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Incest यह क्या हुआ

Sanju@

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सुनीता अपने परिवार वालों के साथ, सुजाता के घर डिनर के लिए निकल गए थे।
इधर सुजाता तैयार होकर, राजेश और उसके परिवार के लोगो का इंतजार करने लगी।
निशा _मॉम आज तो अप बहुत ही सुंदर लग रही हो। इस तरह श्रृंगार में आपको पहली बार देख रही हूं।
सीमा _हा आंटी, निशा बिल्कुल सही कह रही है आज तो आप बिलकुल नई रूप में लगे रही हो।
सुजाता _अब राजेश ने जो हमारे लिए किया है, वह तो किसी से छुपी नहीं है बेटा अब डिनर में उसके मां और पापा आ रहे हैं तो उनके स्वागत के लिए तैयार तो होना ही पड़ेगा न, ताकि उन्हें भी लगे की उन लोगो के आने से हम बहुत खुश हैं।
निशा _हा मां ये तो आपने सही कहा।
सुजाता _बेटा अब जाओ तुम भी एक अच्छी सी ड्रेस पहन लो, जल्दी वे लोग आते ही होंगे।
निशा _ठीक है मां।
निशा, सीमा के साथ अपनी बेडरूम में चली गई।
निशा _सीमा, क्या पहनूं मैं?
सीमा _कुछ ऐसी ड्रेस जिससे राजेश और उसकी मम्मी पापा आपकी तारीफ करने मजबूर हो जाए।
निशा _ये ब्लू कलर की लहंगा चोली और चुनरी कैसी रहेगी।
सीमा _सुपर्ब।
निशा _जब ब्लू कलर की लहंगा और चोली पहनी तो कयामत ढा ने लगी।
सीमा _wow इस ड्रेस में तो सच में बिल्कुल स्वर्ग की अप्सरा लग रही हो।
उधर राजेश अपनी मम्मी पापा और बहन के साथ निशा के घर पहुंच गए।
विशाल और सुजाता दरवाजे पर खड़े थे।
जैसे ही शेखर और सुजाता घर के अंदर कदम रखे।
विशाल और सुजाता ने हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया।
सुजाता _आइए दीदी हमारे घर में आप लोगो का स्वागत है, आइए ।
सुनिता _सुजाता जी ये राजेश के पापा है।
सुजाता _भाई साहब।
शेखर _नमस्ते सुजाता जी।
सुजाता _इनसे मिलिए, आप मेरे पति है।
विशाल और शेखर ने हाथ जोड़कर एक दूसरे का अभिवादन किया।
शेखर _भाई साहब आपको कौन नही जानता विशाल एंड सुजाता ग्रुप्स के मालिक हो आप हमारी तरह साधारण इन्सान नहीं है।
विशाल _अरे शेखर जी क्यू आप मुझे शर्मिंदा कर रहे है? आप राजेश के पिता है ,इससे बड़े गर्व की बात और कुछ हो सकती है क्या?
बहुत खुश नसीब है आप।
सुनिता, घर का मुआइना करने लगी।
सुनिता _वाह, सुजाता जी आपका घर तो महलों से भी बड़ा और सुंदर प्रतीत होता है।
विशाल _सुजाता, भाभी जी को घर दिखाओ।
सुजाता _घर तो देखेंगे ही जी पहले चाय पानी तो पी लेने दीजिए।
नौकरों ने पानी लाया।
सुजाता _लीजिए दीदी पानी लीजिए। अपने हाथो से पानी का ट्रे लेकर पानी दी।
सुनिता _धन्यवाद, सुजाता जी।
सुजाता _राजेश तुम भी लो पानी ।
राजेश ने सुजाता की खूबसूरती में कही खो गया।
वह सुजाता की आंखो में देखता रहा। गिलास को सुजाता के हाथ से लेना छोड़कर।
सुजाता बहुत शर्मिंदगी महसूस करने लगी।
सुनिता _बेटा कहा खो गया, गिलास लो।
राजेश हड़बड़ा गया।

राजेश _हा मां।
राजेश भी शर्मिंदा महसूस करने लगा।
सुनिता _ये मेरी बेटी स्वीटी है।
सुजाता _बहुत सुंदर है, बिल्कुल आप पर गई है दीदी।


सुनिता _सुजाता जी निशा बिटिया नही दिख रही है।
सुजाता _दीदी, वो अपने रूम में होगी अपनी सहेली सीमा के साथ।
लो वो, आ रही है।
सभी लोग निशा को सीढ़ी से उतरते हुए देखने लगे।
निशा ने सुजाता का पैर छू कर प्रणाम की।
सुजाता _जी ती रह बेटी, तू सच में चांद की टुकड़ा लग रही है। सुजाता, निशा तो बिलकुल तुम्ही पर गई है।
तभी सुजाता हसने लगी।
सभी लोग आश्चचर्य से देखने लगे।
सुजाता अपनी हसी रोकते हुए बोली।
राजेश ने जब मुझको पहली बार देखा तो मुझे निशा ही समझ रही थी।
वो तो मेरे बताने पर ही जान सका की मैं निशा नही उसकी मम्मी हूं।
क्यू राजेश?
राजेश _मै ही क्यू? कोई भी धोखा खा सकता है।
सुनिता _हूं, राजेश ठीक कह रहा है।

निशा ने शेखर का भी पैर छू कर प्रणाम किया।
शेखर _खुश रहो बेटी, आगे चलकर तुम अपनी मां बाप का नाम रोशन करो।
निशा औरसीमा _हाई स्वीटी कैसी हो?
स्वीटी _निशा मै बिल्कुल ठीक हूं। आप दोनो कैसी है?
निशाऔर सीमा_ हम भी अच्छे हैं।
सुजाता _दी चलो मैं आपको हमारा घर दिखा दूं।
सुनिता और स्वीटी, सुजाता के पीछे चली गई।
इधर विशाल और शेखर आपस मे बात चीत करने लगें।
राजेश _निशा जी सच में आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो।
निशा _ओह थैंक्स राजेश।
सीमा _राजेश, निशा आपसे कुछ कहना चाहती है।
राजेश _बोलो, निशा जी क्या कहना है?
सीमा _निशा, बोल दो राजेश को जो बोलना चाहती हो।
राजेश _हां निशा कुछ कहना चाहती हो, तुम घबरा क्यू रही हो बोलो।
निशा _ओ, मै कह रही थी कि,,
राजेश _हां, बोलो।
सीमा _लगता है निशा मेरे होने से अपनी मन की बात कह नही पा रही। अच्छा मै भी चलती हूं स्वीटी को कंपनी देने आप दोनो एक दूसरे के साथ बाते शेयर करे।
मैं चली।
सीमा चली गई।
राजेश _निशा की हाथ पकड़कर पूछा, बोलो निशा क्या कहना चाहती हो?
निशा _वो, राजेश,,,
राजेश _हां बोलो,,
निशा _ओ,,, आपके मम्मी पापा बहुत अच्छे हैं।
राजेश _हूं, तो इतनी सी बात बोलने के लिए घबरा रही थी। और कुछ बोलना चाहती हो तो बोल दो।
निशा _तुम्हारी मां तुमसे कितना प्यार करती है?
राजेश _, वो तो है।
और कुछ बोलना है?
निशा न में सिर हिलाया।
राजेश _चलो देखते हैं मैम,मॉम को क्या दिखा रही है।
निशा _हूं, आप जाओ मै आती हूं।
उधर सीमा छुप कर देख रही थी। जब राजेश चला गया तब सीमा निशा के पास आई।
सीमा_क्या huwa बोली की नही?
निशा _सीमा, राजेश के सामने मुझे घबराहट सी होती है।
सीमा _मतलब तुम नही बोल पाई।
सीमा ने अपना सिर पकड़ लिया।
सीमा _लगता है कोई दूसरा तरीका अपनाना पड़ेगा।
उधर राजेश सुजाता और सुनिता के पास पहुंच गया।
सुजाता, सुनिता को अपना घर दिखा रही थी।
स्वीटी और सुनिता घर की बडी तारीफ कर रहे थे।
स्वीटी और सुनिता घर के दीवारों पर बने नक्कासी को देख रहे थे।
तभी राजेश ने मौका पाकर सुजाता की कमर पे चिकोटी कांट लिया।
सुजाता चिहुंक उठी।
उई मां,,
सुनिता _क्या हुआ सुजाता जी।
सुजाता _दीदी मेरे कमर पे एक मच्छर ने कांटा।
सुनिता _सुजाता जी ये आप कैसी मजाक कर रही हो?
आपके घर और मच्छर।
सुजाता _हां दीदी सच कह रही हूं, पता नहीं कहा से आ गया, ये मच्छर, और मेरा खून पीने कांट दिया।
बडी तेज जलन हो रही है। देखो तो पूरा चमड़ी लाल हो गया है।
राजेश _मैम आपके पास कोई मलहम होगा तो मुझे दो मै लगा देता हूं आपको राहत मिलेगी।
सुजाता _वो तो मेरे कमरे में है। एक काम कर तू मेरे कमरे में चल वही लगा देना, जल्दी से राहत मिलेगी।
दीदी आप लोग घर देखो, मैं जल्द आती हूं।
सुनिता _ठीक है सुजाता जी, आप कोई मलहम लगा कर आइए। बेटा जाओ सुजाता जी का मदद कर दो।
राजेश _ठीक है मां।
बेडरूम में जानें के बाद।
सुजाता _ये क्या किया राजेश, इतना जोर से क्यू कांटा। पूरी चमड़ी लाल हो गई।
राजेश ने सुजाता को बाहों में भरते हुए कहा _तुम बहुत खुबसूरत और हॉट लग रही हो।
राजेश तो अपने घर में ही गर्म था। वह सुजाता का हॉट लुक देखकर और गर्म हो गया था।
वह सुजाता की चूची मसलने लगा।
सुजाता _अरे छोड़ो कोई आ जायेगा।
तू तो बावला हो गया है।
राजेश _हा, अब तुम इतनी सज धज कर मेरे सामने खड़ी रहोगी तो मै अपने को काबू में कैसे रख पाऊंगा?मै तुम्हारा यह खुबसूरत बदन देख बावला हो गया हूं।
राजेश सुजाता की ओंठ, मुंह में भरकर चूसने लगा।
सुजाता _देखो ये समय ठीक नहीं है। कोइ भी आ सकता है? प्लीज छोड़ो न।
राजेश _न, मुझे करने का बड़ा मन है !
सुजाता _देखो जिद मत करो। कोई आ गया न तो सारा भेद खुल जायेगा।
राजेश _अरे खुलने दो मै किसी से डरता नहीं।
मुझे कुछ नहीं सुनना।
राजेश नीचे झुककर सुजाता की नाभी चाटने लगा।
सुजाता सिसकने लगी। उसकी बुर में पानी भर गया।

राजेश ने देर न करते सुजाता को बेड पे लिटा दिया और उसकी साडी पेटी कोट ऊपर उठा कर पेंटी निकाल कर सूंघने लगा।
राजेश _क्या मस्त खुशबू है?
इसके बाद राजेश देर न करते हुए सुजाता के टांगों के बीच आ गया और उसको chut चाटने लगा।
अपना पेंट नीचे सरका कर land बाहर निकाल लिया।
राजेश, सुजाता की चूची ब्लाउज से बाहर निकाल,कुछ देर उसकी दूदू पीने लगा, कुछ देर तक दूदू पीने के बाद।

अपना लैंड सुजाता की बुर के छेद में टिका कर एक जोर का धक्का मारा।
लन्ड बुर को चीरकर अंदर घुस गया।
अब राजेश सुजाता की टांगे अपने कंधो पर रख कर gach gach बुर चोदने लगा।
राजेश अपने दोनो हाथो से सुजाता की चूचियां दबा दबा कर। लन्ड को बुर में पेलना जारी रखा।
लन्ड पूरी गहराई में जाकर सुजाता की बच्चेदानी को ठोकने लगा।
सुजाता कुछ ही देर में जन्नत की सैर करने लगी।
उसकी मुंह से कामुक सिसकारी निकल कमरे में गूंजने लगी।
आह मां,, उन,, आह,, उन, आई ,,,,
राजेश को भी बड़ा मजा आ रहा था। सुजाता की बुर पे lund डालकर, वह दनादन चोदने लगा।
सुजाता की बुर पे पानी का बाढ सा आ गया। जिसमे राजेश का लन्ड भीग कर और मस्ता गयाऔर गपागप अंदर बाहर होने लगा।
राजेश _आह मेरी रानी, बहुत मजा आ रहा है। सच में क्या मस्त मॉल है तू।
सुजाता _राजेश, और तेज कर आह उई मां मै आने वाली हूं, और जोर से आह, उई मां मर गई,, आह,,
सुजाता राजेश से को जोर से जकड़ कर झड़ने लगी।

सुजाता के झड़ने के बाद राजेश ने अपना land बुर से बाहर निकाल लिया।
और ज्यादा देर तक वहा रुकना ठीक नहीं था कोई भी आ सकता था।
इसलिए वे दोनो अपने कपडे जल्दी से ठीक कर सुनिता के पास आ गए।
स्वीटी दोनो को अजीब से नजरो से देखने लगी।
स्वीटी _पता नही दोनो इतने देर तक क्या कर रहे थे?

सुजाता _माफ करना दीदी ,मलहम दिख नही रहा रहा था इस कारण थोड़ी लेट हो गई।
सुनिता _कोई बात नही सुजाता जी, आपको जलन से राहत तो मिली न।
सुजाता _हां दीदी, राजेश ने अच्छे से मालिश किया जिससे जलन एक दम खत्म हो गया।
स्वीटी राजेश और सुजाता को पैनी नजरो से देखने लगी।
स्वीटी _छोटा सा मच्छर काटने पर इतने देर तक मालिश, मुझे तो लगता है कि इन दोनों के बीच कुछ नई खिचड़ी पक रही है।
इतने दिनो तक दोनो, सोनपुर में साथ बिता कर भी तो आए है? कैसी सजी संवरी है, नई नवेली दुल्हन की तरह। मुझे तो दाल में कुछ काला लग रहा है।
दोनो एक दूसरे को देखकर आंखो ही आंखो में इशारे भी कर रहे हैं।
भईया तो ऐसे भी गदराई घोड़ी का दीवाना है ही। मां का तो ले ही रहा था, लगता है अब अपनी होने वाली सास का भी लेने लगा है।
अपना प्यार सबको बांट रहा है सिर्फ अपनी बहन को छोड़ कर।

सुजाता _दी आप लोगो ने घर तो देख ही लिया ,
चलो अब डिनर करते हैं।
सभी डिनर हाल में आ गए।
यहां नौकरों ने खाने पीने की सभी चीजे टेबल पर सजा कर रख चुके थे।
सुनिता _सुजाता जी इतने सारे व्यंजन बनाने की क्या जरूरत थी?
सुजाता _दी, पहली बार हमारे घर में आए हैं आप लोग। बार बार मौका तो आप लोग देंगे नही खातिर दारी की।

सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठ गए।
विशाल और शेखर आजू बाजू उसके बाद राजेश फिर स्वीटी फिर सीमा उसके बाद निशा। फिर सुजाता और सुनिता।
सुजाता और राजेश आमने सामने बैठे थे।
सभी लोग खाने पे व्यस्त थे।
सुनिता _भोजन तो बहुत ही स्वादिष्ट है।
शेखर _हा भई, जितनी भी तारीफ किया जाए कम है।
सुजाता _दीदी थोडा और लीजिए न।
सुनिता _बस सुजाता, बहुत खा ली पेट में अब बिल्कुल भी जगह नहीं।
सुजाता _राजेश तुम बिल्कुल चुप हो कुछ बोल क्यू नही रहे। क्या तुम्हे खाना पसंद नही आया? तुम ठीक से खा नही रहे हो।
स्वीटी _लगता है भैया ने डिनर के ठीक पहले कुछ ओर खा या पी के अपना पेट भर लिया।
सभी लोग स्वीटी की बात पर हसने लगे।
राजेश और सुजाता स्वीटी की बातों से झेप गए।
स्वीटी _क्यू भईया मै सही कह रही हूं न।
वैसे क्या खाए या पिए थे हमें भी बताओ।
सुनिता _स्वीटी,,,,,,
स्वीटी _सॉरी मां लगता है मै कुछ ज्यादा ही बोल गई।
निशा _राज आपको डिनर के ठीक पहले कुछ खाना या पीना नहीं खाना चाहिए था। देखो न आप तो बिलकुल भी नहीं खा रहे।
सीमा _वैसे क्या खा या पी लिए थे, हमे भाई तो पता चले, स्वीटी ठीक कह रही है।
सुनिता _अरे तुम सभी तो मेरे बेटे के पिछे ही पड़ गए।
अब उसका मन किया होगा तो कुछ खा पी लिया होगा।
राजेश _कोई प्यार से खिलाएगी तो मना कैसे कर सकता हूं?
सुनिता _किसने प्यार से खिलाया तुम्हे मै भी तो जानू?
शेखर _अरे भाग्यवान, तुम लोग तो राजेश के पीछे ऐसे पड़ गए जैसे उसने कोई बड़ा गुनाह कर लिया हो। अब छोड़ो भी इस मुद्दे को,,,
विशाल _हा ,भाई ,शेखर जी ठीक कह रहा है। क्यू राजेश को परेशान कर रहे हो?

सुजाता _न राजेश को सजा मिलेगी, और उसकी सजा यही है कि सभी लेडीज अपने पसंद का व्यंजन,राजेश को दो दो चम्मच खिलाएंगे।
राजेश _अरे, न बाबा, मै नही खा पाऊंगा।
सुजाता _, खाना तो पड़ेगा ही बच्चू।
पहले कौन खिलाएगा।
स्वीटी _मै उसकी बहन हूं । पहले मै खिलाऊंगी।
अपने भैया को।
स्वीटी ने अपनी पसंद की व्यंजन दो चम्मच राजेश को खिलाई।
स्वीटी _कैसा लगा भईया मेरी पसंद का व्यंजन?
राजेश _वेरी टेस्टी।
उसके बाद सीमा ने खिलाई अपनी पसंद का डिस।
सीमा _कैसा है इसका स्वाद ?, राजेश टेस्ट करके बताना।
राजेश _हूं बहुत ही जायेके दार।
सुजाता _निशा, बेटा तुम खिलाओ।
निशा _मै
सुजाता _हां बेटा।
निशा _पता नही क्यू मुझे राज को जबरदस्ती खिलाना कुछ ठीक नहीं लग रहा है।
राज तुमको क्या पसंद है बताओ मैं अपनी हाथों से खिला देती हूं।
सुजाता _न बेटा चीटिंग नही तुम अपनी पसंद का व्यंजन खिलाओ।
निशा _ठीक है,
निशा ने दो पानी पूरी बनाई और राजेश की ओर आगे बढ़ाते हुवे, बोली
राजेश इसको टेस्ट करो।
राजेश ने अपना मुंह खोला। निशा ने राजेश के मुंह में पानी पूरी भर दिया।
राजेश पानी पूरी खाने के बाद,
राजेश _वाउ,सुपर्ब।
दीदी अब आप भी खिलाओ।बीएम
सुनिता _लो बेटा ये छोले भटूरे टेस्ट करो। राजेश के मुंह की ओर छोले भटूरे अपने हाथ में लेकर बोली।
राजेश ने छोले भटूरे खाया।
राजेश_वाउ, बहुत ही स्वादिष्ट है।
सुजाता _अब मेरी बारी है।
सुजाता ने दो उबला अंडा ली,जो हल्का तला हुआ था उसे बीच से कांटकर उसमे लहसुनकी चटनी भरकर राजेश की ओर बढ़ाया।
सुजाता _राजेश तुम ये खाओ इसकी तुम्हे ज्यादा जरूरत है। इससे तुम्हारे शरीर को ताकत मिलेगी।
राजेश ने अंडा खाने के बाद, उसका जायका की तारीफ किया।
राजेश _लो तुम लोगो ने तो मुझे इतना खिला दिया की, मुझे भोजन पचाने के लिए मेहनत करना पड़ेगा।
सुजाता _तो कर लेना न थोड़ी मेहनत किसने मना किया है? वह हंसने लगी ।
भोजन कर लेने के बाद सभी हाल में आ कर बैठ गए।
राजेश _मैं थोडा गार्डन में टहलता हूं।
राजेश गार्डन में टहलने को जाने लगा।
सीमा निशा से बोली_निशा यह अच्छा मौका है तुमभी जाओ राज के साथ और अपनी दिल की बात बता दो।
निशा _राज रुको मैं भी चलती हूं।
राजेश _ok
निशा और राजेश दोनो गार्डन में टहलने चले गए।
बाकी लोग हाल में बैठकर बात चीत करने लगे।
इधर राजेश और निशा गार्डन में,,,
कुछ देर दोनो इधार उधर की बाते करने के बाद,
राजेश _निशा आगे क्या सोचा है फ्यूचर के बारे में?
तुम अपनी मां बाप की अकेली हो, बडी उम्मीद होगी तुमसे तुम्हारे मॉम डैड को।
निशा _मै तो आगे चलकर अपनी मां की काम में उसकी मदद करना चाहता हूं। वह अकेली ही इतनी बड़ी कंपनी सम्हाल रही है।
राजेश _हा, ये बात तो सही है, तुम्हारा फैसला बिल्कुल सही है।
निशा _राजेश क्या तुम हमारी कंपनी ज्वाइन नही कर सकते? अगर तुम हमारी कंपनी ज्वाइन कर लेते तो,,
राजेश _निशा, मेरी मां की सपना है कि मै आई ए एस अफसर बनू। मै अपनी मां की सपना पूरा करना चाहता हूं।
निशा _राजेश मै तुमसे कुछ बात कहना चाहती हूं।
राजेश _बोलो निशा क्या कहना है।
निशा _मै,,,
तभी switi वहा पर आ गई।
स्वीटी _लो भैया आप यहां पर हो, मै कहां कहा नहीं ढूंढी आपको। घर नही चलना है क्या, मां बुला रही है।
राजेश _हां, चलो।
निशा अब चलते हैं बाद में बता देना जो भी बात है ।
निशा ने हां में सिर हिलाया।
अब चलो, चलते हैं घर वाले हमारा वेट कर रहे है।
सुनिता _लो राजेश और निशा भी आ गई।
सुजाता जी अब हमें इजाजत दीजिए।
सुजाता _दीदी, एक मिनट रुकना।
निशा बेटा,मेरे साथ आना।

निशा , सुजाता के साथ उसके रूम में गई।
वहा पर आलमारी में रखी, तीन गिफ्ट पैकेट निशा को थमाया और उसे नीचे ले जानें बोली।
निशा ने तीनो पैकेट नीचे ले गई। सुजाता भी उसके पीछे पीछे नीचे आ गई।
एक पैकेट सुनिता के हाथों में थमाते हुए बोली।
सुजाता _दी दी आप पहली बार हमारे घर आई है, ये छोटा सा भेट स्वीकार करो।
सुनिता _सुजाता जी, ये भेट मै नही ले सकती। इसकी कोई आवश्यकता नहीं है।
सुजाता _नही दीदी। वे भेट तो स्वीकार करना ही पड़ेगा। हमे खुशी होगी।
जब सुनिता ने वह पैकेट खोलकर देखी। उसके अंदर हीरे का नेकलेस निकला, जो बहुत ही सुंदर था।
सुनिता _इतना कीमती नेकलेश ,ये तो करोड़ों का होगा।
सुजाता जी मै इतनी कीमती नेकलेश नही ले सकती। मुझे माफ कीजिए।
सुजाता _दी दी राजेश ने जो हमारे लिए किया, उसके बदले में तो ये कुछ भी नहीं है। आज ये जो शानो शौकत है राजेश की वजह से है। प्लीज इसे स्वीकार कर लीजिए।
सुनिता _राजेश ने जो किया वह उसका फर्ज था। सुजाता जी। उसके बदले भेट देने की आवश्यकता नहीं है।
सुजाता _दी जब कोई मेहमान, पहलीबार घर आता है तो उसे भेट देने की परंपरा है न बोलो
सुनिता _हा, वो तो है।
सुजाता _आज से तुम लोग हमारे मेहमान हो, और हमारे घर पहली बार आए हो। हम खाली हाथ नहीं जानें दे सकते।
स्वीटी बेटा या तुम्हारे लिए।
स्वीटी _ओह थैंक यू आंटी।
सुजाता ने विशाल से कहा, सुनो जी ये भाई साहब को दे दीजिए।
विशाल _शेखर जी _ये छोटा सा भेट स्वीकार कीजिए।
शेखर _भाई साहब ये भेट देकर हमें शर्मिंदा कर रहे हैं।
निशा _मां आपने राज के लिए कुछ नहीं ली हो क्या?
सुजाता _राजेश को क्या दू समझ ही नहीं आय।
। राजेश मेरे साथ आना। दो चार भेट पसंद की है तुम्हारे लिए तुमको जो पसन्द हो, बता देना।
राजेश _मैम मुझे कुछ नहीं चाहिए, रहने दीजिए न।

सुजाता _कुछ तो भेट स्वीकार करना पड़ेगा।
आओ ऊपर।

सुजाता ने आंखो ही आंखो में राजेश को इशारा की।
इस इशारे को स्वीटी ने भांप ली।

स्वीटी _लगता है कुछ खास है भैया के लिए आंखो से इशारा हो रही है।
इधर राजेश और सुजाता कमरे में पहुंचते ही।
सुजाता _बोलो क्या चाहिए तुम्हे।
राजेश ने सुजाता को बाहों में भर लिया।
राजेश _तुम से बडकर कोई गिफ्ट है क्या मेरे लिए?
सुजाता _तो ले चलो मुझे अपना घर।
राजेश _अब तो तुम मेरी अमानत हो, अब यहां रहो या मेरे घर में।
सुजाता _बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे।
राजेश और सुजाता एक दूसरे की आंखो में देखने लगे।
फिर दोनो एक दूसरे के ओंठ चूसने लगे।
इधर जब दोनो को नीचे आने में देर हो गई।
स्वीटी _लगता है ऊपर दोनो के बीच फिर रासलीला सुरू हो गया है।
वह निशा से बोली।
स्वीटी _निशा दी, लगता हैं भईया अपना भेट चूज नही कर पा रहे हैं। जाओ न तुम भैया की मदद कर दो। हम लेट हो रहे हैं।
सुनिता _ऊपर जाकर देखो बेटा, राजेश इतना समय क्यू ले रहा है?
निशा _ठीक है आंटी।
निशा ऊपर जानें लगी।
जब वह सुजाता के कमरे के पास पहुंची। कमरे का दरवाजा बंद था, पर कुंडी अंदर से लगी नही थी।
निशा _मॉम और राज कमरे का दरवाजा बंद क्यू कर दिए हैं।
वह दरवाजे को थोडा धेकेली, दरवाज़ा थोडा खुल गई।
कमरे में सुजाता की मादक सिसकारी गूंज रही थी।
निशा का दिल जोरो से धड़कने लगा।
वह थोडा सा दरवाजे को और धकेली। उसने जो अंदर देखा उसे देख कर उसकी आंखो से खून की आंसु बहने लगी।
सुजाता राजेश के गोद में बैठी हुई थी और राजेश सुजाता की दुदू पी रहा था। सुजाता आंखे बंद कर सिसक रही थी।
निशा, बुत बनी हुई किसी तरह अपने कमरे में गई और दरवाज़ा बंद कर। दरवाजे पे पीठ रख कर खड़ी हो गई फिर धीरे धीरे नीचे बैठ गई। अपने घुटने मोड़ कर उस पर अपना सिर झुका कर फूट फूट कर रोने लगी।
इधर राजेश और सुजाता दोनो जन्नत की सैर कर रहे थे।
सुजाता _ओह, राजेश थोडा जल्दी करो, नही तो हमारे घर वालो, इतनी देर होता देख आ न जाए।
राजेश अपना स्पीड और बढ़ा दिया।
कुछ देर में ही,राजेश ने सुजाता को एक बार फिर झाड़ दिया।
सुजाता _राजेश अब चलो।
सुजाता और राजेश ने जल्दी से अपने कपडे ठीक किए और नीचे आ गए।
सुजाता _राजेश को तो कोई गिफ्ट, पसंद ही नही आया, अब राजेश का तोहफा उधार रहा।
सुनिता _ सुजाता जी इसमेहमान नवाजीके लिए शुक्रिया ,अब हम चलते हैं।
सुजाता _ठीक है दीदी और आइएगा।
सुनिता _जी जरूर।
शेखर ने विशाल से कहा_अच्छा भाई साहब, अब हमें इजाजत दीजिए।
विशाल _ठीक है शेखर जी। आप लोग आए हमे खुशी हुई।
राजेश _निशा कही दिख नही रही।
सीमा _निशा तो ऊपर ही गई थी आप लोगों को लेट होता देख।
राजेश _मां आप लोग निकलो मै निशा से मिलकर अभी पहुंचता हूं।
सुनिता _ठीक है बेटा तुम जल्दी आना हम बाहर वेट करेगें तुम्हारा।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश ऊपर गया, निशा को इधर उधर देखा कही नही दिखा तो वह उसकी रूम की ओर गया।
इधर निशा, दरवाजे से सट कर बैठ फूटफूट कर रो रही थी ।
राजेश ने आवाज लगाया, निशा निशा कहा हो यार,,,
राजेश की आवाज सुनकर निशा जल्दी से अपनी आंसू पोछी।
और खड़ी हो गई।
राजेश ने दरवाज़ा धकेला।
राजेश _ओह निशा तुम यहां क्या कर रही हो?
मैं तुम्हे कहा कहा नहीं ढूंढा।
निशा_क्या huwa राजेश, मुझे क्यू ढूंढ रहे हो।
राजेश _निशा हम घर जा रहे हैं। तुम मूझसे कुछ कहने वाली थी,,
निशा _मै आपको कुछ कहने वाली थी,,, मुझे कुछ याद नही आ रहा की मै कया कहने वाली थी।
राजेश _ओह, जब याद आए तो फिर कभी बता देना। हम निकल रहे हैं।
राजेश जानें लगा,,
निशा राजेश को जाते हुई देखने लगी।
उसकी आंखो से आंसू तेज धारा बह रही थी।
राजेश कुछ दूर ही गया था कि निशा ने राजेश को आवाज दी,, राजेश रुको,,
राजेश रुक गया।
निशा अपनी आंसू पोंछ कर राजेश के पास पहुंची।
राजेश _बोलो निशा।
निशा _राजेश मै ये कहना चाहती थी कि हम एक अच्छे दोस्त हैं न बोलो ।
राजेश _निशा जी ये भी पूछने की बात है।
निशा _अगर हम अच्छे दोस्त हैं तो मुझे उसी दोस्ती की कसम दो।
राजेश _कैसा कसम निशा जी।
निशा _राजेश, तुम्हे तो पता है मेरे पिता जी बीमार रहते हैं। पता नही वे मां के साथ कब तक दे पाएंगे। भगवान न करे, पर उसे कुछ हो गया तो मेरी मां अकेली हो जाएगी।
मुझे लगता हैं कि मां तुम्हे इस घर का कोई सदस्य की तरह मानने लगी है। मूझसे वादा करो कि तुम हमेशा मेरी मां के सुख दुख में उसका साथ दोगे।
राजेश _निशा, इसमें वादा करने की क्या बात है मैं तो हमेशा आप लोगों के साथ खड़ा रहूंगा। मै तुम्हे विश्वास दिलाता हूं।
निशा _विश्वास नही वादा करो।
राजेश_ठीक है, निशा जी मै आपसे अपनी दोस्ती का का कसम देता हूं। मेरे रहते फिर से कोई तुम लोगो का कोई बुरा नही कर सकेगा , हर दुख सुख में तुम लोगो के साथ खड़ा रहूंगा,ये वादा है तुमसे।
निशा _मुझे तुमसे यही उम्मीद थी राजेश।
राजेश और निशा दोनो नीचे आ गए। निशा किसी तरह अपने आंसुओं को रोक रखी थी।
राजेश _अच्छा मैम अब मैं चलता हूं।
सुजाता _हूं।
बाई सीमा जी।
सीमा _बाई राज।
राजेश चला गया।
राजेश को जाते हुई निशा देखती रही।
सीमा _निशा तुम ऊपर में क्या कर रही थी?
निशा _झूठी मुस्कान लाते हुवे,मेरा, पेट दर्द कर रहा था, तो फ्रेस हो रही थी।
सीमा _लगता है तुमने भी आज कुछ ज्यादा ही खा ली थी।
निशा अब मै भी चलती हूं।
निशा _ठीक है सीमा, ड्राइवर तुम्हे घर छोड़ देगा।
सीमा _ओके निशा बाई।
बाई आंटी।
सुजाता _बाई, बेटा।
सुजाता ने निशा से कहा।
बेटा रात बहुत हो गई है अब तुम भी अपने कमरे में जाकर आराम करो।
निशा _ठीक है मॉम।
निशा _भारी मन से अपने कमरे की ओर जानें लगी।
उनके आंखो से आंसु, अब कहा रुकने वाला था।
किसी तरह वह अपने कमरे में पहुंची।
और अपने कमरे की दरवाज़ा बंद कर फिर से दरवाजे से टिक कर बैठ कर रोने लगी।
वह रोती हुई गीत गाने लगी,,,

बना के क्यू बिगाड़ा रे
बिगाड़ा रे नसीबा, ऊपर वाले, ऊपर वाले

बना के क्यू बिगाड़ा रे

जो तुझको मंजूर नहीं था फूल खिले इस प्यार के
फिर क्यों तूने इन आंखो को रंग दिखाए बहार के
आस बंधा के, प्यार जगा के, बिगाड़ा रे नसीबा
ऊपर वाले, ऊपर वाले।

बना के क्यू बिगाड़ा रे,,,,,,,
बहुत ही शानदार लाजवाब और भावात्मक अपडेट है
निशा ने दो बार अपने दिल की बात कहने की कोशिश की लेकिन वह राजेश से अपने दिल की बात नही कह पायी राजेश और सुजाता पहली बार ऊपर कमरे में जाते हैं और काफी देर में नीचे आते हैं तो स्वीटी को राजेश पर शक हो जाता है वह उसका बदला लेने के लिए निशा को उपर भेज देती है और निशा अपनी मां और राजेश की चूदाई देख लेती है उसका दिल टूट जाता है वह जिससे प्यार करता है वह उसकी मां से प्यार करता है निशा को दुख तो बहुत होता है लेकिन अपनी मां की खुशी के लिए वह राजेश से वादा लेती हैं कि वह हमेशा सुजाता का सुख दुख में ख्याल रखे अब देखते हैं क्या निशा को राजेश का प्यार मिलता है या नही
 

rajesh bhagat

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बहुत ही शानदार लाजवाब और भावात्मक अपडेट है
निशा ने दो बार अपने दिल की बात कहने की कोशिश की लेकिन वह राजेश से अपने दिल की बात नही कह पायी राजेश और सुजाता पहली बार ऊपर कमरे में जाते हैं और काफी देर में नीचे आते हैं तो स्वीटी को राजेश पर शक हो जाता है वह उसका बदला लेने के लिए निशा को उपर भेज देती है और निशा अपनी मां और राजेश की चूदाई देख लेती है उसका दिल टूट जाता है वह जिससे प्यार करता है वह उसकी मां से प्यार करता है निशा को दुख तो बहुत होता है लेकिन अपनी मां की खुशी के लिए वह राजेश से वादा लेती हैं कि वह हमेशा सुजाता का सुख दुख में ख्याल रखे अब देखते हैं क्या निशा को राजेश का प्यार मिलता है या नही
बहुत सुंदर विश्लेषण
 

rajesh bhagat

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अगली सुबह जब सीमा कालेज जाने के लिए निशा के घर पहुंची।
सुजाता उसी समय ऑफिस जानें के लिए निकल रही थी
सीमा _आंटी, निशा कहा है?
सुजाता _, सीमा बेटा आज निशा की तबियत ठीक नहीं है, पूछने पर कह रही थी कि उसके सिर में दर्द है। वह आज कालेज नही जाऊंगी, बोल रही थी। अपने को में आराम कर रही है।
तुम बात करके देखो आख़िर बात क्या है?
सीमा _ठीक है आंटी।
सीमा, निशा के कमरे में पहुंची।
निशा सो रही थी, किसी सोच में डूबी हुई थी।
सीमा ने आवाज दी, निशा,,,,,,
निशा ने कोई जवाब नही दिया,,
वह निशा के करीब गई।
बेड पर बैठ कर जब उसके सिर पर हाथ रख बोली,
निशा क्या huwa है तुम्हे? कहा खोई हुई हो?
निशा _सीमा तुम कब आई?
सीमा _मैने तुमको आवाज दी तुमने सुना ही नहीं। कहा खोई हुई हो।
आंटी कह रही थी की तुम्हारी तबियत ठीक नहीं।
निशा _हां, सीमा आज मेरी तबियत ठीक नहीं है, मै आज कालेज नही जा रही।
सीमा _मै तुम्हे अच्छी तरह जानती हूं। तुम्हारी तबियत ठीक न होने पर भी तुम कालेज मिस नही करती,बोलो आख़िर बात क्या है?
तुम्हारी आंखे सूजी हुई लग रही है, जैसे तुम रात भर रोई हो। बताओ मुझे आख़िर बात क्या है?
निशा की आंखो में आंसु आ गए।
निशा _कुछ भी तो नही।
सीमा _निशा तुम रो रही हो, बताओ मुझे आख़िर बात क्या है?
निशा, सीमा के गोद में अपना सिर रखकर रोने लगी।
सीमा _मेरा दिल घबरा रहा है। निशा आख़िर बात क्या है? बताओ मुझे।
निशा _मै तुम्हे नही बता सकती।
सीमा _निशा, ऐसी क्या बात है को मुझे नही बता सकती?अगर तुम मुझे अपनी बहन समझती हो तो बताओ मुझे आख़िर बात क्या है?
निशा _राज किसी और से,,,
सीमा _निशा, ये तुम क्या कह रही हो?
ऐसा नहीं हो सकता। ये तुम्हारा वहम होगा।
क्या ये राज ये बात राज ने तुमसे कहा?
निशा ने न में सिर हिलाया
सीमा _फिर तुम यह कैसे मान ली की वह किसी और से प्यार करता है? मैंने राज की आंखो में तुम्हारे लिए प्यार देखा है?
निशा _मै सच कह रही हूं।
सीमा _कौन है वो?
आख़िर मै भी तो जानू, तुमसे बेहतर राज के लिए।
निशा _मै नही बता सकती?
सीमा _नही सीमा मुझे, बताना ही होगा। मै तुम्हारे आंखो में आंसू नहीं देख सकती बोलो,, कौन है वो, बताओ मुझे।
निशा _नही, सीमा मुझे इस बारे में मत पूछो, मै नही बता सकती।
सीमा _नही निशा मुझे बताना ही होगा तुम्हे तुम्हे, कौन है वो? बोलो
सीमा के बार बार जिद करने पर,,
निशा _पहले तुम वादा करो यह बात किसी को नही बताओगी?
सीमा _क्या मुझ पर भरोसा नहीं?
निशा _, भरोसा नहीं करती तो क्या मैं इतना कुछ बताती।
सीमा _मै हम बचपन की सहेली ही नही बहन जैसी है मै हमेशा तुम्हारी खुशियां ही चाही है। बताओ मुझे कौन है वो?
निशा _मेरी मॉम,,,
सीमा _निशा तुम पागल हो गई हो? तुम्हे पता भी है तुम क्या कह रही हो?
निशा _मै सच कह रही हूं। मैने अपने आंखो से देखा है। दोनो को प्यार,,,,
निशा रोने लगी,,
सीमा _नही ये नही हो सकता !
सीमा भी सोचने में मजबूर हो गई।
सीमा _पर ये सब huwa कैसे?
निशा _शायद, सोनपुर में अकेले रहने के दौरान वे करीब आ गए होंगे।
सीमा _कोई और होता तो मैं तुम्हे कुछ सलाह देती, तुम्हारी मां है, अब आगे जो भी करना है फैसला तुम्हे ही लेना होगा।
निशा _मैने फैसला कर लिया है?
सीमा _कैसा फैसला?
निशा _मै राजेश को अपने दिल से निकाल दूंगी।
सीमा _निशा अगर,आंटी को पता चले की तुम राजेश से प्यार करती हो तो शायद वह राजेश को अपने से अलग कर दे। तुम कहो तो मैं आंटी से बात करू की तुम राज को पसंद करती हो।
निशा _नही, सीमा एसा भूलकर भी न करना, तुम्हे मेरी कसम।
मैं अपनी मॉम से बहुत प्यार करती हूं। डैड के बीमार रहने के बाद, वह जैसे सजना, संवारना, ठीक से हंसना सब भूल चुकी थी।राजेश के आने से उसको पहली बार इतना खुश होते देखा है ।
मैं अपनी मॉम की खुशी के लिए राजेश को अपने दिल से निकाल दूंगी।
सीमा _क्या यह इतना आसान है?
निशा _जानती हूं। राजेश को भूल पाना आसान नहीं इसलिए मैंने एक और फैसला लिया है।
सीमा _कैसा फैसला?
निशा _दो माह बाद एग्जाम खत्म होने के बाद मैं आगे की पढ़ाई के लिए अपनी बुआ के पास लंदन चली जाऊंगी।
सीमा _पर तुम्हारा सपना तो आगे अपनी मॉम का सहारा बनने का है न। उसकी कंपनी को आगे बढ़ाने का।
निशा _मै पढ़ाई के बाद वही किसी नई प्रॉजेक्ट पर काम करूंगी। जिससे मॉम की कंपनी और आगे बड़ सके।
सीमा _ओह निशा, ये सब क्या हो गया?
सीमा ने निशा को अपने सीने से लगा लिया। उसकी आंखो से भी आंसू बहने लगी।
कुछ देर बाद सीमा ने कहा,,,
निशा अब आंसू बहाने से अच्छा है हालात से लड़ना, जो होगा ऊपर वाले पे छोड़ दो।
यहां घर में रहेगी तो अकेली घुट घुट कर अपनी हालात और खराब कर लेगी। चलो मेरे साथ कालेज। मै तुम्हे अकेली नहीं छोड़ सकती।
अगर तुम नही जावोगी तो मै भी कालेज नही जाऊंगी।
निशा _सीमा, मुझ अभागन का साथ छोड़ दो, नही तो मेरे साथ तुम्हारी भी किस्मत खराब हो जाएगी।
सीमा _निशा, मै तो तुम्हारी साया हूं, साया। तू जहा जाएगी हमेशा साथ ही रहूंगी। मैने तो बचपन से ही यह फैसला कर लिया है।
निशा _सीमा,,
सीमा _हां, मेरी बहना।
दोनो एक दूसरे को गले लगा कर रोने लगे।
सीमा _अब चलो, तुम फ्रेश होकर जल्दी तैयार हो जाओ।

इधर राजेश कालेज पहुंचता है।
कैंटीन में,,
भगत _भाई ये पार्टी वाले बार बार काल करके मुझे अपने पार्टी में शामिल होने के लिए फोर्स कर रहे हैं।
राजेश _तुम, उनसे कहो जो भी फैसला लूंगा वह एग्जाम के बाद ही लूंगा।
अभी मुझे अपनी पढ़ाई पर फोकस करना है।
भगत _ठीक है भैया।
राजेश _वैसे तुमने जो फेस बुक और इंस्टाग्राम पर अपना अकाउंट बनाया है उसका क्या हाल चाल है?
भगत _भैया, लाखो फालोवर जुड़ चुके हैं और रोज सैकड़ों नई फालोवर जुड़ रहे हैं। मेरे विचारो को लोग खूब लाइक कमेंट्स और शेयर कर रहे है। अधिकांश लोग तो कह रहे हैं की खुद की नई पार्टी बनाओ। हम आपके साथ है।
राजेश _गुड। फालोवर की संख्या जितनी बड़े अच्छी बात है। तुम उसमे अपनी नई नई विचारो को पोस्ट करते रहा करो।
और अपने फालोवर को अप्रैल तक सब्र रखने बोलो। फिर आगे का प्लान बताया जाएगा।
राजेश _ठीक है भाई।
भगत _आगे कुछ दिनों बाद इंटर कालेज फुटबाल टूर्नामेंट होना है। इसका आयोजन हमारे ही कालेज में होना है।
इसके लिए आवश्यक तैयारियों पर चर्चा के लिए। छात्र संघ और कालेज प्रशासन के बीच दोपहर में बैठक रखा गया है।
राजेश _ये तो अच्छी बात है। टूर्नामेंट में किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो। दूसरे कालेज से आने वाले छात्रों की सुविधाओ एवम ठहरने की व्यवस्था उनकी सुरक्षा पर चर्चा करना जरूरी है।
भगत _भाई, मीटिंग में हमारे कॉलेज की फुटबाल टीम के चयन पर भी चर्चा होगी। आपको टीम में कप्तान बनाने के लिए मैं पहल करूंगा। नियम के अनुसार जो स्टूडेंट लोकल टूर्नामेंट में भाग लेता है उसी को उसके परफामेंस के आधार पर टीम में शामिल किया जाता है । आप लोकल टूर्नामेंट में भाग नही ले पाए थे, तो आपका इस बार टीम में चयन के लिए, पुराने नियम पर विचार करना पड़ेगा।
राजेश _नही भगत, टीम मेंमेरा चयन के लिए अनावश्यक दबाव मत बनाना। नियम सबके लिए समान होना चाहिए। मैने लोकल टूर्नामेंट में भाग नही लिया था, तो टीम में मेरा चयन करना, नियम विरुद्ध होगा।
भगत _पर भाई लगातार दो बार हमारे कालेज को आप ही ने चैंपियन बनाया है, इस बार आप नही खेलेंगे तो फिर टूर्नामेंट जीतेंगे कैसे?
राजेश _अरे नही हमारे टीम में सब अच्छे प्लेयर्स है। रोहन में भी काबिलियत है, मुझे यकीन है उसके नेतृत्व में सभी खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करेगें।
भगत _भाई, हम जानते है कि रोहन टूर्नामेंट जीतने के लिए जी जान लूटा देगा, पर उसका इगो, कही टीम पर भारी न पड़ जाए।
राजेश _देखते है, क्या होता है? फिर हाल हमारे कालेज को उस पर विश्वास करना ही पड़ेगा।

दोपहर लंच के समय,,
सीमा _निशा, कैंटीन चले कॉफी पीने।
निशा _नही, सीमा अब मै कभी कैंटीन नही जाऊंगी।
सीमा _निशा, शायद तुम भूल रही हो राज तुम्हारा अभी भी बहुत अच्छा दोस्त हैं। उसका प्यार न मिला तो क्या? दोस्ती थोड़े ही छोड़ देगी।
निशा _मुझे डर है कि राज के सामने आने पर मैं कमजोर न पड़ जाऊं।
सीमा _ऐसा नही होने दूंगी, मै तुम्हारे साथ हूं।
चलो।
दोनो कैंटीन में चले गए।
वहा पर राजेश अकेला मिला।
सीमा _हाय राजेश।
राजेश _हेलो सीमा, हेलो निशा जी।
निशा _हेलो राज ।
सीमा _राज आजआप अकेले है।
राजेश _हां, भगत और कुछ दोस्त आज कालेज प्रशासन के साथ मीटिंग अटेंड कर रहे हैं।
राजेश _काफ़ी लेंगी आप दोनो।
सीमा _क्यू नहीं।
राजेश ने तीन कॉफी मंगाया।
राजेश _निशा जी आज आपके चेहरे में कुछ उदास लग रही है। कुछ बात है क्या?
निशा _नही राजेश, वो आंख में कचड़ा चला गया था न इसलिए आंख कुछ ठीक नहीं लग रहा है।
राजेश _दिखाओ अपनी आंखे, फुख मारकर कचरा बाहर निकाल दू। तुमको राहत मिलेगी।
निशा _ओह राजेश कचरा निकल चुका है, तुम्हे परेशान होने की जरूरत नहीं।
राजेश _वैसे निशा जी आपने कल बहुत अच्छा पानी पूरी बनाया था। खा कर मजा आ गया।
निशा _thanks राजेश
सीमा _राजेश तुम इतने दिनो तक सोनपुर में रहे, काफ़ी इंजॉय किए होगे वहा। हमें भी तो बताओ कुछ।
राजेश _वहा की वादियां बहुत अच्छी है, अगर तुम लोग होते तो और मजा आता।
निशा _Rajesh, तुमने हमें बुलाया ही नहीं, अगर तुम बुलाते तो हम वहा जरूर पहुंच ,,,
राजेश _वहा तुम लोगो का जाना थोडा रिस्की था न मज़दूर यूनियन वालो से,,
इसलिए तुम लोग न आए तो ही अच्छा था।
सीमा _तुम्हे चोंट लगी तो आंटी ने काफी अच्छी देखभाल की होगी आपका।
राजेश _ओ हां सुजाता मैम की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। उसने मेरी दिन रात देखभाल की।
उसके बाद तीनो काफी पीने लगे।
सीमा _जब से आप लोग सोनपुर से आए है। आंटी तो आपकी तारीफ करते नही थक रही। लगता है तुमने आंटी पर भी अपना जादू चला दिया है।
राजेश तुमने फ्यूचर के बारे में क्या सोचा है?
राजेश _सीमा जी आप लोग तो जानते ही हो कि आगे मेरा लक्ष्य क्या है?
सीमा _वो तो जानते ही हैं, और तुम अपने लक्ष्य को भी प्राप्त कर लोगे, हमे यकीन है पर उसके बाद क्या?
राजेश _जी मै समझा नही।
सीमा _भई, जिंदगी जीने के लिए हमसफर भी तो चाहिए उसके बारे में बात कर रही हूं।
राजेश _ओह, उसके बारे में तो कुछ सोचा ही नहीं।
सीमा _पर हमे तो लगा कि तुम अपने लिए हमसफर ढूंढ चुके हो।
कैसा हमसफर चाहिए तुमको, हम तुम्हारे दोस्त हैं, शायद हम कुछ मदद कर सके। तुम्हारे आस पास कोई हो तो बताओ। उदाहरण के लिए।
राजेश _मुझे तो सुजाता मैम की तरह सुंदर,काबिल और मां के समान प्यार करने वाली पत्नी चाहिए।
सीमा _ओह, तो तुम निशा को क्यू पसंद नही कर लेते? वह सुजाता आंटी की परछाई ही है और वह मां की तरह तुमको प्यार करेगी?
राजेश खामोश हो गया,,
निशा चीखी ,,
सीमा, ये तुम क्या बकवास कर रही हो?
सीमा को अपनी गलती का अहसास हो गया,,
सीमा _सॉरी निशा मै तो मजाक कर रही थी।
राजेश तुम क्या सोचने लगें, मै तो सिर्फ मजाक कर रही थी।
निशा _राजेश ये लड़की तो पागल है कुछ भी बोल देती है, तुम इसकी बातो को दिल से न लेना।
अच्छा राजेश अब क्लास का समय हो रहा है, हम चलते हैं।
राजेश ने हां में सिर हिलाया।
राजेश निशा को जाते हुए देखने लगा,,,
निशा _सीमा ये तुमने क्या किया? राज को ये सब बोलने की क्या जरूरत थी।
सीमा _सॉरी निशा पता नही, ये सब मेरे मुंह से कैसे निकल गया?
निशा _राजेश अब मेरे बारे में न सोचें तो ही अच्छा है।
तुमने ये ठीक नहीं किया।
सीमा _सॉरी निशा, माफ कर दो मुझे प्लीज, तुम्हारे आंखो की आंसू मुझे देखे नही जाते।
निशा _सीमा तुम मूझसे वादा करो, राज से तुम कभी भी नहीं बताओगी की मैं उससे प्यार करती हूं।
सीमा _निशा, मै तुमसे वादा करती हूं। मैं ये बात राजेश को कभी नहीं बताऊंगी।

इधर राजेश के मन में सीमा की बात ने काफ़ी गहरा प्रभाव डाला था।
कालेज के छुट्टी के बाद राजेश जब घर पहुंचा,,
वह किचन में जाकर, सुनिता को पीछेसे अपनी बाहों में भर लिया ।
सुनिता _आ गया मेरा बेटा।
राजेश _हां, मां।
राजेश ने सुनिता की गालों को चूमने चाटने लगा।
सुनिता _अरे क्या कर रहा है तुमने फिर शैतानी शुरू कर दी।
राजेश _अपनी मां से प्यार कर रहा हूं, इसमें शैतानी क्या?
इधर राजेश सुनिता को और जकड़ लिया, उसका land उसकी गाड़ में धस गया।
जिससे सुनिता सिसक उठी।
राजेश _क्या huwa मां?
सुनिता _अपना छोटू को सम्हालो, गलत जगह जानें की कोशिश कर रहा है।
राजेश _तो सही जगह पहुंचा दो न अपने छोटे बेटे को।
सुनिता _चल हट बदमाश कही का जब देखो तब मस्ती सूझी रहती हैं।
राजेश _थोडा दुदू ही पीला दो ।
सुनिता_जानती हूं, दुदू पीने के बहाने मुझे गर्म करता है ताकि आसानी से तुम्हारी बातो में आ जाऊं।
चल हट, मुझे काम करना है। जाओ अपने कमरे में।
राजेश ने सुनिता की ओंठ को मुंह में भरकर चूस दिया फिर अपने कमरे में भाग गया।
सुनिता _बेशरम कही का, बिल्कुल आवारा बन गया है, और मुस्कुराने लगी।
राज अपने कमरे में जानें के बाद, फ्रेश होकर बेड पार आराम करने लगा।
वह सीमा द्वारा कही गई बातों के बारे में सोचने लगा,,
निशा, सुजाता की परछाई है उसे क्यू पसंद नही कर लेते। वह तुम्हे मां जैसे प्यार भी करेगी।
फिर उसे याद आया,किस प्रकार जब वह निराश हो गया था, तब निशा ने उसे इससे उबारा।
निशा के साथ जो उसने कालेज फंक्शन में परफार्म किया था, वह याद आने लगा।
प्राय के द्वारा कही गई बाते,,
निशा तुम पर मरती है,, इसका तुम्हे अहसास नही। तुम दोनो की जोड़ी सबसे बेस्ट होगी।

फिर उसे अपनी मां की कही बाते याद आया कि तुम अमीर घर की लड़कियों से दूर ही रहना।
राजेश उलझन में फस गया,,
वह मोबाइल में कैद निधा की फ़ोटो निकाल कर देखने लगा।
तभी उसकी मां कमरे में आई।
सुनिता _बेटा क्या कर रहा है?
राजेश _कुछ नही मां, बस आराम कर रहा था।
सुनिता _चलो भोजन के लिए तुम्हारे पापा वेट कर रहे हैं।
राजेश _ठीक है मां, मै अभी आया।
कुछ देर बाद राजेश, भोजन के लिए डाइनिंग टेबल पर उपस्थिति दे दिया था।
शेखर _सुनिता, गांव से भैया ने फ़ोन किया था। बोल रहा था की उसकी बहू को लडकी हुई है। जिसका नामकरण संस्कार अगले संडे को है। हमे निमंत्रण दिया है।
सुनिता _ये तो खुशी की बात है। काश हम जा पाते।
राजेश _मां आख़िर बात क्या है? आप लोग गांव जाते क्यू नही हो? पूछने पर भी आप लोग कुछ बताते नही। वहा ताऊ, ताई, चाचा चाची और भाई बहन सब है, मेरा उनसे मिलने का कितना मन है पर न तुम लोग जाते हो न मुझे जानें देते। आख़िर क्यू?
सुनिता _बेटा, वह बहुत पिछडा गांव है वहा किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है। इसलिए हम वहा नही जाते।
राजेश _मां तुम न जाती हो वह समझ आता है पर पापा भी नहीं जाते। जबकि उनके बड़े और छोटे भाई वहा रहते हैं। क्या सुविधा के अभाव होने से कोई अपने भाईयो को भूल सकता है l
शेखर _बेटा, मुझे भी याद आता है मेरे भाईयो का पर हमारा वहा न जानें में भलाई है।
राजेश _पापा आख़िर बात क्या है?
सुनिता _राजेश, कितने बार कहा है? तुम इस बारे में मत पूछा करो।
राजेश _सॉरी मॉम।

रात को सुजाता ने राजेश को काल किया।
सुजाता _क्या कर रहे हो जनाब?
राजेश _मैम आप। कुछ नही सोने की कोशिश कर रहा था।
सुजाता _क्यू नींद नहीं आ रही क्या?
राजेश _हां, किसी के खयालों में खोया था।
सुजाता _कौनहै वह खुशनसीब मै भी तो जानू?
राजेश _आप के शिवा कौन हो सकता है?
सुजाता _अच्छा, तो अभी तक काल क्यू नही किया।
राजेश _अब मुझे क्या पता आप कहा पर हो।
सुजाता _चल झूठा कही का।
अच्छा सुनो, आई मिस यू सो मच
मैं कल शाम को होटल में एक कमरा बुक कर दी हूं।
तुम कालेज से सीधा वही आ जाना, मै वही मिलूंगी।
तुम्हारे बिना रह पाना मुस्किल है मेरे लिए।
राजेश _किसी को पता चल गया तो।
सुजाता _तुम उसकी चिंता मत करो किसी को पता नहीं चलेगा।
अच्छा अब मै रखती हूं बाई।
राजेश _ओके बाई।

अगले दिन सुजाता ने अपने कंपनी के अधिकारियो की मीटिंग रखी थी। कंपनी के अधिकारियो से कंपनीकी स्थिति पर जानकारी लेने।
अधिकारियो ने बताया कि कंपनी के सारे प्रॉजेक्ट फिर से शुरू हो गए है।
हमारे निवेशक फिर से हमारी कंपनी पर भरोसा जता रहे हैं। कंपनी के शेयर में लगातार तेजी बना huwa है। हम बहुत जल्द पुरानी स्थिति को प्राप्त कर लेंगे।

सुजाता ने खुशी जाहिर की।
शाम को 4बजे सुजाता ने राजेश को काल कर होटल के बारे में जानकारी देकर जल्द पहुंचने को कहा।
सुजाता जल्द ऑफिस से निकल कर होटल मे पहुंच चुकी थी।
राजेश कालेज से छुट्टी के बाद फाइव स्टार होटल पहुंचा।
मैनेजर ने राजेश को देखते ही पहचान लिया।सुजाता ने मैनेजर को पहले ही राजेश का फ़ोटो mobile पर सेंड कर दिया था। और कह दिया था की जब वह आए तो मेरे कमरे में बिना किसी पूछताछ के भेज देना ।
जब मैनेजर ने राजेश को देखा,,
मैनेजर _आप राजेश है।
राजेश _जी।
आप मेरे साथ आइए।
राज मैनेजर के पीछे चला गया।
मैनेजर ने राजेश को रूम के बाहर छोड़ कर आया।
राजेश ने सुजाता को काल किया,,मैम मै रूम नंबर 24 के बाहर खड़ा हूं।
सुजाता ने दरवाज़ा खोला। और राजेश कमरे के अन्दर प्रवेश किया।
सुजाता ने दरवाज़ा बंद कर राजेश के गले में अपनी बाहें डाल दिया।
सुजाता _मै कब से वेट कर रही थी।
राजेश ने सुजाता के अपने बाहों मे जकड़ लिया।
आज तो आप बहुत हॉट लग रही हो,,
राजेश ने सुजाता को अपनी गोद में उठा लिया।
वे एक दूसरे की आंखो में देखने लगे।
राजेश ने सुजाता को बेड पे लिटा दिया।
सुजाता उठ कर बैठ गई, और राजेश के ओंठ चूसने लगी।
फिर वह गीत गाने लगी,,,

चलो प्यार मुझे करो,,,
अंग से अंग लगाके, प्रेम सुधा बरसादे,,
दासी तेरी प्यासी रही कितनी जनम,,,

भरो मांग मेरी भरो,,
चलो प्यार मुझे करो,,

बिन तेरे मेरा कोई और नहीं
मेरे प्यार की कच्ची डोर नही
पिया लेके मन की कली
तेरी पूजा करने चली प्रियतमा

चलो प्यार मुझे करो,,
भरो मांग मेरी भरो,,

दिल मेरा है तेरा ये जान ले
मेरी दीवानगी पहचान ले
सांस रुक भी गई जो सनम
लेके आऊंगा फिर मैं जनम प्रियतमा,

चलो प्यार मुझे करो,,
भरो मांग मेरी भरो,,
अंग से अंग लगाके प्रेम सुधा बरसादे
तेरे लिए बेचैन था कितने जनम,,

इधर निशा घर आने के बाद अपने कमरे में आकार राजेश को याद कर गीत गाने लगी,,,

शिकवा नहीं किसी से,,,
किसी से गिला नहीं,,,
नसीब में नहीं था,,
हमको मिला नहीं,,

















 

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अगली सुबह जब सीमा कालेज जाने के लिए निशा के घर पहुंची।
सुजाता उसी समय ऑफिस जानें के लिए निकल रही थी
सीमा _आंटी, निशा कहा है?
सुजाता _, सीमा बेटा आज निशा की तबियत ठीक नहीं है, पूछने पर कह रही थी कि उसके सिर में दर्द है। वह आज कालेज नही जाऊंगी, बोल रही थी। अपने को में आराम कर रही है।
तुम बात करके देखो आख़िर बात क्या है?
सीमा _ठीक है आंटी।
सीमा, निशा के कमरे में पहुंची।
निशा सो रही थी, किसी सोच में डूबी हुई थी।
सीमा ने आवाज दी, निशा,,,,,,
निशा ने कोई जवाब नही दिया,,
वह निशा के करीब गई।
बेड पर बैठ कर जब उसके सिर पर हाथ रख बोली,
निशा क्या huwa है तुम्हे? कहा खोई हुई हो?
निशा _सीमा तुम कब आई?
सीमा _मैने तुमको आवाज दी तुमने सुना ही नहीं। कहा खोई हुई हो।
आंटी कह रही थी की तुम्हारी तबियत ठीक नहीं।
निशा _हां, सीमा आज मेरी तबियत ठीक नहीं है, मै आज कालेज नही जा रही।
सीमा _मै तुम्हे अच्छी तरह जानती हूं। तुम्हारी तबियत ठीक न होने पर भी तुम कालेज मिस नही करती,बोलो आख़िर बात क्या है?
तुम्हारी आंखे सूजी हुई लग रही है, जैसे तुम रात भर रोई हो। बताओ मुझे आख़िर बात क्या है?
निशा की आंखो में आंसु आ गए।
निशा _कुछ भी तो नही।
सीमा _निशा तुम रो रही हो, बताओ मुझे आख़िर बात क्या है?
निशा, सीमा के गोद में अपना सिर रखकर रोने लगी।
सीमा _मेरा दिल घबरा रहा है। निशा आख़िर बात क्या है? बताओ मुझे।
निशा _मै तुम्हे नही बता सकती।
सीमा _निशा, ऐसी क्या बात है को मुझे नही बता सकती?अगर तुम मुझे अपनी बहन समझती हो तो बताओ मुझे आख़िर बात क्या है?
निशा _राज किसी और से,,,
सीमा _निशा, ये तुम क्या कह रही हो?
ऐसा नहीं हो सकता। ये तुम्हारा वहम होगा।
क्या ये राज ये बात राज ने तुमसे कहा?
निशा ने न में सिर हिलाया
सीमा _फिर तुम यह कैसे मान ली की वह किसी और से प्यार करता है? मैंने राज की आंखो में तुम्हारे लिए प्यार देखा है?
निशा _मै सच कह रही हूं।
सीमा _कौन है वो?
आख़िर मै भी तो जानू, तुमसे बेहतर राज के लिए।
निशा _मै नही बता सकती?
सीमा _नही सीमा मुझे, बताना ही होगा। मै तुम्हारे आंखो में आंसू नहीं देख सकती बोलो,, कौन है वो, बताओ मुझे।
निशा _नही, सीमा मुझे इस बारे में मत पूछो, मै नही बता सकती।
सीमा _नही निशा मुझे बताना ही होगा तुम्हे तुम्हे, कौन है वो? बोलो
सीमा के बार बार जिद करने पर,,
निशा _पहले तुम वादा करो यह बात किसी को नही बताओगी?
सीमा _क्या मुझ पर भरोसा नहीं?
निशा _, भरोसा नहीं करती तो क्या मैं इतना कुछ बताती।
सीमा _मै हम बचपन की सहेली ही नही बहन जैसी है मै हमेशा तुम्हारी खुशियां ही चाही है। बताओ मुझे कौन है वो?
निशा _मेरी मॉम,,,
सीमा _निशा तुम पागल हो गई हो? तुम्हे पता भी है तुम क्या कह रही हो?
निशा _मै सच कह रही हूं। मैने अपने आंखो से देखा है। दोनो को प्यार,,,,
निशा रोने लगी,,
सीमा _नही ये नही हो सकता !
सीमा भी सोचने में मजबूर हो गई।
सीमा _पर ये सब huwa कैसे?
निशा _शायद, सोनपुर में अकेले रहने के दौरान वे करीब आ गए होंगे।
सीमा _कोई और होता तो मैं तुम्हे कुछ सलाह देती, तुम्हारी मां है, अब आगे जो भी करना है फैसला तुम्हे ही लेना होगा।
निशा _मैने फैसला कर लिया है?
सीमा _कैसा फैसला?
निशा _मै राजेश को अपने दिल से निकाल दूंगी।
सीमा _निशा अगर,आंटी को पता चले की तुम राजेश से प्यार करती हो तो शायद वह राजेश को अपने से अलग कर दे। तुम कहो तो मैं आंटी से बात करू की तुम राज को पसंद करती हो।
निशा _नही, सीमा एसा भूलकर भी न करना, तुम्हे मेरी कसम।
मैं अपनी मॉम से बहुत प्यार करती हूं। डैड के बीमार रहने के बाद, वह जैसे सजना, संवारना, ठीक से हंसना सब भूल चुकी थी।राजेश के आने से उसको पहली बार इतना खुश होते देखा है ।
मैं अपनी मॉम की खुशी के लिए राजेश को अपने दिल से निकाल दूंगी।
सीमा _क्या यह इतना आसान है?
निशा _जानती हूं। राजेश को भूल पाना आसान नहीं इसलिए मैंने एक और फैसला लिया है।
सीमा _कैसा फैसला?
निशा _दो माह बाद एग्जाम खत्म होने के बाद मैं आगे की पढ़ाई के लिए अपनी बुआ के पास लंदन चली जाऊंगी।
सीमा _पर तुम्हारा सपना तो आगे अपनी मॉम का सहारा बनने का है न। उसकी कंपनी को आगे बढ़ाने का।
निशा _मै पढ़ाई के बाद वही किसी नई प्रॉजेक्ट पर काम करूंगी। जिससे मॉम की कंपनी और आगे बड़ सके।
सीमा _ओह निशा, ये सब क्या हो गया?
सीमा ने निशा को अपने सीने से लगा लिया। उसकी आंखो से भी आंसू बहने लगी।
कुछ देर बाद सीमा ने कहा,,,
निशा अब आंसू बहाने से अच्छा है हालात से लड़ना, जो होगा ऊपर वाले पे छोड़ दो।
यहां घर में रहेगी तो अकेली घुट घुट कर अपनी हालात और खराब कर लेगी। चलो मेरे साथ कालेज। मै तुम्हे अकेली नहीं छोड़ सकती।
अगर तुम नही जावोगी तो मै भी कालेज नही जाऊंगी।
निशा _सीमा, मुझ अभागन का साथ छोड़ दो, नही तो मेरे साथ तुम्हारी भी किस्मत खराब हो जाएगी।
सीमा _निशा, मै तो तुम्हारी साया हूं, साया। तू जहा जाएगी हमेशा साथ ही रहूंगी। मैने तो बचपन से ही यह फैसला कर लिया है।
निशा _सीमा,,
सीमा _हां, मेरी बहना।
दोनो एक दूसरे को गले लगा कर रोने लगे।
सीमा _अब चलो, तुम फ्रेश होकर जल्दी तैयार हो जाओ।

इधर राजेश कालेज पहुंचता है।
कैंटीन में,,
भगत _भाई ये पार्टी वाले बार बार काल करके मुझे अपने पार्टी में शामिल होने के लिए फोर्स कर रहे हैं।
राजेश _तुम, उनसे कहो जो भी फैसला लूंगा वह एग्जाम के बाद ही लूंगा।
अभी मुझे अपनी पढ़ाई पर फोकस करना है।
भगत _ठीक है भैया।
राजेश _वैसे तुमने जो फेस बुक और इंस्टाग्राम पर अपना अकाउंट बनाया है उसका क्या हाल चाल है?
भगत _भैया, लाखो फालोवर जुड़ चुके हैं और रोज सैकड़ों नई फालोवर जुड़ रहे हैं। मेरे विचारो को लोग खूब लाइक कमेंट्स और शेयर कर रहे है। अधिकांश लोग तो कह रहे हैं की खुद की नई पार्टी बनाओ। हम आपके साथ है।
राजेश _गुड। फालोवर की संख्या जितनी बड़े अच्छी बात है। तुम उसमे अपनी नई नई विचारो को पोस्ट करते रहा करो।
और अपने फालोवर को अप्रैल तक सब्र रखने बोलो। फिर आगे का प्लान बताया जाएगा।
राजेश _ठीक है भाई।
भगत _आगे कुछ दिनों बाद इंटर कालेज फुटबाल टूर्नामेंट होना है। इसका आयोजन हमारे ही कालेज में होना है।
इसके लिए आवश्यक तैयारियों पर चर्चा के लिए। छात्र संघ और कालेज प्रशासन के बीच दोपहर में बैठक रखा गया है।
राजेश _ये तो अच्छी बात है। टूर्नामेंट में किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो। दूसरे कालेज से आने वाले छात्रों की सुविधाओ एवम ठहरने की व्यवस्था उनकी सुरक्षा पर चर्चा करना जरूरी है।
भगत _भाई, मीटिंग में हमारे कॉलेज की फुटबाल टीम के चयन पर भी चर्चा होगी। आपको टीम में कप्तान बनाने के लिए मैं पहल करूंगा। नियम के अनुसार जो स्टूडेंट लोकल टूर्नामेंट में भाग लेता है उसी को उसके परफामेंस के आधार पर टीम में शामिल किया जाता है । आप लोकल टूर्नामेंट में भाग नही ले पाए थे, तो आपका इस बार टीम में चयन के लिए, पुराने नियम पर विचार करना पड़ेगा।
राजेश _नही भगत, टीम मेंमेरा चयन के लिए अनावश्यक दबाव मत बनाना। नियम सबके लिए समान होना चाहिए। मैने लोकल टूर्नामेंट में भाग नही लिया था, तो टीम में मेरा चयन करना, नियम विरुद्ध होगा।
भगत _पर भाई लगातार दो बार हमारे कालेज को आप ही ने चैंपियन बनाया है, इस बार आप नही खेलेंगे तो फिर टूर्नामेंट जीतेंगे कैसे?
राजेश _अरे नही हमारे टीम में सब अच्छे प्लेयर्स है। रोहन में भी काबिलियत है, मुझे यकीन है उसके नेतृत्व में सभी खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करेगें।
भगत _भाई, हम जानते है कि रोहन टूर्नामेंट जीतने के लिए जी जान लूटा देगा, पर उसका इगो, कही टीम पर भारी न पड़ जाए।
राजेश _देखते है, क्या होता है? फिर हाल हमारे कालेज को उस पर विश्वास करना ही पड़ेगा।

दोपहर लंच के समय,,
सीमा _निशा, कैंटीन चले कॉफी पीने।
निशा _नही, सीमा अब मै कभी कैंटीन नही जाऊंगी।
सीमा _निशा, शायद तुम भूल रही हो राज तुम्हारा अभी भी बहुत अच्छा दोस्त हैं। उसका प्यार न मिला तो क्या? दोस्ती थोड़े ही छोड़ देगी।
निशा _मुझे डर है कि राज के सामने आने पर मैं कमजोर न पड़ जाऊं।
सीमा _ऐसा नही होने दूंगी, मै तुम्हारे साथ हूं।
चलो।
दोनो कैंटीन में चले गए।
वहा पर राजेश अकेला मिला।
सीमा _हाय राजेश।
राजेश _हेलो सीमा, हेलो निशा जी।
निशा _हेलो राज ।
सीमा _राज आजआप अकेले है।
राजेश _हां, भगत और कुछ दोस्त आज कालेज प्रशासन के साथ मीटिंग अटेंड कर रहे हैं।
राजेश _काफ़ी लेंगी आप दोनो।
सीमा _क्यू नहीं।
राजेश ने तीन कॉफी मंगाया।
राजेश _निशा जी आज आपके चेहरे में कुछ उदास लग रही है। कुछ बात है क्या?
निशा _नही राजेश, वो आंख में कचड़ा चला गया था न इसलिए आंख कुछ ठीक नहीं लग रहा है।
राजेश _दिखाओ अपनी आंखे, फुख मारकर कचरा बाहर निकाल दू। तुमको राहत मिलेगी।
निशा _ओह राजेश कचरा निकल चुका है, तुम्हे परेशान होने की जरूरत नहीं।
राजेश _वैसे निशा जी आपने कल बहुत अच्छा पानी पूरी बनाया था। खा कर मजा आ गया।
निशा _thanks राजेश
सीमा _राजेश तुम इतने दिनो तक सोनपुर में रहे, काफ़ी इंजॉय किए होगे वहा। हमें भी तो बताओ कुछ।
राजेश _वहा की वादियां बहुत अच्छी है, अगर तुम लोग होते तो और मजा आता।
निशा _Rajesh, तुमने हमें बुलाया ही नहीं, अगर तुम बुलाते तो हम वहा जरूर पहुंच ,,,
राजेश _वहा तुम लोगो का जाना थोडा रिस्की था न मज़दूर यूनियन वालो से,,
इसलिए तुम लोग न आए तो ही अच्छा था।
सीमा _तुम्हे चोंट लगी तो आंटी ने काफी अच्छी देखभाल की होगी आपका।
राजेश _ओ हां सुजाता मैम की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। उसने मेरी दिन रात देखभाल की।
उसके बाद तीनो काफी पीने लगे।
सीमा _जब से आप लोग सोनपुर से आए है। आंटी तो आपकी तारीफ करते नही थक रही। लगता है तुमने आंटी पर भी अपना जादू चला दिया है।
राजेश तुमने फ्यूचर के बारे में क्या सोचा है?
राजेश _सीमा जी आप लोग तो जानते ही हो कि आगे मेरा लक्ष्य क्या है?
सीमा _वो तो जानते ही हैं, और तुम अपने लक्ष्य को भी प्राप्त कर लोगे, हमे यकीन है पर उसके बाद क्या?
राजेश _जी मै समझा नही।
सीमा _भई, जिंदगी जीने के लिए हमसफर भी तो चाहिए उसके बारे में बात कर रही हूं।
राजेश _ओह, उसके बारे में तो कुछ सोचा ही नहीं।
सीमा _पर हमे तो लगा कि तुम अपने लिए हमसफर ढूंढ चुके हो।
कैसा हमसफर चाहिए तुमको, हम तुम्हारे दोस्त हैं, शायद हम कुछ मदद कर सके। तुम्हारे आस पास कोई हो तो बताओ। उदाहरण के लिए।
राजेश _मुझे तो सुजाता मैम की तरह सुंदर,काबिल और मां के समान प्यार करने वाली पत्नी चाहिए।
सीमा _ओह, तो तुम निशा को क्यू पसंद नही कर लेते? वह सुजाता आंटी की परछाई ही है और वह मां की तरह तुमको प्यार करेगी?
राजेश खामोश हो गया,,
निशा चीखी ,,
सीमा, ये तुम क्या बकवास कर रही हो?
सीमा को अपनी गलती का अहसास हो गया,,
सीमा _सॉरी निशा मै तो मजाक कर रही थी।
राजेश तुम क्या सोचने लगें, मै तो सिर्फ मजाक कर रही थी।
निशा _राजेश ये लड़की तो पागल है कुछ भी बोल देती है, तुम इसकी बातो को दिल से न लेना।
अच्छा राजेश अब क्लास का समय हो रहा है, हम चलते हैं।
राजेश ने हां में सिर हिलाया।
राजेश निशा को जाते हुए देखने लगा,,,
निशा _सीमा ये तुमने क्या किया? राज को ये सब बोलने की क्या जरूरत थी।
सीमा _सॉरी निशा पता नही, ये सब मेरे मुंह से कैसे निकल गया?
निशा _राजेश अब मेरे बारे में न सोचें तो ही अच्छा है।
तुमने ये ठीक नहीं किया।
सीमा _सॉरी निशा, माफ कर दो मुझे प्लीज, तुम्हारे आंखो की आंसू मुझे देखे नही जाते।
निशा _सीमा तुम मूझसे वादा करो, राज से तुम कभी भी नहीं बताओगी की मैं उससे प्यार करती हूं।
सीमा _निशा, मै तुमसे वादा करती हूं। मैं ये बात राजेश को कभी नहीं बताऊंगी।

इधर राजेश के मन में सीमा की बात ने काफ़ी गहरा प्रभाव डाला था।
कालेज के छुट्टी के बाद राजेश जब घर पहुंचा,,
वह किचन में जाकर, सुनिता को पीछेसे अपनी बाहों में भर लिया ।
सुनिता _आ गया मेरा बेटा।
राजेश _हां, मां।
राजेश ने सुनिता की गालों को चूमने चाटने लगा।
सुनिता _अरे क्या कर रहा है तुमने फिर शैतानी शुरू कर दी।
राजेश _अपनी मां से प्यार कर रहा हूं, इसमें शैतानी क्या?
इधर राजेश सुनिता को और जकड़ लिया, उसका land उसकी गाड़ में धस गया।
जिससे सुनिता सिसक उठी।
राजेश _क्या huwa मां?
सुनिता _अपना छोटू को सम्हालो, गलत जगह जानें की कोशिश कर रहा है।
राजेश _तो सही जगह पहुंचा दो न अपने छोटे बेटे को।
सुनिता _चल हट बदमाश कही का जब देखो तब मस्ती सूझी रहती हैं।
राजेश _थोडा दुदू ही पीला दो ।
सुनिता_जानती हूं, दुदू पीने के बहाने मुझे गर्म करता है ताकि आसानी से तुम्हारी बातो में आ जाऊं।
चल हट, मुझे काम करना है। जाओ अपने कमरे में।
राजेश ने सुनिता की ओंठ को मुंह में भरकर चूस दिया फिर अपने कमरे में भाग गया।
सुनिता _बेशरम कही का, बिल्कुल आवारा बन गया है, और मुस्कुराने लगी।
राज अपने कमरे में जानें के बाद, फ्रेश होकर बेड पार आराम करने लगा।
वह सीमा द्वारा कही गई बातों के बारे में सोचने लगा,,
निशा, सुजाता की परछाई है उसे क्यू पसंद नही कर लेते। वह तुम्हे मां जैसे प्यार भी करेगी।
फिर उसे याद आया,किस प्रकार जब वह निराश हो गया था, तब निशा ने उसे इससे उबारा।
निशा के साथ जो उसने कालेज फंक्शन में परफार्म किया था, वह याद आने लगा।
प्राय के द्वारा कही गई बाते,,
निशा तुम पर मरती है,, इसका तुम्हे अहसास नही। तुम दोनो की जोड़ी सबसे बेस्ट होगी।

फिर उसे अपनी मां की कही बाते याद आया कि तुम अमीर घर की लड़कियों से दूर ही रहना।
राजेश उलझन में फस गया,,
वह मोबाइल में कैद निधा की फ़ोटो निकाल कर देखने लगा।
तभी उसकी मां कमरे में आई।
सुनिता _बेटा क्या कर रहा है?
राजेश _कुछ नही मां, बस आराम कर रहा था।
सुनिता _चलो भोजन के लिए तुम्हारे पापा वेट कर रहे हैं।
राजेश _ठीक है मां, मै अभी आया।
कुछ देर बाद राजेश, भोजन के लिए डाइनिंग टेबल पर उपस्थिति दे दिया था।
शेखर _सुनिता, गांव से भैया ने फ़ोन किया था। बोल रहा था की उसकी बहू को लडकी हुई है। जिसका नामकरण संस्कार अगले संडे को है। हमे निमंत्रण दिया है।
सुनिता _ये तो खुशी की बात है। काश हम जा पाते।
राजेश _मां आख़िर बात क्या है? आप लोग गांव जाते क्यू नही हो? पूछने पर भी आप लोग कुछ बताते नही। वहा ताऊ, ताई, चाचा चाची और भाई बहन सब है, मेरा उनसे मिलने का कितना मन है पर न तुम लोग जाते हो न मुझे जानें देते। आख़िर क्यू?
सुनिता _बेटा, वह बहुत पिछडा गांव है वहा किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है। इसलिए हम वहा नही जाते।
राजेश _मां तुम न जाती हो वह समझ आता है पर पापा भी नहीं जाते। जबकि उनके बड़े और छोटे भाई वहा रहते हैं। क्या सुविधा के अभाव होने से कोई अपने भाईयो को भूल सकता है l
शेखर _बेटा, मुझे भी याद आता है मेरे भाईयो का पर हमारा वहा न जानें में भलाई है।
राजेश _पापा आख़िर बात क्या है?
सुनिता _राजेश, कितने बार कहा है? तुम इस बारे में मत पूछा करो।
राजेश _सॉरी मॉम।

रात को सुजाता ने राजेश को काल किया।
सुजाता _क्या कर रहे हो जनाब?
राजेश _मैम आप। कुछ नही सोने की कोशिश कर रहा था।
सुजाता _क्यू नींद नहीं आ रही क्या?
राजेश _हां, किसी के खयालों में खोया था।
सुजाता _कौनहै वह खुशनसीब मै भी तो जानू?
राजेश _आप के शिवा कौन हो सकता है?
सुजाता _अच्छा, तो अभी तक काल क्यू नही किया।
राजेश _अब मुझे क्या पता आप कहा पर हो।
सुजाता _चल झूठा कही का।
अच्छा सुनो, आई मिस यू सो मच
मैं कल शाम को होटल में एक कमरा बुक कर दी हूं।
तुम कालेज से सीधा वही आ जाना, मै वही मिलूंगी।
तुम्हारे बिना रह पाना मुस्किल है मेरे लिए।
राजेश _किसी को पता चल गया तो।
सुजाता _तुम उसकी चिंता मत करो किसी को पता नहीं चलेगा।
अच्छा अब मै रखती हूं बाई।
राजेश _ओके बाई।

अगले दिन सुजाता ने अपने कंपनी के अधिकारियो की मीटिंग रखी थी। कंपनी के अधिकारियो से कंपनीकी स्थिति पर जानकारी लेने।
अधिकारियो ने बताया कि कंपनी के सारे प्रॉजेक्ट फिर से शुरू हो गए है।
हमारे निवेशक फिर से हमारी कंपनी पर भरोसा जता रहे हैं। कंपनी के शेयर में लगातार तेजी बना huwa है। हम बहुत जल्द पुरानी स्थिति को प्राप्त कर लेंगे।

सुजाता ने खुशी जाहिर की।
शाम को 4बजे सुजाता ने राजेश को काल कर होटल के बारे में जानकारी देकर जल्द पहुंचने को कहा।
सुजाता जल्द ऑफिस से निकल कर होटल मे पहुंच चुकी थी।
राजेश कालेज से छुट्टी के बाद फाइव स्टार होटल पहुंचा।
मैनेजर ने राजेश को देखते ही पहचान लिया।सुजाता ने मैनेजर को पहले ही राजेश का फ़ोटो mobile पर सेंड कर दिया था। और कह दिया था की जब वह आए तो मेरे कमरे में बिना किसी पूछताछ के भेज देना ।
जब मैनेजर ने राजेश को देखा,,
मैनेजर _आप राजेश है।
राजेश _जी।
आप मेरे साथ आइए।
राज मैनेजर के पीछे चला गया।
मैनेजर ने राजेश को रूम के बाहर छोड़ कर आया।
राजेश ने सुजाता को काल किया,,मैम मै रूम नंबर 24 के बाहर खड़ा हूं।
सुजाता ने दरवाज़ा खोला। और राजेश कमरे के अन्दर प्रवेश किया।
सुजाता ने दरवाज़ा बंद कर राजेश के गले में अपनी बाहें डाल दिया।
सुजाता _मै कब से वेट कर रही थी।
राजेश ने सुजाता के अपने बाहों मे जकड़ लिया।
आज तो आप बहुत हॉट लग रही हो,,
राजेश ने सुजाता को अपनी गोद में उठा लिया।
वे एक दूसरे की आंखो में देखने लगे।
राजेश ने सुजाता को बेड पे लिटा दिया।
सुजाता उठ कर बैठ गई, और राजेश के ओंठ चूसने लगी।
फिर वह गीत गाने लगी,,,

चलो प्यार मुझे करो,,,
अंग से अंग लगाके, प्रेम सुधा बरसादे,,
दासी तेरी प्यासी रही कितनी जनम,,,

भरो मांग मेरी भरो,,
चलो प्यार मुझे करो,,

बिन तेरे मेरा कोई और नहीं
मेरे प्यार की कच्ची डोर नही
पिया लेके मन की कली
तेरी पूजा करने चली प्रियतमा

चलो प्यार मुझे करो,,
भरो मांग मेरी भरो,,

दिल मेरा है तेरा ये जान ले
मेरी दीवानगी पहचान ले
सांस रुक भी गई जो सनम
लेके आऊंगा फिर मैं जनम प्रियतमा,

चलो प्यार मुझे करो,,
भरो मांग मेरी भरो,,
अंग से अंग लगाके प्रेम सुधा बरसादे
तेरे लिए बेचैन था कितने जनम,,

इधर निशा घर आने के बाद अपने कमरे में आकार राजेश को याद कर गीत गाने लगी,,,

शिकवा नहीं किसी से,,,
किसी से गिला नहीं,,,
नसीब में नहीं था,,
हमको मिला नहीं,,
Behtreen update
 

Kuldipr99

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अगली सुबह जब सीमा कालेज जाने के लिए निशा के घर पहुंची।
सुजाता उसी समय ऑफिस जानें के लिए निकल रही थी
सीमा _आंटी, निशा कहा है?
सुजाता _, सीमा बेटा आज निशा की तबियत ठीक नहीं है, पूछने पर कह रही थी कि उसके सिर में दर्द है। वह आज कालेज नही जाऊंगी, बोल रही थी। अपने को में आराम कर रही है।
तुम बात करके देखो आख़िर बात क्या है?
सीमा _ठीक है आंटी।
सीमा, निशा के कमरे में पहुंची।
निशा सो रही थी, किसी सोच में डूबी हुई थी।
सीमा ने आवाज दी, निशा,,,,,,
निशा ने कोई जवाब नही दिया,,
वह निशा के करीब गई।
बेड पर बैठ कर जब उसके सिर पर हाथ रख बोली,
निशा क्या huwa है तुम्हे? कहा खोई हुई हो?
निशा _सीमा तुम कब आई?
सीमा _मैने तुमको आवाज दी तुमने सुना ही नहीं। कहा खोई हुई हो।
आंटी कह रही थी की तुम्हारी तबियत ठीक नहीं।
निशा _हां, सीमा आज मेरी तबियत ठीक नहीं है, मै आज कालेज नही जा रही।
सीमा _मै तुम्हे अच्छी तरह जानती हूं। तुम्हारी तबियत ठीक न होने पर भी तुम कालेज मिस नही करती,बोलो आख़िर बात क्या है?
तुम्हारी आंखे सूजी हुई लग रही है, जैसे तुम रात भर रोई हो। बताओ मुझे आख़िर बात क्या है?
निशा की आंखो में आंसु आ गए।
निशा _कुछ भी तो नही।
सीमा _निशा तुम रो रही हो, बताओ मुझे आख़िर बात क्या है?
निशा, सीमा के गोद में अपना सिर रखकर रोने लगी।
सीमा _मेरा दिल घबरा रहा है। निशा आख़िर बात क्या है? बताओ मुझे।
निशा _मै तुम्हे नही बता सकती।
सीमा _निशा, ऐसी क्या बात है को मुझे नही बता सकती?अगर तुम मुझे अपनी बहन समझती हो तो बताओ मुझे आख़िर बात क्या है?
निशा _राज किसी और से,,,
सीमा _निशा, ये तुम क्या कह रही हो?
ऐसा नहीं हो सकता। ये तुम्हारा वहम होगा।
क्या ये राज ये बात राज ने तुमसे कहा?
निशा ने न में सिर हिलाया
सीमा _फिर तुम यह कैसे मान ली की वह किसी और से प्यार करता है? मैंने राज की आंखो में तुम्हारे लिए प्यार देखा है?
निशा _मै सच कह रही हूं।
सीमा _कौन है वो?
आख़िर मै भी तो जानू, तुमसे बेहतर राज के लिए।
निशा _मै नही बता सकती?
सीमा _नही सीमा मुझे, बताना ही होगा। मै तुम्हारे आंखो में आंसू नहीं देख सकती बोलो,, कौन है वो, बताओ मुझे।
निशा _नही, सीमा मुझे इस बारे में मत पूछो, मै नही बता सकती।
सीमा _नही निशा मुझे बताना ही होगा तुम्हे तुम्हे, कौन है वो? बोलो
सीमा के बार बार जिद करने पर,,
निशा _पहले तुम वादा करो यह बात किसी को नही बताओगी?
सीमा _क्या मुझ पर भरोसा नहीं?
निशा _, भरोसा नहीं करती तो क्या मैं इतना कुछ बताती।
सीमा _मै हम बचपन की सहेली ही नही बहन जैसी है मै हमेशा तुम्हारी खुशियां ही चाही है। बताओ मुझे कौन है वो?
निशा _मेरी मॉम,,,
सीमा _निशा तुम पागल हो गई हो? तुम्हे पता भी है तुम क्या कह रही हो?
निशा _मै सच कह रही हूं। मैने अपने आंखो से देखा है। दोनो को प्यार,,,,
निशा रोने लगी,,
सीमा _नही ये नही हो सकता !
सीमा भी सोचने में मजबूर हो गई।
सीमा _पर ये सब huwa कैसे?
निशा _शायद, सोनपुर में अकेले रहने के दौरान वे करीब आ गए होंगे।
सीमा _कोई और होता तो मैं तुम्हे कुछ सलाह देती, तुम्हारी मां है, अब आगे जो भी करना है फैसला तुम्हे ही लेना होगा।
निशा _मैने फैसला कर लिया है?
सीमा _कैसा फैसला?
निशा _मै राजेश को अपने दिल से निकाल दूंगी।
सीमा _निशा अगर,आंटी को पता चले की तुम राजेश से प्यार करती हो तो शायद वह राजेश को अपने से अलग कर दे। तुम कहो तो मैं आंटी से बात करू की तुम राज को पसंद करती हो।
निशा _नही, सीमा एसा भूलकर भी न करना, तुम्हे मेरी कसम।
मैं अपनी मॉम से बहुत प्यार करती हूं। डैड के बीमार रहने के बाद, वह जैसे सजना, संवारना, ठीक से हंसना सब भूल चुकी थी।राजेश के आने से उसको पहली बार इतना खुश होते देखा है ।
मैं अपनी मॉम की खुशी के लिए राजेश को अपने दिल से निकाल दूंगी।
सीमा _क्या यह इतना आसान है?
निशा _जानती हूं। राजेश को भूल पाना आसान नहीं इसलिए मैंने एक और फैसला लिया है।
सीमा _कैसा फैसला?
निशा _दो माह बाद एग्जाम खत्म होने के बाद मैं आगे की पढ़ाई के लिए अपनी बुआ के पास लंदन चली जाऊंगी।
सीमा _पर तुम्हारा सपना तो आगे अपनी मॉम का सहारा बनने का है न। उसकी कंपनी को आगे बढ़ाने का।
निशा _मै पढ़ाई के बाद वही किसी नई प्रॉजेक्ट पर काम करूंगी। जिससे मॉम की कंपनी और आगे बड़ सके।
सीमा _ओह निशा, ये सब क्या हो गया?
सीमा ने निशा को अपने सीने से लगा लिया। उसकी आंखो से भी आंसू बहने लगी।
कुछ देर बाद सीमा ने कहा,,,
निशा अब आंसू बहाने से अच्छा है हालात से लड़ना, जो होगा ऊपर वाले पे छोड़ दो।
यहां घर में रहेगी तो अकेली घुट घुट कर अपनी हालात और खराब कर लेगी। चलो मेरे साथ कालेज। मै तुम्हे अकेली नहीं छोड़ सकती।
अगर तुम नही जावोगी तो मै भी कालेज नही जाऊंगी।
निशा _सीमा, मुझ अभागन का साथ छोड़ दो, नही तो मेरे साथ तुम्हारी भी किस्मत खराब हो जाएगी।
सीमा _निशा, मै तो तुम्हारी साया हूं, साया। तू जहा जाएगी हमेशा साथ ही रहूंगी। मैने तो बचपन से ही यह फैसला कर लिया है।
निशा _सीमा,,
सीमा _हां, मेरी बहना।
दोनो एक दूसरे को गले लगा कर रोने लगे।
सीमा _अब चलो, तुम फ्रेश होकर जल्दी तैयार हो जाओ।

इधर राजेश कालेज पहुंचता है।
कैंटीन में,,
भगत _भाई ये पार्टी वाले बार बार काल करके मुझे अपने पार्टी में शामिल होने के लिए फोर्स कर रहे हैं।
राजेश _तुम, उनसे कहो जो भी फैसला लूंगा वह एग्जाम के बाद ही लूंगा।
अभी मुझे अपनी पढ़ाई पर फोकस करना है।
भगत _ठीक है भैया।
राजेश _वैसे तुमने जो फेस बुक और इंस्टाग्राम पर अपना अकाउंट बनाया है उसका क्या हाल चाल है?
भगत _भैया, लाखो फालोवर जुड़ चुके हैं और रोज सैकड़ों नई फालोवर जुड़ रहे हैं। मेरे विचारो को लोग खूब लाइक कमेंट्स और शेयर कर रहे है। अधिकांश लोग तो कह रहे हैं की खुद की नई पार्टी बनाओ। हम आपके साथ है।
राजेश _गुड। फालोवर की संख्या जितनी बड़े अच्छी बात है। तुम उसमे अपनी नई नई विचारो को पोस्ट करते रहा करो।
और अपने फालोवर को अप्रैल तक सब्र रखने बोलो। फिर आगे का प्लान बताया जाएगा।
राजेश _ठीक है भाई।
भगत _आगे कुछ दिनों बाद इंटर कालेज फुटबाल टूर्नामेंट होना है। इसका आयोजन हमारे ही कालेज में होना है।
इसके लिए आवश्यक तैयारियों पर चर्चा के लिए। छात्र संघ और कालेज प्रशासन के बीच दोपहर में बैठक रखा गया है।
राजेश _ये तो अच्छी बात है। टूर्नामेंट में किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो। दूसरे कालेज से आने वाले छात्रों की सुविधाओ एवम ठहरने की व्यवस्था उनकी सुरक्षा पर चर्चा करना जरूरी है।
भगत _भाई, मीटिंग में हमारे कॉलेज की फुटबाल टीम के चयन पर भी चर्चा होगी। आपको टीम में कप्तान बनाने के लिए मैं पहल करूंगा। नियम के अनुसार जो स्टूडेंट लोकल टूर्नामेंट में भाग लेता है उसी को उसके परफामेंस के आधार पर टीम में शामिल किया जाता है । आप लोकल टूर्नामेंट में भाग नही ले पाए थे, तो आपका इस बार टीम में चयन के लिए, पुराने नियम पर विचार करना पड़ेगा।
राजेश _नही भगत, टीम मेंमेरा चयन के लिए अनावश्यक दबाव मत बनाना। नियम सबके लिए समान होना चाहिए। मैने लोकल टूर्नामेंट में भाग नही लिया था, तो टीम में मेरा चयन करना, नियम विरुद्ध होगा।
भगत _पर भाई लगातार दो बार हमारे कालेज को आप ही ने चैंपियन बनाया है, इस बार आप नही खेलेंगे तो फिर टूर्नामेंट जीतेंगे कैसे?
राजेश _अरे नही हमारे टीम में सब अच्छे प्लेयर्स है। रोहन में भी काबिलियत है, मुझे यकीन है उसके नेतृत्व में सभी खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करेगें।
भगत _भाई, हम जानते है कि रोहन टूर्नामेंट जीतने के लिए जी जान लूटा देगा, पर उसका इगो, कही टीम पर भारी न पड़ जाए।
राजेश _देखते है, क्या होता है? फिर हाल हमारे कालेज को उस पर विश्वास करना ही पड़ेगा।

दोपहर लंच के समय,,
सीमा _निशा, कैंटीन चले कॉफी पीने।
निशा _नही, सीमा अब मै कभी कैंटीन नही जाऊंगी।
सीमा _निशा, शायद तुम भूल रही हो राज तुम्हारा अभी भी बहुत अच्छा दोस्त हैं। उसका प्यार न मिला तो क्या? दोस्ती थोड़े ही छोड़ देगी।
निशा _मुझे डर है कि राज के सामने आने पर मैं कमजोर न पड़ जाऊं।
सीमा _ऐसा नही होने दूंगी, मै तुम्हारे साथ हूं।
चलो।
दोनो कैंटीन में चले गए।
वहा पर राजेश अकेला मिला।
सीमा _हाय राजेश।
राजेश _हेलो सीमा, हेलो निशा जी।
निशा _हेलो राज ।
सीमा _राज आजआप अकेले है।
राजेश _हां, भगत और कुछ दोस्त आज कालेज प्रशासन के साथ मीटिंग अटेंड कर रहे हैं।
राजेश _काफ़ी लेंगी आप दोनो।
सीमा _क्यू नहीं।
राजेश ने तीन कॉफी मंगाया।
राजेश _निशा जी आज आपके चेहरे में कुछ उदास लग रही है। कुछ बात है क्या?
निशा _नही राजेश, वो आंख में कचड़ा चला गया था न इसलिए आंख कुछ ठीक नहीं लग रहा है।
राजेश _दिखाओ अपनी आंखे, फुख मारकर कचरा बाहर निकाल दू। तुमको राहत मिलेगी।
निशा _ओह राजेश कचरा निकल चुका है, तुम्हे परेशान होने की जरूरत नहीं।
राजेश _वैसे निशा जी आपने कल बहुत अच्छा पानी पूरी बनाया था। खा कर मजा आ गया।
निशा _thanks राजेश
सीमा _राजेश तुम इतने दिनो तक सोनपुर में रहे, काफ़ी इंजॉय किए होगे वहा। हमें भी तो बताओ कुछ।
राजेश _वहा की वादियां बहुत अच्छी है, अगर तुम लोग होते तो और मजा आता।
निशा _Rajesh, तुमने हमें बुलाया ही नहीं, अगर तुम बुलाते तो हम वहा जरूर पहुंच ,,,
राजेश _वहा तुम लोगो का जाना थोडा रिस्की था न मज़दूर यूनियन वालो से,,
इसलिए तुम लोग न आए तो ही अच्छा था।
सीमा _तुम्हे चोंट लगी तो आंटी ने काफी अच्छी देखभाल की होगी आपका।
राजेश _ओ हां सुजाता मैम की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। उसने मेरी दिन रात देखभाल की।
उसके बाद तीनो काफी पीने लगे।
सीमा _जब से आप लोग सोनपुर से आए है। आंटी तो आपकी तारीफ करते नही थक रही। लगता है तुमने आंटी पर भी अपना जादू चला दिया है।
राजेश तुमने फ्यूचर के बारे में क्या सोचा है?
राजेश _सीमा जी आप लोग तो जानते ही हो कि आगे मेरा लक्ष्य क्या है?
सीमा _वो तो जानते ही हैं, और तुम अपने लक्ष्य को भी प्राप्त कर लोगे, हमे यकीन है पर उसके बाद क्या?
राजेश _जी मै समझा नही।
सीमा _भई, जिंदगी जीने के लिए हमसफर भी तो चाहिए उसके बारे में बात कर रही हूं।
राजेश _ओह, उसके बारे में तो कुछ सोचा ही नहीं।
सीमा _पर हमे तो लगा कि तुम अपने लिए हमसफर ढूंढ चुके हो।
कैसा हमसफर चाहिए तुमको, हम तुम्हारे दोस्त हैं, शायद हम कुछ मदद कर सके। तुम्हारे आस पास कोई हो तो बताओ। उदाहरण के लिए।
राजेश _मुझे तो सुजाता मैम की तरह सुंदर,काबिल और मां के समान प्यार करने वाली पत्नी चाहिए।
सीमा _ओह, तो तुम निशा को क्यू पसंद नही कर लेते? वह सुजाता आंटी की परछाई ही है और वह मां की तरह तुमको प्यार करेगी?
राजेश खामोश हो गया,,
निशा चीखी ,,
सीमा, ये तुम क्या बकवास कर रही हो?
सीमा को अपनी गलती का अहसास हो गया,,
सीमा _सॉरी निशा मै तो मजाक कर रही थी।
राजेश तुम क्या सोचने लगें, मै तो सिर्फ मजाक कर रही थी।
निशा _राजेश ये लड़की तो पागल है कुछ भी बोल देती है, तुम इसकी बातो को दिल से न लेना।
अच्छा राजेश अब क्लास का समय हो रहा है, हम चलते हैं।
राजेश ने हां में सिर हिलाया।
राजेश निशा को जाते हुए देखने लगा,,,
निशा _सीमा ये तुमने क्या किया? राज को ये सब बोलने की क्या जरूरत थी।
सीमा _सॉरी निशा पता नही, ये सब मेरे मुंह से कैसे निकल गया?
निशा _राजेश अब मेरे बारे में न सोचें तो ही अच्छा है।
तुमने ये ठीक नहीं किया।
सीमा _सॉरी निशा, माफ कर दो मुझे प्लीज, तुम्हारे आंखो की आंसू मुझे देखे नही जाते।
निशा _सीमा तुम मूझसे वादा करो, राज से तुम कभी भी नहीं बताओगी की मैं उससे प्यार करती हूं।
सीमा _निशा, मै तुमसे वादा करती हूं। मैं ये बात राजेश को कभी नहीं बताऊंगी।

इधर राजेश के मन में सीमा की बात ने काफ़ी गहरा प्रभाव डाला था।
कालेज के छुट्टी के बाद राजेश जब घर पहुंचा,,
वह किचन में जाकर, सुनिता को पीछेसे अपनी बाहों में भर लिया ।
सुनिता _आ गया मेरा बेटा।
राजेश _हां, मां।
राजेश ने सुनिता की गालों को चूमने चाटने लगा।
सुनिता _अरे क्या कर रहा है तुमने फिर शैतानी शुरू कर दी।
राजेश _अपनी मां से प्यार कर रहा हूं, इसमें शैतानी क्या?
इधर राजेश सुनिता को और जकड़ लिया, उसका land उसकी गाड़ में धस गया।
जिससे सुनिता सिसक उठी।
राजेश _क्या huwa मां?
सुनिता _अपना छोटू को सम्हालो, गलत जगह जानें की कोशिश कर रहा है।
राजेश _तो सही जगह पहुंचा दो न अपने छोटे बेटे को।
सुनिता _चल हट बदमाश कही का जब देखो तब मस्ती सूझी रहती हैं।
राजेश _थोडा दुदू ही पीला दो ।
सुनिता_जानती हूं, दुदू पीने के बहाने मुझे गर्म करता है ताकि आसानी से तुम्हारी बातो में आ जाऊं।
चल हट, मुझे काम करना है। जाओ अपने कमरे में।
राजेश ने सुनिता की ओंठ को मुंह में भरकर चूस दिया फिर अपने कमरे में भाग गया।
सुनिता _बेशरम कही का, बिल्कुल आवारा बन गया है, और मुस्कुराने लगी।
राज अपने कमरे में जानें के बाद, फ्रेश होकर बेड पार आराम करने लगा।
वह सीमा द्वारा कही गई बातों के बारे में सोचने लगा,,
निशा, सुजाता की परछाई है उसे क्यू पसंद नही कर लेते। वह तुम्हे मां जैसे प्यार भी करेगी।
फिर उसे याद आया,किस प्रकार जब वह निराश हो गया था, तब निशा ने उसे इससे उबारा।
निशा के साथ जो उसने कालेज फंक्शन में परफार्म किया था, वह याद आने लगा।
प्राय के द्वारा कही गई बाते,,
निशा तुम पर मरती है,, इसका तुम्हे अहसास नही। तुम दोनो की जोड़ी सबसे बेस्ट होगी।

फिर उसे अपनी मां की कही बाते याद आया कि तुम अमीर घर की लड़कियों से दूर ही रहना।
राजेश उलझन में फस गया,,
वह मोबाइल में कैद निधा की फ़ोटो निकाल कर देखने लगा।
तभी उसकी मां कमरे में आई।
सुनिता _बेटा क्या कर रहा है?
राजेश _कुछ नही मां, बस आराम कर रहा था।
सुनिता _चलो भोजन के लिए तुम्हारे पापा वेट कर रहे हैं।
राजेश _ठीक है मां, मै अभी आया।
कुछ देर बाद राजेश, भोजन के लिए डाइनिंग टेबल पर उपस्थिति दे दिया था।
शेखर _सुनिता, गांव से भैया ने फ़ोन किया था। बोल रहा था की उसकी बहू को लडकी हुई है। जिसका नामकरण संस्कार अगले संडे को है। हमे निमंत्रण दिया है।
सुनिता _ये तो खुशी की बात है। काश हम जा पाते।
राजेश _मां आख़िर बात क्या है? आप लोग गांव जाते क्यू नही हो? पूछने पर भी आप लोग कुछ बताते नही। वहा ताऊ, ताई, चाचा चाची और भाई बहन सब है, मेरा उनसे मिलने का कितना मन है पर न तुम लोग जाते हो न मुझे जानें देते। आख़िर क्यू?
सुनिता _बेटा, वह बहुत पिछडा गांव है वहा किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है। इसलिए हम वहा नही जाते।
राजेश _मां तुम न जाती हो वह समझ आता है पर पापा भी नहीं जाते। जबकि उनके बड़े और छोटे भाई वहा रहते हैं। क्या सुविधा के अभाव होने से कोई अपने भाईयो को भूल सकता है l
शेखर _बेटा, मुझे भी याद आता है मेरे भाईयो का पर हमारा वहा न जानें में भलाई है।
राजेश _पापा आख़िर बात क्या है?
सुनिता _राजेश, कितने बार कहा है? तुम इस बारे में मत पूछा करो।
राजेश _सॉरी मॉम।

रात को सुजाता ने राजेश को काल किया।
सुजाता _क्या कर रहे हो जनाब?
राजेश _मैम आप। कुछ नही सोने की कोशिश कर रहा था।
सुजाता _क्यू नींद नहीं आ रही क्या?
राजेश _हां, किसी के खयालों में खोया था।
सुजाता _कौनहै वह खुशनसीब मै भी तो जानू?
राजेश _आप के शिवा कौन हो सकता है?
सुजाता _अच्छा, तो अभी तक काल क्यू नही किया।
राजेश _अब मुझे क्या पता आप कहा पर हो।
सुजाता _चल झूठा कही का।
अच्छा सुनो, आई मिस यू सो मच
मैं कल शाम को होटल में एक कमरा बुक कर दी हूं।
तुम कालेज से सीधा वही आ जाना, मै वही मिलूंगी।
तुम्हारे बिना रह पाना मुस्किल है मेरे लिए।
राजेश _किसी को पता चल गया तो।
सुजाता _तुम उसकी चिंता मत करो किसी को पता नहीं चलेगा।
अच्छा अब मै रखती हूं बाई।
राजेश _ओके बाई।

अगले दिन सुजाता ने अपने कंपनी के अधिकारियो की मीटिंग रखी थी। कंपनी के अधिकारियो से कंपनीकी स्थिति पर जानकारी लेने।
अधिकारियो ने बताया कि कंपनी के सारे प्रॉजेक्ट फिर से शुरू हो गए है।
हमारे निवेशक फिर से हमारी कंपनी पर भरोसा जता रहे हैं। कंपनी के शेयर में लगातार तेजी बना huwa है। हम बहुत जल्द पुरानी स्थिति को प्राप्त कर लेंगे।

सुजाता ने खुशी जाहिर की।
शाम को 4बजे सुजाता ने राजेश को काल कर होटल के बारे में जानकारी देकर जल्द पहुंचने को कहा।
सुजाता जल्द ऑफिस से निकल कर होटल मे पहुंच चुकी थी।
राजेश कालेज से छुट्टी के बाद फाइव स्टार होटल पहुंचा।
मैनेजर ने राजेश को देखते ही पहचान लिया।सुजाता ने मैनेजर को पहले ही राजेश का फ़ोटो mobile पर सेंड कर दिया था। और कह दिया था की जब वह आए तो मेरे कमरे में बिना किसी पूछताछ के भेज देना ।
जब मैनेजर ने राजेश को देखा,,
मैनेजर _आप राजेश है।
राजेश _जी।
आप मेरे साथ आइए।
राज मैनेजर के पीछे चला गया।
मैनेजर ने राजेश को रूम के बाहर छोड़ कर आया।
राजेश ने सुजाता को काल किया,,मैम मै रूम नंबर 24 के बाहर खड़ा हूं।
सुजाता ने दरवाज़ा खोला। और राजेश कमरे के अन्दर प्रवेश किया।
सुजाता ने दरवाज़ा बंद कर राजेश के गले में अपनी बाहें डाल दिया।
सुजाता _मै कब से वेट कर रही थी।
राजेश ने सुजाता के अपने बाहों मे जकड़ लिया।
आज तो आप बहुत हॉट लग रही हो,,
राजेश ने सुजाता को अपनी गोद में उठा लिया।
वे एक दूसरे की आंखो में देखने लगे।
राजेश ने सुजाता को बेड पे लिटा दिया।
सुजाता उठ कर बैठ गई, और राजेश के ओंठ चूसने लगी।
फिर वह गीत गाने लगी,,,

चलो प्यार मुझे करो,,,
अंग से अंग लगाके, प्रेम सुधा बरसादे,,
दासी तेरी प्यासी रही कितनी जनम,,,

भरो मांग मेरी भरो,,
चलो प्यार मुझे करो,,

बिन तेरे मेरा कोई और नहीं
मेरे प्यार की कच्ची डोर नही
पिया लेके मन की कली
तेरी पूजा करने चली प्रियतमा

चलो प्यार मुझे करो,,
भरो मांग मेरी भरो,,

दिल मेरा है तेरा ये जान ले
मेरी दीवानगी पहचान ले
सांस रुक भी गई जो सनम
लेके आऊंगा फिर मैं जनम प्रियतमा,

चलो प्यार मुझे करो,,
भरो मांग मेरी भरो,,
अंग से अंग लगाके प्रेम सुधा बरसादे
तेरे लिए बेचैन था कितने जनम,,

इधर निशा घर आने के बाद अपने कमरे में आकार राजेश को याद कर गीत गाने लगी,,,

शिकवा नहीं किसी से,,,
किसी से गिला नहीं,,,
नसीब में नहीं था,,
हमको मिला नहीं,,
Nice update
Dukh ki sima nahi hoti jab Aisa hota hai
Jisko AAP pyar Karo wo kisi aur ko kare usse bada dukh ki wo aapke hi jannewale k saath hai to aur bhi dukh hota hai
Par ek baat hai Nisha ko apni baat rakh deni chahiye Rajesh ke samne taki use ye afsos na rahe ki usne Rajesh ko batya hi nahi
Par Nisha ko apni maa ki Khushi ki chinta hai isliye shayd nahi bata paa Rahi hai
Rajesh to shayad abhi kisi ko pyar ho nahi karta shyad dekhte hai shayad sujata se pyar karta ho

Keep writing 👍
 
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