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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

Naik

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,,,,,,
सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, उसकी मां एक लाल रंग की पैंटी को अपने हाथ में लेकर उसे घुमा घुमा कर अपनी नाजुक उंगलीयो से उसकी नरमाहट को महसूस कर रही थी,,,, एक बेटे के लिए इस तरह का नजारा बेहद अद्भुत और मादकता भरा था। और होता भी क्यों नहीं क्योंकि अक्सर औरतें अपने बेटे तो क्या किसी भी मर्द के सामने इस तरह से खुले तौर पर पेंटिं हाथ में लेकर उसका जायजा नहीं करती,,, क्योंकि औरतों के हाथ में पेंटी देखते हीहर मर्दों के दिमाग में यही कल्पना घूमने लगती है कि पेंटी पहनते समय यह औरत किस तरह से दिखती होगी,,, या पेंटी पहनने के बाद यह कैसी दिखेगी,,,, और यही हाल सोनू का भी था अपनी मां के हाथ में लाल पेंटिं को देखकर करे उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, संध्या जी थोड़ा बेशर्म बन जाना चाहती थी क्योंकि उसे धीरे-धीरे एहसास होने लगा था कि बेशर्म बनने में ही बहुत मजा है क्योंकि आज तक उसने अपने बेटे के सामने इस तरह की हरकत नहीं की थी लेकिन इस तरह की हरकत करते हुए उसे अद्भुत एहसास हो रहा था उसके तन बदन में हलचल सी मची हुई खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी पतली सी मखमली दरार के अंदर उत्तेजना भरी चींटियां रेंग रही थी,,, वह अपने बेटे को अपने हाथ में ली हुई लाल रंग की पैंटी को दिखाते हुए बोली,,,,,।

यह कैसी लग रही है सोनू,,,,

अच्छी ही है मम्मी,,,,(सोनू शर्म के मारे इधर-उधर नजरें घुमाते हुए बोला,,,,)

अरे ठीक से देख कर बताना ईधर उधर क्या देख रहा है,,,।
(संध्या अपने बेटे की तरह हसरत भरी निगाहों से देखते हुए बोली,,,)


मम्मी मुझे यह खरीदने का कोई अनुभव नहीं है,,,,।


अरे अनुभव नहीं है लेकिन देखा तो होगा,,,,
(संध्या अपने होठों पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली अपनी मां की कही गई बात का मतलब समझते ही सोनू का लंड टन टनाने लगा,,,, संध्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) ले हाथ में लेकर देख अच्छी तो है ना,,, तो फिर क्या है ना कि पहनने के बाद अजीब सी लगती है,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था अपनी मां की बात मानते हुए सोनू अपना हाथ बढ़ा कर अपनी मां के हाथ में सेना ने लड़की पहनती को अपने हाथ में ले लिया और वह भी अपनी मां के सामने लगभग घबराते हुए इधर-उधर करके पेंटी को चारों तरफ से देखने लगा,,, और धीरे से बोला,,,)

मम्मी मेरी मानो तो,,,,( इतना कहने के साथ सोनू अपना हाथ आगे बढ़ाकर एक हल्की गुलाबी रंग की पैंटी को उठा लिया जो की पूरी तरह से जालीदार थी और बेहद मुलायम उसे हाथ में लेते हुए बोला,,,) यह वाला ले लो यह आप पर बहुत अच्छी लगेगी,,,,
(सोनू की हालत खराब हो रही थी लेकिन संध्या का भी कम बुरा हाल नहीं था अपने बेटे की बात सुनकर उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था उसकी बुर में से तो मदन रस का बहाव हो रहा था,,, संध्या अपने बेटे के हाथ में से पेंटी को लेते हुए बोली,,,)
सोनू यह तो पूरा जालीदार है इसे पहनने के बाद छुपाने लायक कुछ भी नहीं रहेगा सब कुछ तो नजर आएगा,,,
(अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था क्या करें पैंट के अंदर लंड बगावत पर उतर आया था,,,)

मम्मी ईसे तो अंदर पहनना है ना आप पर अच्छी लगेगी इसलिए कह रहा हूं,,,,(सोनू शर्माते हुए बोला,,,)

अच्छी तो लगेगी बेटा लेकिन मुझे शर्म आ रही है इसे पहनने के बाद अगर तेरे पापा देखेंगे तो क्या कहेंगे,,,।


कुछ नहीं कहेंगे पापा वह तो खुश हो जाएंगे,,,,
(संध्या अपने बेटे के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी अपने बेटे कि ईस तरह की बातें उसके बदन में सिरहन सी दौडा दे रही थी,,,)

चल कोई बात नहीं तू कहे तो मैं ले लेती हूं मैं भी तो देखूं इस तरह की पेंटी पहनने के बाद कैसा लगता है,,,।

अच्छा ही लगेगा मम्मी,,,,

(संध्या का बुरा हाल था दिल जोरों से धड़क रहा था पैर थरथरा रहे थे,,, बुर बार-बार पसीज रही थी,,, तभी संध्या हाथ बढ़ाकर एक दूसरी पेंटी उठा ली और उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ कर देखने लगी तभी सोनु उस पेंटी को देखकर बोला,,)


के सही नहीं है मम्मी यह आपके लिए छोटी है,,,
(सोनू की बातें सुनकर संध्या यह जानने के लिए कि किस लिए छोटी है वह बोली,,,)

मुझे तो ठीक लग रही है सोनू,,,


नहीं मम्मी यह सही नही है इसका साइज ठीक नहीं है,,,


ऐसा क्यों मुझे तो ठीक लग रही है मुझे एकदम फिट आएगी,,,,।


आपके साइज के हिसाब से यह पहनती आपके लिए छोटी पड़ेगी क्योंकि आपकी बड़ी बड़ी है,,,।


बड़ी-बड़ी क्या बड़ी-बड़ी है,,,(संध्या उसी तरह से दोनों हाथों में पैंटी पकड़ कर उठाए हुए आश्चर्य से सोनू की तरफ देखती हुई बोली,,,)

ककककक,,, कुछ नहीं मम्मी लेकिन यह छोटी है,,,।

लेकिन तू कुछ बोल रहा था ना बड़ी बड़ी है क्या बड़ी बड़ी है,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू को शर्म महसूस हो रही थी अब वह कैसे कह दे कि तुम्हारी गांड बड़ी बड़ी है लेकिन फिर भी अपनी मां की जीद को देखते हुए वह बोला,,,)

अब कैसे कहूं मम्मी की तुम्हारी,,,,वो,,,(अपने हाथ से अपनी मां की गांड की तरफ इशारा करते हुए और अपने दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाकर बालों बड़ा तरबूज पकड़ा हो इस तरह से हाथ करके बोला) बड़ी-बड़ी है इसे पहनते ही पेंटी फट जाएंगी,,,,(सोनू एकदम से शर्माते हुए बोला..लेकिन संध्या जानबूझकर सहज बनी रही वह ऐसी कोई भी बात या हरकत नहीं करना चाहती थी ताकि उसके बेटे को ऐसा लगे कि उसकी बात सुनकर उसे बुरा लगा है वह ऐसा ही जताना चाहती थी कि सब कुछ बिल्कुल सामान्य है इसलिए अपने बेटे की बात सुनकर वह बोली,,,)

ठीक है तू कहता है तो मैं इसे नहीं लेती हूं,,, लेकिन एक काम कर तू ही जल्दी जल्दी से तो 3 पेंटी मेरे लिए पसंद करके दे दे,,,,।
(अपनी मां की बात सुनते हैं सोनू भी बिल्कुल देर किए बिना ही पहले से ही अपनी नजर में रखी हुई पेंटी को उठाकर अपनी मां की तरफ आगे बढ़ा दिया,,,तब तक तो कॉलेज की लड़कियां जो कि एकदम पास में खड़ी थी और अभी अभी आई थी वह दोनों की हरकत को देख रही थी और जिस तरह से सोनू तीन पेंटी उठाकर अपनी मां की तरह बाकी पढ़ाया था उसे देखकर वह लड़की आपस में फुसफुसाते हुए अपनी सहेली से बोली,,,)

हाय ,,,,, देख तो सही,,, आंटी ने कितना मस्त लड़का फसाया है जो कि खुद पेंटी खरीद कर दे रहा है और वोभी अपने पसंद की,,,

अरे सच में आंटी एकदम नसीब वाली है जो उन्हें इतना जवान लड़का मिला है लवर के रूप में,,,
(उन लड़कियों की बात संध्या के कानों में पड़ गई थी और सोनू भी उन लड़कियों की बात सुन रहा था और लड़कियों की बात सुनकर सोनू का दिल जोर जोर से धड़कने लगा था,,, लेकिन वह जानबूझकर उन लड़कियों की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था और अपनी मस्ती में मस्त रहने का नाटक कर रहा था संध्या तो उन लड़कियों की बात सुनकर फूले नहीं समा रही थी,,, संध्या को ऊन जवान लड़कियों की बातें अच्छी लग रही थी,,, तभी एक लड़की अपनी सहेली के कान में बोली,,,)
देख तो सही लड़के को आंटी के गांड का साइज एकदम परफेक्ट मालूम है तभी तो देख एक झटके में तीन पेंटिंग निकाल कर दे दिया,,,।

मालूम क्यों नहीं होगा रात दिन मजे ले रहा होगा तो साइज क्यों नहीं मालूम होगी और वैसे भी लड़कों को तो,,, ईनकी जैसी औरतें ही पसंद आती है,,।

(संध्या की हालत खराब हो गई थी रात दिन मजे लेने वाली बात सुनकर तो उसकी हालत खराब होने लगी उसकी सांसों की गति तेज होने लगी हालांकि वह लड़कियां भी पेंटी को उलट पलट कर देख रही थी लेकिन बातों का केंद्र संध्या और सोनू पर ही टिका हुआ था,,, सोनू भी उन लड़कियों की बातें सुनकर मस्त हुआ जा रहा था तभी उनमें से एक लड़की बोली)

सच कहूं तो लड़कों को इस उम्र की औरतें ही पसंद है और वह भी शादीशुदा एकदम मजा आ जाता है लड़कों को,,, देख नहीं रही है आंटी की चुची कितनी बड़ी बड़ी और गोल गोल है,,, साला दबा दबा कर मजा लेता होगा और पिता भी होगा आंटी को तो मजा आ जाता होगा जवान लवर पाकर,,,
(यह बात सुनकर सोनू और संध्या दोनों के होश उड़ने लगे दोनों की बातें संध्या और सोनू के तन बदन में आग लगा रही थी,,,)

अच्छा एक बात बताओ तुझे तो इन सब में ज्यादा अनुभव सच सच बताना यह लड़का इस आंटी की दिन में कितनी बार लेता होगा,,,

ऊममममम,,, सच कहूं तो लड़के का बदन बेहद गठीला और कसरती है,,,, साला आंटी को चोद चोद कर थकता नहीं होगा,,, 1 दिन में कम से कम यह 5 बार तो जरूर इस आंटी को अपने लंड की सवारी कराता होगा,,,।
(अब तो संध्या की हालत एकदम से खराब हो गई उत्तेजना के मारे उसकी बुर में से बदल रस की दो बूंद पेंटी के अंदर टपक गई,,, और उत्तेजना के मारे सोनू का लंड उबाल मार रहा था,,, धीरे-धीरे दो चार लड़कियां और इकट्ठा होने लगी वह भी ब्रा और पेंटी लेने आई थी इसलिए अब संध्या का वहां ज्यादा देर तक खड़े रहना ठीक नहीं था लेकिन उन लड़कियों की बातें सुनने के चक्कर में उसने एक पेंट और पसंद कर ली और 5 पेंटी लेकर वह दूसरे कोने पर जाकर अपने लिए ब्रा पसंद करने लगी,,,जिसे खरीदने में सोनू भी अपनी मां की मदद कर रहा था लेकिन ब्रा की सही साइज उसे बिल्कुल भी नहीं मालूम थी,,,लेकिन इतना व जरूर जानता था कि उसकी मां की दोनों चूचियां खरबूजे के साइज की थी,,,,

संध्या अपने लिए ब्रा और पेंटी खरीद कर काउंटर पर बिल बनवाने लगी,,,,,सोनू को इस समय अपनी मां के साथ साथ खड़ा रहने में शर्म भी महसूस हो रही थी और गर्व भी महसूस हो रहा था क्योंकि यहां पर लोग उन दोनों को प्रेमी प्रेमिका के जोड़ी के रूप में देख रहे थे,,,,और शायद संध्या से उन लड़कियों को जलन भी हो रही थी क्योंकि संध्या इस उम्र में भी बेहद खूबसूरत और गठीले बदन की मालकिन थी शायद संध्या की गर्म जवानी के आगे उन लड़कियों की जवानी पानी भरने पर मजबूर नजर आ रही,, थी,,। जल्दी-जल्दी सोनू और उसकी मां उतर कर नीचे आ गई और एक रेस्टोरेंट में चले गए जो कि मॉल में ही बना हुआ था,,,।

दूसरी तरफ शगुन अपने लिए खाना गर्म कर रही थी दोपहर की चिलचिलाती गर्मी में छोटा सा फ्रॉक शगुन को राहत दे रहा था,,, राहत फ्रॉक के अंदर सिर्फ अपनी पेंटी पहनी हुई थी बाकी उसने ब्रा नहीं पहनी थी जिसकी वजह से रोकने से उसकी गोल-गोल संतरे एकदम साफ नजर आ रहे थे कोई भी इस समय आने वाला नहीं था इसलिए वह निश्चित थी,,। खाना गरम करने के बाद वह अपने लिए एक थाली में परोस कर रसोई घर से बाहर आ गई और डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना खाने लगी,,, वह पूरी तरह से निश्चिंत हो चुकी थी खाना खाने में एकदम मशगूल,,, तभी डोर बेल बजने लगी,,, तो पूरी तरह से बे फ़िक्र थी एक हाथ में मोबाइल चलाते हुए वह खाना खा रही थी डोरबेल बजते ही ऊसका ध्यान दरवाजे पर गया,,, पर वह तुरंत कुर्सी पर से उठी और दरवाजा खोलने के लिए चली गई,,,,वह पूरी तरह से भूल चुकी थी कि इस समय वह अपने बदन पर कौन से कपड़े डाली हुई है उसे इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि वह छोटी सी ड्रेस के अंदर केवल एक पेंटी पहनी हुई है और उस ड्रेस में से उसके बदन का हर एक हीस्सा ,,हर एक कोना कोना बदन का हर एक कटाव साफ नजर आ रहा है,,, मैं तुरंत दरवाजा खोल दी और दरवाजे पर उसके पापा से अपने पापा को देखते ही वह खुश होते हुए बोली,,,।

पापा आप इस समय,,,,,
(लेकिन संजय का तो सगुन की बातों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं था,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी उसकी नजरें शगुन के बदन पर टिकी हुई थी,,, क्योंकि संजय को शगुन के बदन का हर एक अंग साफ नजर आ रहा था,,, वह शगुन को बड़े गौर से ऊपर से नीचे तक देख रहा था छोटी सी ड्रेस थी जो कि बड़ी मुश्किल से जांघों तक पहुंच रही थी,,,। मोटी मोटी चिकनी जांघें देख कर संजय के होश उड़ रहे थे,,, तभी संजय की नजर पारदर्शी फ्रॉक में से झांक रहे अपनी बेटी के दोनों संतरो पर पड़ी तो वह उन्हें प्यासी नजरों से देखता ही रह गया,,, संजय को इस बात का एहसास हो गया कि उसकी बेटी फ्रॉक के अंदर केवल पेंटी पहनी हुई है,,, अपनी बेटी की हालत को देखकर संजय का लंड एकदम से खड़ा हो गया,,,शगुन को इस बात का एहसास हो गया कि वह किस हालत में अपने बाप के सामने खड़ी है वो एकदम से शर्मसार हो गई और बिना कुछ बोले वहां से भागते हुए अपने कमरे में चली गई,,,, संजय भी जैसे होश में आया हूं वो एकदम से शर्म के मारे अपनी नजरों को नीचे कर लिया और दरवाजा बंद करके एक कुर्सी पर बैठ गया,,,,
Behtareen shaandaar update
 
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