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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

Sanju@

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मां बेटे के बीच का रिश्ता और दूरियां पूरी तरह से खत्म हो चुकी थी संध्या को अपने बेटे का गुड मॉर्निंग करने का तरीका बहुत ही अच्छा और लुभावना लगा था लेकिन संध्या को अपने बेटे कि वह प्यारी सी हरकत उसके सोए अरमान को जगा गई थी,,, शादी के दिनों से ही उसकी ख्वाहिश थी कि उसका पति संजय उसकी गांड मारे लेकिन ऐसा कभी नहीं हो पाया था,,। उसकी सहेलियां हमेशा उसे अपनी गांड मराने की गाथा सुनाया करती थी,,। जिसे सुनकर संध्या और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाती थी और उनकी तरह ही वह खुद भी यही चाहती थी लेकिन कभी अपने मुंह से अपनी मंशा बता नहीं पाई थी लेकिन इशारों ही इशारों में बहुत बार अपने पति के सामने बिस्तर पर इस बारे में जिक्र की थी लेकीन संजय उसके इशारे को समझ नहीं पाया था,,,। संध्या बार-बार अपनी बुक चटवाने के बहाने अपनी गांड का छेद भी अपने पति संजय के होठों पर रख देती थी लेकिन वह उसमे बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं ले रहा था,,।
इसलिए वह भी कुछ समय तक प्रयास करती रही लेकिन उसकी दाल नहीं गली तो वह भी अपने अरमानों का गला घोंटकर अपने पति के साथ चुदाई में भरपूर मजा लूटती रहीं,,, लेकिन बरसो बाद उसकी चाहत एक बार फिर जाग चुकी थी उसके बेटा सोनु ने उसके अरमानों को एक नया पंख लगा दिया था,, संध्या अपने बेटे के साथ अपनी हर एक हसरत को पूरी करना चाहती थी,,, उस रात का बेसब्री से इंतजार था उसे पूरा यकीन था कि उसका बेटा उसके अरमान को जरूर पूरा करेगा उसके सपने को जरूर पूरा करेगा,,,,।


खाना खाने के बाद तकरीबन रात को 11:00 बजे संध्या अपना काम निपटा कर अपने कमरे में पहुंच गई और अपने बेटे का इंतजार करने का की क्योंकि वो जानती थी उसका बेटा थोड़ी देर में उसके पास जरूर आ जाएगा,,, जवानी का मजा लूटने,,,, लेकिन अपने बेटे के आने से पहले संध्या ट्रांसपेरेंट गाउन पहन ली थी और जालीदार पेंटी और ब्रा जो की फोटो उसके बेटे को पसंद थी अपनी चिकनी बुर पर मादक लेडीज परफ्यूम छांट कर वह उसे और खुशबूदार बना दी थी,,,। कमरे का दरवाजा खुला छोड़ रखी थी,,,
सोनू को भी अपनी मां की बुर की आदत पड़ चुकी थी जब तक अपना घर अपनी मां की गोद में डालकर चोदता नहीं था तब तक उसे नींद नहीं आती है और वैसे भी शगुन और संजय की गैरमौजूदगी में उनके पास भरपूर मौका था जिंदगी का असली सुख लूटने के लिए,,,

सोनू भी अपनी मां के कमरे के दरवाजे पर पहुंच गया और दरवाजे को हाथ से धक्का देकर खोलते हुए बोला,,,।


क्या मैं अंदर आ सकता हूं,,,?


क्यों नहीं तेरा ही तो इंतजार कर रही हूं,,,,(बिस्तर पर लेटी हुई संध्या अपने पैर के घुटनों के बल और कर अपनी गाउन नीचे कमर तक सरकने का इजाजत देते हुए,, अपने मोबाइल को पास में पड़े टेबल पर रखते हुए बोली,,, सोनू अपनी मां का मानक रूप देखकर पूरी तरह से वासना के सागर में डुबकी लगाने को तैयार हो गया सोनू को अपनी मां की मोटी मोटी चिकनी जांघें एकदम साफ नजर आ रही थी,,, सोनू भी बिना देरी किए कमरे के अंदर दाखिल होकर दरवाजा को लोक कर दिया हालांकि घर में कोई भी नहीं था लेकिन फिर भी वह दरवाजे को खुला नहीं छोड़ना चाहता था,,, बिस्तर के करीब पहुंचकर अपनी मां के ट्रांसपेरेंट गाउन को ऊपर से नीचे की तरफ देखते हुए बोला,,)

वह मम्मी आज तो तुम बहुत सेक्सी लग रही हो,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर खास करके सेक्सी शब्द सुनकर उसके तन बदन में हलचल सी होने लगी,,, उसे अपने बेटे का सेक्सी कहना बहुत ही मादक एहसास करा रहा था,, उसका रोम-रोम पुलकित हुआ जा रहा था,,,सोनू की मदहोशी बढ़ती जा रही थी उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी आंखों के सामने बिस्तर पर कोई फिल्म की हीरोइन लेटी हुई है इस उम्र में भी उसकी मां बहुत ही सेक्सी और खूबसूरत थी,,,, अपने बेटे की बात सुनकर संध्या बोली,,)

तुझे क्या मैं इसी तरह के कपड़े में सेक्सी लगती हुं,,,, और नहीं,,,,


नहीं-नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं है तुम तो मुझे हर तरीके से बहुत सेक्सी लगती है खास करके जब बिना कपड़ों की होती हो तब,,,,,,,।


मतलब की जब मैं नंगी होती हु तब,,,,,(मादक मुस्कान बिखेरते हुए संध्या बोली,,,)


तब क्या मम्मी तुम्हें अगर कोई गैर आदमी नंगा देख ले तो यकीनन उसका तो ऐसे ही पानी छूट जाए,,,,(सोनू बिस्तर पर पैर मोड़ कर चढ़ते हुए बोला,,,,,,)


अच्छा तो यह बात है,,,, तो मुझे नंगी देखकर तेरा क्यों नहीं निकला था,,,


तो मैं कोई गैर थोड़ी हु,,,,


क्यों तु मुझे बार-बार देख चुका है क्या नंगी,,,,


बहुत बार,,,,(अपनी मां की नंगी चिकनी टांगों पर उंगलियां फेरते हुए बोला,,,)


इसका मतलब है कि तुझे मैं नंगी ज्यादा ही अच्छी लगती हुं,,,


हां वह तो है,,,,



फिर अभी तक मैं कपड़ों में क्यो हु,,,,(संध्या इशारों में ही बात करते हुए बोली क्योंकि वह जल्द से जल्द अपने बेटे के सामने नंगी होना चाहती थी,,,,)

तो फिर उतार दूं तुम्हारे कपड़े नंगी कर दु तुम्हें,,,


नेकी और पूछ पूछ ,,(संध्या मुस्कुराते हुए बोली,, दोनों मां-बेटे के बीच इस तरह से बात हो रही थी एक मर्द और औरत के बीच होती है दोनों की बातों को सुनकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि दोनों रिश्ते से मां बेटे हैं,,, ऐसा लग रहा था कि दोनों पति पत्नी या प्रेमी प्रेमिका है,,, दोनों की बातें बेहद कामुक और मदहोश कर देने वाली थी,,, मां बेटे में बिल्कुल भी शर्म नहीं रह गई थी,,, अपनी मां की बात सुनते ही सोनू अपना दूसरा फोटो बिस्तर पर रखकर बेड पर चढ़ गया और अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर पहले तो वह ट्रांसपेरेंट गाउन में से झांक रही अपनी मां की मदमस्त चुचियों की गोलाई जोकी ब्रा में कैद थी उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,, संध्या की सिसकारी छूट गई अपनी मां की चूची को दबाते हुए सोनू अपने होठों को अपनी मां के गुलाबी होंठों को चूसना शुरू कर दिया दोनों में कामोत्तेजक चुंबन का आदान-प्रदान होने लगा,,, दोनों की सांसो की गति तेज होने लगी संध्या मदहोश होने लगी थी और तभी सोनू अपनी मां के गाउन को ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, देखते ही देखते सोनू अपनी मां के गाउन को अपनी मां के बदन से अलग करते हुए उसे बिस्तर पर फेंक दिया,,,संध्या आप अपने बेटे की आंखों के सामने केवल ब्रा और पेंटी में थी और वह भी जागीर है जिसमें से उसके नाजुक अंग नजर आ रहे थे,,,,।


सच कहूं तो मम्मी तुम पर ब्रा और पेंटी बहुत खूबसूरत लगती है,,,,,।


तो क्या नंगी नहीं करेगा तु,,,(संध्या इतराते हुए बोली वह अपने बेटे की हाथों नंगी होना चाहती थी क्योंकि आज वह जी भर कर अपनी पूरी ख्वाहिश पूरी कर लेना चाहती थी,,,,)


जरूर करूंगा मेरी जान नंगी होने के बाद हुस्न की परी लगती हो,,,, लाऔ सबसे पहले तुम्हारी चूचियों को आजाद कर दुं,,,, क्योंकि इन्हें में कैद में नहीं देख सकता,,,,,


तो ले रोका किसने है,,,(इतना कहने के साथ ही संध्या सोनू की तरफ पीठ घुमा कर बैठ गई,,,, अपनी मां की चिकनी पीठ देखकर सोनू के मुंह में पानी आ गया वह अपनी फोटो को अपनी मां की चिकनी पीठ पर रख कर चूमने लगा,,,, संध्या सिहर उठी उसके तन बदन मे उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, सोनू अपनी मां की ब्रा के हुक को दोनों हाथों से पकड़ कर अलग कर दिया और देखते-ही देखते संध्या के बदन से उसकी ब्रा भी अलग हो गई,,,सोनू पीछे से ही अपनी मां की दोनों चूची को अपनी हथेली में भरकर दबाना शुरू कर दिया ब्रा के ऊपर से और नंगी चूचियों को अपने हाथों में लेकर दबाने में अपना अलग अलग मजा होता है ब्रा के ऊपर से दबाने उतना मजा नहीं आता जितना कि नंगी चूचियों को अपने हथेली में भरकर दबाने में आता है,,, ब्रा के ऊपर से चूचियों को दबाने में ठीक वैसा ही एहसास होता है जैसा कि पेड़ पर लटके हुए पके आम को देख कर,,,,,,

सहहहहह आहहहहहहह,,,,,,, सोनू,,,,ऊममममममम,,,


क्या हो रहा है मम्मी,,,(सोनू अपनी मां की चूची को जोर जोर से दबाते हुए बोला,,,)

आहहहहह,,,, कुछ-कुछ हो रहा है रे,,,(संध्या एकदम मदहोशी भरे स्वर में बोली,,,,)


दबाने से ही कुछ-कुछ हो रहा है तो सोचो जब मेरा लंड तुम्हारी बुर में जाएगा तो क्या-क्या होगा,,,।


हाय तेरी बातें ,,,, मेरे तन बदन में आग लगा रही है,,,(मस्ती से आंखों को मुंदते हुए बोली,),,सससहहहहह आहहहहहहह,,,, थोड़ा रहम कर इन चुचियों पर देख कैसे कश्मीरी सेब की तरह लाल हो गई है,,,।


मम्मी तुम्हारी कश्मीरी सेव को खा जाने का मन करता है,,,,


खाजा ना ,,,,रोका किसने है,,,(मदहोश भरे श्वर में संध्या बोली,,, और सोनू उत्तेजित होते हुए अपनी मां की दोनों बांहे पकड़कर उसे अपनी तरफ घुमाया और पीठ के बल बिस्तर पर लेटाता चला गया,,, दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते हुए मदहोश हो चुके थे,,,, संध्या की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी और सांसो के साथ उसकी दोनों चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी,,,। जिसे देखकर सोनू के मुंह में पानी आ रहा था और वह अपनी मां की दोनों चूचियों को देख कर ललच उठा,,,, और तुरंत झुक कर उसे अपने मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,।

आहहहहहह ,,,,आहहहहहहहह ,,,,,,,, सोनू मेरे बच्चे,,,,ऊमममम बहुत अच्छा लग रहा है,,, एक नहीं दोनों पी,,,, जोर जोर से दबा दबा कर पी,,,।

(संध्या चुदवासी होकर बोल रही थी,,,और सोनू भी वही कर रहा था जो उसकी मां बोल रही थी सोनू अपनी मां की दोनों चूची को बारी-बारी से पी रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था उसे दबाने में और मुंह में भर कर पीने में,,,,,,, रात अपने पूरे शबाब में थी,,,, और ऐसे में एक सुखी संपन्न शिक्षित परिवार में घर के एक कमरे में एक मां एक बेटा एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे,,,। संध्या का भजन बेहद मुलायम मखमली और मदहोशी से भरा हुआ था जिसे देखकर किसी का भी मन ललच जाएऐसे में वह खुद अपने बेटे की बाहों में थी और उसका बेटा उसकी दोनों चूचियों को दशहरी आम समझकर जोर-जोर से दबाकर पी रहा था,,,,, संध्या इस समय केवल पेंटी में थी जो कि वह भी ज्यादा देर तक उसके बदन के उस बेशकीमती खजाने को छुपा ना सकी और संध्या का बेटा सुना अपने हाथों से उसकी पैंटी को उतार कर उसे नंगी करने का सौभाग्य प्राप्त कर लिया,,,,)

हाय मेरे बच्चे तेरी मेरी पैंटी भी निकाल कर मुझे पूरी नंगी कर दिया अब क्या करेगा चाटेगा क्या मेरी,,,(संध्या एकदम मदहोश भरे स्वर में बोली,,,)


हां मेरी जान चाटुंगा,,,,,(सोनू अपनी मां की दोनों टांगों को फैलाते हुए बोला)


क्या चाटेगा रे बोलना,,,,,आहहहहहहह,,,, बहुत जालीम हो गया है तू,,,,,




तेरी सब कुछ चाटुंगा,,, मेरी रानी,,,,( इतना कहने के साथ ही सोनू अपनी मां की रसभरी बुर पर अपने होंठ रख कर चाटना शुरू कर दिया उत्तेजना के मारे संध्या की बुर कचोरी की तरह भूल गई थी जिसे चाटने में सोनू को बहुत मजा आ रहा था,,,संध्या सिसकारियां लेने लगी थी वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी सोनू की एक-एक हरकत उसके दिल की धड़कन बढ़ा रही थी लेकिन उसकी इच्छा कुछ और कराने को हो रही थी,,,,सोनू पागलों की तरह अपनी मां की बुर के ऊपरी छोर से आखरी छोर तक चाट रहा था जीभ उसकी गुलाबी दरार में ऊपर से नीचे हो रही थी,,,, संध्या को सुख की अनुभूति हो रही थीबार-बार वह अपनी गांड को पर कितना पैसा देने की ताकि उसके बेटे की जीभ उसकी गांड के छोटे से छेद के ऊपर स्पर्श हो जाए और वह उसे चाटने के लिए मजबूर हो जाए और ऐसा हो भी रहा था जब जब सोनु को अपनी जीभ उसकी मां की गांड के छेद पर स्पर्श होती हुई महसूस होती थी तब तब उसे इस बात का एहसास होता था कि उसकी मां की मस्ती कुछ ज्यादा ही बढ़ जा रही थी और उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी,,,,, और सोनू इसी मस्ती को को बरकरार रखना चाहता था और इसलिए वह अपनी मां की गांड के उस भुरे रंग के छेद को अपनी जीभ से कुरेदना शुरू कर दिया,,,।


ऊहहहहहह,,,,,,सहहहहहईईईईईईईई,,,आहहहहहह,,,ऊईईईईईई मां,,,,,आहहहहहह मेरे लाल,,,,,, बहुत मजा आ रहा है चाट मेरी गांड को मेरे राजा,,,,,आहहहहहहह,,,,,(अपने दोनों हाथ को अपने बेटे के सिर पर रखकर उसे दबाते हुए गरम सिसकारी लेकर बोलने लगी सोनू को भी मजा पहले तो सोनू को थोड़ा अजीब लगा था लेकिन उसे भी मज़ा आने लगा था वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां के खूबसूरत बदन का हर एक अंग चाटने लायक था,,,,,,इस तरह का एहसास संध्या को कभी नहीं हुआ था सोनू आज पूरी तरह से मस्त कर दिया था अपनी मां को,,,बरसों की तमन्ना आज उसे पूरी होती हुई महसूस हो रही थी लेकिन अभी तो यह शुरुआत थी अभी तक उसकी चाह मंजिल को प्राप्त नहीं हुई थी,,,,, लेकिन गांड चाटने की वजह से संध्या की बुर पानी फेंक दी थी यह अद्भुत चरमसुख था,,,,,।



आहहह पूरी जीभ डाल दे मेरे बेटे,,,, बहुत मजा आ रहा है इस तरह से तो तेरे बाप ने भी मुझे खुश नहीं किया,,,,आहहहहह,,,(अपने बाप से कितना होता देख कर सोनू की मस्ती और ज्यादा बढ़ गई उसे बहुत मजा आ रहा था उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसके बाद में कभी उसकी मां की गांड को चाटा नहीं था और वह पहला सख्श था जो उसकी मां की गांड को चाट रहा था,,,,, और अब अपने बाप से तुलना हुई थी तो सोनू और ज्यादा आगे बढ़ जाना चाहता था,,,। इसलिए अपनी एक उंगली को अपनी मां की गांड के छोटे से छेद में डालने लगा,,,, संध्या की हालत खराब होने लगी,,,, लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था,,,, सोनू को अपनी मां की गांड में उंगली डालने में भी बहुत मजा आ रहा था,,,, वह अपनी मां की गांड में उंगली अंदर बाहर करते हुए बोला,,,


क्यो कैसा लग रहा है मेरी जान मजा आ रहा है ना,,,,।


मजा तो बहुत आ रहा है मेरे राजा लेकिन उंगली की जगह अगर तु अपना लंड डालेगा तो और मजा आएगा आज पहली बार मे गांड मराने का सुख भोग पाऊंगी,,,,(संध्या एकदम मध भरे स्वर में बोला और अपनी मां की बात सुनकर सोनू बोला,,,,)

क्या सच में तुम गांड मराना चाहती हो मम्मी,,,,,।


हारे सच में,,,,,तेरे पापा ने मुझे कभी भी यह सुख नहीं दिया मैं चाहती हूं कि मेरा बेटा मुझे यह सुख दे,,,,,



हाय मेरी रानी तू तो बहुत सेक्सी है रे,,,,,(सोनू एकदम से खुश होता हुआ बोला,,) तू चिंता मत कर मेरी जान आज तेरी गांड मारूंगा,,,, लेकिन क्या, मेरा मोटा लंड तेरी गांड में जाएगा,,,,(सोनू आश्चर्य जताते हुए बोला,,,क्योंकि अभी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की बुर का गुलाबी छेद की अपेक्षा उसकी मां की गांड का भुरा रंग का छेद कुछ ज्यादा ही छोटा था,,,,)


जरूर जाएगा बेटा तेल लगा कर डालेगा तो आराम से चला जाएगा,,,,।
(अपनी मां को इस बात से ही सोनू को इस बात का आभास हो रहा था कि उसकी मां को कांड मनाने की कितनी उत्सुकता और जल्दबाजी है,,, सोनू भी अपनी मां के विश्वास पर पूरी तरह से खरा उतरना चाहता था,,,, इसलिए तुरंत उठा और बोला,,,,)

रुको में सरसों का तेल ले कर आता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही सोना किचन में किया और वहां से सरसों तेल की बोतल को लेकर आ गया और आते ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया सोनू की मां संध्या की नजर जैसी अपनी बेटी की खड़े लंड तो उसे देख कर उसे इस बात का थोड़ा सा आशंका होने लगी की उसका लंड उसकी गांड के छेद में आराम से नहीं जा पाएगा,,,,, सोनू अपनी मां की गांड के छेद पर सरसों का तेल लगाता इससे पहले संध्या उसे अपने पास बुला कर उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,, सोनू की हालत खराब हो गई ,,,,,संध्या के द्वारा सोनू संबंधी चाटने का मतलब कुछ ऐसा था कि जैसे युद्ध में जाने से पहले सैनिक अपने बंदुक को अच्छी तरह से तेल पानी लगा कर चेक कर लेता है कि यह बराबर काम करेगी कि नहीं और सोनू का लंड तो वैसे ही पूरी तरह से बावला हो गया था अपनी मां की गांड के छेद को देखकर और संजय को पूरी तरह से विश्वास था कि उसका बेटा उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी गांड के छेद को भेंदने में पूरी तरह से कामयाब हो जाएगा,,,,,कुछ देर तक संध्या अपने बेटे के लंड को गले की गहराई में उतार कर पूरी तरह से चुस्ती रही,,,, इसके बाद सोनू सरसों के तेल की बोतल का ढक्कन खोल कर उसके तेल की धार को अपनी मां की गांड के छेद पर बराबर गीराता रहा ,,,,, सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था आज वही काम करने जा रहा है इस काम के लिए वह पूरी तरह से तैयार भी नहीं था और कभी सोचा भी नहीं था लेकिन फिर भी उसेविश्वास था कि इस काम में भी वह पूरी तरह से सफल हो जाएगा और अपनी मां को ही बात कुछ सुख का अहसास कराएगा जोकि उसके पापा कभी भी नहीं करा पाए,,,,।

संध्या अपने आप ही घोड़ी बनकर घुटने और कोहनी के बल बैठ गई थी अपनी गांड की तोप को ऊपर की तरफ उठा दी थी,,,, सोनू को अपनी मां का भुरा रंग का छेद बराबर नजर आ रहा था,,,, सोनू थोड़ी सी सरसों के तेल को अपने लंड पर भी लगा दिया क्योंकि वह जानता था इसे चिकनाहट बढ़ जाती है और इस समय उसे चिकनाहट की ही जरूरत थी,,,,सोनू भी अपनी मां के पीछे खड़ा होकर पूरी तरह से तैयार हो चुका था दोनों मां-बेटे किंग साइज बेड पर थे,,,, देखते-ही देखते सोनूअपने लंड के सुपाड़े को अपनी मां की गांड के छेद पर जैसे ही लगाया वैसे ही संध्या उत्तेजना के मारे एकदम से सिहर उठी,,,,,,, और उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,।

गांड के छेद पर और अपने लंड के सुपाड़े पर सरसों के तेल की चिकनाहट बराबर महसूस हो रही थी,,,। सोनू अपनी गांड का बल धीरे-धीरे लगाने लगाधीरे-धीरे उसका सुपाड़ा गार्ड के छोटे से छेद में चिकनाहट पाकर अंदर की तरफ सरकने लगा,,,, संध्या का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां दशहरी आम की तरह लटकी हुई थी सोनू अपने मंजिल की तरफ आगे बढ़ते हुए एक हाथ को अपनी मां की गांड पर रखकर दुसरे हाथ से अपने लंड़ को पकड़े हुए था और उसे सहारा देकर अपनी मां की गांड के छेद में डाल रहा था,,,, धीरे-धीरे उत्सुकता उत्तेजना और जोश अपना कमाल दिखा रहा था,,, सोनू का लंड धीरे धीरे अंदर की तरफ जा रहा था,,,, हालांकि सोनू के लंड का सुपाड़ा कुछ ज्यादा ही मोटा था,,, और बस एक बार सुपाड़े को घुसने की देरी थी बाकी का काम अपने आप होने वाला था,,,,।

बाप रे,,, तुम्हारी गांड का छेद कितना छोटा है,,,,



लेकिन,,,,आहहहहह,,,,, घुसा पाएगा कि नहीं,,,,


आराम से मेरी रानी चिंता मत करो अब मुझे भी तुम्हारी गांड मारना है,,,,,।


बस बेटा यही जुनून अपने अंदर रख,,, जरूर अपनी मंजिल तक पहुंच पाएगा,,,,,

(अपनी मां की बात सुनकर सोनू का जोश बढ़ता जा रहा था और वह और ज्यादा दम दिखाते हुए अपने लंड को आगे की तरफ बढाया तो उसका सुपाड़ा आधे से ज्यादा घुश गया,,,, लेकिन संध्या के चेहरे पर दर्द की रेखाएं बिल बिलाने लगी,,,, पर संध्या इस दर्द को झेलने के लिए पहले से ही तैयार थी,,,। वह बिस्तर पर बिछी चादर को दोनों हाथों से दबोच लि,,,, ताकि और दर्द को सह सके सोनू पसीने से तरबतर हो चुका था लेकिन पीछे हटने को तैयार नहीं था,,,, वह थोड़ा और दम लगाया और लंड का सुपाड़ा पूरा गांड के छेद में घुस गया ,,,, तब जाकर सोनू ने राहत की सांस लिया एकाएक संध्या को दर्द कुछ ज्यादा हुआ था लेकिन उसे इस बात की खुशी थी कि लंड का सुपाड़ा घुस चुका था,,,, यह ऐसा था कि हाथी निकल गई थी पूछ रहे गया था,,,।



वाह मेरी रानी कितना मस्त लग रहा है तेरी गांड में मेरा लंड,,,।



हारे हरामि,,,,, मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है मेरी गांड में तेरा लंड घुसा हुआ है,,,, अपन धीरे-धीरे मेरी गांड मारना शुरू कर,,,,,।


हां मेरी जान अब ऐसा ही होगा,,, जो काम मेरे बाप ने नहीं किया वह उनका बेटा करेगा,,,,, देख अब मैं कैसे तेरी गांड मारता हुं,,,,,(इतना कहने के साथ ही अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और अपनी कमर को हल्के हल्के से हिलाना शुरू कर दिया,,,,,, जितना घुसा था उतना ही अंदर बाहर हो रहा है,,, लेकिन सोनू धीरे-धीरे अपने पूरे लंड को अपनी मां की गांड में डाल दिया था बुर की गांड का छेद कुछ ज्यादा ही टाईट था इसलिए सोनू का लंड एकदम रगड़ के अंदर जा रहा था और बाहर आ रहा था जिससे संध्या की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,,,
अपनी सहेलियों से सिर्फ सुन रखी थी की गांड मराने में बहुत मजा आता है लेकिन आज पहली बार उसका अनुभव ले रही थी और उसे अपनी सहेलियों की बात से भी ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि अब उसकी गांड में दर्द की जगह आनंद के बुलबुले फूट रहे थे संजय की सिसकारी बढ़ती जा रही थी,,,, धीरे धीरे चल रहा इंजन अब एकदम तेज गति पकड़ लिया था,,,,सोनू को उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां के छोटे से छेद है उसका मोटा लैंड बड़े आराम से अंदर बाहर होगा लेकिन सब कुछ की आंखों के सामने था उसे बड़ा मजा आ रहा था अपनी मां की गांड मारने में उसके बाद बिस्तर पर एकदम नंगी थी घोड़ी बनी हुई और वह घोड़ा बना था आज वह घोड़ी की घुड़सवारी कर रहा था और ईस घुड़सवारी में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,।


आहहहह मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मेरी तमन्ना पूरी होगी,,,,आहहहहहह ,,,,,, बहुत मजा आ रहा है,,,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू का जोश बढ़ता जा रहा था और बार-बार उसके लंड की नीचे की दोनों टट्टे संध्या की बुर पर किसी हथौड़ी की तरह लग रहे थे,,, लेकिन इससे भी उसे और मजा आ रहा था संजय को अपनी बड़ी-बड़ी चूचियां पेड़ में लटके हुए बड़े-बड़े दशहरी आम की तरह झूलते हुए नजर आ रहे थे जिसे सोनू खुद अपना हाथ आगे बढ़ा कर दोनों हाथों में थाम कर जोर जोर से दबा के गांड मारने लगा,,, सोनू के लिए यहव अविश्वसनीय था क्योंकि वह कभी नहीं सोचा था कि वह अपनी मां की गांड मारेगा,,, और यह भी नहीं सोचा था कि उसकी मां खुद उसे गांड मारने के लिए बोलेगी,,,,।
सोनू बिल्कुल भी थक नहीं रहा था वह एक ही पोजीशन में अपनी कमर हिलाई जा रहा था और संध्या अपने बेटे की ताकत को देख कर और ज्यादा पानी पानी हो रही थी और अपनी उत्तेजना और सुख को और ज्यादा बढ़ाने के लिए अपना एक हाथ नीचे से लाकर अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ना शुरू कर दी थी,,,,, जिससे उसका आनंद और ज्यादा बढ़ रहा था,,,, सोनू नजर नीचे करके अपनी मोटे लंड को अपनी मां की गांड के छेद में अंदर बाहर होता हुआ देख रहा था पल भर के लिए उसे लग रहा था कि जैसे कोई वह पोर्न मूवी देख रहा हो,,,,

संध्या के बरसों की अभिलाषा पूरी हो रही थी जो सूखा अपने पति से भोग नहीं पाई वह सुख उसे अपने बेटे से प्राप्त हो रहा था,,,, शारीरिक सुख प्रदान करने में उसका बेटा उसके पति से एक कदम आगे साबित हो रहा था,,,, अपने बेटे पर पूरी तरह से निहाल हो चुकी थी,,,, तकरीबन 25 मिनट की जबरदस्त गांड मराई के बाद सोनू का पानी निकल गया हालांकि इस दौरान संध्या तीन बार झड़ चुकी थी और यह उसके लिए अद्भुत था,,,,,।

गांड मरवाने की वजह से वह एकदम थक कर चूर हो चुकी थी,,,, पर बिस्तर पर निढाल होकर सो गई थी एकदम नंगी और उसके ऊपर सोनू,,,,।



दूसरी तरफ एग्जाम देने के बाद शगुन जैसे ही बाहर आईपार्किंग में खड़ा संजय अपनी बेटी से नजर चुराने लगा क्योंकि रात को जो कुछ भी हुआ था उसी से उसे बहुत दुख पहुंचा था वह नहीं चाहता था कि ऐसा कुछ भी हो लेकिन जवानी के जोश में अपनी बेटी के खूबसूरत बदन की चाह में जो नहीं होना चाहिए तो वह हो गया था,,, लेकिन अब संजय आगे बढ़ना नही चाहता था वह सब कुछ यहीं रोक देना चाहता था लेकिन शगुन के मन में कुछ और चल रहा था,,,,वह ईस रिश्ते से बेहद खुश थी पहली बार उसे जिस्मानी सुख मिला था,,,प्रभा अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रखी थी इसलिए सही गलत का फैसला कर पाना उसके लिए नामुमकिन सा था,,,। उसे तो बस शरीर सुख चाहिए था,,,,

संजय और सगुन दोनों कार में बैठ गए थेसब उनके चेहरे पर रात में जो कुछ भी हुआ उसको लेकर कोई गिला शिकवा नहीं था बल्कि एक खुशी झलक रही थी लेकिन संजय का मन उदास था,,।
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है
संध्या की बरसो की ख्वाइस गांड मरवाने की उसके बेटे ने पूरी कर दी मजा आ गया
अगले अपडेट का इंतजार रहेगा
 
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जबरदस्त अपडेट है मजा आ गया । एक तरफ तो सोनू ने संध्या की बरसो पुरानी इच्छा पूरी कर दी और दूसरी तरफ शगुन को भी संजय के साथ चुदाई में मजा आया अब तो ये चुदाई का सिलसिला चलता ही रहेगा
 

rohnny4545

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शगुन और संजय दोनों कार में बैठ गए थे,,, संजय अपनी बेटी से नजर नहीं मिला पा रहा था जिसका एक कारण है रात में दोनों के बीच जिस्मानी ताल्लुकात,,, जो की पूरी तरह से अवैध था,,,।संजय यह सोच सोच कर परेशान था कि वह अपनी बेटी के साथ गलत काम कर चुका था जिसमें वह भी पूरी तरह से सहयोगी थी लेकिन फिर भी संजय का मन अंदर से कचोट रहा था,,,,अपनी बेटी से बात करना चाहता था उसे समझाना चाहता था कि जो कुछ भी हुआ है वह बिल्कुल गलत हुआ ऐसा नहीं होना चाहिए था लेकिन कैसे शुरू करें यह उसे पता ही नहीं चल रहा था आखिरकार बात की शुरुआत करते हुए सगुन हीं बोल पड़ी,,,।


आप खामोश क्यों है पापा,,,, रात को जो कुछ भी हुआ आपको मजा नहीं आया क्या,,,?
(अपने बेटे की बात सुनकर संजय पूरी तरह से हैरान था क्योंकि वह एक गंदी लड़की की तरह बात कर रही थी,,,वो कभी अपने सपने में भी सोचा नहीं था कि उसकी बेटी इस तरह से उससे बात करेगी लेकिन इसमें उसकी भी गलती थी उसे आगे नहीं बढ़ना चाहिए था,,,, संजय को अपनी बेटी की बातें सुनकर इस बात का एहसास हो रहा था कि रात कुछ कुछ भी हुआ था उससे उसकी बेटी को बहुत मजा आया था और वह इससे बिल्कुल भी परेशान नहीं है लेकिन फिर भी बाप होने के नाते उसे समझाना जरूरी था क्योंकि वह भटक चुकी थी,,,, इसलिए संजय अपनी बेटी को समझाते हुए बोला,,,)

यह कैसी बातें कर रही हो शगुन जो कुछ भी हुआ सब कुछ गलत था,,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं क्योंकि हम दोनों के बीच का रिश्ता औरत मर्द का नहीं बल्कि बाप बेटी का है,,,

(अपने पापा की बात सुनकर शगुन हैरान थी क्योंकि वह इस रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहती थी उसे इस रिश्ते में मजा आने लगा था पहली बार किसी पुरुष संसर्ग की कामना की पूर्ति उसे मदहोश कर दे रही थी,,,, जब से वह अपने पापा से चुदवाई थी तब से उसे अपनी बुर की अंदर की दीवारों पर अपने पापा का लंड रगडता हुआ महसूस हो रहा था बार-बार उस पल को याद करके वह मस्त हो जा रही थी,,।)


तो क्या हुआ आप मेरे लिए हीरो हो,,,,


तुम समझने की कोशिश करो सगुन जो कुछ भी हुआ सब कुछ गलत था,,, मैं कोई तुम्हारा प्रेमी नहीं हूं,,,,।


लेकिन मैं तो आपको उसी रूप में देखती हूं,,,


पागल मत बनो सगुन,,,,,


क्या मैं खूबसूरत नहीं हु सेक्सी नहीं हुं,,,,,



यह बात बिल्कुल भी नहीं है तुम बहुत खूबसूरत हो सेक्सी हो लेकिन तुम मेरी गर्लफ्रेंड नहीं हो मेरी प्रेमिका नहीं हो,,,, मेरी बेटी हो,,,,। हम दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ उसे सपना समझकर भूल जाना पड़ेगा मुझे भी और तुम्हें भी,,,, इसी में हम दोनों की और पूरे परिवार की भलाई है,,,, अगर ऐसा नहीं हुआ तो सब कुछ बिखर जाएगा तुम यह बात अच्छी तरह से जानती हो सगुन,,,,,



लेकिन पापा यह सब किसी को भी पता नहीं चलेगा,,,,

(शगुन की बातों को सुनकर संजय पूरी तरह से हैरान हो चुका था क्योंकि उसकी बेटी किसी भी तरह से मानने को तैयार ही नहीं थी,,,संजय बार-बार कोशिश कर रहा था लेकिन सगुन पीछे हटने का नाम ही नहीं ले रही थी,,,, संजय अच्छी तरह से समझ रहा था कि इस उमर में लड़के लड़की को अच्छे बुरे सही गलत का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं होता है,,।और यही उसकी बेटी सब उनके साथ भी हो रहा था एक रात में शरीर सुख प्राप्त करके वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी और बार-बार उसी सुख की कामना कर रही थी,,, जोकि संजय के लिए नामुमकिन सा लगने लगा था क्योंकि संजय जानता था कि जो कुछ भी उसने किया था वह बिल्कुल गलत था,,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी,,, संजय कार को सड़क पर दौड़ा रहा था,,, शहर की खूबसूरती सड़क के किनारे बड़े अच्छे से नजर आ रही थी,,,, धीरे-धीरे शाम ढलने लगी थी,,, वातावरण में ठंडक बढ़ती जा रही थी और संजय होटल कार रोककर होटल में प्रवेश किया,,, होटल में काफी भीड़ थी तो वेटर उन्हें टेरेस पर खुले में डिनर के लिए आमंत्रित किया,,,, वहां पर पहुंचकर संजय‌और शगुन को काफी अच्छा लग रहा था,,,, टेरस पर चारों तरफ हर एक टेबल पर एक जोड़ा बैठा हुआ था शायद यह कपल के लिए ही बना था,,,,,, संजय खाली टेबल देख कर वहीं पर बैठ गया सामने शगुन भी बैठ गई,,,,थोड़ी देर में वेटर आया और आर्डर लेकर चला गया,,,,। संजय खामोश था,,,, इसलिए खामोशी को तोड़ते हुए शगुन बोली,,।



आप क्या चाहते हो पापा,,,,?


मैं यही चाहता हूं कि जो कुछ भी हुआ बस यहीं पर खत्म हो जाए,,,,,,।
(संजय की बातों से उसके चेहरे को देखकर साफ पता चल रहा था कि जो कुछ भी कहा था उसका उसे बहुत पछतावा था और यह सब कुछ और जल्द से जल्द खत्म कर देना चाहता था,,,)


ठीक है,,,, मैं भी सब कुछ खत्म कर दूंगी,,, हम दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ मैं सपना समझ कर भूल जाती हु,,, लेकिन इसके बावजूद भी अगर कुछ हुआ तो,,,,



नहीं होगा कुछ भी नहीं होगा मैं गारंटी देता हूं कुछ भी नहीं होगा,,,,,,,,(संजय एकदम विश्वास भरे शब्द में बोला क्योंकि मैं जानता था कि अगर वह अपने आप पर काबू कर पाएगा तो सब कुछ सही होगा और उसे पूरा यकीन था कि वह अपने आप पर काबू कर लेगा,,,,)


अगर कहीं आप का इमान फिसल गया तो,,,,


कैसी बातें कर रही हो,,,, ऐसा भला कैसे हो सकता है,,,।


क्योंकि मैं आपको मम्मी के साथ देखी हूं उनकी लेते समय एकदम पागल हो जाते हो,,,, कल रात तो एकदम जवान लड़की के साथ सब कुछ किए हो,,, हो सकता है नएपन के कारण आप अपने आप पर काबू ना कर पाओ तो,,,।


देखो सगुन में सब कुछ कर लूंगा बस तुम अपनी जिद छोड़ दो,,,।


ठीक है जैसी आपकी मर्जी,,,, मैं तो आपको अपना हीरो समझती थी,,, समझती थी क्या आप हो मेरे हीरो,,,, खेर मैं अब अपना सारा ध्यान अपने कैरियर पर लगाऊंगी,, ठीक है,,,(शगुन अपने पापा की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली,,, जवाब में संजय भी मुस्कुराता हुआ हा में सिर हीला दिया,,,,, थोड़ी देर में वेटर ऑर्डर लेकर आ गया और दोनों बाप बेटी आराम से खाना खाने लगे शगुन को यह सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था,,,। वह सब कुछ यहीं खत्म नहीं करना चाहती थी बल्कि आगे बढ़ना चाहती थी क्योंकि,,, जो सुख से पापा ने रात को उसे दिया था वह उस सुख को बार-बार महसूस करना चाहती थी,,,,बार-बार उसे अपनी दोनों टांगों के बीच अपने पापा का लंड अंदर बाहर होता हुआ महसूस हो रहा था,,, उस मदहोश कर देने वाली पलकों वह भुला नहीं पा रही थी बस अच्छी नहीं थी कि उसके पापा सब कुछ इतनी जल्दी खत्म कर देंगे क्योंकि वह चाहती थी कि उसके पापा उसकी मां की बुर की रोज चुदाई करते हैं और उसकी मां के मुकाबले उसकी बुर काफी
कसी हुई थी निश्चित तौर पर उसे पूरा यकीन था कि उसकी कसी हुई बुर चोदने में उसके पापा को बहुत मजा आया होगा और उस मजे को उसके पापा बार बार लेना चाहेंगे,,,लेकिन उसके पापा ने सब कुछ खत्म कर दिया था इस रिश्ते को यहीं खत्म करने की ठान लिया था इसके लिए शगुन का मन उदास था,,, लेकिन उसे विश्वास था कि उसके माध्यम खूबसूरत सेक्सी बदन को देख कर उसके पापा का मन फिर से फिसल जाएगा इसी आस से वह खाना खाने लगी,,,,,,,दोनों खाना खा रहे थे कि संजय की नजर अपने पास वाले टेबल पर कई जहां पर एक कपल बैठा हुआ था,,, और संजय को साफ नजर आ रहा था कि वह आदमी अपने जूते निकाल कर अपने पैर को उठाकर सामने बैठी लड़कियों की स्कर्ट पहने हुए थी और इस समय में अपनी दोनों टांगों का फैलाई हुई थी ,,, और वह आदमी अपने पैर के अंगूठे से उसकी पेंटिं वाली जगह को कुरेद रहा था यह देखकर संजय कि तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ऊठी और उसी समय शगुन की भी नजर उस‌ कपल पर पड़ गई दोनों बाप बेटी एक साथ उस नजारे को देख रहे थे,,,, सगुन उस नजारे को देख कर मुस्कुरा दी,,,।, संजय को जब इस बात का अहसास हुआ तो वह शर्मा कर अपनी नजरें नीचे कर लिया और खाना खाने लगा दोनों ही थोड़ी देर में खाना खाकर होटल से निकल गए और जहां पर ठहरे थे उस होटल में आ गए,,,।

संजय कुर्सी पर बैठकर अपने कमरे में व्हिस्की की चुस्की ले रहा था और सिगरेट पी रहा था हालांकि ऐसा संजय तभी करता था जब उसका दिमाग टेंशन में रहता था,,, शगुन अपने पापा पर अपनी जवानी की मादकता बिखेरने को पूरी तरह से तैयार थी,,,,,, वातावरण में पहले से ही ठंडक थी लेकिन कपड़े बदलते समय जानबूझकर शगुन छोटा सा फ्रॉक की तरह नाईट ड्रेस पहन लो क्योंकि पूरी तरह से ट्रांसपेरेंट था उसमें से सब कुछ नजर आ रहा है और वह फ्रॉक टाइप का नाइट ड्रेस भी बड़ी मुश्किल से उसके नितंबों को घेराव को छुपा पा रहा था लेकिन उसमें के अंदर के नजारे को छुपा पाना उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था लाल रंग की पेंट ट्रांसपेरेंट नाईट ड्रेस में से नजर आ रही थी और साथ ही लाल रंग की ब्रा भी,,,,,, सगुन भी कुर्सी खींच कर अपने पापा के सामने बैठ गई,,,,,, संजय एक नजर सब उनके ऊपर डाला और फिर वापस सिगरेट का कश खींचने लगा,,,, उसके हाथ में व्हिस्की का गिलास था,,, शगुन पूरी तरह से अपनी जवानी का नशा अपने बाप पर चढ़ा देना चाहती थी ईसलिएअपने पापा की आंखों के सामने उसे देखते भी अपनी एक टांग उठाकर कुर्सी पर रख दी और एक टांग को हल्के से खोल दी,,,जिससे उसके पापा को उसकी टांगों के बीच कि वह खूबसूरत जगह नजर आने लगे जिस पर पेंटी का हल्का सा पर्दा चढ़ा हुआ था,,,, और ऐसा ही हुआ संजय की नजर सीधे अपनी बेटी के दोनों टांगों के बीच चली गई और उस नजारे को देख कर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,,। संजय हडबडाकर अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर लिया,,,, सगुन अपने पापा की हरकत पर मुस्कुरा दी,,, वो कुछ बोल पाती ईससे पहले ही दरवाजे पर वेटर ने दस्तक दे दिया,,,।

लगता है कॉफी आ गई ,, (और इतना कहकर वह कुर्सी पर से खड़ी हो गई,,, सगुन जानती थी कि उसके पापा उसी को ही देखेंगे ,,, वह मादक चाल चलते हुए दरवाजे तक पहुंच गई,,,संजय से रहा नहीं गया और वह नजरों को तिरछी करके अपनी बेटी की तरफ देखने लगा उसकी मादक चाल उसकी गोल-गोल नितंब उसके नसों में मदहोशी का नशा भर रहा था,,,। छोटी सी ड्रेस में लाल रंग की पेंटिं शगुन की गांड किसी पैक किए हुए उपहार की तरह लग रही थी,,, जिसे देखकर संजय के मुंह में खुद पानी आने लगा था,,, दरवाजा खुलता है से पहले संजय फिर से अपनी नजरों को दुरुस्त करके व्हिस्की का पैक पीने लगा,,,,,,
Shagun sanjay ko mast karte huye

दरवाजा खुलते ही बेटर मुस्कुराते हुए ट्रे में कॉफी लेकर आया और शगुन उसे मुस्कुराकर अंदर आने के लिए अभिवादन की,,, वेटर के कमरे में दाखिल होने से पहले ही उसकी नजर शगुन के खूबसूरत बदन पर गई और ट्रांसपेरेंट छोटी सी फ्रॉक को देखकर उसकी तो हालत खराब हो गई उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,, उस ट्रांसपेरेंट फ्रॉक में से शगुन का सब कुछ नजर आ रहा था जिसे देखकर वेटर की हालत खराब हो गई और कॉफी का ट्रे उसके हाथों से छूटते छुटते बचा,,,,,,,


अंदर आकर टेबल पर रख दो,,,,,,( इतना कहने के साथ ही सगुन आगे बढ़ी और टेबल के आगे खड़ी होकर वह कुर्सी पर से मैगजीन को थोड़ा सा झुक कर हटाने लगी जो कि पहले से ही पड़ी हुई थी ,,,वह जानबूझकर झुकी थी क्योंकि उसकी पीठ वेटर की तरफ थी ओर झुकने की वजह से उसकी गोलाकार गांड एकदम उभर कर सामने नजर आ रही थी जिसे वेटर ट्रे को रखते रखते प्यासी नजरों से देख रहा था और यह नजारा संजय से बचा नहीं रह सका,,, अपनी बेटी की मदमस्त गोल गोल गांड एक वेटर के द्वारा देखता हुआ पाकर संजय को थोड़ा गुस्सा जरूर आया लेकिन वह कुछ बोला नहीं,,,, वेटर अभी भी प्यासी नजरों से शगुन की गांड को ही देख रहा था,,। यह देखकर संजय को गुस्सा आने लगा था,,,कि कि मर्दों की नजरों को संजय अच्छी तरह से जानता था और इस समय सुकून ने जिस तरह की पैंटी पहनी हुई थी पीछे से उसकी गांड साफ नजर आ रही थी क्योंकि उस पेंटिं में पतली सी डोरी लगी हुई थी जो उसकी गांड की गहराई में छुप गई थी,,,, संजय उस वेटर के पेंट के आगे वाले भाग को साफ-साफ उभरता हुआ देखा,,,क्यों किस बात की गवाही दे रहा था कि उसकी बेटी की गांड को देखकर उस वेटर का लंड खड़ा हो रहा था,,।वह वेटर अपनी नजरों को और देर सेंक पाता इससे पहले ही सगुन अपना कार्यक्रम समेट कर खड़ी हो गई थी,,,,।


थैंक यू,,,


यू वेलकम मैम एंड सर ,,,,,(संजय की तरफ देखकर वह व वेटर बोला,,,।)


ठीक है अब तुम जा सकते हो,,,(संजीव स्वेटर की तरफ देखे बिना ही बोला अभी भी उसके हाथों में व्हिस्की का गिलास था और हाथ में सिगरेट थी वह वेटर उन दोनों को बाप बेटी नहीं बल्कि किसी कपल के रूप में देख रहा था जो कि उसे ऐसा लग रहा था कि होटल में यह दोनों एंजॉय करने आए हैं क्योंकि सब उनको देखकर उसे बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि वह संजय की बेटी है क्योंकि उसके कपड़े इस तरह से नंग धड़ंग थे,,,.)


ठीक है सर कोई भी जरूरत हो तो कॉल कर देना,,,आप दोनों की रात मंगलमय हो,,,,(इतना कहकर वेटर कमरे से बाहर की तरफ जाने लगा तो सागू नहीं उसे दरवाजा लॉक करने के लिए बोली,,, वेटर जा चुका था और टेबल पर कॉफी रखी हुई थी और शगुन उसी तरह से कुर्सी पर अपनी एक टांग रखकर बैठ गई संजय का दील जोरों से धड़क रहा था,,, ना चाहते हुए भी उसकी नजर एक बार फिर से अपनी बेटी के दोनों टांगों के बीच चली गई और उसकी लाल रंग की पैंटी को देखना उसकी आंखों में मदहोशी छाने लगी व्हिस्की का नशा अपना असर दिखा रहा था और शगुन की मदमस्त जवानी की खुमारी अलग कहर ढा रही थी,,,।)


मैं आपको पहले शराब पीते हुए नहीं देखी हुं,,(शगुन कॉफी का कप होठों से लगाते हुए बोली)


मैं जल्दी ड्रिंक नहीं करता कभी कभार ही करता हूं और आज ठंडक कुछ ज्यादा थी तो इसलिए पी लिया,,,,(संजय बातें करते अपनी नजरों को चुराने की बहुत कोशिश कर रहा था लेकिन एक लालच थी उसके मन में अपनी बेटी की दोनों कामों के पीछे झांकने की जो कि वह रोक नहीं पा रहा था और बार-बार अपनी नजरों को दोनों टांगों के बीच ही गड़ा दे रहा था,,,।) तुम्हें ठंडी नहीं लग रही है जो ईस तरह के कपड़े पहनी हो,,,।


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लगती है लेकिन मुझे रात को सोते समय इसी तरह के कपड़े में कंफर्टेबल महसूस होता है यह तो शहर से बाहर है तो इस तरह के कपड़े पहन रही हु घर पर होती तो,,,(इतना कहकर कुछ बोली नहीं बस कॉफी पीने लगी तो संजय ही पूछ बैठा)


घर पर होती तो,,,?
(शकुन अपने पापा के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी वह और कुछ सुनना चाहते थे और शगुन भी सब कुछ कहने के लिए तैयार थे क्योंकि रात भर ओ अपने पापा से चुदवाने का सुख भोग चुकी थी इसलिए उसकी शर्म खत्म हो चुकी थी,,, इसलिए कॉफी की चुस्की लेते हुए बेधड़क बोली,,)


घर पर होती तो बिना कपड़ों के एकदम नंगी सोती,,,,

(अपनी बेटी के मुंह से इस तरह से बेधड़क जवाब सुनकर संजय की हालत खराब हो गई खास करके उसके मुंह से नंगी शब्द सुनकर उसके होश उड़ गए उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,, जवाब सुनकर संजय का चेहरा देखने लायक था वह अपने बाप के चेहरे को देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी और जानबूझकर अपने बाप के सामने ही अपनी बुर खुजलाने का नाटक करते हुए बोली,,)



मुझे रात को कपड़े पहन कर सोने में बिल्कुल भी आरामदायक महसूस नहीं होता,,, इसलिए मैं रात को कपड़े उतार कर सोती हूं,,,,

(अपनी बेटी की बात सुनकर संजय की हालत खराब होने लगी उत्तेजना की लहर दौडने लगी,,,अपनी बेटी को लेकर अपने मन में किसी भी प्रकार की गंदी भावनाओं को जन्म ना देने की कसम खाकर वादा करके संजय अपने मन को मजबूत किए हुए था लेकिन इस समय ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका लंड उसके साथ बगावत करने पर उतारू हो चुका था पेंट में उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था,,, संजय कुर्सी पर पीठ का ठेका लेकर आगे को पैर फैलाए बैठा हुआ था जिससे शगुन को अपने पापा के पेंट के आगे वाला भाग उठता हुआ महसूस हो रहा था और यह देखकर शगुन की आंखों में चमक आ गई,,,,सगुन उसी तरह से कुछ देर तक अपनी दोनों टांगे फैलाए बैठी रही,,,,संजय की नर्सरी बार-बार अपनी बेटी के दोनों टांगों के बीच चली जा रही थी ऐसा लग रहा था जैसे कि वह दोनों टांगों के बीच कुछ ढुंढ रहा था लेकिन पेंटी का परदा होने की वजह से उसे मिल नहीं पा रहा था,,,। शगुन ही बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,)

मेरी एग्जाम तो खत्म हो चुकी है मैं सोच रही थी कल जाने की जगह 2 दिन और रुक जाते हैं तो वहां घूम फिर लेते और अपना टुर भी हो जाता,,,।(संजय कुछ बोला नहीं क्योंकि उसके तन बदन में उसे बदलाव होता हुआ महसूस हो रहा था वह अपने मन पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पा रहा था उसकी बेटी की मादक अदाएं उसका नशीला बदन और उसके कामुक हरकते थे उसके और उड़ा दी थी,,,, शगुन भी अपने पापा का जवाब सुने बिना ही कुर्सी पर से खड़ी हुई और कॉफी का कप लेकर खिड़की की तरफ अपनी गांड को मटकाते हुए जाने लगी,,, संजय प्यासी नजरों से अपनी बेटी की हर एक चाल को देख रहा था इसकी गोल गोल का पानी भरे गुब्बारे की तरह एक एक तरफ लुढ़क जा रही थी,,,, संजय से सहा नहीं जा रहा था,,,, शगुन खिड़की के पास पहुंच कर खिड़की को खोल दी जिसमें से ठंडी हवा कमरे में फैल गई और वह कॉफी का कप लेकर अपने हाथ की कोहनी का सहारा लेकर खिड़की के रेलिंग पर टिका कर खड़ी हो गई जिसकी वजह से उसकी गोल गोल गांड उपर की तरफ उठ गई,,,, शगुन जानती थी कि जिस अवस्था में वह खड़ी थी उसके पापा की नजर उसके पिछवाड़े पर ही होगी और यही तसल्ली करने के लिए पीछे की तरफ नजरघुमा कर देखिए तो संजय को अपनी और ही देखता हुआ पाकर वह मुस्कुराकर खिड़की से बाहर देखने लगी और कॉफी की गर्माहट का मजा लेने लगी,,,, पीछे की तरफ देखने की वजह से संजय की नजरें अपनी बेटी की नजरों से टकरा गई जिसमें उसे सांप अपनी तरफ आगे बढ़ने का आमंत्रण दिख रहा था उस ऐसा लग रहा था कि उसकी बेटी उसे अपने पास बुला रही हो शगुन भी जानबूझकर अपनी गांड को दांय-बाय हिला रही थीऐसा लग रहा था कि हाथों का काम उसकी गांड कर रही थी उसे अपने पास बुला रही थी,,,,,। संजय को समझ नहीं आ रहा था कि ऐसे हालात में वह क्या करें उत्तेजना के मारे उसका लंड पेंट फाड़ कर बाहर आने को उतारू हो गया था,,। संजय को अपनी बेटी की गांड बहुत ही खूबसूरत नजर आ रही थी संजय का मन उसे अपनी हथेली में पकड़कर दबाने को कर रहा था,,,,एक बार फिर अपने लंड को उसकी बुर की गहराई में उतार कर चोदने को कर रहा था,,,,। शगुन को पूरा विश्वास था कि जो वो चाहती है वही होगा वह खुशी का आखिरी घूंट की पीकर बिना पीछे कदम बढ़ाए वह उसी अवस्था में नीचे झुकी और कॉफी के कप को नीचे फर्श पर रखती लेकिन इस तरह से झुकने पर उसकी गोल-गोल गांड और पूरी तरह से उभर कर सामने नजर आने लगी,,,, जो कि संजय से बर्दाश्त के बाहर था उसे रहने 11 वा व्हिस्की का आखरी खुद एक सांस में अपने गले से नीचे उतारकर गिलास को टेबल पर रखा और सिगरेट का आखरी कस खींच कर एश ट्रे में रखकर बुझा दिया,,, सिगरेट की आग तो बुझ चुकी थी लेकिन संजय के बदन की आग फिर से प्रज्वलित हो चुकी थी,,, और यह इस तरह से बुझने वाली नहीं थी,,,।

कुर्सी पर से खड़ा हुआ है सीधे खिड़की के पास अपनी बेटी के करीब पहुंच गया और पीछे से अपना हाथ अपनी बेटी की गांड पर रख दिया,,,, कसमे वादे सब सिगरेट के धुएं में उड़ चुका था,,,, अपनी गांड पर अपने पापा की हथेली महसूस होते ही शगुन के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसके होठों पर मुस्कान तेरने लगी उसे जिस बात की उम्मीद थी वह पूरा होता हुआ महसूस होने लगा,,, संजय बारी बारी से अपनी बेटी की गांड की दोनों फांकों को अपनी हथेली में दबा कर उसका आनंद लुटने लगा,,,।


सहहहहह आआआहहहहहहहह,,,,,((उत्तेजना के मारे सड़कों की सिसकारी फूट पड़ी) क्या हुआ पापा ,,,? (वह मदहोशी भरे कांपते स्वर में बोली,, लेकिन संजय कुछ बोला नहीं उसे अपनी बाहों में भरकर अपने होठों को उसके होठों पर रखकर चूसना शुरू कर दिया,,,, वह कसके शगुन को अपनी बाहों में भर लिया था जिससे पेंट के अंदर उसका खड़ा लंड सीधे उसकी दोनों टांगों के बीच ठोकर मारने लगा था,,,अपने पापा के लंड को अपनी दोनों टांगों के बीच महसुस करते ही शगुन की दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,,
शगुन भी उत्तेजित होने लगी वह भी उत्तेजना के मारे अपने पापा का साथ देते हुए अपने होठों को खोल दी और संजय अपनी जीत को सुकून के मुंह में डालकर चूसने लगा,,,,कुछ देर तक संजय इसी तरह से अपनी बेटी के होठों को चूसता रहा वह जब शांत होगा तो सगुन गर्म सांसे लेते हुए बोली,,,।


दोपहर में तो तुम कसम खाई थी कि अब ऐसा नहीं होगा सब कुछ यहीं खत्म करना होगा,,,,।



नहीं मुझ से नहीं हो सकता,,,, तुम्हारी खूबसूरत बदन में बहुत नशा है,,,, मुझसे बिल्कुल भी नहीं रहा जाएगा,,,(चंडी गहरी सांस लेते हुए बोला और अपने दोनों हाथ नीचे करके अपनी बेटी की गांड को पकड़कर उसे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पर लाकर पटक दिया,,, दोनों बाप बेटी के बदन से कब कपड़े अलग हुए यह दोनों को पता नहीं चला,,, दोनों बिस्तर पर एकदम नंगे थे और सगुन खुद अपने पापा के बाल को पकड़ कर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच ले जा रही थी संजय अपने बेटी के इशारे को समझ गया था और देखते ही देखते वह अपनी बेटी के दोनों टांगों के बीच आकर उसकी रसीली बुर को लपालप चाटना शुरू कर दिया,,,, शगुन के मुंह से गरम सिसकारी गुंजने लगी,,, दिन भर संजय अपने हाथों में गलत काम के पश्चाताप की आग में जल रहा था और ऐसा ना करने की कसम खा रहा था लेकिन रात को ,,, सब कुछ भूल गया था अपनी बेटी की खूबसूरत जिस्म की खुशबू उसे मदहोश कर गई थी वो पागल हो गया था उसकी आंखों में मदहोशी की खुमारी छा गई थी और इसीलिए वह ईस समय बिस्तर पर अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच मुंह मार रहा था,,,,
Sanjay or Shagun

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संजय जितना हो सकता था उतनी जीभ अपनी बेटी की बुर में डालकर उसकी मलाई को चाट रहा था,,,,।

संजय दो बार अपनी बेटी की बुर चाट कर ही उसका पानी निकाल चुका था,,,, शगुन मचल उठी थी अपने बाप के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए,,,।
Shagun or sanjay

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आहहहह ,,,,सहहहहहह ,,, मुझसे रहा नहीं जा रहा पापा,,,,आहहहहह मेरी बुर में लंड डाल दो,,, चोदो मुझे,,,,आहहहहह पापा,,,,,आहहहहहहहह,,,,,
(अपनी बेटी की बातों को सुनकर उसकी गरमा गरम सिसकारी को सुनकर संजय की हालत खराब हो रही थी उसका जोश बढ़ रहा था,,,। वह भी जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी बेटी की बुर में डाल देना चाहता था,,,, लेकिन उससे पहले वह अपना लंड चुसवाना चाहता था,,,
इसलिए वह अपने लंड को सगुन के मुंह में डाल दिया और शगुन उसे लॉलीपॉप की तरह आराम से चूसने लगी उसे लंड चूसने में भी बहुत मजा आता था,,,, और कुछ देर बाद वह शगुन की टांगों के बीच आकर अपने मोटे लंड को अपनी बेटी की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया,,,,जैसा संजय के लिए बेहद अद्भुत था वह पूरी तरह से उत्तेजना से भरा हुआ था दिन भर के उतार-चढ़ाव कशमकश को वह दूर करते हुए शगुन की जबरदस्त चुदाई कर रहा था,,,पूरा कमरा शगुन की गर्म सिसकारी से गुंज रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,,,, क्या सिलसिला होटल के उस कमरे में सुबह के 4:00 बजे तक चलता रहा इसके बाद संजय वहां 2 दिन और रुकने का फैसला किया,,
एक-दो दिन में संजय और शगुन पूरी तरह से एक दूसरे के हो चुके थे दोनों के बीच बाप बेटी का रिश्ता खत्म हो चुका था संजय शगुन के जवान बदन का भरपूर आनंद लूट रहा था,,,, सगुन के लिए यह सब पहली बार था इसलिए संभोग सुख को भरपूर तरीके से उसका आनंद लुट रही थी। दूसरी तरफ सोनू और संध्या दोनों मां बेटे चुदाई का भरपूर मजा ले रहे थे,,,,,,, जितने दिन सुकून और संजय दोनों बाहर थे इतने दिन सोनू और संध्या अपने तरीके से जिंदगी को जी रहे थे और यही काम शगुन और संजय भी कर रहे थे,,,।
लेकिन संध्या और संजय दोनों को अपनी-अपनी चोरी पकड़े जाने का डर बहुत था करे चोरी पकड़ी जाती हो तुम दोनों एक दूसरे की नजरों में गिर जाते हैं और परिवार तबाह होने का पूरा डर था बदनामी अलग से,,,,।

इसलिए समाज में किसी भी प्रकार की कानाफुसी ना हो किसी को इस बात का कानो कान खबर ना हो इसलिए संजय और शगुन दोनों एक दूसरे से वादा किए थे कि घर पर पहुंचते ही वह दोनों उसी तरह से रहेंगे जैसा कि पहले रहते थे अगर मौका मिला तो वह दोनों फिर से संभोग सुख एक दूसरे से प्राप्त करेंगे और यही वादा संध्या और सोनू दोनों मां-बेटे आपस में मिलकर किए थे क्योंकि वह लोग अच्छी तरह से जानते थे कि घर में अगर इस तरह से चलता रहा तो एक न एक दिन दोनों पकड़े जाएंगे और ऐसा वह दोनों बिल्कुल भी नहीं चाहते थे,,,,। जिस तरह से वादा किया था उस तरह से चलने लगा मां बेटे का बाप बेटी दोनों को जब भी मौका मिलता था दोनों चुदाई का सुख भोग लेते लेकिन कभी भी एक दूसरे की हाजिरी में वह दोनों संजय और शगुन और ना ही संध्या और सोनू ने कभी भी गलती नहीं किया इसलिए वह लोग दुनिया की नजर में समाज के नजर में,,, परिवार की नजर में मां बेटी और बाप बेटी बने रहते थे लेकिन जैसे एकांत पाते वह लोग केवल मर्द औरत हो जाते थे जो एक दूसरे से संभोग का भरपूर सुख प्राप्त करते थे,,,।



The end ,,,,,,,,,,,,,, समाप्त,,,,,,,,,,,
 
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NEHAVERMA

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शगुन और संजय दोनों कार में बैठ गए थे,,, संजय अपनी बेटी से नजर नहीं मिला पा रहा था जिसका एक कारण है रात में दोनों के बीच जिस्मानी ताल्लुकात,,, जो की पूरी तरह से अवैध था,,,।संजय यह सोच सोच कर परेशान था कि वह अपनी बेटी के साथ गलत काम कर चुका था जिसमें वह भी पूरी तरह से सहयोगी थी लेकिन फिर भी संजय का मन अंदर से कचोट रहा था,,,,अपनी बेटी से बात करना चाहता था उसे समझाना चाहता था कि जो कुछ भी हुआ है वह बिल्कुल गलत हुआ ऐसा नहीं होना चाहिए था लेकिन कैसे शुरू करें यह उसे पता ही नहीं चल रहा था आखिरकार बात की शुरुआत करते हुए सगुन हीं बोल पड़ी,,,।


आप खामोश क्यों है पापा,,,, रात को जो कुछ भी हुआ आपको मजा नहीं आया क्या,,,?
(अपने बेटे की बात सुनकर संजय पूरी तरह से हैरान था क्योंकि वह एक गंदी लड़की की तरह बात कर रही थी,,,वो कभी अपने सपने में भी सोचा नहीं था कि उसकी बेटी इस तरह से उससे बात करेगी लेकिन इसमें उसकी भी गलती थी उसे आगे नहीं बढ़ना चाहिए था,,,, संजय को अपनी बेटी की बातें सुनकर इस बात का एहसास हो रहा था कि रात कुछ कुछ भी हुआ था उससे उसकी बेटी को बहुत मजा आया था और वह इससे बिल्कुल भी परेशान नहीं है लेकिन फिर भी बाप होने के नाते उसे समझाना जरूरी था क्योंकि वह भटक चुकी थी,,,, इसलिए संजय अपनी बेटी को समझाते हुए बोला,,,)

यह कैसी बातें कर रही हो शगुन जो कुछ भी हुआ सब कुछ गलत था,,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं क्योंकि हम दोनों के बीच का रिश्ता औरत मर्द का नहीं बल्कि बाप बेटी का है,,,

(अपने पापा की बात सुनकर शगुन हैरान थी क्योंकि वह इस रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहती थी उसे इस रिश्ते में मजा आने लगा था पहली बार किसी पुरुष संसर्ग की कामना की पूर्ति उसे मदहोश कर दे रही थी,,,, जब से वह अपने पापा से चुदवाई थी तब से उसे अपनी बुर की अंदर की दीवारों पर अपने पापा का लंड रगडता हुआ महसूस हो रहा था बार-बार उस पल को याद करके वह मस्त हो जा रही थी,,।)


तो क्या हुआ आप मेरे लिए हीरो हो,,,,


तुम समझने की कोशिश करो सगुन जो कुछ भी हुआ सब कुछ गलत था,,, मैं कोई तुम्हारा प्रेमी नहीं हूं,,,,।


लेकिन मैं तो आपको उसी रूप में देखती हूं,,,


पागल मत बनो सगुन,,,,,


क्या मैं खूबसूरत नहीं हु सेक्सी नहीं हुं,,,,,



यह बात बिल्कुल भी नहीं है तुम बहुत खूबसूरत हो सेक्सी हो लेकिन तुम मेरी गर्लफ्रेंड नहीं हो मेरी प्रेमिका नहीं हो,,,, मेरी बेटी हो,,,,। हम दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ उसे सपना समझकर भूल जाना पड़ेगा मुझे भी और तुम्हें भी,,,, इसी में हम दोनों की और पूरे परिवार की भलाई है,,,, अगर ऐसा नहीं हुआ तो सब कुछ बिखर जाएगा तुम यह बात अच्छी तरह से जानती हो सगुन,,,,,



लेकिन पापा यह सब किसी को भी पता नहीं चलेगा,,,,

(शगुन की बातों को सुनकर संजय पूरी तरह से हैरान हो चुका था क्योंकि उसकी बेटी किसी भी तरह से मानने को तैयार ही नहीं थी,,,संजय बार-बार कोशिश कर रहा था लेकिन सगुन पीछे हटने का नाम ही नहीं ले रही थी,,,, संजय अच्छी तरह से समझ रहा था कि इस उमर में लड़के लड़की को अच्छे बुरे सही गलत का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं होता है,,।और यही उसकी बेटी सब उनके साथ भी हो रहा था एक रात में शरीर सुख प्राप्त करके वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी और बार-बार उसी सुख की कामना कर रही थी,,, जोकि संजय के लिए नामुमकिन सा लगने लगा था क्योंकि संजय जानता था कि जो कुछ भी उसने किया था वह बिल्कुल गलत था,,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी,,, संजय कार को सड़क पर दौड़ा रहा था,,, शहर की खूबसूरती सड़क के किनारे बड़े अच्छे से नजर आ रही थी,,,, धीरे-धीरे शाम ढलने लगी थी,,, वातावरण में ठंडक बढ़ती जा रही थी और संजय होटल कार रोककर होटल में प्रवेश किया,,, होटल में काफी भीड़ थी तो वेटर उन्हें टेरेस पर खुले में डिनर के लिए आमंत्रित किया,,,, वहां पर पहुंचकर संजय‌और शगुन को काफी अच्छा लग रहा था,,,, टेरस पर चारों तरफ हर एक टेबल पर एक जोड़ा बैठा हुआ था शायद यह कपल के लिए ही बना था,,,,,, संजय खाली टेबल देख कर वहीं पर बैठ गया सामने शगुन भी बैठ गई,,,,थोड़ी देर में वेटर आया और आर्डर लेकर चला गया,,,,। संजय खामोश था,,,, इसलिए खामोशी को तोड़ते हुए शगुन बोली,,।



आप क्या चाहते हो पापा,,,,?


मैं यही चाहता हूं कि जो कुछ भी हुआ बस यहीं पर खत्म हो जाए,,,,,,।
(संजय की बातों से उसके चेहरे को देखकर साफ पता चल रहा था कि जो कुछ भी कहा था उसका उसे बहुत पछतावा था और यह सब कुछ और जल्द से जल्द खत्म कर देना चाहता था,,,)


ठीक है,,,, मैं भी सब कुछ खत्म कर दूंगी,,, हम दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ मैं सपना समझ कर भूल जाती हु,,, लेकिन इसके बावजूद भी अगर कुछ हुआ तो,,,,



नहीं होगा कुछ भी नहीं होगा मैं गारंटी देता हूं कुछ भी नहीं होगा,,,,,,,,(संजय एकदम विश्वास भरे शब्द में बोला क्योंकि मैं जानता था कि अगर वह अपने आप पर काबू कर पाएगा तो सब कुछ सही होगा और उसे पूरा यकीन था कि वह अपने आप पर काबू कर लेगा,,,,)


अगर कहीं आप का इमान फिसल गया तो,,,,


कैसी बातें कर रही हो,,,, ऐसा भला कैसे हो सकता है,,,।


क्योंकि मैं आपको मम्मी के साथ देखी हूं उनकी लेते समय एकदम पागल हो जाते हो,,,, कल रात तो एकदम जवान लड़की के साथ सब कुछ किए हो,,, हो सकता है नएपन के कारण आप अपने आप पर काबू ना कर पाओ तो,,,।


देखो सगुन में सब कुछ कर लूंगा बस तुम अपनी जिद छोड़ दो,,,।


ठीक है जैसी आपकी मर्जी,,,, मैं तो आपको अपना हीरो समझती थी,,, समझती थी क्या आप हो मेरे हीरो,,,, खेर मैं अब अपना सारा ध्यान अपने कैरियर पर लगाऊंगी,, ठीक है,,,(शगुन अपने पापा की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली,,, जवाब में संजय भी मुस्कुराता हुआ हा में सिर हीला दिया,,,,, थोड़ी देर में वेटर ऑर्डर लेकर आ गया और दोनों बाप बेटी आराम से खाना खाने लगे शगुन को यह सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था,,,। वह सब कुछ यहीं खत्म नहीं करना चाहती थी बल्कि आगे बढ़ना चाहती थी क्योंकि,,, जो सुख से पापा ने रात को उसे दिया था वह उस सुख को बार-बार महसूस करना चाहती थी,,,,बार-बार उसे अपनी दोनों टांगों के बीच अपने पापा का लंड अंदर बाहर होता हुआ महसूस हो रहा था,,, उस मदहोश कर देने वाली पलकों वह भुला नहीं पा रही थी बस अच्छी नहीं थी कि उसके पापा सब कुछ इतनी जल्दी खत्म कर देंगे क्योंकि वह चाहती थी कि उसके पापा उसकी मां की बुर की रोज चुदाई करते हैं और उसकी मां के मुकाबले उसकी बुर काफी
कसी हुई थी निश्चित तौर पर उसे पूरा यकीन था कि उसकी कसी हुई बुर चोदने में उसके पापा को बहुत मजा आया होगा और उस मजे को उसके पापा बार बार लेना चाहेंगे,,,लेकिन उसके पापा ने सब कुछ खत्म कर दिया था इस रिश्ते को यहीं खत्म करने की ठान लिया था इसके लिए शगुन का मन उदास था,,, लेकिन उसे विश्वास था कि उसके माध्यम खूबसूरत सेक्सी बदन को देख कर उसके पापा का मन फिर से फिसल जाएगा इसी आस से वह खाना खाने लगी,,,,,,,दोनों खाना खा रहे थे कि संजय की नजर अपने पास वाले टेबल पर कई जहां पर एक कपल बैठा हुआ था,,, और संजय को साफ नजर आ रहा था कि वह आदमी अपने जूते निकाल कर अपने पैर को उठाकर सामने बैठी लड़कियों की स्कर्ट पहने हुए थी और इस समय में अपनी दोनों टांगों का फैलाई हुई थी ,,, और वह आदमी अपने पैर के अंगूठे से उसकी पेंटिं वाली जगह को कुरेद रहा था यह देखकर संजय कि तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ऊठी और उसी समय शगुन की भी नजर उस‌ कपल पर पड़ गई दोनों बाप बेटी एक साथ उस नजारे को देख रहे थे,,,, सगुन उस नजारे को देख कर मुस्कुरा दी,,,।, संजय को जब इस बात का अहसास हुआ तो वह शर्मा कर अपनी नजरें नीचे कर लिया और खाना खाने लगा दोनों ही थोड़ी देर में खाना खाकर होटल से निकल गए और जहां पर ठहरे थे उस होटल में आ गए,,,।

संजय कुर्सी पर बैठकर अपने कमरे में व्हिस्की की चुस्की ले रहा था और सिगरेट पी रहा था हालांकि ऐसा संजय तभी करता था जब उसका दिमाग टेंशन में रहता था,,, शगुन अपने पापा पर अपनी जवानी की मादकता बिखेरने को पूरी तरह से तैयार थी,,,,,, वातावरण में पहले से ही ठंडक थी लेकिन कपड़े बदलते समय जानबूझकर शगुन छोटा सा फ्रॉक की तरह नाईट ड्रेस पहन लो क्योंकि पूरी तरह से ट्रांसपेरेंट था उसमें से सब कुछ नजर आ रहा है और वह फ्रॉक टाइप का नाइट ड्रेस भी बड़ी मुश्किल से उसके नितंबों को घेराव को छुपा पा रहा था लेकिन उसमें के अंदर के नजारे को छुपा पाना उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था लाल रंग की पेंट ट्रांसपेरेंट नाईट ड्रेस में से नजर आ रही थी और साथ ही लाल रंग की ब्रा भी,,,,,, सगुन भी कुर्सी खींच कर अपने पापा के सामने बैठ गई,,,,,, संजय एक नजर सब उनके ऊपर डाला और फिर वापस सिगरेट का कश खींचने लगा,,,, उसके हाथ में व्हिस्की का गिलास था,,, शगुन पूरी तरह से अपनी जवानी का नशा अपने बाप पर चढ़ा देना चाहती थी ईसलिएअपने पापा की आंखों के सामने उसे देखते भी अपनी एक टांग उठाकर कुर्सी पर रख दी और एक टांग को हल्के से खोल दी,,,जिससे उसके पापा को उसकी टांगों के बीच कि वह खूबसूरत जगह नजर आने लगे जिस पर पेंटी का हल्का सा पर्दा चढ़ा हुआ था,,,, और ऐसा ही हुआ संजय की नजर सीधे अपनी बेटी के दोनों टांगों के बीच चली गई और उस नजारे को देख कर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,,। संजय हडबडाकर अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर लिया,,,, सगुन अपने पापा की हरकत पर मुस्कुरा दी,,, वो कुछ बोल पाती ईससे पहले ही दरवाजे पर वेटर ने दस्तक दे दिया,,,।

लगता है कॉफी आ गई ,, (और इतना कहकर वह कुर्सी पर से खड़ी हो गई,,, सगुन जानती थी कि उसके पापा उसी को ही देखेंगे ,,, वह मादक चाल चलते हुए दरवाजे तक पहुंच गई,,,संजय से रहा नहीं गया और वह नजरों को तिरछी करके अपनी बेटी की तरफ देखने लगा उसकी मादक चाल उसकी गोल-गोल नितंब उसके नसों में मदहोशी का नशा भर रहा था,,,। छोटी सी ड्रेस में लाल रंग की पेंटिं शगुन की गांड किसी पैक किए हुए उपहार की तरह लग रही थी,,, जिसे देखकर संजय के मुंह में खुद पानी आने लगा था,,, दरवाजा खुलता है से पहले संजय फिर से अपनी नजरों को दुरुस्त करके व्हिस्की का पैक पीने लगा,,,,,,

दरवाजा खुलते ही बेटर मुस्कुराते हुए ट्रे में कॉफी लेकर आया और शगुन उसे मुस्कुराकर अंदर आने के लिए अभिवादन की,,, वेटर के कमरे में दाखिल होने से पहले ही उसकी नजर शगुन के खूबसूरत बदन पर गई और ट्रांसपेरेंट छोटी सी फ्रॉक को देखकर उसकी तो हालत खराब हो गई उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,, उस ट्रांसपेरेंट फ्रॉक में से शगुन का सब कुछ नजर आ रहा था जिसे देखकर वेटर की हालत खराब हो गई और कॉफी का ट्रे उसके हाथों से छूटते छुटते बचा,,,,,,,


अंदर आकर टेबल पर रख दो,,,,,,( इतना कहने के साथ ही सगुन आगे बढ़ी और टेबल के आगे खड़ी होकर वह कुर्सी पर से मैगजीन को थोड़ा सा झुक कर हटाने लगी जो कि पहले से ही पड़ी हुई थी ,,,वह जानबूझकर झुकी थी क्योंकि उसकी पीठ वेटर की तरफ थी ओर झुकने की वजह से उसकी गोलाकार गांड एकदम उभर कर सामने नजर आ रही थी जिसे वेटर ट्रे को रखते रखते प्यासी नजरों से देख रहा था और यह नजारा संजय से बचा नहीं रह सका,,, अपनी बेटी की मदमस्त गोल गोल गांड एक वेटर के द्वारा देखता हुआ पाकर संजय को थोड़ा गुस्सा जरूर आया लेकिन वह कुछ बोला नहीं,,,, वेटर अभी भी प्यासी नजरों से शगुन की गांड को ही देख रहा था,,। यह देखकर संजय को गुस्सा आने लगा था,,,कि कि मर्दों की नजरों को संजय अच्छी तरह से जानता था और इस समय सुकून ने जिस तरह की पैंटी पहनी हुई थी पीछे से उसकी गांड साफ नजर आ रही थी क्योंकि उस पेंटिं में पतली सी डोरी लगी हुई थी जो उसकी गांड की गहराई में छुप गई थी,,,, संजय उस वेटर के पेंट के आगे वाले भाग को साफ-साफ उभरता हुआ देखा,,,क्यों किस बात की गवाही दे रहा था कि उसकी बेटी की गांड को देखकर उस वेटर का लंड खड़ा हो रहा था,,।वह वेटर अपनी नजरों को और देर सेंक पाता इससे पहले ही सगुन अपना कार्यक्रम समेट कर खड़ी हो गई थी,,,,।


थैंक यू,,,


यू वेलकम मैम एंड सर ,,,,,(संजय की तरफ देखकर वह व वेटर बोला,,,।)


ठीक है अब तुम जा सकते हो,,,(संजीव स्वेटर की तरफ देखे बिना ही बोला अभी भी उसके हाथों में व्हिस्की का गिलास था और हाथ में सिगरेट थी वह वेटर उन दोनों को बाप बेटी नहीं बल्कि किसी कपल के रूप में देख रहा था जो कि उसे ऐसा लग रहा था कि होटल में यह दोनों एंजॉय करने आए हैं क्योंकि सब उनको देखकर उसे बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि वह संजय की बेटी है क्योंकि उसके कपड़े इस तरह से नंग धड़ंग थे,,,.)


ठीक है सर कोई भी जरूरत हो तो कॉल कर देना,,,आप दोनों की रात मंगलमय हो,,,,(इतना कहकर वेटर कमरे से बाहर की तरफ जाने लगा तो सागू नहीं उसे दरवाजा लॉक करने के लिए बोली,,, वेटर जा चुका था और टेबल पर कॉफी रखी हुई थी और शगुन उसी तरह से कुर्सी पर अपनी एक टांग रखकर बैठ गई संजय का दील जोरों से धड़क रहा था,,, ना चाहते हुए भी उसकी नजर एक बार फिर से अपनी बेटी के दोनों टांगों के बीच चली गई और उसकी लाल रंग की पैंटी को देखना उसकी आंखों में मदहोशी छाने लगी व्हिस्की का नशा अपना असर दिखा रहा था और शगुन की मदमस्त जवानी की खुमारी अलग कहर ढा रही थी,,,।)


मैं आपको पहले शराब पीते हुए नहीं देखी हुं,,(शगुन कॉफी का कप होठों से लगाते हुए बोली)


मैं जल्दी ड्रिंक नहीं करता कभी कभार ही करता हूं और आज ठंडक कुछ ज्यादा थी तो इसलिए पी लिया,,,,(संजय बातें करते अपनी नजरों को चुराने की बहुत कोशिश कर रहा था लेकिन एक लालच थी उसके मन में अपनी बेटी की दोनों कामों के पीछे झांकने की जो कि वह रोक नहीं पा रहा था और बार-बार अपनी नजरों को दोनों टांगों के बीच ही गड़ा दे रहा था,,,।) तुम्हें ठंडी नहीं लग रही है जो ईस तरह के कपड़े पहनी हो,,,।


लगती है लेकिन मुझे रात को सोते समय इसी तरह के कपड़े में कंफर्टेबल महसूस होता है यह तो शहर से बाहर है तो इस तरह के कपड़े पहन रही हु घर पर होती तो,,,(इतना कहकर कुछ बोली नहीं बस कॉफी पीने लगी तो संजय ही पूछ बैठा)


घर पर होती तो,,,?
(शकुन अपने पापा के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी वह और कुछ सुनना चाहते थे और शगुन भी सब कुछ कहने के लिए तैयार थे क्योंकि रात भर ओ अपने पापा से चुदवाने का सुख भोग चुकी थी इसलिए उसकी शर्म खत्म हो चुकी थी,,, इसलिए कॉफी की चुस्की लेते हुए बेधड़क बोली,,)


घर पर होती तो बिना कपड़ों के एकदम नंगी सोती,,,,

(अपनी बेटी के मुंह से इस तरह से बेधड़क जवाब सुनकर संजय की हालत खराब हो गई खास करके उसके मुंह से नंगी शब्द सुनकर उसके होश उड़ गए उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,, जवाब सुनकर संजय का चेहरा देखने लायक था वह अपने बाप के चेहरे को देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी और जानबूझकर अपने बाप के सामने ही अपनी बुर खुजलाने का नाटक करते हुए बोली,,)


मुझे रात को कपड़े पहन कर सोने में बिल्कुल भी आरामदायक महसूस नहीं होता,,, इसलिए मैं रात को कपड़े उतार कर सोती हूं,,,,

(अपनी बेटी की बात सुनकर संजय की हालत खराब होने लगी उत्तेजना की लहर दौडने लगी,,,अपनी बेटी को लेकर अपने मन में किसी भी प्रकार की गंदी भावनाओं को जन्म ना देने की कसम खाकर वादा करके संजय अपने मन को मजबूत किए हुए था लेकिन इस समय ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका लंड उसके साथ बगावत करने पर उतारू हो चुका था पेंट में उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था,,, संजय कुर्सी पर पीठ का ठेका लेकर आगे को पैर फैलाए बैठा हुआ था जिससे शगुन को अपने पापा के पेंट के आगे वाला भाग उठता हुआ महसूस हो रहा था और यह देखकर शगुन की आंखों में चमक आ गई,,,,सगुन उसी तरह से कुछ देर तक अपनी दोनों टांगे फैलाए बैठी रही,,,,संजय की नर्सरी बार-बार अपनी बेटी के दोनों टांगों के बीच चली जा रही थी ऐसा लग रहा था जैसे कि वह दोनों टांगों के बीच कुछ ढुंढ रहा था लेकिन पेंटी का परदा होने की वजह से उसे मिल नहीं पा रहा था,,,। शगुन ही बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,)

मेरी एग्जाम तो खत्म हो चुकी है मैं सोच रही थी कल जाने की जगह 2 दिन और रुक जाते हैं तो वहां घूम फिर लेते और अपना टुर भी हो जाता,,,।(संजय कुछ बोला नहीं क्योंकि उसके तन बदन में उसे बदलाव होता हुआ महसूस हो रहा था वह अपने मन पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पा रहा था उसकी बेटी की मादक अदाएं उसका नशीला बदन और उसके कामुक हरकते थे उसके और उड़ा दी थी,,,, शगुन भी अपने पापा का जवाब सुने बिना ही कुर्सी पर से खड़ी हुई और कॉफी का कप लेकर खिड़की की तरफ अपनी गांड को मटकाते हुए जाने लगी,,, संजय प्यासी नजरों से अपनी बेटी की हर एक चाल को देख रहा था इसकी गोल गोल का पानी भरे गुब्बारे की तरह एक एक तरफ लुढ़क जा रही थी,,,, संजय से सहा नहीं जा रहा था,,,, शगुन खिड़की के पास पहुंच कर खिड़की को खोल दी जिसमें से ठंडी हवा कमरे में फैल गई और वह कॉफी का कप लेकर अपने हाथ की कोहनी का सहारा लेकर खिड़की के रेलिंग पर टिका कर खड़ी हो गई जिसकी वजह से उसकी गोल गोल गांड उपर की तरफ उठ गई,,,, शगुन जानती थी कि जिस अवस्था में वह खड़ी थी उसके पापा की नजर उसके पिछवाड़े पर ही होगी और यही तसल्ली करने के लिए पीछे की तरफ नजरघुमा कर देखिए तो संजय को अपनी और ही देखता हुआ पाकर वह मुस्कुराकर खिड़की से बाहर देखने लगी और कॉफी की गर्माहट का मजा लेने लगी,,,, पीछे की तरफ देखने की वजह से संजय की नजरें अपनी बेटी की नजरों से टकरा गई जिसमें उसे सांप अपनी तरफ आगे बढ़ने का आमंत्रण दिख रहा था उस ऐसा लग रहा था कि उसकी बेटी उसे अपने पास बुला रही हो शगुन भी जानबूझकर अपनी गांड को दांय-बाय हिला रही थीऐसा लग रहा था कि हाथों का काम उसकी गांड कर रही थी उसे अपने पास बुला रही थी,,,,,। संजय को समझ नहीं आ रहा था कि ऐसे हालात में वह क्या करें उत्तेजना के मारे उसका लंड पेंट फाड़ कर बाहर आने को उतारू हो गया था,,। संजय को अपनी बेटी की गांड बहुत ही खूबसूरत नजर आ रही थी संजय का मन उसे अपनी हथेली में पकड़कर दबाने को कर रहा था,,,,एक बार फिर अपने लंड को उसकी बुर की गहराई में उतार कर चोदने को कर रहा था,,,,। शगुन को पूरा विश्वास था कि जो वो चाहती है वही होगा वह खुशी का आखिरी घूंट की पीकर बिना पीछे कदम बढ़ाए वह उसी अवस्था में नीचे झुकी और कॉफी के कप को नीचे फर्श पर रखती लेकिन इस तरह से झुकने पर उसकी गोल-गोल गांड और पूरी तरह से उभर कर सामने नजर आने लगी,,,, जो कि संजय से बर्दाश्त के बाहर था उसे रहने 11 वा व्हिस्की का आखरी खुद एक सांस में अपने गले से नीचे उतारकर गिलास को टेबल पर रखा और सिगरेट का आखरी कस खींच कर एश ट्रे में रखकर बुझा दिया,,, सिगरेट की आग तो बुझ चुकी थी लेकिन संजय के बदन की आग फिर से प्रज्वलित हो चुकी थी,,, और यह इस तरह से बुझने वाली नहीं थी,,,।

कुर्सी पर से खड़ा हुआ है सीधे खिड़की के पास अपनी बेटी के करीब पहुंच गया और पीछे से अपना हाथ अपनी बेटी की गांड पर रख दिया,,,, कसमे वादे सब सिगरेट के धुएं में उड़ चुका था,,,, अपनी गांड पर अपने पापा की हथेली महसूस होते ही शगुन के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसके होठों पर मुस्कान तेरने लगी उसे जिस बात की उम्मीद थी वह पूरा होता हुआ महसूस होने लगा,,, संजय बारी बारी से अपनी बेटी की गांड की दोनों फांकों को अपनी हथेली में दबा कर उसका आनंद लुटने लगा,,,।


सहहहहह आआआहहहहहहहह,,,,,((उत्तेजना के मारे सड़कों की सिसकारी फूट पड़ी) क्या हुआ पापा ,,,? (वह मदहोशी भरे कांपते स्वर में बोली,, लेकिन संजय कुछ बोला नहीं उसे अपनी बाहों में भरकर अपने होठों को उसके होठों पर रखकर चूसना शुरू कर दिया,,,, वह कसके शगुन को अपनी बाहों में भर लिया था जिससे पेंट के अंदर उसका खड़ा लंड सीधे उसकी दोनों टांगों के बीच ठोकर मारने लगा था,,,अपने पापा के लंड को अपनी दोनों टांगों के बीच महसुस करते ही शगुन की दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,,
शगुन भी उत्तेजित होने लगी वह भी उत्तेजना के मारे अपने पापा का साथ देते हुए अपने होठों को खोल दी और संजय अपनी जीत को सुकून के मुंह में डालकर चूसने लगा,,,,कुछ देर तक संजय इसी तरह से अपनी बेटी के होठों को चूसता रहा वह जब शांत होगा तो सगुन गर्म सांसे लेते हुए बोली,,,।


दोपहर में तो तुम कसम खाई थी कि अब ऐसा नहीं होगा सब कुछ यहीं खत्म करना होगा,,,,।



नहीं मुझ से नहीं हो सकता,,,, तुम्हारी खूबसूरत बदन में बहुत नशा है,,,, मुझसे बिल्कुल भी नहीं रहा जाएगा,,,(चंडी गहरी सांस लेते हुए बोला और अपने दोनों हाथ नीचे करके अपनी बेटी की गांड को पकड़कर उसे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पर लाकर पटक दिया,,, दोनों बाप बेटी के बदन से कब कपड़े अलग हुए यह दोनों को पता नहीं चला,,, दोनों बिस्तर पर एकदम नंगे थे और सगुन खुद अपने पापा के बाल को पकड़ कर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच ले जा रही थी संजय अपने बेटी के इशारे को समझ गया था और देखते ही देखते वह अपनी बेटी के दोनों टांगों के बीच आकर उसकी रसीली बुर को लपालप चाटना शुरू कर दिया,,,, शगुन के मुंह से गरम सिसकारी गुंजने लगी,,, दिन भर संजय अपने हाथों में गलत काम के पश्चाताप की आग में जल रहा था और ऐसा ना करने की कसम खा रहा था लेकिन रात को ,,, सब कुछ भूल गया था अपनी बेटी की खूबसूरत जिस्म की खुशबू उसे मदहोश कर गई थी वो पागल हो गया था उसकी आंखों में मदहोशी की खुमारी छा गई थी और इसीलिए वह ईस समय बिस्तर पर अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच मुंह मार रहा था,,,, संजय जितना हो सकता था उतनी जीभ अपनी बेटी की बुर में डालकर उसकी मलाई को चाट रहा था,,,,।

संजय दो बार अपनी बेटी की बुर चाट कर ही उसका पानी निकाल चुका था,,,, शगुन मचल उठी थी अपने बाप के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए,,,।


आहहहह ,,,,सहहहहहह ,,, मुझसे रहा नहीं जा रहा पापा,,,,आहहहहह मेरी बुर में लंड डाल दो,,, चोदो मुझे,,,,आहहहहह पापा,,,,,आहहहहहहहह,,,,,
(अपनी बेटी की बातों को सुनकर उसकी गरमा गरम सिसकारी को सुनकर संजय की हालत खराब हो रही थी उसका जोश बढ़ रहा था,,,। वह भी जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी बेटी की बुर में डाल देना चाहता था,,,, लेकिन उससे पहले वह अपना लंड चुसवाना चाहता था,,,
इसलिए वह अपने लंड को सगुन के मुंह में डाल दिया और शगुन उसे लॉलीपॉप की तरह आराम से चूसने लगी उसे लंड चूसने में भी बहुत मजा आता था,,,, और कुछ देर बाद वह शगुन की टांगों के बीच आकर अपने मोटे लंड को अपनी बेटी की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया,,,,जैसा संजय के लिए बेहद अद्भुत था वह पूरी तरह से उत्तेजना से भरा हुआ था दिन भर के उतार-चढ़ाव कशमकश को वह दूर करते हुए शगुन की जबरदस्त चुदाई कर रहा था,,,पूरा कमरा शगुन की गर्म सिसकारी से गुंज रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,,,, क्या सिलसिला होटल के उस कमरे में सुबह के 4:00 बजे तक चलता रहा इसके बाद संजय वहां 2 दिन और रुकने का फैसला किया,,
एक-दो दिन में संजय और शगुन पूरी तरह से एक दूसरे के हो चुके थे दोनों के बीच बाप बेटी का रिश्ता खत्म हो चुका था संजय शगुन के जवान बदन का भरपूर आनंद लूट रहा था,,,, सगुन के लिए यह सब पहली बार था इसलिए संभोग सुख को भरपूर तरीके से उसका आनंद लुट रही थी। दूसरी तरफ सोनू और संध्या दोनों मां बेटे चुदाई का भरपूर मजा ले रहे थे,,,,,,, जितने दिन सुकून और संजय दोनों बाहर थे इतने दिन सोनू और संध्या अपने तरीके से जिंदगी को जी रहे थे और यही काम शगुन और संजय भी कर रहे थे,,,।
लेकिन संध्या और संजय दोनों को अपनी-अपनी चोरी पकड़े जाने का डर बहुत था करे चोरी पकड़ी जाती हो तुम दोनों एक दूसरे की नजरों में गिर जाते हैं और परिवार तबाह होने का पूरा डर था बदनामी अलग से,,,,।

इसलिए समाज में किसी भी प्रकार की कानाफुसी ना हो किसी को इस बात का कानो कान खबर ना हो इसलिए संजय और शगुन दोनों एक दूसरे से वादा किए थे कि घर पर पहुंचते ही वह दोनों उसी तरह से रहेंगे जैसा कि पहले रहते थे अगर मौका मिला तो वह दोनों फिर से संभोग सुख एक दूसरे से प्राप्त करेंगे और यही वादा संध्या और सोनू दोनों मां-बेटे आपस में मिलकर किए थे क्योंकि वह लोग अच्छी तरह से जानते थे कि घर में अगर इस तरह से चलता रहा तो एक न एक दिन दोनों पकड़े जाएंगे और ऐसा वह दोनों बिल्कुल भी नहीं चाहते थे,,,,। जिस तरह से वादा किया था उस तरह से चलने लगा मां बेटे का बाप बेटी दोनों को जब भी मौका मिलता था दोनों चुदाई का सुख भोग लेते लेकिन कभी भी एक दूसरे की हाजिरी में वह दोनों संजय और शगुन और ना ही संध्या और सोनू ने कभी भी गलती नहीं किया इसलिए वह लोग दुनिया की नजर में समाज के नजर में,,, परिवार की नजर में मां बेटी और बाप बेटी बने रहते थे लेकिन जैसे एकांत पाते वह लोग केवल मर्द औरत हो जाते थे जो एक दूसरे से संभोग का भरपूर सुख प्राप्त करते थे,,,।



The end ,,,,,,,,,,,,,, समाप्त,,,,,,,,,,,
waaoooo but yaha ant nahi karni chahiye thi. abi to is story ka sabse sexy part baki hi rah gaya mere hisab se,
Bhai ke saath bhi karwate to aur romatic aur sexy hota, lekin aap ki soch h job kia bahut hi shandar tha.
love your story
 

Naik

Well-Known Member
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मां बेटे के बीच का रिश्ता और दूरियां पूरी तरह से खत्म हो चुकी थी संध्या को अपने बेटे का गुड मॉर्निंग करने का तरीका बहुत ही अच्छा और लुभावना लगा था लेकिन संध्या को अपने बेटे कि वह प्यारी सी हरकत उसके सोए अरमान को जगा गई थी,,, शादी के दिनों से ही उसकी ख्वाहिश थी कि उसका पति संजय उसकी गांड मारे लेकिन ऐसा कभी नहीं हो पाया था,,। उसकी सहेलियां हमेशा उसे अपनी गांड मराने की गाथा सुनाया करती थी,,। जिसे सुनकर संध्या और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाती थी और उनकी तरह ही वह खुद भी यही चाहती थी लेकिन कभी अपने मुंह से अपनी मंशा बता नहीं पाई थी लेकिन इशारों ही इशारों में बहुत बार अपने पति के सामने बिस्तर पर इस बारे में जिक्र की थी लेकीन संजय उसके इशारे को समझ नहीं पाया था,,,। संध्या बार-बार अपनी बुक चटवाने के बहाने अपनी गांड का छेद भी अपने पति संजय के होठों पर रख देती थी लेकिन वह उसमे बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं ले रहा था,,।
इसलिए वह भी कुछ समय तक प्रयास करती रही लेकिन उसकी दाल नहीं गली तो वह भी अपने अरमानों का गला घोंटकर अपने पति के साथ चुदाई में भरपूर मजा लूटती रहीं,,, लेकिन बरसो बाद उसकी चाहत एक बार फिर जाग चुकी थी उसके बेटा सोनु ने उसके अरमानों को एक नया पंख लगा दिया था,, संध्या अपने बेटे के साथ अपनी हर एक हसरत को पूरी करना चाहती थी,,, उस रात का बेसब्री से इंतजार था उसे पूरा यकीन था कि उसका बेटा उसके अरमान को जरूर पूरा करेगा उसके सपने को जरूर पूरा करेगा,,,,।


खाना खाने के बाद तकरीबन रात को 11:00 बजे संध्या अपना काम निपटा कर अपने कमरे में पहुंच गई और अपने बेटे का इंतजार करने का की क्योंकि वो जानती थी उसका बेटा थोड़ी देर में उसके पास जरूर आ जाएगा,,, जवानी का मजा लूटने,,,, लेकिन अपने बेटे के आने से पहले संध्या ट्रांसपेरेंट गाउन पहन ली थी और जालीदार पेंटी और ब्रा जो की फोटो उसके बेटे को पसंद थी अपनी चिकनी बुर पर मादक लेडीज परफ्यूम छांट कर वह उसे और खुशबूदार बना दी थी,,,। कमरे का दरवाजा खुला छोड़ रखी थी,,,
सोनू को भी अपनी मां की बुर की आदत पड़ चुकी थी जब तक अपना घर अपनी मां की गोद में डालकर चोदता नहीं था तब तक उसे नींद नहीं आती है और वैसे भी शगुन और संजय की गैरमौजूदगी में उनके पास भरपूर मौका था जिंदगी का असली सुख लूटने के लिए,,,

सोनू भी अपनी मां के कमरे के दरवाजे पर पहुंच गया और दरवाजे को हाथ से धक्का देकर खोलते हुए बोला,,,।


क्या मैं अंदर आ सकता हूं,,,?


क्यों नहीं तेरा ही तो इंतजार कर रही हूं,,,,(बिस्तर पर लेटी हुई संध्या अपने पैर के घुटनों के बल और कर अपनी गाउन नीचे कमर तक सरकने का इजाजत देते हुए,, अपने मोबाइल को पास में पड़े टेबल पर रखते हुए बोली,,, सोनू अपनी मां का मानक रूप देखकर पूरी तरह से वासना के सागर में डुबकी लगाने को तैयार हो गया सोनू को अपनी मां की मोटी मोटी चिकनी जांघें एकदम साफ नजर आ रही थी,,, सोनू भी बिना देरी किए कमरे के अंदर दाखिल होकर दरवाजा को लोक कर दिया हालांकि घर में कोई भी नहीं था लेकिन फिर भी वह दरवाजे को खुला नहीं छोड़ना चाहता था,,, बिस्तर के करीब पहुंचकर अपनी मां के ट्रांसपेरेंट गाउन को ऊपर से नीचे की तरफ देखते हुए बोला,,)

वह मम्मी आज तो तुम बहुत सेक्सी लग रही हो,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर खास करके सेक्सी शब्द सुनकर उसके तन बदन में हलचल सी होने लगी,,, उसे अपने बेटे का सेक्सी कहना बहुत ही मादक एहसास करा रहा था,, उसका रोम-रोम पुलकित हुआ जा रहा था,,,सोनू की मदहोशी बढ़ती जा रही थी उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी आंखों के सामने बिस्तर पर कोई फिल्म की हीरोइन लेटी हुई है इस उम्र में भी उसकी मां बहुत ही सेक्सी और खूबसूरत थी,,,, अपने बेटे की बात सुनकर संध्या बोली,,)

तुझे क्या मैं इसी तरह के कपड़े में सेक्सी लगती हुं,,,, और नहीं,,,,


नहीं-नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं है तुम तो मुझे हर तरीके से बहुत सेक्सी लगती है खास करके जब बिना कपड़ों की होती हो तब,,,,,,,।


मतलब की जब मैं नंगी होती हु तब,,,,,(मादक मुस्कान बिखेरते हुए संध्या बोली,,,)


तब क्या मम्मी तुम्हें अगर कोई गैर आदमी नंगा देख ले तो यकीनन उसका तो ऐसे ही पानी छूट जाए,,,,(सोनू बिस्तर पर पैर मोड़ कर चढ़ते हुए बोला,,,,,,)


अच्छा तो यह बात है,,,, तो मुझे नंगी देखकर तेरा क्यों नहीं निकला था,,,


तो मैं कोई गैर थोड़ी हु,,,,


क्यों तु मुझे बार-बार देख चुका है क्या नंगी,,,,


बहुत बार,,,,(अपनी मां की नंगी चिकनी टांगों पर उंगलियां फेरते हुए बोला,,,)


इसका मतलब है कि तुझे मैं नंगी ज्यादा ही अच्छी लगती हुं,,,


हां वह तो है,,,,



फिर अभी तक मैं कपड़ों में क्यो हु,,,,(संध्या इशारों में ही बात करते हुए बोली क्योंकि वह जल्द से जल्द अपने बेटे के सामने नंगी होना चाहती थी,,,,)

तो फिर उतार दूं तुम्हारे कपड़े नंगी कर दु तुम्हें,,,


नेकी और पूछ पूछ ,,(संध्या मुस्कुराते हुए बोली,, दोनों मां-बेटे के बीच इस तरह से बात हो रही थी एक मर्द और औरत के बीच होती है दोनों की बातों को सुनकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि दोनों रिश्ते से मां बेटे हैं,,, ऐसा लग रहा था कि दोनों पति पत्नी या प्रेमी प्रेमिका है,,, दोनों की बातें बेहद कामुक और मदहोश कर देने वाली थी,,, मां बेटे में बिल्कुल भी शर्म नहीं रह गई थी,,, अपनी मां की बात सुनते ही सोनू अपना दूसरा फोटो बिस्तर पर रखकर बेड पर चढ़ गया और अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर पहले तो वह ट्रांसपेरेंट गाउन में से झांक रही अपनी मां की मदमस्त चुचियों की गोलाई जोकी ब्रा में कैद थी उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,, संध्या की सिसकारी छूट गई अपनी मां की चूची को दबाते हुए सोनू अपने होठों को अपनी मां के गुलाबी होंठों को चूसना शुरू कर दिया दोनों में कामोत्तेजक चुंबन का आदान-प्रदान होने लगा,,, दोनों की सांसो की गति तेज होने लगी संध्या मदहोश होने लगी थी और तभी सोनू अपनी मां के गाउन को ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, देखते ही देखते सोनू अपनी मां के गाउन को अपनी मां के बदन से अलग करते हुए उसे बिस्तर पर फेंक दिया,,,संध्या आप अपने बेटे की आंखों के सामने केवल ब्रा और पेंटी में थी और वह भी जागीर है जिसमें से उसके नाजुक अंग नजर आ रहे थे,,,,।


सच कहूं तो मम्मी तुम पर ब्रा और पेंटी बहुत खूबसूरत लगती है,,,,,।


तो क्या नंगी नहीं करेगा तु,,,(संध्या इतराते हुए बोली वह अपने बेटे की हाथों नंगी होना चाहती थी क्योंकि आज वह जी भर कर अपनी पूरी ख्वाहिश पूरी कर लेना चाहती थी,,,,)


जरूर करूंगा मेरी जान नंगी होने के बाद हुस्न की परी लगती हो,,,, लाऔ सबसे पहले तुम्हारी चूचियों को आजाद कर दुं,,,, क्योंकि इन्हें में कैद में नहीं देख सकता,,,,,


तो ले रोका किसने है,,,(इतना कहने के साथ ही संध्या सोनू की तरफ पीठ घुमा कर बैठ गई,,,, अपनी मां की चिकनी पीठ देखकर सोनू के मुंह में पानी आ गया वह अपनी फोटो को अपनी मां की चिकनी पीठ पर रख कर चूमने लगा,,,, संध्या सिहर उठी उसके तन बदन मे उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, सोनू अपनी मां की ब्रा के हुक को दोनों हाथों से पकड़ कर अलग कर दिया और देखते-ही देखते संध्या के बदन से उसकी ब्रा भी अलग हो गई,,,सोनू पीछे से ही अपनी मां की दोनों चूची को अपनी हथेली में भरकर दबाना शुरू कर दिया ब्रा के ऊपर से और नंगी चूचियों को अपने हाथों में लेकर दबाने में अपना अलग अलग मजा होता है ब्रा के ऊपर से दबाने उतना मजा नहीं आता जितना कि नंगी चूचियों को अपने हथेली में भरकर दबाने में आता है,,, ब्रा के ऊपर से चूचियों को दबाने में ठीक वैसा ही एहसास होता है जैसा कि पेड़ पर लटके हुए पके आम को देख कर,,,,,,

सहहहहह आहहहहहहह,,,,,,, सोनू,,,,ऊममममममम,,,


क्या हो रहा है मम्मी,,,(सोनू अपनी मां की चूची को जोर जोर से दबाते हुए बोला,,,)

आहहहहह,,,, कुछ-कुछ हो रहा है रे,,,(संध्या एकदम मदहोशी भरे स्वर में बोली,,,,)


दबाने से ही कुछ-कुछ हो रहा है तो सोचो जब मेरा लंड तुम्हारी बुर में जाएगा तो क्या-क्या होगा,,,।


हाय तेरी बातें ,,,, मेरे तन बदन में आग लगा रही है,,,(मस्ती से आंखों को मुंदते हुए बोली,),,सससहहहहह आहहहहहहह,,,, थोड़ा रहम कर इन चुचियों पर देख कैसे कश्मीरी सेब की तरह लाल हो गई है,,,।


मम्मी तुम्हारी कश्मीरी सेव को खा जाने का मन करता है,,,,


खाजा ना ,,,,रोका किसने है,,,(मदहोश भरे श्वर में संध्या बोली,,, और सोनू उत्तेजित होते हुए अपनी मां की दोनों बांहे पकड़कर उसे अपनी तरफ घुमाया और पीठ के बल बिस्तर पर लेटाता चला गया,,, दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते हुए मदहोश हो चुके थे,,,, संध्या की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी और सांसो के साथ उसकी दोनों चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी,,,। जिसे देखकर सोनू के मुंह में पानी आ रहा था और वह अपनी मां की दोनों चूचियों को देख कर ललच उठा,,,, और तुरंत झुक कर उसे अपने मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,।

आहहहहहह ,,,,आहहहहहहहह ,,,,,,,, सोनू मेरे बच्चे,,,,ऊमममम बहुत अच्छा लग रहा है,,, एक नहीं दोनों पी,,,, जोर जोर से दबा दबा कर पी,,,।

(संध्या चुदवासी होकर बोल रही थी,,,और सोनू भी वही कर रहा था जो उसकी मां बोल रही थी सोनू अपनी मां की दोनों चूची को बारी-बारी से पी रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था उसे दबाने में और मुंह में भर कर पीने में,,,,,,, रात अपने पूरे शबाब में थी,,,, और ऐसे में एक सुखी संपन्न शिक्षित परिवार में घर के एक कमरे में एक मां एक बेटा एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे,,,। संध्या का भजन बेहद मुलायम मखमली और मदहोशी से भरा हुआ था जिसे देखकर किसी का भी मन ललच जाएऐसे में वह खुद अपने बेटे की बाहों में थी और उसका बेटा उसकी दोनों चूचियों को दशहरी आम समझकर जोर-जोर से दबाकर पी रहा था,,,,, संध्या इस समय केवल पेंटी में थी जो कि वह भी ज्यादा देर तक उसके बदन के उस बेशकीमती खजाने को छुपा ना सकी और संध्या का बेटा सुना अपने हाथों से उसकी पैंटी को उतार कर उसे नंगी करने का सौभाग्य प्राप्त कर लिया,,,,)

हाय मेरे बच्चे तेरी मेरी पैंटी भी निकाल कर मुझे पूरी नंगी कर दिया अब क्या करेगा चाटेगा क्या मेरी,,,(संध्या एकदम मदहोश भरे स्वर में बोली,,,)


हां मेरी जान चाटुंगा,,,,,(सोनू अपनी मां की दोनों टांगों को फैलाते हुए बोला)


क्या चाटेगा रे बोलना,,,,,आहहहहहहह,,,, बहुत जालीम हो गया है तू,,,,,




तेरी सब कुछ चाटुंगा,,, मेरी रानी,,,,( इतना कहने के साथ ही सोनू अपनी मां की रसभरी बुर पर अपने होंठ रख कर चाटना शुरू कर दिया उत्तेजना के मारे संध्या की बुर कचोरी की तरह भूल गई थी जिसे चाटने में सोनू को बहुत मजा आ रहा था,,,संध्या सिसकारियां लेने लगी थी वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी सोनू की एक-एक हरकत उसके दिल की धड़कन बढ़ा रही थी लेकिन उसकी इच्छा कुछ और कराने को हो रही थी,,,,सोनू पागलों की तरह अपनी मां की बुर के ऊपरी छोर से आखरी छोर तक चाट रहा था जीभ उसकी गुलाबी दरार में ऊपर से नीचे हो रही थी,,,, संध्या को सुख की अनुभूति हो रही थीबार-बार वह अपनी गांड को पर कितना पैसा देने की ताकि उसके बेटे की जीभ उसकी गांड के छोटे से छेद के ऊपर स्पर्श हो जाए और वह उसे चाटने के लिए मजबूर हो जाए और ऐसा हो भी रहा था जब जब सोनु को अपनी जीभ उसकी मां की गांड के छेद पर स्पर्श होती हुई महसूस होती थी तब तब उसे इस बात का एहसास होता था कि उसकी मां की मस्ती कुछ ज्यादा ही बढ़ जा रही थी और उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी,,,,, और सोनू इसी मस्ती को को बरकरार रखना चाहता था और इसलिए वह अपनी मां की गांड के उस भुरे रंग के छेद को अपनी जीभ से कुरेदना शुरू कर दिया,,,।


ऊहहहहहह,,,,,,सहहहहहईईईईईईईई,,,आहहहहहह,,,ऊईईईईईई मां,,,,,आहहहहहह मेरे लाल,,,,,, बहुत मजा आ रहा है चाट मेरी गांड को मेरे राजा,,,,,आहहहहहहह,,,,,(अपने दोनों हाथ को अपने बेटे के सिर पर रखकर उसे दबाते हुए गरम सिसकारी लेकर बोलने लगी सोनू को भी मजा पहले तो सोनू को थोड़ा अजीब लगा था लेकिन उसे भी मज़ा आने लगा था वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां के खूबसूरत बदन का हर एक अंग चाटने लायक था,,,,,,इस तरह का एहसास संध्या को कभी नहीं हुआ था सोनू आज पूरी तरह से मस्त कर दिया था अपनी मां को,,,बरसों की तमन्ना आज उसे पूरी होती हुई महसूस हो रही थी लेकिन अभी तो यह शुरुआत थी अभी तक उसकी चाह मंजिल को प्राप्त नहीं हुई थी,,,,, लेकिन गांड चाटने की वजह से संध्या की बुर पानी फेंक दी थी यह अद्भुत चरमसुख था,,,,,।



आहहह पूरी जीभ डाल दे मेरे बेटे,,,, बहुत मजा आ रहा है इस तरह से तो तेरे बाप ने भी मुझे खुश नहीं किया,,,,आहहहहह,,,(अपने बाप से कितना होता देख कर सोनू की मस्ती और ज्यादा बढ़ गई उसे बहुत मजा आ रहा था उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसके बाद में कभी उसकी मां की गांड को चाटा नहीं था और वह पहला सख्श था जो उसकी मां की गांड को चाट रहा था,,,,, और अब अपने बाप से तुलना हुई थी तो सोनू और ज्यादा आगे बढ़ जाना चाहता था,,,। इसलिए अपनी एक उंगली को अपनी मां की गांड के छोटे से छेद में डालने लगा,,,, संध्या की हालत खराब होने लगी,,,, लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था,,,, सोनू को अपनी मां की गांड में उंगली डालने में भी बहुत मजा आ रहा था,,,, वह अपनी मां की गांड में उंगली अंदर बाहर करते हुए बोला,,,


क्यो कैसा लग रहा है मेरी जान मजा आ रहा है ना,,,,।


मजा तो बहुत आ रहा है मेरे राजा लेकिन उंगली की जगह अगर तु अपना लंड डालेगा तो और मजा आएगा आज पहली बार मे गांड मराने का सुख भोग पाऊंगी,,,,(संध्या एकदम मध भरे स्वर में बोला और अपनी मां की बात सुनकर सोनू बोला,,,,)

क्या सच में तुम गांड मराना चाहती हो मम्मी,,,,,।


हारे सच में,,,,,तेरे पापा ने मुझे कभी भी यह सुख नहीं दिया मैं चाहती हूं कि मेरा बेटा मुझे यह सुख दे,,,,,



हाय मेरी रानी तू तो बहुत सेक्सी है रे,,,,,(सोनू एकदम से खुश होता हुआ बोला,,) तू चिंता मत कर मेरी जान आज तेरी गांड मारूंगा,,,, लेकिन क्या, मेरा मोटा लंड तेरी गांड में जाएगा,,,,(सोनू आश्चर्य जताते हुए बोला,,,क्योंकि अभी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की बुर का गुलाबी छेद की अपेक्षा उसकी मां की गांड का भुरा रंग का छेद कुछ ज्यादा ही छोटा था,,,,)


जरूर जाएगा बेटा तेल लगा कर डालेगा तो आराम से चला जाएगा,,,,।
(अपनी मां को इस बात से ही सोनू को इस बात का आभास हो रहा था कि उसकी मां को कांड मनाने की कितनी उत्सुकता और जल्दबाजी है,,, सोनू भी अपनी मां के विश्वास पर पूरी तरह से खरा उतरना चाहता था,,,, इसलिए तुरंत उठा और बोला,,,,)

रुको में सरसों का तेल ले कर आता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही सोना किचन में किया और वहां से सरसों तेल की बोतल को लेकर आ गया और आते ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया सोनू की मां संध्या की नजर जैसी अपनी बेटी की खड़े लंड तो उसे देख कर उसे इस बात का थोड़ा सा आशंका होने लगी की उसका लंड उसकी गांड के छेद में आराम से नहीं जा पाएगा,,,,, सोनू अपनी मां की गांड के छेद पर सरसों का तेल लगाता इससे पहले संध्या उसे अपने पास बुला कर उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,, सोनू की हालत खराब हो गई ,,,,,संध्या के द्वारा सोनू संबंधी चाटने का मतलब कुछ ऐसा था कि जैसे युद्ध में जाने से पहले सैनिक अपने बंदुक को अच्छी तरह से तेल पानी लगा कर चेक कर लेता है कि यह बराबर काम करेगी कि नहीं और सोनू का लंड तो वैसे ही पूरी तरह से बावला हो गया था अपनी मां की गांड के छेद को देखकर और संजय को पूरी तरह से विश्वास था कि उसका बेटा उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी गांड के छेद को भेंदने में पूरी तरह से कामयाब हो जाएगा,,,,,कुछ देर तक संध्या अपने बेटे के लंड को गले की गहराई में उतार कर पूरी तरह से चुस्ती रही,,,, इसके बाद सोनू सरसों के तेल की बोतल का ढक्कन खोल कर उसके तेल की धार को अपनी मां की गांड के छेद पर बराबर गीराता रहा ,,,,, सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था आज वही काम करने जा रहा है इस काम के लिए वह पूरी तरह से तैयार भी नहीं था और कभी सोचा भी नहीं था लेकिन फिर भी उसेविश्वास था कि इस काम में भी वह पूरी तरह से सफल हो जाएगा और अपनी मां को ही बात कुछ सुख का अहसास कराएगा जोकि उसके पापा कभी भी नहीं करा पाए,,,,।

संध्या अपने आप ही घोड़ी बनकर घुटने और कोहनी के बल बैठ गई थी अपनी गांड की तोप को ऊपर की तरफ उठा दी थी,,,, सोनू को अपनी मां का भुरा रंग का छेद बराबर नजर आ रहा था,,,, सोनू थोड़ी सी सरसों के तेल को अपने लंड पर भी लगा दिया क्योंकि वह जानता था इसे चिकनाहट बढ़ जाती है और इस समय उसे चिकनाहट की ही जरूरत थी,,,,सोनू भी अपनी मां के पीछे खड़ा होकर पूरी तरह से तैयार हो चुका था दोनों मां-बेटे किंग साइज बेड पर थे,,,, देखते-ही देखते सोनूअपने लंड के सुपाड़े को अपनी मां की गांड के छेद पर जैसे ही लगाया वैसे ही संध्या उत्तेजना के मारे एकदम से सिहर उठी,,,,,,, और उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,।

गांड के छेद पर और अपने लंड के सुपाड़े पर सरसों के तेल की चिकनाहट बराबर महसूस हो रही थी,,,। सोनू अपनी गांड का बल धीरे-धीरे लगाने लगाधीरे-धीरे उसका सुपाड़ा गार्ड के छोटे से छेद में चिकनाहट पाकर अंदर की तरफ सरकने लगा,,,, संध्या का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां दशहरी आम की तरह लटकी हुई थी सोनू अपने मंजिल की तरफ आगे बढ़ते हुए एक हाथ को अपनी मां की गांड पर रखकर दुसरे हाथ से अपने लंड़ को पकड़े हुए था और उसे सहारा देकर अपनी मां की गांड के छेद में डाल रहा था,,,, धीरे-धीरे उत्सुकता उत्तेजना और जोश अपना कमाल दिखा रहा था,,, सोनू का लंड धीरे धीरे अंदर की तरफ जा रहा था,,,, हालांकि सोनू के लंड का सुपाड़ा कुछ ज्यादा ही मोटा था,,, और बस एक बार सुपाड़े को घुसने की देरी थी बाकी का काम अपने आप होने वाला था,,,,।

बाप रे,,, तुम्हारी गांड का छेद कितना छोटा है,,,,



लेकिन,,,,आहहहहह,,,,, घुसा पाएगा कि नहीं,,,,


आराम से मेरी रानी चिंता मत करो अब मुझे भी तुम्हारी गांड मारना है,,,,,।


बस बेटा यही जुनून अपने अंदर रख,,, जरूर अपनी मंजिल तक पहुंच पाएगा,,,,,

(अपनी मां की बात सुनकर सोनू का जोश बढ़ता जा रहा था और वह और ज्यादा दम दिखाते हुए अपने लंड को आगे की तरफ बढाया तो उसका सुपाड़ा आधे से ज्यादा घुश गया,,,, लेकिन संध्या के चेहरे पर दर्द की रेखाएं बिल बिलाने लगी,,,, पर संध्या इस दर्द को झेलने के लिए पहले से ही तैयार थी,,,। वह बिस्तर पर बिछी चादर को दोनों हाथों से दबोच लि,,,, ताकि और दर्द को सह सके सोनू पसीने से तरबतर हो चुका था लेकिन पीछे हटने को तैयार नहीं था,,,, वह थोड़ा और दम लगाया और लंड का सुपाड़ा पूरा गांड के छेद में घुस गया ,,,, तब जाकर सोनू ने राहत की सांस लिया एकाएक संध्या को दर्द कुछ ज्यादा हुआ था लेकिन उसे इस बात की खुशी थी कि लंड का सुपाड़ा घुस चुका था,,,, यह ऐसा था कि हाथी निकल गई थी पूछ रहे गया था,,,।



वाह मेरी रानी कितना मस्त लग रहा है तेरी गांड में मेरा लंड,,,।



हारे हरामि,,,,, मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है मेरी गांड में तेरा लंड घुसा हुआ है,,,, अपन धीरे-धीरे मेरी गांड मारना शुरू कर,,,,,।


हां मेरी जान अब ऐसा ही होगा,,, जो काम मेरे बाप ने नहीं किया वह उनका बेटा करेगा,,,,, देख अब मैं कैसे तेरी गांड मारता हुं,,,,,(इतना कहने के साथ ही अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और अपनी कमर को हल्के हल्के से हिलाना शुरू कर दिया,,,,,, जितना घुसा था उतना ही अंदर बाहर हो रहा है,,, लेकिन सोनू धीरे-धीरे अपने पूरे लंड को अपनी मां की गांड में डाल दिया था बुर की गांड का छेद कुछ ज्यादा ही टाईट था इसलिए सोनू का लंड एकदम रगड़ के अंदर जा रहा था और बाहर आ रहा था जिससे संध्या की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,,,
अपनी सहेलियों से सिर्फ सुन रखी थी की गांड मराने में बहुत मजा आता है लेकिन आज पहली बार उसका अनुभव ले रही थी और उसे अपनी सहेलियों की बात से भी ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि अब उसकी गांड में दर्द की जगह आनंद के बुलबुले फूट रहे थे संजय की सिसकारी बढ़ती जा रही थी,,,, धीरे धीरे चल रहा इंजन अब एकदम तेज गति पकड़ लिया था,,,,सोनू को उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां के छोटे से छेद है उसका मोटा लैंड बड़े आराम से अंदर बाहर होगा लेकिन सब कुछ की आंखों के सामने था उसे बड़ा मजा आ रहा था अपनी मां की गांड मारने में उसके बाद बिस्तर पर एकदम नंगी थी घोड़ी बनी हुई और वह घोड़ा बना था आज वह घोड़ी की घुड़सवारी कर रहा था और ईस घुड़सवारी में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,।


आहहहह मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मेरी तमन्ना पूरी होगी,,,,आहहहहहह ,,,,,, बहुत मजा आ रहा है,,,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू का जोश बढ़ता जा रहा था और बार-बार उसके लंड की नीचे की दोनों टट्टे संध्या की बुर पर किसी हथौड़ी की तरह लग रहे थे,,, लेकिन इससे भी उसे और मजा आ रहा था संजय को अपनी बड़ी-बड़ी चूचियां पेड़ में लटके हुए बड़े-बड़े दशहरी आम की तरह झूलते हुए नजर आ रहे थे जिसे सोनू खुद अपना हाथ आगे बढ़ा कर दोनों हाथों में थाम कर जोर जोर से दबा के गांड मारने लगा,,, सोनू के लिए यहव अविश्वसनीय था क्योंकि वह कभी नहीं सोचा था कि वह अपनी मां की गांड मारेगा,,, और यह भी नहीं सोचा था कि उसकी मां खुद उसे गांड मारने के लिए बोलेगी,,,,।
सोनू बिल्कुल भी थक नहीं रहा था वह एक ही पोजीशन में अपनी कमर हिलाई जा रहा था और संध्या अपने बेटे की ताकत को देख कर और ज्यादा पानी पानी हो रही थी और अपनी उत्तेजना और सुख को और ज्यादा बढ़ाने के लिए अपना एक हाथ नीचे से लाकर अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ना शुरू कर दी थी,,,,, जिससे उसका आनंद और ज्यादा बढ़ रहा था,,,, सोनू नजर नीचे करके अपनी मोटे लंड को अपनी मां की गांड के छेद में अंदर बाहर होता हुआ देख रहा था पल भर के लिए उसे लग रहा था कि जैसे कोई वह पोर्न मूवी देख रहा हो,,,,

संध्या के बरसों की अभिलाषा पूरी हो रही थी जो सूखा अपने पति से भोग नहीं पाई वह सुख उसे अपने बेटे से प्राप्त हो रहा था,,,, शारीरिक सुख प्रदान करने में उसका बेटा उसके पति से एक कदम आगे साबित हो रहा था,,,, अपने बेटे पर पूरी तरह से निहाल हो चुकी थी,,,, तकरीबन 25 मिनट की जबरदस्त गांड मराई के बाद सोनू का पानी निकल गया हालांकि इस दौरान संध्या तीन बार झड़ चुकी थी और यह उसके लिए अद्भुत था,,,,,।

गांड मरवाने की वजह से वह एकदम थक कर चूर हो चुकी थी,,,, पर बिस्तर पर निढाल होकर सो गई थी एकदम नंगी और उसके ऊपर सोनू,,,,।



दूसरी तरफ एग्जाम देने के बाद शगुन जैसे ही बाहर आईपार्किंग में खड़ा संजय अपनी बेटी से नजर चुराने लगा क्योंकि रात को जो कुछ भी हुआ था उसी से उसे बहुत दुख पहुंचा था वह नहीं चाहता था कि ऐसा कुछ भी हो लेकिन जवानी के जोश में अपनी बेटी के खूबसूरत बदन की चाह में जो नहीं होना चाहिए तो वह हो गया था,,, लेकिन अब संजय आगे बढ़ना नही चाहता था वह सब कुछ यहीं रोक देना चाहता था लेकिन शगुन के मन में कुछ और चल रहा था,,,,वह ईस रिश्ते से बेहद खुश थी पहली बार उसे जिस्मानी सुख मिला था,,,प्रभा अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रखी थी इसलिए सही गलत का फैसला कर पाना उसके लिए नामुमकिन सा था,,,। उसे तो बस शरीर सुख चाहिए था,,,,

संजय और सगुन दोनों कार में बैठ गए थेसब उनके चेहरे पर रात में जो कुछ भी हुआ उसको लेकर कोई गिला शिकवा नहीं था बल्कि एक खुशी झलक रही थी लेकिन संजय का मन उदास था,,।
Bahot behtareen
Shaandaar update bhai
 

Naik

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शगुन और संजय दोनों कार में बैठ गए थे,,, संजय अपनी बेटी से नजर नहीं मिला पा रहा था जिसका एक कारण है रात में दोनों के बीच जिस्मानी ताल्लुकात,,, जो की पूरी तरह से अवैध था,,,।संजय यह सोच सोच कर परेशान था कि वह अपनी बेटी के साथ गलत काम कर चुका था जिसमें वह भी पूरी तरह से सहयोगी थी लेकिन फिर भी संजय का मन अंदर से कचोट रहा था,,,,अपनी बेटी से बात करना चाहता था उसे समझाना चाहता था कि जो कुछ भी हुआ है वह बिल्कुल गलत हुआ ऐसा नहीं होना चाहिए था लेकिन कैसे शुरू करें यह उसे पता ही नहीं चल रहा था आखिरकार बात की शुरुआत करते हुए सगुन हीं बोल पड़ी,,,।


आप खामोश क्यों है पापा,,,, रात को जो कुछ भी हुआ आपको मजा नहीं आया क्या,,,?
(अपने बेटे की बात सुनकर संजय पूरी तरह से हैरान था क्योंकि वह एक गंदी लड़की की तरह बात कर रही थी,,,वो कभी अपने सपने में भी सोचा नहीं था कि उसकी बेटी इस तरह से उससे बात करेगी लेकिन इसमें उसकी भी गलती थी उसे आगे नहीं बढ़ना चाहिए था,,,, संजय को अपनी बेटी की बातें सुनकर इस बात का एहसास हो रहा था कि रात कुछ कुछ भी हुआ था उससे उसकी बेटी को बहुत मजा आया था और वह इससे बिल्कुल भी परेशान नहीं है लेकिन फिर भी बाप होने के नाते उसे समझाना जरूरी था क्योंकि वह भटक चुकी थी,,,, इसलिए संजय अपनी बेटी को समझाते हुए बोला,,,)

यह कैसी बातें कर रही हो शगुन जो कुछ भी हुआ सब कुछ गलत था,,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं क्योंकि हम दोनों के बीच का रिश्ता औरत मर्द का नहीं बल्कि बाप बेटी का है,,,

(अपने पापा की बात सुनकर शगुन हैरान थी क्योंकि वह इस रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहती थी उसे इस रिश्ते में मजा आने लगा था पहली बार किसी पुरुष संसर्ग की कामना की पूर्ति उसे मदहोश कर दे रही थी,,,, जब से वह अपने पापा से चुदवाई थी तब से उसे अपनी बुर की अंदर की दीवारों पर अपने पापा का लंड रगडता हुआ महसूस हो रहा था बार-बार उस पल को याद करके वह मस्त हो जा रही थी,,।)


तो क्या हुआ आप मेरे लिए हीरो हो,,,,


तुम समझने की कोशिश करो सगुन जो कुछ भी हुआ सब कुछ गलत था,,, मैं कोई तुम्हारा प्रेमी नहीं हूं,,,,।


लेकिन मैं तो आपको उसी रूप में देखती हूं,,,


पागल मत बनो सगुन,,,,,


क्या मैं खूबसूरत नहीं हु सेक्सी नहीं हुं,,,,,



यह बात बिल्कुल भी नहीं है तुम बहुत खूबसूरत हो सेक्सी हो लेकिन तुम मेरी गर्लफ्रेंड नहीं हो मेरी प्रेमिका नहीं हो,,,, मेरी बेटी हो,,,,। हम दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ उसे सपना समझकर भूल जाना पड़ेगा मुझे भी और तुम्हें भी,,,, इसी में हम दोनों की और पूरे परिवार की भलाई है,,,, अगर ऐसा नहीं हुआ तो सब कुछ बिखर जाएगा तुम यह बात अच्छी तरह से जानती हो सगुन,,,,,



लेकिन पापा यह सब किसी को भी पता नहीं चलेगा,,,,

(शगुन की बातों को सुनकर संजय पूरी तरह से हैरान हो चुका था क्योंकि उसकी बेटी किसी भी तरह से मानने को तैयार ही नहीं थी,,,संजय बार-बार कोशिश कर रहा था लेकिन सगुन पीछे हटने का नाम ही नहीं ले रही थी,,,, संजय अच्छी तरह से समझ रहा था कि इस उमर में लड़के लड़की को अच्छे बुरे सही गलत का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं होता है,,।और यही उसकी बेटी सब उनके साथ भी हो रहा था एक रात में शरीर सुख प्राप्त करके वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी और बार-बार उसी सुख की कामना कर रही थी,,, जोकि संजय के लिए नामुमकिन सा लगने लगा था क्योंकि संजय जानता था कि जो कुछ भी उसने किया था वह बिल्कुल गलत था,,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी,,, संजय कार को सड़क पर दौड़ा रहा था,,, शहर की खूबसूरती सड़क के किनारे बड़े अच्छे से नजर आ रही थी,,,, धीरे-धीरे शाम ढलने लगी थी,,, वातावरण में ठंडक बढ़ती जा रही थी और संजय होटल कार रोककर होटल में प्रवेश किया,,, होटल में काफी भीड़ थी तो वेटर उन्हें टेरेस पर खुले में डिनर के लिए आमंत्रित किया,,,, वहां पर पहुंचकर संजय‌और शगुन को काफी अच्छा लग रहा था,,,, टेरस पर चारों तरफ हर एक टेबल पर एक जोड़ा बैठा हुआ था शायद यह कपल के लिए ही बना था,,,,,, संजय खाली टेबल देख कर वहीं पर बैठ गया सामने शगुन भी बैठ गई,,,,थोड़ी देर में वेटर आया और आर्डर लेकर चला गया,,,,। संजय खामोश था,,,, इसलिए खामोशी को तोड़ते हुए शगुन बोली,,।



आप क्या चाहते हो पापा,,,,?


मैं यही चाहता हूं कि जो कुछ भी हुआ बस यहीं पर खत्म हो जाए,,,,,,।
(संजय की बातों से उसके चेहरे को देखकर साफ पता चल रहा था कि जो कुछ भी कहा था उसका उसे बहुत पछतावा था और यह सब कुछ और जल्द से जल्द खत्म कर देना चाहता था,,,)


ठीक है,,,, मैं भी सब कुछ खत्म कर दूंगी,,, हम दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ मैं सपना समझ कर भूल जाती हु,,, लेकिन इसके बावजूद भी अगर कुछ हुआ तो,,,,



नहीं होगा कुछ भी नहीं होगा मैं गारंटी देता हूं कुछ भी नहीं होगा,,,,,,,,(संजय एकदम विश्वास भरे शब्द में बोला क्योंकि मैं जानता था कि अगर वह अपने आप पर काबू कर पाएगा तो सब कुछ सही होगा और उसे पूरा यकीन था कि वह अपने आप पर काबू कर लेगा,,,,)


अगर कहीं आप का इमान फिसल गया तो,,,,


कैसी बातें कर रही हो,,,, ऐसा भला कैसे हो सकता है,,,।


क्योंकि मैं आपको मम्मी के साथ देखी हूं उनकी लेते समय एकदम पागल हो जाते हो,,,, कल रात तो एकदम जवान लड़की के साथ सब कुछ किए हो,,, हो सकता है नएपन के कारण आप अपने आप पर काबू ना कर पाओ तो,,,।


देखो सगुन में सब कुछ कर लूंगा बस तुम अपनी जिद छोड़ दो,,,।


ठीक है जैसी आपकी मर्जी,,,, मैं तो आपको अपना हीरो समझती थी,,, समझती थी क्या आप हो मेरे हीरो,,,, खेर मैं अब अपना सारा ध्यान अपने कैरियर पर लगाऊंगी,, ठीक है,,,(शगुन अपने पापा की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली,,, जवाब में संजय भी मुस्कुराता हुआ हा में सिर हीला दिया,,,,, थोड़ी देर में वेटर ऑर्डर लेकर आ गया और दोनों बाप बेटी आराम से खाना खाने लगे शगुन को यह सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था,,,। वह सब कुछ यहीं खत्म नहीं करना चाहती थी बल्कि आगे बढ़ना चाहती थी क्योंकि,,, जो सुख से पापा ने रात को उसे दिया था वह उस सुख को बार-बार महसूस करना चाहती थी,,,,बार-बार उसे अपनी दोनों टांगों के बीच अपने पापा का लंड अंदर बाहर होता हुआ महसूस हो रहा था,,, उस मदहोश कर देने वाली पलकों वह भुला नहीं पा रही थी बस अच्छी नहीं थी कि उसके पापा सब कुछ इतनी जल्दी खत्म कर देंगे क्योंकि वह चाहती थी कि उसके पापा उसकी मां की बुर की रोज चुदाई करते हैं और उसकी मां के मुकाबले उसकी बुर काफी
कसी हुई थी निश्चित तौर पर उसे पूरा यकीन था कि उसकी कसी हुई बुर चोदने में उसके पापा को बहुत मजा आया होगा और उस मजे को उसके पापा बार बार लेना चाहेंगे,,,लेकिन उसके पापा ने सब कुछ खत्म कर दिया था इस रिश्ते को यहीं खत्म करने की ठान लिया था इसके लिए शगुन का मन उदास था,,, लेकिन उसे विश्वास था कि उसके माध्यम खूबसूरत सेक्सी बदन को देख कर उसके पापा का मन फिर से फिसल जाएगा इसी आस से वह खाना खाने लगी,,,,,,,दोनों खाना खा रहे थे कि संजय की नजर अपने पास वाले टेबल पर कई जहां पर एक कपल बैठा हुआ था,,, और संजय को साफ नजर आ रहा था कि वह आदमी अपने जूते निकाल कर अपने पैर को उठाकर सामने बैठी लड़कियों की स्कर्ट पहने हुए थी और इस समय में अपनी दोनों टांगों का फैलाई हुई थी ,,, और वह आदमी अपने पैर के अंगूठे से उसकी पेंटिं वाली जगह को कुरेद रहा था यह देखकर संजय कि तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ऊठी और उसी समय शगुन की भी नजर उस‌ कपल पर पड़ गई दोनों बाप बेटी एक साथ उस नजारे को देख रहे थे,,,, सगुन उस नजारे को देख कर मुस्कुरा दी,,,।, संजय को जब इस बात का अहसास हुआ तो वह शर्मा कर अपनी नजरें नीचे कर लिया और खाना खाने लगा दोनों ही थोड़ी देर में खाना खाकर होटल से निकल गए और जहां पर ठहरे थे उस होटल में आ गए,,,।

संजय कुर्सी पर बैठकर अपने कमरे में व्हिस्की की चुस्की ले रहा था और सिगरेट पी रहा था हालांकि ऐसा संजय तभी करता था जब उसका दिमाग टेंशन में रहता था,,, शगुन अपने पापा पर अपनी जवानी की मादकता बिखेरने को पूरी तरह से तैयार थी,,,,,, वातावरण में पहले से ही ठंडक थी लेकिन कपड़े बदलते समय जानबूझकर शगुन छोटा सा फ्रॉक की तरह नाईट ड्रेस पहन लो क्योंकि पूरी तरह से ट्रांसपेरेंट था उसमें से सब कुछ नजर आ रहा है और वह फ्रॉक टाइप का नाइट ड्रेस भी बड़ी मुश्किल से उसके नितंबों को घेराव को छुपा पा रहा था लेकिन उसमें के अंदर के नजारे को छुपा पाना उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था लाल रंग की पेंट ट्रांसपेरेंट नाईट ड्रेस में से नजर आ रही थी और साथ ही लाल रंग की ब्रा भी,,,,,, सगुन भी कुर्सी खींच कर अपने पापा के सामने बैठ गई,,,,,, संजय एक नजर सब उनके ऊपर डाला और फिर वापस सिगरेट का कश खींचने लगा,,,, उसके हाथ में व्हिस्की का गिलास था,,, शगुन पूरी तरह से अपनी जवानी का नशा अपने बाप पर चढ़ा देना चाहती थी ईसलिएअपने पापा की आंखों के सामने उसे देखते भी अपनी एक टांग उठाकर कुर्सी पर रख दी और एक टांग को हल्के से खोल दी,,,जिससे उसके पापा को उसकी टांगों के बीच कि वह खूबसूरत जगह नजर आने लगे जिस पर पेंटी का हल्का सा पर्दा चढ़ा हुआ था,,,, और ऐसा ही हुआ संजय की नजर सीधे अपनी बेटी के दोनों टांगों के बीच चली गई और उस नजारे को देख कर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,,। संजय हडबडाकर अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर लिया,,,, सगुन अपने पापा की हरकत पर मुस्कुरा दी,,, वो कुछ बोल पाती ईससे पहले ही दरवाजे पर वेटर ने दस्तक दे दिया,,,।

लगता है कॉफी आ गई ,, (और इतना कहकर वह कुर्सी पर से खड़ी हो गई,,, सगुन जानती थी कि उसके पापा उसी को ही देखेंगे ,,, वह मादक चाल चलते हुए दरवाजे तक पहुंच गई,,,संजय से रहा नहीं गया और वह नजरों को तिरछी करके अपनी बेटी की तरफ देखने लगा उसकी मादक चाल उसकी गोल-गोल नितंब उसके नसों में मदहोशी का नशा भर रहा था,,,। छोटी सी ड्रेस में लाल रंग की पेंटिं शगुन की गांड किसी पैक किए हुए उपहार की तरह लग रही थी,,, जिसे देखकर संजय के मुंह में खुद पानी आने लगा था,,, दरवाजा खुलता है से पहले संजय फिर से अपनी नजरों को दुरुस्त करके व्हिस्की का पैक पीने लगा,,,,,,

दरवाजा खुलते ही बेटर मुस्कुराते हुए ट्रे में कॉफी लेकर आया और शगुन उसे मुस्कुराकर अंदर आने के लिए अभिवादन की,,, वेटर के कमरे में दाखिल होने से पहले ही उसकी नजर शगुन के खूबसूरत बदन पर गई और ट्रांसपेरेंट छोटी सी फ्रॉक को देखकर उसकी तो हालत खराब हो गई उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,, उस ट्रांसपेरेंट फ्रॉक में से शगुन का सब कुछ नजर आ रहा था जिसे देखकर वेटर की हालत खराब हो गई और कॉफी का ट्रे उसके हाथों से छूटते छुटते बचा,,,,,,,


अंदर आकर टेबल पर रख दो,,,,,,( इतना कहने के साथ ही सगुन आगे बढ़ी और टेबल के आगे खड़ी होकर वह कुर्सी पर से मैगजीन को थोड़ा सा झुक कर हटाने लगी जो कि पहले से ही पड़ी हुई थी ,,,वह जानबूझकर झुकी थी क्योंकि उसकी पीठ वेटर की तरफ थी ओर झुकने की वजह से उसकी गोलाकार गांड एकदम उभर कर सामने नजर आ रही थी जिसे वेटर ट्रे को रखते रखते प्यासी नजरों से देख रहा था और यह नजारा संजय से बचा नहीं रह सका,,, अपनी बेटी की मदमस्त गोल गोल गांड एक वेटर के द्वारा देखता हुआ पाकर संजय को थोड़ा गुस्सा जरूर आया लेकिन वह कुछ बोला नहीं,,,, वेटर अभी भी प्यासी नजरों से शगुन की गांड को ही देख रहा था,,। यह देखकर संजय को गुस्सा आने लगा था,,,कि कि मर्दों की नजरों को संजय अच्छी तरह से जानता था और इस समय सुकून ने जिस तरह की पैंटी पहनी हुई थी पीछे से उसकी गांड साफ नजर आ रही थी क्योंकि उस पेंटिं में पतली सी डोरी लगी हुई थी जो उसकी गांड की गहराई में छुप गई थी,,,, संजय उस वेटर के पेंट के आगे वाले भाग को साफ-साफ उभरता हुआ देखा,,,क्यों किस बात की गवाही दे रहा था कि उसकी बेटी की गांड को देखकर उस वेटर का लंड खड़ा हो रहा था,,।वह वेटर अपनी नजरों को और देर सेंक पाता इससे पहले ही सगुन अपना कार्यक्रम समेट कर खड़ी हो गई थी,,,,।


थैंक यू,,,


यू वेलकम मैम एंड सर ,,,,,(संजय की तरफ देखकर वह व वेटर बोला,,,।)


ठीक है अब तुम जा सकते हो,,,(संजीव स्वेटर की तरफ देखे बिना ही बोला अभी भी उसके हाथों में व्हिस्की का गिलास था और हाथ में सिगरेट थी वह वेटर उन दोनों को बाप बेटी नहीं बल्कि किसी कपल के रूप में देख रहा था जो कि उसे ऐसा लग रहा था कि होटल में यह दोनों एंजॉय करने आए हैं क्योंकि सब उनको देखकर उसे बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि वह संजय की बेटी है क्योंकि उसके कपड़े इस तरह से नंग धड़ंग थे,,,.)


ठीक है सर कोई भी जरूरत हो तो कॉल कर देना,,,आप दोनों की रात मंगलमय हो,,,,(इतना कहकर वेटर कमरे से बाहर की तरफ जाने लगा तो सागू नहीं उसे दरवाजा लॉक करने के लिए बोली,,, वेटर जा चुका था और टेबल पर कॉफी रखी हुई थी और शगुन उसी तरह से कुर्सी पर अपनी एक टांग रखकर बैठ गई संजय का दील जोरों से धड़क रहा था,,, ना चाहते हुए भी उसकी नजर एक बार फिर से अपनी बेटी के दोनों टांगों के बीच चली गई और उसकी लाल रंग की पैंटी को देखना उसकी आंखों में मदहोशी छाने लगी व्हिस्की का नशा अपना असर दिखा रहा था और शगुन की मदमस्त जवानी की खुमारी अलग कहर ढा रही थी,,,।)


मैं आपको पहले शराब पीते हुए नहीं देखी हुं,,(शगुन कॉफी का कप होठों से लगाते हुए बोली)


मैं जल्दी ड्रिंक नहीं करता कभी कभार ही करता हूं और आज ठंडक कुछ ज्यादा थी तो इसलिए पी लिया,,,,(संजय बातें करते अपनी नजरों को चुराने की बहुत कोशिश कर रहा था लेकिन एक लालच थी उसके मन में अपनी बेटी की दोनों कामों के पीछे झांकने की जो कि वह रोक नहीं पा रहा था और बार-बार अपनी नजरों को दोनों टांगों के बीच ही गड़ा दे रहा था,,,।) तुम्हें ठंडी नहीं लग रही है जो ईस तरह के कपड़े पहनी हो,,,।


लगती है लेकिन मुझे रात को सोते समय इसी तरह के कपड़े में कंफर्टेबल महसूस होता है यह तो शहर से बाहर है तो इस तरह के कपड़े पहन रही हु घर पर होती तो,,,(इतना कहकर कुछ बोली नहीं बस कॉफी पीने लगी तो संजय ही पूछ बैठा)


घर पर होती तो,,,?
(शकुन अपने पापा के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी वह और कुछ सुनना चाहते थे और शगुन भी सब कुछ कहने के लिए तैयार थे क्योंकि रात भर ओ अपने पापा से चुदवाने का सुख भोग चुकी थी इसलिए उसकी शर्म खत्म हो चुकी थी,,, इसलिए कॉफी की चुस्की लेते हुए बेधड़क बोली,,)


घर पर होती तो बिना कपड़ों के एकदम नंगी सोती,,,,

(अपनी बेटी के मुंह से इस तरह से बेधड़क जवाब सुनकर संजय की हालत खराब हो गई खास करके उसके मुंह से नंगी शब्द सुनकर उसके होश उड़ गए उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,, जवाब सुनकर संजय का चेहरा देखने लायक था वह अपने बाप के चेहरे को देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी और जानबूझकर अपने बाप के सामने ही अपनी बुर खुजलाने का नाटक करते हुए बोली,,)


मुझे रात को कपड़े पहन कर सोने में बिल्कुल भी आरामदायक महसूस नहीं होता,,, इसलिए मैं रात को कपड़े उतार कर सोती हूं,,,,

(अपनी बेटी की बात सुनकर संजय की हालत खराब होने लगी उत्तेजना की लहर दौडने लगी,,,अपनी बेटी को लेकर अपने मन में किसी भी प्रकार की गंदी भावनाओं को जन्म ना देने की कसम खाकर वादा करके संजय अपने मन को मजबूत किए हुए था लेकिन इस समय ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका लंड उसके साथ बगावत करने पर उतारू हो चुका था पेंट में उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था,,, संजय कुर्सी पर पीठ का ठेका लेकर आगे को पैर फैलाए बैठा हुआ था जिससे शगुन को अपने पापा के पेंट के आगे वाला भाग उठता हुआ महसूस हो रहा था और यह देखकर शगुन की आंखों में चमक आ गई,,,,सगुन उसी तरह से कुछ देर तक अपनी दोनों टांगे फैलाए बैठी रही,,,,संजय की नर्सरी बार-बार अपनी बेटी के दोनों टांगों के बीच चली जा रही थी ऐसा लग रहा था जैसे कि वह दोनों टांगों के बीच कुछ ढुंढ रहा था लेकिन पेंटी का परदा होने की वजह से उसे मिल नहीं पा रहा था,,,। शगुन ही बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,)

मेरी एग्जाम तो खत्म हो चुकी है मैं सोच रही थी कल जाने की जगह 2 दिन और रुक जाते हैं तो वहां घूम फिर लेते और अपना टुर भी हो जाता,,,।(संजय कुछ बोला नहीं क्योंकि उसके तन बदन में उसे बदलाव होता हुआ महसूस हो रहा था वह अपने मन पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पा रहा था उसकी बेटी की मादक अदाएं उसका नशीला बदन और उसके कामुक हरकते थे उसके और उड़ा दी थी,,,, शगुन भी अपने पापा का जवाब सुने बिना ही कुर्सी पर से खड़ी हुई और कॉफी का कप लेकर खिड़की की तरफ अपनी गांड को मटकाते हुए जाने लगी,,, संजय प्यासी नजरों से अपनी बेटी की हर एक चाल को देख रहा था इसकी गोल गोल का पानी भरे गुब्बारे की तरह एक एक तरफ लुढ़क जा रही थी,,,, संजय से सहा नहीं जा रहा था,,,, शगुन खिड़की के पास पहुंच कर खिड़की को खोल दी जिसमें से ठंडी हवा कमरे में फैल गई और वह कॉफी का कप लेकर अपने हाथ की कोहनी का सहारा लेकर खिड़की के रेलिंग पर टिका कर खड़ी हो गई जिसकी वजह से उसकी गोल गोल गांड उपर की तरफ उठ गई,,,, शगुन जानती थी कि जिस अवस्था में वह खड़ी थी उसके पापा की नजर उसके पिछवाड़े पर ही होगी और यही तसल्ली करने के लिए पीछे की तरफ नजरघुमा कर देखिए तो संजय को अपनी और ही देखता हुआ पाकर वह मुस्कुराकर खिड़की से बाहर देखने लगी और कॉफी की गर्माहट का मजा लेने लगी,,,, पीछे की तरफ देखने की वजह से संजय की नजरें अपनी बेटी की नजरों से टकरा गई जिसमें उसे सांप अपनी तरफ आगे बढ़ने का आमंत्रण दिख रहा था उस ऐसा लग रहा था कि उसकी बेटी उसे अपने पास बुला रही हो शगुन भी जानबूझकर अपनी गांड को दांय-बाय हिला रही थीऐसा लग रहा था कि हाथों का काम उसकी गांड कर रही थी उसे अपने पास बुला रही थी,,,,,। संजय को समझ नहीं आ रहा था कि ऐसे हालात में वह क्या करें उत्तेजना के मारे उसका लंड पेंट फाड़ कर बाहर आने को उतारू हो गया था,,। संजय को अपनी बेटी की गांड बहुत ही खूबसूरत नजर आ रही थी संजय का मन उसे अपनी हथेली में पकड़कर दबाने को कर रहा था,,,,एक बार फिर अपने लंड को उसकी बुर की गहराई में उतार कर चोदने को कर रहा था,,,,। शगुन को पूरा विश्वास था कि जो वो चाहती है वही होगा वह खुशी का आखिरी घूंट की पीकर बिना पीछे कदम बढ़ाए वह उसी अवस्था में नीचे झुकी और कॉफी के कप को नीचे फर्श पर रखती लेकिन इस तरह से झुकने पर उसकी गोल-गोल गांड और पूरी तरह से उभर कर सामने नजर आने लगी,,,, जो कि संजय से बर्दाश्त के बाहर था उसे रहने 11 वा व्हिस्की का आखरी खुद एक सांस में अपने गले से नीचे उतारकर गिलास को टेबल पर रखा और सिगरेट का आखरी कस खींच कर एश ट्रे में रखकर बुझा दिया,,, सिगरेट की आग तो बुझ चुकी थी लेकिन संजय के बदन की आग फिर से प्रज्वलित हो चुकी थी,,, और यह इस तरह से बुझने वाली नहीं थी,,,।

कुर्सी पर से खड़ा हुआ है सीधे खिड़की के पास अपनी बेटी के करीब पहुंच गया और पीछे से अपना हाथ अपनी बेटी की गांड पर रख दिया,,,, कसमे वादे सब सिगरेट के धुएं में उड़ चुका था,,,, अपनी गांड पर अपने पापा की हथेली महसूस होते ही शगुन के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसके होठों पर मुस्कान तेरने लगी उसे जिस बात की उम्मीद थी वह पूरा होता हुआ महसूस होने लगा,,, संजय बारी बारी से अपनी बेटी की गांड की दोनों फांकों को अपनी हथेली में दबा कर उसका आनंद लुटने लगा,,,।


सहहहहह आआआहहहहहहहह,,,,,((उत्तेजना के मारे सड़कों की सिसकारी फूट पड़ी) क्या हुआ पापा ,,,? (वह मदहोशी भरे कांपते स्वर में बोली,, लेकिन संजय कुछ बोला नहीं उसे अपनी बाहों में भरकर अपने होठों को उसके होठों पर रखकर चूसना शुरू कर दिया,,,, वह कसके शगुन को अपनी बाहों में भर लिया था जिससे पेंट के अंदर उसका खड़ा लंड सीधे उसकी दोनों टांगों के बीच ठोकर मारने लगा था,,,अपने पापा के लंड को अपनी दोनों टांगों के बीच महसुस करते ही शगुन की दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,,
शगुन भी उत्तेजित होने लगी वह भी उत्तेजना के मारे अपने पापा का साथ देते हुए अपने होठों को खोल दी और संजय अपनी जीत को सुकून के मुंह में डालकर चूसने लगा,,,,कुछ देर तक संजय इसी तरह से अपनी बेटी के होठों को चूसता रहा वह जब शांत होगा तो सगुन गर्म सांसे लेते हुए बोली,,,।


दोपहर में तो तुम कसम खाई थी कि अब ऐसा नहीं होगा सब कुछ यहीं खत्म करना होगा,,,,।



नहीं मुझ से नहीं हो सकता,,,, तुम्हारी खूबसूरत बदन में बहुत नशा है,,,, मुझसे बिल्कुल भी नहीं रहा जाएगा,,,(चंडी गहरी सांस लेते हुए बोला और अपने दोनों हाथ नीचे करके अपनी बेटी की गांड को पकड़कर उसे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पर लाकर पटक दिया,,, दोनों बाप बेटी के बदन से कब कपड़े अलग हुए यह दोनों को पता नहीं चला,,, दोनों बिस्तर पर एकदम नंगे थे और सगुन खुद अपने पापा के बाल को पकड़ कर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच ले जा रही थी संजय अपने बेटी के इशारे को समझ गया था और देखते ही देखते वह अपनी बेटी के दोनों टांगों के बीच आकर उसकी रसीली बुर को लपालप चाटना शुरू कर दिया,,,, शगुन के मुंह से गरम सिसकारी गुंजने लगी,,, दिन भर संजय अपने हाथों में गलत काम के पश्चाताप की आग में जल रहा था और ऐसा ना करने की कसम खा रहा था लेकिन रात को ,,, सब कुछ भूल गया था अपनी बेटी की खूबसूरत जिस्म की खुशबू उसे मदहोश कर गई थी वो पागल हो गया था उसकी आंखों में मदहोशी की खुमारी छा गई थी और इसीलिए वह ईस समय बिस्तर पर अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच मुंह मार रहा था,,,, संजय जितना हो सकता था उतनी जीभ अपनी बेटी की बुर में डालकर उसकी मलाई को चाट रहा था,,,,।

संजय दो बार अपनी बेटी की बुर चाट कर ही उसका पानी निकाल चुका था,,,, शगुन मचल उठी थी अपने बाप के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए,,,।


आहहहह ,,,,सहहहहहह ,,, मुझसे रहा नहीं जा रहा पापा,,,,आहहहहह मेरी बुर में लंड डाल दो,,, चोदो मुझे,,,,आहहहहह पापा,,,,,आहहहहहहहह,,,,,
(अपनी बेटी की बातों को सुनकर उसकी गरमा गरम सिसकारी को सुनकर संजय की हालत खराब हो रही थी उसका जोश बढ़ रहा था,,,। वह भी जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी बेटी की बुर में डाल देना चाहता था,,,, लेकिन उससे पहले वह अपना लंड चुसवाना चाहता था,,,
इसलिए वह अपने लंड को सगुन के मुंह में डाल दिया और शगुन उसे लॉलीपॉप की तरह आराम से चूसने लगी उसे लंड चूसने में भी बहुत मजा आता था,,,, और कुछ देर बाद वह शगुन की टांगों के बीच आकर अपने मोटे लंड को अपनी बेटी की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया,,,,जैसा संजय के लिए बेहद अद्भुत था वह पूरी तरह से उत्तेजना से भरा हुआ था दिन भर के उतार-चढ़ाव कशमकश को वह दूर करते हुए शगुन की जबरदस्त चुदाई कर रहा था,,,पूरा कमरा शगुन की गर्म सिसकारी से गुंज रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,,,, क्या सिलसिला होटल के उस कमरे में सुबह के 4:00 बजे तक चलता रहा इसके बाद संजय वहां 2 दिन और रुकने का फैसला किया,,
एक-दो दिन में संजय और शगुन पूरी तरह से एक दूसरे के हो चुके थे दोनों के बीच बाप बेटी का रिश्ता खत्म हो चुका था संजय शगुन के जवान बदन का भरपूर आनंद लूट रहा था,,,, सगुन के लिए यह सब पहली बार था इसलिए संभोग सुख को भरपूर तरीके से उसका आनंद लुट रही थी। दूसरी तरफ सोनू और संध्या दोनों मां बेटे चुदाई का भरपूर मजा ले रहे थे,,,,,,, जितने दिन सुकून और संजय दोनों बाहर थे इतने दिन सोनू और संध्या अपने तरीके से जिंदगी को जी रहे थे और यही काम शगुन और संजय भी कर रहे थे,,,।
लेकिन संध्या और संजय दोनों को अपनी-अपनी चोरी पकड़े जाने का डर बहुत था करे चोरी पकड़ी जाती हो तुम दोनों एक दूसरे की नजरों में गिर जाते हैं और परिवार तबाह होने का पूरा डर था बदनामी अलग से,,,,।

इसलिए समाज में किसी भी प्रकार की कानाफुसी ना हो किसी को इस बात का कानो कान खबर ना हो इसलिए संजय और शगुन दोनों एक दूसरे से वादा किए थे कि घर पर पहुंचते ही वह दोनों उसी तरह से रहेंगे जैसा कि पहले रहते थे अगर मौका मिला तो वह दोनों फिर से संभोग सुख एक दूसरे से प्राप्त करेंगे और यही वादा संध्या और सोनू दोनों मां-बेटे आपस में मिलकर किए थे क्योंकि वह लोग अच्छी तरह से जानते थे कि घर में अगर इस तरह से चलता रहा तो एक न एक दिन दोनों पकड़े जाएंगे और ऐसा वह दोनों बिल्कुल भी नहीं चाहते थे,,,,। जिस तरह से वादा किया था उस तरह से चलने लगा मां बेटे का बाप बेटी दोनों को जब भी मौका मिलता था दोनों चुदाई का सुख भोग लेते लेकिन कभी भी एक दूसरे की हाजिरी में वह दोनों संजय और शगुन और ना ही संध्या और सोनू ने कभी भी गलती नहीं किया इसलिए वह लोग दुनिया की नजर में समाज के नजर में,,, परिवार की नजर में मां बेटी और बाप बेटी बने रहते थे लेकिन जैसे एकांत पाते वह लोग केवल मर्द औरत हो जाते थे जो एक दूसरे से संभोग का भरपूर सुख प्राप्त करते थे,,,।



The end ,,,,,,,,,,,,,, समाप्त,,,,,,,,,,,
Bahot khoob shaandaar story ka
Behad lajawab END
Intizar rehega aapki doosri nayi kahani
 

rajeev13

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waaoooo but yaha ant nahi karni chahiye thi. abi to is story ka sabse sexy part baki hi rah gaya mere hisab se,
Bhai ke saath bhi karwate to aur romatic aur sexy hota, lekin aap ki soch h job kia bahut hi shandar tha.
love your story
सही कह रहे हो मित्र, रोहन भाई ये तो गलत बात है अभी तो और रोमांचक पल आगे कहानी में आने थे और इतनी जल्दी आपने कहानी समाप्त कर दी। :confused3:

दिल तोड़ दिया। 💔
 
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