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Incest यह क्या हुआ

Kumarshiva

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सोनपुर में तीन दिन और ठहरने के बाद आख़िर राजेश ओर सुनीता घर के लिए शहर को निकल गए। इन तीन दिनों को उन दोनो ने जी भर कर जिया क्यों की सुजाता जानती थी कि शहर में जानें के बाद वे शायद ही खुल कर मिल पाए।
उन्हे शहर में स्वतंत्रता नही मिलने वाली थी। इसलिए सुजाता ने सोनपुर में हर पल को जी भर के जिया।
इधर राजेश अब ठीक से चलने फिरने लगा था। पर उसकी सिर का चोंट अभी भी पूर्ण रूप से ठीक नहीं huwa था।
जब वे घर पहुंचे तो शाम के 5बज रहे थे। निशा कालेज से घर पहुंच चुकी थी। वह राजेश और अपनी मां कीआने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी।
उसका दिल धड़कने लगा था, राजेश से मिलने के लिए।
जब राजेश और सुजाता घर पहुंचे। निशा तेजी से भागते हुए दरवाजे की चौंखट से झांकते हुए, राजेश को कार से उतरते हुए देखने लगी।
जैसे जैसे वे घर की ओर आने लगें उसकी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी।
जब सुजाता, और राजेश दरवाजे के पास पहुंची निसा ने दौड़कर अपनी मां को सीने से लगा ली।
सुजाता _अरे बेटा क्या हुआ घबराई हुई लग रही है।
निशा _मॉम आप मुझे छोड़कर इतने दिन क्यू रही?
सुजाता _ओह बेटा, मजबूर थी, काम के सिलसिले में रुकना पड़ा।
निशा _मॉम , राजेश के सिर पर ये चोंट कैसी?
राजेश _ओ निशा क्या है न कि हम लोग बाहर टहलने के लिए निकले थे कि मेरा पैर फिसल गया और मेरे सिर पर चोंट लग गया।
निशा _मुझे आप लोगो ने बताया क्यू नही?
राजेश _तुम परेशान न हो जाओ इसलिए,,
राजेश और सुजाता दोनों सोफे पर बैठ कर आराम करने लगें।
सुजाता_बेटा तुम्हारे डैड कैसे हैं।
निशा _मॉम, डैड ठीक है। अभी वह आराम कर रहे हैं।
सुजाता _बेटा राजेश के लिए चाय नाश्ता का प्रबंध करने कहो,,,
निशा _जी मां
राजेश _नही मैम, नाश्ता नही करूंगा। सिर्फ कॉफी ओ भी निशा की हाथो से बनी काफी, मै भी तो जानू निशा को काफी बनाने आती है की नही।
निशा _न बाबा, मै नही बनाऊंगी, मुझे नही आता काफी बनाने, कही बिगड़ गया तो आप लोग मेरा मजाक उड़ावोगे।
सुजाता हंसते हुवे बोली,
निशा ठीक कह रही है राजेश, इसने तो अब तक कीचन के अंदर गई ही नही होगी।
राजेश _क्या? मेरा तो इच्छा था कि निशा जी की हाथो से बना काफी ,पीने का ,पर कोई बात नही ।
नौकरों की हाथ से बनी काफी से काम चला लेंगे।
निशा निराश हो गई, वह राजेश की अपेक्षाओं पे खरी नहीं उतरी।
सुजाता _राजेश, मै काफ़ी बनाकर ले आती हूं।
निशा _नही मॉम, काफी मै ही बना कर लाऊंगी।
सुजाता _क्या? वह हंसने लगीं।
निशा _हां।
निशा मुंह बनाते हुए किचन में चली गईं।
वहा नौकरानी लोगो से पूछने लगी कि काफी कैसे बनाते हैं।
एक नौकरानी ने कहा _बिटिया रहने दे ना मैं बना देती हूं ,घर में इतने नौकरों के होते ,आप काफ़ी बनाए ये हमे अच्छा नही लगेगा।
निशा _ नही, बिमला आंटी काफी तो मैं ही बनाऊंगी।
बताओ क्या करनी है?
नौकरानी के बताए अनुसार निशा ने काफ़ी बनाकर ले आई।
राजेश _वाउ, ये हुई न बात। मुझे पता था तुम कर सकती हो।
निशा _आप तो मेरा मजाक बना रहे थे।
राजेश _वो तो चैलेंज देने के लिए था।
निशा _ अब पीकर बताओ कॉफी कैसी बनी है।
राजेश ने कॉफी पीकर देखा,
निशा _कैसी है, कुछ बोलते क्यू नही?
राजेश _बहुत गंदी,,
निशा का चेहरा उतर गया।
सुजाता और राजेश हसने लगे ।
निशा _मैने तो पहले ही कहा था, मुझसे नही बन पाएगी।
राजेश _ओह तुम तो निराश हो गई, सच में कॉफी बहुत टेस्टी बनी है।
सुजाता _हां बेटा, बहुत अच्छी कॉफी बनाई हो।
निशा _मॉम आप भी इसका साथ दे रहे हो। मेरा मजाक बनाने में।
सुजाता _नही, बेटा मै भला अपनी निशु की मजाक कैसे बना सकती हूं सच में कॉफी बहुत टेस्टी बनी है।
राजेश _हूं।
निशा खुश हो गई।
कॉफी पीने के बाद राजेश बोला
राजेश _मैम अब मै चलता हूं, मॉम राह देख रही होगी।
सुजाता _ठीक है राजेश, ड्राइवर तुम्हें घर छोड़ देगा। हा और आज से ये घर तुम्हारा भी है यहां आते जाते रहना ।तुम्हे यहां आने जानें के लिए किसी की परमिशन लेने की आवश्यकता नहीं है।
राजेश _अच्छा मैम मै चलता हूं।
निशा जी अब मैं चलू।
निशा ने हा में सिर हिलाया।
राजेश जानें लगा, वह कार के पास पहुंचने ही वाला था कि निशा ने राजेश को आवाज दी।
निशा _राजेश!
निशा की आवाज सुनकर राजेश रुक गया।
राजेश निशा के पास आया।
राजेश _, निशा जी कुछ कहना था मुझसे।
निशा_ओ,,,
राजेश _बोलो निशा जी क्या कहना है?
निशा _ओ,,,
राजेश _आप घबरा क्यू रही हो।
निशा _थैंक्स राजेश, हमे मुसीबत सेनिकालने के लिए।
वह राजेश के गले लग गई।
राजेश _तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो तुम्हारे लिए इतना नही कर सकता।
तुम्हें मुझे धन्य वाद देकर शर्मिंदा न करो।
निशा _ओह राजेश तुम कितने अच्छे हो।
राजेश _आप भी तो बहुत अच्छी हो,,,
निशा _राजेश मुझे तुमसे कुछ कहना है?
राजेश _,, बोलो निशा जी क्या कहना है?
निशा _ओ,ओ,,
तुम कॉफी पीने फिर कब आओगे,,
राजेश हसने लगा, जब आप बुलाए
अब मैं चलूं ,
निशा _हा में सिर हिलाया।
राजेश अपना घर चला गया।
निशा राजेश को अपनी दिल की बात कहने की बहुत कोशिश की पर वह बोल ना पाई।
वह निराश होकर अपने कमरे में चली गई और सीमा को फ़ोन कर बताने लगी।
इधर राजेश अपना घर पहुंचा, दरवाजे का बेल बजाया।
सुनीता_लगता है राजेश आ गया,,
वह तेजी से दरवाजे की ओर गई, दरवाजा खोली।
इधर स्वीटी को भी पता था कि राजेश आने वाला है।
वह भी दरवाजे के पास आ गई।
दरवाजा खुलते ही।
सुनिता ने सामने राजेश को देखा,,
राजेश ने सुनिता का पैर छू कर चरणस्पर्श किया।
सुनिता ने राजेश को उठाकर गले लगा लिया।
आ गया मेरा बेटा।
राजेश _हा मां।
सुनिता ने राजेश के सिर पर पट्टी लगा देखा तो
सुनिता _बेटा , तुम्हारे सिर पर चोंट कैसी?
राजेश _कुछ नही huwa है मां, ओ थोड़ा सा खरोच लगा है।
राजेश सोफे पर बैठ गया। सुनिता भी उसके पास बैठ गई।
स्वीटी वही खड़ी थी।
सुनिता _बेटा, बताता क्यू नही तुम्हारे सिर पर चोंट कैसी लगी?
स्वीटी _मां, मुझे तो लगता हैं किसी औरत के चक्कर में ये पिट के आया है।
सुनिता _स्वीटी, ये क्या अनाप शनाप बोल रही है अपने भाई के बारे में।
स्वीटी _फिर बताता क्यू नही, चोंट कैसे लगी?
इनको अपनी मां बाप और बहन की चिंता तो है नही। चला है दूसरे की भलाई करने।
सुनिता _बेटा बताता क्यू नही किसी के साथ मार पीट huwa है क्या?
राजेश _मां, हड़ताल खत्म कराने से मज़दूर यूनियन के कुछ लोग नाराज होकर मूझपर हमला कर दिया।
सुनिता _इतनी बडी बात मुझे बताया क्यू नही?
राजेश _तुम घबरा ना जाओ, इसलिए।
सुजाता _बेटा, मुझे पहले से ही डर था, वहा कुछ दंगा फसाद न हो। अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो, हम लोगो का क्या होता?
स्वीटी _हम लोगो की चिंता होती तो ये वहा जाता ही क्यू?
राजेश _मां मै बिल्कुल ठीक हू, क्या तुम चाहती हो की तुम्हारा बेटा मुस्किलो से भाग कर भगोड़ा कहलाए। अपने दोस्तो की मदद न करने।
सुनिता _नही बेटा, मै ये नही चाहती कोइ तुम्हें स्वार्थी कहे। तभी तो तुम्हें जाने की इजाजत दी।
पर मां हूं ना चिंता तो होगी ही।
राजेश _, ओह मेरी प्यारी मां, तुम्हें तो खुश होना चाहिए की तुम्हरा बेटा, कामयाब होकर आया है।
सुनिता _मुझे तुम पर गर्व है बेटा।
अब तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश स्वीटी से बोला,
राजेश _कैसी है मेरी गुड़िया,,,
स्वीटी _आपको मेरी फिक्र करने की आवश्यकता नहीं।
मैं एक दम मजे से हूं।
वह अपना मुंह बनाते, अपने कमरे में चली गई।
और राजेश अपने कमरे में।
रात में सोने के समय, सुजाता ने राजेश को काल किया।
सुजाता _, सो गए क्या?
राजेश _नही मैम , बस सोने की तैयारी में था।
सुजाता _क्या तुम्हें मेरी याद नही आ रही?
तुम मर्द लोग भी कितने आसानी से भूल जाते हो।
राजेश _नही, मैम कैसे भुल सकता हूं आपके साथ बिताए पलो को, मै तो अब भी महसूस कर रहा हूं।
तुम्हारी बदन की खुशबू का अहसास मेरी नाक में अब तक हो रही है।
सुजाता _चुप झूठा कही का।
मैं तुम्हें बहुत मिस कर रही हूं।
राजेश _मै भी।
सुजाता_अच्छा सुनो कल मै तेरी मां से मिलूंगी।
राजेश _क्यू?
सुजाता _डिनर में इनवाइट करने।
जब उसका बेटा ने हमारी कंपनी को मुसीबत से बचाया है तो मां बाप से तो मिलना ही पड़ेगा। नही तो लोग मुझे मतलबी कहेंगे।

राजेश _कितना समय आ रही हो?
सुजाता _सोच रही हूं कल ऑफिस जाते समय आपके मम्मी से मिलती चलूं।
वैसे तुम्हारी मम्मी ने तुम्हारे सिर के चोंट के बारे में पूछी होगी। तुमने क्या बताया?
राजेश _स्वीटी बोल रही थी की किसी औरत के चक्कर में पिटकर आया है।
सुजाता हसने लगी।
राजेश _हस क्यू रही हो?
सुजाता _ठीक ही तो बोली।
राजेश _उन्हे क्या पता बदले में प्यार भी तो खूब मिला?
सुजाता _और नही चाहिए क्या मेरा प्यार? लगता हैं जी भर गया।
राजेश _हाय, इतनी जल्दी जी कैसा भर सकता है? तुम बुलाओ तो सही, तुम्हारा दीवाना हाजिर हो जायेगा। प्यार करने।
सुजाता _अच्छा, देखते हैं। देखो मैंने तुम्हें अपना सबकुछ दे दिया है, मुझे धोखा मत देना प्लीज। मै तुम्हें दूसरी औरत के साथ बर्दास्त नही कर पाऊंगी।
राजेश _ओह, तो मुझे अपनी कैद में रखना चाहती हो।
सुजाता _तुम जो भी समझो। पर तुम सिर्फ मेरे हो।
राजेश _इतना प्यार करती हो मुझसे।
सुजाता _हां, निशा के बाद तुमसे। पर मुझे तुम पर शक हो रहा है, कही तुम मुझे धोखा न दे दो।
क्यू कि तुमने खुलकर अपनी दिल की बात नही बताई है।
राजेश _मै तो उस हर शख्स से प्यार करता हूं जो मुझे प्यार करता है। उन सबमें तुम्हारा स्थान श्रेष्ठ है।
सुजाता _मतलब मै तुम्हारे दिल में विशेष स्थान रखती हूं।
राजेश _बिल्कुल।
सुजाता _ओह, थैंक्स राजेश मै यही सुनना चाहती थी।
आई लव यू राजेश।
राजेश _i Love you जानू
सुजाता _ओके बाय, रात को मेरे सपनो में आना।
राजेश _ओके bye sweetheart
अगले दिन जब राजेश कालेज के लिए निकला।
स्वीटी वही रोड पर खड़ी थी, अपनी सहेली की इंतजार करते।
राजेश _चलो बैठो।
स्वीटी _न, आप जाओ। मै अपनी सहेली के साथ जाऊंगी।
राजेश _तुम अब तक नाराज हो मुझसे।
स्वीटी ने कुछ नहीं कहा,,
राजेश ने फिर switi को बैठने कहा,,,
स्वीटी बाइक में बैठ गई और चुप ही रही।
राजेश _देखो स्वीटीतुम अभी छोटी हो, तुम जो चाहती हो वो ठीक नहीं तुम्हें इन सब चीजों में ध्यान नहीं देना चाहिए।
स्वीटी _मै अब बच्ची नही रही। मेरी क्लास की कई लड़कियां सेक्स कर चुके हैं।
राजेश _सीमा और निशा को देखो, वो कितनी अच्छी है, उनकी तरह क्यू नही सोचती?
स्वीटी _जब मां के साथ कर सकते हो तो मेरे साथ क्यू नही?
राजेश _मां की बात और है। उसे मेरी जरूरत है। पापा काम के बोझ के कारण मां का साथ नही दे बाते।
आखिर वह अपनी भावनाओं को दबाकर कब तक घुट घुट कर जीती रहेगी। इसलिए मुझे मां को बेटे के प्यार के साथ साथ पति का प्यार भी देना पड़ता है।

दोनो कालेज पहुंच गए।
इधर सुनिता किचन में काम कर रही थी। तभी दरवाजे की बेल बजी।
सुनिता _इस समय कौन हो सकता है?
सुनिता ने दरवाजा खोली।
सामने सुजाता खड़ी थी।
सुजाता _नमस्ते दी, सुजाता ने हाथ जोड़ कर कहा।
मैं सुजाता हूं।
सुनिता _आपको कौन नही पहचानेगा, आप सुजाता और विशाल ग्रुप्स की मालकिन है।
सुनीता _आइए न।
सुजाता घर के अंदर आई ओर सोफे पर बैठ गई।
सुनिता _अप बैठिए, मै पानी लेकर आती हूं।
कॉफी लेंगी आप।
सुजाता _जी रहने दीजिए न दीदी, क्यू तकलीफ उठा राही है आप।
सुनिता _इसमें तकलीफ कैसी, पहली बार तो घर सा राही है आप मेरी। ये तो मेरा फर्ज है।
सुनिता कॉफी बनाने लगी।
सुजाता घर का मुआइना करने लगी। कॉफी बनाते समय वह सोचने लगी। पता नहीं अचानक से क्यों आई है। मूझे तो इन बड़े लोगों से डर लगता है।

सुनीता कॉफी लेकर आई।
सुनीता _लीजिए कॉफी लीजिए।
सुजाता _धन्यवाद दी।
सुनिता _सुजाता जी आप कुछ काम से आई थी क्या? राजेश तो कालेज चला गया है।
सुजाता _नही दी मै आपसे ही मिलने आई हूं।
आपको तो पता ही है हमारी कंपनी कितनी मुसीबत में फस गई थी।
राजेश ने अगर मदद न की होती तो हमारी कंपनी डूब चुकी होती। आप बडी किस्मत वाली है दीदी जो इतना होनहार बेटे की मां हो, राजेश की प्रतिभा असाधारण है। उसने बिना किसी स्वार्थ के हमारी मदद की।
सुनिता _ ये आप क्या कह रही है?
निशा राजेश की दोस्त है, दोस्त का परिवार मुसीबत में हो तो उसकी मदद करना उसका फर्ज है।
सुजाता _दी, आपने राजेश को इतने अच्छे संस्कार दिए हैं, उसी का परिणाम है जो कुछ ही समय में सबका दिल जीत लेता है।
राजेश ने हमारी मदद की हमारा भी कुछ फर्ज बनता है इसलिए मैं आज आप लोगो को डिनर में आमन्त्रित करने आई हूं।
सुनिता _सुजाता जी इसकी क्या आवश्यकता है?
सुजाता _नही दीदी, आप लोग आएंगे तो हमें खुशी होगी प्लीज इनकार मत कीजिए।
सुनिता _ठीक है । हम आ जाएंगे।
सुजाता _धन्यवाद दी मै आप लोगों का इन्तजार करूंगी।
अब मुझे इजाजत दीजिए।
सुजाता ने हाथ जोड़ कर जाने की इजाजत मांगी।
सुनिता ने भी हाथ जोड़ कर, हा में सिर हिलाई।

राजेश जब भगत और अन्य दोस्तो से मिला,,
भगत _भाई आपके सिर पर चोंट कैसी?
राजेश _कुछ नही यार, कुछ गुंडे थे जिन्हे सबक सिखाना जरूरी था, उसकी को सबक सिखाते यह चोट लग गई।
भगत _भाई, अगर कुछ कसर बांकी रह गई हो तो हमें बताओ शालो को घर में घुस कर मारेंगे।
राजेश _अरे नही, वो और मार खाने लायक नहीं बचे हैं।
और कैसा चल रहा है कालेज।
भगत _कालेज में तो सब ठीक ही चल रहा है पर भाई तेरे बिना, मजा ही नही आता।
हम तो आप ही का इंतजार कर रहे थे कि आप कब आएंगे।
तभी क्लास की घंटी बजी और सभी क्लास में चले गए।
इधर सीमा और निशा क्लास में,
निशा _सीमा मैने बहुत कोशिश की राजेश को अपने दिल की बात बताने की, पर बता न सकी।
सीमा _हूं, कोशिश जारी रखो। जब भी मौका मिले बता देना।
निशा _मॉम ने आज राजेश और उनकी फैमिली को डिनर के लिए इनवाइट किया है।
सीमा _ओह, ये तो बडी अच्छी बात है, तुम मौका देख कर राजेश से अपनी दिल की बात कह देना।
निशा _पता नही इतने लोगो के बीच मौका मिल पाएगा की नही।
सीमा तुम भी शामिल होना डिनर में।
सीमा _ठीक है।

कालेज में छुट्टी होने के बाद राजेश घर पहुंचा। सुनिता किचन में काम कर रही थी।
राजेश किचन में जाकर अपनी सुनिता को पीछेसे बाहों मे भर लिया।
सुनिता _आ गया मेरा बेटा कालेज से।
राजेश _हा, मां।
सुनिता _पता है, तुम्हारे कालेज जानें के बाद सुजाता आई थी।
राजेश _क्या? पर वो क्यू आई थी?
सुनिता _वह हमे डिनर में आमन्त्रित की है।
राजेश _तो आपने क्या कहा?
सुनिता _वह बार बार निवेदन कर रही थी इसलिए मैं इनकार ना कार सकी।
हमे रात 7: 30बजे उसके घर के लिए निकलना होगा। मैने तुम्हारे पापा को कह दिया है घर जल्दी आने को, उसने हमें तैयार रहने को बोला है।
तुम और स्वीटी भी तैयार हो जाना समय पर।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश अपने कमरे में चला गया।

, शाम के 7बजने के बाद सुनिता स्वीटी के कमरे में आई।
सुनिता _बेटी तुम जल्दी तयार हो जाओ,
Switi _क्यू मां कहा चलना है?
सुजाता _लो,बेटा मै तो तुम्हें बताना ही भूल गई, बेटा हमे सुजाता जी ने रात्रि भोज के लिए आमन्त्रित किया है। तुम जल्दी तैयार हो जाओ।
स्वीटी _नही, मां, मै नही जाऊंगी।
सुनिता _क्यू क्या huwa?
स्वीटी _क्यू की वहा मेरा जानें का मन नही।
सुनिता _बेटा यू तुम क्या कह रही हो, वे लोग तुम्हारे बारे में पूछेंगे तो हम क्या जवाब देंगे। क्या तुम हमें शर्मिंदा कर्ण चाहती हो।
Switi _, मां अगर वे मेरे बारे में पूछेंगे तो बता देना उसकी तबियत कुछ ठीक नहीं।
सुनिता _अपनी मां से झूठ बुलवाना चाहती है, जल्दी से तैयार हो जाओ, बहुत हो गया तुम्हरा नाटक।
सुनिता वहा से निकल कर राजेश के कमरे में गई।
राजेश _मां,आप।
सुनिता _बेटा जरा मेरे कमरे में आना।
राजेश _क्यू मां कुछ काम था क्या?
सुनिता _हा बेटा।
राजेश सुनिता के पीछे पीछे उसके कमरे में चला गया।
सुनिता _ने अपनी कपड़े की आलमारी खोल के बोली। बेटा मै कौन सी साड़ी पहनु मुझे तो कुछ समझ ही नही आ रहा।
राजेश ने सुनिता को पीछे से बाहों मे भरते हुए कहा, मां आप पर तो कोई भी साड़ी हो खूब जचती है, इतनी सुंदर जो हो।
वो तो हर बेटे को अपनी मां सबसे सुंदर लगती हैं।
राजेश _नही मां, आप सच में बहुत सुंदर है।
सुनिता _अच्छा, अब तारीफ करना बंद कर और बता कौन सी साड़ी पहनू।
राजेश ने एक साड़ी अपनी पसंद की निकाली।
राजेश _मॉम ये साड़ी पहनो, देखना सुजाता मैम तुम्हारे सामने फीकी लगेगी।
सुनिता _सुजाता, भी किसी अप्सरा से कम नहीं है। वह निशा की मां नही बड़ी बहन लगती है।
राजेश _मां, तुम भी तो स्वीटी की मां नही उसकी बडी बहन लगती हो।
सुनिता _अपनी मां की झूठी तारीफ करना बंद करो और जाओ तुम भी तैयार हो जाओ तुम्हारे पापा आते होंगे फिर हम निकलेंगे।
राजेश _मां, मुझे पहन कर दिखाओ कि इस साड़ी में कैसी लगती हो?
सुनिता _अच्छा , ठीक है तुम जाओ अपने कमरे में, थोड़े देर बाद आकर देख लेना कैसी लग रही हूं?
राजेश _नही, मुझे यही रहूंगा।
सुनिता _क्या? मतलब तुम्हें बदमाशी सूझ रही है। चल भाग यहां से बदमाश कही का।
सुनिता ने राजेश को धकेलते हुवे दरवाजे से बाहर कर दी। और मुस्कुराते हुवे आईने के सामने खड़ी होकर साड़ी बदलने लगी।
राजेश निराश होकर अपने कमरे में जाकर, तैयार होने लगा। नया जींस और शर्ट पहन लिया।
राजेश तैयार होकर अपनी मां के कमरे के पास जाकर दरवाजा खटखटाया।
सुनिता ने दरवाजा खोली।
राजेश _राजेश, सुनिता को देखता ही रह गया।
सुनिता _अरे बेटा कहा खो गया।

राजेश _मां, सच में तुम स्वर्ग की कोई अप्सरा लग रही हो।
सुनिता आईने के पास गई और अपनी मंगल सूत्र पहनते हुवे बोली,, हूं तू फिर शुरू हो गया।
राजेश ने सुनिता को पीछे से बाहों मे भर कर आईने में देखते हुए बोला।
राजेश _मां, मै सच कह रहा। तुम सच में अप्सरा लग रही हो। और वह सुनिता की ओंठ चूम लिया।
सुनिता _बदमाश ये क्या कर रहा है? तेरी नियत बिगड़ रही है। छोड़ मुझे तेरे पापा किसी भी समय पहुंच सकते हैं।

राजेश ने सुनिता को पीछे से और कस कर जकड़ लिया। और उसकी गर्दन पर चुम्बन लेने लगा।
सुनिता _बेटा, ये क्या कर रहा है तू? लगता हैं तू फिर बावला हो गया है।
राजेश एक हाथ से सुनिता की पेट सहलाने लगा।
और एक हाथ से उसकी चूची मसलते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा।
सुनिता _, राजेश, छोड़ो भी, तुम्हारे पापा किसी भी समय आ जायेंगे। ये समय नहीं अभी ये सब करने वाली का।
पर राजेश ने अपना कार्य जारी रखा जिसका प्रभाव सुनिता पर ये पड़ा की वह सिसकने लगी।

सुनीता _बेटा छोड़ो न, तुम्हारे पापा आ जायेंगे छोड़ो न, क्या कर रहे हो?
राजेश की हरकतों से सुनीता गर्म होने लगी। उसके मुंह से हल्की हल्की कामुक सिसकारी निकलने लगी।
अब राजेश सुनिता को बेड में ले जाकर अपनी गोद में बिठा कर अपनी दोनो हाथो से उसकी चूची मसलता हुआ, उसके ओंठ चूसने लगा।
राजेश की हरकतों से सुनीता बहुत गर्म हो गई उसकी बुर से पानी छुटने लगी, मुंह से कामुक सिसकारी निकलने लगी।
राजेश का land भी तनकर खड़ा हो गया था।
तभी दरवाजे की बेल बजी।
सुनिता _राजेश अब छोड़ो, तुम्हारा पापा आ गया।
राजेश _नही मां, थोड़ी देर और प्यार करने दो न। बड़ा मन कर रहा है।
सुनिता _अरे बाबा, अब जो भी करना है रात में कर लेना, अभी छोड़ो मुझे।
राजेश _क्या सच में मां, आज रात में प्यार करने दोगी। देखो अपनी बात से मुकर नही जाना।
सुनिता _नही मुकरूंगी बाबा अब छोड़ो भी।
राजेश ने सुनिता को छोड़ दिया। सुनिता दरवाजा खोलने चली गई।

शेखर _अरे भाग्यवान, इतनी देर क्यू हो गई दरवाज़ा खोलने में।
सुनीता _वो क्या है न जी की मैं तैयार हो रही थी।
अब आप भी जल्दी तैयार हो जाइए। बच्चे लोग तैयार हो चुके हैं।
शेखर _ठीक है, डार्लिंग। कुछ देर में
शेखर भी तैयार हो गया फिर चारो कार में बैठकर निशा की घर के लिए निकले गए।
Once again nice and fantastic update
ek bar fir kahunga aap update dene me bahut delay karte ho
ab plz thoda sweety pr dhyan dijiye,kuchh aisa kare ki sweet aur rajesh ko ek dusre se pyar ho jaye phir dono sex ki traf badhe,bina love ke pyar mjja nhi dega
waiting for sweety's mega update
 

hariom1936

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Bahut hi majedar story hai,aisa lagta hai ki jaise koi web series chal rahi ho,thanx for everything
 
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Abhi123

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सोनपुर में तीन दिन और ठहरने के बाद आख़िर राजेश ओर सुनीता घर के लिए शहर को निकल गए। इन तीन दिनों को उन दोनो ने जी भर कर जिया क्यों की सुजाता जानती थी कि शहर में जानें के बाद वे शायद ही खुल कर मिल पाए।
उन्हे शहर में स्वतंत्रता नही मिलने वाली थी। इसलिए सुजाता ने सोनपुर में हर पल को जी भर के जिया।
इधर राजेश अब ठीक से चलने फिरने लगा था। पर उसकी सिर का चोंट अभी भी पूर्ण रूप से ठीक नहीं huwa था।
जब वे घर पहुंचे तो शाम के 5बज रहे थे। निशा कालेज से घर पहुंच चुकी थी। वह राजेश और अपनी मां कीआने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी।
उसका दिल धड़कने लगा था, राजेश से मिलने के लिए।
जब राजेश और सुजाता घर पहुंचे। निशा तेजी से भागते हुए दरवाजे की चौंखट से झांकते हुए, राजेश को कार से उतरते हुए देखने लगी।
जैसे जैसे वे घर की ओर आने लगें उसकी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी।
जब सुजाता, और राजेश दरवाजे के पास पहुंची निसा ने दौड़कर अपनी मां को सीने से लगा ली।
सुजाता _अरे बेटा क्या हुआ घबराई हुई लग रही है।
निशा _मॉम आप मुझे छोड़कर इतने दिन क्यू रही?
सुजाता _ओह बेटा, मजबूर थी, काम के सिलसिले में रुकना पड़ा।
निशा _मॉम , राजेश के सिर पर ये चोंट कैसी?
राजेश _ओ निशा क्या है न कि हम लोग बाहर टहलने के लिए निकले थे कि मेरा पैर फिसल गया और मेरे सिर पर चोंट लग गया।
निशा _मुझे आप लोगो ने बताया क्यू नही?
राजेश _तुम परेशान न हो जाओ इसलिए,,
राजेश और सुजाता दोनों सोफे पर बैठ कर आराम करने लगें।
सुजाता_बेटा तुम्हारे डैड कैसे हैं।
निशा _मॉम, डैड ठीक है। अभी वह आराम कर रहे हैं।
सुजाता _बेटा राजेश के लिए चाय नाश्ता का प्रबंध करने कहो,,,
निशा _जी मां
राजेश _नही मैम, नाश्ता नही करूंगा। सिर्फ कॉफी ओ भी निशा की हाथो से बनी काफी, मै भी तो जानू निशा को काफी बनाने आती है की नही।
निशा _न बाबा, मै नही बनाऊंगी, मुझे नही आता काफी बनाने, कही बिगड़ गया तो आप लोग मेरा मजाक उड़ावोगे।
सुजाता हंसते हुवे बोली,
निशा ठीक कह रही है राजेश, इसने तो अब तक कीचन के अंदर गई ही नही होगी।
राजेश _क्या? मेरा तो इच्छा था कि निशा जी की हाथो से बना काफी ,पीने का ,पर कोई बात नही ।
नौकरों की हाथ से बनी काफी से काम चला लेंगे।
निशा निराश हो गई, वह राजेश की अपेक्षाओं पे खरी नहीं उतरी।
सुजाता _राजेश, मै काफ़ी बनाकर ले आती हूं।
निशा _नही मॉम, काफी मै ही बना कर लाऊंगी।
सुजाता _क्या? वह हंसने लगीं।
निशा _हां।
निशा मुंह बनाते हुए किचन में चली गईं।
वहा नौकरानी लोगो से पूछने लगी कि काफी कैसे बनाते हैं।
एक नौकरानी ने कहा _बिटिया रहने दे ना मैं बना देती हूं ,घर में इतने नौकरों के होते ,आप काफ़ी बनाए ये हमे अच्छा नही लगेगा।
निशा _ नही, बिमला आंटी काफी तो मैं ही बनाऊंगी।
बताओ क्या करनी है?
नौकरानी के बताए अनुसार निशा ने काफ़ी बनाकर ले आई।
राजेश _वाउ, ये हुई न बात। मुझे पता था तुम कर सकती हो।
निशा _आप तो मेरा मजाक बना रहे थे।
राजेश _वो तो चैलेंज देने के लिए था।
निशा _ अब पीकर बताओ कॉफी कैसी बनी है।
राजेश ने कॉफी पीकर देखा,
निशा _कैसी है, कुछ बोलते क्यू नही?
राजेश _बहुत गंदी,,
निशा का चेहरा उतर गया।
सुजाता और राजेश हसने लगे ।
निशा _मैने तो पहले ही कहा था, मुझसे नही बन पाएगी।
राजेश _ओह तुम तो निराश हो गई, सच में कॉफी बहुत टेस्टी बनी है।
सुजाता _हां बेटा, बहुत अच्छी कॉफी बनाई हो।
निशा _मॉम आप भी इसका साथ दे रहे हो। मेरा मजाक बनाने में।
सुजाता _नही, बेटा मै भला अपनी निशु की मजाक कैसे बना सकती हूं सच में कॉफी बहुत टेस्टी बनी है।
राजेश _हूं।
निशा खुश हो गई।
कॉफी पीने के बाद राजेश बोला
राजेश _मैम अब मै चलता हूं, मॉम राह देख रही होगी।
सुजाता _ठीक है राजेश, ड्राइवर तुम्हें घर छोड़ देगा। हा और आज से ये घर तुम्हारा भी है यहां आते जाते रहना ।तुम्हे यहां आने जानें के लिए किसी की परमिशन लेने की आवश्यकता नहीं है।
राजेश _अच्छा मैम मै चलता हूं।
निशा जी अब मैं चलू।
निशा ने हा में सिर हिलाया।
राजेश जानें लगा, वह कार के पास पहुंचने ही वाला था कि निशा ने राजेश को आवाज दी।
निशा _राजेश!
निशा की आवाज सुनकर राजेश रुक गया।
राजेश निशा के पास आया।
राजेश _, निशा जी कुछ कहना था मुझसे।
निशा_ओ,,,
राजेश _बोलो निशा जी क्या कहना है?
निशा _ओ,,,
राजेश _आप घबरा क्यू रही हो।
निशा _थैंक्स राजेश, हमे मुसीबत सेनिकालने के लिए।
वह राजेश के गले लग गई।
राजेश _तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो तुम्हारे लिए इतना नही कर सकता।
तुम्हें मुझे धन्य वाद देकर शर्मिंदा न करो।
निशा _ओह राजेश तुम कितने अच्छे हो।
राजेश _आप भी तो बहुत अच्छी हो,,,
निशा _राजेश मुझे तुमसे कुछ कहना है?
राजेश _,, बोलो निशा जी क्या कहना है?
निशा _ओ,ओ,,
तुम कॉफी पीने फिर कब आओगे,,
राजेश हसने लगा, जब आप बुलाए
अब मैं चलूं ,
निशा _हा में सिर हिलाया।
राजेश अपना घर चला गया।
निशा राजेश को अपनी दिल की बात कहने की बहुत कोशिश की पर वह बोल ना पाई।
वह निराश होकर अपने कमरे में चली गई और सीमा को फ़ोन कर बताने लगी।
इधर राजेश अपना घर पहुंचा, दरवाजे का बेल बजाया।
सुनीता_लगता है राजेश आ गया,,
वह तेजी से दरवाजे की ओर गई, दरवाजा खोली।
इधर स्वीटी को भी पता था कि राजेश आने वाला है।
वह भी दरवाजे के पास आ गई।
दरवाजा खुलते ही।
सुनिता ने सामने राजेश को देखा,,
राजेश ने सुनिता का पैर छू कर चरणस्पर्श किया।
सुनिता ने राजेश को उठाकर गले लगा लिया।
आ गया मेरा बेटा।
राजेश _हा मां।
सुनिता ने राजेश के सिर पर पट्टी लगा देखा तो
सुनिता _बेटा , तुम्हारे सिर पर चोंट कैसी?
राजेश _कुछ नही huwa है मां, ओ थोड़ा सा खरोच लगा है।
राजेश सोफे पर बैठ गया। सुनिता भी उसके पास बैठ गई।
स्वीटी वही खड़ी थी।
सुनिता _बेटा, बताता क्यू नही तुम्हारे सिर पर चोंट कैसी लगी?
स्वीटी _मां, मुझे तो लगता हैं किसी औरत के चक्कर में ये पिट के आया है।
सुनिता _स्वीटी, ये क्या अनाप शनाप बोल रही है अपने भाई के बारे में।
स्वीटी _फिर बताता क्यू नही, चोंट कैसे लगी?
इनको अपनी मां बाप और बहन की चिंता तो है नही। चला है दूसरे की भलाई करने।
सुनिता _बेटा बताता क्यू नही किसी के साथ मार पीट huwa है क्या?
राजेश _मां, हड़ताल खत्म कराने से मज़दूर यूनियन के कुछ लोग नाराज होकर मूझपर हमला कर दिया।
सुनिता _इतनी बडी बात मुझे बताया क्यू नही?
राजेश _तुम घबरा ना जाओ, इसलिए।
सुजाता _बेटा, मुझे पहले से ही डर था, वहा कुछ दंगा फसाद न हो। अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो, हम लोगो का क्या होता?
स्वीटी _हम लोगो की चिंता होती तो ये वहा जाता ही क्यू?
राजेश _मां मै बिल्कुल ठीक हू, क्या तुम चाहती हो की तुम्हारा बेटा मुस्किलो से भाग कर भगोड़ा कहलाए। अपने दोस्तो की मदद न करने।
सुनिता _नही बेटा, मै ये नही चाहती कोइ तुम्हें स्वार्थी कहे। तभी तो तुम्हें जाने की इजाजत दी।
पर मां हूं ना चिंता तो होगी ही।
राजेश _, ओह मेरी प्यारी मां, तुम्हें तो खुश होना चाहिए की तुम्हरा बेटा, कामयाब होकर आया है।
सुनिता _मुझे तुम पर गर्व है बेटा।
अब तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश स्वीटी से बोला,
राजेश _कैसी है मेरी गुड़िया,,,
स्वीटी _आपको मेरी फिक्र करने की आवश्यकता नहीं।
मैं एक दम मजे से हूं।
वह अपना मुंह बनाते, अपने कमरे में चली गई।
और राजेश अपने कमरे में।
रात में सोने के समय, सुजाता ने राजेश को काल किया।
सुजाता _, सो गए क्या?
राजेश _नही मैम , बस सोने की तैयारी में था।
सुजाता _क्या तुम्हें मेरी याद नही आ रही?
तुम मर्द लोग भी कितने आसानी से भूल जाते हो।
राजेश _नही, मैम कैसे भुल सकता हूं आपके साथ बिताए पलो को, मै तो अब भी महसूस कर रहा हूं।
तुम्हारी बदन की खुशबू का अहसास मेरी नाक में अब तक हो रही है।
सुजाता _चुप झूठा कही का।
मैं तुम्हें बहुत मिस कर रही हूं।
राजेश _मै भी।
सुजाता_अच्छा सुनो कल मै तेरी मां से मिलूंगी।
राजेश _क्यू?
सुजाता _डिनर में इनवाइट करने।
जब उसका बेटा ने हमारी कंपनी को मुसीबत से बचाया है तो मां बाप से तो मिलना ही पड़ेगा। नही तो लोग मुझे मतलबी कहेंगे।

राजेश _कितना समय आ रही हो?
सुजाता _सोच रही हूं कल ऑफिस जाते समय आपके मम्मी से मिलती चलूं।
वैसे तुम्हारी मम्मी ने तुम्हारे सिर के चोंट के बारे में पूछी होगी। तुमने क्या बताया?
राजेश _स्वीटी बोल रही थी की किसी औरत के चक्कर में पिटकर आया है।
सुजाता हसने लगी।
राजेश _हस क्यू रही हो?
सुजाता _ठीक ही तो बोली।
राजेश _उन्हे क्या पता बदले में प्यार भी तो खूब मिला?
सुजाता _और नही चाहिए क्या मेरा प्यार? लगता हैं जी भर गया।
राजेश _हाय, इतनी जल्दी जी कैसा भर सकता है? तुम बुलाओ तो सही, तुम्हारा दीवाना हाजिर हो जायेगा। प्यार करने।
सुजाता _अच्छा, देखते हैं। देखो मैंने तुम्हें अपना सबकुछ दे दिया है, मुझे धोखा मत देना प्लीज। मै तुम्हें दूसरी औरत के साथ बर्दास्त नही कर पाऊंगी।
राजेश _ओह, तो मुझे अपनी कैद में रखना चाहती हो।
सुजाता _तुम जो भी समझो। पर तुम सिर्फ मेरे हो।
राजेश _इतना प्यार करती हो मुझसे।
सुजाता _हां, निशा के बाद तुमसे। पर मुझे तुम पर शक हो रहा है, कही तुम मुझे धोखा न दे दो।
क्यू कि तुमने खुलकर अपनी दिल की बात नही बताई है।
राजेश _मै तो उस हर शख्स से प्यार करता हूं जो मुझे प्यार करता है। उन सबमें तुम्हारा स्थान श्रेष्ठ है।
सुजाता _मतलब मै तुम्हारे दिल में विशेष स्थान रखती हूं।
राजेश _बिल्कुल।
सुजाता _ओह, थैंक्स राजेश मै यही सुनना चाहती थी।
आई लव यू राजेश।
राजेश _i Love you जानू
सुजाता _ओके बाय, रात को मेरे सपनो में आना।
राजेश _ओके bye sweetheart
अगले दिन जब राजेश कालेज के लिए निकला।
स्वीटी वही रोड पर खड़ी थी, अपनी सहेली की इंतजार करते।
राजेश _चलो बैठो।
स्वीटी _न, आप जाओ। मै अपनी सहेली के साथ जाऊंगी।
राजेश _तुम अब तक नाराज हो मुझसे।
स्वीटी ने कुछ नहीं कहा,,
राजेश ने फिर switi को बैठने कहा,,,
स्वीटी बाइक में बैठ गई और चुप ही रही।
राजेश _देखो स्वीटीतुम अभी छोटी हो, तुम जो चाहती हो वो ठीक नहीं तुम्हें इन सब चीजों में ध्यान नहीं देना चाहिए।
स्वीटी _मै अब बच्ची नही रही। मेरी क्लास की कई लड़कियां सेक्स कर चुके हैं।
राजेश _सीमा और निशा को देखो, वो कितनी अच्छी है, उनकी तरह क्यू नही सोचती?
स्वीटी _जब मां के साथ कर सकते हो तो मेरे साथ क्यू नही?
राजेश _मां की बात और है। उसे मेरी जरूरत है। पापा काम के बोझ के कारण मां का साथ नही दे बाते।
आखिर वह अपनी भावनाओं को दबाकर कब तक घुट घुट कर जीती रहेगी। इसलिए मुझे मां को बेटे के प्यार के साथ साथ पति का प्यार भी देना पड़ता है।

दोनो कालेज पहुंच गए।
इधर सुनिता किचन में काम कर रही थी। तभी दरवाजे की बेल बजी।
सुनिता _इस समय कौन हो सकता है?
सुनिता ने दरवाजा खोली।
सामने सुजाता खड़ी थी।
सुजाता _नमस्ते दी, सुजाता ने हाथ जोड़ कर कहा।
मैं सुजाता हूं।
सुनिता _आपको कौन नही पहचानेगा, आप सुजाता और विशाल ग्रुप्स की मालकिन है।
सुनीता _आइए न।
सुजाता घर के अंदर आई ओर सोफे पर बैठ गई।
सुनिता _अप बैठिए, मै पानी लेकर आती हूं।
कॉफी लेंगी आप।
सुजाता _जी रहने दीजिए न दीदी, क्यू तकलीफ उठा राही है आप।
सुनिता _इसमें तकलीफ कैसी, पहली बार तो घर सा राही है आप मेरी। ये तो मेरा फर्ज है।
सुनिता कॉफी बनाने लगी।
सुजाता घर का मुआइना करने लगी। कॉफी बनाते समय वह सोचने लगी। पता नहीं अचानक से क्यों आई है। मूझे तो इन बड़े लोगों से डर लगता है।

सुनीता कॉफी लेकर आई।
सुनीता _लीजिए कॉफी लीजिए।
सुजाता _धन्यवाद दी।
सुनिता _सुजाता जी आप कुछ काम से आई थी क्या? राजेश तो कालेज चला गया है।
सुजाता _नही दी मै आपसे ही मिलने आई हूं।
आपको तो पता ही है हमारी कंपनी कितनी मुसीबत में फस गई थी।
राजेश ने अगर मदद न की होती तो हमारी कंपनी डूब चुकी होती। आप बडी किस्मत वाली है दीदी जो इतना होनहार बेटे की मां हो, राजेश की प्रतिभा असाधारण है। उसने बिना किसी स्वार्थ के हमारी मदद की।
सुनिता _ ये आप क्या कह रही है?
निशा राजेश की दोस्त है, दोस्त का परिवार मुसीबत में हो तो उसकी मदद करना उसका फर्ज है।
सुजाता _दी, आपने राजेश को इतने अच्छे संस्कार दिए हैं, उसी का परिणाम है जो कुछ ही समय में सबका दिल जीत लेता है।
राजेश ने हमारी मदद की हमारा भी कुछ फर्ज बनता है इसलिए मैं आज आप लोगो को डिनर में आमन्त्रित करने आई हूं।
सुनिता _सुजाता जी इसकी क्या आवश्यकता है?
सुजाता _नही दीदी, आप लोग आएंगे तो हमें खुशी होगी प्लीज इनकार मत कीजिए।
सुनिता _ठीक है । हम आ जाएंगे।
सुजाता _धन्यवाद दी मै आप लोगों का इन्तजार करूंगी।
अब मुझे इजाजत दीजिए।
सुजाता ने हाथ जोड़ कर जाने की इजाजत मांगी।
सुनिता ने भी हाथ जोड़ कर, हा में सिर हिलाई।

राजेश जब भगत और अन्य दोस्तो से मिला,,
भगत _भाई आपके सिर पर चोंट कैसी?
राजेश _कुछ नही यार, कुछ गुंडे थे जिन्हे सबक सिखाना जरूरी था, उसकी को सबक सिखाते यह चोट लग गई।
भगत _भाई, अगर कुछ कसर बांकी रह गई हो तो हमें बताओ शालो को घर में घुस कर मारेंगे।
राजेश _अरे नही, वो और मार खाने लायक नहीं बचे हैं।
और कैसा चल रहा है कालेज।
भगत _कालेज में तो सब ठीक ही चल रहा है पर भाई तेरे बिना, मजा ही नही आता।
हम तो आप ही का इंतजार कर रहे थे कि आप कब आएंगे।
तभी क्लास की घंटी बजी और सभी क्लास में चले गए।
इधर सीमा और निशा क्लास में,
निशा _सीमा मैने बहुत कोशिश की राजेश को अपने दिल की बात बताने की, पर बता न सकी।
सीमा _हूं, कोशिश जारी रखो। जब भी मौका मिले बता देना।
निशा _मॉम ने आज राजेश और उनकी फैमिली को डिनर के लिए इनवाइट किया है।
सीमा _ओह, ये तो बडी अच्छी बात है, तुम मौका देख कर राजेश से अपनी दिल की बात कह देना।
निशा _पता नही इतने लोगो के बीच मौका मिल पाएगा की नही।
सीमा तुम भी शामिल होना डिनर में।
सीमा _ठीक है।

कालेज में छुट्टी होने के बाद राजेश घर पहुंचा। सुनिता किचन में काम कर रही थी।
राजेश किचन में जाकर अपनी सुनिता को पीछेसे बाहों मे भर लिया।
सुनिता _आ गया मेरा बेटा कालेज से।
राजेश _हा, मां।
सुनिता _पता है, तुम्हारे कालेज जानें के बाद सुजाता आई थी।
राजेश _क्या? पर वो क्यू आई थी?
सुनिता _वह हमे डिनर में आमन्त्रित की है।
राजेश _तो आपने क्या कहा?
सुनिता _वह बार बार निवेदन कर रही थी इसलिए मैं इनकार ना कार सकी।
हमे रात 7: 30बजे उसके घर के लिए निकलना होगा। मैने तुम्हारे पापा को कह दिया है घर जल्दी आने को, उसने हमें तैयार रहने को बोला है।
तुम और स्वीटी भी तैयार हो जाना समय पर।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश अपने कमरे में चला गया।

, शाम के 7बजने के बाद सुनिता स्वीटी के कमरे में आई।
सुनिता _बेटी तुम जल्दी तयार हो जाओ,
Switi _क्यू मां कहा चलना है?
सुजाता _लो,बेटा मै तो तुम्हें बताना ही भूल गई, बेटा हमे सुजाता जी ने रात्रि भोज के लिए आमन्त्रित किया है। तुम जल्दी तैयार हो जाओ।
स्वीटी _नही, मां, मै नही जाऊंगी।
सुनिता _क्यू क्या huwa?
स्वीटी _क्यू की वहा मेरा जानें का मन नही।
सुनिता _बेटा यू तुम क्या कह रही हो, वे लोग तुम्हारे बारे में पूछेंगे तो हम क्या जवाब देंगे। क्या तुम हमें शर्मिंदा कर्ण चाहती हो।
Switi _, मां अगर वे मेरे बारे में पूछेंगे तो बता देना उसकी तबियत कुछ ठीक नहीं।
सुनिता _अपनी मां से झूठ बुलवाना चाहती है, जल्दी से तैयार हो जाओ, बहुत हो गया तुम्हरा नाटक।
सुनिता वहा से निकल कर राजेश के कमरे में गई।
राजेश _मां,आप।
सुनिता _बेटा जरा मेरे कमरे में आना।
राजेश _क्यू मां कुछ काम था क्या?
सुनिता _हा बेटा।
राजेश सुनिता के पीछे पीछे उसके कमरे में चला गया।
सुनिता _ने अपनी कपड़े की आलमारी खोल के बोली। बेटा मै कौन सी साड़ी पहनु मुझे तो कुछ समझ ही नही आ रहा।
राजेश ने सुनिता को पीछे से बाहों मे भरते हुए कहा, मां आप पर तो कोई भी साड़ी हो खूब जचती है, इतनी सुंदर जो हो।
वो तो हर बेटे को अपनी मां सबसे सुंदर लगती हैं।
राजेश _नही मां, आप सच में बहुत सुंदर है।
सुनिता _अच्छा, अब तारीफ करना बंद कर और बता कौन सी साड़ी पहनू।
राजेश ने एक साड़ी अपनी पसंद की निकाली।
राजेश _मॉम ये साड़ी पहनो, देखना सुजाता मैम तुम्हारे सामने फीकी लगेगी।
सुनिता _सुजाता, भी किसी अप्सरा से कम नहीं है। वह निशा की मां नही बड़ी बहन लगती है।
राजेश _मां, तुम भी तो स्वीटी की मां नही उसकी बडी बहन लगती हो।
सुनिता _अपनी मां की झूठी तारीफ करना बंद करो और जाओ तुम भी तैयार हो जाओ तुम्हारे पापा आते होंगे फिर हम निकलेंगे।
राजेश _मां, मुझे पहन कर दिखाओ कि इस साड़ी में कैसी लगती हो?
सुनिता _अच्छा , ठीक है तुम जाओ अपने कमरे में, थोड़े देर बाद आकर देख लेना कैसी लग रही हूं?
राजेश _नही, मुझे यही रहूंगा।
सुनिता _क्या? मतलब तुम्हें बदमाशी सूझ रही है। चल भाग यहां से बदमाश कही का।
सुनिता ने राजेश को धकेलते हुवे दरवाजे से बाहर कर दी। और मुस्कुराते हुवे आईने के सामने खड़ी होकर साड़ी बदलने लगी।
राजेश निराश होकर अपने कमरे में जाकर, तैयार होने लगा। नया जींस और शर्ट पहन लिया।
राजेश तैयार होकर अपनी मां के कमरे के पास जाकर दरवाजा खटखटाया।
सुनिता ने दरवाजा खोली।
राजेश _राजेश, सुनिता को देखता ही रह गया।
सुनिता _अरे बेटा कहा खो गया।

राजेश _मां, सच में तुम स्वर्ग की कोई अप्सरा लग रही हो।
सुनिता आईने के पास गई और अपनी मंगल सूत्र पहनते हुवे बोली,, हूं तू फिर शुरू हो गया।
राजेश ने सुनिता को पीछे से बाहों मे भर कर आईने में देखते हुए बोला।
राजेश _मां, मै सच कह रहा। तुम सच में अप्सरा लग रही हो। और वह सुनिता की ओंठ चूम लिया।
सुनिता _बदमाश ये क्या कर रहा है? तेरी नियत बिगड़ रही है। छोड़ मुझे तेरे पापा किसी भी समय पहुंच सकते हैं।

राजेश ने सुनिता को पीछे से और कस कर जकड़ लिया। और उसकी गर्दन पर चुम्बन लेने लगा।
सुनिता _बेटा, ये क्या कर रहा है तू? लगता हैं तू फिर बावला हो गया है।
राजेश एक हाथ से सुनिता की पेट सहलाने लगा।
और एक हाथ से उसकी चूची मसलते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा।
सुनिता _, राजेश, छोड़ो भी, तुम्हारे पापा किसी भी समय आ जायेंगे। ये समय नहीं अभी ये सब करने वाली का।
पर राजेश ने अपना कार्य जारी रखा जिसका प्रभाव सुनिता पर ये पड़ा की वह सिसकने लगी।

सुनीता _बेटा छोड़ो न, तुम्हारे पापा आ जायेंगे छोड़ो न, क्या कर रहे हो?
राजेश की हरकतों से सुनीता गर्म होने लगी। उसके मुंह से हल्की हल्की कामुक सिसकारी निकलने लगी।
अब राजेश सुनिता को बेड में ले जाकर अपनी गोद में बिठा कर अपनी दोनो हाथो से उसकी चूची मसलता हुआ, उसके ओंठ चूसने लगा।
राजेश की हरकतों से सुनीता बहुत गर्म हो गई उसकी बुर से पानी छुटने लगी, मुंह से कामुक सिसकारी निकलने लगी।
राजेश का land भी तनकर खड़ा हो गया था।
तभी दरवाजे की बेल बजी।
सुनिता _राजेश अब छोड़ो, तुम्हारा पापा आ गया।
राजेश _नही मां, थोड़ी देर और प्यार करने दो न। बड़ा मन कर रहा है।
सुनिता _अरे बाबा, अब जो भी करना है रात में कर लेना, अभी छोड़ो मुझे।
राजेश _क्या सच में मां, आज रात में प्यार करने दोगी। देखो अपनी बात से मुकर नही जाना।
सुनिता _नही मुकरूंगी बाबा अब छोड़ो भी।
राजेश ने सुनिता को छोड़ दिया। सुनिता दरवाजा खोलने चली गई।

शेखर _अरे भाग्यवान, इतनी देर क्यू हो गई दरवाज़ा खोलने में।
सुनीता _वो क्या है न जी की मैं तैयार हो रही थी।
अब आप भी जल्दी तैयार हो जाइए। बच्चे लोग तैयार हो चुके हैं।
शेखर _ठीक है, डार्लिंग। कुछ देर में
शेखर भी तैयार हो गया फिर चारो कार में बैठकर निशा की घर के लिए निकले गए।
Nice
 

Lord xingbie

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सोनपुर में तीन दिन और ठहरने के बाद आख़िर राजेश ओर सुनीता घर के लिए शहर को निकल गए। इन तीन दिनों को उन दोनो ने जी भर कर जिया क्यों की सुजाता जानती थी कि शहर में जानें के बाद वे शायद ही खुल कर मिल पाए।
उन्हे शहर में स्वतंत्रता नही मिलने वाली थी। इसलिए सुजाता ने सोनपुर में हर पल को जी भर के जिया।
इधर राजेश अब ठीक से चलने फिरने लगा था। पर उसकी सिर का चोंट अभी भी पूर्ण रूप से ठीक नहीं huwa था।
जब वे घर पहुंचे तो शाम के 5बज रहे थे। निशा कालेज से घर पहुंच चुकी थी। वह राजेश और अपनी मां कीआने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी।
उसका दिल धड़कने लगा था, राजेश से मिलने के लिए।
जब राजेश और सुजाता घर पहुंचे। निशा तेजी से भागते हुए दरवाजे की चौंखट से झांकते हुए, राजेश को कार से उतरते हुए देखने लगी।
जैसे जैसे वे घर की ओर आने लगें उसकी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी।
जब सुजाता, और राजेश दरवाजे के पास पहुंची निसा ने दौड़कर अपनी मां को सीने से लगा ली।
सुजाता _अरे बेटा क्या हुआ घबराई हुई लग रही है।
निशा _मॉम आप मुझे छोड़कर इतने दिन क्यू रही?
सुजाता _ओह बेटा, मजबूर थी, काम के सिलसिले में रुकना पड़ा।
निशा _मॉम , राजेश के सिर पर ये चोंट कैसी?
राजेश _ओ निशा क्या है न कि हम लोग बाहर टहलने के लिए निकले थे कि मेरा पैर फिसल गया और मेरे सिर पर चोंट लग गया।
निशा _मुझे आप लोगो ने बताया क्यू नही?
राजेश _तुम परेशान न हो जाओ इसलिए,,
राजेश और सुजाता दोनों सोफे पर बैठ कर आराम करने लगें।
सुजाता_बेटा तुम्हारे डैड कैसे हैं।
निशा _मॉम, डैड ठीक है। अभी वह आराम कर रहे हैं।
सुजाता _बेटा राजेश के लिए चाय नाश्ता का प्रबंध करने कहो,,,
निशा _जी मां
राजेश _नही मैम, नाश्ता नही करूंगा। सिर्फ कॉफी ओ भी निशा की हाथो से बनी काफी, मै भी तो जानू निशा को काफी बनाने आती है की नही।
निशा _न बाबा, मै नही बनाऊंगी, मुझे नही आता काफी बनाने, कही बिगड़ गया तो आप लोग मेरा मजाक उड़ावोगे।
सुजाता हंसते हुवे बोली,
निशा ठीक कह रही है राजेश, इसने तो अब तक कीचन के अंदर गई ही नही होगी।
राजेश _क्या? मेरा तो इच्छा था कि निशा जी की हाथो से बना काफी ,पीने का ,पर कोई बात नही ।
नौकरों की हाथ से बनी काफी से काम चला लेंगे।
निशा निराश हो गई, वह राजेश की अपेक्षाओं पे खरी नहीं उतरी।
सुजाता _राजेश, मै काफ़ी बनाकर ले आती हूं।
निशा _नही मॉम, काफी मै ही बना कर लाऊंगी।
सुजाता _क्या? वह हंसने लगीं।
निशा _हां।
निशा मुंह बनाते हुए किचन में चली गईं।
वहा नौकरानी लोगो से पूछने लगी कि काफी कैसे बनाते हैं।
एक नौकरानी ने कहा _बिटिया रहने दे ना मैं बना देती हूं ,घर में इतने नौकरों के होते ,आप काफ़ी बनाए ये हमे अच्छा नही लगेगा।
निशा _ नही, बिमला आंटी काफी तो मैं ही बनाऊंगी।
बताओ क्या करनी है?
नौकरानी के बताए अनुसार निशा ने काफ़ी बनाकर ले आई।
राजेश _वाउ, ये हुई न बात। मुझे पता था तुम कर सकती हो।
निशा _आप तो मेरा मजाक बना रहे थे।
राजेश _वो तो चैलेंज देने के लिए था।
निशा _ अब पीकर बताओ कॉफी कैसी बनी है।
राजेश ने कॉफी पीकर देखा,
निशा _कैसी है, कुछ बोलते क्यू नही?
राजेश _बहुत गंदी,,
निशा का चेहरा उतर गया।
सुजाता और राजेश हसने लगे ।
निशा _मैने तो पहले ही कहा था, मुझसे नही बन पाएगी।
राजेश _ओह तुम तो निराश हो गई, सच में कॉफी बहुत टेस्टी बनी है।
सुजाता _हां बेटा, बहुत अच्छी कॉफी बनाई हो।
निशा _मॉम आप भी इसका साथ दे रहे हो। मेरा मजाक बनाने में।
सुजाता _नही, बेटा मै भला अपनी निशु की मजाक कैसे बना सकती हूं सच में कॉफी बहुत टेस्टी बनी है।
राजेश _हूं।
निशा खुश हो गई।
कॉफी पीने के बाद राजेश बोला
राजेश _मैम अब मै चलता हूं, मॉम राह देख रही होगी।
सुजाता _ठीक है राजेश, ड्राइवर तुम्हें घर छोड़ देगा। हा और आज से ये घर तुम्हारा भी है यहां आते जाते रहना ।तुम्हे यहां आने जानें के लिए किसी की परमिशन लेने की आवश्यकता नहीं है।
राजेश _अच्छा मैम मै चलता हूं।
निशा जी अब मैं चलू।
निशा ने हा में सिर हिलाया।
राजेश जानें लगा, वह कार के पास पहुंचने ही वाला था कि निशा ने राजेश को आवाज दी।
निशा _राजेश!
निशा की आवाज सुनकर राजेश रुक गया।
राजेश निशा के पास आया।
राजेश _, निशा जी कुछ कहना था मुझसे।
निशा_ओ,,,
राजेश _बोलो निशा जी क्या कहना है?
निशा _ओ,,,
राजेश _आप घबरा क्यू रही हो।
निशा _थैंक्स राजेश, हमे मुसीबत सेनिकालने के लिए।
वह राजेश के गले लग गई।
राजेश _तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो तुम्हारे लिए इतना नही कर सकता।
तुम्हें मुझे धन्य वाद देकर शर्मिंदा न करो।
निशा _ओह राजेश तुम कितने अच्छे हो।
राजेश _आप भी तो बहुत अच्छी हो,,,
निशा _राजेश मुझे तुमसे कुछ कहना है?
राजेश _,, बोलो निशा जी क्या कहना है?
निशा _ओ,ओ,,
तुम कॉफी पीने फिर कब आओगे,,
राजेश हसने लगा, जब आप बुलाए
अब मैं चलूं ,
निशा _हा में सिर हिलाया।
राजेश अपना घर चला गया।
निशा राजेश को अपनी दिल की बात कहने की बहुत कोशिश की पर वह बोल ना पाई।
वह निराश होकर अपने कमरे में चली गई और सीमा को फ़ोन कर बताने लगी।
इधर राजेश अपना घर पहुंचा, दरवाजे का बेल बजाया।
सुनीता_लगता है राजेश आ गया,,
वह तेजी से दरवाजे की ओर गई, दरवाजा खोली।
इधर स्वीटी को भी पता था कि राजेश आने वाला है।
वह भी दरवाजे के पास आ गई।
दरवाजा खुलते ही।
सुनिता ने सामने राजेश को देखा,,
राजेश ने सुनिता का पैर छू कर चरणस्पर्श किया।
सुनिता ने राजेश को उठाकर गले लगा लिया।
आ गया मेरा बेटा।
राजेश _हा मां।
सुनिता ने राजेश के सिर पर पट्टी लगा देखा तो
सुनिता _बेटा , तुम्हारे सिर पर चोंट कैसी?
राजेश _कुछ नही huwa है मां, ओ थोड़ा सा खरोच लगा है।
राजेश सोफे पर बैठ गया। सुनिता भी उसके पास बैठ गई।
स्वीटी वही खड़ी थी।
सुनिता _बेटा, बताता क्यू नही तुम्हारे सिर पर चोंट कैसी लगी?
स्वीटी _मां, मुझे तो लगता हैं किसी औरत के चक्कर में ये पिट के आया है।
सुनिता _स्वीटी, ये क्या अनाप शनाप बोल रही है अपने भाई के बारे में।
स्वीटी _फिर बताता क्यू नही, चोंट कैसे लगी?
इनको अपनी मां बाप और बहन की चिंता तो है नही। चला है दूसरे की भलाई करने।
सुनिता _बेटा बताता क्यू नही किसी के साथ मार पीट huwa है क्या?
राजेश _मां, हड़ताल खत्म कराने से मज़दूर यूनियन के कुछ लोग नाराज होकर मूझपर हमला कर दिया।
सुनिता _इतनी बडी बात मुझे बताया क्यू नही?
राजेश _तुम घबरा ना जाओ, इसलिए।
सुजाता _बेटा, मुझे पहले से ही डर था, वहा कुछ दंगा फसाद न हो। अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो, हम लोगो का क्या होता?
स्वीटी _हम लोगो की चिंता होती तो ये वहा जाता ही क्यू?
राजेश _मां मै बिल्कुल ठीक हू, क्या तुम चाहती हो की तुम्हारा बेटा मुस्किलो से भाग कर भगोड़ा कहलाए। अपने दोस्तो की मदद न करने।
सुनिता _नही बेटा, मै ये नही चाहती कोइ तुम्हें स्वार्थी कहे। तभी तो तुम्हें जाने की इजाजत दी।
पर मां हूं ना चिंता तो होगी ही।
राजेश _, ओह मेरी प्यारी मां, तुम्हें तो खुश होना चाहिए की तुम्हरा बेटा, कामयाब होकर आया है।
सुनिता _मुझे तुम पर गर्व है बेटा।
अब तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश स्वीटी से बोला,
राजेश _कैसी है मेरी गुड़िया,,,
स्वीटी _आपको मेरी फिक्र करने की आवश्यकता नहीं।
मैं एक दम मजे से हूं।
वह अपना मुंह बनाते, अपने कमरे में चली गई।
और राजेश अपने कमरे में।
रात में सोने के समय, सुजाता ने राजेश को काल किया।
सुजाता _, सो गए क्या?
राजेश _नही मैम , बस सोने की तैयारी में था।
सुजाता _क्या तुम्हें मेरी याद नही आ रही?
तुम मर्द लोग भी कितने आसानी से भूल जाते हो।
राजेश _नही, मैम कैसे भुल सकता हूं आपके साथ बिताए पलो को, मै तो अब भी महसूस कर रहा हूं।
तुम्हारी बदन की खुशबू का अहसास मेरी नाक में अब तक हो रही है।
सुजाता _चुप झूठा कही का।
मैं तुम्हें बहुत मिस कर रही हूं।
राजेश _मै भी।
सुजाता_अच्छा सुनो कल मै तेरी मां से मिलूंगी।
राजेश _क्यू?
सुजाता _डिनर में इनवाइट करने।
जब उसका बेटा ने हमारी कंपनी को मुसीबत से बचाया है तो मां बाप से तो मिलना ही पड़ेगा। नही तो लोग मुझे मतलबी कहेंगे।

राजेश _कितना समय आ रही हो?
सुजाता _सोच रही हूं कल ऑफिस जाते समय आपके मम्मी से मिलती चलूं।
वैसे तुम्हारी मम्मी ने तुम्हारे सिर के चोंट के बारे में पूछी होगी। तुमने क्या बताया?
राजेश _स्वीटी बोल रही थी की किसी औरत के चक्कर में पिटकर आया है।
सुजाता हसने लगी।
राजेश _हस क्यू रही हो?
सुजाता _ठीक ही तो बोली।
राजेश _उन्हे क्या पता बदले में प्यार भी तो खूब मिला?
सुजाता _और नही चाहिए क्या मेरा प्यार? लगता हैं जी भर गया।
राजेश _हाय, इतनी जल्दी जी कैसा भर सकता है? तुम बुलाओ तो सही, तुम्हारा दीवाना हाजिर हो जायेगा। प्यार करने।
सुजाता _अच्छा, देखते हैं। देखो मैंने तुम्हें अपना सबकुछ दे दिया है, मुझे धोखा मत देना प्लीज। मै तुम्हें दूसरी औरत के साथ बर्दास्त नही कर पाऊंगी।
राजेश _ओह, तो मुझे अपनी कैद में रखना चाहती हो।
सुजाता _तुम जो भी समझो। पर तुम सिर्फ मेरे हो।
राजेश _इतना प्यार करती हो मुझसे।
सुजाता _हां, निशा के बाद तुमसे। पर मुझे तुम पर शक हो रहा है, कही तुम मुझे धोखा न दे दो।
क्यू कि तुमने खुलकर अपनी दिल की बात नही बताई है।
राजेश _मै तो उस हर शख्स से प्यार करता हूं जो मुझे प्यार करता है। उन सबमें तुम्हारा स्थान श्रेष्ठ है।
सुजाता _मतलब मै तुम्हारे दिल में विशेष स्थान रखती हूं।
राजेश _बिल्कुल।
सुजाता _ओह, थैंक्स राजेश मै यही सुनना चाहती थी।
आई लव यू राजेश।
राजेश _i Love you जानू
सुजाता _ओके बाय, रात को मेरे सपनो में आना।
राजेश _ओके bye sweetheart
अगले दिन जब राजेश कालेज के लिए निकला।
स्वीटी वही रोड पर खड़ी थी, अपनी सहेली की इंतजार करते।
राजेश _चलो बैठो।
स्वीटी _न, आप जाओ। मै अपनी सहेली के साथ जाऊंगी।
राजेश _तुम अब तक नाराज हो मुझसे।
स्वीटी ने कुछ नहीं कहा,,
राजेश ने फिर switi को बैठने कहा,,,
स्वीटी बाइक में बैठ गई और चुप ही रही।
राजेश _देखो स्वीटीतुम अभी छोटी हो, तुम जो चाहती हो वो ठीक नहीं तुम्हें इन सब चीजों में ध्यान नहीं देना चाहिए।
स्वीटी _मै अब बच्ची नही रही। मेरी क्लास की कई लड़कियां सेक्स कर चुके हैं।
राजेश _सीमा और निशा को देखो, वो कितनी अच्छी है, उनकी तरह क्यू नही सोचती?
स्वीटी _जब मां के साथ कर सकते हो तो मेरे साथ क्यू नही?
राजेश _मां की बात और है। उसे मेरी जरूरत है। पापा काम के बोझ के कारण मां का साथ नही दे बाते।
आखिर वह अपनी भावनाओं को दबाकर कब तक घुट घुट कर जीती रहेगी। इसलिए मुझे मां को बेटे के प्यार के साथ साथ पति का प्यार भी देना पड़ता है।

दोनो कालेज पहुंच गए।
इधर सुनिता किचन में काम कर रही थी। तभी दरवाजे की बेल बजी।
सुनिता _इस समय कौन हो सकता है?
सुनिता ने दरवाजा खोली।
सामने सुजाता खड़ी थी।
सुजाता _नमस्ते दी, सुजाता ने हाथ जोड़ कर कहा।
मैं सुजाता हूं।
सुनिता _आपको कौन नही पहचानेगा, आप सुजाता और विशाल ग्रुप्स की मालकिन है।
सुनीता _आइए न।
सुजाता घर के अंदर आई ओर सोफे पर बैठ गई।
सुनिता _अप बैठिए, मै पानी लेकर आती हूं।
कॉफी लेंगी आप।
सुजाता _जी रहने दीजिए न दीदी, क्यू तकलीफ उठा राही है आप।
सुनिता _इसमें तकलीफ कैसी, पहली बार तो घर सा राही है आप मेरी। ये तो मेरा फर्ज है।
सुनिता कॉफी बनाने लगी।
सुजाता घर का मुआइना करने लगी। कॉफी बनाते समय वह सोचने लगी। पता नहीं अचानक से क्यों आई है। मूझे तो इन बड़े लोगों से डर लगता है।

सुनीता कॉफी लेकर आई।
सुनीता _लीजिए कॉफी लीजिए।
सुजाता _धन्यवाद दी।
सुनिता _सुजाता जी आप कुछ काम से आई थी क्या? राजेश तो कालेज चला गया है।
सुजाता _नही दी मै आपसे ही मिलने आई हूं।
आपको तो पता ही है हमारी कंपनी कितनी मुसीबत में फस गई थी।
राजेश ने अगर मदद न की होती तो हमारी कंपनी डूब चुकी होती। आप बडी किस्मत वाली है दीदी जो इतना होनहार बेटे की मां हो, राजेश की प्रतिभा असाधारण है। उसने बिना किसी स्वार्थ के हमारी मदद की।
सुनिता _ ये आप क्या कह रही है?
निशा राजेश की दोस्त है, दोस्त का परिवार मुसीबत में हो तो उसकी मदद करना उसका फर्ज है।
सुजाता _दी, आपने राजेश को इतने अच्छे संस्कार दिए हैं, उसी का परिणाम है जो कुछ ही समय में सबका दिल जीत लेता है।
राजेश ने हमारी मदद की हमारा भी कुछ फर्ज बनता है इसलिए मैं आज आप लोगो को डिनर में आमन्त्रित करने आई हूं।
सुनिता _सुजाता जी इसकी क्या आवश्यकता है?
सुजाता _नही दीदी, आप लोग आएंगे तो हमें खुशी होगी प्लीज इनकार मत कीजिए।
सुनिता _ठीक है । हम आ जाएंगे।
सुजाता _धन्यवाद दी मै आप लोगों का इन्तजार करूंगी।
अब मुझे इजाजत दीजिए।
सुजाता ने हाथ जोड़ कर जाने की इजाजत मांगी।
सुनिता ने भी हाथ जोड़ कर, हा में सिर हिलाई।

राजेश जब भगत और अन्य दोस्तो से मिला,,
भगत _भाई आपके सिर पर चोंट कैसी?
राजेश _कुछ नही यार, कुछ गुंडे थे जिन्हे सबक सिखाना जरूरी था, उसकी को सबक सिखाते यह चोट लग गई।
भगत _भाई, अगर कुछ कसर बांकी रह गई हो तो हमें बताओ शालो को घर में घुस कर मारेंगे।
राजेश _अरे नही, वो और मार खाने लायक नहीं बचे हैं।
और कैसा चल रहा है कालेज।
भगत _कालेज में तो सब ठीक ही चल रहा है पर भाई तेरे बिना, मजा ही नही आता।
हम तो आप ही का इंतजार कर रहे थे कि आप कब आएंगे।
तभी क्लास की घंटी बजी और सभी क्लास में चले गए।
इधर सीमा और निशा क्लास में,
निशा _सीमा मैने बहुत कोशिश की राजेश को अपने दिल की बात बताने की, पर बता न सकी।
सीमा _हूं, कोशिश जारी रखो। जब भी मौका मिले बता देना।
निशा _मॉम ने आज राजेश और उनकी फैमिली को डिनर के लिए इनवाइट किया है।
सीमा _ओह, ये तो बडी अच्छी बात है, तुम मौका देख कर राजेश से अपनी दिल की बात कह देना।
निशा _पता नही इतने लोगो के बीच मौका मिल पाएगा की नही।
सीमा तुम भी शामिल होना डिनर में।
सीमा _ठीक है।

कालेज में छुट्टी होने के बाद राजेश घर पहुंचा। सुनिता किचन में काम कर रही थी।
राजेश किचन में जाकर अपनी सुनिता को पीछेसे बाहों मे भर लिया।
सुनिता _आ गया मेरा बेटा कालेज से।
राजेश _हा, मां।
सुनिता _पता है, तुम्हारे कालेज जानें के बाद सुजाता आई थी।
राजेश _क्या? पर वो क्यू आई थी?
सुनिता _वह हमे डिनर में आमन्त्रित की है।
राजेश _तो आपने क्या कहा?
सुनिता _वह बार बार निवेदन कर रही थी इसलिए मैं इनकार ना कार सकी।
हमे रात 7: 30बजे उसके घर के लिए निकलना होगा। मैने तुम्हारे पापा को कह दिया है घर जल्दी आने को, उसने हमें तैयार रहने को बोला है।
तुम और स्वीटी भी तैयार हो जाना समय पर।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश अपने कमरे में चला गया।

, शाम के 7बजने के बाद सुनिता स्वीटी के कमरे में आई।
सुनिता _बेटी तुम जल्दी तयार हो जाओ,
Switi _क्यू मां कहा चलना है?
सुजाता _लो,बेटा मै तो तुम्हें बताना ही भूल गई, बेटा हमे सुजाता जी ने रात्रि भोज के लिए आमन्त्रित किया है। तुम जल्दी तैयार हो जाओ।
स्वीटी _नही, मां, मै नही जाऊंगी।
सुनिता _क्यू क्या huwa?
स्वीटी _क्यू की वहा मेरा जानें का मन नही।
सुनिता _बेटा यू तुम क्या कह रही हो, वे लोग तुम्हारे बारे में पूछेंगे तो हम क्या जवाब देंगे। क्या तुम हमें शर्मिंदा कर्ण चाहती हो।
Switi _, मां अगर वे मेरे बारे में पूछेंगे तो बता देना उसकी तबियत कुछ ठीक नहीं।
सुनिता _अपनी मां से झूठ बुलवाना चाहती है, जल्दी से तैयार हो जाओ, बहुत हो गया तुम्हरा नाटक।
सुनिता वहा से निकल कर राजेश के कमरे में गई।
राजेश _मां,आप।
सुनिता _बेटा जरा मेरे कमरे में आना।
राजेश _क्यू मां कुछ काम था क्या?
सुनिता _हा बेटा।
राजेश सुनिता के पीछे पीछे उसके कमरे में चला गया।
सुनिता _ने अपनी कपड़े की आलमारी खोल के बोली। बेटा मै कौन सी साड़ी पहनु मुझे तो कुछ समझ ही नही आ रहा।
राजेश ने सुनिता को पीछे से बाहों मे भरते हुए कहा, मां आप पर तो कोई भी साड़ी हो खूब जचती है, इतनी सुंदर जो हो।
वो तो हर बेटे को अपनी मां सबसे सुंदर लगती हैं।
राजेश _नही मां, आप सच में बहुत सुंदर है।
सुनिता _अच्छा, अब तारीफ करना बंद कर और बता कौन सी साड़ी पहनू।
राजेश ने एक साड़ी अपनी पसंद की निकाली।
राजेश _मॉम ये साड़ी पहनो, देखना सुजाता मैम तुम्हारे सामने फीकी लगेगी।
सुनिता _सुजाता, भी किसी अप्सरा से कम नहीं है। वह निशा की मां नही बड़ी बहन लगती है।
राजेश _मां, तुम भी तो स्वीटी की मां नही उसकी बडी बहन लगती हो।
सुनिता _अपनी मां की झूठी तारीफ करना बंद करो और जाओ तुम भी तैयार हो जाओ तुम्हारे पापा आते होंगे फिर हम निकलेंगे।
राजेश _मां, मुझे पहन कर दिखाओ कि इस साड़ी में कैसी लगती हो?
सुनिता _अच्छा , ठीक है तुम जाओ अपने कमरे में, थोड़े देर बाद आकर देख लेना कैसी लग रही हूं?
राजेश _नही, मुझे यही रहूंगा।
सुनिता _क्या? मतलब तुम्हें बदमाशी सूझ रही है। चल भाग यहां से बदमाश कही का।
सुनिता ने राजेश को धकेलते हुवे दरवाजे से बाहर कर दी। और मुस्कुराते हुवे आईने के सामने खड़ी होकर साड़ी बदलने लगी।
राजेश निराश होकर अपने कमरे में जाकर, तैयार होने लगा। नया जींस और शर्ट पहन लिया।
राजेश तैयार होकर अपनी मां के कमरे के पास जाकर दरवाजा खटखटाया।
सुनिता ने दरवाजा खोली।
राजेश _राजेश, सुनिता को देखता ही रह गया।
सुनिता _अरे बेटा कहा खो गया।

राजेश _मां, सच में तुम स्वर्ग की कोई अप्सरा लग रही हो।
सुनिता आईने के पास गई और अपनी मंगल सूत्र पहनते हुवे बोली,, हूं तू फिर शुरू हो गया।
राजेश ने सुनिता को पीछे से बाहों मे भर कर आईने में देखते हुए बोला।
राजेश _मां, मै सच कह रहा। तुम सच में अप्सरा लग रही हो। और वह सुनिता की ओंठ चूम लिया।
सुनिता _बदमाश ये क्या कर रहा है? तेरी नियत बिगड़ रही है। छोड़ मुझे तेरे पापा किसी भी समय पहुंच सकते हैं।

राजेश ने सुनिता को पीछे से और कस कर जकड़ लिया। और उसकी गर्दन पर चुम्बन लेने लगा।
सुनिता _बेटा, ये क्या कर रहा है तू? लगता हैं तू फिर बावला हो गया है।
राजेश एक हाथ से सुनिता की पेट सहलाने लगा।
और एक हाथ से उसकी चूची मसलते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा।
सुनिता _, राजेश, छोड़ो भी, तुम्हारे पापा किसी भी समय आ जायेंगे। ये समय नहीं अभी ये सब करने वाली का।
पर राजेश ने अपना कार्य जारी रखा जिसका प्रभाव सुनिता पर ये पड़ा की वह सिसकने लगी।

सुनीता _बेटा छोड़ो न, तुम्हारे पापा आ जायेंगे छोड़ो न, क्या कर रहे हो?
राजेश की हरकतों से सुनीता गर्म होने लगी। उसके मुंह से हल्की हल्की कामुक सिसकारी निकलने लगी।
अब राजेश सुनिता को बेड में ले जाकर अपनी गोद में बिठा कर अपनी दोनो हाथो से उसकी चूची मसलता हुआ, उसके ओंठ चूसने लगा।
राजेश की हरकतों से सुनीता बहुत गर्म हो गई उसकी बुर से पानी छुटने लगी, मुंह से कामुक सिसकारी निकलने लगी।
राजेश का land भी तनकर खड़ा हो गया था।
तभी दरवाजे की बेल बजी।
सुनिता _राजेश अब छोड़ो, तुम्हारा पापा आ गया।
राजेश _नही मां, थोड़ी देर और प्यार करने दो न। बड़ा मन कर रहा है।
सुनिता _अरे बाबा, अब जो भी करना है रात में कर लेना, अभी छोड़ो मुझे।
राजेश _क्या सच में मां, आज रात में प्यार करने दोगी। देखो अपनी बात से मुकर नही जाना।
सुनिता _नही मुकरूंगी बाबा अब छोड़ो भी।
राजेश ने सुनिता को छोड़ दिया। सुनिता दरवाजा खोलने चली गई।

शेखर _अरे भाग्यवान, इतनी देर क्यू हो गई दरवाज़ा खोलने में।
सुनीता _वो क्या है न जी की मैं तैयार हो रही थी।
अब आप भी जल्दी तैयार हो जाइए। बच्चे लोग तैयार हो चुके हैं।
शेखर _ठीक है, डार्लिंग। कुछ देर में
शेखर भी तैयार हो गया फिर चारो कार में बैठकर निशा की घर के लिए निकले गए।
beautiful update
rajesh to full masti kiya 3 din sujata ke saath
aur ab lautne par use ghar me maa aur switi ko bhi cear karna pada
fir nisha ko bhi batana pada par asal baat dono sujat aur rajesh ne nahi batayi
sujata ka ab rajesh ke prati pyar aur badh gaya hai
aur nisha abhi tak rajesh ko propose nhai kar payi hai
sujata ne rajesh ki family ko dinner ke liye invite kiya hai par switinahi jana chahati
dekhte hai kya hota hai
filhal to sujata rajesh ke parivar se mel badhana chahti hai

keep writing
 

Ajju Landwalia

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सोनपुर में तीन दिन और ठहरने के बाद आख़िर राजेश ओर सुनीता घर के लिए शहर को निकल गए। इन तीन दिनों को उन दोनो ने जी भर कर जिया क्यों की सुजाता जानती थी कि शहर में जानें के बाद वे शायद ही खुल कर मिल पाए।
उन्हे शहर में स्वतंत्रता नही मिलने वाली थी। इसलिए सुजाता ने सोनपुर में हर पल को जी भर के जिया।
इधर राजेश अब ठीक से चलने फिरने लगा था। पर उसकी सिर का चोंट अभी भी पूर्ण रूप से ठीक नहीं huwa था।
जब वे घर पहुंचे तो शाम के 5बज रहे थे। निशा कालेज से घर पहुंच चुकी थी। वह राजेश और अपनी मां कीआने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी।
उसका दिल धड़कने लगा था, राजेश से मिलने के लिए।
जब राजेश और सुजाता घर पहुंचे। निशा तेजी से भागते हुए दरवाजे की चौंखट से झांकते हुए, राजेश को कार से उतरते हुए देखने लगी।
जैसे जैसे वे घर की ओर आने लगें उसकी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी।
जब सुजाता, और राजेश दरवाजे के पास पहुंची निसा ने दौड़कर अपनी मां को सीने से लगा ली।
सुजाता _अरे बेटा क्या हुआ घबराई हुई लग रही है।
निशा _मॉम आप मुझे छोड़कर इतने दिन क्यू रही?
सुजाता _ओह बेटा, मजबूर थी, काम के सिलसिले में रुकना पड़ा।
निशा _मॉम , राजेश के सिर पर ये चोंट कैसी?
राजेश _ओ निशा क्या है न कि हम लोग बाहर टहलने के लिए निकले थे कि मेरा पैर फिसल गया और मेरे सिर पर चोंट लग गया।
निशा _मुझे आप लोगो ने बताया क्यू नही?
राजेश _तुम परेशान न हो जाओ इसलिए,,
राजेश और सुजाता दोनों सोफे पर बैठ कर आराम करने लगें।
सुजाता_बेटा तुम्हारे डैड कैसे हैं।
निशा _मॉम, डैड ठीक है। अभी वह आराम कर रहे हैं।
सुजाता _बेटा राजेश के लिए चाय नाश्ता का प्रबंध करने कहो,,,
निशा _जी मां
राजेश _नही मैम, नाश्ता नही करूंगा। सिर्फ कॉफी ओ भी निशा की हाथो से बनी काफी, मै भी तो जानू निशा को काफी बनाने आती है की नही।
निशा _न बाबा, मै नही बनाऊंगी, मुझे नही आता काफी बनाने, कही बिगड़ गया तो आप लोग मेरा मजाक उड़ावोगे।
सुजाता हंसते हुवे बोली,
निशा ठीक कह रही है राजेश, इसने तो अब तक कीचन के अंदर गई ही नही होगी।
राजेश _क्या? मेरा तो इच्छा था कि निशा जी की हाथो से बना काफी ,पीने का ,पर कोई बात नही ।
नौकरों की हाथ से बनी काफी से काम चला लेंगे।
निशा निराश हो गई, वह राजेश की अपेक्षाओं पे खरी नहीं उतरी।
सुजाता _राजेश, मै काफ़ी बनाकर ले आती हूं।
निशा _नही मॉम, काफी मै ही बना कर लाऊंगी।
सुजाता _क्या? वह हंसने लगीं।
निशा _हां।
निशा मुंह बनाते हुए किचन में चली गईं।
वहा नौकरानी लोगो से पूछने लगी कि काफी कैसे बनाते हैं।
एक नौकरानी ने कहा _बिटिया रहने दे ना मैं बना देती हूं ,घर में इतने नौकरों के होते ,आप काफ़ी बनाए ये हमे अच्छा नही लगेगा।
निशा _ नही, बिमला आंटी काफी तो मैं ही बनाऊंगी।
बताओ क्या करनी है?
नौकरानी के बताए अनुसार निशा ने काफ़ी बनाकर ले आई।
राजेश _वाउ, ये हुई न बात। मुझे पता था तुम कर सकती हो।
निशा _आप तो मेरा मजाक बना रहे थे।
राजेश _वो तो चैलेंज देने के लिए था।
निशा _ अब पीकर बताओ कॉफी कैसी बनी है।
राजेश ने कॉफी पीकर देखा,
निशा _कैसी है, कुछ बोलते क्यू नही?
राजेश _बहुत गंदी,,
निशा का चेहरा उतर गया।
सुजाता और राजेश हसने लगे ।
निशा _मैने तो पहले ही कहा था, मुझसे नही बन पाएगी।
राजेश _ओह तुम तो निराश हो गई, सच में कॉफी बहुत टेस्टी बनी है।
सुजाता _हां बेटा, बहुत अच्छी कॉफी बनाई हो।
निशा _मॉम आप भी इसका साथ दे रहे हो। मेरा मजाक बनाने में।
सुजाता _नही, बेटा मै भला अपनी निशु की मजाक कैसे बना सकती हूं सच में कॉफी बहुत टेस्टी बनी है।
राजेश _हूं।
निशा खुश हो गई।
कॉफी पीने के बाद राजेश बोला
राजेश _मैम अब मै चलता हूं, मॉम राह देख रही होगी।
सुजाता _ठीक है राजेश, ड्राइवर तुम्हें घर छोड़ देगा। हा और आज से ये घर तुम्हारा भी है यहां आते जाते रहना ।तुम्हे यहां आने जानें के लिए किसी की परमिशन लेने की आवश्यकता नहीं है।
राजेश _अच्छा मैम मै चलता हूं।
निशा जी अब मैं चलू।
निशा ने हा में सिर हिलाया।
राजेश जानें लगा, वह कार के पास पहुंचने ही वाला था कि निशा ने राजेश को आवाज दी।
निशा _राजेश!
निशा की आवाज सुनकर राजेश रुक गया।
राजेश निशा के पास आया।
राजेश _, निशा जी कुछ कहना था मुझसे।
निशा_ओ,,,
राजेश _बोलो निशा जी क्या कहना है?
निशा _ओ,,,
राजेश _आप घबरा क्यू रही हो।
निशा _थैंक्स राजेश, हमे मुसीबत सेनिकालने के लिए।
वह राजेश के गले लग गई।
राजेश _तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो तुम्हारे लिए इतना नही कर सकता।
तुम्हें मुझे धन्य वाद देकर शर्मिंदा न करो।
निशा _ओह राजेश तुम कितने अच्छे हो।
राजेश _आप भी तो बहुत अच्छी हो,,,
निशा _राजेश मुझे तुमसे कुछ कहना है?
राजेश _,, बोलो निशा जी क्या कहना है?
निशा _ओ,ओ,,
तुम कॉफी पीने फिर कब आओगे,,
राजेश हसने लगा, जब आप बुलाए
अब मैं चलूं ,
निशा _हा में सिर हिलाया।
राजेश अपना घर चला गया।
निशा राजेश को अपनी दिल की बात कहने की बहुत कोशिश की पर वह बोल ना पाई।
वह निराश होकर अपने कमरे में चली गई और सीमा को फ़ोन कर बताने लगी।
इधर राजेश अपना घर पहुंचा, दरवाजे का बेल बजाया।
सुनीता_लगता है राजेश आ गया,,
वह तेजी से दरवाजे की ओर गई, दरवाजा खोली।
इधर स्वीटी को भी पता था कि राजेश आने वाला है।
वह भी दरवाजे के पास आ गई।
दरवाजा खुलते ही।
सुनिता ने सामने राजेश को देखा,,
राजेश ने सुनिता का पैर छू कर चरणस्पर्श किया।
सुनिता ने राजेश को उठाकर गले लगा लिया।
आ गया मेरा बेटा।
राजेश _हा मां।
सुनिता ने राजेश के सिर पर पट्टी लगा देखा तो
सुनिता _बेटा , तुम्हारे सिर पर चोंट कैसी?
राजेश _कुछ नही huwa है मां, ओ थोड़ा सा खरोच लगा है।
राजेश सोफे पर बैठ गया। सुनिता भी उसके पास बैठ गई।
स्वीटी वही खड़ी थी।
सुनिता _बेटा, बताता क्यू नही तुम्हारे सिर पर चोंट कैसी लगी?
स्वीटी _मां, मुझे तो लगता हैं किसी औरत के चक्कर में ये पिट के आया है।
सुनिता _स्वीटी, ये क्या अनाप शनाप बोल रही है अपने भाई के बारे में।
स्वीटी _फिर बताता क्यू नही, चोंट कैसे लगी?
इनको अपनी मां बाप और बहन की चिंता तो है नही। चला है दूसरे की भलाई करने।
सुनिता _बेटा बताता क्यू नही किसी के साथ मार पीट huwa है क्या?
राजेश _मां, हड़ताल खत्म कराने से मज़दूर यूनियन के कुछ लोग नाराज होकर मूझपर हमला कर दिया।
सुनिता _इतनी बडी बात मुझे बताया क्यू नही?
राजेश _तुम घबरा ना जाओ, इसलिए।
सुजाता _बेटा, मुझे पहले से ही डर था, वहा कुछ दंगा फसाद न हो। अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो, हम लोगो का क्या होता?
स्वीटी _हम लोगो की चिंता होती तो ये वहा जाता ही क्यू?
राजेश _मां मै बिल्कुल ठीक हू, क्या तुम चाहती हो की तुम्हारा बेटा मुस्किलो से भाग कर भगोड़ा कहलाए। अपने दोस्तो की मदद न करने।
सुनिता _नही बेटा, मै ये नही चाहती कोइ तुम्हें स्वार्थी कहे। तभी तो तुम्हें जाने की इजाजत दी।
पर मां हूं ना चिंता तो होगी ही।
राजेश _, ओह मेरी प्यारी मां, तुम्हें तो खुश होना चाहिए की तुम्हरा बेटा, कामयाब होकर आया है।
सुनिता _मुझे तुम पर गर्व है बेटा।
अब तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश स्वीटी से बोला,
राजेश _कैसी है मेरी गुड़िया,,,
स्वीटी _आपको मेरी फिक्र करने की आवश्यकता नहीं।
मैं एक दम मजे से हूं।
वह अपना मुंह बनाते, अपने कमरे में चली गई।
और राजेश अपने कमरे में।
रात में सोने के समय, सुजाता ने राजेश को काल किया।
सुजाता _, सो गए क्या?
राजेश _नही मैम , बस सोने की तैयारी में था।
सुजाता _क्या तुम्हें मेरी याद नही आ रही?
तुम मर्द लोग भी कितने आसानी से भूल जाते हो।
राजेश _नही, मैम कैसे भुल सकता हूं आपके साथ बिताए पलो को, मै तो अब भी महसूस कर रहा हूं।
तुम्हारी बदन की खुशबू का अहसास मेरी नाक में अब तक हो रही है।
सुजाता _चुप झूठा कही का।
मैं तुम्हें बहुत मिस कर रही हूं।
राजेश _मै भी।
सुजाता_अच्छा सुनो कल मै तेरी मां से मिलूंगी।
राजेश _क्यू?
सुजाता _डिनर में इनवाइट करने।
जब उसका बेटा ने हमारी कंपनी को मुसीबत से बचाया है तो मां बाप से तो मिलना ही पड़ेगा। नही तो लोग मुझे मतलबी कहेंगे।

राजेश _कितना समय आ रही हो?
सुजाता _सोच रही हूं कल ऑफिस जाते समय आपके मम्मी से मिलती चलूं।
वैसे तुम्हारी मम्मी ने तुम्हारे सिर के चोंट के बारे में पूछी होगी। तुमने क्या बताया?
राजेश _स्वीटी बोल रही थी की किसी औरत के चक्कर में पिटकर आया है।
सुजाता हसने लगी।
राजेश _हस क्यू रही हो?
सुजाता _ठीक ही तो बोली।
राजेश _उन्हे क्या पता बदले में प्यार भी तो खूब मिला?
सुजाता _और नही चाहिए क्या मेरा प्यार? लगता हैं जी भर गया।
राजेश _हाय, इतनी जल्दी जी कैसा भर सकता है? तुम बुलाओ तो सही, तुम्हारा दीवाना हाजिर हो जायेगा। प्यार करने।
सुजाता _अच्छा, देखते हैं। देखो मैंने तुम्हें अपना सबकुछ दे दिया है, मुझे धोखा मत देना प्लीज। मै तुम्हें दूसरी औरत के साथ बर्दास्त नही कर पाऊंगी।
राजेश _ओह, तो मुझे अपनी कैद में रखना चाहती हो।
सुजाता _तुम जो भी समझो। पर तुम सिर्फ मेरे हो।
राजेश _इतना प्यार करती हो मुझसे।
सुजाता _हां, निशा के बाद तुमसे। पर मुझे तुम पर शक हो रहा है, कही तुम मुझे धोखा न दे दो।
क्यू कि तुमने खुलकर अपनी दिल की बात नही बताई है।
राजेश _मै तो उस हर शख्स से प्यार करता हूं जो मुझे प्यार करता है। उन सबमें तुम्हारा स्थान श्रेष्ठ है।
सुजाता _मतलब मै तुम्हारे दिल में विशेष स्थान रखती हूं।
राजेश _बिल्कुल।
सुजाता _ओह, थैंक्स राजेश मै यही सुनना चाहती थी।
आई लव यू राजेश।
राजेश _i Love you जानू
सुजाता _ओके बाय, रात को मेरे सपनो में आना।
राजेश _ओके bye sweetheart
अगले दिन जब राजेश कालेज के लिए निकला।
स्वीटी वही रोड पर खड़ी थी, अपनी सहेली की इंतजार करते।
राजेश _चलो बैठो।
स्वीटी _न, आप जाओ। मै अपनी सहेली के साथ जाऊंगी।
राजेश _तुम अब तक नाराज हो मुझसे।
स्वीटी ने कुछ नहीं कहा,,
राजेश ने फिर switi को बैठने कहा,,,
स्वीटी बाइक में बैठ गई और चुप ही रही।
राजेश _देखो स्वीटीतुम अभी छोटी हो, तुम जो चाहती हो वो ठीक नहीं तुम्हें इन सब चीजों में ध्यान नहीं देना चाहिए।
स्वीटी _मै अब बच्ची नही रही। मेरी क्लास की कई लड़कियां सेक्स कर चुके हैं।
राजेश _सीमा और निशा को देखो, वो कितनी अच्छी है, उनकी तरह क्यू नही सोचती?
स्वीटी _जब मां के साथ कर सकते हो तो मेरे साथ क्यू नही?
राजेश _मां की बात और है। उसे मेरी जरूरत है। पापा काम के बोझ के कारण मां का साथ नही दे बाते।
आखिर वह अपनी भावनाओं को दबाकर कब तक घुट घुट कर जीती रहेगी। इसलिए मुझे मां को बेटे के प्यार के साथ साथ पति का प्यार भी देना पड़ता है।

दोनो कालेज पहुंच गए।
इधर सुनिता किचन में काम कर रही थी। तभी दरवाजे की बेल बजी।
सुनिता _इस समय कौन हो सकता है?
सुनिता ने दरवाजा खोली।
सामने सुजाता खड़ी थी।
सुजाता _नमस्ते दी, सुजाता ने हाथ जोड़ कर कहा।
मैं सुजाता हूं।
सुनिता _आपको कौन नही पहचानेगा, आप सुजाता और विशाल ग्रुप्स की मालकिन है।
सुनीता _आइए न।
सुजाता घर के अंदर आई ओर सोफे पर बैठ गई।
सुनिता _अप बैठिए, मै पानी लेकर आती हूं।
कॉफी लेंगी आप।
सुजाता _जी रहने दीजिए न दीदी, क्यू तकलीफ उठा राही है आप।
सुनिता _इसमें तकलीफ कैसी, पहली बार तो घर सा राही है आप मेरी। ये तो मेरा फर्ज है।
सुनिता कॉफी बनाने लगी।
सुजाता घर का मुआइना करने लगी। कॉफी बनाते समय वह सोचने लगी। पता नहीं अचानक से क्यों आई है। मूझे तो इन बड़े लोगों से डर लगता है।

सुनीता कॉफी लेकर आई।
सुनीता _लीजिए कॉफी लीजिए।
सुजाता _धन्यवाद दी।
सुनिता _सुजाता जी आप कुछ काम से आई थी क्या? राजेश तो कालेज चला गया है।
सुजाता _नही दी मै आपसे ही मिलने आई हूं।
आपको तो पता ही है हमारी कंपनी कितनी मुसीबत में फस गई थी।
राजेश ने अगर मदद न की होती तो हमारी कंपनी डूब चुकी होती। आप बडी किस्मत वाली है दीदी जो इतना होनहार बेटे की मां हो, राजेश की प्रतिभा असाधारण है। उसने बिना किसी स्वार्थ के हमारी मदद की।
सुनिता _ ये आप क्या कह रही है?
निशा राजेश की दोस्त है, दोस्त का परिवार मुसीबत में हो तो उसकी मदद करना उसका फर्ज है।
सुजाता _दी, आपने राजेश को इतने अच्छे संस्कार दिए हैं, उसी का परिणाम है जो कुछ ही समय में सबका दिल जीत लेता है।
राजेश ने हमारी मदद की हमारा भी कुछ फर्ज बनता है इसलिए मैं आज आप लोगो को डिनर में आमन्त्रित करने आई हूं।
सुनिता _सुजाता जी इसकी क्या आवश्यकता है?
सुजाता _नही दीदी, आप लोग आएंगे तो हमें खुशी होगी प्लीज इनकार मत कीजिए।
सुनिता _ठीक है । हम आ जाएंगे।
सुजाता _धन्यवाद दी मै आप लोगों का इन्तजार करूंगी।
अब मुझे इजाजत दीजिए।
सुजाता ने हाथ जोड़ कर जाने की इजाजत मांगी।
सुनिता ने भी हाथ जोड़ कर, हा में सिर हिलाई।

राजेश जब भगत और अन्य दोस्तो से मिला,,
भगत _भाई आपके सिर पर चोंट कैसी?
राजेश _कुछ नही यार, कुछ गुंडे थे जिन्हे सबक सिखाना जरूरी था, उसकी को सबक सिखाते यह चोट लग गई।
भगत _भाई, अगर कुछ कसर बांकी रह गई हो तो हमें बताओ शालो को घर में घुस कर मारेंगे।
राजेश _अरे नही, वो और मार खाने लायक नहीं बचे हैं।
और कैसा चल रहा है कालेज।
भगत _कालेज में तो सब ठीक ही चल रहा है पर भाई तेरे बिना, मजा ही नही आता।
हम तो आप ही का इंतजार कर रहे थे कि आप कब आएंगे।
तभी क्लास की घंटी बजी और सभी क्लास में चले गए।
इधर सीमा और निशा क्लास में,
निशा _सीमा मैने बहुत कोशिश की राजेश को अपने दिल की बात बताने की, पर बता न सकी।
सीमा _हूं, कोशिश जारी रखो। जब भी मौका मिले बता देना।
निशा _मॉम ने आज राजेश और उनकी फैमिली को डिनर के लिए इनवाइट किया है।
सीमा _ओह, ये तो बडी अच्छी बात है, तुम मौका देख कर राजेश से अपनी दिल की बात कह देना।
निशा _पता नही इतने लोगो के बीच मौका मिल पाएगा की नही।
सीमा तुम भी शामिल होना डिनर में।
सीमा _ठीक है।

कालेज में छुट्टी होने के बाद राजेश घर पहुंचा। सुनिता किचन में काम कर रही थी।
राजेश किचन में जाकर अपनी सुनिता को पीछेसे बाहों मे भर लिया।
सुनिता _आ गया मेरा बेटा कालेज से।
राजेश _हा, मां।
सुनिता _पता है, तुम्हारे कालेज जानें के बाद सुजाता आई थी।
राजेश _क्या? पर वो क्यू आई थी?
सुनिता _वह हमे डिनर में आमन्त्रित की है।
राजेश _तो आपने क्या कहा?
सुनिता _वह बार बार निवेदन कर रही थी इसलिए मैं इनकार ना कार सकी।
हमे रात 7: 30बजे उसके घर के लिए निकलना होगा। मैने तुम्हारे पापा को कह दिया है घर जल्दी आने को, उसने हमें तैयार रहने को बोला है।
तुम और स्वीटी भी तैयार हो जाना समय पर।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश अपने कमरे में चला गया।

, शाम के 7बजने के बाद सुनिता स्वीटी के कमरे में आई।
सुनिता _बेटी तुम जल्दी तयार हो जाओ,
Switi _क्यू मां कहा चलना है?
सुजाता _लो,बेटा मै तो तुम्हें बताना ही भूल गई, बेटा हमे सुजाता जी ने रात्रि भोज के लिए आमन्त्रित किया है। तुम जल्दी तैयार हो जाओ।
स्वीटी _नही, मां, मै नही जाऊंगी।
सुनिता _क्यू क्या huwa?
स्वीटी _क्यू की वहा मेरा जानें का मन नही।
सुनिता _बेटा यू तुम क्या कह रही हो, वे लोग तुम्हारे बारे में पूछेंगे तो हम क्या जवाब देंगे। क्या तुम हमें शर्मिंदा कर्ण चाहती हो।
Switi _, मां अगर वे मेरे बारे में पूछेंगे तो बता देना उसकी तबियत कुछ ठीक नहीं।
सुनिता _अपनी मां से झूठ बुलवाना चाहती है, जल्दी से तैयार हो जाओ, बहुत हो गया तुम्हरा नाटक।
सुनिता वहा से निकल कर राजेश के कमरे में गई।
राजेश _मां,आप।
सुनिता _बेटा जरा मेरे कमरे में आना।
राजेश _क्यू मां कुछ काम था क्या?
सुनिता _हा बेटा।
राजेश सुनिता के पीछे पीछे उसके कमरे में चला गया।
सुनिता _ने अपनी कपड़े की आलमारी खोल के बोली। बेटा मै कौन सी साड़ी पहनु मुझे तो कुछ समझ ही नही आ रहा।
राजेश ने सुनिता को पीछे से बाहों मे भरते हुए कहा, मां आप पर तो कोई भी साड़ी हो खूब जचती है, इतनी सुंदर जो हो।
वो तो हर बेटे को अपनी मां सबसे सुंदर लगती हैं।
राजेश _नही मां, आप सच में बहुत सुंदर है।
सुनिता _अच्छा, अब तारीफ करना बंद कर और बता कौन सी साड़ी पहनू।
राजेश ने एक साड़ी अपनी पसंद की निकाली।
राजेश _मॉम ये साड़ी पहनो, देखना सुजाता मैम तुम्हारे सामने फीकी लगेगी।
सुनिता _सुजाता, भी किसी अप्सरा से कम नहीं है। वह निशा की मां नही बड़ी बहन लगती है।
राजेश _मां, तुम भी तो स्वीटी की मां नही उसकी बडी बहन लगती हो।
सुनिता _अपनी मां की झूठी तारीफ करना बंद करो और जाओ तुम भी तैयार हो जाओ तुम्हारे पापा आते होंगे फिर हम निकलेंगे।
राजेश _मां, मुझे पहन कर दिखाओ कि इस साड़ी में कैसी लगती हो?
सुनिता _अच्छा , ठीक है तुम जाओ अपने कमरे में, थोड़े देर बाद आकर देख लेना कैसी लग रही हूं?
राजेश _नही, मुझे यही रहूंगा।
सुनिता _क्या? मतलब तुम्हें बदमाशी सूझ रही है। चल भाग यहां से बदमाश कही का।
सुनिता ने राजेश को धकेलते हुवे दरवाजे से बाहर कर दी। और मुस्कुराते हुवे आईने के सामने खड़ी होकर साड़ी बदलने लगी।
राजेश निराश होकर अपने कमरे में जाकर, तैयार होने लगा। नया जींस और शर्ट पहन लिया।
राजेश तैयार होकर अपनी मां के कमरे के पास जाकर दरवाजा खटखटाया।
सुनिता ने दरवाजा खोली।
राजेश _राजेश, सुनिता को देखता ही रह गया।
सुनिता _अरे बेटा कहा खो गया।

राजेश _मां, सच में तुम स्वर्ग की कोई अप्सरा लग रही हो।
सुनिता आईने के पास गई और अपनी मंगल सूत्र पहनते हुवे बोली,, हूं तू फिर शुरू हो गया।
राजेश ने सुनिता को पीछे से बाहों मे भर कर आईने में देखते हुए बोला।
राजेश _मां, मै सच कह रहा। तुम सच में अप्सरा लग रही हो। और वह सुनिता की ओंठ चूम लिया।
सुनिता _बदमाश ये क्या कर रहा है? तेरी नियत बिगड़ रही है। छोड़ मुझे तेरे पापा किसी भी समय पहुंच सकते हैं।

राजेश ने सुनिता को पीछे से और कस कर जकड़ लिया। और उसकी गर्दन पर चुम्बन लेने लगा।
सुनिता _बेटा, ये क्या कर रहा है तू? लगता हैं तू फिर बावला हो गया है।
राजेश एक हाथ से सुनिता की पेट सहलाने लगा।
और एक हाथ से उसकी चूची मसलते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा।
सुनिता _, राजेश, छोड़ो भी, तुम्हारे पापा किसी भी समय आ जायेंगे। ये समय नहीं अभी ये सब करने वाली का।
पर राजेश ने अपना कार्य जारी रखा जिसका प्रभाव सुनिता पर ये पड़ा की वह सिसकने लगी।

सुनीता _बेटा छोड़ो न, तुम्हारे पापा आ जायेंगे छोड़ो न, क्या कर रहे हो?
राजेश की हरकतों से सुनीता गर्म होने लगी। उसके मुंह से हल्की हल्की कामुक सिसकारी निकलने लगी।
अब राजेश सुनिता को बेड में ले जाकर अपनी गोद में बिठा कर अपनी दोनो हाथो से उसकी चूची मसलता हुआ, उसके ओंठ चूसने लगा।
राजेश की हरकतों से सुनीता बहुत गर्म हो गई उसकी बुर से पानी छुटने लगी, मुंह से कामुक सिसकारी निकलने लगी।
राजेश का land भी तनकर खड़ा हो गया था।
तभी दरवाजे की बेल बजी।
सुनिता _राजेश अब छोड़ो, तुम्हारा पापा आ गया।
राजेश _नही मां, थोड़ी देर और प्यार करने दो न। बड़ा मन कर रहा है।
सुनिता _अरे बाबा, अब जो भी करना है रात में कर लेना, अभी छोड़ो मुझे।
राजेश _क्या सच में मां, आज रात में प्यार करने दोगी। देखो अपनी बात से मुकर नही जाना।
सुनिता _नही मुकरूंगी बाबा अब छोड़ो भी।
राजेश ने सुनिता को छोड़ दिया। सुनिता दरवाजा खोलने चली गई।

शेखर _अरे भाग्यवान, इतनी देर क्यू हो गई दरवाज़ा खोलने में।
सुनीता _वो क्या है न जी की मैं तैयार हो रही थी।
अब आप भी जल्दी तैयार हो जाइए। बच्चे लोग तैयार हो चुके हैं।
शेखर _ठीक है, डार्लिंग। कुछ देर में
शेखर भी तैयार हो गया फिर चारो कार में बैठकर निशा की घर के लिए निकले गए।

Behad shandar update he rajesh bhagat Bhai,

Nisha shayad ab apne dil ki baat rajesh se keh sake..........

Keep rocking Bro
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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सोनपुर में तीन दिन और ठहरने के बाद आख़िर राजेश ओर सुनीता घर के लिए शहर को निकल गए। इन तीन दिनों को उन दोनो ने जी भर कर जिया क्यों की सुजाता जानती थी कि शहर में जानें के बाद वे शायद ही खुल कर मिल पाए।
उन्हे शहर में स्वतंत्रता नही मिलने वाली थी। इसलिए सुजाता ने सोनपुर में हर पल को जी भर के जिया।
इधर राजेश अब ठीक से चलने फिरने लगा था। पर उसकी सिर का चोंट अभी भी पूर्ण रूप से ठीक नहीं huwa था।
जब वे घर पहुंचे तो शाम के 5बज रहे थे। निशा कालेज से घर पहुंच चुकी थी। वह राजेश और अपनी मां कीआने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी।
उसका दिल धड़कने लगा था, राजेश से मिलने के लिए।
जब राजेश और सुजाता घर पहुंचे। निशा तेजी से भागते हुए दरवाजे की चौंखट से झांकते हुए, राजेश को कार से उतरते हुए देखने लगी।
जैसे जैसे वे घर की ओर आने लगें उसकी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी।
जब सुजाता, और राजेश दरवाजे के पास पहुंची निसा ने दौड़कर अपनी मां को सीने से लगा ली।
सुजाता _अरे बेटा क्या हुआ घबराई हुई लग रही है।
निशा _मॉम आप मुझे छोड़कर इतने दिन क्यू रही?
सुजाता _ओह बेटा, मजबूर थी, काम के सिलसिले में रुकना पड़ा।
निशा _मॉम , राजेश के सिर पर ये चोंट कैसी?
राजेश _ओ निशा क्या है न कि हम लोग बाहर टहलने के लिए निकले थे कि मेरा पैर फिसल गया और मेरे सिर पर चोंट लग गया।
निशा _मुझे आप लोगो ने बताया क्यू नही?
राजेश _तुम परेशान न हो जाओ इसलिए,,
राजेश और सुजाता दोनों सोफे पर बैठ कर आराम करने लगें।
सुजाता_बेटा तुम्हारे डैड कैसे हैं।
निशा _मॉम, डैड ठीक है। अभी वह आराम कर रहे हैं।
सुजाता _बेटा राजेश के लिए चाय नाश्ता का प्रबंध करने कहो,,,
निशा _जी मां
राजेश _नही मैम, नाश्ता नही करूंगा। सिर्फ कॉफी ओ भी निशा की हाथो से बनी काफी, मै भी तो जानू निशा को काफी बनाने आती है की नही।
निशा _न बाबा, मै नही बनाऊंगी, मुझे नही आता काफी बनाने, कही बिगड़ गया तो आप लोग मेरा मजाक उड़ावोगे।
सुजाता हंसते हुवे बोली,
निशा ठीक कह रही है राजेश, इसने तो अब तक कीचन के अंदर गई ही नही होगी।
राजेश _क्या? मेरा तो इच्छा था कि निशा जी की हाथो से बना काफी ,पीने का ,पर कोई बात नही ।
नौकरों की हाथ से बनी काफी से काम चला लेंगे।
निशा निराश हो गई, वह राजेश की अपेक्षाओं पे खरी नहीं उतरी।
सुजाता _राजेश, मै काफ़ी बनाकर ले आती हूं।
निशा _नही मॉम, काफी मै ही बना कर लाऊंगी।
सुजाता _क्या? वह हंसने लगीं।
निशा _हां।
निशा मुंह बनाते हुए किचन में चली गईं।
वहा नौकरानी लोगो से पूछने लगी कि काफी कैसे बनाते हैं।
एक नौकरानी ने कहा _बिटिया रहने दे ना मैं बना देती हूं ,घर में इतने नौकरों के होते ,आप काफ़ी बनाए ये हमे अच्छा नही लगेगा।
निशा _ नही, बिमला आंटी काफी तो मैं ही बनाऊंगी।
बताओ क्या करनी है?
नौकरानी के बताए अनुसार निशा ने काफ़ी बनाकर ले आई।
राजेश _वाउ, ये हुई न बात। मुझे पता था तुम कर सकती हो।
निशा _आप तो मेरा मजाक बना रहे थे।
राजेश _वो तो चैलेंज देने के लिए था।
निशा _ अब पीकर बताओ कॉफी कैसी बनी है।
राजेश ने कॉफी पीकर देखा,
निशा _कैसी है, कुछ बोलते क्यू नही?
राजेश _बहुत गंदी,,
निशा का चेहरा उतर गया।
सुजाता और राजेश हसने लगे ।
निशा _मैने तो पहले ही कहा था, मुझसे नही बन पाएगी।
राजेश _ओह तुम तो निराश हो गई, सच में कॉफी बहुत टेस्टी बनी है।
सुजाता _हां बेटा, बहुत अच्छी कॉफी बनाई हो।
निशा _मॉम आप भी इसका साथ दे रहे हो। मेरा मजाक बनाने में।
सुजाता _नही, बेटा मै भला अपनी निशु की मजाक कैसे बना सकती हूं सच में कॉफी बहुत टेस्टी बनी है।
राजेश _हूं।
निशा खुश हो गई।
कॉफी पीने के बाद राजेश बोला
राजेश _मैम अब मै चलता हूं, मॉम राह देख रही होगी।
सुजाता _ठीक है राजेश, ड्राइवर तुम्हें घर छोड़ देगा। हा और आज से ये घर तुम्हारा भी है यहां आते जाते रहना ।तुम्हे यहां आने जानें के लिए किसी की परमिशन लेने की आवश्यकता नहीं है।
राजेश _अच्छा मैम मै चलता हूं।
निशा जी अब मैं चलू।
निशा ने हा में सिर हिलाया।
राजेश जानें लगा, वह कार के पास पहुंचने ही वाला था कि निशा ने राजेश को आवाज दी।
निशा _राजेश!
निशा की आवाज सुनकर राजेश रुक गया।
राजेश निशा के पास आया।
राजेश _, निशा जी कुछ कहना था मुझसे।
निशा_ओ,,,
राजेश _बोलो निशा जी क्या कहना है?
निशा _ओ,,,
राजेश _आप घबरा क्यू रही हो।
निशा _थैंक्स राजेश, हमे मुसीबत सेनिकालने के लिए।
वह राजेश के गले लग गई।
राजेश _तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो तुम्हारे लिए इतना नही कर सकता।
तुम्हें मुझे धन्य वाद देकर शर्मिंदा न करो।
निशा _ओह राजेश तुम कितने अच्छे हो।
राजेश _आप भी तो बहुत अच्छी हो,,,
निशा _राजेश मुझे तुमसे कुछ कहना है?
राजेश _,, बोलो निशा जी क्या कहना है?
निशा _ओ,ओ,,
तुम कॉफी पीने फिर कब आओगे,,
राजेश हसने लगा, जब आप बुलाए
अब मैं चलूं ,
निशा _हा में सिर हिलाया।
राजेश अपना घर चला गया।
निशा राजेश को अपनी दिल की बात कहने की बहुत कोशिश की पर वह बोल ना पाई।
वह निराश होकर अपने कमरे में चली गई और सीमा को फ़ोन कर बताने लगी।
इधर राजेश अपना घर पहुंचा, दरवाजे का बेल बजाया।
सुनीता_लगता है राजेश आ गया,,
वह तेजी से दरवाजे की ओर गई, दरवाजा खोली।
इधर स्वीटी को भी पता था कि राजेश आने वाला है।
वह भी दरवाजे के पास आ गई।
दरवाजा खुलते ही।
सुनिता ने सामने राजेश को देखा,,
राजेश ने सुनिता का पैर छू कर चरणस्पर्श किया।
सुनिता ने राजेश को उठाकर गले लगा लिया।
आ गया मेरा बेटा।
राजेश _हा मां।
सुनिता ने राजेश के सिर पर पट्टी लगा देखा तो
सुनिता _बेटा , तुम्हारे सिर पर चोंट कैसी?
राजेश _कुछ नही huwa है मां, ओ थोड़ा सा खरोच लगा है।
राजेश सोफे पर बैठ गया। सुनिता भी उसके पास बैठ गई।
स्वीटी वही खड़ी थी।
सुनिता _बेटा, बताता क्यू नही तुम्हारे सिर पर चोंट कैसी लगी?
स्वीटी _मां, मुझे तो लगता हैं किसी औरत के चक्कर में ये पिट के आया है।
सुनिता _स्वीटी, ये क्या अनाप शनाप बोल रही है अपने भाई के बारे में।
स्वीटी _फिर बताता क्यू नही, चोंट कैसे लगी?
इनको अपनी मां बाप और बहन की चिंता तो है नही। चला है दूसरे की भलाई करने।
सुनिता _बेटा बताता क्यू नही किसी के साथ मार पीट huwa है क्या?
राजेश _मां, हड़ताल खत्म कराने से मज़दूर यूनियन के कुछ लोग नाराज होकर मूझपर हमला कर दिया।
सुनिता _इतनी बडी बात मुझे बताया क्यू नही?
राजेश _तुम घबरा ना जाओ, इसलिए।
सुजाता _बेटा, मुझे पहले से ही डर था, वहा कुछ दंगा फसाद न हो। अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो, हम लोगो का क्या होता?
स्वीटी _हम लोगो की चिंता होती तो ये वहा जाता ही क्यू?
राजेश _मां मै बिल्कुल ठीक हू, क्या तुम चाहती हो की तुम्हारा बेटा मुस्किलो से भाग कर भगोड़ा कहलाए। अपने दोस्तो की मदद न करने।
सुनिता _नही बेटा, मै ये नही चाहती कोइ तुम्हें स्वार्थी कहे। तभी तो तुम्हें जाने की इजाजत दी।
पर मां हूं ना चिंता तो होगी ही।
राजेश _, ओह मेरी प्यारी मां, तुम्हें तो खुश होना चाहिए की तुम्हरा बेटा, कामयाब होकर आया है।
सुनिता _मुझे तुम पर गर्व है बेटा।
अब तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश स्वीटी से बोला,
राजेश _कैसी है मेरी गुड़िया,,,
स्वीटी _आपको मेरी फिक्र करने की आवश्यकता नहीं।
मैं एक दम मजे से हूं।
वह अपना मुंह बनाते, अपने कमरे में चली गई।
और राजेश अपने कमरे में।
रात में सोने के समय, सुजाता ने राजेश को काल किया।
सुजाता _, सो गए क्या?
राजेश _नही मैम , बस सोने की तैयारी में था।
सुजाता _क्या तुम्हें मेरी याद नही आ रही?
तुम मर्द लोग भी कितने आसानी से भूल जाते हो।
राजेश _नही, मैम कैसे भुल सकता हूं आपके साथ बिताए पलो को, मै तो अब भी महसूस कर रहा हूं।
तुम्हारी बदन की खुशबू का अहसास मेरी नाक में अब तक हो रही है।
सुजाता _चुप झूठा कही का।
मैं तुम्हें बहुत मिस कर रही हूं।
राजेश _मै भी।
सुजाता_अच्छा सुनो कल मै तेरी मां से मिलूंगी।
राजेश _क्यू?
सुजाता _डिनर में इनवाइट करने।
जब उसका बेटा ने हमारी कंपनी को मुसीबत से बचाया है तो मां बाप से तो मिलना ही पड़ेगा। नही तो लोग मुझे मतलबी कहेंगे।

राजेश _कितना समय आ रही हो?
सुजाता _सोच रही हूं कल ऑफिस जाते समय आपके मम्मी से मिलती चलूं।
वैसे तुम्हारी मम्मी ने तुम्हारे सिर के चोंट के बारे में पूछी होगी। तुमने क्या बताया?
राजेश _स्वीटी बोल रही थी की किसी औरत के चक्कर में पिटकर आया है।
सुजाता हसने लगी।
राजेश _हस क्यू रही हो?
सुजाता _ठीक ही तो बोली।
राजेश _उन्हे क्या पता बदले में प्यार भी तो खूब मिला?
सुजाता _और नही चाहिए क्या मेरा प्यार? लगता हैं जी भर गया।
राजेश _हाय, इतनी जल्दी जी कैसा भर सकता है? तुम बुलाओ तो सही, तुम्हारा दीवाना हाजिर हो जायेगा। प्यार करने।
सुजाता _अच्छा, देखते हैं। देखो मैंने तुम्हें अपना सबकुछ दे दिया है, मुझे धोखा मत देना प्लीज। मै तुम्हें दूसरी औरत के साथ बर्दास्त नही कर पाऊंगी।
राजेश _ओह, तो मुझे अपनी कैद में रखना चाहती हो।
सुजाता _तुम जो भी समझो। पर तुम सिर्फ मेरे हो।
राजेश _इतना प्यार करती हो मुझसे।
सुजाता _हां, निशा के बाद तुमसे। पर मुझे तुम पर शक हो रहा है, कही तुम मुझे धोखा न दे दो।
क्यू कि तुमने खुलकर अपनी दिल की बात नही बताई है।
राजेश _मै तो उस हर शख्स से प्यार करता हूं जो मुझे प्यार करता है। उन सबमें तुम्हारा स्थान श्रेष्ठ है।
सुजाता _मतलब मै तुम्हारे दिल में विशेष स्थान रखती हूं।
राजेश _बिल्कुल।
सुजाता _ओह, थैंक्स राजेश मै यही सुनना चाहती थी।
आई लव यू राजेश।
राजेश _i Love you जानू
सुजाता _ओके बाय, रात को मेरे सपनो में आना।
राजेश _ओके bye sweetheart
अगले दिन जब राजेश कालेज के लिए निकला।
स्वीटी वही रोड पर खड़ी थी, अपनी सहेली की इंतजार करते।
राजेश _चलो बैठो।
स्वीटी _न, आप जाओ। मै अपनी सहेली के साथ जाऊंगी।
राजेश _तुम अब तक नाराज हो मुझसे।
स्वीटी ने कुछ नहीं कहा,,
राजेश ने फिर switi को बैठने कहा,,,
स्वीटी बाइक में बैठ गई और चुप ही रही।
राजेश _देखो स्वीटीतुम अभी छोटी हो, तुम जो चाहती हो वो ठीक नहीं तुम्हें इन सब चीजों में ध्यान नहीं देना चाहिए।
स्वीटी _मै अब बच्ची नही रही। मेरी क्लास की कई लड़कियां सेक्स कर चुके हैं।
राजेश _सीमा और निशा को देखो, वो कितनी अच्छी है, उनकी तरह क्यू नही सोचती?
स्वीटी _जब मां के साथ कर सकते हो तो मेरे साथ क्यू नही?
राजेश _मां की बात और है। उसे मेरी जरूरत है। पापा काम के बोझ के कारण मां का साथ नही दे बाते।
आखिर वह अपनी भावनाओं को दबाकर कब तक घुट घुट कर जीती रहेगी। इसलिए मुझे मां को बेटे के प्यार के साथ साथ पति का प्यार भी देना पड़ता है।

दोनो कालेज पहुंच गए।
इधर सुनिता किचन में काम कर रही थी। तभी दरवाजे की बेल बजी।
सुनिता _इस समय कौन हो सकता है?
सुनिता ने दरवाजा खोली।
सामने सुजाता खड़ी थी।
सुजाता _नमस्ते दी, सुजाता ने हाथ जोड़ कर कहा।
मैं सुजाता हूं।
सुनिता _आपको कौन नही पहचानेगा, आप सुजाता और विशाल ग्रुप्स की मालकिन है।
सुनीता _आइए न।
सुजाता घर के अंदर आई ओर सोफे पर बैठ गई।
सुनिता _अप बैठिए, मै पानी लेकर आती हूं।
कॉफी लेंगी आप।
सुजाता _जी रहने दीजिए न दीदी, क्यू तकलीफ उठा राही है आप।
सुनिता _इसमें तकलीफ कैसी, पहली बार तो घर सा राही है आप मेरी। ये तो मेरा फर्ज है।
सुनिता कॉफी बनाने लगी।
सुजाता घर का मुआइना करने लगी। कॉफी बनाते समय वह सोचने लगी। पता नहीं अचानक से क्यों आई है। मूझे तो इन बड़े लोगों से डर लगता है।

सुनीता कॉफी लेकर आई।
सुनीता _लीजिए कॉफी लीजिए।
सुजाता _धन्यवाद दी।
सुनिता _सुजाता जी आप कुछ काम से आई थी क्या? राजेश तो कालेज चला गया है।
सुजाता _नही दी मै आपसे ही मिलने आई हूं।
आपको तो पता ही है हमारी कंपनी कितनी मुसीबत में फस गई थी।
राजेश ने अगर मदद न की होती तो हमारी कंपनी डूब चुकी होती। आप बडी किस्मत वाली है दीदी जो इतना होनहार बेटे की मां हो, राजेश की प्रतिभा असाधारण है। उसने बिना किसी स्वार्थ के हमारी मदद की।
सुनिता _ ये आप क्या कह रही है?
निशा राजेश की दोस्त है, दोस्त का परिवार मुसीबत में हो तो उसकी मदद करना उसका फर्ज है।
सुजाता _दी, आपने राजेश को इतने अच्छे संस्कार दिए हैं, उसी का परिणाम है जो कुछ ही समय में सबका दिल जीत लेता है।
राजेश ने हमारी मदद की हमारा भी कुछ फर्ज बनता है इसलिए मैं आज आप लोगो को डिनर में आमन्त्रित करने आई हूं।
सुनिता _सुजाता जी इसकी क्या आवश्यकता है?
सुजाता _नही दीदी, आप लोग आएंगे तो हमें खुशी होगी प्लीज इनकार मत कीजिए।
सुनिता _ठीक है । हम आ जाएंगे।
सुजाता _धन्यवाद दी मै आप लोगों का इन्तजार करूंगी।
अब मुझे इजाजत दीजिए।
सुजाता ने हाथ जोड़ कर जाने की इजाजत मांगी।
सुनिता ने भी हाथ जोड़ कर, हा में सिर हिलाई।

राजेश जब भगत और अन्य दोस्तो से मिला,,
भगत _भाई आपके सिर पर चोंट कैसी?
राजेश _कुछ नही यार, कुछ गुंडे थे जिन्हे सबक सिखाना जरूरी था, उसकी को सबक सिखाते यह चोट लग गई।
भगत _भाई, अगर कुछ कसर बांकी रह गई हो तो हमें बताओ शालो को घर में घुस कर मारेंगे।
राजेश _अरे नही, वो और मार खाने लायक नहीं बचे हैं।
और कैसा चल रहा है कालेज।
भगत _कालेज में तो सब ठीक ही चल रहा है पर भाई तेरे बिना, मजा ही नही आता।
हम तो आप ही का इंतजार कर रहे थे कि आप कब आएंगे।
तभी क्लास की घंटी बजी और सभी क्लास में चले गए।
इधर सीमा और निशा क्लास में,
निशा _सीमा मैने बहुत कोशिश की राजेश को अपने दिल की बात बताने की, पर बता न सकी।
सीमा _हूं, कोशिश जारी रखो। जब भी मौका मिले बता देना।
निशा _मॉम ने आज राजेश और उनकी फैमिली को डिनर के लिए इनवाइट किया है।
सीमा _ओह, ये तो बडी अच्छी बात है, तुम मौका देख कर राजेश से अपनी दिल की बात कह देना।
निशा _पता नही इतने लोगो के बीच मौका मिल पाएगा की नही।
सीमा तुम भी शामिल होना डिनर में।
सीमा _ठीक है।

कालेज में छुट्टी होने के बाद राजेश घर पहुंचा। सुनिता किचन में काम कर रही थी।
राजेश किचन में जाकर अपनी सुनिता को पीछेसे बाहों मे भर लिया।
सुनिता _आ गया मेरा बेटा कालेज से।
राजेश _हा, मां।
सुनिता _पता है, तुम्हारे कालेज जानें के बाद सुजाता आई थी।
राजेश _क्या? पर वो क्यू आई थी?
सुनिता _वह हमे डिनर में आमन्त्रित की है।
राजेश _तो आपने क्या कहा?
सुनिता _वह बार बार निवेदन कर रही थी इसलिए मैं इनकार ना कार सकी।
हमे रात 7: 30बजे उसके घर के लिए निकलना होगा। मैने तुम्हारे पापा को कह दिया है घर जल्दी आने को, उसने हमें तैयार रहने को बोला है।
तुम और स्वीटी भी तैयार हो जाना समय पर।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश अपने कमरे में चला गया।

, शाम के 7बजने के बाद सुनिता स्वीटी के कमरे में आई।
सुनिता _बेटी तुम जल्दी तयार हो जाओ,
Switi _क्यू मां कहा चलना है?
सुजाता _लो,बेटा मै तो तुम्हें बताना ही भूल गई, बेटा हमे सुजाता जी ने रात्रि भोज के लिए आमन्त्रित किया है। तुम जल्दी तैयार हो जाओ।
स्वीटी _नही, मां, मै नही जाऊंगी।
सुनिता _क्यू क्या huwa?
स्वीटी _क्यू की वहा मेरा जानें का मन नही।
सुनिता _बेटा यू तुम क्या कह रही हो, वे लोग तुम्हारे बारे में पूछेंगे तो हम क्या जवाब देंगे। क्या तुम हमें शर्मिंदा कर्ण चाहती हो।
Switi _, मां अगर वे मेरे बारे में पूछेंगे तो बता देना उसकी तबियत कुछ ठीक नहीं।
सुनिता _अपनी मां से झूठ बुलवाना चाहती है, जल्दी से तैयार हो जाओ, बहुत हो गया तुम्हरा नाटक।
सुनिता वहा से निकल कर राजेश के कमरे में गई।
राजेश _मां,आप।
सुनिता _बेटा जरा मेरे कमरे में आना।
राजेश _क्यू मां कुछ काम था क्या?
सुनिता _हा बेटा।
राजेश सुनिता के पीछे पीछे उसके कमरे में चला गया।
सुनिता _ने अपनी कपड़े की आलमारी खोल के बोली। बेटा मै कौन सी साड़ी पहनु मुझे तो कुछ समझ ही नही आ रहा।
राजेश ने सुनिता को पीछे से बाहों मे भरते हुए कहा, मां आप पर तो कोई भी साड़ी हो खूब जचती है, इतनी सुंदर जो हो।
वो तो हर बेटे को अपनी मां सबसे सुंदर लगती हैं।
राजेश _नही मां, आप सच में बहुत सुंदर है।
सुनिता _अच्छा, अब तारीफ करना बंद कर और बता कौन सी साड़ी पहनू।
राजेश ने एक साड़ी अपनी पसंद की निकाली।
राजेश _मॉम ये साड़ी पहनो, देखना सुजाता मैम तुम्हारे सामने फीकी लगेगी।
सुनिता _सुजाता, भी किसी अप्सरा से कम नहीं है। वह निशा की मां नही बड़ी बहन लगती है।
राजेश _मां, तुम भी तो स्वीटी की मां नही उसकी बडी बहन लगती हो।
सुनिता _अपनी मां की झूठी तारीफ करना बंद करो और जाओ तुम भी तैयार हो जाओ तुम्हारे पापा आते होंगे फिर हम निकलेंगे।
राजेश _मां, मुझे पहन कर दिखाओ कि इस साड़ी में कैसी लगती हो?
सुनिता _अच्छा , ठीक है तुम जाओ अपने कमरे में, थोड़े देर बाद आकर देख लेना कैसी लग रही हूं?
राजेश _नही, मुझे यही रहूंगा।
सुनिता _क्या? मतलब तुम्हें बदमाशी सूझ रही है। चल भाग यहां से बदमाश कही का।
सुनिता ने राजेश को धकेलते हुवे दरवाजे से बाहर कर दी। और मुस्कुराते हुवे आईने के सामने खड़ी होकर साड़ी बदलने लगी।
राजेश निराश होकर अपने कमरे में जाकर, तैयार होने लगा। नया जींस और शर्ट पहन लिया।
राजेश तैयार होकर अपनी मां के कमरे के पास जाकर दरवाजा खटखटाया।
सुनिता ने दरवाजा खोली।
राजेश _राजेश, सुनिता को देखता ही रह गया।
सुनिता _अरे बेटा कहा खो गया।

राजेश _मां, सच में तुम स्वर्ग की कोई अप्सरा लग रही हो।
सुनिता आईने के पास गई और अपनी मंगल सूत्र पहनते हुवे बोली,, हूं तू फिर शुरू हो गया।
राजेश ने सुनिता को पीछे से बाहों मे भर कर आईने में देखते हुए बोला।
राजेश _मां, मै सच कह रहा। तुम सच में अप्सरा लग रही हो। और वह सुनिता की ओंठ चूम लिया।
सुनिता _बदमाश ये क्या कर रहा है? तेरी नियत बिगड़ रही है। छोड़ मुझे तेरे पापा किसी भी समय पहुंच सकते हैं।

राजेश ने सुनिता को पीछे से और कस कर जकड़ लिया। और उसकी गर्दन पर चुम्बन लेने लगा।
सुनिता _बेटा, ये क्या कर रहा है तू? लगता हैं तू फिर बावला हो गया है।
राजेश एक हाथ से सुनिता की पेट सहलाने लगा।
और एक हाथ से उसकी चूची मसलते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा।
सुनिता _, राजेश, छोड़ो भी, तुम्हारे पापा किसी भी समय आ जायेंगे। ये समय नहीं अभी ये सब करने वाली का।
पर राजेश ने अपना कार्य जारी रखा जिसका प्रभाव सुनिता पर ये पड़ा की वह सिसकने लगी।

सुनीता _बेटा छोड़ो न, तुम्हारे पापा आ जायेंगे छोड़ो न, क्या कर रहे हो?
राजेश की हरकतों से सुनीता गर्म होने लगी। उसके मुंह से हल्की हल्की कामुक सिसकारी निकलने लगी।
अब राजेश सुनिता को बेड में ले जाकर अपनी गोद में बिठा कर अपनी दोनो हाथो से उसकी चूची मसलता हुआ, उसके ओंठ चूसने लगा।
राजेश की हरकतों से सुनीता बहुत गर्म हो गई उसकी बुर से पानी छुटने लगी, मुंह से कामुक सिसकारी निकलने लगी।
राजेश का land भी तनकर खड़ा हो गया था।
तभी दरवाजे की बेल बजी।
सुनिता _राजेश अब छोड़ो, तुम्हारा पापा आ गया।
राजेश _नही मां, थोड़ी देर और प्यार करने दो न। बड़ा मन कर रहा है।
सुनिता _अरे बाबा, अब जो भी करना है रात में कर लेना, अभी छोड़ो मुझे।
राजेश _क्या सच में मां, आज रात में प्यार करने दोगी। देखो अपनी बात से मुकर नही जाना।
सुनिता _नही मुकरूंगी बाबा अब छोड़ो भी।
राजेश ने सुनिता को छोड़ दिया। सुनिता दरवाजा खोलने चली गई।

शेखर _अरे भाग्यवान, इतनी देर क्यू हो गई दरवाज़ा खोलने में।
सुनीता _वो क्या है न जी की मैं तैयार हो रही थी।
अब आप भी जल्दी तैयार हो जाइए। बच्चे लोग तैयार हो चुके हैं।
शेखर _ठीक है, डार्लिंग। कुछ देर में
शेखर भी तैयार हो गया फिर चारो कार में बैठकर निशा की घर के लिए निकले गए।
Jabardast update bhai 🔥 👍🏻
Ye sweety kuch jyada hi ud Rahi hai ,isper thoda lagam lagao ,
 
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