• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest यह क्या हुआ

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,549
13,931
159
सुनीता एक संस्कारी महिला थी वह अपने पति के अलावा और किसी के बारे में आज तक नहीं सोची थी और ना ही अपने पति के अलावा और किसी मर्द के लंड को देखी थी

वह किचन में काम करते हुए आज की हुई घटना को याद करते हुए अपने मन में कह रही थी यह मैं कैसे कर सकती हूं मैं अपनी उंगली अपने छत पर डालकर मैं झड़ गई और वह भी अपने बेटे के लंड को याद करते हुए

यह पाप मैं कैसे कर सकती हूं

वह अपने आप में बहुत ही आत्मग्लानि महसूस कर रही थी

इधर शेखर और स्वीटी भी सो कर उठ चुके थे हर रोज की तरह अपने अपने काम में लगे हुए थे

इधर सुनीता जब नाश्ता तैयार कर लेती है तब वह नाश्ता लेकर राजेश के कमरे की ओर चली जाती हैं

वह राजेश के कमरे में जाने के बाद कुछ असहज महसूस कर रही थी

कमरे मे जाकर राजेश से बोली चलो बेटा नाश्ता कर लो

राजेश अपने बेड से उठ जाता है

सुनीता राजेश को नाश्ता कराने लगती हैं सुनीता इस समय खामोश थी जिसका एहसास राजेश को हो जाता है
राजेश अपनी मां की चुप्पी को देखकर

राजेश अपनी मां सुनीता से कहता है ।मां तू मुझसे नाराज तो नहीं। मुझे माफ कर दो मां।

सुनीता ने कहा नहीं बेटे मैं तुमसे क्यों नाराज रहूंगी।

राजेश कहता है मम्मी आज जो घटना हुआ उसके कारण मुझसे नाराज तो नहीं हो मैंने तुम पर सुसु कर दिया ना

मैंने जानबूझकर नहीं की मम्मी मुझे माफ कर दो

तक सुनीता राजेश की बातों को सुनकर शरमा जाती है और अपने बेटे से कहती है नहीं बेटा इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है मैं तुमसे नाराज नहीं हूं और वह राजेश को अपने सीने से लगा लेती है

मां तुम कितनी अच्छी हो आई लव यू मॉम

सुनीता अपने बेटे के बालों को सहलाने लगती है ।
कुछ समय के बाद वह राजेश से कहती है चलो बेटा जल्दी नाश्ता कर लो ।

सुनीता राजेश को नाश्ता करा लेती है और राजेश को आराम करने के लिए कहते हुए राजेश के कमरे से बाहर चली जाती हैं

वह किचन में जाने के बाद शेखर और स्वीटी को भी नाश्ते के लिए बुला लेतीहैं ।

तीनों नाश्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठ जाते हैं और नाश्ता करने लगते हैं

नाश्ता करते हुए शेखर सुनीता से कहता है। अब राजेश की तबीयत कैसी है ।

सुनीता शेखर से कहती है पहले से बेहतर होता जा रहा है वह जल्दी ठीक हो जाएगा।

शेखर कहता है अच्छी बात है ।तुम अच्छे से देखभाल कर रही हो। मुझे तुमसे यही उम्मीद थी ।

सुनीता कहती है यह कैसी बातें कर रहे हो जी यह तो मेरा फर्ज है ।

Switi इन दोनों की बातों को सुन रही थी। हां पापा मम्मी भैया की बहुत अच्छी तरह से देखभाल कर रही है देखना भैया बहुत जल्दी ठीक हो जाएंगे

तीनों नाश्ता कर लेने के बाद स्वीटी अपने कमरे में चली जाती है

शेखर अपने कमरे में जाकर ड्यूटी में जाने के लिए तैयारी करने लगता है।
सुनीता अपने किचन का काम संभालने लगती है ।

शेखर ड्यूटी के लिए तैयार हो जाता है ।वह राजेश के कमरे में जाकर उसकी सेहत की जानकारी लेता है ।फिर वह ड्यूटी के लिए सुनीता से बोलकर घर से निकल जाता है।

आधे घंटे के बाद स्वीटी भी कॉलेज जाने को तैयार हो जाती है ।

बैग लेकर स्वीटी अपने कमरे से से बाहर निकलती है ।

वह सीधे किचन में चली जाती है उसे कुछ पैसों की जरूरत थी वह अपनी मम्मी को आवाज देती है पर किचन पर कोई नहीं रहता तब वह अपनी मां को उसके कमरे में ढूंढने चली जाती है वह वहां भी भी नहीं होती तभी

वह मन में सोचती है ।यह मां कहां चली गई और वह सोफे पर बैठ जाती है मुझे कॉलेज के लिए लेट हो रही है यह मां कहां चली गई मुझे कुछ पैसों की भी जरूरत है तब वह सोचती है कहीं मां भैया के रूम में तो नहीं गई है मुझे वहां जाकर देखनी चाहिए और वह अपने भैया के कमरे की ओर चली जाती है।

रूम का दरवाजा अंदर से लॉक नहीं था वह थोड़े से धक्के देते ही खुल जाती है।

स्वीटी कमरे में देखने लगती है उसके भैया अपने बेड पर नहीं थे ।

वह सोचती है यह भैया भी बैड पर नहीं है ।भैया भी कहां चले गए ।मम्मी भी नहीं है ।
तभी वहा देखती है कि बाथरूम का दरवाजा खुला है ।

वह सोचती है कहीं भैया बाथरूम के अंदर तो नहीं। कुछ क्षण वहीं खड़ी रहती है फिर पता नहीं वह क्या सोचती है

और कमरे के अंदर चली जाती है और बाथरूम के दरवाजे से दूर,,वह दरवाजे के सामने खड़ा होकर बाथरूम की ओर देखने लगती है।

देखते ही switi की होस उड़ जाती है उसकी सांस तेज तेज चलने लगती है उसका दिल धड़कने लगता है उसकी नसों में रक्त तेज गति से प्रवाहित होने लगती है ।

वह देखती है कि उसका भैया यूरिनल पोट के सामने खड़ा है और उसका लोवर उसके घुटने के नीचे गिरा हुआ ।उसकी मां पीछे खड़ी होकर एक हाथ से राजेश के लंड को पकड़ हुई है ।

उसकी मां की नजर राजेश के लंड पर ही थी।
राजेश अपने लंड से पेशाब को निकलते हुए देख रहा था ।
अनीता और राजेश दोनों अपने कार्य करते हुए कहीं खो चुके थे उन दोनों का ध्यान ही नहीं था कि उसे दरवाजे के बाहर से कोई देख भी रहा है ।

इधर स्वीटी लंबी लंबी सांस लेने लगी ।उसके दिल की धड़कन बढ़ गई थी उसका एक हाथ उसके बूर में चली गई
अपने एक हाथ से अपने बूर को सहलाने लगी ।

उसके उसके चुत से रस रिसना शुरू हो गई ।वह एकटक अपनी मां और भैया की हरकतों को देखे जा रही थी।

वह बहुत गर्म हो चुकी थी। वह तेजी से अपनी चूतको रगड़ने लगी ।अब उसे बर्दाश्त से बाहर लगने लगी और वह झड़ने लगी।

झड़ते समय उसके मुंह से आवाज निकल गई आह ह मम्मी
Switi के मुख से निकली आवाज राजेश और सुनीता के कानों तक पहुंची l

वे दरवाजे की ओर देखने लगे सामने सिटी खड़ी थी और उन दोनों को ही देख रही थी

सिटी की नजर भी उसकी मम्मी की ओर गई और उसने उसकी मां को अपनी ओर देखते हुए देख लिया वह घबरा गईl
वह तेज कदमों से कमरे से बाहर जाने लगी और अपने रूम में जाकर हांप रही थी ।

इधर सुनीता और राजेश स्वीटी को उन्हें इस अवस्था में देखे जाने पर वह भी घबरा गए।

राजेश ने अपनी मां सुनीता से कहां मां स्वीटी ने हमें ऐसी अवस्था में देख लिया है कहीं वह गलत ना समझने लगे ।

इस समय सुनीता भी बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रही थी राजेश पेशाब कर चुका था और वे दोनों बाथरूम से बाहर आए ।
राजेश ने कहा मां स्वीटी हमारे बारे में क्या सोच रही होगी ।
तब सुनीता ने कहा बेटा तुम घबराओ नहीं मैं संभाल लूंगी स्वीटी समझदार लड़की है वह समझ जाएगी

सुनीता राजेश के कमरे से बाहर निकलकर किचन की ओर चली गई और किचन का काम संभालने लगी।

इधर स्वीटी को समझ नहीं आ रहा था अब वह अपने मां के सामने कैसे जाएगी । यह मैंने क्या देख लिया।

इधर किचन में जाने के बाद सुनीता भी सोचने नहींलगी मैंने राजेश को तो कह दी कि मैं सब संभाल लूंगी पर उसे भी बहुत ही शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वह सोच हां वह सोच रही थी कि वह स्वीटी की सामना कैसे करेगी।

उनके मन में क्या चल रहा होगा वह क्या सोच रही होगी ।

इधर स्वीटी को कॉलेज जाने मैं देरी हो रही थी वह घड़ी की ओर देखती है ।
वह कहती है मैं कॉलेज के लिए लेट हो हो गई मुझे निकलना होगा और वह अपना बैग लेकर अपने रूम से बाहर निकल जाती है और हाल में आ जाती है।

इधर सुनीता स्वीटी की राह देख रही थी। वह किचन के दरवाजे के पास ही खड़ी थी ।

स्वीटी अपनी मां की ओर देखती है पर उसे कुछ नहीं कहती और वह जाने लगती हैं ।

तब सविता स्वीटी से कहती है बेटी थोड़ा रुको तो

मां की आवाज सुनकर उसके कदम रुक जाती है और

स्वीटी सिर नीचा करके खड़ी हो जाती है ।
सुनीता उसके पास जाती है बेटी मुझे तुमसे कुछ कहना है।
Switi असहज होते हुए कहती है। क्या बात है मम्मी

मैं कह रही थी कि तुम मेरे और राजेश के बारे में कुछ कुछ गलत तो नहीं समझ रही हो ।

स्वीटी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले वह चुप थी।

सुनीता ने स्वीटी से कहा देखो बेटा तुम्हारे भैया के दोनों हाथों पर पट्टी बंधे होने के कारण वह पेशाब करने में उसे दिक्कत होती है ।इसलिए उसकी मदद करनी पड़ती है।
यह सब मजबूरी में करना पड़ता है इसके अलावा और कोई रास्ता भी नहीं है ।मैं उसकी मां हूं अगर मैं उसकी मदद नहीं करूंगी तो और कौन करेगा तुम समझ रही हो ना कि मैं क्या कर रही हूं ।

तब स्वीटी नजर नीच करे हीअपनी मां सुनीता से कहती है।मां तुम गलत नहीं हो ।
भैया की मदद करने के लिए धन्यवाद मम्मी ।

और वह अपने मां के गले से लग जाती हैं ।
सुनीता स्वीटी को अपने गले से लगा ली । बेटी तु कितनी समझदार हैं ।और वह उसकी बालो को सहलाने लगी।

अब दोनों हल्का महसूस कर रहे थे ।इसके पहले दोनों बहुत असहज थे ।
फिर स्वीटी कहती है अच्छा मम्मी अब मैं कॉलेज के लिए चलती हूं ।लेट हो गई हूं ।

सुनिता -ठीक है बेटा
और switi कॉलेज के लिए चली जाती हैं ।


Bahut hi achchi tarah se kahani ki raftar badh rahi he

Keep posting Bhai
 

crucer97

Active Member
1,496
1,270
143
Lovely update
 
  • Like
Reactions: Sanju@

404

Active Member
524
1,932
138
nice story
 
  • Like
Reactions: TheEndgame

urc4me

Well-Known Member
21,740
36,152
258
Romanchak aur Rochak. Pratiksha agle rasprad update ki
 

William

Member
387
841
109
सुनीता एक संस्कारी महिला थी वह अपने पति के अलावा और किसी के बारे में आज तक नहीं सोची थी और ना ही अपने पति के अलावा और किसी मर्द के लंड को देखी थी

वह किचन में काम करते हुए आज की हुई घटना को याद करते हुए अपने मन में कह रही थी यह मैं कैसे कर सकती हूं मैं अपनी उंगली अपने छत पर डालकर मैं झड़ गई और वह भी अपने बेटे के लंड को याद करते हुए

यह पाप मैं कैसे कर सकती हूं

वह अपने आप में बहुत ही आत्मग्लानि महसूस कर रही थी

इधर शेखर और स्वीटी भी सो कर उठ चुके थे हर रोज की तरह अपने अपने काम में लगे हुए थे

इधर सुनीता जब नाश्ता तैयार कर लेती है तब वह नाश्ता लेकर राजेश के कमरे की ओर चली जाती हैं

वह राजेश के कमरे में जाने के बाद कुछ असहज महसूस कर रही थी

कमरे मे जाकर राजेश से बोली चलो बेटा नाश्ता कर लो

राजेश अपने बेड से उठ जाता है

सुनीता राजेश को नाश्ता कराने लगती हैं सुनीता इस समय खामोश थी जिसका एहसास राजेश को हो जाता है
राजेश अपनी मां की चुप्पी को देखकर

राजेश अपनी मां सुनीता से कहता है ।मां तू मुझसे नाराज तो नहीं। मुझे माफ कर दो मां।

सुनीता ने कहा नहीं बेटे मैं तुमसे क्यों नाराज रहूंगी।

राजेश कहता है मम्मी आज जो घटना हुआ उसके कारण मुझसे नाराज तो नहीं हो मैंने तुम पर सुसु कर दिया ना

मैंने जानबूझकर नहीं की मम्मी मुझे माफ कर दो

तक सुनीता राजेश की बातों को सुनकर शरमा जाती है और अपने बेटे से कहती है नहीं बेटा इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है मैं तुमसे नाराज नहीं हूं और वह राजेश को अपने सीने से लगा लेती है

मां तुम कितनी अच्छी हो आई लव यू मॉम

सुनीता अपने बेटे के बालों को सहलाने लगती है ।
कुछ समय के बाद वह राजेश से कहती है चलो बेटा जल्दी नाश्ता कर लो ।

सुनीता राजेश को नाश्ता करा लेती है और राजेश को आराम करने के लिए कहते हुए राजेश के कमरे से बाहर चली जाती हैं

वह किचन में जाने के बाद शेखर और स्वीटी को भी नाश्ते के लिए बुला लेतीहैं ।

तीनों नाश्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठ जाते हैं और नाश्ता करने लगते हैं

नाश्ता करते हुए शेखर सुनीता से कहता है। अब राजेश की तबीयत कैसी है ।

सुनीता शेखर से कहती है पहले से बेहतर होता जा रहा है वह जल्दी ठीक हो जाएगा।

शेखर कहता है अच्छी बात है ।तुम अच्छे से देखभाल कर रही हो। मुझे तुमसे यही उम्मीद थी ।

सुनीता कहती है यह कैसी बातें कर रहे हो जी यह तो मेरा फर्ज है ।

Switi इन दोनों की बातों को सुन रही थी। हां पापा मम्मी भैया की बहुत अच्छी तरह से देखभाल कर रही है देखना भैया बहुत जल्दी ठीक हो जाएंगे

तीनों नाश्ता कर लेने के बाद स्वीटी अपने कमरे में चली जाती है

शेखर अपने कमरे में जाकर ड्यूटी में जाने के लिए तैयारी करने लगता है।
सुनीता अपने किचन का काम संभालने लगती है ।

शेखर ड्यूटी के लिए तैयार हो जाता है ।वह राजेश के कमरे में जाकर उसकी सेहत की जानकारी लेता है ।फिर वह ड्यूटी के लिए सुनीता से बोलकर घर से निकल जाता है।

आधे घंटे के बाद स्वीटी भी कॉलेज जाने को तैयार हो जाती है ।

बैग लेकर स्वीटी अपने कमरे से से बाहर निकलती है ।

वह सीधे किचन में चली जाती है उसे कुछ पैसों की जरूरत थी वह अपनी मम्मी को आवाज देती है पर किचन पर कोई नहीं रहता तब वह अपनी मां को उसके कमरे में ढूंढने चली जाती है वह वहां भी भी नहीं होती तभी

वह मन में सोचती है ।यह मां कहां चली गई और वह सोफे पर बैठ जाती है मुझे कॉलेज के लिए लेट हो रही है यह मां कहां चली गई मुझे कुछ पैसों की भी जरूरत है तब वह सोचती है कहीं मां भैया के रूम में तो नहीं गई है मुझे वहां जाकर देखनी चाहिए और वह अपने भैया के कमरे की ओर चली जाती है।

रूम का दरवाजा अंदर से लॉक नहीं था वह थोड़े से धक्के देते ही खुल जाती है।

स्वीटी कमरे में देखने लगती है उसके भैया अपने बेड पर नहीं थे ।

वह सोचती है यह भैया भी बैड पर नहीं है ।भैया भी कहां चले गए ।मम्मी भी नहीं है ।
तभी वहा देखती है कि बाथरूम का दरवाजा खुला है ।

वह सोचती है कहीं भैया बाथरूम के अंदर तो नहीं। कुछ क्षण वहीं खड़ी रहती है फिर पता नहीं वह क्या सोचती है

और कमरे के अंदर चली जाती है और बाथरूम के दरवाजे से दूर,,वह दरवाजे के सामने खड़ा होकर बाथरूम की ओर देखने लगती है।

देखते ही switi की होस उड़ जाती है उसकी सांस तेज तेज चलने लगती है उसका दिल धड़कने लगता है उसकी नसों में रक्त तेज गति से प्रवाहित होने लगती है ।

वह देखती है कि उसका भैया यूरिनल पोट के सामने खड़ा है और उसका लोवर उसके घुटने के नीचे गिरा हुआ ।उसकी मां पीछे खड़ी होकर एक हाथ से राजेश के लंड को पकड़ हुई है ।

उसकी मां की नजर राजेश के लंड पर ही थी।
राजेश अपने लंड से पेशाब को निकलते हुए देख रहा था ।
अनीता और राजेश दोनों अपने कार्य करते हुए कहीं खो चुके थे उन दोनों का ध्यान ही नहीं था कि उसे दरवाजे के बाहर से कोई देख भी रहा है ।

इधर स्वीटी लंबी लंबी सांस लेने लगी ।उसके दिल की धड़कन बढ़ गई थी उसका एक हाथ उसके बूर में चली गई
अपने एक हाथ से अपने बूर को सहलाने लगी ।

उसके उसके चुत से रस रिसना शुरू हो गई ।वह एकटक अपनी मां और भैया की हरकतों को देखे जा रही थी।

वह बहुत गर्म हो चुकी थी। वह तेजी से अपनी चूतको रगड़ने लगी ।अब उसे बर्दाश्त से बाहर लगने लगी और वह झड़ने लगी।

झड़ते समय उसके मुंह से आवाज निकल गई आह ह मम्मी
Switi के मुख से निकली आवाज राजेश और सुनीता के कानों तक पहुंची l

वे दरवाजे की ओर देखने लगे सामने सिटी खड़ी थी और उन दोनों को ही देख रही थी

सिटी की नजर भी उसकी मम्मी की ओर गई और उसने उसकी मां को अपनी ओर देखते हुए देख लिया वह घबरा गईl
वह तेज कदमों से कमरे से बाहर जाने लगी और अपने रूम में जाकर हांप रही थी ।

इधर सुनीता और राजेश स्वीटी को उन्हें इस अवस्था में देखे जाने पर वह भी घबरा गए।

राजेश ने अपनी मां सुनीता से कहां मां स्वीटी ने हमें ऐसी अवस्था में देख लिया है कहीं वह गलत ना समझने लगे ।

इस समय सुनीता भी बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रही थी राजेश पेशाब कर चुका था और वे दोनों बाथरूम से बाहर आए ।
राजेश ने कहा मां स्वीटी हमारे बारे में क्या सोच रही होगी ।
तब सुनीता ने कहा बेटा तुम घबराओ नहीं मैं संभाल लूंगी स्वीटी समझदार लड़की है वह समझ जाएगी

सुनीता राजेश के कमरे से बाहर निकलकर किचन की ओर चली गई और किचन का काम संभालने लगी।

इधर स्वीटी को समझ नहीं आ रहा था अब वह अपने मां के सामने कैसे जाएगी । यह मैंने क्या देख लिया।

इधर किचन में जाने के बाद सुनीता भी सोचने नहींलगी मैंने राजेश को तो कह दी कि मैं सब संभाल लूंगी पर उसे भी बहुत ही शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वह सोच हां वह सोच रही थी कि वह स्वीटी की सामना कैसे करेगी।

उनके मन में क्या चल रहा होगा वह क्या सोच रही होगी ।

इधर स्वीटी को कॉलेज जाने मैं देरी हो रही थी वह घड़ी की ओर देखती है ।
वह कहती है मैं कॉलेज के लिए लेट हो हो गई मुझे निकलना होगा और वह अपना बैग लेकर अपने रूम से बाहर निकल जाती है और हाल में आ जाती है।

इधर सुनीता स्वीटी की राह देख रही थी। वह किचन के दरवाजे के पास ही खड़ी थी ।

स्वीटी अपनी मां की ओर देखती है पर उसे कुछ नहीं कहती और वह जाने लगती हैं ।

तब सविता स्वीटी से कहती है बेटी थोड़ा रुको तो

मां की आवाज सुनकर उसके कदम रुक जाती है और

स्वीटी सिर नीचा करके खड़ी हो जाती है ।
सुनीता उसके पास जाती है बेटी मुझे तुमसे कुछ कहना है।
Switi असहज होते हुए कहती है। क्या बात है मम्मी

मैं कह रही थी कि तुम मेरे और राजेश के बारे में कुछ कुछ गलत तो नहीं समझ रही हो ।

स्वीटी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले वह चुप थी।

सुनीता ने स्वीटी से कहा देखो बेटा तुम्हारे भैया के दोनों हाथों पर पट्टी बंधे होने के कारण वह पेशाब करने में उसे दिक्कत होती है ।इसलिए उसकी मदद करनी पड़ती है।
यह सब मजबूरी में करना पड़ता है इसके अलावा और कोई रास्ता भी नहीं है ।मैं उसकी मां हूं अगर मैं उसकी मदद नहीं करूंगी तो और कौन करेगा तुम समझ रही हो ना कि मैं क्या कर रही हूं ।

तब स्वीटी नजर नीच करे हीअपनी मां सुनीता से कहती है।मां तुम गलत नहीं हो ।
भैया की मदद करने के लिए धन्यवाद मम्मी ।

और वह अपने मां के गले से लग जाती हैं ।
सुनीता स्वीटी को अपने गले से लगा ली । बेटी तु कितनी समझदार हैं ।और वह उसकी बालो को सहलाने लगी।

अब दोनों हल्का महसूस कर रहे थे ।इसके पहले दोनों बहुत असहज थे ।
फिर स्वीटी कहती है अच्छा मम्मी अब मैं कॉलेज के लिए चलती हूं ।लेट हो गई हूं ।

सुनिता -ठीक है बेटा
और switi कॉलेज के लिए चली जाती हैं ।
Nice story
 
Top