Jenifar
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Wo din ab dur nahi jab ,har bhai behan aise hi rakshabandhan manayengeUpdate 19
दोनों मां बेटे ऐसे ही नंगे एक दूसरे की बाहों में लेटे रहते हैं और देवकी विक्रम के बालों में अपनी उंगली फिरा रही थी और देवकी कहती है
तुम्हें कैसा लगा पुत्र अपनी मां के साथ यौन सम्बंध बना के।
बहुत अच्छा लगा माते आपके साथ सम्बंध बना के। लगता है कोई सपना सच हो गया हो।मैने कभी सोचा ही नहीं था कि आपके साथ मै यौन सम्बंध बना सकूंगा। लगता था केवल मैं सपनो में ही आपके साथ सम्बंध बनाता देख सकूंगा। माते मैं आपको बहुत प्यार करता हूं और बहुत पहले से आपके साथ सम्बंध बनाना चाहता था, लेकिन ये मुझे असम्भव लगता था।
सच पुत्र, क्या तुम पहले से ही मुझे चाहते थे। ये तो मै जानती ही नहीं थी की मेरे ही घर में मेरा ही पुत्र मेरे ही साथ यौन सम्बंध बनाना चाहता था और मुझे इसकी कोई कानो कान खबर ही नहीं थी। लेकिन पुत्र बहुत अच्छा लगा तुम्हारे साथ। तुम्हारे पिताजी की याद आ गई। तभी तो मै कहूं की नंदिनी क्यो पागलों की तरह तुम्हारी दीवानी है। अच्छा पुत्र, कल तो रक्षाबंधन है कैसी तैयारी है राजभवन में।
हां माते,, मै तो भूल ही गया कल रक्षाबंधन है और मुझे याद ही नहीं रहा। वैसे कल मुख्य कार्यक्रम राज दरबार में ही है।
राजदरबार में अगले दिन
सुबह से ही राजदरबार में चहल पहल थी, आज रक्षाबंधन जो था और सबसे पहले रक्षाबंधन की शुरुआत राज्य में राजा को उसकी बहन रक्षाबंधन बांध कर ही करती थी। तभी राज्य में रक्षाबंधन पर्व की शुरुआत होती थी।
समय पर राजा अपने सभी दरबारियों के साथ राज दरबार में आकर बैठ जाते हैं। तभी राजकुमारी नंदिनी अपनी सहेलियों के साथ राजदरबार में प्रवेश करती हैं। आज नंदिनी हरे घाघरे और लाल चोली में बला की खूबसूरत लग रही थी जिसको देखते ही राजा विक्रम फिर अपनी बहन पर मोहित हो जाते हैं। राजा विक्रम भी रेशम की धोती और लाल कुर्ते में गजब के दिख रहे थे। तभी नंदिनी विक्रम के पास थाली में राखी ले कर आती है। वह पहले राजा विक्रम की आरती उतारती है और फिर विक्रम के माथे पर तिलक करती है। राजा विक्रम अपना दाहिना हाथ आगे करते हैं और राजकुमारी नंदिनी उनकी कलाई पर बड़े प्यार से राखी बांध देती है, तभी सभी दरबारी और दरबार मे उपस्थित सभी महिलाओं ने राजा विक्रम और नंदिनी के ऊपर पुष्प वर्षा करते हैं और विक्रम और नंदनी को रक्षबधन की बधाई देते हैं। राजा विक्रम भी सभी दरबारियों और जनता को पर्व की बधाई देते हैं और पर्व के शुरुआत की घोषणा करते हैं।घोषणा होते ही पूरे राज्य में रक्षाबंधन का त्योहार शुरू हो जाता है और सभी बहनें अपनी भाइयों की कलाई पर अपनी रक्षा के लिए राखी बांधती है।
कुछ समय पश्चात राजदरबार भंग कर दी जाती है और सभी दरबारी अपने घर चले जाते हैं और राजा विक्रम भी अपने कक्ष में चले जाते हैं और आराम करते हुए उनके जीवन में घटित घटनाओं के बारे में बैठे बैठे सोचने लगते हैं । तभी राजकुमारी नंदिनी एक थाल में राखी , फूल, दिया और चंदन लेकर आती है जिसे देख राजा विक्रम कहते हैं
आ गई दीदी, मै कब से आपका ही इंतजार कर रहा था। और ये कहते हुए विक्रम आपनी बड़ी बहन का खड़े होकर स्वागत करते हैं। तब नंदिनी कहती है
क्यों इंतजार कर रहे थे, तुम्हे तो मालूम ही था कि मैं अपने प्यारे भाई के साथ रक्षाबंधन अकेले उसके कक्ष में मनाने आऊंगी ही
और ये कह कर वह अपनी झीनी चुनरी अपने सीने पर से उतार देती है जिससे नंदिनी के बड़े बड़े प्यारे स्तन चोली में क़ैद राजा विक्रम के सामने आ जाते हैं। तो राजा विक्रम कहते हैं
बहन, भले ही मैंने तुम्हें कितनी बार ही नंगी देखा है, लेकिन जब भी मैं चोली में क़ैद तुम्हारे स्तन को देखता हूं मेरा लिंग मेरे काबू से बाहर होने लगता है।
भाई, इसका मतलब यह है कि तू मुझे इतना चाहता है कि मेरी चोली देख कर ही पगला जाता है।इसे ही तो भाई का बहन के लिए प्यार कहते हैं।मैने पिछले जन्म में जरूर कोई पुण्य किया होगा कि मुझे तुझ जैसा प्यार करने वाला भाई मिला।
और ये कह कर नंदिनी आगे बढ़ कर विक्रम को गले लगा लेती है और उसके गालों पर चुम्बन जड़ देती है। विक्रम भी उसे अपनी बाहों में कस कर पकड़ लेते हैं जिससे उसकी चूचियां विक्रम की छाती में धंस जाती हैं। फिर नंदिनी कहती है
आओ भाई पहले हम रक्षाबंधन मना ले।
फिर नंदिनी स्नानघर में घुस जाती है और हाथ पैर धोती है और तैयार होती है। जब वह बाहर निकलती है तब वह पूरी नंगी होकर निकलती है क्यों कि स्नानघर में उसने सारे कपड़े उतार दिए थे और नंगी हो गई थी। इधर विक्रम भी अपनी धोती निकाल कर पूर्ण रूप से नग्न हो जाते हैं। जब नंदिनी बाहर निकलती है तो राजा विक्रम को पूर्ण नग्न देखती है और विक्रम का लिंग खड़ा होकर अपनी बड़ी बहन को सलामी दे रहा था जिसे देख कर नंदिनी शरमा जाती है और कहती है
तुम बहुत शरारती हो विक्रम, आज रक्षांबधन के दिन भी तुम लौड़ा खड़ा किए हो।
क्या करूं बहन, जिस भाई की बहन इतनी मादक और कामुक होगी उसके भाई का लिंग तो उसके सम्मान में खड़ा रहेगा ही।
और ये कह कर विक्रम हंस देते हैं और नंदिनी भी मुस्कुराने लगती है और कहती है
आओ भाई मैं तुम्हे राखी बांध दूं
राजा विक्रम अपने पैर खोल कर आसन पर बैठ जाते हैं और नंदिनी थाल में दीप प्रज्ज्वलित कर सबसे पहले अपने भाई के खड़े लौड़े को आरती उतारती है , फिर उस पर पुष्प वर्षा करती है।फिर वह चंदन का लेप बनाकर उससे विक्रम के खड़े लंद पर टिका करती है ।ये सब देख कर विक्रम कहते है
यही तो हम भाई बहन का त्यौहार है और मेरा बस चले तो मैं पूरे राज्य में भाई बहन को ऐसे ही रक्षाबंधन मानने का ऐलान कर दू।
फिर नंदिनी मुस्कुराते हुए थाल में से एक राखी उठाती है और बड़े प्यार से अपने भाई के खड़े लौड़े पर राखी बांध देती है और बड़े प्यार से उसे चूम लेती है और कहती है
मेरा प्यारा भाई , अपनी बहन की शील और योनि की रक्षा करते हुए हुए राखी के बन्धन को निभाना।
इस पर विक्रम कहते हैं
बहन ये तो मेरा धर्म है कि मैं अपनी बहन की शील और योनि की रक्षा करूं और रक्षा करने मे ही यह अभिप्राय शामिल है कि भाई अपनी बहन की योनि को खुश रखे। प्रत्येक भाई का यह कर्तव्य है कि वह अपनी बहन की योनि को तड़पने ना दे और उसकी योनि को खुश रखे।
तब नंदिनी कहती है
लेकिन भाई मेरा उपहार कहां हैं
इसपर राजा विक्रम तकिए के नीचे से एक हीरे का हार निकालते हैं और राजकुमारी नंदिनी के कमर में पहना देते हैं
क्या हुआ भाईUpdate 19
दोनों मां बेटे ऐसे ही नंगे एक दूसरे की बाहों में लेटे रहते हैं और देवकी विक्रम के बालों में अपनी उंगली फिरा रही थी और देवकी कहती है
तुम्हें कैसा लगा पुत्र अपनी मां के साथ यौन सम्बंध बना के।
बहुत अच्छा लगा माते आपके साथ सम्बंध बना के। लगता है कोई सपना सच हो गया हो।मैने कभी सोचा ही नहीं था कि आपके साथ मै यौन सम्बंध बना सकूंगा। लगता था केवल मैं सपनो में ही आपके साथ सम्बंध बनाता देख सकूंगा। माते मैं आपको बहुत प्यार करता हूं और बहुत पहले से आपके साथ सम्बंध बनाना चाहता था, लेकिन ये मुझे असम्भव लगता था।
सच पुत्र, क्या तुम पहले से ही मुझे चाहते थे। ये तो मै जानती ही नहीं थी की मेरे ही घर में मेरा ही पुत्र मेरे ही साथ यौन सम्बंध बनाना चाहता था और मुझे इसकी कोई कानो कान खबर ही नहीं थी। लेकिन पुत्र बहुत अच्छा लगा तुम्हारे साथ। तुम्हारे पिताजी की याद आ गई। तभी तो मै कहूं की नंदिनी क्यो पागलों की तरह तुम्हारी दीवानी है। अच्छा पुत्र, कल तो रक्षाबंधन है कैसी तैयारी है राजभवन में।
हां माते,, मै तो भूल ही गया कल रक्षाबंधन है और मुझे याद ही नहीं रहा। वैसे कल मुख्य कार्यक्रम राज दरबार में ही है।
राजदरबार में अगले दिन
सुबह से ही राजदरबार में चहल पहल थी, आज रक्षाबंधन जो था और सबसे पहले रक्षाबंधन की शुरुआत राज्य में राजा को उसकी बहन रक्षाबंधन बांध कर ही करती थी। तभी राज्य में रक्षाबंधन पर्व की शुरुआत होती थी।
समय पर राजा अपने सभी दरबारियों के साथ राज दरबार में आकर बैठ जाते हैं। तभी राजकुमारी नंदिनी अपनी सहेलियों के साथ राजदरबार में प्रवेश करती हैं। आज नंदिनी हरे घाघरे और लाल चोली में बला की खूबसूरत लग रही थी जिसको देखते ही राजा विक्रम फिर अपनी बहन पर मोहित हो जाते हैं। राजा विक्रम भी रेशम की धोती और लाल कुर्ते में गजब के दिख रहे थे। तभी नंदिनी विक्रम के पास थाली में राखी ले कर आती है। वह पहले राजा विक्रम की आरती उतारती है और फिर विक्रम के माथे पर तिलक करती है। राजा विक्रम अपना दाहिना हाथ आगे करते हैं और राजकुमारी नंदिनी उनकी कलाई पर बड़े प्यार से राखी बांध देती है, तभी सभी दरबारी और दरबार मे उपस्थित सभी महिलाओं ने राजा विक्रम और नंदिनी के ऊपर पुष्प वर्षा करते हैं और विक्रम और नंदनी को रक्षबधन की बधाई देते हैं। राजा विक्रम भी सभी दरबारियों और जनता को पर्व की बधाई देते हैं और पर्व के शुरुआत की घोषणा करते हैं।घोषणा होते ही पूरे राज्य में रक्षाबंधन का त्योहार शुरू हो जाता है और सभी बहनें अपनी भाइयों की कलाई पर अपनी रक्षा के लिए राखी बांधती है।
कुछ समय पश्चात राजदरबार भंग कर दी जाती है और सभी दरबारी अपने घर चले जाते हैं और राजा विक्रम भी अपने कक्ष में चले जाते हैं और आराम करते हुए उनके जीवन में घटित घटनाओं के बारे में बैठे बैठे सोचने लगते हैं । तभी राजकुमारी नंदिनी एक थाल में राखी , फूल, दिया और चंदन लेकर आती है जिसे देख राजा विक्रम कहते हैं
आ गई दीदी, मै कब से आपका ही इंतजार कर रहा था। और ये कहते हुए विक्रम आपनी बड़ी बहन का खड़े होकर स्वागत करते हैं। तब नंदिनी कहती है
क्यों इंतजार कर रहे थे, तुम्हे तो मालूम ही था कि मैं अपने प्यारे भाई के साथ रक्षाबंधन अकेले उसके कक्ष में मनाने आऊंगी ही
और ये कह कर वह अपनी झीनी चुनरी अपने सीने पर से उतार देती है जिससे नंदिनी के बड़े बड़े प्यारे स्तन चोली में क़ैद राजा विक्रम के सामने आ जाते हैं। तो राजा विक्रम कहते हैं
बहन, भले ही मैंने तुम्हें कितनी बार ही नंगी देखा है, लेकिन जब भी मैं चोली में क़ैद तुम्हारे स्तन को देखता हूं मेरा लिंग मेरे काबू से बाहर होने लगता है।
भाई, इसका मतलब यह है कि तू मुझे इतना चाहता है कि मेरी चोली देख कर ही पगला जाता है।इसे ही तो भाई का बहन के लिए प्यार कहते हैं।मैने पिछले जन्म में जरूर कोई पुण्य किया होगा कि मुझे तुझ जैसा प्यार करने वाला भाई मिला।
और ये कह कर नंदिनी आगे बढ़ कर विक्रम को गले लगा लेती है और उसके गालों पर चुम्बन जड़ देती है। विक्रम भी उसे अपनी बाहों में कस कर पकड़ लेते हैं जिससे उसकी चूचियां विक्रम की छाती में धंस जाती हैं। फिर नंदिनी कहती है
आओ भाई पहले हम रक्षाबंधन मना ले।
फिर नंदिनी स्नानघर में घुस जाती है और हाथ पैर धोती है और तैयार होती है। जब वह बाहर निकलती है तब वह पूरी नंगी होकर निकलती है क्यों कि स्नानघर में उसने सारे कपड़े उतार दिए थे और नंगी हो गई थी। इधर विक्रम भी अपनी धोती निकाल कर पूर्ण रूप से नग्न हो जाते हैं। जब नंदिनी बाहर निकलती है तो राजा विक्रम को पूर्ण नग्न देखती है और विक्रम का लिंग खड़ा होकर अपनी बड़ी बहन को सलामी दे रहा था जिसे देख कर नंदिनी शरमा जाती है और कहती है
तुम बहुत शरारती हो विक्रम, आज रक्षांबधन के दिन भी तुम लौड़ा खड़ा किए हो।
क्या करूं बहन, जिस भाई की बहन इतनी मादक और कामुक होगी उसके भाई का लिंग तो उसके सम्मान में खड़ा रहेगा ही।
और ये कह कर विक्रम हंस देते हैं और नंदिनी भी मुस्कुराने लगती है और कहती है
आओ भाई मैं तुम्हे राखी बांध दूं
राजा विक्रम अपने पैर खोल कर आसन पर बैठ जाते हैं और नंदिनी थाल में दीप प्रज्ज्वलित कर सबसे पहले अपने भाई के खड़े लौड़े को आरती उतारती है , फिर उस पर पुष्प वर्षा करती है।फिर वह चंदन का लेप बनाकर उससे विक्रम के खड़े लंद पर टिका करती है ।ये सब देख कर विक्रम कहते है
यही तो हम भाई बहन का त्यौहार है और मेरा बस चले तो मैं पूरे राज्य में भाई बहन को ऐसे ही रक्षाबंधन मानने का ऐलान कर दू।
फिर नंदिनी मुस्कुराते हुए थाल में से एक राखी उठाती है और बड़े प्यार से अपने भाई के खड़े लौड़े पर राखी बांध देती है और बड़े प्यार से उसे चूम लेती है और कहती है
मेरा प्यारा भाई , अपनी बहन की शील और योनि की रक्षा करते हुए हुए राखी के बन्धन को निभाना।
इस पर विक्रम कहते हैं
बहन ये तो मेरा धर्म है कि मैं अपनी बहन की शील और योनि की रक्षा करूं और रक्षा करने मे ही यह अभिप्राय शामिल है कि भाई अपनी बहन की योनि को खुश रखे। प्रत्येक भाई का यह कर्तव्य है कि वह अपनी बहन की योनि को तड़पने ना दे और उसकी योनि को खुश रखे।
तब नंदिनी कहती है
लेकिन भाई मेरा उपहार कहां हैं
इसपर राजा विक्रम तकिए के नीचे से एक हीरे का हार निकालते हैं और राजकुमारी नंदिनी के कमर में पहना देते हैं