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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

rohnny4545

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शगुन जब घर पर आई तो उसे इस बारे में पता चला वह एकदम से घबरा गई,,, वह तुरंत अपनी मां के कमरे में गई,,,, जहां पर उसकी मां ने उसे सब कुछ बताया,,,,

क्या मम्मी तुम्हें अपने हॉस्पिटल चले जाना चाहिए था,,,

तू पागल हो गई है सगुन,,, मेरी जगह अगर तू होती तो तू भी यही करती जानती है ना अपना हॉस्पिटल कितनी दूर है और मेरी ऐसी हालत बिल्कुल भी नहीं थी कि मैं इतनी देर तक इंतजार कर पाती,, वोतो अच्छा हुआ कि सोनू समय पर आ गया और मुझे क्लीनिक लेकर गया,,। वरना आज ना जाने क्या हो जाता,,,।


अब कैसी तबीयत है आपकी,,,,

अब जाकर थोड़ा आराम लग रहा है,,,,।


दवा ले ली हो,,,,


हां दवाई तो ले ली हूं लेकिन (टेबल पर अपना हाथ बढ़ा कर वहां से ट्यूब उठाते हुए) इससे मालिश करना था मुझसे तो हो नहीं पा रहा है,,

लाइए में मालिश कर देती हूं ,,,(अपनी मां के हाथ से ट्यूब लेते हुए) मालिश करने से आप जल्दी ही अच्छी हो जाएंगी,,,(इतना कहते हुए शगुन ट्यूब का ढक्कन खोल नहीं जा रही थी कि संध्या बोली)

अभी रुक जाओ शगुन मुझे बाथरूम जाना है,,, मैं उठ नहीं पाऊंगी तूम्हे सहारा देना होगा,,,


चलिए मे ले चलती हूं,,,,(इतना कहते हुए सगुन अपनी मां को सहारा देकर बिस्तर पर से उठाने लगी,, संध्या का शरीर अच्छा खासा भरा हुआ था इसलिए शगुन को थोड़ा दिक्कत आ रही थी फिर भी वह जैसे तैसे करके अपनी मां को बिस्तर पर से खड़ी कर दी और अपना एक हाथ उसकी कमर में डालकर उसे सहारा देकर बाथरूम की तरफ ले जाने लगी जो कि रूम से ही अटैच था,,, जिस तरह से शगुनउसकी कमर में हाथ डाल कर उसे सहारा दी थी उसे सोनू की याद आ गई सोनू की इसी तरह उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे सहारा दिया था लेकिन उसके सहारा देने से उसके तन बदन में जिस तरह की खलबली मची थी वैसा कुछ भी नहीं हुआ वरना सोनू का हाथ कमर पर स्पर्श करते ही उसकी टांगों के बीच उसकी गुलाबी बुर् के छेंद मैं उत्तेजना की शहनाई बजने लगी थी,,,, धीरे-धीरे करके शगुन बाथरूम के दरवाजे तक पहुंच गए और बाथरूम का दरवाजा खोल कर उसे अंदर की तरफ ले जाने लगी अपनी मां की स्थिति को देखकर सब उनको इतना तो अंदाजा लग गया था कि वह ठीक से चल नहीं पाएंगी,,, इसलिए बाथरूम के अंदर तक सहारा देना पड़ा,,,। शगुन अपनी मां को लेकर बाथरूम के कोने पर खड़ी हो गई और बोली,,।

यही कर लो मैं खड़ी हूं,,,,
(संध्या यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि बिना सहारा के वहां हिल बोल नहीं सकती है इसलिए वह शगुन को बाथरूम से बाहर जाने के लिए भी नहीं बोली,,,और शगुन भी ऐसे हालात में अपनी मां को छोड़कर बाकी से बाहर जाना नहीं चाहती थी क्योंकि वह जानती थी कि अगर पैर फिसल गया कहीं गिर गई तो और दिक्कत आ जाएगी इसलिए वह वहीं खड़ी रही,,,, संध्या के लिए पहला मौका था जब वह अपनी बेटी के सामने पेशाब करने जा रही थी,,, एहसास तो बिल्कुल भी नहीं हुआ था लेकिन आज वह मजबूर थी,,, दर्द का एहसास उसे अभी भी हो रहा था,, अपनी बेटी के सामने ही उसकी उपस्थिति में अपनी साड़ी को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाने लगी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था दर्द के बावजूद भी उसके तन बदन में हलचल सी हो रही थी और वह भी इस बात से कि आज अपनी बेटी की आंखों के सामने वह पेशाब करने जा रही थी,,,। एक औरत को एक औरत के सामने पेशाब करने में झिझक तो नहीं होती लेकिन संध्या को शर्म महसूस हो रही थी,,, और वह भी एक डॉक्टर के परिवार होने के बावजूद भी,,,। खैर जो होना है वह तो होकर ही रहेगा,,लेकिन एक मलाल देखने रह गया था कि अगर शगुन की जगह उसका बेटा सोनू होता तो शायद उसे और भी ज्यादा अच्छा लगता,,,

देखते ही देखते संध्या अपनी साड़ी को धीरे धीरे उठाते हुए अपनी कमर तक उठा दी,,,शगुन ना चाहते हुए भी अपनी मां की भारी-भरकम पिछवाड़े को देख रही थी जो कि काली रंग की पेंटी के अंदर बेहद खूबसूरत लग रही थी,,, अजीब सी हलचल शगुन के भी तन बदन में हो रही थी,,, वह पीछे से अपनी मां को एक हाथ का सहारा देकर था में हुए थी,,,,


बहुत दर्द कर रही है मेरी कमर शगुन,,,,


ठीक हो जाएगा मम्मी चिंता मत करिए मैं अभी मालिश कर देती हूं बिल्कुल ठीक हो जाएगा,,,,
( शगुन की बातें सुनकर उसे राहत महसूस हो रही थी,, संध्या दोनों हाथों का सहारा लेकर अपनी काली रंग की पेंटी को उतारने लगी,,, शगुन की हालत खराब होती जा रही थी क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानती थी की खूबसूरती में उसकी मां उसे एक कदम आगे थी इस उम्र में भी उसके बदन का गठीला पन उसकी जवानी को शर्माने पर मजबूर कर देता था,,,,शगुन यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी मां उससे हर मामले में 20 थी और वह एक कदम पीछे 19,,,, संध्या की गांड कुछ ज्यादा ही ऊभरी हुई और गोलाकार थी,,, जो की साड़ी पहनने के बावजूद भी बेहद खूबसूरत लगती थी तो फ़िर बिना साड़ी की कैसी लगती होगी यह बात हमेशा से सब उनके मन में उठती रहती थी लेकिन आज शायद उसे मौका मिल चुका था अपनी मां की मदमस्त गांड को बिना कपड़ों में देखने का,,,। देखते ही देखते संध्या अपनी काली रंग की पैंटी को धीरे धीरे उतारकर से नितंबों के गोलाकार आकार से नीचे जांघों तक ले आई,,, शगुन तो अपनी मां की नंगी गांड को देखते ही रह गई,,, आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला है क्या क्योंकि उम्र के इस पड़ाव पर भी उसकी मां की नंगी गांड एकदम गोरी और एकदम चिकनी थी उस पर जरा सी भी झुर्रियां नहीं पड़ी थी शगुन को इस बात का बेहद आश्चर्य हो रहा था इस बात का एहसास उसे अच्छी तरह से था कि उसकी मां की गांड देखने के बाद कोई उसकी उम्र का अंदाजा नहीं लगा सकता था,,,अपनी मां की गांड को देखकर शगुन को ना जाने क्यों अपनी मां की गांड को अपनी नाजुक उंगलियो से स्पर्श करने का मन कर रहा था उसे छूने का मन कर रहा था,,, लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसमे बिल्कुल भी नहीं थी,,,, एक हाथ से अपनी मां को सहारा दिया हुए थी,,पढ़ना चाहते हो कि उसकी नजर बार-बार नीचे की तरफ संध्या के नितंबों पर चली जा रही थी,,

संध्या को जोरो की पिशाब लगी हुई थी,,, और वह धीरे धीरे नीचे बैठ गई और मुतना शुरू कर दी,,,, जैसे ही गुलाबी बुरके गुलाबी छेद के अंदर से सीटी की आवाज शगुन के कानों में पड़ी वो एकदम से मदहोश हो गई,,,, गजब की मधुर ध्वनि थी जो कि पूरे बाथरूम में अपना राग फैला रही थी,,, अपनी मां की बुर से निकलने वाली सीटी की आवाज से बांसुरी की मधुर आवाज लग रही थी,,, जो उसे एकदम मस्त कर दे रही थी और संध्या को भी इस बात का एहसास हो रहा था कि पेशाब करते समय उसकी बुर से सीटी की आवाज को ज्यादा ही चोरों से निकल रही थी जिससे उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,, संध्या को पेशाब करते समय वह रंगीन पल याद आ रहा था जब उसका बेटा उसे सहारा देकर गेट से बाहर ले जा रहा था उसे अभी भी अपने नितंबों के बीचो बीच अपने बेटे के खड़े लंड का धंसने का एहसास बराबर हो रहा था,,,। वह पल उसके लिए बेहद अद्भुत और अतुल्य था,,, उस पल को याद करते हैं उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,ना चाहते हुए भी संध्या की नजर अपनी दोनों टांगों के बीच की उस गुलाबी छेद पर चली गई जिसमें से पेशाब की धार फूट रही थी,,, वह अपनी ही बुर को देखकर मदहोश हो गई,,,, और पीछे खड़ी सगुन भी अपनी मां की बुर देखना चाहती थी,,,, लेकिन खड़े होने की वजह से उसे ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था उसे सिर्फ उसकी मां की भारी-भरकम गांड ही नजर आ रही थी जिसका उसके पापा दीवाने थे,,,, तभी सगुन के मन में अपनी मां की बुर देखने की लालच प्रवृत्त होने लगी,,, और वह अपने इस लालच को दबा नहीं पाई और अपनी मां की पीठ पर अपनी हथेली रख कर उसे सहारा देने के बहाने अपनी मां के पीछे ही बैठ गई,,,, और अपनी नजरों को संध्या की मदमस्त गोरी गोरी गांड की दोनों फांकों के बीच स्थिर करके उसकी पुरानी बुर को देखने की कोशिश करने लगी,,, और बहुत ही जल्दी उसकी कोशिशे रंग लाने लगी उसे अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्ति नजर आने लगी जिसमें से अभी भी पेशाब की धार पड रही थी। वह अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों को देखकर एकदम मस्त हो गई,,, उसे अपनी मां की बुर बहुत खूबसूरत लग रही थी,,
अपनी मां की बुर देख कर वह अपने मन में बोली,,।

तभी तो पापा मा के इतने दीवाने हैं,,,और इसलिए तो वह ऊस रात को मां की जम के ले रहे थे,,, शगुन को ऊस रात का दर्शय याद आते ही उसे अपने बदन में अजीब सी हलचल होती हुई महसूस होने लगी,,। वह एक बार फिर से अपनी मां को चुदते हुए देखना चाहती थी,,, उसकी इच्छाए बढ़ने लगी थी,,। मन मचलने लगा था,,ऐसा ही हलचल संध्या के भी तनबदन में हो रहा था,,,, बार बार उसके मन में यही ख्याल आ रहा था कि अगर बाथरूम में सगुन की जगह सोनू होता तो मजा आ जाता,,,।
संध्या पेशाब कर चुकी थी,,वह खड़ी होना चाहती थी,,,सगुन समझ गई थी,,और वह अपनी मां को सहारा देकर खड़ी कर दी और उसे बाथरूम से बिस्तर पर ले गई और खुद ही ऊसकी साड़ी को अपने हाथ से खोलकर उसकी कमर से लेकर जांघों तक मालीस कर दी,,,, आराम तो मिल रहा था लेकिन संध्या के मन मलाल रह गया था कि अगर मालीस सोनु करता तो बात कुछ और होती,,,


रात को जब संजय घर आया तो संध्या के बारे में सुनकर हैरान हो गया,,,लेकीन अपने दोनों बच्चों की सुझबुझ से काफी खुश हुआ,,,

रात को बिस्तर पर संजय को नींद नहीं आ रही थी,, संध्या तो दवा खाकर चैन की नींद सो रही थी लेकिन संजय की आंखों से नींद कोसों दूर थी,,,उसे चोदने का मन कर रहा था,, लेकिन संध्या की हालत को देखकर ऊसकी चुदाई करना ठीक नहीं था,,ना जाने कैसे उसके मन में सगुन का ख्याल आने लगा,,,और अपनी बेटी का ख्याल मन में आते ही उसका लंड खड़ा होने लगा,,,यह बहुत अजीब था,,, लेकिन सुखद एहसास से भरा हुआ था,,वह बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि उसके मन में अपनी बेटी को लेकर कोई गंदा ख्याल आए,,,लेकीन अपनी बेटी को लेकर उसके मन में आ रहे गंदे ख्यालो को रोक सकने में वह असमर्थ था,,।
उस दिन जिम में जिस तरह से उसकी नजर अपनी ही बेटी के गोलाकार नितंबों पर पड़ी थी इस समय उसी नितंबों के बारे में सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी,,,।
उसकी आंखें बंद हो चुकी थी पजामे में तंबू सा बन गया था,,। अपनी मन में उठ रही कामवासना की इच्छाओं को अपने काबू में कर सकने ले वह कमजोर महसूस कर रहा था अपने मन में आ रहे कामवासना की इच्छाएं और वह भी अपनी बेटी को लेकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी वह कुछ भी करना नहीं चाहता था लेकिन वह मजबूर होता जा रहा था,,,, बगल में संध्या एकदम गहरी नींद में सो रही थी,,, जिस तरह का तनाव उसे अपने लंड में महसूस हो रहा था,, उसकी इच्छा बहुत हो रही थी जुदाई करने की सुबह संध्या को चोदने के बारे में सोच रहा था लेकिन उसे इस बात का डर था क्योंकि वह चौदते समय इतनी जोर जोर से धक्के लगाता था कि इस समय उसकी बीवी उसके धक्के सहने लायक बिल्कुल भी नहीं थी,,,
बेबस और लाचार होकर वह अपना पजामा घुटनों तक खींच दिया,,, उसका खड़ा टनटनाता लंड छत की तरफ मुंह उठाए खड़ा था,,, बगल में सो रही संध्या के नींद खुलेगी कि नहीं इस बारे में पूरी तरह से निश्चिंत होकर वह अपनी आंखों को बंद करके पूरी तरह से अपनी जवान बेटी शगुन के ख्यालों में खो गया,,, और अपने खड़े लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर मुठीयाना शुरू कर दिया,,,,,,,
आनंद ही आनंद आ रहा था शकुन के ख्यालों में वह पूरी तरह से खो चुका था उत्तेजना से उसका तनबदन कसमसा रहा था,,, और देखते ही देखते उसकी लंड से निकली पिचकारी हवा में उड़ी और संध्या की साड़ी पर आकर गिरने लगा,,,, संजय एकदम मस्त हो चुका था वासना का तूफान गुजरते ही उसे अपनी हरकत पर शर्मिंदगी महसूस होने लगी,,, वह कपड़े से अपनी बीवी के ऊपर गिरे अपने वीर्य को साफ कर दिया और सो गया,,,।
 

m.vishw

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Awesome update
 
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anilvk

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Awesome update
 
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SweetSonali

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bahut badhiya update
 
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Vik88

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Fantastic update! just awesome and amazing writings
 
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Raghu

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mind blowing update bro, ekdom mast aur fataka kahani
bohot majedar update
 
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