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Adultery राजमाता कौशल्यादेवी
Thread startervakharia Start dateMar 1, 2024 65,361
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#241
vakharia said:
अब महारानी ने अपनी टांगों से शक्तिसिंह को इतनी सख्ती से जकड़ा की उसे लगा जैसे उसकी हड्डियाँ तोड़ देगी। शक्तिसिंह से ओर बर्दाश्त ना हुआ... उसके सुपाड़े ने गरम गरम वीर्य की ८ - १० लंबी पिचकारियाँ महारानी की चुत में छोड़ दिए। महारानी के गर्भाशय ने उस मजेदार वीर्य का खुले दिल से स्वागत किया।दोनों एक दूसरे के सामने देख मुस्कुराये। नीचे लंड और चुत भिन्न रसों से द्रवित हो चुके थे। दोनों के जिस्म पसीने से तरबतर हो गए थे। आँखों में संतुष्टि की अनोखी चमक भी थी।स्खलन के बाद भी शक्तिसिंह का लंड नरम नहीं पड़ा। शक्तिसिंह ने अब धीरे से अपने घुटने मोड और संभालकर महारानी को जमीन पर लिटा दिया। उस दौरान उसने यह ध्यान रखा की एक पल के लिए भी उसका लंड महारानी की चुत से बाहर ना निकले।इसने नए आसन में लंड और चुत को अनोखा मज़ा आने लगा। शक्तिसिंह ने महारानी की दोनों टांगों को अपने कंधे पर ले लिया और उनके शरीर के ऊपर आते हुए जोरदार धक्के लगाने लगा।ऐसा प्रतीत हो रहा था की आज रात शक्तिसिंह का लंड नरम होगा ही नहीं। अमूमन महारानी भी यही चाहती थी की यह दमदार चुदाई का दौर चलता ही रहे। सैनिक और महारानी दोनों अब काफी थक भी चुके थे। चुदते हुए महारानी ने अपने हाथों से शक्तिसिंह के टट्टों को पकड़कर सहलाना शुरू किया। शक्तिसिंह अब फिरसे चिल्लाते हुए वीर्यस्खलित करने लगा और साथ ही साथ महारानी का भी पानी निकल गया।वह थका हुआ सैनिक, महारानी के स्तनों पर ही ढेर हो गया और उसी अवस्था में दोनों की आँख लग गई।राजमाता दबे पाँव अपने तंबू की तरफ निकल ली। इन दोनों ने तो अपनी आग बुझा ली थी पर उनकी चुत में घमासान मचा हुआ था।------------------------------------------------------------------------------------------------------आश्रम के एक कक्ष में, महारानी पद्मिनी एक बड़े से पत्थर पर लेटी हुई थी। ऊपर लटके हुए कलश के छेद से तेल की धारा रानी के सर पर ऊपर गिरकर उन्हे एक अनोखी शांति अर्पित कर रही थी। महारानी को गजब का स्वर्गीय सुख मिल रहा था। योगी के आश्रम में इन जड़ीबूटी युक्त तेल से चल रहा उपचार महारानी के रोमरोम को जागृत कर रहा था।ऐसी सुविधाएं तो उनके महल में भी मौजूद थी। पर यहाँ के शुद्ध वातावरण और परिवेश में बदलाव ने उन्हे अनोखी ऊर्जा प्रदान की थी।पिछले कुछ दिनों से शक्तिसिंह द्वारा मिल रही सेवा ने उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बड़ा ही सकारात्मक बदलाव किया था। दोनों के बीच रोज बड़ी ही दमदार चुदाई होती थी और महारानी को बड़े ऊर्जावान अंदाज में चोदा गया था। लगातार चुदाई के कारण उनकी जांघों का अंदरूनी हिस्सा छील गया था और उनकी चुत भी काफी फैल गई थी। अंग अंग दर्द कर रहा था पर उस दर्द में ऐसी मिठास थी की दिल चाहता था की उसमे ओर इजाफा हो।आश्रम मे मालिश करने वाली स्त्री बड़ी ही काबिल थी। उसने महारानी के जिस्म के कोने कोने पर जड़ीबूटी वाला तेल रगड़ कर पूरे जिस्म को शिथिल कर दिया था। शरीर में नवचेतन का प्रसार होते ही महारानी पद्मिनी की चुत फिर से अपने जीवन में आए नए मर्द के लंड को तरसने लगी थी। हवस ऐसे सर पर सवार हो रही थी की वह चाहती थी की अभी वह मालिश वाली औरत को ही दबोच ले। पर अब शक्तिसिंह के वापिस लौटने का समय या चुका था और वह उसके संग एक आखिरी रात बिताना चाहती थी।पिछले कुछ दिनों में राजमाता ने महारानी और शक्तिसिंह जिस कदर चुदाई करते देखा था उसके बाद उन्हे महारानी के गर्भवती हो जाने पर जरा सा भी संशय नहीं बचा था। उस तगड़े सैनिक ने कई बार महारणी की चुत में वीर्य की धार की थी। यहाँ तक की उन दोनों की चुदाई देख देख कर राजमाता की भूख भड़क चुकी थी।लेकिन अपनी जिम्मेदारियों को संभालते हुए, योजना के तहत उन्होंने शक्तिसिंह को अपने दल के साथ सूरजगढ़ वापिस लौट जाने का हुकूम दे दिया था। अब कुछ गिने चुने सैनिक और दासियाँ आश्रम में महारानी के साथ तब तक रहेंगे जब तक गर्भाधान की पुष्टि ना हो जाए। जब वापिस जाने का समय आएगा तब उन्हे संदेश देकर बुलाया जाएगा पर अभी के लिए उनकी कोई आवश्यकता नहीं थी।उस रात, शक्तिसिंह और महारानी ने फर्श पर सोते हुए घंटों चुदाई की। एक बार स्खलित हो जाने के बाद महारानी तुरंत उसका लंड मुंह में लेकर चूसने लगती और फिर से चुदने के लिए तैयार हो जाती। कामशास्त्र के हर आसन में वह दोनों चोद चुके थे। महरानी ने सिसकते कराहते हुए तब तक चुदवाया जब तक उनकी चुत छील ना गई। पूरी रात इन दोनों की आवाज के कारण राजमाता भी ठीक से सो नहीं पाई।दूसरी सुबह, शक्तिसिंह अपना सामान बांध रहा था जब महारानी की सबसे विश्वसनीय दासी ने आकार उसे यह संदेश दिया"तुम जाओ उससे पहले महारानी साहेब तुम से मिलना चाहती है""वो कहाँ है अभी?" शक्तिसिंह को सुबह से महारानी कहीं दिख नहीं रही थी और राजमाता से पूछने पर उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया था"वहाँ आश्रम के कोने में बनी घास की कुटिया में वह मालिश करवा रही है" दासी ने शरमाते हुए कहा। उसे महारानी और शक्तिसिंह के रात्री-खेल के बारे में पता लग चुका था "शक्तिसिंह सही में गजब की ठुकाई करता होगा तभी तो महारानी ने उसके लिए अपना घाघरा उठाया होगा" वह सोच रही थीपद्मिनी वहाँ कुटिया में नंगी होकर लैटी हुई थी। मालिश करने वाली ने उसके अंग अंग को मलकर इतना हल्का कर दिया था की उनका पूरा शरीर नवपल्लवित हो गया था। हालांकि शरीर का एक हिस्सा ऐसा था जिसे मालिश के बाद भी चैन नहीं थी। महारानी की जांघों के बीच बसी चुत अब भी फड़फड़ा रही थी। शक्तिसिंह ने महारानी की संभोग तृष्णा इस कदर बढ़ा दी थी की महारानी तय नहीं कर पा रही थी की उसका क्या किया जाए!! वह बेहद व्यथित थी की शक्तिसिंह वापिस सूरजगढ़ लौट रहा था।शायद उन्हे ज्यादा सावधानी बरत कर राजमाता से छुपकर इस काम को अंजाम देना चाहिए था। अब जब राजमाता को इस बारे में पता चल गया था तो वह अपने नियम और अंकुश लादकर उन्हे एक दूसरे से दूर कर रही थी।महारानी पद्मिनी का शरीर, शक्तिसिंह के खुरदरे हाथों से ठीक उन्हीं स्थानों पर मालिश करवाने के लिए धड़क रहा था, जहां मालिश करने वाली सेविका के नरम लेकिन दृढ़ हाथ घूम रहे थे।शक्तिसिंह ने उस कुटिया में प्रवेश किया। महारानी को वहाँ नंगा लैटे हुए देख वह एक पल के लिए चोंक गया। मालिश से तर होकर उनकी दोनों गोरी चूचियाँ चमक रही थी। शारीरिक घर्षण के कारण उनकी निप्पल सख्त हो गई थी। वह सेविका अब महारानी की जांघे चौड़ी कर अंदरूनी हिस्सों में तेल मले जा रही थी। शक्तिसिंह के लंड ने महारानी के नंगे जिस्म को धोती के अंदर से ही सलामी ठोक दी।पिछले कुछ दिनों से शक्तिसिंह का लंड ज्यादातर खड़ा ही रहता था। उसे राहत तब मिलती थी जब उसे महारानी की चुत के गरम होंठों के बीच घुसने का मौका मिले। शक्तिसिंह के आने का ज्ञान होते ही महारानी ने अपनी खुली जांघों के बीच के चुत को उभार कर ऊपर कर लिया, जैसे वह शक्तिसिंह के सामने उसे पेश कर रही हो। चुत के बाल तेल से लिप्त थे और चुत के होंठों पर तेल लगा हुआ था। गरम तो वह पहले से ही थी। छोटी सी कुटिया में उनकी गरम चुत की भांप ने एक अलग तरह की गंध छोड़ रखी थी।शक्तिसिंह को अपने करीब बुलाते हुए महारानी ने कहा"शक्तिसिंह, यह मालिश वाली अपना काम ठीक से कर नहीं पा रही है" आँखें नचाते हुए बड़े ही गहरे स्वर में वह फुसफुसाई। यह कहते हुए उन्होंने अपनी एक चुची को पकड़कर मसला और अपना निचला होंठ दांतों तले दबा दिया।"महारानी साहेबा... " शक्तिसिंह धीरे से उनके कानों के पास बोला"अममम... महारानी साहेब नहीं, मुझे पद्मिनी कहकर बुलाओ" शक्तिसिंह की धोती के अंदर वह लंड टटोलने लगीधोती के ऊपर से ही लंड को पकड़कर वह गहरी आवाज में बोली "मेरी अच्छे से मालिश कर दो तुम" अपनी टांगों को पूरी तरह से फेला दिया उन्होंनेइस वासना से भरी स्त्री को शक्तिसिंह देखता ही रहा... उसके जाने का वक्त हो चला था... और अब वह दोनों कभी फिर इस तरह दोबारा मिल नहीं पाएंगे। शक्तिसिंह ने उसकी नरम मांसल जांघों पर अपना सख्त खुरदरा हाथ रख दिया।जांघों के ऊपर उसे पनियाई चुत के होंठ, गहरी नाभि, और दो शानदार स्तनों के बीच से महारानी उसकी तरफ देखती नजर आई। उसकी नजर महारानी की चुत पर थी और वह चाहता था की अपनी लपलपाती जीभ उस गुलाबी छेद के अंदर डाल दे।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
ये महाराणी कामवासना दिनों दिन बढती ही जा रही है
लगता हैं महाराणी की डोर राजमाता के हाथ से छूट जाने की संभावना लगती हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
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vakharia
vakharia
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#242
ROB177A said:
Awesome update
Thanks
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#244
vakharia said:
वह अब महारानी के पैरों के बीच आधा लेट गया। अपने मजबूत हाथों से उसने घुटनों से लेकर जंघा-मूल तक हाथ फेरकर मालिश करना शुरू किया। महारानी ने आँखें बंद कर इस स्वर्गीय आनंद का रसपान शुरू कर दिया। शक्तिसिंह अपना हाथ चुत तक ले जाता पर उसका स्पर्श न करता। इस कारण महारानी तड़प रही थी। वह जान बूझकर महारानी के धैर्य की परीक्षा ले रहा था। उसके हर स्पर्श के साथ चुत के होंठ सिकुड़ कर द्रवित हो जाते थे।शक्तिसिंह ने ऐसे कुशलतापूर्वक उसकी जांघों के सभी संवेदनशील हिस्सों को रगड़ा की महारानी कांप उठी। उन्होंने अपने घुटनों को ऊपर की और उठाकर अपनी तड़प रही चुत के प्रति शक्तिसिंह का ध्यान आकर्षित करने का प्रयत्न किया।शक्तिसिंह ने अपने दोनों अंगूठों से चुत के इर्दगिर्द मसाज किया। अंगूठे से दबाकर उसने चुत के होंठों को चौड़ा कर दिया। अंदर का गुलाबी हिस्सा काम-रस से भर चुका था। होंठों के खुलते ही अंदर से रस की धारा बाहर निकालकर महारानी के गाँड़ के छेद तक बह गई। महारानी की क्लिटोरिस फूलकर लाल हो गई थी। शक्तिसिंह बिना चुत का स्पर्श किए ऊपर ऊपर से ही उससे खेलता रहा।"क्या कर रहे हो, शक्तिसिंह??" महारानी कराह उठीशक्तिसिंह ने फिर से अपने दोनों अंगूठों की मदद से क्लिटोरिस के इर्दगिर्द दबाव बनाया और उसे उकसाने लगा। चुत ने एक डकार मारी और उसमे से काफी मात्र में द्रव्य निकलने लगा। वह महारानी की चुत को जिस स्थिति में लाना चाहता था वह अब प्राप्त हो चुकी थी। उसका लंड धोती में तंबू बनाए कब से अपने मालिक की हरकतों को महसूस कर रहा था।शक्तिसिंह बारी बारी क्लिटोरिस को दोनों तरफ से बिना स्पर्श किए हुए फैलाता और दबाता। बड़ा ही अनोखा सुख मिल रहा था महारानी को पर उन्हे यह समझ में नहीं आ रहा था की वह क्लिटोरिस को सीधे सीधे क्यों नहीं रगड़ देता!!! बर्दाश्त की हद पार हो जाने पर महारानी ने शक्तिसिंह के हाथ को पकड़कर अपनी क्लिटोरिस पर दबा दिया।शक्तिसिंह ने अपना हाथ वापिस खींच लिया और क्लिटोरिस से पूर्ववत छेड़खानी शुरू कर दी। महारानी की निप्पल अब इस खेल के कारण लाल लाल हो गई थी। वह खुद अपने स्तनों को इतनी निर्दयता से मसल और मरोड़ रही थी... !!शक्तिसिंह महारानी के शरीर के ऊपर आ गया। उसकी गरम साँसे महारानी के उत्तेजित स्तनों को छु रही थी। उस दौरान उसके कड़े लंड का स्पर्श रानी को अपनी चुत के ऊपर महसूस हुआ।क्लिटोरिस से लेकर निप्पल तक जैसे बिजली कौंध गई। उसने फिर से अपने स्तनों को दबोचना चाहा पर शक्तिसिंह ने उनके हाथों को दूर हटा दिया।"यह दोनों अब मेरे है... " गुर्राते हुए वह बोला।महारानी तड़पती हुई अपने सिर को यहाँ से वहाँ हिला रही थी। वह अपने जिस्म के विविध हिस्सों को छुना और रगड़ना चाहती थी पर शक्तिसिंह उसे ऐसा करने नहीं दे रहा था। वह जानबूझकर उन्हे तड़पा रहा था।शक्तिसिंह फिर नीचे महारानी की टांगों के बीच चला गया। उसने अपनी जीभ को एक बार चुत की लकीर पर घुमाया और चुत के रस को अपनी जीभ पर लेकर महारानी की नाभि से लेकर स्तनों के बीच तक लगा दिया। महारानी सिहर उठी।जितनी बार शक्तिसिंह उनके स्तनों के करीब आता था, महारानी को लगता था की वह अभी उनपर टूट पड़ेगा। पर हर बार शक्तिसिंह, स्तनों को बिना छूए वापिस नीचे चला जाता था। हर बार अपनी जीभ से चुत के रस लेकर आता और महारानी के विविध अंगों पर उस रस को अपनी जीभ से लेप करता गया।लाचार होकर महारानी आँखें बंद कर इस एहसास को महसूस कर रही थी तभी.... शक्तिसिंह ने दोनों हाथों से बड़ी ही निर्दयता से उनके स्तनों को पकड़ लिया। महरानी कराहने लगी, उन्होंने अपनी चुत और स्तनों को और ऊपर उभार लिया ताकि शक्तिसिंह के जिस्म से ज्यादा से ज्यादा संपर्क हो पाए। पास पड़े पात्र में से तेल लेकर उसने महारानी के दोनों स्तनों को गोल गोल घुमाते हुए मालिश करना शुरू कर दिया।महारानी कराह रही थी। उनकी दोनों निप्पल कड़ी होकर शक्तिसिंह को अपनी और आकर्षित करने का प्रयास कर रही थी। शक्तिसिंह ने स्तनों से लेकर चुत तक तेल की धार गिरा दी और अपने हाथों को फैलाकर मालिश करने लगा। महारानी अब बेशर्मों की तरह चिल्ला रही थी। शक्तिसिंह मुसकुराते हुए महारानी की इस लाचारी का आनंद उठा रहा था।शक्तिसिंह ने बड़ी ही सहजता से अपने सर को महारानी के जिस्म के नीचे के हिस्से तक ले गया... उनकी जांघों को अपने हाथों से चौड़ा किया... और अपनी गरम जीभ को महारानी की चुत के होंठों पर रगड़ना शुरू कर दिया।महारानी की दोनों आँखें ऊपर चढ़ गई । शक्तिसिंह की खुरदरी जीभ ने उनकी चुत में ऐसा भूचाल मचाया की वह तुरंत अपने गांड के छिद्र को सिकुड़ते हुए झड़ गई..!!! उन्होंने अपने दोनों हाथों से बड़ी ही मजबूती से शक्तिसिंह के सर को अपनी चुत पर ऐसे दबा दिया था की शक्तिसिंह चाहकर भी उनकी चुत से दूर ना हट सके। वह अपनी कमर उठाकर शक्तिसिंह की जीभ से अपनी चुत को चुदवाने लगी। शक्तिसिंह की लार से अब उनकी चुत का अमृत मिश्रित होकर जंघामूल के रास्ते नीचे टपक रहा था।शक्तिसिंह का ध्यान अब चुत के होंठों से हटकर, ऊपर की तरफ, मुनक्का जितनी बड़ी क्लिटोरिस पर जा टीका। उसने अपनी जीभ को क्लिटोरिस पर लपलपाई और फिर उसे हल्के से मरोड़ दिया।महारानी ने आनंद मिश्रित चीख दे मारी... उनकी चीख की गूंज ने उस कुटिया को हिलाकर रख दिया। महारानी को अब किसी की भी परवाह नहीं थी.. अपने संवेदन और भावनाओ को ज्यों का त्यों व्यक्त करने से अब वह पीछे नहीं हटती थी। वह बार बार चीखती रही "आह्हहह शक्तिसिंह... क्या कर दिया तुमने!!" उनके स्वर से यह बड़ा ही स्पष्ट था की उन्हे कितना मज़ा आ रहा था।शक्तिसिंह ने चुत के इर्दगिर्द, क्लिटोरिस पर और चुत के होंठों पर, सब जगह जीभ फेरते हुए अपनी नजर महारानी के चेहरे पर केंद्रित की। उसने यह ढूंढ निकाला की महारानी की चुत का कौन सा हिस्सा सब से ज्यादा संवेदनशील है... और फिर अपनी जीभ को उसी पर केंद्रित कर दिया।"आह्हह... हाँ हाँ... वहीं पर... ऊईई माँ... मर गई में... ईशशश..." महारानी के पूरे जिस्म में तूफान सा उमड़ पड़ा था। वह आँखें बंद कर शक्तिसिंह के दोनों कानों को पकड़कर मरोड़ रही थी। उनकी टाँगे वह बार बार पटक रही थी। उनके चूतड़ बड़ी ही लय में ऊपर नीचे हो रहे थे।महारानी की इन हलचलों की वजह से अब शक्तिसिंह किसी एक जगह पर अपनी जीभ को केंद्रित नहीं कर पा रहा था। हालांकि उससे अब कुछ ज्यादा फरक नहीं पड़ रहा था क्योंकी महारानी अपनी पराकाष्ठा की और दिव्य सफर पर निकल चुकी थी।"आहहहहहहहहहहह.....................!!!!!!!!!" महारानी अब अपनी जांघों से शक्तिसिंह को जकड़कर ऐसे घुमाया रही थी जैसे मल्लयुद्ध के दांव आजमा रही हो। शक्तिसिंह ने अपने हाथों से उनकी चूचियों को पकड़कर निप्पलों की चुटकी काट ली। उसकी उंगलियों ने निप्पलों पर अपना अत्याचार जारी रखा। महारानी आनंद के समंदर में गोते लगा रही थी। शक्तिसिंह की गर्दन के अगलबगल में उन्होंने अपनी जांघों को ऐसे बंद कर दिया था की शक्तिसिंह को घुटन सी होने लगी थी।अचानक से स्खलन के आवेगों ने महारानी को अपने वश में कर लिया...!! वह बुरी तरह तड़पती हुई अस्पष्ट उदगार निकालनी लगी। अपने पंजों से शक्तिसिंह के बालों को नोचती हुई वह पैर पटकने लगी। उनकी योनि मार्ग ने एक आखिरी बार संकुचित होकर अपना मुंह खोला और अपना गरम गरम काम रस बहाने लगी। यह रस इतनी मात्रा में बह रहा था की शक्तिसिंह चाहकर भी उसे पूरा चाट नहीं पा रहा था।"अब मुझे मन भर कर चोद... इतना चोद की मेरी आत्मा तृप्त हो जाए... की आज अगर मेरी मृत्यु भी हो जाए तो मुझे कोई आपत्ति ना हो!!" स्खलित होते ही उसकी चुत ने अब लंड को प्राप्त करने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया था।उसने शक्तिसिंह को अपनी जांघों से मुक्त किया और खड़ी हो गई। धोती में से उसने अपने खिलाड़ी को ढूंढ निकाली। शक्तिसिंह का लंड फुँकारे मारता हुआ कब से तैयार बैठा था। पास पड़े पात्र से हाथों में तेल लेकर, पद्मिनी ने शक्तिसिंह के लंड पर मलना शुरू कर दिया।------------------------------------------------------------------"महारानी साहेब, अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो पाएगा... मुझे अंदर डालने दीजिए!!" शक्तिसिंह ने बड़ी ही भारी स्वर में कहामहारानी ने पूरे सुपाड़े को तेल से चिपचिपा करते हुए मालिश की और फिर लंड को चूम लिया। उनकी चुत दोनों जांघों के बीच से भांप निकालते हुए चौड़ी होकर इस लंड को अपने अंदर लेने के लिए तड़प रही थी। उन दोनों के जिस्म पर इतनी मात्रा में तेल लगा हुआ था की शक्तिसिंह को यह संदेह था की इतनी चिपचिपी अवस्था में क्या वह पूर्ण नियंत्रण से महारानी को पकड़कर ठीक से चोद पाएगा भी या नहीं।शक्त