Update 3
राजमाता देवकी आईने के सामने बैठी रहती है और रन्झा उसे तैयार कर रही होती है, देवकी राजपरिवार की जो ठहरी. रन्झा चंदन की लकड़ी से बने कंघे से देवकी के बाल सवारति है. फिर मलाई और गुलाब से बने क्रीम उसके चेहरे पे लगाती है. फिर थोड़ी सी क्रीम लेकर उसके स्तनों पे मलती है और अपनी उँगलियों से उसके चुचुक को मसल देती है जिससे देवकी सिसक जाती है और एक हल्की सी चपत रन्झा के हाथ पे लगाती है जिस पे रन्झा मुस्कुरा देती है. थोड़ी सी क्रीम लेकर अब रन्झा नीचे बैठ जाती है और अपने हथेलियों मे फैलाकर देवकी की योनि पर अच्छे से लगा देती है.
देवकी गुस्सा दिखाते हुए - ये क्या कर रही है रण्डी
रन्झा - हे हे हे, तुमने आज अपनी बुर को सुबह सुबह कष्ट दिया है ना. इसलिए मै थोड़ा मलहम लगा देती हूँ , , आखिर आपकी योनि का भी तो ख्याल रखना है मुझे और दांत निपोरने लगती है.
देवकी - मुस्कुराते हुए, मेरी योनि है, मै इसके साथ जो करूँ, तुझे इससे क्या. तु अपनी योनि देख और उसे संभाल. और बातें कम कर और जल्दी तैयार कर मुझे, खुद तो तैयार हो कर आ गई गई है बरचोदि और मुझे तंग करती है.
अब रन्झा देवकी को तैयार करने लगती है. उसके स्तन पर पहले कपड़े का पट्टा बांधती है. फिर उसे एक हीरे जवाहरात से जड़ी एक लाल रंग की चोली पहनाती है. अब देवकी खड़ी हो जाती है जिसे रन्झा एक हीरे का कमरबंध पहनाती है. फिर एक मलमल के कपड़े का बना लंगोट जैसा अंतःवस्त्र उसकी योनि पे पहनाती है जो उस समय की औरत पहनती थी. फिर लाल रंग का रत्न जडित घाघरा पहनाती है क्यों कि आज राजकुमार के जन्मदिन का अवसर जो था. इसके उपर राजमाता को एक हरे रंग की चुन्नी ओढा देती है. आँखों पे काजल और होंठो पे लाली लगाकर रन्झा राजमाता देवकी को कहती है
रन्झा- अब अपने को शीशे मे देख लो राजमाता. बिल्कुल दुल्हन लग रही हो.
देवकी - धत्त, कुछ भी बोलती हो. मै विधवा हूँ. मैं कहाँ से दुल्हन लग सकती हूँ.
रन्झा - चलो बातें मत बनाओ. अभी तो इतनी जवान हो कि कोई भी तुम्हें देखकर पागल हो जाए. और हाँ इस चुन्नी से अपनी जवानी को ढके रहना नहीं तो आयोजन में ही लोग अपना लंड निकाल कर हिलाने लगेंगे.
और ऐसा कह कर वह जोर से देवकी की चूची को दबा देती है जिससे उसकी आह निकल जाती है और रन्झा को बनावटी गुस्सा दिखाती है.
फिर देवकी को जैसे कुछ याद आता है और कहती है देख कितनी देर हो गई छिनाल. सूर्योदय होने वाला है. जल्दी कर. अभी देख राजकुमारी नंदिनी जगी है कि नहीं.
( राजकुमारी नंदिनी राजा विक्रम सेन की बडी बहन है जो उससे 2 साल बड़ी है और अपनी माँ और भाई की तरह बला की खूबसूरत है. अपनी माँ की तरह ही गोरी, तीखे नैन नखस् और लंबाई 5 फीट 3 इंच, उन्नत वक्ष, चौडी कमर और छरहरा बदन. उसकी नीली आँखे लगता था अभी बोल पड़ेंगी. उसके उन्नत नितंब देखकर सभी आहें भरते थे)
राजमाता देवकी फटाफट तैयार हो कर अपने कक्ष से निकल कर नंदिनी के कक्ष की ओर जाने लगती है. जैसे ही वह बाहर निकलती है सभी संतरी सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाते हैं. पीछे से रन्झा भागे भागे आती है. देवकी अब नंदिनी के कक्ष के बाहर पहुँचती है और सेविकावों से पुछती है.
देवकी - राजकुमारी तैयार हो गई है क्या?
सेविका - हकलाते हुए, नहीं राजमाता, अभी राजकुमारी सो रही हैं.
देवकी - ( बड़बड़ाते हुए कमरे में घुस जाती है और राजकुमारी को सोया हुआ देखकर जगाती है) उठ जाओ राजकुमारी.
नंदिनी आँखे मलते हुए उठती है.
देवकी - मेरी लाडो राजकुमारी, जल्दी से तैयार हो जा, आज तेरे भ्राता का जन्मदिन है. और लाडो ये क्या तु ठीक से सोया कर. देख तेरी सलवार घुटने तक सरकी हुई है. कोई आता तो देखकर क्या बोलता. वैसे भी तेरी शादी की उम्र हो गई है.
अब राजकुमारी क्या बताये की वो अंदर से पुरी नंगी है. ( राजकुमारी नंगी क्यों है ये राज बाद में खुलेगा.)
नंदिनी - माते आप मेरे अतिथि कक्ष में बैठे, मै तुरंत स्नान कर के आती हूँ. ठीक है पुत्री मै तुम्हारे अतिथि कक्ष में इंतजार करती हूँ तब तक तुम जल्दी से तैयार हो जाओ. और इतना कहकर देवकी दूसरे कक्ष में चली जाती है. देवकी के जाते ही राजकुमारी नंदिनी अपनी सलवार निकाल कर फेकती है और चादर ओढ़ कर सनानागर् मे भाग जाती है और अंदर पहुँच कर राहत की साँस लेती है. पहले राजमहल मे कमरो मे दरवाजे नहीं होते थे, बल्कि बड़े बड़े परदे लगे होते थे. राजकुमारी नंदिनी अपना चादर हटाती है जिससे वह पुरी मदरजात नंगी हो जाती है. सबसे पहले वह जल्दी से अपनी योनि को पानी से साफ करती है. इधर रन्झा भी अतिथि कक्ष में पहुँच जाती है और देवकी से पुछती है कि राजकुमारी नंदिनी तैयार हुई की नहीं.
देवकी - अरे वो लाडो को जानती नहीं हो, कभी समय से तैयार होती है क्या.
रन्झा - राजमाता, अब नंदिनी भी जवान हो गई है. अब अपनी लाडो को लण्ड दिला दो उसकी बुर चोदने के लिये, नहीं तो कहीं किसी से बुर ना चुदवा ले.
देवकी - चुप कर बुरचोदि, तुम्हारे मन मे केवल लंड, बुर की चुदाई की बात ही चलती रहती है. जा, जाकर देख नंदिनी तैयार हो गई क्या. और अगर वो तैयार ना तो उसे तैयार कर दे.
ये सुनकर रन्झा नंदिनी के कक्ष में जाती है. उसे स्नानागार से पानी गिरने की आवाज आती है और वह ये देखने के लिये की नंदिनी क्या कर रही है चुपचाप स्नानागार मे परदा हटा कर घुस जाती है और राजकुमारी को अपनी बुर साफ करते हुए देखती है. रन्झा की अनुभवी आँखे कुछ गड़बड़ महसुस करती है और तब आवाज देती है राजकुमारी. रन्झा की आवाज सुनकर नंदिनी अचानक से पीछे मुड़ती है जिसे नंगा देखकर रन्झा का मुह खुला रह जाता है.
रन्झा - राजकुमारी आप क्या कर रही हैं.
नंदिनी - आप अंदर कैसे आई धाई माँ. रन्झा को राजकुमारी और राजकुमार धाई माँ बुलाया करते थे.
रन्झा - मै तो तुम्हें खोजते हुए आई हूँ. राजमाता ने मुझे आपको तैयार करने के लिए भेजा है.
नंदिनी - मै कोई दुध पीती बच्ची थोड़े ही हूँ की मुझे तैयार करवाना पड़ेगा.
रन्झा - वो तो मै भी देख रही हूँ कि आप दुध पीती बच्ची नहीं हैं. बल्कि आप किसी को दुध पिला दीजियेगा. ऐसा कहते हुए रन्झा नंदिनी के पास पहुँच कर उसकी दोनों चूची को अपने हाथ मे ले कर मसल देती है. नजदीक आने से रन्झा को नंदिनी के शरीर पर दाँत काटने के निशान देखती है. साथ ही नंदिनी की योनि की लालिमा रन्झा के मन मे शंका पैदा करती है. रन्झा बोलती है कि आप भी अपनी माँ की तरह बला की खूबसूरत हैं. वैसे ही स्तन, नयन नखस् और वैसी ही सुन्दर योनि. जो भी ईस बुर को देख ले, वो तो हस्तमैथुन करते करते मर जाए.
नंदिनी - ( मन ही मन खुश होती है और कहती है) धत् धाई माँ, आप कैसी बातें करती हैं. आपने माँ की बुर देखीं है क्या? और आपके पास भी तो बुर है. सबकी योनि तो एक ही तरह की होती है.
रन्झा - (मन में, अब आई ये लाईन पर.) राजकुमारी मैंने आपकी माँ को बचपन से देखा है और उन्हें रोज तैयार करती हूँ. तो इसके लिए वो मेरे सामने नंगी होती हैं. और हाँ सबकी बुर एक जैसी नहीं होती. मेरी बुर पे घनी झांटे है. आपदोनों की बुर कोई देख ले तो बिना चोदे नहीं मानेगा. आप तो अभी चुदवा लें तो बच्चा पैदा हो जाये. वैसे एक बात पूछूँ. नंदिनी ने कहा पुछो.
रन्झा - आपने रात्रि मे किसी पुरुष के साथ सम्भोग किया है क्या?
ये सुनकर नंदिनी के होश उड़ गये. उसने कहा आप ये क्या कह रही है. रन्झा कहती है की मै सही कह रही हूँ. मेरी अनुभवी आँखे कह रही हैं की रात में आपने मस्त चुदाई का मजा लिया है. आपकी लाल योनि और स्तन पे दाँत के निशान इसकी गवाही दे रहे हैं. नंदिनी समझ जाती है कि छुपाने से अब कोई फायदा नहीं है, उसकी चोरी पकड़ी गयी है.
नंदिनी- आप सत्य कह रही हैं धाई माँ. रात में मैने सम्भोग किया है. क्या करूँ इस जवानी की गर्मी सही ही नहीं जा रही. अब आप ही बताओ इस 20 साल के उम्र में मै लण्ड के बिना कैसे जियूँ.
रन्झा - मै समझती हूँ राजकुमारी. तभी तो मैने राजमाता को अभी कहा है कि लाडो को अब एक लण्ड दिला दो.
नंदिनी - धत्त, सच मे आपने राजमाता से ऐसा कहा. उन्होंने क्या कहा.
रन्झा - राजमाता भी समझती हैं. मै समझती हूँ की बुर की आग क्या होती है. मै राजमाता को कुछ नहीं बताऊंगी, नहीं तो वो तुम्हारी चुदाई बन्द करा देंगी. लेकिन लाडो मै भी तुम्हारी धाई माँ हूँ, तुम्हारा भला चाहती हूँ. इसलिए एक सलाह देती हूँ की चुदाई के बाद पुरुष का वीर्य अपनी योनि मे मत गिरने देना, नहीं तो तुम गर्भवती हो जाओगी. और हाँ सम्भोग किसी अपने नजदीकी से ही करना जिस पर तुम्हें विश्वास हो, नहीं तो बाहर वाले से चुदवाओगी तो काफी बदनामी होगी.
नंदिनी - जैसा आप कहे धाई माँ और ऐसा कहकर वह रन्झा को अपने आलिंगन मे भर लेती है जिसे रन्झा दूर हटाती है और कहती है जल्दी तैयार हो जाओ. वैसे धाई माँ आप इतना कैसे जानती हैं. किसी नजदीकी से अपनी बुर चुदवा रही हैं क्या और ऐसा कहकर चोली के ऊपर से ही रन्झा की चूची दबा देती है और घाघरे के उपर से ही उसकी बुर दबोच लेती है. रन्झा भी मुस्कुरा देती है और नंदिनी की नंगी बुर को सहला देती है. तब तक बाहर से देवकी आवाज देते हुए अंदर आ जाती है की नंदिनी तैयार हुई की नहीं. आवाज सुनते ही दोनों अलग हो जाती हैं और नंदिनी जल्दी टब मे घुसकर नहाने लगती है. लेकिन तब तक देवकी नंदिनी की नंगी बुर और नंगा बदन देख चुकी थी. और वह रन्झा के कान में धीरे से बोलती है की तू सही कह रही थी. लाडो को अब लंड चाहिए. ये बात नंदिनी सुन लेती है और उसके तन बदन मे सुरसुरी दौड़ जाती हैं और वह मन में कहती है कि मै कैसे बताऊँ माँ की मैने अपनी योनि मे लण्ड ले लिया है लेकिन किसका लिया है ये समय आने पर बताऊंगी. फिर देवकी उसको जल्दी तैयार होने को बोल कर बाहर आ जाती है. फिर नंदिनी फटाफट तैयार होकर अपने वस्त्र कक्ष में जाकर गुलाबी रंग की घाघरा चोली पहन कर बाहर आ जाती है. जिसकी सुंदरता देखकर देवकी दंग रह जाती है. वह क्या जानती है की ये बदलाव रात की चुदाई का कमाल है. नंदिनी फिर कहती है कि ये चुन्नी तो ले ले लाडो, सबको अपना बड़ा दूध दिखाती रहेगी क्या. और तु जल्दी जाकर पूजा कक्ष मे पूजा की सामग्री देख लो तब तक मै अपने लाड़ले पुत्र को देखकर आती हूँ कि वह तैयार हुआ की नहीं और ऐसा कहकर राजमाता देवकी अपने लाड़ले पुत्र राजा विक्रम सेन के कक्ष की ओर चल देती है. पीछे पीछे रन्झा भी दौड़ते हुए आती है.
अगले update मे आप देखेंगे की राजा विक्रम सेन के कक्ष में क्या क्या होता है....