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Incest यह क्या हुआ

Rajpoot MS

I love my family and friends ....
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अगली सुबह सुजाता सो कर उठने के बाद फ्रेश हुई और राजेश के कमरे में चली गई। राजेश अभी तक सोया ही था।
सुजाता ने दरवाजा खटखटाई, राजेश ने दरवाजा खोला।
सुजाता _ये क्या राजेश तुम अभी तक तैयार नहीं हुवे हो? मैने कल तुमसे कहा था ना कि हम सुबह घूमने चलेंगे।
राजेश _ओह सॉरी मैम, कल लेट से सोया ना इसलिए उठने में लेट हो गई। मै फटाफट अभी रेडी होकर आता हूं।
सुजाता _ओके, जल्दी करना, सुबह का मौसम और ज्यादा सुहावना लगता हैं।
सुजाता नीचे हाल में आकर राजेश का वेट करने लगी।
राजेश कुछ ही समय में तैयार होकर नीचे पहुंचा।
राजेश _चलिए मैम मै रेडी हू।
सुजाता _रुको कॉफी पीकर चलते हैं।
राजेश _हा ये ठीक रहेगा।
सुजाता ने नौकरों सी काफी बनाने पहले ही कह दिया था। दोनों कॉफी पीने के बाद दोनों कार से निकल पड़े। मनोरम दृश्यों का आनंद उठाने और झरने में नहाने। वह ड्राइव और बॉडीगार्ड को साथ नही ले गई।
सोनपुर से निकलकर कुछ दूर चलने के बाद।
प्रकृति की सुंदरता देखते ही बन रहा था। चारो तरफ पहाड़, नदी घने पेड़, तरह तरह के पेड़ पौधे। मन को आनंदित कर रहे थे।
सुजाता _रुको राजेश, देखो कितना सुंदर नजारा है। मन करता है यही बस जाऊं।
चारो तरफ फूलो की खुशबू, मन को आनंदित कर रहा था पक्षियों की आवाजवातावरण में संगीत भर रहा था।
तभी एक बैलगाड़ी सुजाता को जाती हुई दिखाई दी, जिसमे घास फूस ले जाया जा रहा था।
सुजाता _राजेश, मुझे बैलगाड़ी पे बैठना है। गाड़ी रुको।
राजेश _कही बैल गाड़ी से गिर गई तो।
सुजाता _हूं, तुम मुझे इतना कमजोर समझते हो। मै भाई अपने कालेज के दिनों में बेस्ट स्टूडेंट्स थी, समझे।
राजेश _ओह, तब तो आप बैल गाड़ी को सवारी कर सकती हो।
राजेश _ओ बैल गाड़ी वाले भैया, जरा रुकना तो।
बैलगाड़ी वाला _बोलो बाबू, क्या काम है?
राजेश _हमारी मेमसाब आपकी बैल गाड़ी में बैठना चाहती है।
बैलगाड़ी वाला_बिठा दे बाबू जी, मैम साहब को गाड़ी पर, पर थोड़ा सम्हल के बैठने कहना।
राजेश _लो मैम कर लीजिए अपनी बैलगाड़ी में बैठने की इच्छा पूरी।
सुजाता बैलगाड़ी में चढ़ने की कोशिश करने लगी पर वह नाकाम रही।
सुजाता _अब देख क्या रहे हो?, चढ़ने में मेरी मदद करो।

राजेश _ओह,क्यूअगली सुबह सुजाता सो कर उठने के बाद फ्रेश हुई और राजेश के कमरे में चली गई। राजेश अभी तक सोया ही था। सुजाता ने दरवाजा खटखटाई, राजेश ने दरवाजा खोला। सुजाता _ये क्या राजेश तुम अभी तक तैयार नहीं हुवे हो? मैने कल तुमसे कहा था ना कि हम सुबह घूमने चलेंगे। राजेश _ओह सॉरी मैम, कल लेट से सोया ना इसलिए उठने में लेट हो गई। मै फटाफट अभी रेडी होकर आता हूं। सुजाता _ओके, जल्दी करना, सुबह का मौसम और ज्यादा सुहावना लगता हैं। सुजाता नीचे हाल में आकर राजेश का वेट करने लगी। राजेश कुछ ही समय में तैयार होकर नीचे पहुंचा। राजेश _चलिए मैम मै रेडी हू। सुजाता _रुको कॉफी पीकर चलते हैं। राजेश _हा ये ठीक रहेगा। सुजाता ने नौकरों सी काफी बनाने पहले ही कह दिया था। दोनों कॉफी पीने के बाद दोनों कार से निकल पड़े। मनोरम दृश्यों का आनंद उठाने और झरने में नहाने। वह ड्राइव और बॉडीगार्ड को साथ नही ले गई। सोनपुर से निकलकर कुछ दूर चलने के बाद। प्रकृति की सुंदरता देखते ही बन रहा था। चारो तरफ पहाड़, नदी घने पेड़, तरह तरह के पेड़ पौधे। मन को आनंदित कर रहे थे। सुजाता _रुको राजेश, देखो कितना सुंदर नजारा है। मन करता है यही बस जाऊं। चारो तरफ फूलो की खुशबू, मन को आनंदित कर रहा था पक्षियों की आवाजवातावरण में संगीत भर रहा था। तभी एक बैलगाड़ी सुजाता को जाती हुई दिखाई दी, जिसमे घास फूस ले जाया जा रहा था। सुजाता _राजेश, मुझे बैलगाड़ी पे बैठना है। गाड़ी रुको। राजेश _कही बैल गाड़ी से गिर गई तो। सुजाता _हूं, तुम मुझे इतना कमजोर समझते हो। मै भाई अपने कालेज के दिनों में बेस्ट स्टूडेंट्स थी, समझे। राजेश _ओह, तब तो आप बैल गाड़ी को सवारी कर सकती हो। राजेश _ओ बैल गाड़ी वाले भैया, जरा रुकना तो। बैलगाड़ी वाला _बोलो बाबू, क्या काम है? राजेश _हमारी मेमसाब आपकी बैल गाड़ी में बैठना चाहती है। बैलगाड़ी वाला_बिठा दे बाबू जी, मैम साहब को गाड़ी पर, पर थोड़ा सम्हल के बैठने कहना। राजेश _लो मैम कर लीजिए अपनी बैलगाड़ी में बैठने की इच्छा पूरी। सुजाता बैलगाड़ी में चढ़ने की कोशिश करने लगी पर वह नाकाम रही। सुजाता _अब देख क्या रहे हो?, चढ़ने में मेरी मदद करो।
राजेश ओह क्यू नही?
राजेश ने सुजाता को अपनी बाहों में उठा लिया।
सुजाता राजेश की आंखो में देखते हुवे बोली, सम्हाल के बिठाना गिरा न देना।
राजेश ने सुजाता को बैल गाड़ी में बिठा दिया।
बैल गाड़ी वाले ने बैल को हांकना सुरू किया।
बैल गाड़ी में बैठने से सुजाता एक अलग ही रोमांच का अनुभव करने लगी।
वह बैल गाड़ी में बैठ कर प्राकृतिक नजारों का आनद उठाने लगी ।
राजेश बैलगाड़ी के पीछे पीछे धीरे धीरे कार चलाते हुए चलने लगा।
इधर सुजाता का मन नाचने और गाने का कर रहा था।
और वह गाना शुरू कर दी।

कांटो से खीच के ये आंचल
तोड़ के बंधन बांधे पायल
कोई न रोको दिल की उड़ान को
दिल ओ चला, हा हा हा हा

आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है
आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है

अपने ही बस में नहीं मै
दिल है कहीं तो हूं कहीं मैं
हो अपने ही बस में नहीं मै
दिल है कहीं तो कही मैं
हो जाने का पया के मेरी जिंदगी ने
हस कर कहा,,,,,,,,,

आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है

गाड़ी वाला गाड़ी आगे बढ़ाता रहा, वहा के मनोरम दृश्य को देखने सुजाता गाड़ी से उतर गई।
और मनोरम दृश्य को देखने दौड़ने लगी।
राजेश भी कार रोककर उसके पीछे पीछे दौड़ने लगा।

सुजाता फिट नाचने गाने लगी,

कल के अंधेरा से निकल के
देखा है आंखे मलते मलते
हो कल के अंधेरा से निकल के
देखा है आंखे मलते मलते
हो फूल ही फूल जिंदगी बहार है
तय कर लिया,,,,,,

आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है।
इस प्रकार नाचते गाते वे लोग झरने के पास पहुंच गए।
वहा पर पहले से कुछ लोग मौजूद थे झरने पे नहाने का मजा ले रहे थे।
सुजाता और राजेश दोनों खूबसूरत झरने को देखकर रोमांचित हो गए।
सुजाता _चलो राजेश झरने में नहाने का मजा लेते हैं।
सुजाता आगे आगे और राजेश पीछे पीछे चलते हुए झरने के के पास पहुंच गए।
सुजाता झरने के नीचे जाने लगी
राजेश _मैम संभल कर, कही पैर फिसल न जाए।

सुजाता झरने के नीचे खड़ी हो गई और नहाने लगी।

राजेश सुजाता को झरने के नीचे नहाते हुए देखने लगा।
कुछ लोग और भी नहा रहे थे।
सुजाता _राजेश, वहा क्यू खड़ा है आओ न।
राजेश भी झरने के नीचे चला गया।
दोनों झरने के पानी में नहाने लगे।
नहाते समय पानी में सुजाता की साड़ी उसकी बदन से चिपक गई।
जिससे वह और भी खूबसूरत और हॉट लगने लगीं।
वहा पर मौजुद लोग, सुजाता की खूबसूरती को ही निहारने लगे।

तभी वहां पर सुजाता की कंपनी से निकाला गया मज़दूर यूनियन का एक सदस्य भी मौजुद था।
उसने जब राजेश और सुजाता को नहाते देखा।
वह सदस्य अपने साथी से कहा,,
यार ये तो कंपनी की मालकिन सुजाता और वही लड़का है जिसके कारण हम लोगो को कंपनी से निकाल दिया गया।
ये लोग मजे करने आए हैं, हमे कंपनी से बेइज्जत कर।
मुझे अभी राकेश भाई को बताना चाहिए।
वह व्यक्ति राके श सिंह को काल किया।
राकेश सिंह _क्या है बे, क्यू काल किया।
सदस्य _भैया, सुजाता मैडम और वह लौंडा यहां झरने में नहाने आए है।
खूब इंजॉय कर रहे हैं दोनों,
राकेश _अबे क्या कह रहा है? कोई और होंगे।
इतनी अमीर महिला इस तरह खुले में नहाएगी?
सदस्य _नही भैया ये वही है, मै फ़ोटो खीच कर भेजता हूं।
राकेश _ठीक है भेजो।
उस व्यक्ति ने सुजाता की फ़ोटो खीच कर राकेश सिंह को भेज दिया।
राकेश सिंह ने जब फ़ोटो देखा, तो सुजाता और राजेश को पहचान लिया।
राकेश सिंह ने उस व्यक्ति को फ़ोन किया।
राकेश सिंह _अबे सुन इन लोगो ने कंपनी से हमे अपमानित कर निकलवा दिया, आज हम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे हैं।
इनसे बदला लेने का अच्छा मौका मिला है।
तुम इन दोनों पर नजर रख।
मैं अपने साथियों को लेकर वहा पहुंचता हूं।
सदस्य _ठीक है भैया।
इधर राजेश और सुजाता इन बातों से बेखबर नहाने का मजा लेने लगे।
सुजाता ने देखा की झरने का पानी नीचे बहकर जहां जा रहा था वहा एक बड़ा सा कुंड बना था जिसमे कई लोग जल क्रीड़ा कर रहे थे।
सुजाता _राजेश, चलो न हम भी कुंड पर चलते हैं वहा नहाने का मजा लेंगे।
दोनों कुंड में जाकर नहाने लगे।

सुजाता _राजेश तुम भागो मै तुम्हें पकड़ती हूं।
राजेश _मैम रहने दो आप मुझे नही पकड़ पाएंगी।
सुजाता _अच्छा देखते हैं।
सुजाता राजेश की ओर पकड़ने के लिए दौड़ी। राजेश पानी के अंदर से तैरते हुए दूसरे जगह पहुंच गया।
सुजाता निराश हो गई। वह राजेश को पकड़ने की कोशिश करते करते थक गई।
वह निराश हो गई।
अंत में अंतिम बार प्रयास की, इस बार राजेश भागा नही।
सुजाता ने राजेश को जोर से अपनी बाहों मे भर कर करा, लो पकड़ लिया। बच्चू आख़िर तुम पकड़े गए।
सुजाता राजेश को जोर से पकड़कर चिपक गई थी।
राजेश _मैम क्या कर रही हो सब देख रहे हैं अब छोड़ो।
सुजाता _न, तुमने मुझे मुझे बहुत थकाया, इतनी आसानी से छोडूंगी नही।
राजेश _सब देख रहे हैं छोड़ो।
सुजाता ने लोगो की ओर देखा सभी की नजर दोनों पर ही थी। वह शर्मिंदा महसूस करने लगी।
राजेश _मैम अब चलो, काफी देर हो चुकी है।
दोनों कुंड से बाहर निकले। और बाल संवारने लगे।
राजेश _मैम, अब चलो यहाँ से सभी लोग आप ही को घूर रहे हैं।
सुजाता _पर यहां पर तो बहुत लोग नहा रहे हैं फिर मुझे ही क्यू घूर रहे हैं।
राजेश _क्यू की तुम बहुत खूबसूरत और हॉट लग रही हो।
सुजाता _चल हट बदमाश कही का, मुझपे बुरी नजर डालता है।
राजेश _ठीक है मै अपनी आंखे बंद कर लेता हूं।
सुजाता _हां ये ठीक रहेगा, तुम अपनी आंखे बंद कर मेरी उंगली पकड़ कर चलो।
राजेश _अच्छा जी लो आंखे बंद कर लिया, पर तुम तो आंखे बंद करने के बाद भी नजर आ रही हो।
सुजाता _हूं, तो मुझसे बदमाशी कर रहे हो।
राजेश _हूं थोड़ा थोड़ा।
दोनों हसने लगे।
राजेश _मैम ,दोनों थोड़ी देर धूप में खड़े हो जाते हैं।
कपड़ा कुछ सुख जायेगा फिर ऐसे ही घर चले जायेंगे, घर जाकर चेंज कर लेंगे।
सुजाता _हां ठीक है।
इधर राकेश सिंह अपने साथी से राजेश और सुजाता की पल पल की जानकारी ले रहा था।
राकेश सिंह ने अपने साथियों के साथ प्लान बनाया।
राकेश सिंह _देखो वहा झरने के पास लोगो की भीड़ है, हम कुछ नहीं कर पाएंगे।
वे लोग इसी रास्ते से वापस आयेंगे। रास्ता सुनसान है आस पास घने जंगल है। हमे यही पर उन्हें रोकना होगाऔर दोनों को रास्ते से घने जंगल में ले जायेंगे।
फिर अपने अपमान की बदला लेंगे।

उधर कुछ देर रुकने के बाद राजेश और सुजाता कार से अपने घर के लिए निकल पड़े।
इसकी जानकारी राकेश सिंह के साथी ने राकेश को फ़ोन पर बताया।
राकेश सिंह _उन लोग आने ही वाले हैं तुम सब झाड़ियों में छुप जाओ।
राकेश सिंह ने अपने एक साथी को सड़क पर लिटा दिया।
एक बाइक को भी गिरा दिया।
जैसे उसका एक्सीडेंट हो गया हो।
सभी लोग छिप गए।
राजेश और सुजाता इस बात से अंजान वे बात चीत करते हुए कार से वहा पर पहुंचे।
सामने रोड पर किसी व्यक्ति को पड़ा हुआ देखकर राजेश ने कार रोक दिया।
सुजाता _राजेश, कार क्यू रोक दिया?
राजेश _मैम सामने देखो।
लगता है किसी का एक्सीडेंट हो गया है।
मैं देखता हूं।
सुजाता _राजेश और सुजाता दोनों कार से उतरे।
राजेश उस आदमी के पास गया और उसे हिला कर देखा।
वह आदमी अपने हांथ में मिर्ची पाउडर रखा था उसने राजेश की आंखो में मिर्ची पाउडर फेक दिया।
राजेश की आंखो में तेज जलन होने लगीं। वह अपनी आंखे नही खोल पा रहा था।
तभी राकेश सिंह और उसके साथी सामने आए और हसने लगे।
राकेश सिंह _मैडम पहचाना।
सुजाता _राकेश सिंह तुम।
राकेश सिंह _हां मैडम जी मै।
पकड़ लो इन दोनों को और ले चलो जंगल के अंदर।
सुजाता को दो लॉग पकड़ लिए।
सुजाता _छोड़ो मुझे।
इधर बांकी लोग राजेश को पकड़ने लगे लेकिन राजेश को काबू में नहीं कर पा रहे थे।
तभी एक ने बड़े डंडे से राजेश के सिर पर वार किया जिससे राजेश का सिर फट गया वह चक्कर खा कर बेहोश सा हो गया।
साला बहुत छटपटा रहा था।
सुजाता चीखी, राजेश।
राजेश के सिर से खून बह रहा था वह बेशुध सा हो गया।
सुजाता _भगवान के लिए छोड़ दो हमे, तुम लोग बहुत गलत कर रहे हो।
राकेश सिंह _राकेश सिंह जब तक अपने अपमान का बदला नही ले लेता। शांत नहि बैठता। हा हा हा
तुमने हमें अपमानित कर अपने कंपनी से बाहर किया।
इस अपमान का बदला तेरे यार के सामने तेरी इज्जत लूट कर लेंगे।
ले चलो दोनों को जंगल में।
राकेश सिंह के साथी राजेश और सुजाता को घसीटते हुए जंगल के अंदर ले जानें लगे। सुजाता मदद के लिए चिल्लाती रही पर वहा सुनने वाला कोई नहीं था।
राकेश सिंह _ये जगह ठीक है, बांध दो इसके यार को पेड़ से।
सुजाता _नही राजेश को छोड़ दो।
राजेश को रस्सी की सहायता से दो उसके दोनों हाथो को दो पेड़ो से बांध दिया।
राकेश _हाय सच में तू कयामत लग रही है। क्या मस्त मॉल है तू। तुम्हारी लेने में बड़ा मजा आयेगा।
सुजाता _छोड़ दो हमे जाने दो, पुलिस वाले तुम लोगो को छोड़ेंगे नहीं।
किसी को पता चलेगा तब न तुम्हारी चीख किसी को सुनाई नही देगी। इसी लिए तो हम तुम दोनों को यहां पर लाए है जानेमन।
अबे होश में लाओ रe इनके यार को, सुना है हड़ताल तुड़वाने के पीछे इसी लौंडे का दिमाक था।
अब साला अपनी आंखो से अपनी महबूबा की इज्जत लुटते देखेगा। तब हमारे अपमान का बदला पूरा होगा।
राकेश सिंह के साथी राजेश के ऊपर पानी डालने लगे। उसे कुछ कुछ होश आने लगा।
राकेश सिंह _Rajeshके बाल पकड़कर कहा,अबे होश में आ , देख तेरी दिलरुबा का हम क्या हाल करने वाले है। देख अपनी आंखो से, और डालो re पानी इसके ऊपर
राजेश के चेहरे पर और पानी डाला गया। राजेश कुछ होश में आया उसने खुद को पेड़ से बंधा पाया, सामने राकेश सिंह खड़ा था, दो लोग सुजाता को पकड़े हुवे थे, बांकि लोग राजेश के आस पास खड़े थे।
राजेश _राकेश सिंह तू।
कुत्ते छोड़ दे मैडम को क्यू अपनी मौत को दावत दे रहा है।
राकेश सिंह _साले बल चला गया है पर तेरा अकड़ नही गया है। वैसे बॉडी तो काफी अच्छी बना रखी है। पर लगता हैं सिर्फ दिखाने के लिए है।
तेरे आंखो के सामने तेरी महबूबा का इज़्जत लूट कर हम अपने अपमानो का बदला लेंगे। अगर तेरे में दम है तो बचा ले अपनी महबूबा को।
राजेश _कुत्ते, अगर तुमने मैडम को हाथ भी लगाया न तो मां कसम तुम सबका हाथ पाव तोड़ कर रख दूंगा।
सभी लोग राजेश की बात सुनकर हसने लगे,,
हमारा हाथ पांव तोड़ेगा ये,, हा हा हा,,
अभी तू बच्चा है, बात तो बड़ी बड़ी कर रहा है,,
अब तू देख तेरे सामने तेरी मैम की इज्जत कैसे लुटते है?
राकेश सिंह, सुजाता की ओर आगे बड़ा,,
राजेश _कुत्ते, रुक जा, ऐसी गुस्ताखी भी न कर,, क्यू अपनी मौत को बुला रहा है?
राकेश सिंह ने आगे बड़ा और सुजाता की साड़ी के पल्लू को पकड़ लिया।
राजेश _कुत्ते मै कहता हूं रुक जाओ।
इधर राकेश सिंह सुजाता की पल्लू को पकड़ कर खींचने लगा, सुजाता खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
राकेश _आजा मेरी रानी क्या मस्त मॉल है तू, तेरी लेने में तो बड़ा मजा आयेगा।
सभी हसने लगे।
सुजाता _साड़ी की पल्लू छुड़ाने की कोशिश करने लगी,नही छोड़ दो, हमे जाने दो।
तभी राकेश सिंह साड़ी की पल्लू को जोर लगा कर खींचने लगा।
राजेश बहुत गुस्से में आ गया, वह जोर से दहाड़ने लगा,आ,,,,,,
उसने अपनी पूरी ताकत से रस्सी को तोड़ने का प्रयास करने लगा।
राकेश सिंह और उसके साथी हसने लगे।
इधर सुजाता अब राकेश सिंह को रोक पाने में असमर्थ हो गई वह जोर से चीखी, राजेश बचाओ मुझे।
राजेश ने एक बार फिर अपना पूरा जोर लगा दिया , इस बार जिस पेड़ से बंधा था ज्यादा मोटे नही थे, पेड़ ही उखड़ गया।
राजेश को दहाड़ पूरे जंगल में गूंजने लगा।
राकेश और उसके साथी भयभित हो गए।
राकेश _मारो साले को।
एक ने डंडे से राजेश के पीठ पर प्रहार किया, राजेश टस से मस न huwa वह ।
उसने फिर दूसरी बार प्रहार किया राजेश ने उसका प्रहार रोक दिया फिर एक जोर का मुक्का उसके चेहरे पर मारा।
उस व्यक्ति का पूरा दांत बाहर आ गया, उसका मुंह लहुलुहाहन हो गया।
राकेश सिंह के साथियों ने राजेश पर एक साथ धावा बोल दिया। राजेश पर लाठी डंडों से प्रहार किया।
राजेश की पकड़ में जो भी आता उसे बुरी तरह मार कर अधमरा कर देता।
इस तरह एक एक करके राकेश सिंह के सभी साथी जमीन पर लुढ़कते गए, और फिर उठ न सके।
अंत में राकेश सिंह ने चाकू से राजेश पर प्रहार कर दिया,
राजेश की भुजा पर चाकू लगी,

सुजाता चीखी _राजेश,,,
तभी राकेश सिंह ने दूसरा प्रहार किया पर राजेश ने उसका प्रहार रोक एक जोर का लात उसके पेट में मारा, राकेश सिंह हवा में उड़कर दूर जा गिरा।
राजेश ने उसे गर्दन से पकड़कर उठाया और एक जोर का मुक्का उसके मुंह पे मारा मुंह से खून की धार निकल गया।
राजेश बहुत गुस्से में था, वह राकेश सिंह के जांघो पर जोर से प्रहार किया इस प्रहार से उसका जांघ टूट गया, इसके बाद भी राजेश
राजेश _कुत्ते तूने इसी हाथ से मैम को छुआ ने देख इसकी क्या हालत करता हु।
राजेश ने राकेश सिंह के हाथ पर अपने पैर से जोर का प्रहार किया जिससे राकेश सिंह का हाथ टूट चुका था।
राजेश का गुस्सा शांत ही नहीं हो रहा था वह एक पत्थर उठाकर राकेश सिंह को खत्म करने को उठाया।
तभी सुजाता दौड़ते हुवे उसके पास आई और राजेश से लिपट गई।
सुजाता _नही राजेश उसे छोड़ दो, मत मारो।
राजेश _नही मैम इसने तुम्हें हाथ लगाने की जरूरत कैसे की मैं नही छोडूंगा।
सुजाता _नही राजेश, तुम्हें मेरी कसम इसे छोड़ दो, मै नही चाहती की तुम किसी मुसीबत में फसो।
सुजाता की कसम देने से राजेश रुक गया।
राकेश सिंह और उसके सभी साथी उठ पाने की स्थिति में नहीं थे इधर राजेश भी लड़ते लड़ते घायल हो चुका था।
उसके पैर लड़खड़ाने लगे।
सुजाता ने उसको सहारा देकर किसी तरह धीरे धीरे उस जंगल से बाहर निकाला और थाना प्रभारी को सारी घटना के बारे में बता दिया।
थाना प्रभारी तुरंत वहां अपने साथियों के साथ पहुंच गया।
राकेश और उसके साथी बुरी तरह घायल थे उसे अस्पताल ले जाया गया। और राजेश को भी अस्पताल ले जानें के लिए बोला।
राजेश _नही, मुझे घर ले चलिए।
सुजाता _पर राजेश, तुम्हारी हालत बहुत खराब है।
राजेश _मैम मैं नही चाहता की जो भी घटना घटित हुआ उसके बारे में लोगो को पता चले, यह हमारे कंपनी के लिए ठीक नहीं, निवेशकों में गलत संदेश जा सकता है।
सुजाता _ओह, राजेश मुझे ये कंपनी वगैरा कुछ नहीं चाहिए।
मुझे तुम्हारी सलामती चाहिए।
राजेश,_मैम मै ठीक हूं, मुझे घर ले चलिए।
थाना प्रभारी सर इस घटाना के बारे में आप किसी से कुछ न कहना।
थाना प्रभारी _ठीक है राजेश अगर आप लोग यही चाहते हो तो ऐसा ही होगा लेकिन इन सालो को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाऊंगा।
सुजाता गाड़ी चलाकर राजेश को बंगला में ले गया।
बांग्ला में ले जानें के बाद वहा नौकरों की मदद से उसे अपने कमरे में ले जाकर लिटा दिया
और डॉक्टर को बुलाया।
कुछ देर बाद नर्स के साथ डॉक्टर पहुंच गया।
वह राजेश की स्थिति का मुआइना करने लगा।
राजेश के सारे कपड़े उतारने कहा जो जगह जगह फट चुके थे खून धूल और मिट्टी लगे हुए थे।
राजेश के शरीर से पूरे कपड़े उतार कर निर्वस्त्र कर दिया।
सुजाता की आंखो से आंसु निकलने लगे थे।
राजेश की शरीर की पहले अच्छे से सफाई किया गया। राजेश के शरीर के ऊपर एक पतला चादर डाल दिया।
जगह जगह उसके शरीर पर चोट के निशान थे।
डाक्टर ने राजेश के शरीर पर लगे चोटों पर लगाने के लिए मलहम, दर्द निवारक गोली, कुछ एन टीबायोटिक दिया।
उसे इंजेक्शन लगाकर सुजाता से राजेश को आराम करने देने को कहा। डाक्टर ने कहा समय समय पर मलहम लगा ने और दवा खिलाने से कुछ ही दिन में राजेश ठीक हो जायेगा। घबराने की बात नही है।
अभी नर्स को यही छोड़ रहा हूं।
यह राजेश कादेखभाल करेगी।

सुजाता _ठीक है डाक्टर।
राजेश आराम करने लगा।
इधर सुजाता फिर से नहाकर नए कपडे पहन ली।
नर्स रूम में ही कुर्सी पर बैठ कर अपनी मोबाइल पर समय व्यतीत कर रही थी।

नर्स _इनके दवाई का समय हो गया है। इसे उठाओ।
सुजाता ने राजेश के बालो को प्यार से सहलाते हुए राजेश को उठाने लगी।
राजेश अपने आंखे खोला।
सुजाता _राजेश अब कैसा महसूस कर रहे हो।

राजेश_ पहले से बेटर।
नर्स _पहले इसे कुछ खिलाओ। उसके बाद इन्हें मलहम लगा कर दवाई खिलाएंगे।

सुजाता ने काल कर नौकरों को रोटी दाल सब्जी लाने को कहा।
नौकर भोजन लेकर आया।
सुजाता ने राजेश को बेड पर बिठाया और अपने हाथो से खाना खिलाने के लिए आगे बड़ी,,
राजेश _मैम आप ने भोजन की।
सुजाता _राजेश, तुम पहले खा लो फिर मैं खा लूंगी।
राजेश _नही आप भी साथ में खाओगी, तब खाऊंगा।
सुजाता _ओ हो राजेश, मै खा लूंगी न बाबा तुम पहले खा लो।
राजेश _न, पहले तुम खाओ फिर मुझे।
सुजाता ने राजेश को खिलाती फिर वह भी खाती इस प्रकार जब दोनों ने भोजन कर लिया।
नर्स बोली _इसके पूरे शरीर में मलहम लगाना होगा।
राजेश को पेट के बल लिटा दिया राजेश पूरा निर्वस्त्र था। नर्स मलहम लेकर राजेश के पूरे शरीर में मलने लगी।
उसके पीठ कूल्हे फिर पैर।
राजेश को सीधा होकर लेटने कहा।
नर्स ने राजेश के सीने फिर, उसके पेट फिर उसने राजेश के लैंड पर भी मलहम लगाने लगीं।
नर्स राजेश के लंबे land देखकर मुस्कुरा रही थी।
इधर सुजाता को नर्स पर बहुत गुस्सा आ रहा था, उसका मन कर रहा था कि वह नर्स की गालों पर दो चार तमाचा लगा दे ।
पर चोट तो पूरे शरीर पर लगीं थीं तो नर्स ने काफी देर तक राजेश के land उसके अंडकोष पर ऊपर चादर डालकर मालिश किया।
राजेश को भी अच्छा फील हो रहा था।
वह अपना आंख बंद कर लेटा रहा।
इधर सुजाता गुस्से से आग बगुला हो रही थी।
सुजाता _अब नीचे भी मालिश करो।
नर्स _हा, ठीक है।
पैरो की मालिश करने के बाद राजेश को दवा पिलाया गया।
राजेश के शरीर पर चादर ओढ़ा दिया, राजेश को आराम करने कहा गया।
सुजाता ने नर्स से बोली _देखो अब तुम हॉस्पिटल जाओ, मै राजेश की देखभाल कर लूंगी ।
मैं डाक्टर से बात कर ली हूं।

नर्स _ठीक है मैम जैसी आपकी ईच्छा।
नर्स चली गई।
सुजाता को निशा का फ़ोन आया।
सुजाता _बोलो बेटा, तुम और तुम्हारे पापा ठीक तो हो न।
निशा _हा मॉम, मै ठीक हूं। आप और राजेश कैसे है?
सुजाता _हम लॉग भी ठीक है बेटा।
निशा _मॉम, आप लोग आज आने वाले थे।
सुजाता _बेटा, यहां अभी कुछ काम बाकी है, 2_3दिन बाद ही हम आ पाएंगे।
तब तक अपना और अपने डैड का ख्याल रखना बेटी।
निशा _ओके मॉम पर जल्दी आने की कौशिश करना।
सुजाता _मै जितनी जल्दी हो सके आ जाऊंगी बेटा तुम चिंता न करना।
निशा _ओके मॉम, लव यू मॉम बाई
सुजाता _लव यू टू बेटा।
शाम को 6बजे राजेश उठा।
सुजाता _राजेश अब कैसा फील कर रहे हो।
पहले से बेटर।
दर्द से कुछ राहत मिला।
सुजाता _गुड।
राजेश ये सब मेरे कारण ही huwa, मैने ही बाहर घूमने जाने के लिए तुमसे जिद किया।
राजेश मुझे माफ कर दो।
राजेश _मैम इसमें आपकी क्या गलती है? आख़िर आप भी एक औरत हो। हर औरत की एक चाह होती है घूमने फिरने की।
गलती तो उस राकेश सिंह और उसके साथियों की है जो मौके के तलाश में थे।
सुजाता _राजेश तुमने मेरी जान बचाने अपने जान की परवाह नही की ।

राजेश _मैम, निशा ने मुझे आपकी हिफाजत करने के लिए कहा था। अगर आपको कुछ हो जाता तो मैं निशा को क्या जवाब देता।

राजेश को सुजाता ने कुछ फल फूल खाने को दिया।
फिर राजेश को आराम करने कहा।
रात को 8बजे राजेश भोजन करनेफिर को उठाया।

राजेश को सुजाता ने अपने हाथो से खाना खिलाया और खुद भी खाई।
भोजन कर लेने के बाद दोनों एक दूसरे से बाते करते रहे।
करीब दस बजे।
सुजाता _राजेश अब सोने का समय हो चुका है, मै तुम्हारे शरीर में मलहम लगा देती हूं।

सुजाता ने बाथरूम में जाकर अपना साड़ी उतार कर नाइटी पहन ली थीं। नाइटी में सुजाता बहुत खूबसूरत और हॉट लग रही थी।
जब सुजाता नाइटी पहन कर कमरे में आई तो राजेश को उसने घूरते हुवे पाया।
सुजाता _शरमाते हुवे क्या देख रहे हो?
राजेश _आपकी खुबसूरती।
सुजाता _मै तुम्हें इतनी खूबसूरत लगती हूं।
राजेश_हूं।सिर्फ मुझे ही क्यू तुम हो ही खूबसूरत?
सुजाता _चल हट झूठा कही का।

इधर बंगला में सभी नौकर भी सो गए थे।
बंगला में बिल्कुल शांति फैली थी।
सुजाता _चलो अब पेट के बल लेट जाओ पीठ पर मलहम लगा दू।
राजेश पेट के बल लेट गया।
सुजाता उसके शरीर के ऊपर से चादर हटा दिया
जब उसने राजेश के पीठ पर डंडे के निशान देखी तो उसकी आंखे भर आई।
वह राजेश से लिपट गई ओह राजेश तुमने मेरे लिए कितना दर्द सहा है।
वह उनके जिस्मों को चूमने लगा।

और हाथो में मलहम लेकर उसके पीठ पर मालिश करती हुई नीचे बड़ने लगी।
सुजाता ने
राजेश की कमर फिर उसके कूल्हे पर मालिश करने लगी। वह शर्म भी महसूस कर रही थी और उत्तेजना भी।
सुजाता _राजेश अब सीधा लिटा दिया।
राजेश सीधा होकर लेट गया।
राजेश जैसे ही पीठ के बल लेटा उसका land सुजाता के नजरो के सामने आ गया।
उसका दिल जोरो से धड़कने लगा।
राजेश सुजाता की खूबसूरती को निहार रहा था।
सुजाता किसी तरह अपने दिल की धड़कन को सम्हालते हुए, राजेश के ऊपर झुकी और उसके सीने परडंडेके प्रहार से खून जम जानें से बने निशान को चूमने लगी।
सुजाता _ओह राजेश I love you, तुम कितने बहादुर हो।
सुजाता राजेश के पूरे बदन को चूमता huwa नीचे बड़ा।
जैसे जैसे वह नीचे बड़ रही थीं सुजाता को दिल की धड़कन भी बड़ रही थीं।
राजेश को भी बहुत अच्छा लग रहा था।
सुजाता जब कमर से नीचे पहुंची। वह राजेश के land को देखने लगीं। फिर वह राजेश की चहरे की तरफ देखी। राजेश आंखे बंद कर आने वाला पल का इंतजार में था।
सुजाता ने राजेश के land को हाथ में लेकर पहले चूमा उसे सहलाया फिर उसके सुपाड़े को मुंह में लेकर चूसने लगीं। कितनी सालो के बाद वह किसी का land मुंह में लेकर चूस रही थी।
इधर सुजाता के मुंह में राजेश अपने land का अहसास पाकर राजेश का शरीर भी गर्म हो ने लगा।
इधर सुजाता ने land मुंह में लेकर अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
राजेश का land धीरे धीरे मोटा और लंबा होकर एक दम लोहे की तरह सख्त हो गया।
राजेश के मोटे एवम तगड़े land देखकर सुजाता भी काफी उत्तेजित हो गई थी।
उसकी बुर पानी फेकने लगी थी।
जब से विशाल की तबियत खराब huwa था, उसके पास सुजाता को शारीरिक सुख दे पाने का ताकत नहीं बचा था।
आज राजेश के मोटे और तगड़े land को देखकर, उसकी अंदर की औरत जाग चुकी थीं। वह से राजेश से वह प्यार करने लगीं थीं।

उसे राजेश के इतने मोटे और लम्बे land से प्यार के साथ भय भी लग रहा था।
कही वह राजेश के land को न ले पाई तो ,,
नही मुझे राजेश को हर हाल में संतुष्ट करना है,
वह राजेश की ओंठ की आंखो में देखा । राजेश भी सुजाता की ही देख रहा था।
सुजाता उपर आया और राजेश के ओंठ को मुंह में भरकर चूसने लगा।
राजेश भी उसकी ओंठ चूस कर सहयोग करने लगा।
फिर सुजाता बेड से उठी और खड़ी होकर अपनी नाइटी निकाल दी फिर अपनी ब्रा और पैंटी भी निकाल कर नंगी हो गई।
सुजाता की बड़ी बड़ी सुडौल चुचियों, एक दम गोरा बदन और मस्त फुली हुई चिकनी chut ऐसा लग रहा था कि स्वर्गकीकोई अप्सरा लग रही थी जिसे देखकर राजेशका land हवा में ठुमके लगाने लगा।
सुजाता एक फिर राजेश का land पकड़कर चूसने लगी।
फिर वह बेड में उपर चढ़ गई।
और राजेश की land को हाथ में पकड़ कर अपनी बुर की छेद पर रख कर उसे अंदर लेने की कोशिश करने लगी।
बड़ी कोशिशों के बाद land का टोपा बुर को चीरकर अंदर घुसने में कामयाब huwa। सुजाता ने थोड़ी राहत की सांस ली।
फिर उसने land पर अपनी बुर का दबाव बनाते हुए धीरे धीरे बैठने लगी land बुर में आधे से ज्यादा घुस चुका था।
अब सुजाता ने राजेश की ओंठ चूसते हुए अपना एक चूची राजेश के मुंह में डाल दिया।
राजेश सुजाता की चुचक को मुंह में भरकर चूसने लगा।
सुजाता की मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी।
उसकी बुर से पानी निकलकर राजेश के land पर बहने लगा।
अब सुजाता बहुत ज्यादा उत्तेजी हो गई वह राजेश के land उठक बैठक करने लगीं।
Land धीरे धीरे बुर में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो गया।
सुजाता को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी बुर ने राजेश के land को पूरी तरह निगल गई है।
वह land पर अब उछल उछल कर चुदने लगी।
उसे राजेश से चुदने में बहुत मजा आने लगा। उसके मुख से कामुक सिसकारी निकल कर कमरे में गूंजने लगी।
आह, उन, उई मां आह अन,,
कमरे में फ्च उईफ़च gach gach की आवाज गूंजने लगा।
सुजाता उछल उछल कर पूरा land अपनी बुर में लेने लगीं वह बहुत गर्म हो चुकी थी।
चुद वाने में ऐसा मजा उसे कभी नहीं आया था।
Land बुर को चीरता हुआ गपागप अंदर बाहर हो रहा था।
सुजाता उछल उछल कर जमकर चुद रही थी।
पर वह अपने को ज्यादा देर तक न रोक सकी और आह मां, आह करके झड़ गई, और राजेश के उपर ढेर हो गई।
राजेश का land अभी भी सुजाता की बुर के अंदर खड़ा था।
कुछ देर बाद जब सुजाता होश में आई वह फिर से राजेश के ओंठ चूसने लगीं राजेश भी उसकी ओंठ चूस कर सहयोग करने लगा।
फिर सुजाता राजेश के मुंह में अपने चुचक डालकर चुसवाने लगीं।
सुजाता धीरे धीरे फिर गर्म हो गई।
सुजाता की बुर फिर पानी फेकने लगी।
सुजाता ने राजेश के land पर फिर उछल उछल कर chudna शुरू कर दिया।
फिर से कमरा सुजाता की कामुक सिसकारी से गूंजने लगी।
आह ओह अन अन,, आई,, उन मां,,
राजेश का land सुजाता की बुर के हर हिस्से को अच्छी तरह रगड़ रहा था।
जिससे सुजाता को ऐसा अधभूत आनंद मिल रहा था जिसकी कल्पना उसने कभी नहीं की थी।
दोनों की शरीर की ऊर्जा उसके बुर और land पर ही समाहित हो चुके थे।
राजेश को भी सुजाता को चोदने से ऐसा अनुभव हो रहा था जैसे वह किसी कुंवारी chut को चोद रहा हो। बिल्कुल कसा कसा अंदर बाहर हो रहा था।
सुजाता दो बार झड़ चुकी थी, वह राजेश को हर हाल में संतुष्ट करना चाहती थीं ।
वह फिर से मैदान में डट जाती और उछल उछल कर चुदने लगती। वह राजेश की मर्दानगी की दीवानी हो गई।
कुछ देर अब राजेश भी अपने को और ज्यादा देर तक नहीं रोक सका और आह मां, आह करके कराहते हुवे सुजाता के बुर में ही झड़ने लगा।
गर्म गर्म वीर्य से सुजाता का बुर पूरी तरह भर गया। सुजाता भी एक बार फिर से झड़ गई।
वह बुरी तरह थक गई थी।
वह राजेश के उपर ही ढेर हो गई।
फिर राजेश के बाहों में ही सो गई।
Bahut hi rochak or kamuk update bro.....
 

Abhi123

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दोनो इसी अवस्था में खड़े रहे, परिस्थिति ही ऐसी थी। वहा इधर उधर हिलने के लिए भी जगह नहीं थी। राजेश का तना land सुनिता के गाड़ के दरार में धस गया था। जब पीछे के लोग धक्का लगाते थे तो राजेश अपनी मां को अपनी ओर और कस लेता था। जिससे राजेश का land Sunita के गाड़ के दरार में और धस जाता था। जिससे सुनिता सिसक उठती थी। सुनिता का नितम्ब राजेश के जांघो से सटा huwa

सुनिता के शरीर का मादक गंध राजेश को और उत्तेजित कर रहा था। उसका land ना चाहते हुए भी लोहे की रॉड की तरह कड़ा हो गया था।

एक मर्द के शरीर से इस प्रकार जकड़े रहने से सुनिता भी गर्म हो गई थी। आख़िर वह भी एक औरत थी।

कुछ समय बाद आरती सुरू हुई। आरती शुरू होने पर लोगो का धक्का मुक्की बंद huwa जो जहा पर थे वही खडा होकर ताली बजाने लगे।

राजेश और सुनिता के बीच जगह बिल्कुल नही थी। अतः राजेश सुनिता को अपने दोनो हाथों से पीछे से बाहों भरकर ताली बजाने लगा।

जिससे दोनो का शरीर और एकदम से चिपक गया।
आरती खतम होने के बाद लोगो का भीड़ धीरे धीरे कम होने लगी तब सुनिता ने राहत की सांस ली।
और राजेश ने सुनिता को छोड़ दिया।

लेकीन राजेश का land अभी भी उसके लोवर के अदंर अकड़ा हु़वा था। राजेश और सुनिता दोनो ही लज्जित महसूस कर रहे थे।

जब दोनो मंदिर से बाहर निकल रहे थे तब सुनिता की नजर राजेश की लोवर पर गया। जो सामने से काफी उठा हूवा था। जिसे देखकर सुनिता मुस्कुरा भी रही थी।और शर्मा भी रही थी।

राजेश समझ गया की मां क्यू मुस्कुरा और शर्मा रही है। वह काफी लज्जित महसूस करने लगा।
राजेश अपने हाथ को अपने land के उभार के सामने रख कर उसे छिपाने की कोशिश करने लगा। जिसे देखकर सुनिता की तो हसी ही छुट गई।

जिससे राजेश और लज्जित महसूस करने लगा।

जब वे दोनो मंदिर से बाहर निकलकर पूजा सामग्री की दुकान के पास आय जहां पर अपना जूता चप्पल छोड़े थे।चप्पल लेने के बाद सुनिता ने देखा कि अभी भी राजेश के लोवर में बड़ा सा उभार बना huwa है वह राजेश से बोली।

बेटा अगर ऐसे ही धर्मशाला पहुंचेंगे तो तुम्हारी यह हालत देखकर तुम्हारा पापा और बहन क्या सोचेंगे।

राजेश _सॉरी मां, पता नही ये सब कैसे हो गया। वह बहुंत लज्जित महसूस करने लगा।

सुनिता _बेटा, चलो किसी होटल पे बैठकर चाय पीते है फिर चलेंगे।

राजेश _ठीक है मां।
मंदिर के पास होटल भी लगा था वे वहा जाकर बैठ गए। सुबह होटल में भीड़ नही थी। राजेश ने दो चाय का ऑर्डर कर दिया।

सुनिता _मतलब तू सुधरा नही है। तू अपने मन पर नियंत्रण नहीं रख सका।

राजेश _मां मैने जान बुझ कर तो नही किया। हमेशा मुझे ही दोष देती हो। राजेश नाराज होते हुए बोला।

सुनिता _ठीक है परिस्थिति ही ऐसी थी। पर अब तक तो नार्मल हो जाना चहिए था।

राजेश फिर शर्मिंदा हो गया।

राजेश _मां मुझे और शर्मिंदा न करो।
दुकान वाले ने चाय लगा दी।

सुनिता _लो चाय पी लो।

राजेश _मुझे नही पीना चाय नाराजgi दिखाते हुए बोला।
सुनिता _ठीक है बाबा, इसमें तुम्हारी कोई गलती नही, सब मेरी गलती है। मै ही तुम्हारे सामने जो खड़ी हो गई। अब चलो चाय पियो।

सुनिता _अब पियो भी, अब मैं तुम्हारा मजाक नहीं उड़ाऊंगी बस।

राजेश चाय का कप उठाकर पीने लगा। सुनिता राजेश को चाय पीता देख मुस्कराने लगी।

दोनो ने चाय पी ली उसके बाद सुनिता बोली।

अब तो नार्मल हो गया होगा, तो चले।

राजेश ने हा में सिर हिलाया।

सुनिता फिर अपना मुंह बन्द कर हसने लगीं।

अब वे जब जाने को हुवे तब सुनिता ने अपनी नज़र फिर राजेश के लोवर पर डाली। उसने देखा उभार कम जरुर हो गया था पर पुरी तरह नार्मल नही लग रहा था।

सुनिता और राजेश दोनो धर्मशाला की ओर चलने लगें।

सुनिता _मुझे लगता है कि तुम अभी तक पुरी तरह नार्मल नही हुवे हो। वह मुसकुराते हुवे बोली।

राजेश _अब पूरी तरह नार्मल होने में समय तो लगेगा ही ना मां।

राजेश _वैसे आप भी तो सिसक रही थी।

सुनिता राजेश की बात सुनकर लज्जित महसूस करने लगी।

सुनिता _अब तुम एक मर्द की तरह जकड़े रहोगे तो मेरे मुंह से सिसक तो निकलेगा ही। आख़िर मै भी तो एक औरत हूं।

राजेश _फिर मुझे ही दोष क्यू देती हो।

सुनिता _अच्छा बाबा इसमें हम दोनो की कोई गलती नही बस। अब तुमको कुछ नहीं बोलूंगी। ये सब परिस्थिति के कारण huwa वह मुस्कराने लगी।

लो हम धर्मशाला भी पहुंच गए।

दोनो जब रूम में पहुंचे। स्वीटी नहाकर तैयार हो चुकी थी। शेखर आराम कर रहा था।

शेखर _आ गए आप दोनो, मंदिर में ठीक से दर्शन huwa

सुनिता _हा जी, अच्छे से पूजा पाठ करनेको मिला। मैने देवता से हमारी कुशलमंगल के लिए प्रार्थना की। अब आपकी क़मर दर्द कैसी है?
शेखर _दर्द तो बिल्कुल कम हो गया है। अब मैं उठ बैठ भी पा रहा हूं।

सुनिता _भगवान की कृपा है आप ठीक हो गए। अब चलिए आप भी स्नान कर लीजिए। फिर नाश्ता करने चलेंगे।

शेखर _ठीक है सुनिता।

शेखर के स्नान करने एवम सभी लोग तैयार हो जाने के बाद वे नाश्ता करने रेस्टोरेंट चले गए। वहा बैठकर आगे का प्लान बनाने लगे।

शेखर _लोगो ने बताया है कि यहां से 20km दूर एक जल प्रपात है। यहां से आधे घंटे का रास्ता है। हम पहले वहा चलेंगे। वहा से हम गुफ़ा देखने चलेंगे ,लोगोका कहना है की यहां आदिमानव समय का प्राचीन गुफा है लोग दूर दूर से देखने आते हैं। वह वाटर फाल से पास ही है,फिर हम वहा से वापस लौटेंगे।

सुनिता _ठीक है जी आप जैसी उचित समझे।

स्वीटी _पापा, हम वाटर फाल देखने जा रहे हैं पहले बताना था मैं वहीं नहाती कितना मज़ा आता। क्यू भइया?

राजेश _हा, पापा, झरने में नहाने का अलग ही मजा है।
शेखर _ओह, पहले मैं भी सोचा था,पर हमे आज मंदिर जाना था न,इसलिए नहाने का प्लान छोड़ दिया। वैसे कपड़ा रख लेना तुम लोगो की नहाने की इच्छा हो तो नहा लेना।

स्वीटी बहुंत खुश हो गई, थैंक यू पापा। भइया अब झरने में बहुत मजा आने वाला है।

नाश्ता कर लेने के बाद शेखर बोला राजेश और स्वीटी तुम दोनो जाओ रूम में वहा से अपने और अपनी मां के लिए भी कपड़े रख लो शायद इनका मन भी हो जाए नहाने का।

सुनिता _न जी मुझे नही नहाना झरने में।

शेखर _मन नही huwa तो मत नहाना, कपड़े तो रख लो।

राजेश और स्वीटी रूम में जाकर कपड़े और कुछ आवश्यक सामान ले आए फिर वे वहां से कार में सवार होकर वाटर फाल के लिए निकल गए।

वे रास्ते में लोगो से पूछताछ करते हुवे वाटर फाल की ओर आगे बढ़ने लगे। रास्ते के दोनो तरफ पहाड़ नजर आ रहे थे। तभी शेखर की नजर सुचना बोर्ड पर पड़ी उसमे लिखा था की वाटर फाल जाने का मार्ग। दूरी 4km

शेखर ने राजेश को कार रोकने कहा।

बेटा कार रोको वाटर फाल जाने के लिए हमे इस मार्ग में जाना होगा। सुचना बोर्ड में लिखा huwa है।
राजेश ने कार रोक कर उस मार्ग की ओर कार मोड़ दी।

सुनिता _ये तो कच्ची मार्ग है जी, ये तो जंगल के अदंर की ओर जा रही है। रास्ता काफी सुनसान भी लग रहा है। बेटा थोड़ा सम्हाल कर चला न।

राजेश _ठीक है मां।

जैसे जैसे वो आगे बढ़ रहे थे झरने की आवाज उसे सुनाई देने लगे।
स्वीटी _लगता है मां ये जो आवाजे आ रही हैं वो झरने की है।

रास्ते के दोनो तरफ घने पेड़ लगे हुवे थे। जैसे जैसे वे झरने नजदीक पहुंचने लगे झरने का आवाज भी बढ़ता गया। जब वे पहुंचे तो कई मोटर साइकिल और कारे एवम अन्य वाहन खडे दिखाए दिए।

शेखर _बेटा लगता है हम पहुंच गए। कार यही खडा करना पड़ेगा। यही पर जगह देखकर कार खड़ी कर दो।

राजेश _ठीक है पापा।

राजेश ने जहा अन्य कार खडे थे वहा जगह देखकर कार को पार्किंग कर दिया।


शेखर _वहा पर खडे लोगो से पूछा , भई ये झरने कहा पर है।

लोगो ने बताया की आगे पैदल जाने पर झरना है।

अब वे पैदल चलने लगें रास्ते पर अब लोगो की भीड़ नजर आने लगी रास्ते के आजू बाजू खाने पीने की दुकान लगे थे। कुछ लोग तो वहा पिकनिक मनाने आय थे वे वहीं खाना बना रहे थे।

जब वे झरने के पास पहुंचे तो वहां का नजारा देखते ही बनता था। सामने एक बड़ा सा कुंड था। जिसमे लडके लडकियां महिलाएं पुरुष एवम बच्चे नहा रहे थे जल क्रीड़ा कर रहे थे। शोर मचा रहे थे। कुंड स्विमिंग पूल की तरह बना दिया गया था। कुंड के सामने एक ऊंचा पहाड़ा जहां से पानी झड़ झर की तेज आवाज के साथ निचे गिर रहा था।

कुंड के उस पार जाने के लिए पूल बना था। जिस पर कुछ युवक चढ़कर कुंड में छलांग लगा रहे थे। पहाड़ पर चढ़ने के लिए सीढ़ी भी बनी थी। कुछ लोग सीढ़ी से चड़कर पहाड़ के ऊपर जा रहे थे। पहाड़ा के ऊपर एक मंदिर भी बना था जहा लोगो की भीड़ दिख रही थी।

स्वीटी ने जब यह नज़ारा देखा तो वह राजेश से बोली।
वाउ, भइया, क्या नज़ारा है। देखो लोग नहाने का कितना मज़ा ले रहे हैं। झरने को देखो प्रकृति का कितना मनोरम दृश्य है। यहां तो बड़ा मजा आयेगा।

सुनिता, शेखर और राजेश भी वहा का दृश्य देखकर आनंदित हो गए।

शेखर _यह तो बड़ी अच्छी जगह है, क्यू सुनिता।

सुनिता _हा जी, पर लोग तो यहां देखो कैसे बेशर्रमो की तरह नहा रहे हैं, स्त्री और पुरषों के बीच कोई परदा ही नहीं। देखो कैसे पकड़ा पकड़ी खेल रहे हैं।

स्वीटी _मां, ये इंज्वॉय कर रहे हैं और हम भी यहां इंज्वॉय करेंगे। क्यू भइया?

राजेश _हा, नहाने में बड़ा मज़ा आएगा।

शेखर _अरे भाई, पहले थोडा घूम लो जगह का अवलोकन कर लो उसके बाद नहाने का मज़ा लेना।

देखो कुछ लोग पहाड़ पर चढ़ रहे हैं चलो हम भी ऊपर जाकर देखते है वहा से नज़ारा कैसे दिखता है।

अब वे पूल पार करके कुंड के उस पार चले गए जहां सीढ़ी बनी थी। वे सीढ़ी से पहाड़ के ऊपर जाने लगे जब वे ऊपर पहुंचे तो निचे का नज़ारा देखकर मंत्रमुग्ध हो गए।
पहाड़ के चारो तरफ अन्य पहाड़ नजर आ रहे थे। पानी ऊपर से बहते हुए पहाड़ के नीचे गिर रही थी। ऊपर भी काफी लोग मौजूद थे। ऊपर बहते पानी में कुछ युवक एवम युवतियां नहाने का मज़ा ले रहे थे। कुछ लोग खडा होकर उन्हें नहाते देख रहे थे।

कुछ लोग वहा बैठकर अपने साथ लाए टिफिन का मज़ा ले रहे थे।

शेखर _यहां का नज़ारा तो अदभुत है भई।

सुनिता _देखो वहा एक छोटा मंदिर भी है चलो पहले दर्शन कर लेते है। वे मंदिर जाकर दर्शन करआए।

स्वीटी _भैया चलो अब हम भी नहाने का मज़ा लेते है।

सुनिता _मै तो कहता हूं की तुम लोग ऊपर ही नहा लो। यहां भीड़ कम है। नीचे तो बहुन्त भीड़ है।

ऊपर पानी भी चट्टानों से उछल कूद करते हुए बह रहा था। पानी उथला था। सीडी नुमा पहाड़ से पानी उछल कूद कर बह कर पहाड़ के निचे गिर रहा था।

राजेश _ठीक है मां हम ऊपर ही नहाएंगे पर आपको भी नहाना पड़ेगा।

स्वीटी _हा मां, भइया ठीक कह रहा है। ऊपर भी तो देखो कुछ महिलाएं नहा रही है।

शेखर _बच्चे चाह रहे हैं तो जाओ भाई, उसे निराश न करो।

सुनिता _पर जी, मुझे शर्म आयेगी।

सुनिता _मां, यहां तो सभी मजे ले रहे हैं। इसमें शर्माने की क्या बात है।
स्वीटी _पापा आप भी नहाओ न हमारे साथ।

शेखर _बेटा मेरी क़मर में अभी भी थोड़ा, दर्द है। नही तो मैं भी तुम लोगो के साथ नहाने का मज़ा लेता।

शेखर _राजेश बेटा जाओ तुम कार से कपड़े और अन्य सामान लेकर आ जाओ।

राजेश _ठीक है पापा।
दोनो इसी अवस्था में खड़े रहे, परिस्थिति ही ऐसी थी। वहा इधर उधर हिलने के लिए भी जगह नहीं थी। राजेश का तना land सुनिता के गाड़ के दरार में धस गया था। जब पीछे के लोग धक्का लगाते थे तो राजेश अपनी मां को अपनी ओर और कस लेता था। जिससे राजेश का land Sunita के गाड़ के दरार में और धस जाता था। जिससे सुनिता सिसक उठती थी। सुनिता का नितम्ब राजेश के जांघो से सटा huwa

सुनिता के शरीर का मादक गंध राजेश को और उत्तेजित कर रहा था। उसका land ना चाहते हुए भी लोहे की रॉड की तरह कड़ा हो गया था।

एक मर्द के शरीर से इस प्रकार जकड़े रहने से सुनिता भी गर्म हो गई थी। आख़िर वह भी एक औरत थी।

कुछ समय बाद आरती सुरू हुई। आरती शुरू होने पर लोगो का धक्का मुक्की बंद huwa जो जहा पर थे वही खडा होकर ताली बजाने लगे।

राजेश और सुनिता के बीच जगह बिल्कुल नही थी। अतः राजेश सुनिता को अपने दोनो हाथों से पीछे से बाहों भरकर ताली बजाने लगा।

जिससे दोनो का शरीर और एकदम से चिपक गया।
आरती खतम होने के बाद लोगो का भीड़ धीरे धीरे कम होने लगी तब सुनिता ने राहत की सांस ली।
और राजेश ने सुनिता को छोड़ दिया।

लेकीन राजेश का land अभी भी उसके लोवर के अदंर अकड़ा हु़वा था। राजेश और सुनिता दोनो ही लज्जित महसूस कर रहे थे।

जब दोनो मंदिर से बाहर निकल रहे थे तब सुनिता की नजर राजेश की लोवर पर गया। जो सामने से काफी उठा हूवा था। जिसे देखकर सुनिता मुस्कुरा भी रही थी।और शर्मा भी रही थी।

राजेश समझ गया की मां क्यू मुस्कुरा और शर्मा रही है। वह काफी लज्जित महसूस करने लगा।
राजेश अपने हाथ को अपने land के उभार के सामने रख कर उसे छिपाने की कोशिश करने लगा। जिसे देखकर सुनिता की तो हसी ही छुट गई।

जिससे राजेश और लज्जित महसूस करने लगा।

जब वे दोनो मंदिर से बाहर निकलकर पूजा सामग्री की दुकान के पास आय जहां पर अपना जूता चप्पल छोड़े थे।चप्पल लेने के बाद सुनिता ने देखा कि अभी भी राजेश के लोवर में बड़ा सा उभार बना huwa है वह राजेश से बोली।

बेटा अगर ऐसे ही धर्मशाला पहुंचेंगे तो तुम्हारी यह हालत देखकर तुम्हारा पापा और बहन क्या सोचेंगे।

राजेश _सॉरी मां, पता नही ये सब कैसे हो गया। वह बहुंत लज्जित महसूस करने लगा।

सुनिता _बेटा, चलो किसी होटल पे बैठकर चाय पीते है फिर चलेंगे।

राजेश _ठीक है मां।
मंदिर के पास होटल भी लगा था वे वहा जाकर बैठ गए। सुबह होटल में भीड़ नही थी। राजेश ने दो चाय का ऑर्डर कर दिया।

सुनिता _मतलब तू सुधरा नही है। तू अपने मन पर नियंत्रण नहीं रख सका।

राजेश _मां मैने जान बुझ कर तो नही किया। हमेशा मुझे ही दोष देती हो। राजेश नाराज होते हुए बोला।

सुनिता _ठीक है परिस्थिति ही ऐसी थी। पर अब तक तो नार्मल हो जाना चहिए था।

राजेश फिर शर्मिंदा हो गया।

राजेश _मां मुझे और शर्मिंदा न करो।
दुकान वाले ने चाय लगा दी।

सुनिता _लो चाय पी लो।

राजेश _मुझे नही पीना चाय नाराजgi दिखाते हुए बोला।
सुनिता _ठीक है बाबा, इसमें तुम्हारी कोई गलती नही, सब मेरी गलती है। मै ही तुम्हारे सामने जो खड़ी हो गई। अब चलो चाय पियो।

सुनिता _अब पियो भी, अब मैं तुम्हारा मजाक नहीं उड़ाऊंगी बस।

राजेश चाय का कप उठाकर पीने लगा। सुनिता राजेश को चाय पीता देख मुस्कराने लगी।

दोनो ने चाय पी ली उसके बाद सुनिता बोली।

अब तो नार्मल हो गया होगा, तो चले।

राजेश ने हा में सिर हिलाया।

सुनिता फिर अपना मुंह बन्द कर हसने लगीं।

अब वे जब जाने को हुवे तब सुनिता ने अपनी नज़र फिर राजेश के लोवर पर डाली। उसने देखा उभार कम जरुर हो गया था पर पुरी तरह नार्मल नही लग रहा था।

सुनिता और राजेश दोनो धर्मशाला की ओर चलने लगें।

सुनिता _मुझे लगता है कि तुम अभी तक पुरी तरह नार्मल नही हुवे हो। वह मुसकुराते हुवे बोली।

राजेश _अब पूरी तरह नार्मल होने में समय तो लगेगा ही ना मां।

राजेश _वैसे आप भी तो सिसक रही थी।

सुनिता राजेश की बात सुनकर लज्जित महसूस करने लगी।

सुनिता _अब तुम एक मर्द की तरह जकड़े रहोगे तो मेरे मुंह से सिसक तो निकलेगा ही। आख़िर मै भी तो एक औरत हूं।

राजेश _फिर मुझे ही दोष क्यू देती हो।

सुनिता _अच्छा बाबा इसमें हम दोनो की कोई गलती नही बस। अब तुमको कुछ नहीं बोलूंगी। ये सब परिस्थिति के कारण huwa वह मुस्कराने लगी।

लो हम धर्मशाला भी पहुंच गए।

दोनो जब रूम में पहुंचे। स्वीटी नहाकर तैयार हो चुकी थी। शेखर आराम कर रहा था।

शेखर _आ गए आप दोनो, मंदिर में ठीक से दर्शन huwa

सुनिता _हा जी, अच्छे से पूजा पाठ करनेको मिला। मैने देवता से हमारी कुशलमंगल के लिए प्रार्थना की। अब आपकी क़मर दर्द कैसी है?
शेखर _दर्द तो बिल्कुल कम हो गया है। अब मैं उठ बैठ भी पा रहा हूं।

सुनिता _भगवान की कृपा है आप ठीक हो गए। अब चलिए आप भी स्नान कर लीजिए। फिर नाश्ता करने चलेंगे।

शेखर _ठीक है सुनिता।

शेखर के स्नान करने एवम सभी लोग तैयार हो जाने के बाद वे नाश्ता करने रेस्टोरेंट चले गए। वहा बैठकर आगे का प्लान बनाने लगे।

शेखर _लोगो ने बताया है कि यहां से 20km दूर एक जल प्रपात है। यहां से आधे घंटे का रास्ता है। हम पहले वहा चलेंगे। वहा से हम गुफ़ा देखने चलेंगे ,लोगोका कहना है की यहां आदिमानव समय का प्राचीन गुफा है लोग दूर दूर से देखने आते हैं। वह वाटर फाल से पास ही है,फिर हम वहा से वापस लौटेंगे।

सुनिता _ठीक है जी आप जैसी उचित समझे।

स्वीटी _पापा, हम वाटर फाल देखने जा रहे हैं पहले बताना था मैं वहीं नहाती कितना मज़ा आता। क्यू भइया?

राजेश _हा, पापा, झरने में नहाने का अलग ही मजा है।
शेखर _ओह, पहले मैं भी सोचा था,पर हमे आज मंदिर जाना था न,इसलिए नहाने का प्लान छोड़ दिया। वैसे कपड़ा रख लेना तुम लोगो की नहाने की इच्छा हो तो नहा लेना।

स्वीटी बहुंत खुश हो गई, थैंक यू पापा। भइया अब झरने में बहुत मजा आने वाला है।

नाश्ता कर लेने के बाद शेखर बोला राजेश और स्वीटी तुम दोनो जाओ रूम में वहा से अपने और अपनी मां के लिए भी कपड़े रख लो शायद इनका मन भी हो जाए नहाने का।

सुनिता _न जी मुझे नही नहाना झरने में।

शेखर _मन नही huwa तो मत नहाना, कपड़े तो रख लो।

राजेश और स्वीटी रूम में जाकर कपड़े और कुछ आवश्यक सामान ले आए फिर वे वहां से कार में सवार होकर वाटर फाल के लिए निकल गए।

वे रास्ते में लोगो से पूछताछ करते हुवे वाटर फाल की ओर आगे बढ़ने लगे। रास्ते के दोनो तरफ पहाड़ नजर आ रहे थे। तभी शेखर की नजर सुचना बोर्ड पर पड़ी उसमे लिखा था की वाटर फाल जाने का मार्ग। दूरी 4km

शेखर ने राजेश को कार रोकने कहा।

बेटा कार रोको वाटर फाल जाने के लिए हमे इस मार्ग में जाना होगा। सुचना बोर्ड में लिखा huwa है।
राजेश ने कार रोक कर उस मार्ग की ओर कार मोड़ दी।

सुनिता _ये तो कच्ची मार्ग है जी, ये तो जंगल के अदंर की ओर जा रही है। रास्ता काफी सुनसान भी लग रहा है। बेटा थोड़ा सम्हाल कर चला न।

राजेश _ठीक है मां।

जैसे जैसे वो आगे बढ़ रहे थे झरने की आवाज उसे सुनाई देने लगे।
स्वीटी _लगता है मां ये जो आवाजे आ रही हैं वो झरने की है।

रास्ते के दोनो तरफ घने पेड़ लगे हुवे थे। जैसे जैसे वे झरने नजदीक पहुंचने लगे झरने का आवाज भी बढ़ता गया। जब वे पहुंचे तो कई मोटर साइकिल और कारे एवम अन्य वाहन खडे दिखाए दिए।

शेखर _बेटा लगता है हम पहुंच गए। कार यही खडा करना पड़ेगा। यही पर जगह देखकर कार खड़ी कर दो।

राजेश _ठीक है पापा।

राजेश ने जहा अन्य कार खडे थे वहा जगह देखकर कार को पार्किंग कर दिया।


शेखर _वहा पर खडे लोगो से पूछा , भई ये झरने कहा पर है।

लोगो ने बताया की आगे पैदल जाने पर झरना है।

अब वे पैदल चलने लगें रास्ते पर अब लोगो की भीड़ नजर आने लगी रास्ते के आजू बाजू खाने पीने की दुकान लगे थे। कुछ लोग तो वहा पिकनिक मनाने आय थे वे वहीं खाना बना रहे थे।

जब वे झरने के पास पहुंचे तो वहां का नजारा देखते ही बनता था। सामने एक बड़ा सा कुंड था। जिसमे लडके लडकियां महिलाएं पुरुष एवम बच्चे नहा रहे थे जल क्रीड़ा कर रहे थे। शोर मचा रहे थे। कुंड स्विमिंग पूल की तरह बना दिया गया था। कुंड के सामने एक ऊंचा पहाड़ा जहां से पानी झड़ झर की तेज आवाज के साथ निचे गिर रहा था।

कुंड के उस पार जाने के लिए पूल बना था। जिस पर कुछ युवक चढ़कर कुंड में छलांग लगा रहे थे। पहाड़ पर चढ़ने के लिए सीढ़ी भी बनी थी। कुछ लोग सीढ़ी से चड़कर पहाड़ के ऊपर जा रहे थे। पहाड़ा के ऊपर एक मंदिर भी बना था जहा लोगो की भीड़ दिख रही थी।

स्वीटी ने जब यह नज़ारा देखा तो वह राजेश से बोली।
वाउ, भइया, क्या नज़ारा है। देखो लोग नहाने का कितना मज़ा ले रहे हैं। झरने को देखो प्रकृति का कितना मनोरम दृश्य है। यहां तो बड़ा मजा आयेगा।

सुनिता, शेखर और राजेश भी वहा का दृश्य देखकर आनंदित हो गए।

शेखर _यह तो बड़ी अच्छी जगह है, क्यू सुनिता।

सुनिता _हा जी, पर लोग तो यहां देखो कैसे बेशर्रमो की तरह नहा रहे हैं, स्त्री और पुरषों के बीच कोई परदा ही नहीं। देखो कैसे पकड़ा पकड़ी खेल रहे हैं।

स्वीटी _मां, ये इंज्वॉय कर रहे हैं और हम भी यहां इंज्वॉय करेंगे। क्यू भइया?

राजेश _हा, नहाने में बड़ा मज़ा आएगा।

शेखर _अरे भाई, पहले थोडा घूम लो जगह का अवलोकन कर लो उसके बाद नहाने का मज़ा लेना।

देखो कुछ लोग पहाड़ पर चढ़ रहे हैं चलो हम भी ऊपर जाकर देखते है वहा से नज़ारा कैसे दिखता है।

अब वे पूल पार करके कुंड के उस पार चले गए जहां सीढ़ी बनी थी। वे सीढ़ी से पहाड़ के ऊपर जाने लगे जब वे ऊपर पहुंचे तो निचे का नज़ारा देखकर मंत्रमुग्ध हो गए।
पहाड़ के चारो तरफ अन्य पहाड़ नजर आ रहे थे। पानी ऊपर से बहते हुए पहाड़ के नीचे गिर रही थी। ऊपर भी काफी लोग मौजूद थे। ऊपर बहते पानी में कुछ युवक एवम युवतियां नहाने का मज़ा ले रहे थे। कुछ लोग खडा होकर उन्हें नहाते देख रहे थे।

कुछ लोग वहा बैठकर अपने साथ लाए टिफिन का मज़ा ले रहे थे।

शेखर _यहां का नज़ारा तो अदभुत है भई।

सुनिता _देखो वहा एक छोटा मंदिर भी है चलो पहले दर्शन कर लेते है। वे मंदिर जाकर दर्शन करआए।

स्वीटी _भैया चलो अब हम भी नहाने का मज़ा लेते है।

सुनिता _मै तो कहता हूं की तुम लोग ऊपर ही नहा लो। यहां भीड़ कम है। नीचे तो बहुन्त भीड़ है।

ऊपर पानी भी चट्टानों से उछल कूद करते हुए बह रहा था। पानी उथला था। सीडी नुमा पहाड़ से पानी उछल कूद कर बह कर पहाड़ के निचे गिर रहा था।

राजेश _ठीक है मां हम ऊपर ही नहाएंगे पर आपको भी नहाना पड़ेगा।

स्वीटी _हा मां, भइया ठीक कह रहा है। ऊपर भी तो देखो कुछ महिलाएं नहा रही है।

शेखर _बच्चे चाह रहे हैं तो जाओ भाई, उसे निराश न करो।

सुनिता _पर जी, मुझे शर्म आयेगी।

सुनिता _मां, यहां तो सभी मजे ले रहे हैं। इसमें शर्माने की क्या बात है।
स्वीटी _पापा आप भी नहाओ न हमारे साथ।

शेखर _बेटा मेरी क़मर में अभी भी थोड़ा, दर्द है। नही तो मैं भी तुम लोगो के साथ नहाने का मज़ा लेता।

शेखर _राजेश बेटा जाओ तुम कार से कपड़े और अन्य सामान लेकर आ जाओ।

राजेश _ठीक है पापा।

राजेश कार से सामान ले आया।

शेखर _नहाने के लिए ड्रेस चेंज कर लो, वहा झाड़ी के पास चलते हैं वहा कोई नही तुम लोग वहा पर ड्रेस चेंज कर लेना।

वहा पर जाकर, स्वीटी पायजामा और टी शर्ट पहन ली, राजेश ने लोवर और टी शर्ट, सुनिता गाउन पहन ली।

वहा पर नहाने वाली अधिकतर महिलाएं गाउन या साड़ी में ही नहा रही थी।

वे तीनों ड्रेस चेंज करने के बाद पहाड़ के ऊपर जो जल की धारा बहकर आ रही थी, जिसमे कई लडके लड़किया एवम महिलाएं नहा रही थी, वे भी बहते पानी में उतर गए। पानी एकदम स्वच्छ था। न ठंडी थी न गरम। स्वीटी तो घुटने भर पानी वाली जगह पर जाकर डुबकी लगाने लगी।
और राजेश, सुनिता को आने के लिए आवाज देने लगी।
मम्मी यहां पर आओ। यहां पर नहाने के लिए अच्छी जगह है। यहां पर नदी की कम है।

राजेश और सुनिता भी स्वीटी के पास पहुंच गए और दोनो पानी में बैठ गए। बैठने पर पानी छाती तक आ रही थी।

कुछ लोग बहती धारा के काफी आगे वहा से पानी में बहते बहते। निचे की ओर आने का मज़ा ले रहे थे।

स्वीटी _भइया चलो न हम भी ऊपर जाकर पानी में बहते बहते नीचे आयेंगे बड़ा मज़ा आएगा।

राजेश _चलो मां तुम भी।

सुनिता _नही बेटा मैं यही ठीक हूं।

और सुनिता वही पानी में लेटकर, नहाने का मज़ा लेने लगी।
सुनिता _तुम लोग सम्हल कर जाना बड़े बड़े पत्थर है। कही चोट न लग जाए। ठीक है मां।

र स्वीटी राजेश का हांथ पकड़ लिया और दोनो बहते पानी के आगे जाकर वे पानी में पीठ के बल लेट गए अपने सिर को ऊपर कर आकाश की ओर देखते हुए, पानी के साथ बहते बहते नीचे आने लगे, फिर पानी के साथ दोनो लुढ़कते, बहते हुवे सुनिता जहां पानी में लेटी थी। वहा पहुंच गए।

स्वीटी _मां, बड़ा मजा आया, चलो न तुम भी।

सुनिता _न बाबा, मुझे तो यही पर मजा आ रहा है।

शेखर तो वहीं पर बैठ कर जहा पर समान रखे थे, लोगो को जलक्रीड़ा करते हुवे देख रहा था।

स्वीटी ने देखा कुछ लडके लड़किया थोड़ा गहरे पानी में पकड़ा पकड़ी खेल रहे थे,वे जा चुके हैं तो वह बोली।

स्वीटी _चलो, हम भी वहा जाकर पकड़ा पकड़ी खेलेंगे वे लडके लड़किया जा चुके हैं।

राजेश _चलो मां वहा पर ज्यादा मज़ा आएगा।

सुनिता भी जाने तैयार हो गई।

वे सभी उस जगह पहुंच गए, वहा पर पेट तक आ रहा था। वे तीनों वहा जाकर पानी में तैरने लगें।

स्वीटी _भइया तुम भागो मां और मैं तुम्हे पकड़ेंगे।
राजेश _अच्छा चलो मुझे पकड़ के बताओ। आ जाओ।

जब स्वीटी राजेश की ओर आती थी तो राजेश पानी में डूब कर अदंर ही अदंर तैर कर दूर निकल जाता था।
सुनिता हसने लगी, बेटी राजेश को पकड़ना तुम्हारे बस की बात नही।

स्वीटी _अच्छा तो आप पकड़ के दिखाओ।

राजेश _आप दोनो कोशिश करो।

वे दोनो कोशिश करने लगे पर राजेशको पकड़ न सके।
सुनिता _मै तो थक गई।

वे दोनो हार मान लिए।

तभी सुनिता आस पास देखने लगी।
स्वीटी _मम्मी इधर उधर क्या देख रही हो।
सुनिता _बेटी, मुझे सुसु लगी है।

स्वीटी _मां, यही पानी में करलो किसी को पता नही चलेगा। मैंने तो पानी में ही कर ली।

सुनिता _क्या? तू कितनी गंदी हो गई है। छी, तुमने पूरा पानी ही गंदा कर दी।

स्वीटी _मुझे तो पानी मे ही मूतने में ही मज़ा आया।
सुनिता _छी, बेशरम कही की। मै तो कहती हूं तुम भी कर लो।

सुनिता _मै तुम्हारी तरह बेशरम नही, और कितने लोग यहां पानी में नहा रहे हैं।

स्वीटी _फिर तो आपको किसी झाड़ी के पीछे ही जाना पड़ेगा।

सुनिता _पर यहां तो आज पास लोग मौजूद है।

राजेश _क्या बात है मां?

स्वीटी _भइया मां को पेशाब लगी है। हंसते हुए बोली।
सुनिता _चुप,बेशरम कही की। सुनिता राजेश के सामने लज्जित महसूस करने लगी।

राजेश _मां यहां पर तो लोगो की चहल पहल है।

स्वीटी _मम्मी, चलो हम, आगे ऊपर की ओर चलते हैं, लोग उधर लोग नही है। वहीं जगह देखकर पेशाब कर लेना किसी झाड़ी के पीछे।

राजेश _मां, स्वीटी ठीक कह रही है।

फिर वे तीनों एक दुसरे के हांथ पकड़कर, पत्थरों पर सम्हलकर चलते हुए पानी जिधर से बहकर आ रहा था, उधर जाने लगे। कुछ दूर जाने पर,,

स्वीटी _मां यहां कोई नही है। जाओ पानी किनारे वह झाड़ी दिख रही है उसके पीछे जा कर कर लो।

सुनिता _यहां तो घने जंगल है बेटा, कोई जानवर आ गया तो मैं अकेले नहीं जा पाऊंगी।

स्वीटी _मां भईया है न, वो पास में खड़े रहेंगे। तुम कर लेना।

यहां पर पानी कितनी अच्छी है मै यही पर थोड़ा मज़ा ले लूं, आप लोग जाओ।
सुनिता _चलो बेटा।

राजेश और सुनिता बहते पानी से निकलकर छोटे छोटे पत्थरपर ,एक दूसरे के हांथ पकड़कर सम्हल कर चलते हुवे, झाड़ी की ओर जाने लगा। झाड़ी के पास जाकर वे पेशाब करने के लिए उचित स्थान देखने लगा।

तभी सुनिता के कानो में किसी की सिसकने एवम बोलने की आवाज सुनाई दी।

सुनिता _लगता है बेटा यहां पर आस पास कोई है।
राजेश _मां यहां पर कौन होगा ?

सुनिता _अभी मुझे किसी की आवाज सुनाई दी।

राजेश _मां ये तुम्हारा वहम होगा।

तभी फिर से सिसकने और बोलने की आवाज सुनाई दी। यह आवाज राजेश ने भी सुनी।

राजेश _मां शायदआप ठीक कह रही है।
मै देखता हूं कौन है।

राजेश जंगल में कुछ कदम आगे बड़ा। आगे का नज़ारा देखकर दंग रह गया। एक 35_40वर्ष की महिला पेड़ को पकड़ कर झुकी थी और एक युवक पीछे से दनादन चोद रहा था। महिला के मुख से कामुक सिसकारी निकल रही थी।

राजेश यह नज़ारा देखकर दंग रह गया।

युवक उस औरत के क़मर को पकड़कर जोर जोर से धक्का लगा रहा था। महिला chudai के आनंद में सिसक रही थी ऊ, आ,, उई,,, आह,,, ऊं,,,आई,,, ईई

इधर सुनिता ने देखा की राजेश वहा खड़ा होकर कुछ देख रहा है। यह जानने की वह क्या देख रहा है। वह भी वहा पहुंच गई।

जब सुनिता ने वह नज़ारा देखा तो वह भी दंग रह गई। की किस तरह इस सुनसान जगह पर एक अपने से काफी बड़ी उम्र की महिला को एक लड़का पीछे से चोद रहा है। और औरत मजे में सिसक रही है।

वह भी आश्चर्य से देखने लगी। राजेश को तो पता ही नहीं था की उसकी मां पीछे खड़ी होकर यह नजारा देख रही है।

तभी उस महिला ने कहा,, राजू जल्दी करो, घर वाले हमे ढूंढ रहे होंगे।

वह लड़का _चाची क्या मस्त मॉल है तू,बड़े दिनों बाद तुमको चोदने का मौका मिला है। मैने तो यहां घूमने आने का प्लान इसी लिए बनाया था की मौका देखकर तुम्हे चोद सकू।
ऐसा बोलकर वह लड़का और जोर जोर से चोदने लगी, ले मेरी रानी ले,, ले मेरे land का मज़ा ले,,
औरत _हाय, मै भी तेरा land लेने के लिए तरस रही थी। जब से तुमने मुझे चोदा था, तुम्हारे चाचा जी के साथ तो मजा ही नही आता।


इन दोनो की chudai को देखकर राजेश का land तनकर खड़ा हो गया।
सुनिता भी गर्म हो गई।

कुछ देर बाद लगा की उसके पिछे कोई खड़ा है। उसने देखा की उसकी मां पिछे खड़ी है और नज़ारा देख रही है।
सुनिता _चलो बेटा यहां से।

राजेश और सुनिता वहा से दूसरीजगह जाने लगे,,
राजेश काफी गर्म हो गया था।

राजेश _मां, यहां तो चाची और भतीजा मजे ले रहे हैं।

सुनिता का दिल जोड़ो से धड़क रहा था।

सुनिता _छी कितने बेशरम लोग है। यहां घरवालों से छुपकर, रिश्ते को कलंकित कर रहे है।




सुनिता _तू तो आंखे फाड़े देख रहा था,,,
तू भी बेशरम हो गया है।
राजेश _मां तुम तो हमेशा मुझे ही दोष देती हो।

_मां आप भी तो पता नही कब से देख रही थी
वैसे मां मज़ा आ रहा था देखने में,,

चुप बेशरम कही का,,,

राजेश _मां आपको तो पेशाब करनी थी न यही पर कर लो।

सुनिता _ठीक है तुम थोड़ा दूर जाओ।
राजेश वहा से थोड़ा दूर चला गया।
सुनिता अब अपना गाउन ऊठा कर अपनी पेंटी नीचे सरका दी और मूतने बैठ गई। उसे जोरो की मूत लगी थी। जैसे ही थोड़ा दबाव लगाई मूत की तेज धार उसके chut से निकलकर पेड़ की निचे पड़ी पत्ते पर पड़ी .
जिससे चर्र,,,,,,,, की आवाज आने लगी यह आवाज जब राजेश के कानो पर पड़ी तो, उसका land और तन गया, उसके शरीर में खून दोगुने गति से दौड़ने लगा।
राजेश से रहा न गया वह अपना land लोवर से बाहर निकालकर सहलाने लगा।
और मूतने की कोशिश करने लगा।land खड़ा होने के कारण वह रूक रूक कर पेशाब बाहर आ रहा था।
इधर सुनिता पेसाब कर ली थी और जैसी ही राजेश के पास पहुंची। वह देखकर दंग रह गई।

राजेश अपना खड़ा land पकड़कर हिला हिला कर मूतने की कोशिश कर रहा था।

सुनिता _बेशराम अपने मां के सामने ही मूत रहा है।

राजेश _ क्या करू मां जोरो की मूत लगी थी।मां मूत तो लगी है पर बाहर नहीं आ रहा।

सुनिता _अब ये ऐसा खड़ा रहेगा तो मूत कैसी निकलेगी।

।,
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sunoanuj

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Waiting for next hahakari blockbuster update….
 
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Umakant007

चरित्रं विचित्रं..
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अगली सुबह सुजाता सो कर उठने के बाद फ्रेश हुई और राजेश के कमरे में चली गई। राजेश अभी तक सोया ही था।
सुजाता ने दरवाजा खटखटाई, राजेश ने दरवाजा खोला।
सुजाता _ये क्या राजेश तुम अभी तक तैयार नहीं हुवे हो? मैने कल तुमसे कहा था ना कि हम सुबह घूमने चलेंगे।
राजेश _ओह सॉरी मैम, कल लेट से सोया ना इसलिए उठने में लेट हो गई। मै फटाफट अभी रेडी होकर आता हूं।
सुजाता _ओके, जल्दी करना, सुबह का मौसम और ज्यादा सुहावना लगता हैं।
सुजाता नीचे हाल में आकर राजेश का वेट करने लगी।
राजेश कुछ ही समय में तैयार होकर नीचे पहुंचा।
राजेश _चलिए मैम मै रेडी हू।
सुजाता _रुको कॉफी पीकर चलते हैं।
राजेश _हा ये ठीक रहेगा।
सुजाता ने नौकरों सी काफी बनाने पहले ही कह दिया था। दोनों कॉफी पीने के बाद दोनों कार से निकल पड़े। मनोरम दृश्यों का आनंद उठाने और झरने में नहाने। वह ड्राइव और बॉडीगार्ड को साथ नही ले गई।
सोनपुर से निकलकर कुछ दूर चलने के बाद।
प्रकृति की सुंदरता देखते ही बन रहा था। चारो तरफ पहाड़, नदी घने पेड़, तरह तरह के पेड़ पौधे। मन को आनंदित कर रहे थे।
सुजाता _रुको राजेश, देखो कितना सुंदर नजारा है। मन करता है यही बस जाऊं।
चारो तरफ फूलो की खुशबू, मन को आनंदित कर रहा था पक्षियों की आवाजवातावरण में संगीत भर रहा था।
तभी एक बैलगाड़ी सुजाता को जाती हुई दिखाई दी, जिसमे घास फूस ले जाया जा रहा था।
सुजाता _राजेश, मुझे बैलगाड़ी पे बैठना है। गाड़ी रुको।
राजेश _कही बैल गाड़ी से गिर गई तो।
सुजाता _हूं, तुम मुझे इतना कमजोर समझते हो। मै भाई अपने कालेज के दिनों में बेस्ट स्टूडेंट्स थी, समझे।
राजेश _ओह, तब तो आप बैल गाड़ी को सवारी कर सकती हो।
राजेश _ओ बैल गाड़ी वाले भैया, जरा रुकना तो।
बैलगाड़ी वाला _बोलो बाबू, क्या काम है?
राजेश _हमारी मेमसाब आपकी बैल गाड़ी में बैठना चाहती है।
बैलगाड़ी वाला_बिठा दे बाबू जी, मैम साहब को गाड़ी पर, पर थोड़ा सम्हल के बैठने कहना।
राजेश _लो मैम कर लीजिए अपनी बैलगाड़ी में बैठने की इच्छा पूरी।
सुजाता बैलगाड़ी में चढ़ने की कोशिश करने लगी पर वह नाकाम रही।
सुजाता _अब देख क्या रहे हो?, चढ़ने में मेरी मदद करो।

राजेश _ओह,क्यूअगली सुबह सुजाता सो कर उठने के बाद फ्रेश हुई और राजेश के कमरे में चली गई। राजेश अभी तक सोया ही था। सुजाता ने दरवाजा खटखटाई, राजेश ने दरवाजा खोला। सुजाता _ये क्या राजेश तुम अभी तक तैयार नहीं हुवे हो? मैने कल तुमसे कहा था ना कि हम सुबह घूमने चलेंगे। राजेश _ओह सॉरी मैम, कल लेट से सोया ना इसलिए उठने में लेट हो गई। मै फटाफट अभी रेडी होकर आता हूं। सुजाता _ओके, जल्दी करना, सुबह का मौसम और ज्यादा सुहावना लगता हैं। सुजाता नीचे हाल में आकर राजेश का वेट करने लगी। राजेश कुछ ही समय में तैयार होकर नीचे पहुंचा। राजेश _चलिए मैम मै रेडी हू। सुजाता _रुको कॉफी पीकर चलते हैं। राजेश _हा ये ठीक रहेगा। सुजाता ने नौकरों सी काफी बनाने पहले ही कह दिया था। दोनों कॉफी पीने के बाद दोनों कार से निकल पड़े। मनोरम दृश्यों का आनंद उठाने और झरने में नहाने। वह ड्राइव और बॉडीगार्ड को साथ नही ले गई। सोनपुर से निकलकर कुछ दूर चलने के बाद। प्रकृति की सुंदरता देखते ही बन रहा था। चारो तरफ पहाड़, नदी घने पेड़, तरह तरह के पेड़ पौधे। मन को आनंदित कर रहे थे। सुजाता _रुको राजेश, देखो कितना सुंदर नजारा है। मन करता है यही बस जाऊं। चारो तरफ फूलो की खुशबू, मन को आनंदित कर रहा था पक्षियों की आवाजवातावरण में संगीत भर रहा था। तभी एक बैलगाड़ी सुजाता को जाती हुई दिखाई दी, जिसमे घास फूस ले जाया जा रहा था। सुजाता _राजेश, मुझे बैलगाड़ी पे बैठना है। गाड़ी रुको। राजेश _कही बैल गाड़ी से गिर गई तो। सुजाता _हूं, तुम मुझे इतना कमजोर समझते हो। मै भाई अपने कालेज के दिनों में बेस्ट स्टूडेंट्स थी, समझे। राजेश _ओह, तब तो आप बैल गाड़ी को सवारी कर सकती हो। राजेश _ओ बैल गाड़ी वाले भैया, जरा रुकना तो। बैलगाड़ी वाला _बोलो बाबू, क्या काम है? राजेश _हमारी मेमसाब आपकी बैल गाड़ी में बैठना चाहती है। बैलगाड़ी वाला_बिठा दे बाबू जी, मैम साहब को गाड़ी पर, पर थोड़ा सम्हल के बैठने कहना। राजेश _लो मैम कर लीजिए अपनी बैलगाड़ी में बैठने की इच्छा पूरी। सुजाता बैलगाड़ी में चढ़ने की कोशिश करने लगी पर वह नाकाम रही। सुजाता _अब देख क्या रहे हो?, चढ़ने में मेरी मदद करो।
राजेश ओह क्यू नही?
राजेश ने सुजाता को अपनी बाहों में उठा लिया।
सुजाता राजेश की आंखो में देखते हुवे बोली, सम्हाल के बिठाना गिरा न देना।
राजेश ने सुजाता को बैल गाड़ी में बिठा दिया।
बैल गाड़ी वाले ने बैल को हांकना सुरू किया।
बैल गाड़ी में बैठने से सुजाता एक अलग ही रोमांच का अनुभव करने लगी।
वह बैल गाड़ी में बैठ कर प्राकृतिक नजारों का आनद उठाने लगी ।
राजेश बैलगाड़ी के पीछे पीछे धीरे धीरे कार चलाते हुए चलने लगा।
इधर सुजाता का मन नाचने और गाने का कर रहा था।
और वह गाना शुरू कर दी।

कांटो से खीच के ये आंचल
तोड़ के बंधन बांधे पायल
कोई न रोको दिल की उड़ान को
दिल ओ चला, हा हा हा हा

आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है
आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है

अपने ही बस में नहीं मै
दिल है कहीं तो हूं कहीं मैं
हो अपने ही बस में नहीं मै
दिल है कहीं तो कही मैं
हो जाने का पया के मेरी जिंदगी ने
हस कर कहा,,,,,,,,,

आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है

गाड़ी वाला गाड़ी आगे बढ़ाता रहा, वहा के मनोरम दृश्य को देखने सुजाता गाड़ी से उतर गई।
और मनोरम दृश्य को देखने दौड़ने लगी।
राजेश भी कार रोककर उसके पीछे पीछे दौड़ने लगा।

सुजाता फिट नाचने गाने लगी,

कल के अंधेरा से निकल के
देखा है आंखे मलते मलते
हो कल के अंधेरा से निकल के
देखा है आंखे मलते मलते
हो फूल ही फूल जिंदगी बहार है
तय कर लिया,,,,,,

आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है।
इस प्रकार नाचते गाते वे लोग झरने के पास पहुंच गए।
वहा पर पहले से कुछ लोग मौजूद थे झरने पे नहाने का मजा ले रहे थे।
सुजाता और राजेश दोनों खूबसूरत झरने को देखकर रोमांचित हो गए।
सुजाता _चलो राजेश झरने में नहाने का मजा लेते हैं।
सुजाता आगे आगे और राजेश पीछे पीछे चलते हुए झरने के के पास पहुंच गए।
सुजाता झरने के नीचे जाने लगी
राजेश _मैम संभल कर, कही पैर फिसल न जाए।

सुजाता झरने के नीचे खड़ी हो गई और नहाने लगी।

राजेश सुजाता को झरने के नीचे नहाते हुए देखने लगा।
कुछ लोग और भी नहा रहे थे।
सुजाता _राजेश, वहा क्यू खड़ा है आओ न।
राजेश भी झरने के नीचे चला गया।
दोनों झरने के पानी में नहाने लगे।
नहाते समय पानी में सुजाता की साड़ी उसकी बदन से चिपक गई।
जिससे वह और भी खूबसूरत और हॉट लगने लगीं।
वहा पर मौजुद लोग, सुजाता की खूबसूरती को ही निहारने लगे।

तभी वहां पर सुजाता की कंपनी से निकाला गया मज़दूर यूनियन का एक सदस्य भी मौजुद था।
उसने जब राजेश और सुजाता को नहाते देखा।
वह सदस्य अपने साथी से कहा,,
यार ये तो कंपनी की मालकिन सुजाता और वही लड़का है जिसके कारण हम लोगो को कंपनी से निकाल दिया गया।
ये लोग मजे करने आए हैं, हमे कंपनी से बेइज्जत कर।
मुझे अभी राकेश भाई को बताना चाहिए।
वह व्यक्ति राके श सिंह को काल किया।
राकेश सिंह _क्या है बे, क्यू काल किया।
सदस्य _भैया, सुजाता मैडम और वह लौंडा यहां झरने में नहाने आए है।
खूब इंजॉय कर रहे हैं दोनों,
राकेश _अबे क्या कह रहा है? कोई और होंगे।
इतनी अमीर महिला इस तरह खुले में नहाएगी?
सदस्य _नही भैया ये वही है, मै फ़ोटो खीच कर भेजता हूं।
राकेश _ठीक है भेजो।
उस व्यक्ति ने सुजाता की फ़ोटो खीच कर राकेश सिंह को भेज दिया।
राकेश सिंह ने जब फ़ोटो देखा, तो सुजाता और राजेश को पहचान लिया।
राकेश सिंह ने उस व्यक्ति को फ़ोन किया।
राकेश सिंह _अबे सुन इन लोगो ने कंपनी से हमे अपमानित कर निकलवा दिया, आज हम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे हैं।
इनसे बदला लेने का अच्छा मौका मिला है।
तुम इन दोनों पर नजर रख।
मैं अपने साथियों को लेकर वहा पहुंचता हूं।
सदस्य _ठीक है भैया।
इधर राजेश और सुजाता इन बातों से बेखबर नहाने का मजा लेने लगे।
सुजाता ने देखा की झरने का पानी नीचे बहकर जहां जा रहा था वहा एक बड़ा सा कुंड बना था जिसमे कई लोग जल क्रीड़ा कर रहे थे।
सुजाता _राजेश, चलो न हम भी कुंड पर चलते हैं वहा नहाने का मजा लेंगे।
दोनों कुंड में जाकर नहाने लगे।

सुजाता _राजेश तुम भागो मै तुम्हें पकड़ती हूं।
राजेश _मैम रहने दो आप मुझे नही पकड़ पाएंगी।
सुजाता _अच्छा देखते हैं।
सुजाता राजेश की ओर पकड़ने के लिए दौड़ी। राजेश पानी के अंदर से तैरते हुए दूसरे जगह पहुंच गया।
सुजाता निराश हो गई। वह राजेश को पकड़ने की कोशिश करते करते थक गई।
वह निराश हो गई।
अंत में अंतिम बार प्रयास की, इस बार राजेश भागा नही।
सुजाता ने राजेश को जोर से अपनी बाहों मे भर कर करा, लो पकड़ लिया। बच्चू आख़िर तुम पकड़े गए।
सुजाता राजेश को जोर से पकड़कर चिपक गई थी।
राजेश _मैम क्या कर रही हो सब देख रहे हैं अब छोड़ो।
सुजाता _न, तुमने मुझे मुझे बहुत थकाया, इतनी आसानी से छोडूंगी नही।
राजेश _सब देख रहे हैं छोड़ो।
सुजाता ने लोगो की ओर देखा सभी की नजर दोनों पर ही थी। वह शर्मिंदा महसूस करने लगी।
राजेश _मैम अब चलो, काफी देर हो चुकी है।
दोनों कुंड से बाहर निकले। और बाल संवारने लगे।
राजेश _मैम, अब चलो यहाँ से सभी लोग आप ही को घूर रहे हैं।
सुजाता _पर यहां पर तो बहुत लोग नहा रहे हैं फिर मुझे ही क्यू घूर रहे हैं।
राजेश _क्यू की तुम बहुत खूबसूरत और हॉट लग रही हो।
सुजाता _चल हट बदमाश कही का, मुझपे बुरी नजर डालता है।
राजेश _ठीक है मै अपनी आंखे बंद कर लेता हूं।
सुजाता _हां ये ठीक रहेगा, तुम अपनी आंखे बंद कर मेरी उंगली पकड़ कर चलो।
राजेश _अच्छा जी लो आंखे बंद कर लिया, पर तुम तो आंखे बंद करने के बाद भी नजर आ रही हो।
सुजाता _हूं, तो मुझसे बदमाशी कर रहे हो।
राजेश _हूं थोड़ा थोड़ा।
दोनों हसने लगे।
राजेश _मैम ,दोनों थोड़ी देर धूप में खड़े हो जाते हैं।
कपड़ा कुछ सुख जायेगा फिर ऐसे ही घर चले जायेंगे, घर जाकर चेंज कर लेंगे।
सुजाता _हां ठीक है।
इधर राकेश सिंह अपने साथी से राजेश और सुजाता की पल पल की जानकारी ले रहा था।
राकेश सिंह ने अपने साथियों के साथ प्लान बनाया।
राकेश सिंह _देखो वहा झरने के पास लोगो की भीड़ है, हम कुछ नहीं कर पाएंगे।
वे लोग इसी रास्ते से वापस आयेंगे। रास्ता सुनसान है आस पास घने जंगल है। हमे यही पर उन्हें रोकना होगाऔर दोनों को रास्ते से घने जंगल में ले जायेंगे।
फिर अपने अपमान की बदला लेंगे।

उधर कुछ देर रुकने के बाद राजेश और सुजाता कार से अपने घर के लिए निकल पड़े।
इसकी जानकारी राकेश सिंह के साथी ने राकेश को फ़ोन पर बताया।
राकेश सिंह _उन लोग आने ही वाले हैं तुम सब झाड़ियों में छुप जाओ।
राकेश सिंह ने अपने एक साथी को सड़क पर लिटा दिया।
एक बाइक को भी गिरा दिया।
जैसे उसका एक्सीडेंट हो गया हो।
सभी लोग छिप गए।
राजेश और सुजाता इस बात से अंजान वे बात चीत करते हुए कार से वहा पर पहुंचे।
सामने रोड पर किसी व्यक्ति को पड़ा हुआ देखकर राजेश ने कार रोक दिया।
सुजाता _राजेश, कार क्यू रोक दिया?
राजेश _मैम सामने देखो।
लगता है किसी का एक्सीडेंट हो गया है।
मैं देखता हूं।
सुजाता _राजेश और सुजाता दोनों कार से उतरे।
राजेश उस आदमी के पास गया और उसे हिला कर देखा।
वह आदमी अपने हांथ में मिर्ची पाउडर रखा था उसने राजेश की आंखो में मिर्ची पाउडर फेक दिया।
राजेश की आंखो में तेज जलन होने लगीं। वह अपनी आंखे नही खोल पा रहा था।
तभी राकेश सिंह और उसके साथी सामने आए और हसने लगे।
राकेश सिंह _मैडम पहचाना।
सुजाता _राकेश सिंह तुम।
राकेश सिंह _हां मैडम जी मै।
पकड़ लो इन दोनों को और ले चलो जंगल के अंदर।
सुजाता को दो लॉग पकड़ लिए।
सुजाता _छोड़ो मुझे।
इधर बांकी लोग राजेश को पकड़ने लगे लेकिन राजेश को काबू में नहीं कर पा रहे थे।
तभी एक ने बड़े डंडे से राजेश के सिर पर वार किया जिससे राजेश का सिर फट गया वह चक्कर खा कर बेहोश सा हो गया।
साला बहुत छटपटा रहा था।
सुजाता चीखी, राजेश।
राजेश के सिर से खून बह रहा था वह बेशुध सा हो गया।
सुजाता _भगवान के लिए छोड़ दो हमे, तुम लोग बहुत गलत कर रहे हो।
राकेश सिंह _राकेश सिंह जब तक अपने अपमान का बदला नही ले लेता। शांत नहि बैठता। हा हा हा
तुमने हमें अपमानित कर अपने कंपनी से बाहर किया।
इस अपमान का बदला तेरे यार के सामने तेरी इज्जत लूट कर लेंगे।
ले चलो दोनों को जंगल में।
राकेश सिंह के साथी राजेश और सुजाता को घसीटते हुए जंगल के अंदर ले जानें लगे। सुजाता मदद के लिए चिल्लाती रही पर वहा सुनने वाला कोई नहीं था।
राकेश सिंह _ये जगह ठीक है, बांध दो इसके यार को पेड़ से।
सुजाता _नही राजेश को छोड़ दो।
राजेश को रस्सी की सहायता से दो उसके दोनों हाथो को दो पेड़ो से बांध दिया।
राकेश _हाय सच में तू कयामत लग रही है। क्या मस्त मॉल है तू। तुम्हारी लेने में बड़ा मजा आयेगा।
सुजाता _छोड़ दो हमे जाने दो, पुलिस वाले तुम लोगो को छोड़ेंगे नहीं।
किसी को पता चलेगा तब न तुम्हारी चीख किसी को सुनाई नही देगी। इसी लिए तो हम तुम दोनों को यहां पर लाए है जानेमन।
अबे होश में लाओ रe इनके यार को, सुना है हड़ताल तुड़वाने के पीछे इसी लौंडे का दिमाक था।
अब साला अपनी आंखो से अपनी महबूबा की इज्जत लुटते देखेगा। तब हमारे अपमान का बदला पूरा होगा।
राकेश सिंह के साथी राजेश के ऊपर पानी डालने लगे। उसे कुछ कुछ होश आने लगा।
राकेश सिंह _Rajeshके बाल पकड़कर कहा,अबे होश में आ , देख तेरी दिलरुबा का हम क्या हाल करने वाले है। देख अपनी आंखो से, और डालो re पानी इसके ऊपर
राजेश के चेहरे पर और पानी डाला गया। राजेश कुछ होश में आया उसने खुद को पेड़ से बंधा पाया, सामने राकेश सिंह खड़ा था, दो लोग सुजाता को पकड़े हुवे थे, बांकि लोग राजेश के आस पास खड़े थे।
राजेश _राकेश सिंह तू।
कुत्ते छोड़ दे मैडम को क्यू अपनी मौत को दावत दे रहा है।
राकेश सिंह _साले बल चला गया है पर तेरा अकड़ नही गया है। वैसे बॉडी तो काफी अच्छी बना रखी है। पर लगता हैं सिर्फ दिखाने के लिए है।
तेरे आंखो के सामने तेरी महबूबा का इज़्जत लूट कर हम अपने अपमानो का बदला लेंगे। अगर तेरे में दम है तो बचा ले अपनी महबूबा को।
राजेश _कुत्ते, अगर तुमने मैडम को हाथ भी लगाया न तो मां कसम तुम सबका हाथ पाव तोड़ कर रख दूंगा।
सभी लोग राजेश की बात सुनकर हसने लगे,,
हमारा हाथ पांव तोड़ेगा ये,, हा हा हा,,
अभी तू बच्चा है, बात तो बड़ी बड़ी कर रहा है,,
अब तू देख तेरे सामने तेरी मैम की इज्जत कैसे लुटते है?
राकेश सिंह, सुजाता की ओर आगे बड़ा,,
राजेश _कुत्ते, रुक जा, ऐसी गुस्ताखी भी न कर,, क्यू अपनी मौत को बुला रहा है?
राकेश सिंह ने आगे बड़ा और सुजाता की साड़ी के पल्लू को पकड़ लिया।
राजेश _कुत्ते मै कहता हूं रुक जाओ।
इधर राकेश सिंह सुजाता की पल्लू को पकड़ कर खींचने लगा, सुजाता खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
राकेश _आजा मेरी रानी क्या मस्त मॉल है तू, तेरी लेने में तो बड़ा मजा आयेगा।
सभी हसने लगे।
सुजाता _साड़ी की पल्लू छुड़ाने की कोशिश करने लगी,नही छोड़ दो, हमे जाने दो।
तभी राकेश सिंह साड़ी की पल्लू को जोर लगा कर खींचने लगा।
राजेश बहुत गुस्से में आ गया, वह जोर से दहाड़ने लगा,आ,,,,,,
उसने अपनी पूरी ताकत से रस्सी को तोड़ने का प्रयास करने लगा।
राकेश सिंह और उसके साथी हसने लगे।
इधर सुजाता अब राकेश सिंह को रोक पाने में असमर्थ हो गई वह जोर से चीखी, राजेश बचाओ मुझे।
राजेश ने एक बार फिर अपना पूरा जोर लगा दिया , इस बार जिस पेड़ से बंधा था ज्यादा मोटे नही थे, पेड़ ही उखड़ गया।
राजेश को दहाड़ पूरे जंगल में गूंजने लगा।
राकेश और उसके साथी भयभित हो गए।
राकेश _मारो साले को।
एक ने डंडे से राजेश के पीठ पर प्रहार किया, राजेश टस से मस न huwa वह ।
उसने फिर दूसरी बार प्रहार किया राजेश ने उसका प्रहार रोक दिया फिर एक जोर का मुक्का उसके चेहरे पर मारा।
उस व्यक्ति का पूरा दांत बाहर आ गया, उसका मुंह लहुलुहाहन हो गया।
राकेश सिंह के साथियों ने राजेश पर एक साथ धावा बोल दिया। राजेश पर लाठी डंडों से प्रहार किया।
राजेश की पकड़ में जो भी आता उसे बुरी तरह मार कर अधमरा कर देता।
इस तरह एक एक करके राकेश सिंह के सभी साथी जमीन पर लुढ़कते गए, और फिर उठ न सके।
अंत में राकेश सिंह ने चाकू से राजेश पर प्रहार कर दिया,
राजेश की भुजा पर चाकू लगी,

सुजाता चीखी _राजेश,,,
तभी राकेश सिंह ने दूसरा प्रहार किया पर राजेश ने उसका प्रहार रोक एक जोर का लात उसके पेट में मारा, राकेश सिंह हवा में उड़कर दूर जा गिरा।
राजेश ने उसे गर्दन से पकड़कर उठाया और एक जोर का मुक्का उसके मुंह पे मारा मुंह से खून की धार निकल गया।
राजेश बहुत गुस्से में था, वह राकेश सिंह के जांघो पर जोर से प्रहार किया इस प्रहार से उसका जांघ टूट गया, इसके बाद भी राजेश
राजेश _कुत्ते तूने इसी हाथ से मैम को छुआ ने देख इसकी क्या हालत करता हु।
राजेश ने राकेश सिंह के हाथ पर अपने पैर से जोर का प्रहार किया जिससे राकेश सिंह का हाथ टूट चुका था।
राजेश का गुस्सा शांत ही नहीं हो रहा था वह एक पत्थर उठाकर राकेश सिंह को खत्म करने को उठाया।
तभी सुजाता दौड़ते हुवे उसके पास आई और राजेश से लिपट गई।
सुजाता _नही राजेश उसे छोड़ दो, मत मारो।
राजेश _नही मैम इसने तुम्हें हाथ लगाने की जरूरत कैसे की मैं नही छोडूंगा।
सुजाता _नही राजेश, तुम्हें मेरी कसम इसे छोड़ दो, मै नही चाहती की तुम किसी मुसीबत में फसो।
सुजाता की कसम देने से राजेश रुक गया।
राकेश सिंह और उसके सभी साथी उठ पाने की स्थिति में नहीं थे इधर राजेश भी लड़ते लड़ते घायल हो चुका था।
उसके पैर लड़खड़ाने लगे।
सुजाता ने उसको सहारा देकर किसी तरह धीरे धीरे उस जंगल से बाहर निकाला और थाना प्रभारी को सारी घटना के बारे में बता दिया।
थाना प्रभारी तुरंत वहां अपने साथियों के साथ पहुंच गया।
राकेश और उसके साथी बुरी तरह घायल थे उसे अस्पताल ले जाया गया। और राजेश को भी अस्पताल ले जानें के लिए बोला।
राजेश _नही, मुझे घर ले चलिए।
सुजाता _पर राजेश, तुम्हारी हालत बहुत खराब है।
राजेश _मैम मैं नही चाहता की जो भी घटना घटित हुआ उसके बारे में लोगो को पता चले, यह हमारे कंपनी के लिए ठीक नहीं, निवेशकों में गलत संदेश जा सकता है।
सुजाता _ओह, राजेश मुझे ये कंपनी वगैरा कुछ नहीं चाहिए।
मुझे तुम्हारी सलामती चाहिए।
राजेश,_मैम मै ठीक हूं, मुझे घर ले चलिए।
थाना प्रभारी सर इस घटाना के बारे में आप किसी से कुछ न कहना।
थाना प्रभारी _ठीक है राजेश अगर आप लोग यही चाहते हो तो ऐसा ही होगा लेकिन इन सालो को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाऊंगा।
सुजाता गाड़ी चलाकर राजेश को बंगला में ले गया।
बांग्ला में ले जानें के बाद वहा नौकरों की मदद से उसे अपने कमरे में ले जाकर लिटा दिया
और डॉक्टर को बुलाया।
कुछ देर बाद नर्स के साथ डॉक्टर पहुंच गया।
वह राजेश की स्थिति का मुआइना करने लगा।
राजेश के सारे कपड़े उतारने कहा जो जगह जगह फट चुके थे खून धूल और मिट्टी लगे हुए थे।
राजेश के शरीर से पूरे कपड़े उतार कर निर्वस्त्र कर दिया।
सुजाता की आंखो से आंसु निकलने लगे थे।
राजेश की शरीर की पहले अच्छे से सफाई किया गया। राजेश के शरीर के ऊपर एक पतला चादर डाल दिया।
जगह जगह उसके शरीर पर चोट के निशान थे।
डाक्टर ने राजेश के शरीर पर लगे चोटों पर लगाने के लिए मलहम, दर्द निवारक गोली, कुछ एन टीबायोटिक दिया।
उसे इंजेक्शन लगाकर सुजाता से राजेश को आराम करने देने को कहा। डाक्टर ने कहा समय समय पर मलहम लगा ने और दवा खिलाने से कुछ ही दिन में राजेश ठीक हो जायेगा। घबराने की बात नही है।
अभी नर्स को यही छोड़ रहा हूं।
यह राजेश कादेखभाल करेगी।

सुजाता _ठीक है डाक्टर।
राजेश आराम करने लगा।
इधर सुजाता फिर से नहाकर नए कपडे पहन ली।
नर्स रूम में ही कुर्सी पर बैठ कर अपनी मोबाइल पर समय व्यतीत कर रही थी।

नर्स _इनके दवाई का समय हो गया है। इसे उठाओ।
सुजाता ने राजेश के बालो को प्यार से सहलाते हुए राजेश को उठाने लगी।
राजेश अपने आंखे खोला।
सुजाता _राजेश अब कैसा महसूस कर रहे हो।

राजेश_ पहले से बेटर।
नर्स _पहले इसे कुछ खिलाओ। उसके बाद इन्हें मलहम लगा कर दवाई खिलाएंगे।

सुजाता ने काल कर नौकरों को रोटी दाल सब्जी लाने को कहा।
नौकर भोजन लेकर आया।
सुजाता ने राजेश को बेड पर बिठाया और अपने हाथो से खाना खिलाने के लिए आगे बड़ी,,
राजेश _मैम आप ने भोजन की।
सुजाता _राजेश, तुम पहले खा लो फिर मैं खा लूंगी।
राजेश _नही आप भी साथ में खाओगी, तब खाऊंगा।
सुजाता _ओ हो राजेश, मै खा लूंगी न बाबा तुम पहले खा लो।
राजेश _न, पहले तुम खाओ फिर मुझे।
सुजाता ने राजेश को खिलाती फिर वह भी खाती इस प्रकार जब दोनों ने भोजन कर लिया।
नर्स बोली _इसके पूरे शरीर में मलहम लगाना होगा।
राजेश को पेट के बल लिटा दिया राजेश पूरा निर्वस्त्र था। नर्स मलहम लेकर राजेश के पूरे शरीर में मलने लगी।
उसके पीठ कूल्हे फिर पैर।
राजेश को सीधा होकर लेटने कहा।
नर्स ने राजेश के सीने फिर, उसके पेट फिर उसने राजेश के लैंड पर भी मलहम लगाने लगीं।
नर्स राजेश के लंबे land देखकर मुस्कुरा रही थी।
इधर सुजाता को नर्स पर बहुत गुस्सा आ रहा था, उसका मन कर रहा था कि वह नर्स की गालों पर दो चार तमाचा लगा दे ।
पर चोट तो पूरे शरीर पर लगीं थीं तो नर्स ने काफी देर तक राजेश के land उसके अंडकोष पर ऊपर चादर डालकर मालिश किया।
राजेश को भी अच्छा फील हो रहा था।
वह अपना आंख बंद कर लेटा रहा।
इधर सुजाता गुस्से से आग बगुला हो रही थी।
सुजाता _अब नीचे भी मालिश करो।
नर्स _हा, ठीक है।
पैरो की मालिश करने के बाद राजेश को दवा पिलाया गया।
राजेश के शरीर पर चादर ओढ़ा दिया, राजेश को आराम करने कहा गया।
सुजाता ने नर्स से बोली _देखो अब तुम हॉस्पिटल जाओ, मै राजेश की देखभाल कर लूंगी ।
मैं डाक्टर से बात कर ली हूं।

नर्स _ठीक है मैम जैसी आपकी ईच्छा।
नर्स चली गई।
सुजाता को निशा का फ़ोन आया।
सुजाता _बोलो बेटा, तुम और तुम्हारे पापा ठीक तो हो न।
निशा _हा मॉम, मै ठीक हूं। आप और राजेश कैसे है?
सुजाता _हम लॉग भी ठीक है बेटा।
निशा _मॉम, आप लोग आज आने वाले थे।
सुजाता _बेटा, यहां अभी कुछ काम बाकी है, 2_3दिन बाद ही हम आ पाएंगे।
तब तक अपना और अपने डैड का ख्याल रखना बेटी।
निशा _ओके मॉम पर जल्दी आने की कौशिश करना।
सुजाता _मै जितनी जल्दी हो सके आ जाऊंगी बेटा तुम चिंता न करना।
निशा _ओके मॉम, लव यू मॉम बाई
सुजाता _लव यू टू बेटा।
शाम को 6बजे राजेश उठा।
सुजाता _राजेश अब कैसा फील कर रहे हो।
पहले से बेटर।
दर्द से कुछ राहत मिला।
सुजाता _गुड।
राजेश ये सब मेरे कारण ही huwa, मैने ही बाहर घूमने जाने के लिए तुमसे जिद किया।
राजेश मुझे माफ कर दो।
राजेश _मैम इसमें आपकी क्या गलती है? आख़िर आप भी एक औरत हो। हर औरत की एक चाह होती है घूमने फिरने की।
गलती तो उस राकेश सिंह और उसके साथियों की है जो मौके के तलाश में थे।
सुजाता _राजेश तुमने मेरी जान बचाने अपने जान की परवाह नही की ।

राजेश _मैम, निशा ने मुझे आपकी हिफाजत करने के लिए कहा था। अगर आपको कुछ हो जाता तो मैं निशा को क्या जवाब देता।

राजेश को सुजाता ने कुछ फल फूल खाने को दिया।
फिर राजेश को आराम करने कहा।
रात को 8बजे राजेश भोजन करनेफिर को उठाया।

राजेश को सुजाता ने अपने हाथो से खाना खिलाया और खुद भी खाई।
भोजन कर लेने के बाद दोनों एक दूसरे से बाते करते रहे।
करीब दस बजे।
सुजाता _राजेश अब सोने का समय हो चुका है, मै तुम्हारे शरीर में मलहम लगा देती हूं।

सुजाता ने बाथरूम में जाकर अपना साड़ी उतार कर नाइटी पहन ली थीं। नाइटी में सुजाता बहुत खूबसूरत और हॉट लग रही थी।
जब सुजाता नाइटी पहन कर कमरे में आई तो राजेश को उसने घूरते हुवे पाया।
सुजाता _शरमाते हुवे क्या देख रहे हो?
राजेश _आपकी खुबसूरती।
सुजाता _मै तुम्हें इतनी खूबसूरत लगती हूं।
राजेश_हूं।सिर्फ मुझे ही क्यू तुम हो ही खूबसूरत?
सुजाता _चल हट झूठा कही का।

इधर बंगला में सभी नौकर भी सो गए थे।
बंगला में बिल्कुल शांति फैली थी।
सुजाता _चलो अब पेट के बल लेट जाओ पीठ पर मलहम लगा दू।
राजेश पेट के बल लेट गया।
सुजाता उसके शरीर के ऊपर से चादर हटा दिया
जब उसने राजेश के पीठ पर डंडे के निशान देखी तो उसकी आंखे भर आई।
वह राजेश से लिपट गई ओह राजेश तुमने मेरे लिए कितना दर्द सहा है।
वह उनके जिस्मों को चूमने लगा।

और हाथो में मलहम लेकर उसके पीठ पर मालिश करती हुई नीचे बड़ने लगी।
सुजाता ने
राजेश की कमर फिर उसके कूल्हे पर मालिश करने लगी। वह शर्म भी महसूस कर रही थी और उत्तेजना भी।
सुजाता _राजेश अब सीधा लिटा दिया।
राजेश सीधा होकर लेट गया।
राजेश जैसे ही पीठ के बल लेटा उसका land सुजाता के नजरो के सामने आ गया।
उसका दिल जोरो से धड़कने लगा।
राजेश सुजाता की खूबसूरती को निहार रहा था।
सुजाता किसी तरह अपने दिल की धड़कन को सम्हालते हुए, राजेश के ऊपर झुकी और उसके सीने परडंडेके प्रहार से खून जम जानें से बने निशान को चूमने लगी।
सुजाता _ओह राजेश I love you, तुम कितने बहादुर हो।
सुजाता राजेश के पूरे बदन को चूमता huwa नीचे बड़ा।
जैसे जैसे वह नीचे बड़ रही थीं सुजाता को दिल की धड़कन भी बड़ रही थीं।
राजेश को भी बहुत अच्छा लग रहा था।
सुजाता जब कमर से नीचे पहुंची। वह राजेश के land को देखने लगीं। फिर वह राजेश की चहरे की तरफ देखी। राजेश आंखे बंद कर आने वाला पल का इंतजार में था।
सुजाता ने राजेश के land को हाथ में लेकर पहले चूमा उसे सहलाया फिर उसके सुपाड़े को मुंह में लेकर चूसने लगीं। कितनी सालो के बाद वह किसी का land मुंह में लेकर चूस रही थी।
इधर सुजाता के मुंह में राजेश अपने land का अहसास पाकर राजेश का शरीर भी गर्म हो ने लगा।
इधर सुजाता ने land मुंह में लेकर अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
राजेश का land धीरे धीरे मोटा और लंबा होकर एक दम लोहे की तरह सख्त हो गया।
राजेश के मोटे एवम तगड़े land देखकर सुजाता भी काफी उत्तेजित हो गई थी।
उसकी बुर पानी फेकने लगी थी।
जब से विशाल की तबियत खराब huwa था, उसके पास सुजाता को शारीरिक सुख दे पाने का ताकत नहीं बचा था।
आज राजेश के मोटे और तगड़े land को देखकर, उसकी अंदर की औरत जाग चुकी थीं। वह से राजेश से वह प्यार करने लगीं थीं।

उसे राजेश के इतने मोटे और लम्बे land से प्यार के साथ भय भी लग रहा था।
कही वह राजेश के land को न ले पाई तो ,,
नही मुझे राजेश को हर हाल में संतुष्ट करना है,
वह राजेश की ओंठ की आंखो में देखा । राजेश भी सुजाता की ही देख रहा था।
सुजाता उपर आया और राजेश के ओंठ को मुंह में भरकर चूसने लगा।
राजेश भी उसकी ओंठ चूस कर सहयोग करने लगा।
फिर सुजाता बेड से उठी और खड़ी होकर अपनी नाइटी निकाल दी फिर अपनी ब्रा और पैंटी भी निकाल कर नंगी हो गई।
सुजाता की बड़ी बड़ी सुडौल चुचियों, एक दम गोरा बदन और मस्त फुली हुई चिकनी chut ऐसा लग रहा था कि स्वर्गकीकोई अप्सरा लग रही थी जिसे देखकर राजेशका land हवा में ठुमके लगाने लगा।
सुजाता एक फिर राजेश का land पकड़कर चूसने लगी।
फिर वह बेड में उपर चढ़ गई।
और राजेश की land को हाथ में पकड़ कर अपनी बुर की छेद पर रख कर उसे अंदर लेने की कोशिश करने लगी।
बड़ी कोशिशों के बाद land का टोपा बुर को चीरकर अंदर घुसने में कामयाब huwa। सुजाता ने थोड़ी राहत की सांस ली।
फिर उसने land पर अपनी बुर का दबाव बनाते हुए धीरे धीरे बैठने लगी land बुर में आधे से ज्यादा घुस चुका था।
अब सुजाता ने राजेश की ओंठ चूसते हुए अपना एक चूची राजेश के मुंह में डाल दिया।
राजेश सुजाता की चुचक को मुंह में भरकर चूसने लगा।
सुजाता की मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी।
उसकी बुर से पानी निकलकर राजेश के land पर बहने लगा।
अब सुजाता बहुत ज्यादा उत्तेजी हो गई वह राजेश के land उठक बैठक करने लगीं।
Land धीरे धीरे बुर में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो गया।
सुजाता को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी बुर ने राजेश के land को पूरी तरह निगल गई है।
वह land पर अब उछल उछल कर चुदने लगी।
उसे राजेश से चुदने में बहुत मजा आने लगा। उसके मुख से कामुक सिसकारी निकल कर कमरे में गूंजने लगी।
आह, उन, उई मां आह अन,,
कमरे में फ्च उईफ़च gach gach की आवाज गूंजने लगा।
सुजाता उछल उछल कर पूरा land अपनी बुर में लेने लगीं वह बहुत गर्म हो चुकी थी।
चुद वाने में ऐसा मजा उसे कभी नहीं आया था।
Land बुर को चीरता हुआ गपागप अंदर बाहर हो रहा था।
सुजाता उछल उछल कर जमकर चुद रही थी।
पर वह अपने को ज्यादा देर तक न रोक सकी और आह मां, आह करके झड़ गई, और राजेश के उपर ढेर हो गई।
राजेश का land अभी भी सुजाता की बुर के अंदर खड़ा था।
कुछ देर बाद जब सुजाता होश में आई वह फिर से राजेश के ओंठ चूसने लगीं राजेश भी उसकी ओंठ चूस कर सहयोग करने लगा।
फिर सुजाता राजेश के मुंह में अपने चुचक डालकर चुसवाने लगीं।
सुजाता धीरे धीरे फिर गर्म हो गई।
सुजाता की बुर फिर पानी फेकने लगी।
सुजाता ने राजेश के land पर फिर उछल उछल कर chudna शुरू कर दिया।
फिर से कमरा सुजाता की कामुक सिसकारी से गूंजने लगी।
आह ओह अन अन,, आई,, उन मां,,
राजेश का land सुजाता की बुर के हर हिस्से को अच्छी तरह रगड़ रहा था।
जिससे सुजाता को ऐसा अधभूत आनंद मिल रहा था जिसकी कल्पना उसने कभी नहीं की थी।
दोनों की शरीर की ऊर्जा उसके बुर और land पर ही समाहित हो चुके थे।
राजेश को भी सुजाता को चोदने से ऐसा अनुभव हो रहा था जैसे वह किसी कुंवारी chut को चोद रहा हो। बिल्कुल कसा कसा अंदर बाहर हो रहा था।
सुजाता दो बार झड़ चुकी थी, वह राजेश को हर हाल में संतुष्ट करना चाहती थीं ।
वह फिर से मैदान में डट जाती और उछल उछल कर चुदने लगती। वह राजेश की मर्दानगी की दीवानी हो गई।
कुछ देर अब राजेश भी अपने को और ज्यादा देर तक नहीं रोक सका और आह मां, आह करके कराहते हुवे सुजाता के बुर में ही झड़ने लगा।
गर्म गर्म वीर्य से सुजाता का बुर पूरी तरह भर गया। सुजाता भी एक बार फिर से झड़ गई।
वह बुरी तरह थक गई थी।
वह राजेश के उपर ही ढेर हो गई।
फिर राजेश के बाहों में ही सो गई।
rajesh bhagat भाई जी, आपने तो एक ही अपडेट में पुरी कि पुरी फिल्म हि दिखा दी। क्या बात है 😲 😲... जबर्दस्त।

गाने, रोमांस, एक्शन, सेक्स, प्यार, इर्ष्या... धमाल धमाकेदार अपडेट

शुभकामनाएं
जय जय
 

Mr. X.

Loan Wolf
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1,370
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