जिसे देवकी के उन्नत नितंब रोक रहे थे,,,देवकी समझ जाती है और अपने गान्ड थोड़ी सी ऊपर उठती है जिससे देवकी का घाघरा आराम से उसके पैरो से निकल जाता है और वह पूरी नंगी अपने बिस्तर पर लेटी रहती है ,,,रांझा हाथों में तेल लेकर देवकी के पैरों की मालिश करने लगती है और अब अपने हाथ से उसके जांघ की मालिश करने लगती है,,,वह मालिश करते हुए जैसे हाथ उपर ले जाती उसकी उंगलियां देवकी की योनि के बालों से छू जाती,,,रांझा मालिश करते हुए कहती है,,,,
एक बात कहूं,,,, तुम्हारी योनि में आज अलौकिक चमक दिख रही है,,,क्या किसी ने दर्शन कर लिए आपकी योनि के,,,,
चुप कर बेशरम ,,,ऐसा क्या है इस योनि में जो आज ये अलौकिक हो गई,,,
रांझा मालिश करते करते अपने हाथ में तेल लेकर देवकी की बुर पे हाथ रख देती है जिससे देवकी गन गना जाती है,,,रांझा बड़े प्यार से देवकी की योनि की मालिश करने लगती है और उसको निहारने लगती है,,,,
रांझा देवकी की बुर को मालिश करते हुए कहती है
एक बात पूछूं,,, बुरा तो नहीं मानोगी,,,
नहीं , पूछ क्या पूछना है,,आज तू बड़ी पूछ पूछ कर बातें कर रही है
रांझा उसकी बुर को सहलाते हुए कहती है,,,
देवकी ,,,तुम्हे तुम्हारे बेटे का लंड आज सुबह देख कर कैसा लगा,,,
देवकी ने इस प्रश्न की आशा नहीं की थी, क्यों की उसने सोचा की ये बात रांझा संकोचवश कहीं ये बात नहीं बोलेगी,,,लेकिन यहां रांझा ने तो प्रश्न कर दिया था,,,
राजमाता के कक्ष में सन्नाटा छा गया था ,,,केवल दो सांसे बहुत तेज चल रही थी,,,एक तो देवकी की ओर दूसरे रांझा की,,,लेकिन रांझा कहा रुकनेवाला थी,,,उसने फिर कहा,,,,
बताओ ना देवकी ,,कैसा लगा तुम्हे अपने प्यारे बेटे का लंड
और ऐसा कहते हुए उसकी कामुक सिसकियां भी निकल रही थी और वह देवकी की बुर को भी हौले हौले सहलाए जा रही थी।
ये तू क्या पूछ रही है रांझा ,,,तू नहीं जानती वो मेरा पुत्र है और एक मा अपने पुत्र के बारे में ऐसा नहीं सोच सकती,,, (अब देवकी क्या बताएं की वह अपने पुत्र का लंड देखकर खुद पागल हो गई है )
देवकी मैंने खुद देखा है तुम्हे उसका खड़ा लंड अपने हाथ में पकड़े हुए,,,मुझसे ना छुपाओ,,,,योनि बेटा या पति नहीं देखती,,उसे तो बस मोटा लौड़ा चाहिए होता भले ही वह उसके बेटे का ही क्यों ना हो।
रांझा की बातो से देवकी गरम हो जाती है और उसकी बुर पनिया जाती है जिसे रांझा महसूस करती है और यह देख कर वह एक हाथ ऊपर ले जाकर उसकी चूचियों को मसलने लगती है और उसके चुचुकों को अपनी उंगली के बीच फसाकर मसलने लगती है जिससे देवकी पूरी गरम हो जाती है। ऐसा देख कर रांझा देवकी की योनि के भग्नासे ( clutorics ) को अपनी उंगली से रगड़ने लगती है जिससे देवकी ओर गरम हो जाती है और मचलने लगती है। रांझा समझ जाती है कि देवकी गरम हो गई है,,,,, और फिर वह बात आगे बढ़ती है,,,,
बताओ ना देवकी चुप क्यों हो,,,मैंने अपनी आंखो से देखा था कि तुमने अपने पुत्र का लौड़ा हाथ में पकड़ा हुआ था और तुम उसके लन्ड को छोड़ ही नहीं रही थी और उधर विक्रम भी तुम्हारी चूची को पकड़े हुआ था,,,मुझे तो बहुत दमदार लंड लगा तेरे पुत्र का,,, अगर वो मेरा बेटा होता तो मै आज ही उससे चुदवा ली होती,,,
ऐसा बोलते बोलते रांझा अपनी एक उंगली देवकी की बुर में डाल देती है और जोर जोर से रगड़ने लगती है।।। वह अपनी ऊंगली देवकी की बुर में खूब अंदर बाहर करने लगती है जिससे देवकी सिसकने लगती है और पूरी मस्ती में आ जाती है,,
रांझा फिर कहती है,,,
देवकी मैंने देखा था तुम कैसी ललचाई नजरों से अपने बेटे के लंड को देख रही थी,,,मेरी भी आंखे उसके लौड़े से हट ही नहीं रहीं थीं,,,
इस पर देवकी सिसकियां लेते हुए मस्ती मे कहती है,,,,,
हां मैंने अपने पुत्र का लंड देखा है,,बहुत प्यारा लंड है उसका ,,, उसके लन्ड की गोरी चमड़ी और गुलाबी सुपाड़ा,,, हाय क्या गजब ढा रहा था,,, और उस पर उसकी फूली हुई नसें मुझे पागल बना रही थी,,,मेरी नज़रे तो उसके लौड़े से हट ही नहीं रहीं थी रांझा,,,मै आज दिन भर उसी की यादों में खोई रही,,,रांझा जरा जल्दी जल्दी मेरी योनि में उंगली कर,,,सहा नहीं जा रहा,,,,आज उसका मोटा लौड़ा हाथ में लेकर छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था,,,वो तो अच्छा हुआ की तू आ गई ,,,नहीं तो आज पता नहीं क्या हो जाता,,,विक्रम के लौड़े में इतनी जान है की अगर कोई स्त्री एक बार देख ले तो बिना सम्भोग किए नहीं मानेगी,,,,
देवकी ऐसे ही बड़बड़ाए जा रही थी मस्ती में और रांझा उसके बुर में उंगली किए का रही थी,,,कमरे में देवकी की योनि की खुशबू फैल गई थी,,,जिस पर रांझा कहती हा
देवकी तुम्हारे योनि की मदमस्त गंध पूरे कक्ष में फ़ैल गई है,,,, मै ना कहती थी कि आज तुम्हारी योनि में आज अलौकिक सुंदरता दिख रही है मुझे,,,
अरे ये मेरी योनि की अलौकिक सुंदरता तो मेरे पुत्र के लिंग के दर्शन का कमाल है,,,जबसे उसका लन्ड देखा है,,,,या यों कहें कि जबसे उसके लिंग को हाथ में लेकर पकड़ा है तबसे मेरी बुर में भूचाल मचा हुआ है,,,सुबह से ही मेरी बुर पानी छोड़ रही है,,,क्या बताऊं महाराज के जाने के बाद आज पहली बार लंड पकड़ा था और वह भी इतना शानदार लंड,,,,देवकी ने कहा,,,
देवकी अगर अपने पुत्र का लंड देख कर तेरी योनि का यह हाल है तो तू अपने पुत्र के साथ संभोग क्यों नहीं कर लेती,,,आखिर उसी ने ना तुम्हारे हाथ में अपना लन्ड दिया होगा ,,,और तो और उसने तो तुम्हारी चूचियों को भी पकड़ रखा था,,,और दबा भी रहा था,, आखिर उसे भी तुम्हारे साथ यौन संबंध बनाने की इच्छा रही होगी,,,
ऐसा कैसे हो सकता है रांझा,,,आखिर वो मेरा पुत्र है,,,मेरी कोख से जन्मा है,,,और उसी कोख में उसके लंड से चुदवा कर मै उसका वीर्य कैसे गिरवा सकती हूं,,तेरे में बड़ी आग लगी है तो तू ही अपने पुत्र के साथ क्यों नहीं सम्भोग करती ,,,,जो तू मुझे समझा रही है,,,,
राजा विक्रम यदि मेरे पुत्र होते तो मै तो कब का उनसे चुदवा ली होती देवकी,,,,उनका खड़ा लंड तो मुझे भूल ही नहीं रहा है,,
रांझा और देवकी के बीच कामुक वार्ता लप चल रही थी और रांझा देवकी की बुर में अपनी दो उंगलियां घुसेड़ कर चोदन करने लगती जिससे देवकी को और भी मस्ती च ढ़ जाती है और वह कामुक सिसकियां निकालने लगती है,,, और वह कहती हैं
इतनी ही गर्मी अगर तेरे बुर में लगी है तो चुदवा ले ना अपने बेटे से ,,, वह भी तो विक्रम का हमउम्र ही है और लंबा चौड़ा भी है,,, उसका लन्ड भी तो मोटा ही होगा,,,,क्यों री रांझा,,
ऐसा ना बोल देवकी वो मेरा बेटा है,,,
तो ऐसे ही विक्रम भी तेरा पुत्र है छिनाल जिससे चुदवाने की तू मुझे बोल रही है,,,मा और पुत्र के बीच यौन संबंध अवैध होता है जिसकी इजाजत समाज कभी नहीं देता है,,,
तो मै कौन सा समाज के सामने चुदवाने को बोल रही हूं,,, अकेले में छुप कर चुदवा ले ,,,किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा,,,,
रांझा की कामुक बातों से राजमाता देवकी की यौन भावनाएं एकदम बढ़ गई थीं जिसमें देवकी को खूब मजा आ रहा था ,,, क्यों कि कामुक बातों के साथ रांझा देवकी की बुर भी अपनी उंगलियों से चोद रही थी,,,,
और तेज चोद रांझा,,,और तेज,,,और तेज,,,,मै झड़ने वाली हूं,,,और ऐसा बोलते बोलते देवकी चरमोत्कर्ष पा लेती है और वह झड़ जाती है ,,,,उसका बदन अचानक अकड़ जाता है,,,उसकी बुर से योनि रस की धार बह निकलती है जिससे रांझा की पूरी हथेली गीली हो जाती है जिसे रांझा अपने नाक के पास लाकर सुंग्घटी है और कहती है,,
अदभुत,,अत्यंत मादक सुंगध है देवकी,,तुम्हारे बुर से निकले हुए अमृत का,,,
और ऐसा बोलकर वह देवकी के बुर से निकले पानी की वह चाट लेती है,,,,
छी तू बड़ी गन्दी है रांझा,,कोई बुर का पानी चाटता है क्या,,,देवकी ने कहा,,,अब झड़ने के बाद देवकी को थोड़ी आत्मग्लानि होती है कि अभी थोड़ी देर पहले वह कैसे बातें कर रही थी,,,, और उसके चेहरे पर शर्म का भाव आ जाता है,,,,
आज के लिए बस इस अपडेट में इतना ही,,,,आगे देखते है और क्या होता है,,,