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Incest राजकुमार देव और रानी माँ रत्ना देवी

hellboy

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Update - 2
आज राज्य में बहुत ही खुशी का दिन था. आज राजा विक्रम सेन का जन्मदिन जो था और वो आज 18 साल के हो गये थे. आज जन्मदिन के मौके पर सुबह सुबह राज परिवार अपने कुल देवता के दर्शन करने और आशीर्वाद लेने मन्दिर जाता था. आज राजमाता देवकी के कदम जमीन पर नहीं पड़ रहे थे. वो आज ब्रह्म मुहूर्त मे ही जग गई और नहाने के लिए सुबह सुबह स्नानागर मे घुस गई. उसे जल्दी तैयार होना था क्यों कि आज कई राज्यों के राजा सपरिवार आयोजन में सामिल होने के लिए आमंत्रित थे. देवकी स्नानागर मे घुसकर अपने चोली उतारती है जिससे उसके बड़े स्तन कैद से बाहर निकल जाते हैं. इन्हें देखकर देवकी खुद शर्मा जाती है और मन में सोचती है कि ये मुये इस उम्र में कितने बड़े हो गये हैं. ( जबकि उसकी उम्र अभी 36 वर्ष ही थी) वह आदमकद आईने के सामने खड़ी होकर खुद अपने को ही निहार रही थी. वह अपना दाहिना हाथ उठाकर अपने स्तन पर रखकर हौले से दबाती है और अपनी एक उँगली से चुचक को हल्के हल्के कुरेदने लगती है और सहलाने लगती है. चुचक सहलाने से वह उत्तेजित हो जाती है और अपना एक हाथ घाघरे के अंदर डाल कर अपनी योनि को सहलाने लगती है. कई दिनों बाद आज वह अपने बदन से खेल रही थी. घाघरा योनि को सहलाने मे अड़चन डाल रहा था सो उसने अपने घाघरे का नाडा खोल दिया. नाडा खोलते ही घाघरा सरसराते हुए उसके पैरों में गिर जाता है जिससे वह पुरी नंगी हो जाती है. अपने आप को शीशे मे पुरी नंगी देखकर वह फिर शर्मा जाती है. उसकी योनि पे घुंघराले झांटे उसकी खूबसूरती और बढ़ा रहे थे. उसकी योनि पे झांटे ना तो कम थी ना ही बहुत घनी जो उसकी योनि को सबसे अलग बनाती थी. तभी तो महाराज उनकी योनि के दिवाने थे और हर रात इनकी चुदाई करके ही सोते थे. देवकी अपनी ही योनि को देखकर गरम हो जाती है और अपने पुराने दिनों के बारे में सोचने लगती है जब उसकी योनि को महाराज रोज अपनी जीभ से चाटते और अपने मोटे लंड से जबरदस्त चुदाई करते. यही सोचते सोचते देवकी का हाथ अपनी योनि पे चला जाता है और वह अपनी योनि को रगड़ते हुए हस्तमैथुन करने लगती है. एक हाथ से वह अपने स्तन का मर्दन कर रही थी और दूसरे हाथ से योनि को तेजी से रगड़ रही थी. योनि रगड़ते रगड़ते देवकी को अपने पुत्र राजा विक्रम के लिंग की याद आती है जिसे देखे उसे 6 साल बीत गये थे. वह सोचने लगती है कि उसका लिंग कितना बड़ा हो गया होगा. उसी समय उसका लण्ड 8 इंच का था, बिल्कुल अपने ननिहाल के पुरुषों की तरह. इन खयालों से उसकी बुर एकदम गीली हो गई और योनि रस छोड़ने लगी. अब उसका योनि मार्ग एकदम चिकना हो गया और उसकी एक उँगली सटाक से अंदर चली गई जिससे उसकी आह निकल गई. अब वह अपनी उँगली अंदर बाहर करने लगती है और साथ ही अपने चुचुको को भी मसलने लगती है और अपने पुत्र के लिंग के ख्याल से मदहोस हो जाती है. अपनी बुर रगड़ते रगड़ते वह मन में बुद्बुदाने लगती है कि हाँ मुझे अपने पुत्र का मोटा लंड देखना है उसे अपने हाथ में लेकर प्यार करना है. यह सोचते हुए वह अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच जाती है और उसकी योनि भलभलकर् पानी छोड़ देती है. उसका हाथ योनिरस से भीग जाता है. वह हस्तमैथुन से सत्तुष्ट होकर अपने को ही कोसने लगती है कि मै ये क्या पाप सोच रही थी. उसे ध्यान आता है कि काफी विलंब हो गया है और आज हमे सुबह ही कुल देवता के मंदिर जाना है. अब वह फटाफट स्नान के लिये दूध से भरे बड़े टब् मे घुस जाती है जिसमें गुलाब की पंखुडियाँ भी पड़ी थी. दुध से स्नान कर वह फटाफट अपने वस्त्र कक्ष में एक बड़ा तौलिया लपेटकर चली जाती है जहाँ उसकी मुहबोली दासी रन्झा उसका इंतजार कर रही थी. रन्झा उसके शरीर को कोमल वस्त्र से पोछती है और देवकी के शरीर पर डाला हुआ कपड़ा हटा देती है जिससे वह फिर से पुरी नंगी हो जाती है. रन्झा अच्छे से उसके शरीर को पोछती है, पहले स्तनों को पोछती है और फिर थोड़ा नीचे बैठकर उसकी योनि को पोछने लगती है जिससे योनि की मादक गंध उसके नाक तक पहुँच जाती है. वह तो देवकी की मूहबोलि दासी थी सो उससे मजाक मे पुछा कि रानी एक बात पुछू बुरा तो नहीं मानोगी.
देवकी- नहीं, पुछ, मै तेरी बात का बुरा मानती हूँ भला.

रन्झा, लेकिन गुस्सा किया तो.
देवकी - नहीं करूँगी गुस्सा तु पुछ जो पुछना है.
रन्झा - मै तो तुम्हें रोज नंगी देखती हूँ लेकिन आज तेरी चूची सुबह सुबह इतनी कसी हुई क्यो है और तो और तेरी योनि से भी जबरदस्त गंध आ रही है. किसकी याद मे सुबह सुबह योनि रगड़ा है बता तो दो.
देवकी- चल हट, बदमाश. हमेशा तेरे दिमाग में यही चलता रहता है. तु जानती नहीं है तु किससे बात कर रही है. राजमाता हू मैं. गर्दन उड़वा दूंगी तुम्हारी.
रन्झा - हे हे हे, अब बता भी दो रानी. क्यों नखरे दिखा रही हो. मै तो तुम्हारे साथ आई थी शादी मे तुम्हारे. तबसे तुम्हारी सेवा में हूँ. याद है जब तुम्हारी पहली माहवारी आई तो मैने ही तुम्हारी बुर पे कपड़ा लगाया था और तुम्हे सब सिखाया था.
( ये सुनकर देवकी मंद मंद मुस्कुराने लगती है)
देवकी - तु नहीं मानेगी. रंडी शाली छिनाल. सब जानती हूँ तेरे बारे मे कि तु राजमहल मे किसके साथ गुलछर्रे उड़ा रही है और दरबार के किन मंत्रियों से अपनी बुर चोदवा रही है.
रन्झा - हे हे हे, तु भी तो मुझे शुरू से जानती है कि कितनी गर्मी है मेरे अंदर. अच्छा ये सब छोड़िये राजमाता और ये बताइये कि किस युगपुरुष को सोचकर अपनी बुर रगड़ी हो और अपनी चुचियों को मसला है.
देवकी - धत् तु नही मानेगी. तो सुन आज अपने नंगे बदन को देखकर महाराज की याद आ गई की कैसे मुझे वो रगड़ रगड़ के रोज चोदा करते थे. और फिर मै गरम हो गई और बुर मतलब योनि मे उँगली करना पड़ा. ( ये कहकर देवकी इस बात को छुपा गई कि वह अपने पुत्र के बारे मे सोचकर भी गरम हो गई थी)
रन्झा - आहें भरते हुए, मै तुम्हारी तड़प समझ सकती हूँ राजमाता. मै भी तो अपने पति से दूर रहती हूँ. ये तो कहो की मेरा बेटा मेरा साथ रहता है. नहीं तो मै भी.... ( इतना कहकर वह कुछ बोलते बोलते चुप हो जाती है)
देवकी - हाँ हाँ बोल क्या ' नहीं तो मै भी'
रन्झा - हडबदहत मे, अब जल्दी तैयार हो जाओ सूर्योदय होने वाला है. आओ आईने के सामने बैठो की मै तुम्हे तैयार कर दूँ.
अब राजमाता देवकी तैयार होने के लिए बड़े से शीशे के सामने बैठ जाती है और रन्झा उसे तैयार करने लगती है.
awesome update bro.keep going like this
 

Ravi2019

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Update 3
राजमाता देवकी आईने के सामने बैठी रहती है और रन्झा उसे तैयार कर रही होती है, देवकी राजपरिवार की जो ठहरी. रन्झा चंदन की लकड़ी से बने कंघे से देवकी के बाल सवारति है. फिर मलाई और गुलाब से बने क्रीम उसके चेहरे पे लगाती है. फिर थोड़ी सी क्रीम लेकर उसके स्तनों पे मलती है और अपनी उँगलियों से उसके चुचुक को मसल देती है जिससे देवकी सिसक जाती है और एक हल्की सी चपत रन्झा के हाथ पे लगाती है जिस पे रन्झा मुस्कुरा देती है. थोड़ी सी क्रीम लेकर अब रन्झा नीचे बैठ जाती है और अपने हथेलियों मे फैलाकर देवकी की योनि पर अच्छे से लगा देती है.
देवकी गुस्सा दिखाते हुए - ये क्या कर रही है रण्डी

रन्झा - हे हे हे, तुमने आज अपनी योनि को सुबह सुबह कष्ट दिया है ना. इसलिए मै थोड़ा मलहम लगा देती हूँ , , आखिर आपकी योनि का भी तो ख्याल रखना है मुझे और दांत निपोरने लगती है.

देवकी - मुस्कुराते हुए, मेरी योनि है, मै इसके साथ जो करूँ, तुझे इससे क्या. तु अपनी योनि देख और उसे संभाल. और बातें कम कर और जल्दी तैयार कर मुझे, खुद तो तैयार हो कर आ गई गई है बरचोदि और मुझे तंग करती है.
अब रन्झा देवकी को तैयार करने लगती है. उसके स्तन पर पहले कपड़े का पट्टा बांधती है. फिर उसे एक हीरे जवाहरात से जड़ी एक लाल रंग की चोली पहनाती है. अब देवकी खड़ी हो जाती है जिसे रन्झा एक हीरे का कमरबंध पहनाती है. फिर एक मलमल के कपड़े का बना लंगोट जैसा अंतःवस्त्र उसकी योनि पे पहनाती है जो उस समय की औरत पहनती थी. फिर लाल रंग का रत्न जडित घाघरा पहनाती है क्यों कि आज राजकुमार के जन्मदिन का अवसर जो था. इसके उपर राजमाता को एक हरे रंग की चुन्नी ओढा देती है. आँखों पे काजल और होंठो पे लाली लगाकर रन्झा राजमाता देवकी को कहती है

रन्झा- अब अपने को शीशे मे देख लो राजमाता. बिल्कुल दुल्हन लग रही हो.

देवकी - धत्त, कुछ भी बोलती हो. मै विधवा हूँ. मैं कहाँ से दुल्हन लग सकती हूँ.

रन्झा - चलो बातें मत बनाओ. अभी तो इतनी जवान हो कि कोई भी तुम्हें देखकर पागल हो जाए. और हाँ इस चुन्नी से अपनी जवानी को ढके रहना नहीं तो आयोजन में ही लोग अपना लंड निकाल कर हिलाने लगेंगे.
और ऐसा कह कर वह जोर से देवकी की चूची को दबा देती है जिससे उसकी आह निकल जाती है और रन्झा को बनावटी गुस्सा दिखाती है.
फिर देवकी को जैसे कुछ याद आता है और कहती है देख कितनी देर हो गई छिनाल. सूर्योदय होने वाला है. जल्दी कर. अभी देख राजकुमारी नंदिनी जगी है कि नहीं.
( राजकुमारी नंदिनी राजा विक्रम सेन की बडी बहन है जो उससे 2 साल बड़ी है और अपनी माँ और भाई की तरह बला की खूबसूरत है. अपनी माँ की तरह ही गोरी, तीखे नैन नखस् और लंबाई 5 फीट 3 इंच, उन्नत वक्ष, चौडी कमर और छरहरा बदन. उसकी नीली आँखे लगता था अभी बोल पड़ेंगी. उसके उन्नत नितंब देखकर सभी आहें भरते थे)
राजमाता देवकी फटाफट तैयार हो कर अपने कक्ष से निकल कर नंदिनी के कक्ष की ओर जाने लगती है. जैसे ही वह बाहर निकलती है सभी संतरी सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाते हैं. पीछे से रन्झा भागे भागे आती है. देवकी अब नंदिनी के कक्ष के बाहर पहुँचती है और सेविकावों से पुछती है.

देवकी - राजकुमारी तैयार हो गई है क्या?

सेविका - हकलाते हुए, नहीं राजमाता, अभी राजकुमारी सो रही हैं.

देवकी - ( बड़बड़ाते हुए कमरे में घुस जाती है और राजकुमारी को सोया हुआ देखकर जगाती है) उठ जाओ राजकुमारी.

नंदिनी आँखे मलते हुए उठती है.

देवकी - मेरी लाडो राजकुमारी, जल्दी से तैयार हो जा, आज तेरे भ्राता का जन्मदिन है. और लाडो ये क्या तु ठीक से सोया कर. देख तेरी सलवार घुटने तक सरकी हुई है. कोई आता तो देखकर क्या बोलता. वैसे भी तेरी शादी की उम्र हो गई है.

अब राजकुमारी क्या बताये की वो अंदर से पुरी नंगी है. ( राजकुमारी नंगी क्यों है ये राज बाद में खुलेगा.)

नंदिनी - माते आप मेरे अतिथि कक्ष में बैठे, मै तुरंत स्नान कर के आती हूँ. ठीक है पुत्री मै तुम्हारे अतिथि कक्ष में इंतजार करती हूँ तब तक तुम जल्दी से तैयार हो जाओ. और इतना कहकर देवकी दूसरे कक्ष में चली जाती है. देवकी के जाते ही राजकुमारी नंदिनी अपनी सलवार निकाल कर फेकती है और चादर ओढ़ कर सनानागर् मे भाग जाती है और अंदर पहुँच कर राहत की साँस लेती है. पहले राजमहल मे कमरो मे दरवाजे नहीं होते थे, बल्कि बड़े बड़े परदे लगे होते थे. राजकुमारी नंदिनी अपना चादर हटाती है जिससे वह पुरी मदरजात नंगी हो जाती है. सबसे पहले वह जल्दी से अपनी योनि को पानी से साफ करती है. इधर रन्झा भी अतिथि कक्ष में पहुँच जाती है और देवकी से पुछती है कि राजकुमारी नंदिनी तैयार हुई की नहीं.
देवकी - अरे वो लाडो को जानती नहीं हो, कभी समय से तैयार होती है क्या.
रन्झा - राजमाता, अब नंदिनी भी जवान हो गई है. अब अपनी लाडो को लण्ड दिला दो उसकी योनि चोदने के लिये, नहीं तो कहीं किसी से योनि ना चुदवा ले.
देवकी - चुप कर बुरचोदि, तुम्हारे मन मे केवल लंड, योनि की चुदाई की बात ही चलती रहती है. जा, जाकर देख नंदिनी तैयार हो गई क्या. और अगर वो तैयार ना हो तो उसे तैयार कर दे.

ये सुनकर रन्झा नंदिनी के कक्ष में जाती है. उसे स्नानागार से पानी गिरने की आवाज आती है और वह ये देखने के लिये की नंदिनी क्या कर रही है चुपचाप स्नानागार मे परदा हटा कर घुस जाती है और राजकुमारी को अपनी बुर साफ करते हुए देखती है. रन्झा की अनुभवी आँखे कुछ गड़बड़ महसुस करती है और तब आवाज देती है राजकुमारी. रन्झा की आवाज सुनकर नंदिनी अचानक से पीछे मुड़ती है जिसे नंगा देखकर रन्झा का मुह खुला रह जाता है.

रन्झा - राजकुमारी आप क्या कर रही हैं.

नंदिनी - आप अंदर कैसे आई धाई माँ. (रन्झा को राजकुमारी और राजकुमार धाई माँ बुलाया करते थे.)

रन्झा - मै तो तुम्हें खोजते हुए आई हूँ. राजमाता ने मुझे आपको तैयार करने के लिए भेजा है.
नंदिनी - मै कोई दुध पीती बच्ची थोड़े ही हूँ की मुझे तैयार करवाना पड़ेगा.
रन्झा - वो तो मै भी देख रही हूँ कि आप दुध पीती बच्ची नहीं हैं. बल्कि आप किसी को दुध पिला सकती हैं. ऐसा कहते हुए रन्झा नंदिनी के पास पहुँच कर उसकी दोनों चूची को अपने हाथ मे ले कर मसल देती है. नजदीक आने से रन्झा को नंदिनी के शरीर पर दाँत काटने के निशान देखती है. साथ ही नंदिनी की योनि की लालिमा रन्झा के मन मे शंका पैदा करती है.
रन्झा बोलती है कि आप भी अपनी माँ की तरह बला की खूबसूरत हैं. वैसे ही स्तन, नयन नखस् और वैसी ही सुन्दर योनि. जो भी ईस योनि को देख ले, वो तो हस्तमैथुन करते करते मर जाए.
नंदिनी - ( मन ही मन खुश होती है और कहती है) धत् धाई माँ, आप कैसी बातें करती हैं. आपने माँ की योनि देखीं है क्या? और आपके पास भी तो योनि है. सबकी योनि तो एक ही तरह की तो होती है.
रन्झा - (मन में, अब आई ये चंगुल में.) राजकुमारी मैंने आपकी माँ को बचपन से देखा है और उन्हें रोज तैयार करती हूँ. तो इसके लिए वो मेरे सामने नंगी होती हैं. और हाँ सबकी योनि एक जैसी नहीं होती. मेरी योनि पे घनी झांटे है. आपदोनों की योनि कोई देख ले तो बिना चोदे नहीं मानेगा. आप तो अभी चुदवा लें तो बच्चा पैदा हो जाये. वैसे एक बात पूछूँ. नंदिनी ने कहा पुछो.

रन्झा - आपने रात्रि मे किसी पुरुष के साथ सम्भोग किया है क्या?

ये सुनकर नंदिनी के होश उड़ गये. उसने कहा आप ये क्या कह रही है. रन्झा कहती है की मै सही कह रही हूँ. मेरी अनुभवी आँखे कह रही हैं की रात में आपने मस्त चुदाई का मजा लिया है. आपकी लाल योनि और स्तन पे दाँत के निशान इसकी गवाही दे रहे हैं. नंदिनी समझ जाती है कि छुपाने से अब कोई फायदा नहीं है, उसकी चोरी पकड़ी गयी है.
नंदिनी- आप सत्य कह रही हैं धाई माँ. रात में मैने सम्भोग किया है. क्या करूँ इस जवानी की गर्मी सही ही नहीं जा रही. अब आप ही बताओ इस 25 साल के उम्र में मै लण्ड के बिना कैसे जियूँ.
रन्झा - मै समझती हूँ राजकुमारी. तभी तो मैने राजमाता को अभी कहा है कि लाडो को अब एक लण्ड दिला दो.
नंदिनी - धत्त, सच मे आपने राजमाता से ऐसा कहा. उन्होंने क्या कहा.
रन्झा - राजमाता भी समझती हैं. मै समझती हूँ की योनि की आग क्या होती है. मै राजमाता को कुछ नहीं बताऊंगी, नहीं तो वो तुम्हारी चुदाई बन्द करा देंगी. लेकिन लाडो मै भी तुम्हारी धाई माँ हूँ, तुम्हारा भला चाहती हूँ. इसलिए एक सलाह देती हूँ की चुदाई के बाद पुरुष का वीर्य अपनी योनि मे मत गिरने देना, नहीं तो तुम गर्भवती हो जाओगी. और हाँ सम्भोग किसी अपने नजदीकी से ही करना जिस पर तुम्हें विश्वास हो, नहीं तो बाहर वाले से चुदवाओगी तो काफी बदनामी होगी.
नंदिनी - जैसा आप कहे धाई माँ और ऐसा कहकर वह रन्झा को अपने आलिंगन मे भर लेती है जिसे रन्झा दूर हटाती है और कहती है जल्दी तैयार हो जाओ. वैसे धाई माँ आप इतना कैसे जानती हैं. किसी नजदीकी से अपनी योनि चुदवा रही हैं क्या और ऐसा कहकर चोली के ऊपर से ही रन्झा की चूची दबा देती है और घाघरे के उपर से ही उसकी बुर दबोच लेती है. रन्झा भी मुस्कुरा देती है और नंदिनी की नंगी बुर को सहला देती है. तब तक बाहर से देवकी आवाज देते हुए अंदर आ जाती है की नंदिनी तैयार हुई की नहीं. आवाज सुनते ही दोनों अलग हो जाती हैं और नंदिनी जल्दी से टब मे घुसकर नहाने लगती है. लेकिन तब तक देवकी नंदिनी की नंगी बुर और नंगा बदन देख चुकी थी. और वह रन्झा के कान में धीरे से बोलती है की तू सही कह रही थी. लाडो को अब लंड चाहिए. ये बात नंदिनी सुन लेती है और उसके तन बदन मे सुरसुरी दौड़ जाती हैं और वह मन में कहती है कि मै कैसे बताऊँ माँ की मैने अपनी योनि मे लण्ड ले लिया है लेकिन किसका लिया है ये समय आने पर बताऊंगी. फिर देवकी उसको जल्दी तैयार होने को बोल कर बाहर आ जाती है. फिर नंदिनी फटाफट तैयार होकर अपने वस्त्र कक्ष में जाकर गुलाबी रंग की घाघरा चोली पहन कर बाहर आ जाती है. जिसकी सुंदरता देखकर देवकी दंग रह जाती है. वह क्या जानती है की ये बदलाव रात की चुदाई का कमाल है.
देवकी फिर कहती है कि ये चुन्नी तो ले ले लाडो, सबको अपना बड़ा दूध दिखाती रहेगी क्या. और तु जल्दी जाकर पूजा कक्ष मे पूजा की सामग्री देख लो तब तक मै अपने लाड़ले पुत्र को देखकर आती हूँ कि वह तैयार हुआ की नहीं और ऐसा कहकर राजमाता देवकी अपने लाड़ले पुत्र राजा विक्रम सेन के कक्ष की ओर चल देती है. पीछे पीछे रन्झा भी दौड़ते हुए आती है.

अगले update मे आप देखेंगे की राजा विक्रम सेन के कक्ष में क्या क्या होता है....
 
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Ravi2019

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क्या मस्त स्टोरी लिख रहे हो भाई बहुत बढ़िया बहुत बढ़िया मगर एक बात का ध्यान रखना कि जो यह राजा है ना उसकी मां पर सिर्फ और सिर्फ उस राजा का मतलब उस राजा की लड़के का जो भी राजा बनने वाला है सिर्फ वही उसकी मां की च**** करेगा बाकी कोई नहीं भले ही राजा कितनों को चोदे।
बिल्कुल ऐसा ही होगा, राजमाता को केवल उसका पुत्र राजा ही चोदेगा और कोई नहीं
 

Ravi2019

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T
आपकी कहानी की शुरुआत बहुत ही जबरदस्त है। कहानी कितनी सुखद होने वाली है इस बात का अंदाजा नाम से ही पता चलता है। आप को धेड़ सारी शुभकामनाएं इस नई कहानी के लिये। मुझे पौरानिक युग की कहानी पढ्ने में बड़ा अच्छा लगता है। इसी फोरम में कुछ एसी स्टोरीज़ हैं जो की इस फोरम की यूएसपी है। पाठक उन कहानियों को बार बार पढते हैं। उन्हीं में से एक है "महारानी देवरानी"।
आप ने पटकथा रचा है अगर उसे शब्दों में ढाल पाये तो यकीन मानिये यह स्टोरी भी आगे चल के इस फोरम की एक फेवरिट स्टोरी के रुप में पहचानी जायेगी।
इस कहानी को लिखते वक्त ध्यान रखिए की अपडेट का साईज थोडा बड़ा हो। क्यों की यह एक विंटेज स्टोरी है। एक एक एपिसोड में एक कथा होना चाहिए। आप समय ले के अपडेट तैयार कीजिये फिर पोस्ट करा करे।
मिलते हैं आप से अगले अपडेट पर ।
Thanks❤🌹
 
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