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Incest यह क्या हुआ

sexy neha

Well known
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सुनीता जब सुमित्रा और राजेश को सेक्स करते देखी वह दंग रह गई।
इधर सुमित्रा और राजेश की नजरे जब सुनिता पर गई। दोनो की हालत खराब हो गया। दोनो बिल्कुल नग्न होकर। सेक्स का खेल खेल रहे थे।
राजेश अपनी मां को सामने देखते ही चूदाई बंद कर दिया।
सुमित्रा तेजी से बेड से नीचे उतरी और अपनी साडी उठाकर अपनी शरीर को ढकने लगी।
राजेश और सुमित्रा दोनों का सेक्स का नशा उतर चुका था।
राजेश का लंड ढीला पड़ गया।
इधर सुनिता रूम से बाहर आई और अपनी माथा पकड़कर हाल में रखी सोफे पर जाकर बैठ गई।
सुमित्रा _राजेश, सुनिता ने सब देख लिया, हे भगवान अब मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रही। अब मैं सुनिता के सामने कैसे जाउंगी।
राजेश _मामी, तुम घबराओ मत, सब ठीक हो जायेगा।
सुमित्रा _अब क्या ठीक होगा राजेश, जो नई होना था वो तो हो गया। मै हवस में अंधी होकर अपनी मर्यादा भूल गई।
अब मैं सुनिता का सामना नहीं कर सकूंगी।
हे भगवान, अब मैं क्या करूं?
राजेश _मामी आप चिंता न करें? और हिम्मत से काम ले। आप मां के पास जाए और सब सच बता दें।आगे जो भी होगा देखा जाएगा।
सुमित्रा अपनी साड़ी पहनी और कामदंड लेकर हाल में आ गई।
सुमित्रा _सुनिता, मुझे माफ़ को, मै हवस में अंधी हो गई थी।
सुनीता _भाभी, राजेश का तो समझ में आता है, वह एक जवान लड़का है। उसे तो बस मौका चाहिए। पर तुम तो एक संस्कारी, धार्मिक और पतिव्रता नारी थी, आपसे मुझे ये उम्मीद नहीं थी। मै सपने में भी नही सोच सकती थी, कि आप ऐसी हरकत भी कर सकती है।
सुमित्रा _सुनिता, ये सब इस कामदंड की वजह से है।
सुनीता _क्या, कामदंड?
सुमित्रा _हां सुनिता कामदंड।उस दिन अनुष्ठान संपन्न होने के बाद , बाबा ने मेरी क़मर पे नाभी के नीचे यह कामदंड बांधा था, और कहा था कि इस काम दंड को रात में सोने से पहले निकाल देना पर इस कामदंड को कोई पुरुष ही निकाल सकता है।
अब आपके भैया तो यहां है नही इसलिए यह कामदंड को राजेश से निकलवाती हूं और सुबह स्नान के बाद इसे फिर से पहन लेती हूं।
इस कामदंड ने मेरी अंदर छुपी औरत के जगा दिया और मुझे इतना मजबूर कर दिया कि मैं अपनी मर्यादा भूल गई। अपनी पतिव्रता धर्म भूल गई। और यह पाप करने के लिए मजबूर हो गई।
सुनीता _भाभी आप अपनी गलती पर पर्दा डालने के लिए बाबा कि झूठी सहारा ले रही हैं।
सुमित्रा _अगर मेरी बाते झूठी लग रही है तो ये कामदंड कल सुबह अपनी नाभी के नीचे बांध लेना, फिर मूझसे बात करना। अभी मैं आपसे कुछ बाते बोलूं तो वह आपको झूठ ही लगेगी।
यह बोलकर कामदंड को वही छोड़कर सुमित्रा अपने कमरे में चली गईं।
इधर सुनिता उस कामदंड को अपने हाथों में लेकर देखने लगी जो पंच धातुओं से बना वजनी कामदंड बिलकुल लंड जैसा दिख रहा था।
कामदंड को लेकर सुनिता अपनी कमरे मे चली गई और कामदंड को आलमारी में रख दी।
सुबह वह उठ कर स्नान करने के बाद, भाभी सच बोल रही है या झूठ,यह जानने के लिए उसने कामदंड को अपने नाभि के नीचे बांध ली।
सुनीता सामान्य दिनों की तरह पूजा पाठ करने के बाद किचन में जाकर काम करने लगी।सुमित्रा भी स्नान करने के बाद किचन में आ गईऔर सुनिता की मदद करने लगी।
सुमित्रा _सुनिता, अभी तक मूझसे नाराज हो क्या?
सुनीता कुछ नही बोली।
सुमित्रा _क्या तुमने वह कामदंड पहनी?
सुनीता _हूं।
सुमित्रा _अब तुमको खुद ही पता चल जाएगा कि मैं झूठ बोल रही थी या सच।
इधर राजेश सुबह उठकर अपनी मां और मामी को दूर से ही गुड मॉर्निंग बोलकर जिम चला गया।
सुमित्रा और सुनिता अपने काम में लग गई।
इधर कामदंड भी अपना काम शुरू कर दिया। सुनिता जब चलती, उठती, बैठती, झुकती तो वह सुनिता की बुर पर चोट करता जिससे सुनिता सिहर उठती।
धीरे धीरे वह उत्तेजित होने लगी और उसकी बुर पानी छोड़ने लगी।
शाम तक उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई।
उसकी बुर का पानी बह बह कर सूखने से खुजली करने लगी और वह सुमित्रा से छिप छुपा छुपा कर खुजाने लगी।
एक बार सुमित्रा ने सुनिता को बुर खुजाते देख ली, वह हसने लगी।
सुमित्रा, सुनिता को छेड़ते हुए बोली।
सुनीता, सब ठीक तो है न।सुनीता , शर्मा गई।
सुमित्रा _अब तो आपको पता चल गया होगा कि मैं झूठ नहीं बोल रही थी।
सुनीता _भाभी आप शायद, सही है।
सुमित्रा _चलो, अच्छा huwa जो यह जान गई की मैं कल जो भी बोली सच थी। नही तो मै आपसे मुंह दिखाकर बात करने के लायक नहीं रहती।
इधर राजेश और कालेज से घर आया।
और अपनी मां से जाकर लिपट गया।
सुनीता _सिहर उठी।
राजेश _मां क्या बनाने की तैयारी चल रही है।
सुनीता _अरे बेटा, छोड़ों मुझे जाओ अपने मामी से चिपको।
राजेश _क्यू, आपसे क्यू नही?
सुनीता _क्यू कि मूझसे ज्यादा, आपकी मामी को ज्यादा जरूरत है तुम्हारे प्यार की।
राजेश ने सुनिता को और कस लिया। उसका लंड खड़ा हो गया था जो सुनिता की गाड़ को दबा रहा था।
सुनीता को राजेश का खड़े लंड का एहसास हुआ तो उसकी बुर पानी छोड़ने लगी। क्यू की वह कामदंड के प्रभाव से पहले से ही उत्तेजित थी। उसकी पूरा शरीर कपकपाने लगी।
इधर सुमित्रा मुस्कुरा रही थी।
सुमित्रा _अरे, मुआ सारा प्यार अपनी मां पर ही लुटाएगा की अपनी मामी का भी कुछ ख्याल रखेगा।
सुनीता, को भी राजेश से चिपक कर बहुत अच्छा लग रहा था, उसका मन कर रहा था कि राजेश उससे ऐसा ही चिपका रहे।
सुनीता _भाभी, लगता है मां बेटे की प्यार से आपको जलन हो रही है।
सुमित्रा _अरे मै क्यू जलने लगी? राजेश तुम्हारा बेटा है, तुम्हारा उस पर पहले हक है। मै तो कह रहि थी की मां से जी भर जाय तो अपनी मामी का भी खयाल कर लेना।
राजेश _मामी, आज तो मेरा मन मां को जी भर कर प्यार करने की हो रहा है।
सुमित्रा _तो करो न, कौन तुम्हे रोक रहा है। अगर कहो तो मैं यहां से चली जाती हूं। फिर कर लो जी भर कर प्यार अपनी मां को। वैसे भी लगता है आज तुम्हारी मां को भी बड़ा मन है आज अपने बेटे पर प्यार लुटाने की।
राजेश _नही मामी, मै तो आपके सामने ही प्यार करुंगा ,अपनी मां को।
राजेश का लंड और तन गया जिसका एहसास सुनिता को हुई, वह और ज्यादा उत्तेजित हो गई। राजेश ने अपनी मां को और कसते हुए जैसे ही एक हाथ से अपनी मां की पेट को सहलाया, सुनिता अपने को ना रोक सकी, वह किचन की प्लेट को अपनी मुठ्ठी में भींचते हुए,आह मां, उई ऊं की आवाज़ करते हुए झड़ गई।
इधर सुमित्रा और राजेश दोनो घबरा गए।
राजेश ने अपनी मां को छोड़ दिया,
राजेश _मां क्या हुआ तुम ठीक तो हो न,,
कुछ समय बाद सुनिता होश में आई।
सुनीता _हां, बेटा मैं ठीक हूं अब जा अपनी कमरे में, जाकर पढ़ाई कर।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश, चला गया।
सुमित्रा _सुनिता, क्या huwa चीखी क्यू? कही तू झड़,,,
सुनीता _चुप करो भाभी न बिलकुल शर्म हया सब भूल गई हो,,,
सुमित्रा _मुसकुराते हुवे, क्या करू सुनिता बाबा का कामदंड और तुम्हारे बेटे की हरकतों ने मुझे निर्लज बना दिया है?
एक बार झड़ने के बाद भी रात होते तक कामदंड के प्रभाव से सुनिता फिर से बहुत गर्म हो गई थी।
रात में जब सभी भोजन कर लिए। सुमित्रा और सुनिता दोनो किचन में बर्तन धो रही थी।सुमित्रा _सुनिता, रात में सोने से पहले कामदंड को निकालना है तुम्हे याद है न।
सुनीता _हा भाभी।
सुमित्रा _शेखर भाई साब से याद से निकलवा लेना।
सुनीता _भाभी ये क्या कह रही हो?अगर उसने पूछा कि ये क्या है तो मैं क्या जवाब दूंगी, न बाबा मुझे जवाब देते नही बनेगा।
सुमित्रा _तब तो तुमको भी राजेश की मदद लेनी पड़ेगी। एक काम करना,भैया के सो जाने के बाद, तुम राजेश के कमरे में जाकर यह कामदंड निकलवा लेना।
सुनीता _ठीक है भाभी।
जब शेखर सो गया, सुनिता राजेश के कमरे में गई।
राजेश को बताया की भाभी सच बोल रही है कि झूठ यह जानने कामदंड को वह पहन रखी है जिसे तुम्हे निकालनी है।
राजेश ने वह कामदंड सुनिता की क़मर से निकाल दिया।
सुनीता ने कामदंड को पकड़कर सुमित्रा के कमरे मे चली गईं।
सुनीता _भाभी, लो रखो अपना कामदंड।
सुमित्रा _अरे सुनिता, उतरवा ली क्या राजेश से?
सुनीता _हा भाभी।
सुमित्रा _अरे, एक दो दिन और पहन के देखो आज तो पहला दिन है।
सुनीता _न बाबा, अब मेरे अंदर अब और इतनी शक्ति नही की मैं इसे और पहन सकू।
सुमित्रा _देखा न भाभी यह कामदंड का शरीर पर कैसा प्रभाव पड़ता है।
सुनीता शर्मा गई।
सुमित्रा _वैसे कामदंड निकालते समय राजेश ने तुम्हारे साथ कोई छेड़छाड़ तो नही की।सुनीता _नही ,भाभी पर ऐसा क्यो?
सुमित्रा _मेरी क़मर से निकालते वक्त तो बड़ा शरारत करता था ।
सुनीता _अच्छा भाभी अब मैं चलती हूं k
सुनीता अपनी कमरे में चली गईं।
सुनीता के जाने के बाद सुनित्रा, राजेश की कमरे की ओर जाने लगी।
वहा पहुंचने पर,,
राजेश _मामी तुम।
सुमित्रा _क्यू re, कामदंड निकालते वक्त तुमने अपनी मां के साथ कोई शरारत नही की मेरे साथ तो बीना किए मानता नहीं।
राजेश ने, सुमित्रा को अपनी गोद में बिठा लिया, और उसकी चूची मसलते हुए कहा,,राजेश _डर था कही मां को बुरा लग गया तो,,
इधर राजेश ने सुमित्रा की ब्लाउज खोलना शुरु कर दिया।
सुमित्रा _अरे मुआ ये क्या कर रहा है?
राजेश _हाय, आपकी दुदू पीने का मन कर रहा है।
सुमित्रा _अरे, तुम्हारी मां का दुदू पीने का मौका मिला था उसे तो खो दिया,, अब फिर मेरे पीछे पड़ गया।
राजेश _गुस्सा होते हुए बोला,
अगर मेरी हरकते तुम्हे अच्छी नहीं लग रही है तो जाओ,
उसने, सुमित्रा को अपनी गोद से उतारने की कोशिश किया।
पर सुमित्रा गोद से उतरी नही।
सुमित्रा _अले, अले तू तो नाराज़ हो गया। मै तो मजाक कर रही थी।
वैसे तूने मेरी भी आदत खराब कर दिया है जब तक तुमसे अपना दुदू जी भर कर चुसवा न लू मुझे भी नींद नहीं आता। ले चूस ले मेरे दुदू,
सुनीता ने अपनी ब्लाउज निकाल दिया।
राजेश उसकी चुचियों पर टूट पड़ा।
सुमित्रा _अरे बाबा, तू तो ऐसा टूट पड़ा जैसे वर्षो से भूखा हो। आराम से करो मैं कही भागी नहीं जा रही।
राजेश ने जी भर कर सुमित्रा की चूची मसल मसल कर चूसा। फिर वह अपना लोवर नीचे खींच कर नंगा हो गया।
राजेश _ले मेरी जान, जरा मेरी गन्ना चूस।
सुमित्रा ने राजेश का लंड मुंह में भरकर चुसने लगी।
राजेश का लंड और लम्बा मोटा, लोहे की तरह सख्त हो गया।
फिर राजेश ने सुमित्रा की साड़ी खिच कर अलग कर दिया।
उसे बेड किनारे लिटा दिया उसकी पेंटी खिंचकर निकाल दिया।
उसकी पेटी कोट ऊपर उठा कर क़मर तक ले गया। उसकी मस्त फुली हुई गोरी चिकनी बुर को मुंह में भरकर चुसने लगा।
और जब सुमित्रा अत्यंत काम विहिल हो गई वह बोली,,
सुमित्रा _, बेटा अब बस कर, अब मूझसे बर्दास्त नही हो रहा। डाल दे अपने सांप को मेरे बिल में। अपने कपकपाते हुवेऑटो से बोली।
राजेश ने अपना साप को हाथ से पकड़ा और उसे बिल का रास्ता दिखाया।
बिल मिलते ही राजेश ने एक जोर का धक्का मारा, साप सरसराता हुवा, बिल के अंदर चला गया।
सुमित्रा सिसक उठी।
आह, मांआई,,,
अब राजेश ने एक और धक्का मारा तो साप जड़ तक बिल में जा चुका था
राजेश कुछ देर अपनी मामी की खूबसूरत जिस्म पर से चिपक कर उसकी ओंठो को पीने लगा।
कुछ देर ओंठो का रस चुसने के बाद वह शुरू कर दिया खेल जो दोनो को स्वर्ग में ले गया।
राजेश ने भचा भच सुमित्रा को चोदना शुरु कर दिया।
सुमित्रा के मुंह से आह, मां ई, ऊ,, आह मैया रि,, ई,, जैसी मादक आवाज निकलते लगी कमरे में उसकी चुड़िओ की खनकने खन खन और लंड का बुर में आने जाने से, फ्च फाच, गच गाच की मधुर संगीत कमरे में गूंजने लगे।इधर सुनिता अपने कमरे मे आकर सोने की कोशिश करने लगी, पर उसी बुर की पानी जो निकल निकल कर सुख गई थी, उसके कारण उसकी बुर पे खुजली बड़ गई थी। वह चादर के अंदर से बुर में अपनी हाथ ले जाकर खुजाने लगी। वह जितना खुजाती, बुर की खुजली और बड़ जाति, धीरे धीरे वह अपनी उंगली से भगनाश को छेड़ने लगी जिससे वह और भी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई।उसे कल का सीन याद आ गई , कैसे राजेश अपनी मामी को पलंग पर घोड़ी बनाकार चोद रहा था। उस सीन को याद कर वह और बेचैन हो गई। उससे रहा न गया क्यू की उसके शरीर के अंदर की हवस जग चुका था। अब वो क्या कर रही है उसे खुद होश नही रहा।
वह सीधे राजेश के कमरे की ओर चली गई।
राजेश के कमरे की दरवाज़ा अंदर से बंद था।
अंदर राजेश बेड में पीठ के बल लेटा था और सुमित्रा उसके लंड पर उछल उछल कर chud रही थी।
दोनो जन्नत की सैर कर रहें थे। संभोग की असीम आनन्द को प्राप्त कर रहे थे।
कमरे में खन खन गच गच फच fach, आह उई मां आह उन,की आवाज गूंज रही थी।
तभी किसी की दरवाज़ा खटखटाने की आवाज दोनो के कानो पे पड़ी ।
दोनो चौंक गए। दोनो चूदाई बंद कर दिए।
सुमित्रा _राजेश, कोई दरवाज़ा खटखटा रहा है।
हे भगवान हम फिर फस गए।
राजेश _मामी आप घबराव मत, आप सारे कपड़े बेड के नीचे डाल दो और बाथरूम में चली जाओ मैं देखता हूं।
राजेश ने अपना लोवर और टी शर्ट पहना फिर दरवाज़ा खोला।
दरवाज़ा खुलते ही,,
राजेश _मां आप, इस वक्त।
राजेश _माफ करना बेटा, लगता है तुम सो गए थे। पर क्या करू पीठ दर्द के कारण मुझे नींद नहीं आ रही। तुम्हारे पापा तो नींद में खर्राटे भर रहा है मैं उसे जगाना उचित नहीं समझी।
अगर तुम कहो तो मैं वापस चली जाती हूं।
राजेश _अरे नही मां ये कैसी बातें कर रही है आप। आपके लिऐ तो मेरे कमरे की दरवाज़ा हर वक्त खुला रहेगा। आइए अंदर।
सुनीता बेड पर जाकर बैठ गई।
बेटा मेरे पीठ पर बड़ा दर्द हो रहा है मैं बॉम लेके आई हू जरा अच्छे से मालिश कर दो।
राजेश _ठीक है मां,दो बॉम मुझे लगा दू।
सुमित्रा ने राजेश को बॉम दे दिया।
राजेश _मां अपनी पीठ दिखाओ मै बॉम लगा देता हूं।
सुनीता _बेटा पहले दरवाज़ा तो बंद करदे, कोई आ जाएगा तो गलत समझेगा।
राजेश _ठीक है मां।
राजेश ने दरवाज़ा बंद कर दिया।
सुनीता ने अपना पीठ राजेश की ओर करते हुए कहा लो बेटे बॉम लगा कर अच्छे से मालिश कर दो।
राजेश! ने बॉम लगाना चाहा पर ब्लाउज सामने आ गया।
सुनीता _अरे बेटा, ब्लाऊज के कारण बॉम ठीक से लगा नही पाएगा, मै एक काम करती हूं, ब्लाऊज निकाल देती हूं, फिर अच्छे से लगा देना।
सुमित्रा अपनी ब्लाउज निकाल दी, ब्रा नही पहनी थी। ब्लाऊज निकलते ही उसकी सुडौल और बड़ी बड़ी चूचियां देखकर राजेश का लंड फिर से तनकर खड़ा हो गया।
सुनीता _अरे क्या देख रहा है रि पहली बार देख रहा है क्या?
राजेश _अरे नही मां आपके दुदू है ही इतने मस्त की इससे नजर ही नही हटती।
राजेश से रहा न गया वह चुचियों पर टूट पड़ा।
सुनीता _अरे बदमाश तू फिर शुरू हो गया।
राजेश ने सुनिता की मस्त चूचियों को अपने हाथों से मसल मसल कर पीने लगा।
सुनीता सिसकने लगी। गर्म तो वो पहले से ही थी।
उसकी बुर की पानी की धार और बड़ गया।
असल में सुनिता, राजेश से चुदने ही आई थी वह राजेश को सीधा कह नही सकती थी की बेटा मुझे चोद कर ठंडा करो मुझे चुदने का बड़ा मन है, इसलिए वह पीठ दर्द का बहाना बनाई।
राजेश सुनिता की चूची को जी भर कर मसल मसल कर चूसा। इधर सुनिता ने अपना हाथ राजेश के लोवर के अंदर ले गई। और उसके खड़े लंड पर हाथ चलाने लगी।
तभी राजेश अपना लोवर नीचे कर नंगा हो गया। और अपनी मां की आंखों में इशारा किया।
सुनीता समझ गई वह राजेश के लंड के नीचे बैठ कर, राजेश की लंड चुसने लगी।
राजेश तो जैसे जन्नत में पहुंच गया।
तभी सुनीता की पैर सुमित्रा की साड़ी पर पड़ी। साड़ी का कुछ हिस्सा बेड के निचे से बाहर आ गया था।
सुनीता का ध्यान उस और गई।
उसने उसे पकड़ कर देखा।
सुनीता _ये तो साड़ी है, किसकी साड़ी है? राजेश, बेटा ये किसकी साड़ी है।
राजेश _मां अब तुमसे क्या छुपाना, ये मामी की साड़ी है।
उसे रात में नींद नहीं आ रही थी तो वह मूझसे चुदने मेरे कमरे मे आई। जब तुम दरवाज़ा खटखाई तो वह मूझसे chud रही थी।
सुनीता _अच्छा तो ये बात है, कहा छिपी है।
सुमित्रा _सुनिता, मै यहां हूं।
सुनीता _भाभी, आज तो आपने कामदंड नही पहनी फिर भी चुदने आ गई।
सुमित्रा _क्या करू सुनिता, राजेश का लंड लेने की आदत हो गई है। बीना chude नींद नहीं आ रही थी।
तो यहां चुदने आ गई।
पर तुम यहां कैसे?
सुनीता _तुम्हारे कामदंड ने मेरी भी हालत खराब कर दी, मुझे यहां आने पर विवश कर दिया। तुम सच कह रही थी। काम दंड के ने मेरी बुर पर ऐसा प्रहार किया की, जब तक मेरी भुख मिटेगी नही मुझे चैन नहीं आएगी।
राजेश के पापा तो रोज थक कर सो जाता है उससे कुछ होता नहीं। इसलिए मजबूर होकर अपने ही बेटे के पास बहाने बनाकार आने मजबूर हो गई।
सुमित्रा _मै समझ गई सुनिता, मै भी एक औरत हूं, जब हवश की आग सताती है तो सब रिश्ते नाते जलकर भस्म हो जाती हैं।दोनो की समस्या एक ही है, और उसका समाधान है राजेश।
बेटा, अब तुमको ही हमारे इस शरीर के भुख को शांत करना पड़ेगा।
राजेश _मै तो आप दोनो की सेवा करने लिए सदैव तैयार हूं।
सुमित्रा भी नीचे बैठ गई और राजेश की लंड को मुंह में भरकर चुसने।
सुनीता राजेश की अंडकोष चाटने लगी।
सुनीता और सुमित्रा बारी बारी से राजेश का लंड चुसने लगी, फिर सुमित्रा सुनिता के पीछे गई और सुनिता को बुर चाटना शुरू कर दी।
सुनीता चौकते एवम सिसकते
हुए बोली _भाभी ये क्या कर रही है आप?
सुमित्रा _अरे सुनिता, असली मजा तो chut चटवाने से मिलता है।
और वह ग्लेप ग्लाप अपनी जीव से सुनिता की chut चाटने लगी।
इधर सुनिता सिसक् भी रही थी और राजेश का लंड भी चूस रही थी।
तीनो अपने बचे खुचे कपड़े उतार कर नंगे हो गए।
सुनीता _आह मां, उन , भाभी अब बस करो अब मूझसे बर्दास्त नही हो रहा।
सुमित्रा चूसना बंद कर दी।
सुमित्रा _राजेश लो बेटा, डाल दे अपना मूसल अपनी मां की बुर में बुझा दे इसकी प्यास।
राजेश अपनी मां के मुंह से लंड निकाल कर सुनिता के पीछे चला गया सुमित्राने राजेश कालंड पकड़ा और लंड सुनिता के बुर के छेद पर सेट कर दिया। राजेश ने बुर में लंड डालकर भचा भच चोदना शुरू कर दिया।
पूरा कमरा सुनिता की मादक सिसकारी और चीख से गूंजने लगी। इधर सुमित्रा नीचे बैठ कर एक उंगली से अपनी बुर रगड़ रही थी और अपनी जीव से सुनिता की बुर की पानी जो राजेश के अंडकोष से होकर नीचे टपक रहा था, उसे चांट रही थी।
इधर राजेश सुनिता को घोड़ी बना कर, तेज गति से भच भच चोद रहा था।
सुनीता और राजेश दोनो जन्नत में पहुंच गए थे। संभोग के असीम आनद को प्राप्त कर रहे थे। राजेश जोश में आकर और जोर जोर से गच गच चोदना शुरू कर दिया।
सुनिता ज्यादा देर तक अपने को रोक न सकी और और जोर से चीखते हुए झड़ने लगी।
आह मां मै गई re,, आह माई,,,
राजेश ने बुर ठोकना बंद कर दिया और वह भी सुस्ताने लगा।
फिर राजेश न सुनीता के बुर से लंड निकाल लिया और सुमित्रा को बेड के किनारे लिटा दिया। और कुछ देर उसकी बुर चाटने के बाद अपना लंड बुर में गच से पेल दिया, उसकी दोनो टांगें अपनी कंधे पे रख कर दना दन चोदना शुरू कर दिया।
लंड का टोपा बच्चेदानी को ठोक रहा था। पूरा कमरा सुमित्रा की चीख और कामुक सिसकारी से गूंजने लगा।
इधर सुनिता होश में आई, राजेश ने अपने पास बुलाया फिर अपना लंड सुमित्रा के बुर से बाहर निकाल दिया, सुनिता ने राजेश का लंड अपनी मुंह में भरकर ग्लप ग्लैप चुसने लगी। फिर लंड को अपने हाथों से सुमित्रा के बुर के छेद पर सेट करने को थी की राजेश ने कहा
मां लंड को गाड़ के छेद में रखो मैं मामी की गाड़ मारूंगा।
सुमित्रा _ बेटा, क्या कह रहा है गाड़ भी कोई मारने की चीज है।
राजेश _मामी शायद आपको पता नहीं आज कल की लड़किया गाड़ मराना पसंद करती हैं। एक बार आप भू मरा कर देखो आपको भी बहुत मज़ा आयेगा।
सुमित्रा _न बाबा मुझे नही करना ऐसा गंदा काम।
सुनीता _बेटा तुम्हारा इतना मोटा और बड़ा है गाड़ की छेद इतनी सकरी, कैसे जा पाएगा इसके अंदर, और कौन ले पाएगा अपनी गाड़ में इतना बड़ा लंड।

राजेश ने बिना सोचे जोश में कह दिया, प्रिया दी तो लेती है।
सुनीता _बेटा, तू ये क्या कह रहा है।
राजेश हड़बड़ा गया ओ नो ये मेरे मुंह से क्या निकल गया।
सुनीता _क्या तूने प्रिया के साथ, भी,,
सुमित्रा _सुनिता, ये लड़का तो पूरा बिगड़ गया है, अपनी बहन का भी ले डाला।
सुनीता _अब चुप चाप खड़ा क्यू है बोलता क्यू नही।
राजेश _ओ मां, मै उस दिन प्रिया दी के घर रुका था न तो हम दोनो बहक गए।
सुनीता _तूने प्रिया के साथ जबरदस्ती तो नही किया?
राजेश _नही मां, जो भी किया, उसकी सहमति से किया। दीदी खुद होकर अपनी गाड़ मरवाई।
बता रही थी की उसे गाड़ मरवाने की आदत है, पिंकी के होने के बाद फिर से गर्भ ने ठहर जाए करके जीजू प्रिया दी के गाड़ मारने लगे।
सुनीता _हूं दिखने में तो बडी भोली लगती है प्रिया,,
सुमित्रा _अरे तुम और मैं भी तो भोली थी पड़ गए न इस मुआ के चक्कर में।
प्रिया _वह भी बेचारी इसके चक्कर में आ गई होगी।
अब बस करो अपनी राम कहानी मेरी बुर में आग लगी है उसे बुझा।
राजेश ने फिर से सुमित्रा के बुर में लंड फिर गच से ठेल दिया। और जोर जोर ठोकना शुरू कर दिया।
सुमित्रा तो स्वर्ग में पहुंच गई।
सुमित्रा _आज, चोद बेटा और जोर से चोद फाड़ दे अपनी मामी की chut निगोडी दिनभर बहुत परेशान करती है।
राजेश और जोर जोर से ठोकने लगा।
सुमित्रा _आह, माई,, उन,,, आह गई रि उन मां,,
जोर से चीखते हुए झड़ने लगी।
राजेश ने चोदना बंद कर अपनी मां की ओंठ चूसना शुरू कर एक हाथ से उसकी योनी सहलाने लगा। जिससे सुनिता फिर गर्म हो गई।
राजेश बेड पर जाकर पीठ के बल लेट गया।
उसका लंड हवा में लहरा रहा था। वह अपने लंड को एक हाथ से सहलाते हुए दूसरे हाथ से अपनी मां को इशारा कर ऊपर बुलाया।
सुनीता बेड के ऊपर चढ़ गई और लंड के सिध में दोनो पैर फ़ैला कर खड़ी हो गई। फिर नीचे बैठी लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपने बुर की छेद में रखकर बैठ गई।
लंड बिना किसी अवरोध के बुर में समाहित हो गया।
सुनीता लंड पर पहले धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगी।
जब उसको मजा आने लगी तोअपना गति बड़ाने लगी। राजेश ने अपनी मां की चूची मुंह में भरकर चुसने लगा।
फिर वह अपनी मां की क़मर को अपने हाथों से पकड़ कर, अपनी क़मर उठा उठा कर सुनिता का बुर में लंड अंदर लेने में सहयोग करने लगा।
दोनो को फिर से बहुत मजा आने लगा।
सुनीता अब जोर जोर से लंड पर उछल उछल कर चुदने लगी।
राजेश भीं क़मर को पकड़कर अपनी लंड में पटक पटक कर सुनिता को चोदने लगा।
दोनो गिर से जन्नत में पहुंच गए।
सुनीता के मुंह से लगातार कामुक सिसकारी और चीख निकलने लगी। इधर सुमित्रा दोनो की चूदाई देखकर फिर गर्म हो गई थी, वह अपनी बुर को अपनी हाथो से सहला रही थी, उंगली अंदर बाहर करने लगी।
इधर सुनिता उछल उछल कर लंड को बुर में ले रही थीं।
पर ज्यादा देर तक अपने को रोक न पाई और फिर झड़ने लगी। राजेश ने सुनिता को अपनी सीने से लगा कर उसकी पीठ सहलाने लगा।
कुछ देर बाद सुनिता एक और लुड़क गई। वह बुरी तरह थक चुकी थी।
इधर राजेश का लंड अभी भी, खड़ा था। उसने अपनी मामी को ऊपर आने का इशारा किया।
सुमित्रा ऊपर आई और राजेश की ओर पीठ कर उसकी लंड को अपने बुर में सेट कर बैठ गई।
लंड एक बार फिर सुमित्रा के बुर में समाहित हो गया।
अब राजेश ने सुमित्रा की क़मर पकड़कर अपने लंड उसकी बुर में अंदर बाहर करना शुरू किया।
सुमित्रा भी अपनी क़मर को आगे पीछे लंड बुर में लेने लगी।
धीरे धीरे राजेश ने अपना गति बढ़ाया।
सुमिता फिर से स्वर्ग की सैर करने लगी वह भी अब अपने कूल्हे को राजेश के लंड पर पटक पटक कर चुदने लगी।
राजेश और सुमित्रा के मुंह से आह, ऊ,, उई मां,, आई,, आह,
राजेश आह, बहुत मजा आ रहा मेरी जान आह, ऊ और उछल, ले ले पूरा आह क्या मस्त मॉल है तू, आह। मां को चोदने के बाद सबसे ज्यादा मज़ा तुमको चोदने में आता है।
सुमित्रा _मै तो तेरी गुलाम हो गई re कितना मजा देता है तू, पूरा जन्नत की सैर करा देता है,, आह मां आई उन,,,
कुछ देर इसी पोजीशन में ठोकने के बाद राजेश उठ गया और सुमित्रा बेड पर घोड़ी बन गई।
राजेश अपना लंड बुर में डाल कर गच गच चोदने लगा।
सुमित्रा _चोद बेटा और जोर से चोद आह माई,,,
फाड़ दे मेरी chut आह,, डाल दे अपना बीज मेरी बुर में, अगर मर्द है तू तो बना दे अपने बच्चे की मां। मिटा दे मुझ पर बाज का लगा कलंक,,,,
सुनीता उठ कर बैठ गई।
सुनीता _चोद बेटा और चोद अपनी मामी को अगर तूने मेरी दूध पिया है तो छोड़ दे अपना बीज, भाभी की कोख में, बना दे अपने बच्चे की मां।
राजेश अपनी मां की बात सुनकर और जोश में आ गया और सुमित्रा की बुर तेज गति से चोदने लगा।
राजेश _आह मामी, ले chud मेरे से, ले, एक और ले ले,, आह, बन जा मेरे बच्चे की मां,, आह मां मै गया।
सुनीता राजेश की पीठ सहलाने लगा।
इधर राजेश ने अपना सारा वीर्य सुमित्रा के कोख में भर दिया गर्म गर्म वीर्य को अपनी गर्भ में जाने का एहसास पाकर सुमिता फिर से एक बार झड़ गई।
तीनो बुरी तरह थक चुके थे।
राजेश बेड पर लेट गया और सुनीत, सुमित्रा दोनो उसके आजू बाजू उसके कंधे पर सिर रख कर सो गए।
अचानक सुनिता की नींद खुल जाती है वह घड़ी की ओर देखि तो सुबह के 4बज चूके थे।
सुनीता _भाभी उठो सुबह के चार बज गाए।
सुमित्रा_सोने दे न सुनिता।
सुनीता _भाभी चलो अपने कमरे में वहा जाकर सो जाना, यहां रुकना ठीक नही, चलो उठो।
सुनीता ने सुमित्रा को जबरदस्ती उठाया।
राजेश की नींद भी खुल गई।
सुनीता _अरे बेटा तू भी उठ गया, तू सो जा बेटा,,
इधर सुमित्रा और सुनिता दोनो अपनी अपनी कपडे पहन कर अपने कमरे में चली गई।
कुछ दिन बाद प्रिया ने सुनिता को फ़ोन किया।
प्रिया _बुआ, चाची को ले आना उसका कुछ चेक अप करना है।
सुनीता _ठीक है प्रिया हम 12, बजे पहुंच जाएंगे।
सुनीता और सुमित्रा दोनों आटो से हॉस्पिटल पहुंच गए।
प्रिया के केबिन में जाकर उससे मिली।
प्रिया _चाची मैने आपको कहा था की आपका मासिक धर्म जैसे ही सुरू हो उसके 3दिन बाद हॉस्पिटल आना तुम्हारी जांच होगी और दवाइया लेनी होगी। पर इतने दिन हो गए आपने मासिक धर्म के बारे में मुझे जानकारी नहीं दी।
सुनीता _हा, भाभी, आपने बताया नही।
सुमित्रा _क्या बताऊंगी सुनिता, मेरी तो मासिक धर्म इस माह समय पर आया ही नहीं है एक सप्ताह हो गए।
प्रिया _क्या? पर पहले तो आपका मासिक पीरियड समय पर आता था तो इस बार लेट कैसे हो गया।
सुमित्रा _पता नही बेटी इस बार कैसे लेट हो गया।
ठीक है चलो मेरे साथ कुछ टेस्ट करते है।
प्रिया ने सुमित्रा की गर्भाशय की जांच किया वह चौंक गई, यह जानकर की उसकी चाची पेट से है।
जांच कर लेने के बाद,
सुनीता _बेटी, सब ठीक तो हैं न।
प्रिया _बुआ, चाची पेट से है।
सुमित्रा और सुनिता दोनो चौंक गई।
सुमित्रा और सुनिता दोनो एक दूसरे का मुंह देखने लगे।
प्रिया _चाची, चाचा जी तो गांव में है फिर ये चमत्कार हुआ कैसे?
सुनीता _अब तुमसे क्या छुपाना बेटी ये सब उस बाबा और राजेश का किया धरा है।
सुमित्रा और सुनिता ने सारी बातें प्रिया को बता दिया।
प्रिया हसने लगी,,,
लो अब आईवीएफ की जरूरत ही नहीं पड़ी। राजेश ने तो कमाल कर दिया।
गजब की मर्दानगी है उसमे।
सुनीता _हा हा जानते है तुमने भी देखि है उसकी मर्दानगी।
प्रिया चौकते हुवे,,
क्या, बुवा ये आप कह रही हो,,
सुमित्रा _मुआ ने जोश में सब बक दिया।
प्रिया _राजेश से मुझे ये उम्मीद नहीं थी। मिलने दो मुझे, फिर बताती हूं,,
सुमित्रा _अरे अब छोड़ों भी huwa सो huwa अब तो तीनो ही राजेश की रखैल बन गए हैं,,, अब एक दुसरे से क्या छिपानाऔर घबराना?
तीनो हसने लगे।
सुनीता _पर प्रिया हम भैय्या से क्या कहेंगे?
प्रिया _अरे बुवा हम चाचा जी से कह देंगे की आईवीएफ द्वारा चाची गर्भ धारण की, उसके वीर्य का सैंपल लेने कल बुला लेते है फिर बाद मे उसे कह देंगे की आपका वीर्य में शुक्राणु की गतिशीलता कम थी इसलिए राजेश की सुक्राणु के इस्तमाल किया गया।

तीनो फिर हसने लगे,,
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सुनीता अपने बेड से उठी और आईने के सामने आकर, अपने कपड़े ठीक की, थोड़ा मेकप किया अपने शरीर पर सुगंधित इत्र को छिड़की और राजेश की कमरे की ओर जानें लगी।
जब वह राजेश के कमरे के सामने पहुंची, उसने दरवाजे को धक्का दिया पर दरवाजा खुला नही, अदंर से बंद था।
सुनीता दरवाजा खटखटाना चाही, पर उसे लगा की दरवाजा खटखटाई तो स्वीटी उठ जाएगी।
वह निराश हो गई। उसकी chut में आग जो लगी थीं।
वह निराश होकर, अपने कमरे में जाकर फिर से लेट गई। और सोने की कोशिश करने लगीं।
लेकिन उसकी बुर की खुजली गई नही थी, वह अपनी बुर को जैसे ही खुजाई,chut की खुजली और बढ़ने लगी। वह अपनी एक उंगली से अपनी बुर की भगनाशा रगड़ने लगी, जिससे उसकी chut की आग और धधकने लगी, अब उसे बर्दास्त करना मुस्किल हो गया।
वह अपने पति की ओर देखा जो इस समय नींद में खर्राटे भर रहा था।
उसे पहली बार अपने पति पर गुस्सा आया,
देखो तो इन्हे तो मेरी कोई चिंता ही नही है, मेरी chut में आग लगा कर कैसे बेफिक्र होकर सो रहा है।
अगर यह आग नही बुझी तो लगता है आज मै मर ही जाऊंगी।
तब उसने अपने मोबाइल पे राजेश को मिस काल किया।
राजेश सो रहा था।
जब उसकी मोबाइल बजने लगा तो, उसकी नींद खुल गई।
उसने देखा मां ने काल किया है,, इस वक्त
उसने काल उठाया, पर सुनीता ने काल काट दी।
राजेश _मां ने मोबाइल रख दिया,,, आखिर बात क्या है?
इधर सुनीता ने राजेश को वॉट्सएप पे मेसेज की,,
बेटा सो गया था क्या?
राजेश ने वॉट्सएप पर मेसेज पड़ा, और जवाब दिया,,

राजेश _मां इस समय , कुछ काम था क्या?
सुनीता ने और राजेश के बीच चैटिंग होने लगीं,,
सुनीता _हां, बेटा काम तो था, पर सोचती हूं रहने ही दो, क्यू खामोखा तुम्हारी नींद खराब करू।
राजेश _मां बताओ ना, क्या काम है इसमें नींद खराब की क्या बात? आपके लिए तो मैं सारी उम्र जागने तैयार हूं।
सुनीता _वो बेटा क्या है कि आज काफी दिनों बाद होटल में डांस की न तो लगता है मेरी कमर पकड़ लिया। कमर दर्द कर रही है। मूव से मालिश कर देते तो, कुछ राहत मिल जाती।
राजेश _बस इतनी सी बात, मै तो डर ही गया था। कही कोई बड़ी समस्या तो नहीं।
सुनीता _नही बेटा, और कोई समस्या नहीं है।
तुम्हारे पापा तो नींद में खर्राटे भर रहा है,उसे जगाना उचित नहीं समझी।
राजेश _पर मां आज तो आप दोनों की सादी की सालगिरह है न, आज तो पापा को जागना चाहिए। आज भी इतना जल्दी सो गया।
सुनीता _अरे बेटा तुम्हारे पापा जाग कर करेंगे भी क्या?
राजेश _क्यू मां, आज की रात को पति को जागकर अपनी पत्नी को खूब प्यार करना चहिए।
सुनीता _अरे बेटा, इस उम्र में रात भर जाग कर पत्नी से प्यार करना हर किसी की बस की बात थोड़े ही है।
राजेश _मां इसका मतलब पापा आपको उसकी सैर कराने नही ले गए।
सुनीता _किसकी सैर बेटे मै कुछ समझी नहीं।
राजेश _मां, उसकी सैर मां जहां पति अपनी पत्नी को ले जाता है?
सुनीता _बेटा, मै सच में समझी नहीं, ठीक से बताओ।
राजेश _मां तुम भी न जानकर भी भोली बनती हो।
जन्नत की बात कर रहा हूं,,
सुनीता _बेटा, तुम्हारे पापा तो मुझे कभी नहीं ले गए मुझे जन्नत की सैर कराने।

वैसे भी बेटा ये जन्नत है कहा जो कोई सैर करने जाए।
राजेश _मां ये क्या कह रही हो? आप ही ने तो बताया था कि जब एक मर्द स्त्री को जी भर कर ओ करता है तो स्त्री को जन्नत का मज़ा मिलता है।
सुनीता _क्या करने से स्त्री जन्नत में पहुंच जाती है बेटा, मै कुछ समझी नहीं,,
राजेश _मां आप ने ही तो बताया था, आज भोली बन रही हो,,
सुनीता _अरे बेटा मै ने तुम्हें क्या बताया था मुझे तो कुछ याद ही नहीं रहा,,
खुल कर बताओ।
राजेश _खुल कर, बताया तो आप बुरा मान जाएगी।
सुनीता _अरे नही बेटा मै बुरा नही मानूंगी बताओ,,
राजेश _मां आपने ही तो कहा था कि एक मर्द जब स्त्री को जी भर कर चोदता है तो औरत को खूब मज़ा आता है वह जन्नत में पहुंच जाती है।
सुनीता ने जब चोदता शब्द पड़ी तो उसकी दिल जोरो से धड़कने लगी उसकी बुर पानी छोड़ने ने।
उसने राजेश को मेसेज की,,
सुनीता _औरत को जन्नत में ले जानें के लिए बेटा पुरुष के राकेट काफी मजबूतऔर उसमे ईंधन भी खूब होना चाहिए।
राजेश _मतलब पापा आपको जन्नत की सैर नही करा पाए।
सुनीता _बेटा तुम्हारा पापा का राकेट तो कुछ दूर उड़ान भरने के बाद क्रेश हो जाता है, वो कहा किसी औरत को जन्नत पे ले जायेगा।
राजेश _तो ये बात है?
मां आप बुरा न मानें तो एक बात कहूं,,
सुनीता _क्या? कहो ना,
राजेश _नही मानूंगी बाबा, बोलो।
राजेश _
मां आपको निराश होने की आवश्कता नही है। आप चाहो तो मेरे राकेट में बैठ कर जन्नत की सैर कर लो।
मेरा राकेट में खूब ईंधन है। वह तुम्हें जन्नत की सैर कराकर ही लौटेगा। वैसे आप पहले भी तो मेरे राकेट पे बैठ चुकी हो।
आप ही बताओ मेरे राकेट ने आपको जन्नत की सैर कराया था की नही,,
राजेश _मां, बताती क्यू नही?
ठीक है आपको नही बताना है तो चैटिंग बंद करता हू।
तभी सुनीता ने मेसेज की,
सुनीता _हां,
राजेश _क्या, हां मां पुरा जवाब दो।
सुनीता _मुझे लिखने में शर्म आ रही,,,
राजेश _अच्छा ठीक है मैं जो आपसे पूछुंगा उसका हां या न में सच सच जवाब देना,,,
बोलो दोगी,,,
नही तो चैट करना बन्द करते हैं,,
सुनीता _ठीक है बाबा,, पूछो,
राजेश _ये हुई न बात।
अच्छा बताओ,,,
आज आपको पापा पर बड़ा गुस्सा आ रहा है? हा या न
सुनीता _ये कैसा प्रश्न है?
राजेश _सच सच जवाब दो नही तो mobile रखता हूं।
सुनीता _तुम भी न बहुंट जिद्दी हो,,
राजेश _ये मेरे सवालों का जवाब नही है।
लगता है आपका मन नही जवाब देने की, मै मोबाइल रखता हूं
सुनीता _हां बाबा, मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा है तुम्हारे पापा पे।
राजेश _गुड ये हुई न बात।
मेरा दूसरा प्रश्न।
आज आपके कमर पे कोई दर्द नही हो रहा, तुम मुझसे झूठ बोल रही हो।
सुनीता _हां।
राजेश _मेरा तीसरा प्रश्न।
तुम्हें चुदने का बड़ा मन कर रहा है।

सुनीता _छी कितना गंदा सवाल पूछता है, बेशरम कही का।
राजेश _आपको उत्तर नही देना है तो मोबाइल रखो। मै भी सो जाता हूं।
सुनीता _तू तो बेशर्म है ही मुझे भी बेशरम बनने के लिए मजबूर कर रहा है।
राजेश _मां मैंने तो सिर्फ हा या न में जवाब पूछा है।
अब तुमको नही बताना है तो फ़ोन रख दो।
नही तो बताओ, आज तुम्हें चुदने का बड़ा मन कर रहा है न।
सुनीता _हां,,
गुड
राजेश _अब मेरे आखिरी प्रश्न का जवाब दो।
क्या तुम मुझसे चुदवाना चाहती हो,,,
बोलो,,,,
जल्दी जवाब दो,,
नही तो,,,,
चैटिंग बंद करो,,
जल्दी बताओ,,
सुनीता _हा,
सुनीता बडी मुस्किल से लिख पाई, इस समय उसे चुदने का बड़ा मन था। इस लिए बेशर्म बनकर जवाब दें दी।

राजेश _ये हुई न बात।
लेकिन मेरी एक शर्त है?
सुनीता_कैसी शर्त?
राजेश _आज हम सुहाग रात मनाएंगे, कल हनीमून।
सुनीता _मै कुछ समझी नहीं।
राजेश _आज रात भर तो खेलेंगे ही, कल मै कालेज नही जाऊंगा।
और घर में केवल मै और आप रहेंगी।
स्वीति के कालेज से आ जानें तक हनीमून मनाएंगे।
और आप मेरा हर कहा मानोगी। बोलो,,
सुनीता _मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर नहीं,,,
राजेश _ठीक है मत मानो, मै भी सो जाता हूं मुझे भी बडी नींद आ रही है।
ओके गुड नाईट मां। स्वीट ड्रीम्स।
राजेश ने मोबाइल रख दिया।
इधर राजेश के साथ चैटिंग करने के बाद सुनीता की बुर और अधिक पानी बहा रही थी।
उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे?
इधर राजेश का land भी इस गर्म गर्म चैटिंग से खड़ा होकर झटके मार रहा था।
उसे लग रहा था कि मां उसके कमरे में जरूर आएगी।
इधर सुनीता को बर्दास्त नही हो रहा था आखिर वह मजबूर होकर राजेश की कमरे की ओर जानें से पहले कीचन में गई और बादाम वाली दूध गिलास में ले लिया।
वह राजेश के कमरे के पास जाकर,दरवाजे को हल्के से धेकेली दरवाजा खुल गया।
राजेश को यकीन था की उसकी मां जरूर आएगी।
वह दरवाजे को खोल कर रखा था।

जब कमरे के अदंर प्रवेश की सुनीता ने अपने सिर पर घुघट डाल ली।
राजेश अपने बेड से खड़ा हो गया।
राजेश _मां मुझे यकीन था आप जरूर आएंगी।
सुनीता ने गिलास आगे बढ़ाते हुवे बोली,,
लो ये दूध पिलो,,
राजेश ने सुनीता को बेड में बिठा दिया।
राजेश _मै यह दूध तभी पियूंगा जब तुम मेरा शर्त मानोगी।
बोलो क्या तुम्हें मेरा शर्त मंजूर है?
सुनीता ने घूंघट के अदंर से हा में सिर हिलाया।
राजेश _ये हुई न बात!
राजेश _अब देखना मै कैसे आपको 18घंटे तक जन्नत की सैर कराता हूं?
राजेश दूध का गिलास लेकर, पीने लगा।
दूध पीने के बाद वह बेड पर चढ़कर सुनीता के सामने बैठ गया।
अपने दोनों हाथों से घूंघट पकड़ कर धीरे धीरे उपर उठाया।
सुनीता अपनी आंखे बंद कर रखी थी ।
राजेश _सुनीता की चेहरे को देखकर बोला।
मां कितनी खुबसूरत हो तुम, स्वर्ग की अप्सरा मेनका लग रही हो।
आंखे खोलो न।
सुनीता अपनी दोनों हाथी से अपनी चेहरा छिपाने लगी।
सुनीता _मुझे शर्म आ रही।
राजेश ने अपने दोनों हाथों से सुनीता की हाथ को पकड़ कर हटाया फिर उसकी माथे को चूम लिया।
सुनीता अपनी आंखे फिर से बंद कर ली।
राजेश अब सुनीता की ओंठ को चूमा।
सुनीता सिसक उठी।
राजेश सुनीता की गालों फिर गर्दन को चूमते हुए नीचे बड़ा।
उसकी चुनरी निकाल कर अलग कर दिया।
अब वह घाघरा और चोली में थी।
राजेश ने सुनीता को बेड पे लिटा दिया।
फिर उसकी गर्दन चूमते हुए नीचे बढा।
वह उसकी चोली का बटन खोल दिया।
सुनीता ब्रा नही पहनी थी।
चोली खुलते ही, सुनीता की चूची आजाद हो गया। राजेश ने दोनों चूचियों को मुंह में भर कर बारी बारी से चूसने एवम मसलने लगा।
सुनीता और अधिक गर्म हो गई, उसकी बुर पानी छोड़ने लगी।
राजेश नीचे गया और सुनीता की नाभी को चूमते चाटने लगा।
सुनीता के मुंह से सिसकारी निकलने लगी।
राजेश घाघरा को भी निकाल कर फेंक दिया। सुनीता पेंटी पहनी नही थी।
घाघरा खुलते ही, मस्त फूली हुई चिकनी chut राजेश के आंखो के सामने आ गया।
राजेश देर न करते हुए सुनीता की बुर को चाटने लगा।
जिससे सुनीता अत्यंत कामोत्तेजित हो गई।
सुनीता _बस कर बेटा, मुझसे और बर्दास्त नही होगा।
पर राजेश नही रुका, वह चाटता रहा।
सुनीता से बर्दास्त करना मुस्किल हो गया। वह अत्यंत उत्तेजित हो कर अपना सर पटकने लगी।
सुनीता _आह मां,, मर जाऊंगी मैं, बस कर अब चोद मुझे।
बेटा अब चोदो मुझे, मै मर जाऊंगी,,,,
सुनीता चीखी,,,
राजेश रुका नहीं और बुर की भग्नाशा को चाटने लगा।
सुनीता _आह मां मर गई मै,,,
अब चाटना बंद कर चोद मुझे,,
सुना नही, भड़वे मैंने क्या कहा?
अगर तू अपने मां का दूध पिया है तो चोद मुझे मादरचोद।
हवस में आकार सुनीता के मुंह से अब गाली निकलने लगी।
राजेश मुस्कुराने लगा,,
सुनीता _अरे भड़वे, तूने सुना नही मैंने क्या कहा? अब फाड़ मेरी बुर अपने घोड़े जैसी लैंड से। साले मुझे तड़फा रहा है,,,
राजेश _साली, गाली बकती है।
रण्डी की तरह, अब देख तेरी बुर कैसे फाड़ता हू।
राजेश ने अपना सारा कपड़ा निकाल कर पुरा नंगा हो गया।
और अपना लैंड सुनीता के मुंह में डाल दिया।
ले साली चूस, पहले मेरे लौड़े को।
सुनीता राजेश के land को मुंह में लेकर चूसने लगे।
राजेश उसका सिर पकड़ कर land उसके मुंह में अदंर बाहर करने लगा।
सुनीता, खो खो, करने लगी,,,
राजेश अब खड़ा हो गया।
वह सुनीता की कमर को उठाया और उसके नीचे तकिया लगा दिया।
फिर उसकी टांगो को फैला कर खुद उसके बीच उकड़ू बैठ गया।
अब राजेश अपना land पकड़ कर सुनीता की योनि द्वार में रख कर एक जोर का धक्का मारा।
फ़च की आवाज़ करता huwa लौड़ा बुर चीरकर आधा से ज्यादा अदंर चला गया ।
सुनीता _शाबास मेरे शेर,,, एक और जोर लगा, डाल दे पुरा अदंर,,
राजेश _ले साली,,,,
राजेश एक और जोर का धक्का मारा, पुरा land बुर के अदंर चला गया।land का टोपा सीधा बच्चे दानी से टकराया।
सुनीता _आह मां, मर गई रि,,,
राजेश अब दोनों हाथो से सुनीता की मस्त सुडौल चुचियों को थाम कर अपना लौड़ा सुनीता की बुर मे दनादन पेलना शुरु किया।
सुनीता के मुंह से चीख एवम कामुक सिसकारी निकल कर कमरे मे गूंजने लगी ।
राजेश इसी पोजीशन में लगातार सुनीता की गच गच चोदने लगा।l
सुनीता की योनि से पानी झरने की तरह बह रही थी।land बिना किसी रोक टोक के गप गप अदंर बाहर हो रहा था जिससे सुनीता जन्नत में गई।

वह राजेश को अपने टांगो से जकड़ ली और अपनी क़मर उसका सहयोग करने लगी।
राजेश _ले साली ले,, एक और ले आज तो तेरी बुर फाड़के ही रहूंगा। तेरी सारी खुजली आज ही दूर कर दूंगा।
सुनीता _चोद साले चोद, अपनी मां को और जोर से चोद, मादरचोद, बुझा मेरी प्यास, और जोर लगा, मेरी दूध नहीं पिया है क्या फाड़ मेरी chut
राजेश _साली रण्डी, आज से तुम मेरी रखैल है, तुम्हें तो रोज ही चोदूंगा, क्या मस्त मॉल है तू।
कसम से तेरी chudai में जो मजा आता है वह और कही नही,,
ले भोंसड़ी के chud अपने बेटे से,

राजेश और जोर जोर से चोदने लगा,

सुनीता _चोद भड़वे चोद, मै आने वाली हु, और जोर लगा,, सारी ताकत खतम हो गई क्या साले,,, चोद मुझे,,,
राजेश _और कस कस कर चोदते हुवे, दोनों हाथो से सुनीता की मस्त सुडौल चुचियों को मसल मसल कर दनादन चोदता रहा। ले साली, ले,,chud अपने बेटे के land से ,,,,
सुनीता अपने को और रोक न सकी और चीखते हुए झरने लगी,,
आह मां,, मै गई रि,,,,,, आह,,,,
वह राजेश को कसकर लपेट ली।
राजेश सुनीता के उपर लेट कर, उसकी ओंठ चूसने लगा।
सुनीता बिलकुल मूर्छित अवस्था में पड़ी रही।
राजेश भी अपना खड़ा land सुनीता की बुर में डालकर सुस्ताने लगा और अपना खोया ताकत फिर से प्राप्त करने लगा।
जब सुनीता होस में आई,,,
सुनीता _बेटा अब बस करो,,,
राजेश _क्या huwa मां शर्मा क्यू रही हो।
सुनीता _छी मै हवस में आकर, कितनी गंदी गंदी गालियां बक रही थी,,,
राजेश _मां मुझे, बुरा नही लगा,, मुझे तो और ज्यादा मज़ा आया, तुम्हारि मुंह से गालियां सुनकर मेरा जोश और बढ़ जाता है?
सुनीता _क्या तू सच कह रहा है?
राजेश _हां, बडा मजा आता है जब आप मुझे मादर चोद कहती है।
सुनीता _अच्छा,,
मै थक गई हूं थोड़ा सुस्ताने दे फिर कर लेना,,
Rajesh _क्या कर लूंगा? मै समझा नही?
सुनीता _अरे चोद लेना अपनी मां को। तू पुरा बेशरम है और मुझे भी बेशरम बना दिया है।
राजेश _सच मां तुम्हारी chudai में जो मजा आता है। वैसा कही और नही,,
सुनीता _चल हट झूठा कही का मेरी ढीली बुर में ज्यादा मज़ा आता है?
अब तक तूने कोई कुंवारी chut नही मारी है न इसलिए,,
जिस दीन तूने कुंवारी chut मार लिया अपनी मां की chut भूल जाएगा ।
सुनीता को मालूम नही था की राजेश ने स्वीटी का सिल तोड़ चुका है।
राजेश _अरे नही मां, जिस बिल से निकले हो उसी बिल में जानें में जो मजा है न वो मजा कही और नही। एक अलग ही मजा आता है।
सुनीता _अच्छा तो ये बात है।
राजेश _मां, अब दूसरा राउंड हो जाए।
सुनीता _बेटा, पहले मुझे तैयार तो करो।
राजेश सुनीता की बुर से अपना land निकाला और उसकी बुर को मुंह में भर कर चूसने लगा।
कुछ ही देर में फिर से सिसकने लगी,,
उसकी बुर में फिर से पानी भर गया।
सुनीता _बेटा, अब बस कर, अब चोदो मुझे,, अपने मूसल जैसे land से।
राजेश बुर चाटता रहा,, जिससे सुनीता फिर बहुत गर्म हो गई,,,
सुनीता _अबे कुत्ते, चाटता ही रहेगा की चोदेगा भी,,
तेरा बाप तो सिर्फ आग लगा ना जनता है बुझाना नही, साले तुभी सिर्फ चाट चाट कर आग भड़का रहा है,,, चोद मुझे भड़वे चोद अपनी मां को,,,
राजेश _साली रण्डी, तुम्हें तो kutiya बनाकर चोदूंगा। बन साली kutiya साली लौड़ी के,,,
सुनीता kutiya बन गई।
राजेश उसकी चुतड़ को चाटने लगा। उसकी गाड़ चाटने लगा।
जिससे सुनीता की हालात और खराब हो गई,,
सुनीता _अब डाल न re हराम खोर, क्यू तडफा रहा है अपनी मां को,, रण्डी की तरह चोद भड़वे,,,
राजेश _ले साली सम्हाल मेरे लौड़े को,,,
राजेश ने सुनीता की योनि के द्वार पर रख कर एक जोर का धक्का मारा जिससे land बुर को फाड़कर सरसराता huwa एक ही बार में अदंर घुस गया।
सुनीता _आह मां,,
कितना बडा है रि तेरा पुरा अदंर तक ठोकता है साला।
लगता है पेट में किसी ने रॉड डाल दिया है।
अब राजेश सुनीता की क़मर पकड़ कर अपने लौड़े को सुनीता की बुर में डालना शुरू कर दिया।
Land बुर में गच गच अदंर बाहर होने लगा।
सुनीता फिर सी एक बार जन्नत मे पहुंच गई।
सुनीता _, क्या मस्त चोदता है रि तू, आह मां,,,
आह सच में स्वर्ग की सैर कराता है re,,
आज से मैं तेरी रखैल,
मेरी असली मर्द तू है,,,
राजेश _साली, मै जब मांगूंगा मुझे देगी बोल।
सुनीता _हा, मै तेरी रखैल तू जब चाहेगा तुम्हें दूंगी,,
आह चोदो मुझे और जोर से,,
आह मां,,, मर जाऊंगी,,,
Chudai में ऐसा मज़ा, आह,, तू ही मेरा इस शरीर का असली मालिक है।
भोगों मुझे,,,,,
सुनीता चीखी _
राजेश,_, ले साली,kutiya,chud अपने बेटे के land से, जिस से ये बाहर निकला है आज फिर अदंर जाकर ही मानेगा ये,,
ले एक और ले
राजेश दनादन चोदता रहा,,
सुनीता की कामुक सिसकारी कमरे में गूंजती रही,,,
सुनीता _, आई,, आए आह मां ई,,,,
चोदो मुझे और जोर जोर से, चोदो मादरचोद,,,, अरे मैं तो भूल ही गई थीं की तू अपनी बहन प्रिया को भी चोद कर बहन चोद बन गया है।
राजेश _, अरे हां हा, मै मादरचोद हू, मै बहंचोद हू। मै मामी चोद भी हूं।

ले chud मुझसे, ले और ले साली, मर्दखोर कही की।
राजेश और जोर जोर से चोदने लगा।
कमरे में gach gach फैच फाच की आवाज़ गूंज रही थी।
सुनीता तो जन्नत की सैर कर रही थीं लगातार उसके मुंह से मादक सिसकारी निकल कर कमरे मे गूंज रही थी।
आह उन,, आह उई मां,,,
राजेश gach gach बुर चोदे जा रहा था। तभी उसकी नजर सुनीता की गाड़ पर पड़ी जो फूल और पिचक रहा था।
राजेश ने एक उंगली सुनीता की गाड़ में घुसा दिया।
सुनीता _अबे साले, पहले मेरी बुर की प्यास तो बुझाले तब गाड़ मारने की योजना बनाना,,
राजेश _चुप साली, बाकचोदी कही की क्या मस्त गाड़ है तेरी आज तो मैं गाड़ और chut दोनो फाडूंगा,
और राजेश एक उंगली गाड़ में डालकर अदंर बाहर करते हुए, दनादन बुर चोदने लगा।
सुनीता की तो हालत खराब होने लगीं। गाड़ और बुर दोनों की chudai होने से उसे अलग ही मजा मिलने लगा,
आह मां, आह, कुत्ते मै आने वाली हूं, और जोर जोर से चोद, मादर चोद,,,
राजेश ले साली रण्डी, ले आज तो तेरी बुर की सारी प्यास बुझा दूंगा।
ले एक और ले,,
राजेश और जोर जोर से gach gach चोदने लगा।
राजेश अब दो उंगली गाड़ में डालकर अदंर बाहर करने लगा।
सुनीता की जमकर chudai से वह अपने को रोक न सकी और सुनीता चीखते हुए,,
आह मां,, आह मैं गई,, मां,,,
सुनीता झड़ने लगी,,,
और बेड पर लुड़क गई।
राजेश उसके ऊपर ही लेट कर सुस्ताने लगा।
राजेश अपना land बुर से निकाला और एक ओर लुड़क गया।
उसका land अभी भी हवा में खड़ा हो कर झटकेमार रहा था, जिसे अपने हाथ से सहलाने लगा।
कुछ देर ऐसे ही दोनों पड़े रहे।
कुछ देर बाद,,
राजेश _मां आप ठीक तो है न।
सुनीता _हूं,,,
राजेश _मां इधर तो देखो।
सुनीता _न मुझे शर्म आ रही है।
राजेश _पर क्यू?
सुनीता _छी, मै कितनी गंदी गंदी गालियां दे रही थी।
आज से पहले मैंने कभी ऐसी गालियां नही दी है।
पता नही हवस में मुझे आज क्या हो गया है।
पता नही तू मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा।
राजेश _, मां, मैंने कहा न, मुझे भी मज़ा आया। तुम्हारे मुंह से गालियां सुनकर मेरा जोश बड़ जाता है।
इधर देखो न मेरा land तो अभी भी झटके मार रहा है, आपकी बुर में जानें के लिए।
सुनीता _न बाबा अब मैं थक गई हूं। अभी और नही।
राजेश _मतलब तुम्हारी बुर की आग बूझ गई।
सुनीता _हा,
राजेश _पर मेरा तो अभी huwa नही है न।
अभी तो मेरे land की प्यास बुझा नही है।
सुनीता पीठ के बल लेट गई।
उसने देखा राजेश का land और काफी लंबा और मोटा हो गया था जो हवा में झटके मार रहा था।
सुनीता _मतलब जब तक तू झड़ेगा नही, मुझे छोड़ेगा नही।
राजेश _तुम ही ने तो कहा था न अभी की आज से मैं तुम्हारा मर्द हूं।
तो क्या अपने मर्द को ऐसे ही बीच में छोड़ दोगे।
सुनीता _बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे। अभी मैं थक गई हूं बाबा, मुझे सुस्ताने दे। मुझे प्यास भी लगी है।
राजेश _मै तुम्हारे लिए पानी लेकर आऊ।
सुनीता _अरे नही, मै पानी पी कर आती हूं।
राजेश _कही आप भाग तो नही जाएंगी।
सुनीता _अरे नही बाबा, अपने मर्द को छोड़ कर भागी तो नुकसान मेरा ही है।
राजेश _वो कैसे?
सुनीता _तुम कही और मुंह मारने लगोगे।
सुनीता बेड से उठी और किचन की ओर जानें लगी।
जब वह दरवाज़े की ओर जा रही थीं तो उसकी मटकते चूतड को देखकर राजेश का land और झटके मारने लगा।राजेश अपने land को अपने हाथो से सहलाने लगा।
दरवाज़े से बहार निकलने से पहले जब सुनीता मुड़कर राजेश की ओर देखी दोनों की नजरे मिली, सुनीता शर्म के मारे पानी पानी हो गई।
सुनीता किचन में जाकर, पेट भर पानी पी।
फिर वह अपने बेड रूम की ओर गई। उसने देखा उसका पति अभी भी घोड़े बेच कर सो रहा है।
वह अपने कमरे में जाकर अपने आलमारी से चिकनाई वाला क्रीम ले ली, और अपने कमरे से निकल कर सीधे राजेश के कमरे की ओर चली गईं।
इधर राजेश अपने land को सहलाते हुवे,सुनीता की आने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था।
सुनीता जब कमरे में पहुंची, उसकी नजर राजेश के land पर गया जो अभी भी हवा में झटके मार रहा था। जिसे देखकर सुनीता मुस्कुराने लगी।
सुनीता कमरे में आने के बाद राजेश के बगल में आकर लेट गई।
राजेश एक हाथ से अपने land तो दूसरे हाथ से सुनीता की बुर रगड़ने लगा।
सुनीता का शरीर फिर गर्म होने लगा।
राजेश सुनीता के उपर आ गया और उसकी ओंठ को चूसने लगा।
राजेश _sunita की बुर चाटने लगा।
जिससे सुनीता फिर गर्म होने लगीं।
आह उन, आह,,,
सुनीता जब पूरी तरह गर्म हो गई।
वह बेड से उठी और राजेश को भी बेड से नीचे ले आया। फिर नीचे बैठ कर राजेश की land को मुंह में भर कर चूसने लगीं।
राजेश सुनीता का सिर पकड़ कर अपना land उसके मुंह में अदंर बाहर करने लगा।
कुछ देर तक मुंह चोदने के बाद राजेश ने तकिया फर्श पर रखा और नीचे फर्श पर पीठ के बल लेट गया।
और सुनीता को अपने उपर आने का इशारा किया।
सुनीता राजेश के land के उपर आकार खड़ा हो गई और राजेश के land को पकड़ कर अपने योनि के मुंह में रखकर बैठ गई।
Land सरसराता huwa अदंर चला गया।
अब सुनीता राजेश के land के उपर उछलने लगी।
राजेश ने सुनीता की क़मर को पकड़ कर नीचे से land को उसकी बुर में ठेलने लगा।
सुनीता राजेश के land पर उछल उछल कर चुदने लगी।
कमरे में गिर से fach fach की आवाज़ और सुनीता की मादक सिसकारी गूंजने लगी।

सुनीता फिर से जन्नत में पहुंच गई।राजेश सुनीता की क़मर पकड़ कर अपने land पर पटक पटक कर चोदने लगा।
दोनों पूरे जोश में थे, और संभोग सुख के परम आनंद को प्राप्त कर रहे थे,,
तभी सुनीता land को बुर से बाहर निकाल कर जोरसे चीखते हुवे,मूतने लगी।
आह मां, आह,,,

उसकी मूत की तेज धार राजेश के सीने पर गिरने लगा।राजेश मुस्कुराने लगा।
सुनीता फिर से land को बुर में डाल कर उछल कर कर चुदने लगी।
राजेश भी उसकी क़मर को पकड़ कर अपने land पर पटक पटक कर चोदने लगा कि कुछ देर में ही सुनीता फिर से land योनि से बाहर निकाल कर मूतने लगी।
सुनीता फिर से योनि में land डालकर चुदने लगी, फिर कुछ देर बाद मूतने लगी।
राजेश को अपनी मां को मूत ते देख मजा आ रहा था। उसका जोश और बढ़ता जा रहा था।
जीतना पानी पी थी वह मूत के बाहर निकाल दी उसके बाद वह अपने कमरे से लाई क्रीम अपनी गाड़ में भर कर राजेश के land पर चुपड़ दिया।
फिर लैंड को पकड़ कर अपनी गाड़ की छेद पर उसका टोपा रख कर अदंर डालने की कोशिश करने लगीं।
धीरे धीरे land गाड़ में उतरने लगा। जब आधा land गाड़ में घुस गया वह धीरे धीरे लैंड के ऊपर उछलने लगी।
कुछ देर में ही land ने गाड़ में अपनी जगह बना लिया।
अब राजेश भी नीचे से धक्का मार मार कर सुनीता की गाड़ मारने लगा।
सुनीता के मुंह से सिसकारी निकल कमरे में गूंजने लगा।
कुछ देर बाद सुनीता राजेश के उपर लुड़क गई।
सुनीता _बेटा अब मै थक गई।
सुनीता राजेश के उपर से उठा राजेश ने सुनीता को बेड पकड़कर झुका दिया और स्वयं उसके दोनों टांगो के बीच आ गया।
अपने land को सुनीता की योनि के मुख पर रख एक जोर का धक्का मारा। एक ही बार में सरसरता huwa land योनि में उतर गया।
अब राजेश सुनीता की क़मर पकड़ कर gach gach बुर चोदने लगा।
सुनीता की मुंह से फिर कामुक सिसकारी गूंजने लगी।
फिर से वह जन्नत की सैर करने लगीं।
हवस में उसकी मुंह से,,,,
आह चोद साले और चोद फाड़ दे मेरी chut बुझा दे इसकी प्यास,,,
राजेश,, ले साली रण्डी, ले chud अपने बेटे की land से,,,
राजेश जोर जोर से बुर चोदने लगा,,,
तभी वह अपना land boor से निकाल कर सुनीता की गाड़ में रख कर जोर का धक्का मारा।
सुनीता चीख उठी,,
सुनीता _अबे लौड़े का, ये बुर नही गाड़ है? ऐसे गाड़ मांरेगा तो कल मै हग नही पाऊंगी, बहेंचोद कही का।
राजेश _और चीख साली मै आज तेरी गाड़ फाड़ के रहूंगा।
ले साली ले और ले,राजेश और जोर जोर से गाड़ मारने लगा,,
सुनीता _अबे छोड़ मादरचोद, मेरी गाड़ फट जाएगी।
राजेश _साली kutiya तेरी गाड़ फाड़ना ही तो है।
राजेश और जोर जोर से गाड़ मारने लगा।
पर गाड़ की तेज रगड़ के कारण वह खुद को रोक न सका और आह मां आह आह,,,
वह गाड़ के अदंर ही झड़ने लगा।
सुनीता भी गर्म गर्म वीर्य को अपने गाड़ में जाती हुई महसूस की और झड़ने लगीं।
दोनों काफी थक गए थे एक दूसरे के बाहों में सो गए।
कुछ देर बाद सुनीता की नजर घड़ी पर पड़ी,,,
सुबह के 5बज गए थे,,
सुनीता _बेटा मेरा नहाने का समय हो गया है।
अब मैं चलती हूं अपने कमरे में,,,
सुनीता अपने कपडे पहन ली, और कमरे से जानें लगी,,
तभी राजेश ने कहा मां तैयार रहना अभी हनीमून बांकि है।
सुनीता _चुप बेशरम इतना करने के बाद भी मन नही भरा है। वह मुस्कुराते हुवे अपने कमरे की ओर जानें लगी।
Bhut mast update tha bhai
 

rajesh bhagat

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अगले दिन सुबह उठते ही अखाड़ा, चला गया, वहा अखाड़े पे लड़के कबड्डी प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे थे।
बिरजू _अरे राजेश, आओ।
राजेश _अरे बिरजू भईया, लगता है कबड्डी प्रतियोगिता की तैयारी बड़े जोरों से चल रही है।
बिरजू _हा राजेश, इस बार लड़के बड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस बार हर हाल में यह प्रतियोगिता जितना है।
हर बार भानगढ़ वाले ही यह प्रतियोगिता जीतता आया है।
पर इस बार हम उन्हे कड़ी टक्कर देना चाहते हैं।
राजेश, मुझे तुमसे एक बात कहनी थी।
राजेश _बोलो बिरजू भईया क्या बात है?
बिरजू _क्यू न तुम भी हमारी कबड्डी टीम में शामिल हो जाओ।
मुझे लगता है हमारी टीम अभी परफेक्ट नही है। तुम्हारा शरीर एकदम फिट है।
राजेश_पर बिरजू भईया मैने तो कभी कबड्डी खेली नही है।
बिरजू _राजेश, कबड्डी ताकत और दिमाक दोनो का खेल है और मुझे लगता है ये दोनो तुम्हारे पास है।
अभी कबड्डी प्रतियोगिता में थोड़ा समय है तब तक तुम अच्छे से सीख जाओगे।
राजेश _बिरजू भईया, आप कह रहे हो तो मैं टीम में शामिल होने तैयार हूं, लेकिन सभी सदस्यों की सहमति होनी चाहिए। किसी ने मना किया तो मैं शामिल नहीं होऊंगा।
बिरजू के दोस्त _राजेश, तुम भी कबड्डी की प्रैक्टिस करो, अगर तुम्हारा खेल अच्छा लगा तो कोइ तुम्हारे टीम में शामिल होने से नाराज नहीं होंगे।
बिरजू _हा, ये ठीक रहेगा।
राजेश _ठीक है।
बिरजू _तो ठीक है, चलो आज से ही प्रैक्टिस शुरू कर दो।
राजेश भी उन लोगों के साथ प्रैक्टिस करने लगा।
इधर हवेली में मंत्री और उसके परिवार घर जाने के लिए तैयार हो गए।
मंत्री _अच्छा ठाकुर साहब अब हमें इजाज़त दीजिए।
ठाकुर _अरे यार, नाश्ता तैयार हो चूका है। नाश्ता करके निकलना, मैं तो कह रहा था कि भाभी जी और विक्की को कुछ दिनो के लिए यहीं छोड़ दो। अब हम रिश्तेदार बनने वाले हैं। हमारे परिवार एक दूसरे को अच्छे से जान लेंगे।
मंत्री जी _ठाकुर साहब, इन लोगो को यहीं कुछ दिनो के लिए छोड़ तो देता, पर कुछ काम है, कुछ मेहमान भी घर में आने वाले हैं इसलिए जाना जरूरी है।
कुछ दिनो बाद विक्की को भेज दूंगा, दिव्या और विक्की एक दूसरे को अच्छे से जान और समझ लेंगे।
ठाकुर _ठीक है ठाकुर साहब जैसी आपकी ईच्छा। आइए नाश्ता करते है।
मंत्री और ठाकुर के परिवार सभी डाइनिंग हॉल में एक साथ बैठ कर भोजन करने लगते है।
ठाकुर अपने बीबी रत्ना से कहा,,
ठाकुर _रत्ना, मंत्री जी अपने बेटे विक्की के लिए दिव्या का हाथ मांग रहे हैं।
मैंने तो कहा ये हमारे लिए बड़ी खुशी की बात है। तुम्हारा क्या विचार है।
रत्ना _जैसे आप उचित समझे, पर एक बार दिव्या को पुछ लेते तो,,,
ठाकुर _दिव्या हमारी लाडली बेटी है, हम जो भी फ़ैसला लेंगे उसकी भलाई के लिए लेंगे। वैसे तुम कह रही हो तो अभी पुछ लेते हैं।
बेटी दिव्या, विक्की के साथ शादी होने से तुम्हे कोइ एतराज तो नही। मैने तो हा कह दिया है, फिर भी अगर तुम्हे कोइ आपत्ति हो तो कह सकती हो,,
दिव्या ने अपनी मां की ओर देखा,,
वह क्या कहे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
दिव्या _पिता जी, इतनी जल्दी शादी, अभी तो मुझे बड़ा सा हॉस्पिटल खोलकर लोगो की सेवा करनी है। मैं डाक्टर ही इसलिए बनी हूं की हमारा क्षेत्र काफी पिछड़ा है यहां के लोगो को इलाज के लिए दूर जाना पड़ता है, मैं शादी करके यहां से चली गई तो, मेरा डाक्टर बनने का उद्देश्य कैसे पूरा होगा?
मंत्री _अरे बेटा, तुम चिन्ता मत करो, तुम चाहो तो शादी के बाद यहीं रहना, विक्की, आना जाना करता रहेगा।
ठाकुर _लो, बेटी अब तो तुम्हारा डाक्टर बनने का उद्देश्य भी पूरा हो जाएगा और शादी भी।
अब तो कोइ समस्या नहीं न,,
दिव्या _जी पापा,,
दिव्या और कुछ बोल नहीं पाई।
ठाकुर _लो मंत्री जी, मिठाई खाओ, अब तो सभी तैयार है शादी के लिए।
ठाकुर ने रागनी के पैर को अपनें पैर से सहलाया और आंखे मारी।
रागिनी मुस्कुराने लगी।
भाभी जी क्यू न आप कुछ दिन यहीं रुक जाती, यहां पहाड़, झरने घांटी, और भी बहुत कुछ है देखने के लिए। आपको कुछ दिन स्वर्ग की सैर करा देते।
रागिनी _भाई साहब मेरी भी बड़ी ईच्छा थी स्वर्ग की सैर करने की पर क्या करे मजबूरी है जाना पड़ेगा।
ठाकुर _कोइ बात नहीं भाभी जी अब तो हम रिश्तेदार बनने वाले हैं। जन्नत की सैर जब आवोगी तब करा देगें।
रागिनी की पैर को अपनें पैर से सहलाते हुए कहा।
नाश्ता कर लेने के बाद, मंत्री और उसके परिवार ठाकुर परिवार से इजाज़त लेकर घर चले गए।
इधर ठाकुर कुछ समय के बाद लक्षमण पुर कार्यालय चले गए जहा लोगो की समस्या सुनते थे।
इधर राजेश जब आखाड़ा से आया।
भुवन _अरे राजेश, आ गया अखाड़े से।
राजेश _हां, भईया।
भुवन _जाओ नहाकर तैयार हो जाओ फिर नाश्ता करते हैं। मुझे बापू के लिए नाश्ता लेकर खेत भी जाना है।
राजेश _ठीक है भईया।
राजेश पीछे बाड़ी में जाकर फ्रेश होकर नहाने लगा।
तभी वहा पुनम नाश्ता बनाने के बाद बर्तन धोने के लिए बर्तन धोने पहुंची।
पुनम _क्यू देवर जी कैसा रहा कल की पार्टी?
राजेश _भुवन भईया ने तो बताया होगा ही भौजी!
पुनम _तुम्हारे भईया तो बता रहा था कि तुमने पार्टी में गाना गया। तुमने कभी बताया नही की तुम गाना भी गाते हो।
राजेश _आपने तो कभी पूछा नही भौजी।
पुनम _अच्छा ये बताओ अपनी भौजी को कब गाना सुनाओगे?
राजेश _आप जब कहो, पर गाना सुनाने के बदले दोगी क्या?
पुनम _क्या चाहिए तूमको?
राजेश _जो मांगूंगा वो दोगी, बोलो?
पुनम _मुझे पता है तुम क्या मांगोगे?
राजेश _अच्छा, ये मैं भी तो जानू, मैं क्या मांगने वाला हूं?
पुनम _मां का दूध।
दोनो खिलखिलकर हसने लगे।
राजेश _वाह भौजी तुम तो अंतर्यामी हो? बिना बताए ही जान जाती हो।
पुनम _बच्चू मुझे सब पता है तुम्हारे इरादे क्या है?
पुनम बर्तन धो रही थी, और राजेश अपने बदन में साबुन लगा रहा था।
राजेश _क्या इरादे है भौजी, मैं भी तो जानू?
पुनम _यहीं कि तुम्हारे इरादे नेक नही है।
राजेश _वो कैसे?
पुनम _तुम्हारे उम्र के लड़के दूध पीता कम है और दूध के गुब्बारे से खेलता ज्यादा है।
राजेश _हूं, मतलब तुम मुझे उन्ही लड़को में से एक समझती हो। मैं वैसा नही हूं? मैं उससे खेलूंगा नही सिर्फ पियूंगा।
पुनम _न बाबा, तुम्हारे उम्र के लड़को का कोइ भरोसा नहीं। मैं तुम्हारे झांसे में नहीं आने वाली।
राजेश _ठीक है फिर मैं भी गाना तभी सुनाऊंगा, जब दोगी?
पुनम _ मतलब तुम मतलबी हो।
पुनम नाराज होते हुए बोली?
राजेश _अरे भौजी, लगता है तुम नाराज हो गई। मैं तो मजाक कर रहा था। हम फ्री में सुना देगें अपनी भौजी को गाना। पर सही समय आने पर।
पुनम _प्रोमिस।
राजेश _प्रोमिस।
पुनम बर्तन धो कर चली।
राजेश भी नहाकर चला गया।
नाश्ता करने के बाद भुवन खेत चला गया और राजेश आईएएस की तैयारी करने लगा।
इधर सरपंच, सचिव और पंचगण विधायक जी से मिलने के लिए उसके लक्ष्मण पुर कार्यालय पहुंचे।
कार्यलय के सामने विधायक जी से मिलने लोगो की भीड़ थी। विधायक के पी ए से लोग अपने आने का प्रयोजन बता रहे थे।
एक एक करके विधायक का पीए विधायक से मिलने के लिए अंदर भेज रहे थे।
पीए _विधायक जी, सुरज पूर के सरपंच सविता जी अपने को लेकर आए हैं आपसे मिलने।
ठाकुर _क्या? सुरज पूर की सरपंच आई है?
वे लोग क्यू आए हैं? उन्हे पता है हम उनसे मिलना नही चाहते फिर भी। क्या समस्या लेकर आए है?
पीए _आवास योजना से संबंधित है।
ठाकुर _हा हा हा, आखिर मेरे चौखट पे आने मजबूर हो ही गए।
पीए _क्या करना है विधायक जी। उन्हे अंदर भेजूं।
ठाकुर _आने दो, मैं भी तो जानू, देखू क्या फरियाद करते हैं, पर सिर्फ सरपंच को ही अंदर भेजना।
पीए _ठीक है विधायक जी।
पीए ने बाहर जाकर सविता से कहा सिर्फ सरपंच ही अंदर जा सकता है?
सविता ने सभी लोगो से कहा की तुम लोग यहीं रुको मैं विधायक जी से मिलकर आती हूं।
सविता अंदर गई।
ठाकुर _आइए सविता जी, कहिए क्या फरियाद लेकर आई है आप।
सविता _नमस्ते विधायक जी।
ठाकुर _नमस्ते, आइए बैठिए।
विधायक _कहिए क्या सेवा कर सकता हूं मैं।
विधायक ने अपने अपने सेवक से कहा।
सविता जी पहली बार हमारे कार्यालय में आई है। इनके लिए चाय वगैरा लाओ।
सविता _नही विधायक जी इसकी कोइ आवश्यकता नहीं।
ठाकुर _अरे, सरपंच साहिबा, पहली बार आई हो हमारे कार्यालय, चाय वगैरा तो लीजिए।
कहिए क्या सेवा कर सकता हूं आपका।
सविता _विधायक जी, जानती हूं की आप सुरज पूर वालो को पसन्द नही करते फिर भी मैं मजबूर हो कर आपके पास आई हूं।
ठाकुर _कहिए ऐसी क्या मजबूरी हो गई की हमारे पास आपको आना पड़ा, मैं भी तो जानू, हा हा हा,,,
सविता _विधायक जी, हमारे गांव के गरीब लोगो को आवास योजना का लाभ अब तक नही मिल पाया है। हम हर साल प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजते हैं लेकिनसुरज पूर के किसी भी गरीब परिवार का, आवास पास नही होता।
गांव के गरीब लोग बहुत दुखी हैं।
ठाकुर _सविता जी, इसमें मैं क्या कर सकता हूं। पंचायत मंत्री ही आपके समस्या का समाधान कर सकते है । उनसे मिलिए।
सविता _पिछले वर्ष उनके पास गई थी, आश्वासन दिया था लेकिन किसी का भी आवास स्वीकृत नहीं huwa,
अगर मंत्री जी से आप बात करते तो, आखिर आप हमारे विधायक है।
ठाकुर _सुरज पूर वालो ने हमें बहुत दुख पहुंचाया है। हम उनका अनुसंसा क्यू करेंगे सविता जी।
आप हमसे बेकार ही उम्मीद कर रहे हैं।
अगर आपकी पर्सनल कोइ सेवा हो तो बताइए, उस पर विचार कर सकता हूं।
सविता _विधायक जी, मेरी पर्सनल कोइ समस्या है नही, गांव के गरीब लोगो के लिए ही आई थी। अगर हो सके तो उनके भलाई के लिए आवास स्वीकृत करा दीजिए। बड़ी मेहरबानी होगी आपकी।
ठाकुर_सविता जी कहा न मैं गांव वालो की कोइ मदद नहीं कर सकता, आप जा सकती है।
सविता निराश होकर, वापस जाने लगी।
तभी ठाकुर ने कहा,,,
देखिए सविता जी, आपको निराश होकर इस तरह हमारे कार्यालय से जाता देख बिल्कुल अच्छा नही लग रहा है।
अगर तुम चाहो तो, सुरज पूर वालो की आवास के लिए मंत्री जी से अनुसांसा कर सकता हूं, पर इससे हमें क्या मिलेगा?
सविता _विधायक जी मैं कुछ समझी नहीं।
ठाकुर _यहीं तो दिक्कत है न अगर समझ जाती तो निराश होकर जाना नही पड़ता। हमें अपने दुश्मनों की मदद करने के बदले
क्या मिलेगा?
सविता _विधायक जी मैं आपको विश्वास दिलाती हूं इस बार चुनाव में गांव के सारे वोट आपको ही मिलेंगे।
ठाकुर _सविता जी मुझे सुरज पूर वालो का वोट नही चाहिए। हम तो चुनाव ऐसे ही जीत जायेंगे।
सविता _तो विधायक जी, आप क्या चाहते हैं?
विधायक _सविता जी हमें तो बस आपका साथ चाहिए।
सविता _विधायक जी, मैं कुछ समझी नहीं।
ठाकुर _सविता जी, हम चाहते है की कुछ समय हमारे साथ बिताओ।
सविता _विधायक जी, ये आप क्या कह रहे हैं? मुझे आपसे ये उम्मीद बिलकुल नहीं थी।
विधायक _देखिए सविता जी अगर गांव के लोगो का आवास पास हो गया, तो आप पर लोगो का भरोसा बड़ेगा । नही तो लोग तो यहीं कहेंगे की एक भी योजना का लाभ दिला नही पाई, इन्हे सरपंच बनाने का क्या फायदा?
सविता _विधायक जी, मैं अपनी सरपंच पद बनाए रखने के लिए, अपनी इज़्ज़त नही बेच सकती।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो इतना समय दिया।
विधायक _ठीक है, सविता जी जाइए? कोइ जबरदस्ती तो है नही, फिर भी विचार बदल जाए तो आ जाना।
सविता वहा से चली गई, लोगो ने बाहर जाने पर पूछा की क्या huwa
सविता ने कहा, विधायक जी ने आवास योजना की स्वीकृत हेतु अनुसंसा करने से इंकार कर दिया।
लोग निराश होकर गांव लौट गए।


घर जाने के बाद सविता ने काफी विचार किया और अन्त में यह निष्कर्ष निकाला की वह गांव के लोगो को उनका हक दिला पाने में असमर्थ है इसलिए वह अपने पद से इस्तीफा दे देगी।
अगले दिन सविता ने ग्राम सभा का आयोजन रखा।
लोगो को पता चल चुका था कि आज सविता जी सरपंच पद से इस्तीफा देना चाहती है।
यह बात पुरे गांव में फैल गया।
इस बात की जिक्र जब भुवन और राजेश नाश्ता करने बैठे थे। पदमा ने छेड़ा।
पदमा _बेटा भुवन आज तुम खेत मत जाओ। आज प्रात: दस बजे तुम्हारी चाची ने ग्राम सभा रखा है। लोगो से पता चला है कि तुम्हारी चाची सरपंच पद से इस्तीफा देना चाहती है।
राजेश _ताई ये आप क्या कह रही है?
पुनम _हां मैने भी यहीं सुना है?
राजेश _पर चाची ऐसा क्यू कर रही है?
पदमा _यह तो ग्राम सभा में ही सविता बताएगी आखिर वह सरपंच पद से इस्तीफा क्यू दे रही है।
भुवन बेटा तुम ग्राम सभा में चले जाना, पता तो चले कि आखिर बात क्या है?

भुवन _ठीक है मां।
प्रातः 10बजे, भुवन ने पदमा से कहा,,,
मां मैं ग्राम पंचायत कार्यालय जा रहा हूं। ग्राम सभा में,,
पदमा _ठीक है बेटा,,
भुवन जा रहा था तभी,,
राजेश _रुको, भुवन भईया, मैं भी जाना चाहता हूं आपके साथ।
भुवन _अरे राजेश, तुम वहां जा कर क्या करोगे?
राजेश _मैं भी देखना चाहता हूं की गांव में ग्राम सभा कैसे होता है?
भुवन _ठीक है, राजेश तुम्हारी ईच्छा है तो तुम भी चलो।
राजेश और भुवन दोनो ग्राम सभा में शामिल होने ग्राम पंचायत भवन के लिए निकल पड़े।
उधर ग्राम पंचायत के सभा हाल में गांव के लोग एकत्रित हो चूके थे।
सरपंच, सचिव और पंच गण, अपने स्थान पर बैठ चूके थे।
तभी राजेश और भुवन भी वहां पहुंचे।
ग्राम सभा की कार्यवाही शुरू हुई।
सरपंच ने अपन बाते लोगो के बीच रखी।
सविता _आप सभी ग्राम वासी, यह जानने के उत्सुक होंगे की अचानक से यह ग्राम सभा क्यू रखा गया है?
मैने बहुत प्रयास किया की शासन द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं का लाभ हमारे ग्रामवासी को भी मिले लेकिन मैं यह कार्य करने में असमर्थ रही। कल मैने और पंचों ने आवास योजना का लाभ हमारे गांव के गरीब लोगो को मिल सके जो झोपड़ी में रहने मजबूर हैं, उनके आवास को स्वीकृत कराने विधायक जी के कार्यालय गए थे।
लेकिन मैं यह कार्य करा पाने में असमर्थ रही।
मुझे लगता है कि मेरी जगह कोइ और सरपंच हो तो शायद वह यह कार्य स्वीकृत करा पाए।
चूंकि मैं शासन के किसी भी योजना का लाभ गांव के लोगो को दिला पा रही अतः मुझे पद पर बने रहने का कोइ अधिकार नहीं। इसलिए मैने सरपंच पद से इस्तीफा देने का फ़ैसला किया है।
मेरी जगह किसी अन्य पंच को यह जिम्मेदारी दिया जाए जो गांव के लोगो को शासन के योजनाओं का लाभ दिला सके।
आप सभी से निवेदन है कि मेरी बातो पर विचार करते हुए, किसी अन्य व्यक्ति को सरपंच के पद के लिए अपना सहमति बनाए।
सभी अपन विचार रखेंगे।
वहा पर मौजूद एक पंच ने कहा _सरपंच जी, विधायक जी तो सुरज पूर वालो को अपना दुश्मन समझते हैं। वह नही चाहते की सरकार की किसी भी योजना का लाभ हमारे गांव के लोगो को हो, इस बात से हम सभी अवगत है। ऐसे में मुझे नही लगता की कोइ यह कार्य करा पायेगा।
आप अपना स्तीफा देने का विचार त्याग दीजिए। फिर भी किसी को लगता है कि वह यह कार्य करा सकता है तो वह सामने आए। अपनी बात रखे।
लोग आपस में चर्चा करने लगे। काफी समय हो गया कोई व्यक्ति सामने नहीं आया जो यह कह सके की मैं लोगो को शासन की योजना का लाभ दिला सकता हूं। मैं सरपंच बनने इच्छुक हूं।
काफी समय हो जाने के बाद,,
गांव के एक व्यक्ति ने कहा _सरपंच जी, गांव में ऐसा कोई भी नही है जो विधायक जी के नाराजगी के चलते, लोगो को शासन की योजनाओं का लाभ दिला सके।
गांव वालो का नसीब ही खराब है, पता नही कब तक हमे सुविधाओ से वंचित होना पड़ेगा।
सरपंच जी आपके स्तीफा देने से कोइ लाभ नहीं इसलिए, आप सरपंच पद से इस्तीफा देने का ख्याल छोड़ दीजिए।
क्यों भाईयो,,
सभी लोगो ने उस व्यक्ति की बातो में अपनी सहमति दिया।
सचिव _आगे हमें क्या करना चाहिए , इस पर आप लोग अपना विचार दीजिए।
कोइ भी लोग सामने नही आए की आगे क्या करना चाहिए।
राजेश वहा मौजूद था अब तक सभी की बातो को सुन रहा था और चुप था।
वह अपने स्थान से खड़ा होकर कहा,,
राजेश _अगर आप लोग मुझे अनुमति दे तो मैं आप लोगों के सामने अपना विचार रखना चाहता हूं।
सभा में मौजूद सभी लोग राजेश की ओर देखने लगे।
सचिव _आप अपना विचार देने के लिए मंच के सामने आइए और पहले अपना परिचय दीजिए।
राजेश मंच के सामने गया।
राजेश _मेरा नाम राजेश है। मेरे पिता जी का नाम शेखर है, और मानव प्रसाद मेरे दादा जी थे उसके दूसरे बेटे का मै पुत्र हूं। मैं कुछ दिन पहले ही यहां गांव आया हूं।
सचिव _कहिए आपके विचार से आगे हमें क्या करना चाहिए?
राजेश _देखिए, मुझे लगता है विधायक जी से पुनः मिलना चाहिए। उससे बाते करनी चाहिए। आखिर वह हमारे भी विधायक है। अपनी क्षेत्र के लोगो को शासन की सुविधा का लाभ पहुंचाना उनका फर्ज है।
बिना किसी भेदभाव के सभी की निःस्वर्थ भाव से सेवा करने की उसने विधनसभा में सपथ ली है। हमें उसे उस सपथ की याद दिलानी चाहिए।
गांव वाले राजेश की बातो को सुन कर आपस में चर्चा करने लगे।
सरपंच ने कहा _हमने काफी प्रयास किया, विधायक जी हमारी बात नहीं मानने वाले। उसके पास फिर से जाने से कोइ फायदा नहीं।
राजेश _सरपंच जी मुझे लगता है हमे एक कोशिश और करनी चाहिए। मुझे लगता है विधायक जी हमारी बात जरूर मानेंगे।
तभी एक पंच ने कहा _अगर तुम्हे लगता है की विधायक जी जरूर कहना मानेंगे तो तुम ही क्यू नही चले जाते विधायक जी के पास, हमारा प्रतिनिधि बनकर।
दूसरे पंच ने कहा _अगर तुमने गांव वालो को आवास योजना का लाभ दिला दिया, तो गांव वाले तुम्हे अपना सरपंच घोषित कर देगें। और गांव वाले वही करेंगे जो तुम कहोगे,क्यो भाईयो?
सभी लोगो ने हा कहा,,,
राजेश _अगर आप लोग ये चाहते है की मैं विधायक जी के पास आप लोगो का प्रतिनिधि बनकर जाऊ तो ठीक है, पर मेरी एक शर्त है।
एक पंच _कैसी शर्त?
राजेश _मैं सरपंच पद के लिए नही जाऊंगा, मैं गांव वालो के भलाई के लिए ही जाऊंगा इसलिए, चाची जी ही सरपंच बनी रहेगी। और यह गांव उनके निर्देशो पर ही सब की सहमति से चलेगी।
पंच गण _ठीक है हम सबको मंजूर है? हम सब भी देखना चाहते हैं तुम क्या कर सकते हो?
राजेश _ठीक है मैं आप लोगों का प्रतिनिधि बनकर कल विधायक जी से मिलूंगा।
ग्राम सभा का समापन पश्चात भुवन और राजेश घर पहुंचे।
इधर गांव वालों में चर्चा का विषय बना हुआ था कि राजेश गांव का प्रतिनिधि बन कर विधायक जी से मिलने जायेगा। पर सभी को यहीं लग रहा था की कुछ होने वाला नहीं है ऊपर से ठाकुर का आदमी राजेश की पिटाई न कर दे।
यह बात जब पदमा को पता चली।
रात में भोजन करते समय,,,
पदमा _राजेश बेटा ये मैं क्या सुन रही हूं, तुम गांव वालो का प्रतिनिधि बनकर, ठाकुर से मिलने जा रहे हो।
राजेश _हा ताई ये सच है।
पदमा _बेटा तुम्हे, फालतू में आफत मोल लेने की क्या जरूरत थी? यह जानते हुए भी की ठाकुर सुरज पूर वालो की भलाई कभी नहीं चाहेगा।
राजेश _ताई, मुझे गांव वालो की भलाई के लिए ठाकुर से मिलने जाना ही होगा।
पदमा _पर बेटा, ये ठाकुर सही आदमी नही है, उसके आदमी तुम्हे नुकसान पहुंचा सकता है।
राजेश _ताई, आप बेकार ही चिन्ता कर रही है। ऐसा कुछ नहीं होगा।
भुवन _मां, तुम चिन्ता न करो, राजेश के साथ मैं भी चला जाऊंगा।
राजेश _नही भुवन भईया, इस बार मुझे अकेले ही जाना होगा।
राजेश के इस फैसले से घर वाले सभी चिंतित हो गए।
अगले दिन सुबह राजेश आखाड़ा गया, वहा पर बिरजू और उसके दोस्तो ने कहा,, राजेश अगर तुम चाहो तो हम सब तुम्हारे साथ चलेंगे।
राजेश _नही, दोस्तो यह काम मेरे अकेले जाने से ही हो पाएगा।
बिरजू _ठीक है राजेश , अगर किसी प्रकार की मदद की जरूरत हो तो बताना।
राजेश _ठीक है बिरजू भाई।

राजेश घर गया और नहाकर तैयार हो गया।
राजेश _ताई, मुझे आज्ञा दीजिए मैं ठाकुर से मिलने जा रहा हूं।
ताई _बेटा, तुम्हे भेजने का तो मेरा मन नही है लेकिन तु जाना ही चाहता है तो मैं भगवान से प्रार्थना करुंगी तुम कामयाब होकर घर लौटा।
राजेश _अच्छा भुवन भईया मैं चलता हूं।
भुवन _राजेश, को गले लगाकर कहा, राजेश मुझे पूरा भरोसा है कि तुम जरूर कामयाब होकर लौटोगे।
राजेश भुवन का बाइक लेकर भानगढ़ निकल गया।
वह ठाकुर के हवेली पर पहुंचा।
ठाकुर के आदमी ने उन्हे अंदर जाने से रोका।
पहरेदार _तुम फिर आ गए। इस बार क्यू आए हो।
राजेश _मुझे ठाकुर साहब से मिलना है।
पहरेदार _तुम यहीं ठहरो, ठाकुर साहब तुमसे मिलना चाहते हैं कि नही, पता करने दो।
पहरेदार ने एक आदमी को ठाकुर के पास भेजा, जाओ ठाकुर साहब को बता कर आओ की, सुरज पूर से राजेश आया है वह आपसे मिलना चाहता है।

वह आदमी हवेली के अंदर गया। इस समय ठाकुर साहब हवेली में अपने परिवार के साथ डाइनिंग हॉल में नाश्ता कर रहा था।
आदमी _मालिक, सुरज पूर से कोइ राजेश नाम का लडका आया है वह आपसे मिलना चाहता है।
ठाकुर _वह यहां क्यू आया है? उनसे कहो कोइ काम है तो मुझसे लक्षमण पुर कार्यालय में मिले।
रत्ना _ये आप क्या कह रहे हैं जी, राजेश ने हमारी बेटी की जान बचाई है और आप उससे घर में भी नही मिल सकते।
दिव्या _हा पापा, उनसे अन्य लोगो की तरह ऐसा व्यवहार करना उचित नहीं।
रत्ना, ने उस आदमी से कहा जाओ राजेश को अंदर लेकर आओ।
ठाकुर _अपने बेटियो वालो के बीच अच्छा बनकर रहना चाहता था। इस लिए उनका विरोध नही कर सका, वह सोचने लगा की आखिर साला यहां करने क्या आया है?
वह आदमी चला गया और राजेश को अंदर लेकर आया।
राजेश _नमस्ते ठाकुर साहब, नमस्ते मां जी।
रत्ना _नमस्ते राजेश। कैसे हो।
राजेश _अच्छा हूं मां जी।
रत्ना _बेटा कैसे आए हो? कुछ काम था क्या?
राजेश _, हा मां जी। ठाकुर साहब से कुछ काम था।
ठाकुर _बोलो क्या काम है?
राजेश _ठाकुर साहब, आप उस दिन मुझे, दिव्या जी की मदद करने के बदले इनाम देने वाले थे, उस दिन तो मुझे ईनाम की आवश्यकता नहीं थी इसलिए लिया नही। आज मुझे ईनाम की जरूरत है।
ठाकुर _ओह तो तुम ईनाम लेने के लिए यहां आए हो।
ठाकुर ने अपने आदमी से कहा मुनीम जी से कहो राजेश को 2लाख रुपए दे दे।
राजेश _ये क्या ठाकुर साहब, एक राजा की बेटी की जान की कीमत सिर्फ 2लाख,
ठाकुर ने अपने आदमी से कहा की मुनीम जी से कहना की इसको 5लाख रुपए दे दे।
राजेश _सिर्फ 5लाख, ठाकुर साहब मैं तो बड़ी उम्मीद लेकर आपके पास आया था।
रत्ना _राजेश क्या चाहिए तुम्हे, तुम ही बताओ।
ठाकुर _बोलो कितनी रकम चाहिए तुम्हे।
राजेश _ठाकुर साहब मुझे पैसा नही चाहिए।
ठाकुर _अगर पैसा नही चाहिए तो क्या चाहिए तुम्हे?
राजेश _मैं चाहता हूं की आप अपना फर्ज पूरा करे।
ठाकुर _कैसा फर्ज?
राजेश _वही जब आपने, विधायक बनने के बाद, विधनसभा में सपथ ली थी कि आप बिना किसी भेद भाव के निःस्वार्थ भाव से सभी लोगो को समान समझते हुए लोगो की सेवा करेंगे।
ठाकुर _आखिर तुम कहना क्या चाहते हो, घुमा फिरा कर बात क्यू कर रहे हो। बोलो क्या चाहिए तुम्हे।
राजेश _ठाकुर साहब गांव के गरीब लोग, जो आज भी झोपड़ी में रहने मजबूर हैं। शासन की योजनाओं का लाभ उन्हे नही मिल पा रहा है। गांव के पंचायत द्वारा उनका आवास का प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजा है, आप उन्हे स्वीकृत करा दीजिए। यहीं मेरा ईनाम होगा।
ठाकुर _मैं इसमें क्या कर सकता हूं? ये तो पंचायत मंत्री का काम है?
राजेश _ठाकुर साहब, आप चाहे तो सब हो सकता है? पर लगता है कि आप मेरा ईनाम देने के इच्छुक नहीं है?
ठीक है ठाकुर साहब मैं जा रहा हूं। मैं गलत था जो आपसे उम्मीद लेकर यहां चला आया।
राजेश जाने लगा।
रत्ना _रुको राजेश।
अजी, ये आप क्या कर रहे हैं? जिस लड़के ने आपके घर की इज़्ज़त की रक्षा की, आप उसके लिए एक छोटा सा काम नही कर सकते।
गीता _हा पिता जी मां ठीक कह रही है, आपके लिए तो ये छोटा सा काम है। फिर आप राजेश को मना क्यू कर रहे हैं? कुछ समझ नहीं आया।
दिव्या _पिता जी, मुझे आपसे ये उम्मीद बिलकुल नहीं है। आप इस क्षेत्र के विधायक भी है, गांव के लोगो की मदद करनी चाहिए।
ठाकुर बुरी तरह फस चुका था।
वह अपनी बेटियो की नजर में गिरना नही चाहता था।
दिव्या _राजेश पिता जी तुम्हारी मदद जरूर करेंगे।
पिता जी आप अभी मंत्री जी को फोन लगाइए।
गीता _हा पापा, आप मंत्री जी से बात कीजिए, वो आपका कहना जरूर मानेंगे।
ठाकुर मजबूर हो गया, वह अपनी बेटियो की नजर में अच्छा बना रहना चाहता था।
ठाकुर _ठीक भाई अगर तुम सब यहीं चाहते हो तो मैं बात करता हूं।
ठाकुर ने मंत्री को काल किया।
पंचायत मंत्री _अरे ठाकुर साहब बोलो कैसे याद किया हमें।
ठाकुर _मंत्री जी बस आपकी मदद चाइए था।
मंत्री _कैसी मदद, हम ने कभी कोइ बात टाली है आपकी कहिए क्या सेवा करनी है?
ठाकुर _सुरज पूर वालो का आवास का प्रस्ताव का फाइल आपके कार्यालय पहुंची होगी। आप उसको स्वीकृत कर दीजिए।
मंत्री _पर ठाकुर साहब आप तो पहले सुरज पूर वालो का कोइ भी कार्य को स्वीकृत करने से मना किया था। फिर आज,,
ठाकुर _अब बात क्या हो वो आपको बाद में बताऊंगा मंत्री जी, फिर हाल तो आप मेरा यह काम कर दीजिए।
मंत्री जी _ठीक है ठाकुर साहब आपका यह काम हो जायेगा।
आप निश्चिंत रहिए।
ठाकुर _शुक्रिया मंत्री जी।
ठाकुर ने फोन रख दिया।
अपनी बेटियो से कहा,
लो भई तुम लोगो के कहने पर मैंने मंत्री जी से बात कर ली। अब तो तुम लोग खुश हो।
दिव्या अपने पिता के गले लग गई। थैंक क्यू पापा मुझे आपसे यहीं उम्मीद थी। वह खुश होकर बोली।
ठाकुर _मुझे लक्षमण पुर कार्यालय जाना है भाई मेरा नाश्ता हो गया।
ठाकुर साहब डाइनिंग हॉल से निकल कर अपने कमरे में आ गया।
ठाकुर अपने आप बड़बड़ाने लगा,,
ये शाला राजेश सच में बड़ा चालाक निकला, जो काम मैं कभी नही करना चाहता था, मुझे मेरी बेटियो के बीच फसा कर,वह काम मुझसे करवा लिया।
इस साले की इलाज कराना जरूरी है।
पर अभी कुछ करना ठीक नहीं, मुझे मौका ढूंढना होगा।
इधर राजेश ने दिव्या, रत्ना और गीता जी को सहयोग करने के लिए धन्यवाद् दिया,,
गीता भी धरम पुर जाने की बात कह कर अपने कमरे मे चली गईं।
राजेश _अच्छा मां जी अब मैं चलता हूं।
रत्ना _अरे बेटा, तुम नाश्ता करके जाना।
दिव्या _हां राजेश, मां ठीक कह रही है आओ बैठो।
राजेश _नही दिव्या जी, आप लोगो ने मेरी मदद की यहीं बहुत है मेरे लिए।
रत्ना _और तुमने हमारी मदद की वह क्या कम है, अब चुप चाप बैठो और नाश्ता करो।
राजेश कुर्सी पर बैठ गया। रत्ना ने उसे नाश्ता परोसी।
रत्ना _बेटा तेरा दादा जी मेरे ससुर जी के साथ अक्सर हवेली आया करते थे। वे मेरे ससुर जी के साथ भोजन किया करते थे।
वे मेरे हाथो से बने भोजन की बड़ी तारीफ किया करते थे।
पर उस घटना के बाद मैं भोजन बना ना ही बंद कर दी।
दिव्या _राजेश, मुझे तो जब तुमने कहा की मदद के बदले ईनाम लेने आए हो तो बड़ा अजीब लगा। पर जब तुमने बताया कि अपने लिए नहीं गांव के गरीब लोगो के लिए आए हो तो तुम्हारे लिए मेरे मन में इज्जत और बड़ गया।
रत्ना _बेटा, सच में तुम अपने दादा पर गए हो, जो हमेशा गांव वालो की भलाई के बारे में ही सोचता था।
नाश्ता कर लेने के बाद राजेश रत्ना और दिव्या से इजाजत लेकर अपना गांव लौट गया।
घर जाने के बाद घर वालो, दोस्तो और गांव वालो ने पूछा, की बात बनी की नही।
राजेश ने कहा की, बात तो किया है, पर काम huwa की नही बाद में पता चलेगा।
लोग तो राजेश का मजाक उड़ा रहे थे।
राजेश लोगो को बिना कोइ जवाब दिए खामोश रहता था।
आई ए एस का प्री एग्जाम पास आ रहा था राजेश तैयारी में लग गया।
बीच बीच मे पुनम से हसी मजाक कर लिया करता था।
क़रीब दो सप्ताह बाद सचिव को विभाग से फोन आया की तुम्हारे गांव के सभी लोगो का आवास स्वीकृत हो गया है। एक सप्ताह के अंदर सभी पात्र लोगो का बैंक खाता नंबर जमा कर दे, ताकि आवास की राशि उसके खाते में जमा किया जा सके।
इस बात की जानकारी सरपंच पंच और गांव वालो को huwa तो वे आश्चर्य में पड़ गए। एक लड़के ने ये असंभव काम को कैसे संभव कर लिया।
गांव वाले खुशी के मारे झूम उठे वे सभी भुवन के घर की ओर दौड़े।
दरवाजा खटखटाया।
पदमा ने दरवाजा खोला,,
गांव वाले _राजेश घर में है क्या चाची?
पदमा _क्यू क्या काम है उनसे, तुम लोग यहां क्यू भीड़ लगा रखे हो।
चाची _राजेश ने कमाल कर दिया। हम सब का आवास स्वीकृत हो गया है, हे भगवान हमें तो यकीन नही हो रहा है।
पदमा _बहुत खुश हो गई,
गांव वाले _राजेश बाबू को बुलाओ न चाची,
पदमा ₹रुको मैं अभी बुलाती हूं।
पदमा राजेश के रूम में गई,,
बेटा राजेश गांव वाले तुमसे मिलने आए है।
राजेश _ताई क्या बात है?
पदमा _वे कह रहे हैं की उनका आवास पास हो गया है, तुम्हे धन्यवाद देना चाहते हैं।
राजेश _अच्छा, गांव के लोगो का आवास पास हो गया ये तो बड़ी खुशी की बात है?
राजेश घर से बाहर आया, लोगो ने नारा लगाना शुरू कर दिया,, राजेश बाबू जिंदा बाद,, राजेश बाबू जिंदा बाद।
गांव वालो ने राजेश को अपने कंधे पर बिठा लिया।
और बाजे गाजे के साथ गांव में घूमाने लगा। सभी खुशियां मनाने लगे।
आखिर राजेश ने वह काम कर दिया था जिसके बारे में गांव के लोगो ने सोचा नहीं था।
मंदिर के पुजारी को जन इस बात का पता चला तो लोगो से कहा की मैने तो पहले ही कहा था की राजेश फरिश्ता बनकर यहां आया है।
उस दिन सभी गांव वाले जम कर नाच गाना किए। और राजेश की तारीफ किया।
राजेश गांव वालो की नजरो में काफी ऊंचा उठ गया था। अब उनकी नजरो में वह साधारण लडका नही रह गया था।
रात में लोगो के खुशियों में शामिल होने के बाद।
जब वह घर पहुंचा तो पदमा ने उसकी आरती उतारी, मेरे बेटे को किसी की नजर न लगे आज तुमने हमारे परिवार का नाम रोशन कर दिया।
राजेश दिनभर लोगो के बीच रह कर थक चुका था।
पदमा _बेटा थक गए होगे जाओ आराम करो।
राजेश अपने कमरे में सोने चला गया।
कुछ देर बाद, पुनम कमरे में पहुंची,,
देवर जी सोने से पहले दूध तो पी लो,,
राजेश बेड से उठा और गिलास लेकर दूध पीने लगा।
राजेश को दूध पीता देख पुनम मुस्कुराने लगी,,,
राजेश _भौजी, आज दूध का स्वाद कुछ दूसरा है!
पुनम _क्यू देवर जी दूध आपको अच्छा नही लगा क्या?
राजेश _नही ऐसी बात नहीं है दूध तो काफी स्वादिष्ट और मीठा था।
ये किसी और गाय का दूध थी क्या?

पुनम शर्मा ते हुई बोली _हा देवर जी। ये किसी और गाय की दूध थी। तुम जिद करते थे न की मां की दूध मिल जाता तो मजा आ जाता।
तो मैंने आज एक मां की दूध पिलाया है आपको, अपने चहरे को अपनी हाथो से छिपा ली।
राजेश _कहीं आप अपनी दूध तो नहीं,,,
पुनम शर्म से पानी पानी होते हुए बोली, इस घर में और किसके दूध आते है,,
राजेश _धन्यवाद भौजी, मेरी ईच्छा पूरी करने के लिए, पर,,
पुनम _पर क्या देवर जी,,,
राजेश _अगर मूंह से पिला देती तो और मजा आ जाता,,
पुनम _धत देवर जी तुम भी न,,,
वह शर्म के मारे पानी पानी होती हुई अपने कमरे में भाग गई,,,,




 
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