Update 23
अब इधर शादी की तैयारियां जोरों से चलने लगती है। अब राजा विक्रम और रत्ना की शादी में ज्यादा समय नहीं था। राजा विक्रम ने स्वयं राजमाता देवकी और नंदिनी के लिए रत्नजड़ित घाघरा चोली पसन्द की थी। तो राजा विक्रम के वस्त्र देवकी और नंदिनी ने पसन्द किए थे। सभी बड़े खुश थे इस शादी को लेकर। राजा विक्रम ने एक लहंगा चोली रांझा के लिए भी पसन्द किया था।
रांझा को वो जैसे ही थोड़ा अकेले पाते हैं, उनके पीछे खड़े होकर आवाज देते हैं
धाय मैं
आवाज सुन कर रांझा पीछे मुड़ती है तो विक्रम को देखती है। उसके हाथ में लहंगा चोली होती है।
रांझा कहती हैं
जी राजन, आदेश करे
आदेश नहीं धाय मां, आपके लिए ये लहंगा चोली, शादी में पहनने के लिए। मैंने स्वयं पसन्द की है आपके लिए।
सच राजन, !! मै अवश्य पहनूंगी इसे।
जी धाय मां, लेकिन साथ में ये हीरे मोती की ये माला भी पहनना
और ये कह कर राजा विक्रम अपने गले से माला निकाल कर रांझा को देते हैं
तो रांझा कहती है
आप खुद ही पहना दे राजन
विक्रम मानो यही चाहता था और आगे बढ़ कर माला रांझा के गले में पहना देता है और रांझा मन ही मन आनन्दित हो कर कहती है
मै धन्य हो गई राजन, जो आपने अपने हाथ से मुझे माला पहनाया।
तब विक्रम कहते हैं
मै तो कब से आपके गले में माला डालना चाह रहा था, जिस दिन से मैंने कालू को आपके गले में मगलसूत्र बांधते देखा है मेरा मन भी आपको हार पहनाने को हो रहा था जो आज पूरी हुई
ये सुन कर रांझा शरमा जाती है
तो विक्रम उसकी ठुड्ढी पकड़ कर सिर ऊपर उठाते हैं और कहते हैं
आप बहुत सुन्दर है धाय मां।
और ये कह कर रांझा के होंठ चूम लेते हैं, तो रांझा शरमा कर भाग जाती है
इसी तरह की तैयारी राजकुमारी रत्ना के घर भी चल रही थी। वहा भी रेशमी वस्त्र, आभूषण पसंद किए जा रहे थे और वहां पर तैयारी भी विशिष्ठ होनी थी, आखिर विवाह तो वधु पक्ष के स्थान पर ही तो होना था ।
अब देखते ही देखते समय बीत गए और विवाह की तिथि भी आ गई। रत्ना के यहां राज महल बहुत सुंदर तरीके से सजाया गया था। लग रहा था कि स्वर्ग को धरती पे उतार दिया गया हो।
इधर राजा विक्रम की बारात अपने होनेवाले ससुराल पहुंच चुकी थी। बारात में राजमाता देवकी, राजकुमारी नंदिनी के साथ सभी मंत्री और राजदरबारी आए थे। और हां साथ में धाय मां रांझा और उसका पुत्र कालू भी थे जो राजपरिवार के साथ ही था।
राजा विक्रम 10 अश्वों वाले रथ पे अपनी मां और बहन के साथ सवार होकर पहुंचे थे। दोनों राज्यों में खुशी का माहौल था तथा दोनो राज्यों में राज उत्सव की घोषणा की गई थी। इधर राजा माधो सिंह ने राजकीय अतिथिशाला में बारात के रुकने की व्यवस्था की थी । बारात एक दिन पहले ही पहुंच चुकी थी।
राजा विक्रम , देवकी और नंदिनी के कक्ष सटे हुए थे। उस दिन शादी के कई रस्म थे जिसको पूरा होते होते काफी विलम्ब हो गया। फिर सभी ने भोजन ग्रहण किया और रात्रि मे अपने अपने कक्ष में विश्राम करने चले गए। लेकिन शैय्या पर तीनों में से किसी को भी नींद नहीं आ रही थी। फिर राजा विक्रम उठते हैं और ये निश्चिंत होने के बाद की बाहर कोई नहीं है नंदिनी के कक्ष की ओर चले जाते हैं।
नंदिनी के कक्ष में प्रवेश कर विक्रम पाते हैं कि नंदिनी जाग रही है तो विक्रम कहते हैं
आप जाग रही हैं दीदी
हां, तुम भी तो जाग रहे हो भाई, नंदिनी में मुस्कुरा कर कहा।
क्या करूं बहन, आपके बिना नींद ही नहीं आती।
अच्छा, तो अब तो तुम्हें रत्ना मिल जायेगी, फिर तो भूल ही जाओगे अपनी इस बहन को।
नही दीदी, ऐसा नही होगा, ये आप भी जानती हो। मै आपसे बहुत प्यार करता हूं , आप मेरा पहला प्यार हो।
ये सुन कर नंदिनी शर्मा जाती है और कहती हैं
शादी के बाद हम ये रिश्ता कैसे रखेंगे भाई, अगर रत्ना जान गई तो।
उसे कुछ पता नही चलेगा। हम दोनो राजकीय कार्य के दौरान भ्रमण में मौका निकाल लेंगे तथा राजमहल में भी।
ये सुन कर नंदिनी भावुक हो जाती है और विक्रम को गले लगा कर सुबकने लगती है और कहती है
इतना प्यार करते हो मुझसे भाई,,, मैं कितनी खुशनसीब हूं कि मुझे तुम जैसा प्रेम करने वाला भाई मिला है। मुझे तुझे रत्ना को सौंपने में जान निकली जा रही है। लेकिन तू मेरा कितना ख्याल रखता है।
फिर दोनो भाई बहन एक दूसरे से चिपक जाते हैं और एक दूसरे के होंठ चूसने लगते हैं । विक्रम धीरे धीरे नंदीनिंकी चोली खोल देते हैं और उसके निप्पल को अपनी उंगलियों से मसलने लगते हैं जिससे नंदिनी मस्त हो जाती हैं और आहें भरने लगती है और उत्तेजित होकर धोती के ऊपर से ही विक्रम के लन्ड को पकड़ लेती है और सहलाने लगती है। विक्रमंकी आह निकल जाती है और और वो होंठ चूसना बन्द कर के अलग हटते हैं और कहते हैं
बहन अपने स्तन से दूध पिलाओ न।
पी लो भाई मेरे स्तन से दूध, चूस लो इन्हें। ये तेरे प्यार के लिए तड़प रहे हैं।
विक्रम मूंह लगा कर नंदिनी के स्तन चूसने लगते हैं और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची मसलने लगते हैं। नंदिनी आहे भरते हुए कहती हैं
भाई, जैसे मां हमारे रिश्ते के बारे में जान गई , वैसे ही कहीं रत्ना ना जान जाए।
नही जानेगी बहन, अब हम दोनो और चौकन्ने रहेंगे।
लेकिन बुरा न मानो तो एक बात कहूं भाई।
हा बोलो
उस रात जब हम दोनो नंगे थे, मां तुम्हारे लिंग को बार बार देखे जा रही थी, उसकी नजर तुम्हारे लिंग से हट ही नहीं रही थी और रक्षाबंधन के दिन भी मैने देखा कि माते तुम्हारे लिंग को चोरी चोरी देखे जा रही थी । लगता हैं उन्हें तुम्हारा लिंग बहुत पसन्द आ गया है।
राजमाता देवकी के बारे मे नंदिनी द्वारा ऐसा कहने से विक्रम के लिंग में तनाव आने लगता है जिसे नंदिनी महसूस करती है और राजा विक्रम को थोडा सा अपने से अलग हटा कर विक्रम की आंखों में देखती है और कहती हैं
विक्रम .......
हां दीदी,
क्या मैं जो समझ रही हूं वो सही समझ रही हूं
क्या
यही की तुम्हारा लिंग मां का नाम लेते ही झटके मारने लगा
दीदी आप भी ना,,, ये कह कर राजा विक्रम मुस्कुरा देते हैं और नंदिनी के गले लग जाते हैं
इस पर नांदिनी मुस्कुराने लगती है और फिर उसकी आंखों में देखती है और कहती है
बदमाश कही के, वही मैं कहूं कि जनाब को मां के सामने नंगे खड़े होने में लाज क्यों नहीं आ रही थी और फिर विक्रम को गले लगा लेती है। इन बातों से नंदिनी भी गरम हो जाती है और राजा विक्रम की धोती खोल कर लन्ड बाहर निकाल लेती है और नीचे बैठ लौड़ा चूसने लगती है।
विक्रम को सिहरन होने लगती हैं और वो नंदिनी के मुंह को ही चोदने लगते हैं और फिर उसे उठाकर शैय्या पर ले जाते है और उसका लहंगा उतार कर नंगा कर देते हैं और अपने हाथ से उसकी योनि को सहलाने लगते हैं। फिर उसके पूरे शरीर को चूमते हुए योनि के पास आते हैं और योनि चाटने लगते हैं। योनि चाटने से नंदिनी गरम हो जाती है और कहती है
और जोर से चाटो भाई, और जोर से अपनी बहन की योनि को, ये तुम्हारे प्यार की प्यासी है और जीभ अंदर डालो भाई, और अंदर,। आह आह कितना मजा आ रहा है भाई।
फिर राजा विक्रम अपना लन्ड नंदिनी की योनि पर रख कर दबाव देते हैं और कहते हैं
ये ले बहन अपने भाई का प्यार और उसकी योनि की जबरदस्त चोदाई करने लगते हैं । पूरे कमरे में फेच फ़च की आवाज गूंजने लगती है और नंदिनी अपनी दोनों टांगे उठा कर चुदवाने लगती है और कहती है
और जोर से भाई और जोर से। ऐसे चोद की लगे की आज अंतिम रात है और जोर से भाई और जोर से चोद अपनी प्यारी बहन को,,, आह आह आह मजा आ रहा है मेरे बालम।।
आह आह ये ले दीदी, मजे ले मेरे लौड़े के, बहुत प्यारी योनि है तुम्हारी,,,,आह आह आह,,,,मुझे इसी योनि से एक बच्चा दे दो दीदी,,, आह आह
दे दूंगी तुम्हे बच्चा मेरे भाई,,,,मैं वादा करती हूं की मेरी पहली संतान तुम्हारे बीज से ही जनमेगी।,,आह आह,,मैं झड़ने वाली हूं भाई।
मै भी झड़ने वाला हूं बहन और फिर पानी निकलने के पहले विक्रम अपना लिंग बाहर निकाल कर नंदिनी के स्तनों पर स्खलित हो जाते है और ढेर सारा पानी गिरा देते हैं
इधर नंदनी भी झटके खा कर झड़ जाती है और उसके चादर पर योनि रस गिर जाती है और गीली हो जाती है।
इधर राजमाता देवकी को भी नींद नहीं आ रही थी और वह करवटें बदल रही थी। पता नही ये कैसी रात थी जो किसी को नींद ही नहीं आ रही थी। देवकी सोचती है कि चलो विक्रम से मिल आती हूं और विक्रम के कक्ष की ओर चल देती है । लेकिन जब वह विक्रम के कक्ष में पहुंचती है तो विक्रम को वहां न पाकर समझ जाती की एक भाई अपनी बहन से मिलने गया होगा और मन्द मन्द मुस्कुराने लगती है और कुछ सोचती हुई नंदिनी के कक्ष की ओर चल देती है
नंदिनी के कक्ष में प्रवेश कर देखती है की दोनों नंगे एक दूसरे से चिपके हुए हैं । किसी के आने की आहट से दोनो अलग हो जाते हैं तो देवकी को सामने देखते हैं
तब देवकी झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहती है ~ विक्रम कल तुम्हारी शादी है और तुम अपनी बहन के साथ सम्भोग में लीन हो,, तुम्हें अभी आराम करना चाहिए, कल काफी काम होगा,,, और तुम नंदिनी,,तुम तो बड़ी बहन हो, अपने छोटे भाई को समझा तो सकती हो,,,
तब विक्रम बोलते हैं,,,मैं ही खुद आया था माते,,, मुझे नींद नहीं आ रही थी।
देवकी मन में कहती है,,,,मैं क्या बताऊं पुत्र कि मुझे खुद भी नींद नही आ रही थी।
तब नंदिनी उदास होकर कहती है,,,आज प्यार कर लेने दो माते ,,,अब तो कल भाई की शादी हो ही जाएगी।
ये सुन कर देवकी का दिल भी बैठ जाता है और वह आगे बढ़ कर नंदिनी को गले लगा लेती है और कहती है
उदास ना हो मेरी प्यारी पुत्री,,, ये तो खुशी की बात है कि विक्रम की शादी हो रही है। तुम दोनो अपना संबंध छुपा कर बनाना ,, मुझे कोई आपत्ति नहीं है । अगर कोई कक्ष ना मिले तो मेरे कक्ष में आकर अपने भाई के साथ सम्भोग कर लेना,,मैं मना नहीं करूंगी,,,लेकिन तुम उदास ना हुआ कर पुत्री,,,तुम ही दोनो तो मेरी दुनिया हो
इस पर नंदिनी खुशी से झूम उठती है और देवकी को गले लगा लेती है तब देवकी नंदिनी को छेड़ते हुए कहती है
लेकिन ये अपनी जवानी को नंगी मत रखा कर,,,इस पर चुन्नी तो डाल दिया कर
और ऐसा बोल कर उसके निप्पल को मसल देती है
इसपर नंदिनी आहें भरती है तब इस पर सभी हसने लगते हैं। राजमाता देवकी फिर विक्रम की धोती समेट कर उठाती है और विक्रम को पहनने को देती है। विक्रम को अपने कमरे मे चलने को कहती है, इस पर राजा विक्रम अपने कक्ष की ओर चलते हैं। कक्ष के द्वार पे पहुंच कर देवकी कहती है
पुत्र विक्रम आप विश्राम करे , कल विवाह की व्यस्तता रहेगी
इस पर राजा विक्रम कुछ नहीं कहते और राजमाता देवकी का हाथ पकड़ कर कक्ष के अंदर खींच लेते हैं और कक्ष के अंदर ले जाकर राजमाता देवकी को गले से लगा लेते हैं ,,, इस पर देवकी भी अपने पुत्र से चिपक जाती है। कुछ देर माता पुत्र ऐसे ही एक दूसरे से चिपके रहते हैं । देवकी फिर थोडा अलग हटती है तो विक्रम कहते हैं
माते, आप अभी तक क्यो जग रही हैं,,वहां नंदिनी के कक्ष में तो हमें आप हड़का रही थी की इतनी रात तक हम लोग क्यों जगे है,,, अब आप मुझे बताएं कि आप अभी तक क्यो जगी है ।
ये सुन कर देवकी उदास हो जाती है और कहती है
ये सच है पुत्र की मुझे भी नींद नहीं आ रही थी ,, मन में सोच रही थी की अभी अभी मेरे सूने जीवन में तुम ख़ुशी की बहार बन कर आए थे,,, अभी तो मैने ठीक से अपने लल्ला को प्यार भी नहीं किया था कि तुम्हारी शादी तय हो गई ,,
इस पर राजा विक्रम कहते हैं,,, आप उदास ना हो माते,, मैं आपकी खुशी काम नहीं होने दूंगा,,,आपका स्थान कोई नहीं ले सकता है,,, शास्त्रों में भी कहा गया है कि माता को सुखी रखने वाला पुत्र पुण्य का भागी होता है,,, और इसीलिए माते मैं आपकी खुशी में कोई कमी नहीं आने दूंगा,,, समय समय पर मौका निकाल कर आपकी इस योनि को सम्भोग का आनंद दूंगा
और ये कहते हुए विक्रम देवकी की पवित्र योनि को घाघरे के ऊपर से दोबोच लेते हैं और और अपनी मां के होंठ चूसने लगते हैं । दोनों होंठ चूसने में मगन रहते हैं तो देवकी हाथ नीचे ले जाकर अपने पुत्र के लिंग को मुट्ठी मे भर लेती है और कहती है
आह पुत्र , कितना आकर्षक लिंग है तुम्हरा । मै तो तुम्हारी दीवानी हो गई हू और अब रत्ना इस लिंग की दीवानी हो जाएगी। रत्ना कितनी खुशनसीब है कि उसे तुम पति के रूप में मिले हो,,
विक्रम भी नीचे झुक कर देवकी की चूची चूसने में मगन हो जाते हैं और कहते हैं
कितना अदभुत स्वाद है माते,, आपके स्तन का,,,आपके स्तन के दूध का ही कमाल है माते कि मेरा लिंग इतना बलशाली है ।
राजा विक्रम फिर नंदिनी का घाघरा चोली निकल कर फेक देते हैं और धीरे धीरे नीचे आकर उसकी योनि को चूसने लगते हैं और चाटने लगते हैं ,, देवकी बहुत उत्तेजित हो गई रहती है तो उससे रहा नहीं जाता और वो कहती है
अपना मुख हटा लीजिए पुत्र मेरी योनि पर से,,मुझे पेशाब आ रही है बहुत तेज,,,
विक्रम कुछ नहीं बोलते हैं और देवकी की योनि चाटने की रफ्तार बढ़ा देते हैं जिससे देवकी कहती है
पुत्र, बर्दास्त करना मुस्किल हो रहा है,,,, ओह ओह ओह ओह,, मैं नही रोक पाऊंगी पुत्र अपनी पेशाब,,, कृपया रोक दे पुत्र,,
लेकिन राजा विक्रम नहीं रुकते हैं और योनि को चूसना चाटना जारी रखते हैं जिससे देवकी को बर्दास्त करना मुस्किल हो जता है और वह विक्रम के बाल पकड़ कर योनि से पेशाब की धार छोड़ते हुए कहती है
ओह आह आह और, पुत्र मेरा पेशाब निकल गया पुत्र
जिसे राजा विक्रम योनि पर मुंह लगा कर अपनी मां की योनि से निकला पेशाब गट गट कर के पी जाते हैं।
देवकी चिल्लाती है,,,पुत्र ना पियो पुत्र,, ये गंदी चीज है
लेकिन विक्रम पूरा पेशाब पी जाते हैं । ये देख कर देवकी विक्रम को उठाती है और गले लगा लेती है, फिर उसके होंठ चूसने लगती है और कहती है
मुझे पता ही नही था कि मेरा पुत्र मुझसे इतना प्यार करता है कि उसे मेरी पूरी पेशाब पीने में कोई हिचक नहीं हुई, मैं कितनी धन्य हूं,, तुमने पहले क्यो नही बोला कि तुम मुझसे प्यार करते हो, ,,मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं मेरे लाल,, मेरे लल्ला, मेरी जान।,,
तब राजा विक्रम देवकी को गोद में उठा कर शैय्या पर ले जाते हैं और कहते हैं
आप दोनो मां और पुत्री सुंदरता की मूरत हो,, दीदी बिलकुल आपकी छाया है माते,, वैसे ही उन्नत वक्ष गोरे स्तन और गुलाबी चुचुक ,,,मस्त अप्सरा लगती हैं आप दोनों,,,
देवकी बिक्रम का लिंग पकड़ कर कहती है
चोद दे पुत्र अपनी इस प्यासी मां को,, अपने तगड़े मोटे लौड़े को डाल दें मेरी योनि में,, ये आपके लौड़े के प्यार को तड़प रही है
और ये कह कर राजा विक्रम के लिंग को अपनी योनि से सटा देती है, तो राजा विक्रम कहते है
ये लें माते, अपने पुत्र का लिंग अपनी योनि में
और ये कहते हुए एक ही धक्के में अपना लिंग अपनी मां की योनि की जड़ तक पहुंचा देते हैं और chudai शुरु कर देते हैं और कहते है
देख माते, तुम्हारी योनि की जड़ तक जाकर बचेचेदानी को छू रहा है मेरा लिंग,, आह आह ओह, बहुत मजा आ रहा है माते,,, मैं धन्य हो गया हूं अपनी माता की योनि की सेवा करके
और जोर से करो पुत्र और जोर से,, मुझे आज तक किसी ने ऐसे नही चोदा,,,
क्यों मामा ने भी नही,,
नही, तेरे मामा ने भी नही पुत्र,, उफ्फ ये मैने क्या कह दिया,,, आह आह ओह ओह यूएफएफएफ,, और चोदो पुत्र अपनी मां को
ये सुन कर विक्रम का लिंग और तन गया की मां को उनके भाई ने भी चोदा है, उन्होंने पूछा
मामा के साथ कैसे संभोग किया माते
वो बड़ी लंबी कहानी है पुत्र, आराम से बताऊंगी, लेकिन तुम्हारा लिंग मेरे भाई की तरह ही है, लेकिन किसी को बताना मत की मैं अपने भाई से चूदी हूं,, और चोद बेटा और
अच्छा, माते घोड़ी बनिए , पीछे से चोदना है।
और ये कह कर देवकी को घोड़ी बना देता है और पीछे से देवकी को चोदने लगता है
आह आह बहुत मजा आ रहा है बेटा, इसमें तो तुम्हारा लिंग मेरी बच्चेदानी के अंदर घुस जा रहा है,, लगता है अभी ही आप मेरी कोख भर देंगे।
आह आह ओह आह माते,, आह आह मुझे बच्चा चाहिए माते,,ये लीजिए आह आह
ओह ओह और जोर से पुत्र मेरा निकलने वाला है आह आह
मेरा भी माते ,, आह ओह ओह, मेरा निकलने वाला है माते आह आह
और ये कहते कहते दोनो झड़ जाते हैं, विक्रम अपना लिंग निकलना चाहते थे लेकिन रांझा ने उनका लिंग जकड़ लिया और पूरा पानी अपनी योनि में ले लिया।
इस तरह दोनों मां बेटे थक कर एक दूसरे से चिपक गया और राजमाता देवकी वही राजा विक्रम के बगल में सो गई