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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

Funlover

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संध्या को इस बात का अहसास तक नहीं था कि रात की जबरदस्त गरमा गरम चुदाई को उसकी बेटी खुद अपनी आंखों से देख चुकी है,,, वह तो अपने काम में एकदम मस्त होकर घर का ककरने लगी,,, संध्या अपनी जिंदगी और वैवाहिक जीवन से एकदम संतुष्ट थी,,, कोई कमी नहीं थी उसकी जिंदगी में एक लड़की और एक लड़के की मा होकर और संजय सिंह जैसे सफल माने जाने डॉक्टर की बीवी होने में उसे गर्व महसूस होता था,,।
जवानी से लेकर उम्र के इस पड़ाव तक अब तक संध्या के पैर डगमगाए नहीं थी संभोग सुख का सफल और पहला अनुभव शादी के बाद उसे अपने पति संजय सिंह के द्वारा ही प्राप्त हुआ था और जो कि अब तक बरकरार था,,,। पहली बार संध्या अपने पति के मोटे कपड़े लंबे लंड को देखकर एकदम घबरा गई थी अपनी सुहागरात के दिन उसे बहुत डर लगा था जब उसके पति ने उसकी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर एक दम नंगा हो गया था और अपने खड़े लंड को हीलाता हुआ उसे अपने हाथ में लेने के लिए बोला था,,,, संध्या की घबराहट एक डॉक्टर होने के नाते संजय को पता चल गई थी और वहां अपनी बीवी संध्या की खूबसूरती में इस कदर डूब गया था कि पहले दिनों का अपनी बीवी से रात भर सिर्फ बातें ही करता रहा धीरे-धीरे उसे मना कर और उसके मन का डर भगाकर अपने लंड उसके हाथों में पकड़ाया था जिंदगी में पहली बार संध्या मोटे तगड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ कर एकदम से घबरा गई थी लेकिन संजय के समझाने के बाद वह धीरे-धीरेअपने पति के लंड से खेलना शुरू कर दी थी लेकिन अभी भी उसे डर लगता था क्योंकि वह अपने पति के लंड की मोटाई चौड़ाई और लंबाई से पूरी तरह से अवगत हो चुकी थी और अपनी गुलाबी बुर के छोटे से छेद के बारे में भी अच्छी तरह से जानती थी,,, घाट घाट का पानी पी चुका संजयकुंवारी लड़की को किस तरह से चुदवाने के लिए तैयार करना है इस बारे में अच्छी तरह से जानता था आखिरकार सफलता को प्राप्त करते हुए संजय इतने मोटे तगड़े लंड को अपनी खूबसूरत बीवी संध्या की बुर की गहराई तक उतार दिया था,,,, दर्द की परम काष्ठा को महसूस करते ही संध्या हार मान ली थी कि वह कभी कुछ संभोग से प्राप्त नहीं कर पाएगी उसे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन संजय की सूझबूझ का नतीजा था कि दर्द के बाद उसे एहसास होगा कि आज तक वह उसे सुख को महसूस करने के लिए हर रात अपने पति के लंड पर चढ़ जाती है,,,।
अपनी जवानी के दिनों को याद करके संध्या मंद मंद मुस्कुराते हुए रसोई का काम कर रही थी,,,,
और दूसरी तरफ संजय अपने केबिन में बैठकर अपने एक पेशेंट के ऑपरेशन करने की तैयारी में जुटा हुआ फाइलें चेक कर रहा था,,, ऑपरेशन आज ही करना था कि तभी दरवाजे पर नोक हुआ,,,।

मेय आई कम इन सर,,,,,
( बेहद सुरीली आवाज कानों में पड़ते ही संजय की नजर सीधे दरवाजे पर गई और अपनी हॉस्पिटल की बेहद खूबसूरत नर्स रूबी को देखते ही संजय सिंह की आंखों में चमक आ गई,,,)

आ सकती हो बताओ क्या काम है,,,(संजय खुली हुई फाइल को बंद करता हुआ बोला)

शर्मा जी की बीवी आपसे मिलना चाहती हैं,,,।(रूबी कमरे में दाखिल होते हुए बोली)

वही शर्मा जी जिसका आज ऑपरेशन है,,,।

जी सर उनकी ही बीवी,,,,,,(अपने हाथ में ली हुई फाइल को अपने सीने से लगाते हुए रूबी बोली और ऐसा करने से उसकी छाती के दोनों संतरे नरम नरम रुई की तरह हल्के से दब गए,,,,और रूबी की चुचियों का फाइल के दबाव से दबना यह संजय सिंह की आंखों से बच नहीं पाया और रूबी के बदन की हरकत को देखकर उसके पेंट में लंड की हालत खराब होने लगी,,,,, बड़ी मुश्किल से वह अपने आप को संभालते हुए बोला,,)

ठीक है उन्हें अंदर भेजो,,,,

जी सर,,,,,(इतना कहकर रूबी मुस्कुराते हैं केबिन से बाहर जाने लगी तो संजय की नजर उसके गोलाकार नितंबों पर टिक गई जो कि उसके चलने पर कुछ ज्यादा ही मटकती थी,,,। रूबी बहुत ही खूबसूरत 25 साल की जवानी से भरपूर नर्श थी,,,। अपनी खूबसूरती का कब कैसे और कहां पर ऊपयोग करना है यह उसे अच्छी तरह से मालूम था,,,। संजय सिंह उसकी खूबसूरत बदन को देख कर ला कर रखा है यह बात भी उसे अच्छी तरह से मालूम थी और वह अपने मन में यही सोच रही थी कि इस समय वह उसकी मदमस्त गोलाकार गांड को ही देख रहा होगा,,,और यही कंफर्म करने के लिए वह जैसे ही दरवाजे पर पहुंची वैसे ही तुरंत पलटकर संजय सिंह की तरफ देखने लगी और उसका सोचना बिल्कुल सही निकला, वह प्यासी नजरों से उसकी गांड को ही देख रहा था,,, रूबी के पीछे पलट कर देखने की वजह से दोनों की नजरें आपस में टकराई और संजय सिंह , जल्दी से अपनी नजरों को नीचे कर लिया और रूबी मुस्कुराते हुए केबिन से बाहर निकल गई,,,। और कुछ ही देर में शर्मा जी की बीवी दरवाजे पर पहुंच गई तो उसे देखते ही संजय सिंह उसे अंदर आने के लिए बोला,,,।

नमस्ते सर,,,


जी नमस्ते कहिए कैसे आना हुआ,,,


जी मै शर्मा जी की बीवी हुं,,, जिनका आज ऑपरेशन है,,

ओहहह,,,, देखिए घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है ऑपरेशन होते ही आपके पति खतरे से बाहर हो जाएंगे और पहले की तरह एकदम स्वस्थ हो जाएंगे इत्मीनान रखिए,,,,।
( इतना कहते हुए संजय शर्मा की बीवी को बड़े गौर से देख रहा था उसके चेहरे को देखकर संजय उसके बारे में अंदाजा लगा रहा था गोरा रंग गोल मुखड़ा बेहद खूबसूरत घने बाल गदराया बदन उसे देखते ही संजय समझ गया कि 40 या 42की होगी,,,, भरा हुआ बदन देखकर संजय के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी जब संजय उससे बातें कर रहा था तो वह शर्म के मारे इधर-उधर नजरें घुमा रही थी,,, उसके हावभाव को देखकर संजय समझ गया की बात कुछ और थी इसलिए वह इतना कह कर चुप हो गया और उसे बोलने का मौका दिया,,,।)

देखिए सर,,,(शर्म के मारे इधर-उधर देखते हुए,,,)मैं आपसे कैसे कहूं मुझे समझ में नहीं आ रहा है मुझे कहते हुए शर्म आ रही है,,,(वह इधर उधर देखते हुए बोली,,,)

देखिए मुझसे शर्माने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है,,, एक डॉक्टर से कभी भी कुछ भी नहीं छुपाना चाहिए,,,।(संजय उसे सांत्वना देते हुए बोला,,, लेकिन वह अपना सब्र खो बेठी और रोने लगी,,,उसे रोता हुआ देखकर संजय तुरंत अपनी जगह से खड़ा हो गया और उसके करीब पहुंच गया,,, उसका ढांढस बंधाते हुए उसके कंधे पर हाथ रख दिया कंधे पर हाथ महसुस करते ही शर्मा की बीवी एकदम से सिहर उठी,,,, संजय उसे बोला,,,)

देखो रोने से काम चलने वाला नहीं है जो कुछ भी तुम्हारे मन में है या किसी बात की सरकारी मुझे बता दो मैं उसका समाधान करूंगा,,,
( डॉक्टर की बात सुनकर उसमें थोड़ी हिम्मत आने लगी डॉक्टर का नरम रवैया देखकर उसे लगने लगा कि डॉक्टर उसकी बात जरूर समझेगा इसलिए अपने आंसुओं को पोंछते हुए बोली,,,)


डॉक्टर साहब मैं जानती हूं कि मुझे यह नहीं कहना चाहिए लेकिन मैं मजबूर हूं मुझे कहना पड़ रहा है,,, मेरे पास ऑपरेशन कराने के पूरे पैसे नहीं है,,,,,(इतना कहने के साथ ही वह फिर से रोना शुरू कर दी,,, और यह देखकर संजय उसे फिर से चुप कराने लगा,,,, इस बार अनजाने में भी उसके साड़ी का पल्लू कंधे पर से नीचे गिर गया जिसका प्यार उसे भी बिल्कुल नहीं था संजय उसे चुप कराने के लिए उसके कंधे पर जैसे ही हाथ रखा उसकी नजर उसके ब्लाउज में से झांकते हुए उसके बड़े-बड़े कबूतरों पर पड़ गई जो कि एकदम बाहर आने के लिए फड़फड़ा रहे थे,,,,शर्मा की बीवी के ब्लाउज को देखते हैं और उसकी भारी-भरकम गोल-गोल चुचियों को देखते ही समझ गया कि अपने ब्लाउज के साइज से कम माप का ब्लाउज पहनी हुई है,,, उसकी बड़ी बड़ी चूचियों के बीच की पतली गहरी लकीर को देखते ही संजय के तन बदन में आग लग गई,,,संजय अपने दोनों हाथों को बढ़ाकर उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों में भरकर उसे दबाने और मसलने का आनंद लेना चाहता था लेकिन इस समय ऐसा करना ठीक नहीं था,,,, फिर भी संजय उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे समझाते हुए बोला,,,।


देखो,,,, क्या नाम है तुम्हारा,,,,?

सरिता,,,,,(वह अपने आंसू को नीचे गिरे हुए साड़ी के पल्लू को उठाकर पोछते हुए बोली,,, पर उसके ऐसा करने पर एक बेहद खूबसूरत मादक नजारे पर पर्दा पड़ गया,,, जो कि यह बात संजय को अच्छी नहीं लगी,,,,।)

बेहद खूबसूरत नाम है तुम्हारा जैसा कि तुम खुद भी बहुत खूबसूरत हो,,,,(डॉक्टर के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर सरिता एकदम से चौक गई,,, लेकिन बोली कुछ नहीं क्योंकि उसकी मजबूरी थी,,,,) देखो मैं जानता हूं कि पैसे ना भर पाना इस समय तुम्हारी मजबूरी है लेकिन पैसे बिना ऑपरेशन मुमकिन नहीं है,,,(इतना सुनते ही वह फिर से रोने लगी) देखो सरिता जी रोओ मत तुम इस तरह से रोओगी तो अच्छा नहीं लगेगा,,,, ऑपरेशन तो मैं कर दूंगा लेकिन उसके बाद तुम्हें पैसे भरना पड़ेगा और जब तक पैसे नहीं भरोगे तब तक आगे का इलाज मुमकिन नहीं है,,, मैं इतना तुम्हारे लिए कर सकता हूं,,,,।( इस बार फिर से सरिता की साड़ी उसके कंधों से नीचे गिर गई पर एक बार फिर से संजय को उसके खूबसूरत कबूतरों को देखने का सौभाग्य प्राप्त हो गया उसे देखते ही पेंट के अंदर संजय का लंड हरकत करने लगा,,,वैसे भी अच्छी तरह से देख रहा था कि सरिता में किसी बात की कोई कमी नहीं थी एक औरत के पास जिस तरह की खूबसूरत अंग होने चाहिए अब तक उसे सब कुछ वैसा ही नजर आ रहा था,, संजय की बात सुनकर शर्मा के बीवी बोली,,,)

डॉक्टर साहब मैं पूरी कोशिश करूंगी लेकिन जितना आप का ऑपरेशन की फीस है मैं शायद उतना नहीं जुटा पाऊंगी,,,(एक बार फिर से वो आंसू बहाते हुए बोली,,,, उसकी मजबूरी और उसकी खूबसूरती देखकर संजय के मन में कुछ और चल रहा था और यही उसका स्वभाव भी था,,, ओ जानता था कि अगर कोशिश की जाएगी तो सरिता ऑपरेशन के बाद उसके नीचे होगी उसकी जवानी मदहोश कर देने वाली थी जिसका अंदाजा उसे लग गया था व सरिता के खूबसूरत बदन को भोगना चाहता था जो कि उसके लिए बिल्कुल भी मुश्किल नहीं था इसलिए वह दोनों हाथों से उसके दोनों कंधों को पकड़कर हल्के से दबाते हुए बोला,,,,)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो सरिता सब कुछ मुझ पर छोड़ दो,,, तुम्हारे पति का अच्छे से इलाज हो जाएगा इसकी गारंटी मैं लेता हूं,,, लेकिन इसके बदले में जैसा मैं कहूंगा वैसा तुम्हें करना होगा,,,,(संजय की यह बात सुनकर सरिता एकदम से सहम गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि डॉक्टर के कहने का मतलब क्या है,,,, इसीलिए वह शंका जताते हुए बोली।)


मैं कुछ समझी नहीं तो फिर साहब आप क्या कहना चाहते हैं,,,।


सब समझ जाओगी और जो कुछ भी मैं कह रहा हूं वह सब तुम्हारे बस में है,,,(इतना कहने के साथ संजय है उसके दोनों कंधों को एक बार फिर से थोड़ा दबाव देकर दबाते हुए अपने आगे वाला भाग एकदम कुर्सी से सटा दिया,,, उसकी पेंट में उत्तेजना के कारण पूरी तरह से तंबू बन चुका था और उसकी इस हरकत की वजह से उसका तंबू सीधे पीछे की तरफ से सरिता के गालों पर स्पर्श करने लगा तिरछी नजर से सरिता जब उसकी पेंट में बने तंबू को देखी तो एकदम से सिहर उठी,,,उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसकी टांगों के बीच की स्थिति एकदम कंपनमय हो गई,,,,सरिता के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल पाया वह कुछ बोलने के लायक बिल्कुल भी नहीं थी उसे समझते देर नहीं लगी कि उसके पति के ऑपरेशन के बदले में डॉक्टर क्या चाहता है,,,,उसकी खामोशी को देखकर डॉक्टर को इतना तो अंदाजा लग गया कि उसकी बात को वह समझ गई है इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)

सरिता जी अब आप एकदम इत्मीनान रखिए आपके पति बिल्कुल ठीक हो जाएंगे,,, और उसके लिए आपको 1 रुपए भी खर्चा नहीं करना पड़ेगा,,,, सब कुछ मेरी तरफ से,,, अब आपसे हॉस्पिटल का कोई भी मेंबर पेमेंट के बारे में कुछ भी नहीं कहेगा,,,,, अब आप जाइए अपने पति की सेवा करिए लेकिन ऑपरेशन के बाद मैं जब भी तुम्हें बुलाऊं इसी जगह पर मेरी केबिन में आ जाना,,,
(डॉक्टर की बात सुनकर सरिता समझ गई थी उसे क्या करना है लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, उसके पास पैसे बिल्कुल भी नहीं थे और ना ही उसके रिश्तेदारों से किसी भी तरह की उम्मीद थी ऐसी हालात में उसके पास डॉक्टर की बात मान लेने के सिवा और कोई दूसरा रास्ता नहीं था,,,, वह धीरे से उठी और केबिन से बाहर जाने लगी लेकिन कुर्सी से उठते समय वह एक नजर डॉक्टर के पेंट के आगे वाले भाग पर डाल चुकी थी और उसे अच्छा खासा तंबू उसकी पेंट में बना हुआ नजर आ रहा था जो कि साफ पता चलता था कि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसका दिल जोर से धड़कने लगा और वह तुरंत केबिन से बाहर निकल गई लेकिन उसे जाते हुए देख कर उसके भारी भरकम भरावदार मदमस्त गांड को देखकर संजय का मन एकदम से डोलने लगा उसकी आंखों में खुमारी मदहोशी एक साथ छाने लगी,,, सरिता की बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों में लेने का ख्वाब देखने लगा,,, और सरिता के बारे में सोचते हुए वह कुर्सी पर बैठ गया,,,।

शगुन अपने कॉलेज में बैठकर लेक्चर अटेंड कर रही थी लेकिन उसका मन आज बिल्कुल भी नहीं लग रहा था उसकी आंखों के सामने बार-बार वही रात वाला दृश्य नजर आ जा रहा था जिसके चलते उसका मन विचलित हो रहा था वह पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही थी,,, उसे इस तरह से खोया हुआ देखकर उसकी सहेली प्रीति जोकि बचपन से ही उसके साथ एक ही क्लास में पढ़ती आ रही थी और आज जाकर दोनों एक साथ एमबीबीएस की तैयारी कर रही थी वह बोली,,,,।

क्या बात है शगुन किन ख्यालों में खोई हुई है,,,


कुछ नहीं यार आज बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा है,,


चल फिर एक काम करते हैं कैंटीन में जाकर बैठते हैं वैसे भी आज मैं जल्दबाजी में नाश्ता करके नहीं आई हूं चल वहां कुछ खा लेते हैं,,,,


लेक्चर खत्म होने के बाद चलते हैं,,,

ठीक है जैसी तेरी मर्जी,,,,,
(थोड़ी देर बाद लेक्चर खत्म होते ही दोनों अपनी क्लास से बाहर निकल कर कैंटीन में पहुंच गई जहां पर प्रीति ने ही दो समोसे और चाय का आर्डर किया थोड़ी ही देर में उसकी टेबल पर चाय और समोसे दोनों पहुंच गए,,, प्रीति चाय का कप और समोसा शगुन की तरफ बनाते हुए बोली)

तुझे इतना परेशान में कभी नहीं देखी कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी को दिल दे बैठी है,,,,।( चाय की चुस्की लेते हुए प्रीति बोली)


क्या प्रीति तु फिर शुरू हो गई,,,,


क्योंकि तु शुरू नहीं हो रही है इसलिए मुझे शुरू करना पड़ रहा है,,, चाय पी वरना ठंडी हो जाएगी,,,,


जैसा तू सोच रही है,,, वैसा कुछ भी नहीं है बस थोड़ा सा तबीयत सही नहीं लग रही है,,,,।


मेरी जान इसीलिए कहती हूं कि तू भी किसी से प्यार व्यार कर ले,,,,,


तू करी है क्या,,,,
(तभी प्रीति के मोबाइल में मैसेज आने का टोन बजे था और वह चहकते हुए बोली,,,)

हां करी हूं ,,,,देख उसी का मैसेज भी आ गया,,,,
(प्रीति मोबाइल में मैसेज पढ़ने लगी,,,, जिसमें रात को 8:00 बजे उसके बॉयफ्रेंड के घर आने का प्रोग्राम था,,,इतना पढ़ते ही उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे,,, उसके चेहरे के हाव भाव को देखकर सगुन बोली,,,)

क्या हुआ बड़ी खुश नजर आ रही है ऐसा क्या आ गया मैसेज में,,,।

आज रात को उसके घर पर मिलने का प्रोग्राम है,,,।(चाय की चुस्की लेते हुए प्रीति बोली)

उसके मम्मी पापा से मिलना है,,,।

फुल,,,, एकदम बेवकूफ है तू उसकी मम्मी पापा से मिलकर मैं क्या करूंगी उसके मम्मी पापा घर पर नहीं है तभी तो मिलने के लिए घर पर बुलाया है,,,,
(प्रीति की बात सुनकर सब उनका दिल जोरों से धड़क रहा था थोड़ा बहुत तो उसे समझ में आ रहा था लेकिन फिर भी वह अपनी शंका को दूर करने के लिए बोली)

अकेले में उसके घर पर मिलना और वह भी रात को क्या तुझे ठीक लगता है,,,।


जो काम करने के लिए बुला रहा है उसके लिए अकेले मिलना ही ठीक रहता है,,,,।


ममममम मैं समझी नहीं प्रीति तु क्या कहना चाहती है,,,।

अरे यार एक लड़का लड़की को अकेले में क्यों बुलाता है अच्छा छोड़ो तुझे तो सब के बारे में पता ही नहीं होगा मैं तुझे बताती हूं,,,, एक लड़का अकेले में लड़की को तभी बुलाता है जब उसे सेक्स करना रहता है,,,,।
(इतना सुनते ही शगुन एकदम से सन्न रह गई उसे तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि प्रीति क्या कह रही है,,,।)

आर यू मैड तुझे पता भी है तु क्या कह रही है,,,,, ऐसे किसी के भी साथ भी तुम कर लेगी और वो भी शादी के पहले,,,


शगुन तु सच में पागल है,,,, मैं जिसके पास जा रही हूं कोई ऐरा गैरा नत्थू खैरा नहीं है पान तंबाकू बीड़ी बेचने वाला नहीं है एमडी का लास्ट ईयर है और वह इस साल के अंत में एम डी बन जाएगा,,,, और वो मुझसे प्यार करता है,,,


प्यार करता है तो शादी के पहले ही,,,,।


अरे बेवकूफ इसका क्या अचार डालेगी,,,(वह हाथ से अपनी दोनों टांगों के बीच इशारा करते हुए बोली जिस का इशारा शकुन अच्छी तरह से समझ रही थी,,)भगवान ने जो हमको दोनों टांगों के बीच दिया है ना मजे लेने के लिए,,, उसका सही उपयोग करने के लिए दिया है,,, और इसका उपयोग करके मैं अपने बॉयफ्रेंड के साथ मजे भी देती है और आगे की तैयारी में वह मुझे काम भी होता है,,, तू सोच कल जब वह एम डी बन जाएगा,,,तुम मुझे उससे कितनी मदद मिलेगी,,, कल को उसका खुद का हॉस्पिटल होगा उसके मम्मी पापा बिजनेसमैन है मेरे आगे की तैयारी एकदम आसान हो जाएगी,,,,अगर मेरी शादी उसके साथ हो गई तो समझ लो सब कुछ सैटल है अगर नहीं भी हुई फिर भी मुझे बहुत ज्यादा उससे मदद मिलने वाली है जो कि अभी भी मिल रही है,,
(शगुन तो उसकी बातें सुनकर एकदम हैरान थी और कुछ हद तक उत्तेजित भी क्योंकि उसकी बातों को सुनकर उसकी दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल होती हुई महसूस हो रही थी,,,, कुछ देर शांत रहने के बाद सगुन बोली,,,)

अफ कोर्स यार पहले भी कर चुकी हु,,, तभी तो जिंदगी के असली मजे के बारे में जानती हूं,,, और अगर मैं सच में तो तूने अभी तक अपनी बुर के अंदर अपनी उंगली भी नहीं डाली होगी,,,।

धत्,,,, कैसी बातें करती है तू,,(शगुन अपने आसपास नजर डालते हुए बोली,, उसे ऐसा था कि कहीं उसकी बात कोई सुन ना लिया हो,,,)

मुझे मालूम था तू एकदम डरपोक है,,,(प्रीति हंसते हुए बोली)

चल मैं जैसी भी हूं ठीक हूं,,,

यार तू मेरी बातों का बुरा मत मानना देख तेरी लाइफ तो सेट है तेरा तो खुद का हॉस्पिटल है तु तेरे पापा के साथ रहकर प्रेक्टिस कर सकती है लेकिन मेरे लिए तो कोई साथी चाहिए ना,,,,,,


प्रीति कुछ भी हो लेकिन जो कुछ भी हो रहा है यह तो गलत ही है उसे तो तेरी मदद करनी चाहिए बदले में वह तो तेरा उपयोग कर रहा है तेरे साथ वह सब करके,,,

यार शगुन कौन बेमतलब का किसी का साथ देता है ,,, कोई भी इंसान साथ तभी देता है जब उसका कोई मतलब होता है,,, मेरा बॉयफ्रेंड मदद करेंगे के एवज में मुझसे कुछ चाहता है और वह मैं उसे देती हु,,, हिसाब बराबर ,,, मुझे आगे बढ़ने में वह मेरी मदद करता है और बदले में वह चुदाई करता हैं तो इसमें हर्ज ही क्या है,,, दोनों तरफ से फायदा तो मेरा ही है मदद भी मिल जाती है और जवानी के मजे भी,,,, खैर छोड़ तु यह सब नहीं समझेगी,,,, अब जल्दी से अपनी चाय खत्म कर वरना सच में ठंडी हो जाएगी,,,।

(प्रीति के मुंह से चुदाई शब्द सुनकर शगुन के तन बदन में अजीब सी हलचल मचने लगी जवानी पूरी तरह से उसके तन बदन को अपनी आगोश में लेकर चिकोटी काटने लगी थी,,, शगुन को प्रीति का व्यक्तित्व आज पहली बार इतनी गहराई से समझ में आ रहा था,,, थोड़ी ही देर में वह दोनों चाय खत्म करके दूसरे लेक्चर के लिए क्लास में चले गए,,,।

शाम के वक्त संध्या मार्केट में सब्जी खरीदने के लिए अकेले ही चल दी,,, मार्केट तकरीबन आधा किलोमीटर की दूरी पर था जहां से वह किराना का सामान और सब्जियां खरीदती थी,,, संध्या अपनी स्कूटी से भी जा सकती थी लेकिन वह पैदल ही जाती थी उसका मानना था कि इस तरह से पैदल चलने से फिटनेस बनी रहती है और उसका मानना सच भी था तकरीबन रोज एक डेढ़ किलोमीटर पैदल आ जाती थी जिससे उसके शरीर का मेंटेनेंस बना रहता था तभी तो इस उम्र में भी वह काफी फिट नजर आती थी,,, और यही उसका प्लस्पॉइंट भी था सड़क पर चलते हुए आते जाते मर्दों की नजर चाहे वह बूढ़े हो या जवान संध्या पर पड़ी जाती थी उसकी खूबसूरती के चमक सबकी आंखों में एक आकर्षण पैदा करते थे खास करके उसके नितंबों का घेराव जिसे देखते ही मर्दों की लंड में हलचल होने लगती थी उनके मुंह में पानी आ जाता था,,,और वहां कल्पना में ही संध्या के कपड़ों को उतार कर उसके अंदर की खूबसूरती के बारे में सोच कर मस्त हुआ करते थे और घर जाकर अपने हाथ से ही अपना लंड हीलाकर अपनी जवानी की गर्मी को संध्या के खूबसूरत कल्पना में गुजार कर शांत किया करते थे,,,संध्या को आगे से देखो या पीछे से बचा दोनों तरफ से मिलता था आगे से कामाग्नि को भड़काने के लिए नितंबों का मदमस्त प्रचुर मात्रा में उसका घेराव और आगे से उसकी रसीद ही खूबसूरत खरबूजे सी चुचियों का आकार दोनों मर्दों की आंखों के साथ-साथ उनके तन बदन में कामुकता की कामाग्नि को भड़काने में सक्षम थे,,,,, आते जाते पैदल चलने वाले मोटर साइकिल से चलने वाला या फोर व्हीलर से चलने वाले सब की नजर संध्या पर पड़ ही जाती थी,,।
ऐसे ही वह अपनी मस्ती में फुटपाथ पर हाई हील का सैंडल पहन कर अपनी गांड मटकाते हुए जा रही थी,, किताबी फुटपाथ के किनारे कांटे वाली तार के जाने का सहारा लेकर खड़े दो छोकरे जिनकी उम्र बहुत ही कम थी,, दोनों की नजर संध्या पर पढ़ते ही दोनों आपस में ही बातें करने लगे,,,

यार देख तो सही क्या मस्त माल आ रही है,,,

हां यार यह तो स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही है,,,,

कसम से उक्षईसकी चुचिया तो एकदम खरबूजे जैसी बड़ी बड़ी है यार,,,,,आहहहहह काश ईसे मुंह में भर कर पीने को मिल जाता तो मजा आ जाता,,,
( संध्या उन दोनों लड़कियों को देख रही थी वह दोनों उसी को देख रहे थे और संध्या उन लड़कों की नजर का पीछा करते हुए इतना तो समझ गई थी कि वह दोनों लड़के उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को ही देख रहे थे और आपस में बातें करके हंस रहे थे,,,, तभी उनमें से एक लड़का बोला।)

कसम से यार अगर इसको अपनी आंखों से ब्लाउज उतारते हुए देख लो तो खड़े-खड़े लंड का पानी निकल जाए,,,

हां यार तू सच कह रहा है अपने हाथों से इसके ब्लाउज उतारने में कितना मजा आएगा,,, किस्मत वाला होगा जो अपनी हाथों से इस के कपड़े उतारता होगा,,,
(वह दोनों संध्या पर फब्तियां कस रहे थे तभी उन दोनों को इग्नोर करते हुए संध्या उन दोनों के पास से गुजरने लगी कि तभी उनमें से एक लड़का बोला,,,)

बाप रे यार इसकी गांड तो देख कितनी बड़ी बड़ी है ईसकी गांड साड़ी में इतनी जबरदस्त लग रही है तो नंगी कितनी कहर ढाती होगी,,,,, कसम से यार उसकी गांड देखने वाला बड़ा किस्मत वाला होगा,,,,
(उस लड़के की बात संध्या के कानों में पड़ गए वह उन लड़कों की बात सुनकर एकदम से आश्चर्य में पड़ गई क्योंकि उन लड़कों की अभी मुंह से भी नहीं होती थी और इस तरह की गंदी बातें कर रहे थे तभी उनमें से एक लड़का जो बोला उड़ा उसके होश उड़ा दिया)

कसम से यार मैं अगर इसका बेहतर होता तो दिन रात किसके खूबसूरत बदन को देखता रहता और तब तो इसको नंगी देखने का सौभाग्य भी मिल जाता,,,


साले तू बस इतना ही सोच मैं ईसकी बेटा होता तो अब तक इसको पटा कर इसकी चुदाई कर दिया होता ,, साली कीतनी जबरदस्त लगती है,,,,


इसका बेटा किस्मत वाला होगा जो इसके घर पैदा हुआ दीन रात ईसको देखता होगा,,,,


हां यार क्या पता अपने बेटे से ही चुदवीती हो,,
(ऐसा कहते हुए दोनों आपस में हंसने लगेलेकिन संध्या की हालत खराब हो गई संध्या कभी सपने में भी नहीं सोचा होगी कि इतने छोटे लड़के इस तरह की गंदी बातें करते होंगे वह जल्दी जल्दी वहां से आगे निकल गए और मार्केट से सब्जी खरीद कर वापस घर पर आने लगी शाम ढलने लगी थी,,,, घर पर पहुंच कर वह फ्रेश होकर रसोई बनाने लगी तब तक सोनू और सगुन दोनों घर पर ट्यूशन क्लासेस से आ चुके थे,,,, संध्या उन दोनों के लिए चाय बना कर हम दोनों को देकर वापस किचन में चली गई शगुन चाय का कप लेकर अपने कमरे में आ गई और खिड़की पर खड़ी होकर बाहर सड़क की तरफ देखते हुए अपने मम्मी पापा और अपनी सहेली की कहीं गई बातों के बारे में सोचने लगी,,, वह ठीक है अपनी मां से नजर नहीं मिला पा रही थी क्योंकि जब भी उसकी नजर अपनी मां पर पड़ती तो उसका शोम्य और खूबसूरत चेहरे की जगह वही संभोग रत वासना युक्त और मदहोशी में बंद हुई आंखों वाला चेहरा उसे नजर आने लगता था,,, खिड़की पर खड़ी है सोच रही थी कि क्या औरत और मर्द के जीवन में संभोग का होना स्वभाविक है या मन पर आधार रखता है,,,, वह खिड़की पर खड़ी थी अपने विचारों में मग्न होकर गुलाबी रंग का घुटनों तक का फ्रॉक पहनी हुई थी जो कि उसकी खूबसूरत बदन पर और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था उसकी पतली पतली गोरी टांगें घुटनों के नीचे से नजर आ रही थी,,। और उसका पतला फ्रॉक खिड़की से चल रही हवा के झोंकों से इधर-उधर लहरा रही थी,,, वह अपने ही विचारों में मशहूर थी,,,,
प्रीति के खुले व्यक्तित्व के बारे में उसने आज तक इस तरह से गहन विचार मग्न नहीं हुई थी लेकिन आज उसकी बातों ने उसे झकझोर कर रख दिया था,,,, उसकी बातों से साफ जाहिर था कि वह संभोग सुख बहुत बार भोग चुकी थी जिसके बारे में अब तक संध्या को कुछ मालूम ही नहीं था,,, और शाम को फिर से संभोग का प्रोग्राम बन चुका था संभोग के बारे में सोचते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी प्रीति की बातें बार-बार उसके दिमाग को झटक रही थी,,, प्रीति के कहे अनुसार वह अपना उल्लू सीधा करने के लिए उस लड़के से संभोग या सीधा सीधा उससे चुदवा रही थी,,, संध्या अब तक चुदाई जैसे शब्दों को अपने होठों पर नहीं लाई थी इसलिए मन में ही उन शब्दों के बारे में सोचकर उसके तन बदन में हलचल होने लगती थी,,,,,
और वह लड़का प्रीति का उल्लू सीधा करने के चक्कर में अपनी रात और शाम दोनों रंगीन कर रहा था,,,, शगुन का कोमल मन इस बात को बिल्कुल भी पचा नहीं पा रहा था कि लोग एक दूसरे की मदद करने के एवज में उनके शरीर का भोग लेते हैं उनसे संभोग करते हैं उनसे चुदाई करते हैं और सामने वाला या वाली भी इसमें पूरी तरह से सहबागी होकर उस पर का पूरी तरह से हम लोग तो उठाता है,,,,
शगुन को अच्छी तरह से याद था कि उसकी सहेली प्रीति यह बात कह रही थी कि उसका तो सब कुछ सैटल है उसके पापा खुद इतने बड़े हॉस्पिटल के मालिक हैं और इतने बड़े डॉक्टर हैं और उसे प्रैक्टिस करा देंगे यह सोचते हुए शगुन यह सोचने लगी कि अगर उसके पापा इतने बड़े डॉक्टर नहीं होते तो,,,उसे भी प्रैक्टिस करने के लिए किसी सीनियर की जरूरत पड़ती है तो क्या हुआ सीनियर भी उसके साथ चुदाई करता तो क्या वो खुद आगे बढ़ने के लिए अपने सीनियर के साथ चुदाई करवाती उसके साथ संभोग करके आगे बढ़ती,,,, यह सब सवाल शगुन के कोमल मन पर हथौड़े की तरह चल रहे थे,,,,,तभी उसके मन में जो ख्याल आया उसके बारे में सोचते ही उसके तन बदन में कामाग्नि भड़क उठी,,, वह खिड़की पर खड़ी होकर बाहर सड़क की तरफ देखते हुए चाय की चुस्की लेते हुए विचार की अगर उसके पापा भी हमसे आगे बढ़ाने के लिए क्या आगे की प्रैक्टिस कराने के लिए उसके साथ चुदाई करें तो,,, यह ख्याल मन में आते ही सब उनकी आंखों के सामने उसके पापा का मोटा तगड़ा लंबा लंड लहराने लगा,,, जोकि उसे उसकी मां की गुलाबी बुर के अंदर अंदर बाहर होता हुआ नजर आ रहा था,,,और यह दृश्य बदल कर तुरंत उसकी आंखों के सामने ऐसी कल्पना होने लगी कि उसकी मां की जगह वह खुद अपने पापा के लंड पर चढ़कर अपनी गोलाकार गांड को अपने पापा के मोटे तगड़े खड़े लंड पर अपनी गुलाबी बुर को जोर जोर से पटक रही है और उसकी छोटी सी गुलाबी बुर के अंदर उसके पापा का मोटा खड़ा लंबा लंड बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा है और वह जोर-जोर से,,,, आहहहहह ,,,,,, पापा,,,,ओहहहहह पापा,,,, कहते हुए गरम सिसकारी ले रही है और उसके पापा अपने दोनों हाथों से उसकी नंगी गोरी गोरी गांड को जोर जोर से दबा कर चुदाई का मजा ले रहे हैं,,,,।

इस कामोत्तेजना से भरपूर ख्याल मन में आते हीशगुन के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसकी टांगों के बीच की पतली दरार पूरी तरह से गीली होती हुई महसूस होने लगी,,,तभी उसकी मां की आवाज के साथ उसकी तंद्रा भंग हुई जो कि उसे किसी काम के लिए आवाज दे रही थी और तुरंत अपने आप को संभालते हुए अपनी मां की मदद करने के लिए किचन में चली गई,,,।
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