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Incest यह क्या हुआ

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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पदमा आंगन में बैठकर चावल साफ़ करने लगी। इधर कमरे में भुवन और पुनम के बीच chudai अंतिम अवस्था में पहुंच गई। भुवन ने पुनम को घोड़ी बनाकर। जमकर पेला और अन्त में अपना वीर्य उसकी बुर में छोड़ दिया।
आधा वीर्य बहकर पुनम की टांगों में बहने लगा।
वह कमरे से निकल कर बाड़ी की ओर भागी।
पदमा ने उसे घूरते हुए देखा। जब पुनम की आंख उसकी सास से मिली तो वह शर्मा गई।
बाड़ी में बनी मूत्रालय में जाकर वह बाल्टी में भरी पानी से अपनी बुर धोने लगी।
वीर्य जो टांगों में बह रही थी उसको साफ की।
फिर वह आंगन में आ गईं।
पुनम _मां जी, दो चावल को मैं साफ़ कर देती हूं।
पदमा _क्यूं re कुछ शर्म वगैरा है की नही बाजू वाले कमरे में मेहमान है और दिन में ही शुरु हों गए।
पुनम शर्माते हुवे।
पुनम _मां जी आपका बेटा कहा मानता है? मैने उसे मना किया पर वह माना नही।
पदमा _चावल मैं साफ़ कर रही हूं तुम खाना बनाओ, जाओ सब्जी कांटो।
पुनम _कौन सी सब्जी बनाऊं मां जी।
पदमा _बाड़ी से तोड़कर करेला, और भाजी लाई है, जाओ बनादो। दाल भी चढ़ा देना।
कुछ रोटियां भी सेक देना।
पुनम _ठीक है मां जी।
पुनम कीचन में जाकर खाना बनाने लगी।
कुछ देर में आरती भी पहुंची।
पदमा _तु कहा चली गई थी re,
आरती _मां मैं अपनी सहेली, मधु के घर गई थी।
पदमा _जाओ हाथ पैर धोलो और कीचन में जाकर अपनी भौजी की मदद करो।
आरती भी कीचन में चली गई और भाभी की मदद करने लगी।
जब भोजन तैयार हों गया।
पदमा राजेश के कमरे में पहुंची।
राजेश अपनें साथ कुछ पुस्तके लाया था। ताकि आई ए एस की तैयारी कर सके। वह पुस्तक पड़ रहा था।
पदमा _राजेश बेटा,,
राजेश _जी ताई, आइए बैठिए।
पदमा _अरे बेटा, भोजन तैयार हो गया है चलो हाथ मूंह धोकर आ जाओ।
राजेश _ताई, भुवन भैया आ गया।
पदमा _हा बेटा वो तो कब का आ चुका है। अपनें कमरे में आराम कर रहा है। बहुत मेहनत किया न अपनी बीबी के साथ थक गया है।
राजेश _मैं समझा नही ताई।
पदमा _बेटा, जब तेरी शादी होगी न तो तू भी समझ जाएगा। चल अब आ जा।
राजेश _ठीक है ताई।
पदमा भुवन के कमरे में गया।
अरे मुआ चल तु भी खाना खा लें फिर मुझे भी तुम्हारे बापू के लिए खाना लें जाना है, नही तो वह भूखा रह जायेगा।
भुवन _ठीक है मां।
भुवन अपनें कमरे से निकल कर राजेश के कमरे मे गया।
भुवन _अरे, राजेश चलो भोजन करते हैं। डाकिया बाबू ने तुम्हे घर तक छोड़ा न। कोइ परेशानी तो नहीं हुईं।
राजेश _ नही भाई, आने में कोई दिक्कत नही हुई।अभी अभी ताई आई थी बुलाने।
राजेश और भुवन दोनो हाथ धोकर भोजन के लिए कीचन में पहुंचते हैं।
पूनम दोनो को खाना परोश्ती है।
दाल चावल सब्जी रोटी।
भुवन _वाह, आज तो खाने में मजा आ जायेगा।
भाई राजेश तुम्हारे आने से तो हमें भी अच्छा खाना खाने को मिल रहा है।
वाह क्या खुशबू आ रही है, भोजन में।
राजेश _भाभी के हाथ में तो जादू है बड़ा स्वादिष्ट भोजन बना है।
भुवन _भाई, ये जादू तो तुम्हारे आने के बाद ही देखने को मिल रहा है। नही तो आर रूखा सूखा ही खाकर काम चलाना पड़ता है। किसी को कुछ बोलो तो, उल्टा हमें ही सुनना पड़ता था।
पुनम _क्यों जी कब तूमने रूखा सूखा खाना खाया है? आप तो ऐसे बोल रहे है कि मैं मन से खाना नही बनाती, मूंह फुलाते हुवे बोली।
भुवन _लो कुछ बोलो तो मुंह फुलाकर बैठ जाती है। कुछ बोलना ही बेकार है।
तभी पदमा पहुंची,,
पदमा _क्या हों गया re मुआ कही का क्यो आपनी लुगाई सै झगड़ रहा है?
भुवन _कुछ नही मां, मैं तो खाना की तारीफ कर रहा थाकि आज खाना बड़ा स्वादिष्ट बनाई है पुनम ने।
आरती _भईया मैने भी मदद की है खाना बनाने में भाभी की।
भुवन _अच्छा तो सब मिलकर राजेश की खातिर दारी में लगे हुवे है।
पदमा _तुम्हे जलन हो रही है क्या? तुम्हारे छोटे भाई की खातिर दारी होने से,,
भुवन _अरे नही मां, मुझे क्यू जलन होने लगा, मैं तो खुश हूं कि राजेश के आ जाने के बाद अच्छा अच्छा खाने को मिलेगा।
पदमा _बहु राजेश को दो और रोटी दो।
राजेश _नही ताई, मेरा पेट भर गया।
पदमा _अरे बेटा, तू खाने में शर्मा मत यह तुम्हारा ही घर है। वैसे भी इस घर और जमीन पर तुम्हारा उतना ही हक है जितना भुवन का।
जमीन जायदाद का बटवारा हुवा नही है।
राजेश _ताई एक बात पूछनी थी आपसे?
पदमा _पूछो, बेटा ।
राजेश _चाचा और चाची अलग क्यू रहते हैं? आप लोगो के साथ क्यू नही?
पदमा _अब क्या बताऊं बेटा, तुम्हारी चाची और हमारे बीच किसी बात को लेकर अनबन हों गई। तुम्हारे चाचा जी तो साथ ही रहना चाहते थे। पर तुम्हारी चाची के आगे उसका भी नही चलता।तुम्हारे चाची के कहने पर,अलग से घर बना लिए और वही रहते है।तुम्हारी चाची, इस गांव के सरपंच है,तुम्हारे चाचा जी दुकान चलाते है। कृषि कार्य में तो उन्हे रुचि है नही, खेत को तुम्हारे ताऊ और भुवन के जिम्मे छोड़ दिया है।
यहां आते समय जो बड़ा सा किरानाऔर निर्माण सामग्री, और कृषि खाद का दुकान देखा होगा वह सब तुम्हारे चाचा जी ही चलाते है।
भुवन और राजेश दोनो ने दोनो भोजन कर लिए, उसके बाद दोनो राजेश के कमरे में चले गए।
इधर पदमा ने भी भोजन किया उसके बाद अपनें पति के लिए भोजन लेकर खेत चली गई।
कुछ देर आराम करने के बाद,,
भुवन _राजेश चलो अब तैयार हो जाओ। तुम्हे गांव घुमा लाऊ।
राजेश कपड़े पहन कर तैयार हो गया।
जैसे ही वे गालियों में पहुंचे, गांवों वाले राजेश को देखकर पूछते, भुवन गांव में नया लगता है, ये युवक कोन है ये।
भुवन सभी को राजेश का परिचय कराता।
गांव में जो जो मुख्य चीजे थी, प्राथमिक शाला, आंगनबाड़ी, पंचायत भवन, गोठन, सभी का भ्रमण किया।
राजेश _भुवन भईया, मैं चाचा चाची से मिलना चाहता हूं, चलो उसके घर चलते है।
भुवन _राजेश, चाची तो मुझे पसन्द नही करती, मूझसे बातचीत नही करती।
चलो चाचा जी से मिलवा देता हूं।
राजेश _भुवन भईया ऐसा भी क्या बात हो गई जो चाची जी आपसे बातचीत नही करती।
भुवन _इसकेे बारे में कभी बताऊंगा, छोटे अभी मत पूछो।
लो चाचा जी का दुकान आ गया।
भुवन का चाचा माधव प्रसाद उम्र 40वर्ष।
दुकान में ही था,,
भुवन _नमस्ते चाचा जी,
माधव _अरे, भुवन आओ बैठो,
भुवन ने माधव का पैर छूकर प्रणाम किया।
राजेश ने भी पैर छूकर प्रणाम चाचा जी कहा।
माधव _अरे भुवन ये कौन है?
भुवन _चाचा जी पहचानो ये कौन है?
माधव _इसकी सकल तो बाबू जी से काफी मिलती है। कौन है ये,,
भुवन _चाचा जी, ये राजेश है, शेखर चाचा का लडका, आज सुबह ही शहर से आया है।
माधव प्रसाद _ये शेखर भईया का लडका राजेश है!
माधव का खुशी का ठिकाना न रहा,
अरे भईया भाभी और तुम लोगो से मिलने के लिए आंखे तरस रही थी।
मैं बता नही सकता की तूमको गांव में देखकर कितना खुशी महसूस कर रहा हूं।
तु अकेला आया है की भईया भाभी भी साथ में आए है।
राजेश _चाचा जी पापा को तो ड्यूटी से छुट्टी ही नही मिलता।
माधव प्रसाद _जानता हूं बेटा बैंक वालो की ड्यूटी।
वैसे तु सुबह का आया है और अब मिलने आया है।
बेटा तु इधर से ही तो गुजरा होगा। मूझसे आते ही मिल लिया होता।
राजेश _चाचा जी मैं आपको कैसे पहचानता, पहली बार जो आया हूं?
माधव _हां राजेश सच कहा तुमने।
चलो बेटा घर के अन्दर चलो, तुम्हारी चाची से मिलो।
घर दूकान से ही लगा था।
माधव ने अपनी पत्नि सविता को आवाज़ दिया।
अरे सुनती हो देखो तो कौन आया है।
दो तीन बार आवाज़ देने के बाद सविता बाहर आई।
सबिता उम्र 37 वर्ष, गांव की सरपंच है, पहले माधव सरपंच था, जब पंचायत चुनाव में सीट 50%महिलाओं के लिए आरक्षित हो गया, माधव की जगह सविता सरपंच बन गई, सविता कालेज तक पढ़ी थी।
सबिता_क्या huwa जी क्यू चिल्ला रहे हो?
माधव _देखो तो कौन आया है?
सविता _, कौन है ये?
माधव _शेखर भईया का लडका, राजेश, आज ही शहर से आया है।
राजेश ने पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
सविता _जीता रह।
वैसे इतने दिनो बाद गांव कि याद कैसे आई?
राजेश _जी चाची मैरी कालेज की पढ़ाई पूरी हो गई है तो आप लोगो से मिलने का बड़ा मन था, कुछ दिन रहने चला आया।
माधव _अरे सविता, ऐसे ही खड़े खड़े बाते करती रहेगी की घर के अन्दर ले जाकर चाय वगैरा भी पिलाएगी।
सविता _देखो जी मैं तो अभी पंचायत के काम से पंचायत भवन जा रही। अभी मेरे पास समय नहीं।
तुम चाय वाले के दुकान से चाय मंगा कर पिला दो।

सविता वहा से चली गई।
माधव _राजेश तुम आपनी चाची की बातों का बुरा मत मानना। जुबान की थोड़ी कड़वी है पर दिल की बहुंत अच्छी है।अभी जल्दी में है न इसलिए,,
माधव ने राजेश और भुवन से दुकान में रखे चेयर पर बैठने कहा।
माधव _आओ बेटा बैठो।
क्या लोगो ठंडा या गरम?
भुवन _चाचा जी अभी तो गर्मी लग रही है, चाय तो रहने दो।
माधव ने दुकान में रखें फ्रीज से ठंडा का दो बाटल निकाला, और बोला,, लो बेटा ठंडा पियो।
अच्छा राजेश, भईया भाभी कैसे है?
यहां से जाने के बाद, गांव को तो बिल्कुल भुल ही गए।
राजेश _मां और पापा वहा अच्छे से है चाचा जी, पापा तो आप लोगो को बहुत मिस करते है। पर ड्यूटी से उन्हे समय नहीं मिल पाता गांव आने के लिए।
राजेश _चाचा जी एक बात पूछनी थी आपसे, आप तो यहां के सरपंच रह चूके है। गांव इतना पिछड़ा huwa क्यू है?
माधव _गांव के विकाश के लिए मैंने बहुँत प्रयास किया, राजेश पर सरकार की योजना का लाभ मिलने के लिए विधायक जी का सहयोग मिलना जरूरी है। उसके बीना अनुमोदन के कोइ भी कार्य पास नही हो सकता। यहा के विधायक ठाकुर बलेन्द्र सिंह नही चाहते की सरकार के किसी भी योजना का लाभ इस गांव के लोगो को मिले।
राजेश _चाचा जी ऐसा क्या हो गया था कि ठाकुर साहब इस गांव के खिलाफ हो गए हैं।
माधव _समय आने पर धीरे धीरे सब पता चल जायेगा राजेश, अभी उस बात को न जानो तो ही बेहतर है।
बात चित करते हुवे काफी समय हो गया।
भुवन _अच्छा चाचा जी मैं राजेश को खेत घुमा के ले आऊं, राजेश वहा बापू से भी मिल लेगा।
माधव _क्या राजेश बड़े भईया से अभी तक नही मिले हैं?
भुवन _कहा, चाचा जी, बापू तो सुबह से ही खेत निकल गए थे।
माधव _ठीक है, जाओ राजेश खेत घूम आओ। बड़े भईया से भी मिल लेना, वे बहुत खुश होंगे।
राजेश _ठीक है चाचा जी। हमे इजाजत दीजिए। पैर छूकर इजाज़त लिया।

माधव _जी ता रह बेटा, आते रहना।
राजेश _अभी, तो कुछ दिन यहां रहूंगा। आता रहूंगा आपके पास बैठने।
माधव _ठिक है बेटा।
राजेश और भुवन दोनो खेत की ओर चले गए।
भुवन _राजेश यह कच्ची सड़क सीधा नदी की ओर जाता हैं।
शाम को दोस्तो के साथ टहलने जाते है।
कुछ देर में ही वे खेत पहुुंच गए।
भुवन _लो भाई हम अपना खेत पहुँच गए।
ये कटीले तार से घिरा जो जमीन है। क़रीब 30एकड़। ये हमारा खेत है। खेत के चारो ओर मेड के किनारे किनारे,फल दार पेड़ लगे थे।
खेत के अन्दर जाने के लिए लकड़ी और घांस फुश का एक दस फीट लंबा 5फीट चौड़ा दरवाजा लगा था।
दरवाजा खोलकर वे अंदर गए।
अंदर एक झोपड़ा बना था जिसकी दिवारे मिट्टी की ऑर छत खपरैल की ।
वे झोपड़े के अंदर गए।
झोपड़े में एक खाट रखा था। उस पर मोटा चादर तकिया और एक कंबल था।
झोपड़ा के बाहर मटका , रखा था जिस में पीने के लिए पानी रखा था।
भुवन _आओ, राजेश बैठो खाट में।
राजेश खाट में बैठ गया।
राजेश _अरे भुवन भईया, ताऊ जी दिखाई नहीं दे रहे।
भुवन _वो खेत में मजदूरों के साथ होंगे। मां भी होगी। बापू के लिए खाना लेके आई थी। शाम को मजदूरों के साथ ही चली जाती है।
चलो बापू से मिलवाता हूं।
भुवन राजेश को उस ओर ले गए जिधर मजदूर काम कर रहे थे।
खेत में विभिन्न प्रकार के सब्जियां फल फूल अनाज लगे हुवे थे।
गांव की महिलाए खेत में काम करने आती थी।
पास पहुंचने पर भुवन ने आवाज़ लगाया।
भुवन _बापू, ओ बापू।
भुवन के पिता का नाम केशव प्रसाद था, उम्र 50 वर्ष।
केशव _क्या huwa बेटा क्यू चिल्ला रहा है? केशव मजदूरों के साथ खेत में काम कर रहा था, वह खड़ा होकर, भुवन की ओर देखने लगा। पदमा भी देखने लगी, गांव की महिलाए जो खेत में काम कर रही थी वे भी देखने लगे, आखिर बात क्या है?
भुवन _बापू देखो कौन आया है?
पदमा _भुवन, राजेश को लेकर आया है!
केशव खेत के मेड की ओर जाने लगा।
पास जाने के बाद।
राजेश ने पैर छूकर, अपने ताऊ जी को प्रणाम किया।
केशव _खुश रह बेटा । अरे बेटा तुम यहां में क्यू चले आए।
अरे भुवन, राजेश को यहां क्यू ले आया
यहां खेत के मेड़ों पर चलने में परेशानी हुईं होगी। आवाज़ लगा दिया होता मैं झोपड़े के पास ही चला आता।
राजेश _अरे नही ताऊ जी, मैं भी आप ही लोगो की तरह इन्सान हूं। आप लोग कठिन रास्तों पर चल सकते है काम कर सकते हैं तो मैं क्यू नही?
केशव _तुम्हारी बातों से ही लगता है की सुनीता और शेखर ने तुम्हे बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं।
केशव _बेटा तुम लोगो को देखने के लिए तो आंखे तरस रहा था। अच्छा huwa जो गांव चला आया। तु तो बिलकुल अपनें दादा जी पे गया है।
ऐसा लग रहा है की बापू फिर से घर आ गए हैं।
चलो बेटा झोपड़ी पर चलकर बातचीत करते हैं।
वे झोपड़ी पे चले आए फिर कुछ देर बैठकर घर की हाल चाल पूछने एवम सुख दुख की बातें करने लगे।
कुछ देर बाद चित करने के बाद,,,
केशव _भुवन बेटा तुम राजेश को खेत दिखाओ मैं खेत में पानी पला देता हूं।
भुवन _ठीक है बापू।
भुवन राजेश को खेत घूमाने लगा, खेत मे काम करने वाले गांव की औरतों को राजेश का परिचय कराने लगे।
खेत घूमने के बाद, राजेश और भुवन दोनो झोपड़ी पे आ गए और खाट पर लेट गए।
इधर शाम ढलने से पहले महिलाए अपनी घर के लिए निकलने लगी।
सभी महिलाए जो एक साथ घर के लिए निकली।
पदमा झोपड़े के पास रुकी।
पदमा _बेटा, मैं घर जा रही हूं, कुछ देर बाद तुम भी राजेश को लेकर घर आ जाना।
भुवन _ठीक है मां।
पदमा खाली बर्तन लेकर चली गई जिसमे खाना लेकर आईं थी।
अन्य महिलाए भी कतारबद्ध चलने लगी। भुवन, उन महिलाओं को जाते हुवे देख रहा था।
और मुस्कुरा रहा था। महिलाए भी भुवन को देखकर मुस्कुरा रही थी।
जब सभी महिलाए आगे निकल गई, पीछे चलने वाली महिला जो क़मर मटका मटका के चल रही थी।
भुवन ने उसके पिछवाड़े में एक छोटा पत्थर फेक कर मारा।
उस उस औरत ने पीछे मुड़कर देखा। राजेश ने उसे हाथ से कुछ इशारा किया।
उस औरत ने मुस्कुराते हुवे सिर हिलाई। फिर चली गईं।
राजेश ने यह सब देख लिया।
महिलाओं के जाने के बाद, दोनो फिर खाट में लेट गए।
राजेश _भुवन भईया, एक बात पूछूं।
भुवन _राजेश तुम्हे जो भी पूछना रहता है सीधा पूछा करो, इजाज़त लेने की क्या जरूरत?
राजेश _भईया, ये औरत कौन थी, और क्या इशारा किया था उनको।
भुवन _ राजेश,पहले यह बताओ, तुम्हारी तो कालेज में कई गर्लफ्रेंड रही होगी, तुम तो अपने कालेज के बेस्ट स्टूडेंट थे।
राजेश _इक दो गर्ल फ्रैंड थी।
भुवन _कभी, बुर का मजा लिया है?
राजेश _भईया मैं समझा नही।
भुवन _अरे,अभी तक किसी की चूत मारा है की नही।
राजेश _भईया, ये आप क्या कह रहे है।
भुवन _अरे तु तो लडकियों की तरह शर्मा रहा है।
लगता है तु अभी तक बुर का मजा नही चखा है।
अरे बुर मारने का असली मज़ा तो इसी उम्र में आता है।
मैने जिसे इशारा किया वह सरला काकी है! क्या मस्त मॉल है शाली।chudai में खुब मजा देती है।
आज मैने उसे रात में खेत में बुलाया है।
राजेश _क्या भईया, भाभी को पता चला तो, यहा, खेत में क्या गुल खिला रहे हों , वैसे भी भाभी बहुत सुन्दर है उसके रहते ये सब,,
भुवन _अरे, तु अभी बुर का मजा नही चखा है न इसलीय ऐसा बोल रहा है। घर की मुर्गी दाल बराबर होता है। अरे असली मजा तो दूसरे का मॉल चुराकर खाने में है। मैं तो कहता हूं तु भी आज रात मेरे साथ खेत में सोने आ जाना दोनो मिलकर सरला काकी की बुर का मजा लेंगे। क्या रस छोड़ती है साली।
यह गांव पिछड़ा जरूर है लेकिन यहां की औरतें एक से बडकर एक है।
गांव का कानून भी शख्त है अगर किसी के साथ जबरदस्ती किया तो मूंह काला कर गधे में बिठाकर पूरे गांव में घुमाते है।
पर इन औरतों को पटा लो तो खुब मजा देती है।
मैने तो खेत में काम करने वालियों में कई को पटा रखा है।
सरला काकी पसंद न आए तो किसी दूसरे को पसन्द कर लेना, मैं बात करूंगा, वो मना नहीं करेगी, बोलो क्या कहते हो।
राजेश _नही भईया आप ही मजा कीजिए।
तभी भुवन का बापू झोपड़े में आया।
केशव _क्या बाते हो रही है दोनो भाईयो में।
भुवन _कुछ नही बापू, मैं राजेश को गांव के लोगो के बारे में बता रहा था। यहां के लोग बड़े सीधे साधे है।
अच्छा बापू अब हम लोग चलते है।
केशव _अच्छा बेटा रात को आ जाना सोने के लिए।
भुवन _ठीक है बापू।
भुवन और राजेश दोनो घर के लिए निकल पड़े।
घर पहुंचने के बाद,,,
पदमा _आ गए तुम दोनो।
बहु दोनो के लिए चाय ले आओ।
पुनम _जी मां जी।
पुनम चाय लेकर आई, दोनो चाय पीने लगे,,
इधर हवेली में,,
माखन, ठाकुर के पास पहुंचा।
ठाकुर _बोलो माखन पता चला उन मादर चोदो के बारे में जिन लोगो नेठाकुर बलेंद्रसिंह के बेटी के इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश किए थे।
माखन _हा मालिक वे हमारे ही पार्टी के लड़के थे। उन्हे पता नही था की दिव्या आपकी बेटी है।
उन मादर चोदो को लेकर क्यू नही आया?
माखन _ट्रैन पे सवार कोइ लडका उन लोगो को मारकर ट्रैन से फेक दिया मालिक, एक लडका बचा है, उसी से जानकारी मिला वह लडका भी अपने अंतिम सांसे गिन रहा है, वह शायद ही बचेगा।
ठाकुर _अच्छा huwa मारे गए शाले, अगर जिन्दा बचते तो मेरे हाथो मारे जाते।
मुनीम _ठाकुर साहब मुझे तो राजेश का गांव आना कुछ अच्छा नही लग रहा। अकेले ही बदमाशो पर भारी पड़ गया।
ठाकुर _हूं, लगता है सुनीता ने मर्द को पैदा किया है वो , पर तुम चिन्ता मत करो, हमारे आदमियों से कह दो उस लड़के पर नजर रखे।
मुनीम जी कल की पार्टी की तैयारी चल रही है न।
मुनीम _आप चिन्ता न करे मालिक सब तैयारी अच्छे चल रही है।
ठाकुर _देखो मुनीम जी किसी प्रकार की कोइ कमी न रहे।
मुनीम _जी, मालिक।
मलिक आपसे एक बात पूछनी थी?
ठाकुर _बोलो, मुनीम जी क्या बात है?
मुनीम _दिव्या बेटी बोली है की कल के पार्टी में राजेश को भी निमंत्रण भेजने, क्या करना है? उसे बुलाने।
ठाकुर सोच में पड़ गया।
ये सूरजपुर वालो से तो मुझे नफरत है, पर दिव्या बेटी ने कहा है तो बुला लो, पर उस लड़के की हरकतों पर कड़ी नज़र रखने को बोल देना अपने आदमियों से।
मुनीम जी _ठीक है मालिक।
Jabardast update bhai 👍🏻 🔥
Ye Thakur ki kya dusmani hai Shekhar aur uske pariwaar se ,jis karan wo bol raha hai ki lagta hai Sunita ne mard ko janam diya hai ,aisa kya hua tha ateet me ...?
 
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rajesh bhagat

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Jabardast update bhai 👍🏻 🔥
Ye Thakur ki kya dusmani hai Shekhar aur uske pariwaar se ,jis karan wo bol raha hai ki lagta hai Sunita ne mard ko janam diya hai ,aisa kya hua tha ateet me ...?
शुक्रिया
rajesh bhagat Bhai,

Next update kab tak aayega?????
जल्द
 
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sunoanuj

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Iron Man

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पदमा आंगन में बैठकर चावल साफ़ करने लगी। इधर कमरे में भुवन और पुनम के बीच chudai अंतिम अवस्था में पहुंच गई। भुवन ने पुनम को घोड़ी बनाकर। जमकर पेला और अन्त में अपना वीर्य उसकी बुर में छोड़ दिया।
आधा वीर्य बहकर पुनम की टांगों में बहने लगा।
वह कमरे से निकल कर बाड़ी की ओर भागी।
पदमा ने उसे घूरते हुए देखा। जब पुनम की आंख उसकी सास से मिली तो वह शर्मा गई।
बाड़ी में बनी मूत्रालय में जाकर वह बाल्टी में भरी पानी से अपनी बुर धोने लगी।
वीर्य जो टांगों में बह रही थी उसको साफ की।
फिर वह आंगन में आ गईं।
पुनम _मां जी, दो चावल को मैं साफ़ कर देती हूं।
पदमा _क्यूं re कुछ शर्म वगैरा है की नही बाजू वाले कमरे में मेहमान है और दिन में ही शुरु हों गए।
पुनम शर्माते हुवे।
पुनम _मां जी आपका बेटा कहा मानता है? मैने उसे मना किया पर वह माना नही।
पदमा _चावल मैं साफ़ कर रही हूं तुम खाना बनाओ, जाओ सब्जी कांटो।
पुनम _कौन सी सब्जी बनाऊं मां जी।
पदमा _बाड़ी से तोड़कर करेला, और भाजी लाई है, जाओ बनादो। दाल भी चढ़ा देना।
कुछ रोटियां भी सेक देना।
पुनम _ठीक है मां जी।
पुनम कीचन में जाकर खाना बनाने लगी।
कुछ देर में आरती भी पहुंची।
पदमा _तु कहा चली गई थी re,
आरती _मां मैं अपनी सहेली, मधु के घर गई थी।
पदमा _जाओ हाथ पैर धोलो और कीचन में जाकर अपनी भौजी की मदद करो।
आरती भी कीचन में चली गई और भाभी की मदद करने लगी।
जब भोजन तैयार हों गया।
पदमा राजेश के कमरे में पहुंची।
राजेश अपनें साथ कुछ पुस्तके लाया था। ताकि आई ए एस की तैयारी कर सके। वह पुस्तक पड़ रहा था।
पदमा _राजेश बेटा,,
राजेश _जी ताई, आइए बैठिए।
पदमा _अरे बेटा, भोजन तैयार हो गया है चलो हाथ मूंह धोकर आ जाओ।
राजेश _ताई, भुवन भैया आ गया।
पदमा _हा बेटा वो तो कब का आ चुका है। अपनें कमरे में आराम कर रहा है। बहुत मेहनत किया न अपनी बीबी के साथ थक गया है।
राजेश _मैं समझा नही ताई।
पदमा _बेटा, जब तेरी शादी होगी न तो तू भी समझ जाएगा। चल अब आ जा।
राजेश _ठीक है ताई।
पदमा भुवन के कमरे में गया।
अरे मुआ चल तु भी खाना खा लें फिर मुझे भी तुम्हारे बापू के लिए खाना लें जाना है, नही तो वह भूखा रह जायेगा।
भुवन _ठीक है मां।
भुवन अपनें कमरे से निकल कर राजेश के कमरे मे गया।
भुवन _अरे, राजेश चलो भोजन करते हैं। डाकिया बाबू ने तुम्हे घर तक छोड़ा न। कोइ परेशानी तो नहीं हुईं।
राजेश _ नही भाई, आने में कोई दिक्कत नही हुई।अभी अभी ताई आई थी बुलाने।
राजेश और भुवन दोनो हाथ धोकर भोजन के लिए कीचन में पहुंचते हैं।
पूनम दोनो को खाना परोश्ती है।
दाल चावल सब्जी रोटी।
भुवन _वाह, आज तो खाने में मजा आ जायेगा।
भाई राजेश तुम्हारे आने से तो हमें भी अच्छा खाना खाने को मिल रहा है।
वाह क्या खुशबू आ रही है, भोजन में।
राजेश _भाभी के हाथ में तो जादू है बड़ा स्वादिष्ट भोजन बना है।
भुवन _भाई, ये जादू तो तुम्हारे आने के बाद ही देखने को मिल रहा है। नही तो आर रूखा सूखा ही खाकर काम चलाना पड़ता है। किसी को कुछ बोलो तो, उल्टा हमें ही सुनना पड़ता था।
पुनम _क्यों जी कब तूमने रूखा सूखा खाना खाया है? आप तो ऐसे बोल रहे है कि मैं मन से खाना नही बनाती, मूंह फुलाते हुवे बोली।
भुवन _लो कुछ बोलो तो मुंह फुलाकर बैठ जाती है। कुछ बोलना ही बेकार है।
तभी पदमा पहुंची,,
पदमा _क्या हों गया re मुआ कही का क्यो आपनी लुगाई सै झगड़ रहा है?
भुवन _कुछ नही मां, मैं तो खाना की तारीफ कर रहा थाकि आज खाना बड़ा स्वादिष्ट बनाई है पुनम ने।
आरती _भईया मैने भी मदद की है खाना बनाने में भाभी की।
भुवन _अच्छा तो सब मिलकर राजेश की खातिर दारी में लगे हुवे है।
पदमा _तुम्हे जलन हो रही है क्या? तुम्हारे छोटे भाई की खातिर दारी होने से,,
भुवन _अरे नही मां, मुझे क्यू जलन होने लगा, मैं तो खुश हूं कि राजेश के आ जाने के बाद अच्छा अच्छा खाने को मिलेगा।
पदमा _बहु राजेश को दो और रोटी दो।
राजेश _नही ताई, मेरा पेट भर गया।
पदमा _अरे बेटा, तू खाने में शर्मा मत यह तुम्हारा ही घर है। वैसे भी इस घर और जमीन पर तुम्हारा उतना ही हक है जितना भुवन का।
जमीन जायदाद का बटवारा हुवा नही है।
राजेश _ताई एक बात पूछनी थी आपसे?
पदमा _पूछो, बेटा ।
राजेश _चाचा और चाची अलग क्यू रहते हैं? आप लोगो के साथ क्यू नही?
पदमा _अब क्या बताऊं बेटा, तुम्हारी चाची और हमारे बीच किसी बात को लेकर अनबन हों गई। तुम्हारे चाचा जी तो साथ ही रहना चाहते थे। पर तुम्हारी चाची के आगे उसका भी नही चलता।तुम्हारे चाची के कहने पर,अलग से घर बना लिए और वही रहते है।तुम्हारी चाची, इस गांव के सरपंच है,तुम्हारे चाचा जी दुकान चलाते है। कृषि कार्य में तो उन्हे रुचि है नही, खेत को तुम्हारे ताऊ और भुवन के जिम्मे छोड़ दिया है।
यहां आते समय जो बड़ा सा किरानाऔर निर्माण सामग्री, और कृषि खाद का दुकान देखा होगा वह सब तुम्हारे चाचा जी ही चलाते है।
भुवन और राजेश दोनो ने दोनो भोजन कर लिए, उसके बाद दोनो राजेश के कमरे में चले गए।
इधर पदमा ने भी भोजन किया उसके बाद अपनें पति के लिए भोजन लेकर खेत चली गई।
कुछ देर आराम करने के बाद,,
भुवन _राजेश चलो अब तैयार हो जाओ। तुम्हे गांव घुमा लाऊ।
राजेश कपड़े पहन कर तैयार हो गया।
जैसे ही वे गालियों में पहुंचे, गांवों वाले राजेश को देखकर पूछते, भुवन गांव में नया लगता है, ये युवक कोन है ये।
भुवन सभी को राजेश का परिचय कराता।
गांव में जो जो मुख्य चीजे थी, प्राथमिक शाला, आंगनबाड़ी, पंचायत भवन, गोठन, सभी का भ्रमण किया।
राजेश _भुवन भईया, मैं चाचा चाची से मिलना चाहता हूं, चलो उसके घर चलते है।
भुवन _राजेश, चाची तो मुझे पसन्द नही करती, मूझसे बातचीत नही करती।
चलो चाचा जी से मिलवा देता हूं।
राजेश _भुवन भईया ऐसा भी क्या बात हो गई जो चाची जी आपसे बातचीत नही करती।
भुवन _इसकेे बारे में कभी बताऊंगा, छोटे अभी मत पूछो।
लो चाचा जी का दुकान आ गया।
भुवन का चाचा माधव प्रसाद उम्र 40वर्ष।
दुकान में ही था,,
भुवन _नमस्ते चाचा जी,
माधव _अरे, भुवन आओ बैठो,
भुवन ने माधव का पैर छूकर प्रणाम किया।
राजेश ने भी पैर छूकर प्रणाम चाचा जी कहा।
माधव _अरे भुवन ये कौन है?
भुवन _चाचा जी पहचानो ये कौन है?
माधव _इसकी सकल तो बाबू जी से काफी मिलती है। कौन है ये,,
भुवन _चाचा जी, ये राजेश है, शेखर चाचा का लडका, आज सुबह ही शहर से आया है।
माधव प्रसाद _ये शेखर भईया का लडका राजेश है!
माधव का खुशी का ठिकाना न रहा,
अरे भईया भाभी और तुम लोगो से मिलने के लिए आंखे तरस रही थी।
मैं बता नही सकता की तूमको गांव में देखकर कितना खुशी महसूस कर रहा हूं।
तु अकेला आया है की भईया भाभी भी साथ में आए है।
राजेश _चाचा जी पापा को तो ड्यूटी से छुट्टी ही नही मिलता।
माधव प्रसाद _जानता हूं बेटा बैंक वालो की ड्यूटी।
वैसे तु सुबह का आया है और अब मिलने आया है।
बेटा तु इधर से ही तो गुजरा होगा। मूझसे आते ही मिल लिया होता।
राजेश _चाचा जी मैं आपको कैसे पहचानता, पहली बार जो आया हूं?
माधव _हां राजेश सच कहा तुमने।
चलो बेटा घर के अन्दर चलो, तुम्हारी चाची से मिलो।
घर दूकान से ही लगा था।
माधव ने अपनी पत्नि सविता को आवाज़ दिया।
अरे सुनती हो देखो तो कौन आया है।
दो तीन बार आवाज़ देने के बाद सविता बाहर आई।
सबिता उम्र 37 वर्ष, गांव की सरपंच है, पहले माधव सरपंच था, जब पंचायत चुनाव में सीट 50%महिलाओं के लिए आरक्षित हो गया, माधव की जगह सविता सरपंच बन गई, सविता कालेज तक पढ़ी थी।
सबिता_क्या huwa जी क्यू चिल्ला रहे हो?
माधव _देखो तो कौन आया है?
सविता _, कौन है ये?
माधव _शेखर भईया का लडका, राजेश, आज ही शहर से आया है।
राजेश ने पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
सविता _जीता रह।
वैसे इतने दिनो बाद गांव कि याद कैसे आई?
राजेश _जी चाची मैरी कालेज की पढ़ाई पूरी हो गई है तो आप लोगो से मिलने का बड़ा मन था, कुछ दिन रहने चला आया।
माधव _अरे सविता, ऐसे ही खड़े खड़े बाते करती रहेगी की घर के अन्दर ले जाकर चाय वगैरा भी पिलाएगी।
सविता _देखो जी मैं तो अभी पंचायत के काम से पंचायत भवन जा रही। अभी मेरे पास समय नहीं।
तुम चाय वाले के दुकान से चाय मंगा कर पिला दो।

सविता वहा से चली गई।
माधव _राजेश तुम आपनी चाची की बातों का बुरा मत मानना। जुबान की थोड़ी कड़वी है पर दिल की बहुंत अच्छी है।अभी जल्दी में है न इसलिए,,
माधव ने राजेश और भुवन से दुकान में रखे चेयर पर बैठने कहा।
माधव _आओ बेटा बैठो।
क्या लोगो ठंडा या गरम?
भुवन _चाचा जी अभी तो गर्मी लग रही है, चाय तो रहने दो।
माधव ने दुकान में रखें फ्रीज से ठंडा का दो बाटल निकाला, और बोला,, लो बेटा ठंडा पियो।
अच्छा राजेश, भईया भाभी कैसे है?
यहां से जाने के बाद, गांव को तो बिल्कुल भुल ही गए।
राजेश _मां और पापा वहा अच्छे से है चाचा जी, पापा तो आप लोगो को बहुत मिस करते है। पर ड्यूटी से उन्हे समय नहीं मिल पाता गांव आने के लिए।
राजेश _चाचा जी एक बात पूछनी थी आपसे, आप तो यहां के सरपंच रह चूके है। गांव इतना पिछड़ा huwa क्यू है?
माधव _गांव के विकाश के लिए मैंने बहुँत प्रयास किया, राजेश पर सरकार की योजना का लाभ मिलने के लिए विधायक जी का सहयोग मिलना जरूरी है। उसके बीना अनुमोदन के कोइ भी कार्य पास नही हो सकता। यहा के विधायक ठाकुर बलेन्द्र सिंह नही चाहते की सरकार के किसी भी योजना का लाभ इस गांव के लोगो को मिले।
राजेश _चाचा जी ऐसा क्या हो गया था कि ठाकुर साहब इस गांव के खिलाफ हो गए हैं।
माधव _समय आने पर धीरे धीरे सब पता चल जायेगा राजेश, अभी उस बात को न जानो तो ही बेहतर है।
बात चित करते हुवे काफी समय हो गया।
भुवन _अच्छा चाचा जी मैं राजेश को खेत घुमा के ले आऊं, राजेश वहा बापू से भी मिल लेगा।
माधव _क्या राजेश बड़े भईया से अभी तक नही मिले हैं?
भुवन _कहा, चाचा जी, बापू तो सुबह से ही खेत निकल गए थे।
माधव _ठीक है, जाओ राजेश खेत घूम आओ। बड़े भईया से भी मिल लेना, वे बहुत खुश होंगे।
राजेश _ठीक है चाचा जी। हमे इजाजत दीजिए। पैर छूकर इजाज़त लिया।

माधव _जी ता रह बेटा, आते रहना।
राजेश _अभी, तो कुछ दिन यहां रहूंगा। आता रहूंगा आपके पास बैठने।
माधव _ठिक है बेटा।
राजेश और भुवन दोनो खेत की ओर चले गए।
भुवन _राजेश यह कच्ची सड़क सीधा नदी की ओर जाता हैं।
शाम को दोस्तो के साथ टहलने जाते है।
कुछ देर में ही वे खेत पहुुंच गए।
भुवन _लो भाई हम अपना खेत पहुँच गए।
ये कटीले तार से घिरा जो जमीन है। क़रीब 30एकड़। ये हमारा खेत है। खेत के चारो ओर मेड के किनारे किनारे,फल दार पेड़ लगे थे।
खेत के अन्दर जाने के लिए लकड़ी और घांस फुश का एक दस फीट लंबा 5फीट चौड़ा दरवाजा लगा था।
दरवाजा खोलकर वे अंदर गए।
अंदर एक झोपड़ा बना था जिसकी दिवारे मिट्टी की ऑर छत खपरैल की ।
वे झोपड़े के अंदर गए।
झोपड़े में एक खाट रखा था। उस पर मोटा चादर तकिया और एक कंबल था।
झोपड़ा के बाहर मटका , रखा था जिस में पीने के लिए पानी रखा था।
भुवन _आओ, राजेश बैठो खाट में।
राजेश खाट में बैठ गया।
राजेश _अरे भुवन भईया, ताऊ जी दिखाई नहीं दे रहे।
भुवन _वो खेत में मजदूरों के साथ होंगे। मां भी होगी। बापू के लिए खाना लेके आई थी। शाम को मजदूरों के साथ ही चली जाती है।
चलो बापू से मिलवाता हूं।
भुवन राजेश को उस ओर ले गए जिधर मजदूर काम कर रहे थे।
खेत में विभिन्न प्रकार के सब्जियां फल फूल अनाज लगे हुवे थे।
गांव की महिलाए खेत में काम करने आती थी।
पास पहुंचने पर भुवन ने आवाज़ लगाया।
भुवन _बापू, ओ बापू।
भुवन के पिता का नाम केशव प्रसाद था, उम्र 50 वर्ष।
केशव _क्या huwa बेटा क्यू चिल्ला रहा है? केशव मजदूरों के साथ खेत में काम कर रहा था, वह खड़ा होकर, भुवन की ओर देखने लगा। पदमा भी देखने लगी, गांव की महिलाए जो खेत में काम कर रही थी वे भी देखने लगे, आखिर बात क्या है?
भुवन _बापू देखो कौन आया है?
पदमा _भुवन, राजेश को लेकर आया है!
केशव खेत के मेड की ओर जाने लगा।
पास जाने के बाद।
राजेश ने पैर छूकर, अपने ताऊ जी को प्रणाम किया।
केशव _खुश रह बेटा । अरे बेटा तुम यहां में क्यू चले आए।
अरे भुवन, राजेश को यहां क्यू ले आया
यहां खेत के मेड़ों पर चलने में परेशानी हुईं होगी। आवाज़ लगा दिया होता मैं झोपड़े के पास ही चला आता।
राजेश _अरे नही ताऊ जी, मैं भी आप ही लोगो की तरह इन्सान हूं। आप लोग कठिन रास्तों पर चल सकते है काम कर सकते हैं तो मैं क्यू नही?
केशव _तुम्हारी बातों से ही लगता है की सुनीता और शेखर ने तुम्हे बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं।
केशव _बेटा तुम लोगो को देखने के लिए तो आंखे तरस रहा था। अच्छा huwa जो गांव चला आया। तु तो बिलकुल अपनें दादा जी पे गया है।
ऐसा लग रहा है की बापू फिर से घर आ गए हैं।
चलो बेटा झोपड़ी पर चलकर बातचीत करते हैं।
वे झोपड़ी पे चले आए फिर कुछ देर बैठकर घर की हाल चाल पूछने एवम सुख दुख की बातें करने लगे।
कुछ देर बाद चित करने के बाद,,,
केशव _भुवन बेटा तुम राजेश को खेत दिखाओ मैं खेत में पानी पला देता हूं।
भुवन _ठीक है बापू।
भुवन राजेश को खेत घूमाने लगा, खेत मे काम करने वाले गांव की औरतों को राजेश का परिचय कराने लगे।
खेत घूमने के बाद, राजेश और भुवन दोनो झोपड़ी पे आ गए और खाट पर लेट गए।
इधर शाम ढलने से पहले महिलाए अपनी घर के लिए निकलने लगी।
सभी महिलाए जो एक साथ घर के लिए निकली।
पदमा झोपड़े के पास रुकी।
पदमा _बेटा, मैं घर जा रही हूं, कुछ देर बाद तुम भी राजेश को लेकर घर आ जाना।
भुवन _ठीक है मां।
पदमा खाली बर्तन लेकर चली गई जिसमे खाना लेकर आईं थी।
अन्य महिलाए भी कतारबद्ध चलने लगी। भुवन, उन महिलाओं को जाते हुवे देख रहा था।
और मुस्कुरा रहा था। महिलाए भी भुवन को देखकर मुस्कुरा रही थी।
जब सभी महिलाए आगे निकल गई, पीछे चलने वाली महिला जो क़मर मटका मटका के चल रही थी।
भुवन ने उसके पिछवाड़े में एक छोटा पत्थर फेक कर मारा।
उस उस औरत ने पीछे मुड़कर देखा। राजेश ने उसे हाथ से कुछ इशारा किया।
उस औरत ने मुस्कुराते हुवे सिर हिलाई। फिर चली गईं।
राजेश ने यह सब देख लिया।
महिलाओं के जाने के बाद, दोनो फिर खाट में लेट गए।
राजेश _भुवन भईया, एक बात पूछूं।
भुवन _राजेश तुम्हे जो भी पूछना रहता है सीधा पूछा करो, इजाज़त लेने की क्या जरूरत?
राजेश _भईया, ये औरत कौन थी, और क्या इशारा किया था उनको।
भुवन _ राजेश,पहले यह बताओ, तुम्हारी तो कालेज में कई गर्लफ्रेंड रही होगी, तुम तो अपने कालेज के बेस्ट स्टूडेंट थे।
राजेश _इक दो गर्ल फ्रैंड थी।
भुवन _कभी, बुर का मजा लिया है?
राजेश _भईया मैं समझा नही।
भुवन _अरे,अभी तक किसी की चूत मारा है की नही।
राजेश _भईया, ये आप क्या कह रहे है।
भुवन _अरे तु तो लडकियों की तरह शर्मा रहा है।
लगता है तु अभी तक बुर का मजा नही चखा है।
अरे बुर मारने का असली मज़ा तो इसी उम्र में आता है।
मैने जिसे इशारा किया वह सरला काकी है! क्या मस्त मॉल है शाली।chudai में खुब मजा देती है।
आज मैने उसे रात में खेत में बुलाया है।
राजेश _क्या भईया, भाभी को पता चला तो, यहा, खेत में क्या गुल खिला रहे हों , वैसे भी भाभी बहुत सुन्दर है उसके रहते ये सब,,
भुवन _अरे, तु अभी बुर का मजा नही चखा है न इसलीय ऐसा बोल रहा है। घर की मुर्गी दाल बराबर होता है। अरे असली मजा तो दूसरे का मॉल चुराकर खाने में है। मैं तो कहता हूं तु भी आज रात मेरे साथ खेत में सोने आ जाना दोनो मिलकर सरला काकी की बुर का मजा लेंगे। क्या रस छोड़ती है साली।
यह गांव पिछड़ा जरूर है लेकिन यहां की औरतें एक से बडकर एक है।
गांव का कानून भी शख्त है अगर किसी के साथ जबरदस्ती किया तो मूंह काला कर गधे में बिठाकर पूरे गांव में घुमाते है।
पर इन औरतों को पटा लो तो खुब मजा देती है।
मैने तो खेत में काम करने वालियों में कई को पटा रखा है।
सरला काकी पसंद न आए तो किसी दूसरे को पसन्द कर लेना, मैं बात करूंगा, वो मना नहीं करेगी, बोलो क्या कहते हो।
राजेश _नही भईया आप ही मजा कीजिए।
तभी भुवन का बापू झोपड़े में आया।
केशव _क्या बाते हो रही है दोनो भाईयो में।
भुवन _कुछ नही बापू, मैं राजेश को गांव के लोगो के बारे में बता रहा था। यहां के लोग बड़े सीधे साधे है।
अच्छा बापू अब हम लोग चलते है।
केशव _अच्छा बेटा रात को आ जाना सोने के लिए।
भुवन _ठीक है बापू।
भुवन और राजेश दोनो घर के लिए निकल पड़े।
घर पहुंचने के बाद,,,
पदमा _आ गए तुम दोनो।
बहु दोनो के लिए चाय ले आओ।
पुनम _जी मां जी।
पुनम चाय लेकर आई, दोनो चाय पीने लगे,,
इधर हवेली में,,
माखन, ठाकुर के पास पहुंचा।
ठाकुर _बोलो माखन पता चला उन मादर चोदो के बारे में जिन लोगो नेठाकुर बलेंद्रसिंह के बेटी के इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश किए थे।
माखन _हा मालिक वे हमारे ही पार्टी के लड़के थे। उन्हे पता नही था की दिव्या आपकी बेटी है।
उन मादर चोदो को लेकर क्यू नही आया?
माखन _ट्रैन पे सवार कोइ लडका उन लोगो को मारकर ट्रैन से फेक दिया मालिक, एक लडका बचा है, उसी से जानकारी मिला वह लडका भी अपने अंतिम सांसे गिन रहा है, वह शायद ही बचेगा।
ठाकुर _अच्छा huwa मारे गए शाले, अगर जिन्दा बचते तो मेरे हाथो मारे जाते।
मुनीम _ठाकुर साहब मुझे तो राजेश का गांव आना कुछ अच्छा नही लग रहा। अकेले ही बदमाशो पर भारी पड़ गया।
ठाकुर _हूं, लगता है सुनीता ने मर्द को पैदा किया है वो , पर तुम चिन्ता मत करो, हमारे आदमियों से कह दो उस लड़के पर नजर रखे।
मुनीम जी कल की पार्टी की तैयारी चल रही है न।
मुनीम _आप चिन्ता न करे मालिक सब तैयारी अच्छे चल रही है।
ठाकुर _देखो मुनीम जी किसी प्रकार की कोइ कमी न रहे।
मुनीम _जी, मालिक।
मलिक आपसे एक बात पूछनी थी?
ठाकुर _बोलो, मुनीम जी क्या बात है?
मुनीम _दिव्या बेटी बोली है की कल के पार्टी में राजेश को भी निमंत्रण भेजने, क्या करना है? उसे बुलाने।
ठाकुर सोच में पड़ गया।
ये सूरजपुर वालो से तो मुझे नफरत है, पर दिव्या बेटी ने कहा है तो बुला लो, पर उस लड़के की हरकतों पर कड़ी नज़र रखने को बोल देना अपने आदमियों से।
मुनीम जी _ठीक है मालिक।
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चाय पीने के बाद भगत ने भुवन से कहा, राजेश चलो मैं तुम्हे अपने दोस्तो से मिलाता हूं।
पदमा _अरे मुआ, अभी तो आए और अभी फिर निकल रहे हो।
भुवन _मां आखिर घर में रहकर करेंगे भी क्या? राजेश का अपनें दोस्तो से परिचय करा देता हूं। राजेश भी उन लोगो से घुल मिल लेगा। नही तो अकेला बोर हो जायेगा गांव में। मै तो खेत चला जाऊंगा न काम पे तब राजेश अकेला बोर महसूस करेगा ।मेरे दोस्त यारों से घुल मिल जायेगा, तो उनसे मिलकर बोरियत दूर कर लेगा।
पदमा _बात तो तुमने सही कहा बेटा।
भुवन _अच्छा मां अब चलते है।
पदमा _पर बेटा समय पर आ जाना, तुम्हे भोजन कर खेत भी जाना है ।
भुवन _ठीक है मां।
भुवन, राजेश को लेकर अपने दोस्तो से मिलवाने ले गया।
सबसे पहले वह एक क्लिनिक पर ले गया।
भुवन का दोस्त रवि क्लिनिक चलाता हैं।

वह 12वी की पढाई करने के बाद, धरम पुर चला गया। वहा बड़े हॉस्पिटल में 4सालो तक कंपाउंडर के रूप में काम किया।
4सालो में चिकित्सा का अच्छा अनुभव हो जाने के बाद वह अपने गांव में क्लिनिक खोल लिया। उसके गांव के लोग ही नही अन्य गांव से भी ईलाज कराने उसके क्लिनिक पर आते है।
गांव में केवल एक ही क्लिनिक हैं।
रवि ने गांव के एक लड़के को ही अपना सहायक रख लिया है। जिसका नाम बबलू है।
जब भुवन, राजेश को लेकर क्लिनिक पर गया।
बबलू _अरे भुवन भईया आइए बैठिए।
भुवन _अरे बबलू रवि कह हैं?
बबलू _रवि भईया, अंदर मरीज का ईलाज कर रहे हैं।
आप लोग बैठिए न।

भुवन और राजेश क्लिनिक पे बैठकर रवि का इन्तजार करने लगे।
कुछ देर बाद रवि कमरे से बाहर निकला।
रवि _अरे, भुवन भाई तु कब आया?
भुवन _अबे,15मिनट हो गया, यहां आए। तु इतने देर तक अंदर क्या कर रहा था बे।
तभी कमरे से एक महिला निकली।
महिला _अच्छा, डाक्टर बाबू अब मै चलती हूं।
रवि _ ठीक है भौजी। जो दवाई दी है उसे समय पर लेते रहना। और कोइ समस्या हो तो क्लिनिक पे आ जाना।
महिला _ठीक है डाक्टर बाबू।
महिला के जाने के बाद,,
रवि _अरे भुवन भाई, ये कौन है?
भुवन _, अबे ये मेरा छोटा भाई, राजेश है। इनका कालेज का पढ़ाई पूरी हो गई है तो आज ही शहर से आया। तुमसे मिलवाने लाया हूं।
ये कुछ समय गांव में ही रहेगा।
अब गांव में किसी को जानता तो है नही, इस लिए बोर न हो इसलिए अपने दोस्तो से परिचय करा रहा हूं। ताकि बोरियत महसूस हों तो तुम लोगो के साथ टाइम पास कर सके।
ये तो बड़ा अच्छा किया।
रवि _अच्छा राजेश, हमें दोस्त समझो, अगर बोर लगे तो आ जाना हमारे क्लिनिक पे।
वैसे कालेज के बाद आगे का क्या सोचा है?
राजेश _आई ए एस की तैयारी कर रहा हूं, भाई ।
रवि _ये तो बड़ी खुशी की बात है। वैसे तुम बड़ा स्मार्ट हो, किसी फौजी जैसा बॉडी बना रखे हो, लगता है सुबह खुब पशीना बहाते हो।
राजेश _शहर में सुबह जिम जाता था।
भुवन _अरे राजेश तुम चिन्ता मत करो, यहां भी जिम का देशी जुगाड कर देगें।
राजेश _अगर ऐसा हो जाय तो बड़ी अच्छी बात होगी भुवन भईया।
रवि _राजेश, तुम यहां के युवक अखाड़ा संगठन बनाए है जो सुबह अभ्यास करते है, तुम भी उस संगठन से जुड़ जाना।
भुवन _हां राजेश, रवि ठीक कह रहा है।
मैं उन युवकों से तुम्हे मिलवाऊंगा।
अरे यार रवि चलो थोडा बाहर टहल कर आते है।
रवि _चलो यार,,
बबलू मैं थोडा टहल कर आता हूं। कोइ क्लिनिक पर आए तो बिठा कर रखना।
बबलू _ठीक है भईया,,
भुवन, राजेश और रवि तीनो टहलने निकल जाते है रास्ते में,,
भुवन _अबे रवि ये जो महिला थी जिसका तु अन्दर इलाज कर रहा था, ये बिंदिया भौजी हैं न।
कलुवा की लुगाई।
रवि _हां, भुवन भाई,,
भुवन _लगता है बड़ा अच्छे से इलाज कर रहा है बेटा उसका
क्या समस्या है उसकी,,
रवि _अबे ऐसा कुछ नही जैसा तू समझ रहा है।
भुवन _बेटा तु मूझसे छुपाएगा।
परसो जब आया था तेरे पास तो भी ये महिला तेरे क्लीनिक पर थी,, बेटा खुब मजा ले रहा है तु,,
अब सच बता भी दो,,,
रवि ने राजेश की ओर इशारा किया,,
भुवन _अबे राजेश, मेरा छोटा भाई है, अब ये तुम्हारा भी छोटा भाई है। इससे राज छुपाने की जरूरत नही।

रवि _अरे, भुवन भाई कुछ दिन पहले आई थी क्लिनिक पर बिंदिया भौजी। उसके पेट में दर्द था, इलाज कराने।
वह किसी के यहां शादी में गई थी कुछ उल्टा सीधा खा ली थी। पेट में इफेक्सन हो गया था।
पेट में गैस भर जाने के कारण उसका पेट दर्द कर रहा था।
मैंने दवाई दी, दर्द से राहत पहुंचाने के लिए, उसे उपचार कक्ष के अन्दर ले जाकर, उसके पेट की अच्छे से मालिश की।
पेट के मालिश करने से उसे काफी राहत मिली।
उसे दुसरे दिन भी बुलाया।
उसने बताया की आज उसे काफी हद तक आराम मील चुका है। आप के मालिश से बहुत आराम मिला। आज भी अच्छे से मालिश कर दो।
उस दिन बड़ी बन ठन कर आई थी।
वह मालिश कराने उपचार टेबल पर साड़ी उतार कर लेट गई।
उसकी मादक शरीर को देखकर मैं भी गर्म हों गया।
जैसे ही मैंने उसके पेट की मालिश शुरू किया, धीरे धीरे वह भी गर्म होकर सिसकने लगी।
वह एक हाथ से मेरे land को सहलाने लगी।
उसके हाथ लगने से मेरा land और तन गया।

मैने उसकी पेट के साथ साथ उसकी बड़े बड़े सुडौल चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से मसलने लगा।
वह और गर्म हो गईं।
उसने अपनी ब्लाउज की बटन खोलकर अपनी दूदू बाहर निकाल दी।
उसकी सुडौल बड़े बड़े स्तनों को देखकर मै भी बेकाबू हो गया।
मैंने पेट की मालिश करना छोड़ कर उसकी चूची दबाने एवम पीने लगा जिससे वह और गर्म हो गई।
जब उससे बर्दास्त नही huwa तो वह बोली,,
डाक्टर बाबू अब देर न करो, मूझे चोदकर जल्दी से मैरी प्यास बुझाओ। अब बर्दास्त करना मुस्किल है।
उसने अपनी टांगे फैला दी।
उसने चड्डी नही पहनी थी। उसकी मस्त फुली हुई बुर देखकर मेरा land झटके मारने लगा , मैंने भी देर न करते हुए अपना land पैंट का चैन खोलकर बाहर निकाला और अपना land पर थूक लगा कर उसकी बुर में गच से पेल दिया।
उसकी बुर एकदम गीली थी।land बुर को चीरता huwa जड़ तक अंदर घुस
मैंने उसकी दोनों स्तनों को पकड़ कर मसलते हुवे दनादन chudai शुरु कर दी। कमरा बिंदिया की मादक सिसकारी से गूंज उठा।
दोनो जन्नत की सैर करने लगे।
कुछ देर इसी आसन में chudai करने के बाद मैंने उसे kutiya बना दिया, फिर कुत्ते की तरह गच, गाच चोदने लगा।
दोनो संभोग की असीम आनद को प्राप्त कर रहे थे।
मैने उसे जम कर भोगा और उसे शारीरिक सुख दिया।
वह मैरी दिवानी हो गईं।
उस दिन के बाद से जब भी उसका मन होता हैं वह पेट दर्द का बहाना कर मूझसे chudne आती है।
भुवन _बेटा मुझे तो पहले दिन जब बिंदिया भौजी को तुम्हारे क्लिनिक पर देखा तभी से सक था।

अच्छा सुन हमारा राजेश अभी chudai के मामले में कच्चा है। मैने इसे कहा तो, कहता है chudai करना नहीं चाहता।
तुम तो डाक्टर हो इसे कुछ समझाओ।
अभी मजा नही करेगा तो कब करेगा।
रवि _राजेश तुम्हारा खड़ा तो होता है न अगर खड़ा नही होता हो तो दवाई है मेरे पास।
राजेश _नही रवि भईया ऐसी कोई समस्या नही है।
रवि _अगर समस्या नही है तो chudai का मजा क्यू नही लेते, तुम मेरे क्लिनिक में आना मैं बिंदिया से बात करूंगा वह मना नही करेगी।
गजब की मॉल है शाली, एक बार उसकी बुर का स्वाद चख लिए तो बिना किए नींद नही आयेगी।
राजेश _अरे रवि भईया, आप लोग मजे लो ना, अगर कभी ईच्छा huwa तो जरूर बताऊंगा।
रवि _ठिक है भई। अब जबरदस्ती तो कर नही सकते।
भुवन _अरे रवि चलो विमल के पास चलते है, फिर वहां से नदी की ओर टहलने चलेंगे।
रवि _ठीक है यार चलो,,
विमल दर्जी है।
विमल 12 की पढाई करने के बाद शहर जाकर अपने मामा से सिलाई करना सीखा वहा से सिलाई का अनुभव प्राप्त कर गांव में टेलर का दुकान चलाता है।
सुरज पूर के साथ साथ पास वाले गांव के लोग भी कपड़े सिलाने विमल टेलर्स के पास आते हैं।
भुवन,राजेश और रवि तीनो विमल के दुकान में पहुंचते है।
दुकान में विमल नही दिखाई दिया उसका सहायक बैठा सिलाई कर रहा था।
भुवन _अरे, गुडडू विमल कहा है?
गुडडू _अरे भुवन भईया आप लोग आइए बैठिए न। उस्ताद तो अन्दर झुमरी भौजी की ब्लाउज का नाप ले रहा है।
रवि, राजेश और भुवन तीनो दुकान में बैठकर विमल का इन्तजार करने लगे।
कुछ देर बाद बिमल कमरे से बाहर निकला। उसके पीछे झुमरी भौजी भी अपनी साड़ी ठीक करते हुऐ बाहर निकली। रवि और भुवन को दुकान में बैठा देख विमल बोला,,
विमल _अरे यार तुम लोग कब आए।
भुवन _15मिनट हो गया, यहां बैठकर तुम्हरा इन्तजार करते हुए।
झुमरी _अच्छा टेलर बाबू मैं चलती हूं। समय पर ब्लाउज सी देना, मुझे शादी में जाना हैं।
विमल _भौजी तुम चिन्ता न करो तुम्हारा ब्लाउज समय पर तैयार हो जाएगा।
झुमरी _ठीक है टेलर बाबू कल आती हूं ब्लाउज लेने।
विमल _ठीक है भौजी।
झुमरी चली गईं।
रवि और भुवन घूर कर विमल को देखने लगे।
विमल _अरे यार मुझे ऐसे घूर कर क्यू देख रहे हो।
भुवन _काफी देर तक माफ लें रहा था बे झुमरी भौजी की।
सिर्फ ब्लाउज की माप लें रहा था या कुछ और का,,
विमल _अरे यार तुम लोग बेकार में ही शक कर रहे हो।
विमल _वे बंदा कौन है?
रवि _ये राजेश है, भुवन भाई का छोटा भाई, आज ही शहर से आया है।
भुवन _राजेश कुछ समय गांव में ही रहेगा। अब मुझे भी खेतो में काम रहता है। राजेश अकेला गांव में बोर न हो जाए। इसलिए तुम लोगो से मिलवाने आया हू।
तुम लोगो से मेल मुलाकात होता रहेगा तो, राजेश का मन गांव में लगा रहेगा। इसे तुम अपना छोटा भाई समझना।
विमल _बिलकुल भुवन भाई तुम्हारा भाई हमारा भाई। आज से राजेश भी हमारा दोस्त, आज सै तीन नही चार दोस्त है हम।
राजेश, तुम जब भी बोरियत महसूस करो मेरे दुकान में आ जाना। यहां हसी ठिठोली करेगें।
राजेश _जी विमल भईया।
भुवन _अरे, विमल चलो नदी तरफ थोडा टहल कर आते है।
विमल _अरे गुडडू तुम दुकान सम्हालना मैं दोस्तो के साथ नदी तरफ थोडा टहल कर आता हूं।
गुडडू _ठीक है उस्ताद।
चारो दोस्त नदी की तरफ टहलने निकल जाते है।
रास्ते में,,,
भुवन _अबे विमल तु झुमरी भौजी के साथ कमरे में क्या कर रहा था, सच बता बेटा सच बताना बेटा।
विमल _अरे यार तुम लोग तो लंगोटी यार हो, तुम लोगो से क्या छिपाना।
क्या मस्त मॉल है झुमरी भौजी, मजा आज तो मजा आ गया।
भुवन _तो हमारा शक सच निकला।
अच्छा ये तो बता उसे पटाया कैसे?
विमल _अरे यार झुमरी भौजी आज ब्लाउज सिलाने दुकान में आई थी। उसने कहा टेलर बाबू ब्लाउज सी दो। परसो मुझे शादी में जाना है।
मैने कहा, भौजी इतनी जल्दी सी नही पाऊंगा। बहुत सारा काम पड़ा huwa है । कम से कम एक सप्ताह तो लगेंगे।
झुमरी _अरे टेलर बाबू अपनें भौजी के लिए इतना भी नही कर सकते।
विमल _अब क्या बताऊं भौजी सभी लोगों को कपड़े जल्दी चाहिए।
अब सबका काम जल्दी तो नही हो सकता न। देखो न कितना सारा कपड़ा पड़ा huwa है सिलाई करने।

झुमरी _टेलर बाबू, मेरे पास ढंग का ब्लाउज नही है शादी में पहनने के लिए।
मेरा ब्लाउज पहले सी दो।
विमल _अरे भौजी, आपका ब्लाउज कल देने के लिए तो मुझे रात में जाग कर काम करना पड़ेगा।
झुमरी _अरे टेलर बाबू, अपनी भौजी के लिए एक रात जाग नही सकते।
विमल _ठीक है भौजी, आप इतना कह रही हो तो एक रात जाग ही लूंगा।
नाप लाई हो।
झुमरी _लो जल्दी जल्दी में मैं तो नाप लाना ही भुल गई।
विमल _कोइ बात नही भौजी, आप चाहे तो ऐसे ही नाप दे सकती हो।
झुमरी _टेलर बाबू यहां दुकान में नाप लेते हुए कोइ आ गया तो,,
लोग क्या कहेंगे?
विमल _अगर यहां नही दे सकती तो कमरे में चलकर नाप दे दो,, अब तुम्हारी मर्जी।
अच्छा कौन सा डिजाइन बनानी है। ये फोटो देखकर पसन्द करलो।
झुमरी _ऐसा डिजाइन का ब्लाउज सी दो की देखने वाले देखता रह जाए।
विमल _ये देखो लेटेस्ट डिजाइन।
यह तुम पर खुब जचेगी।
झुमरी _ठीक है यहीं डिजाइन का बना दो।
विमल _अच्छा चलो कमरे में नाप देने।
झुमरी कमरे में चली गईं।
विमल नाप लेने का टेप और डायरी लेकर अंदर गया।
अंदर जाने के बाद,,
विमल _भौजी, अपनी पल्लू तो हटाओ नाप लेनी है।
झुमरी ने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे हटा दिया।
पल्लू के नीचे गिरते ही झुमरी के मस्त बड़े बड़े स्तन जो ब्लाउज से बाहर आने बेताब थे विमल के आंखो के सामने आ गया, जिसे देखकर, विमल के land में तनाव आने लगा।
बिमल टेप से झुमरी की ब्लाउज की नाप लेने लगा।
नाप लेते हुए विमल बोला,,
विमल _भौजी एक बात बोलूं आप बुरा तो नही मानेंगे।
झुमरी _अरे टेलर बाबू अब आपके बातो का क्या बुरा मानना?
विमल _ लल्लू भईया तो बड़े किस्मत वाले है? जो आपके जैसे लुगाई मिली है।
झुमरी _अच्छा ऐसा क्या खास है मुझमें?
विमल _, आपके साइज काफी बड़े बड़े है। मैने बहुतों का नाप लिया है, पर आपके जैसा बहुत कम लोगो का होता है।
लल्लू भैया का तो हर रात मजे होते होंगे?
झुमरी _उसके तो हर रात मजे है, पर सामने वाली को मजा देना नही जानता। झुमरी निराश होते हुवे बोली।
विमल _भौजी, मैं कुछ समझा नहीं।
क्या लल्लू भईया आपको खुश नही कर पाते?
झुमरी _अब क्या बताऊं तुम्हे, वो तो मुझे किनारे लगाने से पहले ही ख़ुद ठिकाने लग जाता है।
विमल _भौजी ये आप क्या कह रही है? दिखने में तो लल्लू भईया, काफी हट्टे कट्टे लगते है?
झुमरी _सिर्फ बाहर से ही हट्टे कट्टे है। उसका घोड़ा तो थोड़े देर दौड़ लगाने के थक जाता है।
कभी भी सामने वाली को मंजिल तक पहुंचा ही नही पाता।
विमल _ओ हो भौजी, तब तो आप रात भर करवते बदल कर गुजारती होगी।
आपको एक बात बोलूं बुरा तो नहीं मानोगी।
एक बार हमें भी मौका देकर देखो, हमारा घोड़ा तुम्हे मंजिल पर पहुंचाने के पहले हार नही मानेगा?
झुमरी _अच्छा इतना भरोसा है अपनें आप पर ,
विमल _एक बार आजमा के तो देखो।
झुमरी _अच्छा, अपना घोड़ा तो दिखाओ पहले, देखू सवारी करने लायक है की नही,,
विमल _अभी देख लो,
विमल ने अपन खड़ा land बाहर निकाल कर झुमरी को दिखाने लगा।
विमल का land देखकर झुमरी गर्म होने लगी,,
विमल _कैसा है?
झुमरी _दिखने में तो अच्छा है, सवारी करने के बाद ही पता चलेगा। कहा तक दौड़ता है?
विमल _तो सवारी करके देख लो ना।
झुमरी _कोइ आ गया तो,,
विमल _मेरे इजाज़त के बिना कमरे में कोइ नही आयेगा।
विमल ने झुमरी की ब्लाउज की बटन खोल कर उसके उरोज बाहर निकाल दिए।
विमल _हाय भाभी सच में क्या मस्त दूदू हैं तुम्हारी।
विमल झुमरी के दुद्दू को पागलों की तरह चूमने चाटने मसलने और चुसने लगा।
उसकी दूध को गटक गटक कर पीने लगा।
झुमरी _अरे टेलर बाबू जरा आराम से मैं कही भागे थोड़े ही जा रही,,,




 
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