मैं भी ऐसे ही थी लेकिन इनायत के साथ रह कर सब सीख गयी हूँ, तुम्हे भी मज़ा आएगा"
ताबू:"नही बाबा मुझसे तो ये सब नही बोला जाएगा"
मैं:"तो तुम क्या बोलती हो, कॉक, पुसी, कंट और फक्किंग"
ताबू:"हां"
मैं:"और इसको हिन्दी मे बोल दिया तो ये गंदा हो गया, कमाल है लोगो की मेनटॅलिटी पर"
ताबू:"कुछ भी हो, लेकिन इंग्लीश मे थोड़ा डीसेंट तो लगता है"
मैं:"अच्छा एक बात बताओ अगर कॉक पुसी के अंदर जाएगा तो उसको फक्किंग कहोगे और अगर हिन्दी मे कह दिया तो क्या बात बदल जाएगी, हाआआहाः"
ताबू:"मुझे नही पता, लेकिन मुझे तो यही वर्ड्स अच्छे लगते हैं, अच्छा आपने शौकत के बारे मे तो बताया लेकिन इनायत के बारे मे ,,"
मैं:"ह्म्म्म, इनायत के बारे में...... इनायत का कॉक शौकत के थोड़ा छोटा है लेकिन मोटा ज़्यादा है और मेरी पुसी मे एकदम फिट होता है, अच्छा तुम बताओ शौकत ने तुमको कैसे कैसे फक किया,
अक्चा अब मैं ठीक वर्ड्स का यूज़ कर रही हूँ कि नही"
ये कह कर मैं ज़ोर से हंस पड़ी...ताबू को शायद मेरी बात पर हँसी आ गयी, ताबू के डिंपल्स और दूध की तारह टीथ और एक फूल सा चेहरा बड़ा अच्छा लगा मुझे
ताबू:"ये तो डॉगी पोज़िशन और वुमन ऑन टॉप को ज़यादा पसंद करते हैं,ये मुझे स्ट्रीप डॅन्स के लिए रोज़ कहते हैं"
मैं:"अच्छा है, तुमने अपने बारे मे कुछ नही बताया"
ताबू:"अपने बारे मे क्या"
मैं:"मतलब तुम्हारे फिगर के बारे में"
ताबू:"आपको इसमे क्या इंटेरेस्ट है"
मैं:"इंटेरेस्ट तो नही है लेकिन अगर तुमको ये बात ओफ्फेंड करती है तो जाने दो"
ताबू:"मेरे बूब्स आपसे छोटे हैं, कमर भी बहुत पतली है शायद 30 की हो और बम्स थोड़े ज़्यादा लेकिन आपसे कम
मैं:"आरे भाई ये तो मुझे दिखता है,कुछ रंग ढंग के बारे मे बताओ"
ताबू:"मुझे शर्म आती है"
मैं:"अच्छा मुझसे सब पूंछ लिया लेकिन अपने बारे मे बताते हुए शर्म आती है"
ताबू:"आपने कहाँ बताया अपने बारे में, आपने तो इन लोगो के बारे मे बताया है"
मैं:"तुम देख ही लो, बताना क्या है"
ताबू:"आप मेरे सामने नंगी हो सकती हो"
मैं:"हां क्यूँ नही"
ताबू:"मुझे ऐसा नही लगता"
मैने एक टी शर्ट पहनी थी और एक लेगिंग, अंदर से कुछ नही पहना था, ताबू के कहने की देर थी मैने झट से अपनी लेगिंग और टी शर्ट उतार दी अब मैं उसके सामने एक दम नंगी खड़ी थी. ताबू की आँखें हैरत से खुल गयी और वो मुझे देख कर थोड़ा एग्ज़ाइटेड हो गयी, सॉफ लगता था कि वो थोड़ा सेक्षुयली एग्ज़ाइटेड भी थी, कुछ देर तक तो वो कुछ बोली नही फिर बोल पड़ी.
ताबू:"ओह माइ गॉड, यू आर रियली अमेज़िंग. आपके बम्स, बूब्स और ये शेव्ड पुसी तो किसी को भी दीवाना कर दे"
मैं:"अच्छा अब तुम अपना भी तो कुछ दिखाओ, या अभी भी शर्म आती है"
ताबू:"मैं दिखा दूँगी लेकिन आप किसी से ये शेअर नही करूँगी"
मैं:"तो ठीक है, कुछ मत दिखाओ, मैं हर बात अपने हज़्बेंड से शेअर करती हूँ"
ताबू:"रियली लेकिन ये ठीक नही है, वॉट ही विल थिंक अबाउट मी"
मैं:"कम ऑन, वी आर नोट परवर्ट्स,इफ़ इट अफेंड्ज़ यू देन बेटर यू डॉन'ट स्ट्रीप."
ताबू मेरे मूह से इंग्लीश सुन कर थोड़ा शॉक्ड थी.
ताबू:"इट्स ओके यार, आइ विल स्ट्रीप"
और ये कहते हुए उसने धीरे धीरे स्ट्रीप कर दिया लेकिन उसने एक हाथ अपनी चूत के आगे रख दिया और वो उसको दिखाने के लिए राज़ी ना थी. मैने बहोत इसरार किया तब उसने दिखाई अपनी चूत.ताबू के बूब्स छोटे थे मेरे मुक़ाबले लेकिन एक दम पर्फेक्ट. उसके निपल पिंक थे और अंदर का जिस्म एंडूम वाइट. मेरा रंग उसके सामने डार्क लग रहा था. उसकी कमर पतली थी और बम्स का उभार कमाल का था, उसकी चूत एक दम डिज़ाइनर वेजाइना की तरहा शेप मे और उसकी चूत के लिप्स एक दम पिंक,उसके लंबे काले बाल और उसके चेहरे की मुस्कान कमाल कर रही थी, उसकी चूत से चिप चिपा सा पानी आ रहा था , मैं काफ़ी देर तक उसको देखती रही कि रूम सर्विस की लाइट और बेल बज गयी. हम दोनो ने हड़बड़ाहट मे अपने कपड़े पहले और दण्ड का बटन पुश कर दिया. ये हम को बाद मे ध्यान आया. ये एक ना भूलने वाला इवेंट था, इसने आगे आने वाले कुछ रास्ते हमारे लिए खोल दिए थे.
This Update Posted when Views ........ 4898
Last Update Post Views .......................... 4626
Last post got .............................................. 292 views