सुनीता किचन में काम करते हुए यह सोच रही थी कि मेरा बेटा कितना सुशील है, संस्कारी है और उसे अपने बेटे पर गर्व महसूस होने लगा।
उसका बेटा किसी औरत को बुरी नजर से नहीं देखता है। अपनी मर्यादा में रहता है यह जानकर उसे बहुत ही अच्छा लगा ।
पर कुछ ही समय के बाद वह सोचने लगी ।भगत ने जो बात कही, वह बात अगर हुआ सच हो गया तो ।नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता।
फिर भी उसके मन में एक डर बन गया ।उसे भगत द्वारा कही जाने वाली बातें याद आने लगी, किस तरह गांव की औरतें भगत से चदवातीहै और यह कहती है कि उसे अपने पति से चुदवाने**** में मजा नहीं आता। उसका पति उसे ठीक से से चोद नहीं पाता।
वह सोचने लगी कहीं मेरा बेटा भी अपनी पत्नी को ठीक से चोद नहीं पाया तो।
फिर याद करती है कि अभी तक वह राजेश के लिंग को अपने हाथों में कई बार ले चुका है फिर भी उसमें कोई हरकत नहीं हुआ उसका मन घबराने लगता है। कहीं सच में राजेश को कोई प्रॉब्लम ना हो।
फिर सोचने लगती है नहीं ऐसा नहीं हो सकता राजेश एक नेक सुशील और मर्यादित लड़का है।
पर कुछ ही क्षण के पश्चात फिर सोचने लगती है, आजकल के मोबाइल के जमाने में सभी लड़के बिगड़ चुके होते हैं कई लड़के गंदे गंदे वीडियो भी देखते हैं।
भगत तो कह रहा था कि आजकल के कुछ लड़के इतने गंदे होते हैं कि वह अपनी मां बहन कॉ चोदते हैं। छी छी क्या जमाना आ गया है पता नहीं कलयुग में और क्या-क्या होने वाला है।
परवह अपने मन को यह मनाने में सफल रही कि मेरा बेटा ऐसा नहीं है वह सुशील और संस्कारी है। वह अपने घर के कामों में ध्यान देने लगी ।
सुनीता को याद आती है कि अरे नाश्ता का प्लेट राजेश रूम से लाना है। और वह नाश्ता प्लेट लाने के लिए राजेश् के कमरे की ओर चली जाती है ।
इधर राजेश सोचता रहता है कहीं भगत के द्वारा कही गई बातों को मेरी मां सुनीता ने तो नहीं सुन ली और यदि मा ने बातें सुन ली हो तो क्या समझ रही होगी ।वह अपने आप को शर्मिंदा महसूस कर रहा था।
तभी सुनीता राजेश के कमरे में आई, वह राजेश के पास उसके बेड पर बैठ गई और राजेश से बोली, बेटा यह तुम्हारा दोस्त भगत मुझे कुछ ठीक नहीं लगा। कैसे मुझे घूर घूर कर देख रहा था ।मुझे उसकी नजरें ठीक नहीं लगी ।
बेटा तुम उससे दूर ही रहा करो नहीं तो वह तुमको भी बिगाड़ देगा ।
तब राजेश मन में सोचने लगता है कि माने सब बातें सुन ली है ।वह अपने आप में शर्म महसूस करने लगा। वह सुनीता से बोला, मां भगत दिल का अच्छा है और लोगों की मदद करने के लिए हमेशा आगे रहता है ।हां लड़कियों के मामले में थोड़ा दिला जरूर है, पर दिल से काफी अच्छा है ।
सुनीता बोली ,फिर भी बेटा उससे ज्यादा मेलजोल रखना ठीक नहीं। वह तो बिगड़ा हुआ है ही कहीं तुम्हें भी ना बिगाड़ दे ।
राजेश बोला ,मां ऐसा नहीं होगा मैं तुम्हारी दी गई संस्कारों को नहीं भूलूंगा ,ऐसा कोई अमर्यादित काम नहीं करूंगा ,जिससे तुम को शर्मिंदा होना पड़े।
यह सुनकर सुनीता ने राजेश को अपने गले से लगा लिया ।थैंक्यू बेटा मुझे तुम पर गर्व है और सुनीता नाश्ते का प्लेट लेकर की राजेश के रूम से बाहर आ आ गई।
इधर भगत राजेश के घर से आने के बाद वह कॉलेज नहीं गया। वह सीधे घर चला आया जहॉ वह किराए पर रहता था ।
भगत जिस मकान पर किराया पर रहता था ।वह दो मंजिला मकान था । मकान के ऊपर वाले हिस्से में भगत किराए पर रहता था। ऊपर वाले भाग में एक बैडरूम था ।एक बैठक रूम था और एक किचन था। बेडरूम से बाथरूम अटैच था
मकान के नीचे वाले भाग में मकान मालिक के परिवार रहते थे ।नीचे वाले भाग में दो रूम एक हाल और एक किचन बना हुआ था ।
मकान मालिक के परिवार में 5 सदस्य थे । आइए उनका परिचय करा देता हूं।
कांता प्रसाद --यह पेसे से हलवाई था। बाजार में ही उसका छोटा सा दुकान था। जहां दोनों कर भी काम करते थे ,कांता प्रसाद का उम्र 54 वर्ष था। वह सुबह 10:00 बजे ही दुकान के लिए निकल जाता था और रात में 9:00 बजे के बाद ही घर आता था।
दोपहर 1:00 बजे नौकर खाना ले जाने के लिए कामता प्रसाद के घर आता था।
परिवार की दूसरी सदस्य
कौशल्या देवी - 48 वर्ष की एक गदराई औरत थी। रंग गेहुआ बड़ी-बड़ी चूचियां और उभरी हुई गांड इसकी सुंदरता बढ़ा रही थी। यह सारा दिन घर में ही रहती थी। और घर के काम मे ही अपने को व्यस्त रखती थी।
घर की तीसरी सदस्य
कविता --कौशल्या की बड़ी लड़की थी।इसकी उम्र 29 वर्ष थी ।इसकी शादी हो गई थी। यह दो बच्चों मां बन चुकी थी ।वह अपने पति के साथ दूसरे शहर में रहती थी ।
घर की चौथी सदस्य
काजल --यह कौशल्या देवी की दूसरी लड़की थी। इसकी उम्र 26 वर्ष थी। इसके भी शादी हो चुकी थी। इसकी एक लड़की थी। वह भी अपने पति के साथ दूसरे शहर में रहती थी ।
घर का अंतिम सदस्य
किशोर - कौशल्या देवी का पुत्र था। इसकी आयु 24 वर्ष था। पढ़ाई पूरा करने के बाद वह दिल्ली में जॉब करता था ।और वह वहीं रहता था।
इस प्रकार वर्तमान मे , मकान के नीचे भाग मे केवल 2 सदस्य कामता प्रसाद और उसकी धर्मपत्नी कौशल्या देवी रहते थे।
मकान के ऊपर वाले हिस्से में पहले किशोर रहता था। उसकी जॉब लग जाने के बाद ऊपर वाला हिस्सा खाली रह जाने पर उसे किराए पर दे दिया गया ।
इस मकान पर रहते हुए भगत को 1 वर्ष से भी अधिक का समय हो चुका था ।
अब चलते है कहानी की ओर
भगत राजेश के घर से आने के बाद वह सीधे अपने रूम में चला गया ।वह अपने बेड पर लेटा था ।राजेश से हुई मुलाकातों के बारे में वह सोच रहा था
तभी सुनीता की खूबसूरती उसके आंखों के सामने आ गया ।सुनीता की खूबसूरत बदन को याद करने से उसका लंडखड़ा हो गया।
वह एक हाथ से अपने लंड को सहलाने लगा उसे चुदाई करने की इच्छा होने लगी।
वह अपने ही रूम से बाहर आया और सीढ़ियों से नीचे उतर कर मकान के मेन दरवाजा बंद कर दिया और सीधे वह मकान मालिक के किचन की ओर चला गया क्योंकि उसे पता था कि इस समय घर में केवल कौशल्या देवी ही है और वह खाना बना रही होगी।
किचन पर जा कर देखता है। कौशल्या देवी खाना बना रही थी ।वह कौशल्या देवी के पास चला गया। उसके पास जाकर उसके पीछे खड़ा होकर उससे जाकर चिपक गया और अपने लंड को उसके गांड में दबाने लगा ।
कौशल्या देवी चौक गई वह पीछे मुड़कर देखी।
वह भगत को देख कर मुस्कुराने लगी अरे बेटा तुम कॉलेज नहीं गए।
भगत ने दोनों हाथों से कौशल्या देवी की चुचियो को पकड़कर मसलते हुए कहा, नहीं मां जी ।
आज कॉलेज गया था, पर वहां मेरा मन नहीं लगा। तुम्हारी याद आने लगी तो मैं कॉलेज से घर आ गया।
ऐसा कहते हुए भगत ने कौशल्या देवी के चुचियों को अपने हाथों से जोर जोर से मसलने लगा ।अपने लंड से कपड़े के ऊपर से ही उसके गांड पर धक्के लगाने लगा।
कौशल्या देवी का बदन गर्म होने लगा ।उसकी सांसे तेज होने लगी। उसने भगत ने कहा बेटा यह क्या कर रहे हो अभी मैं खाना बना रही हूं।
भगत ने कौशल्या देवी से उसके कानों में धीरे से कहा। मां जी बहुत मन कर रहा है ।मैं नहीं रुक सकता और वह अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी ब्लाउज की बटन को खोल कर उसकी चुचियों को नंगा कर दिया। और भगत चुचियों को जोर-जोर से मसलते हुए उसके गालों को चूमने लगा ।
कौशल्या देवी की सांसें तेज़ होने लगी उसके बदन और गर्म हो गया ।उसके चूत से अब पानी िरसना शुरू हो गया।
कौशल्या देवी इस समय सब्जी बना रही थी। वह अपने हाथों से करछुल पकडे कढ़ाई पर सब्जियां भून रही थी।
वह भगत से बोली बेटा थोड़ी देर बाद करते हैं।मै सब्जी बना लेती हूं ।तुम जाओ कमरे में मैं सब्जी को भून कर ,उसे पकने छोड़कर तेरे पास आती हूं।
भगत ने उसके कानों में कहा तू सब्जी बनाना। तुम्हें किसने रोका है। मुझे मेरा काम करने दो और वह कौशल्या देवी के होठों को चूसने लगा।
कौशल्या देवी को भी बहुत ही अच्छा लग रहा था उसके बूर से पानी बहने लगा।
अब भगत से बर्दाश्त नहीं हुआ वह नीचे झुका और कौशल्या देवी के पेटीकोट को ऊपर उठाया। अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी की पेंटी को पकड़कर उसे नीचे खींच दिया ।पेंटी पूरा गीली हो गई थी।उसे उसके पैरों से अलग कर दिया।
भगत पेंटी को ,पहले अपने नाक के पास ले जाकर सुघने लगा। उस पर लगी बूर रस की खुशबू नाक मेजाते ही , वह जोश से भर गया और कौशल्या देवी के पेटीकोट को उसके कमर तक ऊपर चढ़ा कर उसके चूत में अपने दो बड़ी उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा ।
कौशिल्या देवी के मुंह से सिसकारी निकलने लगी। ।
भगत अपनी पैंट को निकाल कर पैरो से अलग कर दिया।
अब वह देर न करते हुए अपना अंडर वियर भी निकाल दिया और नीचे से नंगा हो गया ।
अंडर वियर निकलते ही उसका लंड हवा में लहराने लगा वह लोहे की रॉड की तरह खड़ा हो गया था और कौशल्या देवी की चूत को देखकर ठुनकी मार रहा था।
और उसके लंड* मुख से चिपचिपा सा पदार्थ निकल रहा था।
भगत का लंड काफी लंबा था। उसके लंड* का सुपाड़ा थोड़ा पतला था, लेकिन वह जड़ से मोटा था ।
राजेश अपने हाथों से अपने लंड* को पकड़ा और कौशल्या देवी चूत में ल गया और जोर से धक्का मारा।
कौशल्या देवी जोर से सिसक उठी ।
भगत का लंड सरसराते हुए कौशल्या देवी के चुत में आधा चला गया ।
भगत ,कौशल्या देवी की नंगी चूचियों को जोर जोर से मसलने लगा। फिर एक जोरदार धक्का अपने लंड से कौशल्या देवी के चूत पर मारा ।
भगत का लंड कौशल्या देवी के चूत में फच की आवाज के साथ पूरा जड़ तक चला गया ।
कौशल्या देवी अपने मुख से सिसकारी निकाल रही थी जोर जोर से सांस ले रही थी।
भगत अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी के कमर को पकड़ लिया और अपना पीछे से पोजीशन बनाकर अपने लंड को सुनीता देवी के बूर में अंदर बाहर करने लगा ।
वह कौशल्या देवी के बूर को जोर जोर से चोदने लगा। कमरे में फच फच गच गच की आवाज गूंजने लगी ।
चुदवाने के साथ , कौशल्या देवी कढ़ाई में सब्जी को बनाने का काम भी कर रही थी और चुदवाने का मजा भी ले रही थी ।
कुछ देर तक इसी पोजीशन में चुदाई होता रहा। सब्जी भून चुकी थी अब उसे पकने के लिए ,कढ़ाई को ढक्कन से ढक दिया।
कौशल्या ने भगत से कहा चलो बेटा बिस्तर पर चलते हैं ।
भगत ने धक्का लगाना बंद कर दिया और कौशल्या देवी के दोनों टांगों को पकड़ कर उसे अपने लंड में बिठाए हुए बेड बेडरूम में ले गया ।
बेडरूम में ले जाकर उसे बेड पर कुत्तिया बना दिया और फिर दोनों हाथों से उसके चूची को पहले जोर-जोर से मसाला फिर उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसके चूत में अपना लंड तेजी से अंदर बाहर करने लगा ।
उसका लंड चुत के रस से पूरी तरह गीला हो गया थाऔर वह बिना किसी रूकावट के फच फच की आवाज के साथ अंदर जा रहा था और गच गच की आवाज के साथ बाहर आ रहा था।कमरे में फच फच और गच गच की आवाज गूंजने लगा।
भगत अपनी आंखें बंद करके चुदाई* का सुख भोगने लगा ।
उधर कौशल्या देवी भी सिसकारी लेते हुए अपने आंखें बंद कर ली थी ।और चुदाई कि मजे ले रही थी।
उसके मुंह से ऊई़ मां आह आह आह की आवाजें निकल रही थी ।
भगत ने कुछ समय इसी पोजीशन में चोदने के बाद अपनी आंखे खोला।
वह अचानक से अपने ल़ंड को कौशल्या देवी के चूत से बाहर निकाला।
उसका लंड फचाक की आवाज के साथ बाहर निकला। उसका लंड चूत के रस से पूरी तरह गीला हो गया था और वह चमक रहा था ।
कौशल्या देवी भगत की ओर देखने लगी।
भगत अपने लंड को अपने हाथों से पकड़े हुए बिस्तर पर लेट गया।
भगत ने कौशल्या देवी को आंखों से इशारा किया।
कौशल्या देवी समझ गई भगत क्या चाहता है ।
वह भगत के लंड पर झुक कर ,उसे अपने हाथों में पकड़ कर हिलाने लगी ,फिर अपने होठों को लंड़ पास ले जाकर , लंड के सुपाडे को अपने मुंह में भर लिया
फिर वहां चूसना शुरु कर दी। किसी पोर्न स्टार की तरह कौशल्या देवी भगत के लंड को चूसने लगी ।
भगत ने कौशल्या देवी के बालों को जो बंधा हुआ था, उसे खोल दिया और उसके सिर को अपने लंड पर दबाए रखा ।
कौशल्या देवी भगत के ल़ड को सकासक चूसे जा रही थी ।
भगत अपनी आंखें बंद कर मुख चुदाई का आनंद लेने लगा।
कौशल्या देवी पूरे जड़ तक लंड को अपने मुंह में ले कर चूस रही थी ।
भगत लंच चुसवाते हुए बोले जा रहा था ।चुस मेरी जान चस, बहुत मजा आ रहा है।
भगत कुछ समय मुख चुदाई करने के बाद कौशल्या देवी के मुख से लंड को निकाल दिया।
कौशल्या देवी भगत की ओर देखा ।
भगत ने कौशल्या देवी को इशारा किया।
कौशल्या देवी समझ गई कि अब उसे क्या करना है।
वह बेड पर खड़ी हो गई और अपने पेटिकोट को दोनों हाथों से ऊपर उठा कर । भगत के लंड पर बैठ गई।
वह अपने एक हाथ से भगत के लंड को पकडी और अपनी चूत के मुख पर रख दी ।
भगत ने भी अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी के चूतड़ को पकड़ लिया।
इधर कौशल्या देवी भी लंडपर अपने चूत का दबाव बनाने लगी। उधर भगत भी कौशल्या देवी के चूतड़ को अपने हाथों से पकड़ कर लंड पर दबाया । नतीजा ये हुआ कि लंड चूत अंदर जड़ तक चला गया ।
कौशल्या देवी भगत के लंड पर उछल उछल कर चुदने लगी इसने पोजीशन में दोनों को अपार सुख प्राप्त हो रहा था ।
कौशल्या देवी के उछलने के साथ-साथ उसकी दोनों चूचियां भी उछलने लगी, जिसे देखकर भगत से रहा न गया।
वह दोनों हाथों से चूची को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा।
इधर लंड* चूत में गपा गप अंदर बाहर हो रहा था
दोनों आंखें बंद करके चुदाई का मजा लेने लगे ।
भगत का लंड कौशल्या देवी की चूत में गच गच अंदर बाहर होता देख , दोनों चुदाई की मस्ती में में खो गए थे । कौशल्या देवी सिसक रही थी और लंड* पर अपनेी चूतड़ पटक पटक कर चुद रही थी।
तभी बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आई ।खटखटाने की आवाज सुनकर कौशल्या देवी होश में आईऔर भगत से बोली लगता है कि बाहर कोई आया है ।
भगत सिंह को बहुत गुस्सा आ रहा था उसे चुदाई * बंद करने का बिल्कुल मूड नहीं था ।
उसने कौशल्या देवी से कहा मादरचोद कौन गाड मराने आ गया ।साला ठीक से चोदने भी नहीं देते ।
तब कौशल्या देवी ने मस्कराते हुए कहा लगता है दुकान से नौकर खाना ले जाने के लिए आया है ।
मुझे दरवाजा खोलना होगा और वह भगत के लंड से ऊपर उठी।
लंड फक की आवाज के साथ चूत से बाहर निकला ।
लंड कौशल्या देवी के चूत के रस से भीगा हुआ था और वह चमक रहा था। कुछ मोटा भी हो गया था। वह अभी भी ठूनकी मार रहा था ।
उसके लंड को देखकर कौशिल्या देवी मुस्कुरा रही थी ।
भगत सिंह कौशल्या देवी से बोला उस मादरचोद को * को जल्दी से निपटा ।मुझसे रहा नहीं जाएगा। ।
कौशल्या देवी अपने ब्लाउज के बटन को लगाते हुए बैडरूम सीन बाहर चली गई।