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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

rajeev13

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रूबी ने आखिर अपनी ख्वाहिशों का खूंटा गाड़ लिया। :wink:

अगली कड़ी की प्रतीक्षा में . . . . . :rock1:
 

Jassybabra

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Nice update
 

maakaloda

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bahut garam aur madak
 

Naik

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शगुन जब घर पर आई तो उसे इस बारे में पता चला वह एकदम से घबरा गई,,, वह तुरंत अपनी मां के कमरे में गई,,,, जहां पर उसकी मां ने उसे सब कुछ बताया,,,,

क्या मम्मी तुम्हें अपने हॉस्पिटल चले जाना चाहिए था,,,

तू पागल हो गई है सगुन,,, मेरी जगह अगर तू होती तो तू भी यही करती जानती है ना अपना हॉस्पिटल कितनी दूर है और मेरी ऐसी हालत बिल्कुल भी नहीं थी कि मैं इतनी देर तक इंतजार कर पाती,, वोतो अच्छा हुआ कि सोनू समय पर आ गया और मुझे क्लीनिक लेकर गया,,। वरना आज ना जाने क्या हो जाता,,,।


अब कैसी तबीयत है आपकी,,,,

अब जाकर थोड़ा आराम लग रहा है,,,,।


दवा ले ली हो,,,,


हां दवाई तो ले ली हूं लेकिन (टेबल पर अपना हाथ बढ़ा कर वहां से ट्यूब उठाते हुए) इससे मालिश करना था मुझसे तो हो नहीं पा रहा है,,

लाइए में मालिश कर देती हूं ,,,(अपनी मां के हाथ से ट्यूब लेते हुए) मालिश करने से आप जल्दी ही अच्छी हो जाएंगी,,,(इतना कहते हुए शगुन ट्यूब का ढक्कन खोल नहीं जा रही थी कि संध्या बोली)

अभी रुक जाओ शगुन मुझे बाथरूम जाना है,,, मैं उठ नहीं पाऊंगी तूम्हे सहारा देना होगा,,,


चलिए मे ले चलती हूं,,,,(इतना कहते हुए सगुन अपनी मां को सहारा देकर बिस्तर पर से उठाने लगी,, संध्या का शरीर अच्छा खासा भरा हुआ था इसलिए शगुन को थोड़ा दिक्कत आ रही थी फिर भी वह जैसे तैसे करके अपनी मां को बिस्तर पर से खड़ी कर दी और अपना एक हाथ उसकी कमर में डालकर उसे सहारा देकर बाथरूम की तरफ ले जाने लगी जो कि रूम से ही अटैच था,,, जिस तरह से शगुनउसकी कमर में हाथ डाल कर उसे सहारा दी थी उसे सोनू की याद आ गई सोनू की इसी तरह उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे सहारा दिया था लेकिन उसके सहारा देने से उसके तन बदन में जिस तरह की खलबली मची थी वैसा कुछ भी नहीं हुआ वरना सोनू का हाथ कमर पर स्पर्श करते ही उसकी टांगों के बीच उसकी गुलाबी बुर् के छेंद मैं उत्तेजना की शहनाई बजने लगी थी,,,, धीरे-धीरे करके शगुन बाथरूम के दरवाजे तक पहुंच गए और बाथरूम का दरवाजा खोल कर उसे अंदर की तरफ ले जाने लगी अपनी मां की स्थिति को देखकर सब उनको इतना तो अंदाजा लग गया था कि वह ठीक से चल नहीं पाएंगी,,, इसलिए बाथरूम के अंदर तक सहारा देना पड़ा,,,। शगुन अपनी मां को लेकर बाथरूम के कोने पर खड़ी हो गई और बोली,,।

यही कर लो मैं खड़ी हूं,,,,
(संध्या यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि बिना सहारा के वहां हिल बोल नहीं सकती है इसलिए वह शगुन को बाथरूम से बाहर जाने के लिए भी नहीं बोली,,,और शगुन भी ऐसे हालात में अपनी मां को छोड़कर बाकी से बाहर जाना नहीं चाहती थी क्योंकि वह जानती थी कि अगर पैर फिसल गया कहीं गिर गई तो और दिक्कत आ जाएगी इसलिए वह वहीं खड़ी रही,,,, संध्या के लिए पहला मौका था जब वह अपनी बेटी के सामने पेशाब करने जा रही थी,,, एहसास तो बिल्कुल भी नहीं हुआ था लेकिन आज वह मजबूर थी,,, दर्द का एहसास उसे अभी भी हो रहा था,, अपनी बेटी के सामने ही उसकी उपस्थिति में अपनी साड़ी को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाने लगी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था दर्द के बावजूद भी उसके तन बदन में हलचल सी हो रही थी और वह भी इस बात से कि आज अपनी बेटी की आंखों के सामने वह पेशाब करने जा रही थी,,,। एक औरत को एक औरत के सामने पेशाब करने में झिझक तो नहीं होती लेकिन संध्या को शर्म महसूस हो रही थी,,, और वह भी एक डॉक्टर के परिवार होने के बावजूद भी,,,। खैर जो होना है वह तो होकर ही रहेगा,,लेकिन एक मलाल देखने रह गया था कि अगर शगुन की जगह उसका बेटा सोनू होता तो शायद उसे और भी ज्यादा अच्छा लगता,,,

देखते ही देखते संध्या अपनी साड़ी को धीरे धीरे उठाते हुए अपनी कमर तक उठा दी,,,शगुन ना चाहते हुए भी अपनी मां की भारी-भरकम पिछवाड़े को देख रही थी जो कि काली रंग की पेंटी के अंदर बेहद खूबसूरत लग रही थी,,, अजीब सी हलचल शगुन के भी तन बदन में हो रही थी,,, वह पीछे से अपनी मां को एक हाथ का सहारा देकर था में हुए थी,,,,


बहुत दर्द कर रही है मेरी कमर शगुन,,,,


ठीक हो जाएगा मम्मी चिंता मत करिए मैं अभी मालिश कर देती हूं बिल्कुल ठीक हो जाएगा,,,,
( शगुन की बातें सुनकर उसे राहत महसूस हो रही थी,, संध्या दोनों हाथों का सहारा लेकर अपनी काली रंग की पेंटी को उतारने लगी,,, शगुन की हालत खराब होती जा रही थी क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानती थी की खूबसूरती में उसकी मां उसे एक कदम आगे थी इस उम्र में भी उसके बदन का गठीला पन उसकी जवानी को शर्माने पर मजबूर कर देता था,,,,शगुन यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी मां उससे हर मामले में 20 थी और वह एक कदम पीछे 19,,,, संध्या की गांड कुछ ज्यादा ही ऊभरी हुई और गोलाकार थी,,, जो की साड़ी पहनने के बावजूद भी बेहद खूबसूरत लगती थी तो फ़िर बिना साड़ी की कैसी लगती होगी यह बात हमेशा से सब उनके मन में उठती रहती थी लेकिन आज शायद उसे मौका मिल चुका था अपनी मां की मदमस्त गांड को बिना कपड़ों में देखने का,,,। देखते ही देखते संध्या अपनी काली रंग की पैंटी को धीरे धीरे उतारकर से नितंबों के गोलाकार आकार से नीचे जांघों तक ले आई,,, शगुन तो अपनी मां की नंगी गांड को देखते ही रह गई,,, आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला है क्या क्योंकि उम्र के इस पड़ाव पर भी उसकी मां की नंगी गांड एकदम गोरी और एकदम चिकनी थी उस पर जरा सी भी झुर्रियां नहीं पड़ी थी शगुन को इस बात का बेहद आश्चर्य हो रहा था इस बात का एहसास उसे अच्छी तरह से था कि उसकी मां की गांड देखने के बाद कोई उसकी उम्र का अंदाजा नहीं लगा सकता था,,,अपनी मां की गांड को देखकर शगुन को ना जाने क्यों अपनी मां की गांड को अपनी नाजुक उंगलियो से स्पर्श करने का मन कर रहा था उसे छूने का मन कर रहा था,,, लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसमे बिल्कुल भी नहीं थी,,,, एक हाथ से अपनी मां को सहारा दिया हुए थी,,पढ़ना चाहते हो कि उसकी नजर बार-बार नीचे की तरफ संध्या के नितंबों पर चली जा रही थी,,

संध्या को जोरो की पिशाब लगी हुई थी,,, और वह धीरे धीरे नीचे बैठ गई और मुतना शुरू कर दी,,,, जैसे ही गुलाबी बुरके गुलाबी छेद के अंदर से सीटी की आवाज शगुन के कानों में पड़ी वो एकदम से मदहोश हो गई,,,, गजब की मधुर ध्वनि थी जो कि पूरे बाथरूम में अपना राग फैला रही थी,,, अपनी मां की बुर से निकलने वाली सीटी की आवाज से बांसुरी की मधुर आवाज लग रही थी,,, जो उसे एकदम मस्त कर दे रही थी और संध्या को भी इस बात का एहसास हो रहा था कि पेशाब करते समय उसकी बुर से सीटी की आवाज को ज्यादा ही चोरों से निकल रही थी जिससे उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,, संध्या को पेशाब करते समय वह रंगीन पल याद आ रहा था जब उसका बेटा उसे सहारा देकर गेट से बाहर ले जा रहा था उसे अभी भी अपने नितंबों के बीचो बीच अपने बेटे के खड़े लंड का धंसने का एहसास बराबर हो रहा था,,,। वह पल उसके लिए बेहद अद्भुत और अतुल्य था,,, उस पल को याद करते हैं उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,ना चाहते हुए भी संध्या की नजर अपनी दोनों टांगों के बीच की उस गुलाबी छेद पर चली गई जिसमें से पेशाब की धार फूट रही थी,,, वह अपनी ही बुर को देखकर मदहोश हो गई,,,, और पीछे खड़ी सगुन भी अपनी मां की बुर देखना चाहती थी,,,, लेकिन खड़े होने की वजह से उसे ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था उसे सिर्फ उसकी मां की भारी-भरकम गांड ही नजर आ रही थी जिसका उसके पापा दीवाने थे,,,, तभी सगुन के मन में अपनी मां की बुर देखने की लालच प्रवृत्त होने लगी,,, और वह अपने इस लालच को दबा नहीं पाई और अपनी मां की पीठ पर अपनी हथेली रख कर उसे सहारा देने के बहाने अपनी मां के पीछे ही बैठ गई,,,, और अपनी नजरों को संध्या की मदमस्त गोरी गोरी गांड की दोनों फांकों के बीच स्थिर करके उसकी पुरानी बुर को देखने की कोशिश करने लगी,,, और बहुत ही जल्दी उसकी कोशिशे रंग लाने लगी उसे अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्ति नजर आने लगी जिसमें से अभी भी पेशाब की धार पड रही थी। वह अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों को देखकर एकदम मस्त हो गई,,, उसे अपनी मां की बुर बहुत खूबसूरत लग रही थी,,
अपनी मां की बुर देख कर वह अपने मन में बोली,,।

तभी तो पापा मा के इतने दीवाने हैं,,,और इसलिए तो वह ऊस रात को मां की जम के ले रहे थे,,, शगुन को ऊस रात का दर्शय याद आते ही उसे अपने बदन में अजीब सी हलचल होती हुई महसूस होने लगी,,। वह एक बार फिर से अपनी मां को चुदते हुए देखना चाहती थी,,, उसकी इच्छाए बढ़ने लगी थी,,। मन मचलने लगा था,,ऐसा ही हलचल संध्या के भी तनबदन में हो रहा था,,,, बार बार उसके मन में यही ख्याल आ रहा था कि अगर बाथरूम में सगुन की जगह सोनू होता तो मजा आ जाता,,,।
संध्या पेशाब कर चुकी थी,,वह खड़ी होना चाहती थी,,,सगुन समझ गई थी,,और वह अपनी मां को सहारा देकर खड़ी कर दी और उसे बाथरूम से बिस्तर पर ले गई और खुद ही ऊसकी साड़ी को अपने हाथ से खोलकर उसकी कमर से लेकर जांघों तक मालीस कर दी,,,, आराम तो मिल रहा था लेकिन संध्या के मन मलाल रह गया था कि अगर मालीस सोनु करता तो बात कुछ और होती,,,


रात को जब संजय घर आया तो संध्या के बारे में सुनकर हैरान हो गया,,,लेकीन अपने दोनों बच्चों की सुझबुझ से काफी खुश हुआ,,,

रात को बिस्तर पर संजय को नींद नहीं आ रही थी,, संध्या तो दवा खाकर चैन की नींद सो रही थी लेकिन संजय की आंखों से नींद कोसों दूर थी,,,उसे चोदने का मन कर रहा था,, लेकिन संध्या की हालत को देखकर ऊसकी चुदाई करना ठीक नहीं था,,ना जाने कैसे उसके मन में सगुन का ख्याल आने लगा,,,और अपनी बेटी का ख्याल मन में आते ही उसका लंड खड़ा होने लगा,,,यह बहुत अजीब था,,, लेकिन सुखद एहसास से भरा हुआ था,,वह बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि उसके मन में अपनी बेटी को लेकर कोई गंदा ख्याल आए,,,लेकीन अपनी बेटी को लेकर उसके मन में आ रहे गंदे ख्यालो को रोक सकने में वह असमर्थ था,,।
उस दिन जिम में जिस तरह से उसकी नजर अपनी ही बेटी के गोलाकार नितंबों पर पड़ी थी इस समय उसी नितंबों के बारे में सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी,,,।
उसकी आंखें बंद हो चुकी थी पजामे में तंबू सा बन गया था,,। अपनी मन में उठ रही कामवासना की इच्छाओं को अपने काबू में कर सकने ले वह कमजोर महसूस कर रहा था अपने मन में आ रहे कामवासना की इच्छाएं और वह भी अपनी बेटी को लेकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी वह कुछ भी करना नहीं चाहता था लेकिन वह मजबूर होता जा रहा था,,,, बगल में संध्या एकदम गहरी नींद में सो रही थी,,, जिस तरह का तनाव उसे अपने लंड में महसूस हो रहा था,, उसकी इच्छा बहुत हो रही थी जुदाई करने की सुबह संध्या को चोदने के बारे में सोच रहा था लेकिन उसे इस बात का डर था क्योंकि वह चौदते समय इतनी जोर जोर से धक्के लगाता था कि इस समय उसकी बीवी उसके धक्के सहने लायक बिल्कुल भी नहीं थी,,,
बेबस और लाचार होकर वह अपना पजामा घुटनों तक खींच दिया,,, उसका खड़ा टनटनाता लंड छत की तरफ मुंह उठाए खड़ा था,,, बगल में सो रही संध्या के नींद खुलेगी कि नहीं इस बारे में पूरी तरह से निश्चिंत होकर वह अपनी आंखों को बंद करके पूरी तरह से अपनी जवान बेटी शगुन के ख्यालों में खो गया,,, और अपने खड़े लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर मुठीयाना शुरू कर दिया,,,,,,,
आनंद ही आनंद आ रहा था शकुन के ख्यालों में वह पूरी तरह से खो चुका था उत्तेजना से उसका तनबदन कसमसा रहा था,,, और देखते ही देखते उसकी लंड से निकली पिचकारी हवा में उड़ी और संध्या की साड़ी पर आकर गिरने लगा,,,, संजय एकदम मस्त हो चुका था वासना का तूफान गुजरते ही उसे अपनी हरकत पर शर्मिंदगी महसूस होने लगी,,, वह कपड़े से अपनी बीवी के ऊपर गिरे अपने वीर्य को साफ कर दिया और सो गया,,,।
Bahot behtareen shaandaar update
 
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Naik

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दोपहर के 3:00 बज रहे थे और संजय अपनी ऑफिस में बैठकर कुछ काम कर रहा था,,,,,,, हॉस्पिटल का स्टाफ अपने अपने काम में लगा हुआ था,, संजय हॉस्पिटल में सारा दिन बिजी रहता था अभी किसी पेशेंट को देखना तो कभी किसी पेशेंट को कभी इमरजेंसी तो कभी ऑपरेशन,,, संजय का दिमाग थक सा जाता था,,, ऐसे ही वह अपनी टेबल पर किसी पेशेंट की फाइल देख रहा था,,, और दूसरी तरफ रूबी 25 वर्षीय एकदम जवान नर्स,,, अपने सर संजय को रिझाने की पूरी कोशिश करने में लगी हुई थी,,, वह जानती थी कि अगर उसे आगे बढ़ना है तो संजय का लंड पकड़ कर ही आगे बढ़ा जा सकता है,,,, इसलिए वह संजय के साथ किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थी,,, वह अपनी केबिन में बैठकर ईसी बारे में सोच रही थी की कैसे अपना चक्कर चलाया जाए,,,, तभी उसके दिमाग में कोई युक्ति सूची और वह अपनी केबिन में कुर्सी पर से खड़ी हो गई और अपनी स्कर्ट को थोड़ा सा उठा कर अपने दोनों हाथों की नाजुक उंगलियों का सहारा लेकर वह अपनी लाल रंग की पैंटी को उतारने लगी और उसे अपनी लंबी लंबी चिकनी टांगों से निकालकर,,, उसे अपने पर्स में रख ली और पर्स को दो बार में रखकर अपने टेबल पर से फाइल उठा ली और संजय की ऑफिस की तरफ जाने लगी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी यह युक्ति काम करेगी कि नहीं लेकिन उसे विश्वास था कि संजय जी इस तरह से उसकी कामुक अदाओं को देखता है उससे जरूर उसकी यह युक्ति काम करेगी,,,,

मोबाइल की रिंग के बस्ते ही संजय स्क्रीन पर अपनी बेटी शगुन का नंबर देखकर उसे रिसीव करते हुए बोला,,,


हेलो शगुन,,,,

हां पापा,,,,,

क्या हुआ फोन क्यों की,,,,,


वह मुझे एक बुक चाहिए थी हॉस्पिटल से आते समय लेते आना,,,,


कौन सी बुक सगुन,,,,


वह मैं आपके मोबाइल पर व्हाट्सएप कर दी हूं,,,,


ठीक है मैं लेते आऊंगा,,,,,


ओके पापा,,,,,(इतना कहकर शगुन फोन कट कर दी अपने पापा की आवाज सुनते ही उसकी आंखों के सामने उसके पापा का गठीला बदन कसरती शरीर नजर आने लगा,,, और खास करके उसकी छोटी सी चड्डी में उभरते हुए उसके लंड को याद करके शगुन के तन बदन में मस्ती जाने लगी,,, वह अपने पापा को याद करके गर्म आहें भरने लगी और यही हाल संजय का भी हो रहा था अपनी ही बेटी शगुन की सुरीली आवाज को सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,,, और ना चाहते हुए भी अपनी बेटी के बारे में सोच कर उसके पैंट का तंबू तनने लगा था,,,, बस अब उनके बारे में सोच ही रहा था कि तभी केबिन के दरवाजे पर दस्तक की आवाज सुनकर उसका ध्यान दरवाजे पर गया जोकि अंदर से बंद था लेकिन कड़ी नहीं लगी हुई थी,,,।

मे आई कम इन सर,,,,


हां आ जाओ,,,,,,
(इजाजत मिलते ही,, रूबी केबिन का दरवाजा खोल के ऑफिस में प्रवेश करने लगी तो उसकी खूबसूरत और गठीला बदन को देख कर जो अभी-अभी अपनी बेटी की सुरीली आवाज को उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दोड़ना शुरु हुई थी वह एकाएक एकदम से रफ्तार पकड़ ली,,, संजय की अनुभवी आंखें रूबी के सफेद रंग के शर्ट के अंदर से झांक रही दोनों गोलाईयों को देखकर दोनों खरबूजे के नाप का अंदाजा लगा लिया था,,,, संजय समझ गया था कि रूबी के दोनों खरबुजो से खेलने में बेहद आनंद की प्राप्ति होगी क्योंकि रूबी अभी एकदम जवान थी मादकता और जवानी के रस से भरी हुई,,,,और जवान लड़की का रस पीने में संजय को बेहद आनंद आता था और ना जाने क्यों इस समय संजय को रुबी के अंदर अपनी बेटी शगुन नजर आ रही थी,,, रूबी टेबल के करीब आ चुकी थी उसे देखते हुए संजय बोला)

बोलो रुबी क्या काम था,,,?


सर मुझे,,,, श्रीवास्तव के बारे में बात करना था,,,,।


क्यों क्या हुआ,,,,,?

सर उनकी दवाइयों में चेंज करने हैं,,,

ऐसा क्यों सब कुछ तो ठीक है,,,,


सब कुछ ठीक नहीं है सर रह रह कर उनका ब्लड प्रेशर कभी हाई हो जाता है तो कभी लो हो जाता है,,, और उनकी कमर में दर्द भी है,,,। (रूबी अपनी मादक अदा बिखेरते हुए बोली,,,)

तो इसमें मुझसे पूछने की क्या जरूरत है तुम्हें भी तो नॉलेज है अपने हिसाब से मेडिसिन चेंज कर सकती हो,,,।


कर तो सकती हूं सर,,,, लेकिन हमें इतनी इजाजत कहां है,,,


क्यों ऐसा कह रही हो,,,,(जिस तरह से अपने शब्दों के बोल बड़ी ही मादक अदा से रुबी अपने होंठों के बीच से निकाल रही थी उसके लाल-लाल होठों को देखकर संजय के तन बदन में आग लग रही थी संजय उसके लाल-लाल होठों के रस को अपने मुंह में लेकर चूसना चाहता था,,,)

संजना मेम वह हमें इसकी इजाजत बिल्कुल भी नहीं देती,,,वह हम लोगों से कह चुकी है कि मुझसे पूछे बिना किसी भी पेशेंट को अपने हिसाब से कुछ भी नहीं देना है,,,
(संजना का नाम सुनते ही संजय को सब कुछ समझ में आ गया था संजय ने संजना को हॉस्पिटल में बहुत से छूट दे रखी थी जिसका एक ही कारण था संजना का संजय के लिए अपनी दोनों टांगों को खोल देना,,, संजय को भी संजना की दोनों टांगों के बीच कि वह पतली दरार बेहद पसंद थी,,, इसलिए तो संजय ने उसे इतनी ज्यादा छूट दे रखी थी,,,,लेकिन अब ना जाने क्यों संजय को ऐसा लगने लगा था कि जिस तरह की छूट संजना को मिली थी उसी तरह की छूट रूबी भी प्राप्त करना चाहती है इसलिए समझे रूबी से बोला,,,)

अच्छा चलो ठीक है संजना तो 1 सप्ताह की छुट्टी पर है तब तक तुम अपने हिसाब से मैनेज कर लेना,,,।
(संजय की बात सुनकर रूबी के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगी लेकिन फिर वह सोची 1 सप्ताह के लिए फिर उसके बाद सब कुछ पैसा का ही वैसा सब कुछ संजना के हाथ में,,, और अब वह ऐसा नहीं चाहती थी लेकिन फिर भी संजय से वह खुलकर बोल नहीं पा रही थी,,,रूबी यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि खुलकर बात वह तभी कर पाएगी जब वह संजय के लिए अपनी दोनों टांगे खोल पाएगी क्योंकि रूबी भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि संजय की कमजोरी क्या है,,,,,,। पहले से ही पेंटी उतार कर उसके तन बदन में भी अजीब सी हलचल हो रही थी यह बात समझे को अगर मालूम हो जाए तो ऑफिस में ही उसकी चुदाई होना निश्चित था,,,रूबी अपने मन में यही सोच रही थी कि किसी भी तरह से अगर वह अपनी बुर उसे दिखाने में कामयाब हो जाती है तो आज ही उसे सब कुछ मिल जाएगा जैसा वह चाह रही है,,, इसलिए वह संजय से इजाजत लेकर कुर्सी पर से उठी और फाइल को अपने हाथ में दबाकर दो कदम की दूरी पर पहुंचकर जानबूझकर अपनी पेन नीचे गिरा दी,,,

ओह,,,,सिट,,,,,,(इतना कहकर वह बड़ी ही मादक अदाओं से अपनी गोल गोल गांड को हिलाते हुए नीचे की तरफ पेन उठाने के लिए झुकी,,, यह सब वाह संजय का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए कर रही थी वह पेन उठाते हुए अपनी नजरों को पीछे घुमा कर देखी तो संजय की नजर उसके ऊपर ही थी,,, और संजय की नजर जैसे ही उसकी दोनों टांगों के बीच की दरार से बाहर जाती गुलाबी पत्ती पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए,,,, संजय यह देखकर दंग था कि रूबी पेंटी नहीं पहनी थी और उसकी गुलाबी बुर एकदम साफ नजर आ रही थी और वह भी एकदम मोटी मोटी पत्तियों से सुसोभित,,,, यह देखकर संजय के मुंह में पानी आ गया,,,, और रूबी यह देख कर खुश हो गई कि संजय बी वही देख रहा था जो वह दिखाना चाह रही थी,,,, तकरीबन या बेहतरीन नजारा 4 से 5 सेकंड का था और वह पेन लेकर खड़ी हो गई वह जानते थे कि उसका जादू संजय पर जरूर चल गया होगा इसलिए मैं संजय की तरफ देखेगी माही अपना कदम आगे बढ़ाई ही थी कि संजय पीछे से आवाज लगाता हुआ बोला,,,।)

रूबी,,,,

यस सर,,,,,(संजय की तरफ देखते हुए)

तुम पेंटी नहीं पहनी हो,,,,
(यह सुनते ही रूबी का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि उसे यकीन हो गया था कि उसकी युक्ति काम करना शुरू कर दी है... संजय की बात सुनते ही उसके होठों पर मुस्कान आ गई,,, और वह पेन उठाकर खड़ी हो गई और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

गीली हो गई थी,,,,,
( संजय रूबी के जवाब और वह भी इतनी खुले तरीके से सुनकर एकदम से दंग रह गया वह कुर्सी पर अपनी गांड टीका कर बैठ नहीं पाया और खड़ा हो गया,,, और आश्चर्य से बोला,,)
गीली हो गई थी लेकिन कैसे,,,?


एक जवान लड़की की पेंटिं आखिर कार गिली क्यों और कब होती है,,,? ( रूबी मादक मुस्कान बिखेरते हुए एकदम स्पष्ट और खुले शब्दों में बोली रूबी की यह बात सुनकर संजय का लंड खड़ा होने लगा,,,, अपने आप को रोक नहीं सका और तुरंत रुबी के करीब पहुंच गया,,,संजय को इस तरह से अपने करीब आता देखकर रूबी का दिल जोरो से धड़कने लगा लेकिन उसे इस बात का विश्वास हो चुका था कि अब उसके और संजय के बीच में जरुर कुछ होगा,,,, संजय एक बड़ा डॉक्टर होने के साथ-साथ औरतों के चेहरे के हाव-भाव को पढ़ सकता था वह अच्छी तरह से जानता था कि किस समय औरत को किस चीज की जरूरत होती है और इस समय रूबी को क्या चाहिए था वह अच्छी तरह से जानता था इसलिए बिना समय कब आएगा अपने केबिन का दरवाजा बंद कर दिया दरवाजा के बंद होते ही रूबी का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,

दरवाजा क्यों बंद कर रहे हैं सर,,,,


रूबी में देखना चाहता हूं कि जिस वजह से तुम अपनी पैंटी निकाल चुकी हो क्या अभी भी वह चीज गीली है,,,,


ससससहहहहहह,,,, यह क्या कह रहे हैं सर,,,,,( संजय की बात से वह एकदम गरम आहें भरते हुए बोली)


क्या मैं छू कर देख सकता हूं रूबी,,,,।


इजाजत है सर,,,,,,

ओहहहहह ,,,,, रूबी,,,,,,( इतना कहते ही संजय रूबी के एकदम करीब आकर नायक आज उसकी स्कर्ट में डाल कर सीधे उसकी बुर पर अपनी हथेली रखकर उसके गीलेपन को महसूस करने लगा वास्तव में रूबी की बुरी गीली हो चुकी थी एकदम चिपचिपी,,,,, संजय अपनी दो उंगली उसकी फूली हुई बुर के ऊपर रखकर ऊसे जोर से दबाते हुए बोला,,,,)

ओहहहहहह,,,, छोटी है तो अभी भी पूरी तरह से गीली है,,,,।


इसका क्या इलाज है सर,,,,,,


इसका इलाज करवाना चाहोगी,,,( संजय रुबी की आंखों में आंखें डालकर बोला,,,)

जरूर करवाना चाहूंगी सर मैं बार-बार इसके गीलेपन से परेशान हो गई हूं,,,,


कोई बात नहीं रूबी मैं इसका अच्छे से इलाज कर दूंगा,,,(इतना कहने के साथ ही संजय एक साथ अपनी दो उंगली को उसकी गुलाबी बुर के छेद में डाल दिया,,,,, और संजय की तरफ से एकाएक इस हरकत से उसके मुंह से दर्द से कराहने की आवाज निकल गई,,,,)


आहहहहहह,,,, सर दर्द हो रहा है,,,,।

थोड़ा बहुत दर्द तो झेलना होगा रुबी वरना इलाज कैसे होगा,,,,,


आप इलाज करिए सर मेरे दर्द की परवाह मत करिए,,,,
( संजय अच्छी तरह से जानता था कि रूबी को सब कुछ मालूम है कि वह क्या चाहती है और उसके साथ क्या हो रहा है बस वह नादान बनने की कोशिश कर रही थी जबकि वो नादान बिल्कुल भी नहीं थी,,,,)

तो आओ रूबी इधर आओ,,,,(इतना कहते कि संजय उसे टेबल के पास लेकर गया और टेबल के सहारे उसकी गांड को टीकाकर उसे खड़ी कर दिया,,,,)

बस ऐसे ही खड़ी रहना,,,(इतना कहने के साथ ही संजय घुटनों के बल बैठ गया और उसकी स्कर्ट को अपने दोनों हाथों से उठाते हुए उसे कमर तक लाकर एकटक उसकी रसीली कमसिन मदमस्त कर देने वाली गुलाबी पत्तियों से सुशोभित बुर को देखने लगा,,,,,)

वाह कितनी खूबसूरत है मैंने आज तक ऐसी बिल्कुल भी नहीं देखा,,,,

क्या सर,,,,?


तुम्हारी बुर,,,,,(संजय भी मस्ती के आलम में एकदम खुले शब्दों में बोला और रूबी संजय की यह बात उसके मुंह से पूर्व शब्द सुनकर एकदम से मस्त हो गई उसके होठों पर मुस्कान आ गई,,,, संजय के लिए रास्ता खुल चुका था,,,, वह रूबी की बुर को देखकर एकदम मदहोश हुए जा रहा था रूबी एकदम जवान थी,,,,उसकी बुर को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था और ना जाने कि उसके मन में ख्याल आ रहा था कि अगर रुबी की बोरी के लिए खूबसूरत और रसीली है तो उसकी बेटी की कितनी खूबसूरत होगी। अपनी बेटी का ख्याल आते ही उसके लंड का तनाव बढ़ने लगा,,,, रूबी की आंखों में आंखें डाल कर अपनी दो उंगली उसकी बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करने लगा रूबी की सांसें उखड़ने लगी थी चाहे कुछ भी हो भले वह जानबूझकर ही संजय के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाना चाहती थी लेकिन संजय की कामुक हरकतों से उसके तन बदन में उत्तेजना की अद्भुत लहर दौड़ रही थी उसके तन बदन में हलचल सी हो रही थी जिस तरह से संजय अपनी दो उंगली को उसकी बुर के अंदर डालकर उसे अंदर बाहर कर रहा था एक तरह से रूबी को इसमें चुदाई का आनंद प्राप्त हो रहा था,,,।संजय की हरकतों की वजह से उसकी बुर के अंदर से मदन रस का रिसाव बड़ी तेजी से होने लगा,,,, और इसलिए संजय बोला,,,)

रूबी तुम्हारी बुर से तो और ज्यादा पानी निकल रहा है,,,,


अब क्या होगा सर,,,,


कुछ नहीं होगा रूबी इसका भी इलाज है,,,,

क्या सर,,,?

अभी बताता हूं,,,
(इतना कहते ही संजय अपने प्यारे होठों को रूबी की दोनों टांगों के बीच के गुलाबी होठों पर रखकर उसका रसपान करने लगा रूबी एकदम मस्त हो गई संजय की इस तरह की हरकत उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को और ज्यादा बढ़ कर रही थी और मदहोश होने लगी उससे रहा नहीं गया क्योंकि संजय पूरी तरह से उसके ऊपर छा चुका था वह अपनी जीभ को उसकी गुलामी बुर के छेद के अंदर तक डाल कर उसके मदन रस को चाट रहा था,,,,)

सससहहहहह,,,, आहहहहहहह,,,,सररररर,,,,,आहहहहहहहह,,,(रूबी से अपनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई और अपना दोनों हाथ संजय के सर पर रख कर उसे जोर से अपनी बुर के ऊपर दबाना शुरू कर दी,,,,,,उसके मुख से लगातार गर्म से सवारी की आवाज पहुंच रही थी लेकिन इस केबिन से बाहर उसकी गर्म सिसकारी की आवाज जाने का बिल्कुल भी डर नहीं था क्योंकि केबिन पूरी तरह से साउंडप्रूफ थी,,,)

ओहहहहह,,, सर यह क्या कर रहे हो सर मुझे बहुत मजा आ रहा है ऐसा मजा मुझे आज तक नहीं मिला पर इतना कहने के साथ ही रूबी अपनी एक टांग उठा कर संजय के कंधे पर रख दी और संजय उसकी मोटी मोटी जांघों को अपने एक हाथ में भरकर उसे दबाते हुए उसकी बुर को चाटने का मजा लेने लगा,,,, संजय मदहोश हुआ जा रहा था वह एक तरफ रूबी की बुर चाट रहा था और दूसरी तरफ उसकी मोटी मोटी सुरंगों को अपनी हथेली से जोर जोर से दबा रहा था मानो कि नरम नरम मांस का टुकड़ा उसके हाथ में लग गया हो,,,, रूबी पूरी तरह से पानी पानी हुई जा रही थी,,,,,रूबी रह रहकर इतनी ज्यादा अत्याधिक उत्तेजित हो जाते क्योंकि वह अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाकर अपनी बुर को जोर से संजय के मुंह में दबा देती थी,,,,और संजय भी रुबी की मदहोश जवानी का पूरी तरह से फायदा उठाते हुए उसकी बुर को चाट रहा था,,,, कुछ देर तक वह रूबी की बुर में जुटा रहा रूबी एक दम मस्त हो चुकी थी मदहोश हो चुकी थीउसे अब अपनी गुलाबी पुर की गुलाबी खेत में संजय का मोटा तगड़ा लंड चाहिए था और वह यह सोच रही थी कि अब संजय उसकी बुर में लंड डाल देगा लेकिन समझे कुछ और चाहता था,,,,
वह जी भरकर रोटी की बुर का रसपान करने के बाद खड़ा हुआ,,,तो रूबी की नजर उस के पेंट में बने तंबू पर गई जो कि बेहद अद्भुत और विशाल थी वह उसके पेंट में बनी तंबू को देखती रह गई,,,, और संजय अपनी पैंट की चैन को खोलते हुए बोला,,,,,)

अब कैसा लग रहा है मेरी जान,,,,,


बहुत अच्छा है बहुत अच्छा,,,,,


अभी देखती जाओ तुम्हारा कैसा इलाज होता है,,,(इतना कहने के साथ ही संजय अपने पेंट की चैन खोलकर अपना मोटा तगड़ा मैं तो मस्त मुसल को हाथ से पकड़ कर बाहर निकालने लगा,,,, रुबी उत्सुकता के साथ संजय की हरकत को देख रही थी वह देखना चाहती थी कि पेंट नीचे संजय का हथियार किस तरह से बाहर आता है,,, संजय का लैंड कुछ ज्यादा ही भारी था इसलिए पूरी तरह से टन टनाए हुए स्थिति में उसे पेंट के छेद से बाहर निकालने में संजय को काफी मशक्कत करनी पड़ी लेकिन जैसे ही बाहर आया वह एकदम से हवा में लहराने लगा,,,,ऐसा लग रहा था कि बरसों के बाद वह कैद से आजाद हुआ है एकदम खुली हवा में अंगड़ाई लेते हुए वह ऊपर नीचे झूल रहा था,,, रूबी तो संजय के विशालकाय लंड को देखकर एकदम से आश्चर्यचकित हो गई उसके अंदर घबराहट होने लगी उसे इस बात का डर था कि इतना मोटा तगड़ा लंबा लेना उसकी बुर में घुस पाएगा कि नहीं,,, और अपनी घबराहट को अपने होठों पर लाते हुए संजय से बोली,,,।


सर क्या यह मेरी (उंगली से अपनी बुर की तरफ इशारा करते हुए) इसमें घुस पाएगा कि नहीं,,,


जरुर रुबी,,,वो भी पुरा,,,,

लेकिन सर आपका तो बहुत बड़ा और मोटा है,,,

तो क्या हुआ,,,आराम से ले लोगी,,,बस थोड़ा सा मेरा लंड मुंह में लेकर चूसकर गीला कर दो,,,,
( रुबी खुद इतने मोटे तगड़े लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने के लिए मचल रही थी,,, इसलिए संजय की बात सुनते ही वह तुरंत अपने घुटनों के बल बैठ गई और संजय के खड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसे अपने मुंह में डाल ली,,, पहली बार में ही रुबी लंड के मोटे सुपाड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी,,,,)

आहहहहहह गजब,,, अद्भुत,,,,ऊफफफ,,, कमाल का चुस्ती हो,,,,ऊममममममम,,,, लाजवाब,,,,,( मदहोशी के आलम में संजय की आंखें मुंदने लगी,,,वह पुरी तरह से ईस अद्भुत एहसास में डुबने लगा,,,,मजा आ रहा था दोनों को,,रुबी पहली बार इतने मोटे तगड़े लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी,,,सच तो यही था कि रुबी पहली बार इतने मोटे तगड़े लंड को देख भी रही थी,। रुबी को विश्वास नहीं हो रहा था कि,,इतने बड़े डॉक्टर के केबिन में चुदाई का मजा लुट पाएगी,,, संजय अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,,एक तरह से वह रुबी के मुंह को ही चोद रहा था,,,

अब संजय को लगने लगा कि समय ज्यादा हो रहा है,,अब लंड को रुबी की बुर में डाल देना चाहिए,,,। इसलिए वह तुरंत अपना लौड़ा रुबी के मुंह से बाहर निकाल लिया,,, संजय अपने लंड को जोकी रुबी के थुक में पुरी तरह से नहाया हुआ था,,,उसे हाथ में लेकर हिलाते हुए रुबी को घुम जाने के लिए बोला,,,रुबी भी जल्द से जल्द संजय के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी इसलिए तुरंत टेबल की तरफ मुंह करके घूम गई और बिना संजय के बोले ही उसे मालुम था कि कौन सा पोजीसन लेना है,,, इसलिए स्कर्ट को कमर तक उठा कर अपनी गांड को भी थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठाते हुए अपनी गांड को हवा में लहराने लगी,,, संजय रुबी की ईस हरकत से बहुत खुश हुआ और तुरंत उसके पीछे लंड हीलाते हुए पहुंच गया,,, रूबी की गांड बेहद चिकनी और गोरी गोरी थी,, उसे देख कर संजय गांड की दोनों आंखों पर अपने दोनों हाथों से जोर-जोर से दो चार चपात जड़ दिया,,,

आहहहहह,,,,,(रूबी के मुंह से दर्द से कराहने की आवाज निकल पड़ी,,, दो चार चपत में ही संजय ने रूबी की गांड को टमाटर की तरह लाल कर दिया,,, संजय पूरी तरह से तैयार था रूबी की बुर में लंड डालने के लिए,,,रूबी भी उत्साह के साथ पीछे की तरफ नजर घुमाकर संजय की हर हरकत पर अपनी नजर रखे हुए थी संजय धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी बुर के गुलाबी छेद में डालना शुरू कर दिया,,,,,जैसे-जैसे लंड का सुपाड़ा गुलाबी बुर की गुलाबी पतियों को फैलाता हुआ अंदर की तरफ घुस रहा था वेसे वैसे रुबी के चेहरे के हाव भाव बदलते जा रहे थे कभी आनंद तो कभी दर्द की आभा उसके चेहरे पर उपस रही थी,,,,, बुर पहले से ही काफी गिली और चिकनी हो चुकी थी इसलिए थोड़ी सी मशक्कत करने पर,,, धीरे-धीरे करके संजय का मोटा तगड़ा लंड रूबी की बुर के अंदर घुसना शुरू कर दिया,,,,और संजय तब तक नहीं रुका जब तक कि उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड दूरी की बुर की गहराई पूरी तरह से नाप नहीं लिया,,,,, रूबी पीछे की तरफ अपनी मदमस्त गांड को ही देख रही थी जहां से उसे सिर्फ संजय का आधा लंड ही दिख रहा था लंड सब कुछ चीरता हुआ रुबी की बुर के अंदर समाने लगा था,,,, घबराहट और दर्द के भाव रूबी के चेहरे पर साफ झलक रहे थे लेकिन उसे अपने आप पर गर्व हो रहा था कि संजय के मोटे तगड़े लंड को उसने पूरी तरह से अपनी बुर की गहराई में ले ली थी,,,
संजय रूबी की कमर को अपने दोनों हाथों से थाम लिया था,, संजय चुदाई करना शुरू कर दिया था धीरे-धीरे उसकी कमर आगे पीछे हो रही थी और थोड़ी ही देर में संजय ने अपनी कमर की रफ्तार बढ़ा दिया अब उसका मोटा तगड़ा लंड से बुर में बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था,,,।
और यही पल औरतों के लिए मर्दों की कमजोरी पकड़ने का सबसे अहम जरिया होता है वह जानती थी कि इस समय बड़ा अगर संजय से जो कुछ भी अपनी बात मनवाना चाहेगी वह संजय मांन लेगा इसलिए वह बोली,,,।

ओहहहह सर मुझे बहुत मजा आ रहा है आपका लंड बहुत मोटा और तगड़ा है,,,, आज तक मुझे ऐसा मजा कभी नहीं आया,,,,


ओहहहह रूबी मुझे भी बहुत मजा आ रहा है तुम्हारी बुर बहुत टाइट है,,,, और टाइट बुर चोदने में बहुत मजा आ रहा है,,,


तो हमेशा चोद लेना सर जब तुम्हारा मन करे तब मुझे बुला लेना मैं तुम्हारे लिए अपनी दोनों टांगे खोल दूंगी,,,

तुम सच कह रही हो रूबी,,,,


हां सर मैं एकदम सच कह रही हूं लेकिन मुझे एक बात अच्छी नहीं लगती संजना मुझे बार-बार टोकती रहती है,,,


तो तुम क्या चाहती हो मेरी जान,,,,( संजय रूबी की कमर पकड़े हुए जोर जोर से धक्के लगाते हुए बोला,,)

मुझे भी संजना जैसा रुतबा चाहिए,,,,।

मैं दिया रूबी तुमको,,,, तुम्हें किसी से भी कुछ भी पूछने की जरूरत नहीं है,,,, बस मुझे अपनी बुर का स्वाद चढ़ाने के लिए आ जाना,,,,


आज आओगे सर जब बुलाओगे तब आ जाऊंगी,,,
(रूबी मादक सिसकारी रहते हुए होली वह बहुत खुश थी क्योंकि आज उसके मन की हो चुकी थी वह भी संजय को मस्त करते हुए जोर जोर से अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल रही थी,,, रूबी की इस हरकत पर संजय का जोश और ज्यादा बढ़ गया और वह जोर जोर से धक्के देने लगा,,, थोड़ी ही देर में रूबी की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी उसका बदन अकड़ने लगा,संजय समझ गया कि रुबी का पानी निकलने वाला है इसलिए वह भी जोर जोर से धक्के लगाने लगा,,, और देखते ही देखते हैं 10 15 धक्कों के बाद दोनों एक साथ झड़ गए।संजय मस्त हो चुका था और पूरी तरह से तृप्ति का एहसास रूबी को भी दे चुका था लेकिन एक तीर से दो निशान लगा चुकी थी वह भी काफी खुश थी और अपने कपड़े ठीक कर के संजय की केबिन से बाहर चली गई,,,
रात को सब उनके द्वारा मंगाई गई बुक लेकर संजय तकरीबन 10:00 बजे घर पहुंचा।
Behtareen update bhai bahot zaberdast shaandaar lajawab
 

rohnny4545

Well-Known Member
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संध्या की मदमस्त कर देने वाली बड़ी-बड़ी और एकदम गोल का जिसका धीरे-धीरे सोनू पूरी तरह से दीवाना होता जा रहा था क्या आप लोग भी दीवाने की संध्या की मदमस्त गांड का




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मस्त अपडेट है । रूबी ने तो आखिर अपनी मंजिल पा ही ली । परंतु डॉ संजय के लिए अपनी बेटी शगुन को अपने नीचे लाने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ेंगे
 
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