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Incest यह क्या हुआ

Amardeep

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De do bhai update.. bahut der ho gayi hai ab...
 

Vikash007

हम तेरे दीवाने हैं
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Super update
 
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Sanju@

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सोनपुर में तीन दिन और ठहरने के बाद आख़िर राजेश ओर सुनीता घर के लिए शहर को निकल गए। इन तीन दिनों को उन दोनो ने जी भर कर जिया क्यों की सुजाता जानती थी कि शहर में जानें के बाद वे शायद ही खुल कर मिल पाए।
उन्हे शहर में स्वतंत्रता नही मिलने वाली थी। इसलिए सुजाता ने सोनपुर में हर पल को जी भर के जिया।
इधर राजेश अब ठीक से चलने फिरने लगा था। पर उसकी सिर का चोंट अभी भी पूर्ण रूप से ठीक नहीं huwa था।
जब वे घर पहुंचे तो शाम के 5बज रहे थे। निशा कालेज से घर पहुंच चुकी थी। वह राजेश और अपनी मां कीआने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी।
उसका दिल धड़कने लगा था, राजेश से मिलने के लिए।
जब राजेश और सुजाता घर पहुंचे। निशा तेजी से भागते हुए दरवाजे की चौंखट से झांकते हुए, राजेश को कार से उतरते हुए देखने लगी।
जैसे जैसे वे घर की ओर आने लगें उसकी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी।
जब सुजाता, और राजेश दरवाजे के पास पहुंची निसा ने दौड़कर अपनी मां को सीने से लगा ली।
सुजाता _अरे बेटा क्या हुआ घबराई हुई लग रही है।
निशा _मॉम आप मुझे छोड़कर इतने दिन क्यू रही?
सुजाता _ओह बेटा, मजबूर थी, काम के सिलसिले में रुकना पड़ा।
निशा _मॉम , राजेश के सिर पर ये चोंट कैसी?
राजेश _ओ निशा क्या है न कि हम लोग बाहर टहलने के लिए निकले थे कि मेरा पैर फिसल गया और मेरे सिर पर चोंट लग गया।
निशा _मुझे आप लोगो ने बताया क्यू नही?
राजेश _तुम परेशान न हो जाओ इसलिए,,
राजेश और सुजाता दोनों सोफे पर बैठ कर आराम करने लगें।
सुजाता_बेटा तुम्हारे डैड कैसे हैं।
निशा _मॉम, डैड ठीक है। अभी वह आराम कर रहे हैं।
सुजाता _बेटा राजेश के लिए चाय नाश्ता का प्रबंध करने कहो,,,
निशा _जी मां
राजेश _नही मैम, नाश्ता नही करूंगा। सिर्फ कॉफी ओ भी निशा की हाथो से बनी काफी, मै भी तो जानू निशा को काफी बनाने आती है की नही।
निशा _न बाबा, मै नही बनाऊंगी, मुझे नही आता काफी बनाने, कही बिगड़ गया तो आप लोग मेरा मजाक उड़ावोगे।
सुजाता हंसते हुवे बोली,
निशा ठीक कह रही है राजेश, इसने तो अब तक कीचन के अंदर गई ही नही होगी।
राजेश _क्या? मेरा तो इच्छा था कि निशा जी की हाथो से बना काफी ,पीने का ,पर कोई बात नही ।
नौकरों की हाथ से बनी काफी से काम चला लेंगे।
निशा निराश हो गई, वह राजेश की अपेक्षाओं पे खरी नहीं उतरी।
सुजाता _राजेश, मै काफ़ी बनाकर ले आती हूं।
निशा _नही मॉम, काफी मै ही बना कर लाऊंगी।
सुजाता _क्या? वह हंसने लगीं।
निशा _हां।
निशा मुंह बनाते हुए किचन में चली गईं।
वहा नौकरानी लोगो से पूछने लगी कि काफी कैसे बनाते हैं।
एक नौकरानी ने कहा _बिटिया रहने दे ना मैं बना देती हूं ,घर में इतने नौकरों के होते ,आप काफ़ी बनाए ये हमे अच्छा नही लगेगा।
निशा _ नही, बिमला आंटी काफी तो मैं ही बनाऊंगी।
बताओ क्या करनी है?
नौकरानी के बताए अनुसार निशा ने काफ़ी बनाकर ले आई।
राजेश _वाउ, ये हुई न बात। मुझे पता था तुम कर सकती हो।
निशा _आप तो मेरा मजाक बना रहे थे।
राजेश _वो तो चैलेंज देने के लिए था।
निशा _ अब पीकर बताओ कॉफी कैसी बनी है।
राजेश ने कॉफी पीकर देखा,
निशा _कैसी है, कुछ बोलते क्यू नही?
राजेश _बहुत गंदी,,
निशा का चेहरा उतर गया।
सुजाता और राजेश हसने लगे ।
निशा _मैने तो पहले ही कहा था, मुझसे नही बन पाएगी।
राजेश _ओह तुम तो निराश हो गई, सच में कॉफी बहुत टेस्टी बनी है।
सुजाता _हां बेटा, बहुत अच्छी कॉफी बनाई हो।
निशा _मॉम आप भी इसका साथ दे रहे हो। मेरा मजाक बनाने में।
सुजाता _नही, बेटा मै भला अपनी निशु की मजाक कैसे बना सकती हूं सच में कॉफी बहुत टेस्टी बनी है।
राजेश _हूं।
निशा खुश हो गई।
कॉफी पीने के बाद राजेश बोला
राजेश _मैम अब मै चलता हूं, मॉम राह देख रही होगी।
सुजाता _ठीक है राजेश, ड्राइवर तुम्हें घर छोड़ देगा। हा और आज से ये घर तुम्हारा भी है यहां आते जाते रहना ।तुम्हे यहां आने जानें के लिए किसी की परमिशन लेने की आवश्यकता नहीं है।
राजेश _अच्छा मैम मै चलता हूं।
निशा जी अब मैं चलू।
निशा ने हा में सिर हिलाया।
राजेश जानें लगा, वह कार के पास पहुंचने ही वाला था कि निशा ने राजेश को आवाज दी।
निशा _राजेश!
निशा की आवाज सुनकर राजेश रुक गया।
राजेश निशा के पास आया।
राजेश _, निशा जी कुछ कहना था मुझसे।
निशा_ओ,,,
राजेश _बोलो निशा जी क्या कहना है?
निशा _ओ,,,
राजेश _आप घबरा क्यू रही हो।
निशा _थैंक्स राजेश, हमे मुसीबत सेनिकालने के लिए।
वह राजेश के गले लग गई।
राजेश _तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो तुम्हारे लिए इतना नही कर सकता।
तुम्हें मुझे धन्य वाद देकर शर्मिंदा न करो।
निशा _ओह राजेश तुम कितने अच्छे हो।
राजेश _आप भी तो बहुत अच्छी हो,,,
निशा _राजेश मुझे तुमसे कुछ कहना है?
राजेश _,, बोलो निशा जी क्या कहना है?
निशा _ओ,ओ,,
तुम कॉफी पीने फिर कब आओगे,,
राजेश हसने लगा, जब आप बुलाए
अब मैं चलूं ,
निशा _हा में सिर हिलाया।
राजेश अपना घर चला गया।
निशा राजेश को अपनी दिल की बात कहने की बहुत कोशिश की पर वह बोल ना पाई।
वह निराश होकर अपने कमरे में चली गई और सीमा को फ़ोन कर बताने लगी।
इधर राजेश अपना घर पहुंचा, दरवाजे का बेल बजाया।
सुनीता_लगता है राजेश आ गया,,
वह तेजी से दरवाजे की ओर गई, दरवाजा खोली।
इधर स्वीटी को भी पता था कि राजेश आने वाला है।
वह भी दरवाजे के पास आ गई।
दरवाजा खुलते ही।
सुनिता ने सामने राजेश को देखा,,
राजेश ने सुनिता का पैर छू कर चरणस्पर्श किया।
सुनिता ने राजेश को उठाकर गले लगा लिया।
आ गया मेरा बेटा।
राजेश _हा मां।
सुनिता ने राजेश के सिर पर पट्टी लगा देखा तो
सुनिता _बेटा , तुम्हारे सिर पर चोंट कैसी?
राजेश _कुछ नही huwa है मां, ओ थोड़ा सा खरोच लगा है।
राजेश सोफे पर बैठ गया। सुनिता भी उसके पास बैठ गई।
स्वीटी वही खड़ी थी।
सुनिता _बेटा, बताता क्यू नही तुम्हारे सिर पर चोंट कैसी लगी?
स्वीटी _मां, मुझे तो लगता हैं किसी औरत के चक्कर में ये पिट के आया है।
सुनिता _स्वीटी, ये क्या अनाप शनाप बोल रही है अपने भाई के बारे में।
स्वीटी _फिर बताता क्यू नही, चोंट कैसे लगी?
इनको अपनी मां बाप और बहन की चिंता तो है नही। चला है दूसरे की भलाई करने।
सुनिता _बेटा बताता क्यू नही किसी के साथ मार पीट huwa है क्या?
राजेश _मां, हड़ताल खत्म कराने से मज़दूर यूनियन के कुछ लोग नाराज होकर मूझपर हमला कर दिया।
सुनिता _इतनी बडी बात मुझे बताया क्यू नही?
राजेश _तुम घबरा ना जाओ, इसलिए।
सुजाता _बेटा, मुझे पहले से ही डर था, वहा कुछ दंगा फसाद न हो। अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो, हम लोगो का क्या होता?
स्वीटी _हम लोगो की चिंता होती तो ये वहा जाता ही क्यू?
राजेश _मां मै बिल्कुल ठीक हू, क्या तुम चाहती हो की तुम्हारा बेटा मुस्किलो से भाग कर भगोड़ा कहलाए। अपने दोस्तो की मदद न करने।
सुनिता _नही बेटा, मै ये नही चाहती कोइ तुम्हें स्वार्थी कहे। तभी तो तुम्हें जाने की इजाजत दी।
पर मां हूं ना चिंता तो होगी ही।
राजेश _, ओह मेरी प्यारी मां, तुम्हें तो खुश होना चाहिए की तुम्हरा बेटा, कामयाब होकर आया है।
सुनिता _मुझे तुम पर गर्व है बेटा।
अब तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश स्वीटी से बोला,
राजेश _कैसी है मेरी गुड़िया,,,
स्वीटी _आपको मेरी फिक्र करने की आवश्यकता नहीं।
मैं एक दम मजे से हूं।
वह अपना मुंह बनाते, अपने कमरे में चली गई।
और राजेश अपने कमरे में।
रात में सोने के समय, सुजाता ने राजेश को काल किया।
सुजाता _, सो गए क्या?
राजेश _नही मैम , बस सोने की तैयारी में था।
सुजाता _क्या तुम्हें मेरी याद नही आ रही?
तुम मर्द लोग भी कितने आसानी से भूल जाते हो।
राजेश _नही, मैम कैसे भुल सकता हूं आपके साथ बिताए पलो को, मै तो अब भी महसूस कर रहा हूं।
तुम्हारी बदन की खुशबू का अहसास मेरी नाक में अब तक हो रही है।
सुजाता _चुप झूठा कही का।
मैं तुम्हें बहुत मिस कर रही हूं।
राजेश _मै भी।
सुजाता_अच्छा सुनो कल मै तेरी मां से मिलूंगी।
राजेश _क्यू?
सुजाता _डिनर में इनवाइट करने।
जब उसका बेटा ने हमारी कंपनी को मुसीबत से बचाया है तो मां बाप से तो मिलना ही पड़ेगा। नही तो लोग मुझे मतलबी कहेंगे।

राजेश _कितना समय आ रही हो?
सुजाता _सोच रही हूं कल ऑफिस जाते समय आपके मम्मी से मिलती चलूं।
वैसे तुम्हारी मम्मी ने तुम्हारे सिर के चोंट के बारे में पूछी होगी। तुमने क्या बताया?
राजेश _स्वीटी बोल रही थी की किसी औरत के चक्कर में पिटकर आया है।
सुजाता हसने लगी।
राजेश _हस क्यू रही हो?
सुजाता _ठीक ही तो बोली।
राजेश _उन्हे क्या पता बदले में प्यार भी तो खूब मिला?
सुजाता _और नही चाहिए क्या मेरा प्यार? लगता हैं जी भर गया।
राजेश _हाय, इतनी जल्दी जी कैसा भर सकता है? तुम बुलाओ तो सही, तुम्हारा दीवाना हाजिर हो जायेगा। प्यार करने।
सुजाता _अच्छा, देखते हैं। देखो मैंने तुम्हें अपना सबकुछ दे दिया है, मुझे धोखा मत देना प्लीज। मै तुम्हें दूसरी औरत के साथ बर्दास्त नही कर पाऊंगी।
राजेश _ओह, तो मुझे अपनी कैद में रखना चाहती हो।
सुजाता _तुम जो भी समझो। पर तुम सिर्फ मेरे हो।
राजेश _इतना प्यार करती हो मुझसे।
सुजाता _हां, निशा के बाद तुमसे। पर मुझे तुम पर शक हो रहा है, कही तुम मुझे धोखा न दे दो।
क्यू कि तुमने खुलकर अपनी दिल की बात नही बताई है।
राजेश _मै तो उस हर शख्स से प्यार करता हूं जो मुझे प्यार करता है। उन सबमें तुम्हारा स्थान श्रेष्ठ है।
सुजाता _मतलब मै तुम्हारे दिल में विशेष स्थान रखती हूं।
राजेश _बिल्कुल।
सुजाता _ओह, थैंक्स राजेश मै यही सुनना चाहती थी।
आई लव यू राजेश।
राजेश _i Love you जानू
सुजाता _ओके बाय, रात को मेरे सपनो में आना।
राजेश _ओके bye sweetheart
अगले दिन जब राजेश कालेज के लिए निकला।
स्वीटी वही रोड पर खड़ी थी, अपनी सहेली की इंतजार करते।
राजेश _चलो बैठो।
स्वीटी _न, आप जाओ। मै अपनी सहेली के साथ जाऊंगी।
राजेश _तुम अब तक नाराज हो मुझसे।
स्वीटी ने कुछ नहीं कहा,,
राजेश ने फिर switi को बैठने कहा,,,
स्वीटी बाइक में बैठ गई और चुप ही रही।
राजेश _देखो स्वीटीतुम अभी छोटी हो, तुम जो चाहती हो वो ठीक नहीं तुम्हें इन सब चीजों में ध्यान नहीं देना चाहिए।
स्वीटी _मै अब बच्ची नही रही। मेरी क्लास की कई लड़कियां सेक्स कर चुके हैं।
राजेश _सीमा और निशा को देखो, वो कितनी अच्छी है, उनकी तरह क्यू नही सोचती?
स्वीटी _जब मां के साथ कर सकते हो तो मेरे साथ क्यू नही?
राजेश _मां की बात और है। उसे मेरी जरूरत है। पापा काम के बोझ के कारण मां का साथ नही दे बाते।
आखिर वह अपनी भावनाओं को दबाकर कब तक घुट घुट कर जीती रहेगी। इसलिए मुझे मां को बेटे के प्यार के साथ साथ पति का प्यार भी देना पड़ता है।

दोनो कालेज पहुंच गए।
इधर सुनिता किचन में काम कर रही थी। तभी दरवाजे की बेल बजी।
सुनिता _इस समय कौन हो सकता है?
सुनिता ने दरवाजा खोली।
सामने सुजाता खड़ी थी।
सुजाता _नमस्ते दी, सुजाता ने हाथ जोड़ कर कहा।
मैं सुजाता हूं।
सुनिता _आपको कौन नही पहचानेगा, आप सुजाता और विशाल ग्रुप्स की मालकिन है।
सुनीता _आइए न।
सुजाता घर के अंदर आई ओर सोफे पर बैठ गई।
सुनिता _अप बैठिए, मै पानी लेकर आती हूं।
कॉफी लेंगी आप।
सुजाता _जी रहने दीजिए न दीदी, क्यू तकलीफ उठा राही है आप।
सुनिता _इसमें तकलीफ कैसी, पहली बार तो घर सा राही है आप मेरी। ये तो मेरा फर्ज है।
सुनिता कॉफी बनाने लगी।
सुजाता घर का मुआइना करने लगी। कॉफी बनाते समय वह सोचने लगी। पता नहीं अचानक से क्यों आई है। मूझे तो इन बड़े लोगों से डर लगता है।

सुनीता कॉफी लेकर आई।
सुनीता _लीजिए कॉफी लीजिए।
सुजाता _धन्यवाद दी।
सुनिता _सुजाता जी आप कुछ काम से आई थी क्या? राजेश तो कालेज चला गया है।
सुजाता _नही दी मै आपसे ही मिलने आई हूं।
आपको तो पता ही है हमारी कंपनी कितनी मुसीबत में फस गई थी।
राजेश ने अगर मदद न की होती तो हमारी कंपनी डूब चुकी होती। आप बडी किस्मत वाली है दीदी जो इतना होनहार बेटे की मां हो, राजेश की प्रतिभा असाधारण है। उसने बिना किसी स्वार्थ के हमारी मदद की।
सुनिता _ ये आप क्या कह रही है?
निशा राजेश की दोस्त है, दोस्त का परिवार मुसीबत में हो तो उसकी मदद करना उसका फर्ज है।
सुजाता _दी, आपने राजेश को इतने अच्छे संस्कार दिए हैं, उसी का परिणाम है जो कुछ ही समय में सबका दिल जीत लेता है।
राजेश ने हमारी मदद की हमारा भी कुछ फर्ज बनता है इसलिए मैं आज आप लोगो को डिनर में आमन्त्रित करने आई हूं।
सुनिता _सुजाता जी इसकी क्या आवश्यकता है?
सुजाता _नही दीदी, आप लोग आएंगे तो हमें खुशी होगी प्लीज इनकार मत कीजिए।
सुनिता _ठीक है । हम आ जाएंगे।
सुजाता _धन्यवाद दी मै आप लोगों का इन्तजार करूंगी।
अब मुझे इजाजत दीजिए।
सुजाता ने हाथ जोड़ कर जाने की इजाजत मांगी।
सुनिता ने भी हाथ जोड़ कर, हा में सिर हिलाई।

राजेश जब भगत और अन्य दोस्तो से मिला,,
भगत _भाई आपके सिर पर चोंट कैसी?
राजेश _कुछ नही यार, कुछ गुंडे थे जिन्हे सबक सिखाना जरूरी था, उसकी को सबक सिखाते यह चोट लग गई।
भगत _भाई, अगर कुछ कसर बांकी रह गई हो तो हमें बताओ शालो को घर में घुस कर मारेंगे।
राजेश _अरे नही, वो और मार खाने लायक नहीं बचे हैं।
और कैसा चल रहा है कालेज।
भगत _कालेज में तो सब ठीक ही चल रहा है पर भाई तेरे बिना, मजा ही नही आता।
हम तो आप ही का इंतजार कर रहे थे कि आप कब आएंगे।
तभी क्लास की घंटी बजी और सभी क्लास में चले गए।
इधर सीमा और निशा क्लास में,
निशा _सीमा मैने बहुत कोशिश की राजेश को अपने दिल की बात बताने की, पर बता न सकी।
सीमा _हूं, कोशिश जारी रखो। जब भी मौका मिले बता देना।
निशा _मॉम ने आज राजेश और उनकी फैमिली को डिनर के लिए इनवाइट किया है।
सीमा _ओह, ये तो बडी अच्छी बात है, तुम मौका देख कर राजेश से अपनी दिल की बात कह देना।
निशा _पता नही इतने लोगो के बीच मौका मिल पाएगा की नही।
सीमा तुम भी शामिल होना डिनर में।
सीमा _ठीक है।

कालेज में छुट्टी होने के बाद राजेश घर पहुंचा। सुनिता किचन में काम कर रही थी।
राजेश किचन में जाकर अपनी सुनिता को पीछेसे बाहों मे भर लिया।
सुनिता _आ गया मेरा बेटा कालेज से।
राजेश _हा, मां।
सुनिता _पता है, तुम्हारे कालेज जानें के बाद सुजाता आई थी।
राजेश _क्या? पर वो क्यू आई थी?
सुनिता _वह हमे डिनर में आमन्त्रित की है।
राजेश _तो आपने क्या कहा?
सुनिता _वह बार बार निवेदन कर रही थी इसलिए मैं इनकार ना कार सकी।
हमे रात 7: 30बजे उसके घर के लिए निकलना होगा। मैने तुम्हारे पापा को कह दिया है घर जल्दी आने को, उसने हमें तैयार रहने को बोला है।
तुम और स्वीटी भी तैयार हो जाना समय पर।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश अपने कमरे में चला गया।

, शाम के 7बजने के बाद सुनिता स्वीटी के कमरे में आई।
सुनिता _बेटी तुम जल्दी तयार हो जाओ,
Switi _क्यू मां कहा चलना है?
सुजाता _लो,बेटा मै तो तुम्हें बताना ही भूल गई, बेटा हमे सुजाता जी ने रात्रि भोज के लिए आमन्त्रित किया है। तुम जल्दी तैयार हो जाओ।
स्वीटी _नही, मां, मै नही जाऊंगी।
सुनिता _क्यू क्या huwa?
स्वीटी _क्यू की वहा मेरा जानें का मन नही।
सुनिता _बेटा यू तुम क्या कह रही हो, वे लोग तुम्हारे बारे में पूछेंगे तो हम क्या जवाब देंगे। क्या तुम हमें शर्मिंदा कर्ण चाहती हो।
Switi _, मां अगर वे मेरे बारे में पूछेंगे तो बता देना उसकी तबियत कुछ ठीक नहीं।
सुनिता _अपनी मां से झूठ बुलवाना चाहती है, जल्दी से तैयार हो जाओ, बहुत हो गया तुम्हरा नाटक।
सुनिता वहा से निकल कर राजेश के कमरे में गई।
राजेश _मां,आप।
सुनिता _बेटा जरा मेरे कमरे में आना।
राजेश _क्यू मां कुछ काम था क्या?
सुनिता _हा बेटा।
राजेश सुनिता के पीछे पीछे उसके कमरे में चला गया।
सुनिता _ने अपनी कपड़े की आलमारी खोल के बोली। बेटा मै कौन सी साड़ी पहनु मुझे तो कुछ समझ ही नही आ रहा।
राजेश ने सुनिता को पीछे से बाहों मे भरते हुए कहा, मां आप पर तो कोई भी साड़ी हो खूब जचती है, इतनी सुंदर जो हो।
वो तो हर बेटे को अपनी मां सबसे सुंदर लगती हैं।
राजेश _नही मां, आप सच में बहुत सुंदर है।
सुनिता _अच्छा, अब तारीफ करना बंद कर और बता कौन सी साड़ी पहनू।
राजेश ने एक साड़ी अपनी पसंद की निकाली।
राजेश _मॉम ये साड़ी पहनो, देखना सुजाता मैम तुम्हारे सामने फीकी लगेगी।
सुनिता _सुजाता, भी किसी अप्सरा से कम नहीं है। वह निशा की मां नही बड़ी बहन लगती है।
राजेश _मां, तुम भी तो स्वीटी की मां नही उसकी बडी बहन लगती हो।
सुनिता _अपनी मां की झूठी तारीफ करना बंद करो और जाओ तुम भी तैयार हो जाओ तुम्हारे पापा आते होंगे फिर हम निकलेंगे।
राजेश _मां, मुझे पहन कर दिखाओ कि इस साड़ी में कैसी लगती हो?
सुनिता _अच्छा , ठीक है तुम जाओ अपने कमरे में, थोड़े देर बाद आकर देख लेना कैसी लग रही हूं?
राजेश _नही, मुझे यही रहूंगा।
सुनिता _क्या? मतलब तुम्हें बदमाशी सूझ रही है। चल भाग यहां से बदमाश कही का।
सुनिता ने राजेश को धकेलते हुवे दरवाजे से बाहर कर दी। और मुस्कुराते हुवे आईने के सामने खड़ी होकर साड़ी बदलने लगी।
राजेश निराश होकर अपने कमरे में जाकर, तैयार होने लगा। नया जींस और शर्ट पहन लिया।
राजेश तैयार होकर अपनी मां के कमरे के पास जाकर दरवाजा खटखटाया।
सुनिता ने दरवाजा खोली।
राजेश _राजेश, सुनिता को देखता ही रह गया।
सुनिता _अरे बेटा कहा खो गया।

राजेश _मां, सच में तुम स्वर्ग की कोई अप्सरा लग रही हो।
सुनिता आईने के पास गई और अपनी मंगल सूत्र पहनते हुवे बोली,, हूं तू फिर शुरू हो गया।
राजेश ने सुनिता को पीछे से बाहों मे भर कर आईने में देखते हुए बोला।
राजेश _मां, मै सच कह रहा। तुम सच में अप्सरा लग रही हो। और वह सुनिता की ओंठ चूम लिया।
सुनिता _बदमाश ये क्या कर रहा है? तेरी नियत बिगड़ रही है। छोड़ मुझे तेरे पापा किसी भी समय पहुंच सकते हैं।

राजेश ने सुनिता को पीछे से और कस कर जकड़ लिया। और उसकी गर्दन पर चुम्बन लेने लगा।
सुनिता _बेटा, ये क्या कर रहा है तू? लगता हैं तू फिर बावला हो गया है।
राजेश एक हाथ से सुनिता की पेट सहलाने लगा।
और एक हाथ से उसकी चूची मसलते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा।
सुनिता _, राजेश, छोड़ो भी, तुम्हारे पापा किसी भी समय आ जायेंगे। ये समय नहीं अभी ये सब करने वाली का।
पर राजेश ने अपना कार्य जारी रखा जिसका प्रभाव सुनिता पर ये पड़ा की वह सिसकने लगी।

सुनीता _बेटा छोड़ो न, तुम्हारे पापा आ जायेंगे छोड़ो न, क्या कर रहे हो?
राजेश की हरकतों से सुनीता गर्म होने लगी। उसके मुंह से हल्की हल्की कामुक सिसकारी निकलने लगी।
अब राजेश सुनिता को बेड में ले जाकर अपनी गोद में बिठा कर अपनी दोनो हाथो से उसकी चूची मसलता हुआ, उसके ओंठ चूसने लगा।
राजेश की हरकतों से सुनीता बहुत गर्म हो गई उसकी बुर से पानी छुटने लगी, मुंह से कामुक सिसकारी निकलने लगी।
राजेश का land भी तनकर खड़ा हो गया था।
तभी दरवाजे की बेल बजी।
सुनिता _राजेश अब छोड़ो, तुम्हारा पापा आ गया।
राजेश _नही मां, थोड़ी देर और प्यार करने दो न। बड़ा मन कर रहा है।
सुनिता _अरे बाबा, अब जो भी करना है रात में कर लेना, अभी छोड़ो मुझे।
राजेश _क्या सच में मां, आज रात में प्यार करने दोगी। देखो अपनी बात से मुकर नही जाना।
सुनिता _नही मुकरूंगी बाबा अब छोड़ो भी।
राजेश ने सुनिता को छोड़ दिया। सुनिता दरवाजा खोलने चली गई।

शेखर _अरे भाग्यवान, इतनी देर क्यू हो गई दरवाज़ा खोलने में।
सुनीता _वो क्या है न जी की मैं तैयार हो रही थी।
अब आप भी जल्दी तैयार हो जाइए। बच्चे लोग तैयार हो चुके हैं।
शेखर _ठीक है, डार्लिंग। कुछ देर में
शेखर भी तैयार हो गया फिर चारो कार में बैठकर निशा की घर के लिए निकले गए।
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है
निशा राजेश से अपने दिल की बात नही कह पाई है लेकिन सुजाता ने एक बार फिर से अपने प्यार इजहार करके राजेश पे अपना हक जता दिया है शायद डिनर पर निशा राजेश से अपने प्यार का इजहार कर सके?
 

Kumarshiva

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rajesh bhagat

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सुनीता अपने परिवार वालों के साथ, सुजाता के घर डिनर के लिए निकल गए थे।
इधर सुजाता तैयार होकर, राजेश और उसके परिवार के लोगो का इंतजार करने लगी।
निशा _मॉम आज तो अप बहुत ही सुंदर लग रही हो। इस तरह श्रृंगार में आपको पहली बार देख रही हूं।
सीमा _हा आंटी, निशा बिल्कुल सही कह रही है आज तो आप बिलकुल नई रूप में लगे रही हो।
सुजाता _अब राजेश ने जो हमारे लिए किया है, वह तो किसी से छुपी नहीं है बेटा अब डिनर में उसके मां और पापा आ रहे हैं तो उनके स्वागत के लिए तैयार तो होना ही पड़ेगा न, ताकि उन्हें भी लगे की उन लोगो के आने से हम बहुत खुश हैं।
निशा _हा मां ये तो आपने सही कहा।
सुजाता _बेटा अब जाओ तुम भी एक अच्छी सी ड्रेस पहन लो, जल्दी वे लोग आते ही होंगे।
निशा _ठीक है मां।
निशा, सीमा के साथ अपनी बेडरूम में चली गई।
निशा _सीमा, क्या पहनूं मैं?
सीमा _कुछ ऐसी ड्रेस जिससे राजेश और उसकी मम्मी पापा आपकी तारीफ करने मजबूर हो जाए।
निशा _ये ब्लू कलर की लहंगा चोली और चुनरी कैसी रहेगी।
सीमा _सुपर्ब।
निशा _जब ब्लू कलर की लहंगा और चोली पहनी तो कयामत ढा ने लगी।
सीमा _wow इस ड्रेस में तो सच में बिल्कुल स्वर्ग की अप्सरा लग रही हो।
उधर राजेश अपनी मम्मी पापा और बहन के साथ निशा के घर पहुंच गए।
विशाल और सुजाता दरवाजे पर खड़े थे।
जैसे ही शेखर और सुजाता घर के अंदर कदम रखे।
विशाल और सुजाता ने हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया।
सुजाता _आइए दीदी हमारे घर में आप लोगो का स्वागत है, आइए ।
सुनिता _सुजाता जी ये राजेश के पापा है।
सुजाता _भाई साहब।
शेखर _नमस्ते सुजाता जी।
सुजाता _इनसे मिलिए, आप मेरे पति है।
विशाल और शेखर ने हाथ जोड़कर एक दूसरे का अभिवादन किया।
शेखर _भाई साहब आपको कौन नही जानता विशाल एंड सुजाता ग्रुप्स के मालिक हो आप हमारी तरह साधारण इन्सान नहीं है।
विशाल _अरे शेखर जी क्यू आप मुझे शर्मिंदा कर रहे है? आप राजेश के पिता है ,इससे बड़े गर्व की बात और कुछ हो सकती है क्या?
बहुत खुश नसीब है आप।
सुनिता, घर का मुआइना करने लगी।
सुनिता _वाह, सुजाता जी आपका घर तो महलों से भी बड़ा और सुंदर प्रतीत होता है।
विशाल _सुजाता, भाभी जी को घर दिखाओ।
सुजाता _घर तो देखेंगे ही जी पहले चाय पानी तो पी लेने दीजिए।
नौकरों ने पानी लाया।
सुजाता _लीजिए दीदी पानी लीजिए। अपने हाथो से पानी का ट्रे लेकर पानी दी।
सुनिता _धन्यवाद, सुजाता जी।
सुजाता _राजेश तुम भी लो पानी ।
राजेश ने सुजाता की खूबसूरती में कही खो गया।
वह सुजाता की आंखो में देखता रहा। गिलास को सुजाता के हाथ से लेना छोड़कर।
सुजाता बहुत शर्मिंदगी महसूस करने लगी।
सुनिता _बेटा कहा खो गया, गिलास लो।
राजेश हड़बड़ा गया।

राजेश _हा मां।
राजेश भी शर्मिंदा महसूस करने लगा।
सुनिता _ये मेरी बेटी स्वीटी है।
सुजाता _बहुत सुंदर है, बिल्कुल आप पर गई है दीदी।


सुनिता _सुजाता जी निशा बिटिया नही दिख रही है।
सुजाता _दीदी, वो अपने रूम में होगी अपनी सहेली सीमा के साथ।
लो वो, आ रही है।
सभी लोग निशा को सीढ़ी से उतरते हुए देखने लगे।
निशा ने सुजाता का पैर छू कर प्रणाम की।
सुजाता _जी ती रह बेटी, तू सच में चांद की टुकड़ा लग रही है। सुजाता, निशा तो बिलकुल तुम्ही पर गई है।
तभी सुजाता हसने लगी।
सभी लोग आश्चचर्य से देखने लगे।
सुजाता अपनी हसी रोकते हुए बोली।
राजेश ने जब मुझको पहली बार देखा तो मुझे निशा ही समझ रही थी।
वो तो मेरे बताने पर ही जान सका की मैं निशा नही उसकी मम्मी हूं।
क्यू राजेश?
राजेश _मै ही क्यू? कोई भी धोखा खा सकता है।
सुनिता _हूं, राजेश ठीक कह रहा है।

निशा ने शेखर का भी पैर छू कर प्रणाम किया।
शेखर _खुश रहो बेटी, आगे चलकर तुम अपनी मां बाप का नाम रोशन करो।
निशा औरसीमा _हाई स्वीटी कैसी हो?
स्वीटी _निशा मै बिल्कुल ठीक हूं। आप दोनो कैसी है?
निशाऔर सीमा_ हम भी अच्छे हैं।
सुजाता _दी चलो मैं आपको हमारा घर दिखा दूं।
सुनिता और स्वीटी, सुजाता के पीछे चली गई।
इधर विशाल और शेखर आपस मे बात चीत करने लगें।
राजेश _निशा जी सच में आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो।
निशा _ओह थैंक्स राजेश।
सीमा _राजेश, निशा आपसे कुछ कहना चाहती है।
राजेश _बोलो, निशा जी क्या कहना है?
सीमा _निशा, बोल दो राजेश को जो बोलना चाहती हो।
राजेश _हां निशा कुछ कहना चाहती हो, तुम घबरा क्यू रही हो बोलो।
निशा _ओ, मै कह रही थी कि,,
राजेश _हां, बोलो।
सीमा _लगता है निशा मेरे होने से अपनी मन की बात कह नही पा रही। अच्छा मै भी चलती हूं स्वीटी को कंपनी देने आप दोनो एक दूसरे के साथ बाते शेयर करे।
मैं चली।
सीमा चली गई।
राजेश _निशा की हाथ पकड़कर पूछा, बोलो निशा क्या कहना चाहती हो?
निशा _वो, राजेश,,,
राजेश _हां बोलो,,
निशा _ओ,,, आपके मम्मी पापा बहुत अच्छे हैं।
राजेश _हूं, तो इतनी सी बात बोलने के लिए घबरा रही थी। और कुछ बोलना चाहती हो तो बोल दो।
निशा _तुम्हारी मां तुमसे कितना प्यार करती है?
राजेश _, वो तो है।
और कुछ बोलना है?
निशा न में सिर हिलाया।
राजेश _चलो देखते हैं मैम,मॉम को क्या दिखा रही है।
निशा _हूं, आप जाओ मै आती हूं।
उधर सीमा छुप कर देख रही थी। जब राजेश चला गया तब सीमा निशा के पास आई।
सीमा_क्या huwa बोली की नही?
निशा _सीमा, राजेश के सामने मुझे घबराहट सी होती है।
सीमा _मतलब तुम नही बोल पाई।
सीमा ने अपना सिर पकड़ लिया।
सीमा _लगता है कोई दूसरा तरीका अपनाना पड़ेगा।
उधर राजेश सुजाता और सुनिता के पास पहुंच गया।
सुजाता, सुनिता को अपना घर दिखा रही थी।
स्वीटी और सुनिता घर की बडी तारीफ कर रहे थे।
स्वीटी और सुनिता घर के दीवारों पर बने नक्कासी को देख रहे थे।
तभी राजेश ने मौका पाकर सुजाता की कमर पे चिकोटी कांट लिया।
सुजाता चिहुंक उठी।
उई मां,,
सुनिता _क्या हुआ सुजाता जी।
सुजाता _दीदी मेरे कमर पे एक मच्छर ने कांटा।
सुनिता _सुजाता जी ये आप कैसी मजाक कर रही हो?
आपके घर और मच्छर।
सुजाता _हां दीदी सच कह रही हूं, पता नहीं कहा से आ गया, ये मच्छर, और मेरा खून पीने कांट दिया।
बडी तेज जलन हो रही है। देखो तो पूरा चमड़ी लाल हो गया है।
राजेश _मैम आपके पास कोई मलहम होगा तो मुझे दो मै लगा देता हूं आपको राहत मिलेगी।
सुजाता _वो तो मेरे कमरे में है। एक काम कर तू मेरे कमरे में चल वही लगा देना, जल्दी से राहत मिलेगी।
दीदी आप लोग घर देखो, मैं जल्द आती हूं।
सुनिता _ठीक है सुजाता जी, आप कोई मलहम लगा कर आइए। बेटा जाओ सुजाता जी का मदद कर दो।
राजेश _ठीक है मां।
बेडरूम में जानें के बाद।
सुजाता _ये क्या किया राजेश, इतना जोर से क्यू कांटा। पूरी चमड़ी लाल हो गई।
राजेश ने सुजाता को बाहों में भरते हुए कहा _तुम बहुत खुबसूरत और हॉट लग रही हो।
राजेश तो अपने घर में ही गर्म था। वह सुजाता का हॉट लुक देखकर और गर्म हो गया था।
वह सुजाता की चूची मसलने लगा।
सुजाता _अरे छोड़ो कोई आ जायेगा।
तू तो बावला हो गया है।
राजेश _हा, अब तुम इतनी सज धज कर मेरे सामने खड़ी रहोगी तो मै अपने को काबू में कैसे रख पाऊंगा?मै तुम्हारा यह खुबसूरत बदन देख बावला हो गया हूं।
राजेश सुजाता की ओंठ, मुंह में भरकर चूसने लगा।
सुजाता _देखो ये समय ठीक नहीं है। कोइ भी आ सकता है? प्लीज छोड़ो न।
राजेश _न, मुझे करने का बड़ा मन है !
सुजाता _देखो जिद मत करो। कोई आ गया न तो सारा भेद खुल जायेगा।
राजेश _अरे खुलने दो मै किसी से डरता नहीं।
मुझे कुछ नहीं सुनना।
राजेश नीचे झुककर सुजाता की नाभी चाटने लगा।
सुजाता सिसकने लगी। उसकी बुर में पानी भर गया।

राजेश ने देर न करते सुजाता को बेड पे लिटा दिया और उसकी साडी पेटी कोट ऊपर उठा कर पेंटी निकाल कर सूंघने लगा।
राजेश _क्या मस्त खुशबू है?
इसके बाद राजेश देर न करते हुए सुजाता के टांगों के बीच आ गया और उसको chut चाटने लगा।
अपना पेंट नीचे सरका कर land बाहर निकाल लिया।
राजेश, सुजाता की चूची ब्लाउज से बाहर निकाल,कुछ देर उसकी दूदू पीने लगा, कुछ देर तक दूदू पीने के बाद।

अपना लैंड सुजाता की बुर के छेद में टिका कर एक जोर का धक्का मारा।
लन्ड बुर को चीरकर अंदर घुस गया।
अब राजेश सुजाता की टांगे अपने कंधो पर रख कर gach gach बुर चोदने लगा।
राजेश अपने दोनो हाथो से सुजाता की चूचियां दबा दबा कर। लन्ड को बुर में पेलना जारी रखा।
लन्ड पूरी गहराई में जाकर सुजाता की बच्चेदानी को ठोकने लगा।
सुजाता कुछ ही देर में जन्नत की सैर करने लगी।
उसकी मुंह से कामुक सिसकारी निकल कमरे में गूंजने लगी।
आह मां,, उन,, आह,, उन, आई ,,,,
राजेश को भी बड़ा मजा आ रहा था। सुजाता की बुर पे lund डालकर, वह दनादन चोदने लगा।
सुजाता की बुर पे पानी का बाढ सा आ गया। जिसमे राजेश का लन्ड भीग कर और मस्ता गयाऔर गपागप अंदर बाहर होने लगा।
राजेश _आह मेरी रानी, बहुत मजा आ रहा है। सच में क्या मस्त मॉल है तू।
सुजाता _राजेश, और तेज कर आह उई मां मै आने वाली हूं, और जोर से आह, उई मां मर गई,, आह,,
सुजाता राजेश से को जोर से जकड़ कर झड़ने लगी।

सुजाता के झड़ने के बाद राजेश ने अपना land बुर से बाहर निकाल लिया।
और ज्यादा देर तक वहा रुकना ठीक नहीं था कोई भी आ सकता था।
इसलिए वे दोनो अपने कपडे जल्दी से ठीक कर सुनिता के पास आ गए।
स्वीटी दोनो को अजीब से नजरो से देखने लगी।
स्वीटी _पता नही दोनो इतने देर तक क्या कर रहे थे?

सुजाता _माफ करना दीदी ,मलहम दिख नही रहा रहा था इस कारण थोड़ी लेट हो गई।
सुनिता _कोई बात नही सुजाता जी, आपको जलन से राहत तो मिली न।
सुजाता _हां दीदी, राजेश ने अच्छे से मालिश किया जिससे जलन एक दम खत्म हो गया।
स्वीटी राजेश और सुजाता को पैनी नजरो से देखने लगी।
स्वीटी _छोटा सा मच्छर काटने पर इतने देर तक मालिश, मुझे तो लगता है कि इन दोनों के बीच कुछ नई खिचड़ी पक रही है।
इतने दिनो तक दोनो, सोनपुर में साथ बिता कर भी तो आए है? कैसी सजी संवरी है, नई नवेली दुल्हन की तरह। मुझे तो दाल में कुछ काला लग रहा है।
दोनो एक दूसरे को देखकर आंखो ही आंखो में इशारे भी कर रहे हैं।
भईया तो ऐसे भी गदराई घोड़ी का दीवाना है ही। मां का तो ले ही रहा था, लगता है अब अपनी होने वाली सास का भी लेने लगा है।
अपना प्यार सबको बांट रहा है सिर्फ अपनी बहन को छोड़ कर।

सुजाता _दी आप लोगो ने घर तो देख ही लिया ,
चलो अब डिनर करते हैं।
सभी डिनर हाल में आ गए।
यहां नौकरों ने खाने पीने की सभी चीजे टेबल पर सजा कर रख चुके थे।
सुनिता _सुजाता जी इतने सारे व्यंजन बनाने की क्या जरूरत थी?
सुजाता _दी, पहली बार हमारे घर में आए हैं आप लोग। बार बार मौका तो आप लोग देंगे नही खातिर दारी की।

सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठ गए।
विशाल और शेखर आजू बाजू उसके बाद राजेश फिर स्वीटी फिर सीमा उसके बाद निशा। फिर सुजाता और सुनिता।
सुजाता और राजेश आमने सामने बैठे थे।
सभी लोग खाने पे व्यस्त थे।
सुनिता _भोजन तो बहुत ही स्वादिष्ट है।
शेखर _हा भई, जितनी भी तारीफ किया जाए कम है।
सुजाता _दीदी थोडा और लीजिए न।
सुनिता _बस सुजाता, बहुत खा ली पेट में अब बिल्कुल भी जगह नहीं।
सुजाता _राजेश तुम बिल्कुल चुप हो कुछ बोल क्यू नही रहे। क्या तुम्हे खाना पसंद नही आया? तुम ठीक से खा नही रहे हो।
स्वीटी _लगता है भैया ने डिनर के ठीक पहले कुछ ओर खा या पी के अपना पेट भर लिया।
सभी लोग स्वीटी की बात पर हसने लगे।
राजेश और सुजाता स्वीटी की बातों से झेप गए।
स्वीटी _क्यू भईया मै सही कह रही हूं न।
वैसे क्या खाए या पिए थे हमें भी बताओ।
सुनिता _स्वीटी,,,,,,
स्वीटी _सॉरी मां लगता है मै कुछ ज्यादा ही बोल गई।
निशा _राज आपको डिनर के ठीक पहले कुछ खाना या पीना नहीं खाना चाहिए था। देखो न आप तो बिलकुल भी नहीं खा रहे।
सीमा _वैसे क्या खा या पी लिए थे, हमे भाई तो पता चले, स्वीटी ठीक कह रही है।
सुनिता _अरे तुम सभी तो मेरे बेटे के पिछे ही पड़ गए।
अब उसका मन किया होगा तो कुछ खा पी लिया होगा।
राजेश _कोई प्यार से खिलाएगी तो मना कैसे कर सकता हूं?
सुनिता _किसने प्यार से खिलाया तुम्हे मै भी तो जानू?
शेखर _अरे भाग्यवान, तुम लोग तो राजेश के पीछे ऐसे पड़ गए जैसे उसने कोई बड़ा गुनाह कर लिया हो। अब छोड़ो भी इस मुद्दे को,,,
विशाल _हा ,भाई ,शेखर जी ठीक कह रहा है। क्यू राजेश को परेशान कर रहे हो?

सुजाता _न राजेश को सजा मिलेगी, और उसकी सजा यही है कि सभी लेडीज अपने पसंद का व्यंजन,राजेश को दो दो चम्मच खिलाएंगे।
राजेश _अरे, न बाबा, मै नही खा पाऊंगा।
सुजाता _, खाना तो पड़ेगा ही बच्चू।
पहले कौन खिलाएगा।
स्वीटी _मै उसकी बहन हूं । पहले मै खिलाऊंगी।
अपने भैया को।
स्वीटी ने अपनी पसंद की व्यंजन दो चम्मच राजेश को खिलाई।
स्वीटी _कैसा लगा भईया मेरी पसंद का व्यंजन?
राजेश _वेरी टेस्टी।
उसके बाद सीमा ने खिलाई अपनी पसंद का डिस।
सीमा _कैसा है इसका स्वाद ?, राजेश टेस्ट करके बताना।
राजेश _हूं बहुत ही जायेके दार।
सुजाता _निशा, बेटा तुम खिलाओ।
निशा _मै
सुजाता _हां बेटा।
निशा _पता नही क्यू मुझे राज को जबरदस्ती खिलाना कुछ ठीक नहीं लग रहा है।
राज तुमको क्या पसंद है बताओ मैं अपनी हाथों से खिला देती हूं।
सुजाता _न बेटा चीटिंग नही तुम अपनी पसंद का व्यंजन खिलाओ।
निशा _ठीक है,
निशा ने दो पानी पूरी बनाई और राजेश की ओर आगे बढ़ाते हुवे, बोली
राजेश इसको टेस्ट करो।
राजेश ने अपना मुंह खोला। निशा ने राजेश के मुंह में पानी पूरी भर दिया।
राजेश पानी पूरी खाने के बाद,
राजेश _वाउ,सुपर्ब।
दीदी अब आप भी खिलाओ।बीएम
सुनिता _लो बेटा ये छोले भटूरे टेस्ट करो। राजेश के मुंह की ओर छोले भटूरे अपने हाथ में लेकर बोली।
राजेश ने छोले भटूरे खाया।
राजेश_वाउ, बहुत ही स्वादिष्ट है।
सुजाता _अब मेरी बारी है।
सुजाता ने दो उबला अंडा ली,जो हल्का तला हुआ था उसे बीच से कांटकर उसमे लहसुनकी चटनी भरकर राजेश की ओर बढ़ाया।
सुजाता _राजेश तुम ये खाओ इसकी तुम्हे ज्यादा जरूरत है। इससे तुम्हारे शरीर को ताकत मिलेगी।
राजेश ने अंडा खाने के बाद, उसका जायका की तारीफ किया।
राजेश _लो तुम लोगो ने तो मुझे इतना खिला दिया की, मुझे भोजन पचाने के लिए मेहनत करना पड़ेगा।
सुजाता _तो कर लेना न थोड़ी मेहनत किसने मना किया है? वह हंसने लगी ।
भोजन कर लेने के बाद सभी हाल में आ कर बैठ गए।
राजेश _मैं थोडा गार्डन में टहलता हूं।
राजेश गार्डन में टहलने को जाने लगा।
सीमा निशा से बोली_निशा यह अच्छा मौका है तुमभी जाओ राज के साथ और अपनी दिल की बात बता दो।
निशा _राज रुको मैं भी चलती हूं।
राजेश _ok
निशा और राजेश दोनो गार्डन में टहलने चले गए।
बाकी लोग हाल में बैठकर बात चीत करने लगे।
इधर राजेश और निशा गार्डन में,,,
कुछ देर दोनो इधार उधर की बाते करने के बाद,
राजेश _निशा आगे क्या सोचा है फ्यूचर के बारे में?
तुम अपनी मां बाप की अकेली हो, बडी उम्मीद होगी तुमसे तुम्हारे मॉम डैड को।
निशा _मै तो आगे चलकर अपनी मां की काम में उसकी मदद करना चाहता हूं। वह अकेली ही इतनी बड़ी कंपनी सम्हाल रही है।
राजेश _हा, ये बात तो सही है, तुम्हारा फैसला बिल्कुल सही है।
निशा _राजेश क्या तुम हमारी कंपनी ज्वाइन नही कर सकते? अगर तुम हमारी कंपनी ज्वाइन कर लेते तो,,
राजेश _निशा, मेरी मां की सपना है कि मै आई ए एस अफसर बनू। मै अपनी मां की सपना पूरा करना चाहता हूं।
निशा _राजेश मै तुमसे कुछ बात कहना चाहती हूं।
राजेश _बोलो निशा क्या कहना है।
निशा _मै,,,
तभी switi वहा पर आ गई।
स्वीटी _लो भैया आप यहां पर हो, मै कहां कहा नहीं ढूंढी आपको। घर नही चलना है क्या, मां बुला रही है।
राजेश _हां, चलो।
निशा अब चलते हैं बाद में बता देना जो भी बात है ।
निशा ने हां में सिर हिलाया।
अब चलो, चलते हैं घर वाले हमारा वेट कर रहे है।
सुनिता _लो राजेश और निशा भी आ गई।
सुजाता जी अब हमें इजाजत दीजिए।
सुजाता _दीदी, एक मिनट रुकना।
निशा बेटा,मेरे साथ आना।
निशा , सुजाता के साथ उसके रूम में गई।
वहा पर आलमारी में रखी, तीन गिफ्ट पैकेट निशा को थमाया और उसे नीचे ले जानें बोली।
निशा ने तीनो पैकेट नीचे ले गई। सुजाता भी उसके पीछे पीछे नीचे आ गई।
एक पैकेट सुनिता के हाथों में थमाते हुए बोली।
सुजाता _दी दी आप पहली बार हमारे घर आई है, ये छोटा सा भेट स्वीकार करो।
सुनिता _सुजाता जी, ये भेट मै नही ले सकती। इसकी कोई आवश्यकता नहीं है।
सुजाता _नही दीदी। वे भेट तो स्वीकार करना ही पड़ेगा। हमे खुशी होगी।
जब सुनिता ने वह पैकेट खोलकर देखी। उसके अंदर हीरे का नेकलेस निकला, जो बहुत ही सुंदर था।
सुनिता _इतना कीमती नेकलेश ,ये तो करोड़ों का होगा।
सुजाता जी मै इतनी कीमती नेकलेश नही ले सकती। मुझे माफ कीजिए।
सुजाता _दी दी राजेश ने जो हमारे लिए किया, उसके बदले में तो ये कुछ भी नहीं है। आज ये जो शानो शौकत है राजेश की वजह से है। प्लीज इसे स्वीकार कर लीजिए।
सुनिता _राजेश ने जो किया वह उसका फर्ज था। सुजाता जी। उसके बदले भेट देने की आवश्यकता नहीं है।
सुजाता _दी जब कोई मेहमान, पहलीबार घर आता है तो उसे भेट देने की परंपरा है न बोलो
सुनिता _हा, वो तो है।
सुजाता _आज से तुम लोग हमारे मेहमान हो, और हमारे घर पहली बार आए हो। हम खाली हाथ नहीं जानें दे सकते।
स्वीटी बेटा या तुम्हारे लिए।
स्वीटी _ओह थैंक यू आंटी।
सुजाता ने विशाल से कहा, सुनो जी ये भाई साहब को दे दीजिए।
विशाल _शेखर जी _ये छोटा सा भेट स्वीकार कीजिए।
शेखर _भाई साहब ये भेट देकर हमें शर्मिंदा कर रहे हैं।
निशा _मां आपने राज के लिए कुछ नहीं ली हो क्या?
सुजाता _राजेश को क्या दू समझ ही नहीं आय।
। राजेश मेरे साथ आना। दो चार भेट पसंद की है तुम्हारे लिए तुमको जो पसन्द हो, बता देना।
राजेश _मैम मुझे कुछ नहीं चाहिए, रहने दीजिए न।

सुजाता _कुछ तो भेट स्वीकार करना पड़ेगा।
आओ ऊपर।

सुजाता ने आंखो ही आंखो में राजेश को इशारा की।
इस इशारे को स्वीटी ने भांप ली।
स्वीटी _लगता है कुछ खास है भैया के लिए आंखो से इशारा हो रही है।
इधर राजेश और सुजाता कमरे में पहुंचते ही।
सुजाता _बोलो क्या चाहिए तुम्हे।
राजेश ने सुजाता को बाहों में भर लिया।
राजेश _तुम से बडकर कोई गिफ्ट है क्या मेरे लिए?
सुजाता _तो ले चलो मुझे अपना घर।
राजेश _अब तो तुम मेरी अमानत हो, अब यहां रहो या मेरे घर में।
सुजाता _बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे।
राजेश और सुजाता एक दूसरे की आंखो में देखने लगे।
फिर दोनो एक दूसरे के ओंठ चूसने लगे।
इधर जब दोनो को नीचे आने में देर हो गई।
स्वीटी _लगता है ऊपर दोनो के बीच फिर रासलीला सुरू हो गया है।
वह निशा से बोली।
स्वीटी _निशा दी, लगता हैं भईया अपना भेट चूज नही कर पा रहे हैं। जाओ न तुम भैया की मदद कर दो। हम लेट हो रहे हैं।
सुनिता _ऊपर जाकर देखो बेटा, राजेश इतना समय क्यू ले रहा है?
निशा _ठीक है आंटी।
निशा ऊपर जानें लगी।
जब वह सुजाता के कमरे के पास पहुंची। कमरे का दरवाजा बंद था, पर कुंडी अंदर से लगी नही थी।
निशा _मॉम और राज कमरे का दरवाजा बंद क्यू कर दिए हैं।
वह दरवाजे को थोडा धेकेली, दरवाज़ा थोडा खुल गई।
कमरे में सुजाता की मादक सिसकारी गूंज रही थी।
निशा का दिल जोरो से धड़कने लगा।
वह थोडा सा दरवाजे को और धकेली। उसने जो अंदर देखा उसे देख कर उसकी आंखो से खून की आंसु बहने लगी।
सुजाता राजेश के गोद में बैठी हुई थी और राजेश सुजाता की दुदू पी रहा था। सुजाता आंखे बंद कर सिसक रही थी।
निशा, बुत बनी हुई किसी तरह अपने कमरे में गई और दरवाज़ा बंद कर। दरवाजे पे पीठ रख कर खड़ी हो गई फिर धीरे धीरे नीचे बैठ गई। अपने घुटने मोड़ कर उस पर अपना सिर झुका कर फूट फूट कर रोने लगी।
इधर राजेश और सुजाता दोनो जन्नत की सैर कर रहे थे।
सुजाता _ओह, राजेश थोडा जल्दी करो, नही तो हमारे घर वालो, इतनी देर होता देख आ न जाए।
राजेश अपना स्पीड और बढ़ा दिया।
कुछ देर में ही,राजेश ने सुजाता को एक बार फिर झाड़ दिया।
सुजाता _राजेश अब चलो।
सुजाता और राजेश ने जल्दी से अपने कपडे ठीक किए और नीचे आ गए।
सुजाता _राजेश को तो कोई गिफ्ट, पसंद ही नही आया, अब राजेश का तोहफा उधार रहा।
सुनिता _ सुजाता जी इसमेहमान नवाजीके लिए शुक्रिया ,अब हम चलते हैं।
सुजाता _ठीक है दीदी और आइएगा।
सुनिता _जी जरूर।
शेखर ने विशाल से कहा_अच्छा भाई साहब, अब हमें इजाजत दीजिए।
विशाल _ठीक है शेखर जी। आप लोग आए हमे खुशी हुई।
राजेश _निशा कही दिख नही रही।
सीमा _निशा तो ऊपर ही गई थी आप लोगों को लेट होता देख।
राजेश _मां आप लोग निकलो मै निशा से मिलकर अभी पहुंचता हूं।
सुनिता _ठीक है बेटा तुम जल्दी आना हम बाहर वेट करेगें तुम्हारा।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश ऊपर गया, निशा को इधर उधर देखा कही नही दिखा तो वह उसकी रूम की ओर गया।
इधर निशा, दरवाजे से सट कर बैठ फूटफूट कर रो रही थी ।
राजेश ने आवाज लगाया, निशा निशा कहा हो यार,,,
राजेश की आवाज सुनकर निशा जल्दी से अपनी आंसू पोछी।
और खड़ी हो गई।
राजेश ने दरवाज़ा धकेला।
राजेश _ओह निशा तुम यहां क्या कर रही हो?
मैं तुम्हे कहा कहा नहीं ढूंढा।
निशा_क्या huwa राजेश, मुझे क्यू ढूंढ रहे हो।
राजेश _निशा हम घर जा रहे हैं। तुम मूझसे कुछ कहने वाली थी,,
निशा _मै आपको कुछ कहने वाली थी,,, मुझे कुछ याद नही आ रहा की मै कया कहने वाली थी।
राजेश _ओह, जब याद आए तो फिर कभी बता देना। हम निकल रहे हैं।
राजेश जानें लगा,,
निशा राजेश को जाते हुई देखने लगी।
उसकी आंखो से आंसू तेज धारा बह रही थी।
राजेश कुछ दूर ही गया था कि निशा ने राजेश को आवाज दी,, राजेश रुको,,
राजेश रुक गया।
निशा अपनी आंसू पोंछ कर राजेश के पास पहुंची।
राजेश _बोलो निशा।
निशा _राजेश मै ये कहना चाहती थी कि हम एक अच्छे दोस्त हैं न बोलो ।
राजेश _निशा जी ये भी पूछने की बात है।
निशा _अगर हम अच्छे दोस्त हैं तो मुझे उसी दोस्ती की कसम दो।
राजेश _कैसा कसम निशा जी।
निशा _राजेश, तुम्हे तो पता है मेरे पिता जी बीमार रहते हैं। पता नही वे मां के साथ कब तक दे पाएंगे। भगवान न करे, पर उसे कुछ हो गया तो मेरी मां अकेली हो जाएगी।
मुझे लगता हैं कि मां तुम्हे इस घर का कोई सदस्य की तरह मानने लगी है। मूझसे वादा करो कि तुम हमेशा मेरी मां के सुख दुख में उसका साथ दोगे।
राजेश _निशा, इसमें वादा करने की क्या बात है मैं तो हमेशा आप लोगों के साथ खड़ा रहूंगा। मै तुम्हे विश्वास दिलाता हूं।
निशा _विश्वास नही वादा करो।
राजेश_ठीक है, निशा जी मै आपसे अपनी दोस्ती का का कसम देता हूं। मेरे रहते फिर से कोई तुम लोगो का कोई बुरा नही कर सकेगा , हर दुख सुख में तुम लोगो के साथ खड़ा रहूंगा,ये वादा है तुमसे।
निशा _मुझे तुमसे यही उम्मीद थी राजेश।
राजेश और निशा दोनो नीचे आ गए। निशा किसी तरह अपने आंसुओं को रोक रखी थी।
राजेश _अच्छा मैम अब मैं चलता हूं।
सुजाता _हूं।
बाई सीमा जी।
सीमा _बाई राज।
राजेश चला गया।
राजेश को जाते हुई निशा देखती रही।
सीमा _निशा तुम ऊपर में क्या कर रही थी?
निशा _झूठी मुस्कान लाते हुवे,मेरा, पेट दर्द कर रहा था, तो फ्रेस हो रही थी।
सीमा _लगता है तुमने भी आज कुछ ज्यादा ही खा ली थी।
निशा अब मै भी चलती हूं।
निशा _ठीक है सीमा, ड्राइवर तुम्हे घर छोड़ देगा।
सीमा _ओके निशा बाई।
बाई आंटी।
सुजाता _बाई, बेटा।
सुजाता ने निशा से कहा।
बेटा रात बहुत हो गई है अब तुम भी अपने कमरे में जाकर आराम करो।
निशा _ठीक है मॉम।
निशा _भारी मन से अपने कमरे की ओर जानें लगी।
उनके आंखो से आंसु, अब कहा रुकने वाला था।
किसी तरह वह अपने कमरे में पहुंची।
और अपने कमरे की दरवाज़ा बंद कर फिर से दरवाजे से टिक कर बैठ कर रोने लगी।
वह रोती हुई गीत गाने लगी,,,

बना के क्यू बिगाड़ा रे
बिगाड़ा रे नसीबा, ऊपर वाले, ऊपर वाले

बना के क्यू बिगाड़ा रे

जो तुझको मंजूर नहीं था फूल खिले इस प्यार के
फिर क्यों तूने इन आंखो को रंग दिखाए बहार के
आस बंधा के, प्यार जगा के, बिगाड़ा रे नसीबा
ऊपर वाले, ऊपर वाले।

बना के क्यू बिगाड़ा रे,,,,,,,







 

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Ye thik nahi huaa Nisha ko Rajesh or Sujata ke bich sambandh ka pata nahi chalna chahiye tha ab dekhte hain Rajesh or Nisha ka milan kaise hota hai or Rajesh Seema ko kab or kaise chodta hai waiting for next
 
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