शगुन अपना एग्जाम बड़े अच्छे से दे पाई,,,,, लेकिन सुबह की बात याद करके वह दिन भर परेशान हो रही थी,,, वह अपने मन में बार-बार यही सोच रही थी की उसके पापा ने उसके नंगे बदन को अपनी आंखों से देख लिया तभी तो उनका लंड खड़ा हो गया था जिसे बाथरूम में जाते-जाते शगुन अपनी आंखों से अपने पापा के पजामे में बने तंबू को देख ली थी,,,। और यह सब उसके नंगे बदन के कारण हुआ था यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी,,,, सुबह-सुबह जो हरकत उसने अपने पापा की आंखों के सामने की थी उससे वह बहुत खुश थी और उत्तेजित भी,,, शकुन पहली बार इस तरह की हरकत की थी और वह भी अपने पापा की आंखों के सामने और अपने पापा के लिए इससे उसका रोमांच कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था,,,। सगुन अब पीछे हटने वाली नहीं थी,,,। बार-बार उसकी आंखों के सामने चोरी-छिपे खिड़की से देखें जाने वाला वह दृश्य उसकी आंखों के सामने घूमने लगता था,,,, जब वह अपने मम्मी पापा को चुदाई करते हुए देख रही थी,,,। वह अपने मन में यही सोच रही थी कि क्या नजारा था,,। जब उसके पापा का बम पिलाट लंड उसकी मां की बुर में बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रहा था,,,, उस नजारे को ईस समय याद करके सगुन की पेंटी गीली होने लगी थी,,,। वह कभी नहीं सोची थी कि अपनी आंखों से उसे अपनी मां की चुदाई देखने को मिलेगी और उसी नजारे को देख कर उसके तन बदन है उसी समय से कुछ कुछ होने लगा था जब भी वह कभी अपने पापा के नजदीक होती तो उसके तन बदन में हलचल सी होने लगती थी बार-बार अपने पापा की मौजूदगी में उसे अपने पापा का मोटा तगड़ा लंड नजार आता था,,,,,,
एग्जाम हो चुकी थी वह कॉलेज से बाहर निकल कर पार्किंग में खड़ी होकर अपने पापा का इंतजार कर रही थी जो कि,,, वहां मौजूद थे इसलिए सगुन फोन करके अपने पापा को वहां बुला ली,,,,।
एग्जाम हो गया,,,
हां पापा,,,
कैसा गया पेपर,,,,
बहुत अच्छा उम्मीद से भी कहीं अच्छा,,,
मुझे पूरा विश्वास था कि तुम्हारा पेपर बहुत अच्छा होगा,,,,(ऐसा कहते हुए संजय अपनी बेटी के खूबसूरत बदन को ऊपर से नीचे तक नजर दौड़ा कर देखने लगा जो कि सलवार सूट में बहुत खूबसूरत लग रही थी खास करके उसकी कसी हुई सलवार जिसमें से उसकी मोटी मोटी जांगे और उभरती हुई गांड साफ नजर आ रही थी,,, लड़कियों को, कपड़ों के ऊपर से भी देखने का मर्दों का एक अलग नजरिया होता है कपड़ों में भी औरतें कुछ ज्यादा ही सेक्सी लगती है जो कि यहां पर सगुन के पहरावे को देख कर संजय की उत्तेजना बढ़ रही थी,,,, वैसे तो संजय के दिमाग में सुबह वाला वह खूबसूरत ऊन्मादक नजारा ही घूम रहा था,,,,, जिसमें उसकी बेटी उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी थी,,,। दोनों गाड़ी में बैठ गए थे और संजय गाड़ी को पार्किंग में से निकालकर सड़क पर दौड़ाना शुरू कर दिया था,,,, अपने पापा का साथ सगुन को ना जाने क्यों उत्तेजित कर देता था,,,,, अभी दोनों के पास बहुत समय था,,, संजय का ईमान डोल रहा था बाप बेटी के बीच की मर्यादा की दीवार को वह अपनी कल्पना में ध्वस्त होता हुआ देख रहा था,,,,जिस तरह का नजारा देखकर वह उत्तेजित हो जाता था और अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसे देखते हुए उसे लगने लगा था कि वह रिश्ते की डोर के आगे कमजोर पड़ जाएगा,,,,,, उसे यह सब बहुत गंदा भी लग रहा था और उत्तेजना पूर्ण भी लग रहा था,,,दोनों के पास समय काफी का इसलिए दोनों इधर-उधर घूमते रहे शहर काफी सुंदर था घूमने में उन दोनों को बहुत मजा आ रहा था लेकिन दोनों के मन में कुछ और ही चल रहा था दोनों से तो बाप बेटी लेकिन घूमते समय ना जाने क्यों एक दूसरे को प्रेमी प्रेमिका की नजर से देख रहे थे इसका एक ही कारण था दोनों के बीच शारीरिक आकर्षण,,,,,,,,,,
रात के 8:00 बज गई दोनों होटल पर पहुंच गए और डिनर करने लगे,,, होटल का स्टाफ दोनों को बाप बेटी नहीं बल्कि प्रेमी प्रेमिका की नजर से देख रहे थे,,, क्योंकि संजय की कदकाठी और शरीर का गठन बहुत अच्छा था जिसमें वह उम्र वाला बिल्कुल भी नहीं लगता था,,,,,,,
खाने का बिल चुकाते समय काउंटर पर एक लेडी बैठी हुई थी जो कि कलेक्शन करने के बाद संजय को नाइस कपल कहकर संबोधित की जो कि शगुन भी पास में ही थी यह सुनते ही सगुन का चेहरा शर्म से लाल पड़ गया,,, और संजय भी भौचक्का रह गया संजय को तो अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था वह चाहता था उस लेडी को अपने रिश्ते के बारे में बता सकता था लेकिन वह खामोश रहा न जाने कि उसका मन कह रहा था कि होटल के लोग जो कुछ भी समझते हो उससे उसे बिल्कुल भी परेशानी नहीं है,,,,। बिल चुकाने के बाद संजय और शगुन अपने कमरे की तरफ जाने लगे तो शगुन हंसने लगी,,, शगुन को हंसता हुआ देखकर संजय बोला,,,।
क्या हुआ हंस क्यों रही हो,,,,?
हंसने वाली तो बात ही है पापा,,,,
क्यों,,,?
क्योंकि वह लेडी हम दोनों को कपल समझ रही थी,,,,,
तो क्या हम दोनों लगते नहीं है क्या,,,,(संजय को यही मौका था अपनी बेटी के साथ फ्लर्ट करने का,,, वह जानना चाहता था कि वह उसकी बेटी को कैसा लगता है,,, पहले तो सगुन अपने पापा की यह बात सुनकर आश्चर्य से देखने लगी फिर हंसते हुए बोली,,,)
लगते हैं ना क्यों नहीं लगते,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपना एक हाथ अपने पापा के हाथ के अंदर डालकर उन्हें पकड़कर चलने लगी,,, अपनी बेटी की हरकत पर संजय के तन बदन में आग लग गई,,,) तुम तो अभी भी एकदम जवान लगते हो पापा,,,(इतना कहने के साथ ही शगुन हंसने लगे तो उसे हंसता हुआ देखकर संजय फिर बोला,,,)
तुम मुझे बना रही हो ना,,,(कमरे का दरवाजा खोलते हुए)
नहीं तो बिल्कुल भी बना नहीं रही हूं,,,, तुम सच में काफी हैंडसम हो पापा,,,, तुम्हारा कसरती बदन एकदम सलमान खान की तरह है,,,,(वह अपने हाथों से अपने पापा के कोट को उतरते हुए बोली,,, संजय को यह सब बहुत अच्छा लग रहा था,,,,)
सलमान खान तो हीरो हैं,,,।
लेकिन तुम मेरे हीरो हो,,,,(सगुन अपने पापा की आंखों में आंखें डाल कर बोली,,,, संजय की बोलती एकदम बंद हो गई थी अपनी बेटी की बातों से उसे इतना तो पता चल रहा था कि उसकी बेटी को वह अच्छा लगता था,,, उसका कसरती जवान बदन अच्छा लगता था,,,, इसलिए अपनी बेटी की बातों को सुनकर वह उत्तेजित होने लगा था,,,। उसके पेंट का आगे वाला भाग उठने लगा था लेकिन ना जाने क्यों संजय उसे छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी बेटी की नजर उस पर पड़े,,, और ऐसा ही हुआ शगुन की नजर उसके पापा के पेंट के आगे वाले भाग पर पड़ गई जोकि धीरे-धीरे अपने उठान पर आ रहा था,,, पेंट के अंदर उसकी जवानी की गर्मी बढ़ती चली जा रही थी,,,, अपने पापा के पेंट के आगे वाले भाग को उठता हुआ देखकर सगुन का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,, ऐसा नहीं था कि उसका मन अपने पापा के नंगे लंड को देखने के लिए तड़प ना रहा हो,, वह बेहद उतावली और उत्सुक थी अपने पापा के लंड को देखने के लिए लेकिन अपने मुंह से कैसे कह सकती थी कि पापा मुझे अपना लंड दिखाओ,,, वह तो उन हालात का इंतजार कर रहे थे जब इंसान खुद मजबूर हो जाता है वह सब करने के लिए जो एक मर्द और औरत के बीच होता है,,,, इसलिए वहां से कपड़े चेंज करने का बहाना करके वह बाथरूम में चली गई,,,, लेकिन इस बार साथ में कपड़े भी लेती गई,,, संजय पैंट के ऊपर से अपने खड़े लंड को मसलते हुए बिस्तर पर बैठ गया,,,, अपनी बेटी के बारे में सोचने लगा वजह सोचने लगा कि अगर घर से दूर दूसरे से मेरे में होटल की इस कमरे में उन दोनों के बीच वह हो जाए जो होना नहीं चाहिए तो क्या होगा,,, वह सारी शक्यताओ के बारे में विचार करने का था उसे यह सब अच्छा नहीं लग रहा था वह अपने मन में ही सोच रहा था कि अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा वह अपने आप को दिखाने लगा कि वह अपनी बेटी के बारे में ऐसा कैसे सोच सकता है,,,,। नहीं नहीं अब वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेगा,,,,,, वह अपने मन में यही सोच कर कसम खाने लगा कि अब ऐसा कभी नहीं करेगा लेकिन तभी उसके कानों में एक बार फिर से सु सु की सीटी की आवाज भूख नहीं लगी और जो कुछ भी अपने आप को रोकने के लिए कसमें खाया था वह सब कुछ धुंधलाता हुआ नजर आने लगा,,,, और एक बार फिर से वह अपनी बेटी की बुर से निकल रहे सिटी की आवाज के मदहोशी में पूरी तरह से मदहोश होने लगा,,,,
शगुन को भी पेशाब करते समय अपनी बुर से निकल रही सीटी की आवाज कुछ ज्यादा ही तेज निकलते हुए सुनाई दे रही थीशकुन को इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी बुर से निकलने वाली सीटी की आवाज उसके पापा के कानों मे जरूर पहुंच रही होगी,,,, यह एहसास शगुन को पूरी तरह से उत्तेजित कर गया,,,, बाहर बिस्तर पर बैठे संजय की हालत तो खराब होने लगी थी वह अपनी बेटी को पेशाब करते हुए देखना चाहता था,,,, इसलिए वह बिस्तर पर से उठा हूं बाथरूम के दरवाजे पर खड़ा होकर की होल से अंदर की तरफ झाकने लगा,,,, और उसकी मेहनत रंग लाई की होली में से उसे बाथरूम के अंदर का नजारा साफ नजर आने लगा क्योंकि अंदर लाइट जल रही थी,,,, पल भर में ही संजय का गला उत्तेजना से सूखने लगा,,,,संजय को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी बेटी सामने दीवाल की तरफ मुंह करके बैठी हुई थी,,, और उसकी गोलाकार नंगी गोरी गांड,,, उसे साफ नजर आ रही थी,,,हालांकि उसने अपनी बेटी को सुबह-सुबह ही एकदम नंगी देख चुका था,,,, लेकिन फिर भी इस समय के हालात और माहौल दोनों अलग था,,, उसकी बेटी उसकी आंखों के सामने पेशाब करने बैठे थे जो कि सदन को इस बारे में पता नहीं था लेकिन उसे अपने बाथरूम के दरवाजे पर कुछ आहट जरूर हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके पापा बाथरूम के दरवाजे के करीब आए हो और की होल से देख रहे हो,,,,,लेकिन उसका यह शक यकीन में बदल गया जब उसे बाथरूम के दरवाजे पैरों से लगने की आवाज सुनाई दी जो कि उसके पापा के पैरों से अनजाने में ही लग गई थी और वह बहुत संभाल कर की होल में से अंदर झांक रहा था,,,, यह एहसास से ही उसका रोम-रोम झनझना उठा था,,, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एक पल को तो वह अपने बदन को छुपाने की कोशिश करने ही वाली थी लेकिन अगले ही पल,,, उसके दिमाग की बत्ती जलने लगी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी अपने मन में सोचने लगी आज इसी बाथरूम में अपने पापा को अपने बदन का हर एक हिस्सा दिखाएंगी,,,, इसलिए वह वहां से उठी नहीं,,, और पेशाब करती रही हालांकि पेशाब कर चुकी थी लेकिन फिर भी वह एक बहाने से अपने पापा को अपनी सुडोल गांड के दर्शन जी भर कर कराना चाहती थी,,,, इसलिए पेशाब करते समय वह अपनी उभरी हुई गांड को बाथरूम के दरवाजे की तरफ उभारने लगती थी,,, और सब उनकी यही अदा संजय के दिल पर बिजलीया गिरा रही थी,,, इस तरह के बहुत से मादक नजारे संजय अपनी आंखों से ना जाने कितनी बार देख चुका था लेकिन आज के नजारे में बात ही कुछ और थी,,,, यह नजारा किसी भी उम्र के मर्दों के बदन में जोश बढ़ा देने के लिए काफी था,,,।
और वैसे भी सुकून किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं लगती थी पूरा बदन एकदम गोरा मक्खन की तरह था,,, एकदम तराशा हुआ,, उभार वाली जगह पर एकदम नापतोल कर उभार बना हुआ था,,, अंगों का मरोड़ जैसे किसी शिल्पी कार ने अपने हाथों की करामात दिखाई हो,,, अद्भुत बदन की मालकिन थी सगुन और उसके लिए पहला मौका था जब अपने नाम के भजन क्यों किसी मर्द को किसी मर्द को क्या अपने ही बाप को दिखा रही थी और धीरे-धीरे उसे ध्वस्त कर रही थी अपनी बेटी की मदमस्त जवानी को देखकर संजय का किला ध्वस्त होता हुआ नजर आ रहा था,,,, वह इस समय बिल्कुल भी भूल चुका था कि वह एक बात है उस बेटी का जो बाथरूम के अंदर पेशाब कर रही है संजय सब कुछ भूल कर बस इतना ही जानता था कि बाथरूम के अंदर जो पेशाब कर रही है वह एक औरत है और बाहर खड़ा वह एक मर्द,,,,
शगुन पेशाब कर चुकी थी,,, लेकिन फिर भी बैठी रहीक्योंकि वह अपनी मदहोश कर देने वाली जवानी अपने पापा को जी भर कर दिखाना चाहती थी,,, बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच जो कि अभी पूरी तरह से खीली नहीं थीउसने फंसी अपनी पेशाब की बुंदो को पूरी तरह से नीचे गिरा देने के लिए वह अपनी गोलाकार गांड को झटके देकर उसे नीचे गिराने लगी लेकिन उसकी यह हरकत संजय की हालत को और ज्यादा खराब कर रही थी,,,अपनी बेटी की हिलती हुई गांड को देखकर संजय का मन कर रहा था कि इतने बाथरूम का दरवाजा खोलकर अंदर घुस जाएऔर उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ ले,,,, लेकिन यह मुमकिन नहीं था,,,, शगुन अपने मन में सोचने लगी कि किसी तरह से और ज्यादा अपने लगने बदन की नुमाइश बाथरूम में की जाए और बाथरूम के बाहर खड़े उसके पापा इस नजारे को देखें तो शायद जिस तरह से उसके पापा का लंड उसकी मां की बुर में अंदर बाहर होता था आज की रात उसकी बुर की किस्मत खुल जाए,,,। और इसीलिए वहा खड़ी हो गई लेकिन अपनी सलवार को ऊपर करने की जगह उसे नीचे करने लगी और देखते ही देखते वह अपने सलवार को उतार दी,,,, संजय का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,। उसकी बेटी उसकी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो रही थी,,,, सलवार उतारने के बाद वह अपनी कमीज उतारने में बिल्कुल भी समय नहीं ली और उसे उतारकर हेंगर पर टांग दी,,,,।
बाथरूम में वो केवल ब्रां और पेंटिं में खड़ी थी संजय की उत्तेजना बेकाबू होती जा रही थी,,, शगुन अच्छी तरह से जानती थी कि उसके पापा सब कुछ देख रहे हैं,,,।इसलिए अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ लाकर अपनी ब्रा का हुक खोलने लगी जो कि सुबह-सुबह हम अपनी ब्रा का हुक लगाने में जानबूझकर देरी कर रही थी,,, उसकी पीठ दरवाजे की तरफ थी,,, संजय से सब्र नहीं हो रहा था मैं जानता था कि उसकी बेटी ब्रा उतार रही है और ब्रा उतारने के बाद उसके दोनों अमरूद एकदम आजाद हो जाएंगे जिसे देखने के लिए उसका मन मचल रहा था,,,, देखते ही देखते सगुन अपनी ब्रा उतार कर उसे भी हैंघर पर टांग दी,, कमर के ऊपर से वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी लेकिन उसके नंगे पन को पूरी तरह से नंगा करने के लिए अभी भी पेंटिं को उतारना जरूरी था जिस पर उसकी दोनों नाजुक उंगलियों को देखते ही संजय का दिल बड़ी तेजी से धड़कने लगा,,,,और वह अपनी नाज़ुक ऊंगलियों का सहारा लेकर धीरे-धीरे अपनी पेंटिं को नीचे की तरफ सरकाने लगी,,,जैसे-जैसे पेंटिं नीचे की तरफ आ रही थी वैसे वैसे उसकी गोलाकार गांड और ज्यादा उजागर होती जा रही थी,,,, देखते ही देखते शगुन,,, अपनी पैंटी को उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई,,, अच्छी तरह से चाहती थी कि बाथरूम के कीहोल से उसके पापा अंदर की तरफ देख रहे हैं लेकिन वह बिल्कुल भी यह जताना नहीं चाहती थी कि उसे सब कुछ पता है वह अनजान बनी रही,,,।
बाथरूम के अंदर शगुन पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और अपनी बेटी को नंगी देखकर उसकी गोल-गोल गांड को देखकर संजय का लंड बावरा हुआ जा रहा था,,, जिसे वह बार-बार पेंट में दबा रहा था,,,, शगुन सामने से अपनी चुचियों का और अपनी बुर अपने पापा को दिखाना चाहती आमने सामने होती तो शायद इतनी हिम्मत नहीं दिखा पाती लेकिन इस समय वहां बाथरूम के अंदर अंजान थी अनजान बनने का नाटक कर रही थी,,, इसलिए उसके लिए यह सब करना कोई मुश्किल काम नहीं था,,,, इसलिए गीत गुनगुनाते हुए वहा दरवाजे की तरफ घूम गई और संजय सामने से अपने बेटी के नंगे हुस्न को देखकर पूरी तरह से मचल उठा,,,, वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि उसका लंड पानी छोड़ते छोड़ते बचा था,,,,,, सांसों की गति बड़ी तेजी से चल रही थी संजय ने इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव बरसों बाद कर रहा था,,,,,, उसके लिए सगुन का हुस्न मदीना का काम कर रहा था जिसकी नशे में वह पूरी तरह से लिप्त हो चुका था,,,,।
संजय को यकीन तो पूरा था लेकिन कभी अपनी आंखों से भरोसा करने लायक ज्यादा कुछ देखा नहीं था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने सब कुछ साफ था सगुन की दोनों चूचियां,,, कच्चे अमरूद की तरह छातियों की शोभा बढ़ा रहे थे चिकना पतला पेट बीच में गहरी नाभि किसी छोटी सी बुर से कम नहीं थी,,, और चिकनी सुडोल जांघें मक्खन की तरह नरम जिस पर संजय का ईमान फिसल रहा था,,,।
और सबसे ज्यादा बेशकीमती अतुल्य खजाना उसकी दोनों टांगों के बीच छुपी हुई थी मानो कि जैसे संजय को अपनी तरफ बुला रही हो,,,, संजय तो अपनी बेटी की बुर को देखकर देखता ही रह गया उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि कोई बुर इतनी खूबसूरत हो सकती है,,, संजय का मन उसमें अपनी जीभ डालने को उसकी मलाई को चाटने को कर रहा था,,,, मन बेकाबू हो कर रहा था जिस पर संजय का बिल्कुल भी काबू नहीं था और बाथरूम के अंदर शगुन उत्तेजना से भर्ती चली जा रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसके पापा उसके नंगे बदन को देख रहे हैं,,,,
अपने पापा की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाने के लिए और तूने और ज्यादा तड़पाने के लिए शगुन जानबूझकर अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे रगड़ कर अपनी हथेली से सहलाने लगी संजय का दिल तड़पता संजय का मन कर रहा था कि अभी अपने पेंट से लंड को बाहर निकाल कर मुट्ठ मार ले,,,,, संजय की आंखें बाथरूम के कि होल से बराबर टिकी हुई थी,,,ऐसा लग रहा था कि अंदर का एक भी नजारा वह चूकना नहीं चाहता था,,,,।
शगुन बाथरूम के अंदर चल रही इस फिल्म को और ज्यादा बड़ा नहीं चाहती थी इसलिए ढीला ढीला सा पाजामा पहन ली लेकिन पैंटी नहीं पहनी यह देखकर संजय का दील उछलने लगा,,, और इसके बाद एक टी-शर्ट पहन ली और वह भी ब्रा पहने बिना,,,,संजय के तो पसीने छूट रहे थे वह साफ तौर पर देख रहा था कि उसकी बेटी कपड़ों के अंदर ना तो ब्रा पहनी थी और ना ही पेंटिं,,, किसी भी वक्त सगुन बाथरूम से बाहर आने वाली थी इसलिए संजय तुरंत खड़ा हुआ और बिस्तर पर जाकर बैठ गया और कॉफी का ऑर्डर कर दिया,,,,
बाथरूम से निकलने के बाद ढीले पजामे और टीशर्ट में शगुन बेहद कामुक लग रही थी,,, जिसे देखकर संजय के मुंह में पानी आ रहा था,,,,।
कपड़े बदल ली,,
हां पापा,,, सोते समय मुझे ढीले कपड़े पसंद है,,,, तुम भी जाकर बदल लो,,,,
ठीक है,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजय बाथरूम में कुछ किया और अपने सारे कपड़े उतार के अपनी बेटी के नंगे बदन को याद करके मुठ मारने लगे शगुन का मन कर रहा था कि जिस तरह से उसके पापा की होल से सब कुछ देख रहे थे वह भी बाथरूम के अंदर के नजारे को देखेंलेकिन उसकी हिम्मत नहीं है क्योंकि उसे पता चल गया था कि उसके पापा की ओर से सब कुछ देख रहा है और उसे डर था कि कहीं उसके पापा को पता चल गया कि वह सब कुछ देख रही है तो,,, इसीलिए वह हिम्मत नहीं जुटा पाई,,,।
थोड़ी ही देर में दोनों कॉफी की चुस्की लेने लगे,,,, देखते ही देखते दस बज गया था,,, दोनों सोने की तैयारी करने लगे क्योंकि दूसरे दिन भी एग्जाम देने जाना था,,,, एक ही बिस्तर पर दोनों सोने लगे लेकिन दोनों की नींद गायब थी,,,, संजय का मन आगे बढ़ने को कर रहा थालेकिन उसे डर लग रहा था हालांकि इस तरह से हुआ ना जाने कितनी लड़कियों के साथ चुदाई का सुख भोग चुका था लेकिन आज बिस्तर पर कोई दूसरी लड़की नहीं बल्कि उसकी खुद की बेटी थी जो कि खुद यही चाहती थी कि उसके पापा आगे बढ़े लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था दोनों के मन में डर था,,,, धीरे-धीरे ठंडक बढ़ती जा रही थी,,,, और दोनों एक ही चादर के अंदर अपने मन पर काबू रख कर संजय सो चुका था रात के 12:00 बज रहे थे लेकिन सगुन की आंखों से नींद गायब थी,,,, वह किसी भी तरह से चुदवाना चाहती थी उसकी बुर बार-बार गीली हो रही थी,,, उसकी पीठ उसके पापा की तरफ थी,,,, उसे ठंड भी लग रही थी,,, इसलिए वह चादर के अंदर पीछे की तरफ सरक रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसकी गांड मचल रही थी अपने पापा के लंड को स्पर्श करने के लिए,,,, और पीछे सरकते सरकते उसकी गोलाकार गांड संजय के आगे वाले भाग से स्पर्श हो गई,,,, शगुन की हालत खराब होने लगी,,,, लेकिन ऐसा करने पर अपने बदन में गर्माहट महसूस करते ही संजय की नींद खुल गई और अपने लंड से अपनी बेटी की गांड सटी हुई देखते ही उसके होश उड़ गए लेकिन वह कुछ बोला नहीं उसी तरह से नींद में रहने का नाटक करने लगा,,,,,
सगुन अपनी गांड को और पीछे की तरफ ला रही थी,, अपनी बेटी की हरकत से संजय की हालत खराब हो रही थी,,,, और देखते ही देखते बड़ी मुश्किल से सोया हुआ उसका लंड पजामे में धीरे-धीरे मुंह उठाने लगा सांसों की गति तेज होने लगी,,,, लेकिन अभी तक शगुन को अपने पापा के मोटे खड़े लंड का एहसास नहीं हुआ था लेकिन जैसे ही वह पूरी तरह से अपनी औकात में आया तो शगुन को अपनी गांड में कुछ कडक चीज चुभती हुई महसूस हुई और वह मारे खुशी के मारे और ज्यादा उत्तेजित होने लगी,,,, संजय की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,।,,, सगुन को अपने पापा का लंड मोहक और बेहद उत्तेजना से भरा हुआ लग रहा था,,, सगुन को अपने पापा के लंड पर अपनी गांड को रगड़ने में बहुत मजा आ रहा था,,,। धीरे-धीरे उसकी सांसे तेजी से चलने लगी थी वह यह बात भी घूम रही थी कि उसकी हरकत से उसके पापा की नींद खुल सकती है शायद वह आज अपने मन में ठान ली थी कि जो भी होगा देखा जाएगा क्योंकि इस बात का अंदाजा उसे दिखाकर उसके पापा कि उसे चोदना चाहते हैं वरना बादल के की होसेस के नंगे बदन को देखने की कोशिश और हिम्मत बिल्कुल भी नहीं करते हो सुबह-सुबह सोए रहने का नाटक करके उसके नंगे पन का रस अपनी आंखों से पी नहीं रहे होते,,।सगुन यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि जो कुछ भी होगा अच्छा ही होगा सब कुछ उसके ही पक्ष में होगा,,,। इसलिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश जारी रखे हुए वह अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपने पापा के आगे वाले भाग पर रगड़ रही थी,,,
सगुन की हरकत बिजलीया गिरा रही थी वह बड़ी मुश्किल से अपनी उत्तेजना को काबू में किए हुए था लेकिन अब सफेदाबाद टूटता हुआ नजर आ रहा है उसे यकीन हो चला था कि उसकी बेटी को क्या चाहिए क्योंकि वह जमाना घूम चुका था देख चुका था औरतों को कब क्या चाहिए वह भली भांति जानता इसलिए वह अपना एक हाथ आगे की तरफ लाकर उसे सीधे अपने बेटी के कमर पर रख दिया,,, शगुन के तन बदन में हलचल सी उठने लगी उसे पता चल गया था कि उसके पापा की आंख खुल चुकी है नींद गायब हो चुकी है वह कुछ बोली नहीं क्योंकि वह भी यही चाहती थी धीरे-धीरे उसके पापा अपने हाथ को उसके चिकने पेट पर लाकर धीरे-धीरे ऊपर बढ़ाने लगेगा अगले ही पल संजय का दाया हाथ शगुन की टी-शर्ट के अन्दर घुसकर उसके दोनों फड़फड़ाते कबूतरों पर पहुंच गए,,, और संजय से रहा नहीं गया वह अपनी मुट्ठी में अपनी बेटी के एक कबूतर को दबोच लिया,,,, और जैसे उस कबुतर की गर्दन उसके हाथों में आ गई हो और वह छूटने के लिए फड़फड़ा रही हो इस तरह से शगुन के मुंह से आहहह निकल गई,,,।
आहहहहहह,,,,,
(लेकिन इस आह में दर्द से ज्यादा मिठास भरी हुई थी आनंद भरा हुआ था संजय को रुकने के लिए नहीं बल्कि आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे थे,,, और संजय भी मजा हुआ खिलाड़ी था,,, वह इतने आसानी से आए हुए बाजी को अपने हाथों से जाने नहीं देना चाहता था इसलिए वह लगातार अपनी बेटी के दोनों चूची को,,, दबाने लगा मसलने लगा अपने पापा की हरकत की वजह से सगुन की हालत खराब हो रही थी उसे मजा आ रहा था पहली बार उसकी चूचियां किसी मर्दाना हाथ में थी,,, जो मन लगाकर उनसे खेल रहा था,,,, सगुन बिना रुके अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपने पापा के लंड पर रगड़ रही थी हालांकि अभी भी वह पजामे के अंदर था,,,, संजय पूरी तरह से उत्तेजना से भर चुका था वह अच्छी तरह से जानता था की पूरा कमान अब उसके हाथों में आ गया है,,,,, संजय अपनी बेटी के गर्दन पर चुंबनो की बारिश कर दिया,,, शगुन उत्तेजना के मारे पानी पानी हुई जा रही थी,,,, संजय अच्छी तरह से जानता था कि पजामे के अंदर उसकी बेटी कच्छी नहीं पहनी है,,, इसलिए चूचियों पर से अपना हाथ हटाकर वह पजामे में अरना हाथ डाल दिया,,, और अपनी बेटी की गरम बुर को सहलाना शुरू कर दिया,,,, शगुन के लिए यह सब बर्दाश्त के बाहर था,,,, वह आनंद की अनुभूति को पहली बार महसूस कर रही थी,,,,
संजय इस पल को गवाना नहीं चाहता था इसलिए शगुन का हाथ पकड़कर पीछे की तरफ लाकर उसे अपने पंजामे में डाल दिया,,,, सगुन अच्छी तरह से जानती थी कि उसे क्या करना है,,, पहली बार वह किसी मर्द के लंड को पकड़न जा रही थी,,, यह पल उसके लिए अद्भुत था,,, वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि अपने पापा के सामने उसे ऐसे पेश आना पड़ेगा,,,,
अपने पापा के मोटे तगड़े लंड पर हाथ पडते ही सगुन के पसीने छूट गए,,, वह अभी तक दूर से ही अपने पापा के लंड के दर्शन करते आ रही थी,,,। इसलिए उसके हकीकत से पूरी तरह से वाकिफ नहीं थी आज अपने हाथ में आते ही उसके पसीने छूटने लगे थे उसे अपनी हथेली में अपने पापा का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा लंबा लग रहा था लेकिन उतेजना के मारे अपने पापा के लंड को वह छोड़ भी नहीं रही थी उसे मजा आ रहा था ,,,, अपनी बेटी की मदमस्त जवानी पर फतेह पाने के लिए संजय बिल्कुल भी समय नहीं लगाना नहीं चाहता था,,, इसलिए करवट लेकर वह पूरी तरह से अपनी बेटी के ऊपर आ गया दोनों की नजरें आपस में टकराई और आंखों ही आंखों में कुछ इशारा हुआ जो कि वह दोनों अच्छी तरह से समझ रहे थे,,, संजय अपने होठों को अपनी बेटी के गुलाबी होठों पर रखकर चूसना शुरू कर दिया क्योंकि यही एक पक्का हथियार था किसी औरत पर काबू पाने के लिए और ऐसा ही हुआ शगुन धराशाई होने लगे हालांकि वह खुद चाहती थी अपने पापा के चुंबन का जवाब वह भी अपने होठों को खोल कर देने लगी,,,,, देखते ही देखते संजय ने अपनी बेटी के बदन पर से उसकी टीशर्ट उतार कर अलग कर दिया उसकी आंखों के सामने शगुन की नंगी दोनों जवानियां फुदक रही थी,,, जिसे वह अपने मुंह में लेकर काबू करने की कोशिश करने लगा अगले ही पल शगुन के मुंह से गर्म सिसकारियों की आवाज आने लगी,,,,।
सहहहहह आहहहहहहह,,, पापा,,,,,ओहहहहहरहहह,,,(और ऐसी गर्म सिसकारी की आवाज के साथ ही शगुन अपनी उंगलियों को अपने पापा के बालों में फिराने लगीसंजय रुकने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था वह बारी-बारी से उसकी दोनों चूची को मुंह में लेकर पी रहा था,,, अमरूद जैसे चुचियों को पीने में संजय को बहुत मजा आया था उसका स्वाद ही कुछ अलग था,,,, टेबल पर टेबल नंबर चल रहा था बाकी पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था टेबल लैंप के मध्यम रोशनी में शगुन अपनी जवानी लुटा रही थी और वह भी अपने पापा के हाथों,,,संजय कमरे में ज्यादा उजाला करने के लिए ट्यूब लाइट जलाना नहीं चाहता था क्योंकि वह जानता था कि सगुन का पहली बार है इसलिए उसे शर्म आती होगी और अंधेरे में कुछ ज्यादा ही अच्छे तरीके से खुलकर मजा ले पाएगी,,,
धीरे धीरे संजय नीचे की तरफ आ रहा था क्योंकि सबसे बेशकीमती खजाना नीचे ही था,,,, जैसे-जैसे संजय नीचे की तरफ आ रहा था वैसे वैसे सगुन की हालत खराब होती जा रही थी,,, दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही है,,,, और देखते ही देखते संजय ने वही किया जो सगुन चाहती थी,,,, संजय ने अपने दोनों हाथों से शगुन की पजामी को खींचकर निकाल कर बिस्तर के नीचे फेंक दिया था और बिस्तर पर इस समय शगुन एकदम नंगी थी,,,। लाल रंग की मध्यम रोशनी में भी संजय अपनी बिल्कुल के दोनों टांगों के बीच के उस बेशकीमती खजाने को अच्छी तरह से देखता रहा था,,,, उत्तेजना के मारे संजय का गला सूख रहा था और यही हाल सगुन का भी था दोनों के बीच किसी भी प्रकार का वार्तालाप नहीं हो रहा था शायद इस माहौल में यही सही था,,, क्योंकि दोनों की प्राथमिकता यही थी अपनी प्यास बुझाना,,,,
और संजय अपनी परिपक्वता दिखाते हुए शगुन की दोनों टांगों के बीच अपना मुंह डाल दिया और अपनी जीभ निकालकर उसकी कश्मीरी सेब की तरह लाल बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, शकुन इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि बुर चाटने पर औरतों की हालत और ज्यादा खराब हो जाती है उसे इतना अधिक आनंद मिलता है कि वह सब कुछ भूल जाती है,,,, ओर यही सगुन के साथ में पल भर में ही पूरे कमरे में शगुन की गर्म सिसकारियां गुंजने लगीलेकिन इस कर्म सिसकारी की आवाज कोई और सुन लेगा इस बात का डर दोनों में बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि होटल का पूरा स्टाफ उन दोनों को कपल ही समझते थे,,,।
शगुन की उत्सुकता और गर्माहट को देखकर संजय अपने लिए जगह बनाने लगा पहले एक उंगली और फिर थोड़ी देर बाद दूसरी दोनों उंगली को एक साथ बुर में डालकर वह अपने मोटे लंड के लिए जगह बना रहा था,, हालांकि अपने पापा के ईस हरकत पर शगुन को चुदाई जैसा ही मजा मिल रहा था और इस दौरान में दो बार पानी छोड़ चुकी थी,,,,
अपने लिए जगह बना लेने पर संजय घुटनों के बल अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए अपने दोनों हाथों से उसके नितंबों को पकड़कर अपनी जांघों पर खींच लिया अब उसका लंड और बुर के दौरान दो अंगुल का फासला था जिसे वह ढेर सारा थूक लगाकर पूरा कर दिया शगुन की सांस अटक रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि आप उस की चुदाई होने वाली है जिंदगी में पहली बार जिसके लिए वह सपने देखा करती थी,,,,
उसका दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपने पापा की तरफ देख रही थी लाल रंग की मद्धम रोशनी में उसके चेहरे पर शर्म बिल्कुल भी नहीं थी बल्कि उत्तेजना कूट-कूट कर भरी हुई थी अगर यही ट्यूबलाइट की रोशनी में होता तो शायद सगुन इस तरह से सहकार नहीं कर पाती,,,,
देखते ही देखते संजय अपने लंड के सुपाड़े को गुलाबी छेद में डालना शुरू कर दिया,,,, कार्य बहुत ही मुश्किल था लेकिन नामुमकिन बिल्कुल भी नहीं था और संजय उसे साकार करते हुए आगे बढ़ने लगा हालांकि शगुन को दर्द तो हो रहा था लेकिन उसे विश्वास भी था की दर्द के आगे जीत है,,, लेकिन सारी मुश्किलों को आसान करने का काम संजय की दो ऊंगलिया पहले ही कर चुकी थी,,,, जैसे-जैसे संजय का मोटा लंड शगुन की मुलायम बुर के अंदर सरक रहा था शगुन को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुर फट जाएगी,,,।
धीरे-धीरे संजय ने अपने अंदर लंड को अपनी बेटी की बुर में डाल दिया लेकिन वह एक साथ डालना चाहता था इसलिएनीचे झुका है और एक बार फिर से अपनी बेटी की चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया जिससे शगुन की उत्तेजना और ज्यादा बढने लगी वह और ज्यादा मचलने लगी,,, वह अपने दोनों हाथों को अपने पापा के पीठ पर रखकर सहलाने लगी,,, और यही मौके की तलाश में संजय था इस बात संजय ने जोरदार ताकत दिखाते हुए धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड एक बार में ही शगुन की बुर में समा गया,,,इस जबर्दस्त प्रहार को सगुन सह नहीं पाई थी और वह चीखने हीं वाली थी कि संजय समय को परखते हुए अपने होठों को अपनी बेटी के होठों पर रखकर चूमना शुरू कर दिया वह जानता था कि उसे दर्द हो रहा होगा लेकिन वह उसी स्थिति में होंठों का रस चूसता रहा और धीरे-धीरे से चूची को दबाता रहा,,,, धीरे-धीरे शगुन का दर्द कम होने लगा और फिर शुरू हुई सगुन की चुदाई धीरे धीरे संजय की कमर ऊपर नीचे होने लगी और शगुन को भी मजा आने लगा,,,,
बरसों बाद संजय को कसी हुई बुर चोदने को मिल रही थी,,, इतना मजा अपनी सुहागरात को सगुन की मां को चोदने में भी उसे नहीं आया था,,,, शगुन को मजा आ रहा है इस बात को उसकी गरम सिसकारी ही बता रही थी,,, धीरे-धीरे संजय की रफ्तार बढ़ने लगी,,, बाप ने बेटी को अच्छी तरीके से चोदना शुरू कर दिया,,, पूरे कमरे में गर्म सिसकारी की आवाज गुंजने लगी,,, शगुन हैरान थी कि ईतना मोटा तगड़ा लंबा लंड अपनी बुर में वह कैसे ले ली,,, लेकिन यह हकीकत था,,,
शगुन की यह पहली चुदाई थी और वह भी अपने ही बाप के साथ,,, कमरे का बिस्तर इस समय ऐसा लग रहा था कि मानो मदिरा से भरा हुआ बड़ा पतीला हो और उसमें संजय और शगुन दोनों डूब रहे हो,,, थोड़ी देर बाद दोनों की सांसो की गति बढ़ने लगी संजय शगुन को कसकर अपनी बाहों में भर लिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा,,,, और थोड़ी ही देर बाद शगुन के साथ साथ संजय भी झड़ गया,,,।