यार तुम तो पूरा मूड खराब कर देती हो,,,,
(इतना कहने के साथ ही संजय सगुन के कमरे की तरफ जाने लगा और संध्या मुस्कुराते हुए किचन में चली गई,,, थोड़ी ही देर में संजय शगुन के कमरे के सामने खड़ा था पर दरवाजे पर दस्तक देने जा ही रहा था कि उसके हाथ दरवाजे पर पडते ही दरवाजा खुद-ब-खुद खुलने लगा,,, देखते ही देखते पूरा दरवाजा खुल गया उसे लगा कि शायद सगुन जाग रही है लेकिन सामने बेड पर नजर पड़ते ही उसके होश उड़ गए क्योंकि शगुन सोई हुई थी,,,, उसकी एक टांग बिल्कुल नंगी नजर आ रही थी और बाकी पर चादर पड़ी हुई थी,,,, शगुन की नंगी टांग को देखकर संजय के मन में तुरंत वहां से चले जाने का विचार आया और वो जाने ही वाला था लेकिन शगुन की नंगी चिकनी टांग की मदहोशी में वह अपने आप को खोता हुआ महसूस करने लगा,,,,, लेकिन एक बार फिर उसके मन में अजीब सी उलझन ले चैनल लेना शुरू कर दिया और वह वापस लौटने के लिए अपना कदम पीछे ले लिया और दरवाजे को खोलकर जैसे ही बाहर जाने वाला था ना जाने क्यों उसका दिमाग होना शुरू हुआ और वह एक बार फिर से अपनी बेटी के कमरे में वापस कदम बढ़ाने लगा,,,, बेड पर सगुन बेसुध होकर सोई हुई थी।